#कविताओं का संग्रह हिंदी में।
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New 70+ Gangster Shayari in Hindi 2024
क्या आप हिंदी में सबसे दमदार और बोल्ड Gangster Shayari in Hindi की तलाश में हैं? आप सही जगह पर आए हैं! हमने बेहतरीन गैंगस्टर-थीम वाली कविताओं का एक खास संग्रह तैयार किया है, जिसमें ऐसी आकर्षक तस्वीरें हैं जो आपकी भावनाओं से पूरी तरह मेल खाती हैं। चाहे आप सोशल मीडिया पर कोई बयान देना चाहते हों या बस अपना निडर, बेबाक रवैया व्यक्त करना चाहते हों, हमारी Gangster Shayari आपको ऐसा करने में मदद करेगी। आज की तेज़-रफ़्तार दुनिया में, इसे सरल और प्रभावशाली बनाए रखना बहुत ज़रूरी है। हमारी शायरी आपके नज़रिए को बेहतर बनाएगी और आपको वह शांत, संयमित धार बनाए रखने में मदद करेगी। हमारे अनोखे संग्रह में गोता लगाएँ, और हमें पूरा भरोसा है कि आपको कुछ ऐसा मिलेगा जो आपकी बोल्ड भावना से मेल खाएगा। बेझिझक अपने विचार साझा करें और उन्हें एक्सप्लोर करें—और और भी मज़ेदार बनाने के लिए अपने दोस्तों और परिवार के साथ इन शानदार स्टेटस अपडेट को शेयर करना न भूलें!
Gangster Shayari
सरीफो की बस्ती में हर किसी का नाम है लेकिन हम जैसे गैंगस्टर हर जगह बदनाम है !
कुछ सही तो कुछ खराब कहते है लोग हमे बिगड़ा हुआ नवाब नवाब है !
अब ज़रा संभल के बात करना मुझसे क्योंकि जो में था मै रहा नहीं और जो मैं हूँ वो तुम्हे पता नहीं !
Gangster Shayari हथियार तो हम सिर्फ शौक के लिए रखते हैं वरना खौफ पैदा करने के लिए तो बस हमारा नाम ही काफी है !
हम भी नवाब है लोगो की अकड़ धुएं की तरह उड़ाकर औकात सिगरेट की तरह छोटी कर देते है !
मौत पसंद है अपमान नहीं दुश्मन चलेगा धोखेबाज नहीं !
Gangster Shayari in Hindi
जब एक बार हम चल दे तो फिर हमें रुकना नहीं आता फिर कुछ भी हो जाए किसी के सामने झुकना नहीं आता !
कुछ लोग मिलके कर रहे है मेरी बुराई तुम बेटे इतने सारे और मै अकेला मचा रहा हूँ तबाही !
मेरी औकात से ज्यादा बेटा मेरे नाम के चर्चे है और तेरी उकात से ज्यादा तो मेरे सिगरेट के खर्चे है !
लायक नहीं हु में नालायक हु में तेरे जैसे भड़वे के लिए खलनायक हु में !
हम हाथ किसी के सामने जोड़ते नही ओर जो दुश्मनी करे मुझसे मां कसम उसे छोड़ते नही !
साले धूल उड़ा नहीं सकते और हमें उड़ाने की बात करते हैं !
Gangster Wali Shayari
मेरी हिम्मत को परखने की गुस्ताखी न करना पहले भी कई तूफानों का रुख मोड़ चुका हु !
पूरे शहर में नाम चलता है फ़ोटो लगे हैं थाने मैं शे�� जैसा जिगरा चाहिऐ हमको हाथ लगाने मैं !
हाथ में खंजर ही नहीं आँखों में पानी भी चाहिए हमें दुश्मन भी थोड़ा बदमाश चाहिए !
ग़लतफहमी में है बेटा के तेरा राज़ है आके देख ले यहाँ कौन किसका बाप है !
सबने हमें अपनी अपनी औकात दिखाई है अब औकात दिखाने की बारी हमारी आई है !
अलग रखता हूं अंदाज अपना किसी और जैसा बनने का शौक नहीं !
Gangster Shayari 2 Line
मत कोशिश करो मुझ जैसा बनने की क्यूंकि शेर पैदा हो��े है बनाए नहीं जाते !
मान लिया कि तु शेर है पर जादा उछल मत हम भी शिकारी है ठोक देंगें !
यहाँ राज उसका चलता है जिसकी हिम्मत उसकी ताकत से बड़ी है !
मैं बहता पानी हूँ लोग मेरा रास्ता बदल सकते हैं मेरी मंज़िल नहीं !
मेरी औकात देखने के लिए तेरी भी औकात होनी जरुरी है !
हमारे हौसले कौन रोक पाएगा अगर कोई दुश्मन आएगा तो आंखों से सिर्फ सावन बरसाएगा !
Attitude Gangster Shayari
माचिस तो यूँ ही बदनाम है हुजुर हमारे तेवर तो आज भी आग लगाते है ! सोने के जेवर और हमारे तेवर लोगों को बहुत महंगे पड़ते हैं !
हम समंदर हैं हमें खामोश ही रहने दो ज़रा मचल गये तो शहर ले डूबेंगे ! रूठा हुआ है मुझसे इस बात पर ज़माना शामिल नहीं है मेरी फ़ितरत में सर झुकाना !
धोखा देने वाले शायद भूल ही गए कि मौका हमारा भी आएगा ! हम अपना वक्त बर्बाद नही करते जो हमें भूल गए हम उन्हें याद नही करते !
Gangster Shayari
कमियाँ तो बहुत है मुझमें पर कोई निकाल कर तो देखे ! जिस चीज का तुम्हे खौफ है उस चीज का हमें शौक है !
अगर भौकने से दम दिखाया ज़ाता तो आज कुत्ते भी शेर होते ! आज हमारा नाम ना हुआ तो क्या हुआ एक दिन हमारा ये सपना भी पूरा होगा !
हम वो तालाब है जहाँ शेर भी आये तो उसे भी सर झुका के पानी पीना पड़ता हैं ! ये खून ज़रा अभिमानी है क्योंकि हम बन्दे खानदानी है !
Gangster Status
खुश रहो या खफा रहो हमसे दूर और दफा रहो ! सब्र रख ये मुसीबत के दिन भी गुज़र जायेंगे जो आज मुझे देख कर हँसते हैं कल मुझे देखते ही रह जायेंगे !
जिगर वाले का डर ��े कोई वास्ता नहीं होता हम वहां भी कदम रखते है जहां रास्ता नहीं होता ! अगर लड़ना हो तो मैदान में आना तलवार भी तेरी होगी और गर्दन भी !
पीठ पीछे कौन क्या भोंकता है घण्टा फर्क नही पड़ता सामने सालो का मुंह नही खुलता इतना ही काफी है ! जीत हासिल करनी हो तो काबिलियत बढाओ किस्मत की रोटी तो कुत्तों को भी नसीब हो जाती है !
Gangster Yaar Shayari
तुम जलन बरकरार रखना हम जलवे बरकरार रखेंगे ! खुदा सलामत रखे उन आँखों को इनमे आजकल हम चुभते बहुत है !
