#जामा मस्जिद विवाद
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upkiran · 10 days ago
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भारत की जीत के बाद महू में भड़की हिंसा: मस्जिद के पास दो गुटों में पथराव, कई घायल
 चैंपियंस ट्रॉफी 2025 में भारत की जीत के बाद इंदौर के महू इलाके में हिंसा भड़क गई। जश्न के दौरान जामा मस्जिद के पास दो गुटों में झड़प हुई, जिससे कई लोग घायल हो गए। जानिए पूरी खबर।
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globalnewsnetworkhindi · 6 days ago
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कब्र तोड़ने की इजाजत सनातन धर्म नहीं... औरंगजेब की मजार विवाद पर आचार्य प्रमोद कृष्णम Our Channel: https://www.youtube.com/@globalnewsnetworkofficial?sub_confirmation=1 उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद में कल्कि धाम संभल के पीठाधीश्वर और पूर्व कांग्रेस नेता आचार्य प्रमोद कृष्णम औरंगजेब की कब्र के बचाव में उतरते हुए कहा कि किसी की कब्र या मजार तोड़ने की इजाजत सनातन धर्म नहीं देता. मुर्दों से लड़ना सनातन नहीं सिखाता. सनातन धर्म उन सभी आत्माओं का सम्मान करता है जो धरती से जा चुकी हैं. '..संजय राऊत नया पाकिस्तान बनाना चाहते है' आचार्य प्रमोद कृष्णम ने कहा कि हम दुश्मन का भी अपमान नहीं करते. आत्मा धर्म और लिंक से परे है, हम सभी आत्माओं का सम्मान करते हैं. किसी के दिल और आत्मा को दुखाना भारत की संस्कृति के खिलाफ है. उन्होंने सामना के लेख पर कहा कि राहुल गांधी के साथ मिलकर संजय राऊत नया पाकिस्तान बनाना चाहते हैं. इसलिए इस तरह के षड्यंत्रकारी लेख सामना में देखने को मिल रहे हैं. ये कांग्रेस के साथ मिलकर एक नया पाकिस्तान बनाना चाहते हैं. '...राहुल गांधी को पार्टी से बाहर करना होगा' उन्होंने कहा कि 2027 से पहले कांग्रेस का एक और विभाजन होगा और कांग्रेस वर्किंग कमेटी राहुल गांधी को पार्टी से निकालने का प्रस्ताव पास करेगी. अगर कांग्रेस को बचाना है तो राहुल गांधी को पार्टी से बाहर करना होगा. अखिलेश यादव पर भी तंज करते हुए कहा कि अखिलेश यादव को सियासत विरासत में मिली है. इसलिए वह अमानत में खयानत कर रहे हैं.  भारत मुर्दो से लड़ाई नहीं करता:  प्रमोद कृष्णम औरंगजेब की कब्र को हटाने के मामले पर आचार्य प्रमोद कृष्णम ने कहा कि भारत मुर्दो से लड़ाई नहीं करता है, भारत का शौर्य-पराक्रम और भारत की बहादुरी इतिहास में दर्ज है. छत्रपति शिवाजी महाराज गुरु गोविंद सिंह,महाराणा प्रताप, या जितने भी हमारे राष्ट्रीय हीरो रहे है. इन्होंने कभी सनातन के सिंद्धान्त को नहीं तोड़ा और किसी की कब्र को हटाना ये तो तालिबान के काम है. सनातन इसकी अनुमति नहीं देता. दुश्मन के मर जाने के बाद भी हम उसका सम्मान करते है. वक्फ बोर्ड को लेकर मुस्लिम संगठनों द्वारा जंतर-मंतर पर होने वाले विरोध प्रदर्शन और दूसरा शाहीन बाग बनाने की धमकियों पर आचार्य प्रमोद कृष्णम ने कहा कि भारत किसी की धमकी में नहीं आया और नहीं भारत आतंकवादियों से डरता है. जहां तक वफ्फ बोर्ड का सवाल है तो तमाम मुस्लिम-भाई बहनों से प्रार्थना करता हूं कि सरकार पर भरोसा करें, उनका भला वफ्फ बोर्ड नहीं करेगा, उनका भला भारत के भले में है, यहां जो भूमि है वो भारत की है. इस देश की भूमि पर देश का कब्जा होना चाहिए. सरकार जनता के हित में फैसले लेती है. किसी भी भूमि पर अवैध तरीके से कब्जा करके ये मेसेज देना चाहते हैं ये जमीन हमारी हो गई तो इस देश पर एक बार मुगलों ने भी कब्जा किया था. वो भी चले गए. अंग्रेज भी चले गए तो उनकी क्या विसात है. संभल जामा मस्जिद की चल रही पुताई पर रंग के विवाद पर आचार्य प्रमोद कृष्णम ने कहा कि रंग किसी सम्प्रदाय का नहीं होता, जितने भी रंग हैं ये भारतीय संस्कृति के है. मुझे लगता है इस विवाद का कोई लॉजिक नही है.
