#शिव की के भजन
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ll श्रीराम चालीसा ll
श्री रघुबीर भक्त हितकारी।
सुन लीजै प्रभु अरज हमारी॥
निशिदिन ध्यान धरै जो कोई।
ता सम भक्त और नहीं होई॥
ध्यान धरे शिवजी मन मांही।
ब्रह्मा, इन्द्र पार नहीं पाहीं॥
दूत तुम्हार वीर हनुमाना।
जासु प्रभाव तिहुं पुर जाना॥
जय, जय, जय रघुनाथ कृपाला।
सदा करो संतन प्रतिपाला॥
तव भुजदण्ड प्रचण्ड कृपाला।
रावण मारि सुरन प्रतिपाला॥
तुम अनाथ के नाथ गोसा��ं।
दीनन के हो सदा सहाई॥
ब्रह्मादिक तव पार न पावैं।
सदा ईश तुम्हरो यश गावैं॥
चारिउ भेद भरत हैं साखी।
तुम भक्तन की लज्जा राखी॥
गुण गावत शारद मन माहीं।
सुरपति ताको पार न पाहिं॥
नाम तुम्हार लेत जो कोई।
ता सम धन्य और नहीं होई॥
राम नाम है अपरम्पारा।
चारिहु वेदन जाहि पुकारा॥
गणपति नाम तुम्हारो लीन्हो।
तिनको प्रथम पूज्य तुम कीन्हो॥
शेष रटत नित नाम तुम्हारा।
महि को भार शीश पर धारा॥
फूल समान रहत सो भारा।
पावत कोऊ न तुम्हरो पारा॥
भरत नाम तुम्हरो उर धारो।
तासों कबहूं न रण में हारो॥
नाम शत्रुहन हृदय प्रकाशा।
सुमिरत होत शत्रु कर नाशा॥
लखन तुम्हारे आज्ञाकारी।
सदा करत सन्तन रखवारी॥
ताते रण जीते नहिं कोई।
युद्ध जुरे यमहूं किन होई॥
महालक्ष्मी धर अवतारा।
सब विधि करत पाप को छारा॥
सीता राम पुनीता गायो।
भुवनेश्वरी प्रभाव दिखायो॥
घट सों प्रकट भई सो आई।
जाको देखत चन्द्र लजाई॥
जो तुम्हरे नित पांव पलोटत।
नवो निद्धि चरणन में लोटत॥
सिद्धि अठारह मंगलकारी।
सो तुम पर जावै बलिहारी॥
औरहु जो अनेक प्रभुताई।
सो सीतापति तुमहिं बनाई॥
इच्छा ते कोटिन संसारा।
रचत न लागत पल की बारा॥
जो तुम्हरे चरणन चित लावै।
ताकी मुक्ति अवसि हो जावै॥
सुनहु राम तुम तात हमारे।
तुमहिं भरत कुल पूज्य प्रचारे॥
तुमहिं देव कुल देव हमारे।
तुम गुरु देव प्राण के प्यारे॥
जो कुछ हो सो तुमहिं राजा।
जय जय जय प्रभु राखो लाजा॥
राम आत्मा पोषण हारे।
जय जय जय दशरथ के प्यारे॥
जय जय जय प्रभु ज्योति स्वरुपा।
नर्गुण ब्रहृ अखण्ड अनूपा॥
सत्य सत्य जय सत्यव्रत स्वामी।
सत्य सनातन अन्तर्यामी॥
सत्य भजन तुम्हरो जो गावै।
सो निश्चय चारों फल पावै॥
सत्य शपथ गौरीपति कीन्हीं।
तुमने भक्तिहिं सब सिधि दीन्हीं॥
ज्ञान हृदय दो ज्ञान स्वरुपा।
नमो नमो जय जगपति भूपा॥
धन्य धन्य तुम धन्य प्रतापा।
नाम तुम्हार हरत संतापा॥
सत्य शुद्ध देवन मुख गाया।
बजी दुन्दुभी शंख बजाया॥
सत्य सत्य तुम सत्य सनातन।
तुम ही हो हमरे तन-मन धन॥
याको पाठ करे जो कोई।
ज्ञान प्रकट ताके उर होई॥
आवागमन मि��ै तिहि केरा।
सत्य वचन माने शिव मेरा॥
और आस मन में जो होई।
मनवांछित फल पावे सोई॥
तीनहुं काल ध्यान जो ल्यावै।
तुलसी दल अरु फूल चढ़ावै॥
साग पत्र सो भोग लगावै।
सो नर सकल सिद्धता पावै॥
अन्त समय रघुबर पुर जाई।
जहां जन्म हरि भक्त कहाई॥
श्री हरिदास कहै अरु गावै।
सो बैकुण्ठ धाम को पावै॥
॥ दोहा ॥
सात दिवस जो नेम कर,
पाठ करे चित लाय।
हरिदास हरि कृपा से,
अवसि भक्ति को पाय॥
राम चालीसा जो पढ़े,
राम चरण चित लाय।
जो इच्छा मन में करै,
सकल सिद्ध हो जाय॥
🙏जय श्री राम🙏
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महा शिवरात्रि - Maha Shivaratri
महा शिवरात्रि विशेष…
🔱 महा शिवरात्रि क्यों, कब, कहाँ और कैसे? ❀ महा शिवरात्रि - Maha Shivaratri
महा शिवरात्रि मंत्र: ❀ श्री शिव पंचाक्षर स्तोत्र ❀ लिङ्गाष्टकम् ❀ शिव तांडव स्तोत्रम् ❀ सौराष्ट्रे सोमनाथं - द्वादश ज्योतिर्लिंग ❀ महामृत्युंजय मंत्र, संजीवनी मंत्र ❀ शिवाष्ट्कम् ❀ दारिद्र्य दहन शिवस्तोत्रं ❀ शिव स्वर्णमाला स्तुति ❀ कर्पूरगौरं करुणावतारं ❀ बेलपत्र / बिल्वपत्र चढ़ाने का मंत्र
महा शिवरात्रि आरतियाँ: ❀ शिव आरती: जय शिव ओंकारा ❀ शिव आरती: ॐ जय गंगाधर ❀ हर महादेव आरती: सत्य, सनातन, सुंदर ❀ श्री पार्वती माँ की आरती ❀ जय अम्बे गौरी आरती ❀ ॐ जय जगदीश हरे आरती
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महा शिवरात्रि भजन: ❀ इक दिन वो भोले भंडारी बन करके ब्रज की नारी ❀ शीश गंग अर्धंग पार्वती ❀ शिव शंकर को जिसने पूजा उसका ही उद्धार हुआ ❀ हे शम्भू बाबा मेरे भोले नाथ ❀ ॐ शंकर शिव भोले उमापति महादेव ❀ शिव शंकर को जिसने पूजा उसका ही उद्धार हुआ ❀ चलो शिव शंकर के मंदिर में भक्तो ❀ हे भोले शंकर पधारो ❀ सुबह सुबह ले शिव का नाम ❀ शिव स्तुति: आशुतोष शशाँक शेखर ❀ मन मेरा मंदिर, शिव मेरी पूजा ❀ शिव भजन
महा शिवरात्रि चालीसा: ❀ शिव चालीसा ❀ पार्वती चालीसा
शिव नामावली: ❀ श्री शिवसहस्रनामावली ❀ श्रीरुद्राष्टकम् ❀ शिव शतनाम-नामावली स्तोत्रम्!
महा शिवरात्रि कथा: ❀ महा शिवरात्रि पूजन कथा ❀ श्री सोमनाथ ज्योतिर्लिंग प्रादुर्भाव पौराणिक कथा ❀ श्री नागेश्वर ज्योतिर्लिंग उत्पत्ति पौराणिक कथा ❀ श्री त्रंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग उत्पत्ति पौराणिक कथा ❀ श्री भीमशंकर ज्योतिर्लिंग उत्पत्ति पौराणिक कथा ❀ हिरण्यगर्भ दूधेश्वर ज्योतिर्लिंग प्रादुर्भाव पौराणिक कथा ❀ गोपेश्वर महादेव की लीला
शिव मंदिर: ❀ द्वादश(12) शिव ज्योतिर्लिंग ❀ दिल्ली के प्रसिद्ध शिव मंदिर ❀ सोमनाथ के प्रमुख सिद्ध मंदिर ❀ भुवनेश्वर के विश्व प्रसिद्ध मंदिर
ब्लॉग: ❀ रुद्राभिषेक क्या है? ❀ महाशिवरात्रि को महासिद्धिदात्री क्यों कहा जाता है? ❀ महाशिवरात्रि में क्यों उजागर रहते हैं लोग?
