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*जयपुर महानगर के गोविंद देव महाराज मंदिर के समीप सर्वशक्तिमान भोलेनाथ हुए कैद कौन दिलाएगा मुक्ति
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नमस्कार मैं उमेंद्र राजपूत और आप देख रहे हैं देश का दर्पण न्यूज़, जयपुर महानगरी में गोविंद देव महाराज मंदिर क्षेत्र में सर्वशक्तिमान बाबा भोलेनाथ हुए कैद, कई वर्षों से कई वर्षों से बाबा भोलेनाथ कैद से निकल नहीं पा रहे हैं आपको बता दे नगर निगम और गोविंद देव जी के मंदिर के पास एक भोलेनाथ का मंदिर है स्थानीय लोगों ने वर्षों पहले पूजा करने के लिए यहां पर मंदिर की स्थापना की थी पर पास ही रहने वाले एक व्यक्ति ने इस मंदिर पर कब्जा करते हुए मंदिर के गेट पर ताला लगा दिया और अपने घर के अंदर से रास्ता बना लिया, सबसे पहले उसने उसे मंदिर में एक गाय को रखा फिर दूसरी गाय को रखा और धीरे-धीरे इस मंदिर पर कब्जा कर लिया,
यह मंदिर काफी बड़ा है लेकिन पास में गोविंद देव महाराज मंदिर की होने के कारण लोगों ने इस पर ध्यान नहीं दिया, पास में स्थित नगर निगम हेरिटेज के अधिकारी भी इस पर ध्यान नहीं देते, आपको बताते चले की जनता बाजार क्षेत्र में बहुत सारी मकानें और दुकान सरकार के नियम और कायदे को न म��नते हुए बनी है, ऐसा भी नहीं की नगर निगम को इसकी जानकारी नहीं लेकिन न जाने कौन सा स्वार्थ है की नगर निगम कभी कार्रवाई नहीं करता, देखना यह है की जयपुर वासी जो भोलेनाथ के भक्त हैं क्या भोलेनाथ को इस जेल से मुक्त कर पाएंगे, क्या नगर निगम के अधिकारी इस पर कोई कार्रवाई करेंगे आपको बताते चले की जिसने कब्जा कर रखा है उसका मकान भी सरकार के नियम कायदे के अनुसार नहीं बना है , आपको बता दे कि यह मंदिर कमल गट्टा कॉलोनी मकान नंबर 39 के पास जनता कॉलोनी वार्ड नंबर 27 में स्थित है, जहां सर्वशक्तिमान भोलेनाथ को कैद किया गया,
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‘ये कैसा “राम राज” जिसमें जाएगी मरीजों की जान…’ अस्पतालों की छुट्टी पर विपक्ष ने मोदी सरकार को घेरा !
#INCIndia #BJP4India #narendramodi
#RamSetu #AyodhaRamMandir
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Newsplus21 Wave: Riding the Currents of Evolving News Trends
Dive into the dynamic world of news with Newsplus21 Wave, where journalism takes on a new dimension. Like a surfer riding the waves, we navigate the ever-changing currents of evolving news trends. In this immersive experience, we don't just report news; we become part of the narrative, anticipating, adapting, and staying ahead of the curve.
Newsplus21 Wave isn't confined to traditional reporting; it's a journey through the fluidity of information, where breaking news is just the beginning. We explore emerging trends, technological innovations, and societal shifts, ensuring our audience is not just informed but equipped to understand the transformative forces shaping our world. Join us on Newsplus21 Wave, where the tides of news trends are not obstacles but opportunities for exploration and engagement. Ride the wave with us as we redefine the very nature of staying current in today's news landscape.
Here are some latest news please go through the links given below:
टाटा का नए साल म���ं धमाका, मार्केट में धूम मचाने आ गई Punch EV कार, ₹25000 देकर खरीदें
टाटा मोटर्स ने एकदम नया इलेक्ट्रिक कार प्लेटफॉर्म लॉन्च किया है जिसका नाम Acti.EV है। ये प्लेटफॉर्म पहली बार Punch EV में इस्तेमाल किया गया है और कई नए इलेक्ट्रिक वाहनों, जैसे कर्व, सिएरा EV और हैरियर EV का आधार बनेगा।
मानवता हुई शर्मशार: शव को कांवड़ में लेकर पांच किमी तक किया पैदल सफर, आज भी सुविधाओं के लिए तरस रहे लोग, देखें विडियो
दंतेवाड़ा । बस्तर इलाके में अक्सर ऐसी तस्वीरें सामने आती है जो विकास के दावों की पोल खोल कर रख देती है। स्वास्थय सुविधाओं को बेहतर करने के लिए सरकार काफी प्रयास करती है लेकिन कई ऐसे स्थान मौजूद हैं जो विकास और सुविधाओं से आज भी कोसो दूर है। एक बार फिर बस्तर इलाके के अंदरूनी क्षेत्र से तस्वीर सामने आई है जहां मानवता एक बार फिर शर्मशार हो गई।
भारत विरोधी आतंकवादी अल्लामा मसूद-उर-रहमान उस्मानी की गोली मारकर हत्या
Pakistan: पाक आतंकी अल्लामा मसूद-उर-रहमान उस्मानी की राजधानी इस्लामाबाद में गोली मार कर हत्या कर दी गई। उस्मानी अक्सर ही भारत के खिलाफ भड़काऊ बयान देता था। उस्मानी न सिर्फ भारत के खिलाफ अनाप-शनाप बकवास करता था, बल्कि आतंकवादियों को भारत पर हमला करने के लिए उकसाता भी था।
ED must first prove money trail, says former Deputy CM, reacting to Mahadev app probe
Political war of words has begun in Chhattisgarh after it emerged that ED has named former Chhattisgarh CM Bhupesh Baghel in the supplementary charge sheet in the Mahadev betting app case. Reacting to the development, the former Chhattisgarh Deputy CM and Congress leader TS Singh Deo said, “Bhupesh Baghel’s name was taken earlier also before state elections to influence the election results.
“…my initials add up to ‘RAM’, was born in ‘Ram’pur, acted in ‘Ram Lakhan’…”, says prominent Muslim actor Raza Murad
Amid the excitement building up ahead of the Ram temple consecration ceremony on Jan 22, prominent people from all walks of life are finding ways to register their participation or get involved.
Lohri 2024: 13 या 14 जनवरी कब मनाया जाएगा लोहड़ी का पर्व, यहां देखें पूरी डिटेल्स
भारत को त्योहारों का देश कहा जाता है। नए साल के जनवरी माह में सबसे पहला पर्व होता है लोहड़ी का। सिखों और पंजाबियों के लिए ये पर्व बहुत ही मायने रखता है। ये त्योहार मकर संक्रांति के ठीक एक दिन पहले हर्षोल्लास से मनाया जाता है। इस पर्व को सुख और समृद्धि का त्यौहार माना जाता है। लोहड़ी पर रात में आग जलाते हैं और कटी फसल का भोग लगाते हैं।
साल की पहली एकादशी इस दिन जानें शुभ मुहूर्त, पूजन विधि और कथा
नई दिल्ली: हिंदू धर्म में भगवान विष्णु जगत पालक हैं और इनकी सबस प्रिय तिथि एकादशी है। माना जाता है कि जो भी भक्त एकादशी तिथि का व्रत करते हैं उनके समस्त कष्ट श्री हरि हर लेते हैं। यदि आप भगवान नारायण की कृपा पाना चाहते हैं तो एकादशी का व्रत इसका एकमात्र सरल उपाय है। शास्त्रों में एकादशी के व्रत को सबसे बड़े व्रतों में से एक बताया गया है।
Viral video, langur attempts getting close, policewoman dodges
A viral video is taking the internet by storm and for all right reasons. A langur barges into the parked police vehicle somewhere in the Hindi belt of India and then appears to make multiple attempts to kiss one of police woman.
