#किसानों का दिल्ली कूच
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हाईकोर्ट का बड़ा आदेश: हरियाणा सरकार को एक हफ्ते में शंभू बॉर्डर खुलवाने का निर्देश!
फरवरी में अपनी विभिन्न मांगों को लेकर पंजाब के किसानों ने दिल्ली कूच किया था, लेकिन अंबाला में शंभू बॉर्डर पर हरियाणा पुलिस ने उन्हें रोक दिया। तब से किसान शंभू बॉर्डर पर धरना देकर बैठे हैं। बुधवार को पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने इस मामले में बड़ा आदेश देते हुए हरियाणा सरकार को एक हफ्ते में शंभू बॉर्डर पर की गई बैरिकेडिंग को हटाने का निर्देश दिया है। कोर्ट ने कानून व्यवस्था बनाए रखने की…
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किसानों का पैदल दिल्ली कूच | जिला प्रशासन ने बीच रास्ते रोका | किसान बैठ...
https://www.youtube.com/watch?v=kZpxyMYVY5Q
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किसानों का दिल्ली कूच आज, पुलिस ने किए सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम
किसान आंदोलन-2 का आज 6 मार्च को 23वां दिन है। फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की गारंटी पर कानून बनाने की मांग को लेकर पंजाब के किसान एक बार फिर से दिल्ली कूच की तैयारी में हैं।
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Kisan Andolan: किसानों ने दिल्ली कूच मार्च रोका, जाने क्या है किसानों का अगला प्लान
Kisan Andolan 17 February Updates: किसान आंदोलन शुरू हुए आज 5 दिन हो गये है लेकिन पंजाब-हरियाणा बॉर्डर पर किसानों के इरादे में कोई बदलाव नहीं दिख रहा, हर नये दिन उनके हौंसले और भी बुलंद होते जा रहे है। लगातार किसानों की संख्या भी बढ़ रही है। किसान आंदोलन (Farmers Protest ) को लेकर आज के ताजा अपडेट की बात करें तो कल यानी रविवार 18 फरवरी को एक बार फिर किसानों और केंद्रीय मंत्रियों के बीच चौथे दौर…
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Farmers Protest: Kisan Andolan में Bharat Band, जाम हुई पूरी Delhi | Sambhu Border | Rail Roko 2024
दिल्ली बॉर्डर पर किसानों का हुजूम उमड़ पड़ा है। हर तरफ से किसान आगे आकर केंद्र सरकार से अपनी मांगे पूरी करने की अपील कर रहे हैं। वहीं इस प्रदर्शन के बीच किसान संगठनों समेत तमाम केंद्रीय यूनियन ने आज देशभर में भारत बंद का आवाहन किया है। खास��ौर पर इसका असर दिल्ली एनसीआर में नजर आ रहा है। भारत बंद की वजह से कई जगहों पर जाम भी लग गया। किसान संगठनों के दिल्ली कूच के बाद आज भारत बंद के आवाहन को लेकर…
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West singhbhum congress putla dahan : किसानों पर बर्बरता व इलेक्टोरल बांड को लेकर कांग्रेसियों ने पीएम व गृहमंत्री का पुतला फूंका, किसान आंदोलन व इलेक्टोरल बांड पर सुप्रीम कोर्ट के निर्णय को बताया सही
रामगोपाल जेना/चाईबासा : केंद्र सरकार द्वारा आंदोलन रत किसानों पर बर्बरतापूर्ण कार्रवाई के विरोध में एवं सुप्रीम कोर्ट द्वारा इलेक्टोरल बांड को असंवैधानिक घोषित किये जाने को लेकर गुरुवार को जिला कांग्रेस कमेटी ने स्थानीय शहीद पार्क चौक पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एवं गृहमंत्री अमित शाह का पुतला दहन किया. विभिन्न राज्यों से अपनी मांगों को लेकर दिल्ली की ओर कूच कर रहे किसानों को रोकने के लिए केंद्र…
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किसानों की 10 मांगें क्या है ?
