#सैनिक
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सरहदों पर है अपने जवानों का गम
सरहदों पर है अपने जवानों का गम और बस्ती में जलते मकानों का गम, फिर से ये गंदी सियासत हवा दे गई हमने देखा है जलती दुकानों का गम, बस्तियाँ जल गई,कारवां भी लूट गए और वो रह गए सुनाते बेगानों का गम, देखले कोई मज़लूमों का दिल चीर कर इस ज़मीं को तो है आसमानों का गम…!!
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पूर्व सैनिक गुन्दरसिंह मखलोगा नहीं रहे, कोटेश्वर घाट पर किया गया अंतिम संस्कार
पूर्व सैनिक गुन्दरसिंह मखलोगा नहीं रहे, कोटेश्वर घाट पर किया गया अंतिम संस्कार नकोट, टिहरीः मखलोगी प्रखण्ड के नकोट गांववासी पूर्व सैनिक श्री गुन्दर सिंह मखलोगा का 99 वर्ष 11 माह की उम्र में आज प्रातः निधन हो गया है। वे आज अपने भरे पूरे परिवार को छोड़ परम् देवलोक घाम सिधार गए हैं। दृढ़ इच्छा शक्ति, कर्म प्रधान सख्शियत, जबान के पक्के व जीवट व्यक्तित्व के धनी श्री गुन्दर सिंह मखलोगा का अंतिम संस्कार…
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गार्ड ऑफ ऑनर दिया, 50 लाख रुपए और पत्नी को मिलेगी नौकरी जवान रामस्वरुप का पांच दिन बाद अंतिम संस्कार,
बीकानेर। पांचू के जवान रामस्वरूप कस्वां का मौत के पांच दिन बाद अंतिम संस्कार हुआ। इससे पहले जवान को शहीद का दर्जा दिलाने और अन्य मांग को लेकर चार दिन से चल रहा धरना रविवार दोपहर डेढ़ बजे खत्म हो गया था। प्रशासन ने गार्ड ऑफ ऑनर के लिए सहमति दे दी थी। इसके साथ ही परिवार को 50 लाख रुपए की आर्थिक सहायता और पत्नी को संविदा पर नौकरी देने की घोषणा भी की गई। रामस्वरूप कस्वां की बॉडी को अंतिम…
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माजी सैनिक/अवलंबितांना नोकर भरतीमध्ये प्राधान्यक्रम ! Ex-Servicemen/Dependents are given priority in recruitment!
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संकल्प से लक्ष्य सिद्धि पहली बार सैनिक सरकार 400 पार #NONDANOINDIAONLYEX...
#youtube#संकल्प से लक्ष्य सिद्धि पहली बार सैनिक सरकार 400 पार NONDANOINDIAONLYEXARMYGOVERNMENT https://youtu.be/qthRD3xU6Xk With determination the mi
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सीमा पर तैनात देश के वीर सैनिक भाईयों हेतु सी.एम.एस. छात्राओं ने भेजी राखी
लखनऊ, सिटी मोन्टेसरी स्कूल की छात्राओं ने देश की सुरक्षा में तैनात वीर सैनिक भाईयों हेतु बड़े ही स्नेह व गर्व के साथ 15,000 राखियाँ भेजी हैं। सी.एम.एस. प्रेसीडेन्ट एवं एम.डी. प्रो. गीता गाँधी किंगडन एवं सी.एम.एस. स्टेशन रोड कैम्पस की प्रधानाचार्या श्रीमती दीपाली गौतम के नेतृत्व में विद्यालय की सभी छात्राओं का प्रतिनिधित्व करते हुए सी.एम.एस. स्टेशन रोड कैम्पस की 5 छात्राओं ने मेजर जनरल आलोक कक्कड,…
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बंद करिए सैनिकों को शहीद और मार्टर कहना, ये शब्द इनके लिए ठीक नहीं
हमारे सैनिक देश की एकता, अखंडता और संविधान में निहित मूल्यों की रक्षा करने के उद्देश्य से लड़ते हैं, और अपने प्राणों का बलिदान करते हैं.ये पंथनिरपेक्ष तो हैं ही, राजनीति से भी इनका कोई लेना-देना नहीं है.लेकिन, इनके लिए हम ऐसे शब्दों का प्रयोग करते हैं, जो ठीक इसके विपरीत अर्थ रखते हैं, और उचित भी नहीं हैं. वीर योद्धाओं को श्रद्धांजलि हालांकि हमारी सेना या पुलिस की शब्दावली में मार्टर या शहीद…
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🙏सत्संग 🙏सत्संग 🙏सत्संग🙏
तारीख :-
22/12/2024 (रविवार)
⌚वेळ
सकाळी :-10:00 ते दुपारी 1:00 पर्यंत
पत्ता :-
कल्याण भवन शिवतीर्था जवळ, सैनिक लॉन्स समोर संतोषी माता चौक धुळे.
