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Marriage in hospital: अनोखी शादी.... बारात लेकर अस्पताल पहुंचा दूल्हा, मरीज रह गए हैरान, जानें ऐसी भी क्या थी मजबूरी...हास्पिटल में ही की शादी...
Marriage in hospital : जांजगीर। छत्तीसगढ़ के जांजगीर के निजी हॉस्पिटल में एक अनोखी शादी हुई है, जो लोगों के बीच में चर्चा का विषय बना गया है। दुल्हन की तबियत खराब थी और दूल्हा हॉस्पिटल में ही बारात लेकर पहुंच गया। यहां यह अनोखी शादी को देखने को मिली है, जिसकी खासी चर्चा है। इस शादी को लेकर परिवार के लोगों के साथ ही हॉस्पिटल स्टाफ में भी उत्साह दिखा। Marriage in hospital 20 अप्रैल को मुहर्त में…
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दिमाग़वाली स्त्री से प्रेम
आसान नहीं होता
दिमाग़वाली स्त्री से प्रेम करना, क्योंकि उसे प���ंद नहीं होती जी हुजूरी,
झुकती नहीं वो कभी जब तक न हो रिश्तों और प्रेम की मजबूरी।
तुम्हारी हर हां में हां और न में न कहना वो नहीं जानती, क्योंकि उसने सीखा ही नहीं झूठ की डोर में रिश्तों को बांधना।
वो नहीं जानती स्वांग की चाशनी में डुबोकर अपनी बात मनवाना, वो तो जानती है
बेबाकी से सच बोल जाना।
फिजूल की बहस में पड़ना उसकी आदतों में शुमार नहीं, लेकिन वो जानती है तर्क के साथ अपनी बात रखना।
वो क्षण-क्षण गहने-कपड़ों की मांग नहीं किया करती,
वो तो संवारती है स्वयं को आत्मविश्वास से, निखारती है अपना व्यक्तित्व मासूमियत भरी मुस्कान से।
तुम्हारी ग़लतियों पर तुम्हें टोकती है, तो तकलीफ़ में तुम्हें संभालती भी है।
उसे घर संभालना बखूबी आता है, तो अपने सपनों को पूरा करना भी। अगर नहीं आता तो किसी की
अनर्गल बातों को मान लेना। पौरुष के आगे वो नतमस्तक नहीं होती,
झुकती है तो तुम्हारे निःस्वार्थ प्रेम के आगे।
और इस प्रेम की ख़ातिर अपना
सर्वस्व न्योछावर कर देती है। हौसला हो निभाने का
तभी ऐसी स्त्री से प्रेम करना, क्योंकि टूट जाती है वो
धोखे से, छलावे से,
फिर जुड़ नहीं पाती
किसी प्रेम की ख़ातिर।
- अनुपमा भगत
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Qur'an and Today muslim country
🚨Qur'an 4:75🚨
How is it that you do not fight in the way of Allah and in support of the helpless - men, women and children -who pray: 'Our Lord, bring us out of this land whose people are oppressors and appoint for us from Yourself, a protector, and appoint for us from Yourself a helper'
(और मुसलमानों) तुमको क्या हो गया है कि ख़ुदा की राह में उन कमज़ोर और बेबस मर्दो और औरतों और बच्चों (को कुफ्फ़ार के पंजे से छुड़ाने) के वास्ते जेहाद नहीं करते जो (हालते मजबूरी में) ख़ुदा से दुआएं मॉग रहे हैं कि ऐ हमारे पालने वाले किसी तरह इस ब���्ती (मक्का) से जिसके ब��शिन्दे बड़े ज़ालिम हैं हमें निकाल और अपनी तरफ़ से किसी को हमारा सरपरस्त बना और तू ख़ुद ही किसी को अपनी तरफ़ से हमारा मददगार बना
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इस प्रकार की भावनाओं को ठेस पहुँचाना मजबूरी है | Sant Rampal Ji Satsang ...
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Kabir is god
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इस प्रकार की भावनाओं को ठेस पहुँचाना मजबूरी है | Sant Rampal Ji Satsang ...
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उसको कॉफ़ी पसंद नहीं.
हां कभी-कभी पी लेता है— लेकिन चेहरे पर दिख ही जाता है
कॉफ़ी नहीं, इशारा है वो!
