किसी भी राष्ट्र के अस्तित्व में भाषा का महत्वपूर्ण योगदान होता है। औपनिवेशिक काल में ब्रिटिश सत्ता द्वारा भारतीयों की संस्कृति, समाजिक, राजनीतिक व आर्थिक, व्यवस्था का उपहास उड़ाया गया। इन परिस्थतियों में भारतीय विद्वानों व मनीषियों जैसे भारतेन्दु हरीशचन्द्र, प्रताप नारायण मिश्र, मदन मोहन मालवीय, महात्मा गांधी आदि ने हिन्दी भाषा को भारतीयों में राष्ट्रवाद के उद्भव के लिए राष्ट्रभाषा के रूप में…
🎉 राष्ट्रीय शिक्षा समागम-2024 में वेंक्टेश्वरा का जलवा! 🎉
🙏 शिक्षा, संस्कार, रोजगार और नवाचार से भारत बनेगा फिर से विश्व गुरु! 🙏
🎤 मुख्य अतिथि आदरणीय योगी आदित���यनाथ जी, मुख्यमंत्री उत्तर प्रदेश
🇮🇳 डिजिटल क्रांति, ए.आई., शिक्षा में रिसर्च से भारत बनेगा दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी आर्थिक महाशक्ति! 🇮🇳
🎤 महामहिम राज्यपाल आदरणीय आनन्दीबेन पटेल, मुख्य अतिथि समापन सत्र
🗣️ जिस राष्ट्र का युवा शिक्षित एवं सशक्त होगा उसको विकसित होने से कोई नहीं रोक सकता! 🗣️
✨ डाॅ. सुधीर गिरि, चेयरमैन, वेंक्टेश्वरा समूह
📚 वेंक्टेश्वरा विश्वविद्यालय: नयी राष्ट्रीय शिक्षा नीति को लागू करने वाला देश का पहला निजी विश्वविद्यालय! 📚
‘‘नेशनल समिट ऑफ इंस्टीट्यूशनल लीडर्स-2024‘‘ में वेंक्टेश्वरा की धूम।
शिक्षा को संस्कार, रोजगार एवं नवाचार (तीनों) से जोड़कर भारत बनेगा फिर से विश्व गुरू - मुख्यमंत्री आदरणीय योगी आदित्यनाथ जी, मुख्य अतिथि उद्घाटन सत्र।
डिजीटल क्रान्ति, ए.आई. (आर्टिफिशियल इंटेलीजेन्स), शिक्षा में रिसर्च से आने वाले वर्षों में भारत बनेगा दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी आर्थिक महाशक्ति - महामहिम राज्यपाल आदरणीय आनन्दीबेन पटेल मुख्य अतिथि समापन सत्र।
जिस राष्ट्र का युवा शिक्षित एवं सशक्त होगा उसको विकसित होने से कोई नहीं रोक सकता - डाॅ. सुधीर गिरि, चेयरमैन, वेंक्टेश्वरा समूह।
विद्याभारती व शिक्षा मंत्रालय, भारत सरकार, एवं उच्च शिक्षा मंत्रालय के संयुक्त तत्वाधान में लखनऊ विश्वविद्यालय में आयोजित तीन दिवसीय राष्ट्रीय सेमिनार में श्री वेंक्टेश्वरा विश्वविद्यालय के कुलाधिपति डाॅ. सुधीर गिरि के निर्देश पर डीन मास कम्यूनिकेशन डाॅ. दिव्या गिरधर ने नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति एवं तकनीक के बल पर भारत को विकसित राष्ट्र बनाने के संकल्प में शिक्षण संस्थानों की भूमिका को सर्वोच्य बताया। उन्होने बताया कि श्री वेंक्टेश्वरा विश्वविद्यालय नयी राष्ट्रीय शिक्षा नीति को पूर्ण रूप से लागू करने वाला देश का पहला निजी विश्वविद्यालय/ संस्थान है।
