#100 की जगह 500 के नोट
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Indian Notes Big News: 100, 200, 500 रुपये के नोट को लेकर RBI ने जारी की नई गाइडलाइंस, यहां जानें- पूरी डिटेल्स
Indian Notes Big News: एक बहुत बड़ी गलतफहमी हमारे बीच जगह बनाई हुई है कि अगर नोटबंदी के बाद चालू हुए नए नोटों पर अगर कुछ लिखा गया है तो वह नोट नहीं चलेगा। हालांकि, बैंकनोट पर कुछ भी लिखने से वह अमान्य नहीं हो जाता। वहीं, भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) लोगों से अपेक्षा करता है कि वे मुद्रा नोटों पर कुछ भी न लिखें क्योंकि इससे नोट खराब लगेंगे और साथ ही इससे नोटों की लाइफ कम होगी।
हालांकि, यहां बड़ी बात यह है कि अगर आपको 2000 रुपये, 500 रुपये, 200 रुपये, 100 रुपये, 50 रुपये या 20 रुपये के नोट मिलते हैं, जिन पर कुछ लिखा हुआ है, तो आप उन्हें बिना किसी डर के वैध मान सकते हैं।
क्या है पूरा मामला?
सरकार के आधिकारिक फैक्ट चेकर पीआईबी फैक्ट चेक ने सोशल मीडिया पर प्रसारित किए जा रहे एक फर्जी दावे के जवाब में उपरोक्त मुद्दे पर प्रकाश डाला है। फर्जी मैसेज में दावा किया गया कि आरबीआई की नई गाइडलाइंस के मुताबिक नए नोटों पर कुछ भी लिखने से वे अमान्य हो जाते हैं।
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फेक मैसेज में क्या दावा किया गया?
सोशल मीडिया पर प्रसारित msg में कहा गया है, ‘भारतीय रिजर्व बैंक के नए दिशानिर्देशों के अनुसार, नए नोटों पर कुछ भी लिखने से नोट अमान्य हो जाता है और यह अब कानूनी निविदा नहीं रहेगा।’
उपरोक्त दावे को फर्जी बताते हुए, पीआईबी फैक्ट चेक ने ट्वीट किया, ‘नहीं, लिखे हुए बैंक नोट अमान्य नहीं हैं और कानूनी मुद्रा बने रहेंगे।’
क्या कहता है आरबीआई?
आरबीआई की स्वच्छ नोट नीति के तहत, उपयोगकर्ताओं से अनुरोध किया जाता है कि वे करेंसी नोट पर कुछ भी न लिखें क्योंकि यह उसके जीवन को कम करता है। पीआईबी ने कहा, ‘क्लीन नोट पॉलिसी के तहत लोगों से आग्रह किया जाता है कि वे करेंसी नोटों पर न लिखें क्योंकि इससे नोट खराब होते हैं और उनकी उम्र कम होती है।’
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रिजर्व बैंक के नए नियमों के मुताबिक अगर आपके पास भी पुराने या कटे-फटे नोट हैं तो आपको बिल्कुल भी परेशान होने की जरूरत नहीं है। अब आप बैंक की किसी भी शाखा में जाकर ऐसे नोटों को बदलवा सकते हैं। अगर कोई बैंक कर्मचारी आपका नोट बदलने से मना करता है तो आप इसकी शिकायत भी कर सकते हैं।
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भारतीय नोट पर कब छपी गाँधी की तस्वीर -
भारतीय नोट पर कब छपी गाँधी की तस्वीर -
भारतीय नोट का इतिहास
भारत विश्व कि उन प्रथम सभ्यताओं में से है जहाँ सिक्कों का प्रचलन लगभग छठी सदी ईसापूर्व में शुरू हुआ। रुपए शब्द का अर्थ शब्द रूपा से जोड़ा जा सकता है जिसका अर्थ होता है चाँदी।संस्कृत में रूप्यकम् का अर्थ है चाँदी का सिक्का। रुपया शब्द सन 1540 - 1545 के बीच शेरशाह सूरी के द्वारा जारी किए गए चाँदी के सिक्कों लिए उपयोग में लाया गया। मूल रुपया चाँदी का सिक्का होता था, जिसका वजन 11.34 ग्राम था, और उस समय ४० चाँदी के सिक्के 1 रूपया के बराबर होता था।यह सिक्का ब्रिटिश भारत के शासन काल में ��ी उपयोग मे लाया जाता रहा।ऐतिहासिक तौर पर रुपया चाँदी पर आधारित मुद्रा थी। १९वीं शताब्दी में इसके विपरीत परिणाम हुए, जब यूरोप और अमेरिका में भारी पैमाने मे चाँदी की खोज हुई। उस समय की मजबूत अर्थव्यवस्थाएँ सोने पर आधारित थीं। चाँदी की खोज से चाँदी और सोने के सापेक्षित मूल्यों में भारी अंतर आया। अचानक ही भारत की मुद्रा विश्व बाजार में उतना नहीं खरीद सकती थी जितना पहले। इसे "रुपए की गिरावट" के नाम से भी जाना जाता है।शुरूआत में एक रूपए को 16 आनों, 64 पैसों या 192 पाई में बाँटा गया। यानी 1 आना 4 पैसों या 12 पाई मे विभाजित था। दशमलव प्रणाली के अनुसार विभाजन हुआ 1869 मे श्रीलंका मे, 1957 मे भारत मे और 1961 मे पाकिस्तान मे।
रुपयो के कागज के नोटो को सबसे पहले जारी करने वालो मे से थे बैंक ऑफ हिन्दुस्तान (1770-1832), द जनरल बैंक ऑफ बंगाल एंड बिहार (1773-75, वारेन हास्टिग्स द्वारा स्थापित) और द बंगाल बैंक(1784-91)।शुरूआत मे बैंक ऑफ बंगाल द्वारा जारी किए गए कागज के नोटो पे केवल एक तरफ ही छपा होता था। इसमे सोने की एक मोहर बनी थी और यह १००, २५०, ५०० आदि वर्गो मे थे।बाद ��े नोट मे एक बेलबूटा बना था जो एक महिला आकृति, व्यापार का मानवीकरण दर्शाता था। यह नोट दोनो ओर छपे होते थे, तीन लिपिओं उर्दू, बंगाली और देवनागरी मे यह छपे होते थे, जिसमे पीछे की तरफ बैंक की छाप होती थी। 1800 सदी के अंत तक नोटों के मूलभाव ब्रितानी हो गए और जाली बनने से रोकने के लिए उनमे अन्य कई लक्षण जोडे गए।
भारतीय नोट पर कब आये गाँधी जी -
अभी हम हर नोट पे गाँधी जी को देखते है। कभी आप ने ये जानने की कोशिश की की गाँधी जी की तस्वीर कब भारतीय नोट पे आई और उससे पहले नोट अगर शुरू हो चुके थे तो नोट पे किसकी तस्वीर छपती थी। आये बताते आपको इसके पुरे विवरण के बारे में हुआ ये की 1947 जब भारत आज़ाद नहीं हुआ था तब भारतीय मुद्रा पे ब्रिटिश किंग जॉर्ज की तस्वीर वाले करेंसी नोट चलते थे। लेकिन आज़ादी के बाद देशवासी भारतीय करेंसी नोटों पर महात्मा गांधी की तस्वीर देखना चाहते थे। लेकिन सरकार को ये फैसला लेने में थोड़ा वक़्त चाहिए था इसलिए सबसे पहले भारतीय की उस समय की सरकार ने सबसे पहले किंग जार्ज की तस्वीर को हटा के सारनाथ स्थित लॉयन कैपिटल आ गया।
रिजर्व बैंक ने पहली बार सन 1969 में स्मरण के तौर पर गांधी जी की तस्वीर वाले 100 रुपये के नोट पेश किए थे।ये साल उनका जन्म शताब्दी वर्ष था और नोटों पर उनकी तस्वीर के पीछे सेवाग्राम आश्रम की तस्वीर भी थी।लेकिन गांधी जी की मौजूदा तस्वीर वाले करेंसी नोट पहली बार 1987 में छपे थे।गांधी जी के मुस्कराते चेहरे वाली इस तस्वीर के साथ सबसे पहले 500 रुपये का नोट अक्टूबर 1987 में पेश किया गया। इसके बाद गांधी जी की ये तस्वीर अन्य करेंसी नोटों पर भी इस्तेमाल होने लगी। फिर आम चूल परिवर्तन होते ही रहे। भारतीय रिज़र्व बैंक ने साल 1996 में एडिशनल फ़ीचर्स के साथ पहली बार महात्मा गांधी सीरीज़ के नोट जारी किये थे #इन फ़ीचर्स में बदला हुआ वाटरमार्क, विंडोड सिक्योरिटी थ्रेड, लेटेंट इमेज और विजुअल हैंडीकैप्ड लोगों के लिये इंटेग्लियो फ़ीचर्स भी शामिल थे।1996 से पहले 1987 में महात्मा गांधी की तस्वीर को वाटरमार्क के रुप में इस्तेमाल किया जाता था।
गाँधी जी जो तस्वीर हमे दिखती है वो कहा से ली गयी है -
सन 1996 में पहली बार महात्मा गांधी की तस्वीर वाले जो नोट चलन में आए वो 5, 10, 20, 100, 500 और 1000 रुपये के नोट थे। इस दौरान अशोक स्तंभ की जगह राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की तस्वीर और अशोक स्तंभ की फ़ोटो, नोट के बायीं तरफ़ निचले हिस्से पर प्रिंट कर दी गई. तब से लेकर अब तक गांधीजी की तस्वीर भारतीय नोटों पर दिखाई देती है लेकिन क्या आपने कभी सोचा है गांधी जी की ��ो तस्वीर हमें नोट पर दिखाई देती है वो कहां से ली गयी थी। महात्मा गांधी की ये तस्वीर पूर्व वायसराय हाउस (मौजूदा राष्ट्रपति भवन) में 1946 में खींची गई थी।गांधी जी म्यांमार (तब बर्मा) और भारत में ब्रिटिश सेक्रेटरी के रूप में कार्यरत फ्रेडेरिक पेथिक लॉरेंस से मुलाक़ात के लिए पहुंचे थे वहीं ली गई गांधी जी की तस्वीर को पोट्रेट के रूप में भारतीय नोटों पर अंकित किया गया।हालांकि, ये तस्वीर किस फ़ोटोग्राफ़र ने खींची थी इस बात की जानकारी किसी को भी नहीं हैं।
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एटीएम 'मेहरबान' हुआ, 100 की जगह 500 के नोट पाकर कई हो गए मालामाल; लेकिन फिर ...
एटीएम 'मेहरबान' हुआ, 100 की जगह 500 के नोट पाकर कई हो गए मालामाल; लेकिन फिर …
बेंगलुरु:
कर्नाटक में एक बैंक के एटीएम (एटीएम) ने कई लोगों को मालामाल कर दिया। इस एटीएम में एटीएम 100 रुपये के नोटों की जगह 500 रुपये के नोट निकलते रहेंगे। यानी अगर किसी ने 300 रुपये निकाले हैं तो उसे एटीएम ने 1500 रुपये थमा दिए हैं। एटीएम की इस 'मेहरबानी' का कई लोगों ने फायदा उठाया। कुल एक लाख 70 हजार रुपये इस एटीएम से निकले। हालांकि बाद में बैंक ने लोगों से पैसे वसूल कर लिए। यह घटना मदिकरी…
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तकनीकी खराबी से एटीएम में 'धोखा', 100 की जगह 500 के नोट, करीब दो लाख रुपये का नुकसान
तकनीकी खराबी से एटीएम में ‘धोखा’, 100 की जगह 500 के नोट, करीब दो लाख रुपये का नुकसान
कस्बा खेर के अग्रसेन मार्केट में एटीएम में तकनीकी खराबी आने के बाद से बैंक अधिकारियों की टेंशन बढ़ गई है. इस एटीएम से 100-100 की जगह 500-500 के नोट निकल रहे थे। कुल 18 लेनदेन में एक लाख 96 हजार रुपये की निकासी की गई है। एटीएम से पैसे निकालने आए एक शख्स ने गार्ड की मदद से बैंक अधिकारियों को इसकी जानकारी दी. जिसके बाद एटीएम बंद कर दिया गया। वहां लगे सीसीटीवी कैमरों की फुटेज और लेन-देन के ब्योरे से…
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एक वृद्ध ट्रेन में सफर कर रहा था, संयोग से वह कोच खाली था। तभी 8-10 लड़के उस कोच में आये और बैठ कर मस्ती करने लगे।एक ने कहा - "चलो, जंजीर खीचते है". दूसरे ने कहा - "यहां लिखा है 500 रु जुर्माना ओर 6 माह की कैद." तीसरे ने कहा - "इतने लोग है चंदा कर के 500 रु जमा कर देंगे."चन्दा इकट्ठा किया गया तो 500 की जगह 1200 रु जमा हो गए. जिसमे 200 के तीन नोट, 2 नोट पचास के बांकी सब 100 के थेचंदा पहले लड़के के जेब मे रख दिया गया। तीसरे ने कहा, "जंजीर खीचते है, अगर कोई पूछता है, तो कह देंगे बूढ़े ने खीचा है। पैसे भी नही देने पड़ेंगे तब।"बूढ़े ने हाथ जोड़ के कहा, "बच्चो, मैने तुम्हारा क्या बिगाड़ा है, मुझे क्यो फंसा रहे हो?"लेकिन नही । जंजीर खीची गई। टीटीई आया सिपाही के साथ, लड़कों ने एक स्वर से कहा, "बूढे ने जंजीर खीची है।"टी टी बूढ़े से बोला, "शर्म नही आती इस उम्र में ऐसी हरकत करते हुए?"बूढ़े ने हाथ जोड़ कर कहा, "साहब" मैंने जंजीर खींची है, लेकिन मेरी बहुत मजबूरी थी।"उसने पूछा, "क्या मजबूरी थी?"बूढ़े ने कहा, "मेरे पास केवल 1200 रु थे, जिसे इन लड़को ने छीन लिए और इस पहले लड़के ने अपनी जेब मे रखे है।" जिसमे 200 के तीन नोट, 2 नोट पचास के बांकी सब 100 के हैंअब टीटी ने सिपाही से कहा, "इसकी तलाशी लो".जैसा बूढ़े ने कहा नोट मिलाये गए लड़के के जेब से 1200रु बरामद हुए, जिनको वृद्ध को वापस कर दिया गया और लड़कों को अगले स्टेशन में पुलिस के हवाले कर दिया गया।पुलिस के साथ जाते समय लड़के ने वृद्ध की ओर घूर के देखा तो वृद्ध ने सफेद दाढ़ी पर हाथ फेरते हुए कहा -"बेटा, ये बाल यूँ ही सफेद नही हुए है!"
