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कैसे पूसा कृषि हाट किसानों को बाज़ार करा रहा उपलब्ध? बनवारी लाल महोलिया बनाते हैं कई कृषि उत्पाद
सही बाज़ार मिलेगा तभी तो सही दाम मिलेगा
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किसान उद्यमियों के लिए उत्पाद तैयार करने के बाद उसे बेचना एक बड़ी चुनौती होती है, क्योंकि सही बाज़ार न मिलने की वजह से उन्हें ��़्यादा मुनाफा नहीं हो पाता। इस समस्या को दूर करने के लिए कृषि विभाग द्वारा पूसा कृषि हाट की शुरुआत की गई है।
पूसा कृषि हाट (Pusa Agri Krishi Haat): आप चाहे कितना भी अच्छा या ऑर्गेनिक उत्पाद क्यों न बना लें, जब तक इसे सही बाज़ार नहीं मिलेगा, लोगों को इसका फ़ायदा नहीं मिल पाएगा और न ही आपको उसका सही मुनाफ़ा मिलेगा। इसलिए जितना ज़रूरी है अच्छा उत्पाद तैयार करना, उतना ही ज़रूरी है अच्छा मार्केट यानी बाज़ार तलाशना।
किसानों के लिए ये काम थोड़ा मुश्किल हो जाता है, इसलिए उनकी मदद के लिए कृषि विभाग की ओर से पूसा कृषि हाट की शुरुआत की गई है, जहां किसान अपने उत्पाद बेच सकते हैं और इसके लिए उन्हें किराया भी ज़्यादा नहीं देना होता।
पूसा कृषि हाट में किसान ऑफ़ इंडिया के संवाददाता सर्वेश बुंदेली की मुलाकात हुई एक कृषि उद्यमी बनवारी लाल महोलिया से, जो यहां अपने उत्पादों को बेच रहे हैं। लोगों से मिल रही प्रतिक्रिया से वो बहुत खुश हैं। यही नहीं, उन्हें पूरी उम्मीद है कि इससे उनके उत्पादों की बिक्री बढ़ेगी।
जैविक खेती को बढ़ावा
बनवारी लाल महोलिया, सुभद्रा और पुष्करवाले ब्रांड के तहत कई ऑर्गेनिक उत्पाद बना रहे हैं और ये किसानों को भी यूरिया डीएपी की बजाय जैविक खाद का इस्तेमाल करने की सलाह देते हैं, जिससे मिट्टी की उर्वरता बढ़ती है। वो कहते हैं कि वो खुद गौवंश से इकट्ठा हुए गोबर का इस्तेमाल खेती में करते हैं। इससे फसल बहुत अच्छी होती है। उनका कहना है कि किसानों को खेती के पुराने यानी जैविक तकनीकों को ही अपनाना चाहिए।
पुष्करवाला ब्रांड
बनवारी लाल बताते हैं कि 2016 में उन्होंने अपने उद्यम की शुरुआत की। उनके पुष्करवाला ब्रांड का सबसे खास उत्पाद है गुलाब के फूल से बना गुलकंद, जो पूरी तरह से ऑर्गेनिक तरीके से बनाया गया है। उनकी कंपनी पिंक रोज के कई उत्पादों के साथ ही आंवला के उत्पाद और तरह-तरह के शरबत बनाती है। अपने उत्पादों के बारे उनका कहना है कि सबकुछ नेचुरल तरीके से बनाया जाता है, किसी तरह के केमिकल का इस्तेमाल नहीं होता।
मिठास के लिए मिश्री, शहद और खांड का इस्तेमाल किया जाता है। इसके अलावा पुष्करवाला आंवला से कैंडी, मसाला कैंडी, शरबत आदि भी बनाती है। आंवले के अलावा पान, गुलाब, केसर और पुदीना का शरबत भी कंपनी बना रही है।
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बाजार में गिरावट के दो दिनों में निवेशकों की संपत्ति 5.78 लाख करोड़ रुपये डूबी
