#भोंसले
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indianfasttrack · 3 months ago
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संगीतकार आशा भोंसले के नाम गार्डन का उद्घाटन
महाराष्ट्र भूषण संगीतकार आशा भोसले के हाथों शुक्रवार को मुंबई के बांद्रा पश्चिम इलाके में गार्डन का उद्घाटन किया गया। मौके पर अपनी भावनाओं को व्यक्त करते हुए उन्होंने कहा कि ‘मेरे नाम पर रखा गया बगीचा मेरे लिए सबसे बड़ा इनाम है।’ (Inauguration of the garden named after musician Asha Bhosle in Bandra West, Mumbai) इस्माईल शेखमुंबई- महाराष्ट्र भूषण पुरस्कृत संगीतकार आशा भोसले के नाम पर मुंबई के…
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mysteryoflove24 · 2 years ago
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एक सौ सोलह चांद की रातें एक तुम्हारे कांधे का तिल
दिल्ली में बीते दिन उमस से भरे थे मगर कल रात से जो सावन बरसा है, वह दिल को सुकून देने वाला है। कल रात देर रात चार बजे तक जागा और फिर सुबह उठके देखा तो बाहर रिम झिम बारिश हो रही थी, अब तो खैर संध्या का वक्त हो चुका है मगर यह दिलकश अभाव को महसूस कर एक गाना याद आया है, गाना है इजाज़त फिल्म का मेरा कुछ सामान तुम्हारे पास पड़ा है, जो कि जावेद अख्तर द्वारा लिखा गया है, संगीत मेरे मनपसंदीदा राहुल देव बर्मन का और स्वर दिए है आशा भोंसले ने। यह गाना मेरे दिल के बेहद करीब है। जब आपके आस पास वर्षा हो रहीं हो तो यह गाना अपने आप ही ज़हन में उतर ही आता है। मैं इस गाने की कुछ पंक्तियां लिखना चाहूंगा।
मेरा कुछ सामान तुम्हारे पास पड़ा है, हो सावन के कुछ भीगे भीगे दिन रखें है, और मेरे एक खत में लिपटी रात पड़ी है, वो रात बुझा दो, मेरा वो सामान लौटा दो
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पतझड़ है कुछ, है ना? पतझड़ में कुछ पत्तो की गिरने की आहट कानो में एक बार प��न के लौट आई थी, पतझड़ की वो शाख अभी तक कांप रही थी, वो शाख गिरा दो मेरा वो सामान लौटा दो।
है ना कितनी उम्दा पंक्तियां, अब मेरा सबसे पसंदीदा अंतरा
एक अकेली छत्री में जब आधे आधे भीग रहे थे, आधे सूखे आधे गीले सुखा तो मैं ले आई थी, गीला मन शायद बिस्तर के पास पड़ा हो, वो भिजवा दो मेरा कुछ सामान लौटा दो
एक सौ सोलह चांद की रातें, एक तुम्हारे कंधे का तिल, गीली मेहंदी की खुश्बू, झूठमूठ के शिकवे कुछ, झूठमूठ के वादे भी सब याद करा दो, सब भिजवा दो, मेरा वो सामान लौटा दो, सब भिजवा दो मेरा वो सामान लौटा दो, एक इजाज़त दे दो बस, जब इसको दफनाऊंगी, में भी वही सो जाऊंगी, में भी वही सो जाऊंगी
वाकई में यह गीत किसी जादू से कम नहीं, अपनी ही खयालों की दुनिया में मुझे खो देता है।
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moviepopcorn-180 · 17 days ago
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जोराम फिल्म रिव्यु!
