#सैनिक
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सरहदों पर है अपने जवानों का गम
सरहदों पर है अपने जवानों का गम और बस्ती में जलते मकानों का गम, फिर से ये गंदी सियासत हवा दे गई हमने देखा है जलती दुकानों का गम, बस्तियाँ जल गई,कारवां भी लूट गए और वो रह गए सुनाते बेगानों का गम, देखले कोई मज़लूमों का दिल चीर कर इस ज़मीं को तो है आसमानों का गम…!!
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Sainik School New Vacancy 2025- सैनिक स्कूल भर्ती 2025, Authoritative Notice Out
Sainik School के अंतर्गत विभिन्न पदों पर भर्ती के लिए पात्र उम्मीदवारों से आवेदन आमंत्रित किया है। इसके लिए सभी लोग Offline के माध्यम से आवेदन कर सकते हैं| तो अगर आप भी सैनिक स्कूल 2025 के लिए आवेदन करना चाहते हैं तो, आप इसके लिए कैसे आवेदन कर सकते हैं आवेदन कब से कब तक लिए जाएंगे और इसकी क्या सरकारी योग्यता रहने वाली है कि सभी जानकारी नीचे इस आर्टिकल में आपको बताया गया है| और इस भर्ती में आवेदन…
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पूर्व सैनिक गुन्दरसिंह मखलोगा नहीं रहे, कोटेश्वर घाट पर किया गया अंतिम संस्कार
पूर्व सैनिक गुन्दरसिंह मखलोगा नहीं रहे, कोटेश्वर घाट पर किया गया अंतिम संस्कार नकोट, टिहरीः मखलोगी प्रखण्ड के नकोट गांववासी पूर्व सैनिक श्री गुन्दर सिंह मखलोगा का 99 वर्ष 11 माह की उम्र में आज प्रातः निधन हो गया है। वे आज अपने भरे पूरे परिवार को छोड़ परम् देवलोक घाम सिधार गए हैं। दृढ़ इच्छा शक्ति, कर्म प्रधान सख्शियत, जबान के पक्के व जीवट व्यक्तित्व के धनी श्री गुन्दर सिंह मखलोगा का अंतिम संस्कार…
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गार्ड ऑफ ऑनर दिया, 50 लाख रुपए और पत्नी को मिलेगी नौकरी जवान रामस्वरुप का पांच दिन बाद अंतिम संस्कार,
बीकानेर। पांचू के जवान रामस्वरूप कस्वां का मौत के पांच दिन बाद अंतिम संस्कार हुआ। इससे पहले जवान को शहीद का दर्जा दिलाने और अन्य मांग को लेकर चार दिन से चल रहा धरना रविवार दोपहर डेढ़ बजे खत्म हो गया था। प्रशासन ने गार्ड ऑफ ऑनर के लिए सहमति दे दी थी। इसके साथ ही परिवार को 50 लाख रुपए की आर्थिक सहायता और पत्नी को संविदा पर नौकरी देने की घोषणा भी की गई। रामस्वरूप कस्वां की बॉडी को अंतिम…
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माजी सैनिक/अवलंबितांना नोकर भरतीमध्ये प्राधान्यक्रम ! Ex-Servicemen/Dependents are given priority in recruitment!
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संकल्प से लक्ष्य सिद्धि पहली बार सैनिक सरकार 400 पार #NONDANOINDIAONLYEX...
#youtube#संकल्प से लक्ष्य सिद्धि पहली बार सैनिक सरकार 400 पार NONDANOINDIAONLYEXARMYGOVERNMENT https://youtu.be/qthRD3xU6Xk With determination the mi
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सीमा पर तैनात देश के वीर सैनिक भाईयों हेतु सी.एम.एस. छात्राओं ने भेजी राखी
लखनऊ, सिटी मोन्टेसरी स्कूल की छात्राओं ने देश की सुरक्षा में तैनात वीर सैनिक भाईयों हेतु बड़े ही स्नेह व गर्व के साथ 15,000 राखियाँ भेजी हैं। सी.एम.एस. प्रेसीडेन्ट एवं एम.डी. प्रो. गीता गाँधी किंगडन एवं सी.एम.एस. स्टेशन रोड कैम्पस की प्रधानाचार्या श्रीमती दीपाली गौतम के नेतृत्व में विद्यालय की सभी छात्राओं का प्रतिनिधित्व करते हुए सी.एम.एस. स्टेशन रोड कैम्पस की 5 छात्राओं ने मेजर जनरल आलोक कक्कड,…
