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#सूर्य भगवान का चालीसा
parasparivaarorg · 14 days
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Paras ji explained About Kumbh
कुंभ संक्रांति-: स्नान-ध्यान और दान-पुण्य का विशेष महत्व
हिंदू धर्म में कुंभ संक्रांति का विशेष महत्व है। मकर संक्रांति की तरह ही इस दिन भी स्नान-ध्यान और दान-पुण्य किया जाता है। इस दिन पुण्य काल में स्नान और दान करना कई तरह से लाभदायी होता है। इस दिन गंगा, यमुना या किसी पवित्र नदी में स्नान करना बहुत ही शुभ माना जाता है। इस दिन आप स्नान ध्यान और सूर्य देव की पूजा-उपासना कर सकते हैं। चलिए विस्तार से जानते हैं कि कब है कुंभ संक्रांति और क्या है इस तिथि का महत्व ?
क्या होता है संक्रांति का अर्थ?
सनातन धर्म में संक्रांति का विशेष महत्व है। सबसे पहले संक्रांति का अर्थ जानते हैं, जब सूर्य एक राशि से दूसरी राशि में जाते हैं उसे संक्रांति कहा जाता है। यानि इस दिन सूर्य देव एक राशि से निकलकर दूसरी राशि में प्रवेश करते हैं। फाल्गुन माह में कुंभ संक्रांति के दिन भी सूर्य का राशि परिवर्तन होता है। इस दौरान सूर्य मकर राशि से कुंभ राशि में प्रवेश करते हैं जिसे कुंभ संक्रांति कहा जाता है।
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कब है कुंभ संक्रांति?
कुंभ संक्रांति 13 फरवरी 2024 को मनाई जाएगी। महंत श्री पारस भाई जी ने बताया कि इस दिन गंगा, यमुना या किसी पवित्र नदी में स्नान करना बहुत ही शुभ माना जाता है। ऐसा करने से सूर्य देव प्रसन्न होते हैं और भक्त को उनकी कृपा मिलती है। इस वर्ष कुंभ संक्रांति का त्यौहार मंगलवार के दिन मनाया जाएगा, जिस वजह से आपको हनुमान जी की उपासना का भी असीम फल प्राप्त होगा।
कुंभ संक्रांति की पूजा विधि
कुंभ संक्रांति के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर, श्रीहरि विष्णु का स्मरण करें और गंगा स्नान करें या फिर इसके अलावा किसी भी पवित्र नदी में स्नान कर सकते हैं। यदि किसी पवित्र नदी में स्नान करना संभव न हो सके तो घर में ही गंगाजल मिलाकर स्नान कर लें। स्नान करने के उपरांत तिल मिलाकर भगवान सूर्य देव को अर्घ्य जरूर दें। फिर मंदिर में फल, पुष्प अर्पित कर धूप, दीप जलायें और भगवान सूर्य का जाप करें। इस दिन सूर्य मंत्र का जाप करने के साथ सूर्य चालीसा औरआदित्य हृदय स्तोत्र का पाठ करें। यदि आप ऐसा करते हैं तो आपकी कुंडली में स्थित सूर्य की स्थिति मजबूत होती है। मंदिर में पूजा अर्चना के बाद किसी गरीब और किसी जरूरतमंद व्यक्ति को और पंडित को दान जरूर दें। इसके अलावा अपनी सामर्थ्य के अनुसार वस्त्रों का दान भी करें।
इन चीज़ों के दान से चमक जायेगी आपकी किस्मत
महंत श्री पारस भाई जी ने कहा कि कुंभ संक्रांति के दिन पवित्र नदियों में स्नान करने के साथ गरीब लोगों को अपनी सामर्थ्य के अनुसार दान देने का विशेष महत्व माना गया है। इन चीज़ों के दान से आपकी किस्मत चमक जायेगी और आपको सफलता अवश्य मिलेगी। आइये जानते हैं कुंभ संक्रांति के दिन किन चीज़ों का दान करना शुभ माना जाता है?
कुंभ संक्रांति पर करें तिल का दान
डेरा नसीब दा के महंत श्री पारस भाई जी के अनुसार कुम्भ संक्रांति के दिन काले तिल का दान करना बहुत ही शुभ माना गया है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन तिल का दान करने से भगवान सूर्य देव के साथ-साथ शनि देव की कृपा भी प्राप्त होती है। व्यक्ति को आरोग्य के साथ-साथ सूर्य दोष से भी छुटकारा मिल सकता है और जीवन में अच्छे फलों की प्राप्ति होती है।
कुंभ संक्रांति पर अन्न का दान करें
कुंभ संक्रांति के दिन अन्न का दान करना भी शुभ होता है इसलिए इस दिन अन्न का दान अवश्य करें। पारस परिवार के मुखिया महंत श्री पारस भाई जी ने बताया कि कुंभ संक्रांति के दिन अन्न का दान करने से आपके घर में अन्न का भंडार कभी ख़ाली नहीं होता और आपके घर में हमेशा बरकत होती है।
कुंभ संक्रांति पर गुड़ का दान करें
अगर आपके घर में कोई व्यक्ति बार-बार बीमार होता है तो कुंभ संक्रांति के दिन किसी जरूरतमंद व्यक्ति को गुड़ का दान जरूर करें। ऐसा करने से बीमार व्यक्ति की सेहत अवश्य ठीक हो जायेगी।
कुंभ संक्रांति पर तांबे का दान करें
ज्योतिष शास्त्र में तांबे को सूर्य की धातु कहा गया है। महंत श्री पारस भाई जी के अनुसार कुंभ संक्रांति के दिन तांबा या तांबे के बर्तन दान करना शुभ होता है। यदि आप ऐसा करते हैं तो आपकी कुंडली में सूर्य की स्थिति मजबूत होती है।इसके अलावा आप इस दिन जरूरतमंदों को घी, लाल वस्त्र, गेहूँ और लाल फूल का दान भी कर सकते हैं। महान ज्योतिष महंत श्री पारस जी ने बताया कि सूर्यदेव को लाल रंग बेहद प्रिय है इसलिए कुंभ संक्रांति के दिन लाल रंग के कपड़े का दान करना शुभ माना जाता है।
कुंभ संक्रांति का महत्व
कुंभ संक्रांति का सबसे बड़ा महत्व यह है कि यह हिन्दू धर्म और हिन्दू परंपरा में एक महत्वपूर्ण त्यौहार है जो कि मकर संक्रांति के बाद होता है। साथ ही यह त्यौहार, सामाजिक, आध्यात्मिक और सांस्कृतिक एकता को प्रोत्साहित करता है। पारस परिवार के मुखिया महंत श्री पारस भाई जी न�� कहा कि कुंभ संक्रांति पर्व के दिन स्नान-दान करने से व्यक्ति को अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है। यह त्यौहार भारतीय संस्कृति का महत्वपूर्ण हिस्सा है और यह उन सभी लोगों को एक साथ लाता है, जो अलग-अलग धर्म, जाति, और परंपराओं से संबंधित होते हैं। इस दिन को कुंभ स्नान के रूप में जाना जाता है, जो धार्मिक और सामाजिक महत्व के लिए जाना जाता है। यह त्योहार लोगों को सामूहिक एकता की भावना से भर देता है और उन्हें धर्म, संस्कृति, और सामाजिक मूल्यों के प्रति समर्पित बनाता है। महंत श्री पारस भाई जी का मानना है कि इस विशेष दिन पर सूर्य देव की उपासना करने से सुख, समृद्धि और ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है।