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उत्तराखंड : एक साल में एक करोड़ से अधिक की करेंसी खपाई, पकड़ में आए तो किए कई खुलासे
पुलिस ने पकड़े नकली नोट – फोटो : अमर उजाला
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चंपावत जिले के टनकपुर में नकली करेंसी के साथ पकड़े गए आरोपी बीते एक साल से नकली करेंसी बनाने और उसे आसपास के इलाकों में खपाने का कार्य कर रहे थे। अनुमान लगाया जा रहा है कि एक साल के दौरान अभियुक्तों ने एक करोड़ से अधिक के नकली नोट स्थानीय बाजारों में खपा दिए होंगे।
यह भी पढ़ें… उत्तराखंड: चंपावत में चार लाख की नकली करेंसी के साथ तीन युवक गिरफ्तार
नकली नोट प्रिंट करने का कार्य ऊधमसिंह नगर जिले के नानकमत्ता कस्बे में स्थित जन सुविधा केंद्र (सीएससी) में लैपटाप और स्कैनर के जरिए किया जा रहा था। अभियुक्त नकली 200 और 500 रुपये के नोटों को आधे दामों में देते थे, जिस कारण अधिकतर लोग इनके झांसे में आकर नकली नोट बाजार में खपाने में सहयोग देते थे।
आरोपियों की ओर से तैयार 100 और 200 रुपये के नोट हूबहू असली नोटों की तरह लगने से आसानी से बाजार में खपाए जा रहे थे। 500 रुपये के नोट की पेपर की क्वालिटी खराब होने के कारण ये लोग शक के दायरे में आ गए थे। पुलिस अधीक्षक लोकेश्वर सिंह के अनुसार मुखबिर से मिली सूचना के आधार पर बीते कुछ समय से पुलिस आरोपियों की गतिविधियों पर नजर रखे हुए थी।
नकली करेंसी के साथ पकड़े गए तीनों आरोपियों का अभी तक कोई भी आपराधिक इतिहास नहीं रहा है। पुलिस अधीक्षक के अनुसार स्कैनर के जरिए नोट छापने वाला आरोपी हरदेव सिंह इंटर पास है। हरदेव सिंह के अलावा बृजकिशोर और रियाज का अब तक कोई भी आपराधिक इतिहास नहीं मिला है। अलबत्ता पुलिस मामले की तहकीकात में जुटी हुई है।
पुलिस के रडार में कई और लोग भी शामिल
नकली करेंसी बाजार में खपाने के मामले में टनकपुर-बनबसा क्षेत्र में कई अन्य लोग भी पुलिस की रडार में है। पुलिस अधीक्षक के अनुसार जल्द ही नकली करेंसी चलाने के मामले में लिप्त अन्य लोगों को भी हिरासत में लिया जाएगा।
पुलिस टीम में ये लोग रहे शामिल
नकली करेंसी के साथ तीन आरोपियों को पकड़ने वाली पुलिस टीम में टनकपुर के प्रभारी निरीक्षक धीरेंद्र कुमार, उप निरीक्षक योगेश दत्त, एसओजी प्रभारी वीरेंद्र रमौला, कांस्टेबल मतलूब खान, राकेश रौंकली, मनोज बैरी, धर्मवीर सिंह, दीपक प्रसाद, शाकिर अली, सद्दाम हुसैन, भुवन पांडेय आ��ि शामिल रहे।
नकली करेंसी के मामले में पकड़े गए आरोपी बृजकिशोर के पास दो सौ रुपये की 11 गड्डी, सौ रुपये की दो गड्डी, अभियुक्त रियाज के पास सौ रुपये की छह गड्डी और हरदेव सिंह के पास दो सौ रुपये की चार, सौ रुपये की एक और मिक्स नोट की गड्डी के अलावा पांच सौ रुपये के 40 नोट वन साइड प्रिंट बरामद किए गए।
आसान नहीं है असली, नकली नोटों की पहचान करना
बाजार में आने वाले नोट असली और नकली होने की पहचान कर पाना आम लोगों के लिए बेहद कठिन है। भारतीय स्टेट बैंक के मुख्य शाखा प्रबंधक प्रमोद अरोड़ा के अनुसार बैंक के दक्ष स्टाफ और स्कैनर की मदद से ही नकली नोटों की पहचान की जा सकती है।
आरसेटी के पूर्व निदेशक जर्नादन चिलकोटी का कहना है कि नोट में महात्मा गांधी के वाटर मार्क्स के साथ नोट को हल्की रोशनी में टेढ़ा कर तथा नोट में अंकित अंकों के आधार पर नकली नोट की पहचान की जा सकती है।
2000 और 500 के नोट पर करीब 15-15 ऐसे निशान हैं जिनकी पहचान करने से नोट की असलियत सबके सामने आ सकती है। इसमें सबसे बड़ी पहचान ओमरोन एंटी है जो महात्मा गांधी के फोटो के ठीक ऊपर सफेद रंग के गोलों के रुप में हैं।
अगर कोई नोट की फोटोकॉपी करता है तो इन निशान के जरिए उसे पकड़ा जा सकता है। छोटे-छोटे अक्षरों में आरबीआई और 2000 लिखा है। नोट को हल्का से मोड़ने पर इस थ्रीड का कलर हरा से नीला हो जाता है।ऊपर में सबसे बाईं तरफ और नीचे में सबसे दाहिने तरफ लिखे नंबर बाएं से दाएं तरफ बड़े होते जाते हैं।
नोट के पिछले भाग पर वर्ष, स्वच्छ भारत का लोगो, भाषा पैनल, मूल्यवर्ग अंक देवनागरी में और ओमरोन एंटी निशान भी दे रखे हैं। इन सभी के मिलान से नोट की असलियत का पता लगाया जा सकता है। 500 के नोट में देवनागरी में 500 लिखा दिखेगा। पुराने नोट की तुलना में महात्मा गांधी की तस्वीर का ओरिएंटेशन और पोजिशन थोड़ा अलग है। पुराने नोट की तुलना में गारंटी क्लॉज, गवर्नर के सिग्नेचर, प्रॉमिस क्लॉज और आरबीआई का लोगो दाहिनी ओर शिफ्ट हो गया है।
सीथ्रू रजिस्टर आरपार मिलान मुद्रण
मूल्यवर्ग अंक की छिपी हुई प्रतिमा
महात्मा गांधी के चित्र में जगह का बदलाव
रंग परिवर्तक सुरक्षा धागा
छोटे से बढ़ते आकार के अंक
रुपये का चिन्ह रंग परिवर्तक स्याही के साथ
अशोक स्तंभ
वाटर मार्क
भारत सरकार की गारंटी
गर्वनर के हस्ताक्षर सहित वचन खंड
मूल्यवर्ग अंक देवनागरी में
सार
एक साल से नकली करेंसी बनाने का काम कर रहे थे अभियुक्त
सीएससी सेंटर में लैपटाप, स्कैनर से बनाए जाते थे नकली नोट
आधे दाम में दिए जाते थे 200 और 500 रुपये के नकली नोट
विस्तार
चंपावत जिले के टनकपुर में नकली करेंसी के साथ पकड़े गए आरोपी बीते एक साल से नकली करेंसी बनाने और उसे आसपास के इलाकों में खपाने का कार्य कर रहे थे। अनुमान लगाया जा रहा है कि एक साल के दौरान अभियुक्तों ने एक करोड़ से अधिक के नकल�� नोट स्थानीय बाजारों में खपा दिए होंगे।
यह भी पढ़ें… उत्तराखंड: चंपावत में चार लाख की नकली करेंसी के साथ तीन युवक गिरफ्तार नकली नोट प्रिंट करने का कार्य ऊधमसिंह नगर जिले के नानकमत्ता कस्बे में स्थित जन सुविधा केंद्र (सीएससी) में लैपटाप और स्कैनर के जरिए किया जा रहा था। अभियुक्त नकली 200 और 500 रुपये के नोटों को आधे दामों में देते थे, जिस कारण अधिकतर लोग इनके झांसे में आकर नकली नोट बाजार में खपाने में सहयोग देते थे।
आरोपियों की ओर से तैयार 100 और 200 रुपये के नोट हूबहू असली नोटों की तरह लगने से आसानी से बाजार में खपाए जा रहे थे। 500 रुपये के नोट की पेपर की क्वालिटी खराब होने के कारण ये लोग शक के दायरे में आ गए थे। पुलिस अधीक्षक लोकेश्वर सिंह के अनुसार मुखबिर से मिली सूचना के आधार पर बीते कुछ समय से पुलिस आरोपियों की गतिविधियों पर नजर रखे हुए थी।
आरोपियों का आपराधिक इतिहास नहीं
नकली करेंसी के साथ पकड़े गए तीनों आरोपियों का अभी तक कोई भी आपराधिक इतिहास नहीं रहा है। पुलिस अधीक्षक के अनुसार स्कैनर के जरिए नोट छापने वाला आरोपी हरदेव सिंह इंटर पास है। हरदेव सिंह के अलावा बृजकिशोर और रियाज का अब तक कोई भी आपराधिक इतिहास नहीं मिला है। अलबत्ता पुलिस मामले की तहकीकात में जुटी हुई है।
पुलिस के रडार में कई और लोग भी शामिल
नकली करेंसी बाजार में खपाने के मामले में टनकपुर-बनबसा क्षेत्र में कई अन्य लोग भी पुलिस की रडार में है। पुलिस अधीक्षक के अनुसार जल्द ही नकली करेंसी चलाने के मामले में लिप्त अन्य लोगों को भी हिरासत में लिया जाएगा।
पुलिस टीम में ये लोग रहे शामिल
नकली करेंसी के साथ तीन आरोपियों को पकड़ने वाली पुलिस टीम में टनकपुर के प्रभारी निरीक्षक धीरेंद्र कुमार, उप निरीक्षक योगेश दत्त, एसओजी प्रभारी वीरेंद्र रमौला, कांस्टेबल मतलूब खान, राकेश रौंकली, मनोज बैरी, धर्मवीर सिंह, दीपक प्रसाद, शाकिर अली, सद्दाम हुसैन, भुवन पांडेय आदि शामिल रहे।
अभियुक्तों से बरामद हुई नकली करेंसी का विवरण
नकली करेंसी के मामले में पकड़े गए आरोपी बृजकिशोर के पास दो सौ रुपये की 11 गड्डी, सौ रुपये की दो गड्डी, अभियुक्त रियाज के पास सौ रुपये की छह गड्डी और हरदेव सिंह के पास दो सौ रुपये की चार, सौ रुपये की एक और मिक्स नोट की गड्डी के अलावा पांच सौ रुपये के 40 नोट वन साइड प्रिंट बरामद किए गए।
आसान नहीं है असली, नकली नोटों की पहचान करना
बाजार में आने वाले नोट असली और नकली होने की पहचान कर पाना आम लोगों के लिए बेहद कठिन है। भारतीय स्टेट बैंक के मुख्य शाखा प्रबंधक प्रमोद अरोड़ा के अनुसार बैंक के दक्ष स्टाफ और स्कैनर की मदद से ही नकली नोटों की पहचान की जा सकती है।
आरसेटी के पूर्व निदेशक जर्नादन चिलकोटी का कहना है कि नोट में महात्मा गांधी के वाटर मार्क्स के साथ नोट को हल्की रोशनी में टेढ़ा कर तथा नोट में अंकित अंकों के आधार पर नकली नोट की पहचान की जा सकती है।
2000 के नोट की पहचान
2000 और 500 के नोट पर करीब 15-15 ऐसे निशान हैं जिनकी पहचान करने से नोट की असलियत सबके सामने आ सकती है। इसमें सबसे बड़ी पहचान ओमरोन एंटी है जो महात्मा गांधी के फोटो के ठीक ऊपर सफेद रंग के गोलों के रुप में हैं।
अगर कोई नोट की फोटोकॉपी करता है तो इन निशान के जरिए उसे पकड़ा जा सकता है। छोटे-छोटे अक्षरों में आरबीआई और 2000 लिखा है। नोट को हल्का से मोड़ने पर इस थ्रीड का कलर हरा से नीला हो जाता है।ऊपर में सबसे बाईं तरफ और नीचे में सबसे दाहिने तरफ लिखे नंबर बाएं से दाएं तरफ बड़े होते जाते हैं।
नोट के पिछले भाग पर वर्ष, स्वच्छ भारत का लोगो, भाषा पैनल, मूल्यवर्ग अंक देवनागरी में और ओमरोन एंटी निशान भी दे रखे हैं। इन सभी के मिलान से नोट की असलियत का पता लगाया जा सकता है। 500 के नोट में देवनागरी में 500 लिखा दिखेगा। पुराने नोट की तुलना में महात्मा गांधी की तस्वीर का ओरिएंटेशन और पोजिशन थोड़ा अलग है। पुराने नोट की तुलना में गारंटी क्लॉज, गवर्नर के सिग्नेचर, प्रॉमिस क्लॉज और आरबीआई का लोगो दाहिनी ओर शिफ्ट हो गया है।
लोगों की पहचान के लिए दे रखे हैं चिन्ह…
सीथ्रू रजिस्टर आरपार मिलान मुद्रण
मूल्यवर्ग अंक की छिपी हुई प्रतिमा
महात्मा गांधी के चित्र में जगह का बदलाव
रंग परिवर्तक सुरक्षा धागा
छोटे से बढ़ते आकार के अंक
रुपये का चिन्ह रंग परिवर्तक स्याही के साथ
अशोक स्तंभ
वाटर मार्क
भारत सरकार की गारंटी
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आरोपियों का आपराधिक इतिहास नहीं
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आर्थिक नुकसान ढेर ऊपर, निवेशकों को किनारे पर रखते हुए: लाइव अपडेट
अमेरिकी स्टॉक एक और अशांत दिन में लड़खड़ाते हैं।
नीति निर्माताओं ने अपनी अर्थव्यवस्थाओं का समर्थन करने के लिए जो कुछ भी करने का वादा किया है, उसके साथ कदम रखा है, और सीनेट रिपब्लिकन $ 1 ट्रिलियन के आर्थिक प्रोत्साहन बिल पर काम कर रहे हैं। चीन यह रिपोर्ट कर रहा है कि इसमें अब कोरोनोवायरस फैल गया है, और जापान सरकार विचार कर रही है कि स्कूलों को फिर से कब खोला जाए – यह संकेत मिलता है कि उन दोनों देशों में महामारी का सबसे बुरा कारण हो सकता है।
यह अच्छी खबर है। लेकिन बुरी खबर भी लगातार बनी हुई है: संयुक्त राज्य अमेरिका में कोरोनोवायरस संक्रमण के मामलों की संख्या तेजी से चढ़ रही है, कैलिफ़ोर्निया को ल��ाया गया है “जगह में आश्रय” प्रतिबंध राज्य में और बेरोजगार दावों की एक लहर केवल प्रफुल्लित करने के लिए शुरुआत है।
शुक्रवार को, व्यापारियों को यह तय करने में असमर्थ लगा कि कौन अधिक महत्वपूर्ण है, और एसएंडपी 500 नुकसान से लाभ में आ गया। यह कदम अपेक्षाकृत छोटे थे, हालांकि, एक महीने से स्वागत योग्य स्वागत है जिसने देखा है कि बाजार कुछ सिर-घूमते हैं।
यूरोप में निवेशकों ने बेहतर प्रदर्शन किया, पेरिस और फ्रैंकफर्ट में स्टॉक 3 प्रतिशत से अधिक था। लंदन में, एफटीएसई 100 लगभग 2 प्रतिशत बढ़ा था।
लेकिन संयुक्त राज्य अमेरिका में व्यापार का स्वर विशिष्ट रूप से रक्षात्मक था।
उदाहरण के लिए, निवेशकों ने कुछ कंपनियों की सराहना की जिन्होंने खर्च करने और नकदी के संरक्षण के लिए कदम उठाए हैं। खाद्य और रसोई वितरण विशाल SYSCO कॉर्प शुक्रवार की सुबह अपनी व्यावसायिक योजनाओं से संबंधित एक COVID-19 अपडेट जारी करते हुए कहा, “हम एक सकारात्मक मुक्त नकदी प्रवाह की स्थिति बनाए रखने के लिए अपनी लागत, पूंजी खर्च और कार्यशील पूंजी का प्रबंधन करने के लिए निर्��ायक कार्रवाई कर रहे हैं।” इसके शेयरों ने 10 प्रतिशत से अधिक की छलांग लगाई।
ग्रीनविच, कोन में इंटरएक्टिव ब्रोकर्स के मुख्य रणनीतिकार स्टीव सोसनिक ने कहा, “यदि आप एक कंपनी के रूप में कुछ राजकोषीय ज़िम्मेदारी दिखा सकते हैं, तो उसे पुरस्कृत किया जा सकता है।”
दशकों में अमेरिकी बाजारों के लिए यह सबसे खराब सप्ताह रहा है, और बेचने का एक महीना जो प्रमुख बेंचमार्क को 2017 में आखिरी बार देखा गया है। आर्थिक घटनाक्रमों को परेशान करने वाले अथक प्रतिबंधों ने स्टॉक, बॉन्ड और तेल की कीमतों को प्रभावित किया है।
श्रम विभाग ने गुरुवार को बेरोजगारी के दावों में उछाल की सूचना दी – 281,000 नए दावे – पिछले सप्ताह, रिकॉर्ड पर सबसे बड़े स्पाइक्स में से एक। लेकिन गोल्डमैन सैक्स के विश्लेषकों ने एक शोध नोट में, अनुमान लगाया कि मार्च 15-21 के सप्ताह के दावे, जो अगले गुरुवार को रिपोर्ट किए जाएंगे, दो मिलियन से अधिक हिट कर सकते हैं।
“यहां तक कि सबसे रूढ़िवादी धारणाएं बताती हैं कि शुरुआती बेरोजगार दावे 1 मिलियन से अधिक होने की संभावना है, जो आसानी से 1982 में 695,000 के रिकॉर्ड पर उच्चतम स्तर को पार कर जाएगा,” उन्होंने लिखा।
यूरोपीय संघ। देशों को “जितना आवश्यक हो उतना खर्च करने के लिए कहता है।”
यूरोपीय आयोग ने शुक्रवार को तथाकथित “सामान्य पलायन खंड” को शुरू किया, एक पैनिक बटन, जो कड़े खर्च करने वाले नियमों को बढ़ाता है और देशों को एक संकट का जवाब देने के लिए बड़े घाटे को चलाने की अनुमति देता है, एक आपातकालीन आर्थिक उपाय की ओर मुड़ता है जो केवल हफ्तों में अकल्पनीय होता। पहले।
