#स्वामी सानंद का निधन
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प्रो. जीडी अग्रवाल की मौत का जिम्मेदार कौन...
प्रो. जीडी अग्रवाल की मौत का जिम्मेदार कौन…
[ad_1] प्रो. जीडी अग्रवाल (स्वामी सानंद) नहीं रहे. अपने जीते जी गंगा को साफ-सुथरा… [ad_2] Source link
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बीजेपी के राष्ट्रीय अधिवेशन में प्रो. जीडी अग्रवाल और कादर खान को भी श्रद्धांजलि - Bjp nationl council meeting arun singh passed consolation resolution homage pays to actor kader khan and ganga activist profe
बीजेपी के राष्ट्रीय अधिवेशन में पार्टी अध्यक्ष अमित शाह के भाषण के बाद भाजपा ने एक शोक प्रस्ताव पारित कर सामाजिक, राजनीतिक और कला जगत की दिवगंत हस्तियों को श्रद्धांजलि दी. बीजेपी ने दिल्ली के पूर्व सीएम मदन लाल खुराना, यूपी के पूर्व सीएम एनडी तिवारी, केन्द्रीय मंत्री अनंत कुमार, जय नारायण निषाद जैसे नेताओं को श्रद्धांजलि दी और राष्ट्र और समाज के निर्माण में योगदान को याद किया.
बीजेपी को याद आए गंगा पुत्र जीडी अग्रवाल
बीजेपी ने जिन हस्तियों को श्रद्धांजलि दी उनमें दो नाम काफी दिलचस्प हैं. ये दो नाम हैं पर्यावरणविद और गंगा की स्वच्छता के लिए अभियान चलाने वाले प्रोफेसर जीडी अग्रवाल और मशहूर अभिनेता कादर खान. माना जाता है कि ये 2 शख्सियतें ऐसी थीं जो जब तक जीवित रहीं उपेक्षा की शिकार रहीं. गंगा की निर्मलता के लिए आंदोलन करने वाले जीडी अग्रवाल तो पीएम नरेंद्र मोदी को लगातार चिट्ठी लिखते रहे, लेकिन उनकी फरियाद पर सुनवाई तो दूर, पीएम ऑफिस और दूसरे मंत्रियों की ओर से उन्हें कभी भी ढाढ़स बंधाने वाला ऐसा कोई जवाब नहीं आया, जिसे लेकर वे गंगा की अविरलता को लेकर आश्वस्त हो सकें. आखिरकार 111 दिनों के अनशन के बाद 11 अक्टूबर 2018 को उनका निधन हो गया.
जीडी अग्रवाल को श्रद्धांजलि देते हुए बीजेपी नेता अरुण सिंह ने कहा कि पर्यावरण और स्वच्छ गंगा मिशन के काम करने वाले डॉ. जी. डी. अग्रवाल हमारे बीच नहीं रहे, पार्टी उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करती है. स्वामी ज्ञान स्वरूप सानंद के नाम से प्रसिद्ध जी. डी. अग्रवाल ने प्रधानमंत्री को लिखी अपनी आखिरी चिट्ठी में उनसे गंगा की स्वच्छता को लेकर अविलंब कदम उठाने को कहा था. जी. डी. अग्रवाल ने पीएम की जवाबी चिट्ठी का इतंजार करते-करते प्राण त्याग दिए.
अभिनेता कादर खान को बीजेपी की श्रद्धांजलि
बीजेपी ने अपने शोक प्रस्ताव में दिग्गज अभिनेता कादर खान का भी नाम लिया और एक मिनट मौन रखकर उन्हें श्रद्धांजलि दी. यह एक विडंबना है कि ��ादर अपने जीवन काल में सरकारी उपेक्षा के शिकार रहे. कादर खान की ये कसक साल 2016 में सामने आई थी. 2016 में एक इंटरव्यू में जब उनसे पद्म पुरस्कार नहीं मिलने पर सवाल पूछा गया तो उन्होंने तंज कसते हुए कहा था कि उन्हें बहुत खुशी है कि उन्हें यह पुरस्कार नहीं मिला है. तब कादर खान ने कहा था कि पहले तो इन पुरस्कारों को देने में कुछ ईमानदारी बरती जाती थी, लेकिन अब ऐसा नहीं रहा.
