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#सीने में अचानक तेज दर्द होना
medtalksblog · 2 months
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युवाओं में हृदय रोगों का खतरा क्यों बढ़ रहा है?
वर्तमान में युवाओं में हृदय रोगों का खतरा बढ़ रहा है। अनियमित जीवनशैली, गलत खान-पान, और तनाव जैसी आदतें मुख्य कारण हैं। स्वस्थ जीवनशैली अपनाकर इससे बचा जा सकता है।
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कार्डियक टैम्पोनैड: लक्षणों को पहचानना
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कार्डियक टैम्पोनैड एक गंभीर चिकित्सा स्थिति है, जिसमें हृदय के चारों ओर की थैली में तरल पदार्थ जमा हो जाता है, जिससे उस पर दबाव पड़ता है और उसका कार्य प्रभावित होता है। लक्षणों के बारे में जागरूक होना जीवन रक्षक हो सकता है। इन पर ध्यान दें:
चिंता और बेचैनी: आसन्न विनाश या बेचैनी की भावना। सीने में दर्द: उरोस्थि के पीछे तेज या चुभने वाला दर्द। सांस लेने में समस्या: सांस लेने में कठिनाई, सांस फूलना। बेहोशी: अचानक चेतना का खो जाना। अनियमित हृदय गति: हृदय की लय में ध्यान देने योग्य परिवर्तन। पीली, ग्रे या नीली त्वचा: रक्त में ऑक्सीजन की कमी के संकेत।
यदि आप या आपका कोई परिचित इन लक्षणों का अनुभव करता है, तो तुरंत चिकित्सा सहायता लेना महत्वपूर्ण है।
पेशेवर परामर्श के लिए, आप सुकून हार्ट केयर, सैनिक मार्केट, मेन रोड, रांची, झारखंड: 834001 में Dr. Md. Farhan Shikoh, MBBS, MD (Medicine), DM (Cardiology) से संपर्क कर सकते हैं। संपर्क करें: 6200784486। अधिक जानकारी drfarhancardiologist.com पर उपलब्ध है।
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thccbkn · 6 years
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Special many Request for us 👇👇👇👇 अगर शरीर में हो रही किसी बीमारी के लक्षणों को हम शुरुआत में ही पहचान ले तो उसके ज्यादा बढ़ने से पहले ही हम उसका इलाज करवा सकते है| बीमारी से बचे रहने के लिए हमें बीमारियों के होने के कारण पता होना बहुत ही जरूरी है| ● ● ➡ आजकल की हमारी बिजी लाइफस्टाइल की वजह से लोगों में 😈हाई ब्लड प्रेशर और लो ब्लड प्रेशर जैसी बीमारियां तेजी से बढ़ रही है| पहले यह बीमारी ज्यादा 👵उम्र के लोगों में देखी जाती थी लेकिन अब यह कम उम्र में भी आसानी से दिखाई दे जाती है| आज हम आपको बताने जा रहे हैं इन लक्षणों के बारे में जिनसे हमें 😞लो ब्लड प्रेशर या 👹हाई ब्लड प्रेशर का पता चलता है| ● ● ● बाहरी 👀 आंखों से देखने पर ब्लड प्रेशर का कोई भी लक्षण हमें दिखाई नहीं देता है| लेकिन इसे आप महसूस कर सकते हैं अगर यह बीमारी धीरे-धीरे बढ़ती ही रहती है और इसकी वजह से आपको हार्टअटैक या लकवे जैसे गंभीर रोगों का सामना करना पड़ सकता है| ब्लड प्रेशर को एक नियंत्रित फ्लो में बनाए रखना बहुत ही जरूरी है| आइए जानते हैं हाई ब्लड प्रेशर और लो ब्लड प्रेशर के लक्षणों के बारे में| ● ● ● 😈हाई ब्लड प्रेशर के लक्षण 👹हाई ब्लड प्रेशर में तेज सिर दर्द होता है ➡ थकावट और तनाव हमेशा बना रहता है ➡ सीने में आपको भारीपन और दर्द महसूस होगा ➡ हाई बीपी में अचानक से घबराहट होने लगती है. ➡ सांस लेने में परेशानी महसूस होती है. ➡ कुछ भी बोलने में या समझने में कठिनाई का अनुभव होता है. ➡ आप खुद को कमजोर महसूस करते हैं और आंखों से भी धुंधला दिखाई देने लगता है. ➡ चेहरे पर या हाथ पैरों में अचानक से सुन्नपन आ जाता है | ● ● ● 😞 लो बीपी के लक्षण 😞 लो बीपी होने पर भूख नहीं लगती है . ➡ थकान डिप्रेशन और निराशा हमेशा बनी रहती है. ➡ अचानक से जी मचलने लगता है और प्यास लगती है. ➡ त्वचा में धीरे धीरे पीलापन आने लगता है. ➡ आंखों से धुंधला दिखाई देने लगता है. ➡ आंखों का रंग लाल होने लगता है सांसे तेजी से आना शुरू हो जाती है धड़कने बढ़ जाती है..... ● ● ● ● ● ● #bloodpressure #health #diabetes #hypertension #healthyliving #healthylifestyle #nutrition #wellness #heartdisease #fitness #cholesterol #healthy #weightloss #highbloodpressure #healthyeating #organic #heart #hearthealth #newshanik #stress #supplements #healthbenefits #motivation #natural #bloodpressuremonitor #healthcare #anxiety #food #lifestyle #bikaner (at Apna Bikaner) https://www.instagram.com/p/Bt2yyeTh0Gh/?utm_source=ig_tumblr_share&igshid=3hj42on0xhsy
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gethealthy18-blog · 5 years
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छाती (सीने) में दर्द के 10 घरेलू उपाय – Home Remedies for Chest Pain In Hindi
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छाती (सीने) में दर्द के 10 घरेलू उपाय – Home Remedies for Chest Pain In Hindi
shivani verma March 29, 2019
जब भी किसी को अचानक सीने में दर्द होता, तो उसे हार्ट अटैक का डर सताने लगता है। यकीनन, कभी-कभी यह चिंता का विषय हो सकता है, लेकिन जरूरी नहीं कि हर बार छाती में दर्द होना हर्ट अटैक ही हो। यह सामान्य दर्द भी हो सकता है, जिसके कई कारण हो सकते हैं। ऐसे में सवाल यह उठता है कि आखिर चेस्ट पेन किन-किन कारणों से होता है और इसका इलाज क्या है।
