#21 नवंबर 2017
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मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने “स्वर्गीय गोपाल दास नीरज स्मृति पुरस्कार योजना” प्रारंभ करके नीरज जी को अमर किया – हर्ष वर्धन अग्रवाल लखनऊ में जल्द ही लगेगी नीरज जी की भव्य प्रतिमा – हर्ष वर्धन अग्रवाल हम तो मस्त फकीर, हमारा कोई नहीं ठिकाना रे। जैसा अपना आना प्यारे, वैसा अपना जाना रे। लखनऊ 04.01.2023 | गीत ऋषि पद्मभूषण डॉ गोपाल दास नीरज जी द्वारा लिखी गई यह पंक्तियां उनके व्यक्तित्व पर बिल्कुल सटीक बैठती हैं | नीरज जी जैसा मस्त मौला कवि, साहित्य का पुजारी, प्रेम का दीवाना व्यक्ति कोई दूसरा हो ही नहीं सकता | आज नीरज जी 98वी जन्म जयंती के अवसर पर ट्रस्ट के इंदिरा नगर स्थित कार्यालय मे, ��ेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट के पूर्व संरक्षक तथा महाकवि "गीतों के दरवेश" पद्मभूषण (डॉ०) गोपालदास 'नीरज' जी को श्रद्धापूर्ण पुष्पांजलि कार्यक्रम का आयोजन किया गया | कार्यक्रम के अंतर्गत ट्रस्ट के प्रबंध न्यासी हर्ष वर्धन अग्रवाल, न्यासी डॉ रूपल अग्रवाल, ट्रस्ट के स्वयंसेवकों, लाभार्थियों आदि ने नीरज जी के चित्र पर पुष्पांजलि अर्पित कर उन्हें सादर नमन किय�� | उत्तर प्रदेश के माननीय मुख्यमंत्री श्री योगी आदित्यनाथ जी को आभार व्यक्त करते हुए ट्रस्ट के प्रबंध न्यासी हर्ष वर्धन अग्रवाल ने कहा कि, “प्रत्येक वर्ष पांच नवोदित कवियों को स्वर्गीय गोपाल दास नीरज स्मृति पुरस्कार योजना का प्रारंभ करके तथा लखनऊ में नीरज जी की प्रतिमा लगाने के ट्रस्ट के प्रस्ताव को स्वीकृति मिलने पर साहित्य जगत में योगी जी के नेतृत्व को स्थायी स्थान प्राप्त हो गया है I मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने “स्वर्गीय गोपाल दास नीरज स्मृति पुरस्कार योजना” प्रारंभ करके नीरज जी को अमर कर दिया है I हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट से नीरज जी का बहुत ही गहरा नाता था | उनके साथ अपनी यादों को ताजा करते हुए हर्ष वर्धन अग्रवाल कहते हैं कि नीरज जी से पहली बार मुलाकात ट्रस्ट द्वारा 02 जुलाई 2013 को आयोजित कार्यक्रम “एक शाम जगजीत सिंह के नाम” मे हुयी थी जिसमें नीरज जी स्वयं पधारे थे I नीरज जी उस कार्यक्रम से और हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट द्वारा जनहित में किए जा रहे कार्यों से इतने प्रभावित हुए कि उन्होंने हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट के संरक्षक बनने की हमारी प्रार्थना को स्वीकार किया और हमें अपना आशीर्वाद प्रदान किया | उसके बाद नीरज जी के संरक्षण में हमने अनेकों कार्यक्रमों का आयोजन किया तथा जब तक वह जीवित थे उनके हर जन्मदिन को भव्य तरीके से मनाया, नीरज जी के अंतिम 5 वर्षों में उनकी सेवा करने का अवसर प्राप्त हुआ | नीरज जी के मार्ग दर्शन में हमने कॉफ़ी टेबल बुक गीतों के दरवेश : गोपाल दस नीरज तैयार की, जिसका विमोचन स्वयं अमिताभ बच्चन ने अपने जुहू, मुंबई स्थित अपने आवास पर 24 फरवरी 2018 को किया था I वर्ष 2014 से नीरज जी के जीवित रहने तक, ट्रस्ट को नीरज जी का मार्गदर्शन प्राप्त हुआ, जिससे ट्रस्ट ने समाज, साहित्य, आध्यात्म, एवं संस्कृति के क्षेत्र में भव्य आयोजन किये तथा जनहित में अनेकों पुस्तकों का प्रकाशन किया l नीरज जी के साथ तथा उनके संरक्षण में हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट ने 11 मार्च 2013 को अंतर्राष्ट्रीय कवि सम्मेलन और मुशायरा का आयोजन, 21 नवंबर 2013 को विचार गोष्ठी भारत में लोकतंत्र: कितना सफल और कितना असफल का आयोजन, 03 जनवरी 2014 को नीरज जी का 90वे जन्मदिन का आयोजन, 04 फरवरी 2014 को नीरज जी की पुस्तकें नीरज संचयन व काव्यांजलि का विमोचन तथा अखिल भारतीय कवि सम्मेलन और मुशायरा का आयोजन, 23 मई 2014 को रूहानी संगम - उर्दू शायरी में गीता किताब का विमोचन, 01 अक्टूबर 2014 को गांधी जयंती की पूर्व संध्या पर परिचर्चा "वर्तमान समय में गांधी जी के विचारों की प्रासंगिकता" का आयोजन, 05 दिसंबर 2014 को परिचर्चा - "धर्म और धर्माडंबर" का आयोजन, 04 जनवरी 2015 को 'नीरज' के 91वें जन्मदिन के अवसर पर सांस्कृतिक कार्यक्रम "नीरज निशा" और "हेल्प यू बाल गोपाल शिक्षा योजना" का शुभारंभ, 08 अप्रैल 2015 को नीरज जी की पुस्तक 'गीत श्री' का विमोचन, 26 अप्रैल 2015 को "भारतीय संस्कृति पर संस्कृत का प्रभाव" विषय पर गोष्ठी व लघु नाटक "श्रावणो अभवद वैशाखः" का आयोजन, 17 मई 2015 को 21वीं सदी में भारतीय महिलाओं की सामाजिक चुनौतियां व योगदान विषय पर व्याख्यान एवं महिला काव्य गोष्ठी का आयोजन, 04 जनवरी 2016 को डॉ श्री गोपाल दास 'नीरज' के 92वें जन्मदिन का आयोजन, 08 मार्च 2016 को "हेल्प यू नारी अस्मिता सम्मान-2016" कार्यक्रम, 18 अगस्त 2016 को सामाजिक रक्षाबंधन समारोह, 04 जनवरी 2017 को नीरज जी के 93वें जन्मदिन का आयोजन किया गया I नीरज जी की मृत्यु के उपरांत कारवां चलता रहा और 19 जुलाई 2019 को पद्मभूषण डॉ० गोपालदास 'नीरज' जी की प्रथम पुण्यतिथि पर "नीरज स्मृति" का आयोजन, 03 जनवरी 2022 को नीरज जी की 97वीं जयंती की पूर्व संध्या पर कवि सम्मलेन काव्यांजलि तथा 04 जनवरी 2022 को नृत्य प्रस्तुति "बेमिसाल नीरज : कारवाँ गुज़र गया”, 19 जुलाई 2022 को पद्मभूषण डॉ श्री गोपाल दास नीरज जी की चौथी पुण्यतिथि पर आयोजित ऑनलाइन सांस्कृतिक कार्यक्रम “गीतों के दरवेश : गोपालदास नीरज - गीत श्रद्धांजलि” का आयोजन किया गया | नीरज जी कहा करते थे कि, हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट ने मेरी उम्र बढ़ा दी है और हेल्प यू ट्रस्ट अपने नाम को सार्थक कर रहा है | आज नीरज जी का ही आशीर्वाद है कि हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट निरंतर ही जनहित के कार्यों में अपनी सेवाएं दे रहा है तथा आगे आने वाले वर्षों में हमारे द्वारा यह प्रयास है कि हम हेल्प यू एजुकेशन एंड चैरिटेबल ट्रस्ट की शाखाएं पूरे भारतवर्ष में खोलें और सिर्फ लखनऊ में ही नहीं बल्कि पूरे देश में लोगों की मदद कर सकें |
#YogiAdityanath
#GopalDasNeeraj
Coffee Table Book "Geeton Ke Darvesh : Gopal Das Neeraj"
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www.helputrust.org
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केंद्र जल्द ही 16वें वित्त आयोग के गठन की प्रक्रिया शुरू करेगा | The 16th Finance Commission's creation procedure will shortly be announced by the centre;
Source: www.insightsonindia.com
16वें वित्त आयोग की स्थापना की प्रक्रिया शुरू
वित्त मंत्रालय संवैधानिक निकाय के संदर्भ की शर्तों को अधिसूचित कर सकता है, जिसे इस वर्ष के उत्तरार्ध में केंद्र और राज्यों के बीच राजस्व साझा करने के फॉर्मूले और राज्यों के बीच उनके वितरण की सिफारिश करने का काम सौंपा गया है।
केंद्र सरकार जल्द ही 16वें वित्त आयोग की स्थापना की प्रक्रिया शुरू करेगी, वित्त मंत्रालय ��्वारा संवैधानिक निकाय के संदर्भ की शर्तों को अधिसूचित करने की संभावना है, जिसे केंद्र और राज्यों के बीच राजस्व साझा करने के फॉर्मूले की सिफारिश करने और उनके बीच वितरण की सिफारिश करने का काम सौंपा गया है। राज्यों, इस वर्ष के उत्तरार्ध की ओर।
15वें वित्त आयोग की स्थापना नवंबर 2017 में 2020-21 से पांच साल की अवधि के लिए सिफारिशें करने के लिए की गई थी। जबकि संविधान को हर पांच साल में एक वित्त आयोग (एफसी) की स्थापना की आवश्यकता होती है, 15वें एफसी के शासनादेश को चक्र को तोड़ते हुए 2025-26 तक एक वर्ष के लिए बढ़ा दिया गया था।
15वें वित्त आयोग के अध्यक्ष एन के सिंह ने द हिंदू को बताया
'सामान्य तौर पर, अगला वित्त आयोग अब तक नियुक्त किया जाना चाहिए था, लेकिन चूंकि हमारी रिपोर्ट में पांच के बजाय छह साल शामिल हैं, इसलिए इसे इस साल नियुक्त किया जाना चाहिए।' 2019 के अंत में, आयोग को 2020-21 के लिए एक स्टैंडअलोन रिपोर्ट और 2025-26 तक पांच साल की विस्तारित अवधि के लिए एक और रिपोर्ट देने के लिए कहा गया था।
पिछली बार किसी वित्त आयोग को जून 1987 में गठित 9वें वित्त आयोग के लिए छह साल की समय सीमा दी गई थी। इसे 1989-90 के लिए एक साल की रिपोर्ट और 1994 तक पांच साल के लिए पांच साल की रिपोर्ट जमा करने के लिए कहा गया था। -95। ये रिपोर्ट 1988 और 1990 में प्रस्तुत की गई थी, जब देश के वित्त मंत्री क्रमशः एसबी चव्हाण और मधु दंडवते थे। 10वें वित्त आयोग का गठन अभी भी जून 1992 में संविधान के अनुच्छेद 280 द्वारा निर्दिष्ट पांच साल की समय सीमा के भीतर किया गया था, जो इस बार नहीं हुआ है.....
