#चाँदनी
Explore tagged Tumblr posts
Text
चाँद पर बस्तियाँ तो बसा लोगे...
चाँद पर बस्तियाँ तो बसा लोगे मगर चाँदनी कहाँ से लाओगे ? सलब कर लीं समाअतें सबकी किस को अब दास्ताँ सुनाओगे ? छीन ली है शहर भर की गोयाई फिर अब सदाएं कहाँ से पाओगे ? सब की आँखें निकाल दी तुमने अब ये आँखें किसे दिखाओगे ? हर सू बोये नफ़रतों के कीकर तो फिर गुलाब कहाँ से पाओगे ? बे तहाशा ख़ुदा तो बन बैठें हैं सोचो इतने सज़्दे कहाँ से लाओगे ??
View On WordPress
0 notes
Text
दोधारा चाँदनी सुक्खा बन्दरगाहः स्थानीयलाई रोजगारीको आशा
दोधारा चाँदनी सुक्खा बन्दरगाहः स्थानीयलाई रोजगारीको आशा
दोधारा चाँदनी (कञ्चनपुर), २५ मङ्सिर । कञ्चनपुरको दोधारा चाँदनी नगरपालिका वडा नं १ का ५० बर्षीय कृष्णदत्त पन्तको परिवार २०२२ सालमा बैतडीबाट बसाइँ सरेर यहाँ आयो । यहाँ आउँदा दोधारा चाँदनीको भौगोलिक अ��स्था र त्योबेलाको दुःख उहाँलाई अहिले सपना जस्तै लाग्छ । “यहाँ वन फँडानी गरेर बस्ती बसेको थियो”, विगत सम्झिँदै पन्तले भन्नुभयो, “अहिले बस्तीमा आठ लेनको पक्की सडक र छेउमै सुक्खा बन्दरगाह बन्ला बन्ने…
View On WordPress
0 notes
Text
हसरत-ए-दीदार
जब कोई सुकून ना दे सका
तब काग़ज़ों पर लिखे शक्स ने अपने बाहों में समेट लिया
जब जिंदगी की पहेली बोलते हुए लफ्स फिसले
तब काग़ज़ों पर लिखे हर्फ ने लहजा सिखाया
आसमान था अंधेरे से भरा
तब चाँदनी इनायत बन कर बरसी
सितारे थे वहाँ
जिन्होंने अपने नूर से हम में जीने की उम्मीद भर दी
उनसे मिलने की आस लगा बैठें है
जिन्हें जानते भी नहीं
जानते तोह इतना है की एक होश-रुबा हैं
जिनसे ये कायनात हमें मिलाना चाहती हैं
मगर तब तक, हसरत-ए-दीदार के आलम में, वो काग़ज़ों पर लिखे ये लोग ही काफी हैं,
ये चाँदनी ही काफी हैं...
आखिर ज़रा सी जुस्तुजू की ही तो बात हैं।
@humapkehaikaun thanks for the suggestion! 🥰
61 notes
·
View notes
Text
चाँदनी रात बड़ी देर के बाद आयी है,
लब पे इक बात बड़ी देर के बाद आयी है!
📍IIT Kharagpur
#heartbreak#gay#depressing poem#urdu poems#urdu stuff#urdu shayari#urdu ghazal#urdu literature#urdu lines#urdu poetry#hindi love shayari#two line shayari#hindi shayari#sher o shayari#desi blr#desiblr#desi tag#desi tumblr#desi#desi shit posting
22 notes
·
View notes
Text
चाँदनी की पाँच परतें,
हर परत अज्ञात है।
एक जल में
एक थल में,
एक नीलाकाश में।
एक आँखों में तुम्हारे झिलमिलाती,
एक मेरे बन रहे विश्वास में।
क्या कहूँ, कैसे कहूँ.....
कितनी जरा सी बात है।
चाँदनी की पाँच परतें,
हर परत अज्ञात है।
एक जो मैं आज हूँ,
एक जो मैं हो न पाया,
एक जो मैं हो न पाऊँगा कभी भी,
एक जो होने नहीं दोगी मुझे तुम,
एक जिसकी है हमारे बीच यह अभिशप्त छाया।
क्यों सहूँ, कब तक सहूँ....