खण्ड का अर्थ है कि यूरोप अपनी अपेक्षाओं को छोड़ रहा है कि देश अपने घाटे और ऋण भार को छोटा रखते हैं, और यह यूरोपीय संघ के इतिहास में पहली बार है कि उसने इस उपाय को बदल दिया है।
यूरोपीय आयोग के अध्यक्ष उर्सुला वॉन डेर लेयेन ने अपने ट्विटर अकाउंट पर एक वीडियो में कहा, “आज और यह नया है और पहले कभी नहीं हुआ है – हम सामान्य एस्केप क्लॉज को ट्रिगर करते हैं।”
उन्होंने कहा, “इसका मतलब है कि राष्ट्रीय सरकारें अर्थव्यवस्था में पंप कर सकती हैं जितनी उन्हें जरूरत है … हम बजटीय नियमों में ढील दे रहे हैं ताकि वे ऐसा कर सकें।”
27 यूरोपीय संघ के देश और दुनिया के सबसे अमीर देशों को चलाने ��ाली संस्थाएं कोरोनोवायरस से लड़ने के लिए छटपटा रही हैं और इसके आर्थिक प्रभाव को कम कर रही हैं और उन नियमों को निलंबित कर रही हैं जो खर्चों को सीमित कर रहे हैं और साथ ही साथ बीमार पड़ने वाले व्यवसायों के लिए राज्य सहायता का कितना बड़ा हिस्सा है। प्रतिक्रिया की।
व्यापार का अगला क्रम यूरोपीय शस्त्रागार संकट से निपटने के लिए आर्थिक तबाही को रोकने के लिए संयुक्त ऋण जारी करने के विचार के बारे में एक गहरी राजनीतिक बहस होगी, जो आर्थिक तबाही को रोकने के लिए जरूरी कोरोनोवायरस को अपने मद्देनजर ला रही है।
फेड का कहना है कि यह नगरपालिका मनी मार्केट फंड को बैकस्टॉप करेगा।
फेडरल रिजर्व म्यूनिसिपल मनी मार्केट म्यूचुअल फंडों को बैकस्टॉप करेगा, यह सुनिश्चित करने में मदद करेगा कि स्थानीय ऋण रखने वाले निवेश वाहन लोगों के लिए मोचन के रूप में मिल सकते हैं और व्यवसायों ने अपनी होल्डिंग्स को नकद कर दिया है।
फेड ने अपने एक आपातकालीन कार्यक्रम में ऋण संपार्श्विक के रूप में अल्पकालिक, उच्च श्रेणी निर्धारण वाले नगरपालिका ऋण को स्वीकार किया, यह शुक्रवार को घोषणा की। इससे बैंकों को मुद्रा बाजार म्यूचुअल फंड से ऐसे कर्ज खरीदने का प्रोत्साहन मिलेगा, जिससे वे प्रतिभूतियों को जल्दी से नकदी के साथ उतार सकते हैं।
निवेशकों को नकद के रूप में दुर्घटनाग्रस्त होने से आम लोगों और कंपनियों के बीच धन, लोकप्रिय निवेशों को रखा जा सकता है। यह स्थानीय बॉन्ड बाजारों में कुछ दर्द को शांत करने में भी मदद कर सकता है, जिसने ब्याज दरों में वृद्धि देखी है क्योंकि निवेशकों ने कोरोनोवायरस आर्थिक आशंकाओं के बीच पलायन किया है।
शुक्रवार की घोषणा इस सप्ताह के शुरू में फेड द्वारा घोषित एक कार्यक्रम का विस्तार करती है। खिलाया एक विज्ञप्ति में कहा गया बुधवार देर रात कि यह एक तथाकथित मनी मार्केट म्यूचुअल फंड लिक्विडिटी सुविधा स्थापित करेगा, जो ट्रेजरी विभाग से $ 10 बिलियन का समर्थन करेगा।
इसके अलावा शुक्रवार को, फेड ने यह सुनिश्चित करने के लिए एक और कदम उठाया कि दुनिया भर में डॉलर का प्रवाह जारी रहे, पांच साथी केंद्रीय बैंकों के साथ मिलकर अल्पकालिक मुद्रा स्वैप संचालन को अधिक बार किया जाए।
कर दिवस 15 जुलाई को स्थानांतरित हुआ।
ट्रेजरी सेक्रेटरी स्टीवन मेनुचिन ने शुक्रवार को कहा कि टैक्स डे 15 अप्रैल से 15 जुलाई तक चलेगा, जिससे सभी करदाताओं को अपना रिटर्न दाखिल करने के लिए ��ीन महीने का अतिरिक्त समय मिलेगा।
श्री मन्नुचिन ने कहा कि यह निर्णय राष्ट्रपति ट्रम्प के निर्देश पर किया गया था। इससे पहले, ट्रेजरी विभाग ने व्यक्तियों और कंपनियों को 15 जुलाई तक कर भुगतान को स्थगित करने की अनुमति दी थी, लेकिन अभी भी अप्रैल में अपना रिटर्न दाखिल करना आवश्यक था।
ट्रेजरी सचिव ने सभी करदाताओं को प्रोत्साहित किया, जो समय पर फाइल करने के लिए धनवापसी की उम्मीद कर रहे थे ताकि उन्हें अपना पैसा मिल सके। श्री मन्नुचिन ने कहा है कि देरी से संयुक्त राज्य अमेरिका की अर्थव्यवस्था में $ 300 बिलियन की अस्थायी तरलता आ जाएगी।
कैलिफ़ोर्निया का तालाबंदी देश की अर्थव्यवस्था पर एक और पैलेट डाल रहा है।
Gov. Gavin Newsom ने कैलिफ़ोर्निया के 40 मिलियन लोगों को ऑर्डर दिया उनके घरों में रहो जितना संभव हो और अधिकांश व्यवसायों को बंद करने के लिए, न केवल राज्य की अर्थव्यवस्था पर, बल्कि राष्ट्र के रूप में भी इसका गहरा प्रभाव पड़ेगा।
कैलिफ़ोर्निया की $ 3 ट्रिलियन अर्थव्यवस्था दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी ह��, और यह अपने बड़े निर्यात उद्योगों, अपने विशाल कृषि क्षेत्र और अंतरराष्ट्रीय व्यापार के केंद्र के रूप में इसकी भूमिका के माध्यम से वैश्विक वाणिज्य के साथ अत्यधिक एकीकृत है। अधिकांश अमेरिकी आयात अंतर्देशीय गोदामों में जाने से पहले राज्य के बंदरगाहों और हवाई अड्डों के माध्यम से आगे बढ़ते हैं और फिर ट्रकों और ट्रेनों द्वारा संयुक्त राज्य भर में ऑटो डीलरों, कारखाने के फर्श और खुदरा विक्रेताओं को आपूर्ति करने के लिए भेजे जाते हैं।
“हम संघीय आय करों का एक बड़ा हिस्सा योगदान करते हैं, और देश में प्रवेश के बंदरगाह हैं,” कैलिफोर्निया अर्थव्यवस्था के सतत अध्ययन केंद्र के निदेशक स्टीफन लेवी ने कहा।
चीन संगरोध करता है, काम पर लौटने का लक्ष्य रखता है।
चीन स्थानीय कोरोनोवायरस प्रसारण के नए मामलों को शून्य करने के लिए घोषणा करने के बाद देश के अधिकांश हिस्सों में लोगों और सामानों की आवाजाही की बाधाओं को दूर कर रहा है।
चीन के नंबर 2 अधिकारी, ली केकियांग ने कहा कि देश के कुछ हिस्सों में श्रमिकों के लिए अनिवार्य संगरोध से छुटकारा पाने सहित लाखों लोगों के लिए काम में तेजी लाने के लिए सरकार कदम उठाएगी। बयान।
चीन दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था के आर्थिक इंजन को पाने के लिए उत्सुक है और सरकारी आंकड़ों को नुकसान पहुंचाने के बाद फिर से चल रहा है, संभावना है कि यह 1976 के बाद से अपने पहले आर्थिक संकुचन का सामना करेगा।
इस सप्ताह की शुरुआत में, सरकार ने कहा कि यह वायरस के आयातित मामलों की रिकॉर्ड संख्या तक पहुंच गया, जैसे चीन में स्थानीय मामले शून्य हो गए। चीनी अधिकारी अब उन यात्रियों पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं जो विदेश से आ रहे हैं जो संभावित रूप से मामलों की दूसरी लहर शुरू कर सकते हैं।
नौकरी के नुकसान की एक धार अमेरिकी अर्थव्यवस्था को डूबने की धमकी देती है।
अमेरिकी श्रमिकों पर कोरोनोवायरस महामारी के विनाशकारी प्रभाव के शुरुआती संकेत में, श्रम विभाग ने गुरुवार को बेरोजगारी के दावों में 30 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की, जो रिकॉर्ड पर सबसे बड़े स्पाइक्स में से एक है।
उछाल – 281,000 नए दावे – एक नई सच्चाई को दर्शाता है: कोई भी उम्मीद है कि व्यवसाय अपने कर्मचारियों को बड़े पैमाने पर बरकरार रख सकता है जल्दी से वाष्पित हो गया है।
नौकरी के नुकसान इतने संवेदनशील हो गए हैं कि ट्रम्प प्रशासन राज्य के श्रम अधिकारियों से बेरोजगारी के दावों की सटीक संख्या जारी करने में देरी करने के लिए कह रहा है।
कोरोनावायरस शिपिंग देरी निर्माण को रोक रही है।
जब निर्माण सामग्री प्राप्त करने की बात आती है, तो रियल एस्टेट डेवलपर्स अक्सर वैश्विक रूप से खरीदते हैं, स्थानीय रूप से नहीं। लेकिन जैसा कि कोरोनोवायरस दुनिया भर में फैलता है, देशों को एक ठहराव में लाता है, विदेशी आपूर्ति की पहुंच की कमी निर्माण उद्योग के माध्यम से जिटर्स भेज रही है।
मजदूरों का कहना है कि बड़े पैमाने पर आवासीय और व्यावसायिक परियोजनाओं में अब तक संगमरमर, टाइल, फ़र्श के पत्थर, फ़र्नीचर, प्रकाश उपकरण और लिफ्ट जैसे सामान और यहां तक कि स्वयं इमारतों के मॉडल भी शामिल हैं।
कई मोर्चों पर चेतावनी के संकेत दिखाई दे रहे हैं। और असफलताओं से लाखों लोगों को रोजगार देने वाले उद्योग में नौकरियों का खतरा है। कई मामलों में, कोई सामग्री का मतलब कोई काम नहीं है, विश्लेषकों का कहना है।
रिपोर्टिंग और अनुसंधान में एलेक्जेंड्रा स्टीवेन्सन, बेन डोले, जेसन करियन, एडम सैटेरियनो, एमी त्सांग, जेना स्मियालेक, मटीना स्टीविस-गिडनेफ, कॉनर डौबर्टी, एमिली फ्लिटर, सीजे ह्यूजेस, बेन कैसेलमैन, नीरज चोकशी, डैनियल विक्टर और केविन ग्रानो का योगदान था।
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The post आर्थिक नुकसान ढेर ऊपर, निवेशकों को किनारे पर रखते हुए: लाइव अपडेट appeared first on Dinvar- News, Articles, Technology, Fashion, Lifestyle, Business, Entertainment.
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भाजपा सरकार के आरक्षण विरोधी रुख के खिलाफ दिए गए प्रदेश स्तरीय धरना एवं प्रदर्शन के दौरान संबोधन- मुझे खुशी है कि एससी, एसटी और ओबीसी प्रकोष्ठ ने और एमबीसी ने मिलकर के ये आयोजन किया। जैसा अभी पायलट जी बता रहे थे आपको कि जैसे ही फैसला आया सुप्रीम कोर्ट के अंदर कांग्रेस प्रेसीडेंट सोनिया गांधीजी ने, राहुल गांधी जी ने तमाम राज्यों को संदेश दिया कि सरकार की मंशा ठीक नहीं है। केन्द्र सरकार जिस प्रकार से एजेंडा थोप रही है, ये एजेंडा आरएसएस का है, बीजेपी का है। उसके अनुरूप जो काम होते जा रहे है एक के बाद एक वो कहां ले जाकर छोड़ेंगे देश को देश की दशा क्या होगी। ये जो है एजेंडा उनकी नीयत ठीक नहीं है। लोकतंत्र में चुनाव जीत गए वो लोग। वोट आए 100 में से 39 वोट 61 वोट खिलाफ पड़े हैं। चुनाव जीतना अलग बात है 100 में से 61 वोट खिलाफ है, 39 वोट पक्ष के अंदर है। क्या उनको अधिकार है बिना आवाम की आवाज को देखते हुए फैसला करें, किए जा रहे है चाहे धारा 370 हो, ट्रिपल तलाक हो, जो चाहे फैसला कर रहे है। जो असहमति व्यक्त करते है वो देशद्रोही है। वो पाकिस्त��न से मिला हुआ है। दिल्ली में क्या हुआ मालूम है आपको जो सत्ता पक्ष के लोग है वो मुख्यमंत्री को कहते है ये आतंकवादी है। करंट जाएगा शाहीन बाग तक करंट जाएगा। इन गद्दारों को गोली मारो। यूपी के मुख्यमंत्री क्या कहते है ये ऐसे नहीं मानेंगे ये गोली से मानेंगे। कोई कह सकता है मुख्यमंत्री किसी राज्य का मुख्यमंत्री कह सकता है, प्रजा के लिए। ऐसे नहीं मानेंगे ये तो गोली से मानेंगे और यूपी में 15 लोग मार दिए और जब में बदला लूंगा आप लोग शांत हो जाइए, कंपनी जब्त हो जाएगी। इस माहौल में देश चल रहा है। नागरिक संशोधन विधेयक पास हुआ, एनपीआर की बात हुई, एनआरसी जो आसाम में जो फेल हो गया 19 लाख लोग सलैक्ट हुए बाहर हो गए एनआरसी से। 19 में से 16 लाख हिंदू निकले। वहां कि सरकार बीजेपी की है वो लागू नहीं कर पा रही है। कैसे पूरे मुल्क में लागू करोगे। ऐसे क्यों हो रहा है, आज एससी,एसटी लोगों को आशंकाएं क्यों हो रही हैं। संदेह क्यों हो रहा है। इसलिए हो रहा है, क्योंकि सरकार की नीति में खोट है, नियत में खोट है। वो एजेंडा थोपने के लिए कुछ भी कर सकती है। फायरिंग करवा सकती है। जो करवाया यूपी के अंदर। मुख्यमंत्री भड़का रहा है पुलिस को। दिल्ली में क्या हुआ जेएनयू क��� अंदर नकाबपोश लोग गए अंदर नौजवान, मारपीट की लड़कियों के साथ में लड़कों के साथ में, पुलिस की एस्कोर्ट में बाहर निकले कोई मुकदमा दायर नहीं हुआ। जामिया मिलिया में ऐसे ही हुआ। चार पांच दिन पहले लड़कियों के साथ छेड़छाड़ की, दीवार फांदकर गए लड़के पुलिस की देखरेख में, कुछ नहीं हुआ। क्या जा रहा है, देश किस दिशा में जा रहा है। कहां लोकतंत्र है देश के अंदर। इस माहौल में जब देश चल रहा है तो संदेह होना लाजमी है। इसलिए आपको याद होगा अभी अविनाश जी कह रहे थे। पहले हम लोगों ने शांति मार्च निकाला और शानदार 4-5 लाख लोग सड़कों पर आ जाए और एक झंडा नीचे नहीं गिरे एक नारा नहीं लगे। तख्तियां लेकर चलें और जो डिवाइडर होता है सड़कों के बीच में एक फूल तक नहीं टूटा हो। क्या कहेंगे इसको। उसी वक्त वहां यूपी में क्या हो रहा था तांड़व हो रहा था हिंसा का। इसलिए एससी,एसटी का सोचना लाज़मी है। 