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#भारतकीमुद्रा
allgyan · 3 years
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भारतीय नोट पर कब छपी गाँधी की तस्वीर -
भारतीय नोट पर कब छपी गाँधी की तस्वीर -
भारतीय नोट का इतिहास
भारत विश्व कि उन प्रथम सभ्यताओं में से है जहाँ सिक्कों का प्रचलन लगभग छठी सदी ईसापूर्व में शुरू हुआ। रुपए शब्द का अर्थ शब्द रूपा से जोड़ा जा सकता है जिसका अर्थ होता है चाँदी।संस्कृत में रूप्यकम् का अर्थ है चाँदी का सिक्का। रुपया शब्द सन 1540 - 1545 के बीच शेरशाह सूरी के द्वारा जारी किए गए चाँदी के सिक्कों लिए उपयोग में लाया गया। मूल रुपया चाँदी का सिक्का होता था, जिसका वजन 11.34 ग्राम था, और उस समय ४०  चाँदी के सिक्के 1 रूपया के बराबर होता था।यह सिक्का ब्रिटिश भारत के शासन काल में भी उपयोग मे लाया जाता रहा।ऐतिहासिक तौर पर रुपया चाँदी पर आधारित मुद्रा थी। १९वीं शताब्दी में इसके विपरीत परिणाम हुए, जब यूरोप और अमेरिका में भारी पैमाने मे चाँदी की खोज हुई। उस समय की मजबूत अर्थव्यवस्थाएँ सोने पर आधारित थीं। चाँदी की खोज से चाँदी और सोने के सापेक्षित मूल्यों में भारी अंतर आया। अचानक ही भारत की मुद्रा विश्व बाजार में उतना नहीं खरीद सकती थी जितना पहले। इसे "रुपए की गिरावट" के नाम से भी जाना जाता है।शुरूआत में एक रूपए को 16 आनों, 64 पैसों या 192 पाई में बाँटा गया। यानी 1 आना 4 पैसों या 12 पाई मे विभाजित था। दशमलव प्रणाली के अनुसार विभाजन हुआ 1869 मे श्रीलंका मे, 1957 मे भारत मे और 1961 मे पाकिस्तान मे।
रुपयो के कागज के नोटो को सबसे पहले जारी करने वालो मे से थे बैंक ऑफ हिन्दुस्तान (1770-1832), द जनरल बैंक ऑफ बंगाल एंड बिहार (1773-75, वारेन हास्टिग्स द्वारा स्थापित) और द बंगाल बैंक(1784-91)।शुरूआत मे बैंक ऑफ बंगाल द्वारा जारी किए गए कागज के नोटो पे केवल एक तरफ ही छपा होता था। इसमे सोने की एक मोहर बनी थी और यह १००, २५०, ५०० आदि वर्गो मे थे।बाद के नोट मे एक बेलबूटा बना था जो एक महिला आकृति, व्यापार का मानवीकरण दर्शाता था। यह नोट दोनो ओर छपे होते थे, तीन लिपिओं उर्दू, बंगाली और देवनागरी मे यह छपे होते थे, जिसमे पीछे की तरफ बैंक की छाप होती थी। 1800 सदी के अंत तक नोटों के मूलभाव ब्रितानी हो गए और जाली बनने से रोकने के लिए उनमे अन्य कई लक्षण जोडे गए।
भारतीय नोट पर कब आये गाँधी जी -
अभी हम हर नोट पे गाँधी जी को देखते है। कभी आप ने ये जानने की कोशिश की की गाँधी जी की तस्वीर कब भारतीय नोट पे आई और उससे पहले नोट अगर शुरू हो चुके थे तो नोट पे किसकी तस्वीर छपती थी। आये बताते आपको इसके पुरे विवरण के बारे में हुआ ये की 1947 जब भारत आज़ाद नहीं हुआ था तब भारतीय मुद्रा पे ब्रिटिश किंग जॉर्ज की तस्वीर वाले करेंसी नोट चलते थे। लेकिन आज़ादी के बाद देशवासी भारतीय करेंसी नोटों पर महात्मा गांधी की तस्वीर देखना चाहते थे। लेकिन सरकार को ये फैसला लेने में थोड़ा वक़्त चाहिए था इसलिए सबसे पहले भारतीय की उस समय की सरकार ने सबसे पहले किंग जार्ज की तस्वीर को हटा के सारनाथ स्थित लॉयन कैपिटल आ गया।
