#किसानों का विरोध 2021
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agra24 · 14 days ago
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कंगना रानौत आज भी कोर्ट में हाजिर नहीं हुईं, अगली तिथि 18 दिसंबर को निर्धारित
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हिमाचल प्रदेश के मंडी क्षेत्र से भाजपा सांसद और फिल्म अभिनेत्री कंगना रानौत एक बार फिर स्पेशल कोर्ट एमपी एमएलए अनुज कुमार सिंह की कोर्ट में हाजिर नहीं हुईं। न ही कंगना के पक्ष से कोई अधिवक्ता उपस्थित हुआ। इस पर कोर्ट ने कंगना को 18 दिसंबर 2024 तक का समय दिया है और अगली सुनवाई की तिथि 18 दिसंबर को निर्धारित की है। आगरा स्थित स्पेशल कोर्ट ने 13 नवंबर 2024 को कंगना के दिल्ली और कुल्लू मनाली स्थित पते पर दो नोटिस भेजे थे, जिसमें उन्हें 28 नवंबर 2024 को कोर्ट में हाजिर होने के आदेश दिए गए थे। हालांकि, कंगना कोर्ट में हाजिर नहीं हुईं। इसके बाद, कोर्ट ने उन्हें एक और मौका देते हुए 7 दिसंबर 2024 को दो नए नोटिस भेजे थे, जिसमें उनसे यह पूछा गया था कि क्या वह अपना पक्ष रखना चाहती हैं या नहीं। कोर्ट ने यह भी हिदाय�� दी थी कि यदि कंगना 18 दिसंबर तक कोर्ट में हाजिर नहीं होतीं, तो यह समझा जाएगा कि वह अपना पक्ष नहीं रखना चाहतीं और मामले में कार्रवाई आगे बढ़ा दी जाएगी। आज की सुनवाई में वादी वरिष्ठ अधिवक्ता रमाशंकर शर्मा की उपस्थिति में कई अन्य प्रमुख अधिवक्ता भी मौजूद थे। इस अवसर पर कांग्रेस के जिला प्रवक्ता पवन कुमार शर्मा और उनके साथी भी कोर्ट में उपस्थित थे। यह मामला 11 सितंबर 2024 को दायर किया गया था, जिसमें कंगना रानौत पर आरोप लगाया गया था कि उन्होंने अगस्त 2020 से दिसंबर 2021 तक केंद्र सरकार के काले कानूनों के विरोध में धरना दे रहे किसानों के खिलाफ अभद्र टिप्पणी की थी और उन्हें हत्यारा, बलात्कारी और अलगाववादी कहा था। इसके अलावा, उन्होंने राष्ट्रपिता महात्मा गांधी का अपमान भी किया था। अधिवक्ता रमाशंकर शर्मा ने इस मामले में कंगना के खिलाफ शिकायत दर्ज करवाई थी, और अब अगली सुनवाई 18 दिसंबर को होगी, जब कोर्ट अपनी कार्रवाई करेगी। Read the full article
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24daynews · 4 years ago
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भारतीय किसान यूनियन उत्तर प्रदेश राज्य पंचायत चुनाव में बीजेपी का विरोध करेगी
भारतीय किसान यूनियन उत्तर प्रदेश राज्य पंचायत चुनाव में बीजेपी का विरोध करेगी
अमित शर्मा, अमर उजाला, नई दिल्ली द्वारा प्रकाशित: हरेंद्र चौधरी अद्यति�� मंगल, 13 अप्रैल 2021 07:13 अपराह्न IST सार कृषि कानूनों पर किसानों की नाराजगी से भाजपा के सामने खड़ी हो सकती है नई मुश्किल, ग्रामीण क्षेत्रों के किसानों के भाजपा के खिलाफ जाने से पार्टी को हो सकता है भारी नुकसान … ईस्टर्न पेरीफेरल एक्सप्रेसवे को जाम करते किसान – फोटो: अमर उजाला (फाइल) ख़बर सुनना ख़बर सुनना उत्तर प्रदेश…
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mrdevsu · 4 years ago
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राज की बात: क्या कमजोर हो रहा किसान आंदोलन?