बाजार में गिरावट के दो दिनों में निवेशकों की संपत्ति 5.78 लाख करोड़ रुपये डूबी
शुक्रवार को व्यापक बाजार में बीएसई मिडकैप गेज में 1.44 फीसदी की गिरावट ��ई। (फाइल) नई दिल्ली: वैश्विक बाजारों में कमजोरी के रुख के बीच बाजार में गिरावट के दो दिनों में निवेशकों की संपत्ति 5.78 लाख करोड़ रुपये से अधिक हो गई, क्योंकि केंद्रीय बैंकों ने ब्याज दरों में बढ़ोतरी की और आक्रामक टिप्पणी की। बीएसई का 30 शेयरों वाला सेंसेक्स आज 461.22 अंक या 0.75 प्रतिशत की गिरावट के साथ 61,337.81 पर बंद…
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हीरामंडी: द डायमंड बाज़ार Heeramandi: The Diamond Bazaar (2024 - ) ⤷ Sonakshi Sinha as Fareedan
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#सुई देने वाली पेड़ की कहानी | Story of the Needle Tree#quest#story#khani#stories#एक जंगल के पास दो भाई रहा करते थे. बड़ा भाई अपने छोटे भाई से बहुत बुरा बर्ताव करता था। जैसे की वो प#एक दिन बड़े भाई ने तय किया की वो पास के जंगल में जाकर कुछ लकड़ियाँ लायेगा जिसे वो बाज़ार में बेच#सीख#इस कहानी से हमें ये सीख मिलती है की हमेशा सभी को दयालु रहना चाहिए और लालच नहीं करना चाहिए#Popular Stories#⦿ लालची शेर की कहानी : https://www.youtube.com/watch?v=ZlMYa...#⦿ एक चिड़िया ने गाँव मे लगी आग को कैसे भुझायी : https://www.youtube.com/watch?v=sb95O...#⦿ जीवन संघर्ष : https://www.youtube.com/watch?v=pNfdH...#Youtube
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हीरामंडी: द डायमंड बाज़ार Heeramandi: The Diamond Bazaar (2024) Mallikajaan - The Queen of Heeramandi
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मेरा मन था जैसे रेगिस्तान की लोमड़ी,
तलाशे एक आशा इस भरे काटों के बाज़ार मैं,
लकड़ी लकड़ी जोड़ कर,
एक नैया तो बना ली,
दो-चार नदियां तो पार कर ली,
फिर हमें दिखी वह खरगोश सी पल्खें,
भूरी, मेरी सारी प्यारी किताबों की तरह,
भूरी,, मेरे शरद से ख़्वाबों जैसी,
भूरी,,, उस वन की तरह, जहां ��ह मुझे ले चली|
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'यार भी राह की दीवार समझते हैं मुझे' -शाहिद ज़की
यार भी राह की दीवार समझते हैं मुझे मैं समझता था मिरे यार समझते हैं मुझे जड़ उखड़ने से झुकाओ है मिरी शाख़ों में दूर से लोग समर-बार समझते हैं मुझे क्या ख़बर कल यही ताबूत मिरा बन जाए आप जिस तख़्त का हक़दार समझते हैं मुझे नेक लोगों में मुझे नेक गिना जाता है और गुनहगार गुनहगार समझते हैं मुझे मैं तो ख़ुद बिकने को बाज़ार में आया हुआ हूँ और दुकाँ-दार ख़रीदार समझते हैं मुझे मैं बदलते हुए हालात में ढल जाता हूँ ��ेखने वाले अदाकार समझते हैं मुझे वो जो उस पार हैं इस पार मुझे जानते हैं ये जो इस पार हैं उस पार समझते हैं मुझे मैं तो यूँ चुप हूँ कि अंदर से बहुत ख़ाली हूँ और ये लोग पुर-असरार समझते हैं मुझे रौशनी बाँटता हूँ सरहदों के पार भी मैं हम-वतन इस लिए ग़द्दार समझते हैं मुझे जुर्म ये है कि इन अंधों में हूँ आँखों वाला और सज़ा ये है कि सरदार समझते हैं मुझे लाश की तरह सर-ए-आब हूँ मैं और 'शाहिद' डूबने वाले मदद-गार समझते हैं मुझे