कुंभ संक्रांति के दिन इन मंत्रों का करें जाप
यदि आप किसी भी तरह से परेशान हैं तो इन मंत्रों के जाप से आपकी सारी परेशानियां दूर हो जायेंगी।
ॐ सूर्याय नमः
ॐ भास्कराय नमः
ॐ आदित्याय नमः
यह त्यौहार आत्मिक और धार्मिक उन्नति में मदद करता है
कुंभ संक्रांति पर लाखों लोग तीर्थयात्रा करते हैं और संगम स्थलों में स्नान करते हैं, जो उनके आत्मिक और धार्मिक उन्नति में मदद करता है। इस दिन को अपने आपको बदलने और अपनी आत्मा को शुद्ध करने का उत्कृष्ट मौका माना जाता है, जो लोगों को सच्चे और ईश्वर के निकट ले जाता है। कुंभ संक्रांति के दौरान गायों को दान देना भी काफी शुभ माना जाता है। हिंदू धर्म में पूर्णिमा, अमावस्या और एकादशी का जितना महत्व है उतना ही महत्व संक्रांति तिथि का भी होता है। देवी पुराण में कहा गया है कि संक्रांति के दिन जो स्नान नहीं करता उसे कई जन्मों तक दरिद्रता में जीवन गुजारना पड़ता है। संक्रांति के दिन गरीबों और जरूरतमंदों को दान जरूर करें और गरीबों को भोजन कराएं। सूर्य देव हनुमान जी के गुरु माने जाते हैं, जिस वजह से इस दिन सूर्य देव के साथ हनुमान जी की उपासना करने से भी विशेष लाभ प्राप्त होगा।
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astroclasses · 4 months
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ragbuveer · 1 year
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आज का पंचांग और राशियों का हाल 19 जून 2023, सोमवार
※══❖═══▩राधे राधे▩═══❖══※
*🚩🔱ॐगं गणपतये नमः🔱🚩*
🌹 *सुप्रभात जय श्री राधे राधे*🌹
※══❖═══▩राधे राधे▩═══❖══※
#वास्तु_ऐस्ट्रो_टेक_सर्विसेज_टिप्स
#हम_सबका_स्वाभिमान_है_मोदी
#योगी_जी_हैं_तो_मुमकिन_है
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※══❖═══▩राधे राधे▩═══❖══※
आज से आषाढ़ी गुप्त नवरात्रि प्रारंभ हो रही है। आज अपने घर के पूजा स्थान को साफ-स्वच्छ कर मां दुर्गा का विधि विधान से पूजन करें। दुर्गा सप्तशती, दुर्गा चालीसा या दुर्गा मंत्रों का जाप करें। आज के दिन किसी देवी मंदिर में प्रात: ठीक 9 बजे सुहाग की समस्त सामग्री अर्पित करने से सारे संकटों का नाश होगा। पारिवारिक, सामाजिक, आर्थिक सारे संकट दूर होंगे। अविवाहित युवतियां आज अपने शीघ्र विवाह की कामना से देवी दुर्गा का पूजन करेंगी तो उनकी मनोकामना शीघ्र पूरी होगी। आज सोमवार का दिन है इसलिए भगवान शिव की आराधना भी करें।
विक्रम संवत : 2080 शालिवाहन शके : 1945 मास : आषाढ़ शुक्ल पक्ष ऋतु : ग्रीष्म अयन : उत्तरायण तिथि : प्रतिपदा प्रात: 11:24 तक नक्षत्र : आर्द्रा रात्रि 8:09 तक योग : वृद्धि रात्रि 1:13 तक करण : बव प्रात: 11:24 तक पश्चात बालव सूर्योदय : 5:43:25 सूर्यास्त : 7:12:34 दिनकाल : 13 घंटे 29 मिनट 09 सेकंड रात्रिकाल : 10 घंटे 31 मिनट 02 सेकंड चंद्रोदय : प्रात: 6:19 चंद्रास्त : रात्रि 8:31 आज की ग्रह स्थिति सूर्य राशि : मिथुन चंद्र राशि : मिथुन मंगल : कर्क बुध : वृषभ गुरु : मेष शुक्र : कर्क शनि : कुंभ वक्री राहु : मेष केतु : तुला
दिन का चौघड़िया अमृत : प्रात: 5:43 से 7:25 शुभ : प्रात: 9:06 से 10:47 चर : दोप 2:09 से 3:50 लाभ : दोप 3:50 से सायं 5:31 अमृत : सायं 5:31 से 7:13 अभिजित : दोप 12:01 से 12:55 रात्रि का चौघड़िया चर : सायं 7:13 से रात्रि 8:31
त्याज्य समय राहु काल : प्रात: 7:25 से 9:06 यम घंट : प्रात: 10:47 से दोप 12:28
आज विशेष
गुप्त नवरात्रि प्रारंभ आज का शुभ रंग : सफेद
आज के पूज्य देव : मां दुर्गा
आज का मंत्र : ऊं दुं दुर्गाये नम:
आज का राशियों का हाल
मेष : समस्याओं का समाधान होगा शिवजी की कृपा से आज का दिन आपके लिए सकारात्मक रहेगा। आपको अपनी समस्याओं का समाधान आज मिल जाएगा, जिससे आप काफी खुश रहेंगे।
वृषभ : प्रमोशन का योग शिवजी की कृपा से आज का दिन आपके लिए ठीक-ठाक रहेगा। आपके व्यापार में तरक्की होगी। नौकरीपेशा लोगों को प्रमोशन के योग दिख रहे हैं।
मिथुन : आज का दिन आपके लिए अच्छा ही रहेगा शिवजी की कृपा से आज का दिन आपके लिए अच्छा ही रहेगा। अविवाहितों के विवाह की बात हो सकती है, कहीं से अच्छा रिश्ता आ सकता है। परिवार के साथ कहीं घूमने जा सकते हें।
कर्क: पति-पत्नी आपस में सुखी रहेंगे शिवजी की कृपा से आज का दिन आपके लिए ठीक-ठाक रहेगा। नौकरीपेशा लोगों के लिए दिन आज लाभ का है। पति-पत्नी आपस में सुखी रहेंगे। घर-आंगन में शांति बनी रहेगी।
सिंह : घर-परिवार में शांति का वातावरण रहेगा शिवजी की कृपा से आज का दिन आपके लिए अच्छा रहने वाला है। अगर आप व्यापार से जुड़े हैं तो आज का दिन आपके लिए मुनाफे वाला हो सकता है। घर-परिवार में शांति का वातावरण रहेगा।
कन्या :आपका वैवाहिक जीवन मधुर रहेगा शिवजी की कृपा से आज का दिन आपके लिए ठीक-ठाक रहेगा। किसी मुद्दे पर ज्यादा सोच-विचार ना करें। आपका वैवाहिक जीवन मधुर रहेगा, लवमेटस भी काफी खुश रहेंगे।
तुला : परिवार में सुख शांति बनी रहेगी शिवजी की कृपा से आज का दिन आपके लिए सामान्य ही रहेगा। फैमिली में चल रहा विवाद आज खत्म हो जाएगा। घर-परिवार में सुख शांति बनी रहेगी। परिवार संग किसी धार्मिक स्थल में जा सकते हैं।
वृश्चिक : अच्छे जॉब ऑफर आ सकते हैं शिवजी की कृपा से आज का दिन आपके लिए अच्छा रहने वाला है। किसी बात को लेकर चिंता ना करें। छात्रों के लिए आज का दिन अच्छा है। उन्हें कहीं से अच्छे जॉब ऑफर आ सकते हैं।
