#संस्कृति ज्ञान
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भारतीय संस्कृति की विशेषताएं: तथा संस्कृति ज्ञान के महत्व
भारत एक विविधताओं से भरा देश है और इसकी संस्कृति इसी विविधता को दर्शाती है। यहां धर्म, भाषा, परिवार, त्योहार, भोजन, कला और रहन-सहन सभी में विविधता देखी जाती है। भारतीय संस्कृति की सबसे बड़ी विशेषता धार्मिक विविधता है, जहां हिंदू, मुस्लिम, सिख, ईसाई, बौद्ध, जैन और पारसी धर्मों के अनुयायी एक साथ रहते हैं। देश की भाषाई विविधता भी उल्लेखनीय है, जहां हिंदी, बंगाली, तेलुगु, मराठी, तमिल, उर्दू, गुजराती…
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#आध्यात्मिकता#धार्मिक विविधता#भारतीय संस्कृति#भाषाई बहुलता#मानवतावाद#मूल्य शिक्षा#विरासत संरक्षण#संस्कृति ज्ञान#सहिष्णुता
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सपने में सीढ़ी देखने का मतलब - Sapne Mein Sidhi Dekhna
सीढ़ी का स्वप्न फल शुभ या अशुभ !
आप सभी को नमस्कार! आज हम आपको सपने में सीढ़ी देखने के मतलब के बारे में बताने जा रहे हैं। सपनों की दुनिया में सीढ़ी के सपने के मतलब को जानने के लिए आपको इस लेख को ध्यान से पढ़ना चाहिए। इसके अलावा, हम आपको सीढ़ी चढ़ने और उतरने, छोटी या लंबी सीढ़ी के सपनों के बारे में भी बताएंगे। इससे आप अपने सपनों को समझ सकते हैं और उनसे संबंधित उचित निर्णय ले सकते हैं।दोस्तों, हर व्यक्ति के सपने उनकी खुशियों और…
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#गुरू गोविन्द दोऊ खड़े#काके लागूं पांय।#बलिहारी गुरू अपने गोविन्द दियो बताय।#कबीर का यह दोहा उतना ही अर्थपूर्ण है जितना अर्थपूर्ण है मेरी अध्यापिका का मुझ पर आशीर्वाद।#रामचरितमानस को लेकर जब सवाल तुलसी पर उठाया जा रहा था तो वे अपनी सूती साड़ी का पल्ला पकड़ती है और#कितना सुंदर कवि है ये हमारे भाई तुलसीदास जी !#क्यों उसकी छोटी सी कविता के भाग को समझने में इतनी तकलीफ़ हुई जाती है बेटा जी।#उन्होंने हमारी किताब को हाथ में लिया और चश्मा संभालकर जो समझाया उसने दुनिया को देखने समझने और व#और यही तो है २१वी सदी का ज्ञान कि जानो#परखो और चुनो।#ढोल गंवार शुद्र पशु नारी#सकल तारणा के अधिकारी : रामचरित मानस#१. ढोल (वाद्य यंत्र)- ढोल को हमारे सनातन संस्कृति में उत्साह का प्रतीक माना गया है इसके थाप से हमे#उत्साहमय हो जाता है. आज भी विभिन्न अवसरों पर ढोलक बजाया जाता है. इसे शुभ माना जाता है.#२. गंवार {गांव के रहने वाले लोग )- गाँव के लोग छल-प्रपंच से दूर अत्यंत ही सरल स्वभाव के होते हैं. गाँ#३. शुद्र (जो अपने कर्म व सेवाभाव से इस लोक की दरिद्रता को दूर करे)- सेवा व कर्म से ही हमारे जीवन व दू#४. पशु (जो एक निश्चित पाश में रहकर हमारे लिए उपयोगी हो) - प्राचीन काल और आज भी हम अपने दैनिक जीवन मे#दही. घी विभिन्न प्रकार के मिष्ठान्न इत्यादि के लिए हम पशुओं पर ही निर्भर हैं. पशुओ के बिना हमारे#५. नारी ( जगत -जननी#आदि-शक्ति#मातृ-शक्ति )- नारी के बिना इस चराचर जगत की कल्पना ही मिथ्या है नारी का हमारे जीवन में माँ#बहन बेटी इत्यादि के रूप में बहुत बड़ा योगदान है. नारी के ममत्व से ही हम हम अपने जीवन को भली-भाँती स#काली#लक्ष्मीबाई बनकर हमारा कल्याण करती है. इसलिए सनातन संस्कृति में नारी को पुरुषों से अधिक महत्त्#सकल तारणा के अधिकारी से यह तात्पर्य है-#१. सकल= सबका#२. तारणा= उद्धार करना#३. अधिकारी = अधिकार रखना#उपरोक्त सभी से हमारे जीवन का ��द्धार होता है इसलिए इसे उद्धार करने का अधिकारी कहा गया है.#writing