💫लोकेशन :-
https://maps.app.goo.gl/3bfp3NJopL3JxiW67
☎️ संपर्क :-
8208727652
8669029645
7775839320
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शिक्षा हमें ज्ञान देती है और Skill उस ज्ञान को अमल में लाने का विज्ञान है : कर्नल राज्यवर्धन राठौड़
शिक्षा का महत्व
शिक्षा मानव जीवन में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। यह हमें ज्ञान प्राप्त करने का साधन प्रदान करती है, जिससे हमारे दिमाग में नये और अच्छे विचार उत्पन्न होते हैं। शिक्षा हमें समाज में स्थान बनाने में मदद करती है और हमारे व्यक्तित्व को विकसित करने में सहायक होती है।
शिक्षा और उसके प्रकार
शिक्षा कई प्रकार की होती है, जैसे की बुनियादी शिक्षा, अंतरराष्ट्रीय शिक्षा, तकनीकी शिक्षा आदि। प्रत्येक प्रकार की शिक्षा अपने स्वार्थ और महत्वपूर्णता में अलग-अलग होती है। बुनियादी शिक्षा मानवीय अधिकारों और मूल स्वतंत्रता को समझाने में मदद करती है, जबकि तकनीकी शिक्षा व्यावसायिक कौशलों का विकास करती है।
शिक्षा का सामाजिक प्रभाव
शिक्षा समाज में समानता और समरसता लाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। शिक्षित व्यक्ति समाज के प्रति जिम्मेदारी और उसकी समस्याओं को समझने में सक्षम होते हैं, और समाज को विकास की दिशा में मदद करते हैं।
कर्नल राज्यवर्धन राठौड़ और उनका संदेश
कर्नल राज्यवर्धन राठौड़ एक प्रसिद्ध सैनिक और शिक्षाविद् थे, जिन्होंने अपने जीवन में शिक्षा के महत्व को बढ़ावा दिया। उनका संदेश था कि शिक्षा ही वह माध्यम है जो हमें अपने क्षमताओं का सही उपयोग करने में मदद करती है। वे समाज में शिक्षा के प्रति जागरूकता फैलाने के लिए प्रेरित करते थे।
शिक्षा और Skill: एक संयोजन
शिक्षा का अर्थ होता है ज्ञान का प्राप्त करना, जबकि Skill का अर्थ होता है वह ज्ञान को अमल में लाने का कौशल। यह संयोजन हमें अपने कार्य में प्रवीणता प्राप्त करने में सहायक होता है। अगर हम ज्ञान अच्छे से प्राप्त करते हैं और उसे अपने कार्य में उतारते हैं, तो हमारी क्षमताएँ सुधारती हैं और हम अधिक सफल होते हैं।
विशेषज्ञता प्राप्त करने के लिए शिक्षा का महत्व
विशेषज्ञता प्राप्त करने के लिए शिक्षा अत्यंत आवश्यक होती है। यह हमें अपने क्षेत्र में मान्यता प्राप्त करने में मदद करती है और हमें अन्यों से अलग बनाती है। विशेषज्ञता हमारे करियर को प्रगति देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है और हमें अपने काम में स्वावलंबी बनाती है।
समाप्ति
इस लेख में हमने शिक्षा के महत्व पर विस्तार से चर्चा की है और इसके साथ ही कर्नल राज्यवर्धन राठौड़ जी के संदेश को भी समझाया है। शिक्षा ही वह उपकरण है जो हमें जीवन में सफलता की दिशा में आगे ब