लखनऊ विश्वविद्यालय, लखनऊ द्वारा 15 फरवरी तक ‘‘नेशनल समिट ऑफ इंस्टीट्यूशनल लीडर्स-2024‘‘ में श्री वेंक्टेश्वरा विश्वविद्यालय की धूम रही। देशभर से आये हजारों शिक्षाविदों, कुलपतियों, वैज्ञानिकों, शिक्षा अधिकारियों एवं राजनयिकों की उपस्थिति में वेंक्टेश्वरा विश्वविद्यालय की डीन मास कम्यूनिकेशन डाॅ. दिव्या गिरधर ने विश्वविद्यालय का प्रतिनिधित्व रखते हुए नयी राष्ट्रीय शिक्षा नीति एवं उच्च टेक्नोलाॅजी के दम पर आदरणीय प्रधानमंत्री जी के विकसित भारत संकल्प@2047 में शिक्षण संस्थानों की भूमिका को सर्वोच्य बताया।
लखनऊ विश्वविद्यालय द्वारा आयोजित इस तीन दिवसीय (15-17 फरवरी 2024) ‘‘राष्ट्रीय शिक्षा समागम-2024‘‘ का शुभारम्भ मुख्य अतिथि, मुख्यमंत्री उत्तरप्रदेश आदरणीय योगी जी, केन्द्रीय शिक्षा राज्यमंत्री भारत सरकार राजकुमार रंजन सिंह, यू.पी. के उच्च शिक्षामंत्री योगेन्द्र उपाध्याय, शिक्षा राज्यमंत्री श्रीमती रजनी तिवारी, विद्या भारती के राष्ट्रीय अध्यक्ष प्रो. कैलाश चन्द्र शर्मा एवं लखनऊ विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. आलोक कुमार राय आदि ने सरस्वती माँ की प्रतिमा के सम्मुख दीप प्रज्वलित करके किया।
अपने सम्बोधन में मुख्य अतिथि माननीय मुख्यमंत्री योगी जी ने कहा कि आज पूरे विश्व में उच्च शैक्षणिक मापदण्डों के चलते भारत का रूतबा शिखर पर है। हमें शिक्षा को संस्कार, नवाचार एवं रोजगार (तीनों) से जोड़कर भारत को फिर से विश्वगुरू बनाना है।
वेंक्टेश्वरा विश्वविद्यालय के प्रतिनिधि के रूप में प्रतिभाग करते हुए डीन मास कम्यूनिकेशन डाॅ. दिव्या गिरधर ने कहा कि नयी राष्ट्रीय शिक्षा नीति को सम्पूर्ण रूप में लागू करने वाला वेंक्टेश्वरा देश का सबसे पहला निजी विश्वविद्यालय है। नयी शिक्षा नीति को तकनीक से जोड़कर भारत को विकसित बनाने में शिक्षण संस्थानों की भूमिका सर्वोच्य होगी।
तीन दिवसीय ‘‘राष्ट्रीय शिक्षा समागम-2024‘‘ को यू.जी. चेयरमैन एम. जगदीश कुमार, एन.डी.टी.एफ. के चेयरमैन डाॅ. अनिल सहस्त्रबुद्धे, इग्नू के कुलपति नागेश्वर राव, दिल्ली विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. योगेश सिंह आदि ने सम्बोधित किया।
इस तीन दिवसीय राष्ट्रीय शिक्षा समागम में वेंक्टेश्वरा विश्वविद्यालय का शानदार प्रभावी प्रतिनिधित्व करने पर डाॅ. दिव्या गिरधर को विश्वविद्यालय प्रबंधन एवं प्रशासन की ओर से प्रधान सलाहकार प्रो. वी.पी.एस. अरोड़ा, प्रतिकुलाधिपति डाॅ. राजीव त्यागी, सी.ई.ओ. अजय श्रीवास्तव, सलाहकार आर.एस. शर्मा, कुलपति प्रो. ऐ.के. शुक्ला, प्रतिकुलपति डाॅ. राकेश यादव, कुलसचिव डाॅ. पीयूष पाण्डे, संयुक्त सचिव डाॅ. राजेश सिंह एवं मेरठ परिसर से निर्देशक डाॅ. प्रताप, मीडिया प्रभारी विश्वास राणा आदि लोगों ने शुभकामनाऐं प्रेषित की हैं।
संत रामपाल जी महाराज जी को आज विश्वगुरु, विश्व विजेता, जगतगुरु तथा धरती पर अवतार, महापुरुष आदि नाम से भी पुकारा जाता है क्योंकि आज उनके द्वारा बताए गए आध्यात्मिक ज्ञान से मानव जीवन का कल्याण और विश्व मे शांति का माहौल बन रहा है।
