#जीवाश्म
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पारिस्थितिकी और इसकी शाखाएँ
Ecology in HIndi पारिस्थितिकी और इसकी शाखाएँ पारिस्थितिकी का अर्थ यह जीव विज्ञान की एक शाखा है जिसमें जीवों और पर्यावरण के साथ उसके सम्बन्ध का अध्ययन करते हैं। इकोलॉजी शब्द ग्रीक भाषा के दो शब्दों Oikos (House) तथा logos (to study) से बना है जिसका अर्थ किसी भी जीव का उसके पर्यावरण के साथ संबंध का अध्ययन है यह सबसे पहले रिटर (Reiter,1885) द्वारा दिया गया परंतु अर्नेस्ट हैकल ने इसकी पूर्ण रूप से…
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गैर-जीवाश्म ईंधन के उपयोग को बढ़ावा देने वाला विधेयक राज्यसभा में पेश किया गया
गैर-जीवाश्म ईंधन के उपयोग को बढ़ावा देने वाला विधेयक राज्यसभा में पेश किया गया
द्वारा पीटीआई नई दिल्ली: इथेनॉल, ग्रीन हाइड्रोजन और बायोमास सहित गैर-जीवाश्म ईंधन के उपयोग को बढ़ावा देने वाला एक विधेयक गुरुवार को राज्यसभा में पेश किया गया। ऊर्जा संरक्षण (संशोधन) विधेयक, 2022 का उद्देश्य भी देश को जलवायु परिवर्तन पर अपनी अंतर्राष्ट्रीय प्रतिबद्धताओं को प्राप्त करने में मदद करना है। इस साल अगस्त में लोकसभा ने कानून को मंजूरी दे दी थी। उच्च सदन में विधेयक को पेश करते हुए ऊर्जा…
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Tata steel jamshedpur proud : टाटा स्टील बनी पहली भारतीय इस्पात निर्माता जिसने कार्बन उत्सर्जन कम करने के लिए बायोचार का शुरू किया उपयोग, जमशेदपुर प्लांट में बायोचार इंजेक्शन के माध्यम से हजारों टन जीवाश्म ईंधन को बदला
जमशेदपुर : टाटा स्टील ने जमशेदपुर प्लांट में बायोचार (बायोमास आधारित चारकोल) का सफल उपयोग करते हुए एक नई मिसाल कायम की है. यह पहल न केवल कंपनी की सस्टेनेबिलिटी के प्रति गहरी प्रतिबद्धता को दर्शाती है, बल्कि 2045 तक नेट जीरो लक्ष्य हासिल करने के संकल्प को भी मजबूती प्रदान करती है. जनवरी 2023 में परीक्षण के रूप में शुरू हुई इस पहल के तहत, टाटा स्टील ने अब तक बायोचार का उपयोग कर लगभग 30,000 टन…
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क्या अडानी हसदेव परियोजना भारत की ऊर्जा क्रांति का भविष्य है?