अकेला रहता हूँ नवाब की तरह झुंड में रहकर कुत्ता बनने की आदत नहीं ! गुलाम हूँ अपने घर के संस्कारों का वरना तेरी औकात दिखाने का हुनर मै भी रखता हूँ !
दुश्मन और सिगरेट को जलाने के बाद उन्हे कुचलने का मजा ही कुछ और होता है ! आग लगा देंगे उस महफिल में जहां बगावत हमारे खिलाफ होगीं !
Gangster Shayari in English
Bahut Shareeph Hoon Main Jab Tak Koi Ungli Na Kare. Ham Apni Riyasat Ke Raja Hai Kisi Ki Haisiyat Dekh Kar Hum Sir Nahin Jhukate.
Takkar Ki Baat Mat Karo Jis Din Saamana Hoga Us Din Hastee Mita Denge. Tumako Kya Lagata Tha Ham Lautenge Nahin Jab Tak Todenge Nahi Tab Tak Chodenge Nahi.
Pyaar Se Baat Ki to Pyar Hi Paoge Agar Dushmani Mol Lee to Maare Jaoge. Hamari Jamanat Ki Garanti Tum Le Lo Tumako Badmashi Karana Ham Sikha Denge
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जीवन एक नदिया है by डॉ. लूनेश कुमार वर्मा
किताब के बारे में... ‘जीवन एक नदिया है’ हिंदी कविताओं का मेरा प्रथम संग्रह है। इसे प्रस्तुत करते हुए मुझे आत्मिक प्रसन्नता और संतोष का अनुभव हो रहा है। इस संग्रह की अधिका��श कविताएँ काफी पहले लिखी गई हैं। तब से अब तक बहुत कुछ बदल गया है। जिस तरह नदी की धारा में अनेक मोड़ आते हैं, उसी तरह जीवन में अनेक मोड़ आते हैं। विभिन्न अनुभवों से गुजरते हुए अनेक भाव हृदय में उमड़ते हैं। उन भावों में से अधिकांश भाव पानी के बुलबुले की तरह होते हैं, जो क्षणिक होते हैं। ऐसे में उन भावों को सहेज पाना दुष्कर होता है। फिर भी समय-समय पर विभिन्न कागज पर अंकित किए होने के कारण ये सुरक्षित रहे। आस-पास की प्राकृतिक सुंदरता, भक्ति, प्रेम, आकर्षण, सहृदयता, सहानुभूति, संघर्ष, सफलता हेतु लक्ष्य, असफलता आदि विभिन्न अनुभवों में लिखी गईं कविताएँ इस संग्रह में संकलित की गईं हैं। आज इनमें से बहुत से भाव ऐसे हैं, जो आज मुझे भी चकित करने वाले हैं किंतु ये जीवन से संपृक्त अवश्य रहे हैं। अपने अतीत की अनुगूंज को सुनते हुए कभी-कभी आश्चर्यमिश्रित प्रसन्नता उत्पन्न होता है। संग्रह की कविताओं के रूप में अनुभव प्रामाणिक, सटीक व मौलिक भावनाएँ समय सापेक्ष सत्य ही हैं।
यदि आप इस पुस्तक के बारे में अधिक जानकारी प्राप्त करना चाहते हैं तो नीचे दिए गए लिंक से इस पुस्तक को पढ़ें या नीचे दिए गए दूसरे लिंक से हमारी वेबसाइट पर जाएँ!
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तुलसीदास जयंती 2023 शुभकामनाएं: तुलसीदास जयंती, महान कवि और संत गोस्वामी तुलसीदास की जयंती। उनका जन्म हिंदू चंद्र कैलेंडर के श्रावण महीने में कृष्ण पक्ष की सप्तमी (सातवें दिन) को हुआ था। इस वर्ष तुलसी दास जयंती 23 अगस्त को पड़ेगी। यह दिन 16वीं सदी के कवि और संत के जन्म की 526वीं वर्षगांठ होगी।
तुलसीदास को जन्म के समय रामबोला दुबे नाम दिया गया था। संस्कृत लेखक का जन्म सोरों शूकर क्षेत्र में हुआ था, जो अब उत्तर प्रदेश के कासगंज जिले का हिस्सा है, वह आत्माराम दुबे और हुलसी के पुत्र थे। वह कम उम्र में ही राम के भक्त बन गए और राम की शिक्षाओं का संदेश फैलाने के लिए अपना जीवन समर्पित कर दिया।
तुलसीदास को संस्कृत रामायण, भगवान राम की जीवन कहानी का अवधी रामचरितमानस में अनुवाद करने का श्रेय दिया जाता है। तुलसीदास ने बरवै रामायण, पार्वती मंगल, जानकी मंगल, रामाज्ञा प्रश्न और रामलला नहछू सहित अन्य लोकप्रिय रचनाएँ लिखी हैं।
इस दिन को मनाने के लिए व्हाट्सएप और फेसबुक पर दोस्तों और परिवार के साथ साझा करने के लिए तुलसीदास जयंती की लोकप्रिय शुभकामनाएं और संदेश यहां दिए गए हैं।
तुलसीदास जयंती 2023: साझा करने के लिए शुभकामनाएं और संदेश
1) आइए हम महान संत के सम्मान में तुलसीदास जयंती को खुशी और उत्साह के साथ मनाएं।
2) तुलसीदास के रामचरितमानस के सीधे पाठ और अर्थ के कारण, भगवान राम आम आदमी के लिए प्रसिद्ध थे। तुलसीदास जयंती पर सादर प्रणाम।
3) रामचरितमानस को संत तुलसीदास ने भगवान हनुमान की सहायता से लिखा था, जैसा कि सर्वविदित है। इस दिन आपको प्रकाश और आशीर्वाद की शुभकामनाएं।
4) तुलसीदास जयंती पर भगवान राम की पूजा के लिए गोस्वामी तुलसीदास के निर्देशों को ध्यान में रखें. जयंती की शुभकामनाएँ, तुलसीदास।
5) हिंदी साहित्य के महानतम लेखकों में से एक तुलसीदास थे। आइए हिंदी साहित्य के सबसे महान लेखकों में से एक का सम्मान करें।
6) तुलसीदास जयंती पर, आइए अपना अहंकार दूर करें और भगवान श्री राम की पूजा करें।
7) जब तक व्यक्ति अपनी दुःखदायी इच्छाओं को दबाए रखता है, तब तक वह खुश नहीं रह सकता। आइए तुलसीदास जयंती पर हम स्वयं को अपनी आवश्यकताओं से मुक्त करें।
8) कोई व्यक्ति तब तक खुश नहीं हो सकता जब तक वह इच्छा को नहीं छोड़ता, जो दर्द का स्रोत है। तुलसीदास जयंती पर आइए हम इच्छाओं से छुटकारा पाएं
9) वासना, क्रोध, अहंकार और लोभ वे रास्ते हैं जो सीधे नरक की ओर ले जाते हैं। इन सब को छोड़कर, आइए तुलसीदास जयंती पर भगवान राम का सम्मान करें।
10) गोस्वामी तुलसीदास अपने अच्छे कार्यों के लिए प्रसिद्ध एक पवित्र चरित्र थे। आप सभी को तुलसीदास जयंती 2023 की हार्दिक शुभकामनाएँ।
तुलसीदास की सबसे प्रसिद्ध रचनाएँ
1. रामचरितमानस
यह महाकाव्य राम के जीवन की कहानी कहता है। यह हिन्दी की एक बोली अवधी में लिखा गया है।
2. हनुमान चालीसा
यह भक्ति भजन हनुमान को समर्पित है। यह सबसे लोकप्रिय हिंदू प्रार्थनाओं में से एक है।
3. विनय पत्रिका
यह दार्शनिक ग्रंथ विनम्रता, करुणा और भक्ति के महत्व पर चर्चा करता है।
4. कवितावली
कविताओं के इस संग्रह में प्रेम, हानि और आध्यात्मिकता जैसे विभिन्न विषयों पर कविताएँ शामिल हैं।
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Hoke Mayush u na fall down like the evening poetry in Hindi
Hoke Mayush u na fall down like the evening poetry in Hindi
Kmsraj51 की कलम से…..