28 तारीख को दिसंबर को प्रदेश कांग्रेस कमेटियों ने निकाला। पूरे देश की प्रदेश कांग्रेस कमेटियों को काम दिया गया। कांग्रेस स्थापना दिवस था उसको हमने संविधान बचाओ के रूप में मनाया और शानदार रूप से आप लोगों ने उसको कामयाब किया। भारत बचाओ का नारा दिया एआईसीसी ने जिलों में आपने अच्छा काम किया। प्रदेश कांग्रेस कमेटी ने अच्छा जुलूस निकला। शानदार तरीके से लोग आए और दिल्ली के रामलीला मैदान में आप लोगों ने रिकॉर्ड तोड़ दिया इसके लिए आप बधाई के पात्र हैं। राजस्थान के कार्यकर्ता बहुत जागरूक हैं, समझता है देश में क्या हो रहा है। इसलिए जो आव्हान किया है एआईसीसी ने, प्रदेश कांग्रेस कमेटी ने हम लोगों ने आप कोई चूक नहीं करते हो। परसों की बात है हम लोगों ने तय किया धरना देंगे, ज्ञापन देंगे राज्यपाल महोदय को। और दो दिन के अंदर आप सब लोग इकठ्ठे हो गए। और यहां जो बैठे है वो सिर्फ एससी के लोग नहीं है, एसटी के नहीं है 36 कौमों के लोग है। यही होना चाहिए। ये मुद्दा खाली एससी, एसटी का नहीं है ये मुद्दा संविधान की मूल भावना का है। जिसकी धज्जियां उड़ा रहे हैं। एनडीए गवर्नर्मेंट, मोदी जी, अमित शाह जी। नागरिक संशोधन विधेयक क्या है। एक धर्म को अलग करके आपने कानून पास कर दिया। बाबा साहब अंबेडकर ने क्या कहा सभी धर्म, सभी जाति के लोगों को समान अधिकार मिले। क्या आप कर सकते हो चेंज उसमें, कर सकते हो चेंज। अगर आपने एक शुरूआत की पता नहीं आप कहां ले जाओगे। कभी कह दोगे आरएसएस तो बोलने लग गई थी। आरक्षण की जरूरत क्या है एससी, एसटी को 70 साल हो गए। बिहार चुनाव में सुना होगा आप लोगों ने मोहन भागवत जी बोले पहली ��ार सफाया हो गया उनका, बिहार से सफाया हो गया उनका। आपको याद होगा ये जान पूछकर भ्रम पैदा करने के लिए कभी आरक्षण को हटाने की बात करेंगे, फिर कहेंगे हमारा मकसद ये नहीं था, हमारा संकल्प ये नहीं था। ये जो तमाम बातें हो रही है देश के अंदर आशंका पैदा करते है किस रूप में फासिस्ट रूप में किस तरीके से एक तरफा फैसले किए जा रहे है एक के बाद एक। आप बताइए क्या जरूरत पड़ी कि आज 400-500 जगह धरने चल रहे है। राजस्थान में ही 20-25 जगह धरने चल रहे है। सर्दी के वक्त में क्या तकलीफ हुई होगी महिलाओं को, बच्चों को, मुस्लिम भी थे, हिंदू भी थे, एक्टिविस्ट भी थे, सोशल वर्कर भी थे। क्या जरूरत पड़ी क्योंकि इस सरकार पर विश्वास नहीं रहा लोगों का। सरकार बनना अलग बात है विश्वास कायम करना दूसरी बात है। वो विश्वास कायम रखा जाता है जब सारे फैसले आवाम क्या चाहती है वो देखकर होते हैं। क्या फैसले ऐसे कर रहे है ये लोग। उस रूप में जो ये देश चल रहा है आरक्षण को खतरा होना भी स्वाभाविक है। जिस दिन इनका सारा एजेंडा समाप्त हो जाएगा, कॉमन सिविल कोड लाने की बात चल रही है। जो इनके मैनिफैस्टो के अंदर है वो भी लाएंगे उसके बाद में जब मौका लगेगा सुबह घोषणा मिलेगी जैसे नोटबंदी की मिली थी या नहीं, नोटबंदी का क्या मिली थी। हमारे मोदीजी कैबिनेट से उठकर गए। बोले आप रूको मैं अभी आता हूं, उनको भी नहीं कहा। सीधा टीवी के अंदर प्रसारण आया कि भाईयों और बहनों अभी 8 बजे है रात को 12 बजे के बाद में आपका 500,1000 का नोट बंद हो गया है। 500,1000 का नोट बंद खत्म, खारिज कर दिया है। ये कौन कर सकता है उसकी क्या दुर्गति हुई है अर्थव्यवस्था बर्बाद हो गई है। जीएसटीसी ने और बर्बाद कर दिया है। पूरा देश आर्थिक संकट के दौर से गुजर रहा है। इनके खुद के एडवाइजर कहते है कि अर्थव्यवस्था आईसीयू में चली गई है। क्या क्या कामेंट नहीं आ रहे है अरे निर्मला सीतारमण जो इनकी वित्त मंत्री है उनके पति कहते है कि इस सरकार को समझ ही नहीं है अर्थव्यवस्था की। बताईए आप, पंडित नेहरू को छोड़ दिया इन्होंने उनकी नीतियों को। अब इनको चाहिए नरसिम्हा राव के वक्त में डॉ मनमोहन सिंह जी की जो नीतियां थी उनको अपनाएं तो अर्थव्यवस्था बच जाएगी। एक केन्द्रीय मंत्री के पति को ये बात कहनी पड़ती है क्या करें। इनकी कोई क्रेडिबिलिटी नहीं रही है। क्रेडिबिलिटी खत्म होती जा रही है। क्योंकि देश में खाली मोदी और अमित शाह सिर्फ दो लोग राज कर रहें है। बीजेपी के नेता भी अंदर ही अंदर धमेड़े देते जा रहे है। वो भी मन ही मन कहता है कि इनको सबक मिलना चाहिए। अभी दिल्ली के अंदर चुनाव हुए परि��ाम आने लगे बीजेपी के अंदर मेरे पास खबर आई आर्टिकल आया, कि यार ये 20 जगह कैसे आगे आ गई बीजेपी हमारी ये तो सिंगल डिजिट पर आनी चाहिए थी। सुबह-सुबह 20 जगह आगे आ रही थी ना तो बीजेपी वालों ने ही कहा कि ये 20 कैसे आ गई इसकी दुर्गति तो 10 के अंदर- अंदर होनी चाहिए थी। अब बताइए आप। पूरा देश दुखी है धीरे-धीरे बीजेपी वाले खुद दुखी होते जा रहे है। इसलिए मैं कहूंगा कि ये खतरनाक खेल है आरक्षण को लेकर के आपको याद होगा पिछली बार लड़ाई लडी थी पूरी प्रमोशन में आरक्षण को लेकर और हमारे जो थे हाईकोर्ट ने फैसला दे दिया हमारे खिलाफ में चीफ सैक्रेटरी को जेल भेज दिया, डीजीपी को जेल भेजने का फैसला दे दिया। हम लोग सुप्रीम कोर्ट से जीतकर आए। तो राजस्थान में शांति है। राजस्थान में शांति है आज कोई वर्ग हो सब संतुष्ट है सरकार के फैसले से, खाली एक मात्र राजस्थान है देश के अंदर जिसने राज्य में आराम से अपने फैसला करवा दिया। और सबने स्वागत किया। पर जो सुप्रीम कोर्ट की नियत है और जो फैसला आया है उसे लोग स्वीकार नहीं कर पाए है। उसे लोग अनफॉरचुनेट बता रहे है। अब केन्द्र को चहिए ये धरना क्यों दिया जा रहा है। केन्द्र को चाहिए जो एआईसीसी ने सोनिया गांधीजी ने, र��हुल गांधीजी ने जो फैसला किया है पूरे देश में आव्हान करो। सभी लोग एससी,एसटी, ओबीसी, एमबीसी, और आर्थिक रूप से पिछ़डे लोगों को आरक्षण मिल गया है 10 प्रतिशत उस आरक्षण की रक्षा के लिए सब आगे आएं और हिम्मत दिखाएं जिससे भविष्य में हिम्मत नहीं हो आरक्षण को खत्म करने की। एक ध्वनि निकल रही है इनकी बातों से वो जो खतरा है, आधा करने के लिए आपको तकलीफ दी गई है। सुप्रीम कोर्ट ने ये भी कह दिया राज्यों को आप दवाब नहीं दे सकते हो आरक्षण के लिए प्रमोशन के अंदर। ये बहुत खतरनाक संदेश जाएगा इससे लोग घबरा गए हैं। मैं चाहूंगा कि पार्लियामेंट के अंदर क्यों नहीं वापस संशोधन हो कि प्रमोशन में आरक्षण मिलना चाहिए। जितना उनका हक है वो उन्हें मिलना चाहिए जैसे राजस्थान में मिला है। राजस्थान को क्यों नहीं मॉडल बनाकर ये सरकार पूरे देश के अंदर प्रमोशन में आरक्षण लागू करवाए। मेन मुद्दा ये है इसकी तरफ सबका ध्यान जाना चाहिए। जनरल कास्ट को मिलेगा उसमें उसके अनुपात के अंदर, एससी, एसटी का हक है उसको मिलेगा। ये राजस्थान में हुआ है। इसलिए में आपको अनुरोध करूंगा आज आपका आना बहुत मायनें रखता है। पूरा समाज एकजुट है एससी एसटी के लोगों के लिए कई बार हार्ट बर्निंग होती है मैं कहना चाहूंगा आपको की आज भी अपनी ईमानदारी से बात करें जो अपना एससी वर्ग है। गांवों में क्या स्थिति है उसकी हरिजनों की स्थिति क्या है। गटर में उतारते हैं उसको सफाई करने के लिए मर जाते हैं कई गैस के अंदर। छुआछुत आज भी है देश के अंदर। मीटिंग होती है जैसे यह मीटिंग हो रही है ��ब बैठे हैं यहां पर और अलग दरियां लगी हुई हैं दरियां भी नहीं लगी हुई है। दरी पर खुद बैठेंगे। एक कोने के अंदर बिना दरियों के शेड्यूल कास्ट लोग बैठते हैं। अलग से बैठते हैं यह स्थिति है जिस मुल्क में छुआछुत हो, भेदभाव हो। 100 साल पहले रवीन्द्र नाथ टेगौर ने कहा था राष्ट्रवाद से भी बड़ी मानवता है। जब मानवता नहीं रहेगी तो राष्ट्रवाद क्या रहेगा और यह राष्ट्रवाद के नाम पर लोगों को भड़का रहे हैं बीजेपी वाले, आरएसएस वाले, राष्ट्रवाद का जहर घोल रहे हैं। इनका राष्ट्रवाद छद्म राष्ट्रवाद है। हम लोग बैठें हैं राष्ट्रवादी हैं असली राष्ट्रवादी हम यहां बैठे हुए हैं। उनका छद्म राष्ट्रवाद है चुनाव जीतने के लिए हैं। हिन्दुओं को भड़काने के लिए है। यह नहीं सोचते 20 प्रतिशत आबादी मुस्लिम समुदाय की है वो कहां जाएगी। आज ये मुस्लिम मायनॉरिटी पर हमला कर रहे हैं। कल यह सिखों पर आएंगे। बुद्ध पर आएंगे क्या चाहते हैं ये लोग। मैं चाहता हूं कि हिन्दू राष्ट्र का यह जो सपना है इन लोगों का कभी साकार नहीं होगा और हिन्दू राष्ट्र की बात करने वालों को आखिरी में अपनी बात कह कर मैं बात समाप्त करता हूं। आरएसएस वालों, बीजेपी वालों, सुन लो, क्या एससी का आदमी हिन्दू नहीं है, एसटी का हिंदू नहीं है। आपने कभी कोशिश की छुआछुत मिटाने की इन लोगों के साथ में। कितने परिवार के लोग आपके उनके साथ बैठकर खाना खाते हैं। कितने परिवार के लोगों में छुआछुत मिटाने के लिए अभियान चलाया है आपने। कभी आरएसएस ने चलाया है। हमारे नेताओं ने तो आजादी के वक्त में ही हमारे जो बड़े-बड़े नेता थे। जयनारायण व्यास हो चाहे माणिक्य लाल वर्मा हो, हीरालाल शास्त्री हो। उस जमाने में बड़े-बड़े नेता हरिजनों को मंदिरों में प्रवेश कराना चाहते थे। लाठी-डंडा खाते थे। तुमने क्या किया 70 साल के अंदर आप बात करते हो हिन्दू संस्कारों की, संस्कृति की। परम्पराओं की। क्या यह परम्परा नहीं है कि मानव-मानव के साथ भेद हो रहा हैं। करते हो क्या आप लोग कुछ कोशिश। ये आरएसएस वाले क्या चाहते हैं। हिन्दू की बात करते हैं और हिन्दू के अंदर भी भेदभाव करते हैं। पहले आरएसएस को सब काम छोड़कर के छुआछुत मिटाने का काम करें तब मैं समझूंगा कि आरएसएस का मकसद हिन्दू राष्ट्र बनाने की असली मंशा इनकी है जो यह नहीं कर पाएंगे ये लोग। इसलिए मैं यही बात कहता हुआ आपको आह्वान करूंगा ध्वनि निकल रही है केन्द्र सरकार के मंत्रियों से, इनके मैम्बर पार्लियामेंट से, आरएसएस के नेताओं से, वो ध्वनियां बहुत खतरनाक हैं। कब जाकर के ये घोषणा कर दे कि हम आरक्षण खत्म करते हैं। आगे नहीं बढ़ाएगे कोई भरोसा नहीं है इनका ये भरोसे लायक है ही नहीं है। इसलिए जरूरत पड़ी आज धरने ��ी। यही बात कहता हुआ मैं अपनी बात समाप्त करता हूं। धन्यवाद, जय हिन्द, धन्यवाद
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ATM was clement, many people became rich by getting 500 notes instead of 100, but then … – एटीएम मेहरबान हुई, 100 की जगह 500 के नोट पाकर कई हो गए मालामाल; लेकिन फिर… बेंगलुरु: कर्नाटक में एक बैंक एटीएम (ATM) ने कई लोगों को मालामाल कर दिया. इस एटीएम में से 100 रुपये के नोटों की जगह 500 रुपये क��� नोट निकलते रहे.
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Essay On Demonetisation In Hindi 2020
Essay on demonetisation in Hindi
Hello, There we are here again with yet another essay this time its Essay on Demonetisation in Hindi for the students and the people who are visiting this article. we hope you guys like it. What is Demonetisation? विमुद्रीकरण एक मुद्रा को कानूनी निविदा के रूप में छीनने के कार्य को संदर्भित करता है। विमुद्रीकरण में, मुद्रा का मौजूदा रूप संचलन से हटा दिया जाता है और सेवानिवृत्त हो जाता है। इसके अलावा, पैसे के इस रूप का प्रतिस्थापन नए नोटों या सिक्कों के साथ होता है। कभी-कभी, एक राष्ट्र पूरी तरह से पुरानी मुद्रा के स्थान पर एक नई मुद्रा का परिचय देता है। अधिकांश उल्लेखनीय, विमुद्रीकरण एक ऐसा कदम है जिसमें एक सरकार एक निश्चित मूल्यवर्ग के नोटों या सिक्कों पर प्रतिबंध लगाती है।
केंद्रीय बैंक द्वारा मुद्राओं या अन्य कीमती सामान की वापसी को राष्ट्र में कानूनी निविदा के रूप में इस्तेमाल किया जाना है। ऐसी मुद्राएं या तो स्क्रैप में बदल जाती हैं या बैंकों में जमा होती हैं और उनकी जगह नई मुद्राएं लेती हैं। मुद्रा के विमुद्रीकरण का अर्थ है, विशेष मुद्रा को संचलन से अलग करना और इसे नई मुद्रा के साथ बदलना। मौजूदा संदर्भ में यह कानूनी निविदा के रूप में 500 और 1000 मूल्यवर्ग के करेंसी नोटों पर प्रतिबंध है। डिमोनेटाइजेशन एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें मुद्रा इकाई को अब कानूनी निविदा के रूप में नहीं माना जाता है, और एक नया संस्करण इसकी जगह लेता है। दुनिया भर में कई सरकारों ने काले बाजार पर अंकुश लगाने और मुद्रा नोटों की जालसाजी को रोकने के लिए यह उपाय किया है। जबकि कुछ देश सफल थे, अन्य लोग विमुद्रीकरण के पीछे अपने लक्ष्यों में बुरी तरह विफल रहे। आइए हम भारत के मामले को उजागर करने से पहले विभिन्न देशों में विमुद्रीकरण परिदृश्यों पर एक नज़र डालें। Essay on demonetisation in hindi pdf दुनिया भर के कई देशों की सरकारों ने काले धन पर अंकुश लगाने और करेंसी नोटों की जालसाजी रोकने के लिए यह कठोर कदम उठाया है। कुछ देश बुरी तरह से विफल रहे, जबकि अन्य विमुद्रीकरण के पीछे अपने लक्ष्यों में सफल रहे। आइए एक नज़र डालते हैं उन देशों पर जो विमुद्रीकरण और उनके प्रभाव का सामना करते हैं। Demonetisation worldwide अफ्रीकी देश: घाना और नाइजीरिया ने क्रमशः 1982 और 1984 में विमुद्रीकरण की कोशिश की। घाना कर चोरी और भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाना चाहता था, जबकि नाइजीरिया कर्ज में डूबी अर्थव्यवस्था को ठीक करना चाहता था। दोनों असफल थे, और इसके परिणामस्वरूप अर्थव्यवस्था कमजोर हो गई। 2015 में जिम्बाब्वे सरकार ने जिम्बाब्वे डॉलर को अमेरिकी डॉलर से बदल दिया। इससे पहले, जिम्बाब्वे में एक सौ ट्रिलियन जिम्बाब्वे डॉलर की मुद्रा मूल्यवर्ग था। म्यांमार: 1987 में म्यांमार में सैन्य शासन ने मूल्य में अस्सी प्रतिशत धन को अमान्य कर दिया। इससे भयानक आर्थिक संकट उत्पन्न हो गया। बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन हुए, और इसके परिणामस्वरूप लगभग एक हजार लोगों की निर्मम हत्या हुई। सोवियत संघ: 1991 में मिखाइल गोर्बाचेव ने 50 और 100 रूबल नोट वापस लेने के निर्णय का नेतृत्व किया। परिणामस्वरूप, अर्थव्यवस्था ध्वस्त हो गई और यहां तक कि यूएसएसआर के टूटने के परिणामस्वरूप। ऑस्ट्रेलिया: ऑस्ट्रेलियाई सरकार 1992 में पहली बार प्लास्टिक के नोट लाने वाली थी। 1996 में, ऑस्ट्रेलिया ने जाली नोटों के खतरे को ठीक करने के लिए सभी नोटों को प्लास्टिक मुद्रा द्वारा बदलने का फैसला किया। चूंकि बहुलक आधारित नोट पहले से ही चार साल से उपयोग में थे, इसलिए संक्रमण सुचारू था और इसका अर्थव्यवस्था पर कोई प्रभाव नहीं पड़ा। पाकिस्तान: पाकिस्तान ने 2016 में अपने कुछ संप्रदायों के साथ दूर करने और उन्हें नए डिजाइन के साथ बदलने का फैसला किया। डेढ़ साल से पहले परिवर्तन के बारे में लोगों को सूचित किया गया था। इससे उन्हें पुराने नोटों को नए के साथ एक्सचेंज करने में काफी समय मिला, और इस प्रक्रिया में कोई अराजकता नहीं थी। Demonetisation In India? 8 नवंबर, 2016 को प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने घोषणा की कि रुपये 500 और 1000 रुपये के मूल्यवर्ग अमान्य होंगे और भुगतान के एक मोड के रूप में उपयोग नहीं किया जाएगा। दो संप्रदाय सबसे बड़े थे, और उन्हें निस्तारण करके, लगभग 86% परिसंचारी नकदी बेकार हो गई। विमुद्रीकरण के पीछे सरकार द्वारा उद्धृत कारण निम्नानुसार हैं: काला-धन बाजार की कार्यवाही पर अंकुश लगाने के लिए। नकली मुद्राओं को खत्म करने और उन पर निर्भर आतंकवादी अभियानों को समाप्त करने के लिए। देश में व्याप्त भ्रष्टाचार से लड़ने के लिए। पुराने नोटों के बदले में 500 रुपये और 2000 रुपये के नए नोट जारी किए गए थे। लेकिन विनिमय तत्काल नहीं था; लोगों को अपना पैसा पाने के लिए लंबी कतारों में इंतजार करना पड़ा। 2015 की अघोषित विदेशी आय और संपत्ति (कर का प्रभाव) की ऊँची एड़ी के जूते पर; और 2016 की आय प्रकटीकरण योजना, नरेंद्र मोदी सरकार ने 500 और 1000 रुपये की मुद्रा के विमुद्रीकरण की घोषणा की है, जिसे कई विशेषज्ञों द्वारा मास्टरस्ट्रोक के रूप में संदर्भित किया गया है।