जब नाराज़गी नाक पे हो और अंदाज़ उखड़ा हो
मजबूरन बोल देगा कि कॉफ़ी पीनी पड़ेगी आज तो
कभी मन करता है उसको खुद कॉफ़ी बना के पिलाउ
मन करता है उसका ये गुस्से में कॉफी पीने का रिवाज तोड़ दू
कुछ तो करु और उसका हाथ खींच के बिठाउ उसको
कि उसके हाथ में ठंडी दी हुई कॉफी गरम हो जाए बात करते-करते
और नाक पर चढ़ा हुआ गुस्सा गायब हो जाए कहीं
कुछ खुद बोलेगा नहीं और शायद मेरी सुनेगा नहीं
कभी-कभी मन करता है, एक बार कॉफ़ी ख़ुशी से पिलाओ उसको
की मजबूरी में खुद को शांत करना नहीं
एकांत में शांत समय को मनाने के लिए
अब उसकी आदतें ठहरी कुछ और
और मेरी ज़िद उसकी आदत के सामने कब आई है?
मुह फेर लेगा और हँसते हुए थोड़े से ताने मार देगा
जब एक कप कॉफी मेरे हाथ में होगी
नाक ऊँची करके, थोड़े ताव में बोलेगा, कहेगा,
"मैं नहीं पीता ये कॉफ़ी, तू ही पी |"
कभी-कभी लगता है कॉफ़ी नहीं है ये
कुछ और ही है हमारी खीचा तानी
पर कभी-कभी छोटी सी ही जीत मांग तो मैं भी लेती हूं
वो मजे से ना पिए, पर मेरी बात मनवा तो लेती हूं
हँसते हुए उसको थोड़ी सी कॉफी चखवा तो देती हूं
अब फिर से आंख दिखाये भी तो क्या
पलकें गुस्से से गिरे या तारीफ में, नूर तो आँखों का वही रहेगा
अब वो जैसा है वैसा ही रहेगा
कॉफ़ी पसंद नहीं उसको, ना ही सही
मेरे साथ बैठे बैठे, शाम ढलते,
ठंडी कॉफ़ी को बातों बातों में गरम हो जाते हुए तो देखेगा
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काफ़िर किसे कहते हैं?
संत गरीबदास जी ने बताया कि
काफ़िर तोरै बनज ब्योहारं, काफ़िर सो जो चोरी यांर।।
अर्थात जो ब्याज लेते हैं, किसी की मजबूरी का फायदा उठाते हैं, चोरी करते हैं, इस प्रकार के कर्म करने वाले किसी भी धर्म में हों वे सभी काफ़िर ही हैं।
पूरी जानकारी के लिए देखें "काफ़िर का अंग (सम्पूर्ण)" Satlok Ashram यूट्यूब चैनल पर
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ख्वाहिश है की
एक ख्वाहिश पूरी होजाए
मेरी वो अधूरी कहानी
तेरे साथ पूरी होजाए
तुझसे दूर रहने की
हर वो मजबूरी दूर होजाए
जिसमे मांगा तुझे
हर वो दुआ कबूल होजाए
और जो मिल जाए तू एक बार
तो कर लूं ऐसी मोहब्बत
की पूरे जहां में तेरी मेरी कहानी मशहूर होजाए
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अनहोनी पग में काँटें लाख बिछाए,होनी तो फिर भी बिछड़ा यार मिलाए
ये बिरहा ये दूरी, दो पल की मजबूरी,फिर कोई दिलवाला काहे को घबराये
तरम्पम,
धारा, तो बहती है, बहके रहती है बहती धारा बन जा, फिर दुनिया से डोल
एक दिन बिक जाएगा, माटी के मोल
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…..और चाँद रूठकर गुम हो गया!
