#लाचारी
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आज से माँ की जिम्मेदारी (aaj se maa ki jimmedari )
आज से माँ की जिम्मेदारी (aaj se maa ki jimmedari ) : परम्परा हमारी ये तेरा हिस्सा वो मेरा हिस्सा, बाँट लिए है सब ने बारी-बारी, एक -दूसरे का सब चेहरा देख रहें हैं, कौन उठाएगा आज से माँ की जिम्मेदारी, (aaj se maa ki jimmedari ), * * * * * मौन होकर खड़े हो गए हैं, बढ़-चढ़कर बोलने वाले, किस ओर झुकाएं पलड़ा तराजू का, सोच रहें हैं एक बराबर तोलने वाले, आज सब पर क्यों बोझ बन गई…
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#आज से माँ की जिम्मेदारी (aaj se maa ki jimmedari )#भीग गए दो नयन माँ के#माँ की खातिरदारी#माँ की लाचारी#मेरा जुनून माँ
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DAy 6139
Jalsa, Mumbai Dec 10, 2024/Dec 11 Tue/Wed 12: 55 am
🪔 ,
December 11 .. birthday greetings to Ef Bob Siddhant Roy From Assam .. and Ef Rekha Prashant Kawadia .. 🙏🏽❤️🚩
December 10 .. birthday greetings to Ef Ankur R Churiwal from Ladnun .. Ef Sonia Chopra .. and Ef Abhishek Patodia from Kolkata .. 🙏🏽❤️🚩
.. when the Sunday does the do of the does .. noticed on the Wed of the Tue .. but now the Wed be the time for the DAY and the night be the past of the night to be in the synchronised sync of the day .. or the night ..
ah blessings .. the green box announcing the confirmation of the write for the DAY , which had disappeared in the sudden press of nothing .. not retrieved but rethought and rewrote .. in the written ..
अरे भाई साहेब !
जो मंद बुद्धि वाले, मंद रचते हैं, क्या ही लाचारी उनके जीवन में !!
भयंकर प्रयास , विचलित मन, लेप की लेपी, लेपते हुए स्वयं लेप गये हैं ।
और विचारों से घिरे हुए , रात की निद्रा उड़ाते हैं, की कैसे आने वाले दिन में उसी लेप को सजा भुजा के लेपा जाये ।
चेहरा उनका लेप से लदा हुआ , असलियत अपनी बता नहीं सकते !!!
"मेरा नाम 'लेप राम' , लेप नगर का नवासी हूँ मैं । सदियों से लेप बेचने का प्रयत्न कर रहा हूँ , पर बिक नहीं रहा । ना कोई ख़रीद रहा है, और ना ही कोई उसे मान रहा है ।"
दुकान कब की बंद हो चुकी है । बेशर्मी ! बेशर्मों को लेपे हुए है , और पोताई जो अपने ऊपर पोते हुए हैं, चेहरे की शर्मिंदगी को छुपा नहीं पा रहे हैं !!
निर्लज्जता भी लज्जा नहीं खाती इनके इर्द गिर्द !
स्नेह और सदा प्रार्थना 🙏
अमिताभ बच्चन
बेशर्म ,ऐसे व्यक्ति जिसे अपनी गलतियों या अनुचित व्यवहार पर शर्म नहीं । यह नकारात्मक रूप । बेशर्मी के साथ जीने वाले लोग सामाजिक मानदंडों को तोड़ते हैं और दूसरों की भावनाओं की परवाह नहीं करते। इसका परिणाम अक्सर ,,,
हाँ ,,, समझ गये न !!!
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#laachaari
किसी के भाग्य मे इतनी लाचारी ना लिख राम कि उसे रास्ता मौत लगे
ज़ब वो सर झुकाये तेरे सजदे मे तो उसे लकीरें भी लकीरो की सौत लगे...
Kisi me bhagy me itni laachaari na likh raam ki use rasta mout lage
Jb vo sir jhukaaye tere sajde me to use lakeere bhi lakeero ki sout lage..
- Krishna sharma (कृष्णा शर्मा )
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अब इसे आदत समझु या लाचारी पुरानी बातें जो घाव कर दिया करती थी मेरे दिल में, अब बस छुकर युही निकल जाया करती है ।
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बाइस्कोप!