राज की बात: क्या कमजोर हो रहा किसान आंदोलन?
दिल्ली के सिंघु, ग़ाज़ीपुर और टीकरी बॉर्डर पर 90 दिन से किसान टिके हुए हैं। अब जैसे-जैसे किसान संगठनों का आंदोलन खिंचता जा रहा है, वैसे-वैसे वह कमजोर पड़ता भी दिख रहा है। तीनों बार्डर से जमावड़ा घटने लगा है। अब सवाल उठने लगा है कि किसान संगठन ये। Source link
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suryyaskiran · 2 years ago
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किसानों को न्याय नहीं मिल जाता, तब तक सरकार से हमारी लड़ाई जारी रहेगी- टिकैत
 उत्तर प्रदेश के लखीमपुर के तिकुनिया में आज से एक साल पहले तीन अक्टूबर को हुई हिंसा में मारे गए किसानों की याद में संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) ने भाकियू प्रवक्ता राकेश टिकैत के नेतृत्व में कस्बा स्थित कौड़ियाला गुरुद्वारा में बरसी मनाई गई। इस दौरान मारे गए किसानों को श्रद्धांजलि अर्पित की। टिकैत ने कहा कि किसानों को न्याय नहीं मिल जाता है तब तक सरकार से हमारी लड़ाई जारी रहेगी।किसान नेता राकेश टिकैत ने तीन अक्टूबर की घटना को दुखद घटना और हादसा बताया, वहीं किसान नेता ने बताया कि हादसे में कुल आठ लोगों की हत्याएं हुई थीं। जिसमें से तीन लोग मंत्री से सबंधित लोग थे। किसानों से किए हुए वादों को लेकर वादा खिलाफी का आरोप लगाया। केंद्रीय मंत्री अजय मिश्रा टेनी की बर्खास्तगी की भी मांग की और कहा जब तक किसानों को न्याय नहीं मिल जाता है तब तक सरकार से हमारी लड़ाई जारी रहेगी।उन्होंने कहा कि शांति का सप्ताह चल रहा है। दो अक्टूबर को गांधी जयंती मनाई गई है। इसमें तो क्रांति होनी चाहिए। सरकार देश के संविधान को नहीं मानती और सत्ता का दुरुपयोग करती है। किसानों के साथ अन्याय किया गया है। राकेश टिकैत ने कहा कि जनता क्या कर सकती है। जनता तो सिर्फ आवाज उठा सकती है। पूरा सिस्टम दिल्ली से चल रहा है। अधिकारी भी कुछ नहीं कर सकते। उन्हें दिल्ली के रास्ते लखनऊ होते हुए जो आदेश मिलता उसका पालन होता है। एक साल पहले जो कुछ हुआ वह बहुत दुखद घटना थी।राकेश टिकैत के नेतृत्व में किसानों ने एक बार फिर से मंत्री टेनी को बर्खास्त करने, यूपी के बाहर केस का ट्रायल चलाने की मांग की। राकेश टिकैत ने कहा कि वह यहां पर शांति का संदेश लेकर आए हैं। संयुक्त किसान मोर्चा ने केंद्रीय गृहराज्य मंत्री अजय मिश्र टेनी की बर्खास्तगी की मांग करते हुए सरकार पर वादाखिलाफी का आरोप लगाया और पीएम को संबोधित एक ज्ञापन एसडीएम को सौंपा। संयुक्त किसान मर्चा ने आगे की रणनीति के बारे में बताते हुए कहा कि प्रदेश की राजधानी में 26 नवम्बर को किसानों की विभिन्न मांगों को लेकर आंदोलन तेज किया जाएगा। संयुक्त किसान मोर्चा की तरफ से जेल में बंद किसानों के परिवार के लोगों को दो-दो लाख रुपये की चेक देने का एलान किया। ज्ञात हो कि यूपी के लखीमपुर के तिकुनिया में तीन अक्टूबर 2021 को कृषि कानून के विरोध आयोजित आंदोलन के दौरान भीषण हिंसा हो गई थी। इसमें चार किसानों और एक पत्रकार समेत आठ लोगों की मौत हो गई थी। इस घटना में केंद्रीय गृहराज्य मंत्री अजय मिश्र टेनी के पुत्र आशीष मिश्र समेत 14 आरोपित जेल में बंद हैं। Read the full article
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divyabhashkar · 3 years ago
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किसानों के विरोध के पीछे असली ताकत क्या है?
