#एक्शन
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सोनचिड़िया फिल्म रिव्यु
बैरी बेईमान, बागी सावधान!
सोनचिड़िया फिल्म में मुख्य भूमिकाओं में कलाकार प्लॉट: यह फिल्म 1970 के समय की चंबल घाटी के डाकुओं की जिंदगी पर आधारित है इसमें डाकुओं के सरदार मानसिंह और उसके साथियों की कहानी पर फिल्म बनाई गई है एक दिन वे एक शादी को लूटने जाते हैं लेकिन पुलिस वालों को पता चल जाता है और वे सभी को घेर लेते है और दोनों तरफ की लड़ाई में मानसिंह मारा जाता है इसके बाद वकील सिंह डाकुओं का सरदार बन जाता है चलते-चलते रास्तें में इंदु नाम की एक महिला मिलती है जो अपने साथ लाई हुई सोन चिड़िया को बचाने की गुहार लगाती है कि किसी तरह उसे अस्पताल पहुंचा दो| क्या वे सभी उसको अस्पताल पहुंचा पाएंगे? क्या डाकुओं की सरदार वकील सिंह के साथ एकता हो पाएगी? क्या लखना सिंह का अलग गुट बन जाएगा? यह सब जानने के लिए फिल्म देखें| टोन और थीम: यह फिल्म एक एक्शन टोन पर आधारित है इसकी थीम टकराव और वर्चस्व है इसको बनाने का उद्देश्य यह बताना है कि चंबल की घाटी में डाकुओं का जीवन कैसा है और कैसे वे सब समाज से कट से गए हैं उनमें एकता ना होना भी एक मुद्दा है| एक्टिंग एंड कैरक्टर्स: मान सिंह की भूमिका में मनोज बाजपेई की मेहमान भूमिका है उनका बहुत अच्छा अभिनय है फिल्म में छोटा रोल होने के बावजूद लखन की भूमिका में सुशांत सिंह राजपूत का अभिनय भी बहुत अलग तरह का है शुरू से लेकर अंत तक फिल्म में सुशांत सिंह राजपूत ही छाए हुए हैं वकील सिंह के भूमिका में रणवीर शोरी ने भी बहुत ही दमदार और अलग तरह का अभिनय किया है| इंदु के रोल में भूमि पेडणेकर का भी काम अच्छा है वह हर भूमिका को बहुत ही परफेक्शन के साथ निभाती है| वीरेंद्र सिंह की भूमिका में आशुतोष राणा की भूमिका नेगेटिव और ग्रे शेड्स लिए हुए है बाकी सभी सपोर्टिंग कास्ट का काम भी अच्छा है सभी ने बुंदेली बोली का बहुत ही अच्छे से प्रयोग किया है एक अलग तरह की बोली में डायलॉग्स बोलना इतना आसान नहीं होता पर सभी ने पूरी सम्पूर्णता के साथ बोला है| डायरेक्शन: अभिषेक चौबे के निर्देशन में हम उनकी पहले बहुत ही बढ़िया फिल्में देख चुके हैं जैसे इश्किया(2010), डेढ़ इश्क़िया(2014) और उड़ता पंजाब(2016) और उनके लेखन में द ब्लू अम्ब्रेला(2005), ओमकारा(2006), ब्लड ब्रदर्स(2007), कमीने(2009), और मटरू की बिजली का मंडोला(2013) आदि वह बहुत ही प्रतिभाशाली निर्देशक है उनकी ज्यादातर फिल्में सफल रही है और कुछ highly critically aclaimed है| यह फिल्म भी उनकी highly critically aclaimed है पर इस फिल्म में वह मात खा गए निर्देशनअच्छे से नहीं कर पाए उनका निर्देशन कमज़ोर है पर यह तो दर्शक पर निर्भर करता है कि वह फिल्म को पूरी देखना चाहेंगे या नहीं| इस तरह की फिल्म में संगीत का बहुत बड़ा हाथ होता है जो कि निर्देशक इस पर ध्यान नहीं दे पाया| कहानी: सुदीप शर्मा और अभिषेक चौबे की कहानी 1970 के चम्बल घाटी के बैकड्रॉप पर लिखी गयी है उस समय के डाकुओं के जीवन पर बनाई गई है जो बाग़ी हो गए और आपस में ही लड़ पड़े थे| पटकथा-संवाद: सुदीप शर्मा की पटकथा और संवाद तो फिल्म की टोन से पूरी तरह से मेल खाते है पर सबसे बड़ी कमी इसकी बुंदेली बोली के संवाद होना है जिससे दर्शक अपने आप को फिल्म से जोड़ नहीं पाते| सिनेमैटोग्राफी: अनुज राकेश धवन ने चम्बल घाटी की लोकेशंस को बहुत ही अच्छे से इस्तेमाल किया है, पूरी फिल्म ही चम्बल घाटी के पहाड़ियों में ही फिल्मायी गई है| एरियल व्यूज दृस्य बहुत ही अच्छे से कैप्चर्ड किये गए है, कैमरा फ्रेम्स हो या एंगल्स बहुत बढिये तरीके से इस्तेमाल किए गए है| एडिटिंग: मेघना सेन की एडिटिंग धीमी गति की है थोड़ी सी कसी हुई हो सकती थी फिल्म थोड़ी छोटी हो सकती थी जो की लंबी है फर्स्ट हाफ में कहानी किसी मोड़ पर नहीं पहुंच पाती| बैकग्राउंड स्कोर: बेनेडिक्ट टेलर का बैकग्राउंड स्कोर फिल्म की लोकेशंस और थीम के मुताबिक बहुत ही बढ़िया है| म्यूजिक: विशाल भारद्वाज का संगीत दो-तीन गीतों का बहुत अच्छा है रुआं रुआं (अरिजीत सिंह) की आवाज़ में बहुत ही शानदार बन पड़ा है और आप बार बार सुन सकते है, सोनचिड़िया गीत भी रेखा भारद्वाज ने मधुर और सुरीली आवाज़ में गाया है, सांप खावेगा गीत भी एक अलग तरह क�� संगीत और सुखविंदर सिंह की धांसू आवाज़ में गाया गया है| लिरिक्स: वरुण ग्रोवर के लिखे हुए गीत भी फिल्म के टोन के हिसाब से है| साउंड डिजाइन: कुणाल शर्मा का साउंड डिजाइन बहुत ही लाजवाब और शानदार है| कॉस्ट्यूम डिजाइन: दिव्या और निधि गंभीर के बनाये हुए कॉस्ट्यूम डिजाइन बिलकुल डाकुओं जैसे ही ओरिजिनल लगते है ऐसे दिखता है कि सच के डाकू फिल्म में लिए गए है| प्रोडक्शन डिजाइन: रीता घोष का किया हुआ प्रोडक्शन डिज़ाइन भी फिल्म के थीम के मुताबिक बढ़िया है| एक्शन: एन्टॉन मून और सुनील रॉड्रिगुएस के बहुत ही खतरनाक है और कहानी के मांग के मुताबिक बढ़िया है| क्लाइमेक्स: क्लाइमेक्स भी ठीक ठाक है| रेटिंग: 7/10 Flaws: हिंसात्मक फिल्म है जो कि बच्चों के साथ नहीं देखी जा सकती और गली गलोच वाले दृश्य बहुत भरे पड़े हैं, डायलॉग भी पूरी तरह से बुंदेली बोली के है CBFC: फिल्म में कुछ जगहों पर अपशब्द बोले गए है 3 cuts के साथ फिल्म को पास किया गया है लेकिन गालियों ऐसे ही रखा गया है और उनको नहीं काटा गया है| 65th फिल्मफेयर अवॉर्ड नॉमिनेशंस: फिल्म को 11 नॉमिनेशंस मिले थे जैसे बेस्ट फिल्म (क्रिटिक्स), बेस्ट एक्ट्रेस (क्रिटिक्स), बेस्ट सपोर्टिंग एक्टर, बेस्ट स्टोरी, बेस्ट स्क्रीनप्ले, बेस्ट डायलाग, बेस्ट सिनेमेटोग्राफी, बेस्ट प्रोडक्शन डिज़ाइन, बेस्ट साउंड डिजाइन, बेस्ट एक्शन और बेस्ट कॉस्ट्यूम डिजाइन और 2 अवार्ड जीतने में कामयाब रही बेस्ट फिल्म (क्रिटिक्स) और बेस्ट कॉस्ट्यूम डिजाइन(दिव्या और निधि गंभीर) CBFC-A Movietime: 2h25m Genre: Action Drama Backdrop: Chambal Release: 1, March, 2019 फिल्म कास्ट: मनोज बाजपेई (मेहमान भूमिका), सुशांत सिंह राजपूत, रणवीर शोरी, भूमि पेडणेकर, आशुतोष राणा और लंकेश भारद्वाज प्रोडूसर: रोनी स्क्रूवाला, डायरेक्टर: अभिषेक चौबे, साउंड डिज़ाइन: कुणाल शर्मा, कास्टूम डिज़ाइन: दिव्या और निधि गंभीर म्यूजिक: विशाल भारद्वाज, लिरिक्स: वरुण ग्रोवर, बैकग्राउंड स्कोर: बेनेडिक्ट टेलर, प्रोडक्शन डिज़ाइन: रीता घोष एडिटर: मेघना सेन, सिनेमेटोग्राफी: अनुज राकेश धवन, स्टोरी: सुदीप शर्मा, अभिषेक चौबे स्क्रीनप्ले-डायलॉग्स: सुदीप शर्मा एक्शन: एन्टॉन मून और सुनील रॉड्रिगुएस, आर्ट डायरेक्टर: मधुमिता सेन शर्मा, राजेश चौधरी Read the full article
#अभिषेकचौबे#आशुतोषराणा#एक्शन#ड्रामा#भूमिपेडणेकर#मनोजबाजपेई#रणवीरशोरी#रोनीस्क्रूवाला#सुशांतसिंहराजपूत#सोनचिड़िया#सोनचिड़ियाफिल्म#सोनचिड़ियामूवी
