#डब्लिन
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samaya-samachar · 1 year ago
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डब्लिनमा चक्कु प्रहारबाट चार घाइते, दर्जनौं सवारी साधान जलाइयो
डब्लिन, ८ मंशिर । डब्लिन शहर बिहीबार हिंसात्मक दृश्यहरूले हल्लायो ।    यो ​​शहरको केन्द्रमा चक्कु आक्रमण भए पछि चार जना घाइते भएका थिए।   प्रहरीको गाडी सहित कैयौं सवारी साधनमा आगजनी गरिएको थियो र साँझ अबेरसम्म अधिकारीहरूसँग मानिसहरू झडप भएका थिए ।    आयरिश प्रहरी प्रमुखले अशान्तिलाइ ‘अत्यन्त दक्षिणपन्थी विचारधाराद्वारा संचालित ‘पागल, गुंडा गुट’ लाई दोष दिएका छन ।  गत रातभर स्थिति धेरै शान्त…
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bharatlivenewsmedia · 1 year ago
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भारत-आयर्लंड यांच्यातील तिसरा सामना पावसामुळे रद्द
https://bharatlive.news/?p=126408 भारत-आयर्लंड यांच्यातील तिसरा सामना पावसामुळे रद्द
डब्लिन : भारत व ...
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loksutra · 2 years ago
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न्यूझीलंड विरुद्ध आयआरई तिसरी एकदिवसीय मार्टिन गुप्टिल 18वी 100 सुनील गावस्कर जवळ सर्वाधिक धावांचा विक्रम
न्यूझीलंड विरुद्ध आयआरई तिसरी एकदिवसीय मार्टिन गुप्टिल 18वी 100 सुनील गावस्कर जवळ सर्वाधिक धावांचा विक्रम
आयर्लंड विरुद्ध न्यूझीलंड, तिसरी वनडे: मार्टिन गप्टिल सुनील गावस्कर यांचा विक्रम मोडण्याच्या जवळ पोहोचला आहे. न्यूझीलंडच्या या सलामीवीराने वयाच्या 35 व्या वर्षी 18 वे वनडे शतक झळकावले आहे. त्याच्या शतकाच्या जोरावर न्यूझीलंडने 3 सामन्यांच्या मालिकेतील शेवटच्या एकदिवसीय सामन्यात आयर्लंडविरुद्ध 50 षटकात 6 विकेट गमावत 360 धावा केल्या. मार्टिन गुप्टिलने 126 चेंडूत 15 चौकार आणि 2 षटकारांच्या मदतीने 115…
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darshaknews · 2 years ago
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IRE vs IND लाइव्ह स्ट्रीमिंग: उद्या भारत-आयर्लंड दुसरा T20, थेट सामने कधी आणि कुठे पहायचे ते जाणून घ्या
IRE vs IND लाइव्ह स्ट्रीमिंग: उद्या भारत-आयर्लंड दुसरा T20, थेट सामने कधी आणि कुठे पहायचे ते जाणून घ्या
IND वि IRE लाइव्ह स्ट्रीमिंग: भारत आणि आयर्लंड यांच्यातील दोन टी-२० सामन्यांच्या मालिकेतील दुसरा सामना मंगळवारी द व्हिलेज, डब्लिन येथे खेळवला जाणार आहे. या मालिकेतील पहिला सामना भारताने 7 विकेटने जिंकला होता. अशा स्थितीत कर्णधार हार्दिक पांड्याची नजर दुसरा सामना जिंकून मालिका जिंकण्यावर असेल. दुसरीकडे, शेवटचा सामना जिंकून आयरिश कर्णधाराला मालिकेत 1-1 अशी बरोबरी साधायची आहे. तरुणांना संधी मिळू…
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marathinewslive · 2 years ago
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आयर्लंड विरुद्ध न्यूझीलंड, पहिली एकदिवसीय: मायकेल ब्रेसवेलच्या शतकामुळे न्यूझीलंडला आयर्लंड विरुद्ध नाराजी टाळण्यास मदत झाली | क्रिकेट बातम्या
आयर्लंड विरुद्ध न्यूझीलंड, पहिली एकदिवसीय: मायकेल ब्रेसवेलच्या शतकामुळे न्यूझीलंडला आयर्लंड विरुद्ध नाराजी टाळण्यास मदत झाली | क्रिकेट बातम्या
मायकेल ब्रेसवेलच्या नाबाद शतकामुळे न्यूझीलंडने आयर्लंडचा 1 गडी राखून पराभव केला.© ट्विटर मायकेल ब्रेसवेलच्या नाबाद शतकाच्या जोरावर न्यूझीलंडने रविवारी आयर्लंडविरुद्धच्या पहिल्या एकदिवसीय सामन्यात केवळ एक चेंडू शिल्लक असताना एक विकेटने नाट्यमय विजय मिळवला. न्यूझीलंडने विजयासाठी 301 धावांचा पाठलाग करताना 120-5 अशी अवस्था अत्यंत बिकट होती आणि त्यांना शेवटच्या षटकात फक्त एक विकेट शिल्लक असताना 20…
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karanaram · 3 years ago
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🚩सिस्टर लूसी: ‘घंटों नंगी खड़ी रखी जाती हैं ननें, पादरी बनाते हैं यौन सम्बन्ध' 31 अक्टूबर 2021
🚩चर्च का घिनौना चेहरा और मिडिया
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🚩क्या आपको बॉलीवुड की वे फिल्में याद हैं जिनमें फादर को दया और प्रेम का मूर्तिमान स्वरूप दिखाया जाता था और हिन्दू सन्यासियों ��ो अपराधी?? जो मिडिया हिंदू संत आशारामजी बापू पर पागल हो गया था वह पादरियों पर चुप है।
🚩केरल की नन सिस्टर लूसी कलाप्पुरा ने अपनी आत्मकथा 'कार्ताविन्ते नामाथिल' (ईश्वर के नाम पर) लिखी है। इन्होंने ही बलात्कार आरोपित पादरी फ्रैंको मुलक्कल के ख़िलाफ़ आवाज़ उठाई थी। सिस्टर लूसी की पुस्तक के कुछ अंश एक मलयालम पब्लिकेशन द्वारा प्रकाशित किए गए हैं। इसमें बताया गया है कि साइरो-मालाबार चर्च में उनका कैसा अनुभव रहा? ईसाई संस्थाओं द्वारा संचालित प्राइवेट स्कूलों में पादरियों द्वारा क्या गुल खिलाए जाते हैं, सिस्टर लूसी की पुस्तक में इसके कई उदाहरण मिलेंगे।
पादरी और बिशप अपने पदों का दुरूपयोग करते हुए ननों के साथ जबरदस्ती कर यौन सम्बन्ध बनाते हैं। वो इसके लिए कई ननों की जबरन सहमति भी लेते हैं।
🚩सिस्टर लूसी ने लिखा कि कॉन्वेंट्स में जवान ननों को पादरियों के पास उनके ‘यौन सुख’ के लिए भेजा जाता था। वहाँ वो सभी ननें घंटों नंगी खड़ी रखी जाती थीं। वो लगातार गिड़गिड़ाती रहती थीं लेकिन उन्हें जाने नहीं दिया जाता था।