विषय सूची
अगर आपके मन में भी छाती में दर्द को लेकर इसी तरह के सवाल आते हैं, तो यह लेख खास आपके लिए है। इस लेख में हम आपको चेस्ट पेन के कारण बताएंगे। साथ ही आपको छाती में दर्द के उपाय भी बताएंगे।
आइए, सबसे पहले छाती में दर्द होने के कारणों के बारे में जानते हैं।
सीने में दर्द होने के कारण – Causes of Chest Pain in Hindi
हर व्यक्ति को सीने में दर्द होने के कारण अलग-अलग हो सकते हैं। किसी को चेस्ट के लेफ्ट साइड में दर्द होता है तो किसी को चेस्ट के राइट साइड में दर्द। इसके अलावा, किसी को यह दर्द तेज और ज्यादा देर के लिए हो सकता है, तो किसी को यह दर्द हल्का और कम समय के लिए हो सकता है।
दिल संबंधी कारण
हार्ट अटैक।
ह्रदय की रक्त वाहिकाओं के अवरुद्ध होने पर एनजाइना।
पेरिकार्डिटिस, जो आपके ह्रदय के पास एक थैली में सूजन आने के कारण होता है।
मायोकार्डिटिस, जो हृदय की मांसपेशियों में सूजन के कारण होता है।
कार्डियोमायोपैथी, हृदय की मांसपेशी का एक रोग।
एऑर्टिक डाइसेक्शन, जो महाधमनी में छेद होने के कारण होता है।
फेफड़े संबंधी कारण
ब्रोंकाइटिस
निमोनिया
प्लूरिसी
न्यूमोथोरैक्स, जो फेफड़ों से हवा का रिसाव के कारण छाती में होता है।
पल्मोनरी एम्बोलिज्म या फिर रक्त का थक्का
ब्रोन्कोस्पाज्म या आपके वायु मार्ग में अवरोध (यह अस्थमा से पीड़ित लोगों में आम है)
मांसपेशी या हड्डी संबंधी कारण
घायल या टूटी हुई पसली
थकावट के कारण मांसपेशियों में दर्द या फिर दर्द सिंड्रोम
फ्रैक्चर के कारण आपकी नसों पर दबाव
अन्य कारण
दाद जैसी चिकित्सीय स्थिति
पेन अटैक, जिससे तेज डर लगता है।
आप चेस्ट पेन के साथ-साथ अन्य लक्षण भी महसूस कर सकते हैं, जैसे :
छाती में दर्द के लक्षण – Signs And Symptoms Of Chest Pain In Hindi
हृदय संबंधी लक्षण
सीने में जकड़न और दबाव
जबड़े, पीठ या हाथ में दर्द
थकान और कमजोरी
सिर चकराना
पेट में दर्द
थकावट के दौरान दर्द
सांस लेने में तकलीफ
जी मिचलाना
अन्य लक्षण
मुंह में अम्लीय/खट्टा स्वाद
निगलने या खाने पर दर्द
निगलने में कठिनाई
शरीर की मुद्रा बदलने पर ज्यादा दर्द होना या ठीक महसूस करना
गहरी सांस लेने या खांसने पर दर्द
बुखार और ठंड लगना
घबराहट या चिंता
छाती में दर्द होने पर सिर्फ आपको तकलीफ होती है, बल्कि आपको रोजाना के काम करने में भी कठिनाई हो सकती है। इसलिए, जरूरी है कि इसका सही समय पर इलाज करा लिया जाए। नीचे हम चेस्ट पेन से राहत दिलाने के लिए 10 घरेलू उपाय बता रहे हैं।
छाती के दर्द से राहत पाने के लिए 10 घरेलू उपाय – Home Remedies To Treat Chest Pain In Hindi
1. लहसुन
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सामग्री :
एक चम्मच लहसुन का रस
एक कप गुनगुना पानी
क्या करें?
एक कप गुनगुने पानी में एक चम्मच लहसुन का रस डालें।
इसे अच्छी तरह मिलाएं और रोजाना पिएं।
आप रोज सुबह लहसुन के दो टुकड़े चबा भी सकते हैं।
ऐसा कब-कब करें?
इस प्रक्रिया को दिन में एक या दो बार दोहराएं।
यह कैसे काम करता है?
हृदय में रक्त प्रवाह बिगड़ने के कारण हृदय संबंधी समस्याएं हो सकती है। इस कारण सीने में दर्द का खतरा बढ़ जाता है। इसलिए, रोजाना लहसुन का इस्तेमाल सीने में दर्द से बचाता है। लहसुन हृदय में रक्त प्रवाह को दुरुस्त कर हृदय रोग से बचाता है (1), (2)। छाती में दर्द के उपाय में यह बेहतरीन नुस्खा है।
2. एलोवेरा
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सामग्री :
¼ कप एलोवेरा जूस
क्या करें?
एलोवेरा जूस को पी लें।
ऐसा कब-कब करें?
आप दिन में एक से दो बार एलोवेरा जूस पिएं।
यह कैसे काम करता है?
एलोवेरा एक चमत्कारी पौधा है, जो कई प्रकार के स्वास्थ्य लाभ प्रदान करता है। यह आपके कार्डियोवस्कुलर सिस्टम को मजबूत करने, अच्छे कोलेस्ट्रॉल को नियमित करने, आपके ट्राइग्लिसराइड के स्तर को कम करने और रक्तचाप को कम करने में भी मदद कर सकता है (3)। ये सभी छाती के दर्द से राहत दिलाने में मदद करते हैं।
3. विटामिन
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अध्ययनों में यह बात सामने आई है कि विटामिन-डी और विटामिन-बी12 की कमी से सीने में दर्द हो सकता है। यहां तक कि इससे मायोकार्डियल इंफार्कशन या हार्ट अटैक भी हो सकता है (4), (5)। इसलिए, अगर आप चेस्ट पेन से पीड़ित हैं, तो अपने खानपान पर ध्यान दें। आप पौष्टिक खाना खाएं, जिसमें भरपूर रूप से विटामिन हों।
आप मछली, चीज] अंडे की जर्दी, अनाज, सोया उत्पाद और मीट अपने खानपान में शामिल करें। आप डॉक्टर की सलाह से विटामिन के जरूरी अनुपूरक भी ले सकते हैं।
4. सेब का सिरका
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सामग्री :
एक चम्मच सेब का सिरका
एक गिलास पानी
क्या करें?
एक गिलास पानी में एक चम्मच सेब का सिरका डालकर अच्छी तरह मिला लें।
फिर इस पानी को पी लें।
ऐसा कब-कब करें?
आप खाना खाने से पहले या जब भी चेस्ट पेन हो, तो इस मिश्रण को पिएं।
यह कैसे काम करता है?