आओ बच्चो…………आओ बाइस्कोप दिखाऊँ
तुम्हें बचपन की कहानियों में छुपे रहस्य बताऊँ
ये छोटी सी ताकी बड़ी बड़ी कहानियाँ दिखलाए
मनोरंजन ही नहीं जीवन से परिचय भी करवाए!
इन कहानियों का…………मैं तो बस सूत्रधार हूँ
देस-परदेस की कहानियाँ बताने को बेक़र��र हूँ
आज की कहानी के
टिकट का दाम है ……बस चार आना …….चार आना….
चार आना……हो सके तो लाना…..न हो तब भी आना….
रोकूँगा नहीं….बाइस्कोप के मज़े उठाने...भाग के आना….
भाग के आना…..भाग के आना….
आओ बैठो ताकी का ढक्कन हटाओ
बस अपनी आँख……ताकी में गढ़ाओ
और अब…….मेरी ही बात सुनते जाओ
बाइस्कोप देखो…...और मज़ा उठाओ
इस कहानी में एक देश में राज-काल है
जिसकी जनता का बड़ा ही बुरा हाल है
पनपता हुआ पूँजीवाद है….अधर में लटकता समाजवाद है
जेबें ख़ाली लिए खोखली….लाल रंगी वामपन्थी आवाज़ है
भौतिकवाद…..यथार्थवाद…..भक्तिवाद..….. दार्शनिकवाद
सब के सब ही बेहाल हैं वहाँ..…निरर्थक बना आदर्शवाद है
भोली प्रजा को भरमाते………धर्माधिकारियों की भरमार है
आशाएँ खोजती प्रजा पर……….....निराशा का दुष्प्रभाव है
पूँजीवादी हर तरफ़ फिरता है ख़ुशहाली की ढींगे हाँकता
वामपंथी ग़रीबी लाचारी बर्बादी की बस चीखें ही मारता
अस्तित्व खो चुका समाजवादी है अपने अवसर तलाशता
प्रजा हुई गरीब ….और बेईमान सेठ हुआ अमीर
हर चीज़ हड़पकर कहे….ये बस है उसका नसीब
स्वाँग रचे है राजा……मगर लूट में है पूरा शरीक
एक वज़ीर है……..वो राजा के बड़ा ही करीब है
मगर बंदा दिखता बड़ा ही अजीब-ओ-गरीब है
राजपाठ चलाने को……..वज़ीर ही ज़िम्मेदार है
धनवानों से उसका रिश्ता बड़ा ही बाकमाल है
हिस्सा है उसका भी जितना सेठ लूटता माल है
राजकोष का तो उसने किया पूरा ही बंटाधार है
हाँ फ़ौज का मुखिया…घुड़सवार सिपहसलार है
जनता पे ज़ुल्म ढानेवालों का वो बना सरदार है
लूट का धन बटोरकर….वो भी बना मालामाल है
ज़ुल्मियों से डरे जनता…भविष्य बना अंधकार है
कुछ बोले बिना चुपचाप सहे….जनता लाचार है
सत्ता की सबके सिरों पे…जो लटकती तलवार है
देखो धर्माचार्य बनके कैसे धोखा करे पाखंड रचे
नाम भुनाए लूट मचाए…भगवान को ब��नाम करे
डरे हुए लोगों पर…लेकर नाम प्रभु का प्रपंच रचे
यहाँ चापलूसों की चापलूसी ही राजा का प्राश् है
चरमराती व्यवस्था में….. मूल्यों का हुआ ह्रास है
प्रशासन की बैंड बज गई न्याय प्रणाली हताश है
झूठी खबरें फैलाने वाले तंत्र से….प्रजा निराश है
जातिगत समीकरणों की चपेट में आया समाज है
धर्मों में आपसी लड़ाइयों का पनप रहा पिशाच है
चारों तरफ़ दिखाई देता बस विनाश ही विनाश है
मगर प्रजा की व्यथा का सत्ता को कहाँ आभास है
बच्चो ये तो बस कहानी है…तुम नन्हे फूलों को चेतानी है
सूत्रधार ने यही बात तुम्हें……..बस फिर याद दिलानी है
कभी भूला बिसरा ही न देना…..तुम आपसी सौहार्द कहीं
चापलूसों की चालों से……तुम सतर्क रहना हर पल सभी
याद होगी बूढ़े किसान और उसके झगड़ते बेटों की कहानी
सुनाई थी न तुम्हें… जो गट्ठर में बँधी लकड़ियों की ज़ुबानी
मौक़ापरस्त बहुत हैं यहाँ तुम उनकी बातों में कभी न बहना
गट्ठर में बँधी लकड़ियों की तरह ही मज़बूती से इकट्ठे रहना
प्रलोभनों से विचलित न होना दुख सुख सब मिलके सहना
याद रहे ये देश है तुम्हारा इसका नाता तुमसे सदा है रहना
गरीब जनता की आवाज़ बनके उनके हक़ की बातें कहना
चाहे संघर्ष जीवन में आयें कितने भी उन्हें बस हँसके सहना!
