#मै भी नादान थी। कि हर जगह पर - वफ़ा की तलाश करती रही। यह भी ना सोचा कि अपनी - सांस
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kmsraj51 · 7 years ago
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I was too immature poetry in hindi
I was too immature poetry in hindi
Kmsraj51 की कलम से…..
ϒ मै भी नादान थी। ϒ
मै भी नादान थी। कि हर जगह पर – वफ़ा की तलाश करती रही।
यह भी ना सोचा कि अपनी – सांस भी इक दिन, बेवफ़ा बन जायेगी॥
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सच्चाई के रास्ते पर चलना… फायदे की बात होती है।
आज नहीं तो कल – जीत हमेशा सच्चाई की ही होती है।
और – इस राह पर भीड़ भी – बहुत कम होती है।
क्योंकि बहुत कम लोग होते है… जो जीवन मे सच्चे होते है। और सच्च बोलते है॥
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दूसरों को नसीहत…
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