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स्वामी सानंद के पोस्टमार्टम की तैयारी, 5 फॉरेंसिक एक्सपर्ट्स की टीम पहुंचेगी एम्स
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बुधवार को स्वामी सानंद को पुलिस ने जबरन उठाया था – फोटो : फाइल फोटो
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गंगा की अविरलता और निर्मलता को बनाए रखने के लिए विशेष एक्ट पास कराने की मांग को लेकर आमरण अनशन कर रहे स्वामी ज्ञान स्वरूप सानंद का आज दोपहर बाद एम्स ऋषिकेश में निधन हो गया। एम्स प्रशासन के मुताबिक उनकी मौत कार्डियक अरेस्ट के चलते दोपहर करीब दो बजे के आस-पास हुई। उनकी निधन की खबर आम होते ही उनके…
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जनआंदोलनों से ही गंगा-नर्मदा समेत अन्य नदियां बचेंगी : मेधा पाटकर गंगा,नर्मदा व अन्य नदियों से जुड़े संगठनों के एकजुट होने की है जरूरत केंद्र सरकार न केवल संवेदनहीन, बल्कि संवादहीन भी निजीकरण और परियोजनाकरण गंगा एक्ट में जा रहा है थोपा देवभूमि मीडिया ब्यूरो हरिद्वार । मातृसदन में गंगा रक्षा के लिए जीवन त्यागने वाले स्वामी ज्ञान स्वरूप सानंद की मांगों को लेकर हरिद्वार स्थित मातृसदन में ब्रह्मचारी आत्मबोधानंद पिछले काफी समय से अनशनरत हैं। उन्हीं के समर्थन में आयोजित जन संवाद कार्यक्रम में नर्मदा बचाओ आंदोलन की प्रणेता मेधा पाटकर सोमवार को हरिद्वार पहुंची। उन्होंने कहा कि गंगा और नर्मदा समेत अन्य नदियों के संरक्षण और संवर्धन के लिए इनसे जुड़े संगठनों के एकजुट होने की जरूरत है। इसके लिए सोशल मीडिया पर प्रसार के अलावा सभाएं, गोष्ठियां और सामूहिक उपवास, धरना-प्रदर्शन, पदयात्रा, हस्ताक्षर अभियान जैसी रणनीति भी बनानी होगी। उन्होंने आरोप लगाया कि इस महत्वपूर्ण मुद्दे पर केंद्र सरकार न केवल संवेदनहीन, बल्कि संवादहीन भी बनी हुई है। उन्होंने कहा साथ ही पाटेकर ने ये भी साफ कर दिया कि जनांदोलन से ही गंगा-नर्मदा समेत अन्य नदियां बच पाएंगी। मेधा पाटकर ने कहा कि मातृसदन के संत मानव धर्म के संवाहक हैं। इसलिए गंगा यात्रा निकालकर स्वामी सानंद की मौत के कारणों को उजागर किया जाएगा। उन्होंने गंगा एक्ट के क्रियान्वयन को हस्ताक्षर अभियान चलाने की जरूरत पर भी जोर दिया। उन्होंने कहा कि इसके लिए दिल्ली में एक मंच खड़ा किया जाना चाहिए, जो सरकार को भी एक्ट के प्रारूप पर चर्चा के लिए बुलाए। पाटकर ने कहा, गंगा और नर्मदा की स्थिति कमोबेश एक जैसी है। नर्मदा नदी पर भी 30 बड़े और 135 छोटे बांध बने हैं। लेकिन, केंद्र सरकार नदियों के संरक्षण को लेकर गंभीर नहीं लग रही है। उन्होंने बताया कि वे खुद भी नर्मदा बचाने के लिए कई आंदोलन कर चुकी हैं, लेकिन आज तक अपेक्षित परिणाम सामने नहीं आए। 