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स्वामी सानंद की जगह अनशन पर बैठे संत गोपालदास, देर रात एम्स में कराया गया भर्ती हरिद्वार: गंगा की स्वच्छता और अविरलता के लिए प्राणों की आहुति देने वाले स्वामी ज्ञान स्वरूप सानंद के बाद शुक्रवार को मातृसदन में संत गोपालदास अनशन पर बैठ गए. हरियाणा के गुहाना के रहने वाले संत गोपालदास पिछले 111 दिनों से उत्तराखंड के अलग-अलग स्थानों पर अनशन कर रहे थे. देर रात करीब 2 बजे मातृ सदन पहुंची एम्स के डॉक्टरों की टीम ने उन्हें अस्पताल में भर्ती करा दिया. डॉक्टरों के मुताबिक गिरती सेहत को देखते हुए उन्हें एहतियातन एम्स में भर्ती कराया गया है. शुक्रवार को मातृ सदन पहुंचे थे गोपालदास स्वामी सानंद की मृत्यु की खबर मिलने के बाद संत गोपाल दास शुक्रवार को जल पुरुष राजेंद्र सिंह के साथ हरिद्वार पहुंचे थे. मातृ सदन के स्वामी शिवानन्द के कहने पर वह उसी स्थान से अनशन आगे बढ़ाने लगे जहां स्वामी सानंद अनशन कर रहे थे. जब स्वामी सानंद ने 10 अक्टूबर को जल का त्याग किया था उसी दिन ही ऋषिकेश में संत गोपालदास ने भी जल त्याग किया था. बिगड़ती हालत को देखते हुए स्वामी शिवानंद और राजेंद्र सिंह के आग्रह पर उन्होंने जल लेना शुरू कर दिया, लेकिन अनशन जारी रखा. गोपालदास के अनशन की सूचना मिलते ही जिला और पुलिस प्रशासन में हड़कंप मच गया था. खुफिया विभाग ने उच्च अधिकारियों को जानकारी दी तो अधिकारी संत गोपालदास के अनशन को समाप्त कराने के तरीके तलाशते नजर आए. देर रात डॉक्टरों की टीम ने उन्हें एम्स में शिफ्ट करा दिया. हरियाणा के हैं संत गोपालदास संत गोपालदास मूलरूप से हरियाणा के रहने वाले हैं. वह 2011 में गंगा के लिए मातृ सदन के निगमानंद की अनशन के दौरान हुई मृत्यु से प्रभावित हुए थे. तब से गंगा और पर्यावरण को लेकर उनका प्रेम जागा था. हरियाणा में उन्होंने गोचारण भूमि की मुक्ति के लिए लम्बा अनशन किया था. 22 जून को जब स्वामी सानंद मातृ सदन में अनशन पर बैठे थे, तो उनसे प्रेरित होकर 24 जून से संत गोपालदास भी बदरीनाथ में गंगा की अविरलता और निर्मलता के लिए आमरण अनशन पर बैठ गए थे. 111 दिन से जारी है अनशन बता दें कि प्रशासन की लाख कोशिशों के बाद भी संत गोपालदास अपना अनशन जारी रखे हुए हैं. भले ही उन्हें एक जगह से दूसरी जगह जबरन उठाकर भेजा जाता रहा लेकिन संत गोपालदास ने अपना अनशन नहीं तोड़ा. अनशन से बार-बार हटाने के कारण अब वह बदरीनाथ से ऋषिकेश पहुंचे हैं. उनके बिगड़ते स्वास्थ्य को देखकर उन्हें प्रशासन द्वारा एम्स ऋषिकेश ले जाया गया.
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मेडिकल साइंस के काम आएगा स्वामी सानंद का पार्थिव शरीर, अंतिम इच्छा के मुताबिक फैसला ऋषिकेश: गंगा की स्वच्छता के लिए जान देने वाले स्वामी सानंद का पार्थिव शरीर अब मेडिकल साइंस में काम आएगा. उनकी इच्छा के मुताबिक परिजनों ने पार्थिव शरीर ऋषिकेश एम्स को दान कर दिया. उनके पार्थिव शरीर को अस्पताल प्रशासन ने सुरक्षित रखने की प्रक्रिया शुरू कर दी है. सानंद ने देहदान का लिया था संकल्प सानंद ने 28 अगस्त को देहदान का संकल्प पत्र भरा था. 17 सितंबर को एम्स प्रशासन ने इसे स्वीकार कर लिया था. एम्स के निदेशक प्रो.रविकांत ने बताया कि शरीर दान की प्रक्रिया के तहत स्वामी सानंद के परिजनों से बातचीत की गई. उनके दत्तक पुत्र तरुण अग्रवाल, भतीजे चेतन गर्ग और अन्य परिजनों ने इसके लिए सहमति प्रदान की है. पोस्टमार्टम के बाद उनके शरीर को सुरक्षित रखने की प्रक्रिया चल रही है. डॉक्टरों के मुताबिक सानंद का निधन हृदयघात के कारण हुआ है, इसलिए उनके शरीर के अंदरूनी अंग काम नहीं आ सकते. फिर भी, पार्थिव शरीर के नब्बे फीसदी हिस्से को मेडिकल साइंस की पढ़ाई में इस्तेमाल किया जा सकता है. ये भी पढ़ें- स्वामी सानंद से पहले ये संत भी ��े चुके हैं गंगा के लिए जान, मौत के रहस्य से अब तक नहीं उठा पर्दा स्वामी सानंद का पोस्टमॉर्टम हुआ जिलाधिकारी की इजाजत के बाद चार डाक्टरों की टीम ने देर रात स्वामी सानंद के शव का पोस्टमार्टम किया. पोस्टमॉर्टम की वीडियोग्राफी भी कराई गई. किसी विवाद से बचने के लिए प्रशासन ने तय किया था कि एम्स के फोरेंसिंक एक्सपर्ट की टीम उनके पार्थिव शरीर का पोस्टमार्टम करेगी. उनके कुछ विशेष अंगों को चिकित्सा जांच के लिए भी भेजा जाएगा. डॉक्टरों के मुताबिक कमजोरी और हार्ट अटैक से स्वामी सानंद का निधन हुआ है. बुधवार को स्वामी सांनद को एम्स ऋषिकेश में भर्ती कराया गया था. लगातार कई महीनो से अनशन पर बैठे स्वामी सांनद ने मंगलवार को जल भी त्याग दिया था. स्वामी ज्ञान स्वरूप सानंद 22 जून से गंगा के लिए कानून बनाने की मांग को लेकर अनशन पर बैठे थे.
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स्वामी सानंद से पहले ये संत भी दे चुके हैं गंगा के लिए जान, मौत के रहस्य से अब तक नहीं उठा पर्दा
स्वामी सानंद से पहले ये संत भी दे चुके हैं गंगा के लिए जान, मौत के रहस्य से अब तक नहीं उठा पर्दा
देहरादून:गंगा की सफाई के लिए 112 दिनों से आमरण अनशन पर बैठे स्वामी सानंद का गुरुवार को निधन हो गया. स्वामी सानंद जिस संस्था मातृ सदन से जुड़े थे उसी संस्था के दो संत पहले भी गंगा के लिए बलिदान दे चुके हैं. साल 1998 में कनखल में गंगा किनारे स्थापित हुई मातृसदन संस्था गंगा के लिए बलिदान करने वालों की भूमि बन गई है. मातृसदन के अनुयायी आगे भी गंगा पर बलिदान होने के लिए खुद को तत्पर बता रहे हैं. सानंद…
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