जब उनसे अनुपम खेर को पद्म पुरस्कार मिलने पर प्रतिक्रिया ली गई तो उन्होंने समाचार एजेंसी आईएएनएस को दिये इंटरव्यू में कहा था, “उन्होंने (अनुपम खेर) प्रधानमंत्री (नरेंद्र मोदी) का गुणगान करने के अलावा और क्या किया है, मैं सरकार के फैसले का विरोध नहीं कर रहा हूं, लेकिन मैं सिर्फ ये जानना चाहता हूं कि आखिर मेरे अंदर क्या कमी है.”
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मातृसदन भेजा जाए स्वामी सानंद का पार्थिव शरीर: हाई कोर्ट नैनीताल: उत्तराखंड हाई कोर्ट ने 8 घंटे में स्वामी ज्ञानस्वरूप सानंद उर्फ जीडी अग्रवाल के पार्थिव शरीर को मातृसदन भेजने का आदेश दिया है. कोर्ट के आदेश के बाद स्वामी सानंद का पार्थिव शरीर 76 घंटे के लिए मातृसदन में अंतिम दर्शन के लिए रखा जाएगा. गौरतलब है की अभी स्वामी सानंद का पार्थिव शरीर ऋषिकेश एम्स में रखा हुआ है. उन्होंने अपना शरीर ऋषिकेश एम्स को दान कर दिया था. यह भी पढ़े: पिछड़ों को आगे और अगड़ों को पीछे कर नया चेहरा तैयार करेगी बीजेपी बता दें कि गंगा रक्षा के लिए स्वामी सानंद ने 112 दिनों तक हरिद्वार स्थित मातृसदन में अनशन किया था. इसी दौरान 11 अक्टूबर को ऋषिकेश में उनका निधन हो गया था. उन्होंने अपना शरीर ऋषिकेश एम्स को दान कर दिया था. इस पर ऋषिकेश एम्स प्रशासन ने स्वामी सानंद के अंतिम दर्शन के लिए किसी को अनुमति नहीं दी थी. इस समय स्वामी सानंद का पार्थिव शरीर ऋषिकेश एम्स में रखा हुआ है. यह भी पढ़े: भाजपा का ‘दलित प्रेम’, ‘कलेवर’ जरा हटके स्वामी सानंद के पार्थिव शरीर का अंतिम दर्शन और अंतिम संस्कार को लेकर उनके अनुयायी हाई कोर्ट में एक याचिक दायर की थी. जिस पर सुनवाई करते हुए हाई कोर्ट ने स्वामी सानंद के पार्थिव शरीर को 8 घंटे के अंदर मातृसदन भेजने का आदेश दिया है. साथ ही उनके पार्थिव शरीर को 76 घंटे के लिए मातृसदन में अंतिम दर्शन के लिए रखे जाने का आदेश दिया है.