17 जनवरी को मध्यप्रदेश में ब्रह्मचारी आत्मबोधानंद के समर्थन में उन्होंने धरना भी दिया था। मेधा पाटकर का कहना है कि केंद्र सरकार के गंगा बिलों से नदियों का भला नहीं होनो वाला है। क्योंकि इन बिलों में निजीकरण और परियोजनाकरण को ज्यादा थोपा जा रहा है। जिससे न तो गंगा निर्मल हो सकती है और न अविरल ही। गंगा की विशेषता धार्मिक ही नहीं, प्राकृतिक और वैज्ञानिक भी है। इसलिए गंगा को बचाए रखना सिर्फ मातृसदन का ही काम नहीं है, बल्कि यह सभी की सामूहिक जिम्मेदारी है। मेधा पाटकर ने कड़े शब्दों में कहा कि गंगा के लिए तपस्यारत संतों से संवाद नहीं किया जा रहा है। ये सरकार की संवेदनहीनता नहीं तो फिर क्या है। इससे ये भी साबित हो जाता है कि पहले निगमानंद और अब सानंद की हत्या हुई है। उनका ये भी कहना है कि आत्मबोधानंद जैसा युवा संत गंगा रक्षा को तप कर रहा है, जबकि संत गोपालदास गायब हैं। इसका जवाब केंद्र सरकार को देना चाहिए। उन्हें बताना चाहिए कि आखिर संत गोपालदास कहां हैं और आत्मबोधानंद को क्यों तपस्या करनी पड़ रही है। सामाजिक कार्यकर्ता पाटकर का कहना है कि परियोजनाएं केवल तकनीकी चुनौती देती हैं और लाभों का जाल भी फैलाती है, लेकिन इनसे गंगा की अविरलता और निर्मलता नहीं बनती है। उन्होंने ये भी कहा कि मध्य प्रदेश की नई सरकार को नर्मदा बचाने के लिए कार्य करना चाहिए, क्योंकि नर्मदा घाटी के लोगों ने इसी की मांग पर सरकार बनाई है। अगर सरकार ऐसा नहीं करती है तो न नर्मदा बचेगी और न घाटी ही। उन्होंने कहा कि जो लोग गंगा पर हजारों करोड़ रुपये खर्च करने की बात कह रहे हैं, वह लोग न तो गंगा को निर्मल बना पाए हैं और न अविरल ही बहने दे रहे। इस मौके पर गंगा कमेटी के अध्यक्ष रवि चोपड़ा ने गंगा एक्ट के विभिन्न प्रारूपों की जानकारी दी। उन्होंने गंगा प्रेमियों और सामाजिक कार्यकर्ताओं से अपील की कि वह 2012 में गंगा महासभा की ओर से प्रस्तावित प्रारूप राष्ट्र नदी गंगा (संरक्षण एवं प्रबंधन) अधिनियम समेत अन्य प्रारूपों का अध्ययन करें। साथ ही लोगों को साथ लेकर क्षेत्रीय सांसद को भी जनाकांक्षाओं से अवगत कराएं।
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बीजेपी के राष्ट्रीय अधिवेशन में प्रो. जीडी अग्रवाल और कादर खान को भी श्रद्धांजलि - Bjp nationl council meeting arun singh passed consolation resolution homage pays to actor kader khan and ganga activist profe
बीजेपी के राष्ट्रीय अधिवेशन में पार्टी अध्यक्ष अमित शाह के भाषण के बाद भाजपा ने एक शोक प्रस्ताव पारित कर सामाजिक, राजनीतिक और कला जगत की दि��गंत हस्तियों को श्रद्धांजलि दी. बीजेपी ने दिल्ली के पूर्व सीएम मदन लाल खुराना, यूपी के पूर्व सीएम एनडी तिवारी, केन्द्रीय मंत्री अनंत कुमार, जय नारायण निषाद जैसे नेताओं को श्रद्धांजलि दी और राष्ट्र और समाज के निर्माण में योगदान को याद किया.
बीजेपी को याद आए गंगा पुत्र जीडी अग्रवाल
बीजेपी ने जिन हस्तियों को श्रद्धांजलि दी उनमें दो नाम काफी दिलचस्प हैं. ये दो नाम हैं पर्यावरणविद और गंगा की स्वच्छता के लिए अभियान चलाने वाले प्रोफेसर जीडी अग्रवाल और मशहूर अभिनेता कादर खान. माना जाता है कि ये 2 शख्सियतें ऐसी थीं जो जब तक जीवित रहीं उपेक्षा की शिकार रहीं. गंगा की निर्मलता के लिए आंदोलन करने वाले जीडी अग्रवाल तो पीएम नरेंद्र मोदी को लगातार चिट्ठी लिखते रहे, लेकिन उनकी फरियाद पर सुनवाई तो दूर, पीएम ऑफिस और दूसरे मंत्रियों की ओर से उन्हें कभी भी ढाढ़स बंधाने वाला ऐसा कोई जवाब नहीं आया, जिसे लेकर वे गंगा की अविरलता को लेकर आश्वस्त हो सकें. आखिरकार 111 दिनों के अनशन के बाद 11 अक्टूबर 2018 को उनका निधन हो गया.
