#हटकर
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*क्या #वेद ईसा पूर्व मे था?* *वर्तमान समय मे वेद पुस्तक को कहा जाता है, जो चार खंडो {(1) ऋज्ञवेद, 2) सामवेद, 3) यजुर्वेद, 4) अथर्ववेद} मे उपलब्ध है|* *वेद ईसा पूर्व काल मे था इसको जानने के लिए वेद शब्द का अर्थ जानना होगा, त��ी जान पाएंगे कि वेद पुस्तक ईसा पूर्व था भी की नही!* *#वेद पालि ��ब्दकोश का शब्द है| कच्चान व्याकरण अनुसार विद धातु से वेद, विद्या, विद्यालय, वेदना, वेदगु, वेदयितं, वेदयामी, वेदमानो जैसा शब्द बना है| जो बुद्ध वंदना मे #लोक_विदु के तौर पर प्रयोग होता है, तो मिलिंद वग्गो के तीसरे अध्याय मे #वेदगू_पञ्हो और चक्रवर्ती सम्राट अशोक मौर्य द्वारा लिखित "बैराट भाबरु" अभिलेख मे #विदितेवे के रूप मे मिलता है|* *जिसमे #लोक_विदु का अर्थ- संसार का ज्ञाता, #वेदगू-ऊँचतम अनुभवी, #विदितेवे-अनुभव प्राप्त करने वाला होता है| यानी #वेद का अर्थ अनुभव होता है👈* *इसलिए तिपिटक मे भगवान बुद्ध को #तण्ह_वेदगु कहा जाता है| यानी स्वयं के अनुभव से तीन प्रकार का ज्ञान प्राप्त करने वाला|👈* *अब आते है आज वाले चार वेद से #हटकर पांचवे वेद पर, जिसका नाम #आयुर्वेद है| इस आयुर्वेद को वेद पुस्तक से दूर-दूर तक का कोई संबंध नही है|फिर इसका नामकरण #आयुर्वेद क्यों हुआ?* *#आयुर का अर्थ योगपीडिया अनुसार #जीवन होता है और #वेद का अर्थ तिपिटक अनुसार अनुभूति द्वारा प्राप्त ज्ञान होता है| यानी 👉💝जीवन से सम्बंधित जो ज्ञान अनुभूति पर प्राप्त हुआ, उसे आयुर्वेद कहते है|* *फिर आज वाले पुस्तकीय वेद मे अनुभूति वाला तो कोई ज्ञान है ही नही| वहां तो* *1) ऋज्ञवेद मे देवताओ को आह्वान करने का मंत्र है, तो* *2) सामवेद मे यज्ञ मे गाने वाला संगीतमय मंत्र है, तो* *3) यजुर्वेद मे यज्ञ का कर्मकांड है, तो* *4) अथर्ववेद मे जादू, टोना, चमत्कार की बात है|* *आखिर ऐसा क्यों?* *आज वाले वेद ब्राह्मणी व्यवस्था मे अद्वैतवाद वाला दर्शन (Philosophy) की पुस्तक है|जिसकी एक पांडुलिपि शारदा लिपि मे छालपत्र पर और 29 पांडुलिपि कागज पर नागरी लिपि मे लिखी मिली थी| जिसे वर्तमान समय मे भंडारकर संस्थान पुणे मे रखा है| उसी 30 पांडुलिपि से चौदहवीं सदी मे सायन ने भाष्य करते हुए पुस्तक का रूप दिया है|जिसमे बाह्मी लिपि से शारदा लिपि का जन्म कश्मीर क्षेत्र मे आठवीं सदी लगभग और बाह्मी लिपि से नागरी लिपि का जन्म दसमीं सदी मे लगभग हुआ है| तदुपरांत उसके बाद वेद पुस्तक का भाष्य चौदहवीं सदी मे सायन द्वारा हुआ है|* *वेद पुस्तक की पांडुलिपि और भाष्य करने वालो की धूर्तता सिर्फ इतनी ही है कि इन सबो ने मिलकर सम्यक संस्कृति वाला पालि शब्द #वे (at UttarPradesh India) https://www.instagram.com/p/Cn_tzcJsM5B/?igshid=NGJjMDIxMWI=
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सुनील गावस्कर बोले- 300 रन बना सकता है ये घातक खिलाड़ी, राहुल को हटाकर टीम में शामिल करें...