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बंद करिए सैनिकों को शहीद और मार्टर कहना, ये शब्द इनके लिए ठीक नहीं
हमारे सैनिक देश की एकता, अखंडता और संविधान में निहित मूल्यों की रक्षा करने के उद्देश्य से लड़ते हैं, और अपने प्राणों का बलिदान करते हैं.ये पंथनिरपेक्ष तो हैं ही, राजनीति से भी इनका कोई लेना-देना नहीं है.लेकिन, इनके लिए हम ऐसे शब्दों का प्रयोग करते हैं, जो ठीक इसके विपरीत अर्थ रखते हैं, और उचित भी नहीं हैं. वीर योद्धाओं को श्रद्धांजलि हालां��ि हमारी सेना या पुलिस की शब्दावली में मार्टर या शहीद…
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लखनऊ, 24 जनवरी 2025 | राष्ट्रीय बालिका दिवस 2025 के उपलक्ष्य में एमिटी विश्वविद्यालय, लखनऊ कैंपस और हेल्प यू एजुकेशनल एवं चैरिटेबल ट्रस्ट के संयुक्त तत्वावधान में "अनंता" कार्यक्रम का भव्य एवं प्रेरणादायक आयोजन किया गया । कार्यक्रम मे पद्मश्री डॉ. विद्या विंदु सिंह, साहित्यकार ने मुख्य अतिथि तथा श्रीमती बबीता चौहान, अध्यक्ष, राज्य महिला आयोग, उत्तर प्रदेश ने विशिष्ट अतिथि के रूप मे सहभागिता की |
कार्यक्रम का उद्देश्य समाज में बेटियों को समान अवसर दिलाने, उनकी शिक्षा, सुरक्षा, स्वास्थ्य एवं सशक्तिकरण को बढ़ावा देने तथा उनके अधिकारों के प्रति जागरूकता फैलाना था । कार्यक्रम का शुभारंभ माँ सरस्वती की वंदना एवं दीप प्रज्वलन के साथ हुआ, जिसमें गणमान्य अतिथियों ने बेटियों की प्रगति और उत्थान के लिए अपने संकल्प व्यक्त किए ।
कार्यक्रम की मुख्य अतिथि पद्मश्री डॉ. विद्या विंदु सिंह ने बालिका शिक्षा एवं सशक्तिकरण की अनिवार्यता पर जोर देते हुए कहा कि, “बेटियों को केवल संरक्षण ही नहीं, बल्कि अवसरों की भी आवश्यकता है । उन्होंने शिक्षा को बेटियों के लिए सबसे बड़ा अस्त्र बताते हुए कहा कि एक शिक्षित बेटी न केवल स्वयं सशक्त होती है, बल्कि समाज को भी नई दिशा प्रदान करती है । उन्होंने कहा कि सभी बेटियों को अपने मायके और ससुराल को समान रूप से अपना समझना चाहिए। साथ ही, माता-पिता को बेटों और बेटियों को समान संस्कार प्रदान करने चाहिए, जिससे समाज की समग्र उन्नति संभव हो सके। डॉ. सिंह ने यह भी कहा कि बेटियों को 'बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ' और महिला सशक्तिकरण के इस दौर में किसी भी प्रकार के दुरुपयोग से बचना चाहिए, ताकि यह अभियान अपने सही उद्देश्य को प्राप्त कर सके ।“
विशिष्ट अतिथि श्रीमती बबीता चौहान ने इस अवसर पर अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि, “बेटियों की उन्नति के बिना समाज की प्रगति अधूरी है । उन्होंने बालिका सशक्तिकरण के लिए ऐसे आयोजनों की आवश्यकता पर बल देते हुए कहा कि समाज को बेटियों की सुरक्षा, शिक्षा और आत्मनिर्भरता की दिशा में सार्थक कदम उठाने होंगे । आज हम बेटियों के सशक्तिकरण का जश्न मना रहे हैं । हाल ही में ‘बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ’ अभियान ने 10 वर्ष पूरे किए, जिससे लिंगानुपात बढ़ा, सुकन्या समृद्धि योजना के त��त करोड़ों खाते खुले, और शिक्षा व खेल में बेटियों ने नई ऊंचाइयां हासिल कीं। सैनिक स्कूलों से सेना तक, सियाचिन ग्लेशियर से विज्ञान और खेल तक—बेटियां हर क्षेत्र में अग्रणी हैं । मैं सभी बेटियों से आग्रह करती हूं कि अपने रोल मॉडल सोच-समझकर चुनें, आत्मनिर्भर बनें और अपने सपनों को साकार करें । आपका सशक्तिकरण ही राष्ट्र का भविष्य है। इस आयोजन के लिए हेल्प यू एजुकेशनल एवं चैरिटेबल ट्रस्ट का आभार । जय हिंद!”
हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट की न्यासी डॉ. रूपल अग्रवाल ने ट्रस्ट द्वारा महिला सशक्तिकरण के लिए किए जा रहे कार्यों पर प्रकाश डालते हुए कहा कि, “आज हम सभी यहां राष्ट्रीय बालिका दिवस 2025 के अवसर पर एमिटी यूनिवर्सिटी लखनऊ एवं हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट के संयुक्त तत्वाधान में आयोजित कार्यक्रम अनंता में एकत्रित हुए हैं । दरअसल, देश की पहली महिला प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने 24 जनवरी 1966 को प्रधानमंत्री पद की शपथ ली थी । एक बेटी के देश के सर्वोच्च पद पर आसीन होने पर इस खास दिन को बेटियों के नाम समर्पित करते हुए हर साल 24 जनवरी का दिन राष्ट्रीय बालिका दिवस के रूप में मनाया जाने लगा । राष्ट्रीय बालिका दिवस लड़कियों के सशक्तिकरण और उनके अधिकारों के प्रति जागरूकता फैलाने का एक महत्वपूर्ण अवसर है । यह हमें याद दिलाता है कि समाज में लैंगिक समानता सुनिश्चित करने और लड़कियों को समान अवसर देने के लिए हम सभी को मिलकर काम करना चाहिए । राष्ट्रीय बालिका दिवस पर, हम बालिकाओं की अदम्य भावना और उपलब्धियों को सलाम करते हैं । हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट निरंतर बालिकाओ को सशक्त एवं आत्मनिर्भर बनाने हेतु कार्य कर रहा है जिसमें ट्रस्ट समय-समय पर नुक्कड़ नाटकों, रैली, परिचर्चा, सम्मान समारोह का आयोजन करता आ रहा है | समाज के गरीब तबके की बालिकाओं को आत्मनिर्भर बनाने हेतु ट्रस्ट द्वारा विगत 2 वर्षों से निरंतर सिलाई कौशल प्रशिक्षण कार्यशाला, पाक कला प्रशिक्षण कार्यशाला, आत्मरक्षा प्रशिक्षण कार्यशाला का आयोजन किया जा रहा है जिनसे लाभान्वित होकर बालिकाओं के आत्मविश्वास में वृद्धि हुई है तथा वे आत्मनिर्भर बनी है | भारत के यशस्वी प्रधानमंत्री आदरणीय श्री नरेंद्र मोदी जी कहते हैं कि “Let us celebrate the birth of the girl child. We should be equally proud of our daughters. I urge you to sow five plants when your daughter is born to celebrate the occasion.” - PM Narendra Modi. बेटियों के प्रति सकारात्मक सोच को बढ़ावा देने के लिए इस तरह के आयोजन अत्यंत आवश्यक हैं। उन्होंने बताया कि ट्रस्ट बालिकाओं के लिए शिक्षा, स्वा��लंबन और आत्मरक्षा के विभिन्न कार्यक्रमों का संचालन कर रहा है, जिससे बेटियों को सशक्त बनाने में योगदान दिया जा सके ।"
सम्मान समारोह के दौरान समाज के विभिन्न क्षेत्रों में उत्कृष्ट योगदान देने वाली 29 विशिष्ट बालिकाओं को "गर्ल अचीवर्स अवॉर्ड 2025" से सम्मानित किया गया । इन बालिकाओं ने शिक्षा, विज्ञान, कला, खेल, समाजसेवा और अन्य क्षेत्रों में अपनी उपलब्धियों से समाज को नई राह दिखाई है । "गर्ल अचीवर्स अवॉर्ड 2025" से सम्मानित बालिकाओं मे अनन्या श्रीवास्तव, श्रेया श्रीवास्तव, देवीना, वर्तिका आर वर्मा, सासा कटियार, भाव्या आशीष, गर्गी द्विवेदी, अंशिका सिंह, जिगीषा त्रिपाठी, आर्यमा शुक्ला, स्वरा त्रिपाठी, गिन्नी सहगल, जाह्नवी, महक भटनागर, अलंकृता पांडेय, श्रिजल सिंह, गुलप्रीत कौर, काव्यांजलि सिंह चौहान "वान्या", अनन्या शर्मा, ज्योति चौबे, पूजा कुमारी, अनुपा यादव, सौम्या, करिश्मा गोस्वामी, आकांक्षा वर्मा, साक्षिका पाठक, तनशी कामेश तिवारी, वर्तिका राजपूत, अनिका श्रीवास्तव शामिल है | सम्मान चयन समिति में डॉ. राजेंद्र प्रसाद, डॉ. शैली महाजन, डॉ. अलका निवेदन, डॉ. प्राची श्रीवास्तव और डॉ. नेहा माथुर ने निर्णायक भूमिका निभाई ।
"रील फॉर रियल चेंज" गतिविधि के तहत प्रभावशाली वीडियो प्रस्तुत किए गए, जिनमें महिला सशक्तिकरण की वास्तविकता को उजागर किया गया । रील प्रस्तुति करने वाले प्रतिभागियों का मूल्यांकन प्रतिष्ठित निर्णायक मंडल द्वारा किया गया, जिसमें डॉ. शालिनी, डॉ. शिल्पी और डॉ. प्रेक्षी शामिल रहीं । उन्होंने सभी प्रस्तुतियों का गहन निरीक्षण और विश्लेषण करते हुए उत्कृष्टता, रचनात्मकता एवं प्रभावशीलता के आधार पर प्रतिभागियों का मूल्यांकन किया । प्रज्ञा तिवारी को प्रथम, वसीर हयात को द्वितीय, तथा अर्पिता खत्री और अभिनव सिंह सूर्यवंशी को संयुक्त रूप से तृतीय स्थान से पुरस्कृत किया गया ।