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"अस्तित्व, न्याय और मानवीय भावना की कहानी"
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Image of Manoj Bajpayi lead in the Reviewed Film प्लॉट: यह फिल्म एक ऐसे व्यक्ति की कहानी पर आधारित है जो काम करने झारखंड से मुंबई आता है एक दिन जब वह काम से घर वापस जाता है तो देखता है कि उसकी पत्नी लटकी हुई है और गुंडों से लड़ते हुए, उसे मार कर अपनी जान बचाता है और अपनी छोटी सी बच्ची को बचाने के लिए अपनी पत्नी को छोड़ कर भाग जाता है और भागते भागते अपने गांव झारखंड आ जाता है| उसको पकड़ने के लिए मुंबई से पुलिस वाला ��ी वहां पहुंच जाता है| क्या पुलिस वाला उसको पकड़ पाएगा? उसकी पत्नी पर किसने ��मला करवाया था? उसने अपने आप को पुलिस के हवाले क्यों नहीं किया? इन सभी सवालों के जवाबों के लिए आपको फिल्म देखनी पड़ेगी| टोन और थीम: यह फिल्म एक्शन थ्रिलर टोन पर आधारित है यह Offbeat सिनेमा की फिल्म है| फिल्म की थीम Survival और Justice पर है और इस फिल्म को बनाने का उद्देश्य राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय अवॉर्डस हासिल करना और फिल्म फेस्टिवल में दिखाया जाना है| एक्टिंग एंड कैरक्टर्स: दसरू की भूमिका में मनोज बाजपेई का अभिनय उत्तम दर्जे का है उन्होंने चरित्र का चोला अपने शरीर पर पहनकर इस रोल को पूरी ताकत के साथ निभाया चाहे उनका हेयर स्टाइल हो, मेकअप हो, beard हो, कॉस्ट्यूम हो, बॉडी लैंग्वेज हो पूरी Perfection के साथ रोल निभाया| वह इस रोल के लिए अवार्ड नॉमिनेशन के भी हकदार हैं और जीत भी सकते हैं रत्नाकर के रोल में मोहम्मद जीशान अय्यूब का अभिनय भी अच्छा है उन्होंने भी अपने रोल को 100% देने की कोशिश की है | फूलों की भूमिका में स्मिता तांबे का अभिनय भी लाजवाब है उन्होंने भी अपने रोल को पूरी मेहनत से निभाया चाहे उनका मेकअप हो, कॉस्ट्यूम हो, बॉडी लैंग्वेज हो, हेयर स्टाइल हो, और ज्वेलरी हो, अच्छा अभिनय करने का पूरा प्रयास किया, वानो की भूमिका में तनिष्ठा मुखर्जी का अभिनय अच्छा है, दसरू की पत्नी के रोल में उनकी विशेष भूमिका है| Written एंड Direction: इस फिल्म को देवाशीष मखीजा ने निर्देशित किया है इस फिल्म से पहले वह Short Films बना चुके हैं, कुछ फिल्मों के Screenplay और Dialogues भी लिख चुके हैं, अनुराग कश्यप और शाद अली जैसे Directors के साथ वह बंटी और बबली और ब्लैक फ्राईडे जैसी फिल्मों में Assistant Director के तौर पर भूमिका निभा चुके हैं, ज्यादातर उनकी फिल्में Critically Acclaimed और Film Festivals में जाने वाली होती हैं और अवार्ड जीतने वाली होती हैं उन्होंने भोंसले, अज्जी जैसी Critically Acclaimed और Awards Winning फिल्मों को भी निर्देशित किया है, इस फिल्म का निर्देशन उनका बढ़िया है उनका कहानी को बताने का स्टाइल Unique है, फिल्म की गति पर भी कंट्रोल है सीधी साधी कहानी को उन्होंने अच्छे से बताने का प्रयास किया है, फिल्म की कहानी अलग