सुनील गावस्कर बोले- 300 रन बना सकता है ये घातक खिलाड़ी, राहुल को हटाकर टीम में शामिल करें…
दुनिया की सभी टीमें इस समय आगामी वनडे वर्ल्ड कप 2023 की तैयारी कर रही हैं। भारतीय क्रिकेट टीम भी लगातार वनडे सीरीज खेल रही है। न्यूजीलैंड और बांग्लादेश के दौरे के बाद अब उन्हें श्रीलंका के खिलाफ घर में वनडे सीरीज खेलनी है। अब भी भारतीय कप्तान रोहित शर्मा विश्व कप के आधार पर मजबूत खिलाड़ियों को सही क्रम में सेट करते नजर आए हैं। यह तय है कि भारतीय कप्तान रोहित शर्मा आगामी वनडे विश्व कप में ओपनिंग…
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#mysterious propheciesgreat prophecies 2024#अवतार नारत्रेदमस ने अपनी भविष्य वाणी में कहा था कि स्वतंत्रता के चार वर्ष बाद 1951 में भारत में#एक महान संत का जन्म होगा जो विश्व को नये ज्ञान से परिचित कराएगा वर्ष 1951 में संत रामपाल जी महाराज ज#उनके द्वारा ज्ञान दूसरे संतों से हटकर है और शास्त्र प्रमाणित है
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यात्रा चेतावनी: उत्तराखंड में शीर्ष आगामी गंतव्य
यात्रा चेतावनी: उत्तराखंड में शीर्ष आगामी गंतव्य
उत्तरी भारतीय राज्य उत्तराखंड हिमालय पर्वत में दूर स्थित है और प्रदान करता है यात्री और आगंतुकों को आसपास के क्षेत्र का एक लुभावनी दृश्य जिसमें लक्ष्मण झूला, राम चूला, अलखनंदा, तुंगनाथ, बद्रीनाथ शामिल हैं, लेकिन इस शीतकालीन अवकाश के मौसम का ��ता लगाने के लिए बहुत ��े ऑफबीट स्थान भी हैं। राज्य अपने साथ ऐसे सांस लेने योग्य स्थान लाता है जो स्थानीय अनुभव की तलाश कर रहे यात्रियों की जरूरतों को पूरा…
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#उत्तराखंड#गंतव्य#गंतव्यों#छुट्टी#छुट्टी का दिन#पर्यटक#पर्यटकों#पर्यटन#यात्रा#यात्रा का#यात्री#लीक से हटकर#सर्दियों#सर्दी
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#श्राद्ध_करने_की_श्रेष्ठ_विधि
#JagatGuruSantRampalJi
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#श्राद्ध #पितृपक्ष #ancestors #ancestorworship #pinddaan
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🌀 गीता अध्याय 2 श्लोक 53 में बताया है कि अर्जुन जब भिन्न भिन्न प्रकार से भर्मित करने वाले वचनों से तेरी बुद्धि हटकर एक तत्वज्ञान में स्थिर हो जाएगी। तब तो तू योगी बनेगा। तब तू योग को प्राप्त होगा। संत रामपाल जी महाराज जी के शिष्य सारे योगी हैं। और जैसे संत रामपाल जी महाराज जी के आश्रमों में समागम होते हैं उनमें लाखों योगी भोजन करते हैं। वहां दिए गए दान से पितरों का भी उद्धार, भूतों का भी उद्धार और दान करने वालों का भी उद्धार होता है।
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#भूतपूजेंगे_वो_भूतबनेंगे गीतामेंप्रमाणहै
गीता अध्याय 2 श्लोक 53 में कहा है कि जिस समय आपकी बुद्धि भिन्न-भिन्न प्रकार के भ्रमित करने वाले ज्ञान से हटकर एक तत्व ज्ञान पर स्थिर हो जाएगी, तब तू योगी बनेगा अर्थात् भक्त बनेगा। वही विष्णु पुराण तृतीय अंश, अध्याय 15 श्लोक 55-56 पर लिखा है कि एक योगी (शास्त्रानुकूल सत्य साधक) अकेला ही पितरों तथा एक हजार ब्राह्मणों तथा यजमान सहित सर्व का उद्धार कर देगा।
📲 अधिक जानकारी के लिए पड़े पवित्र पुस्तक 📚 [Gyan Ganga] ।
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@FactfulDebates क्यों ये संत हैं सबसे हटकर | Sadhna TV Episode: 3015 | S...