ट्रैक्टरों का काफिला दिल्ली कूच के लिए रफ्तार पकड़ चुका है , किसानों को रोकने के लिए आंसू गैस, लाठी डंडे, नुकीली तारे और बॉडीगार्ड किट के साथ फोर्स तैनात है। एक और किसानों का जत्था है तो दूसरी ओर पुलिस का पूरा दलबल दोनों के बीच जबरजब्त सर्घष देखने को मिल रहा है । कटीले तार, ड्रोन से आंसू गैस कीले बंदूके और सड़कों पर सीमेंट वाली, बैरिकेड्स सब कुछ इंतजाम कर दिया गया है और इंतजाम इसलिए ताकि किसानों का कोई भी जत्था देश की राजधानी में एंट्री ना ले सके। सिर्फ लोहे और सीमेंट की ही बेरिकेटिंग नहीं की गई है बल्कि कंक्रीट की दीवारों को रातोंरात खड़ा कर दिया है, इसका मकसद सिर्फ यही है की किसान किसी तरह दिल्ली ना पहुँच सके। पुलिस जितनी तैयारी का दम भर रही है, किसान भी उतनी ही दमदारी से आगे बढ़ रहे। किसानों ने इस बार आंदोलन को चलो दिल्ली मार्च का ना�� दिया है। लेकिन इस बार किसान आंदोलन टू पॉइंट जीरों यानी दूसरा आंदोलन भी कहा जा रहा है किसानों का इस बार का आंदोलन 2020 - 21 में हुए किसान आंदोलन से कितना अलग है ? और इस बार किसानों की मांग क्या हैं ? असल में ये किसान आ क्यों रहे हैं? आइयें इन सभी सवालो का जबाब जानते हैं । किसानों की 10 मांगें क्या है ? देश में जब भी इस तरह का आंदोलन होता हैं तो कुछ लोग इसके विरोध में खड़ा होते है। तो कुछ लोग इसका समर्थन करते हैं। हमारा कहना है की आप एक बार किसानों की मांगो को जान लीजिए, उसके बाद विरोध करना है या असमर्थन अपना फैसला आप खुद कीजिए। पिछला किसान आंदोलन कृषि कानूनों के खिलाफ़ था लेकिन इस बार अब ऐसा कोई कानून ही नहीं बना फिर भी किसान आंदोलन क्यों कर रहे हैं । 2024 आखिर फिर किसान आंदोलन क्यों कर रहे हैं? पॉइंट वाइज किसानों की 10 मांगें क्या है ?
2024 आखिर फिर किसान आंदोलन क्यों कर रहे हैं?
पीछले बार किसान जीते थे और सरकार झुकीं थी किसानों की वजह से नरेंद्र मोदी सरकार को अपने तीनो कृषि कानून वापस लेनेपड़े थे। किसानों का अब आरोप है कि पिछले आंदोलन के समय सरकार ने एमएसपी पर जो गारंटी देने का वादा किया था उस वादे को सरकार ने पूरा नहीं किया । एमएसपी के साथ बाकी मु्द्दे को भी पूरा नहीं किया , इसलिए किसान फिर से आंदोलन कर रहे हैं। पिछली बार ये किसानों ने अपने आंदोलन को संयुक्त किसान मोर्चा के तले ये आंदोलन किया था। लेकिन इस बार आंदोलन अलग अलग किसान संगठन एक साथ आकर कर रहे थे। वैसे आपको बता दें पिछले आंदोलन से सीखते हुए इस बार किसान अपने साथ ट्रैक्टर ट्रॉली और राशन साथ लेकर आ रहे हैं। यानी पिछली बार की तरह इस बार भी किसानों का प्ला�� लंबे समय तक दिल्ली के अलग अलग बॉर्डर पर धरना देने वाले हैं ।
पॉइंट वाइज किसानों की 10 मांगें क्या है ?
किसानों की जो सबसे अहम है न्यूनतम समर्थन मूल्य हैं यानी Msp के लिए कानून बने । स्वामीनाथन आयोग की सिफारिश को लागू किया जायें । दिल्ली आंदोलन के दौरान जान गवाने वाले किसानों और उनके परिवारों को मुआवजा दिया जाए और एक सदस्य को सरकारी नौकरी दिया जायें । किसानों और 58 साल से अधिक उम्र की खेतिहर मज़दूरों के लिए प्रतिमा पेंशन। आंदोलन में शामिल किसान कृषि ऋण माफ़ करने की मांग कर रहे हैं । लखीमपुर खीरी हिंसा के जो पीड़ित हैं उन्हें जल्द से जल्द न्याय मिले। कृषि वस्तुओं दुग्ध उत्पादों फल, सब्जियों और मांस के आयात शुल्क को कम करने के लिए भत्ता बढ़ाया जाए। नकली बीज कीटनाशकों और उर्वरक बेचने वाली क���पनी पर सख्त कार्रवाई हो । मिर्च , हल्दी और बाकी के सुगंधित फसलों की खेती को बढ़ावा देने के लिए एक राष्ट्रीय आयोग की स्थापना । • विद्युत संशोधन विधेयक, 2020 को रद्द किया जाए। Read the full article
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#FarmersProtest2024 किसानों का दिल्ली की तरफ कूच शुरू हुआ,पुलिस बॉर्डर पर पर तैनात,आसू गैस के गोले छोड़े,ड्रोन हो रही है निगरानी!