सेब के सिरके में एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण होता है, जो हार्टबर्न और एसिड रिफ्लक्स से राहत दिलाने में मदद करता है। इन्हीं के कारण सीने में दर्द की शिकायत होने लगती है (6)। छाती में दर्द के उपाय में यह जाना-माना उपचार माना जाता है।
5. गर्म पेय
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एक कप गर्म हर्बल चाय या कुछ भी गर्म पीने से अपच या ब्लोटिंग के कारण सीने में होने वाले दर्द से राहत मिल सकती है। गर्म पेय ब्लोटिंग व अपच को कम कर हृदय को स्वस्थ रखता है।
6. हल्दी और दूध
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सामग्री :
½ चम्मच हल्दी पाउडर
एक गिलास गर्म दूध
क्या करें?
एक गिलास दूध में आधा चम्मच हल्दी पाउडर मिलाएं।
हल्दी वाले इस दूध को पी लें।
ऐसा कब-कब करें?
आप रोजाना रात को सोने से पहले हल्दी वाला दूध पिएं।
यह कैसे काम करता है?
हल्दी करक्यूमिन का बेहतरीन स्रोत है। यह कोलेस्ट्रॉल ऑक्सिडेशन, क्लोट फॉर्मेशन व धमनी में थक्के को बनने से रोकता है। ये सभी हृदय की समस्याओं और सीने में दर्द का कारण बन सकते हैं (7), (8)। करक्यूमिन में एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण होता है, जो सीने में दर्द की तीव्रता को कम करने में मदद करता है।
7. तुलसी
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सामग्री :
आठ से दस तुलसी के पत्ते
क्या करें?
तुलसी के पत्तों को चबा लें।
इसके अलावा, आप तुलसी की चाय भी पी सकते हैं।
आप तुलसी के पत्तों का रस निकालकर इसमें शहद मिलाकर खा सकते हैं।
ऐसा कब-कब करें?
बेहतर परिणाम के लिए आप रोजाना इसका सेवन करें।
यह कैसे काम करता है?
तुलसी में प्रचुर मात्रा में विटामिन-के और मैग्नीशियम होता है। सफेद मैग्नीशियम हृदय तक रक्त प्रवाह को दुरुस्त करता है और रक्त वाहिकाओं को आराम देता है। वहीं, विटामिन-के रक्त वाहिकाओं की दीवारों पर कोलेस्ट्रॉल के निर्माण को रोकता है (9), (10)। यह हृदय संबंधी विकारों के साथ-साथ सीने में दर्द के उपचार में मदद करता है।
8. लाल मिर्च
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सामग्री :
एक चम्मच लाल मिर्च पाउडर
किसी भी फल का एक गिलास जूस
क्या करें?
फल के एक गिलास जूस में एक चम्मच लाल मिर्च पाउडर मिलाएं।
इस जूस को पी लें।
ऐसा कब-कब करें?
आप इस जूस को दिन में एक बार पिएं।
यह कैसे काम करता है?
इस मिर्च में कैप्सैसिन होता है, जिसमें एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण होता है। यह आपके सीने में दर्द की तीव्रता को कम करने में मदद करता है (11)। यह हृदय में रक्त के प्रवाह को दुरुस्त करने में भी मदद करता है, जिससे हृदय रोगों को रोका जा सकता है।
9. मेथी के दाने
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एक चम्मच मेथी के दाने
क्या करें?
एक रात पहले मेथी दानों को पानी में भिगोकर रख दें और अगली सुबह इन्हें खाएं।
इसके अलावा, आप एक चम्मच मेथी दानों को पांच मिनट के लिए पानी में उबाल लें। फिर इस पानी को छानकर पिएं।
ऐसा कब-कब करें?
आप इस पानी को दिन में एक से दो बार पिएं।
यह कैसे काम करता है?
मेथी के बीज में एंटी-इंफ्लेमेटरी और एंटीऑक्सीडेंट गुण होते हैं, जो हृदय के स्वास्थ्य को बढ़ाते हैं और सीने में दर्द को रोकते हैं (12)। हृदय में रक्त के प्रवाह को बढ़ावा देते हैं और कोलेस्ट्रॉल के स्तर को कम करते हैं।
10. बादाम
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सामग्री :
मुट्ठी भर बादाम
क्या करें?
कुछ घंटों के लिए बादाम को पानी में भिगो दें।
फिर इसके छिल्के हटाकर बादाम खा लें।
आप तुरंत राहत के लिए बादाम के तेल और गुलाब के तेल को बराबर मात्रा में मिलाकर अपने सीने पर लगा सकते हैं।
ऐसा कब-कब करें?
आप ऐसा रोजाना करें।
यह कैसे काम करता है?
बादाम पॉलीअनसेचुरेटेड फैटी एसिड का समृद्ध स्रोत है। यह न केवल हृदय के स्वास्थ्य को बढ़ावा देता है, बल्कि कोलेस्ट्रॉल के स्तर को कम करने में भी मदद करता है (13)। यह हृदय रोग और सीने में दर्द के उपचार में मदद कर सकता है।
ये थे सीने में दर्द के घरेलू उपाय। आइए, अब इससे जुड़े कुछ टिप्स जान लेते हैं।
टिप्स
अधिक परिश्रम से बचें।
संतुलित आहार का सेवन करें।
शराब का सेवन सीमित करें।
तंबाकू के सेवन से बचें।
खुद को तनाव मुक्त रखें।
मत्स्यासन (फिश पोज), भुजंगासन (कोबरा पोज) और धनुरासन (बो पोज) जैसे योगासनों का अभ्यास करें।
आप एक्यूप्रेशर भी करवा सकते हैं।
आप कभी भी सीने में दर्द की समस्या को नजरअंदाज न करें। अगर ऊपर बताए गए घरेलू उपाय से आराम भी मिले, तो डॉक्टर से संपर्क करने में कोताही न बरतें। हम उम्मीद करते हैं कि यह लेख आपके काम आएगा। इससे संबंधित अपने अनुभव हमारे साथ जरूर शेयर करें।
अक्सर पूछे जाने वाले सवाल
भोजन निगलते समय मेरी छाती में दर्द क्यों होता है?
अगर आप ग्रासनलीशोथ (अन्नप्रणाली में सूजन) से पीड़ित हैं, तो आपको खाना निगलते समय सीने में दर्द की समस्या हो सकती है।
युवाओं में चेस्ट पेन होने के क्या कारण हैं?
युवा वयस्कों में सीने में दर्द के सामान्य कारण अधिक तनाव, सर्दी, खांसी, फुफ्फुसीय, पेरिकार्डिटिस और हाइपरट्रॉफिक कार्डियोमायोपैथी हैं।
क्या गर्भावस्था के शुरुआती दौर में सीने में दर्द हो सकता है?
हां, गर्भावस्था के दौरान शरीर में बदलाव, तनाव, हार्टबर्न और अपच सीने में दर्द के सबसे सामान्य कारण हैं।
क्या ठंड के मौसम में सीने में दर्द हो सकता है?