किसानों के विरोध के पीछे असली ताकत क्या है?
2020-21 में राजनीतिक विमर्श दो मुद्दों पर हावी रहा; महामारी और किसान सुधार-उन्मुख कृषि कानूनों का विरोध करते हैं। एक साल से अधिक समय तक चले किसानों के विरोध ने लोकप्रिय सरकार को नवंबर 2021 में कृषि अधिनियम को निरस्त करने के लिए मजबूर किया। किसानों के विरोध का केंद्र पंजाब, हरियाणा और उत्तरी ऊपरी गंगा के मैदान (एनयूजीपी) के जिले थे। उत्तर प्रदेश। हालाँकि, एक पहेली जो बनी हुई है वह यह है कि ये देश…
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parichaytimes · 3 years ago
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पंजाब: किसान संघ का विरोध, आपराधिक मामले वापस लेने की मांग | समाचार - टाइम्स ऑफ इंडिया वीडियो
पंजाब: किसान संघ का विरोध, आपराधिक मामले वापस लेने की मांग | समाचार – टाइम्स ऑफ इंडिया वीडियो
31 जनवरी, 2022, 07:35 अपराह्न ISTस्रोत: TOI.in पंजाब के मोहाली में एक संयुक्त किसान संघ ने 31 जनवरी को उनके खिलाफ दर्ज आपराधिक मामलों के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया। संघ के सदस्यों ने मांग की कि कई किसानों के खिलाफ मामले वापस लिए जाएं। 2021 में किसान आंदोलन के दौरान मामले दर्ज किए गए थे। नवंबर 2021 में वादा किया गया था कि मामले वापस ले लिए जाएंगे लेकिन वह आज तक नहीं किया गया। . Source link
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mahilakisanunion · 3 years ago
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Betrayal Day : Mahila Kisan Union Burns PM Modi’s Effigy
Mahila Kisan Union (Women Farmers Association) महिला किसान यूनियन President Rajwinder Kaur Raju on Monday 31st January protested on Betrayal Day and demonstrated against PM Narendera Modi for his unfaithfulness towards the farmers for not honouring the written agreement signed with Sanyukt Kisan Morcha to end the historic Kisan Andolan at Delhi borders in Dec 2021.
विश्वासघात दिवस के अवसर पर महिला किसान यूनियन ने पर मोदी का पुतला फूंका
लिखित समझौते के तहत किसानों की मांगों को पूरा नहीं करने के विरोध में किसान मोर्चा के आह्वान पर महिला किसान यूनियन ने आज यहां जालंधर में विश्वासघात दिवस मनाया। यूनियन की अध्यक्ष बीबी राजविंदर कौर राजू के नेतृत्व में यूनियन की महिलाओं ने मोदी का पुतला फूंका और नारेबाजी भी की���
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lok-shakti · 3 years ago
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संसद शीतकालीन सत्र 2021 लाइव अपडेट: माफी नहीं मांगूंगा, 'अनुशासनहीनता' के लिए निलंबित सांसदों में से एक का कहना है
संसद शीतकालीन सत्र 2021 लाइव अपडेट: माफी नहीं मांगूंगा, ‘अनुशासनहीनता’ के लिए निलंबित सांसदों में से एक का कहना है
कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी, पार्टी के वरिष्ठ नेता राहुल गांधी और अन्य विपक्षी नेताओं ने सोमवार को संसद भवन में विरोध प्रदर्शन किया। (एक्सप्रेस फोटो अनिल शर्मा द्वारा) लोकसभा में सोमवार को विपक्ष विधेयक पर बहस की मांग को लेकर सदन के वेल में आ गया और नारे व बैनर लगाए. अध्यक्ष ओम बिरला ने कहा कि वह विधेयक पर चर्चा की अनुमति देने के लिए तैयार हैं, बशर्ते कि विरोध करने वाले सांसद अपनी सीटों पर वापस…