आशा क्लब की अध्यक्ष जान्हवी द्वारा रचित कविता पर एक भावपूर्ण प्रस्तुति दी गई, जिसमें कलाकारों ने अपनी अद्भुत अभिव्यक्ति और नृत्य कौशल के माध्यम से कविता के भावों को सजीव कर दिया । इस प्रस्तुति ने दर्शकों को गहराई तक प्रभावित किया और कविता के शब्दों को नृत्य की सुंदर भावभंगिमाओं के साथ जोड़कर एक अद्वितीय सांस्कृतिक अनुभव प्रदान किया |
कार्यक्रम में हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट के प्रबंध न्यासी डॉ हर्ष वर्धन अग्रवाल, आंतरिक सलाहकार समिति के सदस्��गण, एमिटी विश्वविद्यालय से प्रो डॉ मंजू अग्रवाल, अध्यक्ष, छात्र कल्याण, एमिटी विश्वविद्यालय, डॉ प्राची श्रीवास्तव, सचिव, आशा क्लब, समस्त विभागाध्यक्ष, शिक्षकों, विद्यार्थियों, सामाजिक कार्यकर्ताओं, अतिथियों एवं गणमान्य व्यक्तियों ने बड़ी संख्या में भाग लिया ।
कार्यक्रम का समापन धन्यवाद ज्ञापन एवं राष्ट्रगान के साथ हुआ । उपस्थित जनसमूह ने इस आयोजन की भूरी-भूरी प्रशंसा की और इसे समाज में सकारात्मक परिवर्तन लाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम बताया ।
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मन की बात: प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी का प्रेरणादायक मंच — राष्ट्र निर्माण में सहभागिता का आह्वान — कर्नल राज्यवर्धन राठौड़
प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी का मासिक रेडियो कार्यक्रम ‘मन की बात’ आज देशवासियों के दिलों में अपनी खास जगह बना चुका है। यह केवल एक संवाद का माध्यम नहीं है, बल्कि भारत के निर्माण, उत्थान और प्रेरणा का प्रतीक बन गया है।
‘मन की बात’ की विशेषताएं
1. राष्ट्रीय चेतना का जागरण
यह कार्यक्रम देश के हर नागरिक को जोड़ता है, उनकी समस्याओं को समझता है और उन्हें प्रेरित करता है। हर एपिसोड में हमें यह महसूस होता है कि हम सब मिलकर ही ‘नए भारत’ का सपना साकार कर सकते हैं।
2. समाज के अज्ञात नायकों की पहचान
प्रधानमंत्री जी ने इस मंच से उन लोगों को सम्मानित किया है जो बिना किसी अपेक्षा के, अपने स्तर पर समाज की सेवा कर रहे हैं। यह देश के लिए अपना कर्तव्य निभाने की प्रेरणा देता है।
3. विविधता में एकता को मजबूती देना
भारत की संस्कृति, परंपरा और विविधता को इस कार्यक्रम के माध्यम से नया जीवन मिला है। हर पर्व, हर परंपरा का उल्लेख राष्ट्रीय गौरव और सांस्कृतिक जुड़ाव को बढ़ाता है।
4. युवाओं को प्रोत्साहन
‘मन की बात’ ने विशेष रूप से युवाओं को प्रेरित किया है। प्रधानमंत्री जी ने युवाओं को नवाचार, स्वच्छता, और सेवा के क्षेत्र में आगे बढ़ने के लिए प्रेरित किया है।
राष्ट्र निर्माण में सहभागिता का आह्वान
प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी का यह मंच हर भारतीय को यह संदेश देता है कि देश का विकास केवल सरकार का काम नहीं है। हर नागरिक की छोटी-छोटी कोशिशें भी भारत को सशक्त बना सकती हैं।
उदाहरण: ‘स्वच्छ भारत अभियान’ और ‘हर घर तिरंगा’
इन अभियानों ने देश में जो क्रांतिकारी बदलाव लाए, वे ‘मन की बात’ के माध्यम से प्रेरित और लोकप्रिय हुए।
मेरा संदेश
एक खिलाड़ी, सैनिक और जनसेवक के रूप में, मैंने ‘मन की बात’ को न केवल प्रेरणा के रूप में देखा है, बल्कि इसे सकारात्मक बदलाव लाने का माध्यम भी माना है।
प्रधानमंत्री जी ने ‘मन की बात’ के माध्यम से यह साबित किया है कि हर भारतीय के भीतर एक नायक छुपा है। आइए, हम सब मिलकर इस प्रेरणा से एकजुट हों औ�� विकसित भारत के निर्माण में अपना योगदान दें।
जय हिंद! जय भारत! कर्नल राज्यवर्धन राठौड़
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🙏सत्संग 🙏सत्संग 🙏सत्संग🙏
तारीख :-
22/12/2024 (रविवार)
⌚वेळ
सकाळी :-10:00 ते दुपारी 1:00 पर्यंत
पत्ता :-
कल्याण भवन शिवतीर्था जवळ, सैनिक लॉन्स समोर संतोषी माता चौक धुळे.