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जयपुर में जेडीए द्वारा अवैध निर्माण के खिलाफ लगातार सख्त एक्शन जारी, 700 से ज्यादा अवैध निर्माणों पर कार्रवाई
मूकनायक मीडिया ब्यूरो | 26 जून 2024 | जयपुर – दिल्ली – बाँसवाड़ा : राजस्थान की राजधानी जयपुर में जयपुर विकास प्राधिकरण द्वारा अवैध निर्माण के खिलाफ लगातार सख्त एक्शन लिए जा रहे हैं। ऐसे में आज 26 जून 2024 बुधवार को जेडीए द्वारा न्यू सांगानेर रोड पर बड़े स्तर अवैध अतिक्रमण के खिलाफ कार्रवाई की जा रही है। जयपुर में जेडीए द्वारा अवैध निर्माण के खिलाफ लगातार सख्त एक्शन जारी जेडीए ने इस कार्रवाई से…
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#700 से ज्यादा अवैध निर्माणों पर कार्रवाई#जयपुर में जेडीए द्वारा अवैध निर्माण के खिलाफ लगातार सख्त एक्शन जारी
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सिद्धार्थ मल्होत्रा की 'योद्धा' को वीकेंड का मिला फायदा
सिद्धार्थ मल्होत्रा, दिशा पटानी और राशि खन्ना अभिनीत एक्शन थ्रिलर फिल्म ‘योद्धा’ को वीकेंड का जबरदस्त फायदा मिला है। फिल्म ने पहले दिन भारत में 4.25 करोड़ रुपये, दूसरे दिन 5.75 करोड़ रुपये और तीसरे दिन 7 करोड़ रुपये की कमाई की। इस तरह, फिल्म ने अपने पहले वीकेंड में 17 करोड़ रुपये की कमाई कर ली है। फिल्म की कमाई में शुक्रवार से शनिवार और शनिवार से रविवार को अच्छी वृद्धि देखने को मिली। यह दर्शाता…
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देव पटेल ने 'मंकी मैन' के मनोरंजक ट्रेलर में अपने आंतरिक एक्शन स्टार को दिखाया
देव पटेल ने ‘मंकी मैन’ के मनोरंजक ट्रेलर में अपने आंतरिक एक्शन स्टार को दिखाया देव पटेल ‘मंकी मैन’ में एक नए एक्शन नायक की भूमिका निभाते हैं, जो उनके निर्देशन की पहली फिल्म है, जिसमें रोमांचक लड़ाई के दृश्य और मुंबई में भ्रष्ट नेताओं के खिलाफ न्याय की खोज का वादा किया गया है। देव पटेल ‘मंकी मैन’ में एक नए एक्शन नायक की भूमिका निभाते हैं, जो उनके निर्देशन की पहली फिल्म है, इस रोमांचक फिल्म में एक…
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The Kerala Story Ban: पश्चिम बंगाल में बैन हुई 'द केरला स्टोरी', मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने लिया एक्शन
The Kerala Story Ban : The Kerala Story Ban In West Bengal: बॉलीवुड एक्ट्रेस अदा शर्मा की फिल्म ‘द केरला स्टोरी’ को लेकर विवाद रुकने का नाम नहीं ले रहा है. एक तरफ बॉलीवुड के मशहूर प्रोड्यूसर विपुल अमृतलाल शाह की फिल्म ‘द केरला स्टोरी’ (The Kerala Story) सिनेमाघरों से लेकर बॉक्स ऑफिस तक धमाल मचा रही है. दूसरी ओर देश के कई राज्यों में इस फिल्म का भारी विरोध देखने को मिल रहा है. अब खबर आ रही है कि…
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#&039;The Kerala Story&039; banned in West Bengal#&8216;द#ban#Chief Minister Mamata Banerjee took action#kerala#story’#the#The Kerala Story BAN#The Kerala Story BAN: पश्चिम बंगाल में बैन हुई &039;द केरला स्टोरी&039;#एक्शन&8230;.#एक्सक्लूसिव#केरला#द केरला स्टोरी#देश#ने#न्यूज़#पश्चिम#पश्चिम बंगाल#बंगाल#बनर्जी#बैन#बॉलीवुड#ब्रेकिंग#मनोरंजन#ममता#ममता बनर्जी#मुख्यमंत्री#मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने लिया एक्शन#में#राज्य
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सिविक एक्शन प्रोग्राम तथा "चिकित्सा आपके द्वार" कार्यक्रम का आयोजन
सिविक एक्शन प्रोग्राम तथा "चिकित्सा आपके द्वार" कार्यक्रम का आयोजन #Chhattisgarh #CivicActionProgram
गरियाबन्द (छ0ग0 ) से लगभग 60 किमी दूर अति दुर्गम, घने जंगल एवं पहाड़ से आच्छादित घोर नक्सल प्रभावित क्षेत्र में 65 बटालियन की नवीन एफ ओ बी ( FOB ) ओढ़ स्थित डी/65 में श्री विजय कुमार सिंह कमाण्डेन्ट 65 बटालियन के नेतृत्व में कल दिनांक – 26/04/2023 को सिविक एक्शन प्रोग्राम तथा “चिकित्सा आपके द्वार” कार्यक्रम का आयोजन किया गया. इस मौके पर श्री डेनियल एल, उप कमांडेंट, श्री अनुभव गौड, वरिष्ठ चिकित्सा…
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चित्रपटांविषयी
आपल्या आयुष्यात घडणाऱ्या कोणत्याही महत्वाच्या प्रसंगी जर विचारपूर्वक आणि सजगपणे जर आपण आपली कृती,हावभाव ,वर्तन बघितलं तर सहज लक्षात येतं की आपल्यावर चित्रपट या माध्यमाचा किती जास्त प्रभाव पडलेला आहे.प्यार का इजहार किंवा लग्नप्रसंगी वाजणारी गाणी, त्यावर केलं जाणारं नृत्य वगैरे सर्व आठवावं!! बऱ्याचदा आपल्या हालचाली आणि हावभावांवरून तो कोणत्या चित्रपटांवरून प्रभावीत झालेला आहे हे सहज सांगता येऊ शकतं! सध्या चित्रपटांवर समाजातील घटनांचा प्रभाव पडतो की चित्रपटांचा प्रभाव पडून समाजमन तयार होतं हे सांगणं अवघड आहे. बहुधा दोन्ही होत असावं.
साधारणपणे विसाव्या शतकाच्या उत्तरार्धापासून जसे चित्रपट निर्मितीचे तंत्रज्ञान अधिकाधिक विकसित होत गेले तसे तसे चित्रपट या माध्यमाने मानवी मनाची पकड घेतलेली आहे आणि मनोरंजनाचे साधन म्हणून आपल्या आयुष्यात महत्वाचे स्थान पटकावले आहे.त्याआधीच्या काळात लोककला सोडल्या तर पुस्तकं ही ज्ञानोपासनेचं माध्यम असण्याबरोबरच मनोरंजनाचं देखील सहज उपलब्ध असलेलं माध्यम असावीत.
या दोन माध्यमांमध्ये एक समान दुवा आहे.जर तुम्हाला वाचनाची आवड असेल तर तुम्ही हे अनुभवलं असेल की जसजसे तुम्ही वाचक म्हणून उन्नत होत जाता तसं तसं तुम्हाला आधी जे वाचलं असेल त्यापेक्षा काहीतरी अधिक चांगलं, तुमच्या मनाचा, बुद्धीचा पैस रूंदावणारं, बुद्धीला आव्हान देणारं,जाणीवा समृद्ध करणारं,आत्मोन्नतीकडे नेणारं काहीतरी हवं असतं मग मनोरंजन हे एवढंच कारण त्यामागे राहत नाही.
मराठी मध्ये तुम्ही वाचनाची सुरुवात भलेही फास्टर फेणे, बोकया सातबंडे नी केली असली तरीही मग पुढे पु .लं. देशपांडे, व. पु . काळे, गो. नी . दांडेकर ,व्यंकटेश माडगूळकर इ. वाचत तुम्ही भालचंद्र नेमाडे, श्याम मनोहर,जी ए कुलकर्णी,जयवंत दळवी,नरहर कुरूंदकर, दुर्ग�� भागवत वगैरे लेखकांची पुस्तकं वाचू लागता. इंग्रजीमध्ये सुरवात चेतन भगत वगैरेच्या पुस्तकाने केली असली तरीही त्यापुढे जाऊन मग इतर लेखक जसे की खुशवंत सिंग, किरण नगरकर, जे के रोलिंग,डॅन ब्राऊन इत्यादी आणि मग अगाथा ख्रिस्ती, मार्क ट्वेन, शेक्सपियर, हेमिंग्वे पासून ते काफ्का, कामू इत्यादी लेखकांकडे वळता.चित्रपटांचं सुध्दा असंच का��ीसं आहे. किंवा असायला हवं.
मनोरंजन या शब्दाचा एक फारच उद्बोधक अर्थ माझ्या अलीकडेच वाचनात आला. एक म्हणजे जो प्रचलित अर्थ आहे तो की ज्यामुळे मनाचं रंजन होतं अर्थात विरंगुळा मिळतो, पण यात रंजन हा शब्द दोन अर्थांनी वापरता येतो. रक्तरंजित या शब्दात जे "रंजित" हे रंजन या शब्दाचे एक रूप आहे त्याचा अर्थ डाग असा आहे.