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mrdevsu · 4 years ago
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किसान आंदोलन की जमीन पर तैयार हो रही यूपी विधानसभा चुनाव की फसल | राज की बात
किसान आंदोलन की जमीन पर तैयार हो रही यूपी विधानसभा चुनाव की फसल | राज की बात
किसान आंदोलन ने राष्ट्रीय फलक और देश के सबसे बड़े सूबे उत्तर प्रदेश में नए सियासी आयाम दे दिए हैं। ग़ाज़ीपुर में टिकैत का किसानों वाला तंबू न सिर्फ गड़ गया, बल्कि यहां से उत्तर प्रदेश की सियासत के नए समीकरण भी खुलकर आ गए। राकेश टिकैत के आंसुओं। Source link
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suryyaskiran · 2 years ago
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किसान महापंचाय�� : जंतर-मंतर जा रहे 19 किसान गाजीपुर में हिरासत में लिए गए
नई दिल्ली, 22 अगस्त (SK)। दिल्ली पुलिस ने सोमवार को किसानों की महापंचायत में भाग लेने के लिए जंतर-मंतर जा रहे 19 किसानों को गाजीपुर सीमा से हिरासत में लिया है। गाजीपुर सीमा पर विरोध प्रदर्शन कर रहे किसानों को उस समय हिरासत में ले लिया गया, जब उन्होंने जंतर-मंतर की ओर जाने का फैसला किया।पुलिस के अनुसार, किसी भी अप्रिय घटना से बचने के लिए वे प्रदर्शनकारियों को बस से पास के पुलिस थाने ले गए।इस बीच संयुक्त किसान मोर्चा ने अपने विरोध के सिलसिले में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को पत्र लिखा है।पत्र में लिखा गया है कि, हम यह पत्र आपको किसानों के मुद्दे को संभालने के तरीके के खिलाफ हमारे विरोध के बारे में सूचित करने के लिए लिख रहे हैं। कृषि मंत्रालय ने 9 दिसंबर, 2021 को संयुक्त किसान मोर्चा के साथ एक समझौता किया था। समझौते के तहत हमने 11 दिसंबर को दिल्ली सीमा पर आंदोलन खत्म कर दिया था। लेकिन आज तक सरकार ने समझौते को पूरा नहीं किया है। इतना ही नहीं, सरकार मुक्त व्यापार समझौतों पर बातचीत करने जैसी और अधिक किसान विरोधी नीतियां शुरू कर रही है।पत्र में आगे लिखा गया है, कृपया आप से अनुरोध है कि 9 दिसंबर, 2021 को संयुक्त किसान मोर्चा के साथ समझौते को पूरा करने के लिए मंत्रिपरिषद को निर्देश और सलाह दें और प्रधानमंत्री को 17 अगस्त 2022 को भेजे गए डिमांड नोटिस को स्वीकार करें (मांग नोटिस संलग्न)। इतना ही नहीं, सरकार अधिक किसान विरोधी नीतियां शुरू कर रही है- जैसे मुक्त व्यापार समझौतों पर बातचीत करना।आंदोलन को देखते हुए राजधानी में खासकर सीमाओं पर सुरक्षा व्यवस्था कड़ी कर दी गई है।--SKएचके/एसजीके Read the full article
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khsnews · 3 years ago
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गाजीपुर बॉर्डर पर किसानों का महापंचायत की सुरक्षा को लेकर कड़ा विरोध, दिल्ली पुलिस ने एक्सप्रेस-वे पर फिर लगाये रोड़े | ट्रैक्टर से पहुंच रहे किसान, गाजीपुर बॉर्डर पर सुरक्षा बढ़ा दी गई है. दिल्ली पुलिस ने एक बार फिर एक्सप्रेस-वे पर नाकेबंदी कर दी है.
गाजीपुर बॉर्डर पर किसानों का महापंचायत की सुरक्षा को लेकर कड़ा विरोध, दिल्ली पुलिस ने एक्सप्रेस-वे पर फिर लगाये रोड़े | ट्रैक्टर से पहुंच रहे किसान, गाजीपुर बॉर्डर पर सुरक्षा बढ़ा दी गई है. दिल्ली पुलिस ने एक बार फिर एक्सप्रेस-वे पर नाकेबंदी कर दी है.