#RakeshTikait #UP #delhincr #FarmersProtest
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उत्तर प्रदेश : बीकेयू निकलेगा ट्रैक्टर मार्च, 23 की दिल्ली कूच को लेकर कई किसान संगठन साथ
एडा और ग्रेटर नोएडा में अपनी मांगों को लेकर लगातार धरना प्रदर्शन कर रहे किसान 23 फरवरी को दिल्ली कूच की तैयारी कर रहे हैं। इन किसानों को अब कई अन्य किसान संगठनों का भी समर्थन मिलता दिखाई दे रहा है। बुधवार को भारतीय किसान यूनियन (बीकेयू) ग्रेटर नोएडा के परी चौक से लेकर सू��जपुर कलेक्ट्रेट तक ट्रैक्टर मार्च निकलेगा। देश में हो रहे किसान आंदोलन के समर्थन में और नोएडा में किसानों की समस्याओं को लेकर यह प्रदर्शन किया जा रहा है।
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कृषि कानून विरोधी आंदोलन में हिरासत में लिए गए किसानों की मुआवजे की मांग हाईकोर्ट ने की खारिज
कृषि कानून विरोधी आंदोलन में हिरासत में लिए गए किसानों की मुआवजे की मांग हाईकोर्ट ने की खारिज
किसान कृषि कानूनों के विरोध में दिल्ली कूच करने से रोकने के लिए सरकार द्वारा किसानों को हिरासत में लेने के खिलाफ व किसानों को मुआवजा देने की मांग को पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने खारिज कर दिया है। इस मामले में सरकार ने कोर्ट को बताया था कि सभी किसानों को हिरासत में लेने के तीन से चार दिन के भीतर छोड़ दिया गया था। ऐसे में अब इस याचिका का कोई औचित्य नहीं है, इसे खारिज किया जाए। कृषि कानूनों के विरोध…
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Farm Laws Repeal: चलता रहेगा आंदोलन, 29 नवंबर को संसद कूच करेंगे किसान, संयुक्त मोर्चा ने लिया फैसला
Farm Laws Repeal: चलता रहेगा आंदोलन, 29 नवंबर को संसद कूच करेंगे किसान, संयुक्त मोर्चा ने लिया फैसला
नई दिल्ली. एक दिन पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) के कृषि कानून (Farm Laws) वापस लिए जाने के ऐलान के बाद शनिवार को संयुक्त किसान मोर्चा (Samyukt Kisan Morcha) की समन्वय समिति की ��ैठक हुई. बैठक में फैसला लिया गया है कि धरना सभी मोर्चों पर चलता रहेगा. साथ ही जो कार्यक्रम किसानों ने पहले से तय किए हुए हैं, उसमें किसी तरह का बदलाव नहीं होगा. आपको बता दें कि 29 नवंबर को शीतकालीन सत्र के…
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Breaking : संयुक्त किसान मोर्चा का बड़ा फैसला, 29 Nov को दिल्ली संसद के शीतकालीन सत्र के दौरान रोजाना 500 ट्रैक्टर लेकर संसद भवन की तरफ ��ार्च करेंगे किसान
Breaking : संयुक्त किसान मोर्चा का बड़ा फैसला, 29 Nov को दिल्ली संसद के शीतकालीन सत्र के दौरान रोजाना 500 ट्रैक्टर लेकर संसद भवन की तरफ मार्च करेंगे किसान
तीन नए कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली की सीमाओं पर किसानों का आंदोलन जारी है। इस ब��च कुंडली बॉर्डर पर संयुक्त किसान मोर्चा की अहम बैठक हुई। इस बैठक में 26 नवंबर को दिल्ली कूच और आंदोलन की नई रणनीति को लेकर अहम फैसले लिए गए है। बैठक में फैसला किया गया कि 29 नवंबर से शुरू हो रहे संसद के शीतकालीन सत्र के दौरान रोजाना 500 किसान ट्रैक्टर लेकर संसद भवन की तरफ मार्च करेंगे। वहीं, आंदोलन की पहली बरसी की…
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प्रधानमंत्री ट्रेक्टर योजना - 2020 और किसान बिल 2020 !!