उदयपुर वन परिक्षेत्र में हाथियों ने अज्ञात शख्स को कुचला, मौके पर मौत
सरगुजा जिला के उदयपुर वन परिक्षेत्र के पतरा पारा में हाथियों के हमले से अज्ञात शख्स की मौत हो गई। विक्षत हालत में व्यक्ति का शव बरामद हुआ है। शव को सीएचसी उदयपुर के मर्च्यूरी में रखवाया गया है। घटनास्थल के आस पास के घर वाले रात में घर खाली करके सुरक्षित स्थान पर चले गए थे। रात 11 से 12 बजे के बीच की घटना हुई है। आस पास के गांव वालों को सूचना देकर शिनाख्त की कोशिश की जा रही है।
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श्री श्यामनाथ महाराज जी के भंड़ारे में यहाँ उमड़ा जनसैलाब
बागपत, उत्तर प्रदेश। जनपद बागपत के सिसाना-निरोजपुर रोड़ पर स्थित श्री श्यामनाथ महाराज के चमत्कारी धाम में हर वर्ष की भांति इस वर्ष भी अखण्ड़ रामायण पाठ और विशाल भंड़ारे का मंगलवार आयोजन किया गया। भंड़ारे में उत्तर भारत के विभिन्न जनपदों से आये सैंकड़ों श्रद्धालुओं ने प्रसाद ग्रहण किया। - सिसाना-निरोजपुररोड़ पर स्थित श्री श्यामनाथ महाराज जी की समाधि पर हर वर्ष अखण्ड़ रामायण पाठ के साथ होता है विशाल भंड़ारे का आयोजन - श्री श्यामनाथ महाराज नाथ सम्प्रदाय से सम्बन्धित एक महान साधु व संत थे जिनको अनेकों आलौकिक सिद्धियां प्रा���्त थी- विनीत चौहान श्री श्यामनाथ महाराज जी महाराज श्री के परमभक्तों में शुमार विनीत चौहान ने बताया कि महाराज श्री मूल रूप से बागपत के ग्राम सिसाना के रहने वाले थे। महाराज श्री के पिता का नाम कलशाराम चौहान और माता का नाम मामकौर था। महाराज श्री 9 भाई व 1 बहन में दूसरे नम्बर के थे। बचपन से ही उनकी धार्मिक कार्यो में विशेष रूचि थी। महाराज श्री ने वर्ष 1971 में 30 से 35 वर्ष की आयु में नाथ सम्प्रदाय से सन्यास की दीक्षा ली। इसके उपरान्त उन्होंने सम्पूर्ण देश का भ्रमण किया और इस दौरान उन्होंने तप के माध्यम से अनेकों सिद्धियां हासिल की। इस दौरान महाराज श्री के महान व्यक्तित्व व ज्ञान से प्रभावित होकर सम्पूर्ण देश में उनके सैकड़ो शिष्य बने। बताया कि 8 नवम्बर 1987 को कार्तिक पूर्णिमा क��� दिन पतला, सोनीपत, हरियाणा में महाराज श्री ने देह त्याग किया और अश्विन मास की प्रथम तिथि 9 नवम्बर 1987 को बागपत के सिसाना-निरोजपुर मार्ग पर उनको समाधी दी गयी। बताया कि श्री श्यामनाथ जी महाराज जी सें संबद्ध मुख्य आश्रम गढ़ सरनाई पानीपत हरियाणा में है। बताया कि हर वर्ष कार्तिक पूर्णिमा को महाराज श्री की सिसाना-निरोजपुर रोड़ पर स्थित समाधि पर अखण्ड़ रामायण और सतसंग का आयोजन किया जाता है और अश्विन मास की प्रथम तिथि को विशाल भंड़ारे का आयोजन किया जाता है जिसमें देशभर के विभिन्न राज्यों से आये श्रद्धालुगण भाग लेते है। सिसाना गांव के रहने वाले महाराजश्री के शिष्यों में से एक हुकुम सिंह ने बताया कि वर्तमान में महाराज श्री की समाधी की देखभाल महाराज श्री के 7 वें नम्बर के भाई व महाराज श्री के परम भक्त ब्रहमपाल जी कर रहे है। समाधि स्थल पर भगवान शिव परिवार, भगवान हनुमान सहित अनेकों देवी-देवताओं की प्रतिमाएं विराजमान है। गुरू श्री ब्रहमपाल सिंह ने बताया कि महाराज श्री की मुख्य प्रतिमा जयपुर राजस्थान से बनवाकर समाधि स्थल पर स्थापित की गयी है। इस अवसर पर ब्रह्मपाल गुरुजी, विनीत चौहान, पंडित अर्जुन मिश्रा, नेशनल अवार्ड एवं उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा सम्मानित वरिष्ठ पत्रकार विपुल जैन, कृष्णपाल, गौरव, प्रदीप, जोहर सिंह, हुक्म सिंह, बीना, अंजू, वीरदास माई जी निनाना आश्रम, महंत स्वरुप दास जी अध्यक्ष निनाना आश्रम, नरेश चौहान, अंकिता, मिथलेश, टीना सहित सैकड़ों श्रद्धालुगण उपस्थित थे। Read the full article
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#आखिर_ऊंट_आ_ही_गया_पहाड़केनीचे
पवित्र श्रीमद्देवीभागवत महापुराण के तीसरे स्कंद में भगवान शिव स्वयं कहते है कि उनका जन्म मृत्यु हुआ करता है और वे अविनाशी नही।
Jawab To Dena Padega
#आखिर_ऊंट_आ_ही_गया_पहाड़केनीचे
श्री शिव महापुराण में विद्यवेश्वर संहिता भाग-1 पृष्ठ 17.18 अध्याय 9-10 में स्पष्ट है कि सदाशिव यानि काल ब्रह्म श्री ब्रह्मा जी, श्री विष्णु जी तथा शिव जी के पिता जी हैं।
Jawab To Dena Padega
@JournoVijender
@1stIndiaNews1
#आखिर_ऊंट_आ_ही_गया_पहाड़केनीचे
पत्रकार महोदय शिव जी को लोक कथा के अनुसार महामृत्युंजय कहा जा रहा है वह अपने मृत्यु के डर से अपने ही साधक भस्मासुर से डर कर भाग रहे थे। ऐसा पुराणों में प्रमाण है।
Jawab To Dena Padega
#आखिर_ऊंट_आ_ही_गया_पहाड़केनीचे
संत रामपाल जी महाराज ने तो गिरते भक्ति स्तर को फिर से एक नवीन रोशनी दी है। भक्त समाज को दोबारा पवित्र वेद, पवित्र गीता की तरफ मोड़ा है व सही मायने में हिन्दू धर्म का पुनरुथान किया है।
Jawab To Dena Padega
#आखिर_ऊंट_आ_ही_गया_पहाड़केनीचे
जिस महापुरूष के बताए गए ज्ञान का अनुसरण करने से आज लाखों करोडों लोगों को जीने की राह मिल रहीं हैं और बुराईयों का अंत हो रहा हैं। ऐसे पूर्ण संत के नाम के पीछे महाराज न लगाना आपके अभि��ान को दर्शाता है।
Jawab To Dena Padega
#आखिर_ऊंट_आ_ही_गया_पहाड़केनीचे
विजेंद्र सोलंकी जी पहले आप अपने धर्म ग्रंथ से मिलान कीजिए फिर कहिए की अंध श्रद्धा भक्ति खतरा ए जान और ज्ञान गंगा पुस्तक में लिखी बातें गलत हैं।
Jawab To Dena Padega
#आखिर_ऊंट_आ_ही_गया_पहाड़केनीचे
संत रामपाल जी महाराज जी और उनके अनुयायियों ने कई बार भारत सरकार से प्रार्थना की है कि एक बार यह आध्यात्मिक ज्ञान चर्चा भारत देश के सभी धर्म गुरुओं के बीच करवाई जाए जिससे जनता को हमारे धर्मशास्त्रोंमेंसही भक्तिविधि का पता चल सके
Jawab To Dena Padega
#आखिर_ऊंट_आ_ही_गया_पहाड़केनीचे
हाल ही में @1stIndiaNews के एंकर @JournoVijender जी ने हमारी पुस्तक "अंध श्रद्धा भक्ति खतरा ए जान" को सरेआम फाड़कर फेंक दिया बिना गहराई से पढ़े !
👉 जहां अभिमान हो वहां ज्ञान नहीं होता 👈
Jawab To Dena Padega.
#आखिर_ऊंट_आ_ही_गया_पहाड़केनीचे
@JournoVijender ने अपने अल्पज्ञान से शास्त्र प्रमाणित पुस्तक "ज्ञान गंगा" व "अंध श्रद्धा भक्ति पुस्तक" को अधूरा पढ़कर लोगों को भ्रमित करने का कार्य कर रहे हैं!
Jawab To Dena Padega
आखिर क्यों आपने अधूरी जानकारी से लोगों को गुमराह करने का प्रयास कि
#आखिर_ऊंट_आ_ही_गया_पहाड़केनीचे
फर्स्ट इंडिया न्यूज़ एंकर विजेंद्र सोलंकी जी संत रामपाल जी महाराज की पुस्तक अंध श्रद्धा भक्ति खतरा ए जान में लिखा ज्ञान शास्त्र प्रमाणित है। जिसको आप कभी भी गलत साबित नहीं कर सकते।।
Jawab To Dena Padega
#आखिर_ऊंट_आ_ही_गया_पहाड़केनीचे
पहले ये जांच परख लेना चाहिए कि सच है क्या!