हां, लेकिन इसका सटीक कारण अभी तक नहीं खोजा जा सका है। ऐसा कार्टिलेज (एक प्रकार की हड्डी) में सूजन के कारण हो सकता है।
मेरे सीने के दाएं भाग में दर्द क्यों होता है?
सीने के दाएं भाग में दर्द फेफड़ों में सूजन या फिर चेस्ट लाइनिंग का संकेत हो सकता है। इसे फुफ्फुसशोथ भी कहा जाता है। जब आप फुफ्फुसशोथ से पीड़ित होते हैं, तो खांसते, छींकने या सांस लेने की कोशिश करने पर आपको तेज दर्द का अनुभव हो सकता है। मांसपेशियों में खिंचाव या कॉस्टोकोन्ड्रिटिस, अग्नाशयशोथ और दाद जैसी चिकित्सा स्थिति भी आपके सीने के दाहिने हिस्से में दर्द का कारण बन सकती है।
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Source: https://www.stylecraze.com/hindi/chaati-me-dard-ke-liye-gharelu-upay-in-hindi/
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crazyindia · 8 years
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youtube
(via https://www.youtube.com/watch?v=nPP6bjgn7-4)
यह रस हार्ट अटैक की समस्या को जड़ से खत्म कर देगा Jucie for cure Heart Disease हार्ट अटैक से बचने का अचूक रस Home Remedies for Heart Disease
दोस्तों नमस्कार आज जो मैं टॉपिक लेकर आई हु वो हमारे दिल से सम्बंधित है आप समझ गए होंगे |हमारा टॉपिक है हार्ट अटैक से बचने के अचूक रस |हार्ट अटैक जिसका  नाम सुनते ही हम डर जाते | दोस्तों आपको पता भारत में  ज्यादातर मोतो का कारण हार्ट अटैक है जोकि कोलेस्ट्रॉल व फैट और वजन बढ़ने से होता |अब हमारे दिमाग में प्रश्न उठता की  हार्ट अटैक की वजह क्या है तो दोस्तों हार्ट अटैक दिल तक खून पहुँचने वाली किसी एक या एक से अधिक धमिनयो में फैट जैम जाता मतलब वसा के थक्को का  धमनियों में जम  जाने के कारण होने वाली रुकावट आती | FGor More Visit https://onlyinayurveda.com
वसा के थक्को के कारण खून का प्रवाह रुक जाता |जब दिल की मासपेशियो को खून नहीं मिल पता तो ऑक्सीजन की कमी हो जाती यदि खून का प्रवाह जल्दी न किया जाए तो दिल की मासपेशियो की गति रुक जाती | क्या आपको पता ज्यादातर हार्ट अटैक के कारण होने वाली मोतो का कारण वसा के थक्को का फट जाना है |हार्ट अटैक के कई बार लक्षण दिखाई देते कई बार नहीं ऐसे साइलेंट हार्ट अटैक कहते |कहते है की साइलेंट हार्ट अटैक जायद खतरनाक होता वैसे इसका मुख्या कारण है हमारा हार्ट अटैक के लगनो का इग्नोर करना या फिर समझ न पाना की ऐसा क्यों हो रहा |
अगर आपको जरा सी भी हार्ट में दर्द पसीने आना ,सर पेट के ऊपरी हिस्से में दर्द होना ,हमेशा कमजोरी महूसस होना ,गर्मी लगना ,रात में जोर जोर से खराटे लेना ,अचानक सांस लेने में तकलीफ होना ,दिल की धड़कन का तेज होना ,इंडिगेशन और बार बार उलटी का होना या फिर ऐसा लगना की सीने पर कुछ भार महूसस हो रहा तो ये हार्टअटैक के लक्षण है इन्हे इग्नोर न करे |आपको पता महिलायो में हार्ट अटैक के अलग लक्षण होते जैसे त्वचा का चिपचिप होना ,सीने में जलन ,असमान्य रूप से थकान होना |
हम डॉक्टर के पास जाते तो डॉक्टर सीधा एंजियोप्लास्टी  करने के लिए बोलता जिसका खर्च बहुत होता |इस आपरेशन में डॉक्टर एक स्प्रिंग जो एक पेन के स्प्रिंग जैसा होता जिसे स्टेंट  |
अगर ये स्टेंट डाल भी दे कुछ टाइम के बाद इसके दोनों साइड वसा जमने लगती फिर से हार्ट अटैक हो सकता |तो आइये दोस्तों हम बताते आपको हार्ट अटैक से कैसे बचा जाता जिससे हमे हार्ट अटैक जैसी प्रॉब्लम का सामना ही न करना पड़े |आईये सीखे हार्ट अटैक से बचने का रस बनने की विधि :
#लहुसन का रस - हमारे पास लहुसन का रस होना चाहिए इसमे ब्लड प्रेस्सर व कैलेस्ट्रोल को कम करने की ताक़त होती |इसमे एल्लीसिन नामक तत्व पाया जाता जोकि हार्ट अटैक की ब्लॉकेज को खोल देता इसके सेवन से शरीर का  ब्लड सर्कुलेशन ठीक रहता |
#नीबू -जो अपने आप में गुणो का खजाना  है |इसमे भी एल्लीसिन होता जो कॉलस्ट्रॉल को कम करता |नीबू में विटामिन C प्रचूर मात्रा में होता जोकि हमारा इम्मयून सिस्टम को भी ठीक रखता |इससे हमारे शरीर में रक्त संचार भी ठीक प्रकार से होता \
#अदरक का रस -अदरक के लिए कहा जाता इसमे पानी की मात्रा 80 % होती |इसमे खून को साफ़ करने की ताक़त होती |जिससे हमारे शरीर में रक्त संचार अच्छी तरह से होता और यह भी शरीर की कॉलस्ट्रॉल को कम करता और खून को पतला करता |
#एप्पल का सिरका -सेब का सिरका सेहत के लिए बहुत अच्छा होता |इसमे शरीर की सफाई करने का गुण पाया जाता |सेब के सिरके में एसिटिक अमल होता जो भोजन पचाने वाली नाली को हांनिकारक जीवाणु व फफूंद से बचाता |सिरके में पेकिटन भी होता जो भोजन के पचने व पोषक तत्वों का अवशोषण करने में सहायता करता |हमारे शरीर में कॉलस्ट्रॉल ,वसा व विषैले तत्वों को अवशोषित करके शरीर से भर निकालता|इसमे धयान रखने वाली बात है है की जिन्हें पेक्टिन से ELLERGY  है वो इसे यूज़ न करे |
