#शिव की के भजन
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jayshrisitaram108 · 3 months ago
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ll श्रीराम चालीसा ll
श्री रघुबीर भक्त हितकारी।
सुन लीजै प्रभु अरज हमारी॥
निशिदिन ध्यान धरै जो कोई।
ता सम भक्त और नहीं होई॥
ध्यान धरे शिवजी मन मा���ही।
ब्रह्मा, इन्द्र पार नहीं पाहीं॥
दूत तुम्हार वीर हनुमाना।
जासु प्रभाव तिहुं पुर जाना॥
जय, जय, जय रघुनाथ कृपाला।
सदा करो संतन प्रतिपाला॥
तव भुजदण्ड प्रचण्ड कृपाला।
रावण मारि सुरन प्रतिपाला॥
तुम अनाथ के नाथ गोसाईं।
दीनन के हो सदा सहाई॥
ब्रह्मादिक तव पार न पावैं।
सदा ईश तुम्हरो यश गावैं॥
चारिउ भेद भरत हैं साखी।
तुम भक्तन की लज्जा राखी॥
गुण गावत शारद मन माहीं।
सुरपति ताको पार न पाहिं॥
नाम तुम्हार लेत जो कोई।
ता सम धन्य और नहीं होई॥
राम नाम है अपरम्पारा।
चारिहु वेदन जाहि पुकारा॥
गणपति नाम तुम्हारो लीन्हो।
तिनको प्रथम पूज्य तुम कीन्हो॥
शेष रटत नित नाम तुम्हारा।
महि को भार शीश पर धारा॥
फूल समान रहत सो भारा।
पावत कोऊ न तुम्हरो पारा॥
भरत नाम तुम्हरो उर धारो।
तासों कबहूं न रण में हारो॥
नाम शत्रुहन हृदय प्रकाशा।
सुमिरत होत शत्रु कर नाशा॥
लखन तुम्हारे आज्ञाकारी।
सदा करत सन्तन रखवारी॥
ताते रण जीते नहिं कोई।
युद्ध जुरे यमहूं किन होई॥
महालक्ष्मी धर अवतारा।
सब विधि करत पाप को छारा॥
सीता राम पुनीता गायो।
भुवनेश्वरी प्रभाव दिखायो॥
घट सों प्रकट भई सो आई।
जाको देखत चन्द्र लजाई॥
जो तुम्हरे नित पांव पलोटत।
नवो निद्धि चरणन में लोटत॥
सिद्धि अठारह मंगलकारी।
सो तुम पर जावै बलिहारी॥
औरहु जो अनेक प्रभुताई।
सो सीतापति तुमहिं बनाई॥
इच्छा ते कोटिन संसारा।
रचत न लागत पल की बारा॥
जो तुम्हरे चरणन चित लावै।
ताकी मुक्ति अवसि हो जावै॥
सुनहु राम तुम तात हमारे।
तुमहिं भरत कुल पूज्य प्रचारे॥
तुमहिं देव कुल देव हमारे।
तुम गुरु देव प्राण के प्यारे॥
जो कुछ हो सो तुमहिं राजा।
जय जय जय प्रभु राखो लाजा॥
राम आत्मा पोषण हारे।
जय जय जय दशरथ के प्यारे॥
जय जय जय प्रभु ज्योति स्वरुपा।
नर्गुण ब्रहृ अखण्ड अनूपा॥
सत्य सत्य जय सत्यव्रत स्वामी।
सत्य सनातन अन्तर्यामी॥
सत्य भजन तुम्हरो जो गावै।
सो निश्चय चारों फल पावै॥
सत्य शपथ गौरीपति कीन्हीं।
तुमने ��क्तिहिं सब सिधि दीन्हीं॥
ज्ञान हृदय दो ज्ञान स्वरुपा।
नमो नमो जय जगपति भूपा॥
धन्य धन्य तुम धन्य प्रतापा।
नाम तुम्हार हरत संतापा॥
सत्य शुद्ध देवन मुख गाया।
बजी दुन्दुभी शंख बजाया॥
सत्य सत्य तुम सत्य सनातन।
तुम ही हो हमरे तन-मन धन॥
याको पाठ करे जो कोई।
ज्ञान प्रकट ताके उर होई॥
आवागमन मिटै तिहि केरा।
सत्य वचन माने शिव मेरा॥
और आस मन में जो होई।
मनवांछित फल पावे सोई॥
तीनहुं काल ध्यान जो ल्यावै।
तुलसी दल अरु फूल चढ़ावै॥
साग पत्र सो भोग लगावै।
सो नर सकल सिद्धता पावै॥
अन्त समय रघुबर पुर जाई।
जहां जन्म हरि भक्त कहाई॥
श्री हरिदास कहै अरु गावै।
सो बैकुण्ठ धाम को पावै॥
॥ दोहा ॥
सात दिवस जो नेम कर,
पाठ करे चित लाय।
हरिदास हरि कृपा से,
अवसि भक्ति को पाय॥
राम चालीसा जो पढ़े,
राम चरण चित लाय।
जो इच्छा मन में करै,
सकल सिद्ध हो जाय॥
🙏जय श्री राम🙏
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bhaktibharat · 10 months ago
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महा शिवरात्रि - Maha Shivaratri
महा शिवरात्रि विशेष…
🔱 महा शिवरात्रि क्यों, कब, कहाँ और कैसे? ❀ महा शिवरात्रि - Maha Shivaratri
महा शिवरात्रि मंत्र: ❀ श्री शिव पंचाक्षर स्तोत्र ❀ लिङ्गाष्टकम् ❀ शिव तांडव स्तोत्रम् ❀ सौराष्ट्रे सोमनाथं - द्वादश ज्योतिर्लिंग ❀ महामृत्युंजय मंत्र, संजीवनी मंत्र ❀ शिवाष्ट्कम् ❀ दारिद्र्य दहन शिवस्तोत्रं ❀ शिव स्वर्णमाला स्तुति ❀ कर्पूरगौरं करुणावतारं ❀ बेलपत्र / बिल्वपत्र चढ़ाने का मंत्र
महा शिवरात्रि आरतियाँ: ❀ शिव आरती: जय शिव ओंकारा ❀ शिव आरती: ॐ जय गंगाधर ❀ हर महादेव आरती: सत्य, सनातन, सुंदर ❀ श्री पार्वती माँ की आरती ❀ जय अम्बे गौरी आरती ❀ ॐ जय जगदीश हरे आरती
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महा शिवरात्रि भजन: ❀ इक दिन वो भोले भंडारी बन करके ब्रज की नारी ❀ शीश गंग अर्धंग पार्वती ❀ शिव शंकर को जिसने पूजा उसका ही उद्धार हुआ ❀ हे शम्भू बाबा मेरे भोले नाथ ❀ ॐ शंकर शिव भोले उमापति महादेव ❀ शिव शंकर को जिसने पूजा उसका ही उद्धार हुआ ❀ चलो शिव शंकर के मंदिर में भक्तो ❀ हे भोले शंकर पधारो ❀ सुबह सुबह ले शिव का नाम ❀ शिव स्तुति: आशुतोष शशाँक शेखर ❀ मन मेरा मंदिर, शिव मेरी पूजा ❀ शिव भजन
महा शिवरात्रि चालीसा: ❀ शिव चालीसा ❀ पार्वती चालीसा
शिव नामावली: ❀ श्री शिवसहस्रनामावली ❀ श्रीरुद्राष्टकम् ❀ शिव शतनाम-नामावली स्तोत्रम्!