आपलं चित्रपट बघण्यामागे सर्वात मुख्य कारण म्हणजे आपल्याला रोजच्या कामामधून विरंगुळा म्हणून काहीतरी मनोरंजन हवं असतं पण मला मात्र तेवढ्याच कारणासाठी चित्रपट बघावा असं काही वाटत नाही.पण तेवढ्याच एका कारणासाठी आपल्याकडे अनेक जण चित्रपट बघतात आणि त्यामुळे देमार बाष्कळ बॉलीवुड, हॉलिवुड किंवा टॉलीवुड चित्रपट तयार होतात आणि होतच राहतात.
मग आपण मनोरंजनाच्या नावाखाली जी काही सामग्री बघतो त्यातून मनावर डाग पडणार नाहीत याची काळजी देखील घ्यायला हवी. बॉलीवुड, हॉलीवुड ,टॉलीवुड मधल्या मुख्य प्रवाहातल्या तद्दन मसाला चित्रपटांबद्दल दुसऱ्या अर्थाने मनोरंजन हा शब्द लागू पडतो असं बऱ्याचदा वाटतं !
माझी चित्रपट पाहण्याची सुरुवात दूरदर्शनवर शनिवारी लागणाऱ्या, ज्याला सुपरहिट मराठी चित्रपट म्हटलं जायचं ते अशोक सराफ,लक्ष्मीकांत बेर्डे ,सचिन पिळगावकर, महेश कोठारे इत्यादींचे चित्रपट पाहण्यापासून झाली. मग केव्हातरी शुक्रवारी रात्री लागणारे हिंदी चित्रपट पाहायला लागलो त्यामध्ये सलमान,शाहरुख,आमिर वगैरेंचे चित्रपट लागायचे, रविवारी दुपारी जुने हिंदी चित्रपट लागायचे त्यात दिलीपकुमार, देव आनंद, राज कपूर, राजेंद्र कुमार, अमिताभ आदींचे चित्रपट लागायचे. पण एकूण चित्रपट बघण्यासाठी तेव्हा साधनंच कमी होती. फक्त टीव्ही हे एकच माध्यम,त्यातसुध्दा केवळ दूरदर्शन हे एकच चॅनल, कारण तेव्हा अभ्यास होणार नाही म्हणून आ��च्याकडे केबल फक्त उन्हाळ्याच्या सुट्टीत लावली जायची. मग त्या उन्हाळ्याच्या सुट्टीचं वर्णन काय सांगावं !
मग उन्हाळयात डोरेमॉन, शिन-चॅन,बेन-टेन अशा वेगवेगळ्या कार्टून्स पासून ते स्टार उत्सवला लागणारं बी आर चोप्रा यांचं महाभारत, रामानंद सागर यांचं श्रीकृष्ण, रामायण किंवा शक्तिमान, सोनी वरच्या सी आय डी पासून मग अमिताभ, सलमान, शाहरुख च्या एक्शन चित्रपटांपर्यंत सगळं काही बघून काढलं जायचं आणि वर्षभराचा अनुशेष भरून काढला जायचा. त्यावेळी मराठी माध्यमाच्या शाळेत शिकत असल्यामुळे इंग्रजी चित्रपट काही फारसे बघितले जायचे नाहीत किंवा बघितले तरी ते हिंदी डब असायचे आणि बरेचसे सुपरहीरोचे तद्दन मारझोडयुक्त चित्रपट असायचे.
नंतर सातवी-आठवीत "अभ्यासघर" नावाच्या विद्यार्थ्यांचा सर्वांगीण विकास व्हावा म्हणून काढलेल्या विक्रम वाळींबे सरांच्या क्लासला जाऊ लागलो तिथे चांगल्या इंग्रजी चित्रपटांची ओळख झाली. तिथे सरांनी आम्हाला इंडियाना जोन्स, व्हर्टिकल लिमिट, टू ब्रदर्स, थ्री हंड्रेड, रॅटाटोईल, मादागास्कर, द कराटे किड असे अनेक उत्तम चित्रपट दाखवले. तिथे चांगल्या इंग्रजी चित्रपटांबद्दल रुची निर्माण झाली.
याच सुमारास मग घरी डीव्हीडी आणि कंप्यूटर आल्यावर सीडीज आणून जॅकी चॅनचे वेगवेगळ्या कुंगफू स्टाईलवरचे रिवेंज या थीमवर बेतलेले अनेक चित्रपट बघितले. यातच एकदा एका आत्तेभावाने नववीच्या की दहावीच्या उन्हाळयाच्या सुट्टीत जवळपास २०-२५ वेगवेगळे इंग्रजी चित्रपट असलेला एक पेनड्राइव आणून दिला. त्यामध्ये इन्सेप्शन, बॅटमॅन ट्रीलॉजी, टायटॅनिक, प्लॅनेट ऑफ एप्स वगैरे भन्नाट चित्रपट होते. त्यातले तेव्हा किती समजले हा भाग जाऊ दे पण बघायला मजा आली, एकूणच हे पाश्चात्य चित्रपट म्हणजे काहीतरी वेगळं प्रकरण आहे एवढं फक्त कळत होतं.
पुढे इंजिनीअरिंगला गेल्यावर नवीन स्मार्टफोन हातात आला होता आणि नुकतंच अंबानींनी मोफत इंटरनेट जाहीर केलं होतं. अशा दोन्ही गोष्टी बरोबर पथ्यावर पडल्यामुळे, एखादा खजिनाच सापडल्यासारखं झालं ! तरीसुद्धा तेव्हा ओटीटी माध्यम फारसं प्रचलित नसल्यामुळे मोफत असलेलं टॉरेंट हाच एक पर्याय उपलब्ध होता. त्याचं तंत्र एकदा अवगत झाल्यावर मग मात्र भरमसाठ वेब सीरिज आणि इंग्रजी चित्रपट डाउनलोड करून पाहण्याचा एक कार्यक्रम सुरू झाला. म्हणजे त्या वेळी दिवसाला किमान एक चित्रपट, किंवा मग वेब सीरीजचे ४-५ एपिसोड बघितल्याशिवाय दिवस ��ंपत नसे. सुरुवातीच्या काळात तिथे सुद्धा डब्ड चित्रपट बघितले पण हळूहळू सबटायटल्स वाचून चित्रपट बघण्याची सवय झाली.
तिथे सुद्धा सुरुवात झाली ती एक्शन, क्राइम, सुपरहीरो वगैरे प्रकारातले चित्रपट बघण्यापासून. त्यात मग Marvel, DC चे अनेक चित्रपट,Mad Max Fury Road, Harry Potter, Lord of the Rings, Hobbit यांसारख्या चित्रपट शृंखला, Flash, Arrow वगैरे सीरिज हे सगळं झपाटल्यासारखं बघून काढलं. पण ते सगळे ३-४ महिन्यातच सफाचट झालं. मग जरा गूगल केल्यानंतर IMDb टॉप २५० चित्रपटांची नावं बघितल्यावर लक्षात आलं की आपण तर अजून या चित्रपट क्षेत्राच्या महासागरात किनाऱ्यावरच आहोत, काहीच बघितलं नाही,अजून पूर्ण डुबकी मारली नाही. तेव्हा कोणत्या निकषांवर सीरीज,चित्रपट बघावेत असं काही ठरलं नव्हतं. मग एक ठरलं की IMDb वर ज्यांचं रेटिंग ७ च्या वर असेल किंवा Rotten Tomatoes चं रेटिंग जर ८५% च्या वर असेल तर त्यात मग Genre साठी कोणतं अनमान न करता सीरीज,चित्रपट बघायचे.
इंजिनीरिंगच्या त्या ४ वर्षांच्या काळात अनेकदा रात्र रात्र जागून ��क्षरशः झपाटल्यासारखे १५०-२०० चित्रपट आणि २० -२२ सीरीज बघितल्या. त्यात लक्षणीय म्हणाव्या अशा या :
Breaking Bad
Game of Thrones
House of Cards
Mindhunter
Fleabag
Dark
Friends
The Big Bang Theory
Young Sheldon
The Marvelous Mrs. Maisel
Narcos
आणि हे जे काही आदल्या दिवशी बघितलं असेल त्यावर मग दुसऱ्या दिवशी वर्गात गरमागरम चर्चा व्हायची. आता मागे वळून त्या दिवसांकडे बघितलं की माझी मलाच शंका येते की मी नक्की इंजिनीरिंग कॉलेजला गेलो होतो की फिल्म इन्स्टिट्यूट मध्ये !!सुरुवातीच्या काळात नावाजलेल्या अभिनेत्यांचे चित्रपट बघण्याकडे कल होता. पण हळूहळू एक लक्षात आलं की दिग्दर्शक जर चांगला असेल तर चित्रपट चांगला असण्याची शक्यता जास्त ! त्यातूनच मग हॉलीवुडच्या चांगल्या दिग्दर्शकांची नावं शोधून त्यांचे चित्रपट बघण्याचा सपाटा लावला . त्यात अर्थातच मग
Steven Spielberg
Christopher Nolan
Quentin Tarantino
David Fincher
George Lucas
Martin Scorsese
Alfred Hitchcock
Stanley Kubrick
Ridley Scott
Clint Eastwood
Roman Polanski
Francis Ford Coppola
Ron Howard
charlie Chaplin
या आणि अशा नावाजलेल्या दिग्दर्शकांचे बऱ्यापैकी सगळे चित्रपट बघून काढले. त्यानंतर मग साहजिकच मोर्चा वळला Academy Awards अर्थात Oscar मिळालेले किंवा त्यासाठी नामांकन मिळालेले चित्रपट, Cannes Film Festival Awards मध्ये प्रदर्शित झालेले चित्रपट यांच्याकडे. त्यामुळे पुढे दिलेल्या विषयांवरील अनेक चित्रपट बघितले गेले.