मैं चाँद से मेरा चाँद मुझ से कहीं दूर हो गया
घने बादलों में न जाने कहाँ रूठकर खो गया
जानता हूँ वो तो दस्तूर अब भी निभाता होगा
रोज़ शब भर चमकने फलक पर आता होगा
ये मैं ही था जो अब्र के हाथों मजबूर हो गया
जो अपना वजूद था मेरा जाने कहाँ खो गया
ग़र चाँद बादलों के पार देख पाता इक दफ़ा
न यूँ सहनी पड़ती कोई भी मुझे उसकी जफ़ा
तस्दीक़ न करवानी पड़ती मुझे वादा-ए-वफ़ा
नहीं शुमार मेरी फ़ितरत में कभी होना बेवफ़ा
वैसे तो चाँद और मेरा बस अफ़साना यही है
उसके हिस्से है आसमाँ ठिकाना मेरा ज़मीं है
उसकी सूरत देखने को फिर भी तरसा पड़ा हूँ
काश चाँद जान पाता मैं अब भी वहीं खड़ा हूँ
नहीं रक्खी है दिल में कोई चाँद से शिकायत
ख़्वाब टूटे सही दिल में रहे उसी की हिमायत
न चाँद समझा मजबूरी न ही दिल के हालात
सोचा खामोश रहूँगा तभी क़ाबू रहेंगे जज़्बात
अपनी सफ़ाई में मुझे अब कुछ नहीं है कहना
कहाँ कोई समझेगा मुझे अब ऐसे ही है रहना
कैसे मानेगा चाँद ख़्याल ज़हन में यूँही चलेगा
हो उससे मुलाक़ात इंतज़ार वो शब का रहेगा
चाँदनी चाँद का साथ कहाँ छोड़ कर जाएगी
अमावस भी बताती है चाँद रात लौट आयेगी।
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कुछ अजीब सा एहसास है, जिंदगी अधूरी सी
खुद की कोई पहचान नहीं जिंदगी मजबूरी सी
(2018 me was going through smth fr fr lol)
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देर लगी आने में तुम को शुक्र है फिर भी आए तो
आस ने दिल का साथ न छोड़ा वैसे हम घबराए तो
चाहत के बदले में हम तो बेच दें अपनी मर्ज़ी तक
कोई मिले तो दिल का गाहक कोई हमें अपनाए तो
सुनी-सुनाई बात नहीं ये अपने उपर बीती है
फूल निकलते हैं शो'लों से चाहत आग लगाए तो
नादानी और मजबूरी में यारो कुछ तो फ़र्क़ करो
इक बे-बस इंसान करे क्या टूट के दिल आ जाए तो
- andaleeb shadani
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Free tree speak काव्यस्यात्मा 1352.
सत्य-प्रेम की शक्ति क्षणिक न थी हम दोनों की
बेबसी लाचारगी एक-सी थी हम दोनों की
मजबूरी में हम इधर से उधर गए
देखते ही देखते जीवन गुज़र गए
एक छोटे से घरौंदे से विदा हो गए
अंतस् के दमकते फूल जुदा हो गए।
- © कामिनी मोहन पाण्डेय
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Delhi poor’s pity life : ‘दिलवालों की दिल्ली’ में मानवता को शर्मसार करने वाले ऐसे दृश्य? ठिठुरती रातों में खुले में प्लास्टिक ओढ़ कर सोने की मजबूरी, यही है विकसित देश बनते भारत की हकीकत…!
नई दिल्ली : सुनते हैं आये हैं ‘दिल्ली दिलवालों की’ है, लेकिन उसी ‘दिलवालों’ की दिल्ली के कुछ इलाकों में इन दिनों ठिठुरा देनेवाली सर्दी भरी रातों में मानवता को शर्मसार कर देने वाला दृश्य भी देखने को मिल रहा है. हड्डी जमा देनेवाली ठंडी रातों में दिल्ली के बंगला साहिब गुरुद्वारा रोड में कई इंसान फुटपाथों पर खुले आसमान के नीचे प्लास्टिक ओढ़ कर सोने को मजबूर दिखते हैं. ऐसी ही एक सर्द रात में सबसे…
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अन्नदाता की ये मजबूरी कितने लोग समझते हैं?
भारत का लोकतंत्र कई बार समझ से बाहर हो जाता है। क्या अजीब व्यवस्था बन गई है कि इस देश में भीख मांगना अपराध नहीं, बल्कि अपना अधिकार मांगना अपराध की तरह देखा जा रहा है। पिछले 23 दिन से 70 साल के बुजुर्ग किसान जगजीत डडवाल आमरण अनशन पर हैं। पिछले एक साल से संभू बॉर्डर पर धरना प्रदर्शन कर रहे हैं। लेकिन लगता है सरकार बाहरी हो गई या उसकी संवेदना मर चुकी है? जबकि ये किसान किसी से भीख नहीं मांग रहे हैं,…
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