I was too immature poetry in hindi
I was too immature poetry in hindi
Kmsraj51 की कलम से…..
ϒ मै भी नादान थी। ϒ
मै भी नादान थी।
कि हर जगह पर –
वफ़ा की तलाश करती रही।
यह भी ना सोचा कि अपनी –
सांस भी इक दिन, बेवफ़ा बन जायेगी॥
¤~~≈~~¤
सच्चाई के रास्ते पर चलना…
फायदे की बात होती है।
आज नहीं तो कल –
जीत हमेशा सच्चाई की ही होती है।
और –
इस राह पर भीड़ भी –
बहुत कम होती है।
क्योंकि बहुत कम लोग होते है…
जो जीवन मे सच्चे होते है।
और सच्च बोलते है॥
¤~~≈~~¤
दूसरों को नसीहत…
View On WordPress
0 notes