#भारत में कोरोना के दो साल
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Episode : 26 | कबीर परमात्मा के द्वारा जात-पात के भेद को मिटाना | 11 -08...
*🥀💞🥀बन्दीछोड़ सतगुरु संत रामपाल जी महाराज जी की जय🥀💞🥀*
11/08/24 Sunday/रविवार
🌎🎡🌎🎡
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1📯संत रामपाल जी महाराज का समाज सुधार में अमूल्य योगदान
संत रामपाल जी महाराज दहेज जैसी कुरीति को जड़ से खत्म करने के साथ-साथ जातीय, धार्मिक भेदभाव, छुआछूत, मृत्यु भोज व नशे जैसी अन्य बुराइयों को समाज से ख़त्म कर रहे हैं। जिससे एक स्वच्छ समाज का निर्माण हो रहा है।
2📯अद्वितीय तत्वज्ञान से समाज सुधार
एक तरफ जहां निःसंतान को समाज में हेयदृष्टि से देखा जाता था। वहीं संत रामपाल जी महाराज ने इस गलत धारणा को अपने अद्वितीय तत्वज्ञान से समाप्त कर दिया और बताया कि निःसंतान तो बहुत ही पुण्यकर्मी प्राणी होता है। क्योंकि उसका किसी से कोई पिछला संस्कार नहीं जुड़ा होता न कोई ऋण होता बच्चों का, जिससे सतगुरु शरण में आकर उसका सहजता से मोक्ष हो सकता है।
3📯संत रामपाल जी महाराज ने विवाह की एक ऐसी सादगीपूर्ण विधि समाज को दी है जिसमें न तो किसी प्रकार के दहेज की सरदर्दी होती और न ही फिजूलखर्ची होती। जिससे सचमुच अब बेटियां माता-पिता के लिए बोझ नहीं रहीं हैं।
4📯संत रामपाल जी महाराज की अद्वितीय समाज सेवा
बाढ़ हो या कोरोना जैसी महामारी, जब-जब मानव से लेकर पशु धन पर आपत्ति आई, तब-तब संत रामपाल जी महाराज की प्रेरणा से उनके अनुयायियों ने समाज सेवा कर अद्वितीय उदाहरण पेश किया।
5📯वृक्षारोपण का अद्भुत उदाहरण
पंजाब प्रांत में संत रामपाल जी महाराज की प्रेरणा से उनके हजारों समर्थकों ने एक दिन में 50000 से अधिक वृक्षारोपण और पौधारोपण कर पर्यावरण संरक्षण में अपनी अहम भूमिका निभाई।
6📯समाज सुधारक संत रामपाल जी महाराज
नशा भारत सहित पूरे विश्व की एक बड़ी समस्या है। युवाओं से लेकर महिलाओं तक सभी नशे में लिप्त हो रहे हैं। लेकिन संत रामपाल जी महाराज के तत्वज्ञान से करोड़ों लोग आज नशा मुक्त हो चुके हैं, जिससे उनका जीवन सुखी तो हुआ ही, साथ ही उनका पूरा परिवार भी सुखी हो चुका है। इस तरह संत रामपाल जी के सानिध्य में नशा मुक्त समाज तैयार हो रहा है।
7📯समाज सेवा का अद्भुत उदाहरण
ओडिशा के बालासोर भीषण रेल हादसे को कौन भूल सकता है, जिसमें सैंकड़ों की संख्या में लोगों ने जान गंवाई थी, तो वही बड़ी तादाद में लोग घायल हुए थे। जिनके इलाज के लिए संत रामपाल जी महाराज के मार्गदर्��न में उनके समर्थकों ने बड़ी संख्या में रक्तदान कर मानवीय सहायता भेजी थी।
8📯समाज सेवा हो तो ऐसी!
कोरोना महामारी के दो वर्षों को कौन भूल सकता है, जो मानव जाति पर कहर बरपा रही थी, कोरोना मानव जाति को तबाह करने पर आमादा थी। उस दौरान अस्पताल भी कम पड़ रहे थे, तब मानव जाति की रक्षा के लिए संत रामपाल जी महाराज व उनके अनुयायी सामने आए थे और संत रामपाल जी महाराज के मार्गदर्शन में सतलोक आश्रम बैतूल (मध्यप्रदेश) व सतलोक आश्रम भिवानी (हरियाणा) में अस्थायी कोविड सेंटर खोले गए थे। जिससे मानव जाति को एक बड़ी राहत मिली थी।
9📯रक्तदान कर बना रहे समाज सेवा का विश्व रिकॉर्ड
रक्तदान की जब भी बात हो और संत रामपाल जी महाराज व उनके अनुयायियों की बात न हो ऐसा संभव ही नहीं है।
हर साल संत रामपाल जी महाराज के सानिध्य में छः बड़े समागम होते हैं जिसमें संत रामपाल जी महाराज की प्रेरणा पाकर उनके समर्थक मानव हित में प्रत्येक बार हजारों यूनिट रक्तदान करते हैं।
10📯संत रामपाल जी महाराज के समाज सुधारक कार्य
आम समाज में बेटे व बेटियों में बहुत फ़र्क समझा जाता रहा है। जिसके कारण भ्रूण हत्या अर्थात लड़की को गर्भ में मारने जैसा भयंकर अपराध भी शुरू हो गया था। संत रामपाल जी महाराज ने इसी लिंग भेद को स्थायी रूप से समाप्त किया है जिससे उनके करोड़ों अनुयायी बेटा व बेटी में किसी प्रकार का भेद नहीं समझते।
11📯समाज सेवा से पर्यावरण संरक्षण तक
जलवायु परिवर्तन आज दुनिया की एक सबसे बड़ी समस्या है। जिसे देखते हुए संत रामपाल जी महाराज के मार्गदर्शन में उनके लाखों अनुयायियों ने पर्यावरण संरक्षण के लिए एक दिन में 11-12 लाख पौधे लगाने में सरकार का सहयोग देकर विश्व रिकॉर्ड बनाया।
12📯 संत रामपाल जी महाराज जी वह अवतार हैं जो सभी कुप्रथाओं व बुराइयों जैसे नशा, दहेज, कन्या भ्रूण हत्या आदि को जड़ से खत्म कर रहे हैं।
13📯संत रामपाल जी महाराज का समाज सुधार में अमूल्य योगदान
संत रामपाल जी महाराज दहेज जैसी कुरीति को जड़ से खत्म करने के साथ-साथ मृत्यु भोज व नशे जैसी अन्य बुराइयों को समाज से ख़त्म कर रहे हैं।
14📯 देश में व्याप्त भ्रष्टाचार को समाप्त करने के लिए संत रामपाल जी महाराज जी अपने अनुयायियों को ऐसा निर्मल ज्ञान दे रहे हैं जिससे उनके अनुयायी न रिश्वत लेते हैं और न देते हैं।
15📯निःस्वार्थ समाज सेवी के अद्भुत उदाहरण हैं संत रामपाल जी महाराज
समाज को दहेज प्रथा, नशा, भ्रष्टाचार, पाखंड, अंधविश्वास, छुआछात आदि से मुक्ति दिलाने के लिए संत रामपाल जी महाराज निःस्वार्थ भाव से पिछले करीब 30 वर्षों से संघर्षरत हैं। जिसमें उनके अनुयायी भी बढ़ चढ़कर भाग ले रहे हैं। जिससे एक स्वच्छ समाज तैयार हो रहा है।
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*💎बन्दीछोड़ सतगुरु रामपाल जी महाराज जी की जय💎*
11/08/24
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🎡 *मालिक की दया से अब संत रामपाल जी महाराज जी के परोपकारी कार्य बताते हुए Twitter पर Trending सेवा करेंगे जी।*
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🐚 संत रामपाल जी महाराज का समाज सुधार में अमूल्य योगदान
संत रामपाल जी महाराज दहेज जैसी कुरीति को जड़ से खत्म करने के साथ-साथ जातीय, धार्मिक भेदभाव, छुआछूत, मृत्यु भोज व नशे जैसी अन्य बुराइयों को समाज से ख़त्म कर रहे हैं। जिससे एक स्वच्छ समाज का निर्माण हो रहा है।
🐚 अद्वितीय तत्वज्ञान से समाज सुधार
एक तरफ जहां निःसंतान को समाज में हेयदृष्टि से देखा जाता था। वहीं संत रामपाल जी महाराज ने इस गलत धारणा को अपने अद्वितीय तत्वज्ञान से समाप्त कर दिया और बताया कि निःसंतान तो बहुत ही पुण्यकर्मी प्राणी होता है। क्योंकि उसका किसी से कोई पिछला संस्कार नहीं जुड़ा होता न कोई ऋण होता बच्चों का, जिससे सतगुरु शरण में आकर उसका सहजता से मोक्ष हो सकता है।
🐚संत रामपाल जी महाराज ने विवाह की एक ऐसी सादगीपूर्ण विधि समाज को दी है जिसमें न तो किसी प्रकार के दहेज की सरदर्दी होती और न ही फिजूलखर्ची होती। जिससे सचमुच अब बेटियां माता-पिता के लिए बोझ नहीं रहीं हैं।
🐚संत रामपाल जी महाराज की अद्वितीय समाज सेवा
बाढ़ हो या कोरोना जैसी महामारी, जब-जब मानव से लेकर पशु धन पर आपत्ति आई, तब-तब संत रामपाल जी महाराज की प्रेरणा से उनके अनुयायियों ने समाज सेवा कर अद्वितीय उदाहरण पेश किया।
🐚वृक्षारोपण का अद्भुत उदाहरण
पंजाब प्रांत में संत रामपाल जी महाराज की प्रेरणा से उनके हजारों समर्थकों ने एक दिन में 50000 से अधिक वृक्षारोपण और पौधारोपण कर पर्यावरण संरक्षण में अपनी अहम भूमिका निभाई।
🐚 समाज सुधारक संत रामपाल जी महाराज
नशा भारत सहित पूरे विश्व की एक बड़ी समस्या है। युवाओं से लेकर महिलाओं तक सभी नशे में लिप्त हो रहे हैं। लेकिन संत रामपाल जी महाराज के तत्वज्ञान से करोड़ों लोग आज नशा मुक्त हो चुके हैं, जिससे उनका जीवन सुखी तो हुआ ही, साथ ही उनका पूरा परिवार भी सुखी हो चुका है। इस तरह संत रामपाल जी के सानिध्य में नशा मुक्त समाज तैयार हो रहा है।
🐚 समाज सेवा का अद्भुत उदाहरण
ओडिशा के बालासोर भीषण रेल हादसे को कौन भूल सकता है, जिसमें सैंकड़ों की संख्या में लोगों ने जान गंवाई थी, तो वही बड़ी तादाद में लोग घायल हुए थे। जिनके इलाज के लिए संत रामपाल जी महाराज के मार्गदर्शन में उनके समर्थकों ने बड़ी संख्या में रक्तदान कर मानवीय सहायता भेजी थी।
🐚 समाज सेवा हो तो ऐसी!
कोरोना महामारी के दो वर्षों को कौन भूल सकता है, जो मानव जाति पर कहर बरपा रही थी, कोरोना मानव जाति को तबाह करने पर आमादा थी। उस दौरान अस्पताल भी कम पड़ रहे थे, तब मानव जाति की रक्षा के लिए संत रामपाल जी महाराज व उनके अनुयायी सामने आए थे और संत रामपाल जी महाराज के मार्गदर्शन में सतलोक आश्रम बैतूल (मध्यप्रदेश) व सतलोक आश्रम भिवानी (हरियाणा) में अस्थायी कोविड सेंटर खोले गए थे। जिससे मानव जाति को एक बड़ी राहत मिली थी।
🐚 रक्तदान कर बना रहे समाज सेवा का विश्व रिकॉर्ड
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हर साल संत रामपाल जी महाराज के सानिध्य में छः बड़े समागम होते हैं जिसमें संत रामपाल जी महाराज की प्रेरणा पाकर उनके समर्थक मानव हित में प्रत्येक बार हजारों यूनिट रक्तदान करते हैं।
🐚 संत रामपाल जी महाराज के समाज सुधारक कार्य
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🐚 समाज सेवा से पर्यावरण संरक्षण तक
जलवायु परिवर्तन आज दुनिया की एक सबसे बड़ी समस्या है। जिसे देखते हुए संत रामपाल जी महाराज के मार्गदर्शन में उनके लाखों अनुयायियों ने पर्यावरण संरक्षण के लिए एक दिन में 11-12 लाख पौधे लगाने में सरकार का सहयोग देकर विश्व रिकॉर्ड बनाया।
🐚 संत रामपाल जी महाराज जी वह अवतार हैं जो सभी कुप्रथाओं व बुराइयों जैसे नशा, दहेज, कन्या भ्रूण हत्या आदि को जड़ से खत्म कर रहे हैं।
🐚 संत रामपाल जी महाराज का समाज सुधार में अमूल्य योगदान
संत रामपाल जी महाराज दहेज जैसी कुरीति को जड़ से खत्म करने के साथ-साथ मृत्यु भोज व नशे जैसी अन्य बुराइयों को समाज से ख़त्म कर रहे हैं।
🐚 देश में व्याप्त भ्रष्टाचार को समाप्त करने के लिए संत रामपाल जी महाराज जी अपने अनुयायियों को ऐसा निर्मल ज्ञान दे रहे हैं जिससे उनके अनुयायी न रिश्वत ल��ते हैं और न देते हैं।
🐚निःस्वार्थ समाज सेवी के अद्भुत उदाहरण हैं संत रामपाल जी महाराज
समाज को दहेज प्रथा, नशा, भ्रष्टाचार, पाखंड, अंधविश्वास, छुआछात आदि से मुक्ति दिलाने के लिए संत रामपाल जी महाराज निःस्वार्थ भाव से पिछले करीब 30 वर्षों से संघर्षरत हैं। जिसमें उनके अनुयायी भी बढ़ चढ़कर भाग ले रहे हैं। जिससे एक स्वच्छ समाज तैयार हो रहा है।
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10 लाख लोगों में केवल सात...कोविशील्ड से कितना खतरा, क्या डरने की जरूरत है?