ϒ होके मायूस यू ना शाम की तरह ढलिये। ϒ
होके मायूस यू ना – शाम की तरह ढलिये।
ज़िन्दगी एक भाैर है – सूरज की तरह निकलिये।
ठहरोगे एक पाँव पर – तो थक जाओगे।
धीरे धीरे ही सही – अपनी राह पर चलते रहि��े।
मंजिल मिल ही जायेगी। अपने आप धीरे – धीरे।
¤~≈~¤
अपने से कमजोर – को दबाने वाला।
कुछ समय के लिये। शायद बड़ा बन जाता है।
लेकिन अपने से कमजोर – को जो बचाता है।
संभालता है सम्मान देता है।
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#कलेक्शन ऑफ़ हिंदी पोयम्स#कविता हिंदी में#कविता हिन्दी में#कविताओं का संग्रह#कविताओं का संग्रह हिंदी में।#कविताओं संकलन#कवितायें#कवितायें हिंदी में#किड्स पोयम्स इन हिंदी#गीत ग़ज़ल कविता#जो वक्त सिखाता है#पढ़ें – शिक्षाप्रद हिंदी कविताओं का विशाल संग्रह।#पढ़ें प्रेरणादायक कविताओं का विशाल संग्रह।#पढ़ें सर्वश्रेष्ठ कवितायें हिन्दी में।#पोएट्री इन हिंदी#प्यार-भरी कविताओं का संग्रह हिंदी में।#प्रेम#प्रेम आदर और समर्पण#प्रेरणादायक हिन्दी कविताएँ#बच्चों की कवितायें हिंदी में#बच्चों के लिए कविता हिंदी में।#बेवफ़ा बन जायेगी॥#बेस्ट हिंदी पोयम्स वेबसाइट#बेस्ट हिंदी वेबसाइट#मन है बांवरा बैचेन#मै भी नादान थी#मै भी नादान थी। कि हर जगह पर - वफ़ा की तलाश करती रही। यह भी ना सोचा कि अपनी - सांस#मोटिवेशनल हिंदी पोयम्स#वक्त एक सा रहता नहीं कभी#विमल गाँधी
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हिंदी भाषा-साहित्य के विकास-विस्तार, आस्वाद, नवोन्मेष में अप्रतिम योगदान देने वाले अपने समय के सर्वाधिक लोकप्रिय कवि डॉ. हरिवंश राय बच्चन जी की पुण्य तिथि पर ��नको प्रणाम। विनम्र श्रद्धांजलि।
उन्होंने विपुल साहित्य सृजन किया। लाखों लोग उनकी कविताओं के कारण साहित्य अनुरागी बने। कविता, अनुवाद, आलेख, संस्मरण, पत्र, आत्मकथा और विविध प्रकार के सृजन द्वारा उन्होंने हिंदी साहित्य को समृद्ध किया।
मधुशाला, मधुबाला, मधुकलश, निशा निमंत्रण, आकुल अंतर, सतरंगिनी, हलाहल, बंगाल का अकाल, खादी के फूल, मिलन यामिनी, प्रणय पत्रिका, धार के इधर उधर, त्रिभंगिमा, चार खेमे चौंसठ खूंटे दो चट्टानें बहुत दिन बीते, कटती प्रतिमाओं की आवाज आदि कविता-संग्रह, मैकबेथ, ओथेलो, हैमलेट, किंग लियर, उमर खय्याम की रुबाइयाँ (अनुवाद), खय्याम की मधुशाला, सोपान, कवियों के सौम्य संत : पंत, आज के लोकप्रिय हिन्दी कवि : सुमित्रानंदन पंत, आधुनिक कवि,
नेहरू : राजनैतिक जीवन-चित्र, नए पुराने झरोखे, अभिनव सोपान, मरकट द्वीप का स्वर, भाषा अपनी भाव पराए, पंत के सौ पत्र, प्रवास की डायरी, टूटी छूटी कड़ियां, सोहं हँस आदि विविध साहित्य, क्या भूलूँ क्या याद करूँ, नीड़ का निर्माण फिर, बसेरे से दूर, दशद्वार से सोपान तक (आत्मकथा) के सर्जक बच्चन जी अपनी विपुल कृतियों, हमारी स्मृतियों में हमेशा अमर रहेंगे।
DAY 4706
Jalsa, Mumbai Jan 17/18, 2021 Sun/Mon 1:46 AM
Birthday - EF - Rama Sirisha ; Ef Sonia Sehgal .. Monday, January 18 .. our greetings and love on this special day .. from the Ef ..
It has become past the hour and the date reflects a sombre January 18 .. when poojya Babuji breathed his last ..
To day his death anniversary shall be solemnised with care and consideration .. with grace he gave all of us .. the knowledge and the values that he instilled in us .. gave us the largest inspiration of them all .. how to live in the company of they that have misguided thoughts words and deeds .. so help me boss ..