🚩फरवरी में वेटिकन में कैथोलिक पोप के नेतृत्व में 2 दिन की मीटिंग हुई जिसका मुख्य एजेंडा चर्च के पादरियों द्वारा किए गए बाल शोषण के विरुद्ध निर्णय लिया गया।
इस मीटिंग के अन्त में पोप ने अपराधियों को दण्डित करने या करवाने की कोई बात नहीं की। आश्चर्य यह है कि भारतीय मिडिया ने इसपर अधिक ध्यान नहीं दिया या जानबूझ कर अनदेखा कर दिया। अगर निष्पक्ष भावना से देखा जाए तो यह केवल मामले को दबाने की कोशिश है।
🚩सन् 2009 में आयरलैंड में, विशेष सरकारी आयोगों द्वारा वर्षों के कार्यों के बाद, डबलिन महाधर्मप्रांत में स्कूल प्रणाली में रयान रिर्पोट एवं बाल दुराचार पर मर्फी रिपोर्ट प्रकाशित किया गया था।
🚩मई में आई पहली रिपोर्ट के अनुसार 1930 से 1990 के दशक तक कैथोलिक गिरजे के कर्मचारियों द्वारा हज़ारों बच्चों को पीटा गया, सर मुंडवाया गया, आग या पानी से यातना दी गई और बलात्कार किया गया। उन्हें नाम के बदले नम्बर दिया गया था। कभी कभी तो वे इतने भूखे होते थे कि कूड़ा खाते थे।
नवम्बर में आई मर्फ़ी रिपोर्ट में सामने आया कि किस तरह चर्च ने दशकों तक बर्बर कारनामों को व्यवस्थित रूप से दबाए रखा। चर्च नेतृत्व बदनामी के डर से चुप रहा तो सरकारी दफ़्तरों ने नज़रें फेर लीं। जनमत के भारी दबाव के कारण चार बिशपों को इस्तीफ़ा देना पड़ा। तीन इस्तीफ़ों पर पोप को अभी फ़ैसला लेना है। रिपोर्ट के अनुसार आर्कडियोसेज़ डब्लिन में 1975 से 2004 के बीच 300 बच्चों के साथ दुर्व्यवहार हुआ। इस बीच कम से कम 170 धर्माधिकारी संदेह के घेरे में हैं।
🚩5 फरवरी 2014 की ज़ारी अपनी रिपोर्ट में संयुक्त राष्ट्र की बाल अधिकार समिति (सीआरसी) ने कहा कि वेटिकन को उन पादरियों की फ़ाइलें फिर से खोलनी चाहिए जिन्होंने बाल शोषण के अपराधों को छुपाया है ताकि उन्हें ज़िम्मेदार ठहराया जा सके। रिपोर्ट में कहा गया है कि वेटिकन ने अपराधों की गंभीरता को स्वीकार नहीं किया है और इसे लेकर समिति बहुत चिंतित है।
सितम्बर 2018 में जर्मनी में छपी एक रिपोर्ट के अनुसार कैथोलिक चर्च में 1946 से 2014 के बीच 3,677 बच्चों का यौन शोषण हुआ। जर्मन बिशप कॉन्फ्रेंस के प्रमुख कार्डिनल मार्क्स ने पीड़ितों से माफी मांगी है।
🚩जर्मन बिशप कॉन्फ्रेंस में रिपोर्ट पेश करते हुए कार्डिनल मार्क्स ने पीड़ितों से माफी मांगते हुए कहा, "लंबे समय तक चर्च ने यौन शोषण के मामलों को झुठलाया, नजरअंदाज किया और दबाया। इस वि��लता और उसकी वजह से पहुंची तकलीफ के लिए मैं माफी मांगता हूं।" रिपोर्ट में कैथोलिक चर्च के पादरियों द्वारा बच्चों और किशोरों के यौन शोषण के मामले दर्ज किए गए हैं। मार्क्स ने कहा, "मैं नष्ट हुए भरोसे के लिए, चर्च के अधिकारियों द्वारा किए गए अपराधों के लिए शर्मसार हूं।"
🚩रिपोर्ट के अनुसार 1946 से 2014 के बीच कैथोलिक चर्च के 1,670 अधिकारियों ने 3,677 नाबालिगों का यौन शोषण किया। रिपोर्ट के लेखकों ने जर्मनी के 27 डियोसेजे में 38,156 फाइलों का विश्लेषण किया जिसमें 1,670 अधिकारियों के मामले में नाबालिगों का यौन शोषण किए जाने के आरोपों का पता चला। इस अध्ययन का आदेश जर्मन बिशप कॉन्फ्रेंस ने ही दिया था। टीम का नेतृत्व मनहाइम के मनोचिकित्सक हाराल्ड द्राइसिंग की टीम कर रही थी।
रिपोर्ट के अनुसार आरोपियों में 1429 डियोसेजे के पादरी थे, 159 धार्मिक पादरी थे और 24 डियाकोन अधिकारी थे। 54 फीसदी लोगों के मामले में सिर्फ एक का यौन शोषण का आरोप था जबकि 42 प्रतिशत कई मामलों के आरोपी थे। यौन शोषण के पीड़ितों में 63 फीसदी लड़के थे और 35 फीसदी लड़कियां। पीड़ितों में तीन चौथाई का चर्च और आरोपियों के साथ धार्मिक रिश्ता था। वे या तो प्रार्थना सभाओं में सेवा देने वाले थे या धार्मिक कक्षाओं के छात्र।
पूरी दुनिया में पादरी यौन शोषण के लिए बदनाम हैं परन्तु भारतीय मिडिया चुप है।
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capitalkhabar · 8 years ago
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आयरल्यान्डका प्रधानमन्त्रीद्वारा इयु छोड्नुपर्छ भन्ने सुझाव अस्वीकार
आयरल्यान्डका प्रधानमन्त्रीद्वारा इयु छोड्नुपर्छ भन्ने सुझाव अस्वीकार
डब्लिन, फागुन ५ – आयरल्यान्डका प्रधानमन्त्री टाओइसिच प्रधानमन्त्री एन्डा केन्नीले युरोपेली सङ्घ इयु छोड्नु पर्छ भन्ने कुनै पनि सुझावलाई स्वीकार नगर्ने बताउनुभएको छ ।
युरोपेली सङ्घ इयु छोड्नु पर्छ भन्ने कुनै पनि सुझावलाई पूर्णरु��मा अस्वीकार गर्ने केन्नीले डब्लिनमा आयोजित इन्स्टिच्युट अफ इन्टरनेसनल एन्ड युरोपियन एफेयर्सका चिन्तक तथा विश्लेषकहरुको एक सम्मेलनमा प्रमुख वक्ताका रुपमा बताउनुभएको छ ।
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airnews-arngbad · 2 years ago
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Regional Marathi Text Bulletin, Aurangabad Date – 24 June 2022 Time 1.00 to 1.05pm Language Marathi आकाशवाणी औरंगाबाद प्रादेशिक बातम्या दिनांक – २४ जून २०२२ दुपारी १.०० वा. ****
राष्ट्रीय लोकशाही आघाडीच्या राष्ट्रपती पदाच्या उमेदवार द्रौपदी मुर्मू आज उमेदवारी अर्ज दाखल केला. पंतप्रधान नरेंद्र मोदी, गृहमंत्री अमित शहा यांच्यासह पक्षाचे ज्येष्ठ नेते यावेळी उपस्थित होते.