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धरोहर | हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट | Dharohar | Help U Educational and Charitable Trust
लखनऊ, 28.04.2023 | हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट की स्थापना के 11 वर्ष पूर्ण होने के अवसर पर "स्थापना दिवस कार्यक्रम" तथा हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट, संस्कृति मंत्रालय, भारत सरकार एवं उत्तर मध्य क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र NCZCC के संयुक्त तत्वावधान में सांस्कृतिक कार्यक्रम "धरोहर” का आयो��न सी एम एस ऑडिटोरियम, विशाल खंड, गोमती नगर, लखनऊ में किया गया |
कार्यक्रम का शुभारंभ राष्ट्रगान तथा श्री हर्ष वर्धन अग्रवाल, संस्थापक एवं प्रबंध न्यासी, हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट तथा डॉ रूपल अग्रवाल, न्यासी, हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट, ट्रस्ट की आतंरिक सलाहकार समिति के सदस्यगण ने दीप प्रज्वलन करके किया l
सांस्कृतिक कार्यक्रम "धरोहर” में, हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट के पूर्व संरक्षक पद्माभूषण स्वर्गीय गोपाल दास नीरज, पद्माश्री स्वर्गीय अनवर जलालपुरी तथा वर्तमान संरक्षक पद्माश्री अनूप जलोटा की रचनाओं, गीतों, शायरी तथा भजनों की प्रस्तुति प्रदीप अली, आकांक्षा सिंह, मल्लिका शुक्ला ने की तथा भारतीय सभ्यता और स��स्कृति को समर्पित सांस्कृतिक कार्यक्रम के अंतर्गत भाव नृत्य राम भी रहीम भी, अवधी नृत्य नाटिका वैदेही के राम, महारास, राजस्थानी लोक नृत्य घूमर, की प्रस्तुति उर्मिला पाण्डेय ग्रुप द्वारा की गयी |
उर्मिला पाण्डेय ग्रुप - भाव नृत्य राम भी रहीम भी
हमारी भारतीय संस्कृति ने हमेशा ही राष्ट्रीय भाईचारे और सौहार्द को बढ़ावा दिया है । राष्ट्रीय भाईचारे और सौहार्द्र को समर्पित भाव नृत्य शीर्षक राम भी रहीम भी प्रस्तुत किया ।
अवधी नृत्य नाटिका वैदेही के राम
श्री राम तथा माता सीता इनके मिलन की ही गाथा है ये नृत्य नाटिका वैदेही के राम। प्रभु श्री राम जब महर्षि विश्वामित्र के साथ मिथिला नगरी पहुँचे और वहाँ की पुष्प वाटिका में देवी सीता और श्री राम एक दूसरे को देख मंत्र मुग्ध हो गए। अंततः प्रभु श्री राम ने स्वयंवर में रखे शिव धनुष पर प्रत्यंचा चढ़ा कर राजकुमारी सीता से विवाह किया।
महारास
राधा कृष्ण और गोपियों द्वारा किया जाने वाला आनंदमयी तथा सौंदर्यवर्धक नृत्य रास कहलाता है। लीलापुरुषोत्तम भगवान श्री कृष्ण ने शरद पूर्णिमा की रात में छः महीने की रातों को एक कर ब्रजभूमि के कुंज में सर्वप्रथम यह नृत्य किया था । नृत्य की बंदिशों के साथ भाव भंगिमाओं तथा डांडिया नृत्य का उच्चतम प्रयोग रास के अंतर्गत देखने को मिलता है। इसमें श्रृंगार रस की प्रधानता होती है तथा यह राधा कृष्ण के प्रेम से परिपक्व नृत्य शैली मानी जाती है। आज की इस रासलीला में सर्वप्रथम बाल कृष्ण तत्पश्चात युवा कृष्ण एवम् राधा रानी का नृत्य प्रस्तुत किया ।
राजस्थानी लोक नृत्य घूमर
घूमर और राजस्थान दोनो एक दूसरे के पर्याय हैं और घूमर राजस्थान का सर्व जन प्रिय लोक नृत्य है। यह नृत्य महिलाओं द्वारा किया जाता है। किसी भी मांगलिक अवसर एवम् उत्सव में घूमर ��ृत्य अति आवश्यक रूप से नाचा जाता रहा है।
"स्थापना दिवस कार्यक्रम" में, हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट के प्रबंध न्यासी हर्ष वर्धन अग्रवाल, ट्रस्ट की न्यासी डॉ० रूपल अग्रवाल, ट्रस्ट की आतंरिक सलाहकार समिति के सदस्यगण ने हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट की विवरण पुस्तिका का विमोचन किया गया | विवरण पुस्तिका में ट्रस्ट के विगत 11 वर्षों के कार्यों का विवरण उपलब्ध है |
हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट द्वारा विगत 11 वर्षों में ट्रस्ट को महत्वपूर्ण योगदान प्रदान करने वाली 7 विभूतियों का हेल्प यू सम्मान तथा वैश्विक महामारी कोरोना काल में बहुमूल्य सहयोग प्रदान करने हेतु 119 कोरोना वॉरियर्स का सम्मान किया गया |
इस मौके पर हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट के प्रबंध न्यासी श्री हर्ष वर्धन अग्रवाल ने सभी का स्वागत करते हुए कहा कि, "आज के मुख्य अतिथि आदरणीय श्री बृजेश पाठक जी प्रदेश में निकाय चुनाव में व्यस्तता के कारण कार्यक्रम में सम्मिलित नहीं हो पा रहे हैं, वह आज इस समय वाराणसी में हैं | अपने पूज्य बाबा श्री राधेश्याम अग्रवाल जी व अपने पिताजी श्री राजीव अग्रवाल जी के जनहित के कार्यों से प्रभावित होकर 28 अप्रैल, 2012 को हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट की स्थापना की | तत्कालीन मेयर परम आदरणीय श्री दिनेश शर्मा जी ने ट्रस्ट को अपना बहुमूल्य सहयोग एवं मार्गदर्शन प्रदान किया | हमें संरक्षक के रूप में महाकवि पदम भूषण डॉ श्री गोपाल दास नीरज जी, पदम श्री अनवर जलालपुरी तथा भजन सम्राट पदम श्री अनूप जलोटा जी का सानिध्य प्राप्त हुआ | देश के सभी राज्यों की राजधानियों तथा अन्य देशो में ट्रस्ट के कार्यालय स्थापित कर जनहित के कार्यों को और विकसित करने का प्रयास किया जा रहा है जिससे हम सिर्फ उत्तर प्रदेश में ही नहीं बल्कि पूरे देश में जनहित के कार्यों में अपना योगदान दे सकें | वर्तमान समय में माननीय प्रधानमंत्री परम आदरणीय श्री नरेंद्र मोदी जी के मूल मंत्र सबका साथ, सबका विकास, सबका प्रयास, सबका विश्वास का अनुसरण करते हुए समाज के हर क्षेत्र में लोगों की मदद कर रहे हैं |
हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट की न्यासी डॉ० रूपल अग्रवाल ने हेल्प यू सम्मान से नवाजे गए सभी विभूतियों तथा हेल्प यू कोरोना वॉरियर्स से सम्मानित महानुभावों को बहुत-बहुत बधाई | विगत 11 वर्षों में बहुत कुछ बदला और हमने सबसे कठिन दौर तब देखा जब वैश्विक महामारी कोरोना ने पूरे विश्व को ज़कर लिया | उस समय लखनऊ शहर के अनेक संवेदनशील लोगों ने हमारा साथ दिया, जिससे हम सही समय पर असहाय व जरूरतमंद लोगों की मदद कर पाए | मैं बस यही कहना चाहूंगी कि आप भविष्य में भी इसी तरह हमारा साथ दीजिए जिससे हम समाज में सकारात्मक परिवर्तन लाने की अपनी मुहिम को पूरा कर सकें |
कार्यक्रम का संचालन डॉ अलका निवेदन ने किया I
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राजस्थान कला एवं संस्कृति
राजस्थान की कला एवं संस्कृति