पहिले व दुसरे विश्वयुद्ध
वेगवेगळ्या क्षेत्रातल्या महान लोकांचे बायोपिक्स
धर्म-तत्वज्ञान -पौराणिक गोष्टी
खेळ
पत्रकरिता
अनेक उत्तमोत्तम कालातीत कादंबऱ्यांची चित्रपटात केलेली रूपांतरे,
पीरियड ड्रामाज
मूलभूत मानवी प्रवृत्तींचे व भावभावनांचे दर्शन
गुन्हेगारी प्रवृत्तींचे वास्तववादी दर्शन
लैंगिकता
कोर्टरूम ड्रामाज
प्रेमाचं वेगवेगळ्या स्थल-कालातले आणि वयाच्या वेगवेगळ्या टप्प्यांवरचे दर्शन
माणसाच्या मनात विशिष्ट परिस्थितीत चालणारे वेगवेगळ्या विचारांचे आणि भावनांचे द्वंद्व.
विज्ञान कथा
या इतक्या वैविध्यपूर्ण विषयांवर बनलेले आशयसंपन्न चित्रपट बघितल्यानंतर आता भाषेचं आणि विषयाचं बंधन राहिलं नव्हतं.फक्त चित्रपटाचं दिग्दर्शन,संगीत, अभिनय,कथा,संवाद चांगले असायला हवेत.आता ऑस्कर जिंकलेले, नामांकन मिळालेले, त्याचबरोबर ज्याला World cinema म्हणतात ते, म्हणजे खऱ्या अर्थाने वैश्विक मानवी मूल्यांवर भाष्य करणारे असे चित्रपट बघण्यात मजा येऊ लागली. यातून मग विविध भाषांमधले चित्रपट बघितले:
फ्रेंच चित्रपट (French New Wave मधले चित्रपट , Ingmar Bergman वगैरेंचे चित्रपट)
ईटालियन चित्रपट(Vittorio De Sica, Federico Fellini, Giuseppe Tornatore इ. दिग्दर्शकांचे चित्रपट)
जपानी चित्रपट (Akira Kurosawa या महान दिग्दर्शकाचे चित्रपट)
इराणी चित्रपट (Asghar Farhadi, Abbas Kiarostami,Majid Majdi, Jafar Panahi इ. दिग्दर्शकांचे चित्रपट)
कोरियन चित्रपट(Bong Joon-ho,Park Chan-wook इ. दिग्दर्शकांचे)
चिनी चित्रपट (Wong Kor Wai,Zhang Yimou,Huo Jianqi इ. दिग्दर्शकांचे)
बंगाली चित्रपट (Satyajit Ray,Ritwik Ghatak, Mrunal Sen, Tapan Sinha,Rituparna Ghosh इ. दिग्दर्शकांचे चित्रपट)
मल्याळम चित्रपट (G Arvindan, Adoor Gopalkrishnan इ. दिग्दर्शकांचे चित्रपट)
तामिळ चित्रपट (Maniratnam, Kamal Haasan,Vetrimaaran, S shankar इ. दिग्दर्शकांचे )
हिन्दी चित्रपट(विशेषत: समांतर चित्रपटांमध्ये गणले जाणारे श्याम बेनेगल, गोविंद निहलानी, सुधीर मिश्रा, दीबाकर बॅनर्जी इ. दिग्दर्शकांचे,(नसीरउद्दीन शाह,ओंम पुरी,अमरिश पुरी,स्मिता पाटील,शबाना आझमी इ अभिनेत्यांनी काम केलेले) चित्रपट.
मराठी चित्रपट (सुमित्रा भावे -सुनील सुकथनकर ,जब्बार पटेल ,उमेश कुलकर्णी )
अशा विविध भाषांमधील विविध विषयांवर बनलेले चित्रपट बघितले. त्यातून हे लक्षात आलं की चित्रपट जेवढा स्थानिक आणि मुळात, तिथल्या मातीत रुजलेला असेल तेवढा तो वैश्विक होतो.
प्रत्येक चांगला चित्रपट हा चांगल्या पुस्तकाप्रमाणे तुम्हाला काहीतरी देऊन जातो, तुम्हाला भावनिक दृष्ट्या ,जाणिवेच्या, नेणिवेच्या पातळीवर अधिक समृद्ध करतो. प्रत्येक चित्रपट बघताना तुम्ही स्वतः त्यातल्या अनेक पात्रांशी समरस होऊन जाता आणि त्यांचं आयुष्य जगत असता,अनुभवसमृद्ध होत असता.चांगल्या पुस्तकांप्रमाणेच, चांगल्या चित्रपटांमुळे सुद्धा एकाच आयुष्यात अनेक आयुष्यं सखोलतेने- सजगतेने जगण्याची,अनुभव घेण्याची संधी मिळते.
खरं तर एखादं पुस्तक आणि त्याचं चांगलं चित्रीय रूपांतर यात वेळेच्या अभावी निवड करायची झाली तर चित्रपटाची निवड सोयीस्कर ठरते. त्या पुस्तकातला सगळा आशय २-३ तासांमध्ये दिग्दर्शक आपल्यापर्यंत पोहोचवतो. आणि तो अधिक प्रभावी ठरतो कारण घडणाऱ्या गोष्टीच्या दिसणाऱ्या चित्रासोबत उत्तम संवादफेक,चांगला अभिनय, पार्श्वभूमीला चांगल्या संगीताची जोड असते त्यामुळे कथेचा आशय अधिक जिवंतपणे, समर्पकपणे आणि समर्थपणे प्रेक्षकांपर्यंत पोहोचतो.
वीर सावरकरांनी सुद्धा सिनेमाला २० व्या शतकाची सुंदर देणगी आणि एक महान कला असं एके ठिकाणी म्हटलं आहे त्यामागे हेच कारण आहे.
यात फक्त तोटा असा होतो की जी कथा आपण पडद्यावर बघतो ती दिग्दर्शकाच्या नजरेतून बघतो त्यामुळे आपल्या कल्पनाशक्तीला थोडी कमी चालना मिळते आणि पात्रांच्या मनात चाललेले विचार पडद्यावर दाखवण्यास मर्यादा असतात.
हे सगळं बघत असतानाच चांगल्या सिनेमा बद्दल अधिक माहिती देणारी, उत्तम चित्रपट कोणता, तो कसा बघावा याची दृष्टी देणारी ही काही चांगली मराठी पुस्तकं माझ्या वाचनात आली:
लाईमलाइट (अच्युत गोडबोले- नीलांबरी जोशी)
पडद्यावरचे विश्वभान(संजय भास्कर जोशी)
सिनेमा पराडिसो ( नंदू मूलमुले)
नॉट गॉन विथ द विंड (विश्वास पाटील).
तसेच persistence.of.cinema, inthemood.forcinema,jump.cut.to यासारखी उत्तम recommendations देणारी Instagram पेजेस देखील आहेत. ChalchitraTalks नावाच्या Podcast मधून देखील उत्तम recommendations मिळतात.
त्याशिवाय कोणताही चित्रपट बघितल्यानंतर त्यावर
Roger Ebert
Senses of Cinema
सारख्या वेगवेगळ्या समीक्षकांची समीक्षा वाचण्याची सवय लागली. त्यामुळे चित्रपटाचा आपल्याला लागलाय तो आणि तेवढाच अर्थ आहे की आणखीही काही अर्थ आहे हे समजू लागले.
या सगळ्यात जसजसे आपण अधिकाधिक आणि दर्जेदार चित्रपट पाहू लागतो तसतसे काहीतरी अधिक नाविन्यपूर्ण, समृद्ध करणारं आपल्याला हवं असतं. मग सरळसोट चित्रपटांकडून जटिल विषय हाताळणाऱ्या, वेगवेगळ्या स्तरांवर मानवी भावभावना हाताळणाऱ्या, ज्यांचे एकापेक्षा अधिक अर्थ लागू शकतात अशा चित्रपटांकडे आपण जाऊ लागतो. पण त्याचा अर्थ असा नव्हे की मग साधे सरळ चित्रपट बघणे बंद करावे. त्याचा अर्थ एवढाच की जाणकार प्रेक्षक म्हणून आपली इयत्ता वाढलेली आहे.
जेव्हा आपण वेगवेगळ्या भाषांमधले,प्रांतांमधले,देशांमधले, वेगवेगळ्या विषयांवरचे चित्रपट पाहतो तेव्हा आपण एक प्रकारे वैश्विक नागरिक बनतो. त्या देशांमधली संस्कृति,तिथले आचार विचार, वागण्या बोलण्याची पद्धत, तिथलं खानपान हे सगळे अप्रत्यक्षपणे अनुभवल्यामुळे आपल्या विचारात, वागण्यात खुलेपणा येतो.एवढ्या सगळ्या भावभावना अनुभवल्यानंतर शेवटी माणूस प्रेमाचा भुकेला आहे ही मौल्यवान गोष्ट,हे सत्य इतक्या विविध रुपांतून, घटनांमधून आपल्या समोर येतं, मनावर ठसतं.याहून अधिक माणसाला काय हवं !!
~ चैतन्य कुलकर्णी
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'Kanguva' release controversy: Five films of Suriya that were postponed after announcing the release date
Kanguva is one of the highly exciting films in the South Cinema. The upcoming film, featuring Suriya in the lead role and directed by Siva is creating a unique buzz in the industry.
The promotional material have grabbed the interests of the audiences so far and taking the hype to next level, the makers launched the trailer today.
Sharing the trailer, the makers wrote, “The Rise of a King,” on social media.
The trailer introduces the world of Kanguva where many mysteries are hidden. And then, the antagonist Bobby Deol is introduced with his army.
The trailer presents him as a ruthless ruler who will go any extent in the power struggle.
And to put an end to his atrocities, Suriya emerges as the leader and how he battles Bobby Deol forms the story.
The same plot has been envisioned in this amazing trailer cut. The element of revenge is the key for the plot and it has been cleverly induced but kept as an underlying element to hold the suspense.
The film will deal with two different timelines but the present trailer hides the fascinating intrigues of the present timeline.