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24.04.2024, लखनऊ | महान वैदिक ऋषि "महर्षि कश्यप" की जन्म जयन्ती के पावन अवसर पर हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट द्वारा ट्रस्ट के सेक्टर 25, इंदिरा नगर स्थित कार्यालय में "श्रद्धापूर्ण पुष्पांजलि" कार्यक्रम का आयोजन किया गया । कार्यक्रम में ट्रस्ट के प्रबंध न्यासी श्री हर्ष वर्धन अग्रवाल, न्यासी डॉ० रूपल अग्रवाल व ट्रस्ट के स्वयंसेवकों ने महर्षि कश्यप जी के चित्र पर पुष्पांजलि अर्पित कर उन्हें सादर नमन किया |
इस अवसर पर हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट के प्रबंध न्यासी श्री हर्ष वर्धन अग्रवाल ने कहा कि, “महर्षि कश्यप भारतीय संस्कृति में एक महान ऋषि और प्राचीन विद्वान थे । उन्हें प्राचीन काल के महान ऋषियों में से एक माना जाता है जो ज्ञान, ध्यान और तप के माध्यम से आध्यात्मिक ज्ञान को प्राप्त करते थे । महर्षि कश्यप ऋषि-मुनियों में श्रेष्ठ माने जाते थे। सुर-असुरों के मूल पुरूष मुनिराज कश्यप का आश्रम मेरू पर्वत के शिखर पर था, जहां वे पर-ब्रह्म परमात्मा के ध्यान में मग्न रहते थे। मुनिराज कश्यप नीतिप्रिय थे और वे स्वयं भी धर्म-नीति के अनुसार चलते थे और दूसरों को भी इसी नीति का पालन करने का उपदेश देते थे | महर्षि कश्यप द्वारा संपूर्ण सृष्टि की सृजना में दिए गए महायोगदान के कारण उन्हें ‘सृष्टि के सृजक’ उपाधि से विभूषित किया गया।हमें भी महर्षि कश्यप की तरह धर्म और नीति के मार्ग पर चलकर एक विकसित राष्ट्र बनाने में अपना योगदान देना चाहिए |"
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निज भाषा उन्नति अहै, सब उन्नति को मूल।
बिन निज भाषा-ज्ञान के मिटत न हिय को सूल।।
समस्त हिंदी प्रेमी साहित्यकारों, भाषाविदों, लेखकों एवं शिक्षकों को हिन्दी दिवस की हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं !
हमारी हिंदी भाषा भारतीय सनातनी संस्कृति और परंपरा एवं अपनी मधुरता व अपने साहित्य के लिए संपूर्ण विश्व में विख्यात है ।
आइए हम सब अपने लेखन एवं वार्तालाप में अपनी मातृभाषा हिन्दी का अधिक से अधिक प्रयोग करने का संकल्प करें ।
#हिंदी_दिवस_2023
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फलक पे शब्द लिखा गया, घास सा चबाया गया,
कुछ अंश निगला गया, कुछ को थूका गया।
श्वेत रंगधारी झमूरे, शब्दो को ताकते गए,
सुनते गए, सुनते गए, सुनने का ढोंग करते गए।
ज्ञान की प्यास थी जिनको, अब अंकों के लिए जीते है,
श्वेत झमुरे विधि घर में, परदे के आड़े रहते है।
मत तो घर पे छोड़ आए, मतभेद पे "स्वयंघोषित" बंदी है,
किताबों के ढेर है, इस विधि घर में,
पर, अफसोस की, सवालों की मंदी है।
~संस्कृति
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#मूर्ति_उपासना_क्यों?
ब्रह्मांड की रचना से लेकर योगेश्वर वाशुदेव श्रीकृष्णा के काल तक मूर्ति पूजा का प्रावधान नहीं हुआ करता था, वल्कि यज्ञ-हवन, माता-पिता गुरूजनों की सेवा-वन्दना का प्रावधान हुआ करता तथा अथिति का सम्मान अतिथि देवोंभव के रूप में हुआ करता था, जोकि कलयुग के आने के पश्चात एक अन्तराल के बाद मूर्तिपूजा के रूप में प्रारम्भ हो गया, जिसके साथ ही साथ वटबृक्ष आदि की प्रथाओं का चलन प्रारम्भ हो गया।
कलयुग में माता-पिताश्री तथा जेष्ठभ्राताश्री से श्रेष्ठ पूजा के योग्य कोई-भी दूसरा नहीं हो सकता है - यहीं परम्परा हमारी सनातन संस्कृति की धरोहर हुआ करती थी, जिसका आज के मानव ने स्वयं त्याग परित्याग कर दिया हैं, यही उसके दुखों का मूलकारण हैं।
हमारें धर्मग्रंथ हमारी धरोहर हुआ करती थी, जिसका नियमित पाठ तथा हवन-पूजन की व्यवस्था थी, जोकि शनैः-शनैः समाप्त होती चली गई - यही मानव के बिनाश का मूलकारण हैं।
क्या आज कोई युवक आपने माता-पिता, गुरूजनों का आदर सत्कार याफिर उनकी चरण वन्दना करता हैं, संस्कार धर्मग्रंथों के द्वारा आतें थें, जिनका प्रचलन आज समाज में नही हैं और न ही गुरूप्र��ा ही हैं और न ही वैदिक आश्रम ही शेष बचें हैं जहां जाकर ज्ञान प्राप्त किया जा सकें - जिसके लियें हम स्वयं जिम्मेदार हैं?