राजस्थान अपनी समृद्ध सांस्कृतिक विरासत, लोक कला, संगीत, नृत्य, वास्तुकला और परंपराओं के लिए प्रसिद्ध है। यहाँ की संस्कृति में शाही गौरव, लोक परंपराएँ और रंगीन उत्सवों की झलक मिलती है। Let us discuss about राजस्थान कला एवं संस्कृति
1. राजस्थान की कला
(क) चित्रकला
राजस्थान की पारंपरिक चित्रकला अपनी बारीक कारीगरी और जीवंत रंगों के लिए प्रसिद्ध है।
फड़ चित्रकला �� कपड़े पर चित्रित धार्मिक और ऐतिहासिक कथाएँ।
राजपूत चित्रकला – महलों की दीवारों और कागज पर चित्रित वीरता, प्रेम और भक्ति के दृश्य।
कृष्ण लीला चित्रकला – भगवान कृष्ण के जीवन पर आधारित चित्र।
मिनीएचर (लघु) चित्रकला – राजस्थानी राजाओं और रानियों के दरबारों और युद्धों का चित्रण।
(ख) हस्तशिल्प कला
राजस्थान का हस्तशिल्प पूरी दुनिया में प्रसिद्ध है।
ब्लू पॉटरी – जयपुर की विश्व ��्रसिद्ध कला।
मेवाड़ की कांच-मोज़ेक कला – महलों और हवेलियों की दीवारों पर सुंदर नक्काशी।
कठपुतली कला – पारंपरिक राजस्थानी कठपुतलियों की नृत्य प्रस्तुति।
लाख की चूड़ियाँ – महिलाओं में विशेष रूप से लोकप्रिय आभूषण।
मार्बल नक्काशी – सफेद संगमरमर पर बारीक शिल्पकारी।
2. राजस्थान का संगीत एवं नृत्य
(क) लोक संगीत
राजस्थानी लोक संगीत लोक जीवन की कहानियाँ, प्रेम, वीरता और भक्ति से भरा होता है।
मांड – शाही और शास्त्रीय लोक संगीत।
पंडवानी – महाभारत की कथाओं पर आधारित गायन शैली।
भजन और कीर्तन – संत मीराबाई और भक्ति परंपरा से जुड़े गीत।
गोरबंद और टेराटाली – लोक जीवन से जुड़े विशेष गीत।
(ख) लोक नृत्य
राजस्थान के लोक नृत्य अत्यंत आकर्षक और जीवंत होते हैं।
घूमर – पारंपरिक राजपूती नृत्य, जिसे महिलाएँ घाघरा पहनकर करती हैं।
कालबेलिया – साँपों की चाल को दर्शाने वाला नृत्य, जिसे कालबेलिया जाति की महिलाएँ प्रस्तुत करती हैं।
चकरी नृत्य – तेज़ी से घूमने वाला लोक नृत्य।
भवाई नृत्य – सिर पर कई घड़े रखकर संतुलन बनाए रखने का कौशल।
कच्छी घोड़ी नृत्य – पुरुषों द्वारा किया जाने वाला युद्ध शैली का नृत्य।
3. राजस्थान की वास्तुकला
राजस्थान की वास्तुकला में हिंदू, मुस्लिम और राजपूती शैलियों का अद्भुत मिश्रण देखने को मिलता है।
(क) प्रमुख महल और किले
आमेर किला (जयपुर) – द्रविड़ और राजपूती वास्तुकला का अनूठा संगम।
मेहरानगढ़ किला (जोधपुर) – विशाल और भव्य किला, जिसमें शाही संग्रहालय स्थित है।
कुम्भलगढ़ किला – इसकी दीवार चीन की दीवार के बाद दूसरी सबसे लंबी दीवार मानी जाती है।
चित्तौड़गढ़ किला – रानी पद्मिनी और राणा प्रताप से जुड़ा ऐतिहासिक किला।
सिटी पैलेस (उदयपुर) – झीलों के किनारे स्थित भव्य महल।
(ख) प्रमुख मंदिर और धार्मिक स्थल
रणक��ुर जैन मंदिर – सफेद संगमरमर से बना जैन धर्म का अद्भुत मंदिर।
ब्रह्मा मंदिर (पुष्कर) – दुनिया के सबसे प्राचीन ब्रह्मा मंदिरों में से एक।
दिलवाड़ा जैन मंदिर (माउंट आबू) – विश्व प्रसिद्ध संगमरमर मंदिर।
मेहंदीपुर बालाजी मंदिर – हनुमानजी का प्रसिद्ध मंदिर, जहाँ तांत्रिक अनुष्ठान किए जाते हैं।
4. राजस्थान के प्रमुख त्योहार और मेले
राजस्थान में अनेक रंगीन मेले और त्योहार मनाए जाते हैं।
(क) प्रमुख त्योहार
गणगौर उत्सव – महिलाएँ भगवान शिव और पार्वती की पूजा करती हैं।
तीज उत्सव – हरियाली तीज और कजली तीज महिलाओं के लिए विशेष रूप से महत्वपूर्ण हैं।
मरु महोत्सव – जैसलमेर में मनाया जाने वाला रेगिस्तान का प्रसिद्ध महोत्सव।
दीपावली, होली और मकर संक्रांति – पूरे राज्य में धूमधाम से मनाए जाते हैं।
(ख) प्रसिद्ध मेले
पुष्कर मेला – विश्व प्रसिद्ध ऊँट मेला।
नागौर मेला – राजस्थान के सबसे बड़े पशु मेलों में से एक।
कैलादेवी मेला – करौली जिले में स्थित देवी का प्रसिद्ध मेला।
माउंट आबू समर फेस्टिवल – राजस्थान का एकमात्र हिल स्टेशन उत्सव।
5. राजस्थान की भाषा और साहित्य
राजस्थान में हिंदी और राजस्थानी भाषा की विभिन्न बोलियाँ प्रचलित हैं, जैसे –
मारवाड़ी (जोधपुर, जैसलमेर, बीकानेर में)
मेवाड़ी (उदयपुर क्षेत्र में)
ढूंढाड़ी (जयपुर और आसपास)
हाड़ौती (कोटा, बूंदी में)
शेखावटी (सीकर, झुंझुनू में)
राजस्थानी साहित्य में भक्तिकाल और वीर रस की प्रमुखता रही है। मीरा बाई, पृथ्वीराज राठौड़, सूर्यमल्ल मिश्रण, कन्हैया लाल सेठिया जैसे महान कवि राजस्थान से जुड़े हैं।
निष्कर्ष
राजस्थान की कला और संस्कृति इसकी समृद्ध विरासत को दर्शाती है। यहाँ का लोक संगीत, नृत्य, वास्तुकला, हस्तशिल्प, और पारंपरिक रीति-रिवाज इस भूमि की पहचान हैं। यहाँ के महल, किले, मंदिर और त्यौहार इसे भारत के सबसे रंगीन और सांस्कृतिक रूप से समृद्ध राज्यों में से एक बनाते हैं।
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#SacrificedLifeButNoSalvation
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6Days Left For Nirvan Diwas
♦️ काशी में ब्राह्मणों ने अफवाह फैला दी थी कि शिव जी भगवान ने काशी को वरदान दिया था कि जो काशी में मरेगा, उसको स्वर्ग मिलेगा। जब ब्राह्मणों ने देखा कि काशी में वृद्ध व्यक्तियों की भीड़ बढ़ने लगी तो एक भयानक षड़यंत्र रचा।
करौंत को प्रभु की तरफ ��े आया कहकर श्रद्धालुओं को भ्रमित किया। यह षडयंत्र ब्राह्मणों द्वारा बुज़ुर्गों की समस्या से पीछा छुड़ाने और पैसे कमाने के दृष्टिकोण से रचा गया था।
♦️नकली गुरुओं की बातों में आकर श्रद्धालुओं ने काशी में करौंत से गर्दन तक कटवा ली पर मोक्ष नहीं मिला।
कबीर परमात्मा ने मोक्ष के लिए पूर्ण गुरु की शरण में जाने को कहा है। इसी बात का गीता भी समर्थन करती है।
काशी करौंत काहे लेही, बिना भजन नहीं ढंग रे।
कोटी ग्रंथ का यही अर्थ है, करो साध सत्संग रे।।
♦️ काशी में मरने से या करौंत से गर्दन कटाने से, मोक्ष नहीं मिलता। सतभक्ति से ही मिलता है।
♦️ब्राह्मणों ने काशी में करौंत लगाकर अफवाह फैलायी कि इससे स्वर्ग मिलेगा जोकि पाखंड था, और अज्ञानता की वजह से लोगों ने सच माना।
संत गरीबदास जी ने बताया कि सतभक्ति के बिना मोक्ष नहीं मिल सकता। काशी में करौंत से गर्दन कटाने से स्वर्ग नहीं मिल सकता। सिर्फ सतभक्ति से ही उद्धार होता है।
♦️ हिंदू धर्मगुरुओं द्वारा बताए गए कई साधना-तंत्रों को शास्त्रों द्वारा समर्थित नहीं पाया गया। इसके कारण साधकों को परमात्मा से अपेक्षित लाभ नहीं मिला। इसी निराशा का फायदा उठाकर कुछ धर्मगुरुओं ने काशी में जो मरेगा वो स्वर्ग जाएगा और मगहर में मरेगा वो नर्क जाएगा यह अफवाह फैलाकर लोगों को गुमराह किया। इस तरह के अंधविश्वासों ने लोगों को करौंत जैसी अनावश्यक रीतियों में फंसा दिया। यह सब शास्त्रज्ञान की कमी और अज्ञानता का परिणाम है।