तरह की है पटकथा भी औसत दर्जे की है, उन्होंने फिल्म को Original Locations पर फिल्माकर, एक अलग तरह की फिल्म बनाई है, चाहे रेलगाड़ी के अंदर के दृश्य हो, Mines के दृश्य हो , गांव के दृश्य हो, सभी दृश्यों को अच्छे से पर्दे पर दिखाया है सिनेमैटो��्राफी: पीयूष पुट्टी अच्छी है, Original Locations के दृश्यों को बहुत अच्छे से फिल्माया है, उनका कैमरा वर्क भी अच्छा है Aerial Views दृश्य ज्यादा नहीं है| एडिटिंग: अभ्र बनर्जी की संतुलित है, फिल्म थोड़ी सी धीमी है और कसी हुई हो सकती थी| साउंड डिजाइन: धीमान कर्मकार का बहुत बढ़िया है, खास कर जंगल वाले दृश्यों का| बैकग्राउंड स्कोर: मंगेश धाकड़े का बहुत अच्छा है फिल्म की कहानी के अनुसार है| एक्शन: रियाज शेख और हबीब सैयद का ठीक-ठाक है, उनके लिए ज्यादा स्कोप नहीं था | कॉस्ट्यूम डिजाइन: सुबोध श्रीवास्तव का बहुत ब��़िया है| प्रोडक्शन डिजाइन: शमीम खान का ठीक-ठाक है| क्लाइमेक्स: बहुत बढ़िया बन पड़ा है ओपिनियन: One Time Watch! जो Offbeat फिल्मों को देखना पसंद करते हैं Flaw: वानो ने जब दसरू को कहा मत जाओ, वह उसे जिंदा ही छोड़कर भाग जाता है उसने अपनी पत्नी को बचाया क्यों नहीं समझ से परे हैं| फ़िल्मफ़ेयर अवॉर्ड नॉमिनेशंस: बेस्ट एक्टर (क्रिटिक्स), बेस्ट डायरेक्टर (क्रिटिक्स) एंड बेस्ट स्टोरी CBFC-U/A Movietime-2h.18mins Genre-Thriller Backdrop-Jharkhand Release Year-2023 Film Cast: Manoj Bajpai, Mohammed Zeeshan Ayub, Smita Tambe, Megha Mathur, Tanishtha Mukherjee Producer: Makhija film, Anupama Bose, Devashish Makhija, Written and Director: Devashish Makhija, Cinematography: Piyush Puty, Editor: aAbhro Banerjee, Sound Design: Dhiman Karmakar, Background Score: Mangesh Dhakde, Casting: Casting Bay, Abhishek Banerjee, Anmol Ahuja, Action: Riyaz Shaikh and Habib Sayed, Costume Design: Subodh Srivastav, Production Design: Shamim Khan जोराम का मतलब शिशु होता है Read the full article
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narmadanchal · 3 months ago
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बॉलीवुड के अनकहे किस्सेः बनना फिल्म उमराव जान का
अजय कुमार शर्मा 2 जनवरी 1981 को रिलीज हुई फिल्म उमराव जान अपने समय की लोकप्रिय फिल्म है। इस फिल्म ने जहां उमराव जान के रूप में रेखा के अभिनय को नई ऊंचाइयां प्रदान की वहीं, आशा भोंसले की गायिकी और इसके संगीतकार खय्याम को लोकप्रियता के नए आयामों तक पहुंचाया। यह फिल्म मुज़फ़्फ़र अली की दूसरी फिल्म थी, इससे पहले वह गमन नामक बेहद संवेदनशील फिल्म बना चुके थे। इस फिल्म की एक ग़ज़ल ��सीने में जलन,आखों…
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dainiksamachar · 5 months ago
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आखिर अतीक-अशरफ तक कैसे पहुंचे थे हत्यारे, जांच आयोग ने मीडिया को क्यों लताड़ा?