दरम्यान, जनता दल संयुक्त पक्षानं द्रौपदी मुर्मू यांना पाठिंबा दर्शवला आहे. जनता दल संयुक्त, द्रौपदी मुर्मू यांच्या उमेदवारीचं स्वागत करत असल्याचं, या पक्षाचे राष्‍ट्रीय अध्‍यक्ष राजीव रंजन सिंह यांनी म्हटलं आहे. लोक जनशक्ति पक्षाच्या - रामविलास गटानेही मुर्मू यांच्या उमेदवारीचं समर्थन केलं आहे. राष्ट्रीय जनता दलानं मात्र विरोधी पक्षाचे उमेद्वार यशवंत सिंह यांचं समर्थन केलं आहे.
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राज्यात सध्या ज्या राजकीय हालचाली सुरू आहेत, त्याच्याशी भारतीय जनता पक्षाचा काहीही संबंध नाही, असा खुलासा, पक्षाचे प्रदेशाध्यक्ष चंद्रकांत पाटील यांनी केला आहे. ते आज कोल्हापूर इथं वार्ताहरांशी बोलत होते. एकनाथ शिंदे यांच्याकडून भाजपला कोणताही प्रस्ताव आला नसून, तसा प्रस्ताव आल्यास त्यावर विचार केला जाईल, असं ते म्हणाले. शिवसेनेतल्या बंडामागे कोणता राष्ट्रीय पक्ष आहे हे शिंदे यांनाच विचारावं लागेल, असं पाटील म्हणाले.
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अग्निपथ योजनेअंतर्गत भारतीय हवाईदलातल्या अग्निवीरांच्या पहिल्या तुकडीसाठीची नोंदणी प्रक्रिया आज सकाळी दहा वाजल्यापासून सुरू झाली. इच्छुक उमेदवारांना अग्निपथ वायु डॉट सी डी ए सी डॉट इन या अधिकृत संकेतस्थळावर जाऊन भरती प्रक्रियेसाठी अर्ज करता येणार आहे. यासाठीची ऑनलाईन परीक्षा देशभरातल्या २५० केंद्रांवर २४ ते ३१ जुलैदरम्यान होणार आहे. ही प्रक्रिया या वर्षअखेरपर्यंत पूर्ण होईल. तर लष्कर आणि नौदलाच्या भरतीप्रक्रिया एक जुलैपासून सुरू होणार आहेत.
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खेळाडुंची विविध स्पर्धांमधली कामगिरी कशी उंचावेल, क्रीडा सुविधांचा विस्तार कसा करता येईल, पहिल्या दहा अग्रणी देशांमध्ये स्थान पटकावेल, जास्तीत जास्त पदके पटकावेल, यासाठी सर्व राज्यं एकत्र येऊन एक राष्ट्रीय रोडमॅप तयार करतील, असं केंद्रीय क्रिडा मंत्री अनुराग ठाकुर यांन�� म्हटलं आहे. गुजरातमधल्या केवाडिया इथं युवा व्यवहार आणि क्रीडा मंत्र्यांच्या दोन दिवसीय राष्ट्रीय परिषदेचं उद्घाटन आज अनुराग ठाकुर यांच्या हस्ते झालं, त्यावेळी ते बोलत होते. खेलो इंडिया विद्यापीठ स्पर्धा, ट्रायबल गेम्स अशा स्वतंत्र स्पर्धा आयोजित केल्यास खेळाडूंच्या प्रतिभेला ��ाव मिळेल, खेळाडूंसाठी सुविधा, प्रशिक्षकांची नियुक्ती या विषयांवर राज्यांसोबत या परिषदेत चर्चा करण्यात येणार असल्याचं ठाकुर यांनी सांगितलं.
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ब्यूरो ऑफ आऊटरीच अँड कम्युनिकेशन या विभागाचं नाव बदलून, आता सेंट्रल ब्यूरो ऑफ कम्युनिकेशन असं करण्यात आलं आहे. माहिती आणि प्रसारण मंत्रालयानं २१ जून रोजी जारी केलेल्या सूचनेनुसार मुख्यालय पातळीवर आता हा विभाग सेंट्रल ब्यूरो ऑफ कम्युनिकेशन या नावाने ओळखला जाईल.