धनु : प्रॉपर्टी खरीदने के योग हैं शिवजी की कृपा से आज का दिन आपके लिए ठीक-ठाक रहेगा। बिजनेस मैन के लिए दिन अनुकूल है। प्रॉपर्टी खरीदने के योग हैं। इसमें आपको सफलता मिलेगी।
मकर : ऑफिस में किसी से बहस हो सकती है शिवजी की कृपा से आज का दिन आपके लिए बढ़िया रहने वाला है। किसी बात को लेकर आज ऑफिस में किसी से बहस हो सकती है। जिससे आपका मूड खराब हो सकता है।
कुंभ: आपकी मेहनत की तारीफ होगी शिवजी की कृपा से आज का दिन आपके लिए ठीक-ठाक रहेगा। कार्यक्षेत्र में आपको नए अवसर मिलेंगे। आपकी मेहनत की तारीफ होगी और लोग आपसे काफी प्रभावित भी रहेंगे।
मीन : आज का दिन आपके लिए काफी अच्छा रहेगा शिवजी की कृपा से आज का दिन आपके लिए काफी अच्छा रहने वाला है। व्यापारियों के लिए समय अनुकूल है। नौकरी वालों को भी प्रमोशन मिल सकता है, यात्रा के भी योग है।
※══❖═══▩राधे राधे▩═══❖══※
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templeinindia · 2 years
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हिन्दू पंचांग के अनुसार रविवार सप्ताह का प्रथम दिन माना जाता है। इस दिन भगवान सूर्य की पूजा होती है। यदि आप भी अपने जीवन में खूब तरक्‍की पाना चाहते हैं तो सूर्य देव की चालीसा पाठ करना  ना भूलें।
॥दोहा॥
कनक बदन कुण्डल मकर, मुक्ता माला अङ्ग,पद्मासन स्थित ध्याइए, शंख चक्र के सङ्ग॥
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bhagyachakra · 2 years
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।। नमो नमः ।। ।।भाग्यचक्र ।। आज का पञ्चाङ्ग :- संवत :- २०७९ दिनांक :- 11 अक्टूबर 2022 सूर्योदय :- 06:23 सूर्यास्त :- 18:05 सूर्य राशि :- कन्या चंद्र राशि :- मेष मास :- कार्तिक तिथि :- द्वितीया वार :- मंगलवार नक्षत्र :- अश्विनी योग :- हर्षण करण :- तैतिल अयन:- दक्षिणायन पक्ष :- कृष्ण ऋतू :- शरद लाभ :- 10:45 - 12:13 अमृत:- 12:14 - 13:41 शुभ :- 15:10 - 16:38 राहु काल :- 15:10 - 16:38 जय महाकाल महाराज :- *स्वास्थ्य लाभ हेतु करें यह उपाय:-* यदि स्वास्थ्य से संबंधित कोई समस्या है तो मंगलवार की शाम को हनुमान जी के मंदिर में जाएं और एक सरसों के तेल का और एक शुद्ध घी का दीपक जलाएं तत्पश्चात वहीं बैठकर रामरक्षास्तोत्र व हनुमान चालीसा का पाठ करें। व प्रसाद व नारियल भगवान को चढावें। ऐसा करने से स्वास्थ्य में अवश्य लाभ आवेगा। आज का मंत्र :- ""|| ॐ नमो हनुमंते भय भंजनायय सुखं कुरु फट स्वाहा।। ||"" *🙏नारायण ��ारायण🙏* जय महाकालेश्वर महाराज। माँ महालक्ष्मी की कृपा सदैव आपके परिवार पर बनी रहे। 🙏🌹जय महाकालेश्वर महाराज🌹🙏 महाकालेश्वर ज्योर्तिलिंग का आज का भस्म आरती श्रृंँगार दर्शन। 11 अक्टूबर 2022 ( मंगलवार ) जय महाकालेश्वर महाराज। सभी प्रकार के ज्योतिष समाधान हेतु। Whatsapp@9522222969 https://www.facebook.com/Bhagyachakraujjain शुभम भवतु ! 9522222969 https://www.instagram.com/p/CjjpjLprcGm/?igshid=NGJjMDIxMWI=
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blogalien · 3 years
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Surya Aarti : श्री सूर्य देव की आरती,ॐ जय सूर्य भगवान, जय हो दिनकर भगवान
Surya Aarti : श्री सूर्य देव की आरती,ॐ जय सूर्य भगवान, जय हो दिनकर भगवान
Shri Surya Aarti In Hindi Me : श्री सूर्य देव की आरती हिंदी में सूरज भगवान की आरती, सूर्य नारायण की आरती, सूरज आरती, दिवाकर आरती, भास्कर आरती, सूर्य देव की आरती    प्रातः सूर्य उदय के समय सूर्य को जल से अर्घ देकर भगवान सूर्य की आरती Surya Aarti अवश्य करनी चाहिए ! भगवान सूर्य की आराधना उपासना करने से रोग-दोष व कष्टों से छुटकारा मिलता है ! और जीवन में मान-सम्मान, यश, प्रतिष्ठा भगवान सूर्य के…
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guestblogcenter · 2 years
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Sawan Somvar 18 july 2022 — सावन के सोमवार के व्रत क्यों रखना चाहिए और क्या है व्रत के विधि, आए जाने-
सावन 14 जुलाई से सुरु हो गया था, कल 18 जुलाई को पहला सोमवार है, वैसा तो किसी भी दिन को भगवान शिव के पूजा करना का महत्व है, लेकिन सावन के सोमवार के व्रत रखना और हर दिन शिव की पूजा करने सच्चे मन से, बहुत ही अच्छा माना जाता है, और उनके सब मनुकामनये भगवान शिव पूरी करते हैं.
आइए जानते हें सावन के सोमवार की पूजा विधि, महत्व और सामग्री की पूरी लिस्ट-
सुबह सूर्य उगने से पहले उठ जाएं और स्नान आदि से निवृत्त होने के बाद साफ वस्त्र धारण करें।
इस बात के विशेष ध्यान रखे की वस्त में काले रंग के कपड़े धारण न करे, कुछ लोग कभी पूजा में काला रंग के कपड़े धारण करते हैं, काले रंग को पूजा मैं शुभ नहीं माना जाता है।
घर के मंदिर के साफ सफाई करले, और सभी देवी- देवताओं का गंगा जल से अभिषेक करें, पूजा स्थल पर भगवान शिव और माता पार्वती की मूर्ति को स्थापित करते हुए व्रत का संकल्प लें।
भगवान शिव और गोरी माता के चरनो में दीप प्रज्वलित करें।
सच्चे मन से शिव भगवान की आराधना करे उन ध्यानावद बोले एस जीवन के लिए और हाथ जोड़ कर उनसे जो भी मन में आपके जो भी इच्छा है उन्हे मांगे।
फिर जल लेके घर के तुलसी के पेड के चरणो मैं उसे चड़ा दे।
अब पूजा के थाली त्यार करे, इसमे घर का जल उसमे गंगा जल मिलाये, एक दीपक और 2 काली मिर्च और थोड़े से चावल और कोई भी एक या दो फल ले, बेल पत्र ले, थोड़े से पुष्प और गन्ने का रस, दूध और दही ले.