बस खेल ख़त्म हुआ अब…. आँख ताकी से हटाओ
अपनी अपनी ताकी का ढक्कन…..वापिस लगाओ
तुम जाओ खेलो कूदो भागो दौड़ो और मौज मनाओ
बाइस्कोप लेकर मैं सूत्रधार अब यहाँ से जाता हूँ
इंतज़ार करना मेरा……
जब तक खोजकर एक नयी कहानी सुनाने लाता हूँ!
©deepjams4- some_wandering_thoughts
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Free tree speak काव्यस्यात्मा 1371.
हाइकु
सुनते चलो
लाचारी के हो
भले लम्बे रास्ते
चलते चलो।
दृष्टि धूमिल
अंधेरा चारों ओर
दीए-सा जलो।
ध्यान सुनाएँ
��नंत की आवाज़
सुनते चलो।
-© कामिनी मोहन पाण्डेय
-काव्यस्यात्मा
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Jamshedpur ekta manch : मजदूरी दर को लेकर विशेष पदाधिकारी से शिकायत, बिहार झारखंड एकता मंच ने उठायी आवाज
जमशेदपुर : बिहार-झारखंड एकता मंच एक प्रतिनिधिमंडल विशेष पदाधिकारी से मुलाकात कर शहर के सफाईकर्मी पर हो रहे शोषण का शिकायत किया. सरकार द्वारा तय किया गए मजदूरी दर से वेतन भुगतान करने के बजाए ठेकेदार 280 रुपया प्रति दिन का भुगतान कर रहे हैं और मजदूरों की लाचारी का फायदा उठा रहे है. मंच के सदस्य धर्मबीर महतो ने आरोप लगाया है की मजदूरों के साथ धोखा किया जा रहा है जिसे मंच के सदस्य द्वारा जांच किया…
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फूलों का दर्द
सौजन्य गूगल फूलों की खुशबू और सुंदरता सबको प्यारी है फिजा में इनकी खुशबू और सुंदरता पर इनकी भी एक लाचारी है । ये खुद के दर्द और अपमान को चुपचाप सहन करते है इंसान के अत्याचार को भी नमन करते हैं बार बार हर बार जमीन पर फेंक पैरों से रौंदा जाता हूं अपने किस्मत पर हर बार आंसू बहाता हूं । जब ईश्वर गले की माला बन���ा हूं सृष्टि का सबसे किस्मत वाला मानता हूं ।।
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Today's Horoscope-
मेष (चू, चे, चो, ला, ली, लू, ले, लो, अ)
आज का दिन आंशिक शुभ रहेगा। पुरानी गलतियों या व्यवहार की कमी के कारण आज मन में ग्लानि रहेगी। सेहत भी आज थोड़ी विपरीत रहने से मन की बहुप्रतीक्षित इच्छा अधूरी रह सकती है परन्तु आर्थिक दृष्टिकोण से दिन लाभदायक रहेगा। थोड़े परिश्रम से आशा से अधिक मुनाफा कमा सकते है इसके लिए कुछ अधिक परिश्रम की आवश्यकता रहेगी। आज शेयर सट्टे में निवेश शीघ्र लाभ देगा। पैतृक संपत्ति के कार्य अधूरे रह सकते है। घरेलू सुख सामान्य से उत्तम रहेगा। आज कही सुनी बातों पर विश्वास ना करें।
वृष (ई, ऊ, ए, ओ, वा, वी, वू, वे, वो)
