#सावन सोमवार कब है
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राखी बांधने की प्रथा की सर्वप्रथम शुरूआत किसने की
राखी बांधने की प्रथा की सर्वप्रथम शुरूआत किसने की, कब और कैसे शुरू हुई यह परंपरा
सावन के महीने के अंतिम दिन यानी सावन माह की पूर्णिमा तिथि रक्षाबंधन का त्योंहार मनाया जाता है. रक्षाबंधन का त्योंहार भाई-बहनों के बीच अटूट प्यार को दर्शाता है. रक्षाबंधन यानी रक्षा का बंधन. राखी के दिन बहनें पूजा करके भाइयों की कलाइयों पर राखी बांधकर उनके लिए मंगल कामना करती हैं. वहीं भाई अपनी बहनों को रक्षां करने का वादा करते हैं।
इस साल रक्षाबंधन का पर्व 19 अगस्त 2024, सोमवार के दिन मनाया जाएगा. लेकिन क्या आप जानते हैं कि रक्षाबंधन मनाने की शुरुआत कब और कैसे हुई. साथ ही सबसे पहले किसने किसे राखी बांधी थी?
रक्षाबंधन भाई-बहन के प्रेम का उत्सव है. यह पर्व अपने भाई की कलाई पर धागा बांधने और उपहार देने से कहीं अधिक है. यह आपकी गहरी भावनाओं को व्यक्त करने और कभी ना टूटने वाले बंधन का उत्सव मनाने का प्रतीक है. भारत में एक पारंपरिक हिंदू त्योहार, रक्षाबंधन, भाई-बहनों के रिश्ते को याद करता है. ये उत्सव, जैविक संबंधों से बाहर, वैश्विक एकता के भारतीय मूल्य (वसुधैव कुटुंबकम) का प्रतीक है, जिसका मतलब है कि पूरी दुनिया एक परिवार है।
क्या आप जानते हैं कि रक्षाबंधन पौराणिक काल से पहले ही मनाया जाता था? ऐसा माना जाता है कि इस उत्सव की शुरुआत सतयुग में हुई थी और मां लक्ष्मी ने राजा बलि को रक्षासूत्र बांधकर इस परंपरा का शुभारंभ किया। रक्षाबंधन की शुरुआत को लेकर बहुत सी कहानियां और पौराणिक मान्यताएं भी प्रचलित हैं.
रक्षाबंधन का इतिहास
रक्षा बंधन का त्यौहार भाई-बहन के प्यार और भाइयों द्वारा बहनों की रक्षा का प्रतीक है. इस दिन बहनें अपने भाइयों को राखी बांधती हैं और उनकी लंबी आयु की कामना करती हैं. इस दिन ��ाई बहनों की रक्षा करने का वचन लेते हैं।
1. इंद्र और इंद्राणि की कथा
भविष्य पुराण में इंद्र देवता की पत्नी शुचि ने उन्हें राखी बांधी थी. एक बार देवराज इंद्र और दानवों के बीच एक भयानक युद्ध हुआ था. दानव जीतने लगे तो देवराज इंद्र की पत्नी शुचि ने गुरु बृहस्पति से कहा कि वे देवराज इंद्र की कलाई पर एक रक्षासूत्र बांध दें. तब इंद्र ने इस रक्षासूत्र से अपने और अपनी सेना को बचाया. वहीं, एक और कहानी के अनुसार, राजा इंद्र और राक्षसों के बीच एक क्रूर युद्ध हुआ, जिसमें इंद्र पराजित हो गए. इंद्र की पत्नी ने गुरु बृहस्पति से कहा कि शुचि इंद्र की कलाई पर एक रक्षा सूत्र बांध दे. राजा इंद्र ने इस रक्षा सूत्र से ही राक्षसों को हराया था. रक्षाबंधन का त्यौहार तब से मनाया जाता था।
2. राजा बलि को मां लक्ष्मी ने बांधी थी राखी
राजा बली का दानधर्म इतिहास में सबसे महान है. एक बार मां लक्ष्मी ने राजा बलि को राखी बांधकर भगवान विष्णु से बदला मांगा. कहा जाता है कि राजा बलि ने एक बार एक यज्ञ किया. तब भगवान विष्णु ने वामनावतार लेकर दानवीर राजा बलि से तीन पग जमीन मांगी. श्रीहरि ने वामनावतार ने दो पग में पूरी धरती और आकाश को नाप लिया. राजा बलि ने समझा कि भगवान विष्णु स्वयं उनकी जांच कर रहे हैं. उन्होंने तीसरा पग रखने के लिए भगवान के सामने अपना सिर आगे कर दिया।
फिर उन्होंने प्रभु से कहा कि अब मेरा सब कुछ चला गया है, कृपया मेरी विनती सुनें और मेरे साथ पाताल में रहो. भक्त भी भगवान को बैकुंठ छोड़कर पाताल चले गए. यह जानकर देवी लक्ष्मी ने गरीब महिला के रूप में राजा बलि के पास गई और उन्हें राखी बांधी. फिर राजा बलि ने कहा- मेरे पास तुम्हें देने के लिए कुछ भी नहीं है. इसके बाद देवी लक्ष्मी अपने असली स्वरूप में आ गई. देवी ने राजा से कहा- आपके पास भगवान विष्णु है और मुझे वहीं चाहिए. राजा बलि ने भगवान विष्णु को हर साल चार माह पाताल लोक में रहने के लिए कहा. इसलिए चार महीने चतुर्मास का समय होता है जब विष्णु जी चार माह के लिए विश्राम पर होते है. यही चार महीने का समय चातुर्मास कहे जाते हैं।