नई दिल्ली: एक बार फिर कोरोना की चर्चा शुरू है लेकिन वायरस नहीं बल्कि कोविड वैक्सीन की। पहले कोरोना से डर लगता था तो वहीं अब कोरोना वैक्सीन के नाम से अचानक लोगों को डर लगने लगा है। इस डर की शुरुआत हुई ब्रिटिश फार्मा कंपनी एस्ट्राजेनेका के एक खुलासे से। इस खुलासे के बाद कोरोना की वैक्सीन लेने वाले लोगों के मन में कई सवाल पैदा हो गए। वैक्सीन निर्माता ने कोर्ट में माना है कि दुर्लभ मामलों में थ्रोम्बोसाइटोपेनिया सिंड्रोम के साथ थ्रोम्बोसिस (TTS) का कारण बन सकता है। इससे खून के थक्के बन सकते हैं और प्लेटलेट काउंट कम हो जाता है। थ्रोम्बोसाइटोपेनिया के कई गंभीर मामलों में यह स्ट्रोक और हार्ट अटैक का कारण भी बन सकता है। इस खुलासे के बाद भारत में भी इसकी चर्चा शुरू हो गई। एस्ट्राजेनेका का जो फॉर्मूला था उसी से भारत में सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया ने बनाई। भारत में बड़े पैमाने पर ये वैक्सीन लगाई गई है। लोगों के मन में कई सवाल हैं और इन सवालों के बीच भारत में अधिकांश हेल्थ एक्सपर्ट यह मान रहे हैं कि यह केवल दुर्लभ मामलों में ही हो सकता है। भारत में भी यह मामला सुप्रीम कोर्ट में पहुंच गया है। एक वकील की ओर से सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दाखिल की गई है कि वैक्सीन के साइड इफेक्ट की जांच के लिए मेडिकल एक्सपर्ट का पैनल बनाया जाए। वैक्सीन के कारण किसी भी रिस्क फैक्टर का परीक्षण करने का निर्देश दिया जाए और यह सब सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जज की निगरानी में किया जाना चाहिए। हालांकि देखा जाए तो सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया ने साल 2021 में इस टीके से होने वाले साइड इफेक्ट के बारे में अपनी साइट पर जानकारी दी है। सीरम इंस्टीट्यूट ने अपनी वेबसाइट पर अगस्त 2021 में कोविशील्ड टीका लगाने के बाद होने वाले साइड इफेक्ट की जानकारी दी है। कंपनी की ओर से कहा गया है कि थ्रोम्बोसाइटोपेनिया या प्लेट्सलेट की संख्या कम होने की वजह से ब्लड क्लाटिंग की समस्या हो सकती है। कंपनी ने कहा है कि यह एक लाख में से एक से भी कम लोगों में हो सकती है और कंपनी ने इसे बहुत ही दुर्लभ मामला बताया है। ICMR के पूर्व महानिदेशक डॉक्टर बलराम भार्गव ने कोविशील्ड वैक्सीन लगवाने वाले लोगों को लेकर कहा कि इसका साइड इफेक्ट टीका लेने के अधिकतम तीन से चार हफ्तों तक ही हो सकता है। वह भी केवल दुर्लभ मामलों में ही। भारत में कोविशील्ड के करोड़ों डोज लगाए गए हैं लेकिन न के बराबर मामलों में ही साइड इफेक्ट देखने को मिला। उनकी ओर से कहा गया है कि वैक्सीन लगवाने के दो-ढाई साल बाद साइड इफेक्ट का कोई खतरा नहीं है और इससे बेवजह डरने की जरूरत नहीं।ICMR के पूर्व वैज्ञानिक डॉ. रमन गंगाखेड़कर ने एक न्यूज चैनल से बात करते हुए कहा कि वैक्सीन के लॉन्च होने के 6 महीने के अंदर टीटीएस को एडेनोवायरस वेक्टर वैक्सीन के एक साइड इफेक्ट के रूप में पहचाना गया था। इस वैक्सीन की समझ में कोई नया चेंज नहीं है। उनकी ओर से कहा गया कि यह समझने की जरूरत है कि टीका लगवाने वाले दस लाख लोगों में केवल सात या आठ लोगों को ही खतरा है। मेडिकल एक्सपर्ट डॉ. राजीव जयदेवन ने कहा कि TTS रक्त वाहिकाओं में थक्का बना सकता है, लेकिन कुछ ��ीकों के इस्तेमाल के बाद इसका होना बेहद दुर्लभ होता है। जयदेवन केरल में नेशनल इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (IMA) कोविड टास्क फोर्स के सह-अध्यक्ष हैं। उन्होंने यह स्वीकार किया कि कोविड वैक्सीन ने कई मौतों को रोकने में मदद की है। न्यूज एजेंसी की रिपोर्ट के मुताबिक उन्होंने कहा, 'TTS का मतलब खून के थक्के बनने से है। कम प्लेटलेट काउंट के साथ दिमाग या अन्य रक्त वाहिकाओं में इससे थक्का बन सकता है।' http://dlvr.it/T6Jt7Y
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Covid-19: देश में कोविड-19 के 3,720 नए मामले।

नयी दिल्ली, तीन मई (भाषा) देश में कोरोना वायरस संक्रमण के 3,720 नए मामले सामने आए हैं, वहीं उपचाराधीन मरीजों की संख्या 40,177 है। केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने बुधवार को यह जानकारी दी। मंत्रालय द्बारा सुबह आठ बजे अद्यतन किए गए आंकडों के अनुसार संक्रमण से 20 और लोगों की मौत होने से मृतक संख्या 5,31,584 हो गई है। इनमें संक्रमण से मौत के आंकड़ों का पुन:मिलान करते हुए केरल ने वैश्विक महामारी से जान गंवाने वाले मरीजों की सूची में छह नाम जोड़े हैं।आंकडों के अनुसार, देश में कोरोना वायरस संक्रमण के मामले बढ़कर 4,49,56,716 हो गए हैं। मंत्रालय के अनुसार, उपचाराधीन मामले कुल मामलों का 0.09 प्रतिशत है, वहीं संक्रमण से उबरने की राष्ट्रीय दर 98.73 प्रतिशत है।संक्रमण से कुल 4,43,84,955 लोग ठीक हो चुके हैं।मंत्रालय की वेबसाइट के अनुसार, देशव्यापी टीकाकरण अभियान की शुरुआत से अब तक टीकों की कुल 220.66 करोड़ खुराक दी जा चुकी हैं। गौरतलब है कि भारत में सात अगस्त 2020 को कोरोना वायरस संक्रमितों की संख्या 20 लाख, 23 अगस्त 2020 को 30 लाख और पांच सितंबर 2020 को 40 लाख से अधिक हो गई थी। संक्रमण के कुल मामले 16 सितंबर 2020 को 50 लाख, 28 सितंबर 2020 को 60 लाख, 11 अक्टूबर 2020 को 70 लाख, 29 अक्टूबर 2020 को 80 लाख और 20 नवंबर को 90 लाख के पार चले गए थे। देश में 19 दिसंबर 2020 को ये मामले एक करोड़ से अधिक हो गए थे। चार मई 2021 को संक्रमितों की संख्या दो करोड़ और 23 जून 2021 को तीन करोड़ के पार पहुंच गई थी। पिछले साल 25 जनवरी को संक्रमण के कुल मामले चार करोड़ के पार चले गए थे। Pc:Daily Sabah Read the full article
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सी.आर.पी.सी. की धारा 144
परिचय
आपराधिक प्रक्रिया संहिता (सी.आर.पी.सी.), 1973 की धारा 144 के तहत, एक जिला मजिस्ट्रेट, एक उप-मंडल (सब डिविजनल) मजिस्ट्रेट, या राज्य सरकार द्वारा अधिकृत (ऑथोराइज्ड) कोई अन्य प्रशा��निक (एडमिनिस्ट्रेटिव) मजिस्ट्रेट, कथित खतरे या उपद्रव के तत्काल मामलों को रोकने और उनका इलाज करने के आदेश जारी कर सकता है, यह एक औपनिवेशिक (कोलोनियल) युग का क़ानून है, जिसे संहिता में संरक्षित किया गया है। धारा 144, उन मामलों मे लागू होती है जहां आसन्न (इमिनेंट) उपद्रव या किसी घटना के संदिग्ध खतरे की परिस्थितियों में मानव जीवन या उसकी संपत्ति को समस्या या कोई नुकसान पहुंचाया जा सकता है। आम तौर पर सी.आर.पी.सी. की धारा 144 के तहत सार्वजनिक समारोहों पर रोक लगा दी जाती है। इतिहास में, धारा 144 का इस्तेमाल उन रैलियों को रोकने के प्रयास में कुछ बाधाएं लगाने के लिए किया जाता है जो दंगे या अन्य प्रकार की हिंसा को भड़का सकती हैं। जब कोई आपात स्थिति होती है, तो कार्यकारी (एक्जीक्यूटिव) मजिस्ट्रेट को धारा 144 लागू करने का अधिकार दिया जाता है। इंटरनेट शटडाउन और दूरसंचार (टेलीकॉम) सेवाओं पर प्रतिबंध अक्सर धारा 144 के तहत लागू किए जाते हैं। हाल ही की कुछ घटनाओं ने पिछले कुछ वर्षों में इस प्रावधान की लोकप्रियता को और महत्व को और अधिक बढ़ा दिया है। पिछले दो वर्षों में फैली कोविड-19 की बीमारी में वृद्धि के कारण, सी.आर.पी.सी. की धारा 144 को भारत भर के कई स्थानों पर लागू किया गया था। कुछ हालिया उदाहरणों में निम्नलिखित शामिल हैं:- पश्चिमी तट पर संभावित आतंकवादी खतरे के बारे में खुफिया रिपोर्टों के परिणामस्वरूप, 12 फरवरी, 2020 कोउत्तरी गोवा क्षेत्र में धारा 144 लागू की गई थी। एक अधिसूचना (नोटिफिकेशन) में, उत्तरी गोवा के जिला मजिस्ट्रेट ने कहा था कि यह धारा, 11 फरवरी से 10 अप्रैल तक 60 दिनों तक के लिए प्रभाव में रहेगी। - मकबूल भट और अफजल गुरु और मकबूल भट की संबंधित वर्षगांठ (एनिवर्सरी) के सम्मान में, जम्मू और कश्मीरमें 8 से 10 फरवरी, 2022 तक इंटरनेट बंद रहा और धारा 144 लागू की गई थी। - कोरोना वायरस के प्रसार (स्प्रेड) को रोकने के लिए, जिसने पहले ही दुनिया भर में हजारों लोगों की जान ले ली थी, दिल्लीसरकार ने 23 मार्च, 2020 को धारा 144 लागू की थी। जैसे जैसे ही पूरे भारत में वायरस का विस्तार हुआ, वैसे ही कुछ राज्यों ने दिल्ली सरकार की तरह धारा 144 को लागू करना शुरू कर दिया, ताकि कोविड-19 महामारी के स्थानीय प्रसार को रोका जा सके। - मुंबई शहर में कोरोना वायरस के मामलों में लगातार वृद्धि होने के कारण 17 सितंबर, 2020 कोमुंबई में धारा 144 के तहत प्रतिबंध लागू किए गए थे। 