#आत्म-अनुशासन
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सेल्फ डिसिप्लिन खुद में लाना है, हमेशा याद रखें ये 10 बातें
आत्म-अनुशासन (Self Decipline) की शक्ति अपनाएं! छोटी आदतों से बड़े सपने साकार करें। यहां मिलेंगे रोज़मर्रा के 10 आसान नुस्खे जो आपकी ज़िंदगी बदल देंगे। क्या आप तैयार हैं अपन��� भीतर के नायक को जगाने के लिए।हम सभी जानते हैं कि जीवन में सफलता पाने के लिए आत्म-अनुशासन बहुत जरूरी है। लेकिन इसे अपनाना आसान नहीं होता। मैंने खुद भी इस चुनौती का सामना किया है और धीरे-धीरे सीखा कि कैसे अपने जीवन में अनुशासन…
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Free tree speak काव्यस्यात्मा 1401.
साकार भी निराकार भी
देवों के देव आदिदेव महादेव
-© कामिनी मोहन पाण्डेय
शिव कल्याणकारी, आनंददायक, त्रिपुरारी, सभी के हृदय में वास करने वाले सत्य स्वरूप, सनातन साकार और निराकार है। एक कथा के अनुसार देवता और दानव द्वारा समुद्र मंथन के समय निकले हलाहल को जब शिव ने सृष्टि को बचाने के लिए ग्रहण किया तो हलचल सी मच गई। अपने कंठ में विष को धारण करने के कारण ही वह नीलकंठ कहलाए। विष के प्रभाव से उनके देह में अतिरिक्त ताप उत्पन्न हुआ।
उच्च ताप के प्रभाव को कम करने के लिए इंद्रदेव ने लगातार जोरदार वर्षा की। यह वर्षा ऋतु सावन महीने में उसी नियत समय से आज भी होती है। आज भी परम पावन महादेव शिव के हलाहल विष के ताप को कम करने की धारणा को महसूस करते हुए भक्त सावन के पवित्र माह में शिव को शीतलता प्रदान करने के लिए उनके निराकार स्वरूप को जल अर्पित कर शीतलता प्रदान कर पुण्य के भागी बनते हैं। सावन महीने का महत्व इसीलिए अत्यधिक बढ़ जाता है। बांस के बने शिव की उपस्थिति को धारण किए कांवड़ की परंपरा में एक में घट में ब्रह्म-जल दूसरे में विष्णु-जल लेकर भक्त जब आगे बढ़ते हैं, तो त्रिदेव का सुखद संयोग सबके समक्ष उपस्थित हो जाता है।
हलाहल विष के प्रभाव को कम करने के लिए ही शीतल चंद्रमा को उन्होंने अपने मस्तक पर धारण किया है। हमें यह समझना होगा कि शिव हमारे शरीरों की तरह शरी��� धारण करने वाले हैं भी और नहीं भी। वे सभी जीवों के देह में सूक्ष्म रुप से, आत्म स्वरूप में वास करते हैं। वे ही पूरी सृष्टि का प्रतिनिधित्व करते हैं। सब जगह सब तत्व उनमें ही समाहित दिखाई देते हैं। इसीलिए शिव देवों के देव महादेव हैं।
जीवन यात्रा सत्य स्वरूप तक पहुँचने की यात्रा है। जो हमें प्रेम, अनुशासन, सृष्टि को चलायमान रखने के लिए लोभ, मोह, क्रोध को छोड़कर वैराग्य धारण करते हुए ईश्वरी शक्ति से जुड़ने की प्रेरणा देता है। यह आत्मविश्वास को उत्पन्न करने में करोड़ों लोगों की मदद करने वाला है। कांवड़ यात्रा आत्मा से परमात्मा के योग करने की यात्रा है। यह यात्रा तभी पूर्ण होती है, जब हम शिव तत्व को अपने भीतर महसूस करते हुए उसकी प्रतिध्वनि को शिव के साथ ही ताल से ताल मिला कर महसूस करते हैं।
कांवड़ यात्री शिवालयों में जाकर जलाभिषेक करते हैं। ऐसी मान्यता है कि ऐसा करने वाले व्यक्ति को मोक्ष की परम आनंद की प्राप्ति होती है। जीवन के कष्ट दूर होते हैं।मनोकामनाओं की पूर्ति होती है। घर में धन धान्य की कभी कोई कमी नहीं रहती है।
महर्षि व्यास ने शिव को सबसे महान कहाँ है। उन्हें देवों के देव महादेव कहाँ है। क्योंकि जब कोई निस्वार्थ भाव से महादेव को याद करता है तो देवों के देव महादेव बिना देर किए वरदान देने को तत्पर हो जाते हैं। वे भक्ति से प्रसन्न होते हैं, कौन देवता है, कौन है असुर, वे भेदभाव नहीं करते हैं। सरलता और भोला भालापन उनका स्वरूप है, जो भी भोले भक्त हैं, वह भोले को ख़ूब भाते हैं। शिव, महादेव ही परमपिता परमात्मा कहलाते हैं।
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��नोविज्ञान के अनुसार, आत्म-अनुशासन में कैसे महारत हासिल करें और सफल बनें
क्या आपने कभी अपने आप को यह कहते हुए पाया है, “मैं इसे कल से शुरू करूँगा”? हम सब वहीं हैं, विलंब में फंसे हुए हैं। लेकिन यहाँ अच्छी खबर यह है: अनुशासन कोई ऐसी चीज़ नहीं है जिसके साथ आप पैदा हुए हैं; यह एक ऐसा कौशल है जिसे आप विकसित कर सकते हैं। यदि आप अधिक काम करना चाहते हैं, बेहतर खाना चाहते हैं, या अपने लक्ष्य हासिल करना चाहते हैं, तो अनुशासन का निर्माण आपको वहां पहुंचने में मदद कर सकता है।…
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शनि की साढ़े साती के क्या प्रभाव हैं?