#बिनाशकाले_बिपरीत_बुद्धि?
यदि स्वयं का कल्याण चाहतें हैं, तो सनातन संस्कृति की ओर लौटे वरना आपका बिनाश निश्चित हैं। श्रीमद्भागवतगीता और रामायण का नियमित पाठ करें और अतिथियों का सम्मान तथा ब्रह्ममूहुर्त में उठना प्रारम्भ करें स्वयं जागें औरों को भी चिरनिद्रा से जागने का प्रयास करें, तभी हम सभी सुरक्षित रहेंगे और हमारी सनातन संस्कृति?
बिचार अपने-अपने
#श्रीकृष्णाय_नमोऽस्तुते
ब्रह्मर्षि रामानन्द सरस्वती
दूरभाष 09540666000
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भारतीय संस्कृति की विशेषताएं: तथा संस्कृति ज्ञान के महत्व
भारत एक विविधताओं से भरा देश है और इसकी संस्कृति इसी विविधता को दर्शाती है। यहां धर्म, भाषा, परिवार, त्योहार, भोजन, कला और रहन-सहन सभी में विविधता देखी जाती है। भारतीय संस्कृति की सबसे बड़ी विशेषता धार्मिक विविधता है, जहां हिंदू, मुस्लिम, सिख, ईसाई, बौद्ध, जैन और पारसी धर्मों के अनुयायी एक साथ रहते हैं। देश की भाषाई विविधता भी उल्लेखनीय है, जहां हिंदी, बंगाली, तेलुगु, मराठी, तमिल, उर्दू, गुजराती…
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अखिल विश्व गायत्री परिवार ने करायी भारतीय संस्कृति ज्ञान परीक्षा
इटारसी। अखिल विश्व गायत्री परिवार ने भारतीय संस्कृति ज्ञान परीक्षा का आयोजन पूरे जिले में किया। भारतीय संस्कृति ज्ञान परीक्षा के जिला प्रभारी चंद्र मोहन गौर ने बताया कि अखिल विश्व गायत्री परिवार शांतिकुंज हरिद्वार के द्वारा यह परीक्षा पूरे देश में की जाती है। नर्मदापुरम जिले के लगभग 280 विद्यालयों एवं 7 महाविद्यालयों के 13,500 विद्यार्थियों ने भाग ले लिया। विद्यार्थियों के सर्वांगीण विकास के लिए…
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पुराण क्या हैं और कितने हैं?
पारस परिवार के संस्थापक, आदरणीय “महंत श्री पारस भाई जी” एक सच्चे मार्गदर्शक, एक महान ज्योतिषी, एक आध्यात्मिक लीडर, एक असाधारण प्रेरक वक्ता और एक सामाजिक कार्यकर्ता हैं जो देश और समाज के कल्याण के लिए खुद को समर्पित करते हैं। उनका एक ही लक्ष्य है लोगों के सुखी और समृद्ध जीवन की कामना करना। लोगों को अँधेरे से निकालकर उनके जीवन में रोशनी फैलाना।
“पारस परिवार” हर किसी के जीवन को बेहतर बनाने के लिए निरंतर प्रतिबद्ध है। पारस परिवार से जो भी जुड़ जाता है वो इस परिवार का एक अहम हिस्सा बन जाता है और यह संगठन और भी मजबूत बन जाता है। जिस तरह एक परिवार में एक दूसरे की जरूरतों का ख्याल रखा जाता है। ठीक उसी तरह पारस परिवार भी एक परिवार की तरह एक दूसरे का सम्मान करता है और जरूरतमंद लोगों के जीवन में बदलाव लाने के साथ यह परिवार एकजुट की भावना रखता है ।
‘महंत श्री पारस भाई जी’ एक ऐसे समाज का निर्माण करना चाहते हैं जहाँ कमजोर आर्थिक स्थिति के कारण कोई भी व्यक्ति भूखा न रहे, जहाँ जाति-धर्म के नाम पर झगड़े न हों और जहाँ आपस में लोग मिलजुलकर रहें। साथ ही लोगों में द्वेष न रहे और प्रेम की भावना का विकास हो। पारस परिवार निस्वार्थ रूप से जन कल्याण की विचारधारा से प्रभावित है।
इसी विचारधारा को लेकर वह भक्तों के आंतरिक और बाहरी विकास के लिए कई आध्यात्मिक और सामाजिक कार्यक्रम समय-समय पर आयोजित करते हैं। आध्यात्मिक क्षेत्र (Spiritual Sector) की बात करें तो महंत श्री पारस भाई जी “दुख निवारण महाचण्डी पाठ”, “प्रार्थना सभा” और “पवित्र जल वितरण” जैसे दिव्य कार्यक्रम आयोजित करते हैं।