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16.11.2023, लखनऊ | महान वीरांगना उदा देवी पासी जी की पुण्य तिथि के अवसर पर हेल्प यू एजुकेशनल एण्ड चैरिटेबल ट्रस्ट द्वारा इंदिरा नगर, 25/2जी, सेक्टर 25 स्थित ट्रस्ट के कार्यालय पर "श्रद्धांपूर्ण पुष्पांजलि" का आयोजन किया गया | कार्यक्रम में हेल्प यू एजुकेशनल एण्ड चैरिटेबल ट्रस्ट के प्रबंध न्यासी हर्ष वर्धन अग्रवाल, न्यासी डॉ. रूपल अग्रवाल एवं ट्रस्ट के स्वयंसेवकों ने महान वीरांगना उदा देवी पासी जी के चित्र पर माल्यार्पण एवं पुष्प अर्पित कर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की |
इस मौके पर हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट के प्रबंध न्यासी हर्ष वर्धन अग्रवाल ने कहा, 'भारतीय इतिहास में पुरुष क्रांतिकारियों का जिक्र तो खूब मिलता है, लेकिन किसी महिला क्रांतिकारी या सैनिक की कहानियां कम ही बताई जाती हैं।इन्हीं महिला क्रांतिकारियों में से एक थीं ऊदा देवी पासी, जिन्होंने अपनी वीरता से अंग्रेजों को धूल चटा दी थी | आज ऊदा देवी का शहादत दिवस है | ऊदा देवी की वीरता दलितों और महिलाओं की वीरता को दर्शाती है | इसी दिन वह अंग्रेजों से कड़ी लड़ाई का सामना करते हुए वीरगति को प्राप्त हुई थीं | उनकी आश्��र्यजनक वीरता को देखकर ब्रिटिश अधिकारी कैंपबेल ने अपनी टोपी उतार दी और उन्हें श्रद्धांजलि दी |
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হিন্দুদেরকে ধোঁকা দেওয়া বন্ধ করুন
হিন্দু ধর্মীয় গুরু এবং প্রচারক আচার্য, শঙ্করাচার্য এবং গীতা মনীষীরা - যিনি গীতার জ্ঞান দিয়েছেন (যাকে শ্রী বিষ্ণুর অবতার শ্রীকৃষ্ণ বলা হয়) তাকে অবিনশ্বর বলে বর্ণনা করেন। কথিত আছে এনাদের জন্ম বা মৃত্যু হয় না।
এনাদের কোনো মাতা-পিতা নেই।
আপনি নি���েই দেখুন (গীতা অধ্যায় ২ শ্লোক ১২)
হে অর্জুন! এমন নয় যে আমি, তুই এবং এই সমস্ত রাজা-সেনারা আগে ছিলাম না বা ভবিষ্যতেও থাকব না। অর্থাৎ আমি (গীতা জ্ঞানদাতা), তুই (অর্জুন) এবং এই সমস্ত রাজা ও সৈন্যরা আগেও জন্মেছি এবং ভবিষ্যতেও জন্ম নেব।
- জগৎগুরু তত্ত্বদর্শী সন্ত রামপাল জী মহারাজ জী
हिंदुओं के साथ धोखा बंद करो
हिन्दू धमर्गुरू व प्रचारक आचार्य, शंकराचार्य तथा गीता मनीषी गीता ज्ञान देने वाले (जिसे ये श्री विष्णु का अवतार श्री कृष्ण कहते हैं) को अविनाशी बताते हैं। कहते हैं इनका जन्म-मृत्यु नहीं होता।
इनके कोई माता-पिता नहीं।
आप देखें स्वयं (गीता अध्याय 2 श्लोक 12)
हे अर्जुन! ऐसा नहीं है कि मैं-तू तथा ये सब राजा व सैनिक पहले नहीं थे या आगे नहीं होंगे। अर्थात मैं (गीता ज्ञान दाता) तू (अर्जुन) तथा ये सब सैनिक आदि-आदि सब पहले भी जन्मे थे, आगे भी जन्मेंगे।
- जगतगुरु तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज जी
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मैं टीम इंडिया
क्यों एक अभिशापित कर्ण हूँ मैं!