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दहेज एक कुप्रथा है जिसे संत रामपाल जी महाराज द्वारा समाज से खत्म किया जा रहा है। जिसका अद्भुत दृश्य सतलोक आश्रम शामली, उत्तरप्रदेश में दिव्य धर्म यज्ञ दिवस के मौके पर देखने को मिला, जहाँ समाज में व्याप्त कुप्रथा से हटकर 21 जोडों ने दहेज रहित विवाह कर समाज में मिसाल कायम की।
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श्राद्ध की शास्त्र अनुकूल विधि
गीता अध्याय 2 श्लोक 53 में कहा है कि जिस समय आपकी बुद्धि भिन्न-भिन्न प्रकार के भ्रमित करने वाले ज्ञान से हटकर एक तत्व ज्ञान पर स्थिर हो जाएगी, तब तू योगी बनेगा अर्थात् भक्त बनेगा। वही विष्णु पुराण तृतीय अंश, अध्याय 15 श्लोक 55-56 पर लिखा है कि एक योगी (शास्त्रानुकूल सत्य साधक) अकेला ही पितरों तथा एक हजार ब्राह्मणों तथा यजमान सहित सर्व का उद्धार कर देगा। श्राद्ध करने की शास्त्र अनुकूल विधि जानने के लिए देखिए
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पितरों_का_उद्धार_कैसे_करें
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🔔 श्राद्ध किसके लिए निकालते हैं। श्राद्ध उनके लिए करते हैं जो मृत्यु को प्राप्त हो गए यानी प्रेत पित्तर बन गए। गीता अध्याय 9 श्लोक 25 में इसके लिए मना किया गया है।
विष्णु पुराण के अंदर लिखा हुआ है, व्यास जी कह रहे हैं कि हे राजन! श्राद्ध के समय यदि एक हजार ब्राह्मण बैठे हों। भोजन करने आये हों।
और एक तरफ योगी बैठ जा। तो वो ब्राह्मणों समेत, पित्तरों समेत, यजमानों समेत सबका उद्धार कर देता है। वह योगी कौन है?
गीता अध्याय 2 श्लोक 53 में बताया है कि अर्जुन जब भिन्न भिन्न प्रकार से भ्रमित करने वाले वचनों से तेरी बुद्धि हटकर एक तत्वज्ञान में स्थिर हो जाएगी। तब तो तू योगी बनेगा। तब तू योग को प्राप्त होगा। संत रामपाल जी महाराज जी के शिष्य सारे योगी हैं। और जैसे संत रामपाल जी महाराज जी के आश्रमों में समागम होते हैं उनमें लाखों योगी भोजन करते हैं। वहां दिए गए दान से पितरों का भी उद्धार, भूतों का भी उद्धार और दान करने वालों का भी उद्धार होता है।
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#श्राद्ध_करने_की_श्रेष्ठ_विधि
गीता अध्याय 2 श्लोक 53 में बताया है कि अर्जुन जब भिन्न भिन्न प्रकार से भर्मित करने वाले वचनों से तेरी बुद्धि हटकर एक तत्वज्ञान में स्थिर हो जाएगी। तब तो तू योगी बनेगा। तब तू योग को प्राप्त होगा।
JagatGuru Sant Rampal Ji
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नीता अंबानी ने किया धमाका, रोहित को हटाकर इस स्टार खिलाड़ी को बनाया मुंबई इंडियंस का नया कप्तान...
नीता अंबानी ने किया धमाका, रोहित को हटाकर इस स्टार खिलाड़ी को बनाया मुंबई इंडियंस का नया कप्तान…
टी20 वर्ल्ड कप के बाद दुनिया की सभी टीमें द्विपक्षीय देशों के बीच वनडे सीरीज और टेस्ट सीरीज खेल रही हैं। अगले साल होने वाले वनडे वर्ल्ड कप 2023 को देखते हुए सभी टीमें बड़े बदलाव के साथ बड़े पैमाने पर तैयारी कर रही हैं। वनडे वर्ल्ड कप 2023 को देखते हुए भारतीय टीम में भी कई बदलाव किए जा रहे हैं। वर्कफोर्स इंडिया को एक मजबूत वर्कफोर्स बनाने के लिए इस समय कई प्रयास किए जा रहे हैं। दूसरी ओर आईपीएल…
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🌀 श्राद्ध किसके लिए निकालते हैं। श्राद्ध उनके लिए करते हैं जो मृत्यु को प्राप्त हो गए यानी प्रेत पित्तर बन गए। गीता अध्याय 9 श्लोक 25 में इसके लिए मना किया गया है।
विष्णु पुराण के अंदर लिखा हुआ है, व्यास जी कह ���हे हैं कि हे राजन! श्राद्ध के समय यदि एक हजार ब्राह्मण बैठे हों। भोजन करने आये हों।
और एक तरफ योगी बैठ जा। तो वो ब्राह्मणों समेत, पित्तरों समेत, यजमानों समेत सबका उद्धार कर देता है। वह योगी कौन है?
