#सीखना
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manmohan888-blog · 1 year ago
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विद्यालय बने गतिविधि का आलय 01
विद्यालय बने गतिविधि का आलय स्वामी विवेकानन्द जी ने कहा है। ‘‘शिक्षा मनुष्य में अन्तर्निहित पूर्णता की अभिव्यक्ति है’’ “Education is the Manifestation of perfection already in the Men”जब इसे सत्य मानते है तो फिर दो तीन प्रश्न स्वाभाविक रूप से खड़े होते है।पहला तो यह कि बालकों में वह क्या क्या है जो उनमें अंतर्निहित है?उनमें जो अंतर्निहित है उसे कैसे जानें?बालक की अंतर्निहित शक्तियों को कैसे…
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vlogrush · 5 months ago
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सेल्फ डिसिप्लिन खुद में लाना है, हमेशा याद रखें ये 10 बातें
आत्म-अनुशासन (Self Decipline) की शक्ति अपनाएं! छोटी आदतों से बड़े सपने साकार करें। यहां मिलेंगे रोज़मर्रा के 10 आसान नुस्खे जो आपकी ज़िंदगी बदल देंगे। क्या आप तैयार हैं अपने भीतर के नायक को जगाने के लिए।हम सभी जानते हैं कि जीवन में सफलता पाने के लिए आत्म-अनुशासन बहुत जरूरी है। लेकिन इसे अपनाना आसान नहीं होता। मैंने खुद भी इस चुनौती का सामना किया है और धीरे-धीरे सीखा कि कैसे अपने जीवन में अनुशासन…
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mwsnewshindi · 2 years ago
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मेटावर्स से लेकर नैनो लर्निंग तक, रुझान जो 2023 में शिक्षा उद्योग को आगे बढ़ाएंगे
मेटावर्स से लेकर नैनो लर्निंग तक, रुझान जो 2023 में शिक्षा उद्योग को आगे बढ़ाएंगे
शिक्षा का शिक्षण-अधिगम मॉडल लगातार विकसित हो रहा है क्योंकि प्रौद्योगिकी के आगमन के बाद से गुरुकुलों ने पारंपरिक स्कूली शिक्षा के बाद समुद्री परिवर्तन का मार्ग प्रशस्त किया है, क्योंकि यह समय के साथ विकसित होता जा रहा है, जो एक सतत बदलते भविष्य की मांगों को पूरा करता है। जैसा कि आप देख सकते हैं कि रटकर सीखने की प्रणाली धीरे-धीरे अप्रचलित होती जा रही है क्योंकि दुनिया भर के स्कूल सिस्टम में नए…
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adhoori-kahani · 10 months ago
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भोर का वादा में करता हुं,
तुम्हे घनेरी रातों में जगना होगा,
जीत का वादा में करता हुं,
तुम्हे हार से न डरना होगा,
मंजिल का वादा में करता हु,
तुम्हे निरंतर चलना होगा,
रौशनी का वादा में करता हुं,
निज हाथों में हंसते-हंसते,
आग लगाकर जलना होगा,
कौरवों की भीड़ देख,
पार्थ भी घबराया था,
सारथी बनने का वादा में करता हुं,
संयम तुम्हे भी रखना होगा,
आगे बढ़ना चाहते हो तो,
गलती स्वीकार कर,
अहंकार को त्याग कर,
दुश्मन से भी सीखना होगा,
अगर खुशियां चाहते हो तो,
कदम मिलाकर चलना होगा,
अगर सम्मान स्वयं का चाहते हो तो,
मर्यादा में रहना होगा,
अगर आराम से जीवन जीना चाहते हो तो,
पीड़ाओं में पलना होगा,
अगर नाम अमर अपना चाहते हो तो,
पल पल में मरना होगा।
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helputrust · 7 months ago
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सभी स्कूलों और कॉलेजों में बेसिक लाइफ सपोर्ट प्रशिक्षण दिया जाना चाहिए-श्री नीरज सिंह
आपातकाल की स्थिति में बेसिक लाइफ सपोर्ट दूसरों की जान बचाने में मददगार है-डॉ. पियाली भट्टाचार्य
हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट स्वस्थ लोग, स्वस्थ समाज पर काम कर रहा है-हर्ष वर्धन अग्रवाल
हम अपने स्वास्थ्य की रक्षा के लिए स्वयं जिम्मेदार हैं-डॉ रूपल अग्रवाल
लखनऊ, 07.04.2024 | विश्व स्वास्थ्य दिवस 2024 के अवसर पर हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट द्वारा रामायण पार्क, सेक्टर -25, इंदिरा नगर, लखनऊ में "बेसिक लाइफ सपोर्ट" कार्��शाला का आयोजन किया गया । कार्यशाला में डॉ. पियाली भट्टाचार्य, सलाहकार, Lucknow Academy of Pediatrics एवं बाल रोग विशेषज्ञ, एस.जी.पी.जी.आई, Lucknow Academy of Pediatrics से  डॉ निर्मला जोशी, अध्यक्ष, डॉ अमित कुमार रस्तोगी, उपाध्यक्ष तथा डॉ उत्कर्ष बंसल, सचिव ने सेक्टर 25 के निवासियों को हार्ट अटैक आने पर मरीज को दिये जाने वाले प्रारंभिक उपचार का प्रशिक्षण दिया । कार्यशाला में मुख्य अतिथि के रूप में वरिष्ठ समाजसेवी, श्री नीरज सिंह की गरिमामयी उपस्थिति रही l कार्यशाला का शुभारंभ राष्ट्रगान तथा दीप प्रज्वलन से हुआ |