गाज़ियाबाद17 मिनट पहले लिंक की प्रतिलिपि करें आज, 26 नवंबर, 2021, दिल्ली की सीमाओं पर किसानों द्वारा तीन कृषि कानूनों के खिलाफ एक साल है। इस मौके पर आज गाजीपुर, सांघू, तकरी और शाहजहांपुर बार्डर पर किसानों की महापंचायत होगी. पश्चिमी उत्तर प्रदेश के कई जिलों से सैकड़ों किसान गाजीपुर सीमा पर पहुंचेंगे. राकेश तकायत खुद यहां मौजूद रहेंगे। एक साल बाद धरना स्थल पर टेंट और टेंट लगाए गए हैं। किसान…
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insolubleworld · 3 years ago
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"कीमत हमने चुकाई है...हम इसे जीवन भर याद रखेंगे," प्रोटेस्ट साइट पर किसानों का कहना है
“कीमत हमने चुकाई है…हम इसे जीवन भर याद रखेंगे,” प्रोटेस्ट साइट पर किसानों का कहना है
जसकरण सिंह दूसरों के साथ बारी-बारी से विरोध स्थलों पर आते-जाते रहे हैं इस लेख मूल रूप से में दिखाई दिया पीपुल्स आर्काइव ऑफ रूरल इंडिया 23 नवंबर, 2021 को। “बापू, तू आ जा [Grandpa, you come back]तन्ना सिंह का पोता अक्सर उन्हें फोन पर बताता है। “मैं कैसे वापस आ सकता हूं? आखिरकार, मैं यहां केवल उनके भविष्य के लिए हूं,” सिंह अपने डेरे के पास एक प्लास्टिक के स्टूल पर बैठे हुए कहते हैं। “हर बार जब मैं…
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parichaytimes · 3 years ago
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संयुक्त किसान मोर्चा ने प्रधानमंत्री से राज्य सरकारों, रेलवे को किसानों के खिलाफ मामले वापस लेने का निर्देश देने का आग्रह किया | समाचार - टाइम्स ऑफ इंडिया वीडियो
संयुक्त किसान मोर्चा ने प्रधानमंत्री से राज्य सरकारों, रेलवे को किसानों के खिलाफ मामले वापस लेने का निर्देश देने का आग्रह किया | समाचार – टाइम्स ऑफ इंडिया वीडियो
नवंबर 27, 2021, 10:29 अपराह्न ISTस्रोत: एएनआई संयुक्त किसान मोर्चा के नेता ने 27 नवंबर को पीएम नरेंद्र मोदी से राज्य सरकारों को किसानों के खिलाफ दर्ज ��ामलों को वापस लेने का निर्देश देने का आग्रह किया। एसकेएम के ��क नेता ने कहा, “प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को राज्य सरकारों और रेलवे को विरोध के दौरान किसानों के खिलाफ दर्ज मामलों को वापस लेने का निर्देश देना चाहिए।” इससे पहले आज, एएनआई से बात करते…
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lok-shakti · 3 years ago
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सिंघू सीमा पर किसानों का प्रदर्शन: 'लड़ाई जारी रहेगी...पीछे जाने का मन नहीं'
सिंघू सीमा पर किसानों का प्रदर्शन: ‘लड़ाई जारी रहेगी…पीछे जाने का मन नहीं’
आंदोलन पर निर्णय लेने के लिए गुरुवार को सिंघू सीमा पर संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) की बैठक से कुछ घंटे पहले, किसानों को पता था कि क्या आ रहा है। उन्होंने अपने ट्रैक्टर ट्रॉलियों को ढकने वाले तिरपाल की चादरों को नीचे खींचकर पैकअप करना शुरू कर दिया। सरकार के एसकेएम की प्रमुख मांगों पर सहमति के साथ, कृषि कानूनों के खिलाफ साल भर के आंदोलन के केंद्र में विरोध स्थल पर हर कोई जानता था कि यह घर लौटने का…