अडानी ग्रुप ने हसदेव कोयला खदान परियोजना की शुरुआत इस उद्देश्य से की है कि यह क्षेत्र के प्राकृतिक संसाधनों का उपयोग कर देश की ऊर्जा जरूरतों को पूरा कर सके। भारत का लक्ष्य 2030 तक 500 गीगावाट और 2035 तक 1 टेरावाट नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता हासिल करना है। इस दिशा में, हसदेव परियोजना जैसे कोयला खनन प्रोजेक्ट्स पर निर्भरता बनी हुई है, जो जीवाश्म ईंधन से स्वच्छ ऊर्जा की ओर संक्रमण में एक चुनौती प्रस्तुत करते हैं।
https://hindi.newsinheadlines.com/is-the-adani-hasdev-project-the-future-of-indias-energy-revolution/
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New living fossil, Amethyst worm lizard (Amphisbaena amethysta), from Espinhaço Mountain Range, Brazil
新的活化石——紫水晶虫蜥(Amphisbaena amethysta),产自巴西埃斯皮尼亚苏山脉
Novo fóssil vivo, lagarto verme ametista (Amphisbaena amethysta), da Serra do Espinhaço, Brasil
新活化石紫水晶蠕蟲蜥蜴(Amphisbaena amethysta),來自巴西埃斯皮尼亞索山脈
Nuevo fósil viviente, lagarto gusano amatista (Amphisbaena amethysta), de la sierra de Espinhaço, Brasil
नया जीवित जीवाश्म, एमेथिस्ट वर्म छिपकली (एम्फिस्बेना एमेथिस्टा), एस्पिन्हाको पर्वत श्रृंखला, ब्राजील से प्राप्त हुआ
Nouveau fossile vivant, lézard ver améthyste (Amphisbaena amethysta), de la chaîne de montagnes d'Espinhaço, Brésil
ブラジルのエスピニャソ山脈で発見された、新しい生きた化石、アメジストワームトカゲ(Amphisbaena amethysta)
Fosil hidup baru, kadal cacing kecubung (Amphisbaena amethysta), dari Pegunungan Espinhaço, Brasil
নতুন জীবন্ত জীবাশ্ম, অ্যামেথিস্ট ওয়ার্ম টিকটিকি (Amphisbaena amethysta), Espinhaço Mountain Range, Brazil থেকে
Neues lebendes Fossil: Amethyst-Wurmechse (Amphisbaena amethysta) aus dem Espinhaço-Gebirge, Brasilien
새로운 살아있는 화석, 브라질 에스피냐수 산맥의 자수정 벌레 도마뱀(Amphisbaena amethysta)
Nuovo fossile vivente, la lucertola verme ametista (Amphisbaena amethysta), dalla catena montuosa di Espinhaço, Brasile
ฟอสซิลมีชีวิตใหม่ กิ้งก่าหนอนอเมทิสต์ (Amphisbaena amethysta) จากเทือกเขา Espinhaço ประเทศบราซิล
Bagong buhay na fossil, Amethyst worm lizard (Amphisbaena amethysta), mula sa Espinhaço Mountain Range, Brazil
ហ្វូស៊ីលមានជីវិតថ្មី ជីងចក់ដង្កូវ Amethyst (Amphisbaena amethysta) មកពីជួរភ្នំ Espinhaço ប្រទេសប្រេស៊ីល
Hóa thạch sống mới, thằn lằn giun thạch anh tím (Amphisbaena amethysta), từ dãy núi Espinhaço, Brazil
ຟອດຊິວທໍາໃຫມ່ທີ່ມີຊີວິດ, ແລນແມ່ທ້ອງ Amethyst (Amphisbaena amethysta), ຈາກ Espinhaço Mountain Range, Brazil
Новое живое ископаемое, аметистовая червеобразная ящерица (Amphisbaena amethysta) с горного хребта Эспиньясу, Бразилия
သက်ရှိရုပ်ကြွင်းအသစ်၊ ဘရာဇီး၊ Espinhaço တောင်တန်းမှ Amethyst သန်ကောင်အိမ်မြှောင် (Amphisbaena amethysta)
Nuwe lewende fossiel, Amethyst-wurmakkedis (Amphisbaena amethysta), van Espinhaço-bergreeks, Brasilië
බ්���සීලයේ Espinhaço කඳුවැටියෙන් නව ජීවී පොසිල, ඇමතීස්ට් පණු කටුස්සා (Amphisbaena amethysta),