कार्यशाला में सभी का स्वागत करते हुए हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट की न्यासी डॉ रूपल अग्रवाल ने कहा कि “आप सभी को विश्व स्वास्थ्य दिवस 2024 की बहुत-बहुत शुभकामनाएं | विश्व स्वास्थ्य दिवस प्रतिवर्ष अंतरराष्ट्रीय स्वास्थ्य संगठन (WHO) की स्थापना के दिन मनाया जाता है | इस दिन लोगों को सेहत से जुड़ी समस्याओं एवं अधिकारों के बारे में जागरूक किया जाता है | इस वर्ष विश्व स्वास्थ्य दिवस की थीम है "मेरा स्वास्थ्य, मेरा अधिकार (My Health, My Right)” जिसके तहत आज हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट द्वारा बेसिक लाइफ सपोर्ट कार्यशाला का आयोजन किया जा रहा है | हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट लोगों को नई चिकित्सा तकनीकों के बारे में जागरूक करने और उन्हें बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं प्रदान करने की दिशा में काम कर रहा है । ट्रस्ट द्वारा जनहित में निरंतर नि:शुल्क होम्योपैथी परामर्श, निदान एवं दवा वितरण शिविर, रक्तदान शिविर, मुफ्त स्वास्थ्य जांच शिविर, कैंसर और स्वाइन फ्लू के लिए जागरूकता शिविर और मुफ्त नेत्र जांच शिविर का आयोजन किया जा रहा है जिसमें समाज के निर्धन, गरीब और असहाय लोगों की निरंतर मदद की जा रही है |”
कार्यशाला के मुख्य अतिथि श्री नीरज सिंह, वरिष्ठ समाजसेवी ने हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट द्वारा किए जा रहे जनहित के कार्यों की सराहना करते हुए कहा कि, "आप सभी को विश्व स्वास्थ्य दिवस की बहुत-बहुत शुभकामनाएं | हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट निरंतर ही जन सेवा के कार्यों में लगा हुआ है | मैं हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट के प्रबंध न्यासी श्री हर्षवर्धन अग्रवाल की प्रशंसा करता हूं जो सरकार द्वारा दिए गए अधिकारों का सदुपयोग करते हुए निरंतर जनहित में कार्य कर रहे हैं | बेसिक लाइफ सपोर्ट एक ऐसी ट्रेनिंग है जो हार्ट अटैक की स्थिति में अस्पताल पहुंचने तक किसी की भी जान बचा सकती है | मेरा मा��ना है कि बेसिक लाइफ सपोर्ट प्रशिक्षण को हर किसी को सीखना चाहिए और हर स्कूल और कॉलेज में ऐसी कार्यशालाएं आयोजित की जानी चाहिए, खासकर युवाओं को प्रशिक्षित किया जाना चाहिए | इस अवसर पर श्री नीरज सिंह ने स्वयं भी प्रशिक्षण प्राप्त किया |”
डॉ पियाली भट्टाचार्य, डॉ अमित कुमार रस्तोगी एवं डॉ उत्कर्ष बंसल ने कार्यशाला में उपस्थित सभी लोगों को बेसिक लाइफ सपोर्ट के बारे में बताते हुए कहा कि "बेसिक लाइफ सपोर्ट (बी.एल.एस.) चिकित्सकीय देखभाल की ट्रेनिंग है जिसका उपयोग जीवन-घातक बीमारियों जैसे हार्ट अटैक, ब्रेन स्ट्रोक या चोटों के पीड़ितों के लिए तब तक किया जाता है जब तक कि वह अस्पताल में संपूर्ण चिकित्सकीय देखभाल के लिए ना पहुंच जाये । बेसिक लाइफ सपोर्ट प्रशिक्षण का उद्देश्य आम लोगों को दिल का दौरा पड़ने या दम घुटने जैसी आपात स्थिति में प्राथमिक उपचार देने की सही तकनीक के बारे में जागरूक करना है । यह जीवन बचाने और हृदय, गुर्दे और मस्तिष्क जैसे महत्वपूर्ण अंगों को और अधिक नुकसान से बचाने के लिए महत्वपूर्ण है। हार्ट अटैक के कारण मृत्यु दर दिन-ब-दिन बढ़ती जा रही है | इस आधुनिक दुनिया में लोग अपने जीवन में कुछ बड़ा हासिल करने के कारण चिंता, अवसाद, नींद की कमी, अस्वास्थ्यकर भोजन के कारण मोटापे से पीड़ित हो गए हैं, जिससे दिल का दौरा पड़ने के मामले बढ़ रहे हैं | ऐसी स्थिति में बेसिक लाइफ सपोर्ट की ट्रेनिंग होना अत्यंत आवश्यक है जिससे हम किसी को जरूरत पड़ने पर मदद कर सकें |” प्रशिक्षकों द्वारा नवजात शिशु से लेकर बड़े बच्चों की सांस की नली में कुछ फस जाने, उनके गले में कुछ अटक जाने की स्थिति में कैसे उनकी जान बचाई जा सकती है, यह भी प्रशिक्षण के माध्यम से बताया |
हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट के प्रबंध न्यासी श्री हर्षवर्धन अग्रवाल ने कार्यशाला में उपस्थित सभी लोगों का धन्यवाद देते हुए कहा कि, “हम मुख्य अतिथि श्री नीरज सिंह का अत्यधिक आभार प्रकट करते है कि वह अपने व्यस्त कार्यक्रम में से जनहित के लिए समय निकालकर यहां आए तथा हम सबका मार्गदर्शन किया, साथ ही  इस कार्यशाला के कुशल प्रशिक्षकों एवं प्रतिष्ठित चिकित्सकों का भी धन्यवाद है जिनके सहयोग से यह कार्यशाला सफलतापूर्वक संपन्न हो सकी | हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट का आदर्श वाक्य है स्वस्थ लोग, स्वस्थ समाज एवं ट्रस्ट निरंतर इसी दिशा में कार्य कर रहा है |”
कार्यशाला में मुख्य अतिथि श्री नीरज सिंह, प्रशिक्षकों डॉ निर्मला जोशी, डॉ पियाली भट्टाचार्य, डॉ अमित कुमार रस्तोगी एवं डॉ उत्कर्ष बंसल को हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट के प्रबंध न्यासी श्री हर्षवर्धन अग्रवाल, न्यासी डॉ रूपल अग्रवाल, ट्रस्ट की आंतरिक सलाहकार समिति के सदस्य डॉ संतोष कुमार श्रीवास्तव द्वारा प्रतीक चिन्ह से सम्मानित किया गया | कार्यशाला की समाप्ति पर सभी प्रतिभागियों को प्रतिभागिता प्रमाण पत्र प्रदान किया गया | कार्यशाला में हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट की आंतरिक सलाहकार समिति के सदस्य डॉक्टर संतोष कुमार श्रीवास्तव, क्षेत्रीय पार्षद श्री भृगुनाथ शुक्ला, सेक्टर 25 के निवासियों तथा ट्रस्ट के स्वयंसेवकों की गरिमामयी उपस्थिति रही |
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swayamsesatyatak · 4 days ago
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पूर्ण आत्मज्ञान कब प्राप्त होता है?