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कुछ मेरे धड़कते हुए दिल ने भी पुकारा
कुछ आप को बाज़ार में धोका भी हुआ है
کچھ میرے دھڑکتے ہوئے دل نے بھی پکارا
کچھ آپ کو بازار میں دھوکا بھی ہوا ہے
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वो मेरे कागज़ में जो उतरे, मेरी कश्ती संभल जाए,
वो मेरे रास्तों से जो गुजरे, मेरी आखें ठहर जाए,
उसे कह दो यूं सलवार कुर्ती में न निकला करे,
जिस बाज़ार से वो गुज़रे, उन रेशमी लिबासो के दाम बढ़ जाए ।।
यूं झुमके तो इठलाते है, उसके कानो से बंधने का घमंड दिखाते है ,
ऐसे कई किस्से तो उनके पाज़ेब भी सुनाते है,
की जब उनके चलने से, ये बलखाते है,
अब बखान करू तो किसकी करू वो आते है तो, हम भी खूबसूरत नजर आते है ।।
जिस फूल को तोड़ कर वो अपने बालों में लगाते है,
उन्हें भी उनसे कोई शिकवा नहीं कहकर मुस्कुराते है,
बात तो तब हो गई, की उनके आने पर,
मेज़ पर रखी निर्जीव किताबे भी,
हवाओ संग मिलकर कुछ गुनगुनाते है ।।
मेरी पतंग उसके छत हो चली,
उसकी पतंग के संग हो चली,
कमभकत मैं तो मैं,
मेरी पतंग भी उसके रूप के धार से कट चली ।।
उसके केसुओ ने समा बांध रखा है,
इक हकीकत जितनी खूबसूरत होनी चाहिए,
हर वो सीमा लांघ रखा है,
और एक मैं हू, उसे सामने आता देख लू,
तो अपनी आखों पर पहनी ऐनक,
हाथों में रखी कलम,
ढूंढने लगता हू की कहाँ रखा है ?
@_aiyaari
inke liye likha hai - ye hai hamari prerna, meri mitr ' kalyani '
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आईटी शेयरों में गिरावट से सेंसेक्स में गिरावट, निफ्टी 18,500 के नीचे बंद
आईटी शेयरों में गिरावट से सेंसेक्स में गिरावट, निफ्टी 18,500 के नीचे बंद
सेक्टर-वार, बीएसई आईटी, मेटल और टेक में 2.98 प्रतिशत ��क की गिरावट आई। (फ़ाइल) मुंबई: वैश्विक बाजारों में सकारात्मक रुख के बावजूद आईटी, टेक और ऊर्जा शेयरों में भारी बिकवाली के दबाव में इक्विटी बेंचमार्क सेंसेक्स आज लगभग 390 अंक गिर गया। कारोबारियों ने कहा कि इसके अलावा कच्चे तेल की बढ़ती कीमतों और लगातार विदेशी पूंजी की निकासी से भी धारणा प्रभावित हुई। 30 शेयरों वाला बीएसई सेंसेक्स मजबूत खुला…
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हीरामंडी: द डायमंड बाज़ार Heeramandi: The Diamond Bazaar (2024 - )
#हीरामंडी: द डायमंड बाज़ार#heeramandi#heeramandi: the diamond bazaar#heeramandiedit#tv#tvedit#tv: heeramandi#m*
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जो बात घर में हुई थी वो अब बाज़ार में है..
कोई सुराख़ तो यक़ीनन मेरी दीवार में है..!