क्या मैं भी एक अभिशापित कर्ण ही हूँ!
क्या श्रापित हूँ मैं भी उसकी ही तरह?
मैं भी उसकी ही भाँति उच्च योद्धा जाना जाऊँ
मैं भी किसी अर्जुन से कहाँ कम आँका जाऊँ!
मैंने हर योद्धा को रण में कई बार परास्त किया है
मगर भाग्य का दोष कहूँ या विधि का विधान इसे
वक्त के क्रूर हाथों ने देखो मेरा क्या हश्र किया है!
महाभारत रूपी महा��ंग्राम वर्ल्ड कप की रणभूमि में
जब जब मैं अपनी विजय पताका फैहराने आता हूँ
उस अश्वमेध यज्ञ में मैं कई शौर्य गाथाएँ लिखकर भी
हर बार अंतिम क्षणों में बस वीरगति पा जाता हूँ
विजय नाद बजाने से पहले मैं पराजित हो जाता हूँ!
क्यों उस पराक्रमी योद्धा कर्ण की भाँति ही
महा रण के महत्वपूर्ण अंतिम चरण में खड़ा मैं
स्वयं को असहाय पाता हूँ जीता संग्राम मैं हार जाता हूँ!
रणभूमि में जिनकी सबसे ज़्यादा ज़रूरत होती है
मेरे अभेद्य अलौकिक कहलाये जाने वाले सैनिक
और सभी अस्तर शस्त्र भी तो कोई काम नहीं आते हैं
सब नीतियाँ वहीं की वहीं बस धरी ही रह जाती हैं
मेरा रण कौशल मुख्य क्षणों में शिथिल पड़ जाता है
तरकश से निकला कोई भी बाण लक्ष्य भेद नहीं पाता है!
विजय पथ पर रथ का पहिया गड्ढे में धँस जाता है
और मैं असहाय खड़ा एक मूक दर्शक बन जाता हूँ
बस अंतिम क्षणों में मैं पराजय द्वार पहुँच जाता हूँ!
हर बार ही चाहे हो वो विश्व एक दिवसीय चैंपियनशिप
या फिर पाँच दिवसीय टेस्ट मैच विश्व प्रतियोगिता
कभी न्यूज़ीलैंड तो कभी आस्ट्रेलिया सा सामने आता है
वो कोई अर्जुन सा बन मुझे बस धराशायी कर जाता है!
अंतर्द्वंद में हूँ घिरा असमंजस में पड़ा हूँ मैं सोच रहा
हे नीलवर्ण कृष्ण क्यों रूठे हो अबतक भी मुझसे
अर्जुनों को छोड़ कभी मेरे पक्ष से भी क्यों नहीं लड़ते
सारथी बन मेरा हाथ भी थाम लो हे गिरधर
मेरी भी तो पीड़ाएँ हरो प्रभु अपना आशीष देकर!
देखो मैंने भी तो कब से नीलांबर वस्त्र धारण किये हैं
अब तो मैंने भगवा टोपी टी-शर्ट निकर भी पहन लिये हैं
तुम तो स्पष्ट समझते ही हो इसके क्या सही मायने हैं
बताओ प्रभु मैंने अभी कितने और कटाक्ष उपहास सहने हैं!
कब तक मेरे अविचलित प्रयास निरर्थक होते रह जाएँगे
कब पराजय के नागपाश से प्रभु मेरे भाग्य मुक्ति पायेंगे
कर्ण समान श्रापित मुझको श्राप से कब मुक्ति दिलाओगे
कब मुझे अपना आशीर्वाद देकर हर श्राप मेरा हर जाओगे
कब सारथी बन आप मेरी नौका भी हे प्रभु पार लगाओगे!