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rightnewshindi · 13 days ago
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टीम इंडिया की जीत का जश्न मना रहे लोगों पर हुआ पथराव, दो गाड़ियों और दुकानों को लगाई आग
Madhya Pradesh News: इंदौर के नजदीक महू (एमपी) में रविवार रात उस समय तनाव की स्थिति बन गई जब ICC चैम्पियंस ट्रॉफी में भारत की जीत के जश्न के दौरान दो गुट आमने-सामने आ गए. यह घटना जामा मस्जिद के पास हुई, जहां जुलूस निकाल रहे लोगों और एक अन्य पक्ष के बीच विवाद बढ़ गया. देखते ही देखते झड़प पथराव में तब्दील हो गई, जिससे इलाके में अफरातफरी मच गई. प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, भारत की जीत का जश्न मनाने…
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latestnewsandjokes · 4 months ago
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संभल विवाद: सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि ट्रायल कोर्ट तब तक मामले में आगे नहीं बढ़ेगी जब तक कि इलाहाबाद हाई कोर्ट याचिका पर सुनवाई नहीं कर लेता भारत समाचार
संभल में मुगलकालीन शाही जामा मस्जिद में शुक्रवार को ‘जुम्मा की नमाज’ के लिए करीब 1,000 लोग एकत्र हुए। पुलिस और स्थानीय प्रशासन ने अशांत शहर में भारी सुरक्षा सुनिश्चित की। अधिकांश स्थानीय लोगों ने ट्रायल कोर्ट में कार्यवाही पर रोक लगाने के शीर्ष अदालत के आदेश का स्वागत किया नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट शुक्रवार को संभल जिला प्रशासन को बनाए रखने के निर्देश दिए शांति और सद्भाव सांप्रदायिक रूप से आरोपित…
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newshawkers · 4 months ago
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संभल जामा मस्जिद विवाद, सुरक्षा कड़ी #jamamasjid #sambhalnews #upnews #masjid #viralnews #upnewstoday #viral #trending
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nityanewsnation · 2 years ago
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Gujarat Poll: Shahi Imam Of Jama Masjid Shabbir Ahmed Siddiqui Has Given Controversial Statement In Ahmedabad - Gujarat Poll: 'मुस्लिम महिलाओं को टिकट देना इस्लाम के खिलाफ', जामा मस्जिद के शाही इमाम के बिगड़े बोल
Gujarat Poll: Shahi Imam Of Jama Masjid Shabbir Ahmed Siddiqui Has Given Controversial Statement In Ahmedabad – Gujarat Poll: ‘मुस्लिम महिलाओं को टिकट देना इस्लाम के खिलाफ’, जामा मस्जिद के शाही इमाम के बिगड़े बोल
शब्बीर अहमद सिद्दीकी, अहमदाबाद में जामा मस्जिद के शाही इमाम। – फोटो : ANI ख़बर सुनें ख़बर सुनें गुजरात में इन दिनों सियासी सरगर्मियां बढ़ी हुई हैं। कल यानी पांच दिसंबर को राज्य में दूसरे चरण का मतदान होगा। दूसरे चरण में  14 जिलों की 93 विधानसभा सीटों पर मतदान होना है। वहीं, मतदान से पहले अहमदाबाद में जामा मस्जिद के शाही इमाम शब्बीर अहमद सिद्दीकी ने अपने बयान से विवाद खड़ा कर दिया है। उन्होंने…
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nayesubah · 3 years ago
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जामा मस्जिद कमेटी को लेकर चल रहे विवाद में दो पक्षों के बीच जमकर चले लाठी-डंडे और लात-घुसें
जामा मस्जिद कमेटी को लेकर चल रहे विवाद में दो पक्षों के बीच जमकर चले लाठी-डंडे और लात-घुसें
Bihar: वैशाली जिले में दो पक्षों के बीच नमाज शुरू होने से पहले ही लात घुसें और लाठी-डंडे से जमकर मारपीट का मामला सामने आया है घटना के बाद स्थानीय लोगों ने इसकी सूचना पुलिस को दी जिसके बाद मौके पर पहुंची महुआ थाना पुलिस ने दोनों पक्षों को समझा-बुझाकर मामला शांत कराया हालांकि गांव में अभी भी तनाव की स्थिति बरकरार है और मारपीट में कुछ लोग घायल भी हुए हैं, वहीं इस घटना का वीडियो वायरल हो ��हा है। ns…