यहां शनि की साढ़े साती के 5 प्रमुख प्रभाव हैं:
संघर्ष और मेहनत: साढ़े साती के दौरान व्यक्ति को जीवन में कड़ी मेहनत और संघर्ष का सामना करना पड़ता है। यह समय धैर्य और सहनशीलता का परीक्षण करता है।
आत्म-अवलोकन और आत्म-सुधार: यह चरण आत्म-विश्लेषण का होता है, जिसमें व्यक्ति अपने जीवन के कमज़ोर पहलुओं को समझता है और उन्हें सुधारने का प्रयास करता है।
व्यवस्थित जीवन: शनि जीवन में अनुशासन और जिम्मेदारियों का बोध कराता है। साढ़े साती के समय लोग अपने काम और जीवन में अधिक व्यवस्थित हो जाते हैं।
संबंधों में चुनौती: इस दौरान रिश्तों में टकराव या दूरियाँ आ सकती हैं, लेकिन यह भावनात्मक रूप से मजबूत बनने का मौका भी देता है।
आर्थिक दबाव: साढ़े साती में आर्थिक दबाव महसूस हो सकता है, लेकिन यह समय धन के प्रति सावधान और प्रबंधन सीखने का भी है, जो भविष्य में लाभकारी होता है।
और अगर आप अपनी कुंडली के अनुसार जानना चाहते हैं तो आप कुंडली चक्र प्रोफेशनल 2022 सॉफ्टवेयर ��ा उपयोग कर सकते हैं। जो आप���ो आपकी कुंडली के अनुसार बेहतर जानकारी दे सकता है।
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कर्म और मोक्ष की यात्रा
शनि देव, राहु और केतु: जीवन में उनके कर्म संबंध और आत्मज्ञान की यात्रा
वेदिक ज्योतिष में, शनि देव, राहु और केतु का मानव जीवन पर महत्वपूर्ण प्रभाव है।
ये तीनों ग्रह हमारे कर्मों को प्रभावित करते हैं और हमें आत्मज्ञान की ओर ले जाने का कार्य करते हैं।
शनि देव :- कर्म के न्यायाधीश
शनि देव को न्याय का प्रतीक माना जाता है। वे हमारे पिछले कर्मों के आधार पर हमें सुख और दुख प्रदान करते हैं।
शनि का प्रभाव हमें धैर्य, अनुशासन और मेहनत की सीख देता है। उनका उद्देश्य हमारे कर्मों का हिसाब लेना और हमें सच्चाई के मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित करना है।
राहु :- माया का प्रतीक
राहु, भ्रम और इच्छाओं का प्रतीक है। राहु हमें भौतिक सुख-सुविधाओं में उलझा देता है और हमें जीवन की माया में फंसा देता है।
हालांकि राहु हमें धन, शक्ति और सफलता दिला सकता है, अंततः वह हमें आंतरिक संतोष से वंचित करता है। राहु का कर्मिक उद्देश्य है हमें माया से गुजरने और आत्मज्ञान की ओर प्रेरित करना।
केतु :- आत्मज्ञान का मार्गदर्शक
केतु, राहु का विपरीत ध्रुव है। यह त्याग, मोक्ष और आध्यात्मिकता का प्रतीक है।
जहां राहु हमें भौतिकता में फंसाता है, वहीं केतु हमें आंतरिक शांति और आध्यात्मिक प्रगति की ओर ले जाता है। केतु का प्रभाव हमें अहंकार से मुक्त करके हमारे वास्तविक आत्म को पहचानने में मदद करता है।
कर्म और मोक्ष की यात्रा
शनि, राहु और केतु मिलकर हमारे कर्म और मोक्ष की यात्रा को संतुलित करते हैं। शनि हमें हमारे कर्मों का सामना कराते हैं, राहु हमें भौतिक इच्छाओं में उलझाते हैं, और केतु हमें उनसे मुक्त कराते हैं।
इन तीनों ग्रहों का अंतिम उद्देश्य हमें मोक्ष यानी आत्मज्ञान की प्राप्ति की ओर ले जाना है।इस ग्रहों के सामंजस्य से हमें अपने जीवन के उद्देश्य और मोक्ष की ओर बढ़ने की प्रेरणा मिलती है।
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Rambhadra ka Jeevan Darshan: Ek Preranaadaayak Gaatha
रामभद्र का जीवन दर्शन भारतीय संस्कृति और धर्म में एक ऐसा अनमोल रत्न है, जो अनंत काल से हर युग और पीढ़ी के लिए प्रेरणा का स्रोत बना ह��आ है। "रामाय रामभद्राय रामचंद्राय वेधसे" इस मंत्र के माध्यम से हम उस दिव्य चेतना की ओर आकर्षित होते हैं, जो धर्म, सत्य, और न्याय की प्रतिमूर्ति मानी जाती है। यह दर्शन न केवल एक व्यक्ति के जीवन को सुधारने का माध्यम है, बल्कि यह एक समाज, एक राष्ट्र, और समग्र मानवता के कल्याण की अवधारणा को भी समेटे हुए है।
धर्म और कर्तव्य के प्रतीक
रामभद्र के जीवन का सबसे प्रमुख पहलू धर्म और कर्तव्य के प्रति उनकी अटूट निष्ठा है। उन्होंने हमेशा धर्म और न्याय के मार्ग पर चलते हुए कठिन से कठिन परिस्थितियों का सामना किया। उनके जीवन में आए अनेक संघर्ष और चुनौतियाँ यह दिखाते हैं कि चाहे कैसी भी परिस्थिति हो, धर्म का पालन करना ही मानव जीवन का सर्वोच्च लक्ष्य होना चाहिए। यह जीवन दर्शन हमें सिखाता है कि व्यक्ति को अपने कर्तव्यों का पालन बिना किसी भेदभाव, भय, या पक्षपात के करना चाहिए।