Amitabh Bachchan
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*'जिनमें अकेले चलने का हौसला होता है, उनके पीछे एक दिन काफ़िला होता है।'* जिस घड़ी का हमें बेसब्री से इंतज़ार था आख़िर वो घड़ी अा गई ! *स्वागत है हमारे विशेष अतिथि, कवि / लेखक व शिक्षक, प्रोफेसर इलाहाबाद विश्वविद्यालय, डॉ. श्लेष गौतम जी का !* डॉ. श्लेष गौतम जी का जन्म 21 दिसंबर को प्रयागराज में हुआ। इन्होंने नेट की शिक्षा यू.जी.सी व डी.फिल., विधि-इलाहाबाद विश्वविद्यालय से पूर्ण की। श्लेष जी बतौर असिस्टेंट प्रोफेसर, बी.ए.एलएल.बी. विधि विभाग इलाहाबाद विश्वविद्यालय में पद्दोन्नत हैं। डॉ. श्लेष जी को काव्य संग्रह ‘चाँद सुलगता है’ के लिए उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान की ओर से डा���0 हरिवंश राय बच्चन युवा गीतकार सम्मान 2012(राष्ट्रीय प्रविष्टि) प्राप्त हुआ। इटावा हिन्दी सेवा निधि का ‘शिशु वल्लभ अलंकरण’, अखिल भारतीय मंचीय कवि पीठ का ‘जनकवि कैलाश गौतम सम्मान’, भारतीय लोककला महासंघ द्वारा ‘लोककलाविद् सम्मान’ व उत्तर प्रदेश राज्य कर्मचारी हिंदी संस्थान द्वारा रमण लाल नामित पुरस्कार से सम्मानित हुए। इसके अतिरिक्त कविताओं के लोकप्रिय कार्यक्रम ‘वाह-वाह क्या बात है’ व ‘बहुत ख़ूब’ में कई बार काव्यपाठ किया। डॉ. श्लेष जी ने मंत्रालय, भारत सरकार नई-दिल्ली द्वारा जूनियर फेलोशिप व संस्कृति मंत्रालय भारत सरकार नई-दिल्ली द्वारा अमूर्त कला धरोहर पर फेलोशिप पूरी की। राष्ट्रीय स्तर पर अखिल भारतीय कवि सम्मेलनों/महोत्सवों में संचालन/काव्य पाठ/संयोजन देश के सभी प्रमुख कवियों के साथ अंतर्राष्ट्रीय कवि सम्मेलन में भी काव्य पाठ किया। समाचार पत्र दैनिक जागरण, हिंदुस्तान, अमर उजाला, हिंदुस्तान टाइम्स में स्तंभ लेखन किया। साथ ही उन्होंने कैलाश गौतम समग्र (तीन खण्ड) एवं कैलाश गौतम की प्रतिनिधि रचनाएँ भी संपादित की। *हम डॉ. श्लेष जी के बहुत आभारी हैं कि उन्होंने हमारा निमंत्रण स्वीकार किया और हमें इतना सराहा। श्लेष जी की उपस्थिति से वेबसाइट लॉन्च की शोभा और बढ़ गई है। हम उन्हें हृदय से धन्यवाद देना चाहते हैं।* वेबसाइट जल्द ही लॉन्च होगी। आगे की जानकारी के लिए हमसे जुड़े रहें। धन्यवाद ! www.facebook.com/nazmehayat www.youtube.com/c/nazmehayat www.instagram.com/nazmehayat_ (at India) https://www.instagram.com/p/CDGap3glhLK/?igshid=i16f7w0oo0m
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आज पंजाबी भाषा के मशहूर कवि अवतार सिंह संधू उर्फ ‘पाश’ की पुण्य तिथि है। 23 मार्च 1988 को “पाश” भी अपने जीवन के प्रिय आदर्श, शहीद-ए-आजम के रास्ते पर चले गए। इसी दिन भगत सिंह भी अपने साथियों राजगुरु और सुखदेव के साथ देश के स्वतंत्रता-आंदोलन की बलिवेदी पर चढ़े थे। यह अदभुत संगम इस अमर तारीख की चमक को और बढ़ा देता है। आज ही के दिन 23 मार्च 1988 में इस क्रांतिकारी जनप्रिय कवि की, आतंकवादियों ने उनके अपने ही गांव में गोली मारकर हत्या कर दी थी। सन 1950 में पंजाब के जालंधर जिले के तलवंडी सलेम में जन्में ‘पाश’ की कविताएं हमेशा से क्रांतिकारी रहीं। दिग्गज कवि अवतार सिंह संधू उर्फ “पाश” की तुलना भगत सिंह और चंद्रशेखर से भी की जाती रही है।
*“पाश” समूची भारतीय कविता के लिए एक ज़रूरी नाम है। उन्हें ‘क्रांति का कवि’ के नाम से भी जाना जाता है। महज़ 15 साल की किशोर आयु में ही उनकी क़लम से परिपक्व कविताएँ निकलनी शुरू हो गयी थी। “पाश” की काव्य-यात्रा 15 वर्ष की उम्र से ही ��रम्भ हो गयी थी। और 20 वर्ष के होते-होते जब उनका पहला काव्य संकलन ‘लौह कथा’ छपा था, तब तक वे पंजाबी के एक प्रतिष्ठित कवि के रूप में स्थापित हो चले थे। “पाश” के कुल चार कविता संग्रह “लौह कथा”(1970) , “उडडदे बाँजा मगर”(1974), “साडे समियाँ विच”(1978) और “लड़ान्गे साथी”(1988) मूल पंजाबी में प्रकाशित हैं।* और हिंदी में अनूदित दो संग्रह “बीच का रास्ता नहीं होता” और “समय ओ भाई समय” भी प्रकाशित हुए हैं।
*मूलतः पंजाबी भाषा के कवि “पाश” की कविताओं का हिंदी अनुवाद उनके पाठकों में अत्यंत लोकप्रिय है।* पाश की कविताओं के हिंदी अनुवाद को लोग किसी हिंदी कवि की तरह ही पढ़ते हैं। और ना केवल हिंदी बल्कि तमाम भाषाओं में उन्हें खूब पढ़ा जाता है। *उनकी कविता काव्य परंपरा की अत्यंत प्रभावी और सार्थक अभिव्यक्ति है। *
*पाश की कविताओं को पढ़ना उनसे से गुजरना एक अनौखे अनुभव से गुजरना है।वह अपने समाज व अपनी ज़मीन से सीधे-सीधे जुड़े हुए कवि थे।*
उनके लिए कविता के क्या मायने थे यह उनकी इस कविता के शब्दों से गुजरकर बहुत अच्छी तरह से समझा जा सकता है:
शब्द जो *राजाओं की घाटी* में नाचते हैं
जो *माशूक की नाभी का क्षेत्रफल* नापते हैं
जो *मेजों पर टेनिस बॉल* की तरह लुढ़कते हैं
जो *मंचों की खारी धरती* पर उगते हैं... कविता नहीं होते।
23 मार्च का दिन शहीद भगत सिंह के लिए भी जाना जाता है और पाश के लिए भी...!💫
(✍️Parkash Ravi Garg # 23-03-2020)
[✍️FACEBOOK.COM/RAVIPARKASH108]
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believe poetry in hindi
believe poetry in hindi
Kmsraj51 की कलम से…..
ϒ विश्वास। ϒ
जब विश्वास किसी पर – होता है तब…पराये भी – अपने बन जाते है।
और जब – जब विश्वास किसी पर – टूटता है तब… अपने भी पराये हो जाते है।
सारी बात तो – विश्वास पर ही टिकी है।
जिस पर पक्का – विश्वास हो जाये वो… अपना ही लगता है।
जिस पर विश्वास – ना हो वो कभी भी… अपना नहीं लगता।
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दिल के रिश्ते – खून के रिश्तों से… ज्यादा मजबूत होते है।
कही कही – खून के रिश्ते में… लड़ाई…
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ये समीक्षा नहीं है: ‘बारिश में खंडहर’
शायद मैं नन्दकिशोर आचार्य की कविताओं की तरफ इतना अधिक आकर्षित इसलिए हूँ क्योंकि रेगिस्तानी जीवनानुभूति की बहुत कम अभिव्यक्ति मैंने साहित्य में देखी है. खंडहरों और धोरों के बीच मृगमरीचिकाओं से भरी विशाल निर्जल खाई में ये कवि अपनी पहचान को खोजते हुए और एक अव्यक्त चेतना, जिससे उसका द्वैत बहुत स्पष्ट नहीं है, से डायालेक्टिक में डूबा नज़र आता है. अव्यक्त चेतना में बसा, प्रकृति और पुरुष दोनों में घुला मिला; आचार्य का ईश्वर नैतिक नहीं है. नास्तिक होने के बावज़ूद मैंने आचार्य की कविताओं को पसंद किया क्योंकि चैतन्य के संधान में उनकी ईमानदारी उनकी कविताओं को प्रभावी और नम बना देती है.