जिससे वे भक्तों के दुखों का निवारण, उनकी आंतरिक शांति और उनकी सुख-समृद्धि के लिए समर्पित हैं। इसी तरह सामाजिक क्षेत्र की बात करें त��� पारस परिवार सामाजिक जागरूकता और समाज कल्याण के लिए भा��तीय संस्कृति को संरक्षित करने के लिए लंगर, धर्मरथ और गौ सेवा जैसे महान कार्यों में अपनी सेवाएं दे रहे हैं। इसके अलावा हरियाणा और मध्य प्रदेश में “डेरा नसीब दा” जैसे महान कार्य का निर्माण भी है, जहाँ जाकर सोया हुआ नसीब भी जाग जाता है।
हमारे सनातन धर्म में सभी धार्मिक ग्रंथों में से पुराण का विशेष महत्व है तथा ये प्राचीनतम ग्रंथों में से एक है। पुराण का अर्थ है प्राचीन रचना और इन पुराणों में लिखी बातें या बताई बातें और ज्ञान आज भी सच साबित हो रहे हैं। हम सब इस बात से अच्छी तरह वाकिफ हैं कि हमारे पुराणों में लिखी बातें, हमारी हिंदू संस्कृति का प्रतिनिधित्व करती हैं। आइये इस आर्टिकल में जानते हैं पुराण क्या हैं और कितने हैं ?
पुराण क्या हैं?
पुराणों में देवी देवताओं से जुड़ी कई बातें हैं जिसमें पाप-पुण्य और धर्म-अधर्म के बारे में बताया गया है। पुराण में व्यक्ति के जन्म-मृत्यु और मृत्यु के बाद स्वर्ग या नरक तक की यात्रा के बारे में भी विस्तार से बताया गया है। सांस्कृतिक अर्थ में हिन्दू संस्कृति के वे धर्मग्रन्थ जिनमें सृष्टि से लेकर प्रलय तक का इतिहास है।
यानि कुछ पुराणों में इस सृष्टि की रचना से लेकर अंत तक का विवरण है। ‘पुराण’ का शाब्दिक अर्थ है, प्राचीन या पुराना। पुराण, हिन्दुओं के धर्म-सम्बन्धी आख्यान ग्रन्थ हैं, जिनमें संसार, ऋषियों, राजाओं के वृत्तान्त आदि हैं। पुराण मनुष्य को धर्म, सदाचार और नीति के अनुसार जीवन व्यतीत करने की शिक्षा देते हैं। इसके अलावा पुराण मनुष्य के कर्मों का विश्लेषण कर उन्हें दुष्कर्म करने से रोकते हैं।
पुराण कितने हैं?
हिन्दू धर्म में कुल 18 पुराण हैं, जो निम्न हैं – ब्रह्म पुराण, पद्म पुराण, विष्णु पुराण, वायु पुराण, भागवत पुराण, नारद पुराण, मार्कण्डेय पुराण, अग्नि पुराण, भविष्य पुराण, ब्रह्म वैवर्त पुराण, लिङ्ग पुराण, वाराह पुराण, स्कन्द पुराण, वामन पुराण, कूर्म पुराण, मत्स्य पुराण, गरुड़ पुराण, ब्रह्माण्ड पुराण।
ब्रह्म पुराण Brahma Puran 18 पुराणों में ब्रह्म पुराण सबसे पहला और पुराना पुराण है। ब्रह्मपुराण के रचयिता महर्षि वेद व्यास जी हैं और इसे संस्कृत भाषा में लिखा गया है। इस पुराण को महापुराण भी कहते हैं। इस पुराण में ब्रह्मा जी के अलावा सृष्टि की उत्पत्ति, गंगा अवतरण आदि कथायें हैं। इस पुराण में कलयुग का भी विवरण दिया गया है। ब्रह्म देव को आदि देव भी कहा जाता है इसलिए यह पुराण आदि पुराण के नाम से भी जाना जाता है।
पद्म पुराण Padma Puran पद्म पुराण के रचयिता महर्षि वेद व्यास जी हैं। पद्म का अर्थ है कमल का फूल। पद्म पुराण में बताया गया है कि ब्रह्मदेव श्री नारायण जी के नाभि कमल से उत्पन्न हुए थे और उन्होंने सृष्टि की रचना की। इस पुराण के 5 खंडो में श्रुष्टि खंड, भूमि खंड, स्वर्ग खंड, पाताल खंड और उत्तर खंड में भगवान विष्णु की महिमा, तीर्थों के बारे में, श्री कृष्ण और श्री राम की लीलाओं और तुलसी महिमा का अलौकिक वर्णन किया गया है।