The clever trailer will satisfy the fans who want Suriya to take up the action mode.
The visuals look grand and Devi Sri Prasad’s score is impressive. Technically, the film looks grand.
Made on a big budget, the film also features Disha Patani,Jagapathi Babu, Natty Natarajan, KS Ravikumar, and Kovai Sarala in pivotal roles. The film is scheduled for a grand release on the 10th of October 2024.
Hindi:- 'कंगुवा' रिलीज विवाद: सूर्या की पांच फिल्में जो रिलीज डेट घोषित होने के बाद स्थगित हो गईं कंगुवा साउथ सिनेमा की बेहद रोमांचक फिल्मों में से एक है।
सूर्या की मुख्य भूमिका वाली और शिवा द्वारा निर्देशित आगामी फिल्म इंडस्ट्री में एक अनोखी चर्चा का विषय बनी हुई है।
प्रचार सामग्री ने अब तक दर्शकों का ध्यान खींचा है और प्रचार को अगले स्तर पर ले जाते हुए निर्माताओं ने आज ट्रेलर लॉन्च किया।
ट्रेलर को शेयर करते हुए निर्माताओं ने सोशल मीडिया पर लिखा, "द राइज ऑफ ए किंग।" ट्रेलर कंगुवा की दुनिया से परिचय कराता है जहां कई रहस्य छिपे हैं।
और फिर, प्रतिपक्षी बॉबी देओल को उसकी सेना के साथ पेश किया जाता है। ट्रेलर में उसे एक क्रूर शासक के रूप में पेश किया गया है जो सत्ता संघर्ष में किसी भी हद तक जा सकता है।
और उसके अत्याचारों को खत्म करने के लिए, सूर्या नेता के रूप में उभरता है और वह बॉबी देओल से कैसे लड़ता है, यही कहानी है। इस अद्भुत ट्रेलर कट में उसी कथानक की कल्पना की गई है।
बदला लेने का तत्व कथानक की कुंजी है और इसे चतुराई से प्रेरित किया गया है, लेकिन रहस्य को बनाए रखने के लिए इसे एक अंतर्निहित तत्व के रूप में रखा गया है।
फिल्म दो अलग-अलग समयसीमाओं से निपटेगी, लेकिन वर्तमान ट्रेलर वर्तमान समयरेखा की आकर्षक साज़िशों को छुपाता है।
चतुर ट्रेलर उन प्रशंसकों को संतुष्ट करेगा जो चाहते हैं कि सूर्या एक्शन मोड में आए। दृश्य भव्य दिखते हैं और देवी श्री प्रसाद का स्कोर प्रभावशाली है। तकनीकी रूप से, फिल्म भव्य दिखती है।
बड़े बजट पर बनी इस फिल्म में दिशा पटानी, जगपति बाबू, नट्टी नटराजन, केएस रविकुमार और कोवई सरला भी प्रमुख भूमिकाओं में हैं। फिल्म 10 अक्टूबर 2024 को भव्य रिलीज के लिए निर्धारित है।
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क्रिसमस स्पेशल: 'Red One' में Dwayne Johnson और Chris Evans की जोड़ी का कमाल, Hollywood Movie 2024
Red One एक आगामी अमेरिकी क्रिसमस एक्शन-एडवेंचर कॉमेडी फिल्म है, जिसे 15 नवंबर 2024 को रिलीज़ किया जाएगा। फिल्म को जेक कासदान ने डायरेक्ट किया है, जिन्होंने पहले ‘जुमांजी’ सीरीज के साथ बेहतरीन निर्देशन का प्रदर्शन किया था। इस फिल्म में ड्वेन जॉनसन, क्रिस इवांस, जेके सिमंस, लूसी लियू, और कीरनन शिपका मुख्य भूमिकाओं में नजर आएंगे। इस फिल्म में कॉमेडी, एक्शन और क्रिसमस की जादुई दुनिया का अनूठा संगम…
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बदलाव
🌟 नया
हमारे ऐप्स में सभी जवाबों के लिए कैरेक्टर सीमा 500 कैरेक्टर से बढ़ाकर 1,975 कैरेक्टर कर दी गई है. इससे पहले, ये सीमा पिछले महीने वेब पर बढ़ाई गई थी.
हमने नए "से" और "से पहले" खोज ऑपरेटर जोड़े हैं. दोनों का इकट्ठे इस्तेमाल करके आप अपनी खोज को एक खास तारीख सीमा तक सीमित रख सकेंगे.
अब ऑनलाइन समुदाय सदस्यों की संख्या समुदाय सुझावों और खोज परिणामों में डिसप्ले की जाती है.
समुदायों में रीब्लॉग की गई पोस्ट अब समुदाय के रीब्लॉग के बाहर से नोट्स नहीं दिखाएँगी.
बेहतरीन कलाकारों से लेकर रचनात्मक फ़ैनडम तक, Tumblr पर आपको वेब पर मौजूद सबसे शानदार रचनात्मक सामग्री मिल जाएगी. लेकिन, इतने बड़े समुदाय में कुछ बुरे लोग भी ज़रूर होंगे, जो समुदाय के सदस्यों की नेकी और उदारता का फ़ायदा उठाने की कोशिश करेंगे, इसलिए कृपया स्कैमर से बचने के तरीके पर हमारे नए गाइड पर एक नज़र डालें (अनुवाद जल्द आने वाले हैं).
🛠 सुधार
जब एडमिन अपने समुदाय हैंडल को अमान्य कैरक्टर से अपडेट करने की कोशिश कर रहे थे, तो हम सही गड़बड़ी मेसेज डिसप्ले नहीं कर रहे थे. अब ये समस्या ठीक हो गई है!
जब वेब पर आपको बहुत सारे ग्रुप किए गए गतिविधि आइटम मिलते हैं, तो अब हम ज़्यादा गतिविधि आइटम लेकर आते हैं, ताकि इससे पहले कि आपको "सब देखें" को क्लिक करने की ज़रूरत पड़े, आप ज़्यादा गतिविधि आइटम में स्क्रॉल कर सकें.
अब iOS ऐप के वर्शन 36.7 में विज्ञापन बैगग्राउंड ऑडियो में रुकावट पैदा नहीं कर रहे हैं. कृपया अपने ऐप अपडेट करें!
🚧 जारी
iOS ऐप में, पंक्ति में लगाए/ड्राफ़्ट किए गए रीब्लॉग में टैग जोड़ने से उसकी पंक्ति/ड्राफ़्ट स्थिति हट जाएगी, इसका मतलब है कि एक्शन बटन "रीब्लॉग करें" में बदल जाएगा, जिसे टैप करने पर रीब्लॉग पब्लिश हो जाता है. यह सुधार iOS ऐप के वर्शन 36.8 में शामिल होगा. अभी के लिए, या तो जो वेब पर हैं उनमें टैग जोड़ें, या एक्शन बटन को टैप करने से पहले बहुत ध्यान से उसे जाँच लें.
🌱 जल्द आने वाले
आज घोषणा करने के लिए कोई जल्द आने वाले लॉन्च नहीं हैं.
कोई समस्या हो रही है? एक सहायता अनुरोध दर्ज करें और हम इस बारे में जितनी जल्दी हो सके आपसे संपर्क करेंगे! पहले से मालूम समस्याएँ यहाँ देखें.
किसी चीज़ के बारे में अपना फ़ीडबैक शेयर करना चाहते हैं? हमारे काम जारी है ब्लॉग पर एक नज़र डालें और समुदाय के लोगों के साथ किसी भी बारे में चर्चा शुरू करें.
Tumblr को सीधे कुछ आर्थिक सहायता भेजना चाहते हैं. TumblrMart में नया सपोर्टर बैज देखें.
