#सोमवार का व्रत रखने से क्या होता है?
Explore tagged Tumblr posts
Text
श्रावण मास 2024 के व्रत और त्योहारों की पूरी जानकारी
श्रावण मास हिंदू धर्म में विशेष महत्व रखता है। यह महीना भगवान शिव को समर्पित होता है। इस महीने में कई व्रत और त्योहार मनाए जाते हैं। श्रावण मास में हर सोमवार को शिवलिंग पर जल चढ़ाना और व्रत रखना शुभ माना जाता है।
श्रावण मास का महत्व
श्रावण मास में शिव भक्ति का विशेष महत्व होता है। मान्यता है कि इस महीने में भगवान शिव भक्तों ��र विशेष कृपा बरसाते हैं।
श्रावण मास को पवित्रता का प्रतीक माना जाता है। इस महीने में लोग व्रत रखते हैं, जप करते हैं और धार्मिक अनुष्ठान करते हैं।
श्रावण मास में प्रकृति अपने चरम पर होती है। बारिश होती है और हरियाली चारों ओर फैली होती है।
श्रावण मास के प्रमुख व्रत और त्योहार
यह त्योहार महिलाओं द्वारा विशेष रूप से मनाया जाता है। हरियाली तीज के दिन महिलाएं शिव और पार्वती की पूजा करती हैं और सुहाग की सामग्री से सजती हैं।
इस दिन नाग देवता की पूजा की जाती है। मान्यता है कि नाग देवता सांपों के देवता हैं और नाग पंचमी के दिन उनकी पूजा करने से सांप का डर दूर होता है।
यह भाई-बहन का त्योहार है। रक्षाबंधन के दिन बहनें अपने भाइयों की कलाई पर राखी बांधती हैं और भाई अपनी बहनों की रक्षा करने का वचन देते हैं।
श्रावण मास के सभी सोमवारों को विशेष महत्व दिया जाता है। श्रावण सोमवार के दिन भक्त शिव मंदिरों में जाकर भगवान शिव की पूजा करते हैं।
श्रावण मास में कावड़ यात्रा का विशेष महत्व होता है। भक्त दूर-दूर से कावड़ लेकर शिव मंदिरों में जल चढ़ाते हैं।
श्रावण मास में क्या करें
श्रावण मास में नियमित रूप से भगवान शिव की पूजा करें।
श्रावण मास में व्रत रखने से मन और शरीर शुद्ध होता है।
इस महीने में ओम नमः शिवाय मंत्र का जप करना बहुत लाभदायक होता है।
श्रावण मास में शिव पुराण, गीता आदि धार्मिक ग्रंथों का अध्ययन करें।
इस महीने में दान करने से पुण्य की प्राप्ति होती है।
0 notes
Text
आज दिनांक - 29 जनवरी 2024 का वैदिक हिन्दू पंचांग और आज दिनांक - 29 जनवरी 2024 का वैदिक हिन्दू पंचांग और संकष्ट चतुर्थी पूजा विधि
दिन - सोमवार
विक्रम संवत् - 2080
अयन - उत्तरायण
ऋतु - शिशिर
मास - माघ
पक्ष - कृष्ण
तिथि - चतुर्थी पूर्ण रात्रि तक (वृद्धि तिथि)
नक्षत्र - पूर्वाफाल्गुनी शाम 06:57 तक तत्पश्चात उत्तराफाल्गुनी
योग - शोभन सुबह 09:44 तक तत्पश्चात अतिगण्ड
राहु काल - सुबह 08:44 से 10:07 तक
सूर्योदय - 07:21
सूर्यास्त - 06:25
दिशा शूल - पूर्व
ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 05:37 से 06:29 तक
निशिता मुहूर्त - रात्रि 12:27 से 01:18 तक
व्रत पर्व विवरण - संकष्ट चतुर्थी (चंद्रोदय रात्रि 09:19)
विशेष - तृतीया को परवल खाना शत्रुओं की वृद्धि करने वाला है । (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)
संकष्ट चतुर्थी - 29 जनवरी
क्या है संकष्ट चतुर्थी ?
संकष्ट चतुर्थी का मतलब होता है संकट को हरने वाली चतुर्थी । संकष्ट संस्कृत भाषा से लिया गया एक शब्द है, जिसका अर्थ होता है ‘कठिन समय से मुक्ति पाना’।
इस दिन व्यक्ति अपने दुःखों से छुटकारा पाने के लिए गणपति की अराधना करता है । पुराणों के अनुसार चतुर्थी के दिन गौरी पुत्र गणेश की पूजा करना बहुत फलदायी होता है । इस दिन लोग सूर्योदय के समय से लेकर चन्द्रमा उदय होने के समय तक उपवास रखते हैं । संकष्ट चतुर्थी को पूरे विधि-विधान से गणपति की पूजा-पाठ की जाती है ।
संकष्ट चतुर्थी पूजा विधि
गणपति में आस्था रखने वाले लोग इस दिन उपवास रखकर उन्हें प्रसन्न कर अपने मनचाहे फल की कामना करते हैं ।
इस दिन आप प्रातः काल सूर्योदय से पहले उठ जाएँ ।
व्रत करने वाले लोग सबसे पहले स्नान कर साफ और धुले हुए कपड़े पहन लें । इस दिन लाल रंग का वस्त्र धारण करना बेहद शुभ माना जाता है और साथ में यह भी कहा जाता है कि ऐसा करने से व्रत सफल होता है ।
स्नान के बाद वे गणपति की पूजा की शुरुआत करें । गणपति की पूजा करते समय जातक क�� अपना मुंह पूर्व या उत्तर दिशा की ओर रखना चाहिए ।
सबसे पहले आप गणपति की मूर्ति को फूलों से अच्छी तरह से सजा लें ।
पूजा में आप तिल, गुड़, लड्डू, फूल ताम्बे के कलश में पानी, धुप, चन्दन , प्रसाद के तौर पर केला या नारियल रख लें ।
ध्यान रहे कि पूजा के समय आप देवी दुर्गा की प्रतिमा या मूर्ति भी अपने पास रखें । ऐसा करना बेहद शुभ माना जाता है ।
गणपति को रोली लगाएं, फूल और जल अर्पित करें ।
संकष्टी को भगवान् गणपति को तिल के लड्डू और मोदक का भोग लगाएं ।
गणपति के सामने धूप-दीप जला कर निम्लिखित मन्त्र का जाप करें ।
गजाननं भूत गणादि सेवितं, कपित्थ जम्बू फल चारू भक्षणम्।
उमासुतं शोक विनाशकारकम्, नमामि विघ्नेश्वर पाद पंकजम्।।
पूजा के बाद आप फल फ्रूट्स आदि प्रसाद सेवन करें ।
शाम के समय चांद के निकलने से पहले आप गणपति की पूजा करें और संकष्ट व्रत कथा का पाठ करें ।
पूजा समाप्त होने के बाद प्रसाद बाटें । रात को चाँद देखने के बाद व्रत खोला जाता है और इस प्रकार संकष्ट चतुर्थी का व्रत पूर्ण होता है ।
#akshayjamdagni #hindu #Hinduism #bharat #hindi #panchang