#Finance commission#indian news#economics#indian economy#indian inflation#16th Finance Commission#world economy#economy
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ऑनलाइन डीलरशिप के जरिए Maruti Suzuki 2 लाख कारें बेचती है | ऑटो
ऑनलाइन डीलरशिप के जरिए Maruti Suzuki 2 लाख कारें बेचती है | ऑटो
16 नवंबर, 2020 08:32 बजे आईएसस्रोत: TOI.in कंपनी ने सोमवार को कहा कि मारुति सुजुकी ने देश भर में लगभग 1000 डीलरशिप को कवर करते हुए सबसे बड़ी ऑनलाइन डिजिटल पहल की स्थापना की है। अप्रैल 2019 से MSIL ने 21 लाख से अधिक डिजिटल पूछताछ के साथ 2 लाख इकाइयां बेची हैं। ऑटो उद्योग में शुरुआती मूवर्स में से एक, 2017 में मारुति सुजुकी ने ऑनलाइन बुकिंग शुरू की। ग्राहक के व्यवहार में ऑनलाइन बदलाव के रूप में,…
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अंतराष्ट्रीय एक दिवसीय क्रिकेट में दोहरा शतक कुछ और तथ्यों के साथ लिखना चाहुंगा - पह���ा तथ्य- एक दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट की शुरुआत 5 जनवरी 1971 से हुई थी, लेकिन पहले दोहरे शतक के लिए इंतज़ार करना पड़ा 26 वर्षों तक। दुसरा तथ्य - जैसे कि बताया कि पहला दोहरा शतक लगाया गया 26 वर्षों बाद तो बात है 13 जून,1997 की जब औस्ट्रेलिया कि क्रिकेटर बेलिंडा क्लार्क ने (229 रन) महिला और अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट का पहला दोहरा शतक लगाया मुंबई में डेनमार्क के विरुद्ध महिला विश्व क्रिकेट में। तीसरा तथ्य - पहले दोहरे शतक के लगभग 13 साल बाद 24 फरवरी , 2010 में ग्वालियर में दक्षिण अफ्रीका के विरुद्ध मास्टर ब्लास्टर सचिन तेंदुलकर ने (200 रन) पुरुष और भारतीय क्रिकेट का पहला दोहरा शतक लगाया। चौथा तथ्य - दुसरा दोहरा शतक भी भारतीय बल्लेबाज ने ही लगाया जब 8 डिसेंबर, 2011 में वीरेंद्र सहवाग ने (219) वेस्ट इंडीज़ के विरुद्ध इंदौर में बनाया। पांचवा तथ्य - इसके बाद आते हैं भारत के टेलेंट रोहित शर्मा जिन्होंने पहले औस्ट्रेलिया के विरुद्ध (209 रन) बेंगलुरु में 2 नवंबर, 2013 को और दुसरा दोहरा शतक (264) और जोकि विश्व रिकॉर्ड भी है श्रीलंका के विरुद्ध 13 नवंबर, 2014 इडेन गार्डन में लगाया। तीसरा दोहरा शतक (208*)उन्होंने श्रीलंका के ही विरूद्ध मोहाली में बनाया 13 दिसंबर, 2017 में बनाया तीन दोहरे शतक लगाने वाले रोहित शर्मा दुनिया के एकमात्र बल्लेबाज बन गए छठवां तथ्य - इसके बाद 2015 विश्व कप में दो दोहरे शतक लगे सबसे पहले क्रिस गेल ने (215 रन) जिंबाब्वे के विरुद्ध केनबेरा में 24 फरवरी, 2015 को और मार्टिन गप्टिल (237 रन) वेस्ट इंडीज़ के विरुद्ध वेलिंगटन में 21 मार्च, 2015 को दोहरा शतक लगाया। सातवां तथ्य - रोहित शर्मा ने (208 रन) श्रीलंका के विरुद्ध फिर से दोहरा शतक लगाया मोहाली में 13 डिसेंबर, 2017 को और दुसरे पुरुष टीम कप्तान बने जिन्होंने दोहरा शतक लगाया है, पहले नंबर पर सहवाग है। आठवां तथ्य - साल 2018 में दो दोहरे शतक आए, पहला अमेलिया केर ने (232 रन) आयरलैंड के विरुद्ध डबलीन में 13 जुन, 2018 में और फखर ज़मान ने 20 जुलाई, 2018 को जिंबाब्वे के विरुद्ध बूलवायो में दोहरा शतक लगाया। नौवा तथ्य - बेलिंडा क्लार्क का 229 का स्कोर महिला क्रिकेट में पुरे 21 साल तक सबसे बड़ा स्कोर था जिसको तोड़ा अमेलिया केर ने और जो अब महिला क्रिकेट का सर्वाधिक स्कोर है। दसवाँ तथ्य - बेलिंडा क्लार्क महिला क्रिकेट टीम की और वीरेन्द्र सहवाग पुरुष टीम के कप्तान के रूप में दोहरे शतक लगाने वाले पहले बल्लेबाज बने। ग्यारहवां तथ्य- क्रिकेट विश्व कप में दोहरा शतक तीन बार लग चुका है - बेलिंडा क्लार्क (229), क्रिस गेल (215) और मार्टिन गप्टिल (237), गप्टिल का स्कोर विश्व कप में सर्वाधिक स्कोर है। बारहवाँ तथ्य - सचिन के रिकॉर्ड के समय क्रिकइंफो का सर्वर क्रेश हो गया था क्योंकि 45 मिलियन लोग एक साथ साइट देख रहे थे कि सचिन का दोहरा शतक हुआ कि नहीं। तेरहवां तथ्य - भारत की ज़मीन पर सबसे ज्यादा दोहरे शतक (6) लगे है, भारतीय बल्लेबाजों ने सबसे ज्यादा बार दोहरे शतक लगाएं है, भारतीय बल्लेबाज रोहित शर्मा का 264 का स्कोर विश्व रिकॉर्ड और पुरुष क्रिकेट का सर्वाधिक स्कोर है। चौ��हवाँ तथ्य - वेस्टइंडीज (2 बार), श्रीलंका (2 बार), जिंबाब्वे (2 बार), इन तीनों टीमों के विरुद्ध ही अभी तक सबसे ज्यादा बार बल्लेबाजो ने दोहरे शतक लगाएं है। पंद्रहवां तथ्य - अभी तक हर दोहरा शतक पहले बल्लेबाजी करने वाली टीम ने बनाया है और अभी तक वही टीम जीती भी है। तस्वीर स्त्रोत- गुगल। जानकारी स्त्रोत - गुगल, विकीपीडिया।
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आज का राशिफल 21 नवंबर 2017,मंगलवार।Aaj Ka Rashifal 21 November ,Tuesday|...
आज का राशिफ़ल.आज का दिन सभी राशियों के लिए क्या लेकर आया है। जानिये कैसा रहेगा आपका दिन..
#आज का राशिफल#21 नवंबर 2017#मंगलवार#Aaj Ka Rashifal#21 november#tuesday#Daly Horoscope#horoscope#astrology#astrologer#rashi#rashifal#predictions#astro guru#astro guruji
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गुजरात विधानसभा चुनाव को लेकर अटकलें, देरी या फिर 3 नवंबर को ऐलान? जानें सभी समीकरण
अहमदाबाद: गुजरात में 15वीं विधानसभा के चुनाव कब होंगे? इसको लेकर अटकलों का दौर जारी है। पहले अनुमान लगाया जा रहा था कि पीएम मोदी के दौरे पर चुनाव आयोग तारीखों का ऐलान हो सकता है। गुजरात के मोरबी में बड़े हादसे के बाद इसमें कुछ दिन के विलंब की बात भी कही जा रही है। इसके पीछे की वजह बताई जा रही है कि गुजरात में 14वीं विधानसभा का कार्यकाल 18 फरवरी, 2023 को पूरा हो रहा है। ऐसे में चुनाव आयोग के पास चुनाव प्रक्रिया संपन्न कराने के लिए कोई जल्दबाजी नहीं है। ऐसे में अब सबकी नजरें 3 नवंबर पर लगी हैं, कि क्या आयोग तीन नवंबर को चुनावों की घोषणा करेगा? 2017 में चुनावों की घोषणा 25 अक्तूबर को हुई तक बनासकांठा में आई बाढ़ एक वजह रही थी, इसके चलते आयोग हिमाचल के साथ चुनाव नहीं करवा पाया था। पहले के चुनाव कब संपन्न हुए? 2017 चुनाव: 9 और 14 दिसंबर 2012 चुनाव: 13 और 17 दिसंबर 2007 चुनाव: 11 और 16 दिसंबर 2002 चुनाव: 12 दिसंबर (एक चरण में) हिमाचल में 8 को है मतगणना गुजरात में विधानसभा कुल सीटों की संख्या 182 हैं। विधानसभा में बहुमत का आंकड़ा 92 सीटों का है। प्रदेश में केंद्रीय चुनाव आयोग की टीम 16 से 18 अक्तूबर के बीच प्रदेश का दौरा किया था। इसके बाद यह माना जा रहा था कि आयोग की तरफ से दिवाली के बाद तारीखों का ऐलान हो सकता है, फिर में 2 नवंबर और अब 3 नवंबर को ऐलान की अटकलें हैं, लेकिन यह भी कहा जा रहा है कि चुनावों के ऐलान में आयोग कुछ और वक्त ले सकता है। चुनाव प्रक्रिया के जानकार लोगों का कहना है कि नामांकन और पोलिंग डेट में न्यूनतम 21 दिन चाहिए, ऐसे में आयोग के सामने इस बार कुछ अलग तरीके से चुनाव संपन्न करा सकता है। गुजरात में अंतिम बार 2002 में एक साथ एक फेस में चुनाव हुए थे। इसके बाद से राज्य में चुनाव दो चरणों में हो रहे हैं, लेकिन पहले चरण के लिए सबसे जल्दी 9 दिसंबर को वोट डाले गए हैं, अब देखना होगा कि क्या नवंबर में वोटिंग होती है या नहीं, क्योंकि के चुनाव���ं की मतगणना 8 दिसंबर को होनी है। मतों की गिनती बाद में हो दूसरी दलील यह है कि अगर आयोग की तरफ तीन नवंबर को चुनावों की घोषणा होती है तो चुनावों के नतीजे साथ आ सकते हैं। अगर चुनावों में देरी होती है तो ऐसा भी संभव है कि चुनाव प्रक्रिया 8 दिसंबर तक पूरी हो जाए और मतगणना बाद में हो। आयोग ने जब हिमाचल चुनावों का ऐलान किया था तब गुजरात चुनावों को लेकर कुछ नहीं कहा था। ऐसे में सस्पेंस बना हुआ कि या 3 नवंबर को तरीखों का ऐलान होगा। अगर ऐसा होता है तो पहली बार ऐसा होगा कि गुजरात में नवंबर के अंत या फिर दिसंब के पहले हफ्ते में वोट पड़ेंगे और बीते 20 सालों में पहली बार न सिर्फ चुनाव नतीजे जल्दी आएंगे, सरकार का गठन भी जल्द हो जाएगा। http://dlvr.it/Sc5Rc7