💫लोकेशन :-
https://maps.app.goo.gl/3bfp3NJopL3JxiW67
☎️ संपर्क :-
8208727652
8669029645
7775839320
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नेक कर्म l Story of the Month
एक राजा अपनी प्रजा का भरपूर ख्याल रखता था। राज्य में अचानक चोरी की शिकायतें बहुत आने लगीं। कोशिश करने से भी चोर पकड़ा नहीं गया।
हारकर राजा ने ढींढोरा पिटवा दिया कि जो चोरी करते पकडा जाएगा उसे मृत्युदंड दिया जाएगा। सभी स्थानों पर सैनिक तैनात कर दिए गए। घोषणा के बाद तीन-चार दिनों तक चोरी की कोई शिकायत नही आई।
उस राज्य में एक चोर था जिसे चोरी के सिवा कोई काम आता ही नहीं था। उसने सोचा मेरा तो काम ही चोरी करना है। मैं अगर ऐसे डरता रहा तो भूखा मर जाउंगा। चोरी करते पकडा गया तो भी मरुंगा, भूखे मरने से बेहतर है चोरी की जाए।
वह उस रात को एक घर में चोरी करने घुसा। घर के लोग जाग गए। शोर मचाने लगे तो चोर भागा। पहरे पर तैनात सैनिकों ने उसका पीछा किया। चोर जान बचाने के लिए नगर के बाहर भागा।
उसने मुडके देखा तो पाया कि कई सैनिक उसका पीछा कर रहे हैं। उन सबको चमका देकर भाग पाना संभव नहीं होगा। भागने से तो जान नहीं बचने वाली, युक्ति सोचनी होगी।
चोर नगर से बाहर एक तालाब किनारे पहुंचा। सारे कपडे उतारकर तालाब में फेंक दिया और अंधेरे का फायदा उठाकर एक बरगद के पेड के नीचे पहुंचा।
बरगद पर बगुलों का वास था। बरगद की जड़ों के पास बगुलों की बीट पड़ी थी। चोर ने बीट उठाकर उसका तिलक लगा लिया और आंख मूंदकर ऐसे स्वांग करने बैठा जैसे साधना में लीन हो।
खोजते-खोजते थोडी देर मे सैनिक भी ��हां पहुंच गए पर उनको चोर कहीं नजर नहीं आ रहा था। खोजते खोजते उजाला हो रहा था ओर उनकी नजर बाबा बने चोर पर पडी।
सैनिकों ने पूछा- बाबा इधर किसी को आते देखा है। पर ढोंगी बाबा तो समाधि लगाए बैठा था। वह जानता था कि बोलूंगा तो पकडा जाउंगा सो मौनी बाबा बन गया और समाधि का स्वांग करता रहा।
सैनिकों को कुछ शंका तो हुई पर क्या करें। कही सही में कोई संत निकला तो ? आखिरकार उन्होंने छुपकर उसपर नजर रखना जारी रखा। यह बात चोर भांप गया। जान बचाने के लिए वह भी चुपचाप बैठा रहा।
एक दिन, दो दिन, तीन दिन बीत गए बाबा बैठा रहा। नगर में चर्चा शुरू हो गई की कोई सिद्ध संत पता नहीं कितने समय से बिना खाए-पीए समाधि लगाए बैठै हैं। सैनिकों को तो उनके अचानक दर्शऩ हुए हैं।
नगर से लोग उस बाबा के दर्शन को पहुंचने लगे। भक्तों की अच्छी खासी भीड़ जमा होने लगी। राजा तक यह बात पहुंच गई । राजा स्वयं दर्शन करने पहुंचे। राजा ने विनती की आप नगर मे पधारें और हमें सेवा का सौभाग्य दें।
चोर ने सोचा बचने का यही मौका है। वह राजकीय अतिथि बनने को तैयार हो गया। सब लोग जयघोष करते हुए नगर में ले जाकर उसकी सेवा सत्कार करने लगे।
लोगों का प्रेम और श्रद्धा भाव देखकर ढोंगी का मन परिवर्तित हुआ। उसे आभास हुआ कि यदि नकली में इतना मान-संम्मान है तो सही में संत होने पर कितना सम्मान होगा। उसका मन पूरी तरह परिवर्तित हो गया और चोरी त्यागकर संन्यासी हो गया।
शिक्षा संगति, परिवेश और भाव इंसान में अभूतपूर्व बदलाव ला सकता है। रत्नाकर डाकू को गुरू मिल गए तो प्रेरणा मिली और वह आदिकवि हो गए। असंत भी संत बन सकता है, यदि उसे राह दिखाने वाला मिल जाए।
अपनी संगति को शुद्ध रखिए, विकारों का स्वतः पलायन आरंभ हो जाएगा..!!