आज के दिन भी ग्रह स्थिति घर बाहर उथल पुथल कराएगी में आपको घरेलु मामलो में विशेष सावधानी बरतने की आयवश्यक रहेगी। रूठने-मनाने में दिन का कुछ भाग व्यर्थ हो सकता है। बुजुर्ग वर्ग भी आज आपकी विचारधारा के विपरीत सोच रखेंगे जिससे ता��मेल बैठाने में मुश्किल होगी। कार्य क्षेत्र पर अन्य व्यक्ति आपकी लाचारी का फायदा उठा सकता है। आज किसी के आगे समर्पण ना करें थोड़ा धैर्य रख मध्यान बाद की प्रतीक्षा करें परिस्थितियां सुधारने पर राहत मिलने लगेगी। आज बाहरी व्यक्ति से मन के भेद प्रकट ना करें। सेहत अकस्मात खराब हो सकती है।
मिथुन (का, की, कू, घ, ङ, छ, के, को, हा)
आर्थिक दृष्टिकोण से आज का दिन पिछले कुछ दिनों से बेहतर रहेगा। कार्य क्षेत्र से अतिरिक्त आय होगी। रुके हुए कार्य पूर्ण होने से भी धन के स्त्रोत्र बढ़ेंगे लेकिन आज हाथ खुला रहने से भविष्य में बड़े खर्च की योजना भी बनेगी। सामाजिक गतिविधियों में पूरा समय ना दे पाने से लोगो से दूरी बन सकती है। संध्या का समय पूर्वनियोजित रहेगा पर्यटन पार्टी की योजना बनाई जाएगी। उत्तम भोजन के साथ गृहस्थ का सुख मिलेगा। सन्तानो के ऊपर अतिरिक्त खर्च करना पड़ेगा। सेहत छोटी मोटी व्याधि को छोड़ सामान्य रहेगी।
कर्क (ही, हू, हे, हो, डा, डी, डू, डे, डो)
आज दिन का पहला भाग आपकी आशाओं के विपरीत रहने वाला है। आय की अपेक्षा खर्च अधिक रहने से धन की कमी अनुभव होगी महत्त्वपूर्ण कार्य को लेकर कीसी से कर्ज लेने की नौबत भी आ सकती है। आस-पडोसी की गलतियों को आज नजरअंदाज करें अन्यथा छोटी बात बड़ा विवाद खड़ा कर देगी। परिजनों की सहानुभूति मानसिक कमजोरी दूर करेगी। धार्मिक गतिविधियों में भी फिजूल खर्ची पर नियंत्रण रखें। अल्प धन लाभ होगा। मध्यान बाद स्थिति में सुधार तो आएगा लेकिन स्वभाव में लापरवाही भी बढ़ने से कोई खास लाभ नही उठा पाएंगे।
सिंह (मा, मी, मू, मे, मो, टा, टी, टू, टे)
आज दिन के पूर्वार्ध में आपको परिश्रम के अनुसार फल ना मिलने से मानसिक पीड़ा हो सकती है। दिमाग में नए-नए विचार आने से किसी ठोस निर्णय लेने में परेशानी होगी। नई वस्तुओ की खरीददारी अथवा नये कार्य में निवेश आज ना करें। उत्तरार्ध के बाद स्थिति बेहतर होने लगेगी। धन की आमद होने से वित्तीय आयोजन कर पाएंगे। थोक के व्यवसायी आज निवेश कर सकते है आगे लाभ होगा। परिवार में किसी के बीमार होने से धन का व्यय भी रहेगा परन्तु शांति भी रहेगी।
कन्या (टो, पा, पी, पू, ष, ण, ठ, पे, पो)
आज के दिन आप अधिक लापरवाह रहने के कारण हानि उठा सकते है। प्रातः काल से ही यात्रा पर्यटन की योजना बनेगी कार्य क्षेत्र पर अधिक ध्यान देने के बाद भी ��ल्प लाभ से संतोष करना पड़ेगा। नौकरों के ऊपर ज्यादा विश्वास भी हानि का कारण बन सकता है। कार्य क्षेत्र पर चोरी जैसी गतिविधि अथवा आप पर आरोप लगाए जा सकते है सावधान रहे। वाणी में कठोरता रहने से घर में कलह होने की सम्भवना है। आर्थिक लेन-देन लिख कर ही करें। संध्या का समय थकान वाला रहेगा कोई नापसंद कार्य भी करना पड़ सकता है। शारीरिक कमजोरी अनुभव करेंगे।