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newscup2021 · 3 years ago
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मस्जिद में जल चढ़ा तो हजारों लोगों का खून बहेगा: सपा सांसद शफीकुर्रहमान बर्क
मस्जिद में जल चढ़ा तो हजारों लोगों का खून बहेगा: सपा सांसद शफीकुर्रहमान बर्क
अक्सर विवादित बयान देने वाले समाजवादी पार्टी के सांसद शफीकुर्रहमान बर्क ने अपने एक ओर बयान से नया विवाद खड़ा कर दिया है, उनके इस बयान का वीडियो भी सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार संभल की जामा मस्जिद में जल चढ़ाने वाली बात से सपा सांसद शफीकुर्रहमान बर्क काफी परेशान नजर आए और उन्होंने इसे सबके सामने जाहीर भी किया। सोशल मीडिया पर उनका एक वीडियो भी वायरल हो रहा है जिसमें वे…
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upkiran · 10 days ago
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चैंपियंस ट्रॉफी जीत के बाद इंदौर के महू में हिंसा: मस्जिद के सामने दो गुटों के बीच भड़की झड़प
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चैंपियंस ट्रॉफी 2025 में भारत की जीत के बाद इंदौर के महू इलाके में जश्न का माहौल अचानक हिंसा में बदल गया। रविवार रात दुबई में भारत की शानदार जीत के बाद कुछ युवाओं ने महू क्षेत्र में विजय रैली निकाली।
मस्जिद के पास भड़की हिंसा
जश्न मनाते हुए रैली जब जामा मस्जिद के पास पहुंची तो वहां मौजूद कुछ लोगों के साथ कहासुनी हो गई। देखते ही देखते विवाद बढ़ गया और दोनों गुटों के बीच भीषण पथराव शुरू हो गया। इस घटना में कई लोग घायल हुए हैं और हिंसा के दौरान दुकानों में आग भी लगा दी गई।
स्थिति नियंत्रण में, इलाके में पुलिस तैनात
हिंसा के बाद इलाके में तनाव फैल गया, जिसके चलते पुलिस प्रशासन एक्शन में आ गया। महू क्षेत्र को छावनी में तब्दील कर दिया गया है।
इंदौर कलेक्टर आशीष सिंह ने बताया कि घटना के बाद स्थिति नियंत्रण में है। उन्होंने कहा कि इलाके में पर्याप्त पुलिस बल तैनात कर दिया गया है और हालात पर पूरी नजर रखी जा रही है।
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uttranews · 5 years ago
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उत्तरा न्यूज स्पेशल- रात 9 बजे तक की बड़ी खबरें, एक नजर
उत्तरा न्यूज स्पेशल- रात 9 बजे तक की बड़ी खबरें, एक नजर
उत्तरा न्यूज डेस्क:- 8 नवंबर2019
1– अयोध्या पर जल्द आ सकता है कोर्ट का फैसला, देश में उत्सुकता का माहौल, कल सुबह आ सकता है फैसला
2- दिल्लीः जामा मस्जिद के शाही इमाम सैय्यद अहमद बुखारी ने अयोध्या विवाद के फैसले के मद्देनजर जारी किया बयान सभी पक्षों से न्यायपालिका पर भरोसा रखने की अपील
3- आगरा पहुंचे प्रदेश के डीजीपी ओपी सिंह अयोध्या पर आने वाले फैसले को लेकर कर रहे हैं जोन भर के…
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rightnewshindi · 18 days ago
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संभल की शाही जामा मस्जिद नहीं विवादित ढांचा कहें, इलाहाबाद हाई कोर्ट ने क्या दिए आदेश
Uttar Pradesh News: उत्तर प्रदेश के संभल की शाही जामा मस्जिद को लेकर छिड़े विवाद के दौरान जस्टिस रोहित रंजन अग्रवाल की सिंगल बेंच में आज मंगलवार सुनवाई हुई। इस दौरान जस्टिस रोहित रंजन अग्रवाल ने भी यही निर्देश दिया है कि संभल में अब शाही जामा मस्जिद नहीं विवादित ढांचा कहा जाएगा। दरअसल आज मंगलवार को चार मार्च को इलाहाबाद हाईकोर्ट की सिंगल बेंच में संभल शाही जामा मस्जिद पर सुनवाई हुई। इस दौरान…
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latesthindinewsindia · 6 years ago