श्रीमद्देवी भागवत पुराण पृष्ठ नंबर 123 पर लिखा है शिवजी अपनी माता दुर्गा से कहते है की रज गुण ब्रह्मा, सत गुण विष्णु, के बाद मुझ तम गुण शिवजी की उत्पति भी आपने ही की है।
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चित्रकूट से बागेश्वर धाम को निकली कलश यात्रा
चित्रकूट से बागेश्वर धाम को निकली कलश यात्रा
बागेश्वर धाम सरकार पं. धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री वर्तमान समय में किसी परिचय के मोहताज नहीं हैं।देश और विदेशों में भी आज इनके करोड़ों की संख्या में भक्त मौजूद हैं।युवा संत बागेश्वर धाम सरकार धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री मुखर होकर देश को हिंदू राष्ट्र बनाने बात कहते हैं। बागेशर धाम सरकार पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री से विवाह की कामना लेकर एमबीबीएस की छात्रा शिवरंजनी तिवारी द्वारा गंगोत्री धाम से बागेश्वर धाम तक सर पर गंगा जल का कलश लेकर पदयात्रा शुरु की गई है।शनिवार को शिवरंजनी तिवारी चित्रकूट स्थित संतोषी अखाड़ा पहुंची।जहां चित्रकूट के साधू संतो के समक्ष भजनों का गायन करते हुए मनोकामना पूर्ति हेतु साधू संतो का आशीर्वाद प्राप्त किया गया।इस दौरान शिवरंजनी तिवारी द्वारा बताया गया कि उनके द्वारा सर पर गंगा जल का कलश लेकर पद यात्रा की जा रही है।लोगो द्वारा यह कहा जाता है कि मेरे द्वारा बागेश्वर धाम सरकार पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री जी से विवाह की कामना को लेकर यह पद यात्रा शुरु की गई है।बार - बार पूछे जाने के बाद भी शिवरंजनी तिवारी द्वारा केवल यही कहा जाता रहा कि सभी लोग आगामी 16 तारीख का इंतजार करें।लेकिन उनके द्वारा कही गई बातों से यह साफ साफ अनुमान लगाया जा सकता है ( जिसमे उनके द्वारा एक जगह पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री जी को प्राणनाथ कहा गया है ) कि उनके द्वारा विवाह की कामना को लेकर ही पदयात्रा की जा रही है।उनके द्वारा केवल यही कहा जाता रहा कि आगामी 16 तारीख को पूज्य धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ही उनके मन की बात बताएंगे।इस बावत संतोषी अखाड़ा के महंत श्रीरामजी दास महाराज से पूछने पर उन्होंने कहा कि विवाह संस्कार विधि का विधान होता है।लेकिन अगर इसी कामना को लेकर शिवरंजनी तिवारी द्वारा पदयात्रा की जा रही है,तब फिर चित्रकूट के साधू संतो का पूर्ण आशीर्वाद है।यात्रा में शिवरंजनी तिवारी के पिता ,भाई और अन्य लोग भी शामिल हैं।
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Bageshwar Dham: बांग्लादेश की एक मुस्लिम महिला हुयी पंडित धीरेन्द्र कृष्ण शास्त्री की दीवानी
Bageshwar Dham: बांग्लादेश की एक मुस्लिम महिला हुयी पंडित धीरेन्द्र कृष्ण शास्त्री की दीवानी बागेश्वर धाम सरकार के नाम से जाने जाते पंडित धीरेन्द्र कृष्ण शास्त्री जी की दीवानगी इतनी अधिक बढ़ गयी है की अब उनके भक्त केवल भारत के हिन्दू ही नहीं बल्कि विदेशो के रहने वाले लोग भी हो गये है पंडित धीरेन्द्र कृष्ण शास्त्री जी के सनातन प्रचार मे एक और ऐसी घटना देखने को मिली जिसको देखकर सभी दंग रह गये। दरअसल बागेश्वर सरकार पंडित धीरेन्द्र कृष्ण शास्त्री जी के बालाघाट मे लगे दिव्य दरबार मे बांग्लादेश की एक मुस्लिम महिला बागेश्वर सरकार पंडित धीरेन्द्र कृष्ण शास्त्री जी से मिलने के लिए दूसरे देश बांग्लादेश हमारे भारत मे बालाघाट तक �� गयी। वह मुस्लिम महिला जो बांग्लादेश से आयी थी वह हमारे देश के सनातन धार्मिक के भाव से बहुत अधिक आकर्षित हुयी है।
राम नाम से मिलता है सुकून
बांग्लादेश से आयी हुयी उस मुस्लिम महिला का कहना था की वह पिछले कुछ महीनों से लगातार पंडित धीरेन्द्र कृष्ण शास्त्री जी के वीडियो यूट्यूब पर देख रही थी और उसका कहना है की मुझे लगता है की सनातन धर्म से अच्छा और कोई धर्म हो ही नहीं सकता है। उसने बताया की मुझे राम नाम का जप करने से जो सुकून मिलता है वह कही किसी अन्य बात से नहीं मिलता है बांग्लादेश से आयी उस मुस्लिम महिला ने आंगे कहा की मुझे सनातन धर्म को स्वीकार करना और इसी धर्म मे वापिस आना चाहती हू इस पर पंडित धीरेन्द्र कृष्ण शास्त्री ने युवती से पूछा की किसी के दबाव मे आकर के तो नहीं आप यें फैसला ले रही हो या फिर आपको किसी ने यहाँ पर बुलाया तो नहीं है तो इस पर महिला ने कहा की नहीं मै अपनी मर्ज़ी से यहाँ आयी हू और मै किसी के दबाव मे आकर के यह फैसला नहीं ले रही हू मेरे पास पासपोर्ट और बिज़ा भी है जिसको उस महिला ने पुलिस प्रशासन को पहले ही दिखा दिया है। हालांकि पंडित धीरेन्द्र शास्त्री जी ने यह कहा भी की आप चाहे तो अपने मज़हब मे रहकर भी सनातन धर्म की पूजा कर सकती हो। इसके बाद पंडित धीरेन्द्र कृष्ण शास्त्री जी ने उस महिला को सनातन मे आने के लिए स्वीकार भी किया और बाद मे मंत्री जी से भी कहा की युवती से मिलने की बात करी जाये ताकि उसे सनातन धर्म मे शामिल किया जाये। लेकिन पंडित धीरेन्द्र कृष्ण शास्त्री जी कहा की आप इसे ऐसे टीवी पर स्वीकार नहीं करिये क्योंकि इससे हो सकता है की आपके मज़हब वाले आपको परेशान करें और धीरेन्द्र कृष्ण शास्त्री जी ने न्यूज़ वालो से भी अनुरोध किया की इस खबर मे महिला को ब्लर करके दिखाया जाये ताकि बहिन पर कोई आंच ना आये।
हम किसी के विरोधी नहीं - धीरेन्द्र शास्त्री
आंगे महिला की बात पूरी हो जाने के बाद पंडित धीरेन्द्र कृष्ण शास्त्री कहा की अब जो लोग हम पर आरोप प्रत्यारोप लगाते रहते है की हम देश मे या समाज मे उपद्रव कर रहे है इसमें हमारी कोई भूमिका नहीं है। हमारे सिर��फ राम नाम की भूमिका है ना तो हम किसी मज़हब के खिलाफ है और ना ही हम धर्मान्तरण पर भरोसा करते है लेकिन हाँ हम घर वापसी पर भरोसा करते है। अंत मे पंडित धीरेन्द्र कृष्ण शास्त्री जी ने बांग्लादेश से आयी मुस्लिम महिला कहा की आपको अभी भी अपना मज़हब छोड़ने की जरूरत नही है आप उसी मज़हब मर रहकर हमारे सनातन धर्म को स्वीकार कर सकती है।
Bageshwar Dham: बांग्लादेश की एक मुस्लिम महिला हुयी पंडित धीरेन्द्र कृष्ण शास्त्री की दीवानी
पांच साल मे सब हरि-हरि होगा - पंडित शास्त्री
बांग्लादेश से भारत आयी महिला का सनातन मे स्वागत करने के बाद उसकी सुरक्षा का आश्वासन भी दिया और बाद मे यह भी कहा की भारत के हिन्दुओ के लिए यह गर्व की बात है की आपके भारत मे बागेश्वर धाम एक ऐसी संपत्ति है जिसमे आप हमें सिर्फ पांच साल का समय दीजियेगा सब हरि-हरि होगा। Bageshwar Dham: एक ही पर्चे मे लगाई दो लोगों की अर्जी फिर हुआ यें दिव्य चमत्कार Bageshwar Dham : पंडित धीरेंद्र कृष्ण बागेश्वर धाम सरकार को लेकर कोर्ट मे मचा बवाल, जज ने वकील से कहा जेल भेज दूंगा Read the full article
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🌀संत रामपाल जी महाराज जी कौन है तथा उनका मानव समाज के कल्याण के लिए क्या उद्देश्य है।🌀
