#परखो और चुनो।
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#गुरू गोविन्द दोऊ खड़े#काके लागूं पांय।#बलिहारी गुरू अपने गोविन्द दियो बताय।#कबीर का यह दोहा उतना ही अर्थपूर्ण है जितना अर्थपूर्ण है मेरी अध्यापिका का मुझ पर आशीर्वाद।#रामचरितमानस को लेकर जब सवाल तुलसी पर उठाया ��ा रहा था तो वे अपनी सूती साड़ी का पल्ला पकड़ती है और#कितना सुंदर कवि है ये हमारे भाई तुलसीदास जी !#क्यों उसकी छोटी सी कविता के भाग को समझने में इतनी तकलीफ़ हुई जाती है बेटा जी।#उन्होंने हमारी किताब को हाथ में लिया और चश्मा संभालकर जो समझाया उसने दुनिया को देखने समझने और व#और यही तो है २१वी सदी का ज्ञान कि जानो#परखो और चुनो।#ढोल गंवार शुद्र पशु नारी#सकल तारणा के अधिकारी : रामचरित मानस#१. ढोल (वाद्य यंत्र)- ढोल को हमारे सनातन संस्कृति में उत्साह का प्रतीक माना गया है इसके थाप से हमे#उत्साहमय हो जाता है. आज भी विभिन्न अवसरों पर ढोलक बजाया जाता है. इसे शुभ माना जाता है.#२. गंवार {गांव के रहने वाले लोग )- गाँव के लोग छल-प्रपंच से दूर अत्यंत ही सरल स्वभाव के होते हैं. गाँ#३. शुद्र (जो अपने कर्म व सेवाभाव से इस लोक की दरिद्रता को दूर करे)- सेवा व कर्म से ही हमारे जीवन व दू#४. पशु (जो एक निश्चित पाश में रहकर हमारे लिए उपयोगी हो) - प्राचीन काल और आज भी हम अपने दैनिक जीवन मे#दही. घी विभिन्न प्रकार के मिष्ठान्न इत्यादि के लिए हम पशुओं पर ही निर्भर हैं. पशुओ के बिना हमारे#५. नारी ( जगत -जननी#आदि-शक्ति#मातृ-शक्ति )- नारी के बिना इस चराचर जगत की कल्पना ही मिथ्या है नारी का हमारे जीवन में माँ#बहन बेटी इत्यादि के रूप में बहुत बड़ा योगदान है. नारी के ममत्व से ही हम हम अपने जीवन को भली-भाँती स#काली#लक्ष्मीबाई बनकर हमारा कल्याण करती है. इसलिए सनातन संस्कृति में नारी को पुरुषों से अधिक महत्त्#सकल तारणा के अधिकारी से यह तात्पर्य है-#१. सकल= सबका#२. तारणा= उद्धार करना#३. अधिकारी = अधिकार रखना#उपरोक्त सभी से हमारे जीवन का उद्धार होता है इसलिए इसे उद्धार करने का अधिकारी कहा गया है.#writing
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