लखनऊ: उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में साल 2023 में 15 अप्रैल को माफिया और उसके भाई अशरफ को भारी पुलिसकर्मियों की सुरक्षा व्यवस्था होने के बाद भी हत्या कर दी गई थी। दोनों को कॉल्विन अस्पताल में मेडिकल जांच के लिए ले जाते समय मारा गया था। तीन हमलावर मीडियाकर्मी बनकर आए थे और ताबड़तोड़ फायरिंग करके हत्या कर दी थी। मामले की जांच के लिए इलाहाबाद हाई कोर्ट के पूर्व चीफ जस्टिस दिलीप बाबा साहब भोंसले की अध्यक्षता में पांच सदस्यीय आयोग का गठन किया गया था। गुरुवार को यूपी विधानसभा के मानसून सत्र के आखिरी दिन की रिपोर्ट पेश की गई, जिसमें बताया गया कि इस हत्या में राज्य और पुलिस तंत्र की कोई मिलीभगत नहीं थी। यह एक पूर्व नियोजित साजिश थी। हालांकि, आयोग की रिपोर्ट में मीडिया पर सवाल जरूर उठाए गए हैं। रिपोर्ट में कहा गया कि अतीक अहमद को गुजरात की साबरमती और बरेली जेल से अशरफ को लाने के दौरान पुख्ता सुरक्षा के इंतजाम किए गए थे। पुलिस रिमांड के दौरान भी दोनों की सुरक्षा में 21 पुलिसकर्मियों को तैनात किया गया था। न्यायिक आयोग की रिपोर्ट में मीडिया की भूमिका पर सवाल उठाए गए हैं। कहा गया है कि मीडिया ने अतीक और अशरफ की बाइट लेने के लिए आत्मसंयम का परिचय नहीं दिया। इसी का फायदा उठाते हुए अतीक और अशरफ ने मीडिया को खूब उकसाया भी। अतीक को गुजरात से और अशरफ को बरेली से प्रयागराज लाने तक मीडिया हर जगह पर मौजूद रही और लगातार लाइव कवरेज करती रही है। रिपोर्ट में कहा गया कि 15 अप्रैल को जब अतीक और अशरफ को मेडिकल जांच के लिए ले जाया जा रहा था, तो मीडिया ने अतीक और अशरफ से नजदीकी तौर पर संपर्क किया। अतीक और अशरफ गेट नंबर 2 से आपातकालीन कक्ष की ओर जा रहे थे, तभी मीडिया माइक और कैमरे उनके चेहरे के सामने आ गए। अचानक से फ्लैश लाइट पड़ने के कारण सुरक्षा में तैनात पुलिसकर्मियों को व्यावहारिक रूप से अंधा कर दिया था। दोनों से मीडिया कर्मियों को दूर रखने में पुलिस असर्थ हो गई थी। तीनों हमलावर मीडिया कर्मी बताकर उन सभी के बीच में आ गए और दोनों की गोली मारकर हत्या कर दी। हत्या का लाइव टेलीकास्ट हुआ था। http://dlvr.it/TBMPWs
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digitalbharat12 · 1 year ago
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शिवाजी महाराज (Shivaji Maharaj) का जन्म 19 फ़रवरी 1630 में शिवनेरी दुर्ग में हुआ था। इनके पिता का नाम शाहजी भोसलें और माता का नाम जीजाबाई था। शिवनेरी दुर्ग पुणे के पास है। उनकी माता ने उनका नाम भगवान शिवाय के नाम पर शिवाजी रखा। उनकी माता भगवान शिवाय से स्वस्थ सन्तान के लिए प्रार्थना किया करती थी।
शिवाजी के पिताजी शाहजी भोंसले एक मराठा सेनापति थे, जो कि डेक्कन सल्तनत के लिए कार्य किया करते थे। शिवाजी के जन्म के समय डेक्कन की सत्ता तीन इस्लामिक सल्तनतों बीजापुर, अहमदनगर और गोलकोंडा में थी।
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fitsportsindia · 1 year ago
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sharpbharat · 1 year ago
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jamshedpur musical evening - सुनील कारोके म्यूजिक थेरेपी का एक संगीतमय शाम कार्यक्रम रविवार को, लता मंगेशकर और आशा भोंसले को समर्पित होगा शो
जमशेदपुर : जमशेदपुर के सुनील कारोके म्यूजिक थेरेपी के द्वारा रविवार 1 अक्टूबर को बिष्टुपुर स्थित माइकल जॉन ऑडिटोरियम में एक संगीतमय शाम का आयोजन किया गया है. यह आयोजन लता मंगेशकर और आशा भोंसले की जन्म दिवस के उपलक्ष्य में रखा गया है. बताते चले कि 28 सितंबर को लता मंगेशकर और 8 सितंबर को आशा भोंसले का जन्मदिन है. (नीचे भी पढ़ें) कार्यक्रम में सारे गाने लता मंगेशकर और आशा भोंसले से संबंधित होंगे.…