संत रामपाल दास जी का जन्म सोनीपत के धनाणा गांव में 8 सितंबर 1951 को हुआ था।अपनी शिक्षा पूर्ण करने के तत्पश्चात ये हरियाणा सरकार के सिंचाई विभाग में अभियंता बन गए थे। इनकी आधिकारिक जीवनी के अनुसार, ये बचपन से ही सभी हिंदू देवी देवताओं के कठोर भक्त थे। लेकिन इस भक्ति से इन्हें कभी आत्मिक शांति का अनुभव नहीं हुआ।
एक दिन संत रामपाल जी एक गरीबदासीय कबीर पंथी गुरू स्वामी रामदेवानंद से मिलेेेे। जिन्होंने इन्हें समझाया कि उनके द्वारा की जा रही भक्ति की विधि हमारे ही धर्म ग्रंथों से मेल नहीं खाती। अतः वे इस भक्ति विधि से मोक्ष प्राप्त नहीं कर सकते। क्योंकि श्रीमद्भगवद्गीता अध्याय 16 श्लोक 23 के अनुसार जो मनुष्य शास्त्रविधिको छोड़कर अपनी इच्छासे मनमान�� आचरण करता है, वह न सिद्धि को, न सुखको और न परमगतिको ही प्राप्त होता है।17 फरवरी 1988 को संत रामपाल जी ने स्वामी रामदेवानंद जी को गुरु धारण कर भक्ति का उपदेश लिया।।
संत रामपाल जी महाराज जी का उद्देश्य है समाज में नशा करने वाले व्यक्तियों का नशा छुड़वा कर देश को नशा मुक्त बनाना। आज के समय ज्यादातर लड़ाई झगड़े जाति धर्म के ऊपर होते हैं। संत रामपाल जी महाराज का उद्देश्य है समाज से जाति पाती के भेदभाव को मिटाकर सबको एक करना।
जीव हमारी जाति है, मानव धर्म हमारा।।
हिन्दू, मुस्लिम, सिख ईसाई ,धर्म नही कोई न्यारा।।
संत रामपाल जी महाराज जी का उद्देश्य है समाज में फैली सभी प्रकार की बुराइयों को समाप्त करके एक स्वच्छ समाज को तैयार करना।
आज लोग भक्ति करते करते भी दुःखी हैं। कोई बीमारी के कारण दुःखी है, तो कोई अन्य कारण से दुःखी है। संत रामपाल जी महाराज जी चाहते हैं पूरा विश्व शास्त्रों के अनुसार परमेश्वर कबीर साहेब की सत भक्ति करके सभी प्रकार के दुःखों से छुटकारा पाकर मोक्ष प्राप्त करे।
संत रामपाल जी महाराज जी का उद्देश्य धरती को स्वर्ग बनाना है।
परमेश्वर कबीर साहिब की वाणी है-
कलयुग मध्य सतयुग लाऊं l
ताते सत्य कबीर कहाऊं ll
वर्तमान समय में परमेश्वर कबीर साहिब जी के अवतार संत रामपाल जी महाराज जी पूरे विश्व को
भ्रष्टाचार व बुराईयों से मुक्त करके धरती को स्वर्ग बनाने के लिए दिन-रात प्रयत्न कर रहे हैं और उनका यह प्रयत्न सफल भी हो रहा है।
अधिक जानकारी के लिए Sant Rampal Ji Maharaj Youtube Channel पर Visit करें।
Download करें हमारी Official App "Sant Rampal Ji Maharaj"
#8सितंबर_संतरामपालजी_अवतरणदिवस
#SantRampalJiMaharaj
#8thSeptember_AvataranDiwas
अवश्य download करें
पवित्र पुस्तक "धरती पर अवतार"
https://bit.ly/DhartiParAvtar
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माननीय प्रधानमन्त्री महोदय को सार्वजनिक पत्र
सेवायाम्
माननीय प्रधानमन्त्री महोदय भारत सरकार, नई दिल्ली
विषय - भारत की प्राचीन बौद्धिक सम्पदा के द्वारा देश को आत्म निर्भर बनाने हेतु निवेदन।
मान्यवर उपर्युक्त विषयान्तर्गत विनम्र निवेदन है कि यदि कोई व्यक्ति राजनैतिक द्वेषवश टीके का विरोध करता है, तो निश्चित ही वह व्यक्ति शरारती व देशविरोधी कहा जा सकता है परन्तु यदि कोई व्यक्ति वैज्ञानिक प्रमाणों के साथ इसकी वास्तविकता बताता है, कथित महामारी के नाम पर चल रहे वैश्विक दुष्प्रचार व षड्यन्त्र के तथ्यों को प्रस्तुत करके आपको राष्ट्रहित में कोई परामर्श देता है, तब वह व्यक्ति देश व मानवता का महान् हितैषी ही होगा।
मान्यवर मैंने माननीय डाॅ. हर्षवर्धन जी को लिखे पत्र, जिसकी प्रति आपको भी प्रेषित की थी, में यही किया था। माननीय डाॅ. हर्षवर्धन जी ने मेरा पत्र ICMR की एक डी ग्रेड वैज्ञानिक को उत्तर देने लिए भेजा था, परन्तु उनका उत्तर यह मिला है -
Registration number : DHRES/E/2020/01292 Date of Action : 13/01/2021
“The matter does not pertain to this Department.”
अब आप ही हमें अवगत कराने की कृपा करें कि वर्तमान कथित महामारी के विषय में जानकारी भारत सरकार का स्वास्थ्य मन्त्रालय और ICMR का विषय नहीं है, तो और किसका विषय हो सकता है?
आपके कार्यालय से मेरा पत्र MyGov के CEO को भेजा था, जिन्होंने जो उत्तर दिया है, वह निम्नानुसार है -
Registration number : PMOPG/E/2020/1052349 Date of Action : 10/01/2021
“You can Register on MyGov Follow MyGov on Twitter Follow MyGov on Facebook: Subscribe to MyGov YouTube Channel Thank you for writing to MyGov. Your issue is valuable to us. Should you need any further assistance, feel free to contact us back. Regards, Team MyGov L: 011 24301815”
अब आप ही बताने का कष्ट करें कि जब मेरे उठाये गये मुद्दे सरकार के लिए महत्वपूर्ण हैं, तब उन पर क्या कार्यवाही की जा रही है? सरकार तो अपन��� कार्य बेरोक जारी रखे है, तब मेरे द्वारा उठाए मुद्दों का क्या महत्व रहा? न वैज्ञानिकों के पास मेरे प्रश्नों का उत्तर है और न कोई कार्यवाही। क्या अब देश में सत्य बोलना अथवा सत्य की जिज्ञासा रखना भी पाप हो गया अथवा क्या देश के किसी नागरिक को सरकार से कुछ पूछने का अधिकार नहीं रहा? क्या किसी नागरिक को केवल चुनाव में मत देने का अधिकार मात्र बचा है?
मान्यवर मैं योगेश्वर भगवत्पाद श्रीकृष्ण जी महाराज व महर्षि दयानन्द जी सरस्वती का भक्त हूँ, जो सदैव राजाओं व सम्राटों को भी सत्योपदेश किया करते थे। मैंने भी यही दायित्व निभाया था। आप अथवा कोई नागरि��� सोच सकता है कि मेरी यह हैसियत नहीं कि मैं वैज्ञानिकों के सम्मूख बोल सकूं। मैं इस बात का उत्तर पूर्व पत्रों में दे चुका हूँ। मैंनें महामहिम राष्ट्रपति महोदय को लिखे पत्र में मैंने घोषणा की थी -
‘‘यदि मैं और मेरी टीम के सदस्यों के आधुनिक सैद्धान्तिक भौतिकी पर पूछे गये प्रश्नों का उत्तर वे वैज्ञानिक, जिन पर माननीय प्रधानमन्त्री महोदय गर्व करते हैं, दे दें, तो मुझे नियमानुसार कोई भी दण्ड भारत सरकार दे दे अन्यथा वे वैज्ञानिक हमारे साथ मिलकर भारत को सैद्धान्तिक भौतिकी के क्षेत्र में विश्व गुरु बनाने हेतु कार्य करें।’’
मान्यवर क्या इस प्रकार की घोषणा हर कोई करने का साहस कर सकता है? यदि मैंने यह किया है, तो मेरे पास कोई तो आधार होगा।
मैंने उनसे वर्तमान कथित महामारी से सम्बंधित प्रश्नों के उत्तर की मैडीकल सायंस के विशेषज्ञों से मांग करते हुए यह भी निवेदन किया था कि डाॅ. तरुण कोठारी आदि, जो डाॅक्टर्स इस महामारी पर बोल रहे हैं, उनकी मैडिकल सायंस के विशेषज्ञों के साथ डिबेट कराने का कष्ट करें, यदि डाॅ. कोठारी आदि गलत सिद्ध होते हैं, तो उन्हें सजा दें अन्यथा उनकी बात मान कर भारत को वैश्विक षड्यन्त्र से बचा लें।
मान्यवर कृपया यह न विचारें कि भारत के बड़े-2 भौतिक वैज्ञानिक मेरे जैसे साधु से क्यों बात करेंगे? इस सम्बन्ध में मैं इतना ही निवेदन कर सकता हूँ कि मैंने तो 2017 में भौतिकी का नोबल पुरस्कार पाने वाले अमरीकी वैज्ञानिकों को के साथ-2 नासा और सर्न जैसी विश्वविखत वैज्ञानिक संस्थाओं से भी 9 प्रश्न पूछे थे, उस पर एक नोबल पुरस्कार विजेता ने मेल द्वारा मुझे यह उत्तर दिया था -
“Unfortunately, I am so overwhelmed that I am unable to answer questions at this time - and most likely not until 2018.”