आशाओं की डोरी थामे अडिग खड़ा हूँ मैं जाने कब से
घायल अवस्था में भी चि��काल से मैं भिड़ रहा हूँ सबसे
जो लाज रखो मेरी योग्यता की तभी वो अप्रतिम बनेगी
प्रभु जो आशीर्वाद मिले तुम्हारा मेरी भी धाक जमेगी!
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शिक्षा मंत्री डा. रावत ने किया सैनिक स्कूल घोड़ाखाल का भ्रमण, छात्र-छात्राओं से हुये रु-ब-रू, साथ में किया सहभोज
शिक्षा मंत्री डा. रावत ने किया सैनिक स्कूल घोड़ाखाल का भ्रमण शैक्षिक गतिविधियों के साथ ही उपलब्ध संसाधनों का किया अवलोकन छात्र-छात्राओं से हुये रु-ब-रू, साथ में किया सहभोज देहरादून, 07 नवम्बर 2024: सूबे के शिक्षा मंत्री डॉ. धन सिंह रावत ने नैनीताल में सैनिक स्कूल घोड़ाखाल का दौरा ��र वहां की शैक्षिक व्यवस्था, सैन्य प्रशिक्षण एवं उपलब्ध सुविधाओं का बारीकी से अवलोकन किया। इस दौरान उन्होंने स्कूल…
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( #MuktiBodh_Part118 के आगे पढिए.....)
📖📖📖
#MuktiBodh_Part119
हम प�� रहे है पुस्तक "मुक्तिबोध"
पेज नंबर 232-233
कुछ वर्षों के बाद दुर्वासा के शॉप के कारण द्वारिका में अनहोनी घटनाऐं होने लगी। आपसी झगड़े होने लगे। एक-दूसरे को छोटी-सी बात पर मारने लगे। सारी द्वारिका मेंउपद्रव होने लगे। द्वारिका नगरी के बड़े-सयाने लोग मिलकर श्री कृष्ण जी के पास गए तथा
दुःख बताया कि नगरी में किसी को किसी का बोल अच्छा नहीं लग रहा है। बिना बात के मरने-मारने को तैयार हो जाते हैं। छोटे-बड़े की शर्म नहीं रही है। क्या कारण है तथा यह कैसे शान्त होगा? श्री कृष्ण जी ने बताया कि ऋषि दुर्वासा के शॉप के कारण यह हो रहा है। इसका समाधान सुनो! नगरी के सर्व नर (छोटे नवजात लड़के साहित) यादव प्रभास क्षेत्र में उसी स्थान पर यमुना नदी में स्नान करो जिस स्थान पर कड़ाही का चूर्ण डाला था। शॉप से बचने के लिए द्वारिका नगरी के सब बालक, नौजवान तथा वृद्ध स्नान करने गए। स्नान करके बाहर निकलकर एक-दूसरे से गाली-गलौच करने लगे और उस कड़ाही के चूरे से उत्पन्न घास को उखाड़कर एक-दूसरे को मारने लगे। तलवार की तरह घास से सिर कटकर दूर गिरने लगे। कुछ व्यक्ति बचे थे। अन्य सब के सब लड़कर मर गए। उन बचे हुओं को ज्योति निरंजन काल ने स्वयं श्री कृष्ण में प्रवेश करके उस घास से मार डाला। अकेला श्री कृष्ण बचा था। एक वृक्ष के नीचे जाकर लेट गया। एक पैर को दूसरे पैर के घुटने पर रखकर लेट गया। दांये पैर के तलुए (पँजे) में पदम जन्म से लगा था जो चमक रहा था। जिस बालिया नाम के भील शिकारी ने मछली से निकले कड़ाही के कड़े का विष लगाकर तीर बनवाया था। वह शिकारी उसी तीर को लेकर उस स्थान पर शिकार की तलाश में आया जिस वृक्ष के नीचे श्री कृष्ण लेटे थे। वृक्ष की छोटी-छोटी टहनियाँ चारों और नीचे पृथ्वी को छू रही थी। लटक रही थी। उन झुरमुटों में से श्री कृष्ण के पैर का पदम ऐसा लग रहा था जैसे किसी मृग की आँख चमक रही हो। शिकारी बालिया ने आव-देखा