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अचिंत्य - हम में से बहुत सारे लोगों के मन में आत्मज्ञान के संबंध में कई तरह के भ्रम हैं, कई तरह की गलत धारणाएं हमने बना ली हैं। जैसे बहुत सारे लोगों को लगता है कि आत्मज्ञान में आपको किसी दिन किसी दिव्य ज्योति के दर्शन होते है, किसी परमात्मा के दर्शन होते है और फिर जैसे आपका चेहरा चमकने लगता है जैसे कोई ओरा आपको घेर लेता है। आत्मज्ञान को लेकर यह भ्रम है लोगों का।
इसी के साथ बहुत सारे लोगों को आत्मज्ञान के संबंध में ऐसा भी भ्रम रहता है कि आत्मज्ञान मिलने पर हमको कोई दिव्य ज्ञान, बहुत सारा ज्ञान एकदम से प्राप्त हो जाता है और फिर बुद्ध की तरह हमसे ज्ञान बरसने लगता है तो आत्मज्ञान मतलब कोई अदभुत ज्ञान हमें मिल जायेगा फिर हम वो बांटेंगे और वो परेशान हो जाते हैं उनको ऐसा कोई ज्ञान नहीं मिलता है तो कि इतने दिन से साधना कर रहे है लेकिन अभी तक मिला क्यो नहीं।
इसी के साथ बहुत सारे लोगों के मन में ये भी धारणा होती है आत्मज्ञान के संबंध में कि आत्मज्ञान किसी तरह की कोई उपलब्धि है, कोई अ��ीवमेंट है जो कि���ी दिन जाकर समाप्त हो जाती है। माने एक दिन ऐसा आता है जब हमें आत्मज्ञान हो जाता हैं और फिर हो गया काम पूरा और ये बाते उन लोगों के मन में आती है जो आत्मज्ञान के नाम पर बहुत सारी विधियां या कुछ करते हैं तो उनको लगता है कि अच्छा इतने दिन तक करना पड़ेगी और जब मिल जायेगा फिर इनसे छुटकारा मिलेगा तो विधियां अपनाते है विधियां ही उनके लिए बोझ जाती है बंधन बन जाती है फिर परेशान होते रहते हैं कब होगा, कब होगा ताकि इस मुक्ति मिले।
तो क्या यही आत्मज्ञान है ? नहीं। आत्मज्ञान वो नहीं है जो आप सोच रहे है। जो इस तरह की कल्पना की जा रही है। इन सब से आत्मज्ञान का कोई संबंध नहीं है।
सबसे पहले तो आत्मज्ञान किसी तरह की कोई उपलब्धि, कोई अचीवमेंट नहीं है। आत्मज्ञान कोई ऐसी चीज नहीं है जो किसी दिन किसी स्थिति में पहुंच कर प्राप्त होगी और आत्मज्ञान का कभी कोई अंत नहीं होता है। किसी तरह का निष्कर्ष निकाल लेना आत्मज्ञान नहीं है क्योंकि जो मन कुछ निष्कर्ष निकाल कर वहीं पर रुक जाता है। जो मन सीखना, जानना बंद कर देता है वह मन तो मुर्दा है। तो ना तो आत्मज्ञान कोई उपलब्धि है, ना ही ये कभी खत्म होता है और ना ही इस में किसी निष्कर्ष पर रुक जाना होता है बल्कि आत्मज्ञान तो स्वयं को जानते रहने की एक सतत प्रक्रिया है। क्यो? क्योंकि आप अपने आप को स्वयं को जो जानते है, जो मानते है। जिसे आप कहते है ये “मैं” वो लगातार बदल रहा है और बाहर पूरा अस्तित्व जो है वह भी बदल रहा है तो अस्तित्व में कुछ भी स्थायी नहीं है हर क्षण सतत स्वयं को जानते रहना होता है क्योंकि अस्तित्व में हर क्षण आपके लिए नया है। प्रत्येक अनुभव आपके लिए नया है और जितना अधिक आप स्वयं को जानते जाते है उतनी अधिक स्पष्टता आपको आती जाती है जैसे जैसे आप जानते जाते है स्पष्टता आती जाती है तो आत्मज्ञान कोई उपलब्धि नहीं, उसका कोई अंत नहीं बल्कि आत्मज्ञान हर क्षण स्वयं के प्रति सजग रहने की, अवेयर रहने की एक सतत प्रक्रिया है जो जीवन पर्यन्त चलती रहती है। सीखते रहने की सतत जानते रहने की प्रक्रिया को ही तो ध्यान कहते है। यह सजगता ही तो वो ध्यान है। स्वयं के प्रति सजग रहने का मतलब अपने कर्मों के प्रति सजग रहना, अपने वचनों के प्रति सजग रहना, अपने चुनावों के प्रति सजग रहना क्या चुन रहे हो, किसे चुन रहे हो, क्यों चुन रहे हो उनके प्रति सजग रहना। अपने विचारों के प्रति सजग रहना क्या विचार है, कहा से आ रहे है, क्यों उठ रहे है। अपनी वृत्तियों के प्रति सजग रहना। इन सबके प्रति सजग रहना ध्यान का ही हिस्सा है इससे अलग ध्यान और कुछ नहीं होता है। और ये जो सजगता होती है अवेयरनेस, अवलोकन होता है कर्मों के प्रति, चुनावों के प्रति, विचारों के प्रति, वृत्तियों के प्रति, अहंकार के प्रति इसी के माध्यम से स्वयं को लगातार जानते है और हमने कहां की जितना अधिक आप स्वयं को जानते जायेंगे उतनी अधिक स्पष्टता बढ़ती जाएगी।
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mmatigers2023 · 4 months ago