2020 की शुरुआत से पूरी दुनिया में कोविड -19 महामारी की चपेट में आने के साथ, मुंबई भारत के सबसे ज्यादा प्रभावी शहरों में से एक रहा है और यह कार्य प्रसार को कम करने के लिए किया गया था, जैसा कि कई अन्य शहरों में किया गया था। - धारा 144 का मूल लक्ष्य उन जगहों पर कानून और व्यवस्था को बनाए रखना है जहां अशांति भड़क सकती है और रोज के जीवन में परेशानियां ला सकती है। - यह निर्दिष्ट अधिकार क्षेत्र (ज्यूरिस्डिकशन) के भीतर किसी भी प्रकार के हथियारों को रखने और ले जाने पर सीमाएं लगाता है। इस तरह के अपराध के लिए अधिकतम सजा तीन साल की जेल है। - इस प्रतिबंध के प्रभावी होने के दौरान सभी सार्वजनिक समारोहों और विरोध प्रदर्शनों पर पूरी तरह से प्रतिबंध रहता है। - इसके प्रभावी होने तक सभी शैक्षणिक संस्थान बंद रहते है और इस खंड के तहत जारी आदेश के अनुसार कोई सार्वजनिक आंदोलन नहीं किया जाता है। - कानून अधिकारियों को एक अवैध सभा को तोड़ने से रोकने के कार्य को एक दंडनीय अपराध माना जाता है। - क्षेत्र में इंटरनेट के उपयोग को प्रतिबंधित करने की क्षमता भी अधिकारियों को दी गई है। - अधिकारियों को जल्द से जल्द तैनात किया जाना चाहिए ताकि सार्वजनिक शांति और सद्भाव की रक्षा की जा सके। - ऐसी स्थितियों में जहां सार्वजनिक हित और निजी अधिकारों के बीच कुछ असंगति होती है, वहां निजी अधिकारों को अस्थायी रूप से निलंबित (सस्पेंडेड) किया जा सकता है। - धारा 144 के तहत एक कार्यवाही में, संपत्ति के मालिकाना हक, अधिकारों की पात्रता, या नागरिक मुद्दों के संबंध में कोई समाधान नहीं किया जा सकता है। - मजिस्ट्रेट को धारा 144 के तहत उन अधिकारों के समर्थन में और उन लोगों के खिलाफ अपनी शक्ति का प्रयोग करना चाहिए जो उनके कानूनी अभ्यास में बाधा डालते हैं, जहां उन प्रश्नों को पहले ही दीवानी अदालतों या न्यायिक घोषणाओं द्वारा हल किया जा चुका है। यह उसे आपात स्थितियों के दौरान उस कार्य को प्रभावी ढंग से करने की अनुमति देगा। - सार्वजनिक अशांति को तुरंत रोक सकते हैं, या - एक संभावित खतरे को जल्दी से संबोधित कर सकते हैं। - कानूनी रूप से नियोजित किसी व्यक्ति को बाधा, परेशानी या चोट; - मानव जीवन, स्वास्थ्य, या सुरक्षा के लिए खतरा; या - सार्वजनिक शांति में अशांति, जैसे दंगा, जो एक निर्देश को जारी करने की अनुमति देता है। - मजिस्ट्रेट के पास इस खंड के तहत एकतरफा आदेश जारी करने का अधिकार होता है, लेकिन आम तौर पर उस व्यक्ति को नोटिस दिया जाता है जिसके खिलाफ आदेश जारी किया जा रहा है। मजिस्ट्रेट को केवल विकट परिस्थितियों में एक पक्षीय आदेश जारी करना चाहिए। - जिन लोगों के साथ आदेश के द्वारा गलत किया गया था, उन्हें भी उपयुक्त आधार पर इसके लिए लड़ने का अधिकार है। यह इस विचार को बल देता है कि इस खंड द्वारा प्रदान किए गए अधिकार मनमाने नहीं है। - ��जिस्ट्रेट के आदेश का विरोध करने वाले व्यक्ति को भी सुनवाई का मौका दिया जाता है और उपरोक्त का समर्थन करने के लिए कारण दिखाने का मौका दिया जाता है। नतीजतन, यह हिस्सा प्राकृतिक न्याय के मानदंडों (नॉर्म) का भी अनुपालन (कॉम्प्लाइ) करता है। - न्यायालय ने आगे कहा कि मजिस्ट्रेट की कार्रवाई अधिक उचित और ठोस कारण पर आधारित थी क्योंकि पीड़ित पक्ष को निर्णय की वैधता का विरोध करने का अधिकार दिया गया था। - अंत में, तथ्य यह है कि धारा 144 के तहत आदेश अपील के अधीन नहीं है, उच्च न्यायालय द्वारा संहिता कीधारा 435 के तहत संशोधित करने के अधिकार के लिए क्षतिपूर्ति की जाती है जब इसे संहिता की धारा 439 के साथ संयोजन (कंजंक्शन) में पढ़ा जाता है। उच्च न्यायालय या तो निर्णय को उलट सकता है या मजिस्ट्रेट से प्रासंगिक तथ्यों का अनुरोध कर सकता है। - मुद्दा यह है कि यह बहुत व्यापक है और इस धारा की भाषा इतनी अस्पष्ट है कि यह एक मजिस्ट्रेट को पूर्ण अधिकार प्रदान कर सकती है और जिसका दुरुपयोग उसके द्वारा किया जा सकता है। - प्रभावित पक्षों ने अक्सर दावा किया है कि यह खंड बहुत अधिक व्यापक है और मजिस्ट्रेट को अनुचित बिना किसी सीमा की शक्ति देता है। आदेश के खिलाफ प्रारंभिक कानूनी बचाव एक संशोधन आवेदन है, जिसे मूल जारीकर्ता प्राधिकारी (इश्यूइंग अथॉरिटी) को प्रस्तुत किया जाना चाहिए। - इसके अतिरिक्त, यह सुझाव दिया गया है कि एक बहुत बड़े क्षेत्र में निषेधाज्ञा लागू करना अनुचित है क्योंकि विभिन्न स्थानों में अलग-अलग सुरक्षा स्थितियां होती हैं और अलग-अलग दृष्टिकोण अपनाने की आवश्यकता होती है। - यदि आदेश किसी व्यक्ति के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन करता है, तो वे उच्च न्यायालय में एक रिट याचिका दायर कर सकते हैं। हालांकि, जो लोग इसे गलत महसूस करते हैं, उनका तर्क है कि उच्च न्यायालय के शामिल होने से पहले ही राज्य ने अक्सर उनके अधिकारों का उल्लंघन किया होगा। - स्वयं मजिस्ट्रेट के लिए एक पुनरीक्षण आवेदन इस तरह के आदेश का सबसे तत्काल प्रतिवाद (काउंटरमेजर) है।
सी.आर.पी.सी. की धारा 144 की प्रयोज्यता (एप्लीकेबिलिटी) में सुधार के लिए सुझाव
आपात स्थिति से निपटने के लिए सी.आर.पी.सी. की धारा 144 का उपयोग बहुत सहायक साबित हो सकता है। कार्यकारी (एग्जीक्यूटिव) शाखा दुरुपयोग की चपेट में है क्योंकि कोई विशेष न्यायिक निगरानी नहीं है और विशिष्ट उद्देश्यों के साथ व्यापक कार्यकारी शक्तियों का कोई सटीक तत्व मौजूद नहीं है। उसी के आलोक में, मजिस्ट्रेट को इस धारा के अनुसार कार्य करने से पहले एक जांच करनी चाहिए और स्थिति की तात्कालिकता पर ध्यान देना चाहिए। इसके अलावा, विधायिका को व्यक्तिगत स्वतंत्रता और संविधान के मौलिक अधिकारों के तहत व्यक्तियों को दी गई अन्य स्वतंत्रताओं को बनाए रखने की आवश्यकता और तत्काल संवेदनशील स्थितियों से निपटने के लिए पूर्ण शक्ति प्रदान करने की आवश्यकता के बीच एक संतुलन बनाना चाहिए।
निष्कर्ष
यह निष्कर्ष निकाला जा सकता है कि, संभावित रूप से मनमानी और विवेकाधीन होने के बावजूद, धारा 144 संकेतकों की सरणी (एरे ऑफ़ इंडिकेटर) का एक अनिवार्य घटक है जो किसी भी जिले के कार्यकारी निकाय द्वारा शुरू किया जाता है ताकि न्यायिक घोषणाओं और अकादमिक टिप्पणियों के आलोक में संबंधित धारा के सावधानीपूर्वक विश्लेषण के बाद तत्काल स्थितियों से बचने के साथ-साथ प्रबंधन भी किया जा सके। इस धारा की संवैधानिकता पर सवाल उठाने के खिलाफ कई कानूनी कार्रवाइयां भी की गई हैं, और इसे बनाए रखने वाले कई फैसले भी हुए हैं। हालांकि इस धारा के तहत मजिस्ट्रेट को कई विवेकाधीन शक्तियां दी गई हैं, लेकिन किसी भी मनमानी या अन्यायपूर्ण आदेश को रोकने के लिए वे शक्तियां कई प्रतिबंधों के अधीन होती हैं। इस शक्ति का उपयोग अधिक तार्किक (लॉजिकल) है क्योंकि उच्च न्यायालय के पास इस खंड के तहत मजिस्ट्रेट के निर्णय की समीक्षा करने का अधिकार है।इसके अलावा, दंगों में वृद्धि और सार्वजनिक शांति के लिए खतरा पैदा करने वाली अन्य स्थितियों के कारण मजिस्ट्रेटों के पास इन शक्तियों का होना आवश्यक हो गया है। यह, ये सुनिश्चित करने के लिए किया जाता है कि आम लोगों को वह सुरक्षा और शांति मिल सके, जो उनके जीवित रहने के लिए बहुत जरूरी है। हालांकि, इस बिंदु पर, यह तर्क दिया जा सकता है कि तत्काल स्थितियों को संबोधित करने के लिए विधायिका के पूर्ण शक्तियों के अनुदान (ग्रांट) और संविधान के मौलिक अधिकार, विशेष रूप से संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत, जब तक कि तत्काल या असामान्य परिस्थितियां मौजूद न हों, के तहत नागरिकों को व्यक्तिगत स्वतंत्रता और अन्य स्वतंत्रता की रक्षा करने की आवश्यकता के बीच संतुलन बनाने की आवश्यकता प्रतीत होती है।यदि मानव जीवन, स्वास्थ्य या सुरक्षा को कोई खतरा होता है, या किसी दंगे या विवाद की संभावना होती है, तो राज्य सरकार आधिकारिक राजपत्र (ऑफिशियल गैजे���) में प्रकाशन द्वारा अन्य निर्देश जारी कर सकती है। मजिस्ट्रेट के आदेश को कानूनी बल के बिना एक आदेश के रूप में माना जाना चाहिए और उसमें निहित राय की अभिव्यक्ति को किसी भी कानूनी बल या प्रभाव के बिना माना जाना चाहिए, यदि अधिकार क्षेत्र को मानने के लिए यह महत्वपूर्ण शर्त मौजूद नहीं है। इस खंड का उपयोग केवल आपातकालीन स्थितियों में ही किया जाना चाहिए और इसके तहत किसी भी अन्य कानूनी प्रावधानों को बदलने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए जो अधिक उपयुक्त हो सकते हैं और मजिस्ट्रेट को एक जांच करनी चाहिए और इस खंड के तहत आगे बढ़ने से पहले स्थिति की तात्कालिकता को भी नोट करना चाहिए।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (एफ.ए.क्यू.)
1. सी.आर.पी.सी. की धारा 144 क्या है?
1973 की आपराधिक प्रक्रिया संहिता (सी.आर.पी.सी.) की धारा 144 किसी भी राज्य या क्षेत्र के कार्यकारी मजिस्ट्रेट को किसी विशेष स्थान पर चार या अधिक लोगों के इकट्ठा होने पर रोक लगाने का आदेश ��ेने की शक्ति दे सकती है।
2. सी.आर.पी.सी. की धारा 144 के तहत अपराध की प्रकृति क्या है?
सी.आर.पी.सी. की धारा 144 के तहत अपराध प्रकृति में आपराधिक, संज्ञेय और जमानती होता है।
3. सी.आर.पी.सी. की धारा 144 लागू करने का क्या कारण है?
सी.आर.पी.सी. की धारा 144 को लागू करना वैध है जब इसका उपयोग परेशानी, मानव जीवन को चोट पहुंचाने और सार्वजनिक शांति में अशांति को प्रतिबंधित करने के लिए किया जा रहा है। इस धारा के तहत आदेश एक पक्ष को दूसरे पक्ष को लाभ पहुंचाने के लिए नहीं लगाया जाना चाहिए।
4. सी.आर.पी.सी. की धारा 144 की आलोचना क्यों की गई है?