महा शिवरात्रि कथा: ❀ महा शिवरात्रि पूजन कथा ❀ श्री सोमनाथ ज्योतिर्लिंग प्रादुर्भाव पौराणिक कथा ❀ श्री नागेश्वर ज्योतिर्लिंग उत्पत्ति पौराणिक कथा ❀ श्री त्रंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग उत्पत्ति पौराणिक कथा ❀ श्री भीमशंकर ज्योतिर्लिंग उत्पत्ति पौराणिक कथा ❀ हिरण्यगर्भ दूधेश्वर ज्योतिर्लिंग प्रादुर्भाव पौराणिक कथा ❀ गोपेश्वर महादेव की लीला
शिव मंदिर: ❀ द्वादश(12) शिव ज्योतिर्लिंग ❀ दिल्ली के प्रसिद्ध शिव मंदिर ❀ सोमनाथ के प्रमुख सिद्ध मंदिर ❀ भुवनेश्वर के विश्व प्रसिद्ध मंदिर
ब्लॉग: ❀ रुद्राभिषेक क्या है? ❀ महाशिवरात्रि को महासिद्धिदात्री क्यों कहा जाता है? ❀ महाशिवरात्रि में क्यों उजागर रहते हैं लोग?
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helputrust · 8 months ago
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धरोहर | हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट | Dharohar | Help U Educational and Charitable Trust
लखनऊ, 28.04.2023 | हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट की स्थापना के 11 वर्ष पूर्ण होने के अवसर पर "स्थापना दिवस कार्यक्रम" तथा हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट, संस्कृति मंत्रालय, भारत सरकार एवं उत्तर मध्य क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र NCZCC के संयुक्त तत्वावधान में सांस्कृतिक कार्यक्रम "धरोहर” का आयोजन सी एम एस ऑडिटोरियम, विशाल खंड, गोमती नगर, लखनऊ में किया गया |
कार्यक्रम का शुभारंभ राष्ट्रगान तथा श्री हर्ष वर्धन अग्रवाल, संस्थापक एवं प्रबंध न्यासी, हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट तथा डॉ रूपल अग्रवाल, न्यासी, हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट, ट्रस्ट की आतंरिक सलाहकार समिति के सदस्यगण ने दीप प्रज्वलन करके किया l
सांस्कृतिक कार्यक्रम "धरोहर” में, हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट के पूर्व संरक्षक पद्माभूषण स्वर्गीय गोपाल दास नीरज, पद्माश्री स्वर्गीय अनवर जलालपुरी तथा वर्तमान संरक्षक पद्माश्री अनूप जलोटा की रचनाओं, गीतों, शायरी तथा भजनों की प्रस्तुति प्रदीप अली, आकांक्षा सिंह, मल्लिका शुक्ला ने की तथा भारतीय सभ्यता और स��स्कृति को समर्पित सांस्कृतिक कार्यक्रम के अंतर्गत भाव नृत्य राम भी रहीम भी, अवधी नृत्य नाटिका वैदेही के राम, महारास, राजस्थानी लोक नृत्य घूमर, की प्रस्तुति उर्मिला पाण्डेय ग्रुप द्वारा की गयी |
उर्मिला पाण्डेय ग्रुप - भाव नृत्य राम भी रहीम भी
हमारी भारतीय संस्कृति ने हमेशा ही राष्ट्रीय भाईचारे और सौहार्द को बढ़ावा दिया है । राष्ट्रीय भाईचारे और सौहार्द्र को समर्पित भाव नृत्य शीर्षक राम भी रहीम भी प्रस्तुत किया ।
अवधी नृत्य नाटिका वैदेही के राम
श्री राम तथा माता सीता इनके मिलन की ही गाथा है ये नृत्य नाटिका वैदेही के राम। प्रभु श्री राम जब महर्षि विश्वामित्र के साथ मिथिला नगरी पहुँचे और वहाँ की पुष्प वाटिका में देवी सीता और श्री राम एक दूसरे को देख मंत्र मुग्ध हो गए। अंततः प्रभु श्री राम ने स्वयंवर में रखे शिव धनुष पर प्रत्यंचा चढ़ा कर राजकुमारी सीता से विवाह किया।
महारास
राधा कृष्ण और गोपियों द्वारा किया जाने वाला आनंदमयी तथा सौंदर्यवर्धक नृत्य रास कहलाता है। लीलापुरुषोत्तम भगवान श्री कृष्ण ने शरद पूर्णिमा की रात में छः महीने की रातों को एक कर ब्रजभूमि के कुंज में सर्वप्रथम यह नृत्य किया था । नृत्य की बंदिशों के साथ भाव भंगिमाओं तथा डांडिया नृत्य का उच्चतम प्रयोग रास के अंतर्गत देखने को मिलता है। इसमें श्रृंगार रस की प्रधानता होत�� है तथा यह राधा कृष्ण के प्रेम से परिपक्व नृत्य शैली मानी जाती है। आज की इस रासलीला में सर्वप्रथम बाल कृष्ण तत्पश्चात युवा कृष्ण एवम् राधा रानी का नृत्य प्रस्तुत किया ।
राजस्थानी लोक नृत्य घूमर
घूमर और राजस्थान दोनो एक दूसरे के पर्याय हैं और घूमर राजस्थान का सर्व जन प्रिय लोक नृत्य है। यह नृत्य महिलाओं द्वारा किया जाता है। किसी भी मांगलिक अवसर एवम् उत्सव में घूमर नृत्य अति आवश्यक रूप से नाचा जाता रहा है।
"स्थापना दिवस कार्यक्रम" में, हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट के प्रबंध न्यासी हर्ष वर्धन अग्रवाल, ट्रस्ट की न्यासी डॉ० रूपल अग्रवाल, ट्रस्ट की आतंरिक सलाहकार समिति के सदस्यगण ने हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट की विवरण पुस्तिका का विमोचन किया गया | विवरण पुस्तिका में ट्रस्ट के विगत 11 वर्षों के कार्यों का विवरण उपलब्ध है |
हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट द्वारा विगत 11 वर्षों में ट्रस्ट को महत्वपूर्ण योगदान प्रदान करने वाली 7 विभूतियों का हेल्प यू सम्मान तथा वैश्विक महामारी कोरोना काल में बहुमूल्य सहयोग प्रदान करने हेतु 119 कोरोना वॉरियर्स का सम्मान किया गया |
इस मौके पर हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट के प्रबंध न्यासी श्री हर्ष वर्धन अग्रवाल ने सभी का स्वागत करते हुए कहा कि, "आज के मुख्य अतिथि आदरणीय श्री बृजेश पाठक जी प्रदेश में निकाय चुनाव में व्यस्तता के कारण कार्यक्रम में सम्मिलित नहीं हो पा रहे हैं, वह आज इस समय वाराणसी में हैं | अपने पूज्य बाबा श्री राधेश्याम अग्रवाल जी व अपने पिताजी श्री राजीव अग्रवाल जी के जनहित के कार्यों से प्रभावित होकर 28 अप्रैल, 2012 को हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट की स्थापना की | तत्कालीन मेयर परम आदरणीय श्री दिनेश शर्मा जी ने ट्रस्ट को अपना बहुमूल्य सहयोग एवं मार्गदर्शन प्रदान किया | हमें संरक्षक के रूप में महाकवि पदम भूषण डॉ श्री गोपाल दास नीरज जी, पदम श्री अनवर जलालपुरी तथा भजन सम्राट पदम श्री अनूप जलोटा जी का सानिध्य प्राप्त हुआ |  देश के सभी राज्यों की राजधानियों तथा अन्य देशो में ट्रस्ट के कार्यालय स्थापित कर जनहित के कार्यों को और विकसित करने का प्रयास किया जा रहा है जिससे हम सिर्फ उत्तर प्रदेश में ही नहीं बल्कि पूरे देश में जनहित के कार्यों में अपना योगदान दे सकें | वर्तमान समय में माननीय प्रधानमंत्री परम आदरणीय श्री नरेंद्र मोदी जी के मूल मंत्र सबका साथ, सबका विकास, सबका प्रयास, सबका विश्वास का अनुसरण करते हुए समाज के हर क्षेत्र में लोगों की मदद कर रहे हैं | 
हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट की न्यासी डॉ० रूपल अग्रवाल ने हेल्प यू सम्मान से नवाजे गए सभी विभूतियों तथा हेल्प यू कोरोना वॉरियर्स से सम्मानित महानुभावों को बहुत-बहुत बधाई | विगत 11 वर्षों में बहुत कुछ बदला और हमने सबसे कठिन दौर तब देखा जब वैश्विक महामारी कोरोना ने पूरे विश्व को ज़कर लिया | उस समय लखनऊ शहर के अनेक संवेदनशील लोगों ने हमारा साथ दिया, जिससे हम सही समय पर असहाय व जरूरतमंद लोगों की मदद कर पाए | मैं बस यही कहना चाहूंगी कि आप भविष्य में भी इसी तरह हमारा साथ दीजिए जिससे हम  समाज में सकारात्मक परिवर्तन लाने की अपनी मुहिम को पूरा कर सकें |
कार्यक्रम का संचालन डॉ अलका निवेदन ने किया I
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rightnewshindi · 12 days ago
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राजा का तालाब में भजन गा रहे व्यक्ति की पड़ोसी ने की हत्या, आरोपी ने थाने में किया आत्मसमर्पण
Kangra News: हिमाचल प्रदेश के जिला कांगड़ा के राजा का तालाब के समीपवर्ती बनोली में सोमवार अल सुबह शिव नुआले में भजन गा रहे व्यक्ति की पड़ोसी ने तेजधार हथियार से हमला कर हत्या कर दी। नुआला में व्यक्ति की हत्या के बाद क्षेत्र में दहशत का माहौल है। पुलिस से मिली जानकारी के अनुसार पड़ोसी ने डेढ़ किलोमीटर दूर पहुंचकर इस वारदात को अंजाम दिया। मृतक की पहचान रछपाल काका (44) के रूप में हुई है। बताया जा…
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subeshivrain · 1 month ago
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#हिन्दूसाहेबान_नहींसमझे_गीतावेदपुराणPart125 के आगे पढिए.....)