🚩ज्योतिष, वास्तु एवं अंकशास्त्र से जुड़ी किसी भी प्रकार की जानकारी के लिए हमसे जुड़ें l 🚩👇 👉Whatsapp Link
https://chat.whatsapp.com/BsWPoSt9qSj7KwBvo9zWID
☎️👇
9837376839
#motivational motivational jyotishwithakshayg#tumblr milestone#akshayjamdagni#mahakal#panchang#hanumanji
0 notes
Text
सोमवार की आरती कथा-विधि I सप्तवार व्रत कथा I Somvar Vrat Katha
सोमवार की आरती कथा-विधि I सप्तवार व्रत कथा I Somvar Vrat Katha
सोमवार की आरती कथा-विधि हिंदी में सोमवार की आरती कथा-विधि : सोमवार के व्रत की विधि और सोमवार व्रत की कथा और आरती किस प्रकार से कैसे करें ! हमारे सनातन में हर वार की व्रत कथा और आरती का महत्त्व बताया गया है ! सप्तवार व्रत कथा के बारे में जानने के लिए हम एक सप्तवार व्रत कथा की सीरिज ला रहे है ! इसको पढ़कर आप इसक�� महत्त्व को जाने ! -: सप्तवार व्रत,आरती कथा-विधि :- रविवार की आरती…
View On WordPress
#16 सोमवार के व्रत में क्या खाया जाता है?#सावन के सोमवार व्रत रखने से क्या फल मिलता है?#सोमवार उद्यापन कैसे करें?#सोमवार का व्रत रखने से क्या होता है?#सोमवार व्रत कब शुरू करना चाहिए?#सोमवार व्रत की पूजा कैसे करें?#सोमवार व्रत में शाम को क्या खाना चाहिए?#सोलह सोमवार का व्रत कब किया जाता है?
0 notes
Text
श्रावण का पहला सोमवार है बहुत खास, 18 जुलाई को 3 महापर्व- नाग मरुस्थल, मौना पंचमी और महाकाल सवारी
श्रावण का पहला सोमवार है बहुत खास, 18 जुलाई को 3 महापर्व- नाग मरुस्थल, मौना पंचमी और महाकाल सवारी
Sawan ka pehla somwar kab hai : 14 जुलाई 2022 गुरुवार से श्रावण मास प्रारंभ हो चुका है। सावन माह का पहला सोमवार 18 जुलाई है। कई लोग सिर्फ सोमवार को ही व्रत रखते हैं और शिवजी की पूजा करते हैं जबकि पूरा श्रावण मास ही शिवजी के लिए व्रतों का रखने का मास होता है। इस दिन क्या रहेगा, आओ जानते हैं। 1. नाग मरुस्थले पर्व : इस दिन नाग पूजा होती है। नाग देवता को सूखे फल, खीर आदि चढ़ा उनकी पूजा की जाती…
View On WordPress
0 notes
Text
Sawan 2022: सावन महीने में इन राशि वालों पर रहेगी भोलेनाथ की विशेष कृपा, क्या आपकी राशि भी है लकी?
Sawan 2022: सावन महीने में इन राशि वालों पर रहेगी भोलेनाथ की विशेष कृपा, क्या आपकी राशि भी है लकी?
Sawan 2022: सावन का महीना भगवान शंकर को समर्पित माना गया है। इस साल 14 जुलाई से सावन का महीना शुरू होगा, जो कि 12 अगस्त को समाप्त होगा। हिंदू धर्म में सावन के महीने का विशेष महत्व होता है। यह महीना भगवान शंकर को अतिप्रिय होता है। इस माह में विधि- विधान से भोलेनाथ की पूजा की जाती है। मान्यता है कि सावन के सोमवार व्रत रखने से भोलेनाथ की कृपा से भक्तों की मनोकामना पूरी होती है। धार्मिक मान्यताओं के…
View On WordPress
#Astrology Today#Astrology Today In Hindi#First Sawan Monday 16 July 2022#Hindi News#Hindustan#Monday fast story#News in Hindi#observe the fast of Sawan Monday#sawan 2022#Sawan Month#Sawan Somvar Vrat Katha#Sawan Somvar Vrat Puja Method#Sawan Somwar Tithi#When does Sawan start 2022 When will Sawan be held#पहला सावन सोमवार 16 जुलाई 2022#सावन 2022#सावन कब से शुरू है 2022 सावन कब लगेगा#सावन मास#सावन सोमवार के व्रत का पालन#सावन सोमवार तिथि#सावन सोमवार व्रत कथा#सावन सोमवार व्रत पूजा विधि#सोमवार व्रत कथा#हिन्दुस्तान
0 notes
Text
जय जय श्री राधे राधे
❤️❤️❤️❤️❤️❤️
श्री भक्ति ग्रुप मंदिर ग्रुप के सभी सदस्यों को निर्जला एकादशी की हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएँ 🌹🙏🌹
( ❤️निर्जला_एकादशी ❤️)
निर्जला एकादशी व्रत 21, जून 2021, व्रत के नियम, पूजा विधि व कथा❗
हिंदू धर्म में एकादशी तिथि का विशेष महत्व है। एकादशी तिथि भगवान विष्णु को समर्पित मानी जाती है। यही कारण है कि एकादशी के दिन भगवान विष्णु की विधि-विधान से पूजा-अर्चना की जाती है। मान्यता है कि एकादशी व्रत रखने से शुभ फलों की प्राप्ति होती है। व्रती सभी सुखों को भोगकर अंत में मोक्ष को जाता है।
हर माह में दो एकादशी तिथि आती हैं। एक कृष्ण पक्ष और दूसरी शुक्ल पक्ष में।
हिंदू पंचांग के अनुसार, ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि 21 जून दिन सोमवार को पड़ रही है। इस दिन शिव योग के साथ सिद्धि योग भी बन रहा है। शिव योग 21 जून को शाम 05 बजकर 34 मिनट तक रहेगा। इसके बाद सिद्धि योग लग जाएगा।
🌿 एकादशी व्रत नियम-🌺
निर्जला एकादशी व्रत में जल का त्याग करना होता है। इस व्रत में व्रती पानी का सेवन नहीं कर सकता है। इसीलिए इस व्रत को निर्जला एकादशी व्रत कहते हैं, व्रत का पारण करने के बाद ही व्रती जल का सेवन कर सकता है।
🌿 एकादशी पूजा विधि-🌺
1 = सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि से निवृत्त हो जाएं।
2 = घर के मंदिर में शुद्ध देशी घी का दीप प्रज्वलित करें।
3 = यदि घर में भगवान विष्णु की प्रतिमा है तो भगवान विष्णु का गंगा जल से अभिषेक करें,यदि
चित्र है तो गंगाजल के छीटे मारें ।
4 = भगवान विष्णु को पुष्प और तुलसी दल अर्पित करें।
5 = अगर संभव हो तो इस दिन व्रत भी रखें।