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वॉर फिल्म/मूवी रिव्यु
एक्शन्स और स्टंट्स का युद्ध
फिल्म वॉर में रितिक रोशन और टाइगर श्रॉफ प्लॉट: यह फिल्म एक खूंखार आतंकवादी को पकड़ने के मिशन पर आधारित है और उसके चार साथी जो की इंडियन है जो उसकी हर काम में सहायता करते हैं उनका पता लगाने के लिए यह मिशन एक मेजर और उसकी टीम को दिया जाता है और टीम में पांच सदस्य होते हैं जिसमें मुख्य सदस्य खालिद भी है लेकिन फिल्म में एक सस्पेंस भी नज़र आता है जिसका रहस्य अंत में खुलता है और एक रहस्य बीच में भी है| क्या यह टीम उस आतंकवादी और उसके चार साथियों को पकड़ लेगी? क्या मिशन सफल हो पायेगा? वह दो सस्पेंस कोन से है? यही दिखाया गया है इसके लिए आपको फिल्म देखनी पड़ेगी| टोन और थीम: फिल्म की टोन एक्शन है और थीम सस्पेंस और मिस्टी पर आधारित है इसको बनाने का उद्देश्य मनोरंजन के साथ-साथ एक खूंखार आतंकवादी और उसके चार साथियों को पकड़ना है| एक्टिंग एंड कैरेक्टर्स: कबीर के रोल में रितिक रोशन का अभिनय लाजवाब और दमदार है उन्होंने बहुत ही परिपक़्व अभिनय किया है ऋतिक के एक्शन और स्टंट्स दृश्य देखने वाले हैं शुरू से लेकर अंत तक फिल्म में रितिक रोशन ही छाए हुए हैं| अपने यूनिक डांसिंग स्टाइल में उन्होंने दो गानों में बहुत जबरदस्त डांस भी किया है| खालिद के रोल में टाइगर श्रॉफ ने रितिक रोशन को अभिनय में कांटे की टक्कर दी है उनके अभिनय में एक स्थिरता है, वह हर तरह के दृश्य में जैसे एक्शंस, डांस में फर्स्ट क्लास नज़र आते है उनका रोल रितिक रोशन के बराबर तो नहीं है पर जितना उनका रोल है उन्होंने रितिक रोशन की बराबरी करने की कोशिश की हैं| कर्नल के रोल में आशुतोष राणा का अभिनय भी औसत दर्जे का है नैना के रोल में वाणी कपूर का अभिनय कुछ खास नहीं है और रोल ज्यादा लंबा भी नहीं है बस एक गाना और चार-पांच दृश्य ही उनके हिस्से में आए सपोर्टिंग कास्ट में सभी ने बहुत अच्छा अभिनय किया है| डायरेक्शन: इस फिल्म के निर्देशक सिद्धार्थ आनंद है इससे पहले उन्होंने सलाम नमस्ते(2005), ता रा रम पम(2007) ,बचना ऐ हसीनों(2008), अ��जाना अंजानी2010), बैंग बैंग(2014), जैसी फिल्मों को निर्देशित किया है, इस फिल्म का निर्देशन भी उनका बहुत दमदार और मजबूत है, उनकी पिछली फिल्मों की तरह इस फिल्म के भी हर डिपार्टमेंट में उनका कंट्रोल है इसमें भी उन्होंने कमाल का निर्देशन किया है, फिल्म की कहानी कोई नई नहीं है ऐसी कहानी हम पहले भी देख चुके हैं पर पटकथा बहुत मजबूत और अलग है, डायलॉग भी अच्छे लिखे गए हैं जो सस्पेंस है वह भी कमाल के है दर्शक जानकर हैरान रह जाएंगे| सिनेमैटोग्राफी: फिल्म की सिनेमैटोग्राफी बेंजामिन जैस्पर की बहुत बढ़िया है, एरियल व्यूज और क्लोज अप के दृश्य जबरदस्त फिल्माए हैं, 360 डिग्री एंगल से बहुत अच्छे से दृश्य फिल्माए गए हैं| कोरियोग्राफी: बॉस्को सीजर की कोरियोग्राफी भी अच्छी है जिस प्रकार रितिक और टाइगर श्रॉफ डांस करने में मशहूर और माहिर है| वैसे ही उन्होंने दोनों से डांस करवाया है| दो गीत घुंघरू और जय जय शिवशंकर में बहुत ही धमाल का डांस किया है| म्यूजिक: विशाल शेखर का संगीत सिर्फ दो गीत घुंघरू और जय जय शिवशंकर में है लिरिसिस्ट: कुमार के लिखे हुए दो गीत ठीक-ठाक है| विजुअल इफैक्ट्स: फिल्म के बहुत ही दमदार, लाजवाब और शानदार बनाए गए हैं| एडिटिंग: आरिफ शेख की एडिटिंग तेज गति की है| फिल्म शुरू से लेकर अंत तक दर्शकों को बांधे रखती है और कहीं से भी बोर नहीं करती थोड़ी सी फिल्म छोटी हो सकती थी एक्शन: पॉल जेनिंग्स, परवेज शेख, ओ सी यंग, फ्रांज़ स्पिलहॉस के एक्शंस और स्टंट्स हॉलीवुड स्टाइल के है दो एक्टर्स के बीच में जो फाइट दृश्य दिखाए गए हैं वह कमाल के हैं क्लाइमैक्स: फिल्म का अंत बहुत बढ़िया बन पड़ा है| ओपिनियन: एक्शंस, स्टंट्स और मसाला फिल्में पसंद करने वाले और अलग अलग देशों की सुन्दर लोकेशंस जैसे इटली, जॉर्जिया, पुर्तगाल, अबू धाबी और स्वीडन पर फिल्मायी गयी फिल्म को दर्शक इस देख सकते हैं| Flaws: वाणी कपूर के रोल की कुछ खास जरूरत नहीं है पर अब फिल्म में कोई हीरोइन नहीं है तो उनका रोल डाल दिया गया 5 देश की लोकेशंस बहुत ही अच्छी दिखाई गई है 65th फिल्मफेयर अवॉर्ड नॉमिनेशंस: फिल्म को 7 नॉमिनेशंस मिले थे जैसे बेस्ट फिल्म, बेस्ट डायरेक्टर, बेस्ट फीमेल प्लेबैक सिंगर, बेस्ट कोरियोग्राफी(2), बेस्ट एक्शन और बेस्ट स्पेशल इफेक्ट्सऔर फिल्म 3 अवार्ड जीतने में कामयाब रही बेस्ट फीमेल प्लेबैक सिंगर शिल्पा राव (घुंघरू), बेस्ट एक्शन और बेस्ट स्पेशल इफेक्ट्स CBFC-U/A Movietime-2h.34 minsGenre-Action Backdrop-Many Locations Release Year-2 October, 2019 फिल्म कास्ट: रितिक रोशन, टाइगर श्रॉफ, आशुतोष राणा, वाणी कपूर,अनुप्रिया गोयंका,आरिफ जकारिया, दीपान्निता शर्मा, मो��ित चौहान और संजीव वत्स प्रोडूसर: आदित्य चोपड़ा, डायरेक्टर: सिद्धार्थ आनंद साउंड डिज़ाइन: प्रीतम दास, गणेश गंगाधरण, कास्टूम डिज़ाइन: अनीता श्रॉफ अडाजणिआ निहारिका जोली, म्यूजिक: विशाल शेखर, बैकग्राउंड स्कोर: संचित बल्हारा, अंकित बल्हारा, प्रोडक्शन डिज़ाइन: रजत पोद्दार एडिटर: आरिफ शेख, सिनेमेटोग्राफी: बेंजामिन जैस्पर, कोरियोग्राफी: बॉस्को सीजर, तुषार कालिया, लिरिक्स: कुमार, डायलॉग्स: अब्बास टायरवाला, स्टोरी: आदित्य चोपड़ा, सिद्धार्थ आनंद, स्क्रीनप्ले: श्रीधर राघवन, सिद्धार्थ आनंद, डायरेक्टर: सिद्धार्थ आनंद, एक्शन: पॉल जेनिंग्स, परवेज शेख, ओ सी यंग, फ्रांज़ स्पिलहॉस, विजुअल इफैक्ट्स: yFX YRF स्टूडियो, कास्टिंग डायरेक्टर: शानू शर्मा Read the full article
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#झूठीमीडिया_शर्म_करो @ABPNews
@NewsNationTV
क्या इन मीडिया वालों के ऊपर लीगल एक्शन लेने की जरूरत है क्योंकि यह सच्चे हिंदू संत पर गलत आरोप लगा रहे हैं सिर्फ अपनी टीआरपी बढ़ाने के लिए?? फेकन्यूज_फैलाना_बंद_करें
Media Apologize To Sant RampalJi
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Dharohar | Stage Play Kakori Train Action | धरोहर | काकोरी ट्रेन एक्शन | Harsh Vardhan Agarwal
लखनऊ, 07.05.2023 | भारतीय स्वतंत्रता सेनानियों व क्रान्तिकारियों को समर्पित नाटक 'काकोरी ट्रेन एक्शन का मंचन ऑडिटोरियम, शेरवुड कॉलेज ऑफ़ मैनेजमेंट, इंदिरा नगर, लखनऊ में किया गया । यह नाटक हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट, संस्कृति मंत्र��लय, भारत सरकार व उत्तर मध्य क्षेत्र सांस्कृतिक केंन्द्र (NCZCC) के संयुक्त तत्वावधान में, धरोहर" थीम के अन्तर्गत आयोजित हुआ । काकोरी ट्रेन एक्शन नाटक द्वारा कलाकारों ने 09 अगस्त 1925 को काकोरी में घटित काकोरी कांड का सजीव चित्रण किया | चन्द्रभाष सिंह के लेखन एवं निर्देशन में नाटक 'काकोरी ट्रेन एक्शन' में अनुभवी व मंझे हुऐ कलाकारों के उत्कृष्ट प्रदर्शन ने सभागार में उपस्थित सभी दर्शकों को देश भक्ति की भावना से ओत-प्रोत कर दिया |
कार्यक्रम का शुभारम्भ राष्ट्रगान से हुआ तत्पश्चात हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट के प्रबंध न्यासी हर्ष वर्धन अगवाल, न्यासी डॉ रूपल अग्रवाल तथा ट्रस्ट की आंतरिक सलाहकार समिति के सदस्यगण डॉ संतोष कुमार श्रीवास्तव, श्री एम० पी० अवस्थी, श्री अशोक कुमार जायसवाल, डॉ अलका निवेदन, श्री पंकज अवस्थी, द्वारा दीप प्रज्जवलन कर किया गया ।