विश्व के एकमात्र संत एवं सबसे बड़े समाज सुधारक हैं संत रामपाल जी महाराज जिनका उद्देश्य है- जातिवाद, साम्प्रदायिकता समाप्त कर आपसी भेदभाव मिटाना, अंधविश्वास, पाखण्डवाद से मुक्ति दिलाना, सभी प्रकार के नशे पर प्रतिबंध लगाना, दहेज जैसी कुप्रथाएं समाप्त कर बेटियों को न्याय दिलाना तथा भ्रष्टाचार मुक्त स्वच्छ समाज का निर्माण कर भारत को विश्वगुरु बनाना।
वे पूर्ण परमात्मा कबीर साहेब के अवतार हैं।
परमेश्वर कबीर बन्दीछोड़ जी ने अपनी अमृत वाणी में पवित्र ‘कबीर सागर‘ ग्रंथ में कहा है कि एक समय आएगा जब पूरे विश्व में मेरा ही ज्ञान चलेगा। पूरा विश्व शांति पूर्वक भक्ति करेगा। आपस में विशेष प्रेम होगा, सतयुग जैसा समय (स्वर्ण युग) होगा। परमेश्वर कबीर बन्दी छोड़ द्वारा बताए ज्ञान को संत रामपाल जी महाराज ने समझा है। इसी ज्ञान के विषय में कबीर साहेब जी ने अपनी वाणी में कहा है कि --
कबीर, और ज्ञान सब ज्ञानड़ी, कबीर ज्ञान सो ज्ञान।
जैसे गोला तोब का, करता चले मैदान।।
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संत रामपाल जी महाराज जी को आज विश्वगुरु, विश्व विजेता, जगतगुरु तथा धरती पर अवतार, महापुरुष आदि नाम से भी पुकारा जाता है क्योंकि आज उनके द्वारा बताए गए आध्यात्मिक ज्ञान से मानव जीवन का कल्याण और विश्व मे शांति का माहौल बन रहा है।
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मनुष्य जन्म अनमोल है मिले ना बारंबार🥀 तरुवर से पत्ता टूट गिरे बहुर ना लगता डार🙏
सतगुरु कन्द कपूर है हमरी तुनका देह 🥀स्वाति सीप का मेल है चंद्र चकोरी नेह 🙏
सेवक होए के उतरे इस पृथ्वी के माहिं 🥀 जीव उधारान जगतगुरु बार बार बलि जाहिं🙏
गैबी ख्याल विशाल सतगुरु, अचल दिगंबर थीर है 🥀भक्ति हेत काया धर आये अविगत सत् कबीर है🙏 वर्तमान में इस पृथ्वी पर विश्व में केवल संत रामपाल जी महाराज जी ही पूर्ण सतगुरु + पूर्ण तत्वदर्शी संत (बाखबर)+ जगतगुरु + विश्वगुरु + भक्ति मुक्ति के दाता + नाम दीक्षा देने के अधिकारी हैं और पूर्ण परमेश्वर कबीर जी के अवतार पुरुष हैं🙏
*🔰संत रामपाल जी महाराज के द्वारा दिया गया शास्त्रों के अनुसार सत्य आध्यात्मिक मार्ग🔰*
संत रामपाल जी महाराज जी ने श्रीमद्भगवदगीता, वेदों, क़ुरान, बाईबल, श्रीगुरुग्रंथ साहिब आदि सदग्रंथों के ज्ञान सार “एक भगवान और एक भक्ति” के अनुरूप सतभक्ति द्वारा पूर्ण मोक्ष प्रदान कर सतगुरु मानव कल्याण कर रहे हैं। कुरीतियों, बुराइयों और भ्रष्टाचार से मुक्त समाज बनाने के लिए कृतसंकल्प हैं। आपसी वैमनस्य मिटाकर विश्व शांति स्थापित कर धरती को स्वर्ग बनाने की ओर अग्रसर हैं। सतगुरु की असीम कृपा से भारत शीघ्र सोने की चिड़िया बनेगा और विश्वगुरु के खोए सम्मान को अर्जित करेगा।
जीवन का लक्ष्य सतगुरु से नाम दीक्षा लेकर मर्यादा में रहकर सतभक्ति करके पूर्ण मोक्ष पाना है। परमेश्वर कबीर जी ने स्वयं चारों युगों में पृथ्वी पर प्रकट होकर जीवों को सतज्ञान का उपदेश दिया है। वर्तमान में उन्हीं के प्रतिनिधि संत रामपाल जी महाराज जीवों के कल्याण में जुटे हैं। आईए, जानते हैं सतज्ञान को बारीकी से।