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राज्यातल्या १४ शासकीय तंत्रनिकेतन महाविद्यालयांमधल्या तंत्र शिक्षण पदविका अभ्यासक्रमात, अल्पसंख्याक विद्यार्थ्यांसाठी, विशेष तुकडी सुरु करण्यात येणार आहे. या तुकडीमध्ये ७० टक्के जागा अल्पसंख्याक विद्यार्थ्यांसाठी राखीव असून, प्रवेशासाठी ३० जून पर्यंत अर्ज करण्याचं आवाहन अल्पसंख्याक विकास विभागामार्फत करण्यात आलं आहे. हिंगोली, जालना, अंबड, लातूर, नांदेडसह आठ शहरांमधल्या शासकीय तंत्रनिकेतन आणि मुंबईतल्या शासकीय मुद्रण तंत्रज्ञान संस्था इथं या तुकड्या सुरु होत आहेत. या विशेष तुकड्यांमध्ये अल्पसंख्याकांसाठी एक हजार १५५ जागा उपलब्ध असून याशिवाय अल्पसंख्याक विद्यार्थ्यांना नियमित विद्यार्थी म्हणूनही वार्षिक सात हजार ७५० रुपये इतक्या अत्यल्प शुल्कामध्ये प्रवेशाचा मार्ग उपलब्ध आहे.
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शेतकऱ्यांनी सोयाबीन बियाणं पेरणी ७५ ते १०० मिलीमीटर पाऊस झाल्यानंतरच करावी, असं आवाहन, औरंगाबाद जिल्हा अधीक्षक कृषी अधिकारी डॉ. तुकाराम मोटे यांनी केलं आहे. प्रति हेक्टरी बियाणं दर ७५ किलोवरुन ५० ते ५५ किलोवर आणावं. यासाठी सोयाबीनची उगवण क्षमता ७० टक्केपेक्षा कमी असल्यास उगवण क्षमतेच्या प्रमाणात अधिकचं बियाणं पेरणीसाठी वापरण्यात यावं, असंही मोटे यांनी सांगितलं.
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डब्लिन इथं सुरू असलेल्या युनिफार कनिष्ठ पाच देशांच्या हॉकी मालिकेत काल भारतीय महिला संघानं अमेरिकेच्या संघावर चार - एक असा विजय मिळवला. भारताकडून अन्नूने दोन तर निकिता टप्पो आणि वैष्णवी फाळके यांनी प्रत्येकी एक गोल केला.
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फ्रान्स इथं सुरु असलेल्या तिरंदाजी विश्वचषक स्पर्धेत भारतीय महिला रिकर्व संघानं अंतिम फेरीत प्रवेश केला आहे. उपान्त्य फेरीत भारताच्या दीपिका कुमारी, अंकिता भाकत आणि सिमरनजीत कौर यांच्या संघानं तुर्की संघाचा पाच - तीन असा पराभव केला.
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cricpati · 3 years ago
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शाम्सीले घातक बलिंग गर्दा दक्षिण अफ्रीका विजयी
शाम्सीले घातक बलिंग गर्दा दक्षिण अफ्रीका विजयी
दक्षिण अफ्रीकाको आयरल्याण्ड भ्रमण अन्तर्गत तिन वटा टि-ट्वान्टी अन्तर्राष्ट्रियको सिरिज अन्तर्गत पहिलो खेलमा दक्षिण अफ्रीका ३३ रनले विजयी भएको छ। सिरिजमा भ्रमण टोलिले १-० को अग्रता हाँसिल गरेको छ। डब्लिन स्थित द भिलेज मैदानमा सम्पन्न खेलमा दक्षिण अफ्रीकाले दिएको १६६ रनको लक्ष्य पछ्याउने क्रममा आयरल्याण्डले पुरै २० ओभर ब्याटिंग गरेता पनि ९ विकेट क्षेतीमा १३२ रन मात्र बनाउन सक्यो। आयरल्याण्डको…
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samaya-samachar · 1 year ago
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शिक्षा विधेयकमा सभामुखीय भूमिका निर्वाह गर्छु : देवराज घिमिरे
काठमाडौं, ७ असोज । सभामुख देवराज घिमिरे सातदिने आयरल्याण्ड भ्रमण पूरा गरी स्वदेश फर्किएका छन् । आइरिस संसदको तल्लो सदन डोयल एरियनका सभामुख सान ओ फारगेलको निमन्त्रणमा आयरल्याण्डको राजधानीबाट डब्लिन पुगेको सभामुख नेतृत्वको प्रतिनिधि मण्डल आइतबार बिहान स्वदेश फर्किएको हो ।    स्वदेश फर्किएपछि त्रिभुव�� अन्तर्राष्ट्रिय विमानस्थलमा आयोजित पत्रकार सम्मेलनमा सभामुख घिमिरेले संसदमा दर्ता भएको शिक्षा…
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bharatlivenewsmedia · 2 years ago
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कोणतेही काम न करता 1 कोटी रुपये पगार, कर्मचाऱ्याने बॉसवर दाखल केला खटला; नेमकं प्रकरण काय? जाणून घ्या…
कोणतेही काम न करता 1 कोटी रुपये पगार, कर्मचाऱ्याने बॉसवर दाखल केला खटला; नेमकं प्रकरण काय? जाणून घ्या…
कोणतेही काम न करता 1 कोटी रुपये पगार, कर्मचाऱ्याने बॉसवर दाखल केला खटला; नेमकं प्रकरण काय? जाणून घ्या… डब्लिन – कर्मचाऱ्याने आठ ते दहा तास काम करायचे आणि महिन्याच्या महिन्याला पगार घ्यायचा हा एक सर्वसाधारण नियम असला तरी आयर्लंडमध्ये मात्र वेगळीच घटना समोर आली आहे. कोणतेही काम न करता बसून असणाऱ्या एका कर्मचाऱ्याला तब्बल एक कोटी रुपये पगार दिला जात असून आपल्याला कोणतेही काम दिले जात नसल्याबद्दल या…