रिजर्व बैंक ने पहली बार सन 1969 में स्मरण के तौर पर गांधी जी की तस्वीर वाले 100 रुपये के नोट पेश किए थे।ये साल उनका जन्म शताब्दी वर्ष था और नोटों पर उनकी तस्वीर के पीछे सेवाग्राम आश्रम की तस्वीर भी थी।लेकिन गांधी जी की मौजूदा तस्वीर वाले करेंसी नोट पहली बार 1987 में छपे थे।गांधी जी के मुस्कराते चेहरे वाली इस तस्वीर के साथ सबसे पहले 500 रुपये का नोट अक्टूबर 1987 में पेश किया गया।  इसके बाद गांधी जी की ये तस्वीर अन्य करेंसी नोटों पर भी इस्तेमाल होने लगी। फिर आम चूल परिवर्तन होते ही रहे। भारतीय रिज़र्व बैंक ने साल 1996 में एडिशनल फ़ीचर्स के साथ पहली बार महात्मा गांधी सीरीज़ के नोट जारी किये थे #इन फ़ीचर्स में बदला हुआ वाटरमार्क, विंडोड सिक्योरिटी थ्रेड, लेटेंट इमेज और विजुअल हैंडीकैप्ड लोगों के लिये इंटेग्लियो फ़ीचर्स भी शामिल थे।1996 से पहले 1987 में महात्मा गांधी की तस्वीर को वाटरमार्क के रुप में इस्तेमाल किया जाता था।
गाँधी जी जो तस्वीर हमे दिखती है वो कहा से ली गयी है -
सन 1996 में पहली बार महात्मा गांधी की तस्वीर वाले जो नोट चलन में आए वो 5, 10, 20, 100, 500 और 1000 रुपये के नोट थे। इस दौरान अशोक स्तंभ की जगह राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की तस्वीर और अशोक स्तंभ की फ़ोटो, नोट के बायीं तरफ़ निचले हिस्से पर प्रिंट कर दी गई. तब से लेकर अब तक गांधीजी की तस्वीर भारतीय नोटों पर दिखाई देती है लेकिन क्या आपने कभी सोचा है गांधी जी की जो तस्वीर हमें नोट पर दिखाई देती है वो कहां से ली गयी थी। महात्मा गांधी की ये तस्वीर पूर्व वायसराय हाउस (मौजूदा राष्ट्रपति भवन) में 1946 में खींची गई थी।गांधी जी म्यांमार (तब बर्मा) और भारत में ब्रिटिश सेक्रेटरी के रूप में कार्यरत फ्रेडेरिक पेथिक लॉरेंस से मुलाक़ात के लिए पहुंचे थे वहीं ली गई गांधी जी की तस्वीर को पोट्रेट के रूप में भारतीय नोटों पर अंकित किया गया।हालांकि, ये तस्वीर किस फ़ोटोग्राफ़र ने खींची थी इस बात की जानकारी किसी को भी नहीं हैं।
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allgyan · 3 years
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भारतीय नोट पर कब छपी गाँधी की तस्वीर -
भारतीय नोट का इतिहास
भारत विश्व कि उन प्रथम सभ्यताओं में से है जहाँ सिक्कों का प्रचलन लगभग छठी सदी ईसापूर्व में शुरू हुआ। रुपए शब्द का अर्थ शब्द रूपा से जोड़ा जा सकता है जिसका अर्थ होता है चाँदी।संस्कृत में रूप्यकम् का अर्थ है चाँदी का सिक्का। रुपया शब्द सन 1540 - 1545 के बीच शेरशाह सूरी के द्वारा जारी किए गए चाँदी के सिक्कों लिए उपयोग में लाया गया। मूल रुपया चाँदी का सिक्का होता था, जिसका वजन 11.34 ग्राम था, और उस समय ४०  चाँदी के सिक्के 1 रूपया के बराबर होता था।यह सिक्का ब्रिटिश भारत के शासन काल में भी उपयोग मे लाया जाता रहा।