Demonetisation Essay In Hindi
मूल अर्थ यह आरबीआई / सरकार द्वारा मुद्रा नोट की स्थिति को कानूनी निविदा के रूप में उपयोग किए जाने की स्थिति को वापस लेने के निर्णय को संदर्भित करता है। आमतौर पर, RBI द्वारा जारी की गई सभी मुद्राओं का उपयोग कानूनी निविदा के रूप में किया जा सकता है, क्योंकि उनके द्वारा लिए गए मूल्य का वादा RBI द्वारा किया जाता है और एक बार जब मूल्य का विमुद्रीकरण / वापस ले लिया / वापस कर दिया जाता है, तो मुद्रा नोट का उपयोग नहीं किया जा सकता है। वैश्विक स्तर पर केंद्रीय बैंक एक ऐसी प्रथा का पालन करते हैं जिसमें पुराने नोटों को वापस ले लिया जाता है और बढ़ी हुई सुरक्षा सुविधाओं के साथ नए करेंसी नोट जारी किए जाते हैं ताकि जाली मुद्रा के खतरे को दूर किया जा सके। Why Was Demonetisation Done In India? काले धन / समानांतर अर्थव्यवस्था / छाया अर्थव्यवस्था के खतरे से निपटने के लिए भारत में नकदी का प्रसार सीधे भ्रष्टाचार से जुड़ा हुआ है इसलिए हम नकद लेनदेन को कम करना चाहते हैं और भ्रष्टाचार को भी नियंत्रित करना चाहते हैं और इस तरह कैशलेस लेनदेन की ओर कदम बढ़ाते हैं। नकली मुद्रा के खतरे का मुकाबला करने के लिए आतंकवादी गतिविधियों / आतंकी फंडिंग के लिए इस्त���माल की जा रही नकदी को रोकना यह केवल दूसरी बार स्वतंत्रता के बाद (1946 में ��जादी के पहले विमुद्रीकरण किया गया था) कि विमुद्रीकरण जैसे उपाय की घोषणा की गई है। आखिरी बार यह 1978 में मोरारजी देसाई सरकार के तहत 500 रुपये, 1000 रुपये और 10000 रुपये के नोटों के विमुद्रीकरण के समय हुआ था। इस उपाय का मूल्यांकन करने वाली एक सीबीडीटी रिपोर्ट ने निष्कर्ष निकाला कि यह एक अप्रभावी कदम था क्योंकि उच्च संप्रदायों के केवल 15% का आदान-प्रदान किया गया था बाकी कभी भी सरकार द्वारा कड़े दंड के डर से सामने नहीं आए। हाई डिनोमिनेशन बैंक नोट्स (डिमोनेटाइजेशन) अधिनियम, 1978 के अनुसार, इसने उच्च मूल्यवर्ग के बैंक नोटों के हस्तांतरण और प्राप्ति पर रोक लगा दी और जमाकर्ताओं और अन्य लोगों द्वारा दंडित की गई झूठी घोषणा सहित कोई भी उल्लंघन किया गया - जुर्माना या तीन साल की जेल अवधि रिपोर्ट ने निष्कर्ष निकाला कि विमुद्रीकरण एक समाधान नहीं हो सकता है क्योंकि काले धन को बड़े पैमाने पर बेनामी संपत्ति, सराफा और गहने के रूप में रखा गया था। इस तरह के उपाय से केवल अधिक मुद्रा नोटों के रूप में लागत में वृद्धि होगी, जिन्हें मुद्रित करना होगा। यह बैंकिंग लॉजिस्टिक्स पर भी प्रतिकूल प्रभाव डाल सकता है (वर्तमान युग में यूरोपीय सेंट्रल बैंक ने घोषणा की है कि यह € 500 के नोट का उपयोग करेगा) भारत में प्रचलन में मुद्राओं का उच्चतम स्तर है जो इसके जीडीपी मूल्य का 12% से अधिक है; और 1000 और 500 रुपये के नोटों का प्रचलन में मुद्राओं का 24.4% (लगभग 2300 करोड़ रुपये) है, लेकिन प्रचलन में मुद्रा के मूल्य के संदर्भ में 85% से अधिक के लिए कहा गया है, इसलिए यह ध्यान रखना होगा कि भारत एक नहीं है इस खंड में अलग-अलग देश हैं, जैसे कि संयुक्त राज्य अमेरिका के 100 डॉलर के नोट और संचलन के लिए 80% से अधिक मुद्राओं के लिए जापान के for 10000 खाते हैं। RBI के अनुसार, भारत में 87% लेनदेन नकद लेनदेन है आरबीआई की रिपोर्ट के अनुसार, एटीएम कार्ड में डेबिट कार्ड 88% और 94% (क्रमशः वॉल्यूम और मूल्य के अनुसार) डेबिट कार्ड लेनदेन और 12% और पीओएस लेनदेन के लिए 6% खाते हैं। बुनियादी ढांचे की वृद्धि धीमी है - पीओएस मशीनें और एटीएम 1.2 मिलियन हैं (और भारत में लगभग 14 मिलियन व्यापारी हैं, संक्षेप में, 90% से अधिक व्यापारी क्रमशः पीओएस मशीनों का उपयोग नहीं कर रहे हैं) और 0.19 मिलियन। (2013 से 2015 तक, एटीएम में 43% और पीओएस मशीनों में 28% की वृद्धि हुई)| Advantages Of Demonetisation in India? सबसे पहले, विमुद्रीकरण भ्रष्टाचार को जगह लेने से काफी कम कर देता है। यह निश्चित रूप से भ्रष्ट प्रथाओं पर पूर्ण रोक लगाता है। विमुद्रीकरण से काले धन से निपटने वाले व्यक्तियों को उनके बुरे विचारों को पूरा करने से रोक दिया गया है। अधिकांश उल्लेखनीय, भ्रष्ट लोग भविष्य में नकदी जमा करने से डरेंगे। Essay on demonetisation in india in hindi डिमोनेटाइजेशन से बैंकिंग सिस्टम में काफी सुधार होता है। डिमोनेटाइजेशन निश्चित रूप से बैंकिंग प्रणाली में अधिक परिष्कार को बढ़ावा देगा। एक राष्ट्र की अर्थव्यवस्था विमुद्रीकरण के कारण एक कैशलेस दिशा में चली जाएगी। कैशलेस दिशा में आगे बढ़ने का मतलब होगा कि वित्तीय संचालन के लिए ऋण की पहुंच बेहतर हो। विमुद्रीकरण का एक और उल्लेखनीय लाभ सरकार के लिए देयता कम हो गया है। ऐसा इसलिए है क्योंकि विमुद्रीकरण तरल मुद्रा के जोखिम और दायित्व को कम करता है। इसके अलावा, हार्ड मनी को संभालने की तुलना में सॉफ्ट मनी को हैंडल करना कहीं अधिक आसान है। साथ ही, हर नोट सरकार के लिए एक दायित्व है। इसलिए, कुछ नोटों को प्रचलन से हटाकर विमुद्रीकरण इस दायित्व को कम करता है। इसलिए, पुरानी मुद्रा उन लोगों के लिए बेकार हो जाती है जो अपनी आय का खुलासा नहीं करते हैं। डिमोनेटाइजेशन से कर से बचने के कम उदाहरण मिलेंगे। यह निश्चित रूप से विमुद्रीकरण का एक बड़ा फायदा है। जो पैसा जमा किया जाता है, उसे आयकर अधिकारियों द्वारा ट्रैक किया जाएगा। इसलिए, लोग कर परिहार रणनीति का उपयोग करने में संकोच करेंगे। इसके अलावा, ऋण लेनदेन की जांच भी की जाएगी। नतीजतन, करों के प्रवाह में वृद्धि होगी। इससे निश्चित रूप से सरकार को और अधिक जन कल्याणकारी कदम उठाने होंगे। काले धन के खतरे को कुछ हद तक नियंत्रित किया जा सकता है आतंक के वित्तपोषण, गैरकानूनी गतिविधियों के लिए काले धन का उपयोग करना आदि सभी हिट होंगे नकली मुद्राएं जिनका वास्तविक अर्थव्यवस्था पर प्रभाव पड़ता है, उन्हें जड़ से उखाड़ फेंका जाएगा बैंकों में जमा राशि में वृद्धि होगी, जिससे ऋण प्रवाह में वृद्धि हो सकती है और उधार दर कम हो सकती है काला धन असंगत मांग को जोड़ता है और इसलिए कुछ हद तक मुद्रास्फीति नियंत्रण में रहेगी सरकार अपने राजस्व संग्रह को बढ़ाने का भी लक्ष्य बना रही है (जैसे- निश्चित जमा राशि पर आईटी दरों पर कर लगाकर, अन्य रूपों में कर संग्रह भी बढ़ेगा आदि) रियल एस्टेट काले धन के उत्पादन के प्रमुख स्रोतों में से एक है। इस कदम के साथ यह उम्मीद की जाती है कि संपत्ति बाजार की दरें नीचे या मध्यम हो सकती हैं यह सरकार द्वारा कैशलेस अर्थव्यवस्था बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम है| ऐसे परिदृश्य के तहत ईमानदार कर्मचारियों को पुरस्कृत किया जाएगा| चुनाव आम तौर पर काले धन की उत्पत्ति और प्रचलन से जुड़े ���ोते हैं, इस योजना के साथ नापाक तरीकों से चुनावों का वित्तपोषण प्रभावित होगा उम्मीद है कि इस कदम से सरकार का फिस्कल डेफिसिट कम हो सकता है| Demerits Of Demonetisation in India? मुद्रा के प्रदर्शन की घोषणा से लोगों को भारी असुविधा हुई है। वे नोट एक्सचेंज करने, जमा करने या निकालने के लिए बैंकों की ओर भाग रहे हैं। अचानक की गई घोषणा से स्थिति अराज�� हो गई है। नई मुद्रा के प्रचलन में देरी होने के कारण जनता के बीच टेंपरर अधिक चल रहे हैं। इसका व्यवसाय पर गहरा असर पड़ा है। नकदी की किल्लत के कारण पूरी अर्थव्यवस्था में ठहराव आ गया है। Short Essay on Demonetisation in Hindi बहुत से गरीब दिहाड़ी मजदूर बिना किसी काम के रह गए हैं और उनकी दैनिक आय रुक गई है क्योंकि नियोक्ता अपने दैनिक वेतन का भुगतान करने में असमर्थ हैं। सरकार को इस नीति को लागू करने में मुश्किल हो रही है। नए करेंसी नोटों की छपाई का खर्च उसे उठाना पड़ता है। नई मुद्रा को प्रचलन में लाना भी मुश्किल हो रहा है। 2000 रुपये का नोट लोगों पर एक बोझ है क्योंकि कोई भी इस तरह के उच्च मूल्य की मुद्रा के साथ लेनदेन करना पसंद नहीं करता है। कुछ आलोचकों का मानना है कि इससे भविष्य में लोगों को काले धन का उपयोग करने में आसानी होगी। इसके अलावा, कई लोगों ने विमुद्रीकृत करेंसी नोटों को बंद कर दिया है और यह देश की अर्थव्यवस्था के लिए एक नुकसान है। एक के लिए सभी काले धन को केवल नकदी के रूप में संग्रहीत नहीं किया जाता है और दूसरा यह उपाय परिणाम का ध्यान रखता है लेकिन भ्रष्टाचार और कर चोरी के कारण मुख्य रूप से काला धन उत्पन्न नहीं होता है। यह उपाय काले धन के उपयोग को नियंत्रित करता है लेकिन कारणों को नियंत्रित नहीं कर सकता है नई मुद्राओं के लिए अचानक और भारी मांग (essay on demonetisation in hindi ) आम आदमी के बीच दहशत (पहले से ही हमने उस मामले को देखा है जिसमें लोगों ने एमपी में उचित मूल्य की दुकान लूटी है, कैश कैरी करने वाली कंपनियां उच्च बीमा आदि की मांग कर रही हैं)। पहले से ही घबराहट के कारण लोग मुद्राएँ जमा कर रहे हैं जिससे बाजार में तरलता कम हो गई है छोटे व्यापार / दुकानदारों को कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है नए नोटों / मुद्राओं की कालाबाजारी बढ़ रही है बैंक, अस्पताल आदि जैसे प्रतिष्ठान बहुत तनाव में हैं एक अन्य क्षेत्र जो चिंता का कारण है, ग्रामीण मांग में गिरावट की संभावना है क्योंकि नकदी का उपयोग प्रतिबंधित हो जाएगा। इसके अलावा विशेषज्ञ एसएमई क्षेत्र, कृषि उत्पादन पर भी प्रभाव पड़ने की उम्मीद कर रहे हैं (अर्थव्यवस्था में अच्छे प्रदर्शन की उम्मीद थी क्योंकि दो खराब मानसून के बाद भी अच्छी रबी की फसल की उम्मीद थी, लेकिन एक प्रमुख अर्थशास्त्री प्रोनाब सेन ने कहा है कि विमुद्रीकरण है) मानसून के तीसरे बुरे वर्ष के रूप में यह कृषि उत्पादन पर प्रभाव पड़ेगा, लेकिन अधिक खतरनाक स्थिति यह उर्वरक, ट्रैक्टर क्षेत्रों पर प्रभाव डालती है) Challenges On Demonetisation in India पहली चुनौती इंटरनेट कनेक्शन और उपलब्धता है। विमुद्रीकरण के कारण बहुत से लोग कैशलेस हो गए। इसलिए, वे ई-कैश और ई-भुगतान का सहारा लेंगे। हालांकि, कई विकासशी�� देशों में, इंटरनेट कनेक्टिविटी काफी खराब है। इसलिए, यह किसी भी सरकार के लिए एक बड़ी चुनौती है जो विमुद्रीकरण को लागू करने का इरादा रखती है। नकदी की कमी विमुद्रीकरण का एक स्वाभाविक परिणाम है। नकदी की कमी निश्चित रूप से अराजकता का कारण बन सकती है। यह ठीक वैसा ही है जैसा 2016 के भारतीय नोटबंदी के दौरान हुआ था। इसके अलावा, लोगों को डिमोनेटाइज्ड बैंकनोट्स को जमा करने या एक्सचेंज करने में विभिन्न कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। साथ ही, एटीएम कई हफ़्तों या महीनों तक नकदी की कमी को दूर कर सकता है। विमुद्रीकरण के कारण ग्रामीण क्षेत्रों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। ऐसा इसलिए है क्योंकि ग्रामीण क्षेत्र और कृषि क्षेत्र अत्यधिक नकदी पर निर्भर हैं। इसके अलावा, इन लोगों को स्थिति को संभालने के लिए वित्तीय साक्षरता का अभाव है। इसके अलावा, ऐसे क्षेत्रों में अधिकांश लोग कंप्यूटिंग तकनीक और कैशलेस अर्थव्यवस्था से अनभिज्ञ हैं। इसे समाप्त करने के लिए, देश के आर्थिक तंत्र में विमुद्रीकरण निश्चित रूप से एक क्रांतिकारी कदम है। यह कुछ ऐसा है जो समय-समय पर देशों द्वारा अभ्यास किया जाता है। इसके अलावा, दुनिया भर में विमुद्रीकरण के उद्देश्य कमोबेश एक जैसे हैं। सबसे उल्लेखनीय है, राष्ट्रीय हितों को सबसे आगे रखकर निंदा करने का निर्णय आना चाहिए। बैंकिंग क्षेत्र का कवरेज- केवल 27% गांवों में 5 किलोमीटर (आर्थिक सर्वेक्षण 2015-16 के अनुसार) बैंक है जेडीवाई के कार्यान्वयन को रिकॉर्ड करने के बावजूद, बैंकिंग प्रवेश सभी राज्यों में औसतन 46% कम है (आर्थिक सर्वेक्षण 2015-16 के अनुसार) काले धन को लागू करने और मिटाने में एक और चुनौती अनौपचारिक अर्थव्यवस्था की मौजूदगी होगी। यह सकल घरेलू उत्पाद का 45% और रोजगार का 80% हिस्सा है इसलिए इस कदम का अनौपचारिक अर्थव्यवस्था पर अधिक प्रभाव पड़ सकता है सभी 500 और 1000 रुपये के नोटों को बदलने की लॉजिस्टिक और कॉस्ट चुनौतियां - आरबीआई के दस्तावेजों के अनुसार, इस उपाय से कम से कम 12000 करोड़ रुपये खर्च होंगे क्योंकि इसे इन मुद्राओं के 2300 करोड़ से अधिक टुकड़ों को बदलना होगा 2000 रुपये की मूल्यवर्ग की करेंसी और 500 रुपये और 1000 रुपये की करेंसी को जारी करने के फैसले से बड़ी चुनौती पैदा होगी, क्योंकि भारत में दिन के अधिकतर लेनदेन 500 रुपये के नोट (लगभग 47% से अधिक) के नोटों के चलन में हैं। 