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khabarinshorts · 3 years ago
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कृषि कानून वापस लेना क्या बीजेपी के लिए साबित होगा मास्टर स्ट्रोक! यूपी-पंजाब में ऐसे बदलेंगे समीकरण
करीब 14 महीने पहले जब सितंबर 2020 में कृषि कानून संसद द्वारा पारित हुए थे. तो सरकार द्वारा दावा किया गया था कि तीनों कृषि कानून, किसानों का भविष्य बदल देंगे. लेकिन अब उसी सरकार ने देशवासियों से माफी मांगते हुए तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने का फैसला किया है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज (19 नवंबर ) कहा कि हमारी तपस्या में कोई कमी रह गई, सरकार किसानों, गांव, गरीब के हित में पूर्ण समर्थन भाव से, नेक नियत से ये कानून लेकर आई थी. लेकिन इतनी पवित्र बात और पूर्ण रूप से किसानों के के हित की बात हम कुछ किसानों को समझा नहीं पाए.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरूनानक पर्व के मौके पर तीनों कृषि कानूनों को वापस ऐलान कर, एक बड़ा राजनीतिक दांव भी चल दिया है. क्योंकि इस फैसले से पंजाब और उत्तर प्रदेश चुनाव के पूरे समीकरण बदल गए हैं. अभी तक कृषि कानून के विरोध के नाम पर भाजपा के खिलाफ विपक्षी दलों को बड़ा मौका मिल गया था. लेकिन अब उनके लिए उसे चुनावी मुद्दा बनाना मुश्किल हो सकता है.
कानून लागू होने के बाद प्रमुख चुनावों का हाल सितंबर 2020 में तीनों कृषि कानून लागू होने और कृषि आंदोलन के बाद सबसे पहले नवंबर में बिहार में विधान सभा चुनाव हुए थे. जिसमें जद (यू) के साथ भाजपा की सत्ता में फिर वापसी हुई. और ऐसा पहली बार हुआ कि वह जद (यू) से ज्यादा सीटें जीत कर आई. इसके बाद अहम चुनाव मई 2021 में पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु, असम, केरल, पुडुचेरी में हुए. इन चुनावों में भाजपा पश्चिम बंगाल में सरकार बनाने का सपना पूरा नहीं कर पाई. इसी तरह केरल और तमिलनाडु में पार्टी का उम्मीदों के अनुसार प्रदर्शन नहीं रहा. हालांकि असम में पार्टी सत्ता में वापसी की . और उसे पुडुचेरी में सरकार बनाने का मौका मिला.
किसान कानून लागू होने के करीब एक साल बाद 30 अक्टूबर 2021 को 29 विधान सभा सीटों और 3 लोकसभा सीटों पर चुनाव हुए हैं. ये चुनाव भाजपा के लिए झटका साबित हुए. चुनावों में भाजपा को केवल 7 सीटें मिलीं. जबकि उसके सहयोगियों को 8 सीटें मिलीं. वहीं कांग्रेस के खाते में 8 सीटें आईं. इन नतीजों में भाजपा को सबसे बड़ा झटका हिमाचल प्रदेश में लगा, जहां उसे तीनों विधान सभा सीट और एक लोकसभा सीट पर हार का सामना करना पड़ा.
भाजपा ने बदले मुख्यमंत्री इस बीच भाजपा ने तीन प्र��ुख राज्यों में अपने मुख्यमंत्री भी बदल दिए है. पार्टी ने जुलाई में कर्नाटक में अपना मुख्यमंत्री बदला. वहां पर बी.एस.येदियुरप्पा की जगह बसवराव बोम्मई को मुख्यमंत्री बनाया गया. इसके बाद उत्तराखंड में तीरथ सिंह रावत की जगह पुष्करधामी को मुख्यमंत्री बनाया. और फिर सितंबर में गुजरात में विजय रुपाणी की जगह भूपेंद्र पटेल को मुख्यमंत्री बनाया.
