संकष्टी चतुर्थी व्रत आज, इस विधि से पूजा करने पर जरूर प्रसन्न होंगे गणपति महाराज
चैतन्य भारत न्यूज
संकष्टी गणेश चतुर्थी का त्योहार हिंदू धर्म के प्रमुख त्योहारों में से एक है। इस दिन गणेश जी की अराधना की जाती है। कहा जाता है जो भी भक्त गणेश जी की पूजा सच्चे मन से करते हैं उनकी हर मनोकामना पूरी होती है। इस बार 27 जुलाई को संकष्टी गणेश चतुर्थी है। आइए जानते हैं संकष्टी गणेश चतुर्थी का महत्व और पूजा-विधि।
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संकष्टी गणेश चतुर्थी का महत्व
भगवान गणेश को सभी देवताओं में सर्वप्रथम पूजनीय माना गया है। इसलिए हमारे शास्त्र में गणेश चतुर्थी की महिमा का बहुत बड़ा महत्व है। इस दिन भगवान श्रीगणेश का विधि-विधान से पूजन और व्रत करने से जीवन में निरंतर सफलता प्राप्त होती है। मान्यता है कि जो श्रद्धालु गणेश चतुर्थी का उपवास करते हैं भगवान गणेश उसे ज्ञान और धैर्य का आशीर्वाद देते हैं। साथ ही उनके सारे दुःख हर लेते हैं।
संकष्टी गणेश चतुर्थी पूजा-विधि
सुबह के समय जल्दी उठकर स्नान आदि करके लाल रंग के वस्त्र धारण करें और सूर्य भगवान को तांबे के लोटे से अर्घ्य दें।
व्रत संकल्प मंत्र के बाद श्रीगणेश की षोड़शोपचार पूजन-आरती करें और मूर्ति पर सिंदूर चढ़ाएं।
पूजन के समय श्री गणेश स्तोत्र, अथर्वशीर्ष, संकटनाशक गणेश स्त्रोत का पाठ करें।
ब्राह्मण को भोजन करवाकर दक्षिणा दें।
शाम के समय गणेश चतुर्थी कथा, श्रद्धानुसार गणेश स्तुति, श्री गणेश सहस्रनामावली, गणेश चालीसा, गणेश पुराण आदि का पाठ करें।
पूजा के दौरान भगवान श्री गणेश के बीज मंत्रों का जप भी करना चाहिए।
इसके बाद भगवान गणेश के आगे दीप जला कर फूलों की माला अर्पित करें।
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गणेश की इस पूजन विधि से करेंगे आराधना तो पूरी हो जाएगी हर मनोकामना
ये हैं पोटली वाले गणपति बप्पा, रुकी हुई शादियों की मन्नत करते हैं पूरी
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संकष्टी चतुर्थी व्रत आज, इस विधि से पूजा करने पर जरूर प्रसन्न होंगे गणपति महाराज
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संकष्टी गणेश चतुर्थी का त्योहार हिंदू धर्म के प्रमुख त्योहारों में से एक है। इस दिन गणेश जी की अराधना की जाती है। कहा जाता है जो भी भक्त गणेश जी की पूजा सच्चे मन से करते हैं उनकी हर मनोकामना पूरी होती है। इस बार 27 जुलाई को संकष्टी गणेश चतुर्थी है। आइए जानते हैं संकष्टी गणेश चतुर्थी का महत्व और पूजा-विधि।
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संकष्टी गणेश चतुर्थी का महत्व
भगवान गणेश को सभी देवताओं में सर्वप्रथम पूजनीय माना गया है। इसलिए हमारे शास्त्र में गणेश चतुर्थी की महिमा का बहुत बड़ा महत्व है। इस दिन भगवान श्रीगणेश का विधि-विधान से पूजन और व्रत करने से जीवन में निरंतर सफलता प्राप्त होती है। मान्यता है कि जो श्रद्धालु गणेश चतुर्थी का उपवास करते हैं भगवान गणेश उसे ज्ञान और धैर्य का आशीर्वाद देते हैं। साथ ही उनके सारे दुःख हर लेते हैं।
संकष्टी गणेश चतुर्थी पूजा-विधि
सुबह के समय जल्दी उठकर स्नान आदि करके लाल रंग के वस्त्र धारण करें और सूर्य भगवान को तांबे के लोटे से अर्घ्य दें।
व्रत संकल्प मंत्र के बाद श्रीगणेश की षोड़शोपचार पूजन-आरती करें और मूर्ति पर सिंदूर चढ़ाएं।
पूजन के समय श्री गणेश स्तोत्र, अथर्वशीर्ष, संकटनाशक गणेश स्त्रोत का पाठ करें।
ब्राह्मण को भोजन करवाकर दक्षिणा दें।
शाम के समय गणेश चतुर्थी कथा, श्रद्धानुसार गणेश स्तुति, श्री गणेश सहस्रनामावली, गणेश चालीसा, गणेश पुराण आदि का पाठ करें।