इसके पश्चात् जनवरी 2019 में मैंने पुनः उनसे उत्तर चाहे और उन्हें यह भी लिखा कि ��दि वर्तमान भौतिकी मेरे प्रश्नों का उत्तर देने में असमर्थ है, तो मैं अपनी वैदिक भौतिकी के आधार पर इन प्रश्नों का उत्तर दे सकता हूँ। मेरा यह लिखने का तात्पर्य यही है कि भारत सरकार मेरी बात को हल्के ढंग से न ले। यदि सरकार सिद्ध कर देती कि मैं उसे मूर्ख बना रहा हूँ, तो सरकार मुझे दण्ड दे ही सकती थी। इससे अधिक कोई व्यक्ति कह भी क्या सकता है? परन्तु अभी तक सरकार मौन है।
मान्यवर वर्तमान समय में भारत परम्परागत आयुर्वेद चिकित्सा पद्धति के आधार पर वर्तमान रोग की चिकित्सा व रोकथाम करके विश्व का नायक बन सकता था, परन्तु आपसे भूल हो गयी। आप उन्हीं देशों की राह पर चल पड़े, जो स्वयं इस रोग से हार रहे थे। अब भी वही हो रहा है। शायद सरकार को लगता है कि आयुर्वेद इसमें क्या करेगा? अथवा वेद वर्तमान भौतिकी के समक्ष कहाँ ठहरेगा? हमको भव्य-भवनों और प्रयोगशालाओं में ही विज्ञान दिखाई देता है परन्तु हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि हमारे ऋषि मुनियों ने पर्वतों की कन्दराओं और वृक्षों के नीचे जंगल में बैठकर वह विज्ञान जाना था, उसे अब तक आधुनिक विज्ञान नहीं जान सका है, इसका प्रमाण मैं स्वयं दे सकता हूँ। इसी प्रकार प्राचीन पद्धति के किसी वृद्ध वैद्य के हाथों में वह परीक्षण पद्धति है, जो कभी-2 बड़ी-2 प्रयोगशालाओं को मात दे सकती है। आवश्यकता है भारत की पुरातन, सनातन वैदिक परम्परा पर विश्वास की।
भौतिक विज्ञान के क्षेत्र में भी मैं निवेदन कर रहा हूँ कि आपकी सरकार पिछले 6 वर्ष से मेरे पत्रों की उपेक्षा करती आ रही है। बार-बार निवेदन करने पर भी आपने मिलने तक का भी समय नहीं दिया, जबकि आपके कार्यालय ने मेरा ग्रन्थ मंगवाया भी था। मुझे लगता है कि कुछ देश मेरी अथवा किसी प्राचीन भारतीय वैज्ञानिक की थ्योरी पर कार्य करने लग गये होंगे और वे अपने नाम से उसे विस्तार भी देने का प्रयास करेंगे परन्तु अपने भारत को यह बात तब समझ में आयेगी, जब वे हमें वैदिक भौतिकी को अपने नाम से बतायेंगे। इसके भी कुछ प्रमाण मेरे पास हैं।
इस कारण आप से विनम्र अनुरोध है कि कृपा करके इस बौद्धिक दासता से देश को बाहर निकालने का कष्ट करिये और अपने महान् पूर्वजों पर गर्व करें और देश को वास्तव में आत्म निर्भर बनाने का प्रयास करें। आशा के साथ
भवदीय आचार्य अग्निव्रत नैष्ठिक प्रमुख, श्री वैदिक स्वस्ति पन्था न्यास
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खुलेआम राम भक्त गोपाल मुसलमानों को मारने, काटने की बात कर रहा है। क्या मोदी सरकार इस आतंकी को UAPA के तहत सजा देगी? ऐसे जहरीले सापों का बाहर आजाद घूमना बहुत बड़ी मुश्किल खड़ी करेगा देश के लिए। इस लिए #ArrestRambhaktGopal
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GODI MEDIA: गोदी मीडिया वालों की हकीकत क्या ?
आजकल एक बात बहुत चर्चा में है वो है गोदी मीडिया. क्या सच में भारत का मीडिया गोदी मीडिया है? मेरा लेख पढ़ने के बाद आप आकलन कीजिए. लोकतं��्र में कोई स्वतंत्र हो ये आसान नहीं. यूट्यूब चैनल चलाने वाले तक स्वतंत्र नहीं हैं. वो भी पक्ष या विपक्ष दोनों में से किसी एक से संबध रखते हैं. पहले वो किसी चैनल से अपना पक्ष रख रहे थे. अब यूट्यूब चैनल बनाकर, स्वतंत्र मीडिया बनकर खुद को निष्पक्ष बताते हैं.
हकीकत में वो भी गोदी मीडिया हैं. क्योंकि वो उस पब्लिक की गोदी में बैठना चाहते हैं जो उस पक्ष के विरोध में है. जिसका वो विरोध कर रहे हैं. हमारे देश में जनता दो हिस्सों में बट चुकी है. एक वो जो मोदी समर्थक हैं और दूसरे वो जो मोदी विरोधी हैं. तीसरा यहां कोई है ही नहीं. मीडिया भी इन्ही दो हिस्सों में बटी हुई है. देश के कुछ न्यूज़ चैनल मोदी समर्पित हैं तो कुछ मोदी विरोधी.
लेकिन सोशल मीडिया पर दुनिया भर के फैक्ट चेक के नाम पर सरकार विरोधी चैनल्स हैं. पहले के मुकाबले सरकार के हितैषी सोशल मीडिया पर कम हैं, अगर हैं तो सरकार के ही अपने “IT” सेल के कर्मचारी या कुछ गिने चुने लोग. क्योंकि सरकार का मेन स्ट्रीम मीडिया पर कंट्रोल ज्यादा है इस लिए सरकार को सोशल मीडिया की इतनी ज़रूरत नहीं है.
अब अगर बात गोदी मीडिया की करें तो क्या मोदी की गोद में बैठी मीडिया ही गोदी मीडिया (GODI MEDIA) है या मोदी विरोध वाले भी गोदी मीडिया हैं. दरसल इस देश में मोदी मीडिया और गोदी मीडिया दो हैं. मीडिया कहीं नज़र नहीं आ रहा. मोदी की गोदी में बैठे मोदी गोदी (MODI GODI) हैं. मोदी के विरोध वाले विपक्ष की गोदी में बैठे हैं.
क्योंकि खबर को तो अब मारा जा चुका है. अब तो सिर्फ विरोध और पक्ष रह गया है. हकीकत में हमारे देश में मीडिया का पतन हो चुका है. मीडिया में सिर्फ कर्मचारी रह गए हैं. पत्रकारिता तो कफन में बंद हो चुकी है. क्योंकि संपादक सब पहले ही डिसाइड कर लेते हैं कि कौन सी खबर को बेचना है और कौन सी खबर को छोड़ना. जनता के हित की खबर गलती से चल जाए तो खुदा का लाख लाख शुक्र.
गोदी में बैठी मीडिया के लिए अब खबर सिर्फ दो ही बची हैं. एक खबर मोदी की तारीफ एक मोदी के विरोध वाली. जो पत्रकार नौकरी छोड़ चुके हैं वो मोदी विरोध से धंधा चला रहे हैं और जो नौकरी में हैं वो मोदी की खुशामती कर के अपना काम चला रहे हैं. बहुत कम ही पत्रकार हैं जो बैचारे किसी तरह अपने आप को न्यूट्रल बना कर चल रहे हैं.
दरसल मोदी विरोध और मोदी भक्त होने के बाद आप के दर्शक बंध जाते हैं. जिसके बाद आप को अपने उन दर्शकों के लिए विचारधारा को समर्पित करके उनका एजेंडा चलाना आपकी मजबूरी होती है. अब मेरा चैनल्स ��ा नाम लेने से तो कोई फर्क नहीं पढ़ने वाला कि ये गोदी में बैठा है तो ये नहीं. दरसल गोदी में तो सभी बैठे हैं. लेकिन हम सब गोदी मीडिया हैं ऐसा नहीं है.
देश के लिए झुकाव रखना गोदी मीडिया (GODI MEDIA) नहीं हो सकता चाहे वो सरकार का विरोध हो या सरकार का पक्ष. देश हित के मुद्दों पर सरकार की गोदी में बैठना गोदी मीडिया नहीं है, लेकिन सरकार के गलत फैसलों को भी आंख मूंद कर समर्थन करना गोदी मीडिया होना ही है. जितने भी पत्रकार सरकार का पक्ष या विरोध देश हित को, जनता हित को देख कर करते हैं वो गोदी मीडिया नहीं हैं वहीं पत्रकार हैं. लेकिन इस देश में पत्रकारों कि बहुत कमी है.
यहां पर गोदी मीडिया (GODI MEDIA) वाले बहुत ज्यादा हैं. उनको हर खबर में पक्ष या विरोध ही दिखता है. गोदी मीडिया हमेशा रहेगा जब तक देश रहेगा. लेकिन बस इंतज़ार है, तो उस मीडिया का जो देश हित के लिए गोदी में बैठे. फिर चाहे गोदी मीडिया हो या मोदी मीडिया कोई फर्क नहीं पड़ेगा. बहुत से लोग आज भी गोदी मीडिया से बाहर एक स्वतंत्र मीडिया चाहते हैं. लेकिन इस देश में ऐसा होना नामुमकिन है, जब तक देश में धर्म और जाति के नाम पर चुनाव होते रहेंगे.
हमारे देश में लोग अपने आप को स्वतंत्र तो बताते हैं लेकिन उसी स्वतंत्रता में अगर उनकी प्रोफाइल देखी जाए तो वो नंगे हो जाते हैं. किसी खास के विरोध से वो किसी की गोदी में बैठे दिखते हैं. गोदी मीडिया वाले वहीं हैं जो किसी की गोदी में बैठकर सिर्फ एक विचारधारा को समर्पित हैं जो सच अधूरा ही दिखा कर खुश होते हैं. जिन्हे डर लगता है कि हमने सच पूरा बता दिया तो कहीं हमारे साथी न नाराज़ हो जाएं. हमारे समर्थक ना नाराज़ हो जाएं. वो डर से गोदी से बाहर नहीं निकल पाते यहीं असल में गोदी मीडिया (GODI MEDIA) वाले हैं.