जीडी अग्रवाल को श्रद्धांजलि देते हुए बीजेपी नेता अरुण सिंह ने कहा कि पर्यावरण और स्वच्छ गंगा मिशन के काम करने वाले डॉ. जी. डी. अग्रवाल हमारे बीच नहीं रहे, पार्टी उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करती है. स्वामी ज्ञान स्वरूप सानंद के नाम से प्रसिद्ध जी. डी. अग्रवाल ने प्रधानमंत्री को लिखी अपनी आखिरी चिट्ठी में उनसे गंगा की स्वच्छता को लेकर अविलंब कदम उठाने को कहा था. जी. डी. अग्रवाल ने पीएम की जवाबी चिट्ठी का इतंजार करते-करते प्राण त्याग दिए.
अभिनेता कादर खान को बीजेपी की श्रद्धांजलि
बीजेपी ने अपने शोक प्रस्ताव में दिग्गज अभिनेता कादर खान का भी नाम लिया और एक मिनट मौन रखकर उन्हें श्रद्धांजलि दी. यह एक विडंबना है कि कादर अपने जीवन काल में सरकारी उपेक्षा के शिकार रहे. कादर खान की ये कसक साल 2016 में सामने आई थी. 2016 में एक इंटरव्यू में जब उनसे पद्म पुरस्कार नहीं मिलने पर सवाल पूछा गया तो उन्होंने तंज कसते हुए कहा था कि उन्हें बहुत खुशी है कि उन्हें यह पुरस्कार नहीं मिला है. तब कादर खान ने कहा था कि पहले तो इन पुरस्कारों को देने में कुछ ईमानदारी बर��ी जाती थी, लेकिन अब ऐसा नहीं रहा.
जब उनसे अनुपम खेर को पद्म पुरस्कार मिलने पर प्रतिक्रिया ली गई तो उन्होंने समाचार एजेंसी आईएएनएस को दिये इंटरव्यू में कहा था, “उन्होंने (अनुपम खेर) प्रधानमंत्री (नरेंद्र मोदी) का गुणगान करने के अलावा और क्या किया है, मैं सरकार के फैसले का विरोध नहीं कर रहा हूं, लेकिन मैं सिर्फ ये जानना चाहता हूं कि आखिर मेरे अंदर क्या कमी है.”
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हरिद्वार: स्वामी सानंद जैसे महापुरुष संसार में कभी-कभी अवतरित होतेः स्वामी सहज प्रकाश
हरिद्वार: स्वामी सानंद जैसे महापुरुष संसार में कभी-कभी अवतरित होतेः स्वामी सहज प्रकाश
हरिद्वार: पिछले वर्ष गंगा रक्षा के लिए अनशन करते हुए अपने प्राणों की आहुति देने वाले गंगा पुत्र ज्ञानस्वरूप सानंद जी की पहली पुण्यतिथि के अवसर पर भारत जागृति मिशन ने हरिद्वार स्थित पवन धाम में एक गोष्टी का आयोजन किया। इसकी अध्यक्षता करते हुए पावन धाम के परमाध्यक्ष स्वामी सहज प्रकाश ने कहा कि स्वामी सानंद का जीवन माँ गंगा के लिए समर्पित रहा और अपने प्राण भी उन्होंने माँ गंगा की स्वच्छ्ता के लिए…
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गंगा पुत्र संत स्वामी सानंद के अनमोल वचन : “गंगा को बचाने के लिये 114 दिन की तपस्या करने के बाद प्राण त्यागने वाले महान संत स्वामी सानंद का अंतिम विडियो।” —मोदी सरकार ने माँ गंगा के साथ भी धोखा किया है। pic.twitter.com/pMVO0eS3z9
— 24x7politics (@24x7Politics) April 24, 2019
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जंतर मंतर से उठी अविरल गंगा की आवाज
जंतर मंतर से उठी अविरल गंगा की आवाज
नई दिल्ली / ब्रह्मचारी आत्मबोधानंद जी के उपवास के 97 दिन पर देश भर के संगठनों द्वारा समर्थित एक प्रतीकात्मक धरना और क्रमिक उपवास आज से जंतर-मंतर पर शुरू किया गया। गंगा की अविरलता के लिए स्वामी सानंद के 111 दिन के उपवास के बाद हुई मृत्यु के बाद 24 अक्टूबर, 2018 से 26 वर्षीय युवा संत ब्रह्मचारी आत्मबोधानंद जी उपवास पर हैं। केरल में कंप्यूटर साइंस के छात्र रहे 22 वर्ष के युवा ने मातृ सदन में…