इसके बाद घर के पास स्थित शिवमंदिर में जाकर शिवलिंग का जलाभिषेक करें। जलाभिषेक में गंगाजल, घी, गन्ने का रस, दूध और दही का प्रयोग करें।
भगवान शिव की आरती करें और भोग भी लगाएं। इस बात का ध्यान रखें कि भगवान को सिर्फ सात्विक चीजों का भोग लगाया जाता है।
पूजा के दौरान लगातार ऊं नम:शिवाय मंत्र का जाप करें। इसके बाद शिव मंदिर में भगवान शिव की मूर्ति के समक्ष बैठकर शिव चालीसा और रुद्राष्टक का पाठ करें। इसके बाद शिव कथा और आरती करें।
भगवान शिव का अधिक से अधिक ध्यान करें। श्याम को दीप जला कर, फिर एक बार पूजा करें और गाय को भोग लगा कर, भोजन खाए।
सावन सोमवार 2022 की तिथियां-
सावन का पहला सोमवार- 18
जुलाईसावन का दूसरा सोमवार- 25
जुलाईसावन का तीसरा सोमवार- 01
अगस्तसावन का चौथा सोमवार- 08
अगस्तसावन का आखिरी दिन- 12 अगस्त
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jyotishforyou · 2 years
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जाने कब अक्षय तृतीया और क्या है इस तिथि का महत्व
हिंदू धर्म के अनुसार अक्षय तृतीया को बेहद शुभ तिथि माना गया है धार्मिक मान्यताओं के अनुसार अक्षय तृतीया के दिन ही भगवान विष्णु के छटे अवतार माने जाने वाले भगवान परशुराम जी का जन्म हुआ था यह भी मान्यता है कि इस दिन किए गए कार्यों को कई गुना फल प्राप्त होता है ।
अक्षय तृतीया तिथि का हिंदू धर्म में काफी महत्व माना जाता है कि इस दिन किए गए कार्यों का कई गुना फल प्राप्त होता है ।
अक्षय तृतीया तिथि का हिंदू धर्म में काफी महत्व माना जाता है अक्षय तृतीया हर वर्ष वैशाख के महीने की शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाई जाती है । कई जगहों पर पर इसे आखातीज के नाम से भी मनाया जाता है । मान्यता है कि इस दिन किए गए पुण्य कार्यों का विशेष फल प्राप्त होता है । इसके साथ ही इस दिन विशेष तौर पर सोने की खरीद दारी भी की जाती है । पुराणों के अनुसार अक्षय तृतीया के दिन ही भगवान विष्णु के छटे अवतार माने जाने वाले भगवान परशुराम जी का महर्षि जमदग्नि और माता रेणु के घर जन्म हुआ था इस तिथि पर भगवान परशुराम जी की पूजा भी की जाती है।
नया काम शुरू करने के लिए दिन और शुभ मुहूर्त के बारे में और जानें। हमारे विशेषज्ञ ज्योतिषी ममता अरोरा से सलाह लें और अपने सभी सवालों के जवाब जानें।
जाने कब है अक्षय तृतीया
अक्षय तृतीया हिंदू धर्मावलंबियों के लिए विशेष महत्व रखती है इस दिन को लेकर मान्यता है कि इस दिन किए गए पुण्य कार्यों का अक्षय फल प्राप्त होता है। इस साल अक्षय तृतीया 3 मई2022 (मंगलवार) को पड़ रही है। अगर किसी कार्य को करने का मुहूर्त नही निकल पा रहा है तो अक्षय तृतीया के दिन बिना मुहूर्त के ही वह कार्य संपन कर लिया जाता है । खास तौर पर विवाह आदि मांगलिक कार्य इस दिन बिना मुहूर्त के किए जाते हैं ।
अक्षय तृतीया का महत्व
अक्षय तृतीया के दिन शुभ कार्य संपन किए जाते हैं इस तिथि पर गंगा स्नान का भी मान्यता है । पुराणों में कहा गया है कि जो व्यक्ति अक्षय तृतीया के दिन गंगा स्नान करता है वह सारे पापो से मुक्त हो जाता है । इस दिन पितृ श्राद्ध करने का भी विधान माना गया हैं । अक्षय तृतीया को गेहूं, चना, दुध से बने पदार्थ आदि सामग्रियों को दान कर ब्राह्मण को भोजन कराने की भी परंपरा है ।
यह भी पढ़ें: – पुखराज रत्न किन जातकों को धारण करना चाहिए? जानें पुखराज धारण करने के सभी फायदे
अक्षय तृतीया की पूजन विधि
अक्षय तृतीया के दिन व्रत रखने की परंपरा है। अगर आपने व्रत रखा है तो सूर्योदय से पहले स्नान कर ले इसके बाद पीले वस्त्र धारण करें अपने घर के मंदिर में भगवान विष्णु की प्रतिमा को गंगा जल से शुद्ध करे इसके बाद उन्हें पीले फूल , तुलसी , पीले फूल की माला अर्पित करें । अब दीप और धूप अगरबत्ती जलाकर पीले आसन पर बैठ जाए और विष्णु सहस्रनाम या विष्णु चालीसा का पाठ करें । पाठ के बाद आखिर में भगवान विष्णु की आरती करे ।
ज्योतिष के अनुसार आखातीज का प्रभाव
ज्योतिष में सूर्य और चंद्रमा प्रमुख ग्रह माने जाते हैं । सूर्य हमारी आत्मा का कारक होता है और चंद्रमा हमारे मन का कारक होता है । अक्षय तृतीया वाले दिन सूर्य भी उच्च के होते हैं और चंद्रमा भी उच्च के होते हैं । सूर्य और चंद्रमा पावरफुल होते है ।
एस्ट्रोलॉजर – ममता अरोरा
ज्योतिष ऑनलाइन सीखें। निःशुल्क ज्योतिष पाठ्यक्रम के लिए एस्ट्रोलोक से जुड़ें और अपने घर में आराम से सीखना शुरू करें। विश्व प्रसिद्ध ज्योतिषी श्री आलोक खंडेलवाल द्वारा उन्नत स्तर का ज्योतिष पाठ्यक्रम सीखें। इसके अलावा वास्तु शास्त्र, अंक ज्योतिष ऑनलाइन, हस्तरेखा पढ़ने और आयुर्वेदिक ज्योतिष जैसे सभी पाठ्यक्रम प्राप्त करें। अभी पंजीकरण करें।
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सूर्य चालीसा : इस पाठ से मिलेगा यश और सफलता का वरदान
सूर्य चालीसा : इस पाठ से मिलेगा यश और सफलता का वरदान
हिन्दू धर्मशास्त्रों के अनुसार भगवान सूर्य (Surya) एकमात्र ऐसे देवता हैं, जो साक्षात दिखाई पड़ते हैं। प्रतिदिन सूर्य की आराधना (Sun Worship) करते वक्त श्री सूर्य चालीसा (Shree Surya Chalisa) का पाठ करना बहुत ही लाभदायी माना गया है। इस पाठ को रोजाना पढ़ने से यश और सफलता का वरदान मिलता है। यहां पढ़ें संपूर्ण सूर्य चालीसा- Surya Chalisa-सूर्य चालीसा    दोहा कनक बदन कुंडल मकर, मुक्ता माला…
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Basant Panchami