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#हिन्दूसाहेबान_नहींसमझे_गीतावेदपुराणPart126
"चौदहवां अध्याय"
शास्त्रानुकूल भक्ति से हुए भक्तों को लाभ "शास्त्रविरूद्ध साधना से छुटकारा"
मैं भक्त हेमचंद दास सोलन (हिमाचल प्रदेश) का रहने वाला हूँ। पहले मैं अपने गाँव में महाकाली मंदिर में पुजारी रहा। 25 वर्ष से वहाँ पुजारी का काम करता था। भजन-कीर्तन और जो भी पूजाऐं मंदिर में होती, सभी किया करता था। पितर पूजा, श्राद्ध निकाल���ा, शिव जी को जल चढ़ाना आदि क्रियाएँ करता था। लेकिन फिर भी हम दुःखी रहते थे। मेरी पत्नी को पैरालाईसिस थी। घर की आर्थिक स्थिति भी ठीक नहीं थी।
सन् 2005-2006 में संत रामपाल जी महाराज के कुछ लेख अखबारों में आते थे। मैं उन्हें समझ नहीं पाया, परंतु मैं इस तरह के धार्मिक कागजों को संभालकर रख लेता था। कुछ समय पश्चात् जैसे ही रद्दी से वो कागज मिले, मैं उसे पढ़ने बैठ गया और पढ़ते-पढ़ते मेरे दिल में ठेस-सी लगी कि ये ज्ञान कहाँ छिपा हुआ था? फिर मैंने उसमें आश्रम के फोन नं. देखे और पुस्तक मंगवाई। उसमें जब मैंने ज्ञान पढ़ा तो मैं हैरान रह गया, पैरों तले की जमीन खिसक गई क्योंकि मंदिर में पुजारी होने के बावजूद मैंने ऐसा नया ज्ञान कभी भी नहीं सुना था।
मैं पहले मानता रहा कि ब्रह्मा, विष्णु और शिव जी से ऊपर कोई है ही नहीं। परमात्मा निराकार है। संत रामपाल जी महाराज की पुस्तकों से ज्ञान हुआ कि परमात्मा साकार है, कबीर जी पूर्ण परमात्मा हैं। परमात्मा ने अंदर एक ऐसी प्रेरणा जगाई कि संत रामपाल जी के पास ही वह अमर मंत्र है जिससे हमारा कल्याण होना है। इसी से हमारा जन्म-मरण का भयंकर रोग कटेगा। उनके ज्ञान से प्रभावित होकर मैंने संत रामपाल जी महाराज से दीक्षा ली। मैंने सभी तरह की शास्त्रविरूद्ध पूजाऐं बंद कर दी। पितर पूजा, श्राद्ध निकालना आदि सब त्याग दिया।
गुरू जी का उपदेश लेने के बाद मुझे सबसे बड़ा तो आध्यात्मिक लाभ हुआ। जन्म-मरण से मुक्ति की सच्ची राह मिली। मेरी भक्तमति को पैरालाइसिस की परेशानी थी। हर जगह बड़े-बड़े डॉक्टरों व नीम-हकीमों के चक्कर लगा चुके थे, परंतु परमात्मा के आशीर्वाद मात्र से मेरी भक्तमति ठीक हो गई। परमात्मा की दया से हमारी आर्थिक स्थिति भी ठीक हो गई। फिर मैंने ये ज्ञान प्रचार करना शुरू कर दिया। मुझे लगा कि ये ज्ञान तो जन-जन तक पहुँचना चाहिए। लेकिन मेरी बातों पर किसी ने गौर नहीं किया। लोगों ने विरोध किया, कहा कि तुम ये कौन-सा अलग ज्ञान ले आए। ऐसी बातें ना किया करो। परंतु मुझे इस ज्ञान से परमात्मा की दया से कोई डगमग नहीं कर पाया। ऐसा सत्यज्ञान व सत्य भक्ति मार्ग पृथ्वी पर और कहीं नहीं है। मेरी सर्व से प्रार्थना है कि आप भी प्रभु के चरणों में आओ। संत रूप में आए परमेश्वर के संदेश वाहक संत रामपाल जी महाराज को पहचानों। मुफ्त नाम उपदेश प्राप्त करके कृप्या अपना कल्याण करवाएँ।
भक्त हेमचंद दास
मोबाईल नं. 9816781489
•••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••
आध्यात्मिक जानकारी के लिए आप संत रामपाल जी महाराज जी के मंगलमय प्रवचन सुनिए। Sant Rampal Ji Maharaj YOUTUBE चैनल पर प्रतिदिन 7:30-8.30 बजे। संत रामपाल जी महाराज जी इस विश्व में एकमात्र पूर्ण संत हैं। आप सभी से विनम्र निवेदन है अविलंब संत रामपाल जी महाराज जी से नि:शुल्क नाम दीक्षा लें और अपना जीवन सफल बनाएं।
https://online.jagatgururampalji.org/naam-diksha-inquiry
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mahadeosposts · 1 month ago
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#हिन्दूसाहेबान_नहींसमझे_गीतावेदपुराणPart125 के आगे पढिए.....)