कितना कठिन आघात है।
चाँदनी की पाँच परतें,
हर परत अज्ञात है।
| सर्वेश्वर दयाल सक्सेना
#desiblr#desi tumblr#desi aesthetic#indian aesthetic#hindi cinema#aesthetic#poetry#hindi poetry#hindi lyrics#movies#moon#moonlit posts
121 notes
·
View notes
Text
छाया मत छूना
छाया मत छूना
मन, होगा दु:ख दूना।
जीवन में हैं सुरंग सुधियाँ सुहावनी
छवियों की चित्र-गंध फैली मनभावनी :
तन-सुगंध शेष रही, बीत गई यामिनी,
कुंतल के फूलों की याद बनी चाँदनी।
भूली-सी एक छुअन बनता हर जीवित क्षण—
छाया मत छूना
मन, होगा दु:ख दूना।
यश है या न वैभव है, मान है न सरमाया;
जितना ही दौड़ा तू उतना ही भरमाया।
प्रभुता का शरण-बिंब केवल मृगतृष्णा है,
हर चंद्रिका में छिपी एक रात कृष्णा है
जो है यथार्थ कठिन उसका तू कर पूजन—
छाया मत छूना।
मन, होगा दु:ख दूना।
दुविधा-हत साहस है, दिखता है पंथ नहीं,
देह सुखी हो पर मन के दु:ख का अंत नहीं।
दु:ख है न चाँद खिला शरद-रात आने पर,
क्या हुआ जो खिला फूल रस-वसंत जाने पर?
जो न मिला भूल भुले कल तू भविष्य वरण,
छाया मत छूना।
मन, होगा दु:ख दूना।
~गिरिजाकुमार माथुर
#गिरिजाकुमार माथुर#Giriraj kumar mathur#poetry#hindi poems#hindi writing#writing#hindi poetry#hindi#writeblr#writers and poets#writerscommunity
10 notes
·
View notes
Text
वो जो गुलाबी साड़ी में खड़ी थी आँखें उसकी चाँदनी रात सी मानो रात को वो रोशनी दिखा रही थी लहराती उसकी जुल्फें मदहोश मानो समंदर को वो झुका रही थी
प्यारी सी उसकी हंसी की आवाज़ मानो मधुर गीत गा रही थी नाज़ुक उसकी चाल, ऐसे चल रही थी मानो फूलों की पंखुड़ियों को सजा रही थी
वो जो गुलाबी साड़ी में खड़ी थी मेरी ख्वाहिश, मेरे सपनों की परी थी कुछ इस तरह हंस रही थी मानो दुनिया के सभी गम भुला रही थी
~khwabeedahh
#desiblr#desi girl#desi life#desi beauty#desi tumblr#being desi#desi aesthetic#desicore#shayari#words words words#spilled words#desi writers
14 notes
·
View notes
Note
आप पूर्णिमा का चाँद हैं और हम चाँदनी , आप के बिना हम अधूरे, और आप के संग ही हम पूरे ।
Love ur new url <3333
Ahhhhan, I was truly speechless when I read it. Idk who you're but whoever you're,
You're beautiful. I would love to be in touch with youu.
आपके चेहरे की चमक के सामने सादा लगा
आसमाँ पे चाँद पूरा था मगर आधा लगा
#पूर्णिमा का चांद🌻#pyare anon ki pyari baatein#shyam ki baatein#chaand#moon 🌙#full moon night#chand si mahebooba#desi culture#desi core#desiblr#desi tag
15 notes
·
View notes
Text
Baaton se Sukoon (13)
बातों से सुकून अब हिंदी स्क्रिप्ट में।
मुझे पता नहीं प्यार क्या होता है।
और ऐसा क्यूँ सोचते हो तुम?
क्यूँकि मुझे ये सब कुछ समझ नहीं आता।
क्या समझ नहीं आती तुम्हें?
यही
ये बारिश का गिरना
फूलों का खिलना
आसमान का ज़्यादा रंगीन हो जाना
पत्तों का गिरना
हवा का रुख़ मोर लेना
चाँद की चाँदनी पर कबिताएँ लिखना
मुझे ये सब नहीं आटा
और सरें कबी तो यही लिखते हैं अपने प्यार के लिए
मुझे ये सबकी कहाँ समझ है।
सिर्फ़ इनहि चीजों को प्यार ठोरि कहते है
ये सरें तो महसूस करने की चीजें है
शायद तुम इन चीजों को उस नज़र से नहीं देखते
इसमें कौनसी बड़ी बात है
तुम मेरे लिए पत्र लिखते हो
तुम्हें मेरी चोटी चोटी बातों का ख़याल रहता है
में जब भी आटी हूँ तुम मेरे लिए
मेरी पसंदीदा बरेली की बर्फ़ी लेके आते हो
हम घंटो यहाँ बैठ कर बातें करते हैं
फिर शाम की चाई सुकून से साथ पीते हैं
और हम जब दूर होते है तो एक दूसरे को याद करते है
क्या यही प्यार नहीं?