ऐतिहासिक तौर पर रुपया चाँदी पर आधारित मुद्रा थी। १९वीं शताब्दी में इसके विपरीत परिणाम हुए, जब यूरोप और अमेरिका में भारी पैमाने मे चाँदी की खोज हुई। उस समय की मजबूत अर्थव्यवस्थाएँ सोने पर आधारित थीं। चाँदी की खोज से चाँदी और सोने के सापेक्षित मूल्यों में भारी अंतर आया। अचानक ही भारत की मुद्रा विश्व बाजार में उतना नहीं खरीद सकती थी जितना पहले। इसे "रुपए की गिरावट" के नाम से भी जाना जाता है।शुरूआत में एक रूपए को 16 आनों, 64 पैसों या 192 पाई में बाँटा गया। यानी 1 आना 4 पैसों या 12 पाई मे विभाजित था। दशमलव प्रणाली के अनुसार विभाजन हुआ 1869 मे श्रीलंका मे, 1957 मे भारत मे और 1961 मे पाकिस्तान मे।
रुपयो के कागज के नोटो को सबसे पहले जारी करने वालो मे से थे बैंक ऑफ हिन्दुस्तान (1770-1832), द जनरल बैंक ऑफ बंगाल एंड बिहार (1773-75, वारेन हास्टिग्स द्वारा स्थापित) और द बंगाल बैंक(1784-91)।शुरूआत मे बैंक ऑफ बंगाल द्वारा जारी किए गए कागज के नोटो पे केवल एक तरफ ही छपा होता था। इसमे सोने की एक मोहर बनी थी और यह १००, २५०, ५०० आदि वर्गो मे थे।बाद के नोट मे एक बेलबूटा बना था जो एक महिला आकृति, व्यापार का मानवीकरण दर्शाता था। यह नोट दोनो ओर छपे होते थे, तीन लिपिओं उर्दू, बंगाली और देवनागरी मे यह छपे होते थे, जिसमे पीछे की तरफ बैंक की छाप होती थी। 1800 सदी के अंत तक नोटों के मूलभाव ब्रितानी हो गए और जाली बनने से रोकने के लिए उनमे अन्य कई लक्षण जोडे गए।
भारतीय नोट पर कब आये गाँधी जी -
अभी हम हर नोट पे गाँधी जी को देखते है। कभी आप ने ये जानने की कोशिश की की गाँधी जी की तस्वीर कब भारतीय नोट पे आई और उससे पहले नोट अगर शुरू हो चुके थे तो नोट पे किसकी तस्वीर छपती थी। आये बताते आपको इसके पुरे विवरण के बारे में हुआ ये की 1947 जब भारत आज़ाद नहीं हुआ था तब भारतीय मुद्रा पे ब्रिटिश किंग जॉर्ज की तस्वीर वाले करेंसी नोट चलते थे। लेकिन आज़ादी के बाद देशवासी भारतीय करेंसी नोटों पर महात्मा गांधी की तस्वीर देखना चाहते थे। लेकिन सरकार को ये फैसला लेने में थोड़ा वक़्त चाहिए था इसलिए सबसे पहले भारतीय की उस समय की सरकार ने सबसे पहले किंग जार्ज की तस्वीर को हटा के सारनाथ स्थित लॉयन कैपिटल आ गया।
रिजर्व बैंक ने पहली बार सन 1969 में स्मरण के तौर पर गांधी जी की तस्वीर वाले 100 रुपये के नोट पेश किए थे।ये साल उनका जन्म शताब्दी वर्ष था और नोटों पर उनकी तस्वीर के पीछे सेवाग्राम आश्रम की तस्वीर भी थी।लेकिन गांधी जी की मौजूदा तस्वीर वाले करेंसी नोट पहली बार 1987 में छपे थे।गांधी जी के मुस्कराते चेहरे वाली इस तस्वीर के साथ सबसे पहले 500 रुपये का नोट अक्टूबर 1987 में पेश किया गया।  इसके बाद गांधी जी की ये तस्वीर अन्य करेंसी नोटों पर भी इस्तेमाल होने लगी। फिर आम चूल परिवर्तन होते ही रहे। भारतीय रिज़र्व बैंक ने साल 1996 में एडिशनल फ़ीचर्स के साथ पहली बार महात्मा गांधी सीरीज़ के नोट जारी किये थे #इन फ़ीचर्स में बदला हुआ वाटरमार्क, विंडोड सिक्योरिटी थ्रेड, लेटेंट इमेज और विजुअल हैंडीकैप्ड लोगों के लिये इंटेग्लियो फ़ीचर्स भी शामिल थे।1996 से पहले 1987 में महात्मा गांधी की तस्वीर को वाटरमार्क के रुप में इस्तेमाल किया जाता था।