पूजा के दौरान भगवान श्री गणेश के बीज मंत्रों का जप भी करना चाहिए।
इसके बाद भगवान गणेश के आगे दीप जला कर फूलों की माला अर्पित करें।
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संकष्टी चतुर्थी व्रत आज, इस विधि से पूजा करने पर जरूर प्रसन्न होंगे गणपति महाराज
चैतन्य भारत न्यूज
संकष्टी गणेश चतुर्थी का त्योहार हिंदू धर्म के प्रमुख त्योहारों में से एक है। इस दिन गणेश जी की अराधना की जाती है। कहा जाता है जो भी भक्त गणेश जी की पूजा सच्चे मन से करते हैं उनकी हर मनोकामना पूरी होती है। इस बार 31 मार्च को संकष्टी गणेश चतुर्थी है। आइए जानते हैं संकष्टी गणेश चतुर्थी का महत्व और पूजा-विधि।
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संकष्टी गणेश चतुर्थी का महत्व
भगवान गणेश को सभी देवताओं में सर्वप्रथम पूजनीय माना गया है। इसलिए हमारे शास्त्र में गणेश चतुर्थी की महिमा का बहुत बड़ा महत्व है। इस दिन भगवान श्रीगणेश का विधि-विधान से पूजन और व्रत करने से जीवन में निरंतर सफलता प्राप्त होती है। मान्यता है कि जो श्रद्धालु गणेश चतुर्थी का उपवास करते हैं भगवान गणेश उसे ज्ञान और धैर्य का आशीर्वाद देते हैं। साथ ही उनके सारे दुःख हर लेते हैं।
संकष्टी गणेश चतुर्थी पूजा-विधि
सुबह के समय जल्दी उठकर स्नान आदि करके लाल रंग के वस्त्र धारण करें और सूर्य भगवान को तांबे के लोटे से अर्घ्य दें।
व्रत संकल्प मंत्र के बाद श्रीगणेश की षोड़शोपचार पूजन-आरती करें और मूर्ति पर सिंदूर चढ़ाएं।
पूजन के समय श्री गणेश स्तोत्र, अथर्वशीर्ष, संकटनाशक गणेश स्त्रोत का पाठ करें।
ब्राह्मण को भोजन करवाकर दक्षिणा दें।
शाम के समय गणेश चतुर्थी कथा, श्रद्धानुसार गणेश स्तुति, श्री गणेश सहस्रनामावली, गणेश चालीसा, गणेश पुराण आदि का पाठ करें।
पूजा के दौरान भगवान श्री गणेश के बीज मंत्रों का जप भी करना चाहिए।
इसके बाद भगवान गणेश के आगे दीप जला कर फूलों की माला अर्पित करें।
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ये हैं पोटली वाले गणपति बप्पा, रुकी हुई शादियों की मन्नत करते हैं पूरी
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संकष्टी चतुर्थी व्रत आज, इस विधि से पूजा करने पर जरूर प्रसन्न होंगे गणपति महाराज
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संकष्टी गणेश चतुर्थी का त्योहार हिंदू धर्म के प्रमुख त्योहारों में से एक है। इस दिन गणेश जी की अराधना की जाती है। कहा जाता है जो भी भक्त गणेश जी की पूजा सच्चे मन से करते हैं उनकी हर मनोकामना पूरी होती है। इस बार 02 मार्च को संकष्टी गणेश चतुर्थी है। आइए जानते हैं संकष्टी गणेश चतुर्थी का महत्व और पूजा-विधि।
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संकष्टी गणेश चतुर्थी का महत्व
भगवान गणेश को सभी देवताओं में सर्वप्रथम पूजनीय माना गया है। इसलिए हमारे शास्त्र में गणेश चतुर्थी की महिमा का बहुत बड़ा महत्व है। इस दिन भगवान श्रीगणेश का विधि-विधान से पूजन और व्रत करने से जीवन में निरंतर सफलता प्राप्त होती है। मान्यता है कि जो श्रद्धालु गणेश चतुर्थी का उपवास करते हैं भगवान गणेश उसे ज्ञान और धैर्य का आशीर्वाद देते हैं। साथ ही उनके सारे दुःख हर लेते हैं।
संकष्टी गणेश चतुर्थी पूजा-विधि
सुबह के समय जल्दी उठकर स्नान आदि करके लाल रंग के वस्त्र धारण करें और सूर्य भगवान को तांबे के लोटे से अर्घ्य दें।
व्रत संकल्प मंत्र के बाद श्रीगणेश की षोड़शोपचार पूजन-आरती करें और मूर्ति पर सिंदूर चढ़ाएं।
पूजन के समय श्री गणेश स्तोत्र, अथर्वशीर्ष, संकटनाशक गणेश स्त्रोत का पाठ करें।
ब्राह्मण को भोजन करवाकर दक्षिणा दें।