#शहद-शहद तो एक अपने आप में ही दवाई है |इसमे आयरन और विटामिन C से भरा |शहद के सेवन से हमारा दिल तंदुरस्त रहता और पाचन किरिया भी सही रहती |शहद मोटापे को कम करने की भी ताकत होती |इससे हमारे शरीर में ब्लड सर्कुलेशन भी ठीक रहता | अब बताते कैसे इन रसो के द्वारा हार्ट अटैक से बचा जाता और इन रसो की दवाई से हम मोटापे को भी कम कर सकते| इसे बनाने की विधि :
सबसे पहले आप एक कप अदरक का रस ,एक कप लहुसन  का रस ,एक कप नीबू का रस औए एक ही कप सेब का सिरका इन सभी रसो को अच्छे से मिक्स कर लो और एक भिगोने में गैस पर चढ़ा दो जब तक चार कप का तीन कप न रह जाए | फिर गैस से उतार लो और ठंडा होने दो |ठंडा होने के बाद इसमे एक कप शहद मिला दो |अब ये दवाई तैयार हो गए आपकी इसे आप एक कांच के जार में भरकर रख लो |आप इसे सुबह ख़ाली पेट हर रोज दो चम्मच खाइये |इससे आपकी हार्ट की ब्लॉकेज ख़त्म हो जाएगी |हार्ट अटैक जैसी प्रॉब्लम का सामना नहीं करना पड़ेगा |
इस दवाई के साथ साथ आपको सुबह की सैर ,साइकिलिंग,वजन कम करना ,जायदा पानी पीना हो सके तो सुबह दो गिलास व रात को गर्म पानी पीना चाहिए |कम फैट वाली चीजे खाना  समय समय पर बीपी चे�� करवाना चाहिए चाय व कॉफ़ी का सेवन कम शराब व सिगरेट का सेवन बंद तनावमुक्त रहिये \हंसो और हंसाते रहो वाली किरया अपनाये  तो देखिये हार्ट अटैक जैसी प्रॉब्लम आपके पास भी नहीं आ सकती |
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👨‍⚕️ रक्त के थक्के के लक्षण और संकेत
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समय पर उपचार के लिए रक्त के थक्के के लक्षणों को पहचानना महत्वपूर्ण है। यहाँ देखें कि क्या देखना है:
सूजन: रक्त के थक्के अक्सर एक पैर या हाथ में सूजन का कारण बनते हैं। यदि आप एक अंग में महत्वपूर्ण सूजन देखते हैं, तो यह थक्के का संकेत हो सकता है।
दर्द: प्रभावित क्षेत्र में तेज दर्द होना आम बात है। यह दर्द पैर, हाथ या अन्य क्षेत्रों में हो सकता है, यह इस बात पर निर्भर करता है कि थक्का कहाँ है।
लालिमा: थक्के के आस-पास की त्वचा लाल या फीकी दिखाई दे सकती है, जो सूजन और संभावित थक्के का संकेत देती है।
गर्मी: थक्के के पास की त्वचा आस-पास के क्षेत्रों की तुलना में अधिक गर्म महसूस हो सकती है, जो एक भड़काऊ प्रतिक्रिया का संकेत देती है।
सांस की तकलीफ: सांस लेने में अचानक और बिना किसी कारण के कठिनाई फेफड़ों में थक्के का संकेत दे सकती है, एक गंभीर स्थिति जिसे पल्मोनरी एम्बोलिज्म के रूप में जाना जाता है।
सीने में दर्द: गहरी सांस लेने के साथ सीने में तेज, चुभने वाला दर्द जो बढ़ जाता है, फेफड़ों में रक्त के थक्के का संकेत हो सकता है, और इसके लिए तत्काल चिकित्सा की आवश्यकता होती है।
अगर आपको इनमें से कोई भी लक्षण महसूस हो रहा है, तो तुरंत डॉक्टर से सलाह लेना ज़रूरी है। परामर्श के लिए, आप सुकून हार्ट केयर, सैनिक मार्केट, मेन रोड, रांची, झारखंड: 834001 में Dr. Md. Farhan Shikoh, MBBS, MD (Medicine), DM (Cardiology) से संपर्क कर सकते हैं या 6200784486 पर कॉल कर सकते हैं। अधिक जानकारी के लिए drfarhancardiologist.com पर जाएँ।
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दिल के लिए खतरे की घंटी है एथेरोस्क्लेरोसिस, मर्ज को न करें नजरअंदाज Divya Sandesh
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दिल के लिए खतरे की घंटी है एथेरोस्क्लेरोसिस, मर्ज को न करें नजरअंदाज
लखनऊ। शरीर ठीक तरह से काम करता रहे, इसके लिए दिल का सही तरीके से धड़कना जरूरी है। एथेरोस्क्लेरोसिस इसी में रुकावट डालता है और इसके कारण हार्ट अटैक व पेरिफेरल वैस्कुलर डिजीज जैसी बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है। हृदय रोग विशेषज्ञों के मुताबिक एथेरोस्क्लेरोसिस को लेकर लापरवाही मरीज की मौत का सबब भी बन सकती है। वहीं आदतों में सुधार कर खतरे से बचा जा सकता है।
हृदयाघात, मस्तिष्क आघात या फिर मौत का भी कारण बन सकता है एथेरोस्क्लेरोसिस एथेरोस्क्लेरोसिस में शरीर की धमनियों के अंदर ‘प्लाक’ जमने लगता है। धमनियां ऑक्सीजन युक्त रक्त को हृदय और शरीर के अन्य हिस्सों में ले जाती हैं। वसा, कोलेस्ट्रॉल, कैल्शियम और रक्त में पाए जाने वाले अन्य पदार्थों से प्लाक का निर्माण होता है। समय के साथ प्लाक धमनियों को कठोर और संकीर्ण बना देता है तथा यह शरीर में ऑक्सीजन युक्त रक्त के प्रवाह को बाधित करता है। एथेरोस्क्लेरोसिस से हृदयाघात, मस्तिष्क आघात या फिर मौत भी हो सकती है।