प्रत्येक वर्ष के माघ मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को मनाए जाने वाला यह त्यौहार बसंत पंचमी की रूप में जाना जाता है। मौलिक रूप से बसंत पंचमी स्वयं के अंदर के आलस्य, प्रमाद, ईर्ष्या, भोग एवं सभी नकारात्मक प्रवृत्तियों को त्याग कर ज्ञान एवं अंतःकरण के प्र��ाश को प्रकाशित करने का सर्वोत्तम समय कहा गया है। यद्यपि सामान्य रूप से इस दिन माता सरस्वती जिन्हें विद्या, ज्ञान , वाणी अंतः करण की शुद्धता आदि की अधिष्ठात्री माना जाता है का पूजन किया जाता है। बसंत पंचमी के रूप में मनाया जाने वाला यह त्योहार मूलतः अपने अंदर पूर्ण वैज्ञानिकता को समाहित किए हुए है। यह तिथि शरद ऋतु के समापन की जहां सूचना प्रदान करती है वही बसंत के आगमन की सूचना भी देती है। अर्थात शरद ऋतु में पृथ्वी की शांति अग्नि पुनः प्रज्वलित होने की दिशा में जैसे-जैसे सक्रिय होती है वैसे -वैसे ही समस्त जीवात्मा के अंदर सूर्य से प्राप्त होने वाली ऊर्जा का संचय बढ़ने के साथ-साथ क्रियाशीलता का बढ़ जाना स्वाभाविक होता है। आज के दिन ज्ञान, विज्ञान, विद्या अध्ययन आदि बौद्धिक कार्यों को करने वाले समस्त जातकों को निम्न प्रकार बसंत पंचमी के दिन माता सरस्वती का पूजन करना चाहिए।
सर्वप्रथम सूर्योदय के समय उठ कर शरीर को शुद्ध करते हुए स्नान ध्यान करें तथा भगवान भास्कर को जल देने के पश्चात पीले वस्त्र धारण करने के बाद माता सरस्वती को मन में स्थापित करते हुए निम्न मंत्र का 108 बार जब करें अथवा सरस्वती चालीसा का 11 पाठ करें।
ॐ ऐं महासरस्वतये नमः
आज के दिन विद्यार्थियों को अध्ययन से संबंधित वस्तुओं का दान अत्यंत कल्याणकारी फल प्रदान करने वाला सिद्ध हो सकता है।
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chaitanyabharatnews · 3 years
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संकष्टी चतुर्थी व्रत आज, इस विधि से पूजा करने पर जरूर प्रसन्न होंगे गणपति महाराज
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चैतन्य भारत न्यूज संकष्टी गणेश चतुर्थी का त्योहार हिंदू धर्म के प्रमुख त्योहारों में से एक है। इस दिन गणेश जी की अराधना की जाती है। कहा जाता है जो भी भक्त गणेश जी की पूजा सच्चे मन से करते हैं उनकी हर मनोकामना पूरी होती है। इस बार 27 जुलाई को संकष्टी गणेश चतुर्थी है। आइए जानते हैं संकष्टी गणेश चतुर्थी का महत्व और पूजा-विधि। (adsbygoogle = window.adsbygoogle || ).push({}); संकष्टी गणेश चतुर्थी का महत्व भगवान गणेश को सभी देवताओं में सर्वप्रथम पूजनीय माना गया है। इसलिए हमारे शास्त्र में गणेश चतुर्थी की महिमा का बहुत बड़ा महत्व है। इस दिन भगवान श्रीगणेश का विधि-विधान से पूजन और व्रत करने से जीवन में निरंतर सफलता प्राप्त होती है। मान्यता है कि जो श्रद्धालु गणेश चतुर्थी का उपवास करते हैं भगवान गणेश उसे ज्ञान और धैर्य का आशीर्वाद देते हैं। साथ ही उनके सारे दुःख हर लेते हैं। संकष्टी गणेश चतुर्थी पूजा-विधि सुबह के समय जल्दी उठकर स्नान आदि करके लाल रंग के वस्त्र धारण करें और सूर्य भगवान को तांबे के लोटे से अर्घ्य दें। व्रत संकल्प मंत्र के बाद श्रीगणेश की षोड़शोपचार पूजन-आरती करें और मूर्ति पर सिंदूर चढ़ाएं। पूजन के समय श्री गणेश स्तोत्र, अथर्वशीर्ष, संकटनाशक गणेश स्त्रोत का पाठ करें। ब्राह्मण को भोजन करवाकर दक्षिणा दें। शाम के समय गणेश चतुर्थी कथा, श्रद्धानुसार गणेश स्तुति, श्री गणेश सहस्रनामावली, गणेश चालीसा, गणेश पुराण आदि का पाठ करें। पूजा के दौरान भगवान श्री गणेश के बीज मंत्रों का जप भी करना चाहिए। इसके बाद भगवान गणेश के आगे दीप जला कर फूलों की माला अर्पित करें। ये भी पढ़े... खजराना गणेश मंदिर ने रचा इतिहास, इस मामले में वर्ल्ड बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में दर्ज हुआ नाम गणेश की इस पूजन विधि से करेंगे आराधना तो पूरी हो जाएगी हर मनोकामना ये हैं पोटली वाले गणपति बप्पा, रुकी हुई शादियों की मन्नत करते हैं पूरी Read the full article
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astroclasses · 3 years
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karanaram · 3 years
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🚩जानिए भगवान शिवजी ने हनुमानजी का अवतार क्यों लिया था? -26 अप्रैल 2021
🚩हनुमानजी का अवतार त्रेतायुग में चैत्र पूर्णिमा को मंगलवार के दिन चित्रा नक्षत्र व मेष लग्न के योग में सुबह 6:03 बजे हुआ था। हनुमानजी भगवान शिवजी के 11वें रुद्रावतार, सबसे बलवान और बुद्धिमान हैं।
🚩इस दिन हनुमानजी का तारक एवं मारक तत्त्व अत्यधिक मात्रा में अर्थात अन्य दिनों की तुलना में एक हजार गुना अधिक कार्यरत होता है। इससे वातावरण की सात्त्विकता बढती है एवं रज-तम कणों का विघटन होता है। विघटन का अर्थ है- 'रज-तम की मात्रा अल्प होना।' इस दिन हनुमानजी की उपासना करनेवाले भक्तों को हनुमानजी के तत्त्व का अधिक लाभ होता है।
🚩हनुमानजी के पिता सुमेरू पर्वत के वानरराज राजा केसरी तथा माता अंजना हैं। हनुमान जी को पवनपुत्र के नाम से भी जाना जाता है क्योंकि पवन देवता ने हनुमानजी को पालने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।
🚩हनुमानजी को बजरंगबली के रूप में जाना जाता है क्योंकि हनुमानजी का शरीर वज्र की तरह है।
🚩पृथ्वी पर सात मनीषियों को अमरत्व (चिरंजीवी होने) का वरदान प्राप्त है, उनमें बजरंगबली भी हैं। हनुमानजी आज भी पृथ्वी पर विचरण करते हैं।
🚩हनुमानजी नाम कैसे रखा गया?