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स्वामी सानंद ने कहा था, “मेरी मौत के साथ मेरे अनशन का अंत होगा’, मोदी सरकार ने सच साबित करा दिया
स्वामी सानंद ने कहा था, “मेरी मौत के साथ मेरे अनशन का अंत होगा’, मोदी सरकार ने सच साबित करा दिया
गंगा के लिए अन��न – जल छोड़ प्राण त्याग दिए उन्होंने
प्रोफेसर जीडी अग्रवाल उर्फ स्वामी ज्ञानस्वरूप सानंद का निधन
गोपाल राठी
गंगा सफाई के लिए पिछले 112 दिनों से अनशन पर बैठे पर्यावरणविद् प्रोफेसर जीडी अग्रवाल उर्फ स्वामी ज्ञानस्वरूप सानंद का गुरुवार को निधन हो गया। बीते 9 अक्टूबर से प्रोफेसर जीडी अग्रवाल ने पानी पीना बंद कर दिया था। अगले दिन हालत बिगड़ने पर पुलिस ने उन्हें जबरन ऋषिकेश स्थित एम्स…
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Centre In A Reaction Of Clean Ganga Activist Gd Agarwal Death Says We Have Accepted Almost All His Demands | 'गंगापुत्र' स्वामी सानंद के निधन पर केंद्र सरकार का जवाब- लगभग सारी मांगें मान ली थी
Centre In A Reaction Of Clean Ganga Activist Gd Agarwal Death Says We Have Accepted Almost All His Demands | ‘गंगापुत्र’ स्वामी सानंद के निधन पर केंद्र सरकार का जवाब- लगभग सारी मांगें मान ली थी
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गंगा नदी के संरक्षण को लेकर पिछले 112 दिनों से अनशन कर रहे जाने-माने पर्यावरणविद प्रोफेसर जीडी अग्रवाल उर्फ स्वामी ज्ञानस्वरूप सानंद का गुरूवार दोपहर दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया. वह 86 वर्ष के थे. ऋषिकेश स्थित अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) के निदेशक डॉ रविकांत ने बताया कि स्वामी सानंद ने गुरुवार दोपहर…
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अनशन के 112वें दिन गंगापुत्र सानंद का निधन
Delhi: गंगा नदी की स्वच्छता और रक्षा की मांग कर रहे स्वामी सानंद की गुरुवार को मौत हो गई। स्वामी सानंद पिछले 22 जून से अनशन पर थे और उन्होंने 9 अक्टूबर को जल भी त्याग दिया था। सानंद गंगा नदी की स्वच्छता को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को खत लिख चुके थे और खूब खरीखोटी सुनाई थी। http://dlvr.it/Qn1qJM
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नहीं रहे प्रसिद्ध पर्यावरणाविद स्वामी सानंद ऋषिकेश : गंगा नदी में खनन बंद करने की मांग को लेकर लंबे समय से हरिद्वार में अनशन कर रहे जाने माने पर्यावरणविद प्रोफेसर जीडी अग्रवाल उर्फ स्वामी ज्ञानस्वरूप सानंद का गुरुवार को यहां एक अस्पताल में निधन हो गया.यहां अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) के सूत्रों ने बताया कि स्वामी सानंद ने आज दोपहर करीब दो बजे अंतिम सांस ली. हरिद्वार स्थित मातृ सदन के संत ज्ञानानन्द से दीक्षा लेने वाले स्वामी सानंद को गत नौ अक्तूबर को उनके अनशन स्थल हरिद्वार से उठा कर प्रशासन ने एम्स, ऋषिकेश में भर्ती कराया था. National desk Report by : Chandan Das