500 रुपए के नोट में है) 500 और 1000 रुपये के नोटों की उपलब्धता सबसे बड़ी चुनौती होगी क्योंकि जारी की गई कुल मुद्राओं के मूल्य के संदर्भ में दोनों 85% से अधिक हैं। Demonetisation essay in hindi इस प्रक्रिया के कारण एटीएम के सामने लोगों की भारी भीड़ और लंबी कतारें लग गई हैं और वित्त मंत्री के बयान के अनुसार एटीएम के पुनर्वितरण में लगभग 2 से 3 सप्ताह लगेंगे वित्त मंत्रालय द्वारा प्रस्तुत आंकड़ों के अनुसार, अक्टूबर-अंत में 17,50,000 करोड़ रुपये मूल्य के करेंसी नोट प्रचलन में थे, जिनमें से 85% प्रतिशत या 14,50,000 करोड़ रुपये अब 500 रुपये और 1,000 रुपये के बराबर हैं। टिप्पणियाँ। अब तक पहले चार दिनों में सरकार 50000 करोड़ रुपये (औसतन 12500 करोड़ रुपये) में पंप कर पाई है। इन नंबरों के अनुसार, इन नोटों को बदलने में लगभग 4 महीने का समय लगेगा क्योंकि पीएम द्वारा वादा किए गए 50 दिनों के मुकाबले Demonetisation in hindi essay Conclusion अर्थशास्त्री इस नीति के कई और गुणों और अवगुणों को सूचीबद्ध करने में व्यस्त हैं। सरकार कह रही है कि विमुद्रीकरण नीति के केवल फायदे हैं और यह दीर्घकालिक रूप में देखा जाएगा। पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह जो एक प्रसिद्ध अर्थशास्त्री, आरबीआई के पूर्व गवर्नर और देश के पूर्व वित्त मंत्री हैं, विमुद्रीकरण के कदम को 'संगठित लूट और कानूनी लूट' कहते हैं। हालांकि, अगर हम गुण छंद अवगुणों की तुलना करते हैं, तो यह निष्कर्ष निकालना सुरक्षित होगा कि पूर्ववर्ती उत्तरार्द्ध आगे बढ़ता है। यह तथ्य कि भारतीय नागरिकों ने अप्रत्याशित प्रक्रिया का समर्थन और अनुपालन किया है, उल्लेखनीय है। अतीत में, विमुद्रीकरण एक क्रमिक प्रक्रिया रही है या युद्ध, अतिपरिवर्तन, मुद्रा संकट आदि के लिए एक संवेदनशील उपाय के रूप में लिया गया था, वेनेजुएला को लोगों द्वारा मजबूत विरोध प्रदर्शन के बाद विमुद्रीकरण को वापस लेना पड़ा। इसलिए, हम कह सकते हैं कि कई भारतीयों ने महसूस किया कि विमुद्रीकरण के पीछे के इरादे हमारे कल्याण और प्रगति के लिए अच्छे और आवश्यक थे। जाली मुद्रा और काला ��ाजार रुपये के मूल्य को कमजोर करते हैं और अप्रत्यक्ष रूप से भ्रष्टाचार को खत्म करते हैं। इसलिए, आइए हम डिजिटल लेनदेन को अपनाने का संकल्प लें और एक अन्य विमुद्रीकरण के मामले में तैयार रहें। भले ही फिलहाल जनता के बीच दुख और पीड़ा है लेकिन पूर्वानुमान यह है कि इसका लाभ लंबे समय में देखने को मिलेगा। सरकार मुद्रा की मांग को पूरा करने के लिए सभी आवश्यक कदम और कार्रवाई कर रही है और जल्द ही नई मुद्रा के सुचारू प्रवाह के साथ लोगों का परीक्षण और क्लेश खत्म हो जाएगा। we hope you guys liked this essay on demonetisation in hindi, please share this essay to the students who are in search of such essay's. 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आरबीआई का बड़ा फैसला, एटीएम से नहीं निकलेगा 2000 रुपये का नोट! 8 नवंबर 2016 को हुई नोटबंदी के बाद 2000 रुपये के नोट का प्रचलन शुरू हुआ था। इतने बड़े नोट का फुटकर मिलना भी मुश्किल हो रहा था। अब इस नोट को बैंक धीरे-धीर एटीएम से हटा रहे हैं। इसके लिए एसबीआई ने शुरुआत कर दी है। एटीएम के दिशा न���र्देशों के तहत स्टेट बैंक ऑफ इंडिया ने छोटे शहरों और कस्बों में मौजूद एटीएम में से 2000 रुपये के नोट रखने के स्लॉट (कैस��ट) हटाए जा रहे हैं। हालांकि बड़े शहरों में ऐसा नहीं किया जा रहा। इस स्लॉट की जगह बैंक 100 रुपये, 200 रुपये और 500 रुपये के स्लॉट बढ़ा रहे हैं। बैंक 2000 के नोट को बंद करने के लिए चरणबद्ध तरीके से काम कर रहे हैं।
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RPF में निकली 798 पदों की भर्ती, जल्दी करें अप्लाई
rpf Recruitment 2019 : railway protection force (RPF) ने आधिकारिक नोटिफिकेशन जारी कर इच्छुक और योग्य उम्मीदवारों से कांस्टेबल पदों के लिए आवेदन आमंत्रित किए हैं। उम्मीदवार आधिकारिक वेबसाइट पर जाकर तय फॉर्मेट में 31 जनवरी, 2019 तक अप्लाई कर सकते हैं।
RPF Recruitment 2019 : रिक्ति विवरण कुल पद : 798
पदनाम का नाम कांस्टेबल
RPF Recruitment 2019 : मांगी गई शैक्षिक योग्यता जो उम्मीदवार इन पदों के लिए आवेदन करना चाहते हैं, उन्होंने मान्यता प्राप्त बोर्ड/यूनिवर्सिटी से 10वीं पास कर रखी हो। साथ ही उम्मीदवार भारत का नागरिक हो। पात्रता मानदंड की और अधिक जानकारी हासिल करने के लिए उम्मीदवार इस लिंक https://cpanc.rpfonlinereg.org/document/RPF032018.pdf पर क्लिक कर सकते हैं।
नोट : कांस्टेबल (सहायक) के लिए किसी मान्यता प्राप्त बोर्ड से Matriculation certificate केवल मान्य होगा। निर्धारित शैक्षणिक योग्यता की अंतिम परीक्षा के परीणाम की प्रतीक्षा करने वालों को आवेदन करने की जरूरत नहीं है।
RPF Recruitment 2019 : आयु सीमा मानदंड इन पदों के लिए आवेदन करने के इच्छुक उम्मीदवारों की उम्र 18 से 25 साल के बीच होनी चाहिए। हालांकि, सरकार के नियमों के तहत आरक्षित श्रेणी के उम्मीदवारों को उम्र सीमा में छूट दी जाएगी। आयु सीमा में छूट के लिए उम्मीदवारों को सलाह दी जाती है कि वे आधिकारिक वेबसाइट का अध्ययन कर लें।
RPF Recruitment 2019 : ऐसे करें आवेदन -आधिकारिक वेबसाइट http://www.indianrailways.gov.in/ पर लॉग इन करें
-'Link for Constable (Ancillary) Recruitment 2018' लिंक पर क्लिक करें
-नए पेज 'New Registration' पर क्लिक करें
-तय जगह में मांगी गई जानकारी भरें और ��मूह का चयन कर रजिस्टर करें
-इसके बाद रजिस्ट्रेशन नंबर, जन्म तिथि और कैप्चा कोड एंटर करें
-आवेदन फॉर्म को पूरा करें
-शुल्क अदा करें
-जरूरी दस्तावेज अपलोड करें
आवेदन शुल्क -सामान्य वर्ग : 500 रुपए
अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति/महिला/अल्पसंख्यक/आर्थिक रूप से पिछड़ा वर्ग : 250 रुपए
चयन प्रक्रिया इन पदों के लिए उम्मीदवारों का चयन कंप्यूटर आधारित परीक्षा (सीबीटी),Physical Efficiency Test (PET) and Physical Measurement Test (PMT), Trade Test(TT) and Document Verification (DV) के आधार पर होगा।
RPF Recruitment 2019 : वेतन -Level 2 : 19 हजार से 63 हजार 200 रुपए प्रतिमाह
-Level 3 : 21 हजार 700 से 69 हजार 100 रुपए प्रतिमाह
RPF Recruitment 2019 : जरूरी तारीखें -ऑनलाइन आवेदन करने की अंतिम तिथि : 30 जनवरी, 2019 (रात 23.59 बजे तक)
-आनलाइन शुल्क अदा करने की अंतिम तिथि : 1 फरवरी, 2019 (रात 23.59 बजे तक)
-ऑफलाइन शुल्क अदा करने की अंतिम तिथि (एसबीआई बैंक चालान, पोस्ट ऑफिस चालान) : 2 फरवरी, 2019 (रात 23.59 बजे तक) (उन उम्मीदवारों के लिए जो 30 जनवरी को रात 23.59 बजे तक अप्लाई करते हैं)।
from Patrika : India's Leading Hindi News Portal https://www.patrika.com/jobs/rpf-recruitment-2019-apply-for-798-posts-till-january-30-3990579/
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भारतीय नोट पर कब छपी गाँधी की तस्वीर -
भारतीय नोट का इतिहास
भारत विश्व कि उन प्रथम सभ्यताओं में से है जहाँ सिक्कों का प्रचलन लगभग छठी सदी ईसापूर्व में शुरू हुआ। रुपए शब्द का अर्थ शब्द रूपा से जोड़ा जा सकता है जिसका अर्थ होता है चाँदी।संस्कृत में रूप्यकम् का अर्थ है चाँदी का सिक्का। रुपया शब्द सन 1540 - 1545 के बीच शेरशाह सूरी के द्वारा जारी किए गए चाँदी के सिक्कों लिए उपयोग में लाया गया। मूल रुपया चाँदी का सिक्का होता था, जिसका वजन 11.34 ग्राम था, और उस समय ४० चाँदी के सिक्के 1 रूपया के बराबर होता था।यह सिक्का ब्रिटिश भारत के शासन काल में भी उपयोग मे लाया जाता रहा।ऐतिहासिक तौर पर रुपया चाँदी पर आधारित मुद्रा थी। १९वीं शताब्दी में इसके विपरीत परिणाम हुए, जब यूरोप और अमेरिका में भारी पैमाने मे चाँदी की खोज हुई। उस समय की मजबूत अर्थव्यवस्थाएँ सोने पर आधारित थीं। चाँदी की खोज से चाँदी और सोने के सापेक्षित मूल्यों में भारी अंतर आया। अचानक ही भारत की मुद्रा विश्व बाजार में उतना नहीं खरीद सकती थी जितना पहले। इसे "रुपए की गिरावट" के नाम से भी जाना जाता है।शुरूआत में एक रूपए को 16 आनों, 64 पैसों या 192 पाई में बाँटा गया। यानी 1 आना 4 पैसों या 12 पाई मे विभाजित था। दशमलव प्रणाली के अनुसार विभाजन हुआ 1869 मे श्रीलंका मे, 1957 मे भारत मे और 1961 मे पाकिस्तान मे।
रुपयो के कागज के नोटो को सबसे पहले जारी करने वालो मे से थे बैंक ऑफ हिन्दुस्तान (1770-1832), द जनरल बैंक ऑफ बंगाल एंड बिहार (1773-75, वारेन हास्टिग्स द्वारा स्थापित) और द बंगाल बैंक(1784-91)।शुरूआत मे बैंक ऑफ बंगाल द्वारा जारी किए गए कागज के नोटो पे केवल एक तरफ ही छपा होता था। इसमे सोने की एक मोहर बनी थी और यह १००, २५०, ५०० आदि वर्गो मे थे।बाद के नोट मे एक बेलबूटा बना था जो एक महिला आकृति, व्यापार का मानवीकरण दर्शाता था। यह नोट दोनो ओर छपे होते थे, तीन लिपिओं उर्दू, बंगाली और देवनागरी मे यह छपे होते थे, जिसमे पीछे की तरफ बैंक की छाप होती थी। 1800 सदी के अंत तक नोटों के मूलभाव ब्रितानी हो गए और जाली बनने से रोकने के लिए उनमे अन्य कई लक्षण जोडे गए।
भारतीय नोट पर कब आये गाँधी जी -
अभी हम हर नोट पे गाँधी जी को देखते है। कभी आप ने ये जानने की कोशिश की की गाँधी जी की तस्वीर कब भारतीय नोट पे आई और उससे पहले नोट अगर शुरू हो चुके थे तो नोट पे किसकी तस्वीर छपती थी। आये बताते आपको इसके पुरे विवरण के बारे में हुआ ये की 1947 जब भारत आज़ाद नहीं हुआ था तब भारतीय मुद्रा पे ब्रिटिश किंग जॉर्ज की तस्वीर वाले करेंसी नोट चलते थे। लेकिन आज़ादी के बाद देशवासी भारतीय करेंसी नोटों पर महात्मा गांधी की तस्वीर देखना चाहते थे। लेकिन सरकार को ये फैसला लेने में थोड़ा वक़्त चाहिए था इसलिए सबसे पहले भारतीय की उस समय की सरकार ने सबसे पहले किंग जार्ज की तस्वीर को हटा के सारनाथ स्थित लॉयन कैपिटल आ गया।
रिजर्व बैंक ने पहली बार सन 1969 में स्मरण के तौर पर गांधी जी की तस्वीर वाले 100 रुपये के नोट पेश किए थे।ये साल उनका जन्म शताब्दी वर्ष था और नोटों पर उनकी तस्वीर के पीछे सेवाग्राम आश्रम की तस्वीर भी थी।लेकिन गांधी जी की मौजूदा तस्वीर वाले करेंसी नोट पहली बार 1987 में छपे थे।गांधी जी के मुस्कराते चेहरे वाली इस तस्वीर के साथ सबसे पहले 500 रुपये का नोट अक्टूबर 1987 में पेश किया गया। इसके बाद गांधी जी की ये तस्वीर अन्य करेंसी नोटों पर भी इस्तेमाल होने लगी। फिर आम चूल परिवर्���न होते ही रहे। भारतीय रिज़र्व बैंक ने साल 1996 में एडिशनल फ़ीचर्स के साथ पहली बार महात्मा गांधी सीरीज़ के नोट जारी किये थे #इन फ़ीचर्स में बदला हुआ वाटरमार्क, विंडोड सिक्योरिटी थ्रेड, लेटेंट इमेज और विजुअल हैंडीकैप्ड लोगों के लिये इंटेग्लियो फ़ीचर्स भी शामिल थे।1996 से पहले 1987 में महात्मा गांधी की तस्वीर को वाटरमार्क के रुप में इस्तेमाल किया जाता था।
गाँधी जी जो तस्वीर हमे दिखती है वो कहा से ली गयी है -
सन 1996 में पहली बार महात्मा गांधी की तस्वीर वाले जो नोट चलन में आए वो 5, 10, 20, 100, 500 और 1000 रुपये के नोट थे। इस दौरान अशोक स्तंभ की जगह राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की तस्वीर और अशोक स्तंभ की फ़ोटो, नोट के बायीं तरफ़ निचले हिस्से पर प्रिंट कर दी गई. तब से लेकर अब तक गांधीजी की तस्वीर भारतीय नोटों पर दिखाई देती है लेकिन क्या आपने कभी सोचा है गांधी जी की जो तस्वीर हमें नोट पर दिखाई देती है वो कहां से ली गयी थी। महात्मा गांधी की ये तस्वीर पूर्व वायसराय हाउस (मौजूदा राष्ट्रपति भवन) में 1946 में खींची गई थी।गांधी जी म्यांमार (तब बर्मा) और भारत में ब्रिटिश सेक्रेटरी के रूप में कार्यरत फ्रेडेरिक पेथिक लॉरेंस से मुलाक़ात के लिए पहुंचे थे वहीं ली गई गांधी जी की तस्वीर को पोट्रेट के रूप में भारतीय नोटों पर अंकित किया गया।हालांकि, ये तस्वीर किस फ़ोटोग्राफ़र ने खींची थी इस बात की जानकारी किसी को भी नहीं हैं।
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फावा बीन्स (बाकला) के फायदे, उपयोग और नुकसान – Fava Bean Benefits and Side Effects in Hindi
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फावा बीन्स (बाकला) के फायदे, उपयोग और नुकसान – Fava Bean Benefits and Side Effects in Hindi
फावा बीन्स (बाकला) के फायदे, उपयोग और नुकसान – Fava Bean Benefits and Side Effects in Hindi Arpita Biswas Hyderabd040-395603080 December 24, 2019
हरी सब्जियां कई प्रकार की होती हैं। इन्हीं में एक है, फावा बीन्स। स्टाइलक्रेज का यह लेख इस खास प्रकार की सब्जी पर ही आधारित है। यहां पाठक जान पाएंगे कि शरीर के लिए फावा बीन्स के फायदे क्या हैं? साथ ही फावा बीन्स का उपयोग किस प्रकार किया जा सकता है। साथ ही इस लेख में फावा बीन्स के नुकसान के बारे में भी बताया गया है, लेकिन पाठक इस बात का ध्यान रखें कि फावा बीन्स के गुण लेख में बताई गई किसी भी बीमारी का इलाज नहीं है। शारीरिक समस्या के लिए डॉक्टरी उपचार जरूरी है।
आइए, जान लेते हैं कि फावा बीन्स क्या है।
विषय सूची
फावा बीन्स क्या है?