इस धारा के साथ कुछ मुद्दे यह भी हैं कि यह अत्यधिक व्यापक, अस्पष्ट है, और इसका दुरुपयोग भी किया जा सकता है। इसके अलावा, राहत मिलने की प्रक्रिया बेहद धीमी है। इसके अतिरिक्त, एक बहुत बड़े क्षेत्र में निषेधाज्ञा लागू करना अनुचित है। Read the full article
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दो साल पहले आज के दिन ही भारत में मिला था पहला कोरोना केस, आज भी जारी है कोविड के खिलाफ लड़ाई
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नई दिल्ली : वर्ष 2020 में आज के दिन ही भारत में कोरोना वायरस से पहली संक्रमित मरीज मिली थी। तब से देश में कोविड-19 महामारी के खिलाफ लड़ाई जारी है, लेकिन दो साल पूरे होने पर भी यह स्पष्ट नहीं हो पाया है कि वायरस से निपटने की यह जंग कब खत्म होगी। देश इस समय महामारी की तीसरी लहर का सामना कर रहा है। पिछले दो वर्षों में देश ने कोरोना वायरस के विभिन्न स्वरूपों (Corona Virus Variants) का भी सामना किया…

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सरकार 2.0: C Voter Survey-कोरोना काल में क्या है देश की जनता का मूड, क्यों और किससे नाराज हैं लोग? जानें सर्वे में
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2.0: सी वोटर सर्वे-कोरोना काल में क्या जनता का मूड, कौन किससे क्रुद्ध है? में जानें। Source link
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क्या आप जानते है भारत की पहला कोराना पॉजिटीज मरीज कौन थी
क्या आप जानते है भारत की पहला कोराना पॉजिटीज मरीज कौन थी… और कहां से थी… तो बता दें कि… भारत की पहली कोरोना पॉजिटीज मरीज... दक्षिण भारतीय राज्य केरल में मेडिकल की पढ़ाई करने वाली 20 साल की एक लड़की थी जो भारत में कोरोनावायरस से पॉजिटीव पाई गई थी। और वे 30 जनवरी 2020 को चीन के वुहान से लौटी थी… दोस्तों ये वहीं वुहान शहर है जहां कोरोना का पहला केस सामने आया था।
क्या आप भारत की सबसे youngest अंग दान करने वाली लड़की के बारे में जानते हैं… अगर नहीं तो आपको बता दें कि, धनिष्ठा नाम की लड़की जो सिर्फ 20 महीने की थी… जो दिल्ली के रोहिणी स्थित अपने घर से खेलते-खेलते बालकनी से नीचे गिर गई थी तब दो दिन बाद डॉक्टर ने उसे मृत घोषित कर दिया। तब धनिष्ठा के माता-पिता ने जरूरतमंदो को अंगदान करने का फैसला किया। जिसमें से दिल्ली के ही इंद्रप्रस्थ अपोलो अस्पताल में धनिष्ठा के ह्रदय को बच्चे के शरीर में सफलतापूर्वक प्रतिरोपण कर दिया गया। इसी तरह धनिष्ठा के कलेजे को एक नौ महीने के बच्चे के शरीर में प्रतिरोपित किया गया, उसकी किडनी को एक 34-वर्षीय व्यक्ति के शरीर में प्रतिरोपित किया गया और उसकी आंखों के कॉर्निया के टिशू को भी भविष्य में इस्तेमाल के लिए संभाल कर रख लिया गया है।
किसिंग किसी भी रिश्ते का प्यार भरा पहलू होता है लेकिन क्या आपने सोचा है... एक प्यारभरी किसिंग से कितने फायदे हो सकते हैं… खासकर, पार्टनर को जब आप प्यार से किस करते हैं, तो शारीरिक और मानसिक रूप से कई फायदे होते हैं…
इसके अलावा शरीर का रक्त संचार ठीक होता है।
सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है और खुशी मिलती है।
एक अच्छी किस से शरीर में 2-10 कैलोरी कम होती है, जो वजन कम करने के लिए काफी है।
कई अध्ययन में यह बात भी कही गई है कि किस करने से चेहरे, गर्दन, जॉलाइन की मसल्स टोन होती है। किस करते समय कई मांसपेशियां काम करती हैं, जिससे चेहरा शेप में आता है।
आपने ऐसे बहुत से लोगों को कहते सुना होगा कि, चेहरे पर चमक लानी है तो बर्फ लगाएं… लेकिन कम ही लोगों को पता होगा कि, चेहरे पर बर्फ लगाने से डार्क सर्कल दूर होते हैं, ग्लोइंग स्किन करने में मदद करता है, मुहांसे दूर करने के लिए, बेदाग त्वचा के लिए भी बर्फ का इस्तेमाल किया जा सकता है। लेकिन ध्यान रहे कि बर्फ को सीधा फेस पर नहीं लगाएं, उसे एक कपड़े में लपेटकर अपने फेस पर लगाएं… नहीं तो आपका फेस लाल पड़ सकता है।
सर्दियों में कुछ चीजों का सेवन करना किसी जड़ी-बूटी के सेवन करने से कम नहीं है। जिसमें से एक है तिल… तिल हाई ब्लड प्रेशर को कंट्रोल करने में मदद करता है। कई रिसर्च में ये बात सामने आई है कि, तिल में पाया जाने वाला तेल हाई ब्लड प्रेशर को कम करता है…. और दिल पर ज्यादा भार नहीं पड़ने देता यानी दिल की बीमारी दूर करने में भी तिल म���दगार है… इसके अलावा… शरीर में खून की मात्रा को सही बनाए रखता है। -बाल और त्वचा को मजबूत और सेहतमंद रखने के लिए रोजाना तिल का सेवन बहुत ही लाभकारी माना जाता है। -तिल में मौजूद प्रोटीन पूरे शरीर को भरपूर ताकत और एनर्जी से भर देता है। इससे मेटाबोलिज्म भी अच्छी तरह काम करता है। लेकिन तिल को ज्यादा नहीं खाना चाहिए क्योंकि यह गर्म होते हैं इसलिए आपको तिल का सेवन करने में सावधानी रखनी चाहिए। खासतौर पर महिलाओं और छोटे बच्चों को…
साउथ दिल्ली के अरबिंदो मार्ग पर एक तरफ एम्स है, तो दूसरी तरफ देश का दूसरा सबसे बड़ा केंद्र का अस्पताल सफदरजंग है। आजादी से पहले इस अस्पताल का निर्माण किया गया और द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान सफदरजंग एयरपोर्ट के पास एक मिलिट्री बेस अस्पताल बनाया गया था, जिसे अमेरिकन हॉस्पिटल भी कहा जाता था। सफदरजंग में एयरपोर्ट होने की वजह से यहां पर अमेरिकी सेना के इलाज के ये अस्पताल बनाया गया था। यह दिल्ली के सबसे पुराने अस्पतालों में से एक है। 1954 में इसे भारत सरकार ने स्वास्थ्य मंत्रालय के अधीन किया। 204 बेड्स की क्षमता के साथ शुरू हुए इस अस्पताल में अब 3000 से भी अधिक बेड्स हैं।आजादी के 75 साल बाद ये अस्पताल देशभर के गरीब मरीजों के लिए सबसे बड़ी उम्मीद बन चुका है।
क्या आपने कभी पिंक झील के बारे में सुना है… अगर नहीं तो बता दें कि…
पिंक झील पश्चिमी ऑस्ट्रेलिया में समुंदर के किनारे पर स्थित है और ये झील इसलिए फेमस है क्योंकि इसका पानी गुलाबी दिखाई देता है और कहा जाता है कि उसके अंदर सूक्ष्म जीवाणु है जिससे वे पानी को गुलाबी बनाते हैं और लोग ऊपर से हेलीकॉप्टर के द्वारा झील का नजारा लेते हैं। इस झील का पानी बिल्कुल खारा है... लेकिन जहरीला नहीं है जिसे लोग यहां इसके अंदर तैरते भी है और इसे देखने बहुत सारे पर्यटक आते हैं यह भी एक आकर्षण का केंद्र बना हुआ है|
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दिलवालों की सुनी दशहरा
पौराणिक कथाओं के अनुसार दशहरा दो अलग अलग कारणों से मनाया जाता हैं| जिसमें पहली कथा के अनुसार शारदीय नवरात्रि की शुरुआत भगवान श्री राम ने की थी क्योंकि रावण ने भगवान माता सीता का हरण कर लिया था| भगवान श्री राम ने माता सीता को बचाने और अधर्मी रावण का नाश करने के लिए कई दिनों तक रावण के साथ युद्ध किया था| रावण से इस युद्ध के दौरान भगवान श्री राम ने अश्विन मास के शारदीय नवरात्रि के दिनों में लगातार नौ दिनों तक मां दुर्गा की अराधना की थी| इसके बाद ही मां दुर्गा के आशीर्वाद से भगवान श्री राम ने शारदीय नवरात्रि के दसवें दिन रावण का वध कर दिया था| बस, इसी परंपरा को हर वर्ष दशहरा के दिन के नाम से मनाया जाता हैं और रावण, मेघनाथ और कुम्भकर्ण को बुराई का प्रतीक मानकर उनके पुतले जलाए जाते हैं| जबकि दूसरी कथा के अनुसार असुर महिषासुर और उसकी सेना देवताओं को परेशान कर रहे थे| इस वजह से मां दुर्गा ने लगातार नौ दिनों तक महिषासुर और उसकी सेना से युद्ध किया था और इस युद्ध के दसवें दिन मां दुर्गा ने महिषासुर का वध कर विजय प्राप्त की थी| जिस वजह से इसे विजय दशमी भी कहा जाता है और इसे ��ूमधाम से दशहरा के रूप में मनाया जाता है| कहते हैं कि शारदीय नवरात्रि की प्रतिपदा तिथि के दिन किए गए कलश स्थापना, मां की मूर्तियां और बोए हुए ज्वारों का विसर्जन भी विजय दशमी के दिन किया जाता है|
अब यह तो हो गई बात दशहरा क्यों मनाते हैं पर साल 2021 के भारत की राजधानि दिल्ली में दशहरा मनाने पे सरकार ने पाबंदी लगा दी हैं जिसके वजह से ना रावण देहेन होगा, ना माता रानी की प्रतिमा स्थापित होगी और ना ही मेला देखने को मिलेगा| दिल्ली के CM अरविंद केजरीवाल जी ने यह आदेश लोगों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए दिया गया हैं|
कोरोना महामारी अभी तक पूरी तरह से समाप्त नहीं हुआ हैं ऐसे में दशहरा मनाना इस महामारी को अपने घर आमंत्रित करने जैसा हैं|
परंतु इस तरह के आदेश के वजह से मूर्तिकारों को काफी नुक्सान और दिक्कतें झेलनी पड़ रही हैं| हम इस बार माता रानी से बस इतनी ही आशा करते हैं की अगली बार जब माता रानी आए तब हर कोई धूम धाम से बिना किसी महामारी के डर के उनका स्वागत करे|
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देखिए नकली और असली गुरु की पहचान कैसे करें | Sant Rampal Ji Maharaj
*🥀💞🥀बन्दीछोड़ सतगुरु संत रामपाल जी महाराज जी की जय🥀💞🥀*
11/08/24 Sunday/रविवार
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#GodMorningSunday
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*#संतरामपालजीके_परोपकारी_कार्य*
*Social reformer Sant Rampal*
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1📯संत रामपाल जी महाराज का समाज सुधार में अमूल्य योगदान
संत रामपाल जी महाराज दहेज जैसी कुरीति को जड़ से खत्म करने के साथ-साथ जातीय, धार्मिक भेदभाव, छुआछूत, मृत्यु भोज व नशे जैसी अन्य बुराइयों को समाज से ख़त्म कर रहे हैं। जिससे एक स्वच्छ समाज का निर्माण हो रहा है।
2📯अद्वितीय तत्वज्ञान से समाज सुधार
एक तरफ जहां निःसंतान को समाज में हेयदृष्टि से देखा जाता था। वहीं संत रामपाल जी महाराज ने इस गलत धारणा को अपने अद्वितीय तत्वज्ञान से समाप्त कर दिया और बताया कि निःसंतान तो बहुत ही पुण्यकर्मी प्राणी होता है। क्योंकि उसका किसी से कोई पिछला संस्कार नहीं जुड़ा होता न कोई ऋण होता बच्चों का, जिससे सतगुरु शरण में आकर उसका सहजता से मोक्ष हो सकता है।
3📯संत रामपाल जी महाराज ने विवाह की एक ऐसी सादगीपूर्ण विधि समाज को दी है जिसमें न तो किसी प्रकार के दहेज की सरदर्दी होती और न ही फिजूलखर्ची होती। जिससे सचमुच अब बेटियां माता-पिता के लिए बोझ नहीं रहीं हैं।
4📯संत रामपाल जी महाराज की अद्वितीय समाज सेवा
बाढ़ हो या कोरोना जैसी महामारी, जब-जब मानव से लेकर पशु धन पर आपत्ति आई, तब-तब संत रामपाल जी महाराज की प्रेरणा से उनके अनुयायियों ने समाज सेवा कर अद्वितीय उदाहरण पेश किया।
5📯वृक्षारोपण का अद्भुत उदाहरण
पंजाब प्रांत में संत रामपाल जी महाराज की प्रेरणा से उनके हजारों समर्थकों ने एक दिन में 50000 से अधिक वृक्षारोपण और पौधारोपण कर पर्यावरण संरक्षण में अपनी अहम भूमिका निभाई।
6📯समाज सुधारक संत रामपाल जी महाराज
नशा भारत सहित पूरे विश्व की एक बड़ी समस्या है। युवाओं से लेकर महिलाओं तक सभी नशे में लिप्त हो रहे हैं। लेकिन संत रामपाल जी महाराज के तत्वज्ञान से करोड़ों लोग आज नशा मुक्त हो चुके हैं, जिससे उनका जीवन सुखी तो हुआ ही, साथ ही उनका ��ूरा परिवार भी सुखी हो चुका है। इस तरह संत रामपाल जी के सानिध्य में नशा मुक्त समाज तैयार हो रहा है।
7📯समाज सेवा का अद्भुत उदाहरण
ओडिशा के बालासोर भीषण रेल हादसे को कौन भूल सकता है, जिसमें सैंकड़ों की संख्या में लोगों ने जान गंवाई थी, तो वही बड़ी तादाद में लोग घायल हुए थे। जिनके इलाज के लिए संत रामपाल जी महाराज के मार्गदर्शन में उनके समर्थकों ने बड़ी संख्या में रक्तदान कर मानवीय सहायता भेजी थी।
8📯समाज सेवा हो तो ऐसी!