यह संदेश विशेष रूप से उन लोगों के लिए प्रासंगिक है जो अपने जीवन में चुनौतियों का सामना कर रहे हैं। जब हम रामभद्र के जीवन को देखते हैं, तो हमें यह समझ में आता है कि कठिनाइयाँ और संघर्ष केवल बाहरी नहीं होते, बल्कि आंतरिक भी होते हैं। अपने कर्तव्यों के प्रति समर्पण ही इन संघर्षों को सुलझाने का मार्ग है। "रामाय रामभद्राय रामचंद्राय वेधसे" मंत्र इस दिव्यता का स्मरण कराता है, जो हमें कर्तव्य पथ पर अडिग बनाए रखता है।
मर्यादा और संयम का महत्व
रामभद्र का जीवन मर्यादा और संयम का प्रतीक है। उन्होंने जीवन में आने वाली सभी कठिनाइयों का सामना करते हुए अपने आचरण और व्यवहार में सदैव मर्यादा बनाए रखी। चाहे वह व्यक्तिगत संबंधों की बात हो, सामाजिक दायित्वों की बात हो, या राज्य के प्रति उत्तरदायित्व की, उन्होंने कभी भी अपनी मर्यादा का उल्लंघन नहीं किया। उनके जीवन से यह सीख मिलती है कि व्यक्ति को अपने जीवन में अनुशासन और संयम का पालन करना चाहिए, क्योंकि ये ही वो गुण हैं जो एक समाज को स्थिरता और शांति प्रदान करते हैं।
मर्यादा पुरुषोत्तम के रूप में रामभद्र का आदर्श जीवन यह दर्शाता है कि मर्यादा का पालन करना न केवल एक व्यक्तिगत आदर्श है, बल्कि यह सामाजिक व्यवस्था को बनाए रखने का आधार भी है। एक व्यक्ति का संयम और अनुशासन उसके चारों ओर के लोगों पर सकारात्मक प्रभाव डालता है, और यही रामभद्र का जीवन ��में सिखाता है। "रामाय रामभद्राय रामचंद्राय वेधसे" मंत्र में संचित यह संदेश हमें यह बताता है कि मर्यादा और संयम किसी भी व्यक्ति या समाज के जीवन को आदर्श बना सकते हैं।
सत्य और न्याय की स्थापना
रामभद्र का जीवन सत्य और न्याय की स्थापना के लिए प्रेरणा का स्रोत है। उनके द्वारा लिए गए प्रत्येक निर्णय में सत्य और न्याय को सर्वोच्च स्थान दिया गया। उन्होंने कभी भी व्यक्तिगत हितों को धर्म और न्याय के ऊपर नहीं रखा। यह जीवन दर्शन हमें यह सिखाता है कि सत्य और न्याय की स्थापना किसी भी समाज के विकास और कल्याण का आधार है। सत्य को पहचानने और उसे आत्मसात करने की जो शक्ति रामभद्र के जीवन में दिखती है, वही शक्ति आज के समाज में भी आवश्यक है।
समाज में अन्याय और अधर्म के विरुद्ध खड़े होने का साहस भी रामभद्र से सीखा जा सकता है। "रामाय रामभद्राय रामचंद्राय वेधसे" मंत्र हमें याद दिलाता है कि सत्य और न्याय की रक्षा के लिए हमें सदैव तैयार रहना चाहिए। यह जीवन दर्शन न केवल एक व्यक्तिगत स्तर पर बल्कि समाज के सामूहिक स्तर पर भी सत्य और न्याय की स्थापन का संदेश देता है।
त्याग और समर्पण का महत्व
रामभद्र का जीवन त्याग और समर्पण का उत्कृष्ट उदाहरण है। उन्होंने अपने व्यक्तिगत सुखों और इच्छाओं को हमेशा समाज और परिवार के हितों के लिए त्याग दिया। उनके इस त्याग और समर्पण ने उन्हें एक आदर्श के रूप में स्थापित किया, जिसे हर युग में प्रेरणा के रूप में देखा जाता है। यह दर्शन हमें यह सिखाता है कि कभी-कभी व्यक्तिगत इच्छाओं को त्यागकर समाज और परिवार के कल्याण के लिए समर्पण करना आवश्यक होता है।
त्याग और समर्पण का यह गुण व्यक्ति को आत्म-नियंत्रण और आत्म-साक्षात्कार की ओर ले जाता है। यह गुण न केवल आत्म-संतोष प्रदान करता है, बल्कि दूसरों के जीवन को भी प्रभावित करता है। "रामाय रामभद्राय रामचंद्राय वेधसे" इस मंत्र में निहित यह संदेश हमें त्याग और समर्पण के महत्व को समझने और उसे अपने जीवन में अपनाने के लिए प्रेरित करता है।
भक्ति और आदर्श जीवन की प्रेरणा
रामभद्र का जीवन भक्ति और आदर्श जीवन की प्रेरणा देता है। उन्होंने अपने जीवन में भगवान के प्रति अटूट भक्ति और श्रद्धा को बनाए रखा, चाहे परिस्थितियाँ कितनी भी प्रतिकूल क्यों न हों। उनका जीवन इस बात का प्रतीक है कि भक्ति के मार्ग पर चलकर ही व्यक्ति अपने जीवन के सभी कष्टों और बाधाओं को पार कर सकता है। भक्ति का यह मार्ग व्यक्ति को मानसिक शांति और स्थिरता प्रदान करता है, जो जीवन की हर चुनौती का सामना करने में सहायक होता है।