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कब आयेगा मेरे बंजारे :- भाग्य���गर बनाम हैदराबाद ?
जब से योगी जी हैदराबाद गये है तभी से सम्पूर्ण भारत मे एकबार फिर से शहर के नाप पर चर्चा गरम है । यूँ तो अनेकों किस्से-कहानियों को हैदराबाद शहर समेटे हुये है लेकिन एक बात तो तय है कि हैदराबाद नाम ही उस शहर की असलियत नही है। आइये खोजते हैं उद्गम स्थल !
बात उन दिनों की है जब यह भूभाग गोलकोंडा के नाम से प्रख्यात थी । वही गोलकोंडा जहां पर कोहिनूर और ना जाने कितनी बेशकीमती हीरे जवाहरातों ने भारत देश की समृद्धि में चार चाँद लगा दिया था । इतिहासकारों की माने तो चौदहवीं शताब्दी में वारंगल के राजा ने गोलकोंडा दुर्ग का निर्माण करबाया था जिसे बाद में बहमनी शासकों ने हथिया लिया और इसका नाम गोलकोंडा से बदलकर मुहम्मदनगर रख दिया और फिर उसके बाद यह दुर्ग 1580 ईस्वी में कुतुब शाही के अधिकार में आया । हमें यहीं तक पहुँचना था ताकि भाग्यनगर को ढूंढा जा सके ।
कुतुब शाही शाशकों की राजधानी गोलकोंडा या मुहम्मदनगर तब तक बनी रही जब तक इस घराने में कुतुब कुली शाह का जन्म नही हुआ । खैर 1565 में घराने ने एक चिराग को जन्म दिया जिसका नाम इनके पिता इब्राहिम शाह ने कुतुब कुली शाह रखा । पढ़ने लिखने में बहुत ही होशियार थे । पिता के आकस्मिक निधन के बाद मात्र 15 बर्ष की आयु में सन 1580 में सिंहासन पर बैठ गए । ज्यों ज्यों किशोरावस्था से युवा अवस्था मे प्रवेश करने लगे शेरो-शायरी करने लगे , विद्वता बढ़ने लगी, यहाँ तक कि 1590 ईस्वी आते आते कुली साहब अरबी, फ़ारसी, तेलगु, उर्दू के प्रख्यात विद्वान हो गए । लेकिन अचानक राज्य में प्लेग आ जाने के कारण लोग हजारों की संख्या में मरने लगे । इन्हें लगा कि यदि गोलकोंडा में और अधिक समय तक प्रजा ��ही तो सभी मारे जाएंगे । और यहीं से सुरु हुआ हैदराबाद शहर ��ी खोज ! जल्दि ही मुसी नदी के किनारे जगह मिल गया और वहीं पर एक नया शहर बनाने का निर्णय लिया गया । ये मुसी नदी कोई और नदी नही बल्कि उसी कृष्णा नदी की उपनदियों में से एक है जो बंगाल की खाड़ी से मिलती है । भारत का इतिहास जानना हो और नदी का जिक्र नही तो समझिए आप सत्य जानने से चूक गए । संछिप्त में बस यही समझीये की मुसी नदी के किनारे वर्तमान हैदराबाद और कृष्णा नदी के किनारे वर्तमान विजयवाड़ा । और भी बहुत कुछ है लेकिन लेख को भटकाने का मेरा कोई इरादा नही है ।
कुली शाह ने ईरान से शिल्पकारों को बुलाया और इस तरह मस्जिद , चारमीनार निर्माण करबाने के बाद कहा जाता है कि राशिदून ख़लीफ़ा जिनका नाम अली इब्न अली तालिब उर्फ हैदर था उनके नाम पर इस शहर का नाम हैदराबाद रखा ।
कुछ अलग अलग कहानियों में से एक कहानी और भी है कि कुली साहब को बगीचों , नदियों , प्रकृति से अधिक लगाव था । वे शाम को मुसी नदी के किनारे टहलने जाया करते थे । वहीं बैठकर क़सीदा, मर्शिया , ग़ज़ल इत्यादि लिखते भी और अपने दरबारियों को सुनाते भी थे । वहीं आसपास में एक दिन किसी लड़की को देखा जो अति सुंदर और अनमोल गाती थी । वह लड़की बंजारन थी और नाम था भागवती। कुली साहब इश्क़ में पड़ गए और उस लड़की से निकाह कर लिया । निकाह के समय भागमती का नाम बदलकर बेगम हैदर रख दिया और उन्ही के नाम पर शहर का नाम रखा - हैदराबाद । यह तो मुझे एक कहानी प्रतीत होती है , हो सकता है आप इसमें से कुछ सच निकाल संकें ।
बहरहाल जो भी हुआ हो लेकिन मेरे इस लेख को लिखने के पीछे उद्वेश्य कुछ और ही है ।
आपने एक बात पर जरूर गौर किया होगा कि गोलकोंडा का नाम बदलकर बहमनी शाशकों ने ��ुहम्मदनगर रख दिया था । यदि इस नाम को देखें तो पाते हैं - मुहम्मद +नगर । एक अरबी और एक संस्कृति । क्या हो यदि इसमें से से नगर को हम हटा दें । ऐसे और भी उदाहरण भरे पड़े हैं । मुजफ्फरनगर में से नगर को हटा कर देखिये , अलीगढ़ में से गढ़ को हटाकर देखिये ! गढ़ तो चंडीगढ़ में भी सुहागा है और अलीगढ़ में भी । शहरों के नाम भी उर्दू-अरबी-फारसी-हिंदी को समेटे हुये है शब्दों की तो बात ही छोड़ दीजिए ।
इसपर किसी को प्रश्न और शंशय नही है कि संस्कृत के शब्दों में किसी उर्दू या अरबी शब्दों का संगम है । सभी को पता है कि भारत मे जितने भी शहरों के नाम हैं वे अरब आक्रमण के बाद ही ��दले गए थे जिसमें कुछ अस्तित्व में हैं और कुछ मिट गए । बात बस ये है कि जब अरबी शाशकों ने नामकरण किया तो कैसे हिंदी-अरबी को सम्लित और मिलाकर एक अमर नाम दिया । ये बड़ी बात है ।
शहरों के नाम बदलते रहेंगे , और यही होता भी आ रहा है लेकिन जिस तरह से दो समुदायों के बीच में गुंजाइश को सभी मध्यकालीन शाशकों ने स्थान और सम्मान दिया उसे कोई ना छेड़े तो भारतीय परंपरा को कभी आंच नही आएगी । यहाँ के हिन्दू मुस्लिम में कोई भेद नही है । एक दूसरे से इस कदर गूँथ चुके हैं कि इसे अब कोई अलग नही कर सकता है । यदि एक को अलग करेंगे तो दूसरा अपने आप मर जयेगा और यदि दूसरे को अलग करेंगे तो पहला भी नही जी पावेगा ।
धार्मिक उन्माद और मजहबी कट्टरता करनेवालों ने इन दोनों समुदायों के बीच मे फुट डालकर बर्षों से इन्हीलोगों को आपस मे लड़ाया है । वे तो सुरक्षित घरों में रहे लेकिन लाखों आम नागरिक हिन्दू-मुसलमान के नामपर मर-कट गए - चाहे वो 1947 का विभाजन हो या अलग अलग समय पर दंगा-फसाद , मरनेवाले वो कभी नही रहे जिन्होंने दंगा सुरु होने से पहले माइक पर चिल्लाकर आवाज दी थी- हम नबी के दुलारे हैं, मौत से नही डरते, हम खून की नदियां बहा देंगे या हम राम के भक्त हैं, महाकाल के भक्त हैं , हम तांडव करेंगे तो त्राहिमाम होगी ।
कभी तो तर्क लगाइये , एकबार सोचिये की अपने आप हमारे मुँह से निकल जाती है - मानव, आदमी और इंसान । ऐसा कोई हिन्दू या मुस्लिम भारत मे नही जो इन तीन शब्दों का प्रयोग ना करता हो लेकिन फिर भी पता नही किस अंधकार में जीते हैं । एक को भाग्यनगर बनने में रस है और दूसरे को हैदराबाद में । भाईलोगों ये आदमी शब्द आदम से बना है , इंसान ईसा से और मानव मनु से । चुकी इस्लाम ईसाई और यहूदी का ही एक सम्लित परिवार है कुछ अंतर के साथ इसलिए इंसान शब्द में इंशा भी है । अंत मे यही कहूंगा कि कोई राजनेता कुली शाह या गफ्फार खान या सुभाष चंद्र जैसे आपको दिखे तो उन्हें समर्थन दें । सच तो यही है कि नाम चाहे कितना भी कोई सरकार बदले उस से किसी को कोई मतलब नही होना चाहिए । मतलब ये रखिये की नाम की आड़ में वह नेता आपके दिमाग के साथ ना खेल जाय अन्यथा वही होना है जो वे चाहते आ रहे हैं । दंगा !