विष्णु पुराण Vishnu Puran विष्णु पुराण में भगवान विष्णु जी की महिमा का अद्भुत वर्णन किया गया है। विष्णु पुराण के रचयिता पराशर ऋषि हैं और यह पुराण संस्कृत भाषा में लिखा गया है। इस पुराण में भक्त प्रह्लाद की कथा, ब्रह्माण्ड की उत्पत्ति, गृह नक्षत्र, पृथ्वी, ज्योतिष, समुद्र मंथन, कृष्ण, रामकथा, विष्णु जी और लक्ष्मी माँ की महिमा, वर्णव्यवस्था, देवी देवताओं की उत्पत्ति आदि के बारे में बताया गया है।
वायु पुराण Vayu Puran वायु पुराण को के रचयिता श्री वेद व्यास जी हैं। वायु पुराण को शैव पुराण भी कहते हैं। वायु पुराण में खगोल, भूगोल, सृष्टिक्रम, तीर्थ, शिव भक्ति, युग, श्राद्ध, पितरों, ऋषि वंश, राजवंश, संगीत शास्त्र, आदि का विस्तारपूर्वक विवरण दिया गया है। इस पुराण में शिव जी की महिमा का वर्णन है इसलिए इसे शिव पुराण भी कहा जाता है।
भागवत ( श्रीमद्भागवत ) पुराण Bhagavata Purana भागवत पुराण के रचयिता वेद व्यास जी हैं और भागवत पुराण 18 पुराणों में से पांचवा पुराण है। इसे श्रीमद्भागवतम् के नाम से भी जाना जाता है। इस पुराण को संस्कृत में लिखा गया है। भागवत पुराण आत्मा की मुक्ति का मार्ग बताता है। इस पुराण में श्री कृष्ण के बारे में बताया गया है, इसमें उनके जन्म, प्रेम और कई लीलाओं का विवरण दिया गया है। इसमें महाभारत युद्ध और कृष्ण की भूमिका के बारे में भी ��ताया गया है।
नारद पुराण Narad Puran नारद पुराण के रचयिता महर्षि वेद व्यास जी हैं। नारद पुराण को नारदीय पुराण भी कहा जाता है। महर्षि वेद व्यास जी ने इस पुराण को संस्कृत भाषा में लिखा था। इस पुराण में ज्योतिष, शिक्षा, ईश्वर की आराधना, व्याकरण, गणित आदि के बारे में विस्तारपूर्वक बताया गया है। साथ ही इसमें कलियुग में होने वाले परिवर्तनों के बारे में भी बताया गया है।
मार्कण्डेय पुराण Markandey Puran मार्कण्डेय पुराण 18 पुराणों में से 7 वां पुराण है। यह पुराण अन्य पुराणों से छोटा है। महर्षि मार्कण्डेय द्वारा कहे जाने के कारण इसे मार्कण्डेय पुराण कहा जाता है। इस पुराण में मानव कल्याण के लिए भौतिक, सामाजिक, आध्यात्मिक आदि विषयों के बारे में बताया है। यह पुराण दुर्गा चरित्र की व्याख्या के लिए जाना जाता है।
अग्नि पुराण Agni Puran अग्नि पुराण 18 पुराणों में से 8वां पुराण है और इस पुराण के रचयिता वेद व्यास जी हैं और वेद व्यास जी ने इसे संस्कृत भाषा में लिखा है। इस पुराण का नाम अग्नि पुराण इसलिए पड़ा दरसअल इसे अग्नि देव ने गुरु वशिष्ठ को सुनाया था। इस पुराण में त्रिदेवों ब्रह्म देव, विष्णु देव और शिव जी का वर्णन है। साथ ही महाभारत और रामायण का भी विवरण है।
भविष्य पुराण Bhavishya Puran भविष्य पुराण 18 पुराणों में से 9 वां पुराण है और इसके रचयिता महर्षि वेद व्यास जी हैं। महर्षि वेद व्यास जी ने इसे संस्कृत भाषा में लिखा था। भविष्य पुराण में नीति, सदाचार, धर्म, व्रत, दान, आयुर्वेद आदि का विवरण है। इस पुराण में सूर्य देव का भी विवरण है। इस पुराण में कई भविष्यवाणियाँ की गई जो सही साबित हुई। इसमें हर्षवर्धन महाराज, शिवाजी महाराज, पृथ्वीराज चौहान आदि कई वीर हिन्दू राजाओं और अलाउद्दीन, बाबर, रानी विक्टोरिया, अकबर आदि के बारे में बताया गया है।
ब्रह्म वैवर्त पुराण Brahma Vaivarta Purana ब्रह्म वैवर्त पुराण 18 पुराणों में 10वां पुराण है और इसके रचयिता वेद व्यास जी हैं। इसे उन्होंने संस्कृत भाषा में लिखा है। इस पुराण में अनेक स्त्रोत हैं। इसमें यह भी बताया गया है कि कृष्ण से ही शिवजी, विष्णु जी, ब्रह्म देव और इस प्रकृति का जन्म हुआ। इस पुराण में कृष्ण को ही परब्रह्म माना गया है।