गाँधी जी जो तस्वीर हमे दिखती है वो कहा से ली गयी है -
सन 1996 में पहली बार महात्मा गांधी की तस्वीर वाले जो नोट चलन में आए वो 5, 10, 20, 100, 500 और 1000 रुपये के नोट थे। इस दौरान अशोक स्तंभ की जगह राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की तस्वीर और अशोक स्तंभ की फ़ोटो, नोट के बायीं तरफ़ निचले हिस्से पर प्रिंट कर दी गई. तब से लेकर अब तक गांधीजी की तस्वीर भारतीय नोटों पर दिखाई देती है लेकिन क्या आपने कभी सोचा है गांधी जी की जो तस्वीर हमें नोट पर दिखाई देती है वो कहां से ली गयी थी। महात्मा गांधी की ये तस्वीर पूर्व वायसराय हाउस (मौजूदा राष्ट्रपति भवन) में 1946 में खींची गई थी।गांधी जी म्यांमार (तब बर्मा) और भारत में ब्रिटिश सेक्रेटरी के रूप में कार्यरत फ्रेडेरिक पेथिक लॉरेंस से मुलाक़ात के लिए पहुंचे थे वहीं ली गई गांधी जी की तस्वीर को पोट्रेट के रूप में भारतीय नोटों पर अंकित किया गया।हालांकि, ये तस्वीर किस फ़ोटोग्राफ़र ने खींची थी इस बात की जानकारी किसी को भी नहीं हैं।
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भारत विश्व कि उन प्रथम सभ्यताओं में से है जहाँ सिक्कों का प्रचलन लगभग छठी सदी ईसापूर्व में शुरू हुआ। रुपए शब्द का अर्थ शब्द रूपा से जोड़ा जा सकता है जिसका अर्थ होता है चाँदी।संस्कृत में रूप्यकम् का अर्थ है चाँदी का सिक्का। रुपया शब्द सन 1540 - 1545 के बीच शेरशाह सूरी के द्वारा जारी किए गए चाँदी के सिक्कों लिए उपयोग में लाया गया। मूल रुपया चाँदी का सिक्का होता था, जिसका वजन 11.34 ग्राम था, और उस समय ४०  चाँदी के सिक्के 1 रूपया के बराबर होता था।यह सिक्का ब्रिटिश भारत के शासन काल में भी उपयोग मे लाया जाता रहा।ऐतिहासिक तौर पर रुपया चाँदी पर आधारित मुद्रा थी। १९वीं शताब्दी में इसके विपरीत परिणाम हुए, जब यूरोप और अमेरिका में भारी पैमाने मे चाँदी की खोज हुई। उस समय की मजबूत अर्थव्यवस्थाएँ सोने पर आधारित थीं। चाँदी की खोज से चाँदी और सोने के सापेक्षित मूल्यों में भारी अंतर आया। अचानक ही भारत की मुद्रा विश्व बाजार में उतना नहीं खरीद सकती थी जितना पहले। इसे "रुपए की गिरावट" के नाम से भी जाना जाता है।शुरूआत में एक रूपए को 16 आनों, 64 पैसों या 192 पाई में बाँटा गया। यानी 1 आना 4 पैसों या 12 पाई मे विभाजित था। दशमलव प्रणाली के अनुसार विभाजन हुआ 1869 मे श्रीलंका मे, 1957 मे भारत मे और 1961 मे पाकिस्तान मे।
रुपयो के कागज के नोटो को सबसे पहले जारी करने वालो मे से थे बैंक ऑफ हिन्दुस्तान (1770-1832), द जनरल बैंक ऑफ बंगाल एंड बिहार (1773-75, वारेन हास्टिग्स द्वारा स्थापित) और द बंगाल बैंक(1784-91)।शुरूआत मे बैंक ऑफ बंगाल द्वारा जारी किए गए कागज के नोटो पे केवल एक तरफ ही छपा होता था। इसमे सोने की एक मोहर बनी थी और यह १००, २५०, ५०० आदि वर्गो मे थे।बाद के नोट मे एक बेलबूटा बना था जो एक महिला आकृति, व्यापार का मानवीकरण दर्शाता था। यह नोट दोनो ओर छपे होते थे, तीन लिपिओं उर्दू, बंगाली और देवनागरी मे यह छपे होते थे, जिसमे पीछे की तरफ बैंक की छाप होती थी। 1800 सदी के अंत तक नोटों के मूलभाव ब्रितानी हो गए और जाली बनने से रोकने के लिए उनमे अन्य कई लक्षण जोडे गए।