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Virat Kohli : विराट होगें Playing 11 से बहार , खतरे में है करियर
Virat Kohli : रन मशीन कहा जाने वाला बल्लेबाज आखिर क्यों अपने प्रशंसकों को निराश कर रहे है। जिनके नाम से क्रिकेट को जाना जाता था आखिर क्यों लोग उनको क्रिकेट के दूर करने की बात करने लगे लोग जी हम बात कर रहे हैं भारतीय टीम के स्टार कहे जाने वाले विराट कोहली की.अगर भारतीय क्रिकेट की का जिक्र होता है तो सबकी जुबान पर गिने चुने प्लेयर का नाम आता है जिसमे से एक है किंग कोहली। उन्हें क्रिकेट का किंग कहा जाता है और उनकी उन्दा बल्लेबाज़ी के लिए उन्हें दुनिया भर में पसंद किया जाता है। लेकिन एक समय पर टीम की जान कहे जाने बाले कोहली का क्रिकेट ग्राफ तेजी से नीचे जा रहा है। ऐसे में उनके प्लेइंग 11 से बहार किये जाने के कयास भी जोरो से लगाए जा रहे है।
विराट कोहली ने 2021 में एक भी शतक नहीं लगाया था और इससे पहले उनका ऐसा परफॉरमेंस 2008 में देखा गया था। जब उन्होंने क्रिकेट में कदम रखा था। तब उन्होंने एक भी शतक नहीं बनाया था उसके बाद उन्हें टीम से आउट करने की चर्चा जोरो पर थी लेकिन फिर उन्होंने अपने अच्छे परफॉरमेंस से टीम में अपनी जगह बचा ली थी इसके साथ, कोहली ने 11 टेस्ट में 28.21 के मामूली औसत से 536 रन बनाकर 2021 का अंत किया. उन्होंने 2021 में टेस्ट क्रिकेट में सिर्फ चार अर्धशतक ही बनाए हैं. भारतीय कप्तान ने आखिरी बार 23 नवंबर 2019 को एक अंतर्राष्ट्रीय शतक लगाया था, जहां उन्होंने ईडन गार्डन्स में बांग्लादेश के खिलाफ डे-नाइट टेस्ट में 136 रन की मैच जिताऊ पारी खेली थी.
एक नजर डालते है विराट के शुरुआत से अभी तक की शतकीय परियो पर तोह 2008 उन्होंने एक भी शतक नहीं जड़ा था 2009 में 1 फिर 2010 में ३ ,2011 में उन्होंने 4 , 2012 में उन्होंने 8 और 2013 में 6 2014 में 8 ,2015 में 4, 2016 में 7 , 2017 और 2018 में 11-11 शतक लगाए फिर उसके बाद 2019 में 7 और 2020 और 21 में उन्होंने कोई भी शतक नहीं लगाया। 2021 उनके लिए एक बुरा साल रहा ,-जिसमे उन्होंने एक भी शतक नहीं लगाया उसके ही भारत की t-20 कप्तानी से कोहली ने विदा ले लिया फिर उन्हें oneday कप्तानी से भी हटा दिया गया ।
बात करे आईपीएल की तो इस बार उन्होंने 7 मैच खेले है जिसमे २० से भी काम औसत पर 119 रन बनाए है। और स्ट्राइक रेट 130 से भी काम रहा है। इस सीजन उनके बल्ले से एक भी फिफ्टी नहीं निकला। आईपीएल में उन की परफॉरमेंस की हर जगह निंदा हो। और उनकी ऐसे पर्फोमन्स से चलते उन्हें प्लेइंग 11 से भी बहार किया जा सकता है।
टीम इंडिया के लिए बांग्लादेश के खिलाफ 2019 में उनक��� आखिरी शतक था। फैन को हर बार उसके बाद उनका एक भी शतक देखने को नहीं मिला। विराट के फैन को हर बार बुरी तरह से निराश होकर स्टेडियम से वापस आ जाते है। विराट कोहली की टीम में जगह क्या रहेगी ये तो टीम मैनेजमेंट के हाथ में है। अब रन मशीन कहे जाने वाले विराट क्यों अपने फैंस को इतना निराश कर रहे है
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WTC फ़ाइनल: कराहुल द्रविड़ से खेल रहा है इस का नाम
WTC फ़ाइनल: कराहुल द्रविड़ से खेल रहा है इस का नाम
नई दिल्ली। विश्व परीक्षण के लिए भारत और न्यूजीलैंड की टीम 18 नवंबर 2017 मौसम के लिए नई टीम भारतीय मूल के खिलाड़�� संभावित है। 21 के बराबरी के हिसाब से खराब होने के कारण मिलान रवींद्र (राचिन रवींद्र) को मैच के साथ मैच और WTC खराब हो जाएगा। हों। (एएफपी) . Source link
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नवंबर में बजाज ऑटो की बिक्री 21% बढ़ी
नवंबर में बजाज ऑटो की बिक्री 21% बढ़ी
नवंबर में कंपनी की घरेलू बिक्री पिछले साल की समान अवधि में 1.54 लाख यूनिट से बढ़कर 1.79 लाख यूनिट हो गई। नवंबर में कंपनी की घरेलू बिक्री पिछले साल की समान अवधि में 1.54 लाख यूनिट से बढ़कर 1.79 लाख यूनिट हो गई। न्यूज 18 आखरी अपडेट:2 दिसंबर, 2017, 3:14 PM IST बजाज ऑटो ने नवंबर में बिक्री में अच्छी वृद्धि देखी है। नवंबर में, बजाज ऑटो की कुल बिक्री 21 प्रतिशत बढ़कर 3.26 लाख यूनिट हो गई। जबकि कंपनी…
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1.गणितज्ञ कोमारवोलु चंद्रशेखरन (Mathematician Komaravolu Chandrasekhar)-
गणितज्ञ कोमारवोलु चंद्रशेखरन (Mathematician Komaravolu Chandrasekhar) (21 नवंबर ,1920-13 अप्रैल 2017) ईटीएच ज्यूरिख में एक प्रोफेसर और स्कूल ऑफ मैथमैटिक्स, टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ फंडामेंटल रिसर्च (टीआईएफआर) के एक संस्थापक संकाय सदस्य थे।वह संख्या सिद्धांत और संकलनीयता में अपने काम के लिए जाने जाते हैं।
उन्हें पद्मश्री, शांति स्वरूप भटनागर पुरस्कार और रामानुजन पदक मिले और वे टीआईएफआर के मानद फैलो थे।वह 1971 से 1974 तक अंतर्राष्ट्रीय गणितीय संघ (IMU) के अध्यक्ष थे।
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#Brief introduction of KS Chandrasekaran#Biography of Chandrashekhar#Contribution of Mathematician Komaravolu Chandrasekhar#ks chandrasekhar#narasimhan mathematics#k ananda rau#indian mathematician#chandrashekhar
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अयोध्या में बाबरी मस्जिद के विवादित ढांचे को गिराए करीब 28 साल पूरे हो गए हैं। ढांचे को गिराने के क्रिमिनल केस की सुनवाई लखनऊ में सीबीआई स्पेशल कोर्ट कर रहा था। इस मामले में 32 आरोपी हैं। इनमें पूर्व उप प्र���ानमंत्री लालकृष्ण आडवाणी, उत्तरप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह, भाजपा के दिग्गज नेता मुरली मनोहर जोशी, उमा भारती, विनय कटियार और साक्षी महाराज के साथ-साथ विश्व हिंदू परिषद के कई नेता भी आरोपी हैं।
मामले की सुनवाई लखनऊ की पुरानी हाईकोर्ट बिल्डिंग में अयोध्या प्रकरण कोर्टरूम नंबर 18 में पिछले 28 साल से कछुए की चाल चल रही थी। सुप्रीम कोर्ट ने 19 अप्रैल 2017 को आदेश दिया कि इस मामले में डे-टू-डे बेसिस पर सुनवाई की जाए और मामले की सुनवाई कर रहे जज का ट्रांसफर नहीं होगा। तब जाकर अब फैसले की घड़ी आई है।
सुप्रीम कोर्ट ने राम जन्मभूमि के पक्ष में फैसला सुना तो दिया, अब यह मामला क्या है? 6 दिसंबर 1992 को राम मंदिर आंदोलन के लिए जुटी भीड़ ने बाबरी मस्जिद के विवादित ढांचे को गिरा दिया था। यह माना जाता है कि विवादित ढांचा भगवान श्री राम की जन्मभूमि पर बनाया गया था। ढांचा गिरने के बाद पूरे देश में दंगे भड़के थे। सरकारी आंकड़ों के अनुसार इन दंगों में 1,800 से ज्यादा लोग मारे गए थे।
सुप्रीम कोर्ट ने नवंबर 2019 में जो फैसला सुनाया था, वह जमीन के मालिकाना हक को लेकर था। उसमें कोर्ट ने राम जन्मभूमि मंदिर के पक्ष में फैसला सुनाया था। 5 अगस्त को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राम जन्मभूमि मंदिर का भूमिपूजन किया। यह क्रिमिनल केस उससे पूरी तरह अलग है।
क्या है यह मामला और दर्ज एफआईआर क्या है?