#india#himachal pradesh#sa new himachal#storytime#Storyofthemonth#storyofourlife#story of seasons#Storyoffaith
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হিন্দুদেরকে ধোঁকা দেওয়া বন্ধ করুন
হিন্দু ধর্মীয় গুরু এবং প্রচারক আচার্য, শঙ্করাচার্য এবং গীতা মনীষীরা - যিনি গীতার জ্ঞান দিয়েছেন (যাকে শ্রী বিষ্ণুর অবতার শ্রীকৃষ্ণ বলা হয়) তাকে অবিনশ্বর বলে বর্ণনা করেন। কথিত আছে এনাদের জন্ম বা মৃত্যু হয় না।
এনাদের কোনো মাতা-পিতা নেই।
আপনি নিজেই দেখুন (গীতা অধ্যায় ২ শ্লোক ১২)
হে অর্জুন! এমন নয় যে আমি, তুই এবং এই সমস্ত রাজা-সেনারা আগে ছিলাম না বা ভবিষ্যতেও থাকব না। অর্থাৎ আমি (গীতা জ্ঞানদাতা), তুই (অর্জুন) এবং এই সমস্ত রাজা ও সৈন্যরা আগেও জন্মেছি এবং ভবিষ্যতেও জন্ম নেব।
- জগৎগুরু তত্ত্বদর্শী সন্ত রামপাল জী মহারাজ জী
हिंदुओं के साथ धोखा बंद करो
हिन्दू धमर्गुरू व प्रचारक आचार्य, शंकराचार्य तथा गीता मनीषी गीता ज्ञान देने वाले (जिसे ये श्री विष्णु का अवतार श्री कृष्ण कहते हैं) को अविनाशी बताते हैं। कहते हैं इनका जन्म-मृत्यु नहीं होता।
इनके कोई माता-पिता नहीं।
आप देखें स्वयं (गीता अध्याय 2 श्लोक 12)
हे अर्जुन! ऐसा नहीं है कि मैं-तू तथा ये सब राजा व सैनिक पहले नहीं थे या आगे नहीं होंगे। अर्थात मैं (गीता ज्ञान दाता) तू (अर्जुन) तथा ये सब सैनिक आदि-आदि सब पहले भी जन्मे थे, आगे भी जन्मेंगे।
- जगतगुरु तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज जी
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शिक्षा मंत्री डा. रावत ने किया सैनिक स्कूल घोड़ाखाल का भ्रमण, छात्र-छात्राओं से हुये रु-ब-रू, साथ में किया सहभोज
शिक्षा मंत्री डा. रावत ने किया सैनिक स्कूल घोड़ाखाल का भ्रमण शैक्षिक गतिविधियों के साथ ही उपलब्ध संसाधनों का किया अवलोकन छात्र-छात्राओं से हुये रु-ब-रू, साथ में किया सहभोज देहरादून, 07 नवम्बर 2024: सूबे के शिक्षा मंत्री डॉ. धन सिंह रावत ने नैनीताल में सैनिक स्कूल घोड़ाखाल का दौरा कर वहां की शैक्षिक व्यवस्था, सैन्य प्रशिक्षण एवं उपलब्ध सुविधाओं का बारीकी से अवलोकन किया। इस दौरान उन्होंने स्कूल…
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मैं टीम इंडिया
क्यों एक अभिशापित कर्ण हूँ मैं!
क्या मैं भी एक अभिशापित कर्ण ही हूँ!
क्या श्रापित हूँ मैं भी उसकी ही तरह?
मैं भी उसकी ही भाँति उच्च योद्धा जाना जाऊँ
मैं भी किसी अर्जुन से कहाँ कम आँका जाऊँ!
मैंने हर योद्धा को रण में कई बार परास्त किया है
मगर भाग्य का दोष कहूँ या विधि का विधान इसे
वक्त के क्रूर हाथों ने देखो मेरा क्या हश्र किया है!
महाभारत रूपी महासंग्राम वर्ल्ड कप की रणभूमि में
जब जब मैं अपनी विजय पताका फैहराने आता हूँ
उस अश्वमेध यज्ञ में मैं कई शौर्य गाथाएँ लिखकर भी
हर बार अंतिम क्षणों में बस वीरगति पा जाता हूँ
विजय नाद बजाने से पहले मैं पराजित हो जाता हूँ!
क्यों उस पराक्रमी योद्धा कर्ण की भाँति ही
महा रण के महत्वपूर्ण अंतिम चरण में खड़ा मैं
स्वयं को असहाय पाता हूँ जीता संग्राम मैं हार जाता हूँ!
रणभूमि में जिनकी सबसे ज़्यादा ज़रूरत होती है
मेरे अभेद्य अलौकिक कहलाये जाने वाले सैनिक
और सभी अस्तर शस्त्र भी तो कोई काम नहीं आते हैं
सब नीतियाँ वहीं की वहीं बस धरी ही रह जाती हैं
मेरा रण कौशल मुख्य क्षणों में शिथिल पड़ जाता है
तरकश से निकला कोई भी बाण लक्ष्य भेद नहीं पाता है!
विजय पथ पर रथ का पहिया गड्ढे में धँस जाता है
और मैं असहाय खड़ा एक मूक दर्शक बन जाता हूँ
बस अंतिम क्षणों में मैं पराजय द्वार पहुँच जाता हूँ!
हर बार ही चाहे हो वो विश्व एक दिवसीय चैंपियनशिप
या फिर पाँच दिवसीय टेस्ट मैच विश्व प्रतियोगिता
कभी न्यूज़ीलैंड तो कभी आस्ट्रेलिया सा सामने आता है
वो कोई अर्जुन सा बन मुझे बस धराशायी कर जाता है!
अंतर्द्वंद में हूँ घिरा असमंजस में पड़ा हूँ मैं सोच रहा
हे नीलवर्ण कृष्ण क्यों रूठे हो अबतक भी मुझसे
अर्जुनों को छोड़ कभी मेरे पक्ष से भी क्यों नहीं लड़ते
सारथी बन मेरा हाथ भी थाम लो हे गिरधर
मेरी भी तो पीड़ाएँ हरो प्रभु अपना आशीष देकर!
देखो मैंने भी तो कब से नीलांबर वस्त्र धारण किये हैं
अब तो मैंने भगवा टोपी टी-शर्ट निकर भी पहन लिये हैं
तुम तो स्पष्ट समझते ही हो इसके क्या सही मायने हैं
बताओ प्रभु मैंने अभी कितने और कटाक्ष उपहास सहने हैं!