महाभारत में द्रौपदी ने कृष्ण को बांधी राखी
शिशुपाल भी इंद्रप्रस्थ में राजसूय यज्ञ में उपस्थित था. जब शिशुपाल ने श्रीकृष्ण का अपमान किया, तो श्रीकृष्ण ने अपने सुदर्शन चक्र से शिशुपाल को मार डाला. लौटते समय कृष्णजी की छोटी उंगली सुदर्शन चक्र से घायल हो गई और रक्त बहने लगा. तब द्रौपदी ने श्रीकृष्ण की उंगली पर अपनी साड़ी का पल्लू बांधा. तब श्रीकृष्ण ने द्रौपदी से कहा कि वह इस रक्षा सूत्र को पूरा करेंगे. जब द्रौपदी को कौरवों ने चीरहरण किया, तो श्रीकृष्ण ने चीर बढ़ाकर द्रौपदी की रक्षा की. मान्यता है कि श्रावण पूर्णिमा का दिन था जब द्रौपदी ने श्रीकृष्ण की उंगली पर साड़ी का पल्लू बांधा था।
यमराज और यमुना की कथा
पौराणिक क��ाओं के अनुसार, यमुना मृत्यु के देवता यमराज को अपना भाई मानती थी. एक बार ��मुना ने अपने छोटे भाई यमराज को लंबी उम्र देने के लिए रक्षासूत्र बांधा था. इसके बदले में यमराज ने यमुना को अमर होने का वरदान दे दिया. प्राण हरने वाले देवता ने अपनी बहन को कभी न मरने का वरदान दिया. तभी से यह परंपरा हर श्रावण पूर्णिमा को निभाई जाती है. मान्यता है कि जो भाई रक्षा बंधन के दिन अपनी बहन से राखी बंधवाते हैं, यमराज उनकी रक्षा करते हैं।
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कब मनाया जाएगा रक्षाबंधन का त्योहार -
रक्षाबंधन का शुभ मुहूर्त –हिंदू पंचांग के अनुसार इस साल सावन माह के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि 19 अगस्त दिन सोमवार को 3 बजकर 4 मिनट से आरंभ हो रही है और इस तिथि का समापन 19 अगस्त को ही रात 11 बजकर 55 मिनट पर हो जाएगा। वही उदया तिथि के अनुसार रक्षाबंधन का त्योहार 19 अगस्त दिन सोमवार को मनाया जाएगा।रक्षाबंधन का शुभ मुहूर्त –आपको बता दें कि 19 अगस्त को रक्षाबंधन का मुहूर्त दोपहर 1 बजकर 30 मिनट से…
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Sawan Somwar 2024: कब है सावन का चौथा सोमवार जानिए, तिथि शुभ मुहूर्त और पूजा विधिSawan Somwar 2024: शिव पुराण में शिव को पंचदेवों में प्रमुख सनातन सिद्ध परमेश्वर के रूप में स्वीकार किया गया है। कहा जाता है कि सावन के प्रत्येक सोमवार को भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए कई उपाय, पूजा-अर्चना की जाती है।
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जानें कब है सावन का पहला सोमवार। Sawan Ka Pehla Somwar Kab Hai, Sawan 2024 हिंदू धर्म में सावन के महीने को बहुत ही पवित्र माना जाता है। https://www.vinaybajrangi.com/blog/festivalhttps://www.youtube.com/watch?v=2zZQ_Fb90V4#Sawan2024 #SawanSomwar #SawanMonth #SawanCelebration #SawanVrat #SawanMahina #SawanKaMahina #Shravan2024 #SawanFestivities #SawanFast #DevotionalMonth #SawanSpecial #ShivBhakti
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Sawan Somwar 2023 : सावन की आरंभ तिथि और समाप्ति तिथि, जानें महत्व, शुभ मुहूर्त और पूजाविधि
Sawan Somwar 2023 : सावन की आरंभ तिथि और समाप्ति तिथि, जानें महत्व, शुभ मुहूर्त और पूजाविधि #SawanSomwar2023
Sawan Somwar 2023, Somvar vrat 2023 date, sawan somvar vrat 2023 date, sawan somvar kab se chalu hai, sawan 2023 me kitne somwar hai, सावन कब से शुरू है 2023, 2023 का सावन कितने दिन का है? सभी शिव भक्तों को हर साल सावन का इंतज़ार बहुत होता है। और हो भी क्यू न सावन को सबसे पवित्र समय माना जाता है, जब सभी शिव भक्त उनकी आराधना और पूजा करते हैं। सावन के हर सोमवार पर शिव जी की पूजा का विशेष महत्व है।…
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Sawan 2022: सावन महीने में इन राशि वालों पर रहेगी भोलेनाथ की विशेष कृपा, क्या आपकी राशि भी है लकी?