6 दिसंबर 1992 को विवादित ढांचा टूटने के बाद पुलिस ने दो एफआईआर दर्ज की थीं। पहली एफआईआर-नंबर 197/92, जो लाखों अज्ञात कारसेवकों के खिलाफ थी। इन कारसेवकों ने कथित तौर पर हथौड़ों और कुदाल से विवादित ढांचा गिराया था।
दूसरी एफआईआर- नंबर 198/92 आठ लोगों के खिलाफ थी। इनमें आडवाणी, जोशी, उमा भारती और विनय कटियार भाजपा से थे। वहीं, विहिप के अशोक सिंहल, गिरिराज किशोर, विष्णु हरि डालमिया और साध्वी ऋतंभरा थे। इनमें डालमिया, किशोर और सिंहल की मौत हो चुकी है। 47 और एफआईआर दर्ज हुई थी, जो बाबरी ढांचा गिराए जाने के बाद पत्रकारों पर हमलों से जुड़ी थीं। मामले में कुल 32 लोग आरोपी हैं।
इन केसों के बंटवारे पर विवाद था। कारसेवकों के खिलाफ दर्ज एफआईआर 197/92 जांच के लिए सीबीआई के पास गई थी, जबकि एफआईआर 198/92 जांच के लिए सीआईडी को सौंपी गई थी। 27 अगस्त 1993 को यूपी सरकार ने इस मामले से जुड़े सभी केस सीबीआई को दे दिए गए थे।
आपराधिक साजिश का आरोप कब जुड़ा? सीबीआई ने 5 अक्टूबर 1993 को ��हली चार्जशीट दाखिल की। इसमें 40 लोगों को आरोपी बनाया था। इनमें भाजपा-विहिप के 8 नेता भी शामिल थे। दो साल चली जांच के बाद 10 जनवरी 1996 को सीबीआई ने सप्लीमेंट्री चार्जशीट दाखिल की। आरोप लगाया कि बाबरी मस्जिद गिराने की एक सुनियोजित साजिश थी।
सीबीआई ने एफआईआर में 9 और लोगों को जोड़ा। उनके खिलाफ आपराधिक साजिश यानी आईपीसी की धारा 120(बी) के आरोप लगाए। इनमें शिवसेना के नेता बाल ठाकरे और मोरेश्वर सावे शामिल थे। 1997 में लखनऊ मजिस्ट्रेट ने सभी 48 आरोपियों के खिलाफ आरोप तय करने के आदेश दिए। लेकिन, 34 आरोपियों ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में आरोप तय करने के खिलाफ याचिका लगाई और प्रक्रिया पर रोक लग गई।
इस मामले में सुनवाई में देर कहां हुई? इस मामले में चार साल तक कुछ नहीं हुआ। हाईकोर्ट के स्टे ऑर्डर की वजह से कागज तक नहीं हिला। 12 फरवरी 2001 को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने आडवाणी, जोशी, उमा, कल्याण सिंह और अन्य के खिलाफ आपराधिक साजिश की धारा हटाने का आदेश दिया। इससे केस कमजोर हो गया।
तीन महीने के भीतर 4 मई 2001 को लखनऊ की स्पेशल कोर्ट ने एफआईआर 197/92 और 198/92 को अलग-अलग सुनवाई के लिए लिया। यह भी कहा कि 21 आरोपियों के खिलाफ रायबरेली की कोर्ट में सुनवाई होगी। वहीं, 27 आरोपियों के खिलाफ सुनवाई लखनऊ में होगी।
सीबीआई ने तब इलाहाबाद हाईकोर्ट में आपराधिक साजिश का आरोप हटाने के आदेश का रिव्यू करने के लिए याचिका लगाई। लेकिन, यह याचिका खारिज हो गई। 16 जून को सीबीआई ने यूपी सरकार को पत्र लिखकर कहा कि ट्रायल दोबारा शुरू करने के लिए नोटिफिकेशन जारी करें।
जुलाई 2003 में सीबीआई ने आडवाणी के खिलाफ आपराधिक साजिश का आरोप वापस ले लिया और रायबरेली कोर्ट में नए सिरे से चार्जशीट दाखिल की। लेकिन, जुलाई 2005 में हाईकोर्ट ने आडवाणी के खिलाफ 'नफरत फैलाने' का आरोप तय किया। 2010 तक दोनों केस अलग-अलग अदालतों में चलते रहे।
2011 में सीबीआई ��खिर सुप्रीम कोर्ट पहुंची और वहां यह तय हुआ कि रायबरेली की सुनवाई भी लखनऊ ट्रांसफर की जाए। अगले सात साल तक अदालतों में आरोप तय होने को लेकर रिव्यू याचिकाएं दाखिल होती रहीं। 19 अप्रैल 2017 को आडवाणी और अन्य आरोपियों पर फिर से आपराधिक साजिश का आरोप तय हुआ।
सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के आदेश को त्रुटिपूर्ण करार देते हुए सीबीआई की भी इस बात को लेकर खिंचाई की कि उस आदेश को पहले चुनौती क्यों नहीं दी गई? तकनीकी तौर पर 2010 में ही ट्रायल शुरू हो सका। आरोप तय होने के स्टेज पर सुनवाई अटकी रही क्योंकि अधिकांश आरोपी हाईकोर्ट में थे।
इस मामले में आरोपियों के खिलाफ सबूत क्या हैं? बाबरी ढांचे के विध्वंस से जुड़े मामले में 30-40 हजार गवाह थे। ट्रायल में मौखिक गवाही महत्वपूर्ण रही। मौखिक सबूतों में गवाहों के पुलिस को दिए बयानों को लिया गया। सीबीआई ने जांच के दौरान 1,026 गवाहों की सूची बनाई। इसमें ज्यादातर पुलिसकर्मी और पत्रकार थे।
आठ भाजपा और विहिप नेताओं के खिलाफ आपराधिक साजिश का आरोप साबित करने के लिए मौखिक आरोप ही हैं। इस वजह से सीबीआई ने अतिरिक्त प्रयास किए ताकि ज्यादा से ज्यादा गवाहों को जुटाया जा सके। 2010 से सीबीआई की कई टीमों ने देशभर का दौरा किया और लोगों को कोर्ट में पेश होने के लिए समन दिए। कुछ को तो इंग्लैंड और म्यांमार में भी ट्रेस किया है। हजारों में से सिर्फ 351 गवाह ही कोर्ट में बयान देने पहुंच सके।
मौखिक सबूतों में इन नेताओं की ओर से दिए गए भाषण शामिल हैं। खासकर 1990 में अयोध्या में राम जन्मभूमि मंदिर के लिए जब लालकृष्ण आडवाणी ने रथयात्रा शुरू की, उस दौरान दिए गए बयानों को सबूत माना गया। यह बताता है कि ढांचे को गिराने का विचार 1990 में ही आया, जो बताता है कि यह साजिश थी।
दस्तावेजी सबूत भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे। इसमें घटना की न्यूज रिपोर्ट्स शामिल हैं। साथ ही 6 दिसंबर 1992 को खींचे गए फोटोग्राफ्स और बनाए गए वीडियो। विभिन्न चैनलों ने 100 यू-मेटिक वीडियो कैसेट्स सौंपे हैं, जिन्हें 27-इंच के सोनी टीवी और दो वीसीआर पर चलाया गया।
इस मामले में क्या उम्मीद कर सकते हैं? 9 नवंबर 2019 को सुप्रीम कोर्ट ने हिंदुओं के दावे को स्वीकार करते हुए कहा कि बाबरी ढांचे को गिराना कानून के शासन का उल्लंघन था। जो भी गलत हुआ है, उसे ठीक किया जाना आवश्यक है। संविधान के आर्टिकल 142 के तहत कोर्ट ने यह भी कहा कि केंद्र सरकार या उत्तरप्रदेश सरकार को अयोध्या में सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड को मस्जिद बनाने के लिए पांच एकड़ जमीन देनी चाहिए।
यह देखा जाना चाहिए कि क्या सुप्रीम कोर्ट के बयान का इस फैसले पर कोई असर होता है। सरकारी पक्ष ने अपनी अंतिम दलीलों में कहा है कि जिन भी लोगों ने साजिश रची, उन्हें सजा दी जानी चाहिए। डिफेंस का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट के अंतिम फैसले ने हिंदुओं के दावे को सही साबित किया है।
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Everything you need to know about the Criminal Case a day before the result
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मुंबई को पीओके बताने और ड्रग्स मामले में बॉलीवुड को घसीटने के बाद से कंगना रनोट लगातार विवादों में हैं। फिलहाल, वे मनाली में हैं। लेकिन उन्हें लौटकर मुंबई ही आना है। क्योंकि यह उनकी कर्मभूमि है। उनकी 4 फिल्में 'तेजस', 'धाकड़', थलाइवी' और 'इमली' कतार में हैं। ट्रेड एनालिस्ट अतुल मोहन की मानें तो कंगना की हर फिल्म का एवरेज बजट (कंगना की फीस, मेकिंग, मार्केटिंग सब मिलाकर) 60-70 करोड़ रुपए पहुंच जाता है। इस हिसाब से कंगना पर बॉलीवुड का 250-300 करोड़ रुपए का दांव लगा हुआ है।
विवादों का क्या असर हो सकता है शिवसेना से पंगा की वजह से महाराष्ट्र में कंगना की फिल्मों का विरोध हो सकता है। लेकिन बॉलीवुड से विवाद का बहुत ज्यादा प्रभाव नहीं पड़ेगा। अतुल मोहन कहते हैं, "कंगना रनोट को यह पहले से ही क्लियर था कि बड़े प्रोडक्शन हाउस उन्हें काम नहीं देंगे। इसलिए उन्होंने अपना प्रोडक्शन हाउस शुरू किया है। इसके अलावा वे ��से लोगों के साथ काम कर रही हैं, जो नॉन स्टूडियो हैं या नॉन बिग फिल्ममेकर हैं। वे सबकुछ अपने दम पर करना चाहती हैं। वे किसी पर निर्भर नहीं हैं।"
'थलाइवी' के लिए कंगना ने पिछले साल नवंबर से शूटिंग शुरू कर दी है। फिल्म का डायरेक्शन एल विजय का है। यह फिल्म तमिल, तेलुगु और हिंदी में रिलीज होगी।
कितनी है कंगना रनोट की प्रॉपर्टी?