6 = भगवान की आरती करें।
7 = भगवान को भोग लगाएं। इस बात का विशेष ध्यान रखें कि भगवान को सिर्फ सात्विक चीजों का भोग लगाया जाता है।
8 = भगवान विष्णु के भोग में तुलसी को जरूर शामिल करें। ऐसा माना जाता है कि बिना तुलसी के भगवान विष्णु भोग ग्रहण नहीं करते हैं।
9 = इस पावन दिन भगवान विष्णु के साथ ही माता लक्ष्मी की पूजा भी करें।
10 = इस दिन भगवान का अधिक से अधिक ध्यान करें।
💥 ज्येष्ठ शुक्ल एकादशी भीमसेनी/ पांडव एकादशी व्रत कथा 🌷
भीमसेन व्यासजी से कहने लगे कि हे पितामह! भ्र��ता युधिष्ठिर, माता कुंती, द्रोपदी, अर्जुन, नकुल और सहदेव आदि सब एकादशी का व्रत करने को कहते हैं, परंतु महाराज मैं उनसे कहता हूं कि भाई मैं भगवान की शक्ति पूजा आदि तो कर सकता हूं, दान भी दे सकता हूं परंतु भोजन के बिना नहीं रह सकता।
इस पर व्यासजी कहने लगे कि हे भीमसेन! यदि तुम नरक को बुरा और स्वर्ग को अच्छा समझते हो तो प्रति मास की दोनों एकादशियों को अन्न मत खाया करो। भीम कहने लगे कि हे पितामह! मैं तो पहले ही कह चुका हूं कि मैं भूख सहन नहीं कर सकता। यदि वर्षभर में कोई एक ही व्रत हो तो वह मैं रख सकता हूं, क्योंकि मेरे पेट में वृक नाम वाली ��ग्नि है सो मैं भोजन किए बिना नहीं रह सकता। भोजन करने से वह शांत रहती है, इसलिए पूरा उपवास तो क्या एक समय भी बिना भोजन किए रहना कठिन है।
अत: आप मुझे कोई ऐसा व्रत बताइए जो वर्ष में केवल एक बार ही करना पड़े और मुझे स्वर्ग की प्राप्ति हो जाए।
श्री व्यासजी कहने लगे कि हे पुत्र! बड़े-बड़े ऋषियों ने बहुत शास्त्र आदि बनाए हैं जिनसे बिना धन के थोड़े परिश्रम से ही स्वर्ग की प्राप्ति हो सकती है। इसी प्रकार शास्त्रों में दोनों पक्षों की एकादशी का व्रत मुक्ति के लिए रखा जाता है।
व्यासजी के वचन सुनकर भीमसेन नरक में जाने के नाम से भयभीत हो गए और कांपकर कहने लगे कि अब क्या करूं? मास में दो व्रत तो मैं कर नहीं सकता, हां वर्ष में एक व्रत करने का प्रयत्न अवश्य कर सकता हूं। अत: वर्ष में एक दिन व्रत करने से यदि मेरी मुक्ति हो जाए तो ऐसा कोई व्रत बताइए।
यह सुनकर व्यासजी कहने लगे कि वृषभ और मिथुन की संक्रांति के बीच ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की जो एकादशी आती है, उसका नाम निर्जला है। तुम उस एकादशी का व्रत करो। इस एकादशी के व्रत में स्नान और आचमन के सिवा जल वर्जित है। आचमन में छ: मासे से अधिक जल नहीं होना चाहिए अन्यथा वह मद्यपान के सदृश हो जाता है। इस दिन भोजन नहीं करना चाहिए, क्योंकि भोजन करने से व्रत नष्ट हो जाता है।
यदि एकादशी को सूर्योदय से लेकर द्वादशी के सूर्योदय तक जल ग्रहण न करे तो उसे सारी एकादशियों के व्रत का फल प्राप्त होता है। द्वादशी को सूर्योदय से पहले उठकर स्नान आदि करके ब्राह्मणों का दान आदि देना चाहिए। इसके पश्चात भूखे और सत्पात्र ब्राह्मण को भोजन कराकर फिर आप भोजन कर लेना चाहिए। इसका फल पूरे एक वर्ष की संपूर्ण एकादशियों के बराबर होता है।
व्यासजी कहने लगे कि हे भीमसेन! यह मुझको स्वयं भगवान ने बताया है। इस एकादशी का पुण्य समस्त तीर्थों और दानों से अधिक है। केवल एक दिन मनुष्य निर्जल रहने से पापों से मुक्त हो जाता है।।
जो मनुष्य निर्जला एकादशी का ��्रत करते हैं उनकी मृत्यु के समय यमदूत आकर नहीं घेरते वरन भगवान के पार्षद उसे पुष्पक विमान में बिठाकर स्वर्ग को ले जाते हैं। अत: संसार में सबसे श्रेष्ठ निर्जला एकादशी का व्रत है। इसलिए यत्न के साथ इस व्रत को करना चाहिए। उस दिन ॐ नमो भगवते वासुदेवाय मंत्र का उच्चारण करना चाहिए और गौदान करना चाहिए।
इस प्रकार व्यासजी की आज्ञानुसार भीमसेन ने इस व्रत को किया। इसलिए इस एकादशी को भीमसेनी या पांडव एकादशी भी कहते हैं। निर्जला व्रत करने से पूर्व भगवान से प्रार्थना करें कि हे भगवन! आज मैं निर्जला व्रत करता हूं, दूसरे दिन भोजन करूंगा। मैं इस व्रत को श्रद्धापूर्वक करूंगा, अत: आपकी कृपा से मेरे सब पाप नष्ट हो जाएं। इस दिन जल से भरा हुआ एक घड़ा वस्त्र से ढंक कर स्वर्ण सहित दान करना चाहिए।
जो मनुष्य इस व्रत को करते हैं उनको करोड़ पल सोने के दान का फल मिलता है और जो इस दिन यज्ञादिक करते हैं उनका फल तो वर्णन ही नहीं किया जा सकता। इस एकाद��ी के व्रत से मनुष्य विष्णुलोक को प्राप्त होता है। जो मनुष्य इस दिन अन्न खाते हैं, वे चांडाल के समान हैं। वे अंत में नरक में जाते हैं।
❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️
❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️
❉‼श्री‼❉
❉🌹Զเधे Զเधे🌹❉
💝꧁"श्री राधा विजेयते नमः"꧂💝
🙏। श्रीमत्कुंजविहारिणेनमः। 🙏
🙏।।श्रीजी दास।।🙏
🌹𝓙𝓪𝓲 𝓑𝓲𝓱𝓪𝓻𝓲 𝓙𝓲 𝓚𝓲 🌹
🙏ℐᗅⅈ Տℍℛⅈ ℛᗅⅅℍℰ ℛᗅⅅℍℰ 🙏
💝 आप सभी स्वास्थ रहें 💝
🦚🌈 श्री भक्ति ग्रुप मंदिर 🦚🌈
🙏🌹🙏जय श्री राधे कृष्ण🙏🌹🙏
●▬▬▬▬▬ஜ۩۞۩ஜ▬▬▬▬▬●
☎️🪀 +91-7509730537 🪀☎️
●▬▬▬▬▬ஜ۩۞۩ஜ▬▬▬▬▬●
0 notes
Photo
इस दिन व्रत रखने से मिलेगा कौन सा फल, जानिए पूजा की विधि
हिंदू धर्म में एकादशी का व्रत महत्वपूर्ण स्थान रखता है! साल में करीब चौबीस एकादशी पड़ती हैं! इस दिन भगवान विष्णु की पूजा की जाती है! सभी एकादशियों में जया एकादशी का अपना अलग महत्व होता है!