शाम के समय गणेश चतुर्थी कथा, श्रद्धानुसार गणेश स्तुति, श्री गणेश सहस्रनामावली, गणेश चालीसा, गणेश पुराण आदि का पाठ करें।
पूजा के दौरान भगवान श्री गणेश के बीज मंत्रों का जप भी करना चाहिए।
इसके बाद भगवान गणेश के आगे दीप जला कर फूलों की माला अर्पित करें।
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खजराना गणेश मंदिर ने रचा इतिहास, इस मामले में वर्ल्ड बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में दर्ज हुआ नाम
गणेश की इस पूजन विधि से करेंगे आराधना तो पूरी हो जाएगी हर मनोकामना
ये हैं पोटली वाले गणपति बप्पा, रुकी हुई शादियों की मन्नत करते हैं पूरी
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आज है संकष्टी चतुर्थी, व्रत रखने वाले इस विधि से करें भगवान गणेश की पूजा
चैतन्य भारत न्यूज
हिंदू धर्म में किसी भी शुभ कार्य को शुरू करने से पहले भगवान गणेश की पूजा-अर्चना की जाती है। भगवान गणेश की पूजा का महत्व संकष्टी चतुर्थी के दिन और भी बढ़ जाता है। इस बार संकष्टी चतुर्थी 10 मई को है। आइए जानते हैं संकष्टी चतुर्थी का महत्व और इसकी पूजा-विधि।
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संकष्टी चतुर्थी का महत्व
संकष्टी चतुर्थी हर महीने की कृष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को मनाई जाती है। पूर्णिमा के बाद आने वाली चतुर्थी को संकष्टी चतुर्थी कहते हैं। इस दिन भगवान गणेश जी की आराधना की जाती है। मान्यता है कि, इस दिन सच्चे मन से भगवान गणेश की पूजा करने से घर में सुख-समृद्धि आती है। साथ ही गणेश जी की पूरे विधि-विधान के साथ पूजा करने से सारी इच्छाएं पूरी होती हैं।
संकष्टी चतुर्थी पूजा-विधि
संकष्टी चतुर्थी पर सूर्योदय से पहले उठकर स्नान कर स्वच्छ हो जाएं।
उसके बाद गणेश जी की पूजा आरंभ करें।
भगवान गणेश की पूजा करते वक्त पूर्व या फिर उत्तर दिशा की ओर मुंह करें।
गणपति जी की प्रतिमा के नीचे लाल रंग का कपड़ा बिछाएं।
श्री गणेश के सामने दीपक जलाएं और लाल गुलाब के पुष्प से भगवान को सजाएं।
गणेश जी की पूजा में तिल के लड्डू गुड़ रोली, मोली, चावल, पुष्प तांबे के लौटे में जल, धूप, प्रसाद के तौर पर केला और मोदक रखें।
पूजा के दौरान भगवान श्री गणेश के बीज मंत्रों का जप भी करना चाहिए।
संकष्टी चतुर्थी का उपवास तिल के लड्डू या तिल खाकर खोलना चाहिए।
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ये है भगवान गणेश का अनोखा मंदिर, जहां चोर करते थे चोरी के माल का बंटवारा, बप्पा को भी देते थे हिस्सा
आखिर क्यों पानी में ही किया जाता है गणेश जी का विसर्जन? जानिए वजह
घर में सुख-समृद्धि पाने के लिए बुधवार को भगवान गणेश की ऐसे करें पूजा
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आज है संकष्टी चतुर्थी, व्रत रखने वाले इस विधि से करें भगवान गणेश की पूजा
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हिंदू धर्म में किसी भी शुभ कार्य को शुरू करने से पहले भगवान गणेश की पूजा-अर्चना की जाती है। भगवान गणेश की पूजा का महत्व संकष्टी चतुर्थी के दिन और भी बढ़ जाता है। इस बार संकष्टी चतुर्थी 10 मई को है। आइए जानते हैं संकष्टी चतुर्थी का महत्व और इसकी पूजा-विधि।
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संकष्टी चतुर्थी का महत्व
संकष्टी चतुर्थी हर महीने की कृष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को मनाई जाती है। पूर्णिमा के बाद आने वाली चतुर्थी को संकष्टी चतुर्थी कहते हैं। इस दिन भगवान गणेश जी की आराधना की जाती है। मान्यता है कि, इस दिन सच्चे मन से भगवान गणेश की पूजा करने से घर में सुख-समृद्धि आती है। साथ ही गणेश जी की पूरे विधि-विधान के साथ पूजा करने से सारी इच्छाएं पूरी होती हैं।