कंगना की कुल संपत्ति की बात करें तो यह करीब 96 करोड़ रुपए की है। इसमें उनके तीन घर और दो करें शामिल हैं। उनकी कमाई खासकर फिल्मों और ब्रांड इडोर्समेंट से होती है।
बॉलीवुड की हाईएस्ट पेड एक्ट्रेस हैं कंगना
कंगना रनोट बॉलीवुड की सबसे ज्यादा फीस लेने वाली एक्ट्रेस हैं। ट्रेड एनालिस्ट अतुल मोहन के मुताबिक, कंगना एक फिल्म के लिए एवरेज 17-18 करोड़ रुपए चार्ज करती हैं। अपकमिंग फिल्म 'धाकड़' के लिए उन्होंने करीब 21 करोड़ रुपए लिए हैं। वहीं, जयललिता की बायोपिक 'थलाइवी' के लिए भी उन्होंने 21- 22 करोड़ रुपए चार्ज किए हैं। कंगना के बाद दीपिका पादुकोण बॉलीवुड की सबसे महंगी एक्ट्रेस हैं। वे एक फिल्म के लिए 11-12 करोड़ रुपए चार्ज करती हैं।
ब्रांड इडोर्समेंट के लिए 3-8 करोड़ रुपए
अतुल मोहन की मानें तो बड़े स्टार्स को ब्रांड इडोर्समेंट के लिए एक साल के 3-8 करोड़ रुपए मिल जाते हैं। चूंकि कंगना बॉलीवुड की हाईएस्ट पेड एक्ट्रेस हैं। ऐसे में वे बाकी एक्ट्रेसेस के मुकाबले ज्यादा चार्ज करती होंगी। 2019-20 की रिपोर्ट्स के मुताबिक, कंगना आदित्य बिरला ग्रुप के लीवा, सिग्नेचर मास्टरपीस-डिआगो, इमामी बोरोप्लस, खादिम और फैशन डिजाइनर अनिता डोगरे के ग्लोबल देसी की ब्रांड एम्बेसडर हैं।
कंगना के तीन घर
पहला घर 2013 में खरीदा।
कंगना ने मार्च 2013 में खार वेस्ट की आर्किड ब्रीज नाम की बिल्डिंग में तीन फ्लैट खरीदे थे। फ्लैट नंबर 501, 502 और 503 का एरिया क्रमशः 797, 711 और 459 वर्गफीट है। कंगना ने इन तीनों फ्लैट्स के लिए क्रमशः 5.50 करोड़, 5.25 करोड़ रुपए और 3.25 करोड़ रुपए चुकाए थे। तीनों फ्लैट्स की सामूहिक कीमत 14 करोड़ रुपए होती है।
कंगना इन फ्लैट्स की पहली मालकिन नहीं हैं। उन्होंने ये हेरिटेज एनबिल्ड प्राइवेट लिमिटेड से खरीदे थे। जबकि हेरिटेज ने 2011 में यह प्रॉपर्टी निहार कंस्ट्रक्शन प्राइवेट लिमिटेड से खरीदी थी।
2017 में मुंबई में बंगला खरीदा।
कंगना रनोट ने 2017 में पाली हिल पर तीन मंजिला इमारत खरीदी थी। रिपोर्ट्स की मानें तो उन्होंने इसके लिए 20 करोड़ रुपए चुकाए थे। उन्होंने इस बिल्डिंग को अपने ऑफिस कम स्टूडियो के रूप में डेवलप कराया, जिसका नाम मणिकर्णिका फिल्म्स रखा। इसकी खरीदी से लेकर निर्माण तक कंगना ने 48 करोड़ रुपए खर्च किए।
मनाली में 8 बेडरूम वाला बंगला।
कंगना रनोट के मनाली वाली बंगले की बाजार कीमत करीब 30 करोड़ रुपए बताई जाती है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, यह 8 बेडरूम वाला बंगला एक्ट्रेस ने 10 करोड़ रुपए में खरीदा था। बाकी 20 करोड़ रुपए उन्होंने इसे फिर से बनवाने में खर्च किए हैं। यह बंगला उन्होंने 2018 की शुरुआत में खरीदा था।
कंगना की दो कारें
पहली कार 21 की उम्र में खरीदी।
कंगना तब महज 21 साल की थीं, जब उन्होंने अपनी पहली कार के रूप में BMW 7- सीरीज खरीदी थी। 2008 में खरीदी गई इस कार की एक्स-शोरूम कीमत आज की तारीख में 1.35 करोड़ से 2.44 करोड़ रुपए के करीब है। हालांकि, 2008 में इसकी कीमत कुछ कम रही होगी।
दूसरी कार 2019 में खरीदी।
कंगना ने दूसरी कार 2019 में अपनी फिल्म 'जजमेंटल है क्या' की रिलीज के बाद खरीदी। खासकर अपने मनाली (हिमाचल प्रदेश) वाले घर के लिए खरीदी गई मर्सिडीज बेंज जीएलई- क्लास एसयूवी की एक्स-शोरूम कीमत 73.7 लाख रुपए से 1.25 करोड़ रुपए के बीच है।
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2019 में फोर्ब्स मैगजीन ने कंगना की सालाना कमाई 17 करोड़ रुपए बताई थी। इस पर उनकी बहन रंगोली चंदेल भड़क गई थीं। उन्होंने अपने एक ट्वीट में लिखा था कि फोर्ब्स ने कंगना की जितनी कमाई बताई है, उससे ज्यादा तो वे टैक्स भरती हैं।
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मुंबई को पीओके बताने और ड्रग्स मामले में बॉलीवुड को घसीटने के बाद से कंगना रनोट लगातार विवादों में हैं। फिलहाल, वे मनाली में हैं। लेकिन उन्हें लौटकर मुंबई ही आना है। क्योंकि यह उनकी कर्मभूमि है। उनकी 4 फिल्में 'तेजस', 'धाकड़', थलाइवी' और 'इमली' कतार में हैं। ट्रेड एनालिस्ट अतुल मोहन की मानें तो कंगना की हर फिल्म का एवरेज बजट (कंगना की फीस, मेकिंग, मार्केटिंग सब मिलाकर) 60-70 करोड़ रुपए पहुंच जाता है। इस हिसाब से कंगना पर बॉलीवुड का 250-300 करोड़ रुपए का दांव लगा हुआ है।
विवादों का क्या असर हो सकता है शिवसेना से पंगा की वजह से महाराष्ट्र में कंगना की फिल्मों का विरोध हो सकता है। लेकिन बॉलीवुड से विवाद का बहुत ज्यादा प्रभाव नहीं पड़ेगा। अतुल मोहन कहते हैं, "कंगना रनोट को यह पहले से ही क्लियर था कि बड़े प्रोडक्शन हाउस उन्हें काम नहीं देंगे। इसलिए उन्होंने अपना प्रोडक्शन हाउस शुरू किया है। इसके अलावा वे ऐसे लोगों के साथ काम कर रही हैं, जो नॉन स्टूडियो हैं या नॉन बिग फिल्ममेकर हैं। वे सबकुछ अपने दम पर करना चाहती हैं। वे किसी पर निर्भर नहीं हैं।"
'थलाइवी' के लिए कंगना ने पिछले साल नवंबर से शूटिंग शुरू कर दी है। फिल्म का डायरेक्शन एल विजय का है। यह फिल्म तमिल, तेलुगु और हिंदी में रिलीज होगी।
कितनी है कंगना रनोट की प्रॉपर्टी?
कंगना की कुल संपत्ति की बात करें तो यह करीब 96 करोड़ रुपए की है। इसमें उनके तीन घर और दो करें शामिल हैं। उनकी कमाई खासकर फिल्मों और ब्रांड इडोर्समेंट से होती है।
बॉलीवुड की हाईएस्ट पेड एक्ट्रेस हैं कंगना
कंगना रनोट बॉलीवुड की सबसे ज्यादा फीस लेने वाली एक्ट्रेस हैं। ट्रेड एनालिस्ट अतुल मोहन के मुताबिक, कंगना एक फिल्म के लिए एवरेज 17-18 करोड़ रुपए चार्ज करती हैं। अपकमिंग फिल्म 'धाकड़' के लिए उन्होंने करीब 21 करोड़ रुपए लिए हैं। वहीं, जयललिता की बायोपिक 'थलाइवी' के लिए भी उन्होंने 21- 22 करोड़ रुपए चार्ज किए हैं। कंगना के बाद दीपिका पादुकोण बॉलीवुड की सबसे महंगी एक्ट्रेस हैं। वे एक फिल्म के लिए 11-12 करोड़ रुपए चार्ज करती हैं।
ब्रांड इडोर्समेंट के लिए 3-8 करोड़ रुपए
अतुल मोहन की मानें तो बड़े स्टार्स को ब्रांड इडोर्समेंट के लिए एक साल के 3-8 करोड़ रुपए मिल जाते हैं। चूंकि कंगना बॉलीवुड की हाईएस्ट पेड एक्ट्रेस हैं। ऐसे में वे बाकी एक्ट्रेसेस के मुकाबले ज्यादा चार्ज करती होंगी। 2019-20 की रिपोर्ट्स के मुताबिक, कंगना आदित्य बिरला ग्रुप के लीवा, सिग्नेचर मास्टरपीस-डिआगो, इमामी बोरोप्लस, खादिम और फैशन डिजाइनर अनिता डोगरे के ग्लोबल देसी की ब्रांड एम्बेसडर हैं।
कंगना के तीन घर
पहला घर 2013 में खरीदा।
कंगना ने मार्च 2013 में खार वेस्ट की आर्किड ब्रीज नाम की बिल्डिंग में तीन फ्लैट खरीदे थे। फ्लैट नंबर 501, 502 और 503 का एरिया क्रमशः 797, 711 और 459 वर्गफीट है। कंगना ने इन तीनों फ्लैट्स के लिए क्रमशः 5.50 करोड़, 5.25 करोड़ रुपए और 3.25 करोड़ रुपए चुकाए थे। तीनों फ्लैट्स की सामूहिक कीमत 14 करोड़ रुपए होती है।
कंगना इन फ्लैट्स की पहली मालकिन नहीं हैं। उन्होंने ये हेरिटेज एनबिल्ड प्राइवेट लिमिटेड से खरीदे थे। जबकि हेरिटेज ने 2011 में यह प्रॉपर्टी निहार कंस्ट्रक्शन प्राइवेट लिमिटेड से खरीदी थी।
2017 में मुंबई में बंगला खरीदा।
कंगना रनोट ने 2017 में पाली हिल पर तीन मंजिला इमारत खरीदी थी। रिपोर्ट्स की मानें तो उन्होंने इसके लिए 20 करोड़ रुपए चुकाए थे। उन्होंने इस बिल्डिंग को अपने ऑफिस कम स्टूडियो के रूप में डेवलप कराया, जिसका नाम मणिकर्णिका फिल्म्स रखा। इसकी खरीदी से लेकर निर्माण तक कंगना ने 48 करोड़ रुपए खर्च किए।
मनाली में 8 बेडरूम वाला बंगला।
कंगना रनोट के मनाली वाली बंगले की बाजार कीमत करीब 30 करोड़ रुपए बताई जाती है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, यह 8 बेडरूम वाला बंगला एक्ट्रेस ने 10 करोड़ रुपए में खरीदा था। बाकी 20 करोड़ रुपए उन्होंने इसे फिर से बनवाने में खर्च किए हैं। यह बंगला उन्होंने 2018 की शुरुआत में खरीदा था।
कंगना की दो कारें
पहली कार 21 की उम्र में खरीदी।
कंगना तब महज 21 साल की थीं, जब उन्होंने अपनी पहली कार के रूप में BMW 7- सीरीज खरीदी थी। 2008 में खरीदी गई इस कार की एक्स-शोरूम कीमत आज की तारीख में 1.35 करोड़ से 2.44 करोड़ रुपए के करीब है। हालांकि, 2008 में इसकी कीमत कुछ कम रही होगी।
दूसरी कार 2019 में खरीदी।