वहीं साल में 24 बार आने वाली एकादशी में से 12 एकादशी शुक्ल पक्ष और 12 एकादशी कृष्ण पक्ष की होती है! माघ महीने में शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को जया एकादशी के नाम से जाना जाता है! इस दिन व्रत रखकर भगवान श्री हरि की पूजा की जाती है!
जया एकादशी की कथा:
जया एकादशी के विषय में जो कथा प्रचलित है उसके अनुसार धर्मराज युधिष्ठिर भगवान श्री कृष्ण से निवेदन करते हैं कि माघ शुक्ल एकादशी को किसकी पूजा करनी चाहिए, और इस एकादशी का क्या महत्व होता है? जिस पर भगवान श्री कृष्ण कहते हैं माघ शुक्ल पक्ष की एकादशी को जया एकादशी कहा जाता है! और ये एकादशी बहुत ही पुण्यदायी है, इस दिन भगवान नारायण की पूजा करनी चाहिये, और एकादशी के दिन व्रत करने से व्यक्ति नीच योनि जैसे भूत, प्रेत, पिशाच की योनि से मुक्त हो जाता है!
जया एकादशी का शुभ मुहूर्तः
जया एकादशी 22 फरवरी 2021 सोमवार की शाम 05 बजकर 16 मिनट पर शुरू होकर 23 फरवरी 2021 दिन मंगलवार की शाम 06 बजकर 05 मिनट पर खत्म होगी.
जया एकादशी का व्रत :
इस दिन सुबह से लेकर रात तक व्रत रखने से सब मनोकामनायें पूरी होती हैं! साथ ही द्वादशी के दिन ब्राह्मणों को पहल�� खाना खिलायें फिर खुद खायें! इस प्रकार नियम से व्रत रखने से व्यक्ति पिशाच योनि से मुक्त हो जाता है!
पूजा की विधि:
एकादशी तिथि को ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करना चाहिए! इसके बाद भगवान विष्णु का ध्यान कर, व्रत रखना चाहिये! इसके साथ ही एक चौकी पर लाल कपड़ा बिछाकर उसपर भगवान विष्णु की प्रतिमा स्थापित करनी चाहिये, फिर तिल, रोली मिश्रित जल और अक्षत चढ़ाने चाहिये, भगवान विष्णु पर फूल चढ़ाने चाहिये और आरती करने के बाद विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करने से भगवान खुश होते हैं!
https://kisansatta.com/fasting-on-this-day-which-fruit-will-be-obtained-know-the-method-of-worship/ #FastingOnThisDay, #KnowTheMethodOfWorship, #WhichFruitWillBeObtained Fasting on this day, know the method of worship, which fruit will be obtained Culture, Religious #Culture, #Religious KISAN SATTA - सच का संकल्प
0 notes
Text
Pradosh Vrat 2021: आज है प्रदोष व्रत, इस कथा को पढ़ने-सुनने से भगवान शिव होंगे प्रसन्न, जानें पूजा विधि एवं क्या खाएं
Pradosh Vrat 2021: आज है प्रदोष व्रत, इस कथा को पढ़ने-सुनने से भगवान शिव होंगे प्रसन्न, जानें पूजा विधि एवं क्या खाएं
Som Pradosh Vrat 2021: आज 07 जून को ज्येष्ठ मास का पहला सोम प्रदोष व्रत है. प्रदोष जब सोमवार को होता है, तब उसे सोम प्रदोष व्रत कहते हैं. प्रदोष व्रत हर त्रयोदशी तिथि में रखा जाता है. यह तिथि भगवान शिव को समर्पित होती है. जिन लोगों को चंद्रमा नुकसान पहुंचा रहें, उन्हें प्रदोष व्रत रखना चाहिए. धार्मिक मान्यता है कि प्रदोष व्रत रखने से व्यक्ति के जीवन में शांति और मन वांछित फल प्राप्त होता है.…
View On WordPress
0 notes
Text
सावन माह 17 जुलाई से, रक्षाबंधन पर होगा सम्पन्न
https://ift.tt/31YAJM3
सावन महीने का महात्मय सनातनकाल से गाया जाता रहा है। सावन महीना भगवान शिव को भी बहुत ही प्रिय रहा है और इसी कारण हजारों श्रद्धालु कावड़ लेने के लिए हरिद्वार जाते हैं और वहां से नीलकंठ, केदारनाथ, बद्रीनाथ जाते हैं। सावन माह में इस बार कई योग बन रहे हैं जिससे सोमवार का व्रत और भगवन शिव की पूजा उनके लिए मंगलमय हो सकती है।
कब से है सावन-2019 सावन माह को ज्यादा दिन नहीं रहे हैं। भगवान शिव और देवी पार्वती-दुर्गा की पूजा की विशेष अराधना के लिए सावन माह बहुत ही शुभ माना जाता है। सावन माह की शुरुआत 17 जुलाई 2019 मंगलवार से आरंभ होगी। इस दिन सूर्य प्रधान उत्तराषाढ़ा नक्षत्र है, जो कि ज्योतिषाचार्यों ने बहुत ही शुभ बताया है। 125 सालों बाद अनेक संयोग इस सावन माह में बन रहे हैं। सावन माह में चार सोमवार आयेंगे। 15अगस्त को रक्षाबंधन और भारत की स्वतंत्रता दिवस पर माह का विधिवत समापन होगा। 30 जुलाई को महाशिवरात्री पर्व है।
पहले से मुश्किलों का सामना कर रहे चीन को ट्रेड वॉर से लगा बड़ा झटका
एक अगस्त को हरियाली अमावस हरियाली अमावस का सनातनकाल से विशेष महत्व है। हिन्दू पंचाग में अमावस तो हर माह में एक बार अवश्य आती है किंतु श्रवण मास के कृष्ण पक्ष की अमावस को हरियााली अमावस कहा जाता है। स्वामी सत्य ईश्वर आनंद बताते हैं कि भारतीय प्राचीन धर्मग्रंथ पेड़-पौधों में भगवान के अस्तित्व को स्वीकार करते हैं। इस कारण हरियााली अमावस पर हम पेड़-पौधा लगाकर वर्तमान में प्रदूषित वातावरण को स्वच्छ बनाने में योगदान कर सकते हैं और साथ ही भगवान की अराधन कर उनको भी प्रसन्न किया जाता है। स्नान के उपरांत इस दिन पेड़-पौधों की पूजा ही नहीं वरन एक पौधा भी अवश्य लगाना चाहिये। इस दिन लगाया गया पौधा भगवान शिव को भी प्रिय होता है और उनकी पौधे/पेड़ पर ही नहीं अपितु उसको संरक्षण देने वाले पर भी कृपा रहती है। इस बार पंच महायोग भी बन रहा है जो 125 सालों बाद संभव होगा।