हमारी इन छोटी छोटी बातों में?
इसलिए कभी ऐसे मत कहना।
क्या ना कहूँ?
की तुम्हें पता नहीं प्यार क्या होता है।
avis
पार्ट १४ पढ़ने के लिए।
39 notes
·
View notes
Text
कल को जब कभी देखो मुझे
तो रुक कर बात करोगे क्या?
या चल दोगे ���ुँह उठा कर , अनजान बन कर ?
माना कि हाथ बड़े मुलायम है उसके, सुंदर भी है वो
पर तुमने ना कहा था ? कि मेरे चेहरे के नूर से तो , ख़ुद चाँदनी भी जला करती है?
उन सब बातों का क्या? उन मुलाक़ातों का क्या?
जो अगर दिख जाओ रास्ते में कभी
तो रुक कर बात करोगे क्या?
या जाने दोगे मुझे वैसे ही जैसे पहले जाने दिया था?
कहा था तुमने की हार चुके हो तुम
ख़ुद से , ज़िंदगी से, सब से
कहा था तुमने की अब नहीं होता ये सब तुमसे
नहीं निभा पाओगे ये रिश्ता
झूट था, छल था
पता है मुझे
फिर भी कुछ ना कुछ लिखती रहती हूँ
आस लगाये की कभी जो मिलो मुझे रास्ते में
तो रुकोगे, बात भी करोगे
बताओगे उसे तुम्हारे अतीत के बारे में
और मिलवाओगे उससे
जिसने तुम्हें लड़के से मर्द बना दिया
#dark academia#dark academia aesthetic#dark academism#indian dark academia#desi dark academia#desi aesthetic#desiblr#poetry
5 notes
·
View notes
Text
धुंधले छाँव में जब शाम धले,
सपनों की लहरें ख्वाबों में मचले।
अनदेखी धुनें हवाओं में बहे,
सूरों की मिसालों से सजे।
तारों का नृत्य जगमगाहट में,
हर चमक रात और दिन की कहानी में।
रहस्य खोलते हैं रेशमी बोल,
भूली हुई बिती युगों की ध्वनि।
एक अकेले सांस की गहराई में,
चाँदनी के छुम्बन में सागर की विलाप में।
कवि की कलम लिखती आसमान पर,
शब्द जो उड़ान भरते हैं और नहीं मरते।
एक गुप्त सोच की खामोशी में खो जाएं,
जहां ब्रह्मांड की तलाश हो खोजी।
नई कविता खिलती है, अनदेखी, अनसुनी,
अनंत जीवन की निरंतर भाषा में नाचती है वो नयी कला की रानी।
#text post#horror#desi#bollywood#cute#diwali#flowers#kawaii#nature#educate yourself#education#portrait#poetic#poem#my post#poetry
4 notes
·
View notes
Text
tabu, chandni bar चाँदनी बार (2001) dir. madhur Bhandarkar
22 notes
·
View notes
Text
Whenever I listen to maine poocha chaand se I am taken back to my uncles' photography studio where they would stay for hours editing, selecting and developing pictures. I am taken back to the downloaded songs on their computer and the ghazals and soft old bollywood that drifted through the music system. I am taken back to the closed off smell of the darkroom and the striped wallpaper and my constant requests to change the songs. I am taken back to the time which feels like a grainy picture through a Nikon, an eternal afternoon, my uncle asking me, "देखा है कहीं? मेरे यार सा हसीं?" and me saying, "चाँदनी की कसम, नहीं, नहीं, नहीं |"
#photography#its straight out of the waterplate of my memories#spilled thoughts#txt post#i miss it man#i wish i could have that folder of songs#its still a running joke between us#jesterthinks
2 notes
·
View notes
Text
मैंने पूछा चाँद से कि देखा है कहीं मेरे यार सा हसीं?
चाँद ने कहा, "चाँदनी की क़सम, नहीं, नहीं, नहीं"
मैंने पूछा चाँद से कि देखा है कहीं मेरे यार सा हसीं?