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विवेक अग्नि��ोत्री ने इस्लाम पर कन्हैया कुमार की टिप्पणी का क्लिप किया हुआ भ्रामक वीडियो ट्वीट किया
फिल्म निर्देशक विवेक अग्निहोत्री ने 12 नवंबर को जेएनयू छात्र नेता कन्हैया कुमार की एक वीडियो क्लिप को ट्वीट किया और कहा, “आजादी प्रेमी, अर्बन नक्सल के मसीहा और टुकड़ों के पैगंबर सेक्युलर जनाब अपने धर्म के बारे में सार्वजनिक रूप से बात कर रहे हैं – (अनुवादित)।“ इस वीडियो को अबतक 43,000 से अधिक बार देखा गया है।
BREAKING: Azaadi premi, #UrbanNaxals ke maseeha, tukdon ke paigambar, Secular Janaab Kanhaiya taking about his religion publicly. pic.twitter.com/xAiGrdGj1L
— Vivek Agnihotri (@vivekagnihotri) November 12, 2018
अग्निहोत्री द्वारा पोस्ट की गई 35 सेकेंड की इस क्लिप में कन्हैया को यह कहते सुना जा सकता है- “हमारा इतिहास यहाँ से जुड़ा हुआ है। हम सारे के सारे लोग अरब से चलकर यहाँ नहीं आए हैं, हम यहीं पे पले हैं बढ़े हैं और उस धर्म की जो खासियत थी और जो पुराने धर्म थे, जिसमें छुआछूत था उसकी वजह से लोगों ने छोड़कर के इस धर्म को अपनाया है क्योंकि यह पीस की बात करता है बराबरी की बात करता है। मस्जिद में जो है ऊंच-नीच नहीं होता है इस आधार पर हम इस धर्म को अपनाए हैं इसको छोड़ कर के हम नहीं जाएंगे। हम खुद को भी बचाएंगे और अपने कौम को बचाते हुए इस देश को भी बचाएंगे ये हमारी बुनियादी जिम्मेदारी है। अल्लाह के पास बहुत ताकत है अल्लाहताला हमारी रक्षा करेंगे।”
उपर्युक्त वीडियो को देखकर, ऐसा प्रतीत होता है जैसे कन्हैया कुमार बता रहे हैं कि उनका धर्म इस्लाम है। अग्निहोत्री जब ��हते हैं, “अपने धर्म के बारे में सार्वजनिक रूप से बात कर रहे”, तब शायद वह इसी का जिक्र कर रहे हैं।
कन्हैया कुमार के पूरे भाषण के तीन अलग-अलग हिस्सों के टुकड़ों को मिलाकर बनाया गया यह 35 सेकंड का वीडियो क्लिप
ऑल्ट न्यूज ने पाया कि अग्निहोत्री द्वारा ट्वीट की गई 35 सेकंड की क्लिप वन चैनल (One Channel) द्वारा पोस्ट किए गए 34:31 मिनट के वीडियो का हिस्सा थी। क्लिप में वन चैनल के लोगो के स्थान पर,’BJP Social Media’ के मोहर पर सुपरइम्पोज किया हुआ बंगाली शब्द ‘द्यूतीमान’ था, जिसका अर्थ है प्रकाश डालने वाला।
अग्निहोत्री द्वारा पोस्ट किए गए कन्हैया के बयान को मूल वीडियो में 11:50वें मिनट से, सुना जा सकता है। वह महाराष्ट्र के नांदेड़ में अगस्त में आयोजित एक कार्यक्रम ‘कन्हैया के साथ संवाद’ में बोल रहे थे।
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इस अवसर पर भीड़ को संबोधित करते हुए कन्हैया ने मौलाना अबुल कलाम आज़ाद का हवाला देते हुए कहा था, “देश के पहले शिक्षा मंत्री मौलाना अबुल कलाम आजाद ने जामा मस्जिद की सीढी से तकरीर किया और कहा कि ये मुल्क हम सब का है। किसी के कहने पे हम कहीं नहीं चले जाएंगे। इस मुल्क की मिट्टी में हमारा भी खून पसीना है। हमारा इतिहास यहाँ से जुड़ा हुआ है। हम सारे के सारे लोग अरब से चलकर के यहाँ नहीं आए हैं, हम यहीं पे पले हैं बढ़े हैं और उस धर्म की जो खासियत थी और जो पुराने धर्म थे, जिसमें छुआछूत था उसकी वजह से लोगों ने छोड़कर के इस धर्म को अपनाया है क्योंकि यह पीस की बात करता है बराबरी की बात करता है। मस्जिद में जो है ऊंच-नीच नहीं होता है इस आधार पर हम इस धर्म को अपनाए हैं इसको छोड़ कर के हम नहीं जाएंगे। और तब इस देश के मुसलमानों ने इस देश में रहने का फैसला लिया था।”
अग्निहोत्री द्वारा पोस्ट की गई क्लिप में मूल वीडियो के अन्य हिस्सों (15:03 और 16:01) को उपर्युक्त कथनों में जोड़ा गया था, जिनमें कन्हैया कुमार कहते हैं – “हम खुद को भी बचाएंगे और अपने कौम को बचाते हुए इस देश को भी बचाएंगे ये हमारी बुनियादी जिम्मेदारी है। अल्लाह के पास बहुत ताकत है अल्लाहताला हमारी रक्षा करेंगे।” कन्हैया कुमार ने यह कथन प्रथम पुरुष मौलाना आजाद को उद्धृत किया था नाकि इसीलिए क्योंकि उन्होंने खुद इस्लाम को अपना लिया था