कंगना ने दूसरी कार 2019 में अपनी फिल्म 'जजमेंटल है क्या' की रिलीज के बाद खरीदी। खासकर अपने मनाली (हिमाचल प्रदेश) वाले घर के लिए खरीदी गई मर्सिडीज बेंज जीएलई- क्लास एसयूवी की एक्स-शोरूम कीमत 73.7 लाख रुपए से 1.25 करोड़ रुपए के बीच है।
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2019 में फोर्ब्स मैगजीन ने कंगना की सालाना कमाई 17 करोड़ रुपए बताई थी। इस पर उनकी बहन रंगोली चंदेल भड़क गई थीं। उन्होंने अपने एक ट्वीट में लिखा था कि फोर्ब्स ने कंगना की जितनी कमाई बताई है, उससे ज्यादा तो वे टैक्स भरती हैं।
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अयोध्या में 5 सदी बाद बनेगा भव्य राम मंदिर, जानिए शुरू से लेकर अब तक की कहानी
चैतन्य भारत न्यूज अयोध्या. 05 अगस्त को अयोध्या में राम मंदिर का भूमि पूजन होगा। खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इसमें शामिल होंगे। 5 अगस्त सुबह 8 बजे से अंतिम अनुष्ठान होगा। अयोध्या में पांच सदी के बाद अब राम मंदिर का निर्माण होने जा रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 5 अगस्त को अयोध्या में राम मंदिर का भूमि पूजन करेंगे। पिछले सप्ताह ही मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी अयोध्या जाकर तैयारियों का जायजा लिया था। माना जाता है कि बाबर के दौर में अयोध्या में राम मंदिर को तुड़वाकर मस्जिद का निर्माण कराया गया था। पिछले पांच सदी से यह विवाद था, जिसने देश की राजनीतिक दशा और दिशा को बदल दिया है। आजादी के बाद से अबतक इस विवाद ने देश की राजनीति को प्रभावित किया है। अयोध्या को लेकर देश भर में आंदोलन किए गए, कानूनी लड़ाई भी लड़ी गई और सुप्रीम कोर्ट के जरिए राम मंदिर निर्माण का मार्ग प्रशस्त हुआ। माना जाता है कि मुगल राजा बाबर 1526 में भारत आया था और उसके सेनापति मीर बाकी ने करीब 500 साल पहले 1528 में राम मंदिर को तोड़कर मस्जिद बनवाई थी, जिसे बाबरी मस्जिद के नाम से जाना जाता था। साल 1528 तक उसका साम्राज्य अवध (वर्तमान अयोध्या) तक पहुंच गया। दिसंबर 1949 में इस 'जन्मस्थान' पर भगवान राम और सीता माता की मूर्ति पाई गई। कहा जाता है कि मस्जिद में भगवान राम की मूर्ति हिंदुओं ने रखवाई। वहीं हिंदुओं का दावा है कि यह एक चमत्कार था और इसे सबूत के तौर पर पेश करते हैं कि यह सचमुच श्री राम का जन्मस्थान था। मुस्लिमों ने इस पर विरोध व्यक्त किया और मस्जिद में नमाज पढ़ना बंद कर दिया। इसके बाद दोनों पक्षों ने कोर्ट में मुकदमा दर्ज कराया। फिर सरकार ने इस स्थल को विवादित घोषित कर यहां ताला लगवा दिया। जनवरी 1950 में हिंदू महासभा के गोपाल सिंह विशारद ने फैजाबाद कोर्ट में अपील दायर कर भगवान राम की पूजा की इजाजत मांगी। महंत रामचंद्र दास ने मस्जिद में हिंदुओं द्वारा पूजा जार��� रखने के लिए याचिका लगाई। इसी दौरान मस्जिद को 'ढांचा' के रूप में संबोधित किया गया। फिर 1959 में निर्मोही अखाड़ा ने विवादित स्थल के हस्तांतरण के लिए केस दर्ज किया। वहीं, मुस्लिमों की तरफ से साल 1961 में उत्तर प्रदेश सुन्नी वक्फ बोर्ड ने केस दर्ज कर मस्जिद पर अपने मालिकाना हक का दावा किया। यह केस 50 साल से अदालतों में चक्कर लगाता रहा। फरवरी 1984 में विश्व हिंदू परिषद के नेतृत्व में हिंदुओं ने भगवान राम के जन्मस्थल को मुक्त करने और वहां राम मंदिर बनाने के लिए एक समिति का गठन किया। जिला मजिस्ट्रेट ने हिंदुओं को प्रार्थना करने के लिए विवादित स्थल के दरवाजे से ताला खोलने का आदेश दिया। मुसलमानों ने इसके विरोध में बाबरी मस्जिद संघर्ष समिति/बाबरी मस्जिद एक्शन कमेटी बनाई। साल 1989 जून में बीजेपी ने इस मामले में विश्व हिंदू परिषद को औपचारिक समर्थन दिया। रामलला की तरफ से वीएचपी नेता देवकीनंदन अग्रवाल ने मंदिर के दावे का मुकदमा किया। नवंबर में मस्जिद से थोड़ी दूर पर राम मंदिर का शिलान्यास किया गया। 25 सितंबर 1990 में बीजेपी के तत्कालीन अध्यक्ष लाल कृष्ण आडवाणी ने गुजरात के सोमनाथ से उत्तर प्रदेश के अयोध्या तक रथ यात्रा निकाली, जिससे कि हिंदुओं को इस महत्वपूर्ण मु्द्दे से अवगत कराया जा सके। इसके नतीजे में गुजरात, कर्नाटक, उत्तर प्रदेश और आंध्र प्रदेश में दंगे भड़क गए और ढेरों इलाके कर्फ्यू की चपेट में आ गए। फिर 23 अक्टूबर को बिहार में लालू प्रसाद यादव ने आडवाणी की रथ यात्रा को रुकवा कर उन्हें गिरफ्तार करवा लिया। लेकिन मंदिर निर्माण के लिए देशभर से लाखों ईंटे अयोध्या भेजी गईं। इसके बाद भाजपा ने तत्कालीन प्रधानमंत्री वीपी सिंह की सरकार से समर्थन वापस ले लिया। 30 अक्टूबर 1990 को अयोध्या में श्रीराम जन्मभूमि आंदोलन के लिए पहली बार कारसेवा हुई थी। उन्होंने मस्जिद पर चढ़कर झंडा फहराया, जिसके बाद पुलिस की गोलीबारी में पांच कारसेवकों की मौत हो गई थी। मुलायम सिंह यादव की सरकार ने पुलिस को गोली चलाने का आदेश दिया था। साल 1991 जून में उत्तर प्रदेश में चुनाव हुए जिसमें मुलायम सिंह यादव की सरकार हार गई। फिर उत्तरप्रदेश में बीजेपी की सरकार बन गई। 6 दिसंबर 1992 में बाबरी मस्जिद ढहा दिया गया और इसी के साथ देश में दंगे शुरू हो गए। 30-31 अक्टूबर 1992 को धर्मसंसद में कारसेवा की घोषणा की गई। नवंबर में यूपी के सीएम कल्याण सिंह ने अदालत में मस्जिद की हिफाजत करने का हलफनामा दिया। ये विवाद में ऐतिहासिक दिन के तौर पर याद रखा जाता है, इस रोज हजारों की संख्या में कारसेवकों ने अयोध्या पहुंचकर बाबरी मस्जिद ढहा दिया। अस्थाई राम मंदिर बना दिया गया। इसके बाद ही पूरे देश में चारों ओर सांप्रदायिक दंगे होने लगे। इसमें करीब 2000 लोगों क�� मारे गए। 16 दिसंबर 1992: मस्जिद ढहाने की जांच के लिए लिब्रहान आयोग बना जिसके जज एमएस लिब्रहान के नेतृत्व में जांच शुरू की गई। 1994: इलाहाबाद हाईकोर्ट में केस शुरू हुआ। सितंबर 1997: मस्जिद ढहाने को लेकर 49 लोग दोषी करार दिए गए। इसमें भारतीय जनता पार्टी के कुछ प्रमुख नेताओं के नाम भी थे। बाबरी मस्जिद विध्वंस की बरसी पर तनाव बढ़ गया। विश्व हिंदू परिषद ने कहा कि मार्च 2002 को अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण कराया जाएगा। जनवरी-फरवरी 2002: प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेयी ने मामला सुलझाने के लिए अयोध्या समिति का गठन किया। भाजपा ने उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के लिए अपने घोषणापत्र में राम मंदिर निर्माण के मुद्दे को शामिल करने से इनकार कर दिया। फिर विश्व हिंदू परिषद ने 15 मार्च से राम मंदिर निर्माण कार्य शुरू करने की घोषणा कर दी। सैकड़ों हिंदू कार्यकर्ता अयोध्या में इकठ्ठा हुए। फरवरी अयोध्या से लौट रहे हिंदू कार्यकर्ता जिस रेलगाड़ी में यात्रा कर रहे थे उस पर गोधरा में हुए हमले में 58 कार्यकर्ता मारे गए। 13 मार्च 2002: सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि, अयोध्या में यथास्थिति बरकरार रखी जाएगी। किसी को भी सरकार द्वारा अधिग्रहित जमीन पर शिलापूजन की अनुमति नहीं होगी। अप्रैल 2002 में हाईकोर्ट के तीन जजों की पीठ ने विवादित स्थल के मालिकाना हक को लेकर सुनवाई शुरू की। मार्च-अगस्त 2003: हाई कोर्ट के निर्देश पर भारतीय पुरातत्व विभाग ने विवादित स्थल के नीचे खुदाई की। इसके बाद पुरातत्वविदों ने कहा कि, मस्जिद के नीचे मंदिर से मिलते-जुलते अवशेष के प्रमाण मिले हैं। मई 2003: सीबीआई ने अयोध्या में बाबरी मस्जिद गिराए जाने के मामले में लाल कृष्णा आडवाणी समेत 8 लोगों के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल किया। अगस्त 2003: लालकृष्ण आडवाणी ने राम मंदिर निर्माण के लिए विशेष विधेयक लाने का प्रस्ताव को ठुकराया। अप्रैल-जुलाई 2004: लालकृष्ण आडवाणी ने अस्थाई मंदिर में पूजा की और कहा, मंदिर का निर्माण तो जरूर होगा। 4 अगस्त 2005: फैजाबाद की कोर्ट ने विवादित स्थल के पास हुए हमले के आरोप में चार लोगों को न्यायिक हिरासत में भेजा। जुलाई 2006: सरकार ने अयोध्या में विवादित स्थल पर बने अस्थाई राम मंदिर की सुरक्षा के लिए बुलेटप्रूफ कांच का घेरा बनाए जाने का प्रस्ताव किया। लेकिन मुस्लिम समुदाय ने इस प्रस्ताव का विरोध किया। 19 मार्च 2007: राहुल गांधी ने कहा था कि, अगर नेहरू-गांधी परिवार का कोई सदस्य प्रधानमंत्री होता तो बाबरी मस्जिद न गिरी होती। 