रामभद्र के जीवन दर्शन से यह स्पष्ट होता है कि आदर्श जीवन वही है, जो न केवल धर्म और सत्य के मार्ग पर चले, बल्कि भक्ति और समर्पण के साथ जिए। "रामाय रामभद्राय रामचंद्राय वेधसे" मंत्र में यह संदेश निहित है कि भक्ति और आस्था के बिना जीवन अधूरा है, और यही आस्था व्यक्ति को आत्मिक संतोष और जीवन की पूर्णता प्रदान करती है।
निष्कर्ष
रामभद्र का जीवन दर्शन एक ऐसी प्रेरणादायक गाथा है, जो हर व्यक्ति के जीवन को सही दिशा में ले जाने का मार्गदर्शन करती है। धर्म, सत्य, न्याय, मर्यादा, संयम, त्याग, समर्पण, और भक्ति के गुण उनके जीवन में प्रत्यक्ष रूप से दिखते हैं, जो हमें यह स��खाते हैं कि एक आदर्श जीवन कैसा होना चाहिए। "रामाय रामभद्राय रामचंद्राय वेधसे" यह मंत्र हमें रामभद्र के जीवन दर्शन की उस दिव्यता का स्मरण कराता है, जो हमारे जीवन को बेहतर, अधिक संतुलित, और आध्यात्मिक रूप से संपन्न बना सकता है।
रामभद्र के जीवन दर्शन का यह संदेश न केवल हमारे व्यक्तिगत जीवन को सुधारने के लिए है, बल्कि यह पूरे समाज और मानवता के कल्याण के लिए एक प्रकाश स्तंभ है। उनका जीवन हमें यह सिखाता है कि सच्चा सुख और शांति केवल धर्म, सत्य, और भक्ति के मार्ग पर चलकर ही प्राप्त किया जा सकता है।
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बड़ी विडंबना है यहाँ, यहाँ से तात्पर्य भारत से, भारतीयों से l ओलिंपिक में भारत की तरफ से 117 खिलाड़ियों ने भाग लिया है l किन्तु, अभी तक एक भी स्वर्ण पदक भारत के खाते में नहीं आया है l ओलंपिक खेल पेरिस 2024 में कुछ लोगों से उम्मीद बरकरार थी, जैसे की नीरज चोपड़ा से, किन्तु यहाँ भी निराशा ही हाथ लगी, रजत पदक से ही संतुष्ट होना पड़ा, एक बड़ी उम्मीद महिला कुश्ती ओलंपिक में विनेश फौगाट
पेशेवर पहलवान से थी, किन्तु यहाँ भी दुर्भाग्य ने साथ नहीं छोड़ा,
आजकल मीडिया में पाकिस्तान के पाकिस्तानी अरशद नदीम की खूब चर्चा हो रही है, मैं भी जब पढ़ी तो ख़ुश ही हुई कि बिना किसी सुविधा के अपने बल पर यहाँ तक आना और स्वर्ण पदक हासिल करना कोई मामूली बात नहीं है, हम लोग तो सिर्फ बात ही करते रह गएँ, बाजी तो पड़ोसी देश पाकिस्तान ने मार लिया l
देखिए, खेलिए, खेल भावना के साथ किन्तु, स्वर्ण पदक के इतने करीब होकर यूँ किस्मत की बेरुखी मुझे भा नहीं रही है l न्यूज़ में, वीडियो में देख रही थी कि चीन में, जापान में और कई देशों में दो साल के बच्चों को अपने हाथ से, चम्मच के साथ खाना आता है l भारत में परवरिश की यह परम्परा नहीं है, इस आयु में तो बिलकुल नहीं, इस आयु में तो बच्चा केवल चलता, गिरता लुढ़कता है, माँ, बाप की गोदी में सुकून की नींद सोता है,वहीँ चीन में तीन, चार साल का लड़का-लड़की स्कूल से आकर स्वयं भोजन निकालता और खाता है l यहाँ बचपन से ही बच्चों को ट्रेनिंग दी जाती है, इन्हें बचपन से ही एक समय सारणी, समय की महत्ता, अनुशासन(आत्म-नियंत्रण) में रहना सिखाया जाता है l परिणामस्वरुप आप देख सकते हैं कि चीन भी एशिया में आता , भारत भी आता है, जनसंख्या में हम चीन को भी पीछे छोड़ रहे लेकिन पदक में चीन विश्व में दूसरे स्थान पर है l इतना भेद, बहुत बड़ा भेद है l
यह सब पेरेंटिंग की देन है l पेरेंटिंग का अर्थ है माता-पिता द्वारा बच्चे का पालन-पोषण करना। भारत में दो साल का बच्चा भले न बोल पाए किन्तु टीवी, मोबाइल कैसे चलाना है, रिमोट क्या होता, यह अवश्य जानता है l विदेशों में बच्चों को कार्टून के माध्यम से, कहानी की किताबों से, चित्रों के माध्यम से बेहतरीन तरीकों से सिखाया, पढ़ाया जाता है, यहाँ खेल के माध्यम का सदु���योग भरपूर होता है l
भारत के लोग बस सभ्यता, संस्कृति के बड़बड़ में ही संतुष्ट हैं, इन्हें यूँही सहिष्णु नहीं कहा जाता है l इन्हें आमोद, प्रमोद के माध्यम भाते हैं, किन्तु इसमें भी सही माध्यम से आएं तो, सांस्कृतिक कार्यक्रम में भाग ले तो बहुत आगे तक जाया जा सकता है, किन्तु देसी भाषा में कहूँ तो सबको नचनिया बनना है, मैं यह स्वीकार करती हूँ कि कब किसकी किस्मत, किस क्षेत्र में बदल जाए, कहा नहीं जा सकता, लेकिन यह भी लिख लीजियेगा कि यदि हमारे बच्चे इसी तरह नाचते गाते रहे तो पदक में निल बटे सन्नाटा", जिसका अर्थ है 'कुछ भी न जानना' जारी रहेगा, इसलिए शुरू से बच्चों में देश भा��ना लाइए, विकसित कीजिए l सब माइकल जैकसन नहीं बन सकते, लता मंगेशकर नहीं बन सकते l खेल की तरफ मोड़ दीजिए बच्चों को l उनकी इच्छा का सम्मान कीजिए, किन्तु क़ाबिलियत भी होनी चाहिए l