15:03वें मिनट से वह कहते हैं, “कोई भी कौम क��� रहबर बनके आए और ये कहे कि हम धर्म बचाएंगे तो उनको भी आप बराबर जवाब दीजिये और कहिये हमारे अल्लाह के पास बहुत ताकत है, वह हमारी रक्षा करेंगे”” यह उस हिस्से से जुड़ा हुआ था जिसमें कन्हैया कुमार ने अबुल कलाम आजाद का हवाला दिया था लेकिन ऐसा लगता था कि वह एक मुसलमान के रूप में बोल रहे हैं।
मौलाना अबुल कलाम आज़ाद का उद्धरण
अपने भाषण में, कुमार ने “पुराने धर्म” के बारे में बात की जिसमें अस्पृश्यता का व्यवहार था। प्रचलित जाति व्यवस्था के कारण इसे हिंदू धर्म के संदर्भ के रूप में ही अनुमानित किया जा सकता है। दर्शकों को संबोधित करते हुए कन्हैया कुमार ने कहा कि मौलाना आजाद ने अपने मुस्लिम समर्थकों से कहा कि इस्लाम में समानता है, जबकि हिंदू धर्म में अस्पृश्यता का व्यापक व्यवहार था; इस कारण से, लोगों ने हिंदू धर्म को त्यागा और इस्लाम को अपना लिया।
कन्हैया कुमार 23 अक्टूबर, 1947 को जामा मस्जिद, दिल्ली में हुए मौलाना अबुल कलाम आज़ाद के सबसे मशहूर भाषणों में से एक का जिक्र कर रहे थे। चूंकि इस भाषण की अंग्रेजी और हिंदी दोनों में ऑनलाइन उपलब्ध प्रतिलिपि, कुमार द्वारा उद्धृत शब्दों से मेल नहीं खाती है, इसलिए, ऑल्ट न्यूज़ ने आज़ाद की जीवनी लेखक सईदा हमीद से पुष्टि के लिए संपर्क किया।
सईदा हमीद ने कहा, “आजाद ने कहा था कि मुसलमान इस देश का हिस्सा हैं, उन्होंने यह नहीं कहा कि हिंदू धर्म में अस्पृश्यता के कारण लोगों ने इस्लाम को अपना लिया।“
उन्होंने कहा, “उन्होंने वास्तव में यह कहा था कि हमने वर्षों से संस्कृति को प्रभावित किया है और हिंदुओं और मुस्लिमों की एक समग्र संस्कृति का हिस्सा बन गए हैं। वास्तव में, कुरान की अपनी व्याख्या में, उन्होंने हिंदू धर्म, वेदों, पुराणों के महत्व के बारे में बात की थी। वे वह व्यक्ति थे जिन्होंने हिंदू धर्म के बारे में इस्लाम के समान आदर और सम्मान के साथ बात की थी।“
हमने कन्हैया कुमार से भी संपर्क किया जिन्होंने दावा किया कि जब उन्होंने हिंदू धर्म में अस्पृश्यता और इस्लाम में स्वीकृति की बात की थी, तो वे आज़ाद को उद्धृत नहीं कर रहे थे, बल्कि वह अपनी राय व्यक्त कर रहे थे।
इस वीडियो को लेकर फैली गलत जानकारी पर एक विस्तृत रिपोर्ट यहां पढ़ी जा सकती है।
उपरोक्त उदाहरण विवेक अग्निहोत्री द्वारा फैलाए गए नकली समाचारों का एकमात्र उदाहरण नहीं है। इससे पहले सितंबर में, उन्होंने बीबी��ी न्यूज़ (BBC News) से मिलते नाम वाली वेबसाइट की एक रिपोर्ट के आधार पर कांग्रेस को दुनिया के सबसे भ्रष्ट दलों में से एक बताया था। उसी महीने, अभिनेत्री स्वरा भास्कर को लेकर अपमानजनक ट्वीट करने के बाद अग्निहोत्री का ट्विटर अकाउंट सस्पेंड कर दिया गया था। उपर्युक्त मामले में, जहां कन्हैया कुमार मौलाना अबुल कलाम आजाद को गलत तरीके से उद्धृत करते दिखे, इस बात को लेकर कोई विवाद नहीं है कि जेएनयू नेता ने इस्लाम को अपनाया था, बल्कि केवल उस धर्म पर अपने विचार व्यक्त कर रहे थे।
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jodhpurnews24 · 6 years ago
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गुरुग्राम: हिन्दू संगठनों का आतंक जबरन बंद करा रहे मुसलमानो की दुकानें, मचा बवाल
देश की राजधानी दिल्ली से लगे हुए गुरुग्राम से लगातार हिंदू#वादी संगठनों की गुंडागर्दी देखने को मिल रही है. पिछले दिनों गुरुग्राम में नामज़ को लेकर विवाद शुरू हुआ था इसके बाद से ही इलाके में गुंडागर्दी चरम सीमा पर है. काफी समय से कथित भगवाधारियों का कथित तौर पर आतंक देखने को मिल रहा है. गुरुग्राम काफी समय से विवाद और संग्राम का अखाड़ा बना हुआ है जिसके चलते इलाके में अक्सर तनाव की स्थिति बनी रहती है.