रेगिस्तान की तपती रेत में पानी की खोज की भांति कवि अपनी पहचान ढूंढता है ("प्यास बाहर के जल की खातिर / भीतर के जल की आकुलता है: / केवल नर ही नहीं है / जल नारायण भी है!"), अपने अस्तित्व पर और अपने सर्जक होने पर प्रश्न उठाता है. उनका थार कहीं अन्दर चश्मे छुपाए बैठा है, उनके घर स्मृतियों से लदे खंडहर हैं और उनके खंडहरों की पपड़ियाँ तोड़ कर सततता के महल निकलते हैं. उदहारण के लिए कविता "न होने का होना" में
“तुम हो / क्योंकि मैं जो हूँ / लेकिन नहीं हूँ मैं / क्योंकि तुम जो नहीं हो
न होने का होना भी / कोई होना है?”
समस्या यह है कि कवि भुरभूरी रेत के रचना संसार में पगडंडियाँ बनाता चलता है जहाँ किसी काफ्काई उपन्यास की भांति समय और स्थान से टूटे हुए बिम्ब आंधियों में दफ़न हो जाते हैं. सौन्दर्यबोध की दृष्टि से परिपक्व लगने वाला ये माहौल संग्रह के ख़त्म होने तक थोडा दमघोंटू हो चलता है. कुछ समय किताब को किनारे रखकर कहीं और जाने की ज़रूरत महसूस होती है.
इस संकलन में "आती है जैसे मृत्यु", "कविता में नहीं है जो" जैसे संकलनों से बहुत ही सशक्त रचनाएँ चुनकर प्रस्तुत कीं गयीं हैं. हिंदी कविता का मारवाड़ी अनुभव दिल में जो बैठ जाता है तो निकलता नहीं.
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रूबाई सम्राट राज्यकवि उदयभानु 'हंस' पंचतत्व में विलीन
रूबाई सम्राट राज्यकवि उदयभानु 'हंस' पंचतत्व में विलीन :हरियाणा के राज्य कवि, मुक्तककार, गीतकार, दोहाकार, समीक्षक, गजल-प्रणेता एवं रूबाई-सम्राट उदयभानु 'हंस' आज पंचतत्व में विलीन हो गए। 'हंस' का कल शाम निवास स्थान पर निधन हो गया था। सेक्टर 16-17 के श्मशानघाट में उनके पुत्र शशिभानु ने उन्हें मुखाग्नि दी। अंतिम संस्कार में बड़ी संख्या में साहित्यिक जगत की हस्तियां व जिला प्रशासन की ओर से एसडीएम परमजीत सिंह व डीएसपी सहित अन्य अधिकारी भी शामिल हुए। दो अगस्त, 1926 ई. को दायरा दीन पनाह, तहसील कोट अद्दू जिला मुज़ फरगढ़(वर्तमान पाकिस्तान) में जन्मे 'हंस' के साहित्य-सृजन की परिधि अत्यन्त व्यापक और गहन है। गीतकार के रूप में वह हरिवंश राय बच्चन, शिवमंगल सिंह सुमन, भवानी प्रसाद मिश्र, नीरज तथा राम अवतार त्यागी की श्रेणी में आते थे। मुक्तककार के रूप में वे अपने मुक्तकों की उत्तमता, गुणवत्ता तथा परिमाण की दृष्टि के लिए जाने जाते थे। इन्हे भी पढ़े :- जलभराव से पीड़ित किसानो को मुआवजा दिया जैसे कबीर, रहीम और गिरधर कविराय के दोहे व कुंडलियां सदियों से जनता की जुबान पर सवारी करते आ रहे हैं, वैसे कविवर 'हंस' के सरस मुक्तक और रूबाइयां जनसामान्य व शिष्टजनों के हृदय और वाणी पर राज करती रही हैं। 'हंस' ने स्��तंत्रता-संग्राम के दौरान सन् 1943 से 1946 ई. तक हिंदी और उर्दू में देशभक्ति की कविताएं लिखकर महत्त्वपूर्ण कार्य किया। 'धड़कन' नामक गीत-संग्रह में उन ओजस्वी कविताओं का संग्रह किया गया है। रूबाई सम्राट राज्यकवि उदयभानु 'हंस' पंचतत्व में विलीन स्त्रोत :- uttamhindu छायाचित्र भिन्न हो सकता है Read the full article
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प्रबोध साहित्य सन्मान 2019
A Trust Devoted to the Cause of Education and Literary Development
Registered Off: 216, Sahyog Apartments, Mayur Vihar, Phase I, Delhi 110091
Camp Off: Village Sahmoura, P.O. Shahpur Bazar, Dt. Sararsa, Bihar
प्रबोध साहित्य सन्मान 2019
प्रेस विज्ञप्तिPRESS RELEASE
वर्ष 2019-का प्रबोध साहित्य सन्मान: कवि-अनुवादक हरेकृष्ण झा को
वर्ष 2019-के लिए मैथिली भाषा और साहित्य का सर्वोच्च पुरस्कार ‘प्रबोध साहित्य सन्मान’ वरिष्ठ मैथिली कवि-अनुवादक-चिन्तक श्री हरेकृष्ण झा को दिया जायगा । यह निर्णय आज विख्यात भा-विज्ञानी, कवि-नाटककार और एमिटी विश्वविद्यालय के चेयर-प्रोफेसर एवं कला संकाय के डीन प्रो: उदय नारायण सिंह ‘नचिकेता’ की अध्यक्षता में मैथिली के मूल तथा अनुवाद साहित्य में इनका आजीवन योगदान के आधार पर लिया गया है । प्रतीक चिह्न और प्रशस्ति पत्र के साथ एक लाख रुपये की राशि का यह पुरस्कार श्री हरेकृष्ण झा को रविवार, 24 फरबरी 2019-के दिन पटना में प्रदान किया जाएगा । उल्लेखनीय है कि प्रति-वर्ष ‘प्रबोध साहित्य सन्मान’ मैथिली आंदोलन के अग्रणी नेता,विशिष्ट विद्वान् तथा संस्कृत-फारसी-पाली-मैथिली और हिन्दी के मूर्धण्य भाषा-शास्त्री एवं कलकत्ता विश्वविद्यालय के भूतपूर्व हिन्दी विभागाध्यक्ष स्वर्गीय डॉ. प्रबोध नारायण सिंह के सन्मान में स्वस्ति फाउंडेशन द्वारा २००४ ई. से प्रदान किया जा रहा है ।