जब अंग्रेज पहली बार भारत आये थे तो सबसे पहले उन्होंने अपने आप को स्थापित करने के लिए मुगल मंत्रियों को चुना। सम्बन्ध प्रगाढ़ बने तो मुगल शाशक से मिले , धीरे धीरे अपने आप को मुगल साम्राज्यों के बीच मे रहकर मजबूत किया । मुगलों से सत्ता छिनने में कईं पुस्त भारत मे ही मर-खप गए लेकिन बहुतों को लगता है कि अंग्रेज आये और ईस्ट इंडिया कम्पनी की स्थापना करने के उपरांत भारत को गुलाम बना लिया । कहने में बहुत बहुत आसान लगता है लेकिन सच तो ये है कि जब अंग्रेज भारत आये तो उनसे भी पहले से ही पुर्तगालियों और फ़्रांस के साथ मुगल शाशक व्यापार करते आ रहे थे । अंग्रेजों ने 16 मुगल शाशकों के नीचे अपना व्यापार किया तब जाकर सम्पूर्ण रूप से भारत की सत्ता अपने हाथों में ले सके । किसी देश पर शाशन करना और लूट करना दो अलग अलग बात है ! अकबर से होते हुए बहादुर शाह जफ़र तक की यात्रा को एक बर्ष या दो बर्षों की कथा नही बल्कि 300 बर्षों की अथक प्रयास की कथा कहिये ।
बात चाहे सम्राज्य की हो या फिर स्वतंत्र भारत की लेकिन सच तो यह है कि यहाँ किसान हजारों बर्ष से अपनी अस्तित्व की लड़ाई लड़ रहे हैं। मुग़ल साम्राज्य में जज़िया कर हो , राज्य कर हो या अंग्रेजी साम्राज्य में चूँगी , नाम बदल देने मात्र से असर कम तो नही होता । किसान जीवन भर सरकार को चुकाते रहे लेकिन आज तक उबर नही पाये ।
��िसानों को एकदफ़ा लगा भी था कि स्वतंत्र भारत मे अपनी सरकार बनेगी तो किसानी और खेती पर से लगाम हट जाएगा , वे उन्मुक्तता से खेती कर पावेंगे लेकिन तिरंगा लहराने के साथ ही वह भरम जाती रही। सरकार तो बनी लेकिन परिवारवाद को बढ़ावा देने के लिए । प्रथम प्रधानमंत्री को सिगार और श्रृंगार से कभी फुरसत नही मिली तो कैसे किसानों को देख पाते । वह तो भूमि आंदोलन ने किसानों को एक बल दिया । जो बड़े बड़े जमींदार खोया और मेवा उड़ा रहे थे उनपे लगाम कस गई । कभी कभार इस माटि पर उग जाया करते हैं कुछ फूल जो सम्पूर्ण कोने को सुगंधित कर देते हैं पर सुगंध को दुर्गंध बनानेवाले अधिक उगते हैं जिसके चलते यह देश गरीबी और लाचारी के अलावा कुछ नही देख पाता ।
दो बैल और हल लिए किसान खेती क्यों करता है ? क्यों घर से बूढ़ी अम्मा हाथ मे टोकरी लिए बिज़ को खेतों में छिटती हैं ? क्या इसलिए कि सत्ता में बैठे हुए आदमी उस खेत मे उगनेवाली फसल को अपने हिसाब से खरीद सके ! आखिर किसने अधिकार दे दिया सत्ता को की ये भी तय करे कि फसल की मूल्य क्या होगी ? जब किसान सरकार को मालगुजारी देते ही हैं तो फिर किसान क्यों नही तय करेंगे उनके फसलों का मूल्य ? कहाँ बाधा है ? ठिक है कि आप को देश की जनता ने लोकतांत्रिक व्यवस्था के अंतर्गत संसद तक पहुँचाया है , आखिर संविधान के तहत ये तो होना ही है , लेकिन आप संसद में पहुँच कर भूल जाते हैं कि आप जनता के प्रतिनिधि भर हैं । उससे ज्यादा कुछ भी नही । यदि कोई बिल आप संसद में पास करते हैं तो जनता के पास अंतिम अधिकार है कि उस बिल को स्वीकार करे या अस्वीकार ।
यदि जानता अस्वीकार करे चाहे वह बिल उसके हित में ही क्यों ना हो , सरकार को तत्काल उसे खंडित कर देना अनिवार्य है । यही तो मतलब है लोकतंत्र का ! और क्या मतलब है ? होना तो बिल्कुल यही चाहिए ।