अंत में कुतुब कुली शाह का मकबरा नीचे आपके लिए और एक विनय यदि आप इनके द्वारा लिखे - कुल्लियात पोथी में से कुछ ग़ज़ल, मर्शिया या क़सीदा पढ़ सकें । अपने भारत मे असंख्य हीरे हैं , जो भी मिल जाय रख लिया कीजिए - भाग्यनगर या हैदराबाद ।
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बरसों बाद वामपंथियों के खुश होने का मुहूर्त आया है । किसी से भी बात करिये, पता नहीं क्यों सब मन ही मन खुश लग रहे हैं । चेहरे पर भले 370 बजा है, लेकिन दिल में अचानक एक उम्मीद जगी है । यह उम्मीद गहराती आर्थिक मंदी की ख़बरों से पैदा हुई है ।
बात गूढ़ है । समझने की है । एक दौर था जब लोग पैंट के नीचे कच्छा पहनते थे और वामपंथी चुन-चुन के कच्छे का रंग बताते थे । फिर आया मज़बूती का दौर । शर्ट का साइज़ छप्पन इंच हुआ तो कमर से नीचे का पहनावा भी उलट गया । 2014 के बाद अचानक लोगों की शर्म चली गई । आम आदमी सुपरमैन बन गया । पतलून के ऊपर कच्छां पहनने लगा । खुलकर अब वामपंथियों के पास सुरागदेही का कोई काम बचा नहीं । जिसे देखो वही निक्करधारी, कच्छाधारी सरेआम ।
सच्चे वामपंथियों ने कभी पैंट के नीचे कच्छा नहीं पहना । पाखंड से उन्हें आजीवन सख्त नफरत रही । इस मुल्क के स्तर साल में जो पाखंड पोसा गया, एक मज़बूत नेता ने आकर उसे तार-तार कर दिया । लोगों को हिम्मत दी कि वे सच्चे बनें, ईमानदार बनें । जो पहनें, खुलकर पहनें, दिखाकर पहनें । अपना लक पहन कर चलें । पांच साल तक लगातार ईमानदारी से अपना लक पहन कर चलने की सबकी आदत ने वामपंथियों को खुश होने का कारण मुहैया कराया है ।
बरसों पहले वामपंथियों के एक दुश्मन ने मंदी पर ज्ञान दिया था। उनका नाम था एलन ग्रीनस्पैन। बाद में वे अमेरिकी फेडरल रिजर्व के मुखिया भी रहे । वे कहते थे कि आर्थिक मंदी आने के तमाम संकेतों में एक प्रमुख संकेत यह है कि लोग कच्छा खरीदना कम कर देंगे । जून के आंकड़े इस बात की तसदीक करते हैं। जॉकी से लेकर काल्विन क्लीन, डॉलर आदि कंपनियों के कच्छों की बिक्री में भारी कमी देखी गयी है ।
अर्थशास्त्रियों ने कच्छे का नाड़ा पकड़ा, तो पाया कि ऑटो सेक्टर भी मंदी में फंस चुका है। ब्रिटेनिया के मालिक कह रहे हैं कि लोग पांच रुपया का बिस्कुट खरीदने से पहले सोच रहे हैं। लार्सन एंड टुब्रो के मुखिया कह रहे हैं कि मेक इन इंडिया फेल हो गया। टाटा के कारखाने बंद हो गए । हिंडाल्को निपट गया। ��ारुति की उड़ान थम गई। कैफे कॉफी डे के मालिक ने तो जान ही दे दी। पता चला कि बीजेपी के एक नेता का बेटा भी बेरोजगार होकर मर गया।
मने मामला कच्छे से चलते-चलते खुदकुशी तक पहुंच गया लेकिन यह देश मुसलमानों के मरने से ही संतुष्ट होता रहा। वामपंथी चालाक होते हैं। भावनाओं के चक्कर में नहीं पड़ते। सीधे सुषुम्ना नाड़ी पकड़ते हैं। अर्थव्यवस्था की नब्ज़ो पर उनका डेढ़ सौ साल से हाथ है । वे भांप गए कि अब कोई संकटमोचक, कोई रामचंद्र काम नहीं आने वाला । सबके कच्छे तार-तार होकर गिरेंगे क्योंकि कच्छे खरीदने की बुनियादी औकात ही जाने वाली है। अपना क्या है, हम तो वैसे भी न सुपरमैन हैं न निक्करधारी। जोजो ने सेक्रेड गेम्स के दूसरे मौसम में कहा है न- जो पेलेगा, वो झेलेगा।
एक और बात है जिससे वामपंथी मन ही मन हुलसे हुए हैं। वे जानते हैं कि मज़बूत नेता के पास अर्थशास्त्र जानने वाला कोई नहीं है। सब भाग गए हैं मौका देख के। बस समय की बात है, ये सरकार अब पटकायी तब पटकायी। उनकी इस सदिच्छा में कुछ तार्किकता हो सकती है, लेकिन दिक्कत ये है कि जनता के साथ इनका जुड़ाव नहीं है। ये लोग जनता के फार्मूलों को नहीं जानते। वरना मंदी की खबरों से वाकिफ़ होने के बावजूद मदमस्त जनता का राज़ खोज पाते।
परसों चौराहे पर पार्षदी के सक्षम एक बजरंगी उम्मीदवार से बात हो रही थी मंदी पर। मैंने उन्हें ऑटो सेक्टर में जाने वाली नौकरियों का ज्ञान दिया। वे ऐसे मुस् राये जैसे विष्णु भगवान से लक्ष्मी ने कुछ मूर्खतापूर्ण बात कह दी हो। बोलते भये- ”चलिए, इसी बहाने फिरोजवा का धंधा बंद होगा। न गाड़ी बिकेगी, न पंचर होगी, न इसकी दुकान रहेगी।”
”लेकिन आपकी जिंदगी पर भी तो कुछ फर्क पड़ेगा?”मेरे इस सवाल पर उन्होंने ढाई किलो का अपना हाथ बाकायदे मेरे कंधे पर रख दिया और बोले- ”झांट नहीं फ़र्क पड़ेगा। चना चबेना खाकर राम-राम करते हुए काट देंगे। अकाल मृत्यु वह मरे जो काम करे चांडाल का, काल भी उसका क्या करे जो भक्त हो महाकाल का।” और कल्ले में पान दबाकर आ��े-पीछे महाकाल लिखी हुई बाइक से वे फुर्र हो लिए ।
अर्थशास्त्र को समझना एक बात है। जनता क�� समझना दूसरी बात। नोटबंदी और जीएसटी इसका उदाहरण है। और इस बार के संकट में तो नुस्खा ज्यादा आसान है। कोई भी नारा दे सकता है- अंडरवियर से लंगोट की ओर लौटो। लंगोट हिंदू है। अंडरवियर ईसाई। अगर यह बात फैला दी गयी तो मंदी तेल लेने चली जाएगी। सारे तकनीकी काम इस देश में मुसलमान करते हैं, यह धारणा अगर स्थापित हो गयी तो मंदी पानी भरती नज़र आएगी।
एलन ग्रीनस्पैन जिस देश में पैदा हुए, वहां लंगोट नहीं पहनी जाती। अपने यहां तो एक ही सूत से झोला भी सिल लो, लंगोट भी और कच्छा भी। ऐसी परंपरागत सहूलियतें अर्थव्यहवस्था के लिए हिंदू शॉक एबजॉर्बर का काम करती हैं। याद करिये, एक ज़माने में हिंदू ग्रोथ रेट की बात होती थी कि नहीं? जहां हिंदू है, वहां मंदी भी एक बार को आने से पहले सोचती है। और गर आ ही गयी, तो हिंदू जनता को खुश कर जाएगी। उसे लगेगा चलो, एक झटके में कुछ कचरा तो साफ़ हो गया। कचरा समझते हैं न?
भारत में बेअसर मंदी की आहटों को समझने के लिए बुनियादी रूप से यह समझना ज़रूरी है कि यहां ”चांडाल” किसे समझा जाता है। फिर मंदी क्या महामंदी भी महाकाल का प्रसाद दिखायी देगी। अपनी धर्मपारायण जनता उसके आगे नतमस्तक हो जाएगी।
मुझे डर है कि इस बार भी वामपंथियों की खुशी बीच में लटपटा न जाए। वे दुखी रहने को अभिशप्त जो हैं।
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पॉलीथीन में आंत लेकर घूमता है सीने पर गोली खाने वाला जवान
पॉलीथीन में आंत लेकर घूमता है सीने पर गोली खाने वाला जवान #crpf #jawan #naxal #apathy
मुरैना : देश के लिए गोली खाने वाले शख्स को यए नतीजा मिल रहा है. उसकी ज़िंदगी का भरोसा नहीं. पॉलीथीन में आंतड़ियां रखकर घूमता है. गोली लगने से एक आंख भी खराब हो गई है. न तो इलाज के लिए पैसे हैं न कोई राष्ट्रवादी की मदद. ये वो जगह है जहां से पूरे देश में संघ का आंदोलन तेज़ हुआ लेकिन सिपाहियों की राजनीति करने वाली संस्था ने कभी उसकी फिक्र नहीं की.