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Sawan 2022: सावन का महीना भगवान शंकर को समर्पित माना गया है। इस साल 14 जुलाई से सावन का महीना शुरू होगा, जो कि 12 अगस्त को समाप्त होगा। हिंदू धर्म में सावन के महीने का विशेष महत्व होता है। यह महीना भगवान शंकर को अतिप्रिय होता है। इस माह में विधि- विधान से भोलेनाथ की पूजा की जाती है। मान्यता है कि सावन के सोमवार व्रत रखने से भोलेनाथ की कृपा से भक्तों की मनोकामना पूरी होती है। धार्मिक मान्यताओं के…
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सोमवार की आरती कथा-विधि I सप्तवार व्रत कथा I Somvar Vrat Katha
सोमवार की आरती कथा-विधि I सप्तवार व्रत कथा I Somvar Vrat Katha
सोमवार की आरती कथा-विधि हिंदी में सोमवार की आरती कथा-विधि : सोमवार के व्रत की विधि और सोमवार व्रत की कथा और आरती किस प्रकार से कैसे करें ! हमारे सनातन में हर वार की व्रत कथा और आरती का महत्त्व बताया गया है ! सप्तवार व्रत कथा के बारे में जानने के लिए हम एक सप्तवार व्रत कथा की सीरिज ला रहे है ! इसको पढ़कर आप इसके महत्त्व को जाने ! -: सप्तवार व्रत,आरती कथा-विधि :- रविवार की आरती…
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#16 सोमवार के व्रत में क्या खाया जाता है?#सावन के सोमवार व्रत रखने से क्या फल मिलता है?#सोमवार उद्यापन कैसे करें?#सोमवार का व्रत रखने से क्या होता है?#सोमवार व्रत कब शुरू करना चाहिए?#सोमवार व्रत की पूजा कैसे करें?#सोमवार व्रत में शाम को क्या खाना चाहिए?#सोलह सोमवार का व्रत कब किया जाता है?
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Somvati Amavasya: मास, वार, तिथि और नक्षत्र का संयोग सद्कामना पूर्ति में सहायक
Somvati Amavasya: मास, वार, तिथि और नक्षत्र का संयोग सद्कामना पूर्ति में सहायक
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‘हरियाली अमावस्या’ के नाम से भी प्रसिद्ध श्रावण की अमावस्या सोमवार को है। इस वर्ष की अमावस्या तिथि को सोमवार और पुनर्वसु नक्षत्र का शुभ संयोग बन रहा है। यह नई किताबों को पूरा करने में सहायक है। इस तिथि पर भगवान शिव, श्रीहरि विष्णु और पीपल वृक्ष की 108 परिक्रमा का विशेष महत्व है।
श्रावण अमावस्या तिथि रविवार, 19 जुलाई को फेररात्रि में 12 बजकर 10 मिनट पर लग गई है जो 20 जुलाई को रात्रि 11.…
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Sawan Bhakti Songs Video: सावन में सुनें भगवान शिव के ख़ास भजन, भक्ति में झूम जाएगा मन|dharm Videos in Hindi - हिंदी वीडियो, लेटेस्ट-ब्रेकिंग न्यूज़ हिंदी वीडियो में
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चिंता के विचार आपकी ख़ुशी को बर्बाद कर सकते हैं। ऐसा न होने दें, क्योंकि इनमें अच्छी चीज़ों को ख़त्म करने की और समझदारी में निराशा का ज़हरीला बीज बोने की क्षमता होती है। ख़ुद को हमेशा अच्छा परिणाम पाने के लिए ��्रोत्साहित करें और ख़राब हालात में भी कुछ-न-कुछ अच्छा देखने का गुण विकसित करें। ख़ास लोग ऐसी किसी भी योजना में रुपये लगाने के लिए तैयार होंगे, जिसमें संभावना नज़र आए और विशेष हो। भूमि से…
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Sawan 2023 Date: साल 2023 में कब से शुरू होंगे सावन, जानें कितने पड़ेंगे सावान सोमवार