लिङ्ग पुराण Ling Puran लिङ्ग पुराण 18 पुराणों में से 11वां पुराण है तथा इसके रचयिता वेद व्यास जी हैं। इस पुराण में भोलेनाथ के 28 अवतारों के बारे में बताया गया है और इसमें रुद्रावतार और लिंगोद्भव की कथा का भी विवरण है। साथ ही इसमें भोलेनाथ द्वारा ज्योर्तिलिंग के रूप में प्रकट होने की घटना के बारे में भी बताया गया है।
वराह पुराण Varah Puran वराह पुराण 18 पुराणों में से 12 वां पुराण है और इसके रचयिता महर्षि वेद व्यास जी हैं। वराह पुराण संस्कृत भाषा में लिखा गया है। इस पुराण में विष्णु जी के वराह अवतार का उल्लेख है। माना जाता है कि विष्णु जी धरती के उद्धार के लिए वराह रूप में अवतरित हुए थे। इसमें वराह कथा, माँ पार्वती और शिवजी की कथा, व्रत, तीर्थ, दान आदि का वर्णन है।
स्कन्द पुराण Skand Puran स्कन्द पुराण 18 पुराणों में से 13 वां पुराण है और इसकी रचना वेद व्यास जी ने संस्कृत भाषा में की थी। इस पुराण में शिव पुत्र कार्तिकेय जिनका दूसरा नाम स्कन्द भी है उनके बारे में बताया गया है। इसमें नर्मदा, गंगा, सरस्वती नदियों के उद्गम के बारे में कथाएँ हैं और साथ ही इसमें व्रतों का भी विवरण दिया गया है। इसमें योग, धर्म, सदाचार, भक्ति और ज्ञान के बारे में सुन्दर वर्णन किया गया है।
वामन पुराण Vaman Puran वामन पुराण 18 पुराणों में से 14 वां पुराण है और इसके रचयिता है वेद व्यास और इसे उन्होंने संस्कृत भाषा में लिखा। इस पुराण में भगवान विष्णु के वामन अवतार के बारे में लिखा गया है। इसमें शिव लिंग की पूजा वि��ि, शिव पार्वती विवाह, गणेश पूजन, भगवती दुर्गा, भक्त प्रह्लाद आदि का विवरण दिया गया है।
कूर्म पुराण Kurma Puran कूर्म पुराण 18 पुराणों में 15 वां पुराण है तथा इसके रचयिता वेदव्यास जी हैं। यह संस्कृत भाषा में लिखा गया है। इस पुराण में पाप का नाश करने वाले व्रतों के बारे में बताया गया है। साथ ही इसमें विष्णु का सुंदर विवरण, शिवलिंग की महिमा, वामन अवतार आदि के बारे में बताया गया है।
मत्स्य पुराण Matsya Puran मत्स्य पुराण 18 पुराणों में से 16वां पुराण है और इसके रचयिता वेदव्यास जी हैं। इस पुराण के श्लोकों में विष्णु जी के मत्स्य अवतार का विवरण दिया गया है। दरअसल विष्णु जी ने अपने मत्स्य अवतार में सप्त ऋषियों और राजा वैवश्वत मनु को जो उपदेश दिए थे यह पुराण उसी पर आधारित है। इस पुराण में नव गृह, तीनों युगों, तारकासुर वध कथा, नरसिंह अवतार आदि का विवरण दिया गया है।
गरुड़ पुराण Garuda Puran गरुड़ पुराण 18 पुराणों में से 17 वां पुराण है। इस पुराण के रचयिता वेद व्यास जी हैं और उन्होंने इसे संस्कृत में लिखा है। यह पुराण विष्णु भक्ति पर आधारित है। हमारे हिंदू धर्म में किसी व्यक्ति की मृत्यु के बाद इस पुराण को जरूर पढ़ा जाता है। क्योंकि ऐसा माना जाता है कि इस पुराण को पढ़ने से मृतक की आत्मा को मुक्ति मिलती है। इसमें दान, सदाचार, शुभ कर्म, तीर्थ, आदि के बारे में विवरण दिया गया है।
ब्रह्माण्ड पुराण Brahmanda Puran ब्रह्माण्ड पुराण 18 पुराणों में से आखिरी पुराण है और ब्राह्माण पुराण के रचयिता वेदव्यास जी हैं। यह पुराण वैज्ञानिक दृष्टि से भी बहुत महत्वपूर्ण है। इस पुराण को खगोल शास्त्र भी कहते हैं। इसमें समस्त ग्रहों का विस्तृत वर्णन है।