चाँद ने कहा, "चाँदनी की क़सम, नहीं, नहीं, नहीं"
मैंने पूछा चाँद से...
14 notes
·
View notes
Text
…..और चाँद रूठकर गुम हो गया!
मैं चाँद से मेरा चाँद मुझ से कहीं दूर हो गया
घने बादलों में न जाने कहाँ रूठकर खो गया
जानता हूँ वो तो दस्तूर अब भी निभाता होगा
रोज़ शब भर चमकने फलक पर आता होगा
ये मैं ही था जो अब्र के हाथों मजबूर हो गया
जो अपना वजूद था मेरा जाने कहाँ खो गया
ग़र चाँद बादलों के पार देख पाता इक दफ़ा
न यूँ सहनी पड़ती कोई भी मुझे उसकी जफ़ा
तस्दीक़ न करवानी पड़ती मुझे वादा-ए-वफ़ा
��हीं शुमार मेरी फ़ितरत में कभी होना बेवफ़ा
वैसे तो चाँद और मेरा बस अफ़साना यही है
उसके हिस्से है आसमाँ ठिकाना मेरा ज़मीं है
उसकी सूरत देखने को फिर भी तरसा पड़ा हूँ
काश चाँद जान पाता मैं अब भी वहीं खड़ा हूँ
नहीं रक्खी है दिल में कोई चाँद से शिकायत
ख़्वाब टूटे सही दिल में रहे उसी की हिमायत
न चाँद समझा मजबूरी न ही दिल के हालात
सोचा खामोश रहूँगा तभी क़ाबू रहेंगे जज़्बात
अपनी सफ़ाई में मुझे अब कुछ नहीं है कहना
कहाँ कोई समझेगा मुझे अब ऐसे ही है रहना
कैसे मानेगा चाँद ख़्याल ज़हन में यूँही चलेगा
हो उससे मुलाक़ात इंतज़ार वो शब का रहेगा
चाँदनी चाँद का साथ कहाँ छोड़ कर जाएगी
अमावस भी बताती है चाँद रात लौट आयेगी।
#कविता#hindi poetry#हिन्दी कविता#new poets on tumblr#poets corner#hindi poem#urdu poetry#spilled ink#aspiring writer#aspiring poet#aspiring author
25 notes
·
View notes
Text
रात यों कहने लगा मुझसे गगन का चाँद
रात यों कहने लगा मुझसे गगन का चाँद,
आदमी भी क्या अनोखा जीव होता है!
उलझनें अपनी बनाकर आप ही फँसता,
और फिर बेचैन हो जगता, न सोता है।
जानता है तू कि मैं कितना पुराना हूँ?
मैं चुका हूँ देख मनु को जनमते-मरते;
और लाखों बार तुझ-से पागलों को भी
चाँदनी में बैठ स्वप्नों पर सही करते।
आदमी का स्वप्न? है वह बुलबुला जल का;
आज उठता और कल फिर फूट जाता है;
किन्तु, फिर भी धन्य; ठहरा आदमी ही तो?
बुलबुलों से खेलता, कविता बनाता है।
मैं न बोला, किन्तु, मेरी रागिनी बोली,
देख फिर से, चाँद! मुझको जानता है तू?
स्वप्न मेरे बुलबुले हैं? है यही पानी?
आग को भी क्या नहीं पहचानता है तू?
मैं न वह जो स्वप्न पर केवल सही करते,
आग में उसको गला लोहा बनाती हूँ,
और उस पर नींव रखती हूँ नये घर की,
इस तरह दीवार फौलादी उठाती हूँ।
मनु नहीं, मनु-पुत्र है यह सामने, जिसकी
कल्पना की जीभ में भी धार होती है,
वाण ही होते विचारों के नहीं केवल,
स्वप्न के भी हाथ में तलवार होती है।
स्वर्ग के सम्राट को जाकर खबर कर दे,
"रोज ही आकाश चढ़ते जा रहे हैं वे,
रोकिये, जैसे बने, इन स्वप्नवालों को,
स्वर्ग की ही ओर बढ़ते आ रहे हैं वे।"
~रामधारी सिंह 'दिनकर'
#रात यों कहने लगा मुझसे गगन का चाँद#रामधारी सिंह 'दिनकर'#Ramdhari singh 'dinkar'#poetry#hindi poems#hindi writing#hindi poetry#writing#hindi
5 notes
·
View notes