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Best MMA training in Delhi NCR | Message from the founder mmatigers Fight Club is India's largest Martial Arts gym chain with over branches spread across the nation. We teach a wide variety of disciplines such as MMA, Boxing, Muay Thai, Kickboxing, , BJJ & More. mma training in delhi near me mma classes near me with fees mma training in delhi near me Offers on Best Mma and Kickboxing Classes in Delhi Mma classes near me with fees for adults Offers on Best Mma and Kickboxing Classes in Delhi.आप कुश्ती, मुक्केबाजी और मार्शल आर्ट के बारे में जितना संभव हो उतना सीखना चाहेंगे।
ब्लैक बेल्ट शॉटोकन कराटे, एमएमए सीखनालेखक के पास उत्तर और हैं मई संबंधित क्या आत्मरक्षा के लिए मार्शल आर्ट के विभिन्न रूपों को सीखना लाभदायक है, या किसी एक शैली (जैसे मुक्केबाजी या कराटे) पर ध्यान केन्द्रित करना बेहतर है? यदि रुचि आत्मरक्षा में है तो संभवतः एक शैली पर ध्यान केन्द्रित न करना बेहतर होगा।
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praphull-ki-diary · 6 months ago
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बहुत तेज़ हवा चल रही है। कई दिनों बाद मेरे चेहरे पर मुझे ठंड महसूस हो रही है। पिछले कुछ दिनों से बहुत गर्मी थी। शरीर एकदम झुलस चुका था गर्मी के मारे। न जाने कितने बोतल पानी के गटकने के बाद भी संतोष नहीं होता था। बारिश होना गर्मी में जन्नत के समान है। मगर बारिश भी नहीं हो रही। बस हवा है। ऐसी गर्मी में सफर करना मुश्किल है। मगर ज़िंदगी सर्दी गर्मी के लिए कहाँ रुकती। एग्जाम्स तो और नहीं रुकते। अब सोचता हूँ बेकार इतने फॉर्म्स भर दिए। ख़ैर।
रात को सर दर्द करता रहता है। शायद अधिक सोचने के कारण। बीमार रहना मुझे एकदम पसंद नहीं। मगर बीमारी टालना अपने हाथ में नहीं। कुछ भी अपने हाथ में नहीं। जीवन ऐसा ही है। कभी कभी विज्ञान से भरोसा उठने लगता है और उन बातों पर यकीन होने लगता है जिसे मैं हंसकर टाल दिया करता था। लोग कहते है व्रत करने से भगवान हम सबका ख्याल रखते है। मगर माँ को भूखे देखना एकदम अच्छा नहीं लगता। मेरे लिए तो व्रत करने के भी कोई फायदे नहीं।
छत पर हवा सुंदर है। आसमान में तारे बहुत कम है। न जाने कहाँ छिप गए है सब। सिर घुमाने पर चाँद दिखा। रात बहुत शांत होती है। काश दिन भी ऐसा होता। दिन बहुत शोर भरा होता है। शोर मुझे नहीं पसंद। शांति मेरी सबसे प्रिय चीज़ है। और रात में शांति है। रात ने कभी मुझे नहीं रोका सच होने से। सच—जैसा मैं हूँ। दिन मुझे नकाब में रखता है। हँ��ना सीखना पड़ता है दिन में जीने के लिए। और कुछ सीखने में बहुत मेहनत है। जब खुद को बदलने की बात हो तब मैं आलसी हूँ। बचपन में रात से डर लगता था। क्योंकि दिन में कोई फ़िक्र नहीं थी नक़ाब लगा कर घूमने की। मगर अब दिन और रात के मायने बदल चुके है।
एक दिन जीवन सही होगा मगर सही करने में जीवन लगेगा। न जाने ये कितना सही होगा। ज़िंदगी लगाना ज़िंदगी के लिए। ख़ैर सब लगाते है मैं कोई पहला नहीं। जीवन को जीने के बहुत तरीके हो सकते थे मगर हम इंसानों ने एक अजीब सा तरीका चुना है। और बदलाव लाना मेरे बस की बात नहीं।।।
—praphull
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pinky-nayak-134 · 9 months ago
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#संत_रामपालजी_के_उद्देश्य
संत रामपाल महाराज जी के मुख्य उद्देश्य
1. बहन बेटियों के प्रति सम्मान जागृत करना
2. विश्व में सत्य आध्यात्मिक क्रांति लाना
3.लोगों में मृदुलता समरसता की भावना भरना 4समाज में समानता स्थापित करना विश्व को नेक नीति स�� रहना सीखना
6Days Left From Both Diwas
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jayshrisitaram108 · 2 years ago
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🙏 ये 15 मंत्र जो....हर हिंदू को सीखना और बच्चों को सिखाना चाहिए,
1. Mahadev
ॐ त्र्यम्बकं यजामहे,
सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम् ,
उर्वारुकमिव बन्धनान्,
मृत्योर्मुक्षीय मामृतात् !!
2. Shri Ganesha
वक्रतुंड महाकाय,
सूर्य कोटि समप्रभ
निर्विघ्नम कुरू मे देव,
सर्वकार्येषु सर्वदा !!
3. Shri hari Vishnu
मङ्गलम् भगवान विष्णुः,
मङ्गलम् गरुणध्वजः।
मङ्गलम् पुण्डरी काक्षः,
मङ्गलाय तनो हरिः॥
4. Shri Brahma ji
ॐ नमस्ते परमं ब्रह्मा,
नमस्ते परमात्ने ।
निर्गुणाय नमस्तुभ्यं,
सदुयाय नमो नम:।।
5. Shri Krishna
वसुदेवसुतं देवं,
कंसचाणूरमर्दनम्।
देवकी परमानन्दं,
कृष्णं वन्दे जगद्गुरुम।
6. Shri Ram
श्री रामाय रामभद्राय,
रामचन्द्राय वेधसे ।
रघुनाथाय नाथाय,
सीताया पतये नमः !