महंत श्री पारस भाई जी के अनुसार जो व्यक्ति जीवन में इन सभी 18 पुराणों के नाम और उसमें लिखित बातों का श्रवण करता है या पाठ करता है। वह इन 18 पुराणों से मिलने वाले पुण्य को पा लेता है।
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राष्ट्र के प्रति अपने कर्तव्यों का निर्वहन ही स्वामी विवेकानन्द को सच्ची है श्रद्धांजलि – हर्ष वर्धन अग्रवाल
स्वामी विवेकानन्द की 121वीं पुण्य तिथि के अवसर पर हेल्प यू एजुकेशनल एण्ड चैरिटेबल ट्रस्ट के 25/2जी, सेक्टर-25, इन्दिरा नगर स्थित कार्यालय में ''श्रद्धेय पुष्पांजलि'' कार्यक्रम का आयोजन किया गया | कार्यक्रम के तहत हेल्प यू एजुकेशनल एण्ड चैरिटेबल ट्रस्ट के प्रबंध न्यासी हर्ष वर्द्धन अग्रवाल, न्यासी डॉ. रूपल अग्रवाल एवं ट्रस्ट के स्वयंसेवकों ने स्वामी विवेकानन्द के चित्र पर पुष्पांजलि अर्पित कर उन्हें नमन किया |
इस अवसर पर हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट के प्रबंध न्यासी, हर्ष वर्द्धन अग्रवाल ने कहा, 'यह हम सभी के लिए बहुत गर्व की बात है कि आज हम स्वामी विवेकानन्द जी की पुण्य तिथि म���ा रहे हैं । यह दिन एक महान आदर्शवादी, धार्मिक नेता और योगी को समर्पित है जिन्होंने अपने जीवन से दुनिया को ज्ञान, समग्रता और आध्यात्मिकता के प्रतीकों से परिचित कराया । स्वामी विवेकानंद का जन्म 12 जनवरी, 1863 में हुआ था और उनकी मृत्यु 4 जुलाई, 1902 को हुई थी । उनके जीवन के इस संक्षिप्त समय में, उन्होंने भारतीय संस्कृति और धर्म की महत्ता को संपूर्ण विश्व में फैलाया । स्वामी विवेकानंद ने विश्वभर में अपने व्याख्यानों और प्रवचनों के माध्यम से लोगों को तत्त्वज्ञान की अद्भुत ज्योति प्रदान की तथा ज्ञान, उद्यम, एकता, और मानवता के सिद्धांतों को अपनाने पर बल दिया क्योंकि स्वामी जी का यह मानना था कि अध्यात्म-विद्या और भारतीय दर्शन के बिना विश्व अनाथ हो जाएगा' | आज स्वामी विवेकानंद की पुण्यतिथि पर आइए हम सभी यह संकल्प लें कि हम स्वामी विवेकानंद जी के उपदेशों, आदर्शों और विचारों अनुसरण करेंगे एवं राष्ट्र के प्रति अपने कर्तव्यों का निर्वहन करने हेतु प्रतिबद्ध होंगे | राष्ट्र के प्रति अपने कर्तव्यों का निर्वहन ही स्वामी विवेकानन्द को सच्ची श्रद्धांजलि है |
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रामेश्वरम् धाम यात्रा पैकेज
रामेश्वरम्, जिसे रामेश्वर धाम के नाम से जाना जाता है, हिंदू धर्म का एक महत्वपूर्ण तीर्थ स्थल है। यह स्थान धार्मिक आस्था, पौराणिक कथाओं और प्राकृतिक सुंदरता का संगम है। यहाँ भगवान शिव का प्रसिद्ध मंदिर है, जो लाखों भक्तों के लिए आस्था का केंद्र है। रामेश्वरम् धाम यात्रा का अनुभव विशेष होता है, और यदि आप इस यात्रा की योजना बना रहे हैं, तो यात्रा पैकेज का चयन करना एक अच्छा विकल्प हो सकता है।
यात्रा पैकेज का महत्व
यात्रा पैकेज आपके यात्रा के अनुभव को सुविधाजनक और आरामदायक बनाते हैं। एक अच्छे पैकेज में यात्रा, आवास, भोजन और स्थानीय भ्रमण की सभी सुविधाएँ शामिल होती हैं। इससे न केवल समय की बचत होती है, बल्कि आप अपनी यात्रा का अधिकतम लाभ भी उठा सकते हैं। विभिन्न यात्रा एजेंसियाँ रामेश्वरम् धाम यात्रा पैकेज प्रदान करती हैं, जो आपकी आवश्यकताओं के अनुसार अनुकूलित किए जा सकते हैं।
पैकेज के प्रमुख तत्व
यात्रा कार्यक्रम: एक अच्छा यात्रा पैकेज एक विस्तृत यात्रा कार्यक्रम के साथ आता है। इसमें यात्रा की तारीखें, यात्रा का मार्ग, प्रमुख स्थलों का भ्रमण, और धार्मिक कार्यक्रमों की जानकारी होती है। यह सुनिश्चित करता है कि आप अपनी यात्रा के दौरान किसी महत्वपूर्ण अवसर को न चूकें।