©डॉ.मधुबाला मौर्या
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अग्निवीर सेना भर्ती में सफलता पाने के लिए तैयारी कैसे करें
भारतीय सेना अग्निवीर के लिए तैयारी करना एक महत्वपूर्ण और चुनौतीपूर्ण प्रक्रिया है, जिसमें शारीरिक और मानसिक दोनों ही प्रकार की तैयारी की आवश्यकता होती है।अग्निवीर सेना भर्ती के लिए चयन प्रक्रिया में सफलता पाने के लिए कई महत्वपूर्ण पहलुओं को ध्यान में रखना आवश्यक है। शारीरिक फिटनेस, मानसिक तैयारी, और आवश्यक शैक्षणिक ज्ञान के साथ-साथ आत्म-प्रेरणा और अनुशासन भी अत्यंत महत्वपूर्ण हैं।
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28. परमात्मा से एक होना
श्रीकृष्ण स्वधर्म (2.31-2.37) और परधर्म (3.35) के बार�� में बताते हैं और अंत में सभी धर्मों को त्यागकर परमात्मा के साथ एक होने की सलाह देते हैं (18.66)।
अर्जुन का विषाद उसके भय से उत्पन्न हुआ कि यदि उसने युद्ध लड़ा और अपने भाइयों को मार डाला तो उसकी प्रतिष्ठा को ठेस पहुंचेगी। श्रीकृष्ण उसे कहते हैं कि युद्ध से पलायन करने पर भी वह अपनी प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचाएगा क्योंकि लडऩा उसका स्वधर्म है (2.34-2.36)। सब लोगों को लगेगा कि अर्जुन युद्ध में शामिल होने से डरे और युद्ध से डरना क्षत्रिय के लिए मृत्यु से भी बदतर है।
श्रीकृष्ण आगे बताते हैं कि, ‘‘स्वधर्म, भले ही दोषपूर्ण या गुणों से रहित हो, परन्तु परधर्म से बेहतर है और स्वधर्म के मार्ग में मृत्यु बेहतर है, क्योंकि परधर्म भय देने वाला है’’ (3.35)।
बाहर की ओर देखने वाली इन्द्रियों की वजह से परधर्म आसान और बेहतर लगता है खासकर जब हम सफल लोगों को देखते है। लेकिन आंतरिक स्वधर्म के लिए अनुशासन और कड़ी मेहनत की आवश्यकता होती है और इसे धीरे-धीरे हमारे अंदर उजागर करना पड़ता है।
आमतौर पर हमारे आत्म-मूल्य की भावना दूसरों से तुलना करने से आती है। इस तुलना में अन्य बातों के अलावा हमारे प्रतिष्ठित परिवार जहां हम पैदा हुए हैं, स्कूल में ग्रेड, नौकरी या पेशे में अच्छी कमाई और हमारे रास्ते में आने वाली शक्ति / प्रसिद्धि शामिल होते है। ऐसी तुलना से हम खुद को दूसरों से बेहतर बनाने की कोशिश करते हैं। परन्तु श्रीकृष्ण के लिए, हर कोई अद्वितीय है और अपने स्वधर्म के अनुसार अद्वितीय रूप से खिलेगा। उनका कहना है कि जबकि सभी में अव्यक्त एक ही है, प्रत्येक प्रकट अस्तित्व अद्वितीय है।
अंत में, श्रीकृष्ण हमें परामर्श देते हैं कि हम सभी धर्मों को त्याग दें और उनकी शरण में चले जाएं क्योंकि वे हमें सभी पापों से मुक्त कर देंगे (18.66)। यह भक्ति योग में समर्पण के समान है और आध्यात्मिकता की नींव है।
जिस प्रकार एक नदी समुद्र का हिस्सा बनने पर अपने स्वधर्म को खो देती है, उसी तरह हमें भी परमात्मा के साथ एक होने के लिए अहंकार और स्वधर्म को खोना पड़ेगा।
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रमजान का पाक महीना हो गया है शुरू, जानिए इस महीने से जुडी कुछ ख़ास बाते परिचय रमज़ान दुनिया भर के मुसलमानों के लिए एक पवित्र महीना है और इसे मानने वालों के दिलों में यह एक विशेष स्थान रखता है। यह आध्यात्मिक चिंतन, आत्म-अनुशासन और किसी के विश्वास के प्रति समर्पण का समय है। यह लेख रमज़ान के महत्व के बारे में जानकारी प्रदान करेगा और इसे दुनिया भर के लाखों लोगों के लिए एक अनोखा और यादगार समय बनाता है। रमज़ान का पालन उपवास, प्रार्थना और आत्म-चिंतन रमज़ान सुबह से सूर्यास्त तक उपवास रखने की प्रथा के लिए सबसे प्रसिद्ध है। यह दैनिक उपवास महीने का एक अनिवार्य पहलू है, जो आत्म-नियंत्रण, कम भाग्यशाली लोगों के लिए सहानुभूति और आध्यात्मिक विकास के अवसर का प्रतीक