हरेकृष्ण झामैथिलीऔर हिन्दी के चर्चित कवि और विचारक रहे हैं।मानवीयसंवेदना और एक सभ्य समाज की तलाश में हरेकृष्ण जी अलग अलग समय में तकनीकीशिक्षा से लेकर अंग्रेजी सहित्य की पारम्परिक शिक्षा लेने की ओर कदम तोबढ़ाया पर कुछ रास नहीं आया।बामपंथ की ओर भी कुछ रुझान रहा।��स लिए अभियंत्रगणक का अध्ययन को उन्होंने बीच में ही छोड़ दिया और मार्क्सवादी राजनीति में सक्रिय हो गए । 70 के दशक में नक्सली आन्दोलन की ओर आकृष्ट हो कर अपनी औपचारिक शिक्षा छोड़ दिया था । पर मूल रूप सेहरेकृष्ण जी मैथिली और हिन्दी में मानवतावादी कवि के रूप में उभर कर आये हैं।मिथिला की सभ्यता और संस्कृति का उन्होने गहन अध्ययन किया है।पिछ्ले लगभग चालीस सालों से कविता लेखन के अलावा उन्होंने अनुवाद को अपने जीवनयापन का साधन बनाया।विश्व के दर्जनों संस्थानों के लिये आप अनुवाद करते रहेहैं ।संकलित रूप से उनकी रचनाएँ ज्यादा नहीं मिलती है, पर उनके सुपरिचित काव्य-संग्रह का नाम है – ‘ऐना त नहिं जे’(2006)।इस के दस साल बाद इनके मैथिली अनुवादकी पुस्तक प्रकाशित हुई है'ई थिक जीवन'।इस संग्रह में इन्होंने प्रसिद्धअंग्रेजी कवि वाल्ट व्हिटमैन की कुछ चुनी हुई कविताओं का अनुवाद किया है। साहित्य अकादमी के लिए इन्होंने ‘राजस्थानी साहित्य का इतिहास’का मैथिली अनुवाद किया है।अंग्रेजी से हिंदी में भी इनके कई महत्वपूर्ण अनुवाद प्रकाशित हुये हैं – जिनमें ‘कसौटी’ में प्रकाशित रणधीर वर्मा का उत्तर-आधुनिकता पर दीर्घ निबंध और पॉल फ्रेरे का आलेख आदि शामिल है; सहभागी विकास के सिद्धांतकार रोबर्ट चैम्बर्स की किताब ‘रूरल ���प्प्रैसल: रैपिड, रिलैक्स्ड एंड पार्टीसिपेटरी’ का अनुवाद ‘ग्रामीण आकलन: तेज, सहज और सहभागी’ नाम से प्रक्सिस द्वारा प्रकाशित हुई है। प्रख्यात इतिहास विशेषज्ञ डी डी कोसाम्बी की किताब ‘द एक्जेस्पेरेटिंग एसेज’ का अनुवाद भी किया है। संगीत और चित्रकला में इनकी विशेष रूचि रही है।करीब दस साल तक
हरेकृष्ण जी ने जनपक्षीय सांस्कृतिक मंच ‘समय संकेत’ का संचालन किया है ।
हरेकृष्ण झाका जन्म 28 मार्च 1949 में कोइलख, दरभंगा मेंहुआ थाऔर वे रघुनाथ टोला, अनीसाबाद, पटना में रहते हैं।
प्रो: अभय नारायण सिंह
प्रबंधन न्यासी
visit site : http://mithiladarshan.com/
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राजेश झरपुरे जी के कविता संग्रह को पढ़ते-पढ़ते: कुछ इस तरह
राजेश झरपुरे जी के कविता संग्रह को पढ़ते-पढ़ते: कुछ इस तरह
राजेश झरपुरे हिंदी कविता एवं कहानी की दुनिया में एक सुपरिचित नाम है। इन दिनों उनके कविता संग्रह कुछ इस तरह को पढ़ने का सुयोग बना। राजेश झरपुरे मानवीय रिश्तों और संवेदनाओं के कवि हैं। पिता, पुत्र, पत्नी, प्रेमिका, बहन, मित्र, बच्चे आदि उनकी कविताओं में अलग-अलग रूपों में पूरी शिद्दत से अपनी उपस्थिति दर्ज कराते हैं।
इस कठिन समय में जब ईश्वर का ��ोना न होना ही प्रश्नार्थ है, मजबूर इंसान के पास सिर्फ…
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Prasar Bharati Central Archives presents interview with Sumitranandan Pant on his birth anniversary from the archives of Doordarshan. Sumitranandan Pant is considered as one of the most celebrated Hindi poet. His poems had romanticism and were inspired by the beauty of nature and people. Sumitranandan Pant (May 20, 1900 - December 28, 1977) was one of the most celebrated "progressive" left-wing 20th century poets of the Hindi language and was known for romanticism in his poems which were inspired by nature, people and beauty within. In 1968, Pant became the first Hindi poet to receive the Jnanpith Award, considered to be India's highest accolade for literature. This was awarded to him for a collection of his most famous poems titled Chidambara. Pant received the "Sahitya Academy" award, given by India's Academy of Letters, for "Kala Aur Budhdha Chand". The Indian Government honored him with Padma Bhushan and Padma Vibhushan सुमित्रानंदन पंत हिंदी साहित्य में छायावादी युग के चार प्रमुख स्तंभों में से एक हैं। उनका जन्म 20 मई 1900 को कौसानी में हुआ था। झरना, बर्फ, पुष्प, लता, भ्रमर-गुंजन, उषा-किरण, शीतल पवन, तारों की चुनरी ओढ़े गगन से उतरती संध्या ये सब तो सहज रूप से उनके काव्य का उपादान बने। पद्मभूषण, ज्ञानपीठ पुरस्कार और साहित्य अकादमी पुरस्कारों से नवाजे जा चुके पंत की रचनाओं में समाज के यथार्थ के साथ-साथ प्रकृति और मनुष्य की सत्ता के बीच टकराव भी होता था। आधी सदी से भी अधिक लंबे उनके रचनाकाल में आधुनिक हिंदी कविता का एक पूरा युग समाया हुआ है।#SumitraNandanPant #IndianPoet #HindiLiterature #20thCentury #Romanticism #JewelsofIndianLiterature #Doordarshan #Archives सुमित्रानन्दन पन्त की रचनाएं याद करने की ट्रिक | यहाँ पर मैंने रचनाएं याद करने की दो ट्रिक बताई हैं | यदि आपको हमारी ये विडियो पसंद आई हो तो प्लीज़ इसे लाइक, सब्सक्राइब, शेयर और कमेंट जरुर करें | सुमित्रा नन्दन पन्त की प्रमुख रचनायें मिनटों में याद करें अन्य वीडियोस की लिंक नीचे दी गयी है :- ✔️कुहासा और किरण हिंदी नाटक का सारांश https://www.youtube.com/watch?v=linw0... ✔️लाटी का चरित्र-चित्रण Hindi Class 12th UP Board https://www.youtube.com/watch?v=C0YIj... ✔️राष्ट्र का स्वरुप पाठ का सारांश / भावार्थ Hindi Class 12th UP Board https://www.youtube.com/watch?v=ziq6O... ✔️लाटी कहानी का सारांश Hindi Class 12th UP Board https://www.youtube.com/watch?v=Zw_qJ... ✔️संस्कृत के ये पाठ सामान्य हिंदी के स्टूडेंट्स को पढ़ना है