नज़दीकी तरसमा के रहने वाले सीआरपीएफ जवान मनोज तोमर…
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++++आपके उच्च विचारसे सहमत हूँ मगर ++++ ------------------------------------------------------- आज हम कुत्ते से भी गये गुज़रे होगये हैं ++++++++++++++++++++++++++++++++++ मगर दुःख ही नहीं बल्कि बहोत बड़ा गम एहसास होता है रोना आता है कि आज़ादी से लेकर 14 तक कोई इतना बड़ा ज़हर पीकर क��म करने वाला इमानदार इंसान देश भक्त कामियाब PM नहीं मिला इस देश को , और जब मिला तो ज़हर उगलने वालों की संखिया कम नहीं हुई !-------इतनी घटिया राजनीति इतनी घटिया सोच के लोग हैं देश में सोचा भी नहीं सकता था परन्तु हम देख सुन रहे हैं -------------------- लोग इतने गिरजायेंगे कि देश की चिंता कुछ नहीं केवल स्वार्थी सीवरों को पालने में देश बर्बाद करदेंगे ! ____पिछले 70, वर्ष मुखिय गुज़रे 10 वर्षों में जो हुआ उनका हिसाब समाज लेना नहीं चाहता ------------------------ अब देश को पिच्छे खींचने के लिए जो मन में बकबक करने लगते हैं -जिस देश का समाज अँधा ,बहरा ,और गुंगा अपंग होगा वो देश क्या और कैसा बनेगा ? ----------------------- आखिर देश की मौजूदा और आने वाली नस्लों का क्या होगा ? क्या घर घर भरष्ट और आतंकवाद का शिकार होगा ? या जुर्म की दुनिया गरद चरस में खेलेंगे ? --- क्यूँ कि मौजूदा सरकार को छोड़ कर !-- सारी पार्टियां देश विरोधी मोदी विरोधी बनी हुई है और आतंकी मुल्क शैतानिस्तान पाकिस्तान के सपोर्ट में पागल कुत्तों की तरह भौंक रही है , कुत्ते भी अच्छे हैं जो अपने घर की हिफाजत में एक आहट सुनते ही सारे कुत्तों को एकट्ठा कर लेता और घरों को बचालेता है मगर आज हम कुत्ते से भी गये गुज़रे हो गये हैं ! जिसे देखो वही अपमानित शब्दों और नजरों से देशके मानीय PM को बोलता देखता है ! हमें ऐसा महसूस होता है ---कि भारतीय संविधान में आजही संशोधन की सख्त ज़रूरत है ----------- नहीं तो भारतीय समाज खुद ज़िम्मेदार है और होगी अपनी तबाही बर्बादी की ! जो आज नहीं हुआ अच्छा तो आने वाले कल में आपको आशा उम्मीद होगी ,---हमें नहीं ------ ** आपके उच्च से सहमत हूँ मगर हमें हिम्मतके साथ कोशिश करते रहना है अपने कार्यको पूर्ण करनेके लिए ** ! वन्दे मातरम् डॉ,फ़ातेह सुलतान
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समरसता के साथ समाज को आगे बढायें - ओम बिरला
मंदिर श्री फलौदी माताजी महाराज समिति, खैराबाद की केंद्रीय कार्यकारिणी का शपथ ग्रहण समारोह न्यूजवेव @ रामगंजमंडी/कोटा राजस्थान के खैराबाद में स्थित श्री फलौदी माता का इकलौता मंदिर हम सबकी अटूट आस्था का केंद्र है। यहां मेडतवाल समाज के साथ अन्य सभी वर्गों के भक्त वर्ष पर्यंत दर्शन के लिये आते हैं। यहां नवरात्र में माता के दर्शन करके एक नई दि��्य उर्जा की अनुभूति होती है, जिससे जीवन में सात्विकता बढ जाती है। अ.भा.मेडतवाल (वैश्य) समाज द्वारा संचालित मंदिर श्री फलौदी माताजी महाराज समिति की नवनिर्वाचित केंद्रीय कार्यकारिणी के शपथ ग्रहण समारोह में मुख्य अतिथि लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने मंगलवार को नईदिल्ली से समारोह को वर्चुअल संबोधित किया।
लोकसभा अध्यक्ष बिरला ने कहा कि आस्था के ऐसे पवित्र प्रांगण में शपथ ग्रहण करने वाले सभी पदाधिकारियों व सदस्यों को मैं बधाई देता हूं। मैं दूर बैठकर भी फलौदी माता के दर्शन को व्यक्तिशः महसूस कर रहा हूं। मुझे कई बार मंदिर में दर्शन करने का सौभाग्य मिला है। उन्होंने कहा कि समाज की नवगठित कार्यकारिणी समरसता के साथ समाज को आगे बढाने का कार्य करे। मेडतवाल समाज में प्रत्येक 12 वर्ष में बसंत पंचमी पर यहां कुंभ मेला भरता है, जिसमें देश-विदेश में रहने वाले सभी परिवार एक साथ इकट्ठा होते हैं, मिलते-जुलते हैं। ऐसी सामाजिक एकता की परंपरा और कहीं देखने को नहीं मिलती है। समारोह में पूर्व सचिव भारत सरकार IAS आर.एस.जुलानिया ने नवनिर्वाचित 21 पदाधिकारियों एवं 99 कार्यकारिणी सदस्यों को अपने दायित्वों का निष्ठापूर्वक कर्तव्य निर्वहन करने की शपथ दिलाई। वरिष्ठ समाजसेवी मदनलाल दलाल ने अध्यक्षता की। समारोह में पूर्व जिला कलक्टर रमेश भंडारी, पूर्व राज्य सूचना आयुक्त आत्मदीप, पूर्व विधायक नरसिंहगढ गिरीश भंडारी, पूर्व विधायक खानपुर अनिल जैन, रामगंजमडी नगरपालिका के पूर्व चैयरमेन हुकुमचंद बाफना, समाजसेवी बालकृष्ण दाख, रामगोपाल नेताजी विशिष्ट अतिथि रहे। प्रजातांत्रिक व्यवस्था से समाज को नई दिशा दें
समारोह के मुख्य वक्ता IAS आर.एस. जुलानिया ने कहा कि जब समाजों में आबादी और संसाधन बढते हैं तो आस्था के केंद्र कर्म के केंद्र बन जाते हैं। हम कर्म के मंदिर में बैठकर अच्छे कार्य करने का संकल्प करें। पुरानी टीम ने मेले का सफल आयोजन और सेवा सदन का निर्माण पूरा कर एक दिशा प्रदान की है। नई टीम इस दिशा में आगे बढते हुये समाज की दशा को मजबूत करने पर ध्यान दे। आज ही क्षेत्र में प्रजातांत्रिक व्यवस्था से चुने लोगों पर ही समाज का विश्वास यानी ट्रस्ट होता है। आप इस विश्वास पर खरा उतरें। समाज में संस्कारों से अनुशासन व समरसता झलकती है। वैश्य समाज दूसरों को नौकरी देता आ रहा है। हमारी नई पीढी पढ-लिखकर अपने व्यवसाय को ओर आगे बढायें। समाज की तरक्की के लिये रोड मेप बनायें
पूर्व जिला कलक्टर IAS रमेश भंडारी ने नई टीम को बधाई देते हुये कहा कि हम समाज की तरक्की के लिये रोडमेप बनायंे और उसे पूरा करने के लिये कमर कसकर जुट जायें। आलोचनाओं पर ध्यान देना बंद कर दें। आपका हर अच्छा कार्य आगे बढने के लिये नई उर्जा देता रहेगा। पूर्व विधायक गिरीश भंडारी ने समाज के युवाओं का आव्हान किया कि व्यापार के साथ अब राजनीति में भी अपनी उर्जा से आगे बढें। समाज में रचनात्मक कार्यक्रमों से जुडें़। पूर्व चैयरमेन हुकुमचंद बाफना ने कहा कि इस क्षेत्र को फलौदी माता के नाम से देश-विदेश में पहचान मिली है। माता की चमत्कारिक शक्ति से कोरोना महामारी में भी आम जनता सुरक्षित रही। मंदिर व्यवस्था संयोजक मोहनलाल चौधरी ने कहा कि फलौदी माता के दरबार में सभी सेवक निस्वार्थ सेवा करने का संकल्प लें। इस अवसर पर पूर्व महामंत्री गोपाल चंद गुप्ता बारवां वाले, भंवरलाल सिंगी एवं वर्तमान महामंत्री विष्णु करोडिया ने लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला का प्रेरक उदबोधन के लिये आभार जताया एवं समाजबंधुओं का स्वागत किया। नवनिर्वाचित महिला उपाध्यक्ष संगीता सर्राफ, सहमंत्री जया गुप्ता, पुष्पा गुप्ता, मंजू गुप्ता एवं अ.भा. नवयुवक संघ के अध्यक्ष मनीष गुप्ता व महामंत्री संजय गुप्ता ने मंचासीन अतिथियों को स्वागत किया। समारोह के दूसरे सत्र में फलौदी सेवा सदन में सहयोग करने वाले भामाशाहों को सम्मानित किया गया। इस अवसर पर विभिन्न पंचायतों के अध्यक्ष, पदाधिकारी, प्रतिनिधि एवं गणमान्य नागरिक उपस्थित रहे। शाम को प्रतिनिधी सभा की प्रथम बैठक में सामाजिक विषयों का मंथन किया गया। कोषाध्यक्ष कैलाशचंद दलाल ने सबका आभार जताया। संचालन सीए महेश गुप्ता ने किया। Read the full article
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