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webvartanewsagency · 2 years ago
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महाराष्ट्र: बागेश्वर धीरेंद्र शास्त्री को लेकर मचा घमसान, कांग्रेस अध्यक्ष नाना पाटोले ने CM और डिप्टी CM को लिखी चिट्ठी
नई दिल्ली/मुंबई, (वेब वार्ता)। बागेश्वर धाम वाले बाबा धीरेंद्र शास्त्री के कार्यक्रम को लेकर महाराष्ट्र में बवाल शुरु हो गया है. महाराष्ट्र के कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष नाना पाटोले  ने मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस को पत्र लिखा  है और बागेश्वर महाराज धीरेंद्र शास्त्री के किसी भी कार्यक्रम के लिए महाराष्ट्र में इजाजत ना देने की बात कही है. महाराष्ट्र में इससे पहले नागपुर में धीरेंद्र शास्त्री का कार्यक्रम हो चुका है. कांग्रेस नेता नाना पटोले ने अपने पत्र में लिखा है कि महाराष्ट्र के प्रोग्रेसिव राज्य है,अंध विश्वास फैलाने वालों के लिए इस राज्य में कोई जगह नहीं है. कथावाचक धीरेंद्र शास्त्री ने जगतगुरु संत तुकाराम महाराज का अपमान कर वरकरी समाज का अपमान किया है.वरकरी समाज के लाखों लोगों की बावनाओं को आहत किया.संत तुकाराम का अपमान करने वाले के कार्यक्रम को इजाजत देने का मतलब अंधविश्वास को बढ़ावा देना होगा. इस लिए बागेश्वर कथावाचक धीरेंद्र शास्त्री के किसी भी कार्यक्रम को अनुमति नहीं मिलनी चाहिए.
18-19 मार्च को  मीरा रोड में धीरेंद्र शास्त्री का कार्यक्रम प्रस्तावित
मुंबई से सटे मीरा रोड इलाके में बागेश्वर धीरेंद्र शास्त्री का 18 मार्च और 19 मार्च को कार्यक्रम तय है,ऐसे में नाना पाटोले  सरकार से मांग कर रहे है की धीरेंद्र शास्त्री  के कार्यक्रम को अनुमति ना मिले. धीरेंद्र शास्त्री से महाराष्ट्र में क्यों है नाराजगी? आपको बता दें कि हाल ही में कथावाचन के दौरान धीरेंद्र शास्त्री ने महाराष्ट्र के जाने माने संत तुकाराम के बारे में एक टिप्पणी की थी जो सोशल मीडिया पर खूब वायरल हुई थी. धीरेंद्र शास्त्री ने कहा था कि संत तुकाराम को उनकी पत्नी रोज मारती थी. धीरेंद्र शास्त्री के इस बयान पर महाराष्ट्र में जम कर हंगामा हुआ. तुषार भोंसले ने कहा कि धीरेंद्र शास्त्री ने संत तुकाराम  और उनकी पत्नी की छवि खराब करने के लिए इस तरह की अनर्गल बातें कही हैं. धीरेंद्र शास्त्री के बयान से वरकरी समाज के लोगों की भावनाएं आहत हुई. हंगामा बढ़ने पर धीरेंद्र शास्त्री ने हाथ जोड़कर मांफी मांगी और अपने कहे शब्द वापस लिये थे. Read the full article
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subhashchandra · 2 years ago
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सुचित्रा भोंसले🎨🖌️
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mmulnivasi · 2 years ago
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*#RPVMराष्ट्रीयपिछडावर्गमोर्चा* *छत्रपति शिवाजी महाराज के सच्चे एवं कर्तबगार वारिस प्रतापसिंह भोसले महाराज 1जनवरी1818 के युद्ध के कारण प्रताप सिंह भोसले महाराज यह बाजीराव (द्वितीय) पेशवा के कैद से मुक्त हुए और सातारा गद्दी के अधिकृत राजा घोषित किए गए| छत्रपति प्रताप सिंह भोसले महाराज ने बहुजनो के लिए शिक्षा के लिए द्वार खोलकर लडको एवं खरकर लडकियो के लिए विद्यालय शुरू किए|* *सन 1832 मे उन्होने लडकियो के लिए विद्यालय शुरू किया| उनका वास्तविक शिवराज्य की स्थापना का उदात्त हेतु था|सूबेदार रामजी सपकाल जी सातारा मे मिल्ट्री मे कार्यरत थे तब उन्होने भीमराव आंबेडकर (बाबासाहेब) को प्रताप सिंह भोसले महाराज की पाठशाला मे दाखिला करवाया| फिर वही बच्चे ने आगे चलकर देश का तथा बहुजन आंदोलन का नेतृत्व किया जिन्हे डॉ.