🚩एक दिन हनुमानजी को आश्रम में छोड़कर अंजनी मात��� फल लाने के लिये चली गईं। जब शिशु हनुमानजी को भूख लगी तो वे उगते हुये सूर्य को फल समझकर उसे पकड़ने के लिए आकाश में उड़ने लगे। उनकी सहायता के लिये पवनदेव भी बहुत तेजी से चले। उधर भगवान सूर्य ने उन्हें अबोध शिशु समझकर अपने तेज से जलने नहीं दिया। जिस समय हनुमानजी सूर्य को पकड़ने के लिये लपके, उसी समय राहु सूर्य पर ग्रहण लगाना चाहता था। हनुमानजी ने सूर्य के ऊपरी भाग में जब राहु का स्पर्श किया तो वह भयभीत होकर वहाँ से भाग गया। उसने इन्द्र के पास जाकर शिकायत की, "देवराज! आपने मुझे अपनी क्षुधा शान्त करने के साधन के रूप में सूर्य और चन्द्र दिये थे। आज अमावस्या के दिन जब मैं सूर्य को ग्रस्त करने गया तब देखा कि दूसरा राहु सूर्य को पकड़ने जा रहा है।"
राहु की बात सुनकर इन्द्र घबरा गये और उसे साथ लेकर सूर्य की ओर चल पड़े। राहु को देखकर हनुमानजी सूर्य को छोड़ राहु पर झपटे। राहु ने इन्द्र को रक्षा के लिये पुकारा तो उन्होंने हनुमानजी पर वज्र से प्रहार किया जिससे वे एक पर्वत पर गिरे और उनकी बायीं ठुड्डी टूट गई।
हनुमानजी की यह दशा देखकर वायुदेव को क्रोध आया। उन्होंने उसी क्षण अपनी गति रोक दी। जिससे संसार का कोई भी प्राणी साँस न ले सका और सब पीड़ा से तड़पने लगे। तब सारे सुर,असुर, यक्ष, किन्नर आदि ब्रह्माजी की शरण में गये। ब्रह्माजी उन सबको लेकर वायुदेव के पास गये। वे मूर्छित हनुमानजी को गोद में लिये उदास बैठे थे। जब ब्रह्माजी ने उन्हें जीवित किया तो वायुदेव ने अपनी गति का संचार करके सभी प्राणियों की पीड़ा दूर की। फिर ब्रह्माजी ने उन्हें वरदान दिया कि कोई भी शस्त्र इनके अंग को हानि नहीं कर सकता। इन्द्र ने भी वरदान दिया कि इनका शरीर वज्र से भी कठोर होगा। सूर्यदेव ने कहा कि वे उसे अपने तेज का शतांश प्रदान करेंगे तथा शास्त्र मर्मज्ञ होने का भी आशीर्वाद दिया। वरुण ने कहा कि मेरे पाश और जल से यह बालक सदा सुरक्षित रहेगा। यमदेव ने अवध्य और नीरोग रहने का आशीर्वाद दिया। यक्षराज कुबेर, विश्वकर्मा आदि देवों ने भी अमोघ वरदान दिये।
इन्द्र के वज्र से हनुमानजी की ठुड्डी (संस्कृत में हनु) टूट गई थी, जो पुनः जोड़ी गई। इसलिये उनको "हनुमान" नाम दिया गया।
🚩इसके अलावा ये अनेक नामों से प्रसिद्ध हैं, जैसे- बजरंगबली, मारुति, अंजनीसुत, पवनपुत्र, संकटमोचन, केसरीनन्दन, महावीर, कपीश, बालाजी महाराज आदि। इस प्रकार हनुमानजी के 108 नाम हैं और हर नाम का मतलब उनके जीवन के अध्यायों का सार बताता है।
🚩हनुमानजी के ध्यान का मंत्र:
मनोजवं मारुततुल्यवेगं, जितेन्द्रियं बुद्धिमतां वरिष्ठम्।
वातात्मजं वानरयूथ मुख्यं, श्रीरामदूतं शरणं प्रपद्ये।
'मन और वायु के समान जिनकी गति है, जो जितेन्द्रिय हैं, बुद्धिमानों में जो अग्रगण्य हैं, पवनपुत्र हैं, वानरों के नायक हैं, ऐसे श्रीरामभक्त हनुमान की शरण में मैं हूँ।
🚩जिसको घर में कलह, क्लेश मिटाना हो, रोग या शारीरिक दुर्बलता मिटानी हो, वह नीचे की चौपाई की पुनरावृत्ति किया करे...
बुद्धिहीन तनु जानिके, सुमिरौं पवन कुमार।
बल बुद्धि बिद्या देहु मोहिं, हरहु कलेस बिकार ||
🚩चौपाई - अष्ट सिद्धि नौ निधि के दाता । अस बर दीन्ह जानकी माता ।। (31)
यह हनुमान चालीसा की एक चौपाई है जिसमें तुलसीदासजी लिखते हैं कि हनुमानजी अपने भक्तों को आठ प्रकार की सिद्धियाँ तथा नौ प्रकार की निधियाँ प्रदान कर सकते ह���ं- ऐसा सीता माता ने उन्हें वरदान दिया है।
ये अष्ट सिद्धियां बड़ी ही चमत्कारिक होती हैं जिनकी बदौलत हनुमानजी ने असंभव से लगनेवाले काम आसानी से सम्पन्न किये थे।
🚩आइये अब हम आपको इन अष्ट सिद्धियों व नौ निधियों के बारे में विस्तार से बताते हैं।
🚩आठ सिद्धियाँ :
हनुमानजी को जिन आठ सिद्धियों का स्वामी तथा दाता बताया गया है वे सिद्धियां इस प्रकार हैं-
1.अणिमा: इस सिद्धि के बल पर हनुमानजी कभी भी अति सूक्ष्म रूप धारण कर सकते हैं।
इस सिद्धि का उपयोग हनुमानजी ने तब किया जब वे समुद्र पार कर लंका पहुंचे थे। हनुमानजी ने अणिमा सिद्धि का उपयोग करके अति सूक्ष्म रूप धारण किया और पूरी लंका का निरीक्षण किया था। अति सूक्ष्म होने के कारण हनुमानजी के विषय में लंका के लोगों को पता तक नहीं चला।
2. महिमा: इस सिद्धि के बल पर हनुमान ने कई बार विशाल रूप धारण किया है।
जब हनुमानजी समुद्र पार करके लंका जा रहे थे, तब बीच रास्ते में सुरसा नामक राक्षसी ने उनका रास्ता रोक लिया था। उस समय सुरसा को परास्त करने के लिए हनुमानजी ने स्वयं का रूप सौ योजन तक बड़ा कर लिया था।
इसके अलावा माता सीता को श्रीराम की वानर सेना पर विश्वास दिलाने के लिए महिमा सिद्धि का प्रयोग करते हुए स्वयं का रूप अत्यंत विशाल कर लिया था।
3. गरिमा: इस सिद्धि की मदद से हनुमानजी स्वयं का भार किसी विशाल पर्वत के समान कर सकते हैं।
गरिमा सिद्धि का उपयोग हनुमानजी ने महाभारत काल में भीम के समक्ष किया था। एक समय भीम को अपनी शक्ति पर घमंड हो गया था। उस समय भीम का घमंड तोड़ने के लिए हनुमानजी एक वृद्ध वानर रूप धारण करके रास्ते में अपनी पूंछ फैलाकर बैठे हुए थे। भीम ने देखा कि एक वानर की पूंछ रास्ते में पड़ी हुई है, तब भीम ने वृद्ध वानर से कहा कि वे अपनी पूंछ रास्ते से हटा लें। तब वृद्ध वानर ने कहा कि मैं वृद्धावस्था के कारण अपनी पूंछ हटा नहीं सकता, आप स्वयं हटा दीजिए। इसके बाद भीम वानर की पूंछ हटाने लगे, लेकिन पूंछ टस से मस नहीं हुई। भीम ने पूरी शक्ति का उपयोग किया, लेकिन सफलता नहीं मिली। इस प्रकार भीम का घमंड टूट गया। पवनपुत्र हनुमानजी के भाई थे भीम क्योंक‍ि वह भी पवनपुत्र के बेटे थे।
4. लघिमा: इस सिद्धि से हनुमानजी स्वयं का भार बिल्कुल हल्का कर सकते हैं और पलभर में वे कहीं भी आ-जा सकते हैं।