♦️नकली गुरू जो भक्ति विधि बताते हैं, वह शास्त्र अनुसार नहीं होती है। इस वजह से भक्तों को उस भक्ति से कोई फायदा नहीं मिलता। इसी कारण से नकली गुरुओं ने एक षड्यंत्र रचा कि भगवान शिव का आदेश है कि जो काशी में मरेगा, वह स्वर्ग जाएगा। जो मगहर में मरेगा, वह नरक। भोले श्रद्धालु अपने मां बाप को अंतिम समय में काशी में किराए के घरों पर छोड़ने लगे।
इससे भक्त करौंत जैसे भयानक षडयंत्र में फंसे रहे।
♦️ करौंत जैसी अंधविश्वासपूर्ण रीति-रिवाजों का पालन लोगों की अज्ञानता और धार्मिक ग्रंथों के असली ज्ञान के अभाव के कारण होता है।
♦️काशी में ब्राह्मणों ने करौंत स्थापित कर स्वर्ग जाने का झूठा दावा किया गया था, जिसे गरीबदास जी ने खारिज किया। यह पाखंड था, और स्वर्ग अगर आसानी से मिलता, तो सतयुग से ही होता यह सब। यह शास्त्र-विरुद्ध है।
♦️शास्त्रों के अनुसार भक्ति ही मोक्ष का मार्ग है। मनमानी भक्ति से कुछ भी हासिल नहीं होता, चाहे कोई काशी में जाकर ही क्यों न मरे।
संत गरीबदास जी ने बताया कि शास्त्र अनुसार की गई भक्ति से ही मोक्ष मिल सकता है।
♦️वृद्धों की बढ़ती संख्या से चिंतित कुछ ब्राह्मणों ने काशी में करौंत नामक एक कुटिल योजना बनाई। ��न्होंने इसे परमात्मा की इच्छा बताकर लोगों को गुमराह किया और अपने स्वार्थ की पूर्ति की। सच्चे गुरु का सत्संग और गहरा ज्ञान ही हमें सच्ची आध्यात्मिक साधना की ओर ले जा सकते हैं। बिना किसी ज्ञानी गुरु के मार्गदर्शन के, सत्य की खोज का रास्ता अक्सर भ्रामक और कठिन होता है।
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[02/02, 2:45 pm] +91 83078 98929: सतभक्ति के बिना कोई भी प्रयास व्यर्थ है। चाहे काशी में मृत्यु हो या करौंत से गर्दन कटाई जाए, मोक्ष केवल सत्य साधना से ही मिलता है।
विकारी मन का सम��धान केवल सत्भक्ति से होता है। गलत साधनाओं से मन के दोष और बढ़ते हैं, जिससे मोक्ष और दूर हो जाता है।
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[02/02, 2:45 pm] +91 83078 98929: काशी करौंत काहे लेही, बिना भजन नहीं ढंग रे।
कोटी ग्रंथ का योही अर्थ है, करो साध सत्संग रे।।
कबीर साहेब ने कहा है कि पंडितों के बहकावे में आकर भोली जनता ने काशी में करोत से गर्दन भी कटवा दी किंतु यह मोक्ष मार्ग नहीं है।
परमात्मा ने मोक्ष मार्ग के लिए सच्चे संत की शरण में जाने का आदेश दिया है। इसी का समर्थन गीता जी ने किया है।
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#कबीर_परमेश्वर_निर्वाण_दिवस #NirvanDiwasOfGodKabir
[02/02, 2:45 pm] +91 83078 98929: अंधविश्वास और पाखंड के कारण लोग करौंत जैसी विधियों में फंसे रहे। यह केवल अज्ञानता और शास्त्रज्ञान की कमी का परिणाम है।
गरीबदास जी ने काशी की कथा के माध्यम से बताया कि शास्त्र अनुकूल साधना ही जीव को मुक्त कर सकती है। अन्य सभी मार्ग भटकाव के हैं।
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[02/02, 2:45 pm] +91 83078 98929: गरीब, बिना भक्ति क्या होत है, भावैं काशी करौंत लेह। मिटे नहीं मन बासना, बहुबिधि भर्म संदेह।।
काशी नगर के विषय में ब्राह्मणों ने दंतकथा बताई थी कि भगवान शिव ने काशी की भूमि को वरदान दे रखा था कि जो यहाँ मरेगा, वह स्वर्ग जाएगा। जब देखा कि काशी में वृद्धों की भीड़ लग गई तो नया षड़यंत्र रखा।
करौंत को स्वर्ग का मार्ग बताकर जनता को भ्रमित किया गया। यह योजना ब्राह्मणों द्वारा वृद्धों की समस्या से बचने और धन कमाने के लिए बनाई गई थी।
#धर्मराज_के_तिल_तिल_का_लेखा
#mahakumbh #prayagraj
#maghar #banaras #varanasi
#nirvana #iitbaba #Satlok
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[02/02, 2:45 pm] +91 83078 98929: हिन्दू धर्म के धर्मगुरू जो साधना साधक समाज को बताते हैं, वह शास्त्र प्रमाणित नहीं है। जिस कारण से साधकों को परमात्मा की ओर से कोई लाभ नहीं मिला जो भक्ति से अपेक्षित किया। फिर धर्मगुरूओं ने एक योजना बनाई कि भगवान शिव का आदेश हुआ है कि जो काशी नगर में प्राण त्यागेगा, उसके लिए स्वर्ग का द्वार खुल जाएगा। वह बिना रोक-टोक के स्वर्ग चला जाएगा। जो मगहर नगर (गोरखपुर के पास उत्तरप्रदेश में) वर्तमान में जिला-संत कबीर नगर (उत्तर प्रदेश) में है, उसमें मरेगा, वह नरक जाएगा या गधे का शरीर प्राप्त करेगा। गुरूजनों की प्रत्येक आज्ञा का पालन करना अनुयाईयों का परम धर्म माना गया है। इसलिए हिन्दू लोग अपने-अपने माता-पिता को आयु के अंतिम समय में काशी (बनारस) शहर में किराए पर मकान लेकर छोड़ने लगे।
अंधविश्वास और पाखंड के कारण लोग करौंत जैसी विधियों में फंसे रहे। यह केवल अज्ञानता और शास्त्रज्ञान की कमी का परिणाम है।
#धर्मराज_के_तिल_तिल_का_लेखा
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[02/02, 2:45 pm] +91 83078 98929: काशी के ब्राह्मणों ने करौंत स्थापित कर यह भ्रम फैलाया कि इससे स्वर्ग मिल सकता है। यह एक पाखंड था, जो अज्ञानता के कारण लोगों ने सच मान लिया।
गरीबदास जी ने स्पष्ट कहा कि भक्ति के बिना मोक्ष संभव नहीं है। काशी में मरने या करौंत से गर्दन कटाने से मोक्ष नहीं मिलता। केवल सत्य साधना से ही जीव का उद्धार होता है।
#prayagraj #kumbh #ganges #yoga #jaishreeram #uttarpradesh #kashi
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[02/02, 2:45 pm] +91 83078 98929: शास्त्र अनुकूल भक्ति के बिना कुछ भी लाभ नहीं होगा चाहे काशी में करौंत से गर्दन भी कटवा लो। कुछ बुद्धिजीवी व्यक्ति विचार किया करते थे कि स्वर्ग प्राप्ति के लिए तो राजाओं ने राज्य त्यागा। जंगल में जाकर कठिन तपस्या की। शरीर के नष्ट होने की भी चिंता नहीं की। यदि स्वर्ग प्राप्त करना इतना सरल था तो यह विधि सत्य युग से ही प्रचलित होती। यह तो सबसे सरल है। सारी आयु कुछ भी करो। वृद्ध अवस्था में काशी में निवास करो या करौंत से शीघ्र मरो और स्वर्ग में मौज करो।
गीता में भगवान ने स्पष्ट कहा है कि शास्त्रानुसार साधना करने से ही मोक्ष संभव है। मनमानी साधना व्यर्थ और निरर्थक है।
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[02/02, 2:45 pm] +91 83078 98929: काशी के ब्राह्मणों ने करौंत स्थापित कर यह भ्रम फैलाया कि इससे स्वर्ग मिल सकता है। यह एक पाखंड था, जो अज्ञानता के कारण लोगों ने सच मान लिया।
आदरणीय गरीबदास जी ने कहा कि यदि स्वर्ग इतनी सरलता से मिलता, तो सत्य युग से ही यह विधि प्रचलित होती। यह सब शास्त्र-विरुद्ध है।