अकाली दल से टूटा 24 साल पुराना रिश्ता तीनों कृषि कानूनों के विरोध में भाजपा से उसके सबसे पुरानी साथी शिरोमणि अकाली दल ने सितंबर 2020 में नाता तोड़ लिया था. भाजपा और अकाली दल 1996 से एक-दूसरे के साथी थे. ऐसे में जब, पंजाब में विधान सभा चुनाव होने में तीन-चार महीने बचे हैं. और तीन कृषि कानून वापस ले लिए गए हैं, ऐसे में यह भी सवाल उठता है कि क्या भाजपा और अकाली दल फिर से हाथ मिलाएंगे. हालांकि जिस तरह कांग्रेस से अलग होकर कैप्टन अमरिंदर सिंह ने भाजपा से गठबंधन की बात कही हैं, उसे देखते हुए पंजाब के राजनीतिक समीकरण में बड़ा बदलाव आएगा.
पंजाब में भाजपा को मिलेगा फायदा ! पंजाब में भाजपा शुरू से शिरोमणि अकाली दल के साथी के रूप में चुनाव लड़ती रही है. जहां पर उसकी भूमिका छोटे भाई के रूप में ही रही है. साल 2012 के विधान सभा चुनावों में जब अकाली दल के नेतृत्व में उसकी सरकार थी, उस वक्त भी उसके पास 117 विधान सभा सीटों वाले पंजाब में केवल 15 सीटें मिली थी. और 2017 में कांग्रेस की सरकार आई तो उसे केवल 3 सीटें मिली.
अब 2022 में भाजपा की उम्मीद कांग्रेस से अलग हुए पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह से है. अमरिंदर सिंह ने भाजपा से गठबंधन के लिए यही शर्त रखी थी कि अगर किसान आंदोलन का रास्ता निकलेगा, तभी वह उसके साथ हाथ मिलाएंगे. अब केंद्र सरकार ने चुनाव से पहले करतारपुर साहिब खोलकर और फिर तीनों कृषि कानूनों को वापस लेकर, अमरिंदर सिंह के बड़ा बूस्ट दे दिया है.
राज्य में अमरिंदर सिंह के साथ बड़ा वोट बैंक है और भाजपा उनके साथ खड़ी होकर, पंजाब में बड़ी चुनौती पेश कर सकेगी. और अमरिंदर को अपनी नई पार्टी के लिए, भाजपा का बना, बनाया कैडर मिल जाएगा. इसे देखते हुए पंजाब चुनाव अब काफी दिलचस्प होने की उम्मीद है. जहां चतुष्कोणीय मुकाबला हो सकता है.
यूपी में विपक्ष के हाथ से निकला मुद्दा ! राजनीतिक रूप से सबसे बड़े संवेदनशील राज्य उत्तर प्रदेश में भी अगले 3-4 महीने में चुनाव होने वाले हैं. और कृषि कानून से उपजे किसान आंदोलन ने भाजपा के खिलाफ, पिछले 8 साल का सबसे बड़ा मुद्दा दे दिया था. भाजपा 2014 के लोक सभा चुनावों से ही प्रदेश में एक तरफा जीत हासिल कर रही है. इन 8 वर्षों में किसान आंदोलन की वजह से भाजपा पहली बार बैकफुट पर नजर आ रही थी.
खास तौर से उसे पश्चिमी उत्तर प्रदेश में ��ड़े नुकसान का डर था. भाजपा के एक किसान नेता कहते हैं, तीनों कृषि कानून वापस लेने से पार्टी को पश्चिमी उत्तर प्रदेश में बड़ा बूस्ट मिलेगा. और हम नाराज किसानों के बीच जाकर उन्हें समझा सकेंगे.
समाजवादी पार्टी ने खास तौर से पश्चिमी उत्तर प्रदेश में राष्ट्रीय लोक दल और महान दल के साथ गठबंधन कर रखा है. उसे उम्मीद है कि किसान आंदोलन से उपजे असंतोष की वजह से पार्टी को बड़ा फायदा मिलेगा. 2017 के विधान सभा चुनावों में भाजपा को पश्चिमी उत्तर प्रदेश में 120 में से 85-90 सीटें मिली थी.
साभार-टाइम्स नाउ
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