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loksutra · 2 years ago
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IND vs IRE 2रा T20 खेळत आहे 11 आजचा सामना: अर्शदीप सिंग, राहुल त्रिपाठी पदार्पण करू शकतात, येथे आहे इंडिया आयर्लंड प्लेइंग इलेव्हन संभाव्य प्लेइंग इलेव्हन
IND vs IRE 2रा T20 खेळत आहे 11 आजचा सामना: अर्शदीप सिंग, राहुल त्रिपाठी पदार्पण करू शकतात, येथे आहे इंडिया आयर्लंड प्लेइंग इलेव्हन संभाव्य प्लेइंग इलेव्हन
भारत आणि आयर्लंड यांच्यातील 2 सामन्यांच्या मालिकेतील शेवटचा T20 सामना 28 जून 2022 रोजी डब्लिन येथील द व्हिलेज मैदानावर खेळवला जाणार आहे. हा सामना भारतीय वेळेनुसार रात्री ९ वाजता सुरू ��ोईल. नाणेफेकीची वेळ रात्री साडेआठची आहे. या मालिकेतील पहिला सामना भारताने 7 विकेटने जिंकला होता. अशा स्थितीत टीम इंडियाची नजर दुसरी टी-२० जिंकून आयर्लंडचा सफाया करण्यावर असेल. त्याचबरोबर हा सामना जिंकून मालिकेत…
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#ind vs ire 2022 t20 खेळत 11#ind vs ire 2022 खेळत आहे 11#ind vs ire 2022 सामन्याचे पूर्वावलोकन#ind vs ire सामना पूर्वावलोकन आजचा सामना#आज भारत विरुद्ध आयर्लंड सामन्याचे पूर्वावलोकन#इंड वि इरे मॅच पूर्वावलोकन हिंदी मध्ये#इंड विरुद्ध इरे प्लेइंग 11#इंडस्ट्रीज विरुद्ध इरे टी20 प्लेइंग 11#भारत विरुद्ध आयर्लंड#भारत विरुद्ध आयर्लंड 2022 खेळत आहे 11#भारत विरुद्ध आयर्लंड T20#भारत विरुद्ध आयर्लंड T20 2022#भारत विरुद्ध आयर्लंड T20 खेळत आहे 11#भारत विरुद्ध आयर्लंड T20 मालिका 2022#भारत विरुद्ध आयर्लंड T20 सामन्यातील स्कोअर#भारत विरुद्ध आयर्लंड खेळत आहे 11#भारत विरुद्ध आयर्लंड दुसरा T20#भारत विरुद्ध इरे 2022 टी20 आज 11 खेळत आहे#भारत विरुद्ध इरे 2022 टी20 खेळत आहे 11
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darshaknews · 2 years ago
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पांड्याने कर्णधारपदाच्या पदार्पणातच रचला इतिहास, धोनी-कोहली-रोहितही करू शकले नाहीत
पांड्याने कर्णधारपदाच्या पदार्पणातच रचला इतिहास, धोनी-कोहली-रोहितही करू शकले नाहीत
आयर्लंड विरुद्ध भारत 1ली T20I: डब्लिन येथे झालेल्या टी-20 मालिकेतील पहिल्या सामन्यात भारतीय संघाने आयर्लंडचा 7 गडी राखून पराभव केला. भारताच्या विजयात दीपक हुडाने महत्त्वाची भूमिका बजावली. त्याने शानदार खेळी खेळली. दीपकसोबतच युझवेंद्र चहल आणि भुवनेश्वर कुमार यांनी शानदार गोलंदाजी दाखवली. या दोन्ही गोलंदाजांनी 1-1 विकेट घेतली. पावसामुळे हा सामना बराच वेळ सुरू होऊ शकला नाही. त्यामुळे 12-12 षटकांचा…
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marathinewslive · 2 years ago
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आयर्लंड विरुद्ध न्यूझीलंड विरुद्धच्या तिसर्‍या एकदिवसीय सामन्यात कर्टिस कॅम्फर जबरदस्त थ्रोसह विल यंग आऊट झाला. पहा | क्रिकेट बातम्या
आयर्लंड विरुद्ध न्यूझीलंड विरुद्धच्या तिसर्‍या एकदिवसीय सामन्यात कर्टिस कॅम्फर जबरदस्त थ्रोसह विल यंग आऊट झाला. पहा | क्रिकेट बातम्या
आयर्लंडविरुद्धच्या तिसऱ्या एकदिवसीय सामन्यात न्यूझीलंडचा फलंदाज विल यंग 3 धावांवर बाद झाला.© ट्विटर न्यूझीलंडने शुक्रवारी द व्हिलेज, डब्लिन येथे तिसऱ्या एकदिवसीय सामन्यात आयर्लंडचा शेवटच्या चेंडूच्या थ्रिलरमध्ये पराभव केला. या विजयासह ब्लॅककॅप्सने यजमानांचा मालिकेत 3-0 असा व्हाईटवॉश केला. शेवटचा सामना न्यूझीलंडने एका धावेने जिंकला होता. अखेरीस आयर्लंडने सामना गमावला असला तरी पाहुण्यांनी दिलेल्या…
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webmaharashtra-blog · 6 years ago
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इंडियाचा आयर्लंडवर एकतर्फी विजय
इंडियाचा आयर्लंडवर एकतर्फी विजय
दिनेश शिंदे : डब्लिन- बॅट्समन नंतर इंडियाच्या कुलदीप, यजुवेंद्र ने कमाल केली. इंडियाच्या मजबूत बॉलिंग लाईन अप समोर आयर्लंड 132/9 रन बनवू शकली आणि आयर्लंडचा 76 रननी पराभव झाला.
कुलदीप ने 4 व यजुवेंद्र चहल ने 3 विकेट घेतले. 209 रनच्या पाठलाग करताना आयर्लंडकडून जेम्स शेनॉन ने 60 रनची खेळी केली.