30 जून-नवंबर 2009: बाबरी मस्जिद ढहाने के मामले में जांच के लिए गठित गठित लिब्रहान आयोग ने 17 साल बाद अपनी रिपोर्ट तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को सौंपी। 26 जुलाई 2010: अयोध्या विवाद पर हाईकोर्ट में सुनवाई पूरी हुई। स��तंबर 2010: हाईकोर्ट ने अयोध्या विवाद पर 24 सितंबर को फैसला सुनाने की घोषणा की। लेकिन 28 सितंबर को हाईकोर्ट ने फैसला टालने की अर्जी खारि�� की। 30 सितंबर 2010: इलाहाबाद हाई कोर्ट ने विवादित स्थल को तीन हिस्सों में बांट दिया। इसमें एक हिस्सा राम मंदिर, दूसरा सुन्नी वक्फ बोर्ड और निर्मोही अखाड़े को मिला। 9 मई 2011: सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले पर रोक लगाई। इसके खिलाफ 14 अपील दाखिल हुई। मार्च-अप्रैल 2017: 21 मार्च को सुप्रीम कोर्ट ने आपसी सहमति से इस विवाद को सुलझाने की बात कही। साथ ही कोर्ट ने बाबरी मस्जिद गिराए जाने के मामले में लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, उमा भारती सहित बीजेपी और आरएसएस के और कई नेताओं के खिलाफ आपराधिक केस चलाने का आदेश दिया। नवंबर-दिसंबर 2017: 8 नवंबर को उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मुलाकात के बाद शिया वक्फ बोर्ड के चेयरमैन वसीम रिजवी ने कहा था कि, अयोध्या में विवादित स्थल पर राम मंदिर ही बनना चाहिए और वहां से थोड़ा दूर हटके मस्जिद बनना चाहिए। 16 नवंबर को आध्यात्मिक गुरु श्रीश्री रविशंकर ने भी इस मामले को सुलझाने के लिए कोशिश की। इस मामले में उन्होंने कई पक्षों से मुलाकात की। 8 फरवरी 2018 को सुन्नी वक्फ बोर्ड के वकील राजीव धवन ने सुप्रीम कोर्ट से मामले पर नियमित सुनवाई करने की अपील की। लेकिन उनकी यह अपील खारिज हो गई। 27 सितंबर 2018: कोर्ट ने 1994 के फैसले जिसमें यह कहा गया था कि 'मस्जिद इस्लाम का अनिवार्य अंग नहीं' को बड़ी बेंच को भेजने से इंकार कर दिया और कहा कि, अयोध्या में राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद में दीवानी वाद का निर्णय साक्ष्यों के आधार पर होगा और पूर्व का फैसला सिर्फ भूमि आधिग्रहण के केस में ही लागू होगा। 29 अक्टूबर 2018: सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले की सुनवाई जनवरी 2019 तक के लिए टाल दी। 1 जनवरी 2019: पीएम मोदी ने कहा था कि, अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण के लिए अध्यादेश पर फैसला कानूनी प्रक्रिया पूरी होने के बाद ही लिया जा सकता है। 8 मार्च 2019: सुप्रीम कोर्ट ने मामले को मध्यस्थता के लिए भेजा। साथ ही पैनल को 8 हफ्ते के अंदर इस मामले की कार्यवाही खत्म करने का आदेश दिया। अगस्त 2019: 1 अगस्त को मध्यस्थता पैनल ने रिपोर्ट पेश की। फिर सुप्रीम कोर्ट ने 2 अगस्त को कहा कि, मध्यस्थता पैनल मामले का समाधान निकालने में विफल रहा। 6 अगस्त : सुप्रीम कोर्ट में अयोध्या मामले की रोजाना सुनवाई होना शुरू हो गई। 16 अक्टूबर : अयोध्या मामले में सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई पूरी कर अपना फैसला सुरक्षित रखा। 09 नवंबर 2019 को सुप्रीम कोर्ट ने राम मंदिर-बाबरी मस्जिद विवाद पर अपना फैसला सुनाया। इसके तहत कोर्ट ने 2.77 एकड़ विवादित जमीन को राम लला विराजमान को देने का आदेश दिया। साथ ही मस्जिद के लिए अलग से पांच एकड़ जमीन सुन्नी वक्फ बोर्ड को देने का फैसला सुनाया। कोर्ट ने सरकार को मंदिर निर्माण के लिए तीन माह के भीतर एक ट्रस्ट बनाने का आदेश भी दिया था। 05 फरवरी 2020 को राम मंदिर निर्माण के लिए पीएम मोदी ने संसद में 15 सदस्यीय श्री रामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट का ऐलान किया। सुप्रीम कोर्ट ने मंदिर के पक्ष में फैसला दिया था और तीन महीने के अंदर ट्रस्ट बनाने की मियाद तय की थी। मोदी सरकार ने ट्रस्ट को कै��िनेट की मंजूरी दिलाने के बाद बिल संसद में पेश किया। 19 फरवरी 2020 को राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट की पहली बैठक हुई। महंत नृत्यगोपाल दास को ट्रस्ट का अध्यक्ष चुना गया, जबकि VHP नेता चंपत राय को महामंत्री बनाया गया। वहीं, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पूर्व प्रधान सचिव नृपेंद्र मिश्रा भवन निर्माण समिति के चेयरमैन नियुक्त किए गए। ट्रस्ट के कोषाध्यक्ष गोविंद गिरी बने। 19 जुलाई 2020 को राम मंदिर ट्रस्ट की बैठक हुई, जिसमें पीएमओ को मंदिर के भूमि पूजन के लिए दो तारीखें भेजी गईं। पीएमओ के भेजे प्रस्ताव में 3 और 5 अगस्त में से किसी एक दिन पीएम मोदी को अयोध्या में भूमि पूजन के लिए आने का न्योता दिया गया। साथ ही मंदिर के डिजाइन को लेकर भी इस बैठक में अहम फैसले लिए गए। 25 जुलाई 2020 को यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ ने अयोध्या का दौरा कर भूमि पूजन की तैयारियों का जायजा लिया। साथ ही उन्होंने पुष्टि करते हुए कहा कि 5 अगस्त को भूमि पूजन कार्यक्रम में प्रधानमंत्री मोदी अयोध्या आ रहे हैं। कोरोना संक्रमण को देखते हुए सीमित संख्या में ही लोग इस भव्य आयोजन में शामिल हो सकेंगे। Read the full article
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CM योगी @3: UP सरकार के वो फैसले जिनपर खूब हुआ विरोध
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CM योगी @3: UP सरकार के वो फैसले जिनपर खूब हुआ विरोध
अपराधियों पर नकेल कसने के लिए एनकाउंटर की छूट
योगी के कई फैसलों को विपक्ष ने बताया एकतरफा
उत्तर प्रदेश में योगी सरकार अपने कार्यकाल के तीन साल पूरे करने जा रही है. यह बात इसलिए अहम है क्योंकि यूपी में ऐसा पहली बार हो रहा है जब बीजेपी का कोई मुख्यमंत्री अपने कार्यकाल के तीन साल पूरे कर रहा है. योगी आदित्यनाथ ने 19 मार्च 2017 को यूपी के सीएम पद की शपथ ली थी.
सीएम बनने के बाद पिछले तीन वर्षों में योगी आदित्यनाथ ने तमाम बड़े और कड़े फैसले लिए हैं. योगी सरकार द्वारा लिए गए कई फैसले ऐसे भी थे जिसका काफी विरोध भी हुआ.
नुकसान की रिकवरी के लिए लाए अध्यादेश
उत्तर प्रदेश की योगी सरकार उपद्रवियों से क्षतिपूर्ति वसूलने के लिए शुक्रवार 13 मार्च 2020 को हुई कैबिनेट मीटिंग में उत्तर प्रदेश रिकवरी पब्लिक एंड प्राइवेट प्रॉपर्टी अध्यादेश पारित किया गया. यूपी रिकवरी ऑफ डैमेज टू पब्लिक एंड प्राइवेट प्रॉपर्टी अध्यादेश के तहत एक ट्रिब्यूनल बना रही है. इस ट्रिब्यूनल में रिटायर्ड जिला जज चेयरमैन होंगे.
अध्यादेश के मुताबिक ट्रिब्यूनल के चेयरमैन के अलावा एक और सदस्य होगा. यह सदस्य असिस्टेंट कमिश्नर लेवल का होगा. वहीं इस ट्रिब्यूनल के फैसले को किसी भी अदालत में चुनौती नहीं दी जा सकेगी क्योंकि इस ट्रिब्यूनल के पास अदालती अधिकार होंगे.
प्रदर्शनकारियों की तस्वीर लगवाई
योगी सरकार ने नागरिकता संसोधन कानून सीएए के खिलाफ प्रदर्शन के दौरान हुई हिंसा मामले में आरोपियों पर कार्रवाई की थी. इसी कड़ी में लखनऊ में प्रशासन ने विभिन्न चौराहों पर 57 कथित प्रदर्शनकारियों के लगभग सौ पोस्टर लगवाए. प्रशासन ने इन सभी के खिलाफ 1.55 करोड़ रुपये की सार्वजनिक संपत्ति को हुए नुकसान की क्षतिपूर्ति के लिए नोटिस जारी किया है. इलाहाबाद हाईकोर्ट ने तस्वीर और पते के साथ होर्डिंग लगाने पर सरकार को फटकार लगाते हुए 16 मार्च तक हटाने को कहा था.
यूपी सरकार ने हाईकोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी और आदेश पर रोक लगाने की मांग की. सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के आदेश पर रोक लगाने से इनकार करते हुए मामला बड़ी बेंच को ट्रांसफर कर दिया था.
प्राइवेट यूनिवर्सिटी पर कसी नकेल
18 जून 2019 को योगी मंत्रिमंडल द्वारा प्राइवेट यूनिवर्सिटी को लेकर एक अध्यादेश (उत्तर प्रदेश प्राइवेट यूनिवर्सिटीज ऑर्डिनेंस 2019) पारित किया गया था. इस अध्यादेश के मुताबिक अब प्राइवेट विश्वविद्यालयों को एक शपथ पत्र देना होगा कि यूनिवर्सिटी किसी भी तरह की राष्ट्रविरोधी गतिविधि में शामिल नहीं होगी और न ही कैंपस में इस तरह की गतिविधियां होने दी जाएंगी. अगर ऐसा हुआ तो यह कानून का उल्लंघन माना जाएगा और सरकार यूनिवर्सिटी के खिलाफ कार्रवाई कर सकती है.