फावा एक प्रकार की बीन्स है, जिसे सब्जी के रूप में खाया जाता है। इसका वैज्ञानिक नाम विसिया फाबा (Vicia faba) है। इसे क्षेत्रीय भाषा में बाकला के नाम से भी जाना जाता है। वहीं, अंग्रेजी में इसे ब्रॉड बीन्स से नाम से पुकारा जाता है (1)। भले ही इसके नाम से बीन्स शब्द जुड़ा हो, लेकिन यह सब्जी मटर के परिवार (Pea family) से संबंध रखती है। इतिहास बताता है कि रोमन और यूनानियों के आहार में इसकी एक लोकप्रिय भूमिका थी। इसके अलावा, इसमें प्रोटीन, फाइबर और विटामिन ए जैसे कई जरूरी पोषक तत्व मौजूद होते हैं, जो कई तरीके से शरीर को लाभ पहुंचाने का काम कर सकते हैं (2)। इससे होने वाले स्वास्थ्य लाभों को आगे लेख में बताया गया है।
अब बारी आती है फावा बीन्स के फायदे के बारे में जानने की।
फावा बीन्स के फायदे – Benefits of Fava Bean in Hindi
फावा बीन्स न सिर्फ खाने में स्वादिष्ट होती है, बल्कि फावा बीन्स के गुण भी कई हैं। नीचे हम फावा बीन्स के फायदे के बारे में कुछ महत्वपूर्ण जानकारी देने की कोशिश कर रहे हैं।
1. पार्किंसन रोग के लिए फावा बीन्स के फायदे
पार्किंसन, तंत्रिका तंत्र से संबंधित एक बीमारी है। इस बीमार से पीड़ित व्यक्ति के शरीर में कंपन होता है, जिससे शारीरिक गतिविधियां प्रभावित होती हैं। विशेषज्ञों के अनुसार, यह समस्या तब होती है जब तंत्रिका कोशिकाएं डोपामाइन नामक मस्तिष्क रसायन का उत्पादन नहीं कर पाती हैं (3)। ऐसे में फावा बीन्स का उपयोग लाभकारी सिद्ध हो सकता है।
एनसीबीआई (National Center for Biotechnology Information) की वेबसाइट पर प्रकाशित शोध के अनुसार, फावा बीन्स एल-डोपा और सी-डोपा (एक प्रकार के एमिनो एसिड) का अच्छा स्रोत है। शोध में कुछ पार्किंसन रोगियों को फावा बीन्स का सेवन कराया गया। इसके सेवन से उनके खून में एल-डोपा और सी-डोपा के स्तर में वृद्धि देखी गई। इतना ही नहीं इसके सेवन से बिना किसी दुष्प्रभाव के पार्किंसन रोगियों के मोटर स्किल (शारीरिक विकास के साथ-साथ चीजों को पकड़ने, सिर को सीधा रखने और मांसपेशियों का उपयोग करना) में सुधार भी हो सकता है (4)। आमतौर पर, लेवोडोपा का उपयोग पार्किंसंस रोग के उपचार के लिए डोपामाइन के रिप्लेसमेंट के रूप में किया जाता है (5)।
2. जन्म दोषों से बचाव के लिए फावा बीन्स के फायदे
गर्भावस्था के दौरान गर्भवती के शरीर में फॉलिक एसिड की कमी होने वाले शिशु में जन्म दोष का कारण बन सकती है (6)। जन्म दोष का प्रभाव शिशु के शारीरिक और मानसिक विकास पर पड़ सकता है (7)। ऐसे में शिशु के सही विकास के लिए गर्भवती महिला फावा बीन्स का सेवन कर सकती है। फावा बीन्स फोलेट का एक अच्छा स्रोत है। प्रति 100 ग्राम ब्रॉड बीन्स में 0.423 मिलीग्राम फोलेट होता है (8)। सावधानी के तौर पर गर्भवती को इसका सेवन करने से पहले किसी विशेषज्ञ या डॉक्टर की सलाह जरूर लेनी चाहिए।
3. मधुमेह के लिए फावा बीन्स के फायदे
डायबिटीज की समस्या किसी को भी हो सकती है। ऐसे में जरूरी है कि खुद ध्यान रखा जाए। मधुमेह से बचाव के लिए फावा बीन्स मददगार साबि�� हो सकती है। एक वैज्ञानिक शोध के अनुसार, फावा बीन्स में मौजूद विसिने और डिवीसीन (Vicine and Divicine) नामक कंपाउंड के एंटी-डाइबिटिक गुण मधुमेह के लिए लाभकारी हो सकते हैं (1)।
4. कैंसर के लिए फावा बीन्स के फायदे
कैंसर एक प्राणघातक बीमारी है। ऐसे में इससे बचाव के लिए व्यक्ति को खुद का ध्यान रखना जरूरी है। कैंसर से बचाव के लिए फावा बीन्स लाभकारी हो सकती हैं। फावा बीन्स में एंटी-कैंसर गुण मौजूद होते हैं, जो खासकर पेट के कैंसर के खतरे को कम कर सकते हैं। इतना ही नहीं फावा बीन्स को पेट के कैंसर के उपचार के लिए सप्लीमेंट के तौर पर उपयोग किया जा सकता है (1)। ध्यान रखें कि यह कैंसर की स्थिति पर निर्भर करता है। इसके अलावा, कैंसर के लिए सिर्फ फावा बीन्स पर निर्भर रहना समाधान नहीं है। याद रखें कैंसर का एकमात्र इलाज डॉक्टरी उपचार है।
5. ब्लड प्रेशर के लिए फावा बीन्स के फायदे
फलियां पोटैशियम, मैग्नीशियम और फाइबर से भरपूर होती हैं। ये सभी पोषक तत्व रक्तचाप पर सकारात्मक प्रभाव डालते हैं। एनसीबीआई की वेबसाइट पर प्रकाशित रिसर्च पेपर के अनुसार, एक वैज्ञानिक शोध में 500 लोगों को शामिल किया गया। इनमें से आधे अधिक वजन वाले लोग थे, जिन्हें फलियां का सेवन कराया गया और उनमें रक्तचाप में कमी पाई गई। वहीं दूसरे अध्ययन के अनुसार, 113 मोटापे से ग्रस्त लोगों ने रिफाइंड कार्बोहाइड्रेट खाद्य पदार्थों के स्थान पर 18 महीने तक प्रतिदिन दो सर्विंग फलियों और चार सर्विंग अनाज का सेवन किया। इनमें रक्तचाप, ट्राइग्लिसराइड्स (रक्त में मौजूद एक प्रकार का फैट) और वजन में कमी देखी गई (9)। ये अध्ययन फलियों पर किए गए थे। इसलिए, फावा बीन्स सीधे तौर पर कितनी फायदेमंद हो सकती हैं, इस पर अभी और शोध की आवश्यकता है।
6. वजन घटाने के लिए फावा बीन्स के फायदे
आहार, जिसमें नियमित रूप से फलियां शामिल हैं, वजन नियंत्रण में मदद कर सकती हैं। फलियों में फाइबर, प्रोटीन और धीरे-धीरे पचने वाले कार्बोहाइड्रेट होते हैं, जो पेट के भरे रहने का अहसास कराते हैं। नेशनल हेल्थ एंड न्यूट्रिशन एग्जामिनेशन सर्वे (NHANES) में देखा गया है कि फलियों का सेवन न करने वालों की तुलना में विभिन्न प्रकार की फलियों का सेवन करने वाले वयस्कों में शरीर का वजन कम था। इसके अलावा, जो व्यक्ति फलियों का सेवन करते हैं, उनमें मोटापे का जोखिम भी कम हो सकता है। इतना ही नहीं प्रमाण यह भी है कि मेडिटेरियन डाइट जिसमें – फलियां, फाइबर और मोनोअनसैचुरेटेड शामिल हैं, वजन कम करने में लाभकारी हो सकती है (9)।
7. कोलेस्ट्रॉल के लिए फावा बीन्स के फायदे
नियमित रूप से फलियों का सेवन करने से एलडीएल (LDL) यानि हानिकारक कोलेस्ट्रॉल के स्तर में कमी हो सकती है। एनसीबीआई की वेबसाइट पर प्रकाशित शोध में 3 हफ्तों तक 10 लोगों ने फलियों का सेवन किया। इस परीक्षण में देखा गया कि फलियों का सेवन करने से कोलेस्ट्रॉल के स्तर में कमी हो सकती है।
इसके अलावा 31 व्यक्तियों पर किए गए एक अन्य परीक्षण से भी यह बात सिद्ध होती है। इसमें टाइप 2 मधुमेह वाले 31 व्यक्तियों को बिना किसी फली के आहार दिया गया। इसके अलावा, प्रति सप्ताह 3 दिन लाल मांस की दो सर्विंग्स की जगह पर भी फलियों का सेवन कराया गया है। इसके बाद शोधकर्ताओं ने फलिया खाने वाले व्यक्तियों में एलडीएल कोलेस्ट्रॉल और ट्राइग्लिसराइड्स (��्लड में मौजूद वसा) में तो सुधार देखा ही है। साथ ही ब्लड ग्लूकोज और इंसुलिन स्तर में भी सुधार पाया गया (9)। ध्यान रहे कि भले ही ये शोध फलियों के साथ तो किए गए हैं, लेकिन इसमें यह स्पष्ट नहीं है कि इसमें फावा बीन्स का उपयोग कितनी मात्रा में किया गया है। इसलिए, इस विषय में अभी और शोध की आवश्यकता है।
आगे जानिए फावा बीन्स के पौष्टिक तत्वों के बारे में, जो इसे इतना लाभकारी बनाते हैं।
फावा बीन्स के पौष्टिक तत्व – Fava Bean Nutritional Value in Hindi
नीचे हम फावा बीन्स के पौष्टिक तत्वों की सूची साझा कर रहे हैं (10)।
पोषक तत्व प्रति 100 ग्राम कोलीन 95.8 मिलीग्राम फोलेट 423.00 माइक्रोग्राम नियासिन 2.832 मिलीग्राम राइबोफ्लेविन 0.333 मिलीग्राम थियामिन 0.555 मिलीग्राम विटामिन ए 53.00 आईयू विटामिन ए, आरएई 3.00 माइक्रोग्राम विटामिन बी 6 0.366 मिलीग्राम विटामिन सी 1.4 मिलीग्राम विटामिन ई 0.05 मिलीग्राम टोकोफेरोल, अल्फा 0.05 मिलीग्राम विटामिन के 9.0 माइक्रोग्राम कैल्शियम 103.00 मिलीग्राम आयरन 6.70 मिलीग्राम मैग्नीशियम 192 मिलीग्राम मैंगनीज 1.626 मिलीग्राम फास्फोरस 421मिलीग्राम पोटैशियम 1062 मिलीग्राम सेलेनियम 8.2 माइक्रोग्राम सोडियम 13 मिलीग्राम जिंक 3.14 मिलीग्राम प्रोटीन 26.12 ग्राम कार्बोहाइड्रेट 58.29 ग्राम फाइबर 25.0 ग्राम शुगर 5.70 ग्राम फैट 1.53 ग्राम पानी 10.98 ग्राम
आगे जानते हैं कि फावा बीन्स का उपयोग कैसे किया जा सकता है।
फावा बीन्स का उपयोग – How to Use Fava Bean in Hindi
अगर फावा बीन्स के फायदे चाहते हैं, तो फावा बीन्स का उपयोग भी सही तरीके से करना जरूरी है। इसलिए, नीचे हम फावा बीन्स का उपयोग कैसे किया जा सकता है, उस विषय में जानकारी दे रहे हैं।
फावा बीन्स को आलू के साथ सब्जी बनाकर रात या दोपहर के भोजन के साथ लिया जा सकता है।
फावा बीन्स को प्याज और टमाटर के साथ भी सब्जी बनाकर सेवन किया जा सकता है।
सुबह या शाम फावा बीन्स को सलाद में उपयोग कर सेवन किया जा सकता है।
सुबह या शाम फावा बीन्स से बने सूप का भी सेवन किया जा सकता है।
नोट : कभी-कभी सब्जी, सूप या अन्य तरीकों से इसका सेवन किया जा सकता है। वहीं, अगर फावा बीन्स की मात्रा की अगर बात करें, तो यह व्यक्ति की उम्र और स्वास्थ्य पर निर्भर करता है। इसे कितनी मात्रा में सेवन करना है, इसके लिए डॉक्टर या विशेषज्ञ से सलाह लेना बेहतर है।
ज्यादा सेवन से फावा बीन्स के नुकसान भी हो सकते हैं, जिसके बारे में हम लेख के अगले भाग में जानकारी दे रहे हैं।
फावा बीन्स से नुकसान – Side Effects of Fava Bean in Hindi
बीन्स के नुकसान बताकर हमारा अपने पाठकों को डराने का उद्देश्य नहीं है। हम नुकसान इसलिए बता रहे हैं, ताकि फावा बीन्स का उपयोग व्यक्ति सावधानी से कर���।
ग्लूकोज-6-फॉस्फेट डिहाइड्रोजनेज (G6PD-एक प्रकार का एंजाइम) की कमी से हीमोलिटिक एनीमिया हो सकता है। इसमें लाल रक्त कोशिकाएं समय से पहले टूटने (Breakdown) लगती हैं (11)। वैसे तो हीमोलिटिक एनीमिया की समस्या अनुवांशिक है, लेकिन कभी-कभी यह समस्या फावा बीन्स के सेवन से भी हो सकती है (12)।
अगर कोई पहली बार फावा बीन्स का सेवन कर रहा है, तो इसका कम मात्रा में ही सेवन करें। खासतौर पर वो व्यक्ति जिन्हें नए खाद्य पदार्थों से फूड एलर्जी का जोखिम रहता हो।
ध्या�� रहे कि गर्भावस्था में फावा बीन्स के सेवन से पहले डॉक्टर की सलाह लें। गर्भावस्था के दौरान जरूरत से ज्यादा फावा बीन्स के सेवन से नवजात शिशु में ग्लूकोज-6-फॉस्फेट डिहाइड्रोजनेज (G6PD) की कमी हो सकती है। इससे हिमोलिटिक एनीमिया का खतरा हो सकता है (13)।
फावा बीन्स के फायदे अनेक है। अगर फावा बीन्स को सही मात्रा और तरीके से उपयोग किया जाए, तो यह एक लाभकारी आहार हो सकता है। हमारी कोशिश यही रही कि इस लेख के माध्यम से हम पाठकों तक फावा बीन्स की ज्यादा से ज्यादा जानकारी पहुंचा सकें। अगर फिर भी फावा बीन्स या फावा बीन्स के नुकसान से संबंधित कोई सवाल हो, तो उसे नीचे दिए कमेंट बॉक्स के जरिए बेझिझक हमारे साथ शेयर करें। हम उसका जल्दी से जल्दी जवाब देने की पूरी कोशिश करेंगे, तब तक के लिए फावा बीन्स के फायदे और फावा बीन्स का उपयोग से संबंधित इस लेख को ज्यादा से ज्यादा लोगों के साथ शेयर करें।
अक्सर पूछे जाने वाले सवाल
क्या फावा बीन्स को कच्चा खाया जा सकता है?
हां, फावा बीन्स को कच्चा खाया जा सकता है, लेकिन बेहतर है इसे पकाकर खाया जाए। इसमें लेक्टिन मौजूद होता है (14), अगर यह सही तरीके से न पका हो, तो इससे उल्टी, पेट दर्द व मतली जैसी समस्या हो सकती हैं।
फावा बीन्स, लिमा बीन्स से कैसे अलग हैं?
ये दोनों एक ही परिवार से संबंधित हैं। ये बनावट और पकाने की प्रक्रिया के मामले में भिन्न हैं। लीमा बीन्स को छीलना नहीं पड़ता है। इसके अलावा, लिमा बीन्स पकाए जाने के बाद फावा बीन्स जैसे कड़े नहीं होते हैं।
कुछ लोकप्रिय भाषाओं में फवा बीन्स को क्या कहा जाता है?