न ताव, उस चमक पर तीर दे मारा। तीर निशाने पर लगा। पैर के तलवे में विषाक्त तीर लगने से श्री कृष्ण की चीख निकली। बालिया समझ गया कि किसी व्यक्ति को तीर लगा है। निकट जाकर देखा तो कोई राजा है। पूछने पर पता चला कि श्री कृष्ण है। अपनी ��लती की क्षमा याचना करने लगा कहा कि भगवान! धोखे से तीर लग गया। मैंने आपके पैर के पदम की चमक मृग की आँख जैसी लगी। क्षमा करो। श्री कृष्ण ने कहा कि बालिया तेरा कोई दोष नहीं है, होनी प्रबल होती है। मैंने तेरा बदला चुकाया है। त्रोतायुग में तू कसकंदा का राजा सुग्रीव का भाई बाली था। मैं अयोध्या में रामचन्द्र नाम से राजा दशरथ के घर जन्मा था। उस समय मैंने तेरे को वृक्ष की ओट लेकर धोखा करके लड़ाई में मारा था। अब तू मेरा एक काम कर। द्वारिका में जाकर बता दे कि सर्व यादव दुर्वासा के शॉपवश आपस में लड़कर मर गए हैं। कुछ समय उपरांत द्वारिका की स्त्रियों की भीड़ लग गई। हाहाकार मच गया। पाण्डव श्री कृष्ण के रिश्तेदार थे। वे भी आ गए। श्री कृष्ण ने अर्जुन से कहा कि आप सर्व गोपियों यानि यादवों की स्त्रियों को अपने पास ले जाना। यहाँ कोई नर यादव नहीं बचा है। आसपास के भील इनकी इज्जत खराब करेंगे। पाण्डवों से कहा कि तुम राज्य अपने पौत्र को देकर हिमालय में जाकर घोर तप करो और अपने युद्ध में किए पापों का नाश करो। अर्जुन ने पूछा भगवान! एक प्रश्न आज मैं आपसे करूँगा। आप सत्य उत्तर देना। आप अंतिम श्वांस गिन रहे हो, झूठ मत बोलना। श्री कृष्ण ने कहा कि प्रश्न कर। अर्जुन बोला! आपने गीता का ज्ञान कुरूक्षेत्र के मैदान में महाभारत युद्ध से पहले सुनाया था। उसमें कहा था कि अर्जुन! युद्ध कर ले। तुम्हें कोई पाप नहीं लगेंगे। तू निमित मात्र बन जा। सब सैनिक मैंने मार रखे हैं। तू युद्ध नहीं करेगा तो भी मैं इन्हें मार दूँगा। जब युद्धिष्ठिर को भयंकर स्वपन आने लगे। आपसे कारण जाना तो आपने बताया था कि युद्ध में किए बंधुघात के पाप के परिणाम स्वरूप कष्ट आया। समाधान यज्ञ करना बताया। उस समय मैं आपसे विवाद नहीं कर सका क्योंकि भाई की जिंदगी का सवाल था। आज फिर आपने वही जख्म हरा कर दिया। इतनी झूठ बोलकर हमारा नाश किसलिए करवाया? कौन-से जन्म का बदला लिया? श्री कृष्ण ने कहा अर्जुन! तुम मेरे अजीज हो! होनहार
बलवान होती है। गीता में क्या कहा, उसका मुझे कोई ज्ञान नहीं। आप मेरी आज्ञा का पालन करो। यह कहकर श्री कृष्ण मर गए। पाँचों पाण्डवों व साथ गए नौकरों ने मिलकर सब यादवों का अंतिम संस्कार किया। कुछ के शव दरिया में प्रवाह कर दिए। श्री कृष्ण ने कहा था कि मेरे शरीर को जलाकर बची हुई अस्थियाँ व राख को एक लकड़ी के संदूक (ठवग) में ��ालकर दरिया में बहा देना। पाण्डवों ने वैसा ही किया। {वह संदूक समुद्र में चला गया।