पुलिस को दी एनकाउंटर की छूट
योगी सरकार की ओर से राज्य में बिगड़ी कानून-व्यवस्था और अपराधियों पर लगाम लगाने के लिए पुलिस को खुली छूट दी गई. जिसके बाद पूरे उत्तर प्रदेश में कई एनकाउंटर हुए. इनमे से कई एनकाउंटर पर सवाल भी खड़े हुए. सीएम योगी ने एक टीवी इंटरव्यू में साफ-साफ कहा था, “लोग अगर अपराध करेंगे, ठोक दिए जाएंगे.”
एंटी-रोमियो स्क्वॉड का किया था गठन
सरकार बनने के कुछ दिन बाद ही योगी आदित्यनाथ ने अपने संकल्प पत्र पर काम करना शुरू कर दिया था. 21 मार्च 2017 को एंटी-रोमियो स्क्वॉड बनाने के आदेश जारी किए थे. इस दल का उद्देश्य यूपी में स्कूलों और कॉलेजों के बाहर लड़कियों से छेड़छाड़ रोकना था. इस एंटी रोमियो स्क्वॉड के तहत हर थाने में एक सब इंस्पेक्टर के तहत 4 कॉन्स्टेबल के साथ एक टीम बनाई गई थी. शुरू में चौक-चौराहों और लड़कियों के स्कूल कॉलेज के बाहर सादी वर्दी में यह स्क्वॉड तैनात भी दिखता था लेकिन लेकिन दिन-हफ्ते और महीने बीतने के साथ-साथ एंटी रोमियो स्क्वॉड भी अपनी मारक क्षमता खोता गया.
भगवा रंग में रंगी गई थीं तमाम चीजें
यूपी में सत्ता परिवर्��न के साथ-साथ कलर कोड भी बदलता रहा . मायावती शासन में चारों तरफ नीला, अखिलेश सरकार में लाल और हरा दिखता था. राज्य में योगी सरकार आने के साथ ही सबकुछ भगवामय होता नजर आया. सीएम की कुर्सी पर पड़े तौलिए से लेकर बेड पर बिछी चादर, सब भगवा रंग में दिखाई देती रही है. इसके अलावा परिवहन निगम की बसों, प्रदेश के कई जिलों के सरकारी महकमों की बिल्डिंग भी भगवा रंग में रंगी गई.
सरकार बदलने के साथ ही मुख्यमंत्री व मंत्रियों के आवास से लेकर, एनेक्सी भवन, स्कूल और हज हाउस की दीवारों को भगवा रंग में रंग दिया गया था, विवाद के बाद कइयों की दोबारा पुताई भी कराई गई थी. राजधानी लखनऊ में डिवाइडर, पार्क और साइकिल ट्रैक पर भी भगवा रंग चढ़ाया गया था. यही नहीं बलरामपुर में प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत बनने वाले आवासों का भगवा रंग और हमीरपुर के भगवा शौचालय ने भी खूब सुर्खियां बटोरी थीं.
बदल दिए थे शहरों के नाम
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने 14 अक्टूबर 2018 को यूपी के मशहूर शहर इलाहाबाद का नाम बदलकर प्रयागराज करने का ऐलान किया था. इसके बाद सीएम योगी ने दीपोत्सव के दिन घोषणा की थी कि फैजाबाद जिला अब से अयोध्या के नाम से जाना जाएगा. 13 नवंबर 2018 को हुई कैबिनेट मीटिंग में फैजाबाद मंडल का नाम बदल कर अयोध्या मंडल और इलाहाबाद मंडल का नाम बदल कर प्रयागराज मंडल किए जाने के फैसले पर मुहर लगा दी गयी .
इसके बाद इस तरह की भी कई खबरें आई थीं कि योगी सरकार कई और शहरों के नाम बदलने की तैयारी कर रही है. इसमें सबसे आगे बस्ती और गाजीपुर जिलों के नाम बदले जाने की चर्चा सबसे ज्यादा है. यहां आपको यह भी बता दें कि इन दोनों शहरों का नाम बदलने से पहले मुगलसराय जंक्शन रेलवे स्टेशन का नाम बदलकर पं दीन दयाल उपाध्याय जंक्शन किया चुका है. यह स्टेशन यूपी के चंदौली जिले के अंतर्गत आता है.
सावन में कई रूट पर नॉनवेज की बिक्री की गई थी बैन
योगी सरकार ने सावन के महीने में कांवड़ यात्रा के मार्ग पर मांस व मदिरा की बिक्री पर प्रतिबंध लगाया था. इसके अलावा एक अन्य फैसले में योगी आदित्यनाथ की सरकार ने सड़क किनारे काटे जाने वाले मुर्गे और बकरे की दुकानों को बंद करने का भी आदेश दिया था.
कांवड़ियों पर हेलीकॉप्टर से की गई थी पुष्प वर्षा
योगी सरकार ने कांवड़ियों पर हेलीकॉप्टर से पुष्प वर्षा के आदेश दिए थे. जिसके बाद यूपी के कई जिलों से कांवड़ियों पर हेलीकॉप्टर से फूलों की बारिश किए जाने की खबरें, तस्वीरें और वीडियो सामने आए थे.
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खेल डेस्क. भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच तीन वनडे की सीरीज का आखिरी और निर्णायक मुकाबला आज बेंगलुरु के एम. चिन्नास्वामी स्टेडियम में खेला जाएगा। फिलहाल, सीरीज 1-1 से बराबर है। भारत के पास ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ छठी सीरीज जीतने का मौका है। दोनों के बीच अब तक 11 द्विपक्षीय सीरीज खेली गई। इसमें भारत ने 5 में जीत हासिल की और6 में उसे हार मिली। दोनों के बीच पिछली सीरीज मार्च 2019 में भारत मेंहुई थी, तब ऑस्ट्रेलिया ने टीम इंडिया पर 3-2 से जीत दर्ज की थी।
सीरीज के पहला मैच मुंबई में खेला गया था। इस मैच में ऑस्ट्रेलिया ने 10 विकेट से रिकॉर्ड जीत हासिल की थी। राजकोट में खेले गए दूसरेवनडे में भारतीय टीम ने वापसी की। उसने ऑस्ट्रेलिया को 36 रन से हराते हुए सीरीज बराबर की।
भारतीय टीम में बदलाव की संभावना
तीसरे मैच में ऑस्ट्रेलिया टीम कोई बदलाव करने के मूड में नहीं है, लेकिन भारतीय प्लेइंग इलेवन में कुछ बदलाव हो सकते हैं। शिखर धवन और रोहित शर्मा दूसरे वनडे में चोटिल हो गए थे। धवन की पसलियों में पैट कमिंस की गेंद लगी थी, जबकि रोहित शर्मा ने बाएं कंधे में चोट की शिकायत की थी। फिलहाल, दोनों की फिटनेस पर कुछ भी स्पष्ट नहीं है। ऐसे में इनमें से कोई एक बाहर होता है, तो फिर लोकेश राहुल ओपनिंग करेंगे और केदार जाधव को प्लेइंग इलेवन में मौका मिल सकता है।
भारत का ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ वनडे सीरीज में 45% सक्सेस रेट
कब सीरीज में मैच नतीजा 2019 5 2-3 से हारे 2019 3 2-1 से जीते 2017 5 4-1 से जीते 2016 5 1-4 से हारे 2013 6 3-2 से जीते 2010 1 1-0 से जीते 2009 6
2-4 से हारे
2007 7 2-4 से हारे 2001 5 2-3 से हारे 1986 6
3-2 से जीते
1984 5 0-3 से हारे
पिच और मौसम रिपोर्ट: बेंगलुरु में मैच के दौरान बादल छाए रहने का अनुमान है। तापमान 17 से 29 डिग्री सेल्सियस के बीच रहने की संभावना है। पिच से बल्लेबाजों को मदद मिल सकती है। टॉस जीतने वाली टीम पहले बल्लेबाजी करना पसंद करेगी। इस मैदान का हाइएस्ट स्कोर 383 रन है, जो भारत ने 2013 में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ ही बनाया था। तब रोहित शर्मा ने 209 रन की पारी खेली थी।
चिन्नास्वामी स्टेडियम में भारत 7 में से 4 मैच जीता एम. चिन्नास्वामी स्टेडियम में भारत ने ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ अब तक 7 वनडे खेले। इनमें भारत ने 4 मैच जीते, जबकि 2 में उसे हार मिली। एक मैच बेनतीजा रहा। पिछली बार 28 सितंबर 2017 को ऑस्ट्रेलिया ने टीम इंडिया को 21 रन से हराया था।
कब नतीजा 28 सितंबर 2017 21 रन से हारे 2 नवंबर 2013 57 रन से जीते 29 सितंबर 2007 बेनतीजा 12 नवंबर 2003 61 रन से हारे 25 मार्च 2001 60 रन से जीते 21 अक्टूबर 1996 2 विकेट से जीते 27 अक्टूबर 1989 3 विकेट से जीते
हेड-टू-हेड दोनों टीमों के बीच अब तक हुए 139 वनडे में भारतीय टीम 51 में ही जीत सकी। ऑस्ट्रेलिया की टीम 78 में जीती। 10 मुकाबले बेनतीजा रहे। वहीं, भारत में दोनों के बीच अब तक 63 मैच हुए। इस दौरान टीम इंडिया 28 में जीती। 30 में हार का मिली। 5 मुकाबले बेनतीजा रहे।
दोनों टीमें भारत: विराट कोहली (कप्तान), रोहित शर्मा (उप कप्तान), जसप्रीत बुमराह, युजवेंद्र चहल, शिखर धवन, शिवम दुबे, श्रेयस अय्यर, रविंद्र जडेजा, केदार जाधव, मनीष पांडेय, केएस भरत (विकेटकीपर), लोकेश राहुल, नवदीप सैनी, मोहम्मद शमी, शार्दुल ठाकुर और कुलदीप यादव।
ऑस्ट्रेलिया: एरॉन फिंच (कप्तान), एलेक्स कैरी (विकेटकीपर), पैट कमिंस, एश्टन एगर, पीटर हैंड्सकॉम्ब, जोश हेजलवुड, मॉर्नस लबुशाने, केन रिचर्डसन, डी आर्सी शॉर्ट, स्टीव स्मिथ, मिशेल स्टार्क, एश्टन टर्नर, डेविड वॉर्नर और एडम जम्पा।
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