है। यह वह समय है जब मुसलमान दिन के उजाले के दौरान खाने-पीने से परहेज करते हैं और इस आत्म-अनुशासन का उपयोग ईश्वर के करीब आने के साधन के रूप में करते हैं। रमज़ान में भी प्रार्थना एक केंद्रीय भूमिका निभाती है। इस महीने के दौरान मुसलमान अतिरिक्त प्रार्थनाएँ करते हैं, जिसमें रात में तरावीह की नमाज़ भी शामिल है, आध्यात्मिक विकास और अपने निर्माता से निकटता की तलाश में। रमजान का पाक महीना आत्म-चिंतन एक अन्य महत्वपूर्ण घटक है। रमज़ान के दौरान, व्यक्ति आत्मनिरीक्षण में संलग्न होते हैं और अपने चरित्र में सुधार करने, ईश्वर के प्रति अपनी भक्ति बढ़ाने और अपने पिछले पापों के लिए क्षमा माँगने का प्रयास करते हैं। रमजान का पाक महीना Dua To Make Someone Love You Back इफ्तार और सुहूर रमज़ान के दौरान पारंपरिक भोजन इफ्तार सूर्यास्त के समय उपवास तोड़ने के लिए खाया जाने वाला भोजन है, और सुहूर अगले दिन का उपवास शुरू होने से पहले का भोजन है। ये भोजन केवल जीविका के लिए नहीं हैं; वे सांप्रदायिक जुड़ाव के भी क्षण हैं। परिवार और दोस्त एक साथ इन विशेष भोजन का आनंद लेने के लिए इकट्ठा होते हैं, जो समुदाय की उस भावना पर जोर देता है जिसे रमज़ान बढ़ावा देता ह दान के कार्य इस महीने के दौरान देने का महत्व रमज़ान के दौरान दान को अत्यधिक प्रोत्साहित किया जाता है। मुसलमानों से जरूरतमंद लोगों को दान देने और विभिन्न धर्मार्थ कार्यों का समर्थन करने का आग्रह किया जाता है। देने का यह कार्य केवल वित्तीय दान के बारे में नहीं है बल्कि किसी भी संभव तरीके से दूसरों की मदद करने तक भी फैला हुआ है। यह वह समय है जब सहानुभूति और करुणा पर जोर दिया जाता है, और माना जाता है कि इस पवित्र महीने के दौरान धर्मार्थ कार्यों का फल कई गुना बढ़ जाता है। रमजान का पाक महीना आध्यात्मिक यात्रा रमज़ान के दौरान किसी की आस्था से जुड़ना रमज़ान मुसलमानों के लिए अपनी आस्था से गहराई से जुड़ने का समय है। यह आध्यात्मिक कायाकल्प और विकास का महीना है। पूजा, प्रार्थना और कुरान पाठ के बढ़े हुए कार्य व्यक्तियों को ईश्वर के करीब महसूस करने और उसके साथ उनके रिश्ते को मजबूत करने में मदद करते हैं। समुदाय और एकजुटता परिवार, दोस्तों और समुदाय के साथ जुड़ाव रमज़ान सिर्फ एक व्यक्तिगत यात्रा नहीं बल्कि एक सामुदायिक यात्रा है। यह पारिवारिक बंधनों को मजबूत करने, दोस्ती को फिर से जगाने और मुस्लिम समुदाय के ��ीतर एकता की भावना को बढ़ावा देने का समय है। एक-दूसरे के लिए दयालुता और समर्थन के कार्यों को प्रोत्साहित किया जाता है, जिससे यह एकजुटता का मौसम बन जाता है। रमजान का पाक महीना रमजान का पाक महीना हो गया है शुरू, जानिए इस महीने से जुडी कुछ ख़ास बाते शक्ति की रात (लैलात अल-क़द्र) अत्यधिक आध्यात्मिक महत्व की एक रात लैलात अल-क़द्र, जिसे अक्सर शक्ति की रात कहा जाता है, रमज़ान के आखिरी दस दिनों के भीतर आती है। ऐसा माना जाता है कि यह वह रात है जब कुरान की पहली आयतें पैगंबर मुहम्मद को बताई गईं थीं। मुसलमान इस रात को गहन प्रार्थना और प्रार्थना में बिताते हैं, आशीर्वाद और क्षमा मांगते हैं। इस रात की भक्ति का फल अथाह बताया गया है रमजान का पाक महीना वैश्विक अवलोकन दुनिया भर में लोग रमज़ान कैसे मनाते हैं रमज़ान दुनिया भर के मुसलमानों द्व��रा मनाया जाता है, प्रत्येक की अपनी सांस्कृतिक परंपराएँ और रीति-रिवाज होते हैं। यह वह समय है जब भौगोलिक और सांस्कृतिक मतभेदों के बावजूद मुसलमान अपनी भक्ति में एक साथ आते हैं। विविधता में यह एकता आस्था की सार्वभौमिकता का प्रमाण है। चुनौतियाँ और पुरस्कार कठिनाइयाँ और आध्यात्मिक पुरस्कार पूरे एक महीने तक उपवास करना शारीरिक रूप से चुनौतीपूर्ण हो सकता है, लेकिन आध्यात्मिक पुरस्कार इसके लायक हैं। उपवास की चुनौतियाँ, पूजा और आत्म-चिंतन के बढ़े हुए कार्यों के साथ, आध्यात्मिक संतुष्टि और व्यक्तिगत विकास की भावना पैदा करती हैं जो अत्यधिक फायदेमंद है। निष्कर्ष रमज़ान का पवित्र महीना मुसलमानों के लिए बहुत महत्व का समय है। यह व्यक्तियों को उनके विश्वास के करीब लाता है, समुदाय और