संकष्टी चतुर्थी पूजा-विधि
संकष्टी चतुर्थी पर सूर्योदय से पहले उठकर स्नान कर स्वच्छ हो जाएं।
उसके बाद गणेश जी की पूजा आरंभ करें।
भगवान गणेश की पूजा करते वक्त पूर्व या फिर उत्तर दिशा की ओर मुंह करें।
गणपति जी की प्रतिमा के नीचे लाल रंग का कपड़ा बिछाएं।
श्री गणेश के सामने दीपक जलाएं और लाल गुलाब के पुष्प से भगवान को सजाएं।
गणेश जी की पूजा में तिल के लड्डू गुड़ रोली, मोली, चावल, पुष्प तांबे के लौटे में जल, धूप, प्रसाद के तौर पर केला और मोदक रखें।
पूजा के दौरान भगवान श्री गणेश के बीज मंत्रों का जप भी करना चाहिए।
संकष्टी चतुर्थी का उपवास तिल के लड्डू या तिल खाकर खोलना चाहिए।
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आज है संकष्टी चतुर्थी, व्रत रखने वाले इस विधि से करें भगवान गणेश की पूजा
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हिंदू धर्म में किसी भी शुभ कार्य को शुरू करने से पहले भगवान गणेश की पूजा-अर्चना की जाती है। भगवान गणेश की पूजा का महत्व संकष्टी चतुर्थी के दिन और भी बढ़ जाता है। इस बार संकष्टी चतुर्थी 11 अप्रैल को है। आइए जानते हैं संकष्टी चतुर्थी का महत्व और इसकी पूजा-विधि।
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संकष्टी चतुर्थी का महत्व
संकष्टी चतुर्थी हर महीने की कृष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को मनाई जाती है। पूर्णिमा के बाद आने वाली चतुर्थी को संकष्टी चतुर्थी कहते हैं। इस दिन भगवान गणेश जी की आराधना की जाती है। मान्यता है कि, इस दिन सच्चे मन से भगवान गणेश की पूजा करने से घर में सुख-समृद्धि आती है। साथ ही गणेश जी की पूरे विधि-विधान के साथ पूजा करने से सारी इच्छाएं पूरी होती हैं।
संकष्टी चतुर्थी पूजा-विधि
संकष्टी चतुर्थी पर सूर्योदय से पहले उठकर स्नान कर स्वच्छ हो जाएं।
उसके बाद गणेश जी की पूजा आरंभ करें।
भगवान गणेश की पूजा करते वक्त पूर्व या फिर उत्तर दिशा की ओर मुंह करें।
गणपति जी की प्रतिमा के नीचे लाल रंग का कपड़ा बिछाएं।
श्री गणेश के सामने दीपक जलाएं और लाल गुलाब के पुष्प से भगवान को सजाएं।
गणेश जी की पूजा में तिल के लड्डू गुड़ रोली, मोली, चावल, पुष्प तांबे के लौटे में जल, धूप, प्रसाद के तौर पर केला और मोदक रखें।
पूजा के दौरान भगवान श्री गणेश के बीज मंत्रों का जप भी करना चाहिए।
संकष्टी चतुर्थी का उपवास तिल के लड्डू या तिल खाकर खोलना चाहिए।
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संकष्टी चतुर्थी व्रत आज, इस विधि से पूजा करने पर जरूर प्रसन्न होंगे गणपति महाराज
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संकष्टी गणेश चतुर्थी का त्योहा�� हिंदू धर्म के प्रमुख त्योहारों में से एक है। इस दिन गणेश जी की अराधना की जाती है। कहा जाता है जो भी भक्त गणेश जी की पूजा सच्चे मन से करते हैं उनकी हर मनोकामना पूरी होती है। इस बार 12 मार्च को संकष्टी गणेश चतुर्थी है। आइए जानते हैं संकष्टी गणेश चतुर्थी का महत्व और पूजा-विधि।
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संकष्टी गणेश चतुर्थी का महत्व
भगवान गणेश को सभी देवताओं में सर्वप्रथम पूजनीय माना गया है। इसलिए हमारे शास्त्र में गणेश चतुर्थी की महिमा का बहुत बड़ा महत्व है। इस दिन भगवान श्रीगणेश का विधि-विधान से पूजन और व्रत करने से जीवन में निरंतर सफलता प्राप्त होती है। मान्यता है कि जो श्रद्धालु गणेश चतुर्थी का उपवास करते हैं भगवान गणेश उसे ज्ञान और धैर्य का आशीर्वाद देते हैं। साथ ही उनके सारे दुःख हर लेते हैं।
संकष्टी गणेश चतुर्थी पूजा-विधि