हार्ट डिजीज की शुरुआत है एथेरोस्क्लेरोसिस लखनऊ के डॉ. राम मनोहर लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान (आरएमएलआईएमएस) में हृदय रोग विभागाध्यक्ष प्रो. भुवन चंद्र तिवारी के मुताबिक एथेरोस्क्लेरोसिस हार्ट डिजीज की शुरुआत है। इसका पहला चरण है। धमनियों में कोलेस्ट्रॉल जमा होने की शुरुआत एथेरोस्क्लेरोसिस का प्रोसेस है। सरल भाषा में कहा जाए तो एथेरोस्क्लेरोसिस में शरीर में मौजूद धमनियों के अंदर रुकावट पैदा होने लगती है। धमनियां दिल के साथ शरीर के अन्य अंगों तक ऑक्सीजन युक्त खून पहुंचाती हैं। वहीं इनमें जो रुकावट वसा, कोलेस्ट्रॉल, कैल्शियम और खून में मौजूद अन्य तत्वों के जमाव से होती है। समय के साथ-साथ यह जमाव धमनियों के अंदर का रास्ता संकरा कर देता है। इसकी वजह से ऑक्सीजन युक्त रक्त का शरीर के विभिन्न अंगों तक बहाव धीमा पड़ जाता है।
ब्‍लॉकेज होने तक नहीं देते दिखाई अधिकांश लक्षण प्रो. तिवारी कहते हैं कि ब्‍लॉकेज होने तक एथेरोस्क्लेरोसिस के अधिकतर लक्षण दिखाई नहीं देते है। वहीं सामान्य तौर पर इसके लक्षणों में सीने में दर्द, टांग और बांह में दर्द और शरीर के किसी भी हिस्‍से में दर्द जहां की धमनी ब्‍लॉक हो चुकी हो। सांस लेने में दिक्‍कत, थकान, ब्‍लॉकेज के मस्तिष्‍क में रक्‍त प्रवाह को प्रभावित करने पर उलझन होना, रक्‍त प्रवाह की कमी के कारण पैर की मांसपेशियों में कमजोरी आना शामिल है।
युवाओं में तेजी से बढ़ रही समस्या प्रो. तिवारी ने बताया कि ह्रदय रोगों से सम्बन्धित समस्याओं की बात करें तो कम उम्र के लोगों में बीमारी देखने को मिल रही है। पहले ये बीमारी 50 या 60 साल में होती थी। वहीं अब 30 साल के युवाओं और उससे कम उम्र के लोगों में भी हृदयाघात हो रहा है। मोटापा, धूम्रपान जैसे कारण युवाओं में हृदयाघात की बड़ी वजह हैं।
महिलाएं दिल के दर्द को न करें नजरअंदाज, खतरे में पड़ सकती है जान आमतौर पर पुरुषों में हार्ट अटैक के मामले ज्यादा देखने को मिलते हैं। लेकिन, ऐसा नहीं है कि महिलाएं सुरक्षित हैं। प्रो. तिवारी कहते हैं कि महिलाओं में भी यह बीमारी बढ़ रही है। सबसे अहम बात है कि महिलाओं में यह बीमारी होने पर समय पर इलाज नहीं हो पाता है। आम तौर पर देखा जाए तो पुरुष को दिक्कत होने पर उसके कार्यालय के सहकर्मी, मित्र आदि उसे तुरन्त अस्पताल लेकर जाते हैं और समय पर बीमारी पकड़ में आ जाती हैं। वहीं महिलाओं की बात करें तो अभी भी अधिकांश घर संभालती हैं। बच्चों, बुजुर्गों की जिम्मेदारी में उनका पूरा दिन गुजरता है।
ऐसे में उन्हे दिल का दौरा पड़ने पर शुरुआत में वह बर्दाश्त करती रहती हैं। वह इसे सामान्य दर्द समझते हुए इसलिए गम्भीरता से नहीं लेती कि शायद कुछ देर बाद ठीक हो जाए। जब देर शाम या रात में परिवार के पुरुष सदस्य घर पहुंचते हैं, तब तक महिला का दर्द कम हो चुका होता है। ऐसे में वह अगले दिन डॉक्टर का पास जाते हैं। इस तरह महिलाएं 12 से 14 घंटे देर में अस्पताल पहुंचती हैं। काफी देर से अस्पताल लाने और कई बार उचित इलाज समय पर नहीं मिलने की वजह से महिलाओं की स्थिति गम्भीर हो जाती है। कई बार ये देरी जान जाने की भी वजह बनती है। हमारे देश में महिलाओं में आज भी अपनी बीमारी छिपाने या उसे लेकर गम्भीर न होने की आदत है, जो उनकी सेहत को ज्यादा नुकसान पहुंचने की वजह भी है।
शरीर में धीरे-धीरे पनपता है एथेरोस्क्लेरोसिस रोग हृदय रोग विशेषज्ञ डॉ.एके श्रीवास्तव के मुताबिक एथेरोस्क्लेरोसिस की समस्या अचानक जन्म नहीं लेती, यह शरीर में धीरे-धीरे पनपती है। जब तक धमनियों की रुकावट अंगों तक रक्त के बहाव को धीमा न करने लगे, तब तक एथेरोस्क्लेरोसिस सामान्य तौर पर नजर नहीं आती। कई बार थक्के पूरी तरह तरह से रक्त के बहाव को रोक देते हैं, जिसके वजह से दिल का दौरा पड़ता है। लोगों को हार्ट अटैक और स्‍ट्रोक के लक्षणों को समझना जरूरी है। ये दोनों ही एथेरोस्क्लेरोसिस के कारण होते हैं और इनमें तुरंत मेडिकल सहायता की जरूरत होती है। 
हार्ट अटैक के लक्षणों में सीने में दर्द, कंधे, कमर, गर्दन, हाथ में दर्द, पेट में दर्द, सांस लेने में दिक्‍कत, सिर चकराना, उल्‍टी आदि की समस्या होती है। वहीं स्‍ट्रोक के लक्षणों में चेहरे या हाथ-पैरों में कमजोरी या सुन्‍नता, बोलने में दिक्‍कत होना, देखने में परेशानी होना, बेसुध होना और अचानक तेज सिरदर्द होना है। उम्र के साथ एथेरोस्क्लेरोसिस होने का खतरा बढ़ जाता है। ऐसे में अगर ध्यान नहीं दिया जाए तो कई बार स्थिति बेहद गम्भीर हो जाती है।
शरीर में इस तरह खतरे का कारण बनता है एथेरोस्क्लेरोसिस चिकित्सकों के मुताबिक एथेरोस्क्लेरोसिस से कई प्रकार की जटिलताएं पैदा हो सकती हैं। इनमें जब एथेरोस्क्लेरोसिस ह्रदय के निकट स्थित धमनियों को संकुचित कर देता है तो कोरोनरी धमनी रोग विकसित हो जाता है। यह एंजाइना, दिल का दौरा या हार्ट फेल का कारण बनता है। इसी तरह कैरोटिड धमनी रोग में जब एथेरोस्क्लेरोसिस मस्तिष्क के समीप स्थित धमनियों को संकीर्ण बनाता है, तो व्यक्ति कैरोटिड धमनी रोग से ग्रसित हो सकता है। यह एक ट्रांसिएंट इस्कीमिक अटैक या स्ट्रोक पैदा कर सकता है।