एकजुटता को बढ़ावा देता है, और अद्वितीय आध्यात्मिक पुरस्कार प्रदान करता है। उपवास, प्रार्थना, दान और आत्म-सुधार का कार्य रमजान को इस्लामी कैलेंडर में एक अद्वितीय और पोषित समय बनाता है। रमजान का पाक महीना पूछे जाने वाले प्रश्न रमज़ान को पवित्र क्यों माना जाता है? रमज़ान को पवित्र माना जाता है क्योंकि यह वह महीना है जिसमें इस्लाम की पवित्र पुस्तक कुरान पहली बार पैगंबर मुहम्मद के सामने प्रकट हुई थी। इसका अत्यधिक आध्यात्मिक महत्व है। रमज़ान के दौरान रोज़े का क्या महत्व है? रमज़ान के दौरान उपवास आत्म-अनुशासन, आध्यात्मिक विकास और कम भाग्यशाली लोगों के लिए सहानुभूति का एक साधन है। यह मुसलमानों को आत्म-नियंत्रण विकसित करने और ईश्वर के करीब आने की अनुमति देता है। लयलात अल-क़द्र (शक्ति की रात) इतना महत्वपूर्ण क्यों है? माना जाता है कि लैलात अल-क़द्र वह रात है जब कुरान पहली बार सामने आया था। यह अत्यधिक आध्यात्मिक महत्व और प्रार्थनाओं और प्रार्थनाओं की रात है
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सेल्फ डिसिप्लिन खुद में लाना है, हमेशा याद रखें ये 10 बातें
आत्म-अनुशासन (Self Decipline) की शक्ति अपनाएं! छोटी आदतों से बड़े सपने साकार करें। यहां मिलेंगे रोज़मर्रा के 10 आसान नुस्खे जो आपकी ज़िंदगी बदल देंगे। क्या आप तैयार हैं अपने भीतर के नायक को जगाने के लिए।हम सभी जानते हैं कि जीवन में सफलता पाने के लिए आत्म-अनुशासन बहुत जरूरी है। लेकिन इसे अपनाना आसान नहीं होता। मैंने खुद भी इस चुनौती का सामना किया है और धीरे-धीरे सीखा कि कैसे अपने जीवन में अनुशासन…
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#आत्म-अनुशासन#गोल सेटिंग#दृढ़ता#निरंतर सीखना#पर्सनल ग्रोथ टिप्स#पॉजिटिव हैबिट्स#माइंडफुलनेस#मोटिवेशन#लक्ष्य प्राप्ति#व्यक्तिगत विकास#सकारात्मक सोच#सक्सेस मंत्र#सफलता की कुंजी#समय प्रबंधन#सेल्फ-इम्प्रूवमेंट#स्ट्रेस मैनेजमेंट#स्वस्थ जीवनशैली
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Free tree speak काव्यस्यात्मा 1400.
कुटिल सोच और हित साधती वर्जनाएँ
-© कामिनी मोहन।
संस्कार, सभ्य��ा, अनुशासन, परंपरा, मानवता इनके आवरण की परतों में ढके मनुष्य के गिरेबान में झाँक कर देखा जाए तो उसमें कहाँ खाज है, नज़र नहीं आता है। धर्म संस्कार और सभ्यता ने मनुष्य को विचार दिए हैं।हमारी सारी वर्जनाएँ व्यवस्था के हित के साथ जुड़ी है। कुटिलता इसे रीति बनाकर मनुष्यता से जोड़कर प्रचारित करती है। लेकिन यह कहना मुश्किल है कि यह सब विचार-विमर्श आख़िर है क्या।
दूसरों के सामने निर्विचार से दिखने वाले दरअसल मानवीयता ��े दर्पण की तरह होते हैं। धर्म परंपरा और मान्यता की कवच से लैस स्वतंत्र तथा सतत् मंत्रमुग्ध बने रहते हैं। उनमें होता है उड़ने का हौसला। उड़ने में ख़तरे तो बहुत है, उन ख़तरों से बच गए तो ठीक है, न बचे तो हँसी में टालकर फिर से उड़ने का दम भरते हैं।
स्नेह का अभाव हर शख़्स को खटकता है। जो शीतलता, ममता या मधुरता के दुलार से निशब्द-सी शांति मिलती है। वह अभिमान के छलावे से नहीं मिलती। अंधकार में किसी मैदान, जंगल, आकाश में अर्धवृत्त, आनंद नीलिमा और सवेरा होने से पहले प्रकृति के क्षण-क्षण बदलते रूप के दर्शन होते हैं। यह दर्शन न तो घनी अंधेरी रात में और न तो दिन के उजाले में संभव है। लोगों की सांस्कृतिक मान्यताओं और पहचान के विपरीत जाना वर्जनाओं को तोड़ना है। क्योंकि यह मान्यताओं परंपराओं और संस्कृति का पर्याय होती है। अनुभव सबसे अच्छा शिक्षक है, और सबसे ख़राब अनुभव हमें सबसे अच्छा सबक सिखाते हैं।
जीवन में सबसे अच्छी बात किसी ऐसे व्यक्ति को ढूँढ़ना है जो ख़ामियों, ग़लतियों और कमज़ोरियों को जानता है और वो व्यक्ति हम ख़ुद हो, तो यह पूरी तरह से अद्भुत है। जब भी सपनों के सच होने की संभावना बढ़ती है तो जीवन दिलचस्प बनता जाता है। इसलिए अंधेरे को दूर करने के लिए स्वयं की बेहतरी प्रकाशयुक्त होनी चाहिए। अजीब से लगने वाले शब्द विश्वास की सतह पर सच होने चाहिए।