जब हनुमानजी अशोक वाटिका में पहुंचे, तब वे अणिमा और लघिमा सिद्धि के बल पर सूक्ष्म रूप धारण करके अशोक वृक्ष के पत्तों में छिपे थे। इन पत्तों पर बैठे-बैठे ही सीता माता को अपना परिचय दिया था।
5. प्राप्ति: इस सिद्धि की मदद से हनुमानजी किसी भी वस्तु को तुरंत ही प्राप्त कर लेते हैं। पशु-पक्षियों की भाषा को समझ लेते हैं, आने वाले समय को देख सकते हैं।
रामायण में इस सिद्धि के उपयोग से हनुमानजी ने सीता माता की खोज करते समय कई पशु-पक्षियों से चर्चा की थी। माता सीता को अशोक वाटिका में खोज लिया था।
6. प्राकाम्य: इसी सिद्धि की मदद से हनुमानजी पृथ्वी की गहराइयों में पाताल तक जा सकते हैं, आकाश में उड़ सकते हैं और मनचाहे समय तक पानी में भी जीवित रह सकते हैं। इस सिद्धि से हनुमानजी चिरकाल तक युवा ही रहेंगे। साथ ही, वे अपनी इच्छा के अनुसार किसी भी देह को प्राप्त कर सकते हैं। इस सिद्धि से वे किसी भी वस्तु को चिरकाल तक प्राप्त कर सकते हैं।
इस सिद्धि की मदद से ही हनुमानजी ने श्रीराम की भक्ति को चिरकाल तक प्राप्त कर लिया है।
7. ईशित्व: इस सिद्धि की मदद से हनुमानजी को दैवीय शक्तियां प्राप्त हुई हैं।
ईशित्व के प्रभाव से हनुमानजी ने पूरी वानर सेना का कुशल नेतृत्व किया था। इस सिद्धि के कारण ही उन्होंने सभी वानरों पर श्रेष्ठ नियंत्रण रखा। साथ ही, इस सिद्धि से हनुमानजी किसी मृत प्राणी को भी फिर से जीवित कर सकते हैं।
8. वशित्व: इस सिद्धि के प्रभाव से हनुमानजी जितेंद्रिय हैं और मन पर नियंत्रण रखते हैं।
वशित्व के कारण हनुमानजी किसी भी प्राणी को तुरंत ही अपने वश में कर लेते हैं। हनुमान के वश में आने के बाद प्राणी उनकी इच्छा के अनुसार ही कार्य करता है। इसी के प्रभाव से हनुमानजी अतुलित बल के धाम हैं।
🚩नौ निधियां :
हनुमानजी प्रसन्न होने पर जो नौ निधियां भक्तों को देते है वो इस प्रकार हैं :-
1. पद्म निधि : पद्मनिधि लक्षणों से संपन्न मनुष्य सात्विक होता है तथा स्वर्ण चांदी आदि का संग्रह करके दान करता है।
2. महापद्म निधि : महापद्म निधि से लक्षित व्यक्ति अपने संग्रहित धन आदि का दान धार्मिक जनों में करता है।
3. नील निधि : नील निधि से सुशोभित मनुष्य सात्विक तेज से संयुक्त होता है। उसकी संपत्ति तीन पीढ़ी तक रहती है।
4. मुकुंद निधि : मुकुन्द निधि से लक्षित मनुष्य रजोगुण संपन्न होता है और वह राज्यसंग्रह में लगा रहता है।
5. नन्द निधि : नन्द निधि युक्त व्यक्ति राजस और तामस गुणोंवाला होता है और वही कुल का आधार होता है।
6. मकर निधि : मकर निधि संपन्न पुरुष अस्त्रों का संग्रह करनेवाला होता है।
7. कच्छप निधि : कच्छप निधि लक्षित व्यक्ति तामस गुणवाला होता है; वह अपनी संपत्ति का स्वयं उपभोग करता है।
8. शंख निधि : शंख निधि एक पीढ़ी के लिए होती है।
9. खर्व निधि : खर्व निधिवाले व्यक्ति के स्वभाव में मिश्रित फल दिखाई देते हैं।
🚩हनुमानजी का पराक्रम अवर्णनीय है। आज के आधुनिक युग में ईसाई मिशनरियां अपने स्कूलों में पढ़ाती हैं कि हनुमानजी भगवान नहीं थे, एक बंदर थे। बन्दर कहनेवाले पहले अपनी बुद्धि का इलाज कराएं। हनुुमानजी शिवजी का अवतार हैं। भगवान श्रीराम के कार्य में साथ देने (राक्षसों का नाश और धर्म की स्थापना करने) के लिए भगवान शिवजी ने हनुमानजी का अवतार धारण किया था।
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kisansatta · 4 years
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पढ़ें आज का राशिफल
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ग्रहों की स्थिति-राहु वृषभ राशि में हैं। शुक्र और केतु वृश्चिक राशि में हैं। सूर्य और बुध धनु राशि में हैं। गुरु और शनि मकर राशि में हैं। मंगल और चंद्रमा मीन राशि में लक्ष्‍मी योग बनाकर चल रहे हैं। गुरु और शनि के संयोग के अलावा ग्रहों की स्थिति ठीक चल रही है।
राशिफल–
मेष-खर्च की अधिकता, अज्ञात भय, अनिद्रा, नेत्र विकार आदि से जूझेंगे। कोई बड़ी परेशानी नहीं होने वाली है। थोड़ा डिस्‍टर्ब फील जरूर करेंगे। स्‍वास्‍थ्‍य मध्‍यम, प्रेम अच्‍छा, व्‍यापार करीब-करीब ठीक रहेगा। बजरंग बली की अराधना करते रहें।
वृषभ-रुका हुआ धन वापस मिलेगा। आय के नवीन स्रोत बनेंगे। शुभ समाचार की प्राप्ति होगी। अत्‍यंत सुखमय समय है। स्‍वास्‍थ्‍य पर जरूर ध्‍यान दें। मध्‍यम चल रहा है। प्रेम, व्‍यापार आपका अच्‍छा चल रहा है। लाल वस्‍तु का दान करते रहें।
मिथुन-कोर्ट कचहरी में विजय के संकेत हैं। सरकारी तंत्र से लाभ मिल सकता है। स्‍वास्‍थ्‍य अच्‍छा, प्रेम मध्‍यम, वैज्ञानिक दृष्टिकोण से उत्‍तम समय है। हनुमान मंदिर में मसूर की दाल दान करें। अच्‍छा होगा।
कर्क-भाग्‍य साथ देगा। अच्‍छी स्थिति दिख रही है। प्रेमालाप होगा। नवप्रेम का आगमन हो सकता है। नए व्‍यापार की शुरुआत या उसकी बातचीत, कुछ पहल सम्‍भव है। बजरंग बाण का पाठ निरंतर करते रहें।
सिंह-किसी परेशानी में पड़ सकते हैं। चोट लग सकती है। परिस्थितियां विपरीत दिख रही हैं। बचकर पार करें। स्‍वास्‍थ्‍य, प्रेम मध्‍यम है। व्‍यापार करीब-करीब ठीक दिख रहा है। हनुमान चालीसा का पाठ करते रहें। बजरंग बली की अराधना करते रहें।
कन्‍या-जीवनसाथी का सानिध्‍य मिलेगा। रोजी-रोजगार में तरक्‍की करेंगे। स्‍वास्‍थ्‍य मध्‍यम से अच्‍छे की तरफ है। व्‍यापार और प्रेम परवान चढ़ रहा है। बजरंग बली की अराधना करते रहें।
तुला-विरोधियों पर भारी पड़ेंगे। बुजुर्गों का आशीर्वाद मिलेगा। कुछ रहस्‍य सामने आएंगे जो आपके हक में होंगे। स्‍वास्‍थ्‍य मध्‍यम, प्रेम करीब-करीब मध्‍यम, व्‍यापार ठीक चलेगा। हनुमान जी की अराधना करते रहें।
वृश्चिक-भावनाओं में बहकर कोई निर्णय न लें। पुलिस, सेना, एनसीसी, जो वर्दी वाले लोग हैं, उनके लिए आज विशेष फायदे का दिन रहेगा। स्‍वास्‍थ्‍य ठीक, प्रेम में कोलाहल, व्‍यापारिक दृष्टिकोण से सही चल रहे हैं आप। पीली वस्‍तु पास रखें।