https://www.youtube.com/watch?v=pfLOP... ✔️पंचलाइट कहानी का उद्देश्य Hindi Class 12th UP Board https://www.youtube.com/watch?v=NCU9P... ✔️बहादुर का चरित्र चित्रण Class 12th UP Board https://www.youtube.com/watch?v=vO3Xu... ✔️बहादुर कहानी का सारांश Class 12th UP BOARD https://www.youtube.com/watch?v=J7eLv... A #hindipoem by great poet #sumitranandanpant #kalebadal अ��्मोड़ा जिले के कौसानी गांव में 20 मई 1900 में एक शिशु अवतरित हुआ। तब के उत्तर प्रदेश और आज के उत्तराखंड का खूबसूरती में बेमिसाल कौसानी आज अपने उस सपूत पर गौरवान्वित है जिसका नाम रखा गया था- गुंसाईं दत्त। यही गुंसाई दत्त आगे चलकर सुमित्रानंदन पंत के नाम से जाने गए जिनकी काव्य रचनाओं ने उन्हें अमर कर दिया। सुमित्रानंदन पंत ने 1919 में गांधी जी के सत्याग्रह से प्रभावित होकर अकादमिक शिक्षा को तिलांजलि दे दी लेकिन स्वाध्यानय से उन्होंने हिंदी, संस्कृत, बांग्ला और अंग्रेजी भाषाओं में दक्षता प्राप्त की। उनकी रचनाओं में सौंदर्यबोध के साथ तत्कालीन परिस्थितियों की सांकेतिक अभिव्यक्ति पढ़ने को मिलती है। अनूठे बिंब गढ़ने वाले इस महान कवि ने चिदंबरा, लोकायतन, हार, युगपथ, स्वर्णकिरण, वीणा, पल्लव और बूढ़ा चांद जैसी अनेक कृतियों की रचना की। हरिवंश राय बच्चन के साथ उनका एक संयुक्त काव्य संग्रह आया- खादी के फूल। उमर खैयाम की रुबाइयों का फारसी से हिंदी में अनुवाद ‘मधुज्वार’ भी उनके कृतित्व का एक महत्वपूर्ण भाग है। सुमित्रानंदन पंत को उनकी अमर रचना ‘चिदंबरा’ के लिए भारतीय ज्ञानपीठ और ‘लोकायतन’ के लिए सोवियत नेहरू शांति पुरस्कार से सम्मानित किया गया। इस महान हिंदीसेवी को भारत सरकार ने ‘पद्मभूषण’ से भी अलंकृत किया। प्रयाग में 28 दिसंबर 1977 को हमसे विदा लेने वाले इस महान कवि को सादर नमन। इर्द-गिर्द में हम उनकी सामयिक कविता ‘काले बादल’ प्रस्तुत कर रहे हें। बादल, बरसात, सावन के मस्त मौसम पर लिखी गईं कुछ चुनिंदा कविताओं की श्रृंखला में यह हमारी पहली प्रस्तुति है। #poetrykhazana #हिंदीकविता #hindikavita #hindipoemschannel #hindipoetry channel …… काले बादल सुनता हूँ, मैंने भी देखा, काले बादल में रहती चाँदी की रेखा! काले बादल जाति द्वेष के, काले बादल विश्व क्लेश के, काले बादल उठते पथ पर नव स्वतंत्रता के प्रवेश के! सुनता आया हूँ, है देखा, काले बादल में हँसती.. आज दिशा हैं घोर अँधेरी नभ में गरज रही रण भेरी, चमक रही चपला क्षण-क्षण पर झनक रही झिल्ली् झन-झन कर! नाच-नाच आँगन में गाते केकी-केका काले बादल में लहरी.. काले बादल, काले बादल, मन भय से हो उठता चंचल! कौन हृदय में कहता पलपल ��ृत्यु आ रही साजे दलबल! आग लग रही, घात चल रहे, विधि का लेखा! काले बादल में छिपती.. सुमित्रानंदन पंत का जीवन परिचय एवं उनकी जीवनी-सुमित्रानंदन पंत छायावादी युग के कवि हैं| उनका जन्म अल्मोड़ा के निकट कौसानी नामक गांव में 20 मई सन 1900 को हुआ था| सुमित्रानंदन पंत के बचपन का नाम गुसाई दत्त था| आप की शिक्षा काशी और इलाहाबाद में हुई थी| आपकी मृत्यु 28 दिसंबर 1977 को हुई थी
http://sansaartimes.blogspot.com/2020/05/sumitranandan-pant.html
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पाश न महज पंजाबी कविता बल्कि समूची भारतीय कविता के लिए एक जरूरी नाम हैं, क्योंकि उनके योगदान के उल्लेख के बिना भारतीय साहित्य और समाज के लोकतंत्र का कोई मतलब नहीं बनता है। उनका जीवन और कला दोनों महान हैं। उन्हें क्रांति का कवि कहा जाता है। जिस तरह की जीवनधारा पाश की रही, उसके बीच से फूटने वाली रचनाशीलता में उनका काम बेजोड़ है, क्योंकि उन जैसा सूक्ष्म कलाबोध दुर्लभ है। उनका अपना सौंदर्यशास्त्र है, जो टफ तो है पर रफ नहीं। वहां गुस्सा, उबाल, नफरत, प्रोटेस्ट और खूंरेजी तो है ही, गूंजें-अनुगूंजें भी हैं। सपाट सच हैं, पर सदा सपाटबयानी नहीं। पाश यकीनन एक प्रतीक हैं और एक शहीद के तौर पर उनके किस्से पीढ़ी-दर-पीढ़ी दिमागों में टंके हुए हैं। जब वह जीवित थे, तब भी, कई अर्थों में दूसरों के लिए ही थे।
अदब में आसमां सरीखा कद रखने वाले पाश धरा के कवि थे। वह पंजाबी के कवि थे लेकिन व्यापक हिंदी समाज उन्हें अपना मानता है। बल्कि तमाम भारतीय भाषाओं में उन्हें खूब पढ़ा जाता है। विदेशी भाषाओं में भी। ऐसी जनप्रियता किसी दूसरे पंजाबी लेखक के हिस्से नहीं आई। हिंदी आलोचना के शिखर पुरुष डॉ. नामवर सिंह और मैनेजर पांडे तक ने उन पर उल्लेखनीय लिखा है। हिंदी की बेहद स्तरीय पत्रिका 'पहल' ने पूरे ऐहतराम के साथ उनकी कविताएं तब छापी थीं जब वह किशोरावस्था से युवावस्था के बीच थे। उनकी हत्या के बाद भी 'पहल' ने उन पर विशेष खंड प्रकाशित किया। वरिष्ठ हिंदी कवि मंगलेश डबराल, आलोक धन्वा, राजेश जोशी, केदारनाथ सिंह, सौमित्र मोहन, अरुण कमल, ऋतुराज, वीरेन डंगवाल, कुमार विकल, उदय प्रकाश, लीलाधर जगूड़ी और गिरधर राठी आदि पाश की कविता के गहरे प्रशंसकों में शुमार रहे।