Yeni yaşayan fosil, Ametist solucan kertenkelesi (Amphisbaena amethysta), Brezilya'daki Espinhaço Dağ Sırası'ndan
नयाँ जीवित जीवाश्म, एमेथिस्ट वर्म छेपारो (एम्फिस्बेना एमेथिस्टा), एस्पिनहाको पर्वत श्रृंखला, ब्राजिलबाट
Nowa żywa skamielina, jaszczurka ametystowa (Amphisbaena amethysta) z pasma górskiego Espinhaço w Brazylii
Бразилийн Эспинхачо уулын нурууны шинэ амьд чулуужсан, ягаан болор өт гүрвэл (Amphisbaena amethysta)
Нові живі копалини, ящірка-червяк Аметист (Amphisbaena amethysta), з гірського хребта Еспіньясо, Бразилія
Dlium theDlium @dlium
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वैज्ञानिकों को मिला करोड़ों साल पुराना समुद्री गाय का अवशेष, मगरमच्छ और टाइगर शार्क के हमले में हुई थी मौत
World News: धरती रहस्यों से भरी पड़ी है, यहां पर कई ऐसी चीजें हैं जिनके बारे में लोगों को बहुत कम जानकारी है. वहीं जमीन में गड़े सैकड़ों वर्ष पुरानी जानवरों की लाशों के अवशेष हमें अनोखी जानकारी देते हैं. इन्हीं अवशेषों को वैज्ञानिक फॉसिल्स या जीवाश्म कहते हैं. ऐसी की एक खोज में वैज्ञानिक को करोड़ों वर्ष पुरानी समुद्री गाय का इस तरह का कंकाल मिला है जिसने उसके शिकार होने की अनूठी कहानी के बारे में…
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मेरी आपातकालीन तैयारी में Gen X टेक्नोलॉजी शामिल है
एक आपातकालीन तैयारी योजना बनाएं।अगर मैं अपने Ma और Pa Kettle वाइल्ड वेस्ट दोस्तों की तरह कयामत की तैयारी कर रहा होता, तो मैं निश्चित रूप से अपनी तकनीक से शुरू करता।आप पूछते हैं यह क्या है? बंजर भूमि में तकनीक? क्या हमें फ्यूरिओसा से पूछना चाहिए कि यह कैसे चलेगा?वास्तव में, मुझे लगता है कि वह इस पर मुझसे सहमत होंगी। हमें पूरी तरह से जाना चाहिए और हमें पुराने थकाऊ जीवाश्म ईंधनों के बजाय हरित ऊर्जा…
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कुंडलिनी योग की सहायक हरित ऊर्जा
दोस्तों, जीवाश्म ईंधन के अंधाधुंध इस्तेमाल से धरती का जीवन संकट में आ गया है। ग्लोबल वार्मिंग बढ़ रही है। धरती लगातार गर्म हो रही है। ग्लेशियर पिघल रहे हैं। सुंदर समुद्रतटीय प्रदेशों के निकट भविष्य में पूरी तरह से जलमग्न होने के आसार बन गए हैं। वातावरण में कार्बनडाइऑक्साइड जैसी ग्रीन हाउस गैसों की मात्रा बहुत बढ़ गई है और लगातार बढ़ ही रही है। इससे मौसम भी बदल गया है। बारिश के मौसम में सूखा पड़…
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One liner Previous year question paper General Science
Que : दाँतों और हड्डियों की संरचना के लिये आवश्यक तत्व है ?Ans – कैल्सियम एवं फाॅस्फोरसQue : रूधिर को थक्का जमने [Blood Clot] में सहायक होता है ?Ans – प्लेटलेट्स PlateletsQue : मस्तिष्क तथा सिर के अध्ययन से संबंधित है ?Ans – फ्रेनोलाॅजी PhrenologyQue : श्वसन के दौरान सर्वाधिक मात्रा में ली गई गैस होती है ?Ans – नाइट्रोजनQue : जीवित जीवाश्म [Abundant Gas] कौन होता है ?Ans – साइकसQue : मीनीमाता रोग…
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उत्क्रांती