भारतीय नोट पर कब आये गाँधी जी -
अभी हम हर नोट पे गाँधी जी को देखते है। कभी आप ने ये जानने की कोशिश की की गाँधी जी की तस्वीर कब भारतीय नोट पे आई और उससे पहले नोट अगर शुरू हो चुके थे तो नोट पे किसकी तस्वीर छपती थी। आये बताते आपको इसके पुरे विवरण के बारे में हुआ ये की 1947 जब भारत आज़ाद नहीं हुआ था तब भारतीय मुद्रा पे ब्रिटिश किंग जॉर्ज की तस्वीर वाले करेंसी नोट चलते थे। लेकिन आज़ादी के बाद देशवासी भारतीय करेंसी नोटों पर महात्मा गांधी की तस्वीर देखना चाहते थे। लेकिन सरकार को ये फैसला लेने में थोड़ा वक़्त चाहिए था इसलिए सबसे पहले भारतीय की उस समय की सरकार ने सबसे पहले किंग जार्ज की तस्वीर को हटा के सारनाथ स्थित लॉयन कैपिटल आ गया।
रिजर्व बैंक ने पहली बार सन 1969 में स्मरण के तौर पर गांधी जी की तस्वीर वाले 100 रुपये के नोट पेश किए थे।ये साल उनका जन्म शताब्दी वर्ष था और नोटों पर उनकी तस्वीर के पीछे सेवाग्राम आश्रम की तस्वीर भी थी।लेकिन गांधी जी की मौजूदा तस्वीर वाले करेंसी नोट पहली बार 1987 में छपे थे।गांधी जी के मुस्कराते चेहरे वाली इस तस्वीर के साथ सबसे पहले 500 रुपये का नोट अक्टूबर 1987 में पेश किया गया।  इसके बाद गांधी जी की ये तस्वीर अन्य करेंसी नोटों पर भी इस्तेमाल होने लगी। फिर आम चूल परिवर्तन होते ही रहे। भारतीय रिज़र्व बैंक ने साल 1996 में एडिशनल फ़ीचर्स के साथ पहली बार महात्मा गांधी सीरीज़ के नोट जारी किये थे #इन फ़ीचर्स में बदला हुआ वाटरमार्क, विंडोड सिक्योरिटी थ्रेड, लेटेंट इमेज और विजुअल हैंडीकैप्ड लोगों के लिये इंटेग्लियो फ़ीचर्स भी शामिल थे।1996 से पहले 1987 में महात्मा गांधी की तस्वीर को वाटरमार्क के रुप में इस्तेमाल किया जाता था।
गाँधी जी जो तस्वीर हमे दिखती है वो कहा से ली गयी है -
सन 1996 में पहली बार महात्मा गांधी की तस्वीर वाले जो नोट चलन में आए वो 5, 10, 20, 100, 500 और 1000 रुपये के नोट थे। इस दौरान अशोक स्तंभ की जगह राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की तस्वीर और अशोक स्तंभ की फ़ोटो, नोट के बायीं तरफ़ निचले हिस्से पर प्रिंट कर दी गई. तब से लेकर अब तक गांधीजी की तस्वीर भारतीय नोटों पर दिखाई देती है लेकिन क्या आपने कभी सोचा है गांधी जी की जो तस्वीर हमें नोट पर दिखाई देती है वो कहां से ली गयी थी। महात्मा गांधी की ये तस्वीर पूर्व वायसराय हाउस (मौजूदा राष्ट्रपति भवन) में 1946 में खींची गई थी।गांधी जी म्यांमार (तब बर्मा) और भारत में ब्रिटिश सेक्रेटरी के रूप में कार्यरत फ्रेडेरिक पेथिक लॉरेंस से मुलाक़ात के लिए पहुंचे थे वहीं ली गई गांधी जी की तस्वीर को पोट्रेट के रूप में भारतीय नोटों पर अंकित किया गया।हालांकि, ये तस्वीर किस फ़ोटोग्राफ़र ने खींची थी इस बात की जानकारी किसी को भी नहीं हैं।
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