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मुझ से पहली सी मोहब्बत मिरी महबूब न माँग
मैं ने समझा था कि तू है तो दरख़्शाँ है हयात
तेरा ग़म है तो ग़म-ए-दहर का झगड़ा क्या है
तेरी सूरत से है आलम में बहारों को सबात
तेरी आँखों के सिवा दुनिया में रक्खा क्या है
तू जो मिल जाए तो तक़दीर निगूँ हो जाए
यूँ न था मैं ने फ़क़त चाहा था यूँ हो जाए
और भी दुख हैं ज़माने में मोहब्बत के सिवा
राहतें और भी हैं वस्ल की राहत के सिवा
अन-गिनत सदियों के तारीक बहीमाना तिलिस्म
रेशम ओ अतलस ओ कमख़ाब में बुनवाए हुए
जा-ब-जा बिकते हुए कूचा-ओ-बाज़ार में जिस्म
ख़ाक में लुथड़े हुए ख़ून में नहलाए हुए
जिस्म निकले हुए अमराज़ के तन्नूरों से
पीप बहती हुई गलते हुए नासूरों से
लौट जाती है उधर को भी नज़र क्या कीजे
अब भी दिलकश है तिरा हुस्न मगर क्या कीजे
और भी दुख हैं ज़माने में मोहब्बत के सिवा
राहतें और भी हैं वस्ल की राहत के सिवा
मुझ से पहली सी मोहब्बत मिरी महबूब न माँग
Faiz ahmad
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पिंजरे का परिंदा
मेरे घर बचपन में एक पंछी आया था जिसे घर के सभी लोग प्यार से मिठ्ठू तोता कहकर बुलाते थे। मेरी दी��ी को तोता देते हुए पिता जी उससे बोले "देखो बेटा! काफ़ी मोल भाव करने के बाद बाज़ार से यह तोता खरीद कर लाया हूं। इस बार अगर यह तोता पिंजरे से उड़ा तो मैं फिर कभी भी ��हीं लाऊंगा। भला गुड़िया दीदी को इन सब बातों से क्या लेना देना था । वह तो सिर्फ मिठ्ठू के साथ खेलने में व्यस्त थी,लेकिन मां और घर के सभी सदस्य पिता जी की बातों को समझ रहे थे इसलिए इस बार एक नया पिंजरा भी मंगवा कर रख लिया गया था। तोता का पिंजरा इतना प्यारा और अनोखा लग रहा था जिसे देखकर मेरी आंखें भी खुशी से चमक रही थी। घर के सभी लोग उसे स्नेह से पालने लगे और उसका ख्याल भी रखा जाने लगा । मिठ्ठू को समय पर पानी,फल,मिर्च और खाना देना घर के सभी लोगों की जिम्मेवारी बन गई थी। गुड़िया दीदी हर रोज मिठ्ठू को देखकर सोती थी और उसे जागने के बाद दिन भर निहारा करती थी। ऐसा इसलिए क्योंकि मिठ्ठू तोता अब गुड़िया कटोरे कटोरे बोलने लगा था। हर रोज मिठ्ठू तोता को पिंजरा में खाना मिलता और उसे खाकर दिन भर वो गुड़िया कटोरे कटोरे बोलता रहता था। कुछ सालों तक यह सिलसिला चलता रहा,लेकिन एक दिन अचानक सुबह सुबह गुड़िया दीदी जोर जोर से रोने लगी उसकी आवाज़ को सुनकर घर के सभी लोग बाहर आंगन में आकर देखा तो वे सब लोग हतप्रभ रह गए। गुड़िया उस पिंजरे को अपने सीने से लगाकर जोर जोर से रो रही थी। उसकी आवाज़ में इतनी करुणा और ममता भरी हुई थी कि आस पास के लोग भी कारण जानने के लिए मेरे आंगन में पहुंच गए। अब घर व बाहर के लोग यह जान गए थे कि बात उस पिंजरे वाले तोते की है जो कल रात पिंजरे को तोड़कर कहीं उड़ गया। सब लोग मेरी दीदी को समझा रहे थे तभी पिता जी को आंगन में आता हुआ देखकर उनके पास जाकर मै लिपट कर रोते हुए कहा "पापा यह तोता हर बार क्यूं भाग जाता है, तब उन्होंने हम दोनों भाई बहन को गोद में बैठकर एक कविता सुनाया: हम पंछी उन्मुक्त गगन के पिंजरबद्ध न गा पाएँगे, कनक-तीलियों से टकराकर पुलकित पंख टूट जाएंगे।