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#हिन्दूसाहेबान_नहींसमझे_गीतावेदपुराणPart126
"चौदहवां अध्याय"
शास्त्रानुकूल भक्ति से हुए भक्तों को लाभ "शास्त्रविरूद्ध साधना से छुटकारा"
मैं भक्त हेमचंद दास सोलन (हिमाचल प्रदेश) का रहने वाला हूँ। पहले मैं अपने गाँव में महाकाली मंदिर में पुजारी रहा। 25 वर्ष से वहाँ पुजारी का काम करता था। भजन-कीर्तन और जो भी पूजाऐं मंदिर में होती, सभी किया करता था। पितर पूजा, श्राद्ध निकालना, शिव जी को जल चढ़ाना आदि क्रियाएँ करता था। लेकिन फिर भी हम दुःखी रहते थे। मेरी पत्नी को पैरालाईसिस थी। घर की आर्थिक स्थिति भी ठीक नहीं थी।
सन् 2005-2006 में संत रामपाल जी महाराज के कुछ लेख अखबारों में आते थे। मैं उन्हें समझ नहीं पाया, परंतु मैं इस तरह के धार्मिक कागजों को संभालकर रख लेता था। कुछ समय पश्चात् जैसे ही रद्दी से वो कागज मिले, मैं उसे पढ़ने बैठ गया और पढ़ते-पढ़ते मेरे दिल में ठेस-सी लगी कि ये ज्ञान कहाँ छिपा हुआ था? फिर मैंने उसमें आश्रम के फोन नं. देखे और पुस्तक मंगवाई। उसमें जब मैंने ज्ञान पढ़ा तो मैं हैरान रह गया, पैरों तले की जमीन खिसक गई क्योंकि मंदिर में पुजारी होने के बावजूद मैंने ऐसा नया ज्ञान कभी भी नहीं सुना था।
मैं पहले मानता रहा कि ब्रह्मा, विष्णु और शिव जी से ऊपर कोई है ही नहीं। परमात्मा निराकार है। संत रामपाल जी महाराज की पुस्तकों से ज्ञान हुआ कि परमात्मा साकार है, कबीर जी पूर्ण परमात्मा हैं। परमात्मा ने अंदर एक ऐसी प्रेरणा जगाई कि संत रामपाल जी के पास ही वह अमर मंत्र है जिससे हमारा कल्याण होना है। इसी से हमारा जन्म-मरण का भयंकर रोग कटेगा। उनके ज्ञान से प्रभावित होकर मैंने संत रामपाल जी महाराज से दीक्षा ली। मैंने सभी तरह की शास्त्रविरूद्ध पूजाऐं बंद कर दी। पितर पूजा, श्राद्ध निकालना आदि सब त्याग दिया।
गुरू जी का उपदेश लेने के बाद मुझे सबसे बड़ा तो आध्यात्मिक लाभ हुआ। जन्म-मरण से मुक्ति की सच्ची राह मिली। मेरी भक्तमति को पैरालाइसिस की परेशानी थी। हर जगह बड़े-बड़े डॉक्टरों व नीम-हकीमों के चक्कर लगा चुके थे, परंतु परमात्मा के आशीर्वाद मात्र से मेरी भक्तमति ठीक हो गई। परमात्मा की दया से हमारी आर्थिक स्थिति भी ठीक हो गई। फिर मैंने ये ज्ञान प्रचार करना शुरू कर दिया। मुझे लगा कि ये ज्ञान तो जन-जन तक पहुँचना चाहिए। लेकिन मेरी बातों पर किसी ने गौर नहीं किया। लोगों ने विरोध किया, कहा कि तुम ये कौन-सा अलग ज्ञान ले आए। ऐसी बातें ना किया करो। परंतु मुझे इस ज्ञान से परमात्मा की दया से कोई डगमग नहीं कर पाया। ऐसा सत्यज्ञान व सत्य भक्ति मार्ग पृथ्वी पर और कहीं नहीं है। मेरी सर्व से प्रार्थना है कि आप भी प्रभु के चरणों में आओ। संत रूप में आए परमेश्वर के संदेश वाहक संत रामपाल जी महाराज को पहचानों। मुफ्त नाम उपदेश प्राप्त करके कृप्या अपना कल्याण करवाएँ।
भक्त हेमचंद दास
मोबाईल नं. 9816781489
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आध्यात्मिक जानकारी के लिए आप संत रामपाल जी महाराज जी के मंगलमय प्रवचन सुनिए। Sant Rampal Ji Maharaj YOUTUBE चैनल पर प्रतिदिन 7:30-8.30 बजे। संत रामपाल जी महाराज जी इस विश्व में एकमात्र पूर्ण संत हैं। आप सभी से विनम्र निवेदन है अविलंब संत रामपाल जी महाराज जी से नि:शुल्क नाम दीक्षा लें और अपना जीवन सफल बनाएं।
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bikanerlive · 2 months ago
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महात्मा ज्योतिबा फुले मंडी श्रमिक कल्याण योजनामुख्यमंत्री के नेतृत्व में श्रमिक कल्याण के लिए राज्य सरकार कृत संकल्पमंडी श्रमिकों को चिकित्सा, शिक्षा एवं विवाह के लिए दी जा रही आर्थिक सहायता
बीकानेर,15 अक्टूबर। मुख्यमंत्री श्री भजन लाल शर्मा के नेतृत्व में राज्य सरकार द्वारा मंडी श्रमिक कल्याण योजनाओं का बेहतर क्रियान्वयन किया जा रहा है। इस योजना के माध्यम से कृषि मंडियों में काम करने वाले हम्माल, तुलारा एवं पल्लेदारों को बच्चे पैदा होने पर, बच्चों की शिक्षा एवं विवाह तथा चिकित्सा सेवाओं के लिए आर्थिक सहायता दी जा रही है। कृषि विपणन विभाग के संयुक्त निदेशक श्री शिव सिंह भाटी ने…
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jeevanjali · 4 months ago
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Ganesh Bhajan Lyrics: करूँ वंदन हे शिव नंदन लिरिक्स Karu Vandan Hey Shiv Nandan LyricsGanesh Bhajan Lyrics: गणेश भगवान के भजन करने से भगवान गणेश बहुत प्रसन्न होते हैं, भजन बहुत ही लाभकारी और चमत्कारी माना गया है आपको बता दें कि गणेश भजन करने से जीवन की सारी परेशानियां दूर होती हैं
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sharpbharat · 5 months ago
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Jamshedpur parthiv mahadev pujan : बागबेड़ा विद्यापति परिषद् की ओर से कराया सवा दो लाख पार्थिव महादेव पूजन आयोजित, संध्या वेला में स्थानीय कलाकारों के शिव भजनों से गूंजा पूजा स्थल
जमशेदपुर : बागबेड़ा विद्यापति परिषद् की ओर से हर वर्ष की भांति इस वर्ष भी श्रावण के प्रथम सोमवार को धूमधाम से श्री श्री 108 पार्थिव महादेव (लखराम) पूजा एवं भजन संध्या का आयोजन किया गया. परिषद् की ओर से सवा लाख पार्थिव महादेव पूजन का संकल्प किया गया था जो अंततः बढ़ कर लगभग सवा दो लाख पार्थिव महादेव के पूजन के रूप में संपन्न हुआ. (नीचे भी पढ़ें) पूजा सफ़लपूर्वक संपन्न कराने में पंडित अशोक कुमार…
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appasahebparbhane · 5 months ago
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एक समय गोरख नाथ (सिद्ध महात्मा) काशी (बनारस) में स्वामी रामानन्द जी (जो साहेब कबीर के गुरु जी थे) से शास्त्रार्थ करने के लिए (ज्ञान गोष्टी के लिए) आए। जब ज्ञान गोष्टी के लिए एकत्रित हुए तब कबीर साहेब भी अपने पूज्य गुरुदेव स्वामी रामानन्द जी के साथ पहुँचे थे। एक उच्च आसन पर रामानन्द जी बैठे उनके चरणों में बालक रूप में कबीर साहेब (पूर्ण परमात्मा) बैठे थे। गोरख नाथ जी भी एक उच्च आसन पर बैठे थे तथा अपना त्रिशूल अपने आसन के पास ही जमीन में गाड़ रखा था। गोरख नाथ जी ने कहा कि रामानन्द मेरे से चर्चा करो। उसी समय बालक रूप (पूर्ण ब्रह्म) कबीर जी ने कहा - नाथ जी पहले मेरे से चर्चा करें। पीछे मेरे गुरुदेव जी से बात करना।
योगी गोरखनाथ प्रतापी, तासो तेज पृथ्वी कांपी।
काशी नगर में सो पग परहीं, रामानन्द से चर्चा करहीं।
चर्चा में गोरख जय पावै, कंठी तोरै तिलक छुड़ावै।
सत्य कबीर शिष्य जो भयऊ, यह वृतांत सो सुनि लयऊ।
गोरखनाथ के डर के मारे, वैरागी नहीं भेष सवारे।
तब कबीर आज्ञा अनुसारा, वैष्णव सकल स्वरूप संवारा।
सो सुधि गोरखनाथ जो पायौ, काशी नगर शीघ्र चल आयौ।
रामानन्द को खबर पठाई, चर्चा करो मेरे संग आई।
रामानन्द की पहली पौरी, सत्य कबीर बैठे तीस ठौरी।
कह कबीर सुन गोरखनाथा, चर्चा करो हमारे साथा।
प्रथम चर्चा करो संग मेरे, पीछे मेरे गुरु को टेरे।
बालक रूप कबीर निहारी, तब गोरख ताहि वचन उचारी।
इस पर गोरख नाथ जी ने कहा तू बालक कबीर जी कब से योगी बन गया। कल जन्मा अर्थात् छोटी आयु का बच्चा और चर्चा मेरे (गोरख नाथ के) साथ। तेरी क्या आयु है? और कब वैरागी (संत) बन गए?