सावन-2019 में और क्या हैं योग स्वामी सत्य ईश्वर आनंद का कहना है कि पहले सोमवार को ही श्रावण कृष्ण पंचमी है। ��ूसरे सावन में त्रयोदशी प्रदोष व्रत के साथ ही सर्वार्थ अमृत सिद्धि योग भी है। तीसरे सावन में नागपंचमी के शुभयोग हैं। अंतिम सोमवार को त्रयोदशी तिथि का शुभ संयोग है। सोमवार को शिव का जाप ओम नम: शिवाय: बहुत ही लाभकारी है।
क्या बजट में भी भाषण चलता है?
महाशिवरात्रि की पूजा
भारतीय शास्त्र कहते हैं कि सावन माह के बारे में सनातन काल से ही भगवान शिव देवी पार्वती की पूजा को सर्वश्रेष्ठ बताया गया है। सोमवार का व्रत रखने से विशेष फलदायी होता है। आने ��ाले कष्ट से मुकाबले के लिए शक्ति प्राप्त होती है जो हमारे आत्मबल को मजबूत करती है। शिवलिंग पर गाय के दूध और बेलपत्र की पूजा का विशेष महत्व है। संतान सुख, अरोग्य, देवी महालक्ष्मी की कृपा को मजबूत करती है। रूद्राभिषेक को किसी भी यज्ञ से ज्यादा बलशाली बताया गया है। इस दिन की गयी किसी भी प्रकार के जीव की सहायता का सर्वोत्तम फल मिलने का योग रहता है। महाशिवरात्रि का फल भी शुभकर होता है।
The post सावन माह 17 जुलाई से, रक्षाबंधन पर होगा सम्पन्न appeared first on The Sandhyadeep.
from The Sandhyadeep https://ift.tt/32w829x
0 notes
Video
youtube
सोमवार व्रत का क्या महत्व है ? हिन्दू धर्म में हर दिन का एक अलग महत्त्व होता है, सोमवार का दिन भगवान शिव को समर्पित है | इस दिन उपवास या व्रत रखने से क्या लाभ है और इस दिन के व्रत का क्या महत्त्व हे यह हम आपको इस वीडियो में बताने जा रहे है - http://bit.ly/2yy6Sec
0 notes
Text
रवि प्रदोष व्रत परिचय एवं प्रदोष व्रत विस्तृत विधि
〰️〰️🌼〰️〰️🌼〰️〰️🌼〰️〰️🌼〰️〰️
प्रत्येक चन्द्र मास की त्रयोदशी तिथि के दिन प्रदोष व्रत रखने का विधान है. यह व्रत कृष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष दोनों को किया जाता है. सूर्यास्त के बाद के 2 घण्टे 24 मिनट का समय प्रदोष काल के नाम से जाना जाता है. प्रदेशों के अनुसार यह बदलता रहता है. सामान्यत: सूर्यास्त से लेकर रात्रि आरम्भ तक के मध्य की अवधि को प्रदोष काल में लिया जा सकता है।
ऐसा माना जाता है कि प्रदोष काल में भगवान भोलेनाथ कैलाश पर्वत पर प्रसन्न मुद्रा में नृ्त्य करते है. जिन जनों को भगवान श्री भोलेनाथ पर अटूट श्रद्धा विश्वास हो, उन जनों को त्रयोदशी तिथि में पडने वाले प्रदोष व्रत का नियम पूर्वक पालन कर उपवास करना चाहिए।
यह व्रत उपवासक को धर्म, मोक्ष ��े जोडने वाला और अर्थ, काम के बंधनों से मुक्त करने वाला होता है. इस व्रत में भगवान शिव की पूजन किया जाता है. भगवान शिव कि जो आराधना करने वाले व्यक्तियों की गरीबी, मृ्त्यु, दु:ख और ऋणों से मुक्ति मिलती है।
प्रदोष व्रत की महत्ता
〰️〰️〰️〰️〰️〰️
शास्त्रों के अनुसार प्रदोष व्रत को रखने से दौ गायों को दान देने के समान पुन्य फल प्राप्त होता है. प्रदोष व्रत को लेकर एक पौराणिक तथ्य सामने आता है कि " एक दिन जब चारों और अधर्म की स्थिति होगी, अन्याय और अनाचार का एकाधिकार होगा, मनुष्य में स्वार्थ भाव अधिक होगी. तथा व्यक्ति सत्कर्म करने के स्थान पर नीच कार्यो को अधिक करेगा।
उस समय में जो व्यक्ति त्रयोदशी का व्रत रख, शिव आराधना करेगा, उस पर शिव कृ्पा होगी. इस व्रत को रखने वाला व्यक्ति जन्म- जन्मान्तर के फेरों से निकल कर मोक्ष मार्ग पर आगे बढता है. उसे उतम लोक की प्राप्ति होती है।
व्रत से मिलने वाले फल
〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️
अलग- अलग वारों के अनुसार प्रदोष व्रत के लाभ प्राप्त होते है।
जैसे👉 सोमवार के दिन त्रयोदशी पडने पर किया जाने वाला वर्त आरोग्य प्रदान करता है। सोमवार के दिन जब त्रयोदशी आने पर जब प्रदोष व्रत किया जाने पर, उपवास से संबन्धित मनोइच्छा की पूर्ति होती है। जिस मास में मंगलवार के दिन त्रयोदशी का प्रदोष व्रत हो, उस दिन के व्रत को करने से रोगों से मुक्ति व स्वास्थय लाभ प्राप्त होता है एवं बुधवार के दिन प्रदोष व्रत हो तो, उपवासक की सभी कामना की पूर्ति होने की संभावना बनती है।
गुरु प्रदोष व्रत शत्रुओं के विनाश के लिये किया जाता है। शुक्रवार के दिन होने वाल प्रदोष व्रत सौभाग्य और दाम्पत्य जीवन की सुख-शान्ति के लिये किया जाता है। अंत में जिन जनों को संतान प्राप्ति की कामना हो, उन्हें शनिवार के दिन पडने वाला प्रदोष व्रत करना चाहिए। अपने उद्देश्यों को ध्यान में रखते हुए जब प्रदोष व्रत किये जाते है, तो व्रत से मिलने वाले फलों में वृ्द्धि होती है।
व्रत विध���
〰️〰️〰️
सुबह स्नान के बाद भगवान शिव, पार्वती और नंदी को पंचामृत और जल से स्नान कराएं। फिर गंगाजल से स्नान कराकर बेल पत्र, गंध, अक्षत (चावल), फूल, धूप, दीप, नैवेद्य (भोग), फल, पान, सुपारी, लौंग और इलायची चढ़ाएं। फिर शाम के समय भी स्नान करके इसी प्रकार से भगवान शिव की पूजा करें। फिर सभी चीजों को एक बार शिव को चढ़ाएं।और इसके बाद भगवान शिव की सोलह सामग्री से पूजन करें। बाद में भगवान शिव को घी और शक्कर मिले जौ के सत्तू का भोग लगाएं। इसके बाद आठ दीपक आठ दिशाओं में जलाएं। जितनी बार आप जिस भी दिशा में दीपक रखेंगे, दीपक रखते समय प्रणाम जरूर करें। अंत में शिव की आरती करें और साथ ही शिव स्त्रोत, मंत्र जा�� करें। रात में जागरण करें।
प्रदोष व्रत समापन पर उद्धापन
〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️
इस व्रत को ग्यारह या फिर 26 त्रयोदशियों तक रखने के बाद व्रत का समापन करना चाहिए. इसे उद्धापन के नाम से भी जाना जाता है।
उद्धापन करने की विधि
〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️
इस व्रत को ग्यारह या फिर 26 त्रयोदशियों तक रखने के बाद व्रत का समापन करना चाहिए. इसे उद्धापन के नाम से भी जाना जाता है।
इस व्रत का उद्धापन करने के लिये त्रयोदशी तिथि का चयन किया जाता है. उद्धापन से एक दिन पूर्व श्री गणेश का पूजन किया जाता है. पूर्व रात्रि में कीर्तन करते हुए जागरण किया जाता है. प्रात: जल्द उठकर मंडप बनाकर, मंडप को वस्त्रों या पद्म पुष्पों से सजाकर तैयार किया जाता है. "ऊँ उमा सहित शिवाय नम:" मंत्र का एक माला अर्थात 108 बार जाप करते हुए, हवन किया जाता है. हवन में आहूति के लिये खीर का प्रयोग किया जाता है।
हवन समाप्त होने के बाद भगवान भोलेनाथ की आरती की जाती है। और शान्ति पाठ किया जाता है. अंत: में दो ब्रह्माणों को भोजन कराया जाता है. तथा अपने सामर्थ्य अनुसार दान दक्षिणा देकर आशिर्वाद प्राप्त किया जाता है।
रवि त्रयोदशी प्रदोष व्रत
〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️
॥ दोहा ॥
आयु, बुद्धि, आरोग्यता, या चाहो सन्तान ।
शिव पूजन विधवत् करो, दुःख हरे भगवान ॥
किसी समय सभी प्राणियों के हितार्थ परम् पुनीत गंगा के तट पर ऋषि समाज द्वारा एक विशाल सभा का आयोजन किया गया, जिसमें व्यास जी के परम् प्रिय शिष्य पुराणवेत्ता सूत जी महाराज हरि कीर्तन करते हुए पधारे। शौनकादि अट्ठासी हजार ऋषि-मुनिगण ने सूत जी को दण्डवत् प्रणाम किया। सूत जी ने भक्ति भाव से ऋषिगण को आशीर्वाद दे अपना स्थान ग्रहण किया।ऋषिगण ने विनीत भाव से पूछा, “हे परम् दयालु! कलियुग में शंकर भगवान की भक्ति किस आराधना द्वारा उपलब्ध होगी? कलिकाल में जब मनुष्य पाप कर्म में लिप्त हो, वेद-शास्त्र से विमुख रहेंगे । दीनजन अनेक कष्टों से त्रस्त रहेंगे । हे मुनिश्रेष्ठ! कलिकाल में सत्कर्मं में किसी की रुचि न होगी, पुण्य क्षीण हो जाएंगे एवं मनुष्य स्वतः ही असत् कर्मों की ओर प्रेरित होगा । इस पृथ्वी पर तब ज्ञानी मनुष्य का यह कर्तव्य हो जाएगा कि वह पथ से विचलित मनुष्य का मार्गदर्शन करे, अतः हे महामुने! ऐसा कौन-सा उत्तम व्रत है जिसे करने से मनवांछित फल की प्राप्ति हो और कलिकाल के पाप शान्त हो जाएं?”सूत जी बोले- “हे शौनकादि ऋषिगण! आप धन्यवाद के पात्र हैं । आपके विचार प्रशंसनीय व जनकल्याणकारी हैं । आपके ह्रदय में सदा परहित की भावना रहती है, आप धन्य हैं । हे शौनकादि ऋषिगण! मैं उस व्रत का वर्णन करने जा रहा हूं जिसे करने से सब पाप और कष्ट नष्ट हो जाते हैं तथा जो ��न वृद्धिकारक, सुख प्रदायक, सन्तान व मनवांछित फल प्रदान करने वाला है । इसे भगवान शंकर ने सती जी को सुनाया था।”सूत जी आगे बोले- “आयु वृद्धि व स्वास्थ्य लाभ हेतु रवि त्रयोदशी प्रदोष का व्रत करें । इसमें प्रातः स्नान कर निराहार रहकर शिव जी का मनन करें ।मन्दिर जाकर शिव आराधना करें । माथे पर त्रिपुण धारण कर बेल, धूप, दीप, अक्षत व ऋतु फल अर्पित करें । रुद्राक्ष की माला से सामर्थ्यानुसार, ॐ नमः शिवाय’ जपे । ब्राह्मण को भोजन कराएं और दान-दक्षिणा दें, तत्पश्चात मौन व्रत धारण करें । संभव हो तो यज्ञ-हवन कराएं ।‘ॐ ह्रीं क्लीं नमः शिवाय स्वाहा’ मंत्र से यज्ञ-��्तुति दें । इससे अभीष्ट फल की प्राप्ति होती है । प्रदोष व्रत में व्रती एक बार भोजन करे और पृथ्वी पर शयन करे । इससे सर्व कार्य सिद्ध होते हैं । श्रावण मास में इस व्रत का विशेष महत्व है । सभी मनोरथ इस व्रत को करने से पूर्ण होते है । हे ऋषिगण! यह प्रदोष व्रत जिसका वृत्तांत मैंने सुनाया, किसी समय शंकर भगवान ने सती जी को और वेदव्यास मुनि ने मुझे सुनाया था। ”शौनकादि ऋषि बोले – “हे पूज्यवर! यह व्रत परम् गोपनीय, मंगलदायक और कष्ट हरता कहा गया है । कृपया बताएं कि यह व्रत किसने किया और उसे इससे क्या फल प्राप्त हुआ?”