7. Maa Durga
ॐ जयंती मंगला काली,
भद्रकाली कपालिनी ।
दुर्गा क्षमा शिवा धात्री,
स्वाहा स्वधा नमोऽस्तु‍ते।।
8. Maa Mahalakshmi
ॐ सर्वाबाधा विनिर्मुक्तो,
धन धान्यः सुतान्वितः ।
मनुष्यो मत्प्रसादेन,
भविष्यति न संशयःॐ ।
9. Maa Saraswathi
ॐ सरस्वति नमस्तुभ्यं,
वरदे कामरूपिणि।
विद्यारम्भं करिष्यामि,
सिद्धिर्भवतु मे सदा ।।
10. Maa Mahakali
ॐ क्र���ं क्रीं क्रीं,
हलीं ह्रीं खं स्फोटय,
क्रीं क्रीं क्रीं फट !!
11. Hanuman ji
मनोजवं मारुततुल्यवेगं,
जितेन्द्रियं बुद्धिमतां वरिष्ठं।
वातात्मजं वानरयूथमुख्यं,
श्रीरामदूतं शरणं प्रपद्ये॥
12. Shri Shanidev
ॐ नीलांजनसमाभासं,
रविपुत्रं यमाग्रजम ।
छायामार्तण्डसम्भूतं,
तं नमामि शनैश्चरम् ||
13. Shri Kartikeya
ॐ शारवाना-भावाया नम:,
ज्ञानशक्तिधरा स्कंदा ,
वल्लीईकल्याणा सुंदरा।
देवसेना मन: कांता,
कार्तिकेया नामोस्तुते ।
14. Kaal Bhairav ji
ॐ ह्रीं वां बटुकाये,
क्षौं क्षौं आपदुद्धाराणाये,
कुरु कुरु बटुकाये,
ह्रीं बटुकाये स्वाहा।
15. Gayatri Mantra
ॐ भूर्भुवः स्वः,
तत्सवितुर्वरेण्यम्
भर्गो देवस्य धीमहि
धियो यो नः प्रचोदयात् ॥
खुद भी सीखे और परिवार / बच्चों को भी सिखायें🙏
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highlevelstudy · 1 year ago
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play teaching method
खेल शिक्षण विधि क्या है?
जब बालक को खेल-खेल में शिक्षा प्रदान की जाती है उसे खेल शिक्षण विधि कहा जाता है l अथवा अध्यापक के द्वारा छात्रों को खेल के माध्यम से सिखाने की विधि को खेल विधि कहते हैंl
जब बालक किसी भी कार्य को अंत: अभिप्रेरित हो कर स्वाभाविक वातावरण में बिना किसी तनाव के संपूर्ण करता है तो उसे खेल विधि द्वारा सीखना कहते है।
खेल विधि का भाव मुसीबत तथा आंसुओं के बिना शिक्षा है। जिस प्रकार मछली का संबंध जल के साथ है, ठीक उसी प्रकार खेल का संबंध बालक से होता है। खेल बालक के लिए एक अनिवार्य क्रिया होती है।
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divyavisharad · 2 years ago
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लीडरशिप
जो अर्जुन के संशय का समाधान करें वहीं कृष्ण है । हम किसी न किसी के लिए कृष्ण हैं और कोई हमारा कृष्ण है । मतलब हम किसी को राह दिखा रहें है और कोई हमे राह दिखा रहा है । जितने भी महान लोग है वो सभी अच्छे लीडर भी हैं। एक अच्छा नेतृव समाज का उत्थान ही करता है । चलिए लीडरशिप के महत्व को समझते हैं । आज कल AI का चलन बढ़ गया हैं । लोगो को लगता है AI सारे jobs को सीमित कर देगा । एक नई दुनिया जहां मशीनें वो सभी काम करेंगी जो पहले केवल इन्सान ही कर सकता था । अब लोगो को एक फुल प्रूफ करियर ऑप्शन चाहिए जो सही भी है । चलिए मैं आपको बताता हूं जैसे घोड़ागाड़ी की जगह मोटरगाड़ी ने ले लिया वैसे जाहिर सी बात है AI अभी वर्तमान जॉब को सीमित करेगा और कुछ नए जॉब उत्पन्न करेगा । पर एक क्षेत्र है जहां कोई टेक्नोलॉजी का उपयोग बहुत कम है और वह है लीडरशिप । मनुष्य का लीडर कभी AI या टेक्नोलॉजी तो नहीं हो सकता। मनुष्य का लीडर मनुष्य ही होगा हमेशा यह अखण्ड सत्य है । AI का अर्थ आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस होता है लेकिन अब आप समझ गए होंगे की ज्यादा इंटेलिजेंस मनुष्य के पास है तो अब से इस आर्टिकल के लिए AI ��मारे लिए ऑल्टरनेटिव इंटेलिजेंस है । एक अच्छा लीडर उसके अंदर के व्यतित्व से बनता है ना की ऑल्टरनेटिव इंटेलिजेंस से । Human resource management आज के समय एक कला है और इसके लिए एक विशेष वर्ग के लोग काम कर रहें हैं जिन्हें हम HR कहते है क्या सच में यह इतना जटिल काम जिसके लिए हमे निपुण लोगों को काम पर रखना पड़ता है । लीडरशिप केवल विशेष लोगो की जागीर नहीं है इसको सब को सीखना चाहिए क्यों की " हम किसी न किसी के लिए कृष्ण हैं और कोई हमारा कृष्ण है " , लीडरशिप एक कला है समय के साथ इंसान निपुण होता जाता है पर आज के दुनिया में धैर्य कहा उनको आत्मज्ञान को 30 सेकंड की वीडियो से प्राप्त करना है और लीडरशिप के गुण एक लेख से । इसलिए मुझे इस लेख पर ज्यादा ध्यान देना आवश्यक हो गया है । लेकिन फिर भी एक अच्छा लीडर एक दिन में नही बनता । समय के साथ बनता है और जन्म से कोई लीडर नही होता है । इसलिए कोई भी बन सकता है । मैं इकोनॉमिक्स का विद्यार्थी हूं और अभी तक इकोनॉमिक्स में ज्यादातर शॉर्टेजेस और डिमांड और सप्लाई के बारे में ही बात की जाती है जैसे oil , technology, money इत्यादि । पर मुझे लगता है केवल लीडरशिप के कमी के