इसी तरह अन्य जटिलताओं में परिधीय धमनी रोग में जब एथेरोस्क्लेरोसिस बांह या पैरों में स्थित धमनियों को संकुचित करता है तो वहां परिसंचरण समस्याएं हो सकती हैं। वहीं एथेरोस्क्लेरोसिस ऐन्यरिजम या धमनीविस्फार का कारण भी बन सकता है। यह एक गंभीर जटिलता है जो शरीर में कहीं भी हो सकती है। धमनीविस्फार धमनी की सतह में उभार होता है। धमनीविस्फार से ग्रसित अधिकांश लोगों में कोई लक्षण मौजूद नहीं होते। वहीं एथेरोस्क्लेरोसिस गुर्दे की ओर बढ़ने वाली धमनियों को भी संकीर्ण बना सकता है व ऑक्सीजन युक्त रक्त को गुर्दे तक पहुंचने से रोक सकता है। समय के साथ यह गुर्दे की कार्यप्रणाली को प्रभावित कर सकता है।
गंभीर लक्षणों के लिए सर्जरी की जरूरत एथेरोस्क्लेरोसिस का असर कम या समाप्त करने के लिए चिकित्सक पहले दवाओं से प्रयास करते हैं। गंभीर लक्षणों में सर्जरी की जाती है। इनमें एंजियोप्लास्टी और स्टेंट प्लेसमेंट में धमनी में स्टेंट डाल दिया जाता है। एंडरटेरेक्टमी में वसा युक्त जमाव को सर्जरी से संकीर्ण धमनी की सतह से हटाया जाता है। फाइब्रिनॉलिटिक थेरेपी में धमनी से थक्के को बाहर निकाला जाता है। इसी तरह जरूरत पड़ने पर बाईपास सर्जरी का भी विकल्प इस्तेमाल किया जाता है।
रिस्क फैक्टर पहचान कर दूर करने की जरूरत
-डायबिटीज, हाई ब्लड प्रेशर और कोलेस्ट्रॉल की समस्या की अनदेखी न करें। -धूम्रपान हर स्थिति में खतरे का कारण है। -वसायुक्त भोजन से परहेज करें। -शरीर का वजन नियंत्रित रखें। मोटापा हावी न होने दें। -व्यायाम से दूरी बीमारी को आमंत्रित करती है। इसलिए इसे प्रतिदिन सैर करें, पैदल चलें। -तनाव से दूरी बनाकर पर्याप्त नींद लें।
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दिल के लिए खतरे की घंटी है एथेरोस्क्लेरोसिस, मर्ज को न करें नजरअंदाज Divya Sandesh
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दिल के लिए खतरे की घंटी है एथेरोस्क्लेरोसिस, मर्ज को न करें नजरअंदाज
लखनऊ। शरीर ठीक तरह से काम करता रहे, इसके लिए दिल का सही तरीके से धड़कना जरूरी है। एथेरोस्क्लेरोसिस इसी में रुकावट डालता है और इसके कारण हार्ट अटैक व पेरिफेरल वैस्कुलर डिजीज जैसी बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है। हृदय रोग विशेषज्ञों के मुताबिक एथेरोस्क्लेरोसिस को लेकर लापरवाही मरीज की मौत का सबब भी बन सकती है। वहीं आदतों में सुधार कर खतरे से बचा जा सकता है।
हृदयाघात, मस्तिष्क आघात या फिर मौत का भी कारण बन सकता है एथेरोस्क्लेरोसिस एथेरोस्क्लेरोसिस में शरीर की धमनियों के अंदर ‘प्लाक’ जमने लगता है। धमनियां ऑक्सीजन युक्त रक्त को हृदय और शरीर के अन्य हिस्सों में ले जाती हैं। वसा, कोलेस्ट्रॉल, कैल्शियम और रक्त में पाए जाने वाले अन्य पदार्थों से प्लाक का निर्माण होता है। समय के साथ प्लाक धमनियों को कठोर और संकीर्ण बना देता है तथा यह शरीर में ऑक्सीजन युक्त रक्त के प्रवाह को बाधित करता है। एथेरोस्क्लेरोसिस से हृदयाघात, मस्तिष्क आघात या फिर मौत भी हो सकती है।
हार्ट डिजीज की शुरुआत है एथेरोस्क्लेरोसिस लखनऊ के डॉ. राम मनोहर लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान (आरएमएलआईएमएस) में हृदय रोग विभागाध्यक्ष प्रो. भुवन चंद्र तिवारी के मुताबिक एथेरोस्क्लेरोसिस हार्ट डिजीज की शुरुआत है। इसका पहला चरण है। धमनियों में कोलेस्ट्रॉल जमा होने की शुरुआत एथेरोस्क्लेरोसिस का प्रोसेस है। सरल भाषा में कहा जाए तो एथेरोस्क्लेरोसिस में शरीर में मौजूद धमनियों के अंदर रुकावट पैदा होने लगती है। धमनियां दिल के साथ शरीर के अन्य अंगों तक ऑक्सीजन युक्त खून पहुंचाती हैं। वहीं इनमें जो रुकावट वसा, कोलेस्ट्रॉल, कैल्शियम और खून में मौजूद अन्य तत्वों के जमाव से होती है। समय के साथ-साथ यह जमाव धमनियों के अंदर का रास्ता संकरा कर देता है। इसकी वजह से ऑक्सीजन युक्त रक्त का शरीर के विभिन्न अंगों तक बहाव धीमा पड़ जाता है।
ब्‍लॉकेज होने तक नहीं देते दिखाई अधिकांश लक्षण प्रो. तिवारी कहते हैं कि ब्‍लॉकेज होने तक एथेरोस्क्लेरोसिस के अधिकतर लक्षण दिखाई नहीं देते है। वहीं सामान्य तौर पर इसके लक्षणों में सीने में दर्द, टांग और बांह में दर्द और शरीर के किसी भी हिस्‍से में दर्द जहां की धमनी ब्‍लॉक हो चुकी हो। सांस लेने में दिक्‍कत, थकान, ब्‍लॉकेज के मस्तिष्‍क में रक्‍त प्रवाह को प्रभावित करने पर उलझन होना, रक्‍त प्रवाह की कमी के कारण पैर की मांसपेशियों में कमजोरी आना शामिल है।
युवाओं में तेजी से बढ़ रही समस्या प्रो. तिवारी ने बताया कि ह्रदय रोगों से सम्बन्धित समस्याओं की बात करें तो कम उम्र के लोगों में बीमारी देखने को मिल रही है। पहले ये बीमारी 50 या 60 साल में होती थी। वहीं अब 30 साल के युवाओं और उससे कम उम्र के लोगों में भी हृदयाघात हो रहा है। मोटापा, धूम्रपान जैसे कारण युवाओं में हृदयाघात की बड़ी वजह हैं।