लेकिन दुर्भाग्य है इस देश का की किसानों को आंदोलन करना पड़ता है, पुलिसकर्मियों के डंडे खाने पड़ते हैं और अन्तह सरकार की दमन चक्र के आगे घुटने टेकने पड़ते हैं । आज लोग किसान बिल 2020 के विरोध में दिल्ली पहुँचने के लिए करनाल , हरियाणा बॉर्डर के पास एकत्रित हैं । पुलिसबल तैनात कर दी गयी है , बेरिकेट लगा दिए गए हैं, किसानों के ऊपर लाठीचार्ज और पानी की बौछाड़ इस कंपकपाती ठंड में बिना सोचे-समझे किया जा रहा है वह बस इस बात के लिए कि किसान भाई दिल्ली आकर गृहमंत्री से मिलना चाहते हैं , जानना चाहते हैं कि बिल में क्या हित और क्या अहित है , क्योंकि उन्हें लगता है कि बिल किसान विरोधी है और अहितकर है ।
आज किसानों के पास हल और बैल के साथ साथ ट्रैक्टर और नई तकनीक है जिस से खेती करने में सुविधा भी है लेकिन ये भी एक सच है कि उन सभी ट्रैक्टरों को खरीदने के लिए उन्होंने लोन लिया है और प्रतिमाह क़िस्त भरते हैं । क्या क़िस्त बैंक सरकारी योजनाओं के अंतर्गत बिना ब्याज़ का है ? बिल्कुल नही , उन्हें ब्याज के साथ क़िस्त भरना पड़ता है । फिर जो सरकार कहती है ट्रेक्टर योजना और जल नल योजना सब किसान के हित में है वह कैसे और किस आधार पर ।
किसान यदि ब्याज नही चुका पाये तो आत्महत्या ही मात्र एक उपाय है, वे आत्महत्या ही करते हैं । कोई सरकार से पूछने की जरूरत भी नही समझता कि योजनाओं के हित का क्या हुआ ? क्यों आत्महत्या कर रहे हैं किसान ? जब सबकुछ उनके हित मे ही है तो क्या मान लिया जाय कि पागल हो चुके हैं किसान ! सरकार को अपनी नीति और कार्य करने की शैली को फिर से देखने की जरूरत है । उन्हें जितनी जल्दी ये समझ आ जाये कि वे मात्र प्रतिनिधि हैं और अंतिम मालिक जनता है चाहे वे किसी कानून को स्वीकार करें या अस्वीकार , सम्पूर्ण निर्णय उनका ही सर्वमान्य है तो यह देश जल्दी ही समृद्ध और शक्तिशाली हो जाएगा ।
आंदोलन किसानों का कोई शौक नही मजबूरी है और इस मजबूरी को जब तक सरकार समझेगी नही तब तक ना ही सही ढंग से लोकतंत्र फलित हो सकेगा और नाही यह देश् श्रेष्ठता को छू पायेगा । मात्र कह देने भर से नही होता कि - भारत एक लोकतांत्रिक देश है !
अंत मे किसान भाइयों की तरफ से एक किसान-पत्र यहाँ पर छोड़े जा रहा हूँ हे भारत के गृहमंत्री , हो सके तो समझने का आप प्रयत्न करें । वरना किसान तो बैलों नौर बैंकों के संग जूतते आ ही रहे हैं , आगे भी जूतते रहेंगे ।
_दिशव
@disuv @srbachchan
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मई के पहले पखवाड़े में किसानों का संसद कूच का ऐलान
मई के पहले पखवाड़े में किसानों का संसद कूच का ऐलान
नई दिल्ली। किसान मई के पहले पखवाड़े में संसद मार्च आयोजित करेंगे। हालांकि अभी तारीख की घोषणा नहीं की गयी है। लेकिन उनका कहना है कि इसे जल्द ही घोषित कर दिया जाएगा। इससे पहले बॉर्डरों समेत देश में कई कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे। जिसमें प्रमुख रूप से… 1. 5 अप्रैल को FCI बचाओ दिवस मनाया जाएगा जिस दिन देशभर में FCI के दफ्तरों का घेराव किया जाएगा। 2. 10 अप्रैल को 24 घण्टो के लिए केएमपी ब्लॉक किया…
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