तब श्री सुत जी कथा सुनाने लगे-
व्रत कथा
〰️〰️〰️
“एक ग्राम में एक दीन-हीन ब्राह्मण रहता था । उसकी धर्मनिष्ठ पत्नी प्रदोष व्रत करती थी । उनके एक पुत्र था । एक बार वह पुत्र गंगा स्नान को गया । दुर्भाग्यवश मार्ग में उसे चोरों ने घेर लिया और डराकर उससे पूछने लगे कि उसके पिता का गुप्त धन कहां रखा है । बालक ने दीनतापूर्वक बताया कि वे अत्यन्त निर्धन और दुःखी हैं । उनके पास गुप्त धन कहां से आया । चोरों ने उसकी हालत पर तरस खाकर उसे छोड़ दिया । बालक अपनी राह हो लिया । चलते-चलते वह थककर चूर हो गया और बरगद के एक वृक्ष के नीचे सो गया । तभी उस नगर के सिपाही चोरों को खोजते हुए उसी ओर आ निकले । उन्होंने ब्राह्मण-बालक को चोर समझकर बन्दी बना लिया और राजा के सामने उपस्थित किया । राजा ने उसकी बात सुने बगैर उसे कारावार में डलवा दिया । उधर बालक की माता प्रदोष व्रत कर रही थी । उसी रात्रि राजा को स्वप्न आया कि वह बालक निर्दोष है । यदि उसे नहीं छोड़ा गया तो तुम्हारा राज्य और वैभव नष्ट हो जाएगा । सुबह जागते ही राजा ने बालक को बुलवाया । बालक ने राजा को सच्चाई बताई । राजा ने उसके माता-पिता को दरबार में बुलवाया । उन्हें भयभीत देख राजा ने मुस्कुराते हुए कहा- ‘तुम्हारा बालक निर्दोष और निडर है । तुम्हारी दरिद्रता के कारण हम तुम्हें पांच गां�� दान में देते हैं ।’ इस तरह ब्राह्मण आनन्द से रहने लगा । शिव जी की दया से उसकी दरिद्रता दूर हो गई।”
प्रदोषस्तोत्रम्
〰️〰️〰️〰️
।। श्री गणेशाय नमः।।
जय देव जगन्नाथ जय शङ्कर शाश्वत । जय सर्वसुराध्यक्ष जय सर्वसुरार्चित ॥ १॥
जय सर्वगुणातीत जय सर्ववरप्रद ।
जय नित्य निराधार जय विश्वम्भराव्यय ॥ २॥
जय विश्वैकवन्द्येश जय नागेन्द्रभूषण ।
जय गौरीपते शम्भो जय चन्द्रार्धशेखर ॥ ३॥
जय कोट्यर्कसङ्काश जयानन्तगुणाश्रय । जय भद्र विरूपाक्ष जयाचिन्त्य निरञ्जन ॥ ४॥
जय नाथ कृपासिन्धो जय भक्तार्तिभञ्जन । जय दुस्तरसंसारसागरोत्तारण प्रभो ॥ ५॥
प्रसीद मे महादेव संसारार्तस्य खिद्यतः । सर्वपापक्षयं कृत्वा रक्ष मां परमेश्वर ॥ ६॥
महादारिद्र्यमग्नस्य महापापहतस्य च । महाशोकनिविष्टस्य महारोगातुरस्य च ॥ ७॥
ऋणभारपरीतस्य दह्यमानस्य कर्मभिः । ग्रहैः प्रपीड्यमानस्य प्रसीद मम शङ्कर ॥ ८॥
दरिद्रः प्रार्थयेद्देवं प्रदोषे गिरिजापतिम् । अर्���ाढ्यो वाऽथ राजा वा प्रार्थयेद्देवमीश्वरम् ॥ ९॥
दीर्घमायुः सदारोग्यं कोशवृद्धिर्बलोन्नतिः ।
ममास्तु नित्यमानन्दः प्रसादात्तव शङ्कर ॥ १०॥
शत्रवः संक्षयं यान्तु प्रसीदन्तु मम प्रजाः । नश्यन्तु दस्यवो राष्ट्रे जनाः सन्तु निरापदः ॥ ११॥
दुर्भिक्षमरिसन्तापाः शमं यान्तु महीतले । सर्वसस्यसमृद्धिश्च भूयात्सुखमया दिशः ॥ १२॥
एवमाराधयेद्देवं पूजान्ते गिरिजापतिम् । ब्राह्मणान्भोजयेत् पश्चाद्दक्षिणाभिश्च पूजयेत् ॥ १३॥
सर्वपापक्षयकरी सर्वरोगनिवारणी । शिवपूजा मयाऽऽख्याता सर्वाभीष्टफलप्रदा ॥ १४॥
॥ इति प्रदोषस्तोत्रं सम्पूर्णम् ॥
〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️
कथा एवं स्तोत्र पाठ के बाद महादेव जी की आरती करें
ताम्बूल, दक्षिणा, जल -आरती
〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️
तांबुल का मतलब पान है। यह महत्वपूर्ण पूजन सामग्री है। फल के बाद तांबुल समर्पित किया जाता है। ताम्बूल के साथ में पुंगी फल (सुपारी), लौंग और इलायची भी डाली जाती है । दक्षिणा अर्थात् द्रव्य समर्पित किया जाता है। भगवान भाव के भूखे हैं। अत: उन्हें द्रव्य से कोई लेना-देना नहीं है। द्रव्य के रूप में रुपए, स्वर्ण, चांदी कुछ भी अर्पित किया जा सकता है।
आरती पूजा के अंत में धूप, दीप, कपूर से की जाती है। इसके बिना पूजा अधूरी मानी जाती है। आरती में एक, तीन, पांच, सात यानि विषम बत्तियों वाला दीपक प्रयोग किया जाता है।