कोरोना महामारी के दो वर्षों को कौन भूल सकता है, जो मानव जाति पर कहर बरपा रही थी, कोरोना मानव जाति को तबाह करने पर आमादा थी। उस दौरान अस्पताल भी कम पड़ रहे थे, तब मानव जाति की रक्षा के लिए संत रामपाल जी महाराज व उनके अनुयायी सामने आए थे और संत रामपाल जी महाराज के मार्गदर्शन में सतलोक आश्रम बैतूल (मध्यप्रदेश) व सतलोक आश्रम भिवानी (हरियाणा) में अस्थायी कोविड सेंटर खोले गए थे। जिससे मानव जाति को एक बड़ी राहत मिली थी।
9📯रक्तदान कर बना रहे समाज सेवा का विश्व रिकॉर्ड
रक्तदान की जब भी बात हो और संत रामपाल जी महाराज व उनके अनुयायियों की बात न हो ऐसा संभव ही नहीं है।
हर साल संत रामपाल जी महाराज के सानिध्य में छः बड़े समागम होते हैं जिसमें संत रामपाल जी महाराज की प्रेरणा पाकर उनके समर्थक मानव हित में प्रत्येक बार हजारों यूनिट रक्तदान करते हैं।
10📯संत रामपाल जी महाराज के समाज सुधारक कार्य
आम समाज में बेटे व बेटियों में बहुत फ़र्क समझा जाता रहा है। जिसके कारण भ्रूण हत्या अर्थात लड़की को गर्भ में मारने जैसा भयंकर अपराध भी शुरू हो गया था। संत रामपाल जी महाराज ने इसी लिंग भेद को स्थायी रूप से समाप्त किया है जिससे उनके करोड़ों अनुयायी बेटा व बेटी में किसी प्रकार का भेद नहीं समझते।
11📯समाज सेवा से पर्यावरण संरक्षण तक
जलवायु परिवर्तन आज दुनिया की एक सबसे बड़ी समस्या है। जिसे देखते हुए संत रामपाल जी महाराज के मार्गदर्शन में उनके लाखों अनुयायियों ने पर्यावरण संरक्षण के लिए एक दिन में 11-12 लाख पौधे लगाने में सरकार का सहयोग देकर विश्व रिकॉर्ड बनाया।
12📯 संत रामपाल जी महाराज जी वह अवतार हैं जो सभी कुप्रथाओं व बुराइयों जैसे नशा, दहेज, कन्या भ्रूण हत्या आदि को जड़ से खत्म कर रहे हैं।
13📯संत रामपाल जी महाराज का समाज सुधार में अमूल्य योगदान
संत रामपाल जी महाराज दहेज जैसी कुरीति को जड़ से खत्म करने के साथ-साथ मृत्यु भोज व नशे जैसी अन्य बुराइयों को समाज से ख़त्म कर रहे हैं।
14📯 देश में व्याप्त भ्रष्टाचार को समाप्त करने के लिए संत रामपाल जी महाराज जी अपने अनुयायियों को ऐसा निर्मल ज्ञान दे रहे हैं जिससे उनके अनुयायी न रिश्वत लेते हैं और न देते हैं।
15📯निःस्वार्थ समाज सेवी के अद्भुत उदाहरण हैं संत रामपाल जी महाराज
समाज को दहेज प्रथा, नशा, भ्रष्टाचार, पाखंड, अंधविश्वास, छुआछात आदि से मुक्ति दिलाने के लिए संत रामपाल जी महाराज निःस्वार्थ भाव से पिछले करीब 30 वर्षों से संघर्षरत हैं। जिसमें उनके अनुयायी भी बढ़ चढ़कर भाग ले रहे हैं। जिससे एक स्वच्छ समाज तैयार हो रहा है।
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11/08/24
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🐚 संत रामपाल जी महाराज का समाज सुधार में अमूल्य योगदान
संत रामपाल जी महाराज दहेज जैसी कुरीति को जड़ से खत्म करने के साथ-साथ जातीय, धार्मिक भेदभाव, छुआछूत, मृत्यु भोज व नशे जैसी अन्य बुराइयों को समाज से ख़त्म कर रहे हैं। जिससे एक स्वच्छ समाज का निर्माण हो रहा है।
🐚 अद्वितीय तत्वज्ञान से समाज सुधार
एक तरफ जहां निःसंतान को समाज में हेयदृष्टि से देखा जाता था। वहीं संत रामपाल जी महाराज ने इस गलत धारणा को अपने अद्वितीय तत्वज्ञान से समाप्त कर दिया और बताया कि निःसंतान तो बहुत ही पुण्यकर्मी प्राणी होता है। क्योंकि उसका किसी से कोई पिछला संस्कार नहीं जुड़ा होता न कोई ऋण होता बच्चों का, जिससे सतगुरु शरण में आकर उसका सहजता से मोक्ष हो सकता है।
🐚संत रामपाल जी महाराज ने विवाह की एक ऐसी सादगीपूर्ण विधि समाज को दी है जिसमें न तो किसी प्रकार के दहेज की सरदर्दी होती और न ही फिजूलखर्ची होती। जिससे सचमुच अब बेटियां माता-पिता के लिए बोझ नहीं रहीं हैं।
🐚संत रामपाल जी महाराज की अद्वितीय समाज सेवा
बाढ़ हो या कोरोना जैसी महामारी, जब-जब मानव से लेकर पशु धन पर आपत्ति आई, तब-तब संत रामपाल जी महाराज की प्रेरणा से उनके अनुयायियों ने समाज सेवा कर अद्वितीय उदाहरण पेश किया।
🐚वृक्षारोपण का अद्भुत उदाहरण
पंजाब प्रांत में संत रामपाल जी महाराज की प्रेरणा से उनके हजारों समर्थकों ने एक दिन में 50000 से अधिक वृक्षारोपण और पौधारोपण कर पर्यावरण संरक्षण में अपनी अहम भूमिका निभाई।
🐚 समाज सुधारक संत रामपाल जी महाराज
नशा भारत सहित पूरे विश्व की एक बड़ी समस्या है। युवाओं से लेकर महिलाओं तक सभी नशे में लिप्त हो रहे हैं। लेकिन संत रामपाल जी महाराज के तत्वज्ञान से करोड़ों लोग आज नशा मुक्त हो चुके हैं, जिससे उनका जीवन सुखी तो हुआ ही, साथ ही उनका पूरा परिवार भी सुखी हो चुका है। इस तरह संत रामपाल जी के सानिध्य में नशा मुक्त समाज तैयार हो रहा है।
🐚 समाज सेवा का अद्भुत उदाहरण
ओडिशा के बालासोर भीषण रेल हादसे को कौन भूल सकता है, जिसमें सैंकड़ों की संख्या में लोगों ने जान गंवाई थी, तो वही बड़ी तादाद में लोग घायल हुए थे। जिनके इलाज के लिए संत रामपाल जी महाराज के मार्गदर्शन में उनके समर्थकों ने बड़ी संख्या में रक्तदान कर मानवीय सहायता भेजी थी।
🐚 समाज सेवा हो तो ऐसी!
कोरोना महामारी के दो वर्षों को कौन भूल सकता है, जो मानव जाति पर कहर बरपा रही थी, कोरोना मानव जाति को तबाह करने पर आमादा थी। उस दौरान अस्पताल भी कम पड़ रहे थे, तब मानव जाति की रक्षा के लिए संत रामपाल जी महाराज व उनके अनुयायी सामने आए थे और संत रामपाल जी महाराज के मार्गदर्शन में सतलोक आश्रम बैतूल (मध्यप्रदेश) व सतलोक आश्रम भिवानी (हरियाणा) में अस्थायी कोविड सेंटर खोले गए थे। जिससे मानव जाति को एक बड़ी राहत मिली थी।
🐚 रक्तदान कर बना रहे समाज सेवा का विश्व रिकॉर्ड
रक्तदान की जब भी बात हो और संत रामपाल जी महाराज व उनके अनुयायियों की बात न हो ऐसा संभव ही नहीं है।
हर साल संत रामपाल जी महाराज के सानिध्य में छः बड़े समागम होते हैं जिसमें संत रामपाल जी महाराज की प्रेरणा पाकर उनके समर्थक मानव हित में प्रत्येक बार हजारों यूनिट रक्तदान करते हैं।
🐚 संत रामपाल जी महाराज के समाज सुधारक कार्य
आम समाज में बेटे व बेटियों में बहुत फ़र्क समझा जाता रहा है। जिसके कारण भ्रूण हत्या अर्थात लड़की को गर्भ में मारने जैसा भयंकर अपराध भी शुरू हो गया था। संत रामपाल जी महाराज ने इसी लिंग भेद को स्थायी रूप से समाप्त किया है जिससे उनके करोड़ों अनुयायी बेटा व बेटी में किसी प्रकार का भेद नहीं समझते।
🐚 समाज सेवा से पर्यावरण संरक्षण तक
जलवायु परिवर्तन आज दुनिया की एक सबसे बड़ी समस्या है। जिसे देखते हुए संत रामपाल जी महाराज के मार्गदर्शन में उनके लाखों अनुयायियों ने पर्यावरण संरक्षण के लिए एक दिन में 11-12 लाख पौधे लगाने में सरकार का सहयोग देकर विश्व रिकॉर्ड बनाया।
🐚 संत रामपाल जी महाराज जी वह अवतार हैं जो सभी कुप्रथाओं व बुराइयों जैसे नशा, दहेज, कन्या भ्रूण हत्या आदि को जड़ से खत्म कर रहे हैं।
🐚 संत रामपाल जी महाराज का समाज सुधार में अमूल्य योगदान
संत रामपाल जी महाराज दहेज जैसी कुरीति को जड़ से खत्म करने के साथ-साथ मृत्यु भोज व नशे जैसी अन्य बुराइयों को समाज से ख़त्म कर रहे हैं।
🐚 देश में व्याप्त भ्रष्टाचार को समाप्त करने के लिए संत रामपाल जी महाराज जी अपने अनुयायियों को ऐसा निर्मल ज्ञान दे रहे हैं जिससे उनके अनुयायी न रिश्वत लेते हैं और न देते हैं।
🐚निःस्वार्थ समाज सेवी के अद्भुत उदाहरण हैं संत रामपाल जी महाराज
समाज को दहेज प्रथा, नशा, भ्रष्टाचार, पाखंड, अंधविश्वास, छुआछात आदि से मुक्ति दिलाने के लिए संत रामपाल जी महाराज निःस्वार्थ भाव से पिछले करीब 30 वर्षों से संघर्षरत हैं। जिसमें उनके अनुयायी भी बढ़ चढ़कर भाग ले रहे हैं। जिससे एक स्वच्छ समाज तैयार हो रहा है।
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'पति मुझसे 13 साल बड़े थे,' रिश्ते से निकल किराये की दुकान से करोड़ों की कंपनी बना डाली
नई दिल्ली: सिमरन गुरनानी आज सफल महिला उद्यमी हैं। वह चाय-वाय कैफे कंपनी की प्रमुख है। इस कंपनी की नींव उन्होंने बेटी दीया के साथ रखी थी। सिमरन का बचपन काफी मुश्किलों में गुजरा है। जब वह 13 साल की थीं तो उनकी मां का साया सिर से उठ गया था। पिता अचानक बीमारी का शिकार हो गए थे। घर की जिम्मेदारियां उन पर आ पड़ी थीं। सिमरन जब 12वीं क्लास में पहुंचीं तो पिता की दूसरी शादी हो गई। 17 साल की छोटी उम्र में सिमरन ने घर चलाने के लिए ट्यूशन लेना शुरू कर दिया। फिर चाचा और दादी ने 19 साल की उम्र में सिमरन की जबरन शादी कर दी। उन्होंने यह भी नहीं देखा कि लड़के वाले का घर-द्वार कैसा है। बाद में उन्हें पता चला कि जिससे उनकी शादी हुई है वह सिमरन से 13 साल बड़े हैं। ससुराल में उनके सात ननद और दो देवर थे। उनके साथ ���हुत अत्याचार हुआ। लेकिन, सिमरन हार नहीं मानी और अपना अलग मुकाम हासिल किया। ज्यादातर लड़कियां बचपन के शुरुआती वर्षों में माता-पिता का दुलार पाती हैं। लेकिन, सिमरन की जिंदगी कुछ अलग थी। जब वह सिर्फ 13 साल की थीं तो उनकी मां का स्वर्गवास हो गया था। उनके पिता बीमार रहते थे। उन्हें ब्रेन इंजुरी थी। इस कारण सिमरन परिवार में एकमात्र कमाने वाली थीं। 17 साल की छोटी उम्र में सिमरन ने घर चलाने के लिए ट्यूशन लेना शुरू कर दिया। उन्होंने बड़ी लगन से घर और अपनी पढ़ाई संभाली। कुछ समय बाद पिता की दूसरी शादी हो गई। 13 साल बड़े थे पति, ससुराल में बहुत हुआ अत्याचार परिवार और सामाजिक दबाव के कारण सिमरन को अपनी इच्छा के विरुद्ध शादी करनी पड़ी थी। तब वह ग्रेजुएशन के अंतिम वर्ष में थीं। दादी ��र चाचा ने उनकी शादी कराई थी। सिमरन के पति उनसे उम्र में 13 साल बड़े थे। शादी के बाद उन्हें बहुत कष्ट झेलने पड़े। उनके पति का परिवार बहुत बड़ा था। दो भाई और सात बहनें थीं। सिमरन का ससुराल में जीना मुश्किल था। कुछ समय बाद ही उन्हें बेटी हुई। फिर बेटा भी हुआ। लेकिन, हालात जस के तस रहे। मानसिक और शारीरिक पीड़ा झेलने के बाद सिमरन ने अपनी शादी को त्यागने और अपने बच्चों के लिए बेहतर जीवन बनाने का फैसला किया।अपने बच्चों को अच्छी शिक्षा के लिए सिमरन ने कर्ज लिया। कई व्यवसायों में हाथ आजमाया। एक बुटीक शुरू किया। पार्लर खोला। कई बार असफल होने के बावजूद सिमरन ने हार नहीं मानी। लेकिन, वह तब तक आर्थिक रूप से बोझ में रहीं जब तक कि उनकी बेटी दीया ने कमान नहीं संभाली। 2019 में बेटी ने दिया सुझाव, इंदौर में खोला पहला आउटलेट2019 में दीया ने अपनी मां को एक छोटा कैफे खोलने का सुझाव दिया। सिमरन बहुत लजीज खाना बनाती थीं। दोस्तों और परिवार के साथ काफी मंथन के बाद मां-बेटी की जोड़ी ने नवंबर 2018 को इंदौर के भवरकुआं में चाय वाई कैफे का पहला आउटलेट खोला। हालांकि, जल्द ही कोरोना की महामारी आ गई। हजारों व्यवसाय बंद होने पर मजबूर हो गए। उद्घाटन के कुछ महीने बाद ही चाय वाय कैफे के कारोबार में गिरावट शुरू हो गई। आउटलेट उन्होंने किराये पर लिया था। बैंकों ने कर्ज अदायगी के लिए फोन करना शुरू कर दिया। महामारी के बीच आउटलेट बंद होने पर भी उनके मकान मालिक ने उन्हें किराया दिए बिना रहने नहीं दिया। एक समय तो उनके मन में सुसाइड कर लेने तक का ख्याल आने लगा। लेकिन, इस दौरान बेटी और बेटे ने उन्हें हिम्मत बंधाई। थोड़े समय बाद भारत सरकार ने रेस्तरां को फिर से खोलने की अनुमति दे दी। यह मां-बेटी की जोड़ी के लिए राहत की सांस थी। उन्होंने रणनीतिक योजना बनाई और कोविड के मनहूस समय को अवसर में बदल दिया। उन्होंने फ्रेंचाइजी को बढ़ावा देना शुरू किया। केवल एक आउटलेट से ढेरों आउटलेट बना डाले। आज इनके चाय वाई कैफे के पूरे देश में 50 से ज्यादा आउटलेंट हैं। इनकी नेटवर्थ 3 करोड़ से ज्यादा है। http://dlvr.it/SrYR8q