“उत्क्रांतीच्या सिद्धांताबद्दल तुमचं काय म्हणणं आहे?”असं मला काल श्री.समर्थांनी विचारलं.मला जी माहिती होती ती मी त्यांना समजावून सांगत होतो. मी त्यांना म्हणालो,“उत्क्रांतीचा सिद्धांत का अशक्य आहे त्याची कारणं काय असावीत ह्यावर विचार करणं आवश्यक आहे असं मला वाटतं.प्रथम दृष्टीप्तीस येणारं कारण हे सहाजिकच म्हणजे ह्या सिद्धांताला ठोस पुरावा नाही.कुणी म्हणेल जीवाश्म(fossil) पाहून तो पुरावा ठोस आहे,तर…
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अडानी ग्रुप का लक्ष्य 2030 तक 100 गीगावाट नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता स्थापित करना है। यह महत्वाकांक्षी लक्ष्य भारत को अपनी ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने में आत्मनिर्भर बनाने और हरित अर्थव्यवस्था की ओर तेजी से बढ़ने में महत्वपूर्ण योगदान देगा।
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जीवाश्म इन्धन अनुदानको विरोधमा थनबर्गको नेदरल्याण्डसमा प्रदर्शन
काठमाडौँ । नेदरल्यान्ड्समा जीवाश्म इन्धन अनुदानको विरोधमा भएको प्रदर्शनका क्रममा वातावरणीय कार्यकर्ता ग्रेटा थनबर्गलाई प्रहरीले पक्राउ ग��ेको छ । थनबर्गको नेतृत्वमा भएको प्रदर्शनका क्रममा प्रमुख सडक अवरुद्ध भएपछि प्रहरीले कारबाही गरेको थियो । प्रहरीले प्रदर्शनका क्रममा चार सयभन्दा बढीलाई नियन्त्रणमा लिएको थियो, जसमध्ये १२ जनालाई उक्साएको आरोपमा हिरासतमा राखिएको छ । यद्यपि, वातावरणीय कार्यकर्ता…
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मध्यपाषाण काल के शैल चित्रों की खोज
डी. रविंदर रेड्डी और डॉ. मुरलीधर रेड्डी ने तेलंगाना के सीताम्मा लोड्डी में मध्यपाषाण काल के शैल चित्रों की खोज की है।सीताम्मा लोड्डी पेद्दापल्ली जिले के गट्टुसिंगाराम में स्थित है।यहाँ मिले शैलचित्र मध्यपाषाण काल (10,000-12,000 वर्ष पहले) और प्रारंभिक ऐतिहासिक काल (पहली ईसा पूर्व से 6ठीं शताब्दी) से संबंधित हैं।ये जंगल में एक बड़े बलुआ पत्थर पर मिले हैं। सीपियों वाला एक जीवाश्म पत्थर भी पाया गया है, जिससे पता चलता है कि यह स्थल लगभग 65 मिलियन वर्ष पुराना है।डॉ. मुरलीधर रेड्डी ने इस स्थल को जयशंकर भूपालपल्ली जिले में स्थित पांडवुला गुट्टा की तरह शैल चित्रों की “हीरे की खान” के रूप में वर्णित किया है। शैलचित्र पर मिले चित्र - इस पर मानव आकृतियों का चित्रण है। - पुरुष और महिला दोनों पंक्ति और गोल पैटर्न में समूह नृत्य कर रहे हैं। - सभी एक-दूसरे का हाथ पकड़े हुए हैं और विशेष प्रकार के जूते पहने हैं। - धनुष और तीर लिए व्यक्ति का चित्र मिला है। - कुछ चित्रों में लाल रंग में विभिन्न आकारों के कई हाथ के निशान मिले हैं। - कुछ सफ़ेद और पीले रंग के हाथ के निशान भी मिले हैं, जो दुर्लभ हैं। - अन्य आकृतियों में कुछ जानवरों जैसे- हिरण, मृग, कछुआ, जंगली बिल्ली, मांसाहारी, बंदर, जंगली छिपकलियाँ, पैरों के निशान प्रमुख हैं। पाषाण काल - पाषाण काल में मानव उपकरण बनाने के लिए ���त्थरों का उपयोग करता ��ा। पाषाण काल को तीन चरण��ं में बांटा गया है - पुरापाषाण काल: अवधि - 500,000 - 10,000 B.C. - मध्यपाषाण काल: अवधि - 10,000 - 6000 B.C. - नवपाषाण काल: अवधि - 6000 - 1000 B.C. मध्यपाषाण काल - भारत में मध्यपाषाणकालीन स्थल की खोज सर्वप्रथम C.L. कार्लाइल