नीड़ न दो चाहे टहनी का, आश्रय छिन्न-भिन्न कर डालो, लेकिन पंख दिए हैं तो, आकुल उड़ान में विघ्न न डालो।”
शिव मंगल सिंह सुमन द्वारा रचित उस कविता का अर्थ उस वक्त नहीं बल्कि ज्ञान होने पर समझ में आया लेकिन साथ ही साथ मेरे हृदय में एक भाव भी जागा कि आख़िर क्यूं? कोई पंछी गुलामी के पिंजरों में बंधकर नहीं रहना चाहता है। इस भाव को सार्थकता प्रदान करने के ��िए मैंने भी एक तोता पाला। जिसकी तस्वीर आज देखकर मुझे मेरे बचपन के तोते की कहानी याद आ गई।संभवतः इस तोते से एक ऐसा लगाओ बन गया था जो मेरी कदमों की आहट सुनकर जोर जोर से मेरा नाम पुकारने लगता था। लोगों को आश्चर्य तब होता था जब वह पूरे आसमान को छूने के बाद भी मेरे छत पर आकर बैठ जाता और मैं खुशी से फूलते हुए पिता जी से कहता था "देखिए मेरा तोता कहीं नहीं भागता है", लेकिन एक दिन ऐसा आया जब वह पिंजरा से बाहर तो निकल जाता था लेकिन उसके उड़ने की जिज्ञासा शांत हो गई थी,कारण जानने के बाद मालूम चला एक दिन मिठ्ठू घायल होकर आसमान से मेरे ही छत पर आ गिरा था। यह सुनकर उस वक्त अपनी पीड़ा से मैं खुद मुक्त नहीं हो पा रहा था ऐसा लग रहा था मानो मेरी जिद्द ने एक आजाद परिंदे को गुलाम बना लिए हों। मेरे लाख कोशिशों के बाद भी वह तोता आसमान की ओर फिर कभी नहीं देखा और अंततः उसने उसी पिंजरे में अपना दम तोड दिया जिसमें उसे कैद करके कई बरसों तक मैंने रखा था। ये सोचकर कि अगर प्यार और स्नेह मिले तो गुलामी की जंजीरें से बंधकर भी पंछी और आदमी जी सकता है,लेकिन शायद मैं गलत था बिल्कुल गलत था।
@अनजान मुसाफ़िर
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Watch "Adani Growth & Share Market Fraud : अडानी ग्रूप को लेकर चौंकाने वाला खुलासा…" on YouTube
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- Fraud of Adani Group in share market..?
Shocking revelation of Hindenburg Research..!
- शेयर बाज़ार में अडानी ग्रूप का फ्रॉड..?
हिंडनबर्ग रिसर्च का चौंकाने वाला खुलासा..!
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Shraddha TV Satsang 09-11-2024 || Episode: 2739 || Sant Rampal Ji Mahara...
#मन की घाली हूँ गयी, मन की घालि जोऊँ।
सँग जो परी कुसंग के, हटै हाट बिकाऊँ ।।
अनुवाद: मन के द्वारा पतित होके पहले चौरासी में भ्रमा हूँ और मन के द्वारा भ्रम में पड़कर अब भी भ्रम रहा हूँ। कुसंगी मन - इन्द्रियों की संगत में पड़कर, चौरासी बाज़ार में बिक रहा हूँ।
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