गीता जी के 17:23 में कहा गया है:
“ॐ तत् सत् इति निर्देशो ब्रह्मणस्त्रिविधः स्मृतः।” संत रामपाल जी महाराज इस श्लोक के माध्यम से बताते हैं कि तीन प्रकार के मंत्र होते हैं जो व्यक्ति को पूर्ण आध्यात्मिक लाभ पहुंचा सकते हैं। ये ही तीन मंत्र हैं जिन्हें वे अपने शिष्यों को दीक्षा के समय प्रदान करते हैं।
परमात्मा स्वयं तत्वदर्शी संत के रूप में पृथ्वी पर आते हैं और तत्वज्ञान का प्रचार करते हैं। परमेश्वर कबीर तत्वज्ञान को दोहों, चौपाइयों, शब्द इत्यादि के माध्यम से अपनी प्यारी आत्माओं तक पहुंचाते हैं किंतु परमेश्वर से अनजान आत्माएं उन्हें नहीं समझ पाती। परमेश्वर कबीर साहेब ने अपनी समर्थता बताने के लिए हजारों लोगों की उपस्थिति में किए ढेरों चमत्कार जो कबीर सागर में वर्णित हैं।
संत रामपाल जी महाराज से तत्वज्ञान मिलने के बाद जीवन की असली खोज पूरी होती है। सतलोक, जहां परमात्मा निवास करता है, वही हमारा असली घर है और हमें वहां पहुंचाने का मार्ग सतभक्ति ही है। अब हमें चाहिए कि हम इस ज्ञान को स्वीकार करें और अपनी आध्यात्मिक यात्रा को सफल बनाएं।
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विश्व के एकमात्र संत एवं सबसे बडे समाज सुधारक है संत रामपाल जी महाराज जिनका उद्देश्य है :
जातिवाद, साम्प्रदायिकता समाप्त कर आपसी भेदभाव मिटाना, अंधविश्वास, पाखण्डवाद से मुक्ति दिलाना, सभी प्रकार के नशे पर प्रतिबंध लगाना, दहेज जैसी कुप्रथाएं समाप्त कर बेटियों को न्याय दिलाना तथा भ्रष्टाचार मुक्त स्वच्छ समाज का निर्माण कर भारत को विश्वगुरु बनाना ।
🧿सद्गुरु रामपाल जी महाराज की अद्भुत क्रांतिकारी आध्यात्मिक जीवन की यात्रा🧿
संत रामपाल जी महाराज का जन्म 8 सितम्बर 1951 को गांव धनाना जिला सोनीपत हरियाणा में एक किसान परिवार में हुआ। पढ़ाई पूरी करके हरियाणा प्रांत में सिंचाई विभाग में जूनियर इंजिनियर की पोस्ट पर 18 वर्ष कार्यरत रहे।
17 फरवरी 1988 फाल्गुन महीने की अमावस्या को परम् संत रामदेवानंदजी महाराज से दीक्षा प्राप्त की तथा तन-मन-धन से सक्रिय होकर स्वामी रामदेवानंद जी द्वारा बताए भक्ति मार्ग से साधना की तथा परमात्मा का साक्षात्कार किया।
सन् 1993 में स्वामी रामदेवानंद जी महाराज ने संत रामपाल जी महाराज को सत्संग करने की आज्ञा दी तथा सन् 1994 में नामदान करने की आज्ञा प्रदान की। भक्ति मार्ग में लीन होने के कारण जूनियर इंजीनियर की पोस्ट से त्यागपत्र दे दिया जो हरियाणा सरकार द्वारा पत्र क्रमांक 3492-3500, तिथि 16-5-2000 के तहत स्वीकृत है।
संत रामपाल जी महाराज ने घर-घर जाकर सत्संग किया। साथ-साथ ज्ञानहीन संतों का विरोध भी बढ़ता गया। चंद दिनों में संत रामपाल महाराज जी के अनुयायियों की संख्या लाखों में पहुंच गई।