कारण सभी अधिकांश शॉर्टेज उत्पन्न होते है । कहने का अर्थ है एक अच्छा लीडर अर्थवस्था को स्थिर कर सकता है । एक अच्छा लीडर आजादी दिला सकता है जैसे बापू । अच्छे लीडर के उदाहरण समाज में कई है इसलिए सारे उदाहरण पे ध्यान देने का काम आप पर छोड़ता हूं । मेरे लिए अच्छा लीडर एक दूरदर्शी नागरिक है और देश के उत्थान की नींव है । मेरे बातों से यह ना समझें की लीडर मतलब केवल पॉलिटिकल लीडर । लीडर की जरूरत हर क्षेत्र में है जैसे पॉलिटिकल, एडमिनिस्ट्रेटिव, एजुकेशन , स्पोर्ट्स, लॉ एंड आर्डर इत्यादि | यहां पे मैं एक Palindrome से आपको बताना चाहता हूं " A Man a Plan a Canal Panama " इस लाइन की दो खासियत है 1. आगे और पीछे दोनो तरफ से पढ़ने पर यह एक ही जैसा साउंड करती है । 2. यह एक प्रेरक लाइन है जिसका मतलब है एक मैन था , उसके पास एक प्लान था , और वह प्लान एक canal का था । उसका नाम है आज पनामा है । मै अब आप से पूछता हूं वह एक मैन कौन है , एक लीडर । हां एक लीडर उसने दुनिया को पनामा दिया और आज इस नहर का दुनिया में कितना महत्व है मुझे बताने की आवश्यकता नहीं है यह जग जाहिर है । एक अच्छा लीडर मानवता के लिए वरदान है ।
चलिए देखते है लीडरशिप के गुण [ Attributes ]
1. पेशेव�� ज्ञान और क्षमता
एक अच्छा नेता बनने के लिए व्यक्ति को अपने क्षेत्र के बारे में ज्ञान ह���ना चाहिए। ज्ञान निरंतर अध्ययन और कड़ी मेहनत से आता है। जितना अधिक आप जानते हैं आप उतने अधिक सक्षम बनते हैं। ज्ञात तथ्यों के आधार पर सही निर्णय लेने के लिए ज्ञान आवश्यक है।
2. निर्णय लेने की क्षमता
एक अच्छे नेता में निर्णय लेने की क्षमता होती है और इससे भी महत्वपूर्ण बात यह है कि उसने जो निर्णय लिया है उसके लिए पूरी जिम्मेदारी स्वीकार करता है।
3. पूर्ण न्याय और निष्पक्षता
किसी भी व्यक्ति को पदावनत होना पसंद नहीं है और फिर भी यदि निष्पक्ष रूप से किया जाए तो वे इसे स्वीकार करते हैं। एक अच्छा नेता प्रत्येक अधीनस्थ के साथ उचित व्यवहार करता है। एक अच्छा नेता यह सुनिश्चित करता है कि वह न केवल सीखने और विकास के समान अवसर प्रदान करे बल्कि उसी गलती के लिए समान सजा भी प्रदान करे।
4. नैतिक और शारीरिक साहस
नैतिक साहस: यह सही और गलत के बीच अंतर करने की क्षमता है। एक अच्छा नेता दूसरों की परवाह किए बिना अपने विचारों और विश्वासों को सामने रखने में सक्षम होता है।
शारीरिक साहस: डरना और यह दिखाना कि आपको डर है, दो अलग-अलग चीजें हैं। एक अच्छा नेता दिखाता है कि वह सबसे कठिन परिस्थितियों का सामना करने के लिए काफी साहसी है क्योंकि वह जानता है कि वह जो कुछ भी करता है या जैसा व्यवहार करता है उसका उसके अधीनस्थों पर बहुत प्रभाव पड़ता है।
5. निष्ठा
शीर्षक से ही काफी समझ में आता है। यदि आप दूसरों से वफादारी की उम्मीद करते हैं तो आपको पहले उनके प्रति वफादार होना होगा।
6. मानव संसाधन प्रबंधन
अपने अधीनस्थों को संभालन��� सीखना एक ऐसी कौशल जो नेता होने के लिए सबसे अधिक आवश्यक है। एक नेता दृढ़ होना चाहिए लेकिन उसमें एक अच्छी sence of humor होनी चाहिए ताकि आप अपने लोगों को उनकी निराशा से बाहर निकाल सकें। आप कभी नहीं जानते कि दूसरे किस समस्या से जूझ रहे हैं, इसलिए एक अच्छा नेता हमारें साथी के भावनाओं को समझने में सक्षम होना चाहिए।
चाहे आप नेता हों या नेता बनने जा रहे हों या फिर यदि आप अनुयायी हों, दो सबसे मौलिक पहलू जो अधिकांश लोगों में कमी होती हैं और कोई भी नेतृत्व इसे ठीक नहीं कर सकता हैं वो हैं अनुशासन (समय पर आना महत्वपूर्ण है) और चरित्र (जानना कि आप कौन हो वास्तव में)।
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इनके अलावा भी कई गुण हैं लेकिन महत्वपूर्ण गुण यही हैं । एक लीडर को राह कौन दिखाएगा यह सवाल भी आता है उसका जवाब है आपकी अपनी अंतरात्मा जो पवित्र होती है उसको सुनिए साथ में यह 6 गुण को आत्मसात करिए आप अच्छे लीडर अवश्य बनेंगे । किस के लिए लीडर बने , मतलब कोई विशेष कारण। उसका जवाब है "Be the change you wish to see in the world. इस वाक्य को ध्यान में रखें । मुझे उम्मीद है आप अच्छे लीडर बनेंगे और अपना और अपनो के साथ समाज का उत्थान करेगें । जय हो ।
- @divyavisharad
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vlogrush · 5 months ago
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सेल्फ डिसिप्लिन खुद में लाना है, हमेशा याद रखें ये 10 बातें