बाबासाहेब आंबेडकर नाम से जाना जाता है| उन्होने भारतीय संविधान के माध्यम से स्वराज्य अर्थात शिवशाही को पुनर्जीवित किया|* *मराठा साम्राज्य के 8वें छत्रपति प्रताप सिंह भोंसले जी के 230वें जन्मजयंती के अवसर पर देश के सभी मूलनिवासी बहुजनो को बहोत बहोत बधाई|* (at Satara, Maharashtra, India) https://www.instagram.com/p/CnkFmoqsF-h/?igshid=NGJjMDIxMWI=
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nationalnewsindia · 2 years ago
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drmurarigaur · 2 years ago
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Watch "#लताजी की शानमें #आशा भोंसले की जुबान #बेहद खूबसूरत वाकया #seo #2023 #twitter #trp #Don't Miss #reel" on YouTube
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everynewsnow · 4 years ago
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'मैं कहीं का नहीं हूं': अभिनेता मनोज बाजपेयी जैसे प्रवासी और उनकी नई फिल्म, साइलेंस कैन यू लिसन
‘मैं कहीं का नहीं हूं’: अभिनेता मनोज बाजपेयी जैसे प्रवासी और उनकी नई फिल्म, साइलेंस कैन यू लिसन
अभिनेता मनोज बाजपेयी बताते हैं कि वह एक प्रवासी की तरह क्यों सोचते हैं और अपनी आगामी फिल्म में एक अलग शैली से निपटने के बारे में बात करते हैं, साइलेंस कैन यू हियर इन वर्षों में, अभिनेता मनोज वाजपेयी श्री विश्वसनीय में बदल गए हैं, उन दुर्लभ अभिनेताओं में से एक, जो एक खराब स्क्रिप्ट से ऊपर उठ सकते हैं और इसे सम्मान का कुछ हिस्सा उधार दे सकते हैं। उसे एक अच्छी तरह से लिखित भूमिका दें, और एक…
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shopsalary · 2 years ago
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You will be SHOCKED to know what was Asha Bhosle's 'Plan B' for her career
You will be SHOCKED to know what was Asha Bhosle’s ‘Plan B’ for her career
नई दिल्ली: आशा भोसले उन नामों में से एक हैं जिन्हें किसी बड़े परिचय की आवश्यकता नहीं है, हर कोई उन्हें जानता है और उनकी सुरीली आवाज से प्यार करता है। जब वह गाती हैं तो लोगों को मंत्रमुग्ध कर देती हैं, जब वह पकाती हैं तो यह सीधे दिल में उतर जाती है। जी हां, आशा भोंसले न केवल एक बेहतरीन गायिका हैं, बल्कि उनके हाथों में जादू है कि जो उनका खाना खाता है, वह कभी नहीं भूलता। 8 सितंबर 1933 को सांगली में…
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trendingwatch · 2 years ago
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एक आदर्श रेट्रो रात के लिए शीर्ष 10 आशा भोंसले गीत
एक आदर्श रेट्रो रात के लिए शीर्ष 10 आशा भोंसले गीत
आशा भोसले, एक ऐसा नाम है जो आत्म-व्याख्यात्मक है। एक ऐसा नाम जो संगीत प्रतिभा की विरासत द्वारा समर्थित है। उसका नाम अतीत से हिट नंबरों का पर्याय बन गया है, और उसका कौशल और आवाज मुखर चमत्कारों का प्रमाण है। उन्होंने डांस नंबरों से लेकर ग़ज़लों तक हर शैली में बेहतरीन प्रदर्शन किया है और उनका संगीत समय की कसौटी पर खरा उतरा है। 40 के दशक से, उन्होंने भाषा और कौशल के मामले में अपने संगीत के साथ एक…
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