गोरखनाथ जी का प्रश्न:-
कबके भए वैरागी कबीर जी, कबसे भए वैरागी।
कबीर जी का उत्तर:-
नाथ जी जब से भए वैरागी मेरी, आदि अंत सुधि लागी।।
धूंधूकार आदि को मेला, नहीं गुरु नहीं था चेला।
जब का तो हम योग उपासा, तब का फिरूं अकेला।।
धरती नहीं जद की टोपी दीना, ब्रह्मा नहीं जद का टीका।
शिव शंकर से योगी, न थे जदका झोली शिका।।
द्वापर को हम करी फावड़ी, त्रोता को हम दंडा।
सतयुग मेरी फिरी दुहाई, कलियुग फिरौ नो खण्डा।।
गुरु के वचन साधु की संगत, अजर अमर घर पाया।
कहैं कबीर सुनांे हो गोरख, मैं सब को तत्व लखाया।।
साहेब कबीर जी ने गोरख नाथ जी को बताया हैं कि मैं कब से वैरागी बना। साहेब कबीर ने उस समय वैष्णों संतों जैसा वेष बना रखा था। जैसा श्री रामानन्द जी ने बाणा (वेष) बना रखा था। मस्तिक में चन्दन का टीका, टोपी व झोली सिक्का एक फावड़ी (जो भजन करने के लिए लकड़ी की अंग्रेजी के अक्षर ‘‘T‘‘ के आकार की होती है) तथा एक डण्डा (लकड़ी का लट्ठा) साथ लिए हुए थे। ऊपर के शब्द में कबीर परमेश्वर जी ने कहा है कि जब
कोई सृष्टि (काल सृष्टि) नहीं थी तथा न सतलोक सृष्टि थी तब मैं (कबीर) अनामी लोक में था और कोई नहीं था। चूंकि साहेब कबीर ने ही सतलोक सृष्टि शब्द से रची तथा फिर काल (ज्योति निरंजन-ब्रह्म) की सृष्टि भी सतपुरुष ने रची। जब मैं अकेला रहता था जब धरती (पृथ्वी) भी नहीं थी तब से मेरी टोपी जानो। ब्रह्मा जो गोरखनाथ तथा उनके गुरु मच्छन्दर नाथ आदि सर्व प्राणियों के शरीर बनाने वाला पैदा भी नहीं हुआ था। तब से मैंने टीका लगा रखा है अर्थात् मैं (कबीर) तब से सतपुरुष आकार रूप मैं ही हूँ।
सतयुग-त्रोतायुग-द्वापर तथा कलियुग ये चार युग तो मेरे सामने असंख्यों जा लिए। कबीर परमेश्वर जी ने कहा कि हमने सतगुरु वचन में रह कर अजर-अमर घर (सतलोक) पाया। इसलिए सर्व प्राणियों को तत्व (वास्तविक ज्ञान) बताया है कि पूर्ण गुरु से उपदेश ले कर आजीवन गुरु वचन में चलते हुए पूर्ण परमात्मा का ध्यान सुमरण करके उसी अजर-अमर सतलोक में जा कर जन्म-मरण रूपी अति दुःखमयी संकट से बच सकते हो।
इस बात को सुन कर गोरखनाथ जी ने पूछा हैं कि आपकी आयु तो बहुत छोटी है अर्थात् आप लगते तो हो बालक से।
जो बूझे सोई बावरा, क्या है उम्र हमारी।
असंख युग प्रलय गई, तब का ब्रह्मचारी।।टेक।।
कोटि निरंजन हो गए, परलोक सिधारी।
हम तो सदा महबूब हैं, स्वयं ब्रह्मचारी।।
अरबों तो ब्रह्मा गए, उनन्चास कोटि कन्हैया।
सात कोटि शम्भू गए, मोर एक नहीं पलैया।।
कोटिन नारद हो गए, मुहम्मद से चारी।
देवतन की गिनती नहीं है, क्या सृष्टि विचारी।।
नहीं बुढ़ा नहीं बालक, नाहीं कोई भाट भिखारी।
कहैं कबीर सुन हो गोरख, यह है उम्र हमारी।।
श्री गोरखनाथ सिद्ध को सतगुरु कबीर साहेब अपनी आयु का विवरण देते हैं। असंख युग प्रलय में गए। तब का मैं वर्तमान हूँ अर्थात् अमर हूँ। करोड़ों ब्रह्म (क्षर पुरूष अर्थात् काल) भगवान मृत्यु को प्राप्त होकर पुनर्जन्म प्राप्त कर चुके हैं।
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astrovastukosh · 6 months ago
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भगवान शंकर के पूर्ण रूप काल भैरव
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एक बार सुमेरु पर्वत पर बैठे हुए ब्रम्हाजी के पास जाकर देवताओं ने उनसे अविनाशी तत्व बताने का अनुरोध किया | शिवजी की माया से मोहित ब्रह्माजी उस तत्व को न जानते हुए भी इस प्रकार कहने लगे - मैं ही इस संसार को उत्पन्न करने वाला स्वयंभू, अजन्मा, एक मात्र ईश्वर , अनादी भक्ति, ब्रह्म घोर निरंजन आत्मा हूँ| 🌞मैं ही प्रवृति उर निवृति का मूलाधार , सर्वलीन पूर्ण ब्रह्म हूँ | ब्रह्मा जी ऐसा की पर मुनि मंडली में विद्यमान वि��्णु जी ने उन्हें समझाते हुए कहा की मेरी आज्ञा से तो तुम सृष्टी के रचियता बने हो, मेरा अनादर करके तुम अपने प्रभुत्व की बात कैसे कर रहे हो ? 🌞इस प्रकार ब्रह्मा और विष्णु अपना-अपना प्रभुत्व स्थापित करने लगे और अपने पक्ष के समर्थन में शास्त्र वाक्य उद्घृत करने लगे| अंततः वेदों से पूछने का निर्णय हुआ तो स्वरुप धारण करके आये चारों वेदों ने क्रमशः अपना मत६ इस प्रकार प्रकट किया - 🌞ऋग्वेद- जिसके भीतर समस्त भूत निहित हैं तथा जिससे सब कुछ प्रवत्त होता है और जिसे परमात्व कहा जाता है, वह एक रूद्र रूप ही है | 🌞यजुर्वेद- जिसके द्वारा हम वेद भी प्रमाणित होते हैं तथा जो ईश्वर के संपूर्ण यज्ञों तथा योगों से भजन किया जाता है, सबका दृष्टा वह एक शिव ही हैं| 🌞सामवेद- जो समस्त संसारी जनों को भरमाता है, जिसे योगी जन ढूँढ़ते हैं और जिसकी भांति से सारा संसार प्रकाशित होता है, वे एक त्र्यम्बक शिवजी ही हैं | 🌞अथर्ववेद- जिसकी भक्ति से साक्षात्कार होता है और जो सब या सुख - दुःख अतीत अनादी ब्रम्ह हैं, वे केवल एक शंकर जी ही हैं| 🌞विष्णु ने वेदों के इस कथन को प्रताप बताते हुए नित्य शिवा से रमण करने वाले, दिगंबर पीतवर्ण धूलि धूसरित प्रेम नाथ, कुवेटा धारी, सर्वा वेष्टित, वृपन वाही, निःसंग,शिवजी को पर ब्रम्ह मानने से इनकार कर दिया| ब्रम्हा-विष्णु विवाद को सुनकर ओंकार ने शिवजी की ज्योति, नित्य और सनातन परब्रम्ह बताया परन्तु फिर भी शिव माया से मोहित ब्रम्हा विष्णु की बुद्धि नहीं बदली | 🌞उस समय उन दोनों के मध्य आदि अंत रहित एक ऐसी विशाल ज्योति प्रकट हुई की उससे ब्रम्हा का पंचम सिर जलने लगा| इतने में त्रिशूलधारी नील-लोहित शिव वहां प्रकट हुए तो अज्ञानतावश ब्रम्हा उन्हें अपना पुत्र समझकर अपनी शरण में आने को कहने लगे| 🌞ब्रम्हा की संपूर्ण बातें सुनकर शिवजी अत्यंत क्रुद्ध हुए और उन्होंने तत्काल भैरव को प्रकट कर उससे ब्रम्हा पर शासन करने का आदेश दिया| आज्ञा