आत्म-अनुशासन (Self Decipline) की शक्ति अपनाएं! छोटी आदतों से बड़े सपने साकार करें। यहां मिलेंगे रोज़मर्रा के 10 आसान नुस्खे जो आपकी ज़िंदगी बदल देंगे। क्या आप तैयार हैं अपने भीतर के नायक को जगाने के लिए।हम सभी जानते हैं कि जीवन में सफलता पाने के लिए आत्म-अनुशासन बहुत जरूरी है। लेकिन इसे अपनाना आसान नहीं होता। मैंने खुद भी इस चुनौती का सामना किया है और धीरे-धीरे सीखा कि कैसे अपने जीवन में अनुशासन…
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sirfdabba · 2 years ago
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वो पढ़ाना भूल जाते है, की बड़ा होना कितना मुश्किल होता है।
पानी बॉटल अपने आप नही भरती, चलना पड़ता है, उसे कूलर से भरना पड़ता है, शाम को मच्छर आते है, याद करके खिड़की को बंद करना पड़ता है।
चाहे सोमवार हो, रविवार हो, उठना पड़ता है, खाना टाइम पे लगता है, टाइम पे खाना पड़ता है।
की घर अब घर न रहा, ऊंची आवाज में घर को समझना पड़ता है, नया घर बना लिया है तुमने, कुछ झूठ बोल दिल को सहलाना पड़ता है।
"मेरे कमरे" के सुकून को भूलाना पड़ता है, नए कमरे को अपनाना पड़ता है, एक बड़ी जंग है - पर, देर लेकर ही सही, उसे भी सुकून बनाना पड़ता है।
खुद ही को लोरी गाना पड़ता है, गीली आंखों को सुलाना पड़ता है, सफेद कपड़ों को अलग से धोना पड़ता है, निचोड़ना पड़ता है, उन्हें सुखाना पड़ता है।
कपड़ो को समेटना पड़ता है, कुर्सी से बेड, बेड से कुर्सी और किसी दिन अलमारी में रखना पड़ता है, मां पापा नही आते उठाने, चाहे दस अलार्म बंद कर दो, पर आखिर में, खुद ही खुद को जगाना पड़ता है।
आंसू पीना एक कला है, आंसुओ को पीना पड़ता है, किसी रात चिल्लाकर रोने का मन करे भी तो, बगल वाली बेड पे सोए इंसान की नींद का खयाल करना पड़ता है, तकिए का सहारा लेना पड़ता है, बिना आवाज किए आंसुओ को बहाना पड़ता है।
तुम आंसू पीने के लिए रुक नही सकते, यहां दौड़ना पड़ता है, दौड़ते रहना पड़ता है, कब चलना है, कब रुकना है, कब रेंगना है, कब सोना है, सब कुछ फीर से सीखना पड़ता है।
बेडशीट को भी धोना पड़ता है, मोजों को ठीक से रखना पड़ता है, अलमारी पे, दरवाजे पे, आलस पे, जज्बातों पे, ताला लगाना पड़ता है, चाबी को संभालना पड़ता है।
मोबाइल चार्ज रखना पड़ता है, तस्वीरों से मन भरना पड़ता है, घरपे बात करना पड़ता है, मनगढ़ी रटी दिनचर्या को सुनना पड़ता है, मुस्कुराना पड़ता है, मुस्कुराना सीखना पड़ता है।
लोग बहुत है आस पास, उन्ही लोगो में एक तुम भी हो, ढूंढना पड़ता है, टटोलना पड़ता है, उस भीड़ में खुद ही खुदको खोजना पड़ता है।
शायद सिलेबस कंप्लीट कर नही पाते है, वो पढाना भूल जाते है, की बड़ा होना कितना मुश्किल होता है।
~संस्कृति
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ruchimathur · 2 years ago
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Website : https://divinebite.co.in/
Website : https://divinebite.co.in/ MERI KAHANI, MERI ZUBANI : EP 1 मेरा जन्म इलाहबाद में हुआ । मेरे पिताजी नैनी T.S.L में कार्य करते थे ।  नैनी Glass Factory में मेरे बाबा स्वर्गीय श्री कृष्ण बिहारी माथुर काम करते थे । वहीं पर स्टाफ़ क्वॉर्टर में हमारा घर था, वहाँ एक  एक बगिया  हुआ करती  थी बड़ी धुंधली यादे हैं वहाँ के आम के बाग की । ज़मीन तक लटकते हुए आम ऐसे की लेट कर मुँह में आ जाएँ । मेरी उम्र शायद २.५ या ३ साल की रही होगी, सबसे पहली यादें हैं यह मेरी पेड़ में लगे हुई आम की । बाबा जी मुझे cycle पर बैठा कर स्कूल ले जाते थे इस वक��्त एक ही convent school था नैनि में Bethany convent school. सुबह सुबह रोज़ वहाँ के church में जाना और Father Francis की मज़ेदार बातें  सुन ना हमारा रोज़ का नियम था ।
समय बीतता गया कुछ सालों में नैनी के गुरु नानक नगर कॉलोनी में हमारा अपना घर बन गया । एक छोटी सी बगिया भी लगाई गई…और बहुत सारे फलों के पेड़ भी लगाए गए … मुझे याद नही सेब के अलावा हमने कभी कोई फल ख़रीद कर खाया हो ।
मेरी माँ बहुत ही स्वादिष्ट खाना बनातीं हैं । मेंने हमेशा उन्हें हम लोगों के लिए तरह तरह के स्वादिष्ट व्यंजन बनाते देखा । मेरे पापा ख़ानदान में सबसे बड़े थे तो रिश्तेदारों का आना जाना हमेशा से बहुत अधिक था । माँ के हाथ के बने अचार विशेष रूप से सभी को बहुत पसंद आते थे । खाते तो थे ही बांध कर भी ले जाते थे । धीरे धीरे उन्ही के हाथों का स्वाद मेरे बनाए खाने में भी आने लगा । घर के कामों में मदद करने  के साथ साथ अनाज, मसालों को सहेजना, अचार बनाना कब सीख लिया पता ही नही चला … पता नहीं माँ के हाथों में क्या जादू था कि कुछ भी दे दो स्वाद  hiबने गा ।