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Sawan 2023 Date: सावन 2023 सावन कब से शुरू हो रहा है यहां जानिए. Sawan Month 2023: हिंदू धर्म में सावन मास को बेहद पवित्र माना गया है. दअअसल इस पवित्र महीने में भागवान शिव की खूब भक्ति की जाती है. भक्त लंबी दूरी यात्रा करके अपन�� कांधे पर कांवड़ लेकर महादेव शिव का जलाभिषेक और अभिषेक करते हैं. इसके अलावा इस महीने में सावन सोमवार व्रत का सबसे अधिक महत्व है. श्रावण मास भगवान शिव जी को सबसे प्रिय है.…
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Raksha Bandhan 2024
Raksha Bandhan 2024
इस साल रक्षा बंधन 19 अगस्त, 2024 को होगा। यह दिन भाई-बहनों के बीच प्यार का समय है। पंचक और भद्रा का प्रभाव होने से शुभ मुहूर्त में राखी बांधना बहुत अच्छा होता है। हिंदू धर्म के अनुसार, श्रावण पूर्णिमा तिथि को भद्रा रहित शुभ मुहूर्त में रक्षाबंधन मनाना अच्छा होता है. इस समय में बहनों को अपनी भाइयों को राखी बांधनी चाहिए. इस साल 2024 में रक्षाबंधन पर 6 शुभ संयोग बन रहे हैं, लेकिन उस दिन पाताल की भद्रा राखी के त्योहार का मजा किरकिरा कर सकती है। हालांकि कई विद्वानों का मत है कि पाताल की भद्रा का असर धरती पर नहीं होता है परंतु रक्षाबंधन में श्रावणी भद्रा का त्याग बताया गया है। वैसे भी यह त्योहार भाई और बहन की खुशहाली से जुड़ा है।ज्योतिष के अनुसार रक्षाबंधन पर 6 शुभ संयोग बन रहे हैं..? रक्षाबंधन पर राखी बांधने का मुहूर्त क्या है..? रक्षाबंधन के दिन भद्रा कब से लग रही है..? जानते हैं। हिंदू कैलेंडर के अनुसार, इस बार 19 अगस्त सोमवार को तड़के 3 बजकर 5 AM से सावन पूर्णिमा तिथि प्रारंभ होगी और यह 19 अगस्त को ही रात 11 बजकर 55 मिनट पर खत्म होगी. सूर्योदय की तिथि के आधार पर रक्षाबंधन का त्योहार 19 अगस्त को मनाया जाएगा।
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क्या आप जानते हैं सावन का दूसरा प्रदोष व्रत कब है, जानें इस व्रत का महत्व और मुहूर्त | Do you know when is the second Pradosh fast of Sawan, know the importance and Muhurta of this fast
क्या आप जानते हैं सावन का दूसरा प्रदोष व्रत कब है, जानें इस व्रत का महत्व और मुहूर्त | Do you know when is the second Pradosh fast of Sawan, know the importance and Muhurta of this fast
डिजिटल डेस्क, भोपाल। सावन के महीने का हर दिन भोलेनाथ के लिए समर्पित है। इस महीने में शिव पूजा के लिए सावन सोमवार, सावन शिवरात्रि के अलावा प्रदोष व्रत भी बहुत लाभकारी होता है। सावन के शुक्ल पक्ष त्रयोदशी तिथि को इस माह का दूसरा प्रदोष व्रत है। इस दिन तारीख 9 अगस्त और दिन मंगलवार होने से ये भौम प्रदोष रहेगा। भोलेशंकर की पूजा के लिए प्रदोष व्रत बहुत पुण्यकारी माना जाता है। इस दिन भगवान शिव और माता…
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Shani Pradosh Vrat In August: कब रखा जाएगा अगस्त महीने में शनि प्रदोष व्रत, जानिए Shani Pradosh Vrat In August: सावन का महीना पूरी तरह से भगवान शिव को समर्पित होता है। इस महीने में रोजाना भगवान शिव की पूजा की जाती है। साथ ही सावन सोमवार को व्रत भी रखा जाता है।