ने विन्ध्य क्षेत्र में वर्ष,1867 ई. में की। - मध्यपाषाण काल के उपकरण आकार में अत्यंत छोटे हैं। - इस काल के मानव अधिकांशतः शिकार पर ही निर्भर थे, किंतु अब ये गाय, बैल, भेड़, बकरी, भैसे आदि का शिकार करने लगे थे। - इन लोगों ने थोड़ी कृषि करना भी सीख ली थी। - अंतिम चरण तक आते-आते बर्तनों का निर्माण करना भी सीख गए थे। - सरायनाहर राय और महदहा की समाधियों से इस काल के लोगों के लोगों की अंत्येष्टि संस्कार विधि बारे में भी जानकारी मिलती हैं। - ये मृतकों को समाधियों में दफनाते थे और उनके साथ खाद्य सामग्री, औजार और हथियार भी रख देते थे। - शायद यह किसी प्रकार के लोकोत्तर जीवन में विश्वास का सूचक था। Read the full article
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प्रकृति के इस श्वेतवर्णी वरदान को बचाए रखनेविजय गर्ग
पिछले वर्ष जब यूरोप के ज्यादातर हिस्सों में सर्दियां बिना बर्फ के गुजर रही थीं तो लगा कि बेलगाम कार्बन उत्सर्जन करने और जीवाश्म ईंधन के बेइंतहा इस्तेमाल से जलवायु परिवर्तन की समस्या पैदा करने वाले विकसित देश अपने कर्मों का नतीजा देख रहे हैं। बर्फ नहीं पड़ी, तो यूरोप के बहुतेरे पर्यटन स्थल वीरान हो गए, ग्लेशियर पिघलने लगे और नदियों का जलस्तर कम होने लगा। मगर, हमें अहसास नहीं था कि ऐसा ही कुछ एक…
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What is Biogas in Hindi
गोबर गैस से उत्पन्न बायोगैस" के रहस्यमयी जगत में कूदें और जानें कैसे यह बायोगैस हमें साकारात्मकता की दिशा में एक कदम आगे बढ़ा रहा है। यह एक स्वच्छ और हरित विकल्प प्रदान करता है और वेबपेज को सर्च इंजन रिजल्ट पेज्स (SERPs) पर बेहतर दृष्टिकोण प्रदान करने में मदद करने के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है।
इस विस्तृत गाइड में, हम गोबर गैस के पीछे के तकनीकी प्रक्रिया में घुमेंगे, जिसमें यह अन्नदाता स्रोतों से बने जीवाश्म से कैसे अद्भुत ऊर्जा संसाधित करता है। इस पारिस्थितिकी बदलाव के क्षेत्र में, बायोगैस न केवल एक शुद्ध ऊर्जा स्रोत प्रदान करता है, बल्कि यह आपको आपके पर्यावरणीय उत्सर्जनों को कम करने में भी मदद करता है।
इस अन्वेषण में, हम बायोगैस के उपयोग के संभावित क्षेत्रों में जानेंगे, जैसे कि ग्रामीण घरों से लेकर औद्योगिक स्थानों तक। इसकी बहुपकारी और आर्थिक लाभों की बात करेंगे, जिसमें स्थानीय समुदायों, कृषि प्रथाओं को कैसे सकारात्मक रूप से प्रभावित किया जा सकता है, एक साइक्लिक अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देता है।
यह गाइड ग्लोबल मंच तक फैलता है, जहाँ बायोएनर्जी प्रथाओं के अपने आप को मिल रहा है। राज्य सरकारें, उद्योग और समुदाय स्थानीय स्तर पर साकारात्मक ऊर्जा समाधानों की महत्वपूर्णता को समझ रहे हैं, जिससे बायोगैस को नवीन ऊर्जा परिदृश्य में महत्वपूर्ण स्थान प्राप्त हो रहा है।
इस "गोबर गैस से उत्पन्न बायोगैस" की मोहक कथा में विलीन हों और एक स्वच्छ, और ���ाकारात्मक भविष्य की ओर एक कदम बढ़ाने की दिशा में शामिल हों। प्राकृतिक शक्ति को हमारे प्रदूषणमुक्त और ऊर्जा-कुशल विश्व का निर्माण करने के लिए जुड़ने का समय आ गया है।
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