आवास: रामेश्वरम् में ठहरने के लिए कई विकल्प उपलब्ध हैं, जैसे होटल, धर्मशाला और रिसॉर्ट्स। यात्रा पैकेज में आपके बजट और आवश्यकताओं के अनुसार आवास की व्यवस्था की जाती है। इससे आपको आराम से रहने की सुविधा मिलती है।
भोजन: यात्रा पैकेज में आमतौर पर नाश्ता, दोपहर का भोजन और रात का खाना शामिल होता है। रामेश्वरम् की यात्रा के दौरान आप स्थानीय व्यंजनों का स्वाद ले सकते हैं, जो आपके अनुभव को और भी विशेष बनाएगा।
स्थानीय भ्रमण: रामेश्वरम् धाम यात्रा पैकेज में स्थानीय स्थलों का भ्रमण भी शामिल होता है। आप मंदिर के दर्शन के साथ-साथ आसपास के अन्य दर्शनीय स्थलों जैसे धनुषकोडी, रामेश्वरम समुद्र तट और अपार जलराशि का आनंद ले सकते हैं। यात्रा के दौरान आपको स्थानीय संस्कृति और परंपराओं का अनुभव भी होगा।
गाइड सेवा: कई यात्रा पैकेजों में अनुभवी गाइड की सेवा भी शामिल होती है। गाइड आपको स्थानीय इतिहास, पौराणिक कथाएँ और धार्मिक महत्व के बारे में जानकारी प्रदान करते हैं, जिससे आपकी यात्रा और भी ज्ञानवर्धक बनती है।
यात्रा पैकेज का चयन कैसे करें
रामेश्वरम् धाम यात्रा पैकेज का चयन करते समय कुछ बातों का ध्यान रखना आवश्यक है:
बजट: पहले अपने बजट का निर्धारण करें। इससे आपको सही पैकेज का चयन करने में मदद मिलेगी।
समय: यात्रा की तारीखें और अवधि तय करें। पैकेज का चयन करते समय यह सुनिश्चित करें कि आपकी आवश्यकताओं के अनुसार यात्रा कार्यक्रम में लचीलापन हो।
फीचर्स: पैकेज में शामिल सुविधाओं का ध्यानपूर्वक मूल्यांकन करें। सुनिश्चित करें कि आपके लिए सभी आवश्यकताएँ जैसे आवास, भोजन और यात्रा शामिल हैं।
समीक्षाएँ: यात्रा एजेंसियों की समीक्षाएँ प���़ें। इससे आपको उनकी सेवा गुणवत्ता और विश्वसनीयता का पता चलेगा।
यात्रा के लाभ
रामेश्वरम् धाम यात्रा केवल धार्मिक यात्रा नहीं है, बल्कि यह एक समृद्ध अनुभव भी है। यहाँ की पवित्रता और आध्यात्मिक ऊर्जा आपको मानसिक शांति प्रदान करती है। साथ ही, स्थानीय संस्कृति और परंपराओं का अनुभव आपको नए दृष्टिकोण और ज्ञान से भर देता है।
निष्कर्ष
रामेश्वरम् धाम यात्रा पैकेज आपकी यात्रा को आसान, सुविधाजनक और यादगार बनाने में मदद करता है। एक सही पैकेज के माध्यम से आप न केवल धार्मिक स्थलों के दर्शन कर सकते हैं, बल्कि स्थानीय संस्कृति का आनंद भी ले सकते हैं। जब आप अगली बार रामेश्वरम् यात्रा की योजना बनाएं, तो यात्रा पैकेज का विकल्प अवश्य सोचें। इससे आपकी यात्रा के अनुभव में न केवल वृद्धि होगी, बल्कि आप अपने धार्मिक उद्देश्यों को भी पूरा कर सकेंगे।
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मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने मंगलवार को सम्राट अशोक कन्वेंशन केंद्र स्थित ज्ञान भवन में पर्यटन विभाग द्वारा आयोजित ट्रैवल एंड टूरिज्म फेयर-2024 का उद्घाटन किया। उन्होंने फीता काटकर मेले का शुभारंभ किया और विभिन्न प्रदर्शनों का निरीक्षण कर संबंधित उत्पादों और सेवाओं की जानकारी ली। इस अवसर पर केंद्रीय संस्कृति और पर्यटन मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत, उत्तराखंड के पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज, बिहार के…
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