का पालन करते हुए भैरव ने अपनी बायीं ऊँगली के नखाग्र से ब्रम्हाजी का पंचम सिर काट डाला| भयभीत ब्रम्हा शत रुद्री का पाठ करते हुए शिवजी के शरण हुए|ब्रम्हा और विष्णु दोनों को सत्य की प्रतीति हो गयी और वे दोनों शिवजी की महिमा का गान करने लगे| यह देखकर शिवजी शांत हुए और उन दोनों को अभयदान दिया| 🌞इसके उपरान्त शिवजी ने उसके भीषण होने के कारण भैरव और काल को भी भयभीत करने वाला होने के कारण काल भैरव तथा भक्तों के पापों को तत्काल नष्ट करने वाला होने के कारण पाप भक्षक नाम देकर उसे काशीपुरी का अधिपति बना दिया | फिर कहा की भैरव तुम इन ब्रम्हा विष्णु को मानते हुए ब्रम्हा के कपाल को धारण करके इसी के आश्रय से भिक्षा वृति करते हुए वाराणसी में चले जाओ | वहां उस नगरी के प्रभाव से तुम ब्रम्ह हत्या के पाप से मुक्त हो जाओगे | 🌞शिवजी की आज्ञा से भैरव जी हाथ में कपाल लेकर ज्योंही काशी की ओर चले, ब्रम्ह हत्या उनके पीछे पीछे हो चली| विष्णु जी ने उनकी स्तुति करते हुए उनसे अपने को उनकी माया से मोहित न होने का वरदान माँगा | विष्णु जी ने ब्रम्ह हत्या के भैरव जी के पीछा करने की माया पूछना चाही तो ब्रम्ह हत्या ने बताया की वह तो अपने आप को पवित्र और मुक्त होने के लिए भैरव का अनुसरण कर रही है | 🌞भैरव जी ज्यों ही काशी पहुंचे त्यों ही उनके हाथ से चिमटा और कपाल छूटकर पृथ्वी पर गिर गया और तब से उस स्थान का नाम कपालमोचन तीर्थ पड़ गया | इस तीर्थ मैं जाकर सविधि पिंडदान और देव-पितृ-तर्पण करने से मनुष्य ब्रम्ह हत्या के पाप से निवृत हो जाता है.
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bhaktibharat · 1 year ago
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🔱 सावन के सोमवार 2023 - Sawan Ke Somwar
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हिंदू धर्म के अनुसार, श्रावण को शिवत्व के अनुरूप वर्ष का सबसे पवित्र महिना माना जाता है, तथा साप्ताहिक दिन सोमवार को शिव की उपासना का दिन माना गया है। इस प्रकार श्रावण माह के सोमवार की महत्ता और भी अधिक होजाती है। श्रावण को साधारण बोल-चाल की भाषा मे सावन कहा जाता है, अतः सावन के सोमवार भगवान शिव के सबसे प्रिय दिन माने जाते हैं। 📲 https://www.bhaktibharat.com/festival/sawan-somwar For Quick Access Download Bhakti Bharat APP: 📥 https://play.google.com/store/apps/details?id=com.bhakti.bharat.app 🔱 शिव चालीसा - Shiv Chalisa 📲 https://www.bhaktibharat.com/chalisa/shiv-shiv-chalisa 🔱 शिव भजन - Shiv Bhajan 📲 https://www.bhaktibharat.com/bhajan/shiv-shankar-bholenath-ke-bhajan #SawanKeSomwar #Sawan #Sawan2023 #Somwar #Shiv #Bholenath #Mahadev #ShriShiv #Bholebaba #Shivaratri #Savan #Monday #Somvar #SolahSomvar #Bolbum #harhar
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helputrust · 2 years ago
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जनहित में स्वयं रक्तदान करें और दूसरों को भी रक्तदान के लिए प्रेरित करें – हर्ष वर्धन अग्रवाल
लखनऊ, 30.05.2023 | बड़ा मंगल (ज्येष्ठ माह के चतुर्थ मंगलवार) के पावन अवसर पर हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट द्वारा शिव मानस मंदिर, विकास खंड 2, गोमती नगर लखनऊ में "हेल्प यू संजीवनी हनुमान भजन संध्या" का आयोजन किया गया | भजन संध्या में प्रदीप सक्सेना एवं आकांक्षा सिंह ने कर्णप्रिय भगवत भजन द्वारा भक्तजनों के ह्रदय को आस्था एवं भक्ति से सराबोर कर दिया |
हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट के प्रबंध न्यासी, श्री हर्ष वर्धन अग्रवाल ने सभी भक्तगणों को ज्येष्ठ माह के चतुर्थ बड़ा मंगल की शुभकामनाएं देते हुए कहा कि, महावीर हनुमान जी की कृपा से हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट द्वारा ज्येष्ठ माह के तीन बड़े मंगल पर हेल्प यू संजीवनी हनुमान भजन संध्या का सफलतापूर्वक आयोजन किया गया जिसमे राजाजीपुरम, ई ब्लॉक में तड़ियन मंदिर, इंदिरा नगर, सेक्टर 25 में रामायण पार्क, अलीगंज में श्री महावीर जी हनुमान मंदिर है और आज चतुर्थ बड़ा मंगल के अवसर पर शिव मानस मंदिर, विकास खंड 2, गोमती नगर में भजन संध्या आयोजित की जा रही है | हेल्प यू संजीवनी हनुमान भजन संध्या द्वारा सभी भक्तों से जनहित में रक्तदान करने क��� अपील भी की जा रही है | जनहित में आप सभी से निवेदन है कि कृपया साल में एक बार रक्तदान अवश्य करें और यदि किसी कारणवश रक्तदान करने में असमर्थ हो तो दूसरों को रक्तदान करने हेतु प्रेरित करें क्योंकि आपके रक्तदान से किसी की जिंदगी बच सकती है जो कि भगवान की सच्ची सेवा है| जनहित में स्वयं रक्तदान करें और दूसरों को भी रक्तदान के लिए अवश्य प्रेरित करें |
भजन संध्या की शुरुआत प्रदीप सक्सेना ने गणपति वंदना गाकर की | इसके बाद प्रदीप सक्सेना एवं आकांक्षा सिंह ने श्री रामचंद्र ठुमक चलत रामचंद्र, जय जय मां जय जय मां, रामचंद्र कह गए सिया से, कभी राम बनके कभी श्याम बनके, श्याम चूड़ी बेचने आया, रात श्याम सपने में आए, श्री रामचंद्र कृपालु भजमन, श्याम तेरी बंसी भजन गाकर भक्तजनों को मंत्रमुग्ध कर दिया | तबला पर नितीश कुमार, गिटार पर गोपाल गोस्वामी तथा कीबोर्ड पर रिंकू राज ने साथ दिया |
भजन संध्या में उपस्थित सभी श्रद्धालुओं को रक्तदान जागरूकता पैम्फलेट बांटे गए, जिसके तहत लोगों से स्वेच्छा से रक्तदान करने और ट्रस्ट द्वारा चलाए जा रहे "हेल्प यू ब्लड डोनर" अभियान को सफल बनाने में अपना अहम योगदान देने की अपील की गई |