महिलाएं दिल के दर्द को न करें नजरअंदाज, खतरे में पड़ सकती है जान आमतौर पर पुरुषों में हार्ट अटैक के मामले ज्यादा देखने को मिलते हैं। लेकिन, ऐसा नहीं है कि महिलाएं सुरक्षित हैं। प्रो. तिवारी कहते हैं कि महिलाओं में भी यह बीमारी बढ़ रही है। सबसे अहम बात है कि महिलाओं में यह बीमारी होने पर समय पर इलाज नहीं हो पाता है। आम तौर पर देखा जाए तो पुरुष को दिक्कत होने पर उसके कार्यालय के सहकर्मी, मित्र आदि उसे तुरन्त अस्पताल लेकर जाते हैं और समय पर बीमारी पकड़ में आ जाती हैं। वहीं महिलाओं की बात करें तो अभी भी अधिकांश घर संभालती हैं। बच्चों, बुजुर्गों की जिम्मेदारी में उनका पूरा दिन गुजरता है।
ऐसे में उन्हे दिल का दौरा पड़ने पर शुरुआत में वह बर्दाश्त करती रहती हैं। वह इसे सामान्य दर्द समझते हुए इसलिए गम्भीरता से नहीं लेती कि शायद कुछ देर बाद ठीक हो जाए। जब देर शाम या रात में परिवार के पुरुष सदस्य घर पहुंचते हैं, तब तक महिला का दर्द कम हो चुका होता है। ऐसे में वह अगले दिन डॉक्टर का पास जाते हैं। इस तरह महिलाएं 12 से 14 घंटे देर में अस्पताल पहुंचती हैं। काफी देर से अस्पताल लाने और कई बार उचित इलाज समय पर नहीं मिलने की वजह से महिलाओं की स्थिति गम्भीर हो जाती है। कई बार ये देरी जान जाने की भी वजह बनती है। हमारे देश में महिलाओं में आज भी अपनी बीमारी छिपाने या उसे लेकर गम्भीर न होने की आदत है, जो उनकी सेहत को ज्यादा नुकसान पहुंचने की वजह भी है।
शरीर में धीरे-धीरे पनपता है एथेरोस्क्लेरोसिस रोग हृदय रोग विशेषज्ञ डॉ.एके श्रीवास्तव के मुताबिक एथेरोस्क्लेरोसिस की समस्या अचानक जन्म नहीं लेती, यह शरीर में धीरे-धीरे पनपती है। जब तक धमनियों की रुकावट अंगों तक रक्त के बहाव को धीमा न करने लगे, तब तक एथेरोस्क्लेरोसिस सामान्य तौर पर नजर नहीं आती। कई बार थक्के पूरी तरह तरह से रक्त के बहाव को रोक देते हैं, जिसके वजह से दिल का दौरा पड़ता है। लोगों को हार्ट अटैक और स्‍ट्रोक के लक्षणों को समझना जरूरी है। ये दोनों ही एथेरोस्क्लेरोसिस के कारण होते हैं और इनमें तुरंत मेडिकल सहायता की जरूरत होती है। 
हार्ट अटैक के लक्षणों में सीने में दर्द, कंधे, कमर, गर्दन, हाथ में दर्द, पेट में दर्द, सांस लेने में दिक्‍कत, सिर चकराना, उल्‍टी आदि की समस्या होती है। वहीं स्‍ट्रोक के लक्षणों में चेहरे या हाथ-पैरों में कमजोरी या सुन्‍नता, बोलने में दिक्‍कत होना, देखने में परेशानी होना, बेसुध होना और अचानक तेज सिरदर्द होना है। उम्र के साथ एथेरोस्क्लेरोसिस होने का खतरा बढ़ जाता है। ऐसे में अगर ध्यान नहीं दिया जाए तो कई बार स्थिति बेहद गम्भीर हो जाती है।
शरीर में इस तरह खतरे का कारण बनता है एथेरोस्क्लेरोसिस चिकित्सकों के मुताबिक एथेरोस्क्लेरोसिस से कई प्रकार की जटिलताएं पैदा हो सकती हैं। इनमें जब एथेरोस्क्लेरोसिस ह्रदय के निकट स्थित धमनियों को संकुचित कर देता है तो कोरोनरी धमनी रोग विकसित हो जाता है। यह एंजाइना, दिल का दौरा या हार्ट फेल का कारण बनता है। इसी तरह कैरोटिड धमनी रोग में जब एथेरोस्क्लेरोसिस मस्तिष्क के समीप स्थित धमनियों को संकीर्ण बनाता है, तो व्यक्ति कैरोटिड धमनी रोग से ग्र���ित हो सकता है। यह एक ट्रांसिएंट इस्कीमिक अटैक या स्ट्रोक पैदा कर सकता है।
इसी तरह अन्य जटिलताओं में परिधीय धमनी रोग में जब एथेरोस्क्लेरोसिस बांह या पैरों में स्थित धमनियों को संकुचित करता है तो वहां परिसंचरण समस्याएं हो सकती हैं। वहीं एथेरोस्क्लेरोसिस ऐन्यरिजम या धमनीविस्फार का कारण भी बन सकता है। यह एक गंभीर जटिलता है जो शरीर में कहीं भी हो सकती है। धमनीविस्फार धमनी की सतह में उभार होता है। धमनीविस्फार से ग्रसित अधिकांश लोगों में कोई लक्षण मौजूद नहीं होते। वहीं एथेरोस्क्लेरोसिस गुर्दे की ओर बढ़ने वाली धमनियों को भी संकीर्ण बना सकता है व ऑक्सीजन युक्त रक्त को गुर्दे तक पहुंचने से रोक सकता है। समय के साथ यह गुर्दे की कार्यप्रणाली को प्रभावित कर सकता है।
गंभीर लक्षणों के लिए सर्जरी की जरूरत एथेरोस्क्लेरोसिस का असर कम या समाप्त करने के लिए चिकित्सक पहले दवाओं से प्रयास करते हैं। गंभीर लक्षणों में सर्जरी की जाती है। इनमें एंजियोप्लास्टी और स्टेंट प्लेसमेंट में धमनी में स्टेंट डाल दिया जाता है। एंडरटेरेक्टमी में वसा युक्त जमाव को सर्जरी से संकीर्ण धमनी की सतह से हटाया जाता है। फाइब्रिनॉलिटिक थेरेपी में धमनी से थक्के को बाहर निकाला जाता है। इसी तरह जरूरत पड़ने पर बाईपास सर्जरी का भी विकल्प इस्तेमाल किया जाता है।
रिस्क फैक्टर पहचान कर दूर करने की जरूरत
-डायबिटीज, हाई ब्लड प्रेशर और कोलेस्ट्रॉल की समस्या की अनदेखी न करें। -धूम्रपान हर स्थिति में खतरे का कारण है। -वसायुक्त भोजन से परहेज करें। -शरीर का वजन नियंत्रित रखें। मोटापा हावी न होने दें। -व्यायाम से दूरी बीमारी को आमंत्रित करती है। इसलिए इसे प्रतिदिन सैर करें, पैदल चलें। -तनाव से दूरी बनाकर पर्याप्त नींद लें।
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