गर्मी की छुट्टियों में नानी जी  के घर जाते तो सभी मामा मौसी के बच्चे होते थे और हम सब भाई बहनों  का प्रिय नाश्ता आम का अचार और पराठा था । दुपहर में जब मेरी नानी सो जाती तब बरनी में से चुरा कर आम की फाँक खाने में जो स्वाद आता था आहाऽऽऽ !!! जैसे सब कुछ मिल गया हो । आज कल के पिज़्ज़ा बर्गर में भी वह स्वाद कहाँ…
अब  तो वो खेल मस्ती और ननिहाल का आँगन, आँगन  में ढेर सारी गौरयों का स्थायी घर , रोज़ उनका चहकना बस यादों में ही रह गया है ।
हाँ ! साथ बचा है तो उन हाथों का स्वाद जो कब धीरे से सरक के मेरे पास आ गया पता ही नही चला । सच है खाना बनाना सीखना कोई  kuch दिन ka crash course  नहीं। खाना बनाना आपसे बहुत सारा dedication माँगता है । अपनों के लिए प्यार और समर्पण का भाव माँगता है । किसी recipe से नही बनता । प्यार से फिर भी बन जाए । आज के लिए बस इतना ही । शेष फिर । To read more such stories visit : https://divinebite.co.in/
Ruchi Mathur  Founder: Divine Bite pickles and food Website : https://divinebite.co.in/ #organic#freefrompreservatives#food#pickle#mangopickle#mustardoil
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helputrust · 1 year ago
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छात्राओं को किसी भी अनजान खतरे से निपटने के लिए आत्मरक्षा कला को सीखना जरूरी है : डॉ० रूपल अग्रवाल
उत्पीड़न की घटनाओं को तभी रोका जा सकता है जब महिलाएं खुद आत्मरक्षा की तकनीक सीख लें  : डॉ० रूपल अग्रवाल
21.08.2023, लखनऊ | गो कैंपेन (अमेरिकी संस्था) के सहयोग से हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट तथा रेड ब्रिगेड, लखनऊ के संयुक्त तत्वावधान में, जनता गर्ल्स इंटर कॉलेज, आलमबाग लखनऊ में निःशस्त्र आत्मरक्षा कला प्रशिक्षण कार्यशाला (Self Defence Training Workshop) का संचालन किया गया l कार्यशाला में प्रशिक्षित व कुशल प्रशिक्षकों द्वारा 350 छात्राओं को आत्म रक्षा के गुर सिखाये गए I  निःशस्त्र आत्मरक्षा कला प्रशिक्षण कार्यशाला (Self Defence Training Workshop) का शुभारम्भ राष्ट्रगान से हुआ तथा हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट की न्यासी डॉ० रूपल अग्रवाल, प्रधानाध्यापिका श्रीमती हेमलता व श्रीमती भावना वर्मा ने दीप प्रज्ज्वलन किया l 
इस अवसर पर हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट की न्यासी डॉ० रूपल अग्रवाल ने कहा कि, आज  के समय में आत्मरक्षा विशेष रूप से लड़कियों / महिलाओं के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है । छात्राओं को किसी भी अनजान खतरे से निपटने के लिए आत्मरक्षा कला को सीखना जरूरी है। छात्राओं को असामाजिक तत्वों द्वारा शारीरिक हमले के लिए तैयार करने, आत्मविश्वास बढ़ाने, मनोबल, आत्म-नियंत्रण और शारीरिक सहनशक्ति को बढ़ावा देना बहुत ही आवश्यक है । लड़कियों / महिलाओं के खिलाफ उत्पीड़न की घटनाओं को तभी रोका जा सकता है जब महिलाएं खुद आत्मरक्षा की तकनीक सीख लें ।
प्रधानाध्यापिका श्रीमती हेमलता ने कहा कि, आज के समय में महिलाओं के प्रति बढ़ती हुई हिंसा व अत्याचार रोकने के लिए महिलाओं को स्वयं अपनी शक्ति पहचाननी होगी। सभी छात्राएं साहसी, निडर और मजबूत बन सकती हैं । आगे उन्होंने कहा कि किसी भी चुनौती का सामना करने के लिए शारीरिक सौष्ठव जरूरी है इसलिए  सभी को  आत्मरक्षा कला का रोज अभ्यास करना चाहिए ।
निःशस्त्र आत्मरक्षा कला प्रशिक्षण कार्यशाला के दौरान छात्राओं को बिना हथियार शरीर के नाजुक अंगों पर प्रहार व खुद पर हो रहे अत्याचार से बचाव के तरीके सिखाए गए । सभी प्रतिभागियों को प्रतिभागिता प्रमाण पत्र से सम्मानित किया गया ।  
कार्यशाला में हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट की न्यासी डॉ रूपल अग्रवाल, रेड ब्रिगेड से लक्ष्मी विश्वकर्मा, जनता गर्ल्स इंटर कॉलेज की प्रधानाध्यापिका श्रीमती हेमलता, शिक्षिकाएं श्रीमती भावना वर्मा, श्रीमती माया देवी शाक्य, श्रीमती रेखा जायसवाल, श्रीमती रूचि सक्सेना, श्रीमती शाज़िआ नाहिद फातिमा, श्रीमती पुष्पलता, श्रीमती प्रमिला सरोज, श्रीमती कविता त्रिपाठी, श्रीमती मुक्ता बब्बर, श्रीमती कविता सिंह, श्रीमती मीनाक्षी गौर, श्रीमती शालिनी गौतम, श्रीमती चित्रलेखा, श्रीमती सपना वर्मा, श्रीमती वंदना मिश्रा, श्रीमती गार्गी सिंह, श्रीमती नीरजा पांडेय, श्रीमती अर्चना शर्मा तथा हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट के स्वयंसेवकों की गरिमामयी उपस्थिति रही |
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