भजन संध्या में हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट के मैनेजिंग ट्रस्टी श्री हर्ष वर्धन अग्रवाल, बड़ी संख्या में हनुमान भक्तों, ट्रस्ट के सलाहकार तथा स्वयंसेवकों की गरिमामयी उपस्थिति रही |
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hindunidhi · 6 months ago
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हरतालिका तीज - पति की दीर्घायु का व्रत, विधि और पूजा
हरतालिका तीज, जिसे बूढ़ी तीज या सुहागिनों का तीज भी कहा जाता है, हिंदू महिलाओं द्वारा मनाया जाने वाला एक महत्वपूर्ण त्योहार है। यह भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाया जाता है। यह त्योहार भगवान शिव और माता पार्वती के विवाह का प्रतीक है।
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पति की दीर्घायु का व्रत
हरतालिका तीज का मुख्य उद्देश्य पति की दीर्घायु और सुख-समृद्धि की कामना करना होता है। इस दिन, विवाहित महिलाएं निर्जला व्रत रखती हैं और भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करती हैं।
हरतालिका तीज व्रत विधि
हरतालिका तीज का व्रत दो दिनों का होता है। पहले दिन, महिलाएं "हरतालिका" नामक एक मिट्टी की गोली बनाती हैं और उसे भगवान शिव का प्रतीक मानकर उसकी पूजा करती हैं। दूसरे दिन, महिलाएं व्रत तोड़ती हैं और भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करती हैं।
हरतालिका तीज पूजा विधि
हरतालिका तीज की पूजा विधि इस प्रकार है:
सुबह: सूर्योदय से पहले उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र पहनें।
हरतालिका की पूजा: एक चौकी पर भगवान शिव और माता पार्वती की मूर्ति या तस्वीर स्थापित करें। हरतालिका को चौकी पर रखें और उसका गंगाजल, दूध, दही, घी, शहद, फूल, फल, आदि से पूजन करें।
कथा वाचन: हरतालिका तीज व्रत कथा पढ़ें या सुनें।
आरती: भगवान शिव और माता पार्वती की आरती उतारें।
भोग: भगवान शिव और माता पार्वती को भोग लगाएं।
निर्जला व्रत: दिन भर निर्जला व्रत रखें।
रात्रि जागरण: रात भर जागकर भगवान शिव और माता पार्वती के भजन गाएं।
दूसरे दिन: अगले दिन, सूर्योदय के बाद स्नान करें और भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करें।
व्रत का पारण: दही, खीर, या फल जैसे सात्विक भोजन से व्रत का पारण करें।
हरतालिका तीज का महत्व
हरतालिका तीज का महत्व निम्नलिखित है:
पति की दीर्घायु: यह व्रत पति की दीर्घायु और सुख-समृद्धि के लिए मनाया जाता है।
पति-पत्नी के बीच प्रेम: यह व्रत पति-पत्नी के बीच प्रेम और स्नेह को बढ़ाता है।
सौभाग्य: यह व्रत महिलाओं के सौभाग्य और सुख-समृद्धि के लिए भी मनाया जाता है।
हरतालिका तीज की कुछ विशेषताएं
हरियाली: हरतालिका तीज के दिन, महिलाएं हरे रंग के कपड़े पहनती हैं और अपने घरों को हरी पत्तियों से सजाती हैं।
झूला: कुछ जगहों पर, महिलाएं झूला झूलती हैं और भगवान शिव और माता पार्वती के भजन गाती हैं।
शृंगार: इस दिन, महिलाएं श्रृंगार करती हैं और अपने पतियों के लिए नए कपड़े और गहने खरीदती हैं।
मेहंदी: महिलाएं अपने हाथों और पैरों में मेहंदी लगाती हैं।
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pacificleo · 7 months ago
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नमामीशमिशान निर्वाण रूपं विभुं व्यापकं ब्रह्म वेद: स्वरुपम् । निजं निर्गुणं निर्विकल्पं निरीहं चिदाकाश मकाशवासं भजेऽहम्‌ ॥ हे ईशान! मैं मुक्तिस्वरूप, समर्थ, सर्वव्यापक, ब्रह्म, वेदस्वरूप, निज स्वरूप में स्थित, निर्गुण, निर्विकल्प, निरीह, अनन्त ज्ञानमय और आकाश के समान सर्वत्र व्याप्त प्रभु को प्रणाम करता हूं।।1।। निराकामोंकारमूलं तुरीयं गिरा ध्यान गोतीतमीशं गिरिशम । करालं महाकाल कालं कृपालं गुणागार संसारपारं नतोअहम ॥ जो निराकार हैं, ओंकाररूप आदिकारण हैं, तुरीय हैं, वाणी, बुद्धि और इन्द्रियों के पथ से परे हैं, कैलासनाथ हैं, विकराल और महाकाल के भी काल, कृपाल, गुणों के आगार और संसार से तारने वाले हैं, उन भगवान को मैं नमस्कार करता हूं ।।2।। तुषाराद्रि संकाश गौरं गभीरं मनोभूत कोटि प्रभा श्री शरीरम् । स्फुरन्मौलि कल्लोलिनी चारू गंगा लासद्भाल बालेन्दु कंठे भुजंगा ॥ जो हिमालय के समान श्वेतवर्ण, गम्भीर और करोड़ों कामदेवों के समान कान्तिमान शरीर वाले हैं, जिनके मस्तक पर मनोहर गंगाजी लहरा रही हैं, भाल देश में बाल-चन्द्रमा सुशोभित होते हैं और गले में सर्पों की माला शोभा देती है ।।3।। चलत्कुण्डलं शुभ नेत्रं विशालं प्रसन्नाननं नीलकंठ दयालम । मृगाधीश चर्माम्बरं मुण्डमालं प्रिय शंकरं सर्वनाथं भजामि ॥ जिनके कानों में कुण्डल हिल रहे हैं, जिनके नेत्र एवं भृकुटि सुन्दर और विशाल हैं, जिनका मुख प्रसन्न और कण्ठ नील है, जो बड़े ही दयालु हैं, जो बाघ के चर्म का वस्त्र और मुण्डों की माला पहनते हैं, उन सर्वाधीश्वर प्रियतम शिव का मैं भजन करता हूं ।।4।। प्रचण्डं प्रकष्ठं प्रगल्भं परेशं अखण्डं अजं भानु कोटि प्रकाशम । त्रयशूल निर्मूलनं शूल पाणिं भजेऽहं भ��ानीपतिं भाव गम्यम ॥ जो प्रचण्ड, सर्वश्रेष्ठ, प्रगल्भ, परमेश्वर, पूर्ण, अजन्मा, कोटि सूर्य के समान प्रकाशमान, त्रिभुवन के शूलनाशक और हाथ में त्रिशूल धारण करने वाले हैं, उन भावगम्य भवानीपति का मैं भजन करता हूं ।।5।। कलातीत कल्याण कल्पान्तकारी सदा सच्चीनान्द दाता पुरारी । चिदानन्द सन्दोह मोहापहारी प्रसीद प्रसीद प्रभो मन्मथारी ॥ हे प्रभो! आप कलारहित, कल्याणकारी और कल्प का अंत करने वाले हैं। आप सर्वदा सत्पुरुषों को आनन्द देते हैं, आपने त्रिपुरासुर का नाश किया था, आप मोहनाशक और ज्ञानानन्दघन परमेश्वर हैं, कामदेव के शत्रु हैं, आप मुझ पर प्रसन्न हों, प्रसन्न हों ।।6।। न यावद् उमानाथ पादारविन्दं भजन्तीह लोके परे वा नराणाम । न तावद् सुखं शांति सन्ताप नाशं प्रसीद प्रभो सर्वं भूताधि वासं ॥ मनुष्य जब तक उमाकान्त महादेव जी के चरणारविन्दों का भजन नहीं करते, उन्हें इहलोक या परलोक में कभी सुख तथा शान्ति की प्राप्ति नहीं होती और न उनका सन्ताप ही दूर होता है। हे समस्त भूतों के निवास स्थान भगवान शिव! आप मुझ पर प्रसन्न हों ।।7।। न जानामि योगं जपं पूजा न तोऽहम्‌ सदा सर्वदा शम्भू तुभ्यम् । जरा जन्म दुःखौघ तातप्यमानं, प्रभोपाहि आपन्नामामीश शम्भो ॥ हे प्रभो! हे शम्भो! हे ईश! मैं योग, जप और पूजा कुछ भी नहीं जानता, हे शम्भो! मैं सदा-सर्वदा आपको नमस्कार करता हूं। जरा, जन्म और दुःख समूह से सन्तप्त होते हुए मुझ दुःखी की दुःख से रक्षा कीजिए।।8।।