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[02/02, 2:45 pm] +91 83078 98929: ब्राह्मणों ने वृद्धों की भीड़ से बचने और अपने लाभ के लिए काशी में करौंत का षड्यंत्र रचा। इसे परमात्मा का आदेश बताकर जनता को धोखा दिया।
सच्चे गुरु का सत्संग और तत्त्वज्ञान ही सत्य साधना की राह दिखा सकते हैं। बिना गुरु के सही मार्ग पर चलना संभव नहीं है।
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[02/02, 2:45 pm] +91 83078 98929: सत्य साधना से ही जीवन का उद्धार संभव है। स्थान, व्यक्ति या झूठी विधियों से मुक्ति संभव नहीं है।
गरीबदास जी ने बताया कि शास्त्र आधारित भक्ति ही मोक्ष का मार्ग है। करौंत जैसी विधियाँ केवल अज्ञान और भ्रम फैलाती हैं।
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![Tumblr media](https://64.media.tumblr.com/2ad9936f2133beef7d32f56045cc57ee/dc2ebb587b3d7e7e-3e/s540x810/945dea04ee5f087f720108f90ed33dae33392f14.jpg)
काशी करौंत काहे लेही, बिना भजन नहीं ढंग रे।
कोटी ग्रंथ का योही अर्थ है, करो साध सत्संग रे।।
कबीर साहेब ने कहा है कि पंडितों के बहकावे में आकर भोली जनता ने काशी में करोत से गर्दन भी कटवा दी किंतु यह मोक्ष मार्ग नहीं है।
काशी नगर के विषय में ब्राह्मणों ने दंतकथा बताई थी कि भगवान शिव ने काशी की भूमि को वरदान दे रखा था क��� जो यहाँ मरेगा, वह स्वर्ग जाएगा।
जब देखा कि काशी में वृद्धों की भीड़ लग गई तो नया षड़यंत्र रखा।
करौंत को स्वर्ग का मार्ग बताकर जनता को भ्रमित किया गया। यह योजना ब्राह्मणों द्वारा वृद्धों की समस्या से बचने और धन कमाने के लिए बनाई गई थी।
परमात्मा ने मोक्ष मार्ग के लिए सच्चे संत की शरण में जाने का आदेश दिया है। इसी का समर्थन गीता जी ने किया है।
अधिक जानने के लिऐ Visit करें⤵️
www.jagatgururampalji.org
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सत्संग भी देखें।
देखें रोजाना साधनाtv शाम 7.30 बजे।
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*🌈बन्दीछोड़ सतगुरु रामपाल जी महाराज जी की जय🌈*
02/02/2025
*🎈कबीर परमेश्वर निर्वाण दिवस सेवा🎈*
*🌀Twitter Trending🌀*
🎋 *मालिक की दया से निर्वाण दिवस से सम्बंधित Twitter पर ट्रेंडिंग सेवा है। यह बताना है कि काशी में करौंत से गला कटाने के बावजूद मोक्ष नहीं मिला।*
*टैग और कीवर्ड⤵️*
#SacrificedLifeButNoSalvation
6Days Left For Nirvan Diwas
📷 *सेवा से सम्बंधित फ़ोटो लिंक।*
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https://www.satsaheb.org/kannad-kashi-karaunt/
*⛳सेवा Points* ⤵
♦️ काशी में ब्राह्मणों ने अफवाह फैला दी थी कि शिव जी भगवान ने काशी को वरदान दिया था कि जो काशी में मरेगा, उसको स्वर्ग मिलेगा। जब ब्राह्मणों ने देखा कि काशी में वृद्ध व्यक्तियों की भीड़ बढ़ने लगी तो एक भयानक षड़यंत्र रचा।
करौंत को प्रभु की तरफ से आया कहकर श्रद्धालुओं को भ्रमित किया। यह षडयंत्र ब्राह्मणों द्वारा बुज़ुर्गों की समस्या से पीछा छुड़ाने और पैसे कमाने के दृष्टिकोण से रचा गया था।
♦️नकली गुरुओं की बातों में आकर श्रद्धालुओं ने काशी में करौंत से गर्दन तक कटवा ली पर मोक्ष नहीं मिला।
कबीर परमात्मा ने मोक्ष के लिए पूर्ण गुरु की शरण में जाने को कहा है। इसी बात का गीता भी समर्थन करती है।
काशी करौंत काहे लेही, बिना भजन नहीं ढंग रे।
कोटी ग्रंथ का यही अर्थ है, करो साध सत्संग रे।।
♦️ काशी में मरने से या करौंत से गर्दन कटाने से, मोक्ष नहीं मिलता। सतभक्ति से ही मिलता है।
♦️ब्राह्मणों ने काशी में करौंत लगाकर अफवाह फैलायी कि इससे स्वर्ग मिलेगा जोकि पाखंड था, और अज्ञानता की वजह से लोगों ने सच माना।
संत गरीबदास जी ने बताया कि सतभक्ति के बिना मोक्ष नहीं मिल सकता। काशी में करौंत से गर्दन कटाने से स्वर्ग नहीं मिल सकता। सिर्फ सतभक्ति से ही उद्धार होता है।
♦️ हिंदू धर्मगुरुओं द्वारा बताए गए कई साधना-तंत्रों को शास्त्रों द्वारा समर्थित नहीं पाया गया। इसके कारण साधकों को परमात्मा से अपेक्षित लाभ नहीं मिला। इसी निराशा का फायदा उठाकर कुछ धर्मगुरुओं ने काशी में जो मरेगा वो स्वर्ग जाएगा और मगहर में मरेगा वो नर्क जाएगा यह अफवाह फैलाकर लोगों को गुमराह किया। इस तरह के अंधविश्वासों ने लोगों को करौंत जैसी अनावश्यक रीतियों में फंसा दिया। यह सब शास्त्रज्ञान की कमी और अज्ञानता का परिणाम है।
♦️नकली गुरू जो भक्ति विधि बताते हैं, वह शास्त्र अनुसार नहीं होती है। इस वजह से भक्तों को उस भक्ति से कोई फायदा नहीं मिलता। इसी कारण से नकली गुरुओं ने एक षड्यंत्र रचा कि भगवान शिव का आदेश है कि जो काशी में मरेगा, वह स्वर्ग जाएगा। जो मगहर में मरेगा, वह नरक। भोले श्रद्धालु अपने मां बाप को अंतिम समय में काशी में किराए के घरों पर छोड़ने लगे।
इससे भक्त करौंत जैसे भयानक षडयंत्र में फंसे रहे।
♦️ करौंत जैसी अंधविश्वासपूर्ण रीति-रिवाजों का पालन लोगों की अज्ञानता और धार्मिक ग्रंथों के असली ज्ञान के अभाव के कारण होता है।
♦️काशी में ब्राह्मणों ने करौंत स्थापित कर स्वर्ग जाने का झूठा दावा किया गया था, जिसे गरीबदास जी ने खारिज किया। यह पाखंड था, और स्वर्ग अगर आसानी से मिलता, तो सतयुग से ही होता यह सब। यह शास्त्र-विरुद्ध है।
♦️शास्त्रों के अनुसार भक्ति ही मोक्ष का मार्ग है। मनमानी भक्ति से कुछ भी हासिल नहीं होता, चाहे कोई काशी में जाकर ही क्यों न मरे।
संत गरीबदास जी ने बताया कि शास्त्र अनुसार की गई भक्ति से ही मोक्ष मिल सकता है।
♦️वृद्धों की बढ़ती संख्या से चिंतित कुछ ब्राह्मणों ने काशी में करौंत नामक एक कुटिल योजना बनाई। उन्होंने इसे परमात्मा की इच्छा बताकर लोगों को गुमराह किया और अपने स्वार्थ की पूर्ति की। सच्चे गुरु का सत्संग और गहरा ज्ञान ही हमें सच्ची आध्यात्मिक साधना की ओर ले जा सकते हैं। बिना किसी ज्ञानी गुरु के मार्गदर्शन के, सत्य की खोज का रास्ता अक्सर भ्रामक और कठिन होता है।
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jamshedpur lakshmi narayan temple- श्री राजस्थान शिव मंदिर जुगसलाई में लक्ष्मी नारायण मंदिर का स्थापना दिवस आयोजित, सैकड़ों भक्तों ने प्रसाद ग्रहण किया