सुबह के समय जल्दी उठकर स्नान आदि करके लाल रंग के वस्त्र धारण करें और सूर्य भगवान को तांबे के लोटे से अर्घ्य दें।
व्रत संकल्प मंत्र के बाद श्रीगणेश की षोड़शोपचार पूजन-आरती करें और मूर्ति पर सिंदूर चढ़ाएं।
पूजन के समय श्री गणेश स्तोत्र, अथर्वशीर्ष, संकटनाशक गणेश स्त्रोत का पाठ करें।
ब्राह्मण को भोजन करवाकर दक्षिणा दें।
शाम के समय गणेश चतुर्थी कथा, श्रद्धानुसार गणेश स्तुति, श्री गणेश सहस्रनामावली, गणेश चालीसा, गणेश पुराण आदि का पाठ करें।
पूजा के दौरान भगवान श्री गणेश के बीज मंत्रों का जप भी करना चाहिए।
इसके बाद भगवान गणेश के आगे दीप जला कर फूलों की माला अर्पित करें।
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खजराना गणेश मंदिर ने रचा इतिहास, इस मामले में वर्ल्ड बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में दर्ज हुआ नाम
गणेश की इस पूजन विधि से करेंगे आराधना तो पूरी हो जाएगी हर मनोकामना
ये हैं पोटली वाले गणपति बप्पा, रुकी हुई शादियों की मन्नत करते हैं पूरी
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आज है संकष्टी चतुर्थी, व्रत रखने वाले इस विधि से करें पूजा, पूरी होगी मनोकामना
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हिंदू धर्म में किसी भी शुभ कार्य को शुरू करने से पहले भगवान गणेश जी की पूजा-अर्चना की जाती है। भगवान गणेश की पूजा का महत्व संकष्टी चतुर्थी के दिन और भी बढ़ जाता है। इस बार संकष्टी चतुर्थी 15 दिसंबर को पड़ रही है। आइए जानते हैं संकष्टी चतुर्थी का महत्व और इसकी पूजा-विधि।
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संकष्टी चतुर्थी का महत्व
संकष्टी चतुर्थी हर महीने की कृष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को मनाई जाती है। पूर्णिमा के बाद आने वाली चतुर्थी को संकष्टी चतुर्थी कहते हैं। इस दिन भगवान गणेश जी की आराधना की जाती है। मान्यता है कि, इस दिन सच्चे मन से भगवान गणेश की पूजा करने से घर में सुख-समृद्धि आती है। साथ ही गणेश जी की पूरे विधि-विधान के साथ पूजा करने से सारी इच्छाएं पूरी होती हैं।
संकष्टी चतुर्थी पूजा-विधि
संकष्टी चतुर्थी पर सूर्योदय से पहले उठकर स्नान कर स्वच्छ हो जाएं।
उसके बाद गणेश जी की पूजा आरंभ करें।
भगवान गणेश की पूजा करते वक्त पूर्व या फिर उत्तर दिशा की ओर मुंह करें।
गणपति जी की प्रतिमा के नीचे लाल रंग का कपड़ा बिछाएं।
श्री गणेश के सामने दीपक जलाएं और लाल गुलाब के पुष्प से भगवान को सजाएं।
गणेश जी की पूजा में तिल के लड्डू गुड़ रोली, मोली, चावल, पुष्प तांबे के लौटे में जल, धूप, प्रसाद के तौर पर केला और मोदक रखें।
पूजा के दौरान भगवान श्री गणेश के बीज मंत्रों का जप भी करना चाहिए।
संकष्टी चतुर्थी का उपवास तिल के लड्डू या तिल खाकर खोलना चाहिए।
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ये है भगवान गणेश का अनोखा मंदिर, जहां चोर करते थे चोरी के माल का बंटवारा, बप्पा को भी देते थे हिस्सा
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घर में सुख-समृद्धि पाने के लिए बुधवार को भगवान गणेश की ऐसे करें पूजा
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आज है संकष्टी चतुर्थी, गणेश की इस पूजन विधि से करेंगे आराधना तो पूरी हो जाएगी हर मनोकामना
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भगवान गणेश को शुभ कार्यों का देवता माना जाता है। किसी भी शुभ कार्य को शुरू करने से पहले उनकी पूजा-अर्चना की जाती है। भगवान गणेश की पूजा का महत्व संकष्टी चतुर्थी के दिन और भी बढ़ जाता है। इस बार संकष्टी चतुर्थी 15 नवंबर को पड़ रही है। आइए जानते हैं संकष्टी चतुर्थी का महत्व और इसकी पूजा-विधि।