संगठनों की दादागिरी 
अब खबर है कि हिन्दू संगठनों द्वारा गुरुग्राम के सदर बाजार के जामा मस्जिद इलाके में मार्च निकला इसके बाद जबरन मीट की दुकानें हिन्दू संगठनों द्वारा बन करवाने का मामला सामने आया है. सबसे हैरान कर देते वाली बात यह रही कि यह सब पुलिस की मौजूदगी में हुआ.
पुलिस की उपस्थिति में ही हिन्दू संगठनों ने दुकानें जबरदस्ती बंद कराई. हिन्दू संगठनों ने मांग की है कि इलाके में दुकानों पर नवरात्रि के दौरान मीट ना बेचा जाए. आपको बता दें कि नवरात्रि 10 अक्टूबर से शुरू हो गई है जो 18 अक्टूबर तक चलेगी. संगठन इस दौरान मीत की बिक्री बंद करा रहा है.
मुस्लिम समाज द्वारा मीट मार्केट के गेट पर नवरात्रि की शुभकामनाओं वाले पोस्टर लगाए गए हैं साथ ही मार्केट की एंट्री को टेंट से ढक दिया गया है. मार्केट प्रधान ने बताया कि हम यहां 50 साल से रह रहे हैं लेकिन ऐसा पहले कभी नहीं हुआ. प्रशासन हमें सहयोग देने की बात कर रहा है लेकिन इलाके में दहशत बढ़ती जा रही है.
उन्होंने कहा कि इससे पहले हिन्दू संगठनों ने हमें कहा कि पर्दे लगा लो जिसके बाद ��मने पर्दे लगा दिए. फिर वह धमकी देकर गए की कल से दुकानें ही बन्द कर दो. मार्केट के एक व्यापारी अब्दुल मुकीम ने कहा कि मैं यही पैदा हुआ. मेरे पिता ने भी कभी नहीं बताया कि इस तरह से दुकानों को पहले कभी बन्द कराने की कोशिश की गई थी.
जबरन करा रहे बंद 
वहीं हिन्दू सेना संघर्ष समिति के एक सदस्य द्वारा जिला प्रशासन से चिट्ठी लिखकर कहा गया है कि हमने 125 सदस्यों की चार टीमें बनाई हैं यह टीम अलग-अलग दुकानों पर जाकर उनके मालिकों से नवरात्रि के दौरान दुकानें बंद करने की अपील करेगी. इसके बाद अगर त्योहार के दौरान हमें कोई दुकान खुली मिली तो हम उसे बंद करा देंगे.
हिंदू संगठनों ने बताया कि उन्होनें पहले ही जिला प्रशासन को एक चिट्ठी लिखकर नवरात्रि के दौरान शहर में मीट सभी दुकानों को बंद रखे जाने की अपील की थी. उन्होंने कहा कि लेकिन यदि प्रशासन ऐसा कोई कदम नहीं उठाता है तो फिर हमें खुद सड़कों पर उतरना पड़ेगा और जबरन दुकाने बंद करना होगी.
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sgtechs-in · 7 years ago
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Bukhari tells Delhi High Court । बुखारी ने दिल्ली हाईकोर्ट को बताया, 'शाहजहां ने दी थी शाही इमाम की पदवी'
Bukhari tells Delhi High Court । बुखारी ने दिल्ली हाईकोर्ट को बताया, ‘शाहजहां ने दी थी शाही इमाम की पदवी’
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नई दिल्लीः जामा मस्जिद के शाही इमाम मौलाना सैयद अहमद बुखारीने मस्जिद में अपने बेटे को उत्तराधिकारी बनाने के फैसले का बचाव करते हुए आज उच्च न्यायालय में कहा कि यह पदवी पहले इमाम को मुगल बादशाह शाहजहां ने दी थी और और वर्षों से उनके परिवार के लोग ही इमाम बनते आए हैं और यह कभी किसी कानून के साथ विवाद में नहीं रहा. बुखारी ने दावा किया कि बादशाह ने कहा था कि जामा मस्जिद में इमाम बनने का…
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newshut24-blog · 7 years ago
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मुस्लिम लीग के फाउंडर बोले, संसद में बैठा हर शख्स है आतंकवादी...