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मेडिकल साइंस के काम आएगा स्वामी सानंद का पार्थिव शरीर, अंतिम इच्छा के मुताबिक फैसला ऋषिकेश: गंगा की स्वच्छता के लिए जान देने वाले स्वामी सानंद का पार्थिव शरीर अब मेडिकल साइंस में काम आएगा. उनकी इच्छा के मुताबिक परिजनों ने पार्थिव शरीर ऋषिकेश एम्स को दान कर दिया. उनके पार्थिव शरीर को अस्पताल प्रशासन ने सुरक्षित रखने की प्रक्रिया शुरू कर दी है. सानंद ने देहदान का लिया था संकल्प सानंद ने 28 अगस्त को देहदान का संकल्प पत्र भरा था. 17 सितंबर को एम्स प्रशासन ने इसे स्वीकार कर लिया था. एम्स के निदेशक प्रो.रविकांत ने बताया कि शरीर दान की प्रक्रिया के तहत स्वामी सानंद के परिजनों से बातचीत की गई. उनके दत्तक पुत्र तरुण अग्रवाल, भतीजे चेतन गर्ग और अन्य परिजनों ने इसके लिए सहमति प्रदान की है. पोस्टमार्टम के बाद उनके शरीर को सुरक्षित रखने की प्रक्रिया चल रही है. डॉक्टरों के मुताबिक सानंद का निधन हृदयघात के कारण हुआ है, इसलिए उनके शरीर के अंदरूनी अंग काम नहीं आ सकते. फिर भी, पार्थिव शरीर के नब्बे फीसदी हिस्से को मेडिकल साइंस की पढ़ाई में इस्तेमाल किया जा सकता है. ये भी पढ़ें- स्वामी सानंद से पहले ये संत भी दे चुके हैं गंगा के लिए जान, मौत के रहस्य से अब तक नहीं उठा पर्दा स्वामी सानंद का पोस्टमॉर्टम हुआ जिलाधिकारी की इजाजत के बाद चार डाक्टरों की टीम ने देर रात स्वामी सानंद के शव का पोस्टमार्टम किया. पोस्टमॉर्टम की वीडियोग्राफी भी कराई गई. किसी विवाद से बचने के लिए प्रशासन ने तय किया था कि एम्स के फोरेंसिंक एक्सपर्ट की टीम उनके ��ार्थिव शरीर का पोस्टमार्टम करेगी. उनके कुछ विशेष अंगों को चिकित्सा जांच के लिए भी भेजा जाएगा. डॉक्टरों के मुताबिक कमजोरी और हार्ट अटैक से स्वामी सानंद का निधन हुआ है. बुधवार को स्वामी सांनद को एम्स ऋषिकेश में भर्ती कराया गया था. लगातार कई महीनो से अनशन पर बैठे स्वामी सांनद ने मंगलवार को जल भी त्याग दिया था. स्वामी ज्ञान स्वरूप सानंद 22 जून से गंगा के लिए कानून बनाने की मांग को लेकर अनशन पर बैठे थे.
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स्वामी सानंद से पहले ये संत भी दे चुके हैं गंगा के लिए जान, मौत के रहस्य से अब तक नहीं उठा पर्दा
स्वामी सानंद से पहले ये संत भी दे चुके हैं गंगा के लिए जान, मौत के रहस्य से अब तक नहीं उठा पर्दा
देहरादून:गंगा की सफाई के लिए 112 दिनों से आमरण अनशन पर बैठे स्वामी सानंद का गुरुवार को निधन हो गया. स्वामी सानंद जिस संस्था मातृ सदन से जुड़े थे उसी संस्था के दो ��ंत पहले भी गंगा के लिए बलिदान दे चुके हैं. साल 1998 में कनखल में गंगा किनारे स्थापित हुई मातृसदन संस्था गंगा के लिए बलिदान करने वालों की भूमि बन गई है. मातृसदन के अनुयायी आगे भी गंगा पर बलिदान होने के लिए खुद को तत्पर बता रहे हैं. सानंद…
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स्वामी सानंद ��े पोस्टमार्टम की तैयारी, 5 फॉरेंसिक एक्सपर्ट्स की टीम पहुंचेगी एम्स
स्वामी सानंद के पोस्टमार्टम की तैयारी, 5 फॉरेंसिक एक्सपर्ट्स की टीम पहुंचेगी एम्स
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बुधवार को स्वामी सानंद को पुलिस ने जबरन उठाया था – फोटो : फाइल फोटो
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गंगा की अविरलता और निर्मलता को बनाए रखने के लिए विशेष एक्ट पास कराने की मांग को लेकर आमरण अनशन कर रहे स्वामी ज्ञान स्वरूप सानंद का आज दोपहर बाद एम्स ऋषिकेश में निधन हो गया। एम्स प्रशासन के मुताबिक उनकी मौत कार्डियक अरेस्ट के चलते दोपहर करीब दो बजे के आस-पास हुई। उनकी निधन की खबर आम होते ही उनके…
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