ज्ञान में निरूत्तर होकर अपने अज्ञान का पर्दाफाश होने के भय से उन अंज्ञानी संतों, महंतों व आचार्यों ने संत रामपाल जी महाराज को बदनाम करने के लिए दुष्प्रचार करना प्रारम्भ कर दिया तथा 12.7.2006 को संत रामपाल जी को जान से मारने तथा आश्रम को नष्ट करने के लिए स्वयं तथा अपने अनुयायियों से सतलोक आश्रम पर आक्रमण करवाया। जब संत रामपाल जी को मारने में असफल रहे तो एक व्यक्ति की हत्या कर दी जिसका आरोप संत रामपाल जी महाराज पर लगा दिया। संत रामपाल जी महाराज 2006 से 2008 तक जेल में रहे।
हत्या के झूठे केस में संत रामपाल जी महाराज बाइज्जत बरी हो चुके हैं।
सन 2008 से पुनः समाज सुधार के कार्य किये और तत्वज्ञान की अलख जगाई, नकली धर्मगुरुओं की दुकानें बंद होने लगी तो षड्यंत्र करके 2013 में करौंथा कांड व 2014 में बरवाला कांड करा दिया। और संत जी को पुनः जेल में भेज दिया। क्योकि ज्ञान में तो कोई बोल न सका।
लेकिन जेल में जाने के बावजूद भी उनका ज्ञान नहीं रुका, ना ही समाज सुधार का मिशन डगमगाया।
बल्कि अब तो यह ज्ञान पूरे संसार में छा गया है।
विश्व के एकमात्र संत एवं सबसे बड़े समाज सुधारक हैं संत रामपाल जी महाराज जिनका उद्देश्य है- जातिवाद, साम्प्रदायिकता समाप्त कर आपसी भेदभाव मिटाना, अंधविश्वास, पाखण्डवाद से मुक्ति दिलाना, सभी प्रकार के नशे पर प्रतिबंध लगाना, दहेज जैसी कुप्रथाएं समाप्त कर बेटियों को न्याय दिलाना तथा भ्रष्टाचार मुक्त स्वच्छ समाज का निर्माण कर भारत को विश्वगुरु बनाना।
वे पूर्ण परमात्मा कबीर साहेब के अवतार हैं।
परमेश्वर कबीर बन्दीछोड़ जी ने अपनी अमृत वाणी में पवित्र ‘कबीर सागर‘ ग्रंथ में कहा है कि एक समय आएगा जब पूरे विश्व में मेरा ही ज्ञान चलेगा। पूरा विश्व शांति पूर्वक भक्ति करेगा। आपस में विशेष प्रेम होगा, सतयुग जैसा समय (स्वर्ण युग) होगा। परमेश्वर कबीर बन्दी छोड़ द्वारा बताए ज्ञान को संत रामपाल जी महाराज ने समझा है। इसी ज्ञान के विषय में कबीर साहेब जी ने अपनी वाणी में कहा है कि --
कबीर, और ज्ञान सब ज्ञानड़ी, कबीर ज्ञान सो ज्ञान।
जैसे गोला तोब का, करता चले मैदान।।
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संत रामपाल जी महाराज का उद्देश्य भारत को विश्वगुरु बनाने का है। जहाँ सर्व धर्म, जाति के लोग प्रेम, भाईचारे के साथ रहें, जहाँ सभी सुखी रहें, सबको समान न्याय मिले, जहाँ किसी का शोषण न हो।
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स्वर्ण युगका आगाज, प्रसिद्ध भविष्यवक्ता नास्त्रेदमसकी भविष्यवाणी है "ठहरो राम राज्य आ रहा है।एक महापुरुष पूरे विश्व में स्वर्णयुग लाएगा।जिसके नेतृत्वमें भारत विश्वगुरु बनेगा वो कोई और नही संत रामपाल जीही है,
वो तारणहार संत रामपाल जी महाराज ही है, जिसे पूरा विश्व अपनाएगा यह धार्मिक क्रांति 20वी सदी के प्रथम दशक में सारे विश्व को प्रभावित करेगी मानवको आध्यात्मिकता पर विवश कर देगी।