आलोक धन्वा को हिंदी कविता का अप्रीतम हस्ताक्षर माना जाता है। वह पाश के करीबी दोस्त थे। उनसे मिलने बिहार से पंजाब, पाश के गांव उग्गी (जिला जालंधर) भी आए थे। तब पंजाब में नक्सली लहर का जोर था और उनकी गिरफ्तारी होते-होते बची। प्रख्यात कथाकार अरुण प्रकाश और गीतकार ब���जमोहन पाश की हत्या के बाद रखे गए श्रद्धांजलि समागम में शिरकत के लिए विशेष रुप से देश भगत यादगार हाल जालंधर आए थे। पाश ने 15 साल की किशोरवय उम्र में परिपक्व कविताएं लिखनी शुरू कर दी थीं। उनमें क्रांति की छाप थी, सो उन्हें क्रांतिकारी कवि कहा जाने लगा। पहले- पहल यह खिताब उन्हें महान (नुक्कड़) नाटककार गुरशरण सिंह ने दिया था। 20 साल की उम्र में उनका पहला संग्रह 'लौह कथा' प्रकाशित हुआ।
यह कविता संग्रह आज भी पंजाबी में सबसे ज्यादा बिकने वाली कविता पुस्तक है। 'कागज के कातिलों' के लिए यह मिसाल एक खास सबक होनी चाहिए कि पाश ने अपने तईं अपना कोई भी संग्रह कभी भी किसी 'स्थापित' आलोचक को नहीं भेजा। जबकि पंजाबी के तमाम आलोचक बहुचर्चा के बाद उनकी कविता का नोटिस लेने को मजबूर हुए। कईयों ने उनकी कविता का लोहा माना और कुछ ने नकारा। प्रशंसा-आलोचना-निंदा से पाश सदा बेपरवाह रहे। उनकी अध्ययन पद्धति गजब की थी। अपने खेत को खोदकर (बेसमेंट में) उन्होंने अपनी लाइब्रेरी बनाई थी। जहां दुनिया भर की किताबें थीं। नक्सली लहर के दौरान, 1969 में जब उन्हें झूठे आरोपों के साथ गिरफ्तार करके जेल भेजा गया तब इस किताबों के खजाने को पुलिस ने 'सुबूत' के बहाने 'लूट' लिया।
पाश रिहा हुए लेकिन जब्ती का शिकार बनीं किताबें उन्हें कभी वापिस नहीं मिलीं। पुलिसिया यातना का उन्हें इतना मलाल नहीं रहा जितना इस बात का। वह खुद पढ़ने के लिए कॉलेज नहीं गए लेकिन उनका कविता संग्रह एमए में पढ़ाया गया। पाश की एक काव्यपंक्ति दुनिया भर में मशहूर है : "सबसे खतरनाक होता है हमारे सपनों का मर जाना...!" उनका मानना था कि पहले बेहतर दुनिया सपनों में आएगी और फिर यही सपने साकार होंगे लेकिन जरूरी लड़ाई अथवा संघर्ष के साथ! पंजाबी क्या, किसी भी भाषा में कविता का ऐसा सौंदर्यशास्त्रीय मुहावरा दुर्लभतम है। इसे लिखकर भी पाश 'महानता' की श्रेणी को छू गए।
विचारधारात्मक तौर पर वह हर किस्म की कट्टरता, अंधविश्वास और मूलवाद के खिलाफ थे। पंजाब में फिरकापरस्त ��तंकवाद की काली आंधी आई तो उन्होंने वैचारिक लेखन भी किया। वह अपना दिमाग और शरीर इसलिए बचाना चाहते थे कि इन तमाम अलामतों का बादलील विरोध कर सकें। उनका मानना था कि अगर मस्तिष्क रहेगा तो बहुत कुछ संभव होगा। वह दुनिया बनेगी जिसकी दरकार है बेहतर जीवन के लिए। जीवन पर मंडराते खतरे के बाद वह विदेश चले गए। अपना अभियान जारी रखा। वहां से उन्होंने 'एंटी-47' पत्रिकाा निकाली। तब उनका नाम खालिस्तानी आतंकवादियों की हत्यारी 'हिटलिस्ट' के शिखर पर आ गया। अपनी धरती-अपना वतन बार-बार खींचता था। कुछ दिनों के लिए अपने गांव पंजाब आ जाते थे।
23 मार्च, 1988 के दिन वह अपने गांव में थे कि खालिस्तानी आतंकियों ने घात लगाकर उन्हें कत्ल कर दिया। कातिल नहीं जानते थे कि जिस्म कत्ल होने से फलसफा और लफ्ज़ कत्ल नहीं होते। 23 मार्च का दिन शहीद भगत सिंह के लिए भी जाना जाता है और आज पाश के लिए भी। न भगत सिंह मरे और न पाश! पाश ने कविता 'अब मैं विदा लेता हूं' में कहा है: 'मुझे जीने की बहुत चाह थी/ कि मैं गले-गले तक जिंदगी में डूब जाना चाहता था/मेरे हिस्से की जिंदगी भी जी लेना मेरे दोस्त...!' उनके हिस्से की जिंदगी बहुतेरे लोग जी रहे हैं। प्रसंगवश, कई भारतीय भाषाओं में इस कवि की प्रतिनिधि कविताओं के संग्रह प्रकाशित हैं। हिंदी में सबसे मकबूल संग्रह 'बीच का रास्ता नहीं होता' है।
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Same relationship with true happiness poetry in hindi
Same relationship with true happiness poetry in hindi
Kmsraj51 की कलम से…..
ϒ सच्ची खुशी मिले वही रिश्ते। ϒ
रिश्तों को कभी – धोखा मत दो।
पसन्द ना आये तो – उसे पूर्णविराम कर दो।
क्योंकि उसे आगे – बड़ा कर… कोई फायदा नहीं है।
उससे ज़िन्दगी – ही खराब होती है।
जिसके साथ अच्छा लगे – सच्ची खुशी मिले।
वही रिश्ते निभाने मे – अच्छा लगता है।
वरना बोझ के जैसे – ढोने पड़ते है रिश्ते।
¤~≈~¤
इंसान का दुखी होने का – बस एक ही मूल कारण है।
उन चीजों के पीछे भागना – जो…
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#कलेक्शन ऑफ़ हिंदी पोयम्स#कविता हिंदी में#कविता हिन्दी में#कविताओं का संग्रह#कविताओं का संग्रह हिंदी में।#कविताओं संकलन#कवितायें#कवितायें हिंदी में#किड्स पोयम्स इन हिंदी#गीत ग़ज़ल कविता#जो वक्त सिखाता है#पढ़ें – शिक्षाप्रद हिंदी कविताओं का विशाल संग्रह।#पढ़ें प्रेरणादायक कविताओं का विशाल संग्रह।#पढ़ें सर्वश्रेष्ठ कवितायें हिन्दी में।#पोएट्री इन हिंदी#प्यार-भरी कविताओं का संग्रह हिंदी में।#प्रेम#प्रेम आदर और समर्पण#प्रेरणादायक हिन्दी कविताएँ#बच्चों की कवितायें हिंदी में#बच्चों के लिए कविता हिंदी में।#बेवफ़ा बन जायेगी॥#बेस्ट हिंदी पोयम्स वेबसाइट#बेस्ट हिंदी वेबसाइट#मन है बांवरा बैचेन#मै भी नादान थी#मै भी नादान थी। कि हर जगह पर - वफ़ा की तलाश करती रही। यह भी ना सोचा कि अपनी - सांस#मोटिवेशनल हिंदी पोयम्स#वक्त एक सा रहता नहीं कभी#विमल गाँधी
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