मुस्लिम लीग के फाउंडर बोले, संसद में बैठा हर शख्स है आतंकवादी…
मुरादाबाद: वर्षों से चले आ रहे बाबरी मस्जिद विवाद में आज बुधवार (6 दिसंबर) को एक तरफ जहां बाबरी मस्जिद कमेटी के आह्वान पर ‘काला दिवस’ मनाया जा रहा है तो वहीं, हिंदूवादी संगठन इसे ‘शौर्य दिवस’ के रूप में मना रहे हैं। इसी अवसर पर मुस्लिम लीग के तत्वाधान में बाबरी विध्वंस की 25वीं बरसी पर जिले के जामा मस्जिद चौराहे पर एक जलसे का आयोजन किया गया था,
जिसमें मंच से कुछ विवादित बोल बोले गए।जामा मस्जिद…
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abhay121996-blog · 4 years ago
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काशी-मथुरा में पूजा के अधिकार के लिए क्यों छिड़ गई बाबरी और नरसिम्हा राव की चर्चा, जानिए Divya Sandesh
#Divyasandesh
काशी-मथुरा में पूजा के अधिकार के लिए क्यों छिड़ गई बाबरी और नरसिम्हा राव की चर्चा, जानिए
नई दिल्ली काशी और मथुरा में पूजा के अधिकार की हिंदू संगठनों की एक याचिका ने 20 साल पहले बने एक कानून और तत्कालीन पीएम नरसिम्हा राव को फिर चर्चा में ला दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने 1991 में नरसिंहा राव सरकार की ओर से लाए गए (पूजा स्थल कानून) को चुनौती देनेवाली याचिका की वैधता परखने की मांग मंजूर कर ली है। देश के सर्वोच्च अदालत ने इस मामले में भारत सरकार को नोटिस भेजकर उसका पक्ष मांगा है। बीजेपी नेता और सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील अश्विनी उपाध्याय ने अपनी जनहित याचिका में कहा है कि प्लेसेज ऑफ वर्शिप ऐक्ट को खत्म किए जाने की मांग की है ताकि इतिहास की गलतियों को सुधारा जाए और अतीत में इस्लामी शासकों द्वारा अन्य धर्मों के जिन-जिन पूजा स्थलों और तीर्थ स्थलों का विध्वंस करके उन पर इस्लामिक ढांचे बना दिए गए, उन्हें वापस उन धर्मावलंबियों को सौंपे जा सकें जो उनका असली हकदार हैं।
किन परिस्थितियों में आया था पूजा स्थल कानून ? दरअसल, 90 के दशक में विश्व हिंदू परिषद (VHP) ने अयोध्या में बाबरी मस्जिद, वाराणसी में ज्ञा��वापी मस्जिद और मथुरा में शाही इदगाह के खिलाफ आंदोलन तेज कर दिया था। वीएचपी ने दावा किया कि ये मस्जिदें हिंदू मं��िरों को तोड़कर बनाई गई थीं, इसलिए इन्हें देश के बहुसंख्यक समुदाय को वापस सौंपा जाना चाहिए। आंदोलन जब जोर पकड़ने लगा तब देश की तत्कालीन नरसिंम्हा राव सरकार जनभावनाओं के दबाव में आ गई। उसने प्लेसेज ऑफ वर्शिप ऐक्ट यानी पूजा स्थल कानून बनाया। कानून लाने का मकसद अयोध्या रामजन्मभूमि आंदोलन को बढ़ती तीव्रता और उग्रता को शांत करना था।
नरसिंहा राव सरकार की दूरंदेशी लेकिन, नरसिंहा राव सरकार को डर था कि अयोध्या के बाद काशी, मथुरा ही नहीं बल्कि देश के अलग-अलग इलाकों में सैकड़ों मस्जिदों एवं अन्य इस्लामिक ढांचों पर ऐसा ही दावा किया जाएगा और उन्हें वापस हिंदुओं को सौंपने की मांग की जाएगी। इसी आशंका में सरकार ने कानून में यह प्रावधान कर दिया कि अयोध्या की बाबरी मस्जिद के सिवा देश की किसी भी अन्य जगह पर किसी भी पूजा स्थल पर दूसरे धर्म के लोगों के दावे को स्वीकार नहीं किया जाएगा। इसमें कहा गया कि देश की आजादी के दिन यानी 15 अगस्त, 1947 को कोई धार्मिक ढांचा या पूजा स्थल जहां, जिस रूप में भी था, उन पर दूसरे धर्म के लोग दावा नहीं कर पाएंगे। इस कानून से अयोध्या की बाबरी मस्जिद को अलग कर दिया गया या इसे अपवाद बना दिया गया।