गीता अध्याय 2 श्लोक 53 में बताया है कि अर्जुन जब भिन्न भिन्न प्रकार से भर्मित करने वाले वचनों से तेरी बुद्धि हटकर एक तत्वज्ञान में स्थिर हो जाएगी। तब तो तू योगी बनेगा। तब तू योग को प्राप्त होगा। संत रामपाल जी महाराज जी के शिष्य सारे योगी हैं। और जैसे संत रामपाल जी महाराज जी के आश्रमों में समागम होते हैं उनमें लाखों योगी भोजन करते हैं। वहां दिए गए दान से पितरों का भी उद्धार, भूतों का भी उद्धार और दान करने वालों का भी उद्धार होता है।
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🙏🌸🥀🌼बन्दीछोड़ सतगुरु रामपाल जी महाराज जी की जय🌸🥀🌼🙏*
24/09/24
#GodMorningWednesday
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1🌀 श्राद्ध किसके लिए निकालते हैं। श्राद्ध उनके लिए करते हैं जो मृत्यु को प्राप्त हो गए यानी प्रेत पित्तर बन गए। गीता अध्याय 9 श्लोक 25 में इसके लिए मना किया गया है।
विष्णु पुराण के अंदर लिखा हुआ है, व्यास जी कह रहे हैं कि हे राजन! श्राद्ध के समय यदि एक हजार ब्राह्मण बैठे हों। भोजन करने आये हों।
और एक तरफ योगी बैठ जा। तो वो ब्राह्मणों समेत, पित्तरों समेत, यजमानों समेत सबका उद्धार कर देता है। वह योगी कौन है?
गीता अध्याय 2 श्लोक 53 में बताया है कि अर्जुन जब भिन्न भिन्न प्रकार से भर्मित करने वाले वचनों से तेरी बुद्धि हटकर एक तत्वज्ञान में स्थिर हो जाएगी। तब तो तू योगी बनेगा। तब तू योग को प्राप्त होगा। संत रामपाल जी महाराज जी के शिष्य सारे योगी हैं। और जैसे संत रामपाल जी महाराज जी के आश्रमों में समागम होते हैं उनमें लाखों योगी भोजन करते हैं। वहां दिए गए दान से पितरों का भी उद्धार, भूतों का भी उद्धार और दान करने वालों का भी उद्धार होता है!
🙏🙏🙏
⏩अवश्य भेंट करें! संत रामपाल जी महाराज जी_से_यूट्यूब चैनल_पर!⏩प्रतिदिन देखें साधना 📺 चैनल 7:30 p.m. और प्राप्त करें!_पूर्ण सत्य प्रमाणित आध्यात्मि�� जानकारी!
🙏मानव जन्म मोक्ष के लिए मिला है! मानव जाति का सद्भक्ति में ही कल्याण है! शास्त्र के विरुद्ध जो भी क्रियाएं की जाती हैं, वे मनमाना आचरण कहलाती हैं! इसका अर्थ है हम परमात्मा के संविधान को तोड़ते हैं! ज्ञान या अज्ञान से परमात्मा के संविधान को तोड़ने से जीवात्मा अपराधी हो जाती हैं! हमें शास्त्र अनुकूल क्रियाएं करनी चाहिए, जिससे हमें सभी प्रकार का लाभ प्राप्त हो और मोक्ष की प्राप्ति हो! मोक्ष प्राप्ति के लिए पूर्ण सतगुरु की आवश्यकता होती है!
श्रीमद् भगवत गीता के अनुसार तत्वदर्शी संत ही पूर्ण परमात्मा के विषय में जानता है अर्थात तत्वदर्शी संत पूर्ण सतगुरु हैं!
पूर्ण सतगुरु की शरण ग्रहण करके नाम दीक्षा लेकर मर्यादा में रहकर सतभक्ति करने से ही मानव जन्म की सफलता है!
मानव जन्म सतभक्ति के लिए ही मिला है!
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गीता अध्याय 2 श्लोक 53 में बताया है कि अर्जुन जब भिन्न भिन्न प्रकार से भर्मित करने वाले वचनों से तेरी बुद्धि हटकर एक तत्वज्ञान में स्थिर हो जाएगी। तब तो तू योगी बनेगा। तब तू योग को प्राप्त होगा। संत रामपाल जी महाराज जी के शिष्य सारे योगी हैं। और जैसे संत रामपाल जी महाराज जी के आश्रमों में समागम होते हैं उनमें लाखों योगी भोजन करते हैं। वहां दिए गए दान से पितरों का भी उद्धार, भूतों का भी उद्धार और दान करने वालों का भी उद्धार होता है।
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#श्राद्ध_करने_की_श्रेष्ठ_विधि
जिस समय आपकी बुद्धि भ्रमित करने वाले ज्ञान से हटकर एक तत्व ज्ञान पर स्थिर हो जाएगी, तब तू योगी बनेगा। वही विष्णु पुराण तृतीय अंश, अध्याय 15श्लोक 55-56 पर लिखा है कि एक योगी अकेला ही पितरों तथा एक हजार ब्राह्मणों तथा यजमान सहित सर्व का उद्धार कर देगा।
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