कब तक मेरे अविचलित प्रयास निरर्थक होते रह जाएँगे
कब पराजय के नागपाश से प्रभु मेरे भाग्य मुक्ति पायेंगे
कर्ण समान श्रापित मुझको श्राप से कब मुक्ति दिलाओगे
कब मुझे अपना आशीर्वाद देकर हर श्राप मेरा हर जाओगे
कब सारथी बन आप मेरी नौका भी हे प्रभु पार लगाओगे!
आशाओं की डोरी थामे अडिग खड़ा हूँ मैं जाने कब से
घायल अवस्था में भी चिरकाल से मैं भिड़ रहा हूँ सबसे
जो लाज रखो मेरी योग्यता की तभी वो अप्रतिम बनेगी
प्रभु जो आशीर्वाद मिले तुम्हारा मेरी भी धाक जमेगी!
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( #MuktiBodh_Part118 के आगे पढिए.....)
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#MuktiBodh_Part119
हम पढ़ रहे है पुस्तक "मुक्तिबोध"
पेज नंबर 232-233
कुछ वर्षों के बाद दुर्वासा के शॉप के कारण द्वारिका में अनहोनी घटनाऐं होने लगी। आपसी झगड़े होने लगे। एक-दूसरे को छोटी-सी बात पर मारने लगे। सारी द्वारिका मेंउपद्रव होने लगे। द्वारिका नगरी के बड़े-सयाने लोग मिलकर श्री कृष्ण जी के पास गए तथा
दुःख बताया कि नगरी में किसी को किसी का बोल अच्छा नहीं लग रहा है। बिना बात के मरने-मारने को तैयार हो जाते हैं। छोटे-बड़े की शर्म नहीं रही है। क्या कारण है तथा यह कैसे शान्त होगा? श्री कृष्ण जी ने बताया कि ऋषि दुर्वासा के शॉप के कारण यह हो रहा है। इसका समाधान सुनो! नगरी के सर्व नर (छोटे नवजात लड़के साहित) यादव प्रभास क्षेत्र में उसी स्थान पर यमुना नदी में स्नान करो जिस स्थान पर कड़ाही का चूर्ण डाला था। शॉप से बचने के लिए द्वारिका नगरी के सब बालक, नौजवान तथा वृद्ध स्नान करने गए। स्नान करके बाहर निकलकर एक-दूसरे से गाली-गलौच करने लगे और उस कड़ाही के चूरे से उत्पन्न घास को उखाड़कर एक-दूसरे को मारने लगे। तलवार की त��ह घास से सिर कटकर दूर गिरने लगे। कुछ व्यक्ति बचे थे। अन्य सब के सब लड़कर मर गए। उन बचे हुओं को ज्योति निरंजन काल ने स्वयं श्री कृष्ण में प्रवेश करके उस घास से मार डाला। अकेला श्री कृष्ण बचा था। एक वृक्ष के नीचे जाकर लेट गया। एक पैर को दूसरे पैर के घुटने पर रखकर लेट गया। दांये पैर के तलुए (पँजे) में पदम जन्म से लगा था जो चमक रहा था। जिस बालिया नाम के भील शिकारी ने मछली से निकले कड़ाही के कड़े का विष लगाकर तीर बनवाया था। वह शिकारी उसी तीर को लेकर उस स्थान पर शिकार की तलाश में आया जिस वृक्ष के नीचे श्री कृष्ण लेटे थे। वृक्ष की छोटी-छोटी टहनियाँ चारों और नीचे पृथ्वी को छू रही थी। लटक रही थी। उन झुरमुटों में से श्री कृष्ण के पैर का पदम ऐसा लग रहा था जैसे किसी मृग की आँख चमक रही हो। शिकारी बालिया ने आव-देखा
न ताव, उस चमक पर तीर दे मारा। तीर निशाने पर लगा। पैर के तलवे में विषाक्त तीर लगने से श्री कृष्ण की चीख निकली। बालिया समझ गया कि किसी व्यक्ति को तीर लगा है। निकट जाकर देखा तो कोई राजा है। पूछने पर पता चला कि श्री कृष्ण है। अपनी गलती की क्षमा याचना करने लगा कहा कि भगवान! धोखे से तीर लग गया। मैंने आपके पैर के पदम की चमक मृग की आँख जैसी लगी। क्षमा करो। श्री कृष्ण ने कहा कि बालिया तेरा कोई दोष नहीं है, होनी प्रबल होती है। मैंने तेरा बदला चुकाया है। त्रोतायुग में तू कसकंदा का राजा सुग्रीव का भाई बाली था। मैं अयोध्या में रामचन्द्र नाम से राजा दशरथ के घर जन्मा था। उस समय मैंने तेरे को वृक्ष की ओट लेकर धोखा करके लड़ाई में मारा था। अब तू मेरा एक काम कर। द्वारिका में जाकर बता दे कि सर्व यादव दुर्वासा के शॉपवश आपस में लड़कर मर गए हैं। कुछ समय उपरांत द्वारिका की स्त्रियों की भीड़ लग गई। हाहाकार मच गया। पाण्डव श्री कृष्ण के रिश्तेदार थे। वे भी आ गए। श्री