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इस दिन पड़ रहा है सावन के पहले सोमवार का व्रत , जानें इसका मुहूर्त और महत्व हिंदू धर्म में सावन का बहुत महात्म है। जगह जगह पर शिव जी की पूजा पाठ होता रहता है। भक्तों के लिए भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए सावन का महीना आने वाला है। भगवान शिव का पूजा करने का सबसे अच्छा दिन सोमवार होता है। उस दिन उनकी पूजा बहुत भव्य तरीके से होती है। ऐसी मान्यता हैं कि भगवान शिव को प्रसन्न करने के बृहस्पतिवार के दिन शिव जी के शिवलिंग पर अभिषेक करेके उनका विधिवत पूजा पाठ करें। बृहस्पतिवार के दिन ऐसा करने से उसका फल दोगुना हो जाता है। शिव जी वैरागी है इसलिए सावन के दिन औघड़ भी जगह जगह शिव जी की भक्ति में लग जाते है। सावन का त्योहार शिव भक्तों के लिए उनमें लीन कर देता है। शिव भक्त हरिद्वार से गंगाजल लेकर नंगे पांव अपने निवास पर लौटते है और भगवान शिव को ये पवित्र जल अर्पित करके उनकी उपासना करते हैं। कुछ शिव भक्त सावन का हर सोमवार व्रत भी रखते है। सावन। मिस दिन व्रत रखना बहुत शुभ माना जाता हैं। इस साल सावन का पहला सोमवार 18 जुलाई को पड़ा है।उसी दिन श्रद्धालु सोमवार का व्रत रखेंगे। आइए जानते है की कब है पूजा का शुभ मुहूर्त, सावन का महत्व और व्रत करने से क्या क्या लाभ होगा :– सावन का पहला सोमवार का शुभ मुहूर्त हिंदू पंचांग के अनुसार इस बार सावन का पहला सोमवार 18 जुलाई को पड़ रहा है।इस बार सावन कृष्ण पक्ष की षष्ठी तिथि , 11जुलाई की रात 11:24 मिनट से शुरुआत हो रही है। समापन 18 जुलाई को रात 10:19 मिनट पर हो रहा है। व्रत का शुभ मुहूर्त हिंदू पंचांग के अनुसार सावन व्रत का सही समय 18 जुलाई को सुबह 5:40 मिनट पर शुरू होगा।अगले दिन 19 जुलाई को 2:42 मिनट तक जारी रहेगा। इस व्रत में रवि योग पद रहा है।आप सावन का सोमवार व्रत 18 जुलाई को रखेंगे। इस दिन से ही आप सावन का सोमवार व्रत रख सकते है। इस बार कुल 4 सावन का सोमवार पड़ रहा हैं। व्रत का महत्व सावन का व्रत हर क्षेत्र में फलदाई होता है। इसके व्रत से जीवन में बड़ी से बड़ी समस्या को हम आसानी से पार कर सकते है। क्योंकि सावन का व्रत माता पार्वती और शिव को समर्पित है। आइए जानते है इस व्रत को करने के फायदें :– सावन का पहला सोमवार व्रत करने से जीवन में आई सारी बाधाएं दूर हो जाती है। अगर आप विद्यार्थी हो तो निःसंदेह करियर की अच्छी शुरुआत होगी। आपकी बिगड़ी ग्रह दोष की स्थिति शांति से रहेगी। आ रही सारी बाधा दूर हो जायेंगी। https://www.instagram.com/p/CftuiKzvZsF/?igshid=NGJjMDIxMWI=
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Sawan 2022: सावन मास में इन 3 राशि वालों की खुलेगी किस्मत, बरसेगी भगवान शिव की कृपा
Sawan 2022: सावन मास में इन 3 राशि वालों की खुलेगी किस्मत, बरसेगी भगवान शिव की कृपा
Sawan 2022 Sawan 2022: हिंदू धर्म की मान्यताओं के अनुसार सावन का महीना बेहद खास होता है। लोग साल भर इस महीने का इंतज़ार करते हैं. क्योंकि यह महीना भगवान शिव को समर्पित होता है। कहा जाता है कि सावन मास में भगवान शिव की पूजा करने से कष्टों से मुक्ति मिलती है और मनोकामना पूरी होती है। साल 2022 का सावन मास भी जल्द ही शुरू होने वाला है, 14 जुलाई से इस शुभ महीने की शुरुआत हो रही है. जो 12 अगस्त 2022 तक…
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