फिर उड़ीसा प्रांत के अंदर जगन्नाथ पुरी के पास बहता हुआ चला गया। उड़ीसा के राजा इन्द्रदमन को स्वपन में श्री कृष्ण ने दर्शन देकर कहा कि एक संदूक समुद्र में इस स्थान पर है। उसमें मेरे शरीर की अस्थियाँ तथा राख हैं। उसको निकाल कर उसी किनारे पर उन अस्थियों (हडिड्यों) को जमीन में दबाकर ऊपर एक सुंदर मंदिर बनवा दे। ऐसा किया गया। जो जगन्नाथ नाम से मंदिर प्रसिद्ध है।}
◆ चार पाण्डव पहले चले गए। अर्जुन को गोपियों को लेकर आने को छोड़ गए। अर्जुन के पास वही गांडीव धनुष था जिससे लड़ाई करके महाभारत में जीत प्राप्त की थी। अर्जुन द्वारिका की सर्व स्त्रियों को बैलगाडि़यों में बैठाकर इन्द्रप्रस्थ (दिल्ली) के लिए चल पड़ा।रास्ते में भीलों ने अर्जुन को घेर लिया। अर्जुन को पीटा। गोपियों को लूटा। कुछ स्त्रियों को भील उठा ले गए। अर्जुन कुछ नहीं कर सका। धनुष उठा भी नहीं सका। तब अर्जुन ने कहा
था कि कृष्ण नाश करना था। युद्ध में पाप करवाने के लिए तो बल दे दिया। लाखों योद्धा इसी गांडीव धनुष से मार गिराए। कोई मेरे सामने टिकने वाला नहीं था। आज वही अर्जुन है, वही धनुष है। मैं खड़ा-खड़ा काँप रहा हूँ। कृष्ण जालिम था। धोखेबाज था। कबीर परमेश्वर जी हमें समझाते हैं कि यह जुल्म कृष्ण ने नहीं किया, ज्योति निरंजन (काल ब्रह्म) ने किया है। श्री कृष्ण का जीवन देख लो। श्री कृष्ण अपने कुल को मथुरा से लेकर जान
बचाकर द्वारिका आया। द्वारिका में उनकी आँखों के सामने सब यादव कुल नष्ट हो गया। श्री कृष्ण का बेटा मर गया। पोता मर गया। सर्व कुल नष्ट हो गया। स्वयं बेमौत मरा। उसके कुल की स्त्रियों की दुर्गति भीलों ने की। जबरदस्ती उठा ले गए। उनकी इज्जत
खराब की। नरक का जीवन जीने के लिए मजबूर हुई। उसी श्री कृष्ण की पूजा करके जो सुख-शान्ति की आशा करता है। उसमें कितनी बुद्धि है, इस घटना से पता चलता है।
क्रमशः________
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आध्यात्मिक जानकारी के लिए आप संत रामपाल जी महाराज जी के मंगलमय प्रवचन सुनिए। साधना चैनल पर प्रतिदिन 7:30-8.30 बजे। संत रामपाल जी महाराज जी इस विश्व में एकमात्र पूर्ण संत हैं। आप सभी से विनम्र निवेदन है अविलंब संत रामपाल जी महाराज जी से नि:शुल्क नाम दीक्षा लें और अपना जीवन सफल बनाएं।
https://online.jagatgururampalji.org/naam-diksha-inquiry
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भारत-पाकिस्तान युद्ध में अदम्य साहस एवं पराक्रम का प्रदर्शन करने वाले अमर बलिदानी एवं भारत के सर्वोच्च सैनिक सम्मान परमवीर चक्र से सम्मानित नायक जदुनाथ सिंह जी क��� पुण्यतिथि पर उन्हें विनम्र श्रद्धांजलि ।
#JadunathSingh
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नेता मरे तो मरे अफसर मरे तो मरे जनता को कुछ नहीं होने देंगे चरणजीत सिंह ...
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