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संकष्टी चतुर्थी का महत्व
संकष्टी चतुर्थी हर महीने की कृष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को मनाई जाती है। पूर्णिमा के बाद आने वाली चतुर्थी को संकष्टी चतुर्थी कहते हैं और अमावस्या के बाद आने वाली चतुर्थी को विनायक चतुर्थी कहते हैं। इस दिन भगवान गणेश जी की आराधना की जाती है। मान्यता है कि, इस दिन सच्चे मन से भगवान गणेश की पूजा करने से घर में सुख-समृद्धि आती है। साथ ही गणेश जी की पूरे विधि-विधान के साथ पूजा करने से सारी इच्छाएं पूरी होती हैं।
संकष्टी चतुर्थी की पूजन-विधि
इस दिन सूर्योदय से पहले उठकर स्नान कर स्वच्छ हो जाएं।
उसके बाद गणेश जी की पूजा आरंभ करें।
भगवान गणेश की पूजा करते वक्त पूर्व या फिर उत्तर दिशा की ओर मुंह करें।
गणपति जी की प्रतिमा के नीचे लाल रंग का कपड़ा बिछाएं।
श्री गणेश के सामने दीपक जलाएं और लाल गुलाब के पुष्प से भगवान को सजाएं।
गणेश जी की पूजा में तिल के लड्डू गुड़ रोली, मोली, चावल, पुष्प तांबे के लौटे में जल, धूप, प्रसाद के तौर पर केला और मोदक रखें।
पूजा के दौरान भगवान श्री गणेश के बीज मंत्रों का जप भी करना चाहिए।
इसके बाद भगवान गणेश के आगे दीप जला कर फूलों की माला अर्पित करें।
संकष्टी चतुर्थी का उपवास तिल के लड्डू या तिल खाकर खोलना चाहिए।
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नवंबर में आने वाले हैं ये प्रमुख तीज त्योहार, यहां जानिए पूरी लिस्ट
घर में सुख-समृद्धि पाने के लिए बुधवार को भगवान गणेश की ऐसे करें पूजा
आखिर क्यों पानी में ही किया जाता है गणेश जी का विसर्जन? जानिए वजह
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संकष्टी चतुर्थी पर भगवान गणेश की इस विधि से करें आराधना, दूर होंगे सारे कष्ट
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संकष्टी गणेश चतुर्थी का त्योहार हिंदू धर्म के प्रमुख त्योहारों में से एक है। इस दिन गणेश जी की अराधना की जाती है। कहा जाता है जो भी भक्त गणेश जी की पूजा सच्चे मन से करते हैं उनकी हर मनोकामना पूरी होती है। इस बार 05 सितंबर को संकष्टी गणेश चतुर्थी है। आइए जानते हैं संकष्टी गणेश चतुर्थी का महत्व और पूजा-विधि।
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संकष्टी गणेश चतुर्थी का महत्व
भगवान गणेश को सभी देवताओं में सर्वप्रथम पूजनीय माना गया है। इसलिए हमारे शास्त्र में गणेश चतुर्थी की महिमा का बहुत बड़ा महत्व है। इस दिन भगवान श्रीगणेश का विधि-विधान से पूजन और व्रत करने से जीवन में निरंतर सफलता प्राप्त होती है। मान्यता है कि जो श्रद्धालु गणेश चतुर्थी का उपवास करते हैं भगवान गणेश उसे ज्ञान और धैर्य का आशीर्वाद देते हैं। साथ ही उनके सारे दुःख हर लेते हैं।
संकष्टी गणेश चतुर्थी पूजा-विधि
सुबह के समय जल्दी उठकर स्नान आदि करके लाल रंग के वस्त्र धारण करें और सूर्य भगवान को तांबे के लोटे से अर्घ्य दें।
व्रत संकल्प मंत्र के बाद श्रीगणेश की षोड़शोपचार पूजन-आरती करें और मूर्ति पर सिंदूर चढ़ाएं।
पूजन के समय श्री गणेश स्तोत्र, अथर्वशीर्ष, संकटनाशक गणेश स्त्रोत का पाठ करें।
ब्राह्मण को भोजन करवाकर दक्षिणा दें।
शाम के समय गणेश चतुर्थी कथा, श्रद्धानुसार ��णेश स्तुति, श्री गणेश सहस्रनामावली, गणेश चालीसा, गणेश पुराण आदि का पाठ करें।
पूजा के दौरान भगवान श्री गणेश के बीज मंत्रों का जप भी करना चाहिए।
इसके बाद भगवान गणेश के आगे दीप जला कर फूलों की माला अर्पित करें।
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गणेश की इस पूजन विधि से करेंगे आराधना तो पूरी हो जाएगी हर मनोकामना