इसे अंग्रेजी में फावा बीन्स के अलावा ब्रॉड भी कहा जाता है, जबकि हिंदी में बाकला और स्पेनिश में हाबस (Habas) कहा जाता है।
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Arpita Biswas
अर्पिता ने पटना विश्वविद्यालय से मास कम्यूनिकेशन में स्नातक किया है। इन्होंने 2014 से अपने लेखन करियर की शुरुआत की थी। इनके अभी तक 1000 से भी ज्यादा आर्टिकल पब्लिश हो चुके हैं। अर्पिता को विभिन्न विषयों पर लिखना पसंद है, लेकिन उनकी विशेष रूचि हेल्थ और घरेलू उपचारों पर लिखना है। उन्हें अपने काम के साथ एक्सपेरिमेंट करना और मल्टी-टास्किंग काम करना पसंद है। इन्हें लेखन के अलावा डांसिंग का भी शौक है। इन्हें खाली समय में मूवी व कार्टून देखना और गाने सुनना पसंद है।
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बैंको से उठा लोगो का विश्वास
आज नोटबंदी को तीन साल पूरे हो गए हैं। प्रधानमंत्री मोदी के इस ऐतिहासिक फैसले के पीछे का मकसद काला धन, आतंकवाद, बढ़ी नोटों की जमाखोरी, नकली नोट जैसे मुद्दो पर लगाम लगाने का था। लेकिन सरकार के इस बड़े कदम की आज क्या स्थिति है..? दो हजार रुपये की जमाखोरी बढ़ी है। काले धन पर भी रोक नहीं लगी है और ना ही आतंकवाद पर कोइ लगाम नहीं लगी है। घटने की जगह नकली नोटों की संख्या बढ़ी है। इस नोटबंधी एक फायदा हुआ है और वो है डिजिटल भुकतान को बढ़ावा मिला है पर इसमें भी धोखाधड़ी के केस सामने आ रहे है। बढ़ी दो हजार रुपये की जमाखोरी नवंबर 2016 के बाद जहां डिजिटल भुगतान में बढ़ोतरी देखने को मिली, वहीं अन्य कारण जो उस वक्त बताए गए थे, उनमें किसी तरह की कमी नहीं आई है। नोटबंदी के बाद जो दो हजार रुपये का नोट शुरू किया गया था, लेकिन उसकी भी छपाई को रोक दिया है। आरबीआई ने इस नोट को एटीएम से भी देने पर रोक लगा दी है। बैंक अब एटीएम में से दो हजार रुपये के नोट की कैसेट को निकाल कर 500, 200 और 100 रुपये की कैसेट ज्यादा लगा रहे हैं। बैंक का तर्क है कि लोग दो हजार के नोट की जमाखोरी करने लगे हैं। इस वजह से इसकी छपाई रोक दी गई है। वहीं अब यह नोट केवल बैंक शाखाओं में मिल रहा है। डिजिटल भुगत��न में हुआ इजाफा नोटबंदी के दौरान सरकार ने कहा था कि वो नकदी का प्रचलन कम करने के लिए डिजिटल और कार्ड से भुगतान को ज्यादा बढ़ावा देंगे। तीन साल बाद जहां एक तरफ डिजिटल भुगतान में बढ़ावा देखने को मिला है, वहीं दूसरी तरफ नकदी आज भी लोगों की जरूरत है। नकदी का प्रचलन कहीं से भी कम नहीं हुआ है। अर्थशास्त्री मोहन गुरुस्वामी का कहना है कि नोटबंदी के बाद लोगो में बैंकों में धन जमा करने को लेकर शंका बढ़ गई है। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय सांख्यिकी आंकड़ों के अनुसार, 2011-12 से 2015-16 तक बाजार में चल रही कुल नकदी की तुलना में महज 9-12 फीसदी नकदी ही लोग घरों में जमा करते थे। 2017-18 में यह आंकड़ा बढ़कर 26 फीसदी हो गया। इस दौरान डिजिटल लेनदेन को काफी बढ़ावा मिला है। डिजिटल भुगतान में भी धोखाधड़ी के मामले ज्यादा सामने आने के चलते भी लोग फिर से नकद ट्रांजेक्शन ज्यादा करने लगे हैं। अक्तूबर में यूपीआई के जरिये 1 अरब डिजिटल ट्रांजेक्शन किए गए। इसके अलावा पेटीएम, अमेजन-पे, गूगल-पे, फोन-पे जैसे भुगतान एप के जरिये भी डिजिटल लेनदेन तेजी से बढ़ रहा है। काले धन पर नहीं लगी रोक नोटबंदी का सबसे बड़ा कारण काला धन था। यह कम होने के बजाए बढ़ता गया है। हाल ही में संपन्न हुए लोकसभा या फिर विधानसभा के चुनाव हों, बड़ी अरबों रुपये जांच एजेंसियों को दो हजार और पांच सौ के नोट मिले है, जिनका कोई हिसाब-किताब नहीं था। आयकर अधिकारियों द्वारा समय-समय पर मारे जा रहे छापों में भी यह बात सामने आ रही है, जिसमें लोगों के पास बड़ी संख्या में ऐसे नोट मिले हैं। नकली नोटों की संख्या बढ़ी अगर नोटबंदी से पहले के समय की बात करें, तो नकली नोटों का प्रचलन काफी ज्यादा था। नोटबंदी के बाद इस बारे में आरबीई ने एक रिपोर्ट भी जारी की है। भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के डाटा के मुताबिक, देश में नकली नोटों के मामलों में तेज बढ़ोतरी हुई है। वित्त वर्ष 2017-18 के मुकाबले पिछले वित्त वर्ष में नकली नोटों में 121 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है। 2,000 रुपये के नकली नोटों की बात करें, तो यह आंकड़ा 21.9 फीसदी है। 200 रुपये के 12,728 जाली नोट मिले, जबकि पिछले साल सिर्फ 79 ही पकड़े गए थे। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने पिछले दिनों सदन में एक सवाल के जवाब में कहा था कि 4 नवंबर, 2016 को बाजार में कुल 17,741 अरब रुपये के मूल्य के बराबर नकदी चलन में थी, जो 29 मार्च 2019 तक बढ़कर 21,137.64 अरब रुपये पहुंच गई। इस तरह बाजार में 3,396 अरब रुपये की नकदी ज्यादा चल रही है। एनसीआरबी के आंकड़ों के अनुसार 2016 में जहां 24.61 करोड़ के नकली नोट पकड़े गए थे, वहीं 2017 में यह बढ़कर 28 करोड़ पहुंच गया। हालांकि, इसके बाद नकली नोटों की संख्या में उल्लेखनीय कमी आई है। Read the full article
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उत्तराखंड : एक साल में एक करोड़ से अधिक की करेंसी खपाई, पकड़ में आए तो किए कई खुलासे
पुलिस ने पकड़े नकली नोट – फोटो : अमर उजाला
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चंपावत जिले के टनकपुर में नकली करेंसी के साथ पकड़े गए आरोपी बीते एक साल से नकली करेंसी बनाने और उसे आसपास के इलाकों में खपाने का कार्य कर रहे थे। अनुमान लगाया जा रहा है कि एक साल के दौरान अभियुक्तों ने एक करोड़ से अधिक के नकली नोट स्थानीय बाजारों में खपा दिए होंगे।
यह भी पढ़ें… उत्तराखंड: चंपावत में चार लाख की नकली करेंसी के साथ तीन युवक गिरफ्तार
नकली नोट प्रिंट करने का कार्य ऊधमसिंह नगर जिले के नानकमत्ता कस्बे में स्थित जन सुविधा केंद्र (सीएससी) में लैपटाप और स्कैनर के जरिए किया जा रहा था। अभियुक्त नकली 200 और 500 रुपये के नोटों को आधे दामों में देते थे, जिस कारण अधिकतर लोग इनके झांसे में आकर नकली नोट बाजार में खपाने में सहयोग देते थे।
आरोपियों की ओर से तैयार 100 और 200 रुपये के नोट हूबहू असली नोटों की तरह लगने से आसानी से बाजार में खपाए जा रहे थे। 500 रुपये के नोट की पेपर की क्वालिटी खराब होने के कारण ये लोग शक के दायरे में आ गए थे। पुलिस अधीक्षक लोकेश्वर सिंह के अनुसार मुखबिर से मिली सूचना के आधार पर बीते कुछ समय से पुलिस आरोपियों की गतिविधियों पर नजर रखे हुए थी।
नकली करेंसी के साथ पकड़े गए तीनों आरोपियों का अभी तक कोई भी आपराधिक इतिहास नहीं रहा है। पुलिस अधीक्षक के अनुसार स्कैनर के जरिए नोट छापने वाला आरोपी हरदेव सिंह इंटर पास है। हरदेव सिंह के अलावा बृजकिशोर और रियाज का अब तक कोई भी आपराधिक इतिहास नहीं मिला है। अलबत्ता पुलिस मामले की तहकीकात में जुटी हुई है।
पुलिस के रडार में कई और लोग भी शामिल
नकली करेंसी बाजार में खपाने के मामले में टनकपुर-बनबसा क्षेत्र में कई अन्य लोग भी पुलिस की रडार में है। पुलिस अधीक्षक के अनुसार जल्द ही नकली करेंसी चलाने के मामले में लिप्त अन्य लोगों को भी हिरासत में लिया जाएगा।
पुलिस टीम में ये लोग रहे शामिल
नकली करेंसी के साथ तीन आरोपियों को पकड़ने वाली पुलिस टीम में टनकपुर के प्रभारी निरीक्षक धीरेंद्र कुमार, उप निरीक्षक योगेश दत्त, एसओजी प्रभारी वीरेंद्र रमौला, कांस्टेबल मतलूब खान, राकेश रौंकली, मनोज बैरी, धर्मवीर सिंह, दीपक प्रसाद, शाकिर अली, सद्दाम हुसैन, भुवन पांडेय आदि शामिल रहे।
नकली करेंसी के मामले में पकड़े गए आरोपी बृजकिशोर के पास ���ो सौ रुपये की 11 गड्डी, सौ रुपये की दो गड्डी, अभियुक्त रियाज के पास सौ रुपये की छह गड्डी और हरदेव सिंह के पास दो सौ रुपये की चार, सौ रुपये की एक और मिक्स नोट की गड्डी के अलावा पांच सौ रुपये के 40 नोट वन साइड प्रिंट बरामद किए गए।
आसान नहीं है असली, नकली नोटों की पहचान करना
बाजार में आने वाले नोट असली और नकली होने की पहचान कर पाना आम लोगों के लिए बेहद कठिन है। भारतीय स्टेट बैंक के मुख्य शाखा प्रबंधक प्रमोद अरोड़ा के अनुसार बैंक के दक्ष स्टाफ और स्कैनर की मदद से ही नकली नोटों की पहचान की जा सकती है।
आरसेटी के पूर्व निदेशक जर्नादन चिलकोटी का कहना है कि नोट में महात्मा गांधी के वाटर मार्क्स के साथ नोट को हल्की रोशनी में टेढ़ा कर तथा नोट में अंकित अंकों के आधार पर नकली नोट की पहचान की जा सकती है।
2000 और 500 के नोट पर करीब 15-15 ऐसे निशान हैं जिनकी पहचान करने से नोट की असलियत सबके सामने आ सकती है। इसमें सबसे बड़ी पहचान ओमरोन एंटी है जो महात्मा गांधी के फोटो के ठीक ऊपर सफेद रंग के गोलों के रुप में हैं।
अगर कोई नोट की फोटोकॉपी करता है तो इन निशान के जरिए उसे पकड़ा जा सकता है। छोटे-छोटे अक्षरों में आरबीआई और 2000 लिखा है। नोट को हल्का से मोड़ने पर इस थ्रीड का कलर हरा से नीला हो जाता है।ऊपर में सबसे बाईं तरफ और नीचे में सबसे दाहिने तरफ लिखे नंबर बाएं से दाएं तरफ बड़े होते जाते हैं।
नोट के पिछले भाग पर वर्ष, स्वच्छ भारत का लोगो, भाषा पैनल, मूल्यवर्ग अंक देवनागरी में और ओमरोन एंटी निशान भी दे रखे हैं। इन सभी के मिलान से नोट की असलियत का पता लगाया जा सकता है। 500 के नोट में देवनागरी में 500 लिखा दिखेगा। पुराने नोट की तुलना में महात्मा गांधी की तस्वीर का ओरिएंटेशन और पोजिशन थोड़ा अलग है। पुराने नोट की तुलना में गारंटी क्लॉज, गवर्नर के सिग्नेचर, प्रॉमिस क्लॉज और आरबीआई का लोगो दाहिनी ओर शिफ्ट हो गया है।
सीथ्रू रजिस्टर आरपार मिलान मुद्रण
मूल्यवर्ग अंक की छिपी हुई प्रतिमा
महात्मा गांधी के चित्र में जगह का बदलाव
रंग परिवर्तक सुरक्षा धागा
छोटे से बढ़ते आकार के अंक
रुपये का चिन्ह रंग परिवर्तक स्याही के साथ
अशोक स्तंभ
वाटर मार्क
भारत सरकार की गारंटी
गर्वनर के हस्ताक्षर सहित वचन खंड
मूल्यवर्ग अंक देवनागरी में
सार
एक साल से नकली करेंसी बनाने का काम कर रहे थे अभियुक्त
सीएससी सेंटर में लैपटाप, स्कैनर से बनाए जाते थे नकली नोट
आधे दाम में दिए जाते थे 200 और 500 रुपये के नकली नोट
विस्तार
चंपावत जिले के टनकपुर में नकली करेंसी के साथ पकड़े गए आरोपी बीते एक साल से नकली करेंसी बनाने और उसे आसपास के इलाकों में खपाने का कार्य कर रहे थे। अनुमान लगाया जा रहा है कि एक साल के दौरान अभियुक्तों ने एक करोड़ से अधिक के नकली नोट स्थानीय बाजारों में खपा दिए होंगे।
यह भी पढ़ें… उत्तराखंड: चंपावत में चार लाख की नकली करेंसी के साथ तीन युवक गिरफ्तार नकली नोट प्रिंट करने का कार्य ऊधमसिंह नगर जिले के नानकमत्ता कस्बे में स्थित जन सुविधा केंद्र (सीएससी) में लैपटाप और स्कैनर के जरिए किया जा रहा था। अभियुक्त नकली 200 और 500 रुपये के नोटों को आधे दामों में देते थे, जिस कारण अधिकतर लोग इनके झांसे में आकर नकली नोट बाजार में खपाने में सहयोग देते थे।
आरोपियों की ओर से तैयार 100 और 200 रुपये के नोट हूबहू असली नोटों की तरह लगने से आसानी से बाजार में खपाए जा रहे थे। 500 रुपये के नोट की पेपर की क्वालिटी खराब होने के कारण ये लोग शक के दायरे में आ गए थे। पुलिस अधीक्षक लोकेश्वर सिंह के अनुसार मुखबिर से मिली सूचना के आधार पर बीते कुछ समय से पुलिस आरोपियों की गतिविधियों पर नजर रखे हुए थी।
आरोपियों का आपराधिक इतिहास नहीं
नकली करेंसी के साथ पकड़े गए तीनों आरोपियों का अभी तक कोई भी आपराधिक इतिहास नहीं रहा है। पुलिस अधीक्षक के अनुसार स्कैनर के जरिए नोट छापने वाला आरोपी हरदेव सिंह इंटर पास है। हरदेव सिंह के अलावा बृजकिशोर और रियाज का अब तक कोई भी आपराधिक इतिहास नहीं मिला है। अलबत्ता पुलिस मामले की तहकीकात में जुटी हुई है।
पुलिस के रडार में कई और लोग भी शामिल
नकली करेंसी बाजार में खपाने के मामले में टनकपुर-बनबसा क्षेत्र में कई अन्य लोग भी पुलिस की रडार में है। पुलिस अधीक्षक के अनुसार जल्द ही नकली करेंसी चलाने के मामले में लिप्त अन्य लोगों को भी हिरासत में लिया जाएगा।
पुलिस टीम में ये लोग रहे शामिल
नकली करेंसी के साथ तीन आरोपियों को पकड़ने वाली पुलिस टीम में टनकपुर के प्रभारी निरीक्षक धीरेंद्र कुमार, उप निरीक्षक योगेश दत्त, एसओजी प्रभारी वीरेंद्र रमौला, कांस्टेबल मतलूब खान, राकेश रौंकली, मनोज बैरी, धर्मवीर सिंह, दीपक प्रसाद, शाकिर अली, सद्दाम हुसैन, भुवन पांडेय आदि शामिल रहे।
अभियुक्तों से बरामद हुई नकली करेंसी का विवरण
नकली करेंसी के मामले में पकड़े गए आरोपी बृजकिशोर के पास दो सौ रुपये की 11 गड्डी, सौ रुपये की दो गड्डी, अभियुक्त रियाज के पास सौ रुपये की छह गड्डी और हरदेव सिंह के पास दो सौ रुपये की चार, सौ रुपये की एक और मिक्स नोट की गड्डी के अलावा पांच सौ रुपये के 40 नोट वन साइड प्रिंट बरामद किए गए।
आसान नहीं है असली, नकली नोटों की पहचान करना
बाजार में आने वाले नोट असली और नकली होने की पहचान कर पाना आम लोगों के लिए बेहद कठिन है। भारतीय स्टेट बैंक के मुख्य शाखा प्रबंधक प्रमोद अरोड़ा के अनुसार बैंक के दक्ष स्टाफ और स्कैनर की मदद से ही नकली नोटों की पहचान की जा सकती है।
आरसेटी के पूर्व निदेशक जर्नादन चिलकोटी का कहना है कि नोट में महात्मा गांधी के वाटर मार्क्स के साथ नोट को हल्की रोशनी में टेढ़ा कर तथा नोट में अंकित अंकों के आधार पर नकली नोट की पहचान की जा सकती है।
2000 के नोट की पहचान
2000 और 500 के नोट पर करीब 15-15 ऐसे निशान हैं जिनकी पहचान करने से नोट की असलियत सबके सामने आ सकती है। इसमें सबसे बड़ी पहचान ओमरोन एंटी है जो महात्मा गांधी के फोटो के ठीक ऊपर सफेद रंग के गोलों के रुप में हैं।
अगर कोई नोट की फोटोकॉपी करता है तो इन निशान के जरिए उसे पकड़ा जा सकता है। छोटे-छोटे अक्षरों में आरबीआई और 2000 लिखा है। नोट को हल्का से मोड़ने पर इस थ्रीड का कलर हरा से नीला हो जाता है।ऊपर में सबसे बाईं तरफ और नीचे में सबसे दाहिने तरफ लिखे नंबर बाएं से दाएं तरफ बड़े होते जाते हैं।
नोट के पिछले भाग पर वर्ष, स्वच्छ भारत का लोगो, भाषा पैनल, मूल्यवर्ग अंक देवनागरी में और ओमरोन एंटी निशान भी दे रखे हैं। इन सभी के मिलान से नोट की असलियत का पता लगाया जा सकता है। 500 के नोट में देवनागरी में 500 लिखा दिखेगा। पुराने नोट की तुलना में महात्मा गांधी की तस्वीर का ओरिएंटेशन और पोजिशन थोड़ा अलग है। पुराने नोट की तुलना में गारंटी क्लॉज, गवर���नर के सिग्नेचर, प्रॉमिस क्लॉज और आरबीआई का लोगो दाहिनी ओर शिफ्ट हो गया है।
लोगों की पहचान के लिए दे रखे हैं चिन्ह…
सीथ्रू रजिस्टर आरपार मिलान मुद्रण
मूल्यवर्ग अंक की छिपी हुई प्रतिमा
महात्मा गांधी के चित्र में जगह का बदलाव
रंग परिवर्तक सुरक्षा धागा
छोटे से बढ़ते आकार के अंक
रुपये का चिन्ह रंग परिवर्तक स्याही के साथ
अशोक स्तंभ
वाटर मार्क
भारत सरकार की गारंटी
गर्वनर के हस्ताक्षर सहित वचन खंड
मूल्यवर्ग अंक देवनागरी में
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