नरसिंह राव सरकार ने इस एक कानून से बड़े धार्मिक विवाद का तत्कालीन मुद्दा रामजन्भूमि आंदोलन और भविष्य की आशंकाओं, दोनों का हल निकालने की कोशिश की थी। लेकिन, अब सुप्रीम कोर्ट ने इस कानून की वैधता का आकलन करने की गुहार स्वीकार कर ली है। दरअसल, एक ऐसी याचिका पुजारियों के एक संगठन ने वकील विष्णु शंकर जैन के जरिए दायर कर रखी है। जनहित याचिका में भी सुप्रीम कोर्ट से 1991 के प्लेसेज ऑफ वर्शिप ऐक्ट को खत्म करने की मांग की गई है। ताकि मथुरा में कृष्ण की जन्मस्थली और वाराणसी में काशी विश्वनाथ मंदिर-मस्जिद के विवाद का निपटारा हो सके।
याचिका पर मुस्लिम संगठन की चेतावनी हालांकि, मुस्लिम संगठन जमायत उलमा-ए-हिंद ने इस याचिका का जबर्दस्त विरोधी किया है। उसने सुप्रीम कोर्ट से कहा कि यह याचिका इतिहास की गलतियों को सुधारने की छलपूर्ण कोशिश है। उसने चेतावनी दी है कि अगर सुप्रीम कोर्ट ने इसमें दिलचस्पी ली तो देश में मुकदमों और याचिकाओं की बाढ़ आ जाएगी।
अयोध्या जजमेंट में सुप्रीम कोर्ट ने की थी पूजा स्थल कानून की सराहना सुप्रीम कोर्ट ने अयोध्या रामजन्भूमि विवाद पर 1,045 पन्ने के अपने फैसले में 1991 के इस कानून का हवाला देते हुए कहा था कि यह कानून 15 अगस्त 1947 को सार्वजनिक पूजा स्थलों के रहे धार्मिक चरित्र को बरकरार रखने और उनमें बदलाव के खिलाफ गारंटी देता है। उसने कहा कि संसद ने तय किया कि उपनिवेवादी शासन से आजादी हमें अतीत के अन्याय पर मरहम लगाने का संवैधानिक आधार प्रदान करती है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि कानून हरेक धार्मिक समुदाय को यह आश्वासन देता है कि उनके धार्मिक स्थलों का संरक्षण होगा और उनका चरित्र नहीं बदला जाएगा। शीर्ष अदालत ने कहा, “प्लेसेज ऑफ वर्शिप ऐक्ट विधायिका की तरफ से किया गया प्रावधान है जो पूजा स्थलों के धार्मिक चरित्र को यथावत बरकरार रखने को हमारे धर्मनिरपेक्ष मूल्यों के अनिवार्य पहलू बनाता है।”
याचिका में दी गई दलीलें अश्विनी उपाध्याय ने अपनी याचिका में कहा है कि भारत में मुस्लिम शासन 1192 में स्थापित हुआ जब मुहम्मद गोरी ने पृथ्वीराज चौहान को पराजित कर दिया था। तब से 1947 तक भारत पर विदेसी शासन ही रहा। इसलिए अगर धार्मिक स्थलों के चरित्र को बरकरार रखने का कोई कट ऑफ डेट तय करना है तो वह 1192 होना चाहिए जिसके बाद हजारों मंदिरों और हिंदुओं, बौद्धों एवं जैनों के तीर्थस्थलों का विध्वंस होता रहा और मुस्लिम शासकों ने उन्हें नुकसान पहुंचाया या उनका विध्वंस कर उन्हें मस्जिदों में तब्दील कर दिया।
याचिका में कहा गया है कि प्लेसेज ऑफ वर्शिप ऐक्ट 1991 के प्रावधान मनमाना और गैर संवैधानिक हैं। उपाध्या ने कानून की धारा 2, 3 और 4 को चुनौती दी गई और उसे गैर-संवैधानिक घोषित करने की गुहार लगाई गई है। याचिका में कहा गया है कि उक्त प्रा‌वधान संविधान के अनुच्छेद 14, 15, 21, 25, 26 एवं 29 का उल्लंघन करता है। संविधान के समानता का अधिकार, जीवन का अधिकार और धार्मिक स्वतंत्रता के अधिकार में प्लेसेज ऑफ वर्शिप एक्ट 1991 दखल देता है। केंद्र सरकार ने अपने जूरिडिक्शन से बाहर जाकर ये कानून बनाया है। पूजा पाठ और धार्मिक विषय राज्य का सब्जेक्ट है और केंद्र सरकार ने इस मामले में मनमाना कानून बनाया है।
याचिका कहती है कि किसी को भी हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाने का संवैधानिक अधिकार से वंचित नहीं किया जा सकता है। केंद्र सरकार धार्मिक स्थल पर आक्रमणकारियों के अवैध कब्जे और अतिक्रमण को कानूनी जामा नहीं पहना सकता है। कोर्ट का दरवाजा बंद नहीं किया जा सकता क्योंकि वह सबका संवैधानिक अधिकार है।
(इनपुट्सः धनंजय महापात्रा)
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