आयर्लंड ने इंडिया विरुद्धच्या मॅचमध्ये टॉस जिंकून प्रथम बॉलिंग करण्याचा निर्णय घेतला. पण हा निर्णय…
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balrajssidhuuk · 4 years ago
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#बलराज_सिंह_सिद्धू_का_उपन्यास
👸राजकुमारी डायना👸 : 💘 दिलों की रानी की प्रेम कहानी💘
-अनुवादक: सुभाष नीरव
#अध्याय 1: रियासत का रक्षक, राजकुमारी और राजकुमार
बहुत ही बेबाक किस्म का इन्सान हूँ मैं। मैं? हाँ मैं। अर्थात ब्रितानवी फौज का भूतपूर्व स्क्वाड्रन लीडर मेज़र जेम्ज़ मिल्फोर्ड ह्युवट वल्द जाॅह्न ह्युवट। मैं आयरिश मूल से हूँ। मुझे गर्व है कि समूचे विश्व में मेरी कौम को बहादुर, मेहनती और वफ़ादार माना जाता है।
44 ईसा पूर्व में जब रोमन मारकाट करते हुए दूसरे देशों पर कब्ज़ा किए जा रहे थे तो उनके जरनैल जुल���यश सीज़र की फौज़ों का, हमारे बहादुर सिपाहियों से डरते हुए आयरलैंड की ओर झांकने का साहस नहीं हुआ था। 795 ईसवी में नौवरवे के लुटेरों ने डब्लिन के रास्ते आयरलैंड ���र पहला हल्ला बोला था। हमारे बहादुरों ने उनका डटकर मुकाबला किया था और उन्हें अपनी धरती पर काबिज़ होने से रोका था। बेशक वे काफ़ी समय तक लूटमार करते रहे थे। उसके उपरांत 852 ई. में गल-गेल्ज़ अर्थात बाहरी हमलावर आकर हमारी धरती पर व्यापार के बहाने टिकते चले गए और नौरमैंडियों ने अनेक किलों का आयरलैंड में निर्माण किया। उसके बाद कैलटिक, फ्लैमिग्ज़ और वैलिस भी आए। 902 ई. में हमारे आयरिश राजा मुइरीकन ने सभी हमलावरों को आयरलैंड से बाहर भगा दिया था। 1014 क्लोनटर्फ़ के युद्ध में बाहरी हमलावरों को हमारे योद्धाओं ने लोहे के चने चबवाकर कुबड़ा बनाकर रख दिया था। 1 मई 1169 को नौरमनी फौजों ने हमले करके आयरलैंड पर कब्ज़ा करना शुरू कर दिया था। पर वे कई सालों की जद्दोजहद के बाद भी पूरा आयरलैंड जीतने में असफल रहे थे। सोलहवीं सदी में इंग्लैंड के बादशाह हैनरी आठवें ने आयरलैंड के कुछ हिस्सों पर धोखे से कब्ज़ा कर लिया था और उसके उपरांत हमारा देश इंग्लिशों का गुलाम होता चला गया था। उन्नींसवीं सदी में तैयार हुए हमारे राष्ट्रीय ध्वज में केसरी, सफ़ेद और हरी पट्टी है। भारत के झंडे में से अशोक चक्र निकालकर उसको टेढ़ा कर दें तो हमारे आयरलैंड का झंडा बन जाता है। हरा रंग रोमन कैथोलिकों का है और केसरी प्रोटैस्टैंट मत के ईसाइयों का। मध्य में सफ़ेद रंग दोनों के बीच शांति का प्रतीक है।
मेरा जन्म 30 अपै्रल 1958 को लंडनडेयरी में हुआ था। लंडनडेयरीए उत्तरी आयरलैंड का दूसरा बड़ा शहर है। पहले इसको सिर्फ़ डेयरी ही कहते थे। 1612 में इसका नाम बदलकर लंडनडेयरी रख दिया गया थाए पर आम बोलचाल की भाषा में हम आज भी इसको ष्डेयरीष् ही पुकारते हैं।
लंडनडेयरी में अपनी जुड़वा बहन कैरोलाइन से पौने दो घंटे बाद मेरी पैदा हुई थी। हमारी एक बड़ी बहन सिहरा भी है, जो हमसे 19 महीने पहले डैवन (इंग्लैंड) में जन्मी थी।
मेरा पिता जाॅह्न ह्युवट, रोयल मरीन्ज़ (शाही समुद्री बेड़े) के साथ कप्तान के तौर पर उत्तरी आयरलैंड में नौकरी करता था। मुझे मेरे भाईचारे की ओर से प्रायः बताया जाता था कि मेर��� पिता इज्ज़तदार और सबका प्रिय अफ़सर था। फौज की नौकरी मेरे पिता को विरासत में मिली थी। मेरा दादा रोयल नेवी में एडमिरल (जल सेना का प्रधान सेनापति) हुआ करता था जो मेरे जन्म से पूर्व ही ईश्वर को प्यारा हो चुका था। मेरा पिता तब केवल सात साल का था जब मेरी दादी की कैंसर से मौत हो गई थी।
मेरा पिता अपने समय का एक श्रेष्ठ धावक था और वह 1952 में हैलसिंकी (फिनलैंड) ओलम्पिक खेलों में देश का प्रतिनिधित्व कर चुका था। इसमें घुड़दौड़ और बाधा दौड़, पिस्तौल के साथ निशानेबाजी, 300 मीटर फ्री स्टाइल तैराकी रेस, 4000 मीटर क्राॅस कंट्री दौड़ शामिल हुआ करती थी। वह गोल्ड मैडल तो नहीं जीत सका था, पर उसने मेरी खातिर कुछ लक्ष्य पूरे करने के लिए अवश्य छोड़ दिए थे। जिनकी पूर्ति को मैं अपना धर्म और कर्तव्य समझता था। दुनिया के सभी माँ-बाप ही अपनी अधूरी इच्छाओं को अपने बच्चों के माध्यम से पूरा होते देखना चाहते हैं। मेरे पिता को बाद में कोरिया में भेज दिया गया था। इसलिए बचपन में मैंने अपने पिता को बहुत कम देखा था।
मेरा नाना दंत चिकित्सक था और लंदन में उसकी सर्जरी थी। पर पारिवासिक घर डैवन में था। मेरी माँ शरली पारंपरिक किस्म की घरेलू स्त्री तो नहीं थी, पर वह घुड़सवारी और खेत जोत कर प्रसन्न रहती। मेरे माता पिता का मिलाप भी घोड़ों के माध्यम से ही हुआ था। हम तीन बहन-भाई खच्चरों के साथ खेलते हुए पले बड़े हुए थे। खेतों, खलिहानों के खुले-फैले माहौल में हमने, बंदिशों रहित आज़ाद जीवन जिया था। मेरे दादा का घर कैंट, दक्षिण-पूर्व, इंग्लैंड में था। जब हम अपनी ननिहाल डैवन, दक्षिण-पश्चिम इंग्लैंड जाते तो घंटों तक खच्चरों पर बाहर घूमते रहते। रात में अँधेरा होने पर घर में घुसा करते।