जमशेदपुर:श्री राजस्थान शिव मंदिर जुगसलाई में स्थापित भगवान श्री लक्ष्मी नारायण के मंदिर का दो दिवसीय स्थापना दिवस अत्यंत धूमधाम सेबसंत पंचमी के अवसर पर संपन्न हुआ.पहले दिन 1 फरवरी शनिवार को रात्रि आठ बजे से स्थानीय भजन गायकों के द्वारा मंदिर परिसर में अमृत मयी भजनों क�� प्रस्तुतियां दी गयी.दूसरे दिन स्थापना दिवस बसंत पंचमी के दिन प्रातःकाल से विद्वान पुरोहितों के द्वारा 11 विष्णु सहस्त्र नाम का…
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#गला_भी_कटाया_मोक्ष_नहीं_पाया
गरीब, बिना भक्ति क्या होत है, भावैं काशी करौंत लेह। मिटे नहीं मन बासना, बहुबिधि भर्म संदेह।।
काशी नगर के विषय में ब्राह्मणों ने दंतकथा बताई थी कि भगवान शिव ने काशी की भूमि को वरदान दे रखा था कि जो यहाँ मरेगा, वह स्वर्ग जाएगा। जब देखा कि काशी में वृद्धों की भीड़ लग गई तो नया षड़यंत्र रखा।
करौंत को स्वर्ग का मार्ग बताकर जनता को भ्रमित किया गया। यह योजना ब्राह्मणों द्वारा वृद्धों की समस्या से बचने और धन कमाने के लिए बनाई गई थी।
♦️ काशी करौंत काहे लेही, बिना भजन नहीं ढंग रे।
कोटी ग्रंथ का योही अर्थ है, करो साध सत्संग रे।।
कबीर साहेब ने कहा है कि पंडितों के बहकावे में आकर भोली जनता ने काशी में करोत से गर्दन भी कटवा दी किंतु यह मोक्ष मार्ग नहीं है।
परमात्मा ने मोक्ष मार्ग के लिए सच्चे संत की शरण में जाने का आदेश दिया है। इसी का समर्थन गीता जी ने किया है।
Nirvan Diwas Of God Kabir
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Dharohar | Artist Samman | Ministry of Culture | NCZCC | Help U Educational and Charitable Trust
लखनऊ, 28.04.2023 | हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट की स्थापना के 11 वर्ष पूर्ण होने के अवसर पर "स्थापना दिवस कार्यक्रम" तथा हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट, संस्कृति मंत्रालय, भारत स���कार एवं उत्तर मध्य क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र (NCZCC) के संयुक्त तत्वावधान में सांस्कृतिक कार्यक्रम "धरोहर” का आयोजन सी एम एस ऑडिटोरियम, विशाल खंड, गोमती नगर, लखनऊ में किया गया |
"स्थापना दिवस कार्यक्रम" में, हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट के प्रबंध न्यासी हर्ष वर्धन अग्रवाल, ट्रस्ट की न्यासी डॉ० रूपल अग्रवाल, ट्रस्ट की आतंरिक सलाहकार समिति के सदस्यगण ने हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट की विवरण पुस्तिका का विमोचन किया गया | विवरण पुस्तिका में ट्रस्ट के विगत 11 वर्षों के कार्यों का विवरण उपलब्ध है |
हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट द्वारा विगत 11 वर्षों में ट्रस्ट को महत्वपूर्ण योगदान प्रदान करने वाली 7 विभूतियों का हेल्प यू सम्मान तथा वैश्विक महामारी कोरोना काल में बहुमूल्य सहयोग प्रदान करने हेतु 119 कोरोना वॉरियर्स का सम्मान किया गया |
सांस्कृतिक कार्यक्रम "धरोहर” में, हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट के पूर्व संरक्षक पद्माभूषण स्वर्गीय गोपाल दास नीरज, पद्माश्री स्वर्गीय अनवर जलालपुरी तथा वर्तमान संरक्षक पद्माश्री अनूप जलोटा की रचनाओं, गीतों, शायरी तथा भजनों की प्रस्तुति प्रदीप अली, आकांक्षा सिंह, मल्लिका शुक्ला ने की तथा भारतीय सभ्यता और संस्कृति को समर्पित सांस्कृतिक कार्यक्रम के अंतर्गत भाव नृत्य राम भी रहीम भी, अवधी नृत्य नाटिका वैदेही के राम, महारास, राजस्थानी लोक नृत्य घूमर, की प्रस्तुति उर्मिला पाण्डेय ग्रुप द्वारा की गयी |
मल्लिका शुक्ला की प्रस्तुति –
अनूप जलोटा का भजन - जय गणपति वंदन गणनायक....
प्रदीप अली की प्रस्तुति –
गोपाल दास नीरज जी के गीत - दिल आज शायर है गम आज नगमा है,....
अनवर जलालपुरी जी की ग़ज़ल - मयकदे से, दैर से, काबा से रखसत हो गए...., हवा हो तेज तो शाखों से पत्ते टूट जाते है...
आकांक्षा सिंह की प्रस्तुति –
गोपाल दास नीरज जी के गीत - जैसे राधा ने माला जपी श्याम की...
उर्मिला पाण्डेय ग्रुप - भाव नृत्य राम भी रहीम भी
हमारी भारतीय संस्कृति ने हमेशा ही राष्ट्रीय भाईचारे और सौहार्द को बढ़ावा दिया है । राष्ट्रीय भाईचारे और सौहार्द्र को समर्पित भाव नृत्य शीर्षक राम भी रहीम भी प्रस्तुत किया ।
कलाकार- रॉनी सिंह, प्रेक्षा श्रीवास्तव, ज्योति शुक्ला, मलखान सिंह
अवधी नृत्य नाटिका वैदेही के राम
श्री राम तथा माता सीता इनके मिलन की ही गाथा है ये नृत्य नाटिका वैदेही के राम। प्रभु श्री राम जब महर्षि विश्वामित्र के साथ मिथिला नगरी पहुँचे और वहाँ की पुष्प वाटिका में देवी सीता और श्री राम एक दूसरे को देख मंत्र मुग्ध हो गए। अंततः प्रभु श्री राम ने स्वयंवर में रखे शिव धनुष पर प्रत्यंचा चढ़ा कर राजकुमारी सीता से विवाह किया।
कलाकार - रॉनी सिंह, ज्योति शुक्ला, उर्मिला पांडेय, अपर्णा विजय, मलखान सिंह, मौसमी, दीपिका भट्ट एवम् शिल्पा |
महारास
राधा कृष्ण और गोपियों द्वारा किया जाने वाला आनंदमयी तथा सौंदर्यवर्धक नृत्य रास कहलाता है। लीलापुरुषोत्तम भगवान श्री कृष्ण ने शरद पूर्णिमा की रात में छः महीने की रातों को एक कर ब्रजभूमि के कुंज में सर्वप्रथम यह नृत्य किया था । नृत्य की बंदिशों के साथ भाव भंगिमाओं तथा डांडिया नृत्य का उच्चतम प्रयोग रास के अंतर्गत देखने को मिलता है। इसमें श्रृंगार रस की प्रधानता होती है तथा यह राधा कृष्ण के प्रेम से परिपक्व नृत्य शैली मानी जाती है।
आज की इस रासलीला में सर्वप्रथम बाल कृष्ण तत्पश्चात युवा कृष्ण एवम् राधा रानी का नृत्य प्रस्तुत किया ।
कलाकार- रॉनी सिंह, प्रेक्षा श्रीवास्तव, बॉर्नव प्रतिमनाथ, इशिका श्रीवास्तव, आरोही एवम् विदुषी
राजस्थानी लोक नृत्य घूमर
घूमर और राजस्थान दोनो एक दूसरे के पर्याय हैं और घूमर राजस्थान का सर्व जन प्रिय लोक नृत्य है। यह नृत्य महिलाओं द्वारा किया जाता है। किसी भी मांगलिक अवसर एवम् उत्सव में घूमर नृत्य अति आवश्यक रूप से नाचा जाता रहा है।
कलाकार- उर्मिला पांडेय, प्रेक्षा श्रीवास्तव, अपर्णा विजय, ज्योति शुक्ला, शिल्पा, दीपिका भट्ट एवम् मौसमी
सभी कलाकारों को सम्मानित किया गया |
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श्री राम तथा माता सीता इनके मिलन की ही गाथा है ये नृत्य नाटिका वैदेही के राम। प्रभु श्री राम जब महर्षि विश्वामित्र के साथ मिथिला नगरी पहुँचे और वहाँ की पुष्प वाटिका में देवी सीता और श्री राम एक दूसरे को देख मंत्र मुग्ध हो गए। अंततः प्रभु श्री राम ने स्वयंवर में रखे शिव धनुष पर प्रत्यंचा चढ़ा कर राजकुमारी सीता से विवाह किया।