धनु-स्थिति अच्‍छी है। जमीन से सम्‍बन्धित कुछ काम आपके बनेंगे। मां के स्‍वास्‍थ्‍य पर ध्‍यान दें। गृहकलह से बचें। स्‍वास्‍थ्‍य मध्‍यम, प्रेम अच्‍छा, व्‍यापार अच्‍छा चल रहा है। केसर का तिलक लगाएं। बजरंग बाण का पाठ करें।
मकर-पराक्रम करने का समय है। योजनाओं को कार्यरूप दें। एक अच्‍छे समय की बात कही जा सकती है इस समय। स्‍वास्‍थ्‍य, प्रेम, व्‍यापार सब कुछ अद्भुत दिख रहा है। हनुमान जी की अराधना करते रहें।
कुंभ-कठोर भाषा के प्रयोग से बचें। किसी को भी नकद रुपए न दें। रुकें जरा। स्‍वास्‍थ्‍य मध्‍यम, प्रेम अच्‍छा, व्‍यापार भी अच्‍छा चल रहा है। लाल वस्‍तु का दान करें।
मीन-भाग्‍यवर्धक समय है। कुछ अच्‍छा होने वाला है। अद्भुत समय कहा जा सकता है इसको। लक्ष्‍मी योग का निर्माण आपके लग्‍न में हो रहा है। स्‍वास्‍थ्‍य, प्रेम बहुत अच्‍छा, व्‍यापार बहुत अच्‍छा है। फिर भी स्‍वास्‍थ्‍य पर ध्‍यान दें, क्‍योंकि आपका लग्‍नेश नीच का है। पीली वस्‍तु, भगवान विष्‍णु की अराधना करते रहें।
https://kisansatta.com/read-todays-horoscope/ #ReadTodaySHoroscope Read today's horoscope Culture, Religious, Trending #Culture, #Religious, #Trending KISAN SATTA - सच का संकल्प
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blogalien · 3 years
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श्री झुलेलाल चालीसा : रतनलाल रतनाणी नंदन I जयति देवकी सुत जग वंदन
श्री झुलेलाल चालीसा : रतनलाल रतनाणी नंदन I जयति देवकी सुत जग वंदन
श्री झुलेलाल चालीसा हिंदी में  Shri Jhulelal Chalisa In Hindi     श्री झुलेलाल चालीसा सिन्धी हिन्दुओं के ‘इष्ट देवता’ झुलेलाल जी का पावन चालीसा हैं ! झुलेलाल जी के उपासक उन्हें जल देवता का अवतार मानते हैं। भगवान श्री झूलेलाल जी के अवतरण दिवस को सिंधी समाज चेटीचंड के रूप में बड़े धूम धाम से मानते है।   -: अन्य चालीसा संग्रह :- दुर्गा चालीसा  लक्ष्मी चालीसा सूर्य चालीसा शीतला चालीसा गायत्री…
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lyricsstopus · 4 years
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लक्ष्मी आरती Laxmi Aarti Lyrics in Hindi, ओम जय मां लक्ष्मी माता, Maha Laxmi Maa Diwali Aarti Puja
लक्ष्मी आरती: हिन्दू धर्म में माँ लक्ष्मी जिन्हें धन की देवी भी कहा जाता है, की पूजा का बहुत ही विशेष महत्व होता है। जिस घर में माँ लक्ष्मी का वास होता है उस घर की क़िस्मत बदल जाती है। जिस घर या जिन लोगों पर माँ लक्ष्मी की कृपा होती है वहां सदैव ही सुख ,शांति एवं समृद्धि का वास होता है।
पौराणिक कथाओं के अनुसार माँ लक्ष्मी की उत्पत्ति समुद्र मंथन के पश्चात हुई थी जिनकी कृपा मात्र से ही भाग्य परिवर्तन हो जाता है। यही कारण है की माँ लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए लोग तरह तरह के प्रयास करते रहते हैं और इनमे से ही एक है माँ की आरती का पाठ करना।
हिन्दू धर्म में दिवाली पर सर्वप्रथम माँ लक्ष्मी और गणेश जी की पूजा की जाती है और तत्पश्चात उनकी आरती करके ही माँ का आर्शीवाद प्राप्त किया जाता है। जब तक लक्ष्मी जी की पूजा के पश्चात उनकी आरती नहीं की जाती तब तक पूजा अर्चना को पूर्ण नहीं माना जाता है।
इनके अलावा भगवान विष्णु की अर्धांगिनी माता लक्ष्मी की आरती बृहस्पतिवार और शुक्रवार को भी करके उन्हें प्रसन्न एवं उनका आशीर्वाद प्राप्त किया जा सकता है।
तो आइये चलिए बिना विलम्ब किये हम माँ लक्ष्मी की आरती करते हैं।
Laxmi Aarti Lyrics in Hindi – लक्ष्मी आरती
महालक्ष्मी नमस्तुभ्यं, नमस्तुभ्यं सुरेश्वरि । हरि प्रिये नमस्तुभ्यं, नमस्तुभ्यं दयानिधे ॥
पद्मालये नमस्तुभ्यं, नमस्तुभ्यं च सर्वदे । सर्वभूत हितार्थाय, वसु सृष्टिं सदा कुरुं ॥
ॐ जय लक्ष्मी माता, मैया जय लक्ष्मी माता । तुमको निसदिन सेवत, हर विष्णु विधाता ॥
उमा, रमा, ब्रम्हाणी, तुम ही जग माता । सूर्य चद्रंमा ध्यावत, नारद ऋषि गाता ॥ ॥ॐ जय लक्ष्मी माता…॥
दुर्गा रुप निरंजनि, सुख-संपत्ति दाता । जो कोई तुमको ध्याता, ऋद्धि-सिद्धि धन पाता ॥ ॥ॐ जय लक्ष्मी माता…॥
तुम ही पाताल निवासनी, तुम ही शुभदाता । कर्म-प्रभाव-प्रकाशनी, भव निधि की त्राता ॥ ॥ॐ जय लक्ष्मी माता…॥
जिस घर तुम रहती हो, ताँहि में हैं सद्‍गुण आता । सब सभंव हो जाता, मन नहीं घबराता ॥ ॥ॐ जय लक्ष्मी माता…॥
तुम बिन यज्ञ ना होता, वस्त्र न कोई पाता । खान पान का वैभव, सब तुमसे आता ॥ ॥ॐ जय लक्ष्मी माता…॥
शुभ गुण मंदिर सुंदर, क्षीरोदधि जाता । रत्न चतुर्दश तुम बिन, कोई नहीं पाता ॥ ॥ॐ जय लक्ष्मी माता…॥
महालक्ष्मी जी की आरती, जो कोई नर गाता । उँर आंनद समाता, पाप उतर जाता ॥ ॥ॐ जय लक्ष्मी माता…॥
ॐ जय लक्ष्मी माता, मैया जय लक्ष्मी माता । तुमको निसदिन सेवत, हर विष्णु विधाता ॥
लक्ष्मी आरती Audio
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लक्ष्मी आरती
You can also listen Maa Lakshmi Aarti on YouTube.
Maha Laxmi Aarti FAQ
लक्ष्मी आरती का क्या महत्व है ?
माँ लक्ष्मी या माता जी को धन की देवी कहा जाता है और उनके आर्शीवाद से घर में सुख, शांति एवं समृद्धि का वास होता है.
लक्ष्मी आरती कब की जाती है?
लक्ष्मी आरती विशेतः दिवाली पूजा के पश्चात की जाती है। माता लक्ष्मी की आरती बृहस्पतिवार और शुक्रवार को भी करके उन्हें प्रसन्न एवं उनका आशीर्वाद प्राप्त किया जा सकता है।
लक्ष्मी जी की उत्पत्ति कब हुई थी ?
पौराणिक कथाओं के अनुसार माँ लक्ष्मी की उत्पत्ति समुद्र मंथन के पश्चात हुई थी जिनकी कृपा मात्र से ही भाग्य परिवर्तन हो जाता है।
माँ लक्ष्मी जी को किसकी अर्धांगिनी स्वरुप पूजा जाता है?
माता लक्ष्मी की पूजा भगवान विष्णु की अर्धांगिनी स्वरुप किया जाता है।
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