थोड़ा बड़ा होने पर मुझे डैवन के ऐतिहासिक शहर ऐक्सेटर के प्रैप स्कूल में पढ़ने के लिए भेजा गया था। उसके पश्चात मुझे नोर्थांबरलैंड, इंग्लैंड के कस्बे मिलफील्ड के पब्लिक स्कूल में भेज दिया गया। जहाँ का हैड मास्टर जैक मेयर वहमी किस्म का व्यक्ति था। मेरे अन्दर विद्या संबंधी योग्यता न होने के कारण भी उस भलेमानुस ने मुझे दाखि़ल कर लिया था। उसको पता था कि यद्यपि मैं पढ़ाई-लिखाई में कमज़ोर था, पर खेलों में बहुत फुर्तीला था। जो कि स्कूल के लिए खेल-मैडल जीतने के का�� आ सकता था। मुझे खेलों का शौक था और पढ़ाई मेरे लिए बहुत महत्व नहीं रखती थी। एक गुण, सौ अवगुण छिपा लेता है।
मैंने वहाँ मिलफील्ड में रहते हुए अपने मिलनसार स्वभाव के कारण अनेक दोस्त बनाये थे। जो आज बड़े पदों पर हैं।
मिलफील्ड पब्लिक स्कूल में कोई वर्दी नहीं हुआ करती थी। सब सादे कपड़े पहनते थे। वह लड़कों और लड़कियों का मिलाजुला स्कूल था और वहाँ के वातावरण में रहते हुए मैंने विपरीत लिंग को समझना और उसका आदर करना सीखा था। मेरी खेलों की अभिरुचि यहाँ आकर एक जुनून बन गई थी और मैंने निशानेबाज़ी, क्राॅस कंट्री और तैराकी की कई प्रतियोगिताओं में हिस्सा लिया था। मैं पोलो और शो-जंपिंग टीम का कप्तान भी बना।
मैं फौजी सेक्सन की कंबाइन कैडिट फोर्स में भर्ती हो गया। पर मुझे यह दिलचस्प न लगा और मैंने वह विषय छोड़कर पुरातत्व विज्ञान का विषय ले लिया। पुरातत्व वैज्ञानिकों द्वारा खुदाइयों पर किए जाने वाले कार्य मे मेरा बहुत मन लगता था। हम दिनभर समरसैट (दक्षिण-पश्चिम, इंग्लैंड) के इलाके के पुराने गिरजाघरों की खुदाई करते रहते।
यहाँ बिगड़े हुए साथियों के साथ मुझे सिगार पीने की लत लग गई। पर मैंने अपने घरवालों को सिगार पीने की अपनी आदत के बारे में स्वयं ही बता दिया था। मुझे झूठ बोलना या चोरी करना अच्छा नहीं लगता था। प्रारंभ से ही मैं दिल का साफ़ और रिश्तों के प्रति वफ़ादार रहा था। जब मैं वहाँ से सत्रह वर्ष की आयु में निकला तो शैक्षिक योग्यता के तौर पर मेरे पास सात ओ लेवल तो थे, पर कोई ए लेवल न होने के कारण यूनिवर्सिटी में जाने की कोई संभावना नहीं थी। यह मेरे लिए बहुत निराशाजनक था क्योंकि मैंने अपने दिल में सर्जन बनने का लक्ष्य सुनिश्चित कर रखा था।
ऊब कर मैंने घुड़सवार सहायक शिक्षक की परीक्षा दी ताकि अपनी माँ के घुड़सवारी स्कूल में मदद कर सकूँ। पर मैं जानता था कि मैं इस व्यवसाय से भी अधिक योग्यता रखता था। मैं अपनी प्रतिभा को यूँ ही नहीं गंवाना चाहता था। मैं ऐक्सेटर के आर्मी करियर आफिस मे गया और वहाँ उपलब्ध जानकारी तथा वहाँ लोगों के साथ बातें करने से मेरा झुकाव अचानक फौज की ओर हो गया। वतन की सरहदों की रक्षा करने का जज़्बा मेरे रक्त मे पहले ही मौजूद था। मेरी कदकाठी और डीलडौल देखकर फौज वालों ने बताया कि मैं शाॅर्ट सर्विस कमिशन के लिए योग्य हूँ। मैंने आवश्यक कागज जमा करके फाॅर्म भर दिए।
घर पहुँचकर अपने पिता को जब मैंने इस बारे में बताया तो सुनकर वह बहुत खुश हुए। मेरे पिता ने जनरल मौंकी ब्लैकर को सम्पर्क किया, जिसके साथ मेरे पिता पैनटाथलोन रेस में मुकाबला किया करता था। कुछ दिनों के पश्चात जनरल मौंकी ब्लैकर ने मुझे इंग्लैंड के प्रमुख फौजी छावनी वाले शहर एल्डरसौट में स्थित क्यूज़न हैड होटल में लंच के लिए बुला लिया था। मेरे बारे में आवश्यक जानकारी प्राप्त करने के उपरांत उसने अपनी पुरानी पलटन को मेरी सिफ़ारिश कर दी।
पाँचवी राॅयल एन्ज़स्किलन ड्रैगन गार्डज़ पलटन ने मुझे इस शर्त पर स्थान देने की पेशकश की कि यदि मैं सैंडहर्टज़ राॅयल मिलिटरी अकादमी की परीक्षा पास कर लूँ तो वह मुझे सीधे सीधे रख लेंगे। सैंडहर्टज़, इंग्लैंड की बर्कशाइर काउंटी में पड़ने वाला शहर है और यहाँ यू.के. का सबसे बड़ा सैन्य प्रशिक्षण केन्द्र है। मुझे कैट्रिक, याॅर्कशाइर, इंग्लैंड भर्ती शिक्षण के लिए भेज दिया गया, जहाँ मेरे अलावा 30 अन्य अफ़सर थे जिन्हांे ने परीक्षा पास करने के बाद किसी न किसी कैवलरी(घुड़सवार सेना) पलटन में जाना था। हमारी आर.सी.बी. (Regular Commission Board) के लिए वैस्टबरी, विल्टशाइर काउंटी इंग्लैंड में तैयारी करवाई जाने लगी। वैस्टबरी में तीन दिन की लिखित परीक्षा देनी होती है, बहुत सारे साक्षात्कारों और सवालों से गुज़रना पड़ता है। लीडरशिप टैस्ट और मनौविज्ञान टैस्ट, डाॅक्टरी और अन्य भी। यदि आप फौज में जाने के लिए शैदाई और जिद्दी हों तो आपको भर्ती कर लिया जाता है।