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घूमर और राजस्थान दोनो एक दूसरे के पर्याय हैं और घूमर राजस्थान का सर्व जन प्रिय लोक नृत्य है। यह नृत्य महिलाओं द्वारा किया जाता है। किसी भी मांगलिक अवसर एवम् उत्सव में घूमर नृत्य अति आवश्यक रूप से नाचा जाता रहा है।
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🔱 सावन के सोमवार 2023 - Sawan Ke Somwar
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हिंदू धर्म के अनुसार, श्रावण को शिवत्व के अनुरूप वर्ष का सबसे पवित्र महिना माना जाता है, तथा साप्ताहिक दिन सोमवार को शिव की उपासना का दिन माना गया है। इस प्रकार श्रावण माह के सोमवार की महत्ता और भी अधिक होजाती है। श्रावण को साधारण बोल-चाल की भाषा मे सावन कहा जाता है, अतः सावन के सोमवार भगवान शिव के सबसे प्रिय दिन माने जाते हैं। 📲 https://www.bhaktibharat.com/festival/sawan-somwar For Quick Access Download Bhakti Bharat APP: 📥 https://play.google.com/store/apps/details?id=com.bhakti.bharat.app 🔱 शिव चालीसा - Shiv Chalisa 📲 https://www.bhaktibharat.com/chalisa/shiv-shiv-chalisa 🔱 शिव भजन - Shiv Bhajan 📲 https://www.bhaktibharat.com/bhajan/shiv-shankar-bholenath-ke-bhajan #SawanKeSomwar #Sawan #Sawan2023 #Somwar #Shiv #Bholenath #Mahadev #ShriShiv #Bholebaba #Shivaratri #Savan #Monday #Somvar #SolahSomvar #Bolbum #harhar
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जनहित में स्वयं रक्तदान करें और दूसरों को भी रक्तदान के लिए प्रेरित करें – हर्ष वर्धन अग्रवाल
लखनऊ, 30.05.2023 | बड़ा मंगल (ज्येष्ठ माह के चतुर्थ मंगलवार) के पावन अवसर पर हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट द्वारा शिव मानस मंदिर, विक���स खंड 2, गोमती नगर लखनऊ में "हेल्प यू संजीवनी हनुमान भजन संध्या" का आयोजन किया गया | भजन संध्या में प्रदीप सक्सेना एवं आकांक्षा सिंह ने कर्णप्रिय भगवत भजन द्वारा भक्तजनों के ह्रदय को आस्था एवं भक्ति से सराबोर कर दिया |
हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट के प्रबंध न्यासी, श्री हर्ष वर्धन अग्रवाल ने सभी भक्तगणों को ज्येष्ठ माह के चतुर्थ बड़ा मंगल की शुभकामनाएं देते हुए कहा कि, महावीर हनुमान जी की कृपा से हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट द्वारा ज्येष्ठ माह के तीन बड़े मंगल पर हेल्प यू संजीवनी हनुमान भजन संध्या का सफलतापूर्वक आयोजन किया गया जिसमे राजाजीपुरम, ई ब्लॉक में तड़ियन मंदिर, इंदिरा नगर, सेक्टर 25 में रामायण पार्क, अलीगंज में श्री महावीर जी हनुमान मंदिर है और आज चतुर्थ बड़ा मंगल के अवसर पर शिव मानस मंदिर, विकास खंड 2, गोमती नगर में भजन संध्या आयोजित की जा रही है | हेल्प यू संजीवनी हनुमान भजन संध्या द्वारा सभी भक्तों से जनहित में रक्तदान करने की अपील भी की जा रही है | जनहित में आप सभी से निवेदन है कि कृपया साल में एक बार रक्तदान अवश्य करें और यदि किसी कारणवश रक्तदान करने में असमर्थ हो तो दूसरों को रक्तदान करने हेतु प्रेरित करें क्योंकि आपके रक्तदान से किसी की जिंदगी बच सकती है जो कि भगवान की सच्ची सेवा है| जनहित में स्वयं रक्तदान करें और दूसरों को भी रक्तदान के लिए ��वश्य प्रेरित करें |
भजन संध्या की शुरुआत प्रदीप सक्सेना ने गणपति वंदना गाकर की | इसके बाद प्रदीप सक्सेना एवं आकांक्षा सिंह ने श्री रामचंद्र ठुमक चलत रामचंद्र, जय जय मां जय जय मां, रामचंद्र कह गए सिया से, कभी राम बनके कभी श्याम बनके, श्याम चूड़ी बेचने आया, रात श्याम सपने में आए, श्री रामचंद्र कृपालु भजमन, श्याम तेरी बंसी भजन गाकर भक्तजनों को मंत्रमुग्ध कर दिया | तबला पर नितीश कुमार, गिटार पर गोपाल गोस्वामी तथा कीबोर्ड पर रिंकू राज ने साथ दिया |
भजन संध्या में उपस्थित सभी श्रद्धालुओं को रक्तदान जागरूकता पैम्फलेट बांटे गए, जिसके तहत लोगों से स्वेच्छा से रक्तदान करने और ट्रस्ट द्वारा चलाए जा रहे "हेल्प यू ब्लड डोनर" अभियान को सफल बनाने में अपना अहम योगदान देने की अपील की गई |
भजन संध्या में हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट के मैनेजिंग ट्रस्टी श्री हर्ष वर्धन अग्रवाल, बड़ी संख्या में हनुमान भक्तों, ट्रस्ट के सलाहकार तथा स्वयंसेवकों की गरिमामयी उपस्थिति रही |
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Dharohar | Artist Samman | Ministry of Culture | NCZCC | Help U Educational and Charitable Trust
लखनऊ, 28.04.2023 | हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट की स्थापना के 11 वर्ष पूर्ण होने के अवसर पर "स्थापना दिवस कार्यक्रम" तथा हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट, संस्कृति मंत्रालय, भारत सरकार एवं उत्तर मध्य क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र (NCZCC) के संयुक्त तत्वावधान में सांस्कृतिक कार्यक्रम "धरोहर” का आयोजन सी एम एस ऑडिटोरियम, विशाल खंड, गोमती नगर, लखनऊ में किया गया |
"स्थापना दिवस कार्यक्रम" में, हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट के प्रबंध न्यासी हर्ष वर्धन अग्रवाल, ट्रस्ट की न्यासी डॉ० रूपल अग्रवाल, ट्रस्ट की आतंरिक सलाहकार समिति के सदस्यगण ने हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट की विवरण पुस्तिका का विमोचन किया गया | विवरण पुस्तिका में ट्रस्ट के विगत 11 वर्षों के कार्यों का विवरण उपलब्ध है |
हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट द्वारा विगत 11 वर्षों में ट्रस्ट को महत्वपूर्ण योगदान प्रदान करने वाली 7 विभूतियों का हेल्प यू सम्मान तथा वैश्विक महामारी कोरोना काल में बहुमूल्य सहयोग प्रदान करने हेतु 119 कोरोना वॉरियर्स का सम्मान किया गया |
सांस्कृतिक कार्यक्रम "धरोहर” में, हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट के पूर्व संरक्षक पद्माभूषण स्वर्गीय गोपाल दास नीरज, पद्माश्री स्वर्गीय अनवर जलालपुरी तथा वर्तमान संरक्षक पद्माश्री अनूप जलोटा की रचनाओं, गीतों, शायरी तथा भजनों की प्रस्तुति प्रदीप अली, आकांक्षा सिंह, मल्लिका शुक्ला ने की तथा भारतीय सभ्यता और संस्कृति को समर्पित सांस्कृतिक कार्यक्रम के अंतर्गत भाव नृत्य राम भी रहीम भी, अवधी नृत्य नाटिका वैदेही के राम, महारास, राजस्थानी लोक नृत्य घूमर, की प्रस्तुति उर्मिला पाण्डेय ग्रुप द्वारा की गयी |
मल्लिका शुक्ला की प्रस्तुति –
अनूप जलोटा का भजन - जय गणपति वंदन गणनायक....