भगवान शिव जी की आरती
〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️
ॐ जय शिव ओंकारा,भोले हर शिव ओंकारा।
ब्रह्मा विष्णु सदा शिव अर्द्धांगी धारा ॥ ॐ हर हर हर महादेव...॥
एकानन चतुरानन पंचानन राजे।
हंसानन गरुड़ासन वृषवाहन साजे ॥ ॐ हर हर हर महादेव..॥
दो भुज चार चतुर्भुज दस भुज अति सोहे।
तीनों रूपनिरखता त्रिभुवन जन मोहे ॥ ॐ हर हर हर महादेव..॥
अक्षमाला बनमाला मुण्डमाला धारी।
चंदन मृगमद सोहै भोले शशिधारी ॥ ॐ हर हर हर महादेव..॥
श्वेताम्बर पीताम्बर बाघम्बर अंगे।
सनकादिक गरुणादिक भूतादिक संगे ॥ ॐ हर हर हर महादेव..॥
कर के मध्य कमंडलु चक्र त्रिशूल धर्ता।
जगकर्ता जगभर्ता जगपालन करता ॥ ॐ हर हर हर महादेव..॥
ब्रह्मा विष्णु सदाशिव जानत अविवेका।
प्रणवाक्षर के मध्ये ये तीनों एका ॥ ॐ हर हर हर महादेव..॥
काशी में विश्वनाथ विराजत नन्दी ब्रह्मचारी।
नित उठि दर्शन पावत रुचि रुचि भोग लगावत महिमा अति भारी ॥ ॐ हर हर हर महादेव..॥
लक्ष्मी व सावित्री, पार्वती संगा ।
पार्वती अर्धांगनी, शिवलहरी गंगा ।। ॐ हर हर हर महादेव..।।
पर्वत सौहे पार्वती, शंकर कैलासा।
भांग धतूर का भोजन, भस्मी में वासा ।। ॐ हर हर हर महादेव..।।
जटा में गंगा बहत है, गल मुंडल माला।
शेष नाग लिपटावत, ओढ़त मृगछाला ।। ॐ हर हर हर महादेव..।।
त्रिगुण शिवजीकी आरती जो कोई नर गावे।
कहत शिवानन्द स्वामी मनवांछित फल पावे ॥ ॐ हर हर हर महादेव..॥
ॐ जय शिव ओंकारा भोले हर शिव ओंकारा
ब्रह्मा विष्णु सदाशिव अर्द्धांगी धारा ।। ॐ हर हर हर महादेव।।
कर्पूर आरती
〰️〰️〰️〰️
कर्पूरगौरं करुणावतारं, संसारसारम् भुजगेन्द्रहारम्।
सदावसन्तं हृदयारविन्दे, भवं भवानीसहितं नमामि॥
मंगलम भगवान शंभू
मंगलम रिषीबध्वजा ।
मंगलम पार्वती नाथो
मंगलाय तनो हर ।।
मंत्र पुष्पांजलि
〰️〰️〰️〰️
मंत्र पुष्पांजली मंत्रों द्वारा हाथों में फूल लेकर भगवान को पुष्प समर्पित किए जाते हैं तथा प्रार्थना की जाती है। भाव यह है कि इन पुष्पों की सुगंध की तरह हमारा यश सब दूर फैले तथा हम प्रसन्नता पूर्वक जीवन बीताएं।
ॐ यज्ञेन यज्ञमयजंत देवास्तानि धर्माणि प्रथमान्यासन्।
ते हं नाकं महिमान: सचंत यत्र पूर्वे साध्या: संति देवा:
ॐ राजाधिराजाय प्रसह्ये साहिने नमो वयं वैश्रवणाय कुर्महे स मे कामान्कामकामाय मह्यम् कामेश्वरो वैश्रवणो ददातु।
कुबेराय वैश्रवणाय महाराजाय नम:
ॐ स्वस्ति साम्राज्यं भौज्यं स्वाराज्यं वैराज्यं
पारमेष्ठ्यं राज्यं माहाराज्यमाधिपत्यमयं समंतपर्यायी सार्वायुष आंतादापरार्धात्पृथिव्यै समुद्रपर्यंता या एकराळिति तदप्येष श्लोकोऽभिगीतो मरुत: परिवेष्टारो मरुत्तस्यावसन्गृहे आविक्षितस्य कामप्रेर्विश्वेदेवा: सभासद इति।
ॐ विश्व दकचक्षुरुत विश्वतो मुखो विश्वतोबाहुरुत विश्वतस्पात संबाहू ध्यानधव धिसम्भत त्रैत्याव भूमी जनयंदेव एकः।
ॐ तत्पुरुषाय विद्महे महादेवाय धीमहि
तन्नो रुद्रः प्रचोदयात्॥
नाना सुगंध पुष्पांनी यथापादो भवानीच
पुष्पांजलीर्मयादत्तो रुहाण परमेश्वर
ॐ भूर्भुव: स्व: भगवते श्री सांबसदाशिवाय नमः। मंत्र पुष्पांजली समर्पयामि।।
प्रदक्षिणा
〰️〰️〰️
नमस्कार, स्तुति -प्रदक्षिणा का अर्थ है परिक्रमा। आरती के उपरांत भगवन की परिक्रमा की जाती है, परिक्रमा हमेशा क्लॉक वाइज (clock-wise) करनी चाहिए। स्तुति में क्षमा प्रार्थना करते हैं, क्षमा मांगने का आशय है कि हमसे कुछ भूल, गलती हो गई हो तो आप हमारे अपराध को क्षमा करें।
यानि कानि च पापानि जन्मांतर कृतानि च। तानि सवार्णि नश्यन्तु प्रदक्षिणे पदे-पदे।।
अर्थ: जाने अनजाने में किए गए और पूर्वजन्मों के भी सारे पाप प्रदक्षिणा के साथ-साथ नष्ट हो जाए।
〰️〰️🌼〰️〰️🌼〰️〰️🌼〰️〰️🌼〰️〰️🌼〰️〰️
🎪🛕श्री भक्ति ग्रुप मंदिर🛕🎪
🙏🌹🙏जय श्री राधे कृष्ण🙏🌹🙏
●▬▬▬▬▬ஜ۩۞۩ஜ▬▬▬▬▬●
🔜📲❼❺⓿❾❼❸⓿❺❸❼📱🔚
●▬▬▬▬▬ஜ۩۞۩ஜ▬▬▬▬▬●
0 notes