ये हैं पोटली वाले गणपति बप्पा, रुकी हुई शादियों की मन्नत करते हैं पूरी
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संकष्टी चतुर्थी पर भगवान गणेश की इस विधि से करें आराधना, दूर होंगे सारे कष्ट
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संकष्टी गणेश चतुर्थी का त्योहार हिंदू धर्म के प्रमुख त्योहारों में से एक है। इस दिन गणेश जी की अराधना की जाती है। कहा जाता है जो भी भक्त गणेश जी की पूजा सच्चे मन से करते हैं उनकी हर मनोकामना पूरी होती है। इस बार 7 अगस्त को संकष्टी गणेश चतुर्थी है। आइए जानते हैं संकष्टी गणेश चतुर्थी का महत्व और पूजा-विधि।
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संकष्टी गणेश चतुर्थी का महत्व
भगवान गणेश को सभी देवताओं में सर्वप्रथम पूजनीय माना गया है। इसलिए हमारे शास्त्र में गणेश चतुर्थी की महिमा का बहुत बड़ा महत्व है। इस दिन भगवान श्रीगणेश का विधि-विधान से पूजन और व्रत करने से जीवन में निरंतर सफलता प्राप्त होती है। मान्यता है कि जो श्रद्धालु गणेश चतुर्थी का उपवास करते हैं भगवान गणेश उसे ज्ञान और धैर्य का आशीर्वाद देते हैं। साथ ही उनके सारे दुःख हर लेते हैं।
संकष्टी गणेश चतुर्थी पूजा-विधि
सुबह के समय जल्दी उठकर स्नान आदि करके लाल रंग के वस्त्र धारण करें और सूर्य भगवान को तांबे के लोटे से अर्घ्य दें।
व्रत संकल्प मंत्र के बाद श्रीगणेश की षोड़शोपचार पूजन-आरती करें और मूर्ति पर सिंदूर चढ़ाएं।
पूजन के समय श्री गणेश स्तोत्र, अथर्वशीर्ष, संकटनाशक गणेश स्त्रोत का पाठ करें।
ब्राह्मण को भोजन करवाकर दक्षिणा दें।
शाम के समय गणेश चतुर्थी कथा, श्रद्धानुसार गणेश स्तुति, श्री गणेश सहस्रनामावली, गणेश चालीसा, गणेश पुराण आदि का पाठ करें।
पूजा के दौरान भगवान श्री गणेश के बीज मंत्रों का जप भी करना चाहिए।
इसके बाद भगवान गणेश के आगे दीप जला कर फूलों की माला अर्पित करें।
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चैतन्य भारत न्यूज
संकष्टी गणेश चतुर्थी का त्योहार हिंदू धर्म के प्रमुख त्योहारों में से एक है। इस दिन गणेश जी की अराधना की जाती है। कहा जाता है जो भी भक्त गणेश जी की पूजा सच्चे मन से करते हैं उनकी हर मनोकामना पूरी होती है। इस बार 8 जुलाई को संकष्टी गणेश चतुर्थी है। आइए जानते हैं संकष्टी गणेश चतुर्थी का महत्व और पूजा-विधि।
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संकष्टी गणेश चतुर्थी का महत्व
भगवान गणेश को सभी देवताओं में सर्वप्रथम पूजनीय माना गया है। इसलिए हमारे शास्त्र में गणेश चतुर्थी की महिमा का बहुत बड़ा महत्व है। इस दिन भगवान श्रीगणेश का विधि-विधान से पूजन और व्रत करने से जीवन में निरंतर सफलता प्राप्त होती है। मान्यता है कि जो श्रद्धालु गणेश चतुर्थी का उपवास करते हैं भगवान गणेश उसे ज्ञान और धैर्य का आशीर्वाद देते हैं। साथ ही उनके सारे दुःख हर लेते हैं।
संकष्टी गणेश चतुर्थी पूजा-विधि
सुबह के समय जल्दी उठकर स्नान आदि करके लाल रंग के वस्त्र धारण करें और सूर्य भगवान को तांबे के लोटे से अर्घ्य दें।
व्रत संकल्प मंत्र के बाद श्रीगणेश की षोड़शोपचार पूजन-आरती करें और मूर्ति पर सिंदूर चढ़ाएं।
पूजन के समय श्री गणेश स्तोत्र, अथर्वशीर्ष, संकटनाशक गणेश स्त्रोत का पाठ करें।
ब्राह्मण को भोजन करवाकर दक्षिणा दें।
शाम के समय गणेश चतुर्थी कथा, श्रद्धानुसार गणेश स्तुति, श्री गणेश सहस्रनामावली, गणेश चालीसा, गणेश पुराण आदि का पाठ करें।
पूजा के दौरान भगवान श्री गणेश के बीज मंत्रों का जप भी करना चाहिए।
इसके बाद भगवान गणेश के आगे दीप जला कर फूलों की माला अर्पित करें।
संकष्टी चतुर्थी पर चंद्रोदय का समय