सभागार में उपस्थित सभी अतिथिगणों का स्वागत करते हुऐ हर्ष वर्धन अग्रवाल ने कहा कि, हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट के लिए आज यह सौभाग्य का दिन हैं कि आज अपने वीर शहीद क्रांतिकारियों को, काकोरी ट्रेन एक्शन, नाटक के मंचन के माध्यम से याद करने का, श्रद्धांजलि अर्पित करने का अवसर मिला है | "काकोरी ट्रेन एक्शन" एक महत्वपूर्ण एतिहासिक घटना है, जिसने देश के स्वतंत्रता संग्राम में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई । इस घटना में, भारत के स्वाधीनता संग्राम के सैनिकों ने ब्रिटिश शासन के खिलाफ एक स्वतंत्रता आंदोलन की शुरुआत की थी । हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट के लिए अत्यंत गर्व की बात है कि हमें देश प्रेम की भावना से ओतप्रोत कार्यक्रम आयोजित करने का अवसर समय-समय पर मिला है | संस्कृति मंत्रालय, भारत सरकार तथा उत्तर मध्य क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र (NCZCC) का आभार है जिनके आर्थिक सहयोग से धरोहर थीम के अंतर्गत आज देश के महान क्रन्तिकारी वीरों को समर्पित काकोरी ट्रेन एक्शन का नाट्य मंचन करने का सौभाग्य प्राप्त हुआ | मुख्यमंत्री श्री योगी आदित्यनाथ जी का विशेष आभार है जिन्होंने वर्ष 2021 में वीर शहीदों की शहादत को नमन करते हुए आजादी की लड़ाई के संघर्ष की धरोहर का नामकरण काकोरी ट्रेन एक्शन कर दिया, जिसे पहले काकोरी कांड कहा जाता था |
हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट की न्यासी डॉ रूपल अग्रवाल ने देश के महान क्रांतिकारी वीरों, शहीदों, सैनिकों के सम्मान में 1 मिनट का मौन होकर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कहा कि हमारा लक्ष्य है कि हम देश के समस्त 28 राज्यों में और 8 केंद्र शासित प्रदेशों की राजधानी में ट्रस्ट का कार्यालय स्थापित करें | निष्पक्षता, समानता और समावेशिता ट्रस्ट की कार्यशैली हैं । ट्रस्ट सभी संस्कृतियों के सम्मान के सिद्धांत पर काम करता है । पारदर्शिता और जवाबदेही ट्रस्ट के प्रमुख तत्व हैं। ट्रस्ट रचनात्मक और प्रभावी साझेदारी को पोषित करने के लिए प्रतिबद्ध है । प्रासंगिकता केवल लोगों और समुदाय के निरंतर सशक्तिकरण के साथ ही बनाए रखी जा सकती है । ट्रस्ट का उद्देश है जाति, पंथ या धर्म के भेद के बिना लोगों की सेवा करना । ट्रस्ट अनाथालय, वृद्धाश्रम, यूपीएस60+ क्लब, भगवद् गीता केंद्र, आध्यात्मिक संगीत अकादमी, बाल गोपाल शिक्षा योजना, स्वच्छता/स्वच्छ भारत मिशन, व्यावसायिक प्रशिक्षण और कौशल विकास कार्यक्रम, राष्ट्रीय एकता के लिए जागरूकता, शैक्षिक जागरूकता आदि, दान - रक्त, पुराने कपड़े, किताबें और अन्य पुन: प्रयोज्य वस्तुएं, खाने-पीने की चीजों का वितरण, राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय दिवसों पर कार्यक्रमों का आयोजन, परिवार परामर्श हेल्पलाइन, आपदा प्रबंधन, महामारी समर्थन, निःशुल्क स्वास्थ्य शिविर, उत्कृष्ट व्यक्तित्वों का सम्मान करना, शैक्षिक और धर्मार्थ गतिविधियों, महिला अधिकारिता कार्यक्रम, वैज्ञानिक अनुसंधान, ग्रामीण और कृषि कार्यक्रम, सीएसआर गतिविधियो और कार्यक्रमो, के क्षेत्र में प्रयत्नशील तथा कार्यरत है | ट्रस्ट एक गैर-लाभकारी संगठन है । इसका लक्ष्य लोगों और समितियों को सामंजस्यपूर्ण, सामाजिक और पर्यावरणीय रूप से जिम्मेदार तरीके से संपन्न करने के लिए सशक्त बनाना है । ट्रस्ट शिक्षा, स्वास्थ्य और आजीविका के क्षेत्र में समाज के गरीब और वंचित वर्ग का समर्थन करता है । यह सभी प्रकार के मानवीय कष्टों और सामाजिक विखंडन के उन्मूलन में मदद करता है । ट्रस्ट का उद्देश्य राष्ट्रीय एकता में योगदान देने वाली संवेदनाओं और धारणाओं को परिष्कृत करना है । यह कला, संस्कृति साहित्य के प्रचार के लिए भी काम करता है और पवित्र शास्त्रों की शिक्षाओं का प्रचार करता है । हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट की गतिविधियों का समर्थन करने के लिए दान करें । आप स्वयंसेवक, सहयोगी, दान दाता, प्रायोजक बनकर हमसे जुड़ें सकते हैं और ट्रस्ट के माध्यम से समाज की सेवा कर सकते हैं | आपकी सक्रिय सहभागिता से हम अपने जनसेवा के क्षेत्र को पुरे देश में फैला सकते है |
कार्यक्रम के अंत में हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट की आंतरिक सलाहकार समिति के सदस्य डॉ संतोष कुमार श्रीवास्तव ने सभी का धन्यवाद व आभार व्यक्त किया | कार्यक्रम का संचालन डॉ अलका निवेदन ने किया |
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धरोहर | नाट्य मंचन काकोरी ट्रेन एक्शन | Dharohar | Stage Play Kakori Train Action
लखनऊ, 07.05.2023 | भारतीय स्वतंत्रता सेनानियों व क्रान्तिकारियों को समर्पित नाटक 'काकोरी ट्रेन एक्शन का मंचन ऑडिटोरियम, शेरवुड कॉलेज ऑफ़ मैनेजमेंट, इंदिरा नगर, लखनऊ में किया गया । यह नाटक हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट, संस्कृति मंत्रालय, भारत सरकार व उत्तर मध्य क्षेत्र सांस्कृतिक केंन्द्र (NCZCC) के संयुक्त तत्वावधान में, धरोहर" थीम के अन्तर्गत आयोजित हुआ । काकोरी ट्रेन एक्शन नाटक द्वारा कलाकारों ने 09 अगस्त 1925 को काकोरी में घटित काकोरी कांड का सजीव चित्रण किया | चन्द्रभाष सिंह के लेखन एवं निर्देशन में नाटक 'काकोरी ट्रेन एक्शन' में अनुभवी व मंझे हुऐ कलाकारों के उत्कृष्ट प्रदर्शन ने सभागार में उपस्थित सभी दर्शकों को देश भक्ति की भावना से ओत-प्रोत कर दिया |
कार्यक्रम का शुभारम्भ राष्ट्रगान से हुआ तत्पश्चात हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट के प्रबंध न्यासी हर्ष वर्धन अगवाल, न्यासी डॉ रूपल अग्रवाल तथा ट्रस्ट की आंतरिक सलाहकार समिति के सदस्यगण डॉ संतोष कुमार श्रीवास्तव, श्री एम० पी० अवस्थी, श्री अशोक कुमार जायसवाल, डॉ अलका निवेदन, श्री पंकज अवस्थी, द्वारा दीप प्रज्जवलन कर किया गया ।
सभागार में उपस्थित सभी अतिथिगणों का स्वागत करते हुऐ हर्ष वर्धन अग्रवाल ने कहा कि, हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट के लिए आज यह सौभाग्य का दिन हैं कि आज अपने वीर शहीद क्रांतिकारियों को, काकोरी ट्रेन एक्शन, नाटक के मंचन के माध्यम से याद करने का, श्रद्धांजलि अर्पित करने का अवसर मिला है | "काकोरी ट्रेन एक्शन" एक महत्वपूर्ण एतिहासिक घटना है, जिसने देश के स्वतंत्रता संग्राम में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई । इस घटना में, भारत के स्वाधीनता संग्राम के सैनिकों ने ब्रिटिश शासन के खिलाफ एक स्वतंत्रता आंदोलन की शुरुआत की थी । हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट के लिए अत्यंत गर्व की बात है कि हमें देश प्रेम की भावना से ओतप्रोत कार्यक्रम आयोजित करने का अवसर समय-समय पर मिला है | संस्कृति मंत्रालय, भारत सरकार तथा उत्तर मध्य क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र (NCZCC) का आभार है जिनके आर्थिक सहयोग से धरोहर थीम के अंतर्गत आज देश के महान क्रन्तिकारी वीरों को समर्पित काकोरी ट्रेन एक्शन का नाट्य मंचन करने का सौभाग्य प्राप्त हुआ | मुख्यमंत्री श्री योगी आदित्यनाथ जी का विशेष आभार है जिन्होंने वर्ष 2021 में वीर शहीदों की शहादत को नमन करते हुए आजादी की लड़ाई के संघर्ष की धरोहर का नामकरण काकोरी ट्रेन एक्शन कर दिया, जिसे पहले काकोरी कांड कहा जाता था |
हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट की न्यासी डॉ रूपल अग्रवाल ने देश के महान क्रांतिकारी वीरों, शहीदों, सैनिकों के सम्मान में 1 मिनट का मौन होकर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कहा कि हमारा लक्ष्य है कि हम देश के समस्त 28 राज्यों में और 8 केंद्र शासित प्रदेशों की राजधानी में ट्रस्ट का कार्यालय स्थापित करें | निष्पक्षता, समानता और समावेशिता ट्रस्ट की कार्यशैली हैं । ट्रस्ट सभी संस्कृतियों के सम्मान के सिद्धांत पर काम करता है । पारदर्शिता और जवाबदेही ट्रस्ट के प्रमुख तत्व हैं। ट्रस्ट रचनात्मक और प्रभावी साझेदारी को पोषित करने के लिए प्रतिबद्ध है । प्रासंगिकता केवल लोगों और समुदाय के निरंतर सशक्तिकरण के साथ ही बनाए रखी जा सकती है । ट्रस्ट का उद्देश है जाति, पंथ या धर्म के भेद के बिना लोगों की सेवा करना । ट्रस्ट अनाथालय, वृद्धाश्रम, यूपीएस60+ क्लब, भगवद् गीता केंद्र, आध्यात्मिक संगीत अकादमी, बाल गोपाल शिक्षा योजना, स्वच्छता/स्वच्छ भारत मिशन, व्यावसायिक प्रशिक्षण और कौशल विकास कार्यक्रम, राष्ट्रीय एकता के लिए जागरूकता, शैक्षिक जागरूकता आदि, दान - रक्त, पुराने कपड़े, किताबें और अन्य पुन: प्रयोज्य वस्तुएं, खाने-पीने की चीजों का वितरण, राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय दिवसों पर कार्यक्रमों का आयोजन, परिवार परामर्श हेल्पलाइन, आपदा प्रबंधन, महामारी समर्थन, नि��शुल्क स्वास्थ्य शिविर, उत्कृष्ट व्यक्तित्वों का सम्मान करना, शैक्षिक और धर्मार्थ गतिविधियों, महिला अधिकारिता कार्यक्रम, वैज्ञानिक अनुसंधान, ग्रामीण और कृषि कार्यक्रम, सीएसआर गतिविधियो और कार्यक्रमो, के क्षेत्र में प्रयत्नशील तथा कार्यरत है | ट्रस्ट एक गैर-लाभकारी संगठन है । इसका लक्ष्य लोगों और समितियों को सामंजस्यपूर्ण, सामाजिक और पर्यावरणीय रूप से जिम्मेदार तरीके से संपन्न करने के लिए सशक्त बनाना है । ट्रस्ट शिक्षा, स्वास्थ्य और आजीविका के क्षेत्र में समाज के गरीब और वंचित वर्ग का समर्थन करता है । यह सभी प्रकार के मानवीय कष्टों और सामाजिक विखंडन के उन्मूलन में मदद करता है । ट्रस्ट का उद्देश्य राष्ट्रीय एकता में योगदान देने वाली संवेदनाओं और धारणाओं को परिष्कृत करना है । यह कला, संस्कृति साहित्य के प्रचार के लिए भी काम करता है और पवित्र शास्त्रों की शिक्षाओं का प्रचार करता है । हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट की गतिविधियों का समर्थन करने के लिए दान करें । आप स्वयंसेवक, सहयोगी, दान दाता, प्रायोजक बनकर हमसे जुड़ें सकते हैं और ट्रस्ट के माध्यम से समाज की सेवा कर सकते हैं | आपकी सक्रिय सहभागिता से हम अपने जनसेवा के क्षेत्र को पुरे देश में फैला सकते है |
कार्यक्रम के अंत में हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट की आंतरिक सलाहकार समिति के सदस्य डॉ संतोष कुमार श्रीवास्तव ने सभी का धन्यवाद व आभार व्यक्त किया | कार्यक्रम का संचालन डॉ अलका निवेदन ने किया |
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धरोहर | नाट्य मंचन काकोरी ट्रेन एक्शन | Dharohar | Stage Play Kakori Train Action
लखनऊ, 07.05.2023 | भारतीय स्वतंत्रता सेनानियों व क्रान्तिकारियों को समर्पित नाटक 'काकोरी ट्रेन एक्शन का मंचन ऑडिटोरियम, शेरवुड कॉलेज ऑफ़ मैनेजमेंट, इंदिरा नगर, लखनऊ में किया गया । यह नाटक हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट, संस्कृति मंत्रालय, भारत सरकार व उत्तर मध्य क्षेत्र सांस्कृतिक केंन्द्र (NCZCC) के संयुक्त तत्वावधान में, धरोहर" थीम के अन्तर्गत आयोजित हुआ । काकोरी ट्रेन एक्शन नाटक द्वारा कलाकारों ने 09 अगस्त 1925 को काकोरी में घटित काकोरी कांड का सजीव चित्रण किया | चन्द्रभाष सिंह के लेखन एवं निर्देशन में नाटक 'काकोरी ट्रेन एक्शन' में अनुभवी व मंझे हुऐ कलाकारों के उत्कृष्ट प्रदर्शन ने सभागार में उपस्थित सभी दर्शकों को देश भक्ति की भावना से ओत-प्रोत कर दिया |
कार्यक्रम का शुभारम्भ राष्ट्रगान से हुआ तत्पश्चात हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट के प्रबंध न्यासी हर्ष वर्धन अगवाल, न्यासी डॉ रूपल अग्रवाल तथा ट्रस्ट की आंतरिक सलाहकार समिति के सदस्यगण डॉ संतोष कुमार श्रीवास्तव, श्री एम० पी० अवस्थी, श्री अशोक कुमार जायसवाल, डॉ अलका निवेदन, श्री पंकज अवस्थी, द्वारा दीप प्रज्जवलन कर किया गया ।
सभागार में उपस्थित सभी अतिथिगणों का स्वागत करते हुऐ हर्ष वर्धन अग्रवाल ने कहा कि, हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट के लिए आज यह सौभाग्य का दिन हैं कि आज अपने वीर शहीद क्रांतिकारियों को, काकोरी ट्रेन एक्शन, नाटक के मंचन के माध्यम से याद करने का, श्रद्धांजलि अर्पित करने का अवसर मिला है | "काकोरी ट्रेन एक्शन" एक महत्वपूर्ण एतिहासिक घटना है, जिसने देश के स्वतंत्रता संग्राम में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई । इस घटना में, भारत के स्वाधीनता संग्राम के सैनिकों ने ब्रिटिश शासन के खिलाफ एक स्वतंत्रता आंदोलन की शुरुआत की थी । हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट के लिए अत्यंत गर्व की बात है कि हमें देश प्रेम की भावना से ओतप्रोत कार्यक्रम आयोजित करने का अवसर समय-समय पर मिला है | संस्कृति मंत्रालय, भारत सरकार तथा उत्तर मध्य क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र (NCZCC) का आभार है जिनके आर्थिक सहयोग से धरोहर थीम के अंतर्गत आज देश के महान क्रन्तिकारी वीरों को समर्पित काकोरी ट्रेन एक्शन का नाट्य मंचन करने का सौभाग्य प्राप्त हुआ | मुख्यमंत्री श्री योगी आदित्यनाथ जी का विशेष आभार है जिन्होंने वर्ष 2021 में वीर शहीदों की शहादत को नमन करते हुए आजादी की लड़ाई के संघर्ष की धरोहर का नामकरण काकोरी ट्रेन एक्शन कर दिया, जिसे पहले काकोरी कांड कहा जाता था |
हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट की न्यासी डॉ रूपल अग्रवाल ने देश के महान क्रांतिकारी वीरों, शहीदों, सैनिकों के सम्मान में 1 मिनट का मौन होकर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कहा कि हमारा लक्ष्य है कि हम देश के समस्त 28 राज्यों में और 8 केंद्र शासित प्रदेशों की राजधानी में ट्रस्ट का कार्यालय स्थापित करें | निष्पक्षता, समानता और समावेशिता ट्रस्ट की कार्यशैली हैं । ट्रस्ट सभी संस्कृतियों के सम्मान के सिद्धांत पर काम करता है । पारदर्शिता और जवाबदेही ट्रस्ट के प्रमुख तत्व हैं। ट्रस्ट रचनात्मक और प्रभावी साझेदारी को पोषित करने के लिए प्रतिबद्ध है । प्रासंगिकता केवल लोगों और समुदाय के निरंतर सशक्तिकरण के साथ ही बनाए रखी जा सकती है । ट्रस्ट का उद्देश है जाति, पंथ या धर्म के भेद के बिना लोगों की सेवा करना । ट्रस्ट अनाथालय, वृद्धाश्रम, यूपीएस60+ क्लब, भगवद् गीता केंद्र, आध्यात्मिक संगीत अकादमी, बाल गोपाल शिक्षा योजना, स्वच्छता/स्वच्छ भारत मिशन, व्यावसायिक प्रशिक्षण और कौशल विकास कार्यक्रम, राष्ट्रीय एकता के लिए जागरूकता, शैक्षिक जागरूकता आदि, दान - रक्त, पुराने कपड़े, किताबें और अन्य पुन: प्रयोज्य वस्तुएं, खाने-पीने की चीजों का वितरण, राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय दिवसों पर कार्यक्रमों का आयोजन, परिवार परामर्श हेल्पलाइन, आपदा प्रबंधन, महामारी समर्थन, निःशुल्क स्वास्थ्य शिविर, उत्कृष्ट व्यक्तित्वों का सम्मान करना, शैक्षिक और धर्मार्थ गतिविधियों, महिला अधिकारिता कार्यक्रम, वैज्ञानिक अनुसंधान, ग्रामीण और कृषि कार्यक्रम, सीएसआर गतिविधियो और कार्यक्रमो, के क्षेत्र में प्रयत्नशील तथा कार्यरत है | ट्रस्ट एक गैर-लाभकारी संगठन है । इसका लक्ष्य लोगों और समितियों को सामंजस्यपूर्ण, सामाजिक और पर्यावरणीय रूप से जिम्मेदार तरीके से संपन्न करने के लिए सशक्त बनाना है । ट्रस्ट शिक्षा, स्वास्थ्य और आजीविका के क्षेत्र में समाज के गरीब और वंचित वर्ग का समर्थन करता है । यह सभी प्रकार के मानवीय कष्टों और सामाजिक विखंडन के उन्मूलन में मदद करता है । ट्रस्ट का उद्देश्य राष्ट्रीय एकता में योगदान देने वाली संवेदनाओं और धारणाओं को परिष्कृत करना है । यह कला, संस्कृति साहित्य के प्रचार के लिए भी काम करता है और पवित्र शास्त्रों की शिक्षाओं का प्रचार करता है । हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट की गतिविधियों का समर्थन करने के लिए दान करें । आप स्वयंसेवक, सहयोगी, दान दाता, प्रायोजक बनकर हमसे जुड़ें सकते हैं और ट्रस्ट के माध्यम से समाज की सेवा कर सकते हैं | आपकी सक्रिय सहभागिता से हम अपने ��नसेवा के क्षेत्र को पुरे देश में फैला सकते है |
कार्यक्रम के अंत में हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट की आंतरिक सलाहकार समिति के सदस्य डॉ संतोष कुमार श्रीवास्तव ने सभी का धन्यवाद व आभार व्यक्त किया | कार्यक्रम का संचालन डॉ अलका निवेदन ने किया |
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