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भारत की जीडीपी के 20.1 फ़ीसदी का उछाल का मतलब -
भारत की जीडीपी के 20.1 फ़ीसदी का उछाल का मतलब -
भारत की जीडीपी और उछाल -
भारत की जीडीपी के चर्चे होते ही रहते है ये चर्चे नोटेबंदी से ही बढे है जब मनमोहन सिंह जो कहा वो सही पाया गया। जीडीपी से सभी लोग अवगत होंगे। लेकिन जो लोग इससे अवगत नहीं है उनके लिए जीडीपी के बारे संक्षिप्त जानकारी दे देता हूँ।सकल घरेलू उत्पाद (GDP) या जीडीपी या ��कल घरेलू आय (GDI), एक अर्थव्यवस्था के आर्थिक प्रदर्शन का एक बुनियादी माप है।यह एक वर्ष में एक राष्ट्र की सीमा के भीतर सभी अंतिम माल और सेवाओ का बाजार मूल्य है।
GDP (सकल घरेलू उत्पाद) को तीन प्रकार से परिभाषित किया जा सकता है, जिनमें से सभी अवधारणात्मक रूप से समान हैं। पहला, यह एक निश्चित समय अवधि में (आम तौर पर 365 दिन का एक वर्ष) एक देश के भीतर उत्पादित सभी अंतिम माल और सेवाओ के लिए किये गए कुल व्यय के बराबर है। दूसरा, यह एक देश के भीतर एक अवधि में सभी उद्योगों के द्वारा उत्पादन की प्रत्येक अवस्था (मध्यवर्ती चरण) पर कुल वर्धित मूल्य और उत्पादों पर सब्सिडी रहित कर के योग के बराबर है। तीसरा, यह एक अवधि में देश में उत्पादन के द्वारा उत्पन्न आय के योग के बराबर है।अर्थात कर्मचारियों की क्षतिपूर्ति की राशि, उत्पादन पर कर औरसब्सिडी रहित आयात और सकल परिचालन अधिशेष। आये बात करते है भारत की जीडीपी में आये इतने बड़े उछाल के बारे में।
इस साल अप्रैल से जून के बीच भारत की जीडीपी में 20.1 फ़ीसदी का उछाल आया है। यह भारत में ग्रोथ का नया रिकॉर्ड भी है और इस बात का संकेत भी कि भारत अब दुनिया में सबसे तेज़ रफ़्तार से ग्रोथ की तरफ़ बढ़ रहा है।शेयर बाज़ार को तो इस आँकड़े का ऐसा इंतज़ार था कि वो पिछले कई दिनों से ही ऊपर की तरफ़ भागने में लगा था।आँकड़ा आने के बाद भी तेजड़िए बेलगाम भागते रहे और सेंसेक्स पहली बार 57 हज़ार 550 के पार पहुँच गया।निफ्टी और सेंसेक्स दोनों ही इंडेक्स रिकॉर्ड ऊंचाई पर बंद हुए हैं। वैसे कई दुनिया के बड़े अर्थशास्त्री अनुमान यही लगा रहे थे की इस बार 18 से 20 प्रतिशत उछाल आएगा। ये उनको सच साबित किया है। लेकिन बाजार में इस तेज़ी का मतलब हमे क्या लगाना चाहिए। या हमे भी खुश हो लेना चाहिए।
आकड़ों को अच्छी तरह से समझते है -
जीडीपी में तेज़ बढ़त के इस आँकड़े की सबसे बड़ी वजह यह है कि पिछले साल इसी तिमाही में देश की जीडीपी 24.4% कम हुई थी यानी देश बहुत बड़ी मंदी की चपेट में आया था। वहाँ से बीस फ़ीसदी के उछाल का भी मतलब यही है कि अभी यह पुराने स्तर से भी कुछ नीचे ही है यह चर्चा तो जीडीपी ��ें बढ़त के आँकड़े पर चल रही है, लेकिन अगर ग्रोथ की असलियत को समझना हो तो यह देखना होगा कि भारत की जीडीपी यानी देश में होनेवाले कुल लेनदेन का आँकड़ा क्या है।
जीडीपी के आँकड़े की सरकारी विज्ञप्ति में ही बताया गया है कि पिछले साल अप्रैल से जून के बीच देश की जीडीपी 26.95 लाख करोड़ रुपए थी जो इस साल अप्रैल से जून की तिमाही में बीस परसेंट बढ़कर 32.38 लाख करोड़ हो गई है। लेकिन यहाँ यह बात नहीं लिखी हुई है कि पिछले साल इस तिमाही की जीडीपी उसके पिछले साल ��े मुक़ाबले 24.4%कम थी।यानी 2019 में अप्रैल से जून के बीच भारत की जीडीपी थी 35.85 लाख करोड़ रुपए इन तीन आँकड़ों को साथ रखकर देखें तब तस्वीर साफ़ होती है कि अभी देश की अर्थव्यवस्था वहाँ भी नहीं पहुँच पाई है, जहाँ अब से दो साल पहले थी।
जीडीपी ग्रोथ का आँकड़ा शायद इससे कहीं बेहतर होता, अगर कोरोना की दूसरी लहर न आई होती।अब सबसे बड़ी फ़िक्र यह है कि कहीं तीसरी लहर आ गई तो रिकवरी का क्या होगा और इस वक्त शायद उसी मोर्चे पर सावधानी सबसे ज़रूरी है।
#GDI#GDP#अर्थव्यवस्था#अर्थव्यवस्थाकेआर्थिकप्रदर्शन#उत्पादोंपरसब्सिडी#जीडीपीमेंबढ़त#नोटेबंदी#भारतकीजीडीपी#भारतकीजीडीपीके201फ़ीसदीकाउछाल#भारतमेंग्रोथकानयारिकॉर्ड#मंदीकीचपेट#सकल घरेलूआय#सकलघरेलूउत्पाद#सेवाओकाबाजारमूल्य
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मन की बात का 75 वां एपिसोड: पीएम मोदी ने कार्यक्रम को सफल बनाने के लिए लोगों को धन्यवाद दिया.

मेरे प्यारे देशवासियो, नमस्कार। इस बार जब मैं पत्रों, टिप्पणियों से इनकार कर रहा था; मन की बात के लिए अलग-अलग इनपुट्स डालना जारी रखते हैं, कई लोगों ने एक बहुत ही महत्वपूर्ण बिंदु को याद किया। MyGov पर, आर्यन श्री - बेंगलुरु से अनूप राव, नोएडा से देवेश, ठाणे से सुजीत - इन सभी ने कहा - मोदी जी, इस बार, मन की बात का 75 वां एपिसोड; उसके लिए बधाई। मैं मन की बात को इतनी सूक्ष्मता से मानने के लिए आपका आभार व्यक्त करता हूं; साथ ही जुड़े रहने के लिए। मेरे लिए, यह बहुत गर्व की बात है; यह खुशी की बात है। मेरी तरफ से, यह निश्चित रूप से आपको धन्यवाद; मैं मन की बात के सभी श्रोताओं का भी धन्यवाद व्यक्त करता हूं, क्योंकि यह यात्रा आपके समर्थन के बिना संभव नहीं थी। यह कल की तरह ही लगता है जब हम इस विचार और विचारों की यात्रा पर निकले थे। फिर, 3 अक्टूबर 2014 को, यह विजयदशमी का पवित्र अवसर था; संयोग देखिए - आज यह होलिका दहन है। The एक दीपक एक और प्रकाश, इस प्रकार राष्ट्र को रोशन कर सकता है '- इस भावना के साथ चलना, हमने इस तरह से ट्रैवर्स किया है। हमने देश के हर कोने में लोगों से बात की और उनके असाधारण काम के बारे में सीखा। आपने भी अनुभव किया होगा कि हमारे देश के सबसे दूर के कोने में भी, विशाल, अद्वितीय क्षमता है - असंख्य रत्न पोषित किए जा रहे हैं, जो भारत माता की गोद में हैं। वैसे मेरे लिए, समाज को देखना, समाज के बारे में जानना, उसकी ताकत का एहसास क��ाना अपने आप में एक अभूतपूर्व अनुभव रहा है। इन 75 प्रकरणों क�� दौरान, एक व्यक्ति कई विषयों से गुजरा। कई बार, नदियों का संदर्भ था; अन्य समय में हिमालय की चोटियों को छुआ गया था ... कभी-कभी रेगिस्तान से संबंधित मामले; अन्य समय में प्राकृतिक आपदाओं को उठाना ... कभी-कभी मानवता की सेवा पर अनगिनत कहानियों में भिगोना ... कुछ में, प्रौद्योगिकी में आविष्कार; दूसरों में, एक अज्ञात कोने में कुछ उपन्यास करने के अनुभव की कहानी! आप देखें, चाहे वह स्वच्छता के बारे में हो या हमारी विरासत के संरक्षण पर चर्चा हो;और सिर्फ इतना ही नहीं, खिलौने बनाने के संदर्भ में, ऐसा क्या है जो वहां नहीं था? शायद, जिन विषयों पर हमने छुआ है, उनमें से अनगिनत संख्याएँ अनगिनत होंगी! इस सब के दौरान, हमने समय-समय पर उन महान प्रकाशकों को श्रद्धांजलि अर्पित की, जिनका भारत के निर्माण में योगदान अद्वितीय रहा है; हमने उनके बारे में सीखा। हमने कई वैश्विक मामलों पर भी बात की; हमने उनसे प्रेरणा प्राप्त करने का प्रयास किया है। कई बिंदु थे जो आपने मुझे बताए; आपने मुझे कई विचार दिए। एक तरह से, इस har विचार यात्रा ’में, विचार और विचार की यात्रा, आप एक साथ चलते रहे, जुड़ते रहे, कुछ नया जोड़ते रहे। इस 75 वें एपिसोड के दौरान, शुरुआत में, मैं मन की बात के प्रत्येक श्रोता को इसे सफल बनाने, इसे समृद्ध बनाने और जुड़े रहने के लिए दिल से धन्यवाद देता हूं। मेरे प्यारे देशवासियो, आप देखें कि यह कितना बड़ा सुखद संयोग है कि आज मुझे अपने at५ वें मन की बात व्यक्त करने का अवसर मिला! यह वही महीना है जो आजादी के 75 वर्षों के 'अमृत महोत्सव' के आरंभ का प्रतीक है। Day अमृत महोत्सव ’की शुरुआत दांडी यात्रा के दिन से हुई थी और यह 15 अगस्त, 2023 तक जारी रहेगी। अमृत महोत्सव के संबंध में कार्यक्रम पूरे देश में लगातार आयोजित किए जा रहे हैं; लोग कई जगहों से इन कार्यक्रमों की जानकारी और तस्वीरें साझा कर रहे हैं। झारखंड के नवीन ने नमोऐप पर मुझे कुछ ऐसी तस्वीरों के साथ एक संदेश भेजा है। उन्होंने लिखा है कि उन्होंने अमृत महोत्सव पर कार्यक्रम देखे और तय किया कि वह कम से कम दस स्थानों पर स्वतंत्रता संग्राम से जुड़े लोगों से मिलेंगे। उनकी सूची में पहला नाम भगवान बिरसा मुंडा की जन्मभूमि का है। नवीन ने लिखा है कि वह झारखंड के आदिवासी स्वतंत्रता सेनानियों की कहानियों को देश के अन्य हिस्सों में प्रसारित करेंगे। भाई नवीन, मैं आपको अपने विचार पर बधाई देता हूं।
दोस्तों, यह एक स्वतंत्रता सेनानी की संघर्ष गाथा हो; यह देश के किसी स्थान या किसी सांस्कृतिक कहानी का इतिहास हो, आप अमृत महोत्सव के दौरान इसे सामने ला सकते हैं; आप देशवासियों को इससे जोड़ने का साधन बन सकते हैं। आप देखेंगे - अमृत महोत्सव, अमृत की ऐसी ही प्रेरक बूंदों से भरा होगा ... और फिर जो अमृत बहेगा, वह हमें भारत की आजादी के सौ साल बाद तक प्रेरित करेगा ... यह देश को नई ऊंचाइयों तक ले जाएगा, देश के लिए कुछ न कुछ करने की उत्कंठा छोड़ना। स्वतंत्रता के लिए संघर्ष में, हमारे सेनानियों ने असंख्य कठिनाइयों को झेला क्योंकि वे देश के लिए बलिदान को अपना कर्तव्य मानते थे। उनके बलिदान की अमर गाथा, 'त्याग' और 'बालिदान' हमें लगातार कर्तव्य पथ पर ले जाने के लिए प्रेरित करते हैं। और जैसा कि भगवान कृष्ण ने गीता में कहा है, “नित्यम् कुरु कर्म त्वा कर्म कर्मो ह्यकर्माणः | इसी भावना के साथ, हम सभी अपने निर्धारित कर्तव्यों को ईमानदारी से निभा सकते हैं। और हमारी स्वतंत्रता के अमृत महोत्सव का तात्पर्य है कि हम नए संकल्प करते हैं…। और उन संकल्पों को महसूस करने के लिए, हम पूरी लगन के साथ पूरी ईमानदारी से… भारत के लिए उज्ज्वल भविष्य ... संकल्प ऐसा होना चाहिए जिसमें स्वयं एक जिम्मेदारी या दूसरे को ग्रहण करे ... किसी के अपने कर्तव्य के साथ जुड़ा हो। मेरा मानना है कि हमारे पास गीता को जीने का यह सुनहरा अवसर है।