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पीएमओ एलर्ट होता तो बच सकती थी स्वामी सानंद की जान, आरटीआई से खुलासा
पीएमओ एलर्ट होता तो बच सकती थी स्वामी सानंद की जान, आरटीआई से खुलासा #PMO #ganga
अगर पीएम मोदी ने पहल की होती तो पर्यावरणविद और गंगा के लिए अभियान चलाने वाले कार्यकर्ता प्रोफेसर जीडी अग्रवाल यानी स्वामी सानंद की जान बच सकती थी. अग्रवाल की मौत के एक महीने बाद आरटीआई से बड़ा खुलासा हुआ है. आरटीआई के अनुसार, जीडी अग्रवाल ने पीएमओ को पत्र लिखकर पवित्र गंगा नदी के संरक्षण के लिए विशेष कदम उठाने की मांग की थी, लेकिन उनके इस पत्र पर किसी तरह का एक्शन नहीं लिया गया. उनकी चिट्ठी पर…
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प्रो. जीडी अग्रवाल की मौत का जिम्मेदार कौन...
प्रो. जीडी अग्रवाल की मौत का जिम्मेदार कौन…
[ad_1] प्रो. जीडी अग्रवाल (स्वामी सानंद) नहीं रहे. अपने जीते जी गंगा को साफ-सुथरा… [ad_2] Source link
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सानंद के पार्थिव शरीर के अंतिम दर्शन मामले पर सुप्रीम कोर्ट में हुई सुनवाई, शुक्रवार को आएगा फैसला
स्वामी सानंद के अंतिम दर्शन के लिए उनकी पार्थिव देह हरिद्वार के मातृ सदन में रखने के आदेश पर रोक लगाने के निर्णय के खिलाफ दायर याचिका पर फैसला शुक्रवार को आएगा। from Latest And Breaking Hindi News Headlines, News In Hindi | अमर उजाला हिंदी न्यूज़ | - Amar Ujala https://ift.tt/2RmLuRV via IFTTT from Blogger https://ift.tt/2SvBiYE via IFTTT
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मातृ सदन के स्वामी शिवानंद ने आश्वासन के बाद समाप्त किया अनशन
मातृ सदन के स्वामी शिवानंद ने आश्वासन के बाद समाप्त किया अनशन
गंगा की निर्मलता और अविरलता के लिए परमाध्यक्ष स्वामी शिवानंद कर रहे थे अनशन नेशनल मिशन फॉर क्लीन गंगा से मिला मांगे पूर्ण करने का आश्वासन समाप्त देवभूमि मीडिया ब्यूरो
मातृ सदन की छह सूत्रीय ये हैं मांगें
हरिद्वार में गंगा और सहायक नदियों में खनन पर पूर्ण रूप से प्रतिबंध लगे।
ज्ञानस्वरूप सानंद की ओर से प्रस्तावित गंगा एक्ट को लागू किया जाए।
नदियों के पांच किमी के दायरे तक लगे स्टोन क्रशर…
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मातृसदन भेजा जाए स्वामी सानंद का पार्थिव शरीर: हाई कोर्ट नैनीताल: उत्तराखंड हाई कोर्ट ने 8 घंटे में स्वामी ज्ञानस्वरूप सानंद उर्फ जीडी अग्रवाल के पार्थिव शरीर को मातृसदन भेजने का आदेश दिया है. कोर्ट के आदेश के बाद स्वामी सानंद का पार्थिव शरीर 76 घंटे के लिए मातृसदन में अंतिम दर्शन के लिए रखा जाएगा. गौरतलब है की अभी स्वामी सानंद का पार्थिव शरीर ऋषिकेश एम्स में रखा हुआ है. उन्होंने अपना शरीर ऋषिकेश एम्स को दान कर दिया था. यह भी पढ़े: पिछड़ों को आगे और अगड़ों को पीछे कर नया चेहरा तैयार करेगी बीजेपी