मैं फेल नहीं हुआ था, पर पूर्णरूप में आवश्यक स्टैंडर्ड की परीक्षा पास भी नहीं कर सका था। मुझे अपने चरित्र के निर्माण के लिए राॅयल कंपनी, राॅयल मिलिटरी अकेडमी, सैंडहर्ट्ज़ में भेज दिया गया। मुझे बताया गया कि आर.सी.बी. में मेरी कारगुजारी बहुत बढ़िया थी। परंतु मेरे बारे में निर्णय किया गया कि मैं अपने मातहत फौजियों के साथ नरम व्यवहार अपनाऊँगा। इसलिए मुझे अन्य उच्च और सख़्त प्रशिक्षण की आवश्यकता थी। राॅयलन कंपनी मुझे खड़ूस, अकड़बाज, कठोर और रौबदार बनाने के लिए थी। वहाँ किश्तियों के चप्पू चलवाये जाते, सख़्त वर्जिशें, नक्शें पढ़ने के ढंग तथा अन्य बहुत कुछ सिखाया गया। वहाँ के बाद मैंने स्टैंडर्ड मिलिटरी कोर्स, सैंडहर्ट्ज़ में अपना स्थान प्राप्त कर लिया।
मेरी कंपनी की कमांड मेजर टिम शीवैल के अधीन थी जो बाद में मेजर जनरल और राॅयल मिलिटरी अकेडमी का कमांडर बना था। वह बहुत दूरंदेशी और विद्वान था। हमने उसकी लीडरशिप का भरपूर लाभ लिया। कभी सैंडहटर््ज़ में दो वर्ष का कोर्स हुआ करता था, पर उस ��मय उसे कम करके सात महीने का कर दिया गया था। जिसका अर्थ था कि परीक्षार्थियों को कोर्स के अलावा और कुछ करने का समय ही नहीं मिलता था। यह सब पास करके मैं जूनियर अंडर आफ़ीसर के शिखर तक पहुँच गया और ग्रेज्युएशन करने के बाद मैं अपनी पलटन का कप्तान बना।
मैं घुड़सवार सुरक्षा दल के मुख्यालय में गया तो मुझे पता चला कि लाइफ़ गार्डज़ फौज में मुझे लंदन में रहने का अवसर मिल सकता था। जब कि मेरे फौजी दल पाँचवी एन्ज़स्किलन को जर्मनी भेजा जाना था। लंदन में रहने से मेरे घोड़ों, पोलो और शिकार के शौक भी पूरे होते रह सकते थे।
मैं हाउसहोल्ड कैवलरी के नुमाइंदे, मेजर एंड्रू पार्कर बोल्ज़ से मिलने सैंडहर्ट्स गया जो उस वक्त ब्लूज़ एंड राॅयल्ज़ में था। मेजर एंड्रू पार्कर बोल्ज़ की काफ़ी पहुँच थी और उसने रेजिमेंट के उच्च अधिकारियों से मेरी मुलाकात का प्रबंध कर दिया।
लाइफ़ गार्ड्ज़ का कर्नल, फ्लीट का एडमिरल, अर्ल लुइश माउंटबैटन आॅफ बर्मा था। माउंटबैटन जर्मनी के एक छोटे से कस्बे बैटनबर्ग के बाशिंदों की ओर से उपनाम के तौर पर प्रयोग किया जाता था। जर्मनी के राजकुमार लुइश द्वारा माउंटबैटन नाम को अपने गोत्र के तौर पर इस्तेमाल करने के उपरांत यह नाम गोत्र बनकर प्रचलित हो गया। माउंटबैटन असल में एक उपाधि थी। इंग्लैंड के शाही निज़ाम द्वारा वफ़ादार अमीरों और वज़ीरों को खास खिताबों से नवाजा जाता रहा है। इन उपाधियों को संबंधित व्यक्ति अपने नाम से पहले प्रयोग करते हैं। ब्रिटेन में सबसे बड़ा पद अम्परर(बादशाह) का है। उसके बाद राजा या रानी। फिर शहजादा और शहजादी। इसके उपरांत क्रमशः (बड़ी से छाटी) उपाधियाँ हैं - आर्क ड्यूक, ड्यूक, माकर््यूस, काउंट या अर्ल, विसकाउंट, बैरन, बार्ननट, हेअरडेटर नाइट और सबसे छोटी उपाधि नाइट है। इन सबके राज दरबार में बैठने के लिए विशेष आसन बने होते हैं। इसके अतिरिक्त सर और लाॅर्ड के खिताब भी दिए जाते हैं। परंतु उनके लिए राजभवन में कोई स्थान नहीं होता। आजकल विशेष क्षेत्रों में प्रमुख योगदान देने वाले व्यक्तियों को सी.ओ.एच (Commander of Honour), सी.बी.ई.(Commander of the Order of the British Empire), डेम(योद्धा), ओ.ओ.बी.ई.(Officer of the Order of the British Empire), और एम.बी.ई.(Member of the Order of the British Empire), बी.ई.एम.(Overseas Territories Police and Fire Service Medals, Royal Victorian Order), आर.वी.ई.( Overseas Territories Police and Fire Service Medals, Royal Victorian Order), आदि के अलावा 12 अन्य सम्मान और विक्टोरिया क्राॅस और जाॅर्ज क्राॅस आदि मेडल भी दिए जाते हैं।
खैर, मैं लाॅर्ड लूईस माउंटबैटन को उसके ��िनर्टन स्ट्रीट फ्लैट, नाइट्जब्रिज में 8 फरवरी 1978 में जाकर मिला। वह मेरे पिता के साथ माल्टा में पोलो खेल चुका था। लाॅर्ड माउंटबैटन की शाही परिवार के संग नज़दीकी होने के कारण काफ़ी तानाशाही चलती थी। लाॅर्ड माउंटबैटन ने मुझे रख लिया। मैं नाइट्ज़ब्रिज़ बैरक, लंदन में तैनात हो गया था।
फौज में आने के बाद ही असल ज़िंदगी और लंदन के साथ मेरा परिचय हुआ था। बड़ी तीव्रता के साथ मैं अफ़सर कैडिट से प्रारंभ करके दूसरा लफ़तान, फिर लफ़तान बनकर कप्तान के ओहदे तक पहुँच गया था। मुझे मेजर, लफ़तान कर्नल, कर्नल, ब्रिगेडियर(एक सिताराधारी), मेजर जनरल(दो सितारा), लफ़तान जनरल(तीन सितारा) और सबसे बड़े ब्रितानवी फौज के जनरल वाले पद के लक्ष्य साफ़ दिखाई देते थे। मैं अपनी छाती पर पाँच सितारे चमकते देखने के लिए जी जान से फौज में देश की सेवा कर रहा था।
मेरे ही पूर्वज आयरलैंड की जंग-ए-आज़ादी के लिए जिन ऐंग्लिकनों के साथ लड़े थे, मैं और मेरा पिता उनकी ही फौज में भर्ती होकर सेवा कर रहे थे। इतिहास की कटु सच्चाइयों को भुलाकर मैं इंग्लैंड, वेल्ज़, स्काॅटलैंड और आयरलैंड को मिलाकर बने युनाइटिड किंगडम अर्थात संगठित ब्रितानवी साम्राज्य की विशाल रियासत का रक्षक बनकर अपने आप में बहुत गर्व अनुभव करता था।
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शेष कल...
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