चतुर्थी तिथि प्रारम्भ: 8 जुलाई को प्रात: 09 बजकर 18 मिनट
चतुर्थी तिथि समाप्त: 9 जुलाई को प्रात: 10 बजकर 11 मिनट
संकष्टी के दिन चन्द्रोदय: रात्रि 10 बजे
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संकष्टी चतुर्थी पर भगवान गणेश की इस विधि से करें आराधना, दूर होंगे सारे कष्ट
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संकष्टी गणेश चतुर्थी का त्योहार हिंदू धर्म के प्रमुख त्योहारों में से एक है। इस दिन गणेश जी की अराधना की जाती है। कहा जाता है जो भी भक्त गणेश जी की पूजा सच्चे मन से करते हैं उनकी हर मनोकामना पूरी होती है। इस बार 8 जून को संकष्टी गणेश चतुर्थी है। आइए जानते हैं संकष्टी गणेश चतुर्थी का महत्व और पूजा-विधि।
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संकष्टी गणेश चतुर्थी का महत्व
भगवान गणेश को सभी देवताओं में सर्वप्रथम पूजनीय माना गया है। इसलिए हमारे शास्त्र में गणेश चतुर्थी की महिमा का बहुत बड़ा महत्व है। इस दिन भगवान श्रीगणेश का विधि-विधान से पूजन और व्रत करने से जीवन में निरंतर सफलता प्राप्त होती है। मान्यता है कि जो श्रद्धालु गणेश चतुर्थी का उपवास करते हैं भगवान गणेश उसे ज्ञान और धैर्य का आशीर्वाद देते हैं। साथ ही उनके सारे दुःख हर लेते हैं।
संकष्टी गणेश चतुर्थी पूजा-विधि
सुबह के समय जल्दी उठकर स्नान आदि करके लाल रंग के वस्त्र धारण करें और सूर्य भगवान को तांबे के लोटे से अर्घ्य दें।
व्रत संकल्प मंत्र के बाद श्रीगणेश की षोड़शोपचार पूजन-आरती करें और मूर्ति पर सिंदूर चढ़ाएं।
पूजन के समय श्री गणेश स्तोत्र, अथर्वशीर्ष, संकटनाशक गणेश स्त्रोत का पाठ करें।
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शाम के समय गणेश चतुर्थी कथा, श्रद्धानुसार गणेश स्तुति, श्री गणेश सहस्रनामावली, गणेश चालीसा, गणेश पुराण आदि का पाठ करें।
पूजा के दौरान भगवान श्री गणेश के बीज मंत्रों का जप भी करना चाहिए।
इसके बाद भगवान गणेश के आगे दीप जला कर फूलों की माला अर्पित करें।
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भगवान गणेश को सभी देवताओं में सर्वप्रथम पूजनीय माना गया है। इसलिए हमारे शास्त्र में गणेश चतुर्थी की महिमा का बहुत बड़ा महत्व है। इस दिन भगवान श्रीगणेश का विधि-विधान से पूजन और व्रत करने से जीवन में निरंतर सफलता प्राप्त होती है। मान्यता है कि जो श्रद्धालु गणेश चतुर्थी का उपवास करते हैं भगवान गणेश उसे ज्ञान और धैर्य का आशीर्वाद देते हैं। साथ ही उनके सारे दुःख हर लेते हैं।
संकष्टी गणेश चतुर्थी पूजा-विधि
सुबह के समय जल्दी उठकर स्नान आदि करके लाल रंग के वस्त्र धारण करें और सूर्य भगवान को तांबे के लोटे से अर्घ्य दें।
व्रत संकल्प मंत्र के बाद श्रीगणेश की षोड़शोपचार पूजन-आरती करें और मूर्ति पर सिंदूर चढ़ाएं।
पूजन के समय श्री गणेश स्तोत्र, अथर्वशीर्ष, संकटनाशक गणेश स्त्रोत का पाठ करें।
ब्राह्मण को भोजन करवाकर दक्षिणा दें।
शाम के समय गणेश चतुर्थी कथा, श्रद्धानुसार गणेश स्तुति, श्री गणेश सहस्रनामावली, गणेश चालीसा, गणेश पुराण आदि का पाठ करें।
पूजा के दौरान भगवान श्री गणेश के बीज मंत्रों का जप भी करना चाहिए।
इसके बाद भगवान गणेश के आगे दीप जला कर फूलों की माला अर्पित करें।
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खजराना गणेश मंदिर ने रचा इतिहास, इस मामले में वर्ल्ड बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में दर्ज हुआ नाम
गणेश की इस पूजन विधि से करेंगे आराधना तो पूरी हो जाएगी हर मनोकामना
ये हैं पोटली वाले गणपति बप्पा, रुकी हुई शादियों की मन्नत करते हैं पूरी
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