प्रदीप अली की प्रस्तुति –
गोपाल दास नीरज जी के गीत - दिल आज शायर है गम आज नगमा है,....
अनवर जलालपुरी जी की ग़ज़ल - मयकदे से, दैर से, काबा से रखसत हो गए...., हवा हो तेज तो शाखों से पत्ते टूट जाते है...
आकांक्षा सिंह की प्रस्तुति –
गोपाल दास नीरज जी के गीत - जैसे राधा ने माला जपी श्याम की...
उर्मिला पाण्डेय ग्रुप - भाव नृत्य राम भी रहीम भी
हमारी भारतीय संस्कृति ने हमेशा ही राष्ट्रीय भाईचारे और सौहार्द को बढ़ावा दिया है । राष्ट्रीय भाईचारे और सौहार्द्र को समर्पित भाव नृत्य शीर्षक राम भी रहीम भी प्रस्तुत किया ।
कलाकार- रॉनी सिंह, प्रेक्षा श्रीवास्तव, ज्योति शुक्ला, मलखान सिंह
अवधी नृत्य नाटिका वैदेही के राम
श्री राम तथा माता सीता इनके मिलन की ही गाथा है ये नृत्य नाटिका वैदेही के राम। प्रभु श्री राम जब महर्षि विश्वामित्र के साथ मिथिला नगरी पहुँचे और वहाँ की पुष्प वाटिका में देवी सीता और श्री राम एक दूसरे को देख मंत्र मुग्ध हो गए। अंततः प्रभु श्री राम ने स्वयंवर में रखे शिव धनुष पर प्रत्यंचा चढ़ा कर राजकुमारी सीता से विवाह किया।
कलाकार - रॉनी सिंह, ज्योति शुक्ला, उर्मिला पांडेय, अपर्णा विजय, मलखान सिंह, मौसमी, दीपिका भट्ट एवम् शिल्पा |
महारास
राधा कृष्ण और गोपियों द्वारा किया जाने वाला आनंदमयी तथा सौंदर्यवर्धक नृत्य रास कहलाता है। लीलापुरुषोत्तम भगवान श्री कृष्ण ने शरद पूर्णिमा की रात में छः महीने की रातों को एक कर ब्रजभूमि के कुंज में सर्वप्रथम यह नृत्य किया था । नृत्य की बंदिशों के साथ भाव भंगिमाओं तथा डांडिया नृत्य का उच्चतम प्रयोग रास के अंतर्गत देखने को मिलता है। इसमें श्रृंगार रस की प्रधानता होती है तथा यह राधा कृष्ण के प्रेम से परिपक्व नृत्य शैली मानी जाती है।
आज की इस रासलीला में सर्वप्रथम बाल कृष्ण तत्पश्चात युवा कृष्ण एवम् राधा रानी का नृत्य प्रस्तुत किया ।
कलाकार- रॉनी सिंह, प्रेक्षा श्रीवास्तव, बॉर्नव प्रतिमनाथ, इशिका श्रीवास्तव, आरोही एवम् विदुषी
राजस्थानी लोक नृत्य घूमर
घूमर और राजस्थान दोनो एक दूसरे के पर्याय हैं और घूमर राजस्थान का सर्व जन प्रिय लोक नृत्य है। यह नृत्य महिलाओं द्वारा किया जाता है। किसी भी मांगलिक अवसर एवम् उत्सव में घूमर नृत्य अति आवश्यक रूप से नाचा जाता रहा है।
कलाकार- उर्मिला पांडेय, प्रेक्षा श्रीवास्तव, अपर्णा विजय, ज्योति शुक्ला, शिल्पा, दीपिका भट्ट एवम् मौसमी
सभी कलाकारों को सम्मानित किया गया |
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6Days Left For Nirvan Diwas
♦️ काशी में ब्राह्मणों ने अफवाह फैला दी थी कि शिव जी भगवान ने काशी को वरदान दिया था कि जो काशी में मरेगा, उसको स्वर्ग मिलेगा। जब ब्राह्मणों ने देखा कि काशी में वृद्ध व्यक्��ियों की भीड़ बढ़ने लगी तो एक भयानक षड़यंत्र रचा।
करौंत को प्रभु की तरफ से आया कहकर श्रद्धालुओं को भ्रमित किया। यह षडयंत्र ब्राह्मणों द्वारा बुज़ुर्गों की समस्या से पीछा छुड़ाने और पैसे कमाने के दृष्टिकोण से रचा गया था।
♦️नकली गुरुओं की बातों में आकर श्रद्धालुओं ने काशी में करौंत से गर्दन तक कटवा ली पर मोक्ष नहीं मिला।
कबीर परमात्मा ने मोक्ष के लिए पूर्ण गुरु की शरण में जाने को कहा है। इसी बात का गीता भी समर्थन करती है।
काशी करौंत काहे लेही, बिना भजन नहीं ढंग रे।
कोटी ग्रंथ का यही अर्थ है, करो साध सत्संग रे।।
♦️ काशी में मरने से या करौंत से गर्दन कटाने से, मोक्ष नहीं मिलता। सतभक्ति से ही मिलता है।
♦️ब्राह्मणों ने काशी में करौंत लगाकर अफवाह फैलायी कि इससे स्वर्ग मिलेगा जोकि पाखंड था, और अज्ञानता की वजह से लोगों ने सच माना।
संत गरीबदास जी ने बताया कि सतभक्ति के बिना मोक्ष नहीं मिल सकता। काशी में करौंत से गर्दन कटाने से स्वर्ग नहीं मिल सकता। सिर्फ सतभक्ति से ही उद्धार होता है।
♦️ हिंदू धर्मगुरुओं द्वारा बताए गए कई साधना-तंत्रों को शास्त्रों द्वारा समर्थित नहीं पाया गया। इसके कारण साधकों को परमात्मा से अपेक्षित लाभ नहीं मिला। इसी निराशा का फायदा उठाकर कुछ धर्मगुरुओं ने काशी में जो मरेगा वो स्वर्ग जाएगा और मगहर में मरेगा वो नर्क जाएगा यह अफवाह फैलाकर लोगों को गुमराह किया। इस तरह के अंधविश्वासों ने लोगों को करौंत जैसी अनावश्यक रीतियों में फंसा दिया। यह सब शास्त्रज्ञान की कमी और अज्ञानता का परिणाम है।
♦️नकली गुरू जो भक्ति विधि बताते हैं, वह शास्त्र अनुसार नहीं होती है। इस वजह से भक्तों को उस भक्ति से कोई फायदा नहीं मिलता। इसी कारण से नकली गुरुओं ने एक षड्यंत्र रचा कि भगवान शिव का आदेश है कि जो काशी में मरेगा, वह स्वर्ग जाएगा। जो मगहर में मरेगा, वह नरक। भोले श्रद्धालु अपने मां बाप को अंतिम समय में काशी में किराए के घरों पर छोड़ने लगे।
इससे भक्त करौंत जैसे भयानक षडयंत्र में फंसे रहे।
♦️ करौंत जैसी अंधविश्वासपूर्ण रीति-रिवाजों का पालन लोगों की अज्ञानता और धार्मिक ग्रंथों के असली ज्ञान के अभाव के कारण होता है।
♦️काशी में ब्राह्मणों ने करौंत स्थापित कर स्वर्ग जाने का झूठा दावा किया गया था, जिसे गरीबदास जी ने खारिज किया। यह पाखंड था, और स्वर्ग अगर आसानी से मिलता, तो सतयुग से ही होता यह सब। यह शास्त्र-विरुद्ध है।
♦️शास्त्रों के अनुसार भक्ति ही मोक्ष का मार्ग है। मनमानी भक्ति से कुछ भी हासिल नहीं होता, चाहे कोई काशी में जाकर ही क्यों न मरे।
संत गरीबदास जी ने बताया कि शास्त्र अनुसार की गई भक्ति से ही मोक्ष मिल सकता है।
♦️वृद्धों की बढ़ती संख्या से चिंतित कुछ ब्राह्मणों ने काशी में करौंत नामक एक कुटिल योजना बनाई। उन्होंने इसे परमात्मा की इच्छा बताकर लोगों को गुमराह किया और अपने स्वार्थ की पूर्ति की। सच्चे गुरु का सत्संग और गहरा ज्ञान ही हमें सच्ची आध्यात्मिक साधना की ओर ले जा सकते हैं। बिना किसी ज्ञानी गुरु के मार्गदर्शन के, सत्य की खोज का रास्ता अक्सर भ्रामक और कठिन होता है।
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