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helpukiranagarwal · 7 months ago
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Dharohar | Artist Samman | Ministry of Culture | NCZCC | Help U Educational and Charitable Trust
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लखनऊ, 28.04.2023 | हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट की स्थापना के 11 वर्ष पूर्ण होने के अवसर पर "स्थापना दिवस कार्यक्रम" तथा हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट, संस्कृति मंत्रालय, भारत सरकार एवं उत्तर मध्य क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र (NCZCC) के संयुक्त तत्वावधान में सांस्कृतिक कार्यक्रम "धरोहर” का आयोजन सी एम एस ऑडिटोरियम, विशाल खंड, गोमती नगर, लखनऊ में किया गया |
"स्थापना दिवस कार्यक्रम" में, हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट के प्रबंध न्यासी हर्ष वर्धन अग्रवाल, ट्रस्ट की न्यासी डॉ० रूपल अग्रवाल, ट्रस्ट की आतंरिक सलाहकार समिति के सदस्यगण ने हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट की विवरण पुस्तिका का विमोचन किया गया | विवरण पुस्तिका में ट्रस्ट के विगत 11 वर्षों के कार्यों का विवरण उपलब्ध है |
हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट द्वारा विगत 11 वर्षों में ट्रस्ट को महत्वपूर्ण योगदान प्रदान करने वाली 7 विभूतियों का हेल्प यू सम्मान तथा वैश्विक महामारी कोरोना काल में बहुमूल्य सहयोग प्रदान करने हेतु 119 कोरोना वॉरियर्स का सम्मान किया गया |
सांस्कृतिक कार्यक्रम "धरोहर” में, हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट के पूर्व संरक्षक पद्माभूषण स्वर्गीय गोपाल दास नीरज, पद्माश्री स्वर्गीय अनवर जलालपुरी तथा वर्तमान संरक्षक पद्माश्री अनूप जलोटा की रचनाओं, ���ीतों, शायरी तथा भजनों की प्रस्तुति प्रदीप अली, आकांक्षा सिंह, मल्लिका शुक्ला ने की तथा भारतीय सभ्यता और संस्कृति को समर्पित सांस्कृतिक कार्यक्रम के अंतर्गत भाव नृत्य राम भी रहीम भी, अवधी नृत्य नाटिका वैदेही के राम, महारास, राजस्थानी लोक नृत्य घूमर, की प्रस्तुति उर्मिला पाण्डेय ग्रुप द्वारा की गयी |
मल्लिका शुक्ला की प्रस्तुति –
अनूप जलोटा का भजन - जय गणपति वंदन गणनायक....
प्रदीप अली की प्रस्तुति –
गोपाल दास नीरज जी के गीत - दिल आज शायर है गम आज नगमा है,....
अनवर जलालपुरी जी की ग़ज़ल - मयकदे से, दैर से, काबा से रखसत हो गए...., हवा हो तेज तो शाखों से पत्ते टूट जाते है...
आकांक्षा सिंह की प्रस्तुति  –
गोपाल दास नीरज जी के गीत - जैसे राधा ने माला जपी श्याम की...
उर्मिला पाण्डेय ग्रुप - भाव नृत्य राम भी रहीम भी
हमारी भारतीय संस्कृति ने हमेशा ही राष्ट्रीय भाईचारे और सौहार्द को बढ़ावा दिया है । राष्ट्रीय भाईचारे और सौहार्द्र को समर्पित भाव नृत्य शीर्षक राम भी रहीम भी प्रस्तुत किया ।
कलाकार- रॉनी सिंह, प्रेक्षा श्रीवास्तव, ज्योति शुक्ला, मलखान सिंह
अवधी नृत्य नाटिका वैदेही के राम
श्री राम तथा माता सीता इनके मिलन की ही गाथा है ये नृत्य नाटिका वैदेही के राम। प्रभु श्री राम जब महर्षि विश्वामित्र के साथ मिथिला नगरी पहुँचे और वहाँ की पुष्प वाटिका में देवी सीता और श्री राम एक दूसरे को देख मंत्र मुग्ध हो गए। अंततः प्रभु श्री राम ने स्वयंवर में रखे शिव धनुष पर प्रत्यंचा चढ़ा कर राजकुमारी सीता से विवाह किया।
कलाकार - रॉनी सिंह, ज्योति शुक्ला, उर्मिला पांडेय, अपर्णा विजय, मलखान सिंह, मौसमी, दीपिका भट्ट एवम् शिल्पा |
महारास
राधा कृष्ण और गोपियों द्वारा किया जाने वाला आनंदमयी तथा सौंदर्यवर्धक नृत्य रास कहलाता है। लीलापुरुषोत्तम भगवान श्री कृष्ण ने शरद पूर्णिमा की रात में छः महीने की रातों को एक कर ब्रजभूमि के कुंज में सर्वप्रथम यह नृत्य किया था । नृत्य की बंदिशों के साथ भाव भंगिमाओं तथा डांडिया नृत्य का उच्चतम प्रयोग रास के अंतर्गत देखने को मिलता है। इसमें श्रृंगार रस की प्रधानता होती है तथा यह राधा कृष्ण के प्रेम से परिपक्व नृत्य शैली मानी जाती है।
आज की इस रासलीला में सर्वप्रथम बाल कृष्ण तत्पश्चात युवा कृष्ण एवम् राधा रानी का नृत्य प्रस्तुत किया ।
कलाकार- रॉनी सिंह, प्रेक्षा श्रीवास्तव, बॉर्नव प्रतिमनाथ, इशिका श्रीवास्तव, आरोही एवम् विदुषी
राजस्थानी लोक नृत्य घूमर
घूमर और राजस्थान दोनो एक दूसरे के पर्याय हैं और घूमर राजस्थान का सर्व जन प्रिय लोक नृत्य है। यह नृत्य महिलाओं द्वारा किया जाता है। किसी भी मांगलिक अवसर एवम् उत्सव में घूमर नृत्य अति आवश्यक रूप से नाचा जाता रहा है।
कलाकार- उर्मिला पांडेय, प्रेक्षा श्रीवास्तव, अपर्णा विजय, ज्योति शुक्ला, शिल्पा, दीपिका भट्ट एवम् मौसमी
सभी कलाकारों को सम्मानित किया गया |
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