मेरे प्यारे देशवासियो, पिछले साल मार्च का यह महीना था जब देश ने पहली बार men जनता कर्फ्यू ’शब्द सुना। महान प्रजा के पराक्रम के अनुभव पर एक नजर डालिए, इस महान देश के लोग ... जनता कर्फ्यू पूरी दुनिया के लिए आफत बन गया था। यह अनुशासन का एक अभूतपूर्व उदाहरण था; आने वाली पीढ़ियां निश्चित रूप से उस पर गर्व महसूस करेंगी। इसी तरह, हमारे कोरोना योद्धाओं के लिए सम्मान, सम्मान व्यक्त करते हुए, थालियां बजती हैं, तालियाँ बजाती हैं, दीप जलाती हैं! आप कल्पना नहीं कर सकते कि कोरोना वारियर्स के दिलों को कितना छुआ था ... और यही कारण है कि वे बिना थके, बिना रुके, पूरे साल जमकर थिरके। स्पष्ट रूप से, उन्होंने देश के प्रत्येक नागरिक के जीवन को बचाने के लिए सहन किया। पिछले साल, इस समय के आसपास, जो सवाल उभर रहा था ... कोरोना वैक्सीन कब आएगा! दोस्तों, यह सभी के लिए सम्मान की बात है कि आज, भारत दुनिया का सबसे बड़ा टीकाकरण कार्यक्रम चला रहा है। भुवनेश्वर की पुष्पा शुक्ला जी ने मुझे टीकाकरण कार्यक्रम की तस्वीरों के बारे में लिखा है। वह आग्रह करती है कि मैं मान के बारे में चर्चा करूं कि टीका के बारे में घर के बुजुर्गों में दिखाई देने वाला उत्साह। दोस्तों, यह सही है, साथ ही… हमें देश के कोने-कोने से ऐसी खबरें सुनने को मिल रही हैं; हम ऐसी तस्वीरें देख रहे हैं, जो हमारे दिल को छू ��ाती हैं। जौनपुर यूपी से 109 साल की बुजुर्ग माँ, राम दुलैया जी ने लिया टीकाकरण; इसी तरह दिल्ली में 107 साल के केवल कृष्ण जी ने वैक्सीन की खुराक ली है। हैदराबाद के 100 वर्षीय जय चौधरी ने वैक्सीन ले ली है और सभी से यह टीका लेने की अपील की है। मैं ट्विटर-फ़ेसबुक पर देख रहा हूं कि कैसे अपने घरों के बुजुर्गों को टीका लगने के बाद लोग उनकी तस्वीरें अपलोड कर रहे हैं। केरल के एक युवा आनंदन नायर ने वास्तव में इसे this वैक्सीन सेवा ’का एक नया शब्द दिया है। इसी तरह के संदेश शिवानी ने दिल्ली से, हिमांशु ने हिमाचल से और कई अन्य युवाओं ने भेजे हैं। मैं आप सभी श्रोताओं के इन विचारों की सराहना करता हूं। इन सब के बीच, कोरोना से लड़ने का मंत्र याद रखें- दवयै भई कदैभि। ऐसा नहीं है कि मुझे सिर्फ कहना है; हमें भी जीना है, बोलना भी है, बताना भी है और लोगों को i दवई भी कडाई है ’के लिए भी प्रतिबद्ध रखना है।
मेरे प्यारे देशवासियो, आज मुझे सौम्या जी को धन्यवाद देना है जो इंदौर में रहती हैं। उसने एक विषय पर मेरा ध्यान आकर्षित किया है और मुझसे i मन की बात ’में इसका उल्लेख करने का आग्रह किया है। यह विषय है - भारतीय क्रिकेटर मिताली राज का नया रिकॉर्ड। हाल ही में मिताली राज जी दस हजार रन बनाने वाली पहली भारतीय महिला क्रिकेटर बन गई हैं। उनकी इस उपलब्धि पर उन्हें बहुत-बहुत बधाई। वह एक दिवसीय अंतरराष्ट्रीय मैचों में सात हजार रन बनाने वाली एकमात्र अंतर्राष्ट्रीय महिला खिलाड़ी हैं। महिला क्रिकेट के क्षेत्र में उनका योगदान शानदार है। मिताली राज जी ने दो दशक से अधिक लंबे करियर के दौरान लाखों लोगों को प्रेरित किया है। उनकी दृढ़ता और सफलता की कहानी न केवल महिला क्रिकेटरों के लिए बल्कि पुरुष क्रिकेटरों के लिए भी एक प्रेरणा है। दोस्तों, यह दिलचस्प है ... मार्च के महीने में, जब हम महिला दिवस मना रहे थे, कई महिला खिलाड़ियों ने अपने नाम पर रिकॉर्ड और पदक हासिल किए। भारत ने दिल्ली में आयोजित आईएसएसएफ विश्व कप शूटिंग के दौरान शीर्ष स्थान हासिल किया। भारत ने स्वर्ण पदक तालिका में भी शीर्ष स्थान हासिल किया। भारतीय महिला और पुरुष निशानेबाजों के शानदार प्रदर्शन के कारण यह संभव हो पाया। इस बीच पी वी सिंधु जी ने बीडब्ल्यूएफ स्विस ओपन सुपर 300 टूर्नामेंट में रजत पदक जीता है। आज शिक्षा से लेकर उद्यमिता, सशस्त्र बल, विज्ञान और प्रौद्योगिकी तक, देश की बेटियाँ हर जगह एक अलग मुकाम बना रही हैं। मैं विशेष रूप से खुश हूं कि बेटियां खेलों में अपने लिए एक नई जगह बना रही हैं। पेशेवर विकल्पों में खेल एक पसंदीदा विकल्प के रूप ��ें आ रहा है।
मेरे प्यारे देशवासियो, क्या आपको कुछ समय पहले आयोजित मैरीटाइम इंडिया समिट याद है? क्या आपको याद है कि मैंने इस शिखर सम्मेलन में क्या कहा था? स्वाभाविक रूप से, बहुत सारे कार्यक्रम होते रहते हैं, इसलिए बहुत सी चीजें मिलती हैं, कैसे सभी को याद करता है और एक या तो ध्यान कैसे देता है ... स्वाभाविक रूप से! लेकिन मुझे अच्छा लगा कि गुरु प्रसाद जी ने मेरे एक अनुरोध को दिलचस्पी के साथ आगे बढ़ाया। इस शिखर सम्मेलन में, मैंने देश में लाइट हाउस परिसरों के आसपास पर्यटन सुविधाओं को विकसित करने की बात की थी। गुरु प्रसाद जी ने 2019 में दो लाइट हाउस- चेन्नई लाइट हाउस और महाबलीपुरम लाइट हाउस में अपनी यात्रा के अनुभव साझा किए हैं। उन्होंने बहुत ही रोचक तथ्य साझा किए हैं जो 'मन की बात' के श्रोताओं को भी चकित कर देंगे। उदाहरण के लिए, चेन्नई लाइट हाउस दुनिया के उन चुनिंदा लाइट हाउसों में से एक है, जिनमें लिफ्ट हैं। यही नहीं, यह भारत का एकमात्र लाइट हाउस भी है जो शहर की सीमा के भीतर है। इसमें बिजली के लिए भी सोलर पैनल लगे हैं। गुरु प्रसाद जी ने लाइट हाउस के विरासत संग्रहालय के बारे में भी बात की, जो समुद्री नेविगेशन के इतिहास को सामने लाता है। पुराने समय में तेल के लैंप, मिट्टी के तेल की रोशनी, पेट्रोलियम वाष्प और पुराने समय में इस्तेमाल किए जाने वाले बिजली के लैंप की विशालकाय छतों को संग्रहालय में प्रदर्शित किया जाता है। गुरु प्रसाद जी ने भारत के सबसे पुराने लाइट हाउस- महाबलीपुरम लाइट हाउस के बारे में भी विस्तार से लिखा है। उनका कहना है कि इस लाइट हाउस के बगल में पल्लव राजा महेंद्रमन फर्स्ट द्वारा सैकड़ों साल पहले बनाया गया ’उलकनेश्वर’ मंदिर है।
दोस्तों, मैंने 'मन की बात' के दौरान कई बार पर्यटन के विभिन्न पहलुओं की बात की है, लेकिन ये लाइट हाउस पर्यटन की दृष्टि से अद्वितीय हैं। उनकी भव्य संरचनाओं के कारण प्रकाश घर हमेशा लोगों के आकर्षण का केंद्र रहे हैं। पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए भारत में 71 प्रकाश घरों की पहचान की गई है। इन सभी प्रकाश घरों में, उनकी क्षमता के आधार पर, संग्रहालय, एम्फी-थिएटर, ओपन एयर थिएटर, कैफेटेरिया, बच्चों के पार्क, पर्यावरण के अनुकूल कॉटेज और भूनिर्माण का निर्माण किया जाएगा। वैसे, जैसा कि हम प्रकाश घरों की बात कर रहे हैं, मैं आपको एक अनोखे प्रकाश घर के बारे में भी बताना चाहूंगा। यह लाइट हाउस गुजरात के सुरेंद्र नगर जिले में जिंझुवाड़ा नामक स्थान पर है। क्या आप जानते हैं कि यह लाइट हाउस क्यों खास है? यह विशेष है, क्योंकि अब समुद्र तट सौ किलोमीटर से अधिक दूर है जहां यह लाइट हाउस है। इस गाँव में आपको ऐसे पत्थर भी देखने को मिलेंगे जो हमें बताते हैं कि अतीत में यहाँ एक व्यस्त बंद���गाह रहा होगा। इसका मतलब है, पहले समुद्र तट जिंझुवाड़ा तक था। समुद्र से इतनी दूर जाना, पीछे हटना, आगे बढ़ना, आगे बढ़ना भी इसकी एक विशेषता है। इस महीने जापान में आई भयानक सुनामी से 10 साल पूरे होने जा रहे हैं। इस सूनामी में हजारों लोगों ने अपनी जान गंवाई थी। 2004 में ऐसी ही एक सुनामी भारत में आई थी। सुनामी के दौरान हमने अपने लाइट हाउस में काम करने वाले हमारे 14 कर्मचारियों को खो दिया था; वे अंडमान निकोबार और तमिलनाडु में प्रकाश घरों में ड्यूटी पर थे। मैं हमारे इन मेहनती प्रकाश रखवालों को सम्मानजनक श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं और उनके काम के लिए उच्च सम्मान है। प्रिय देशवासियों, नवीनता, आधुनिकीकरण जीवन के सभी क्षेत्रों में आवश्यक है, अन्यथा यह कई बार बोझ बन जाता है। भारतीय कृषि के क्षेत्र में आधुनिकीकरण समय की आवश्यकता है। पहले ही देर हो चुकी है। हमने पहले ही बहुत समय खो दिया है। कृषि क्षेत्र में रोजगार के नए अवसर पैदा करने के लिए पारंपरिक खेती के साथ-साथ नए विकल्प, नए नवाचारों को अपनाना भी उतना ही महत्वपूर्ण है; किसानों की आय बढ़ाने के लिए। श्वेत क्रांति के दौरान देश ने इसका अनुभव किया है। अब मधुमक्खी पालन एक समान विकल्प के रूप में उभर रहा है। मधुमक्खी पालन देश में एक शहद क्रांति या मीठी क्रांति का आधार बन रहा है। किसान, बड़ी संख्या में, किसानों के साथ जुड़ रहे हैं; नवाचार कर रहा है।
पश्चिम बंगाल के दार्जिलिंग के एक गाँव गुरुदाम के रूप में। वहाँ खड़ी पहाड़ियाँ, भौगोलिक समस्याएं हैं, और फिर भी, यहाँ के लोगों ने मधुमक्खी पालन का काम शुरू कर दिया है, और आज, इस स्थान पर शहद की फसल की भारी मांग है। इससे किसानों की आय भी बढ़ रही है। पश्चिम बंगाल के सुंदरबन इलाकों के प्राकृतिक जैविक शहद की हमारे देश और दुनिया में बहुत मांग है। मुझे गुजरात में भी ऐसा ही एक निजी अनुभव रहा है। वर्ष 2016 में बनासकांठा, गुजरात में एक कार्यक्रम आयोजित किया गया था। उस कार्यक्रम में, मैंने लोगों से कहा था कि यहाँ बहुत संभावनाएँ हैं ... क्यों नहीं बनासकांठा और यहाँ के किसान मीठी क्रांति का एक नया अध्याय लिख रहे हैं? आपको यह जानकर खुशी होगी कि इतने कम समय में बनासकांठा शहद उत्पादन का एक प्रमुख केंद्र बन गया है। आज बनासकांठा के किसान शहद के जरिए सालाना लाखों रुपये कमा रहे हैं। कुछ ऐसा ही उदाहरण यमुनानगर, हरियाणा का भी है। यमुना नगर में, किसान सालाना कई सौ टन शहद का उत्पादन कर रहे हैं, मधुमक्खी पालन करके अपनी आय बढ़ा रहे हैं। किसानों की इस मेहनत का नतीजा है कि देश में शहद का उत्पादन लगातार बढ़ रहा है, और सालाना लगभग 1.25 लाख टन का उत्पादन होता है और इसमें से बड़ी मात्रा में शहद का निर्यात विदेशों में भी किया जा रहा है।