बता दें कि गंगा रक्षा के लिए स्वामी सानंद ने 112 दिनों तक हरिद्वार स्थित मातृसदन में अनशन किया था. इसी दौरान 11 अक्टूबर को ऋषिकेश में उनका निधन हो गया था. उन्होंने अपना शरीर ऋषिकेश एम्स को दान कर दिया था. इस पर ऋषिकेश एम्स प्रशासन ने स्वामी सानंद के अंतिम दर्शन के लिए किसी को अनुमति नहीं दी थी. इस समय स्वामी सानंद का पार्थिव शरीर ऋषिकेश एम्स में रखा हुआ है. यह भी पढ़े: भाजपा का ‘दलित प्रेम’, ‘कलेवर’ जरा हटके स्वामी सानंद के पार्थिव शरीर का अंतिम दर्शन और अंतिम संस्कार को लेकर उनके अनुयायी हाई कोर्ट में एक याचिक दायर की थी. जिस पर सुनवाई करते हुए हाई कोर्ट ने स्वामी सानंद के पार्थिव शरीर को 8 घंटे के अंदर मातृसदन भेजने का आदेश दिया है. साथ ही उनके पार्थिव शरीर को 76 घंटे के लिए मातृसदन में अंतिम दर्शन के लिए रखे जाने का आदेश दिया है.
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गंगा की अविरलता को लेकर अनशनकारी स्वामी सानंद का बलिदान व्यर्थ नहीं जाएगा
गंगा की अविरलता को लेकर अनशनकारी स्वामी सानंद का बलिदान व्यर्थ नहीं जाएगा
86 वर्षीय व्यक्ति यदि अनशन पर हो और लाख कोशिश के बाद भी डिगे नहीं तो साफ है कि वह लक्ष्य के सामने शरीर मोह से ऊपर उठ चुका है।
Read More : गंगा की अविरलता को लेकर अनशनकारी स्वामी सानंद का बलिदान व्यर्थ नहीं जाएगा Courtesy : Jagran – Apni Baat
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धोखा जारी है : भगवान राम और गौ-माता के नाम पर बरसों ढगने के बाद अब “माँ गंगा” के नाम पर हज़ारों करोड़ की ठगी..? स्वामी सानंद “माँ गंगा” के लिये अनशन करते-करते मर गये पर इस कर्महीन, शर्महीन और मर्महीन सरकार को कोई फ़र्क़ नही पड़ा। सब पर पीड़ा जारी है, उ… pic.twitter.com/qmlojEiTem
— 24x7 Politics (@24x7Politics) October 20, 2018
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स्वामी सानंद ने कहा था, “मेरी मौत के साथ मेरे अनशन का अंत होगा’, मोदी सरकार ने सच साबित करा दिया
स्वामी सानंद ने कहा था, “मेरी मौत के साथ मेरे अनशन का अंत होगा’, मोदी सरकार ने सच साबित करा दिया
गंगा के लिए अन्न – जल छोड़ प्राण त्याग दिए उन्होंने
प्रोफेसर जीडी अग्रवाल उर्फ स्वामी ज्ञानस्वरूप सानंद का निधन
गोपाल राठी
गंगा सफाई के लिए पिछले 112 दिनों से अनशन पर बैठे पर्यावरणविद् प्रोफेसर जीडी अग्रवाल उर्फ स्वामी ज्ञानस्वरूप सानंद का गुरुवार को निधन हो गया। बीते 9 अक्टूबर से प्रोफेसर जीडी अग्रवाल ने पानी पीना बंद कर दिया था। अगले दिन हालत बिगड़ने पर पुलिस ने उन्हें जबरन ऋषिकेश स्थित एम्स…
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गंगा: स्वामी सानंद की राह पर अब एक और साधु
गंगा नदी की स्वच्छता की मांग को लेकर अनशन कर रहे स्वामी सानंद की मौत के बाद एक और साधु उनकी परंपरा को आगे बढ़ाते हुए अनशन पर बैठ गए हैं। मातृसदन में साधु गोपाल दास शुक्रवार से गंगा के संबंध में स्वामी सानंद की मांग को आगे बढ़ाते हुए अनशन पर बैठ गए हैं। http://dlvr.it/Qn7Vsm
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