कृष्ण ने अर्जुन से कहा कि आप सर्व गोपियों यानि यादवों की स्त्रियों को अपने पास ले जाना। यहाँ कोई नर यादव नहीं बचा है। आसपास के भील इनकी इज्जत खराब करेंगे। पाण्डवों से कहा कि तुम राज्य अपने पौत्र को देकर हिमालय में जाकर घोर तप करो और अपने युद्ध में किए पापों का नाश करो। अर्जुन ने पूछा भगवान! एक प्रश्न आज मैं आपसे करूँगा। आप सत्य उत्तर देना। आप अंतिम श्वांस गिन रहे हो, झूठ मत बोलना। श्री कृष्ण ने कहा कि प्रश्न कर। अर्जुन बोला! आपने गीता का ज्ञान कुरूक्षेत्र के मैदान में महाभारत युद्ध से पहले स��नाया था। उसमें कहा था कि अर्जुन! युद्ध कर ले। तुम्हें कोई पाप नहीं लगेंगे। तू निमित मात्र बन जा। सब सैनिक मैंने मार रखे हैं। तू युद्ध नहीं करेगा तो भी मैं इन्हें मार दूँगा। जब युद्धिष्ठिर को भयंकर स्वपन आने लगे। आपसे कारण जाना तो आपने बताया था कि युद्ध में किए बंधुघात के पाप के परिणाम स्वरूप कष्ट आया। समाधान यज्ञ करना बताया। उस समय मैं आपसे विवाद नहीं कर सका क्योंकि भाई की जिंदगी का सवाल था। आज फिर आपने वही जख्म हरा कर दिया। इतनी झूठ बोलकर हमारा नाश किसलिए करवाया? कौन-से जन्म का बदला लिया? श्री कृष्ण ने कहा अर्जुन! तुम मेरे अजीज हो! होनहार
बलवान होती है। गीता में क्या कहा, उसका मुझे कोई ज्ञान नहीं। आप मेरी आज्ञा का पालन करो। यह कहकर श्री कृष्ण मर गए। पाँचों पाण्डवों व साथ गए नौकरों ने मिलकर सब यादवों का अंतिम संस्कार किया। कुछ के शव दरिया में प्रवाह कर दिए। श्री कृष्ण ने कहा था कि मेरे शरीर को जलाकर बची हुई अस्थियाँ व राख को एक लकड़ी के संदूक (ठवग) में डालकर दरिया में बहा देना। पाण्डवों ने वैसा ही किया। {वह संदूक समुद्र में चला गया।
फिर उड़ीसा प्रांत के अंदर जगन्नाथ पुरी के पास बहता हुआ चला गया। उड़ीसा के राजा इन्द्रदमन को स्वपन में श्री कृष्ण ने दर्शन देकर कहा कि एक संदूक समुद्र में इस स्थान पर है। उसमें मेरे शरीर की अस्थियाँ तथा राख हैं। उसको निकाल कर उसी किनारे पर उन अस्थियों (हडिड्यों) को जमीन में दबाकर ऊपर एक सुंदर मंदिर बनवा दे। ऐसा किया गया। जो जगन्नाथ नाम से मंदिर प्रसिद्ध है।}
◆ चार पाण्डव पहले चले गए। अर्जुन को गोपियों को लेकर आने को छोड़ गए। अर्जुन के पास वही गांडीव धनुष था जिससे लड़ाई करके महाभारत में जीत प्राप्त की थी। अर्जुन द्वारिका की सर्व स्त्रियों को बैलगाडि़यों में बैठाकर इन्द्रप्रस्थ (दिल्ली) के लिए चल पड़ा।रास्ते में भीलों ने अर्जुन को घेर लिया। अर्जुन को पीटा। गोपियों को लूटा। कुछ स्त्रियों को भील उठा ले गए। अर्जुन कुछ नहीं कर सका। धनुष उठा भी नहीं सका। तब अर्जुन ने कहा
था कि कृष्ण नाश करना था। युद्ध में पाप करवाने के लिए तो बल दे दिया। लाखों योद्धा इसी गांडीव धनुष से मार गिराए। कोई मेरे सामने टिकने वाला नहीं था। आज वही अर्जुन है, वही धनुष है। मैं खड़ा-खड़ा काँप रहा हूँ। कृष्ण जालिम था। धोखेबाज था। कबीर परमेश्वर जी हमें समझाते हैं कि यह जुल्म कृष्ण ने नहीं किया, ज्योति निरंजन (काल ब्रह्म) ने किया है। श्री कृष्ण ��ा जीवन देख लो। श्री कृष्ण अपने कुल को मथुरा से लेकर जान
बचाकर द्वारिका आया। द्वारिका में उनकी आँखों के सामने सब यादव कुल नष्ट हो गया। श्री कृष्ण का बेटा मर गया। पोता मर गया। सर्व कुल नष्ट हो गया। स्वयं बेमौत मरा। उसके कुल की स्त्रियों की दुर्गति भीलों ने की। जबरदस्ती उठा ले गए। उनकी इज्जत
खराब की। नरक का जीवन जीने के लिए मजबूर हुई। उसी श्री कृष्ण की पूजा करके जो सुख-शान्ति की आशा करता है। उसमें कितनी बुद्धि है, इ�� घटना से पता चलता है।
क्रमशः________
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