हम, तुम सब अजीब है। इस दुनिया में हर कोई अजीब है, हमारी पीढ़ी सोचती है कि परवाह नहीं करना अच्छा है। लेकिन हम सब जानते हैं यह ग़लत है, यह अजीब है। देखभाल करना, परवाह करना अच्छा है। अपने कर्तव्य कर्म के प्रति वफ़ादार रहना अच्छा है। ऊँचे पेड़ छोटे बीजों से बनने में सक्षम होते हैं। बीज को वृक्ष बनने के पहले एक पूरी की पूरी देखभाल की प्रक्रिया से गुज़रना ��ड़ता है।
एक रहस्य की कई परतें होती हैं। रहस्य को जानने समझने के बावजूद उनमें बहुत सारे ऐसे रहस्य होंगे, जिनका उद्देश्य हमें पता ही नहीं चल पाता है। ऐसे में आत्म-मूल्य महत्वपूर्ण हो जाता है। यदि आप अपने बारे में अच्छा महसूस नहीं करते हैं, तो किसी और चीज़ के बारे में अच्छा महसूस होना कठिन है।
फिर तो कुटिल सोच का फ़ायदा कोई न कोई वर्जना उठाने की पूरी कोशिश करेगी। तो एक ही तरीका है कि लोग जो सोचते हैं उसे दरकिनार कर समाज संस्कार सभ्यता और संस्कृति को केंद्र में रखकर निरंतर आगे बढ़ते रहा जाए।
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Jamshedpur xlri maxi fair - एक्सएलआरआई में मैक्सी फेयर 2024 के उद्घाटन समारोह में शामिल हुई डॉक्टर किरण बेदी, कहा - आत्म जागरूकता से छात्र अपने लक्ष्य को प्राप्त कर सकते हैं, देखिए - video
जमशेदपुर : जमशेदपुर के एक्सएलआरआई में शुक्रवार को मार्केटिंग एसोसिएशन ऑफ एक्सएलआरआई (मैक्सी) फेयर 2024 का उद्घाटन समारोह का आयोजन किया गया. कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के तौर पर भारत की पहली महिला आईपीएस किरण बेदी को आमंत्रित किया गया था. कार्यक्रम की शुरुआत दीप प्रज्वलित कर किया गया. उन्होंने छात्रों को संबोधित करते हुए बताया कि विद्यार्थी जीवन में अनुशासन का विशेष महत्व है. अनुशासन के बिना हम…
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मुख्यमंत्री ने आज सचिवालय में परिवहन विभाग में नियुक्ति पत्र प्रदान किए
मुख्यमंत्री श्री Pushkar Singh Dhami ने आज सचिवालय में परिवहन विभाग के अन्तर्गत कनिष्ठ सहायक के पद पर उत्तराखण्ड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग के माध्यम से चयनित 10 अभ्यर्थियों को नियुक्ति पत्र प्रदान किए। मुख्यमंत्री ने सभी चयनित अभ्यर्थियों को शुभकामनाएं देते हुए कहा कि अपने कार्यक्षेत्र में पूरी ईमानदारी और कर्तव्यनिष्ठा के साथ काम करें। कार्य क्षेत्र में नये जीवन की शुरूआत आत्म अनुशासन और नियमित…
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17 आत्म-अनुशासन - Self Control || ४० दिन ४० यीशु का अच्छे गुण || 40 Days...
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आदिवासी सेवा समिति के तत्वाधान में विश्व आदिवासी दिवस धूमधाम से मनाया गया
आदिवासी सेवा समिति के तत्वाधान में विश्व आदिवासी दिवस धूमधाम से मनाया गया
विश्व आदिवासी दिवस समारोह बुधवार भैरूंदा पर धूमधाम से मनाया गया। भैरूंदा ग्रीन गार्डन में कार्यक्रम के शुभारम्भ में आदिवासी महापुरुषों के चित्र पर माल्यार्पण के पश्चात कार्यक्रम का शुभारंभ किया गया। जिस पर आदिवासी संस्कृति नृत्य प्रतियोगिता रखी गई जिस पर सभी क्षेत्र की टीमों ने अपना भाग लिया सभी टीमों को समिति द्वारा एवं सरपंच संघ द्वारा पुरस्कार वितरण किया गया तत्पश्चात नगर के मुख्य चौराहे होते हुए रैली का समापन हुआ। रैली में हजारों की संख्या में जिले से आए आदिवासी समाज के लोगों ने भाग लिया । विश्व आदिवासी दिवस पर भैरूंदा में जिले के कोने-कोने से आए समाज के लोगों ने रैली में अपनी पारंपरिक वेशभूषा, आभुषण, वाद्य यंत्रों के साथ शामिल होकर आ��िवासी संस्कृति का सम्मान किरने का प्रयास किया । आदिवासी समाज जन के लोगों ने हमेशा कि तरह इस वर्ष भी महारैली में आत्म अनुशासन में दिखे। विश्व आदिवासी दिवस कार्यक्रम के अध्यक्ष अशोक इरपोच ने संबोधित करते हुए आदिवासी दिवस के महत्व, शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार, आदिवासियों का विकास के नाम पर विस्थापन, वन संरक्षण अधिनियम, आदिवासियों के संविधान में वर्णित संवेधानिक अधिकार के बारे में विस्तार से जानकारी दी।
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