दोस्तों, हनी बी फा��्मिंग से केवल शहद से ही आय नहीं होती है, बल्कि मधुमक्खी का मोम भी आय का एक बहुत बड़ा स्रोत है। हर चीज में मधुमक्खी के मोम की मांग है ... दवा, खाद्य, कपड़ा और कॉस्मेटिक उद्योग हमारा देश वर्तमान में मधुमक्खी के मोम का आयात करता है, लेकिन, हमारे किसान अब इस स्थिति को तेजी से बदल रहे हैं ... अर्थात, एक तरह से ir आत्मानिभर भारत के अभियान में योगदान दे रहा है। आज पूरी दुनिया आयुर्वेद और प्राकृतिक स्वास्थ्य उत्पादों को देख रही है। ऐसे में शहद की मांग और भी तेजी से बढ़ रही है। मैं हमारे देश के अधिक से अधिक किसानों को उनकी खेती के साथ-साथ मधुमक्खी पालन से जुड़ने की कामना करता हूं। इससे किसानों की आय में भी वृद्धि होगी और उनका जीवन भी मधुर होगा! मेरे प्यारे देशवासियों, विश्व गौरैया दिवस कुछ ही दिन पहले मनाया गया था। गौरैया जिसे गोरैया कहा जाता है, स्थानों पर चकली के नाम से भी जाना जाता है, या इसे चिमनी, या घनचिरिका भी कहा जाता है। इससे पहले, गोराया हमारे घरों की दीवारों या पड़ोसी पेड़ों की सीमाओं पर चहकते हुए पाए जाते थे। लेकिन अब लोग गोरैया को याद करते हुए बताते हैं कि आखिरी बार उन्होंने गोरैया को कई साल पहले देखा था! आज हमें इसे बचाने के लिए प्रयास करने की आवश्यकता है। बनारस से आए मेरे मित्र इंद्रपाल सिंह बत्रा ने इस दिशा में एक उपन्यास प्रयास शुरू किया है मैं मन की बात के श्रोताओं को यह निश्चित रूप से बताना चाहूंगा। बत्रा जी ने गोरैया के लिए अपने घर को अपना घर बना लिया है। उसे अपने घर में लकड़ी के बने ऐसे घोंसले मिलते थे जहाँ गोराई आसानी से रह सकते थे। आज बनारस के कई घर इस अभियान से जुड़ रहे हैं। इससे घरों में एक अद्भुत प्राकृतिक वातावरण पैदा हुआ है। मैं चाहूंगा कि प्रकृति, पर्यावरण, पशु, पक्षी या जिनके लिए हमारे द्वारा छोटे या बड़े प्रयास किए जाएं।
जैसा कि ... एक दोस्त बिजय कुमार काबिजी। ओडिशा के केंद्रपाड़ा से बिजयजी हिल्स। केंद्रपाड़ा समुद्री तट पर है। इसीलिए इस जिले में कई गांव हैं, जो उच्च ज्वार और चक्रवात के खतरों से ग्रस्त हैं। इससे कई बार तबाही भी मचती है। बिजोयजी को लगा कि अगर कुछ भी इस पर्यावरणीय तबाही को रोक सकता है, तो जो चीज इसे रोक सकती है, वह केवल प्रकृति है। यही कारण है कि जब बिजयजी ने बाराकोट गाँव से अपना मिशन शुरू किया और 12 साल तक ... दोस्तों, अगले 12 वर्षों तक मेहनत करके उन्होंने गाँव के बाहरी इलाके में 25 एकड़ का मैंग्रोव वन समुद्र की ओर बढ़ाया। आज यह जंगल इस गाँव की रक्षा कर रहा है। एक इंजीनियर अमरेश सामंत जी ने ओडिशा के पारादीप जिले में इसी तरह का काम किया है। अमरेश जी ने सूक्ष्म वन लगाए हैं, जो आज कई गांवों की रक्षा कर रहे हैं। दोस्तों, एंडेवर के इन प्रकारों में, यदि हम समाज को शामिल करते हैं, तो महान परिणाम प्राप्त होते हैं। उदाहरण के लिए, मारीमुथु योगनाथन हैं, जो कोयम्बटूर, तमिलनाडु में बस कंडक्टर के रूप में काम करते हैं। योगानाथन जी अपने बस के यात्रियों को टिकट जारी करते समय एक मुफ्त में एक जलपान भी देते हैं। इस तरह, योगनाथन जी को असंख्य पेड़ लग गए हैं! योगनाथन जी इस काम के लिए अपने वेतन का एक बड़ा हिस्सा खर्च कर रहे हैं। अब इस कहानी को सुनने के बाद, एक नागरिक के रूप में कौन मारीमुथु योगनाथन के काम की सराहना नहीं करेगा? मैं उनके प्रयासों को, उनके प्रेरणादायक कार्यों के लिए दिल से बधाई देता हूं। मेरे प्यारे देशवासियों, हम सभी ने धन में कचरे को परिवर्तित करने के बारे में दूसरों को देखा, सुना और उल्लेख किया है! उसी तरह, अपशिष्ट को मूल्य में परिवर्तित करने के प्रयासों का भी प्रयास किया जा रहा है। ऐसा ही एक उदाहरण केरल के कोच्चि के सेंट टेरेसा कॉलेज का है। मुझे याद है कि 2017 में, मैंने इस कॉलेज के परिसर में पुस्तक पढ़ने पर केंद्रित एक कार्यक्रम में भाग लिया। इस कॉलेज के छात्र पुन: प्रयोज्य खिलौने बना रहे हैं, वह भी बहुत रचनात्मक तरीके से। ये छात्र पुराने कपड़े, लकड़ी के टुकड़े, बैग और बक्से को खिलौने बनाने में परिवर्तित कर रहे हैं। कुछ छात्र एक पहेली बना रहे हैं जबकि दूसरा एक कार बनाते हैं या एक ट्रेन बनाते हैं। यहां, यह सुनिश्चित करने के लिए विशेष ध्यान दिया जाता है कि खिलौने सुरक्षित होने के साथ-साथ बच्चे के अनुकूल भी हों। और इस पूरे प्रयास के बारे में एक अच्छी बात यह है कि इन खिलौनों को आंगनवाड़ी बच्चों को उनके साथ खेलने के लिए दिया जाता है। आज, जबकि भारत खिलौनों के निर्माण में बहुत आगे बढ़ रहा है, अपशिष्ट से मूल्य तक के इन अभियानों, इन सरल प्रयोगों का बहुत मतलब है।
आंध्र प्रदेश के विजयवाड़ा में प्रोफेसर श्रीनिवास पद्कंडलाजी हैं। वह बहुत दिलचस्प काम कर रहे हैं। उन्होंने ऑटोमोबाइल मेटल स्क्रैप से मूर्तियां बनाई हैं। उनके द्वारा बनाई गई ये विशाल मूर्तियां सार्वजनिक पार्कों में स्थापित की गई हैं और लोग इन्हें बड़े उत्साह के साथ देखते हैं। यह इलेक्ट्रॉनिक और ऑटोमोबाइल अपशिष्ट पुनर्चक्रण के साथ एक अभिनव प्रयोग है। मैं एक बार फिर कोच्चि और विजयवाड़ा के इन प्रयासों की सराहना करता हूं और आशा करता हूं कि इस तरह के प्रयासों में बड़ी संख्या में लोग आगे आएंगे। मेरे प्यारे देशवासियों, जब भारत के लोग दुनिया के किसी भी कोने में जाते हैं, तो वे गर्व से कहते हैं कि वे भारतीय हैं। हमारे पास गर्व करने के लिए बहुत कुछ है ... हमारे योग, आयुर्वेद, दर्शन और क्या नहीं! हम गर्व के साथ बात करते हैं। हमें अपनी स्थानीय भाषा, बोली, पहचान, पहनावे, खान-पान पर गर्व है। ��में नया प्राप्त करना है ... उसके लिए यही जीवन है लेकिन उसी समय हमें अपना अतीत नहीं खोना है! हमें अपने आसपास की अपार सांस्कृतिक विरासत को समृद्ध करने के लिए वास्तव में कड़ी मेहनत करनी होगी, इसके लिए नई पीढ़ी को पारित करना होगा। आज असम में रहने वाला सिकरी तिसाऊ बहुत लगन से ऐसा कर रहा है। कार्बी आंगलोंग जिले के सिकरी तिसाऊ जी पिछले 20 वर्षों से करबी भाषा का दस्तावेजीकरण कर रहे हैं। एक बार, दूसरे युग में, 'कार्बी', 'कार्बी आदिवासी' भाइयों और बहनों की भाषा ... अब मुख्यधारा से गायब हो रही है। श्रीमन सिकरी तिसाऊ ने फैसला किया कि वह उनकी पहचान की रक्षा करेगा ... और आज उनके प्रयासों के परिणामस्वरूप कार्बी भाषा के बारे में अधिक जानकारी के दस्तावेजीकरण हो गए हैं। उन्हें अपने प्रयासों के लिए कई स्थानों पर प्रशंसा भी मिली, और पुरस्कार भी मिले। मैं निश्चित रूप से 'मन की बात' के माध्यम से श्रीमन सिकरी तिसाऊ जी को बधाई देता हूं, लेकिन देश के कई कोनों में इस तरह की पहल में इस तरह के नारे लगाने वाले कई साधक होंगे और मैं उन सभी को भी बधाई देता हूं।
मेरे प्यारे देशवासियो, कोई भी नई शुरुआत हमेशा बहुत खास होती है। नई शुरुआत का मतलब है नई संभावनाएं - नई कोशिशें। और, नए प्रयासों का मतलब है नई ऊर्जा और नया जोश। यही कारण है कि यह विभिन्न राज्यों और क्षेत्रों में और विविधता से भरी हमारी संस्कृति में उत्सव के रूप में किसी भी नई शुरुआत का पालन करने की परंपरा रही है। और यह समय नई शुरुआत और नए त्योहारों के आगमन का है। होली भी बसंत, वसंत को त्योहार के रूप में मनाने की परंपरा है। जब हम रंगों के साथ होली मना रहे होते हैं, उसी समय, यहाँ तक कि वसंत हमारे चारों ओर नए रंग फैला देता है। इस समय, फूल खिलने लगते हैं और प्रकृति जीवंत हो उठती है। जल्द ही देश के विभिन्न क्षेत्रों में नया साल भी मनाया जाएगा। चाहे वह उगादी हो या पुथंडू, गुड़ी पड़वा या बिहू, नवरेह या पोइला, या बोईशाख या बैसाखी - पूरा देश जोश, उत्साह और नई उम्मीदों के रंग में सराबोर हो जाएगा। इसी समय, केरल भी विशु के सुंदर त्योहार मनाता है। इसके बाद जल्द ही चैत्र नवरात्रि का पावन अवसर भी आएगा। चैत्र महीने के नौवें दिन, हमारे पास रामनवमी का त्योहार होता है। इसे भगवान राम की जयंती और न्याय और पराक्रम के नए युग की शुरुआत के रूप में भी मनाया जाता है। इस दौरान चारों ओर धूमधाम के साथ भक्ति का माहौल होता है, जो लोगों को करीब लाता है, उन्हें परिवार और समाज से जोड़ता है, आपसी संबंधों को मजबूत करता है। इन त्योहारों के अवसर पर, मैं सभी देशवासियों को बधाई देता हूं। दोस्तों, इस बार 4 अप्रैल को देश ईस्टर भी मनाएगा। ईस्टर का त्योहार यीशु मसीह के पुनरुत्थान के उत्सव के रूप में मनाया जाता है। प्रतीकात���मक रूप से, ईस्टर जीवन की नई शुरुआत से जुड़ा है। ईस्टर उम्मीदों के पुनरुत्थान का प्रतीक है। इस पवित्र और शुभ अवसर पर, मैं न केवल भारत में ईसाई समुदाय, बल्कि विश्व स्तर पर ईसाइयों का अभिवादन करता हूं।
मेरे प्यारे देशवासियो, आज 'मन की बात' में हमने 'अमृत महोत्सव' और देश के प्रति अपने कर्तव्यों के बारे में बात की। हमने अन्य त्योहारों और उत्सवों पर भी चर्चा की। इस बीच, एक और त्योहार आ रहा है जो हमें हमारे संवैधानिक अधिकारों और कर्तव्यों की याद दिलाता है। वह 14 अप्रैल है - डॉ। बाबा साहेब अम्बेडकर जी की जयंती। 'अमृत महोत्सव' में इस बार यह अवसर और भी खास हो गया है। मुझे यकीन है कि हम बाबासाहेब की इस जयंती को अपने कर्तव्यों का संकल्प लेकर यादगार बनाएंगे और इस तरह उन्हें श्रद्धांजलि देंगे। इसी विश्वास के साथ, आप सभी को एक बार फिर से त्योहारों की शुभकामनाएँ। आप सभी खुश रहें, स्वस्थ रहें और आनन्दित रहें। इस इच्छा के साथ, मैं आपको याद दिलाता हूं remind दवई भी, कडाई भी ’! आपका बहुत बहुत धन्यवाद।
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बच्चों के कोरोना वैक्सीनेशन में हो सकती है देरी, एक्सपर्ट ने बताई वजह
बच्चों के कोरोना वैक्सीनेशन में हो सकती है देरी, एक्सपर्ट ने बताई वजह
आईसीएमआर के विशेषज्ञ डॉ. अरुण शर्मा कहते हैं कि हाल ही में कहा गया कि भारत बायोटेक की वैक्सीन को 2 साल से ऊपर के बच्चों के लिए अनुमति मिल गई है तो यह कहना सही नहीं है. अभी इस अनुमति का सिर्फ एक स्टेप पूरा हुआ है जबकि इसे लगाने से पहले कई स्टेप पूरे होना बाकी हैं. Source link

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DRDO Medicine for Corona in Hindi – New anti-Covid-19 drug 2-DG – कोरोना महामारी ने पूरी दुनिया में कहर मचाया हुआ है। इस महामारी की वजह से दुनिया भर में लाखों लोग अपनी जान से हाथ धो बैठे हैं। जिस वजह से लोगों की मौत हो रही है वो है शरीर में ऑक्सीजन की कमी। कोरोना के ज़्यादातर मरीज ऑक्सीजन की कमी की वजह से अपनी जान गंवा रहे हैं। भारत में बड़े पैमाने पर वैक्सीन लगाने का अभियान चलाया जा रहा है। 18 साल की उम्र से ऊपर के सभी लोगों को चरणबद्ध तरीके वैक्सीन लगायी जा रही है। भारत में मौजूदा समय में दो वैक्सीन कोविशील्ड(Covishield) और (Covaxin) कोवैक्सीन लोगों को लगाई जा रही हैं। अब सरकार ने कोरोना की एक और दवा को मंज़ूरी दे दी है। ये दवा डीआरडीओ ने बनाई है।
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