तुला (रा, री, रू, रे, रो, ता, ती, तू, ते)
आपका आज का दिन मिश्रित फलदायी रहेगा। दिन के पहले भाग में आर्थिक दृष्टिकोण से संतुष्टि रहेगी। कार्य क्षेत्र पर बिक्री बढने से धन की आमद होगी। व्यक्तित्व का भी विकास होने से सामाजिक छवि बेहतर बनेगी। लेकिन धन हाथ मे आने के बाद दिमाग उटपटांग कामो में उलझेगा साथ ही कुछ समय के लिये पारिवारिक समस्याओं के कारण मन अशांत रहेगा। घर में किसी विवाद के बढ़ने की सम्भवना है। मौन दर्शक बनकर रहने में ही भलाई है। सेहत में थोड़ा बहुत बदलाव आ सकता है। अतिआवश्यक कार्य दोपहर बाद करना ही हितकर रहेगा।
वृश्चिक (तो, ना, नी, नू, ने, नो, या, यी, यू)
आज के दिन कार्य क्षेत्र पर व्यस्तता अधिक रहेगी हाथ में लिए अनुबंध समय पर पूर्ण नहीं करने के कारण आलोचना हो सकती है। स्वभाव से भी आज ढीलापन रहने के कारण भागदौड़ वाले कार्यो से बचने का प्रयास करेंगे। लेकिन फिर भी आज कार्य क्षेत्र पर अधिकांश कार्य अपने ही बलबूते करना पड़ेगा। सहकारी कार्य लेट-लतीफी के कारण अधूरे रहेंगे। नयी योजनाओं को हाथ में लेने से पहले हानि-लाभ की समीक्षा करलें। संध्या के बाद आर्थिक विषयो में सफलता मिलेगी। यात्रा पर्यटन की योजना बनेगी लेकिन आज टालना ही बेहतर रहेगा। सर, अथवा कमर से निचले भाग में समस्या बनने की सम्भवना है।
धनु (ये, यो, भा, भी, भू, ध, फा, ढा, भे)
आज का दिन भी अस्तव्यस्त रहने से मनोकामना अधूरी रह सकती है। मध्यान तक जोखिम वाले कार्यो से बचने का प्रयास करें अन्यथा परेशानी में पड़ सकते है। आज कार्य क्षेत्र पर किसी से ना उलझे पद एवं प्रतिष्ठा की हानि हो सकती है। सांसारिक गतिविधियों में व्यस्त रहने के कारण स्वयं की अनदेखी करनी पड़ेगी परन्तु इसके बदले धन लाभ होने से संतोष रहेगा। दोपहर बाद धर्म-कर्म में अधिक रुचि रहेगी धार्मिक कार्यक्रमो में उपस्थिति देंगे। घर के बुजुर्गो से नए अनुभव मिलेंगे। पत्नी संतान का सुख मिलेगा।
मकर (भो, जा, जी, खी, खू, खा, खो, गा, गी)
आज आप कार्यो की भरमार रहने के कारण भ्रमित हो सकते है। परिश्रम का उचित फल नहीं मिलेगा दोपहर तक कार्यो में व्यवधान आने से निराश रहेंगे परन्तु संध्या के समय किसी परिचित के सहयोग से लाभ होने से खर्च निकल जाएंगे। लेकिन संध्या का समय शारीरिक रूप से सावधानी बरतने का है आकस्मिक दुर्घटना अथवा क��सी अशुभ समाचार के मिलने से मन परेशान होगा। सरकारी कार्य आज भी निरस्त करें। परिवार के प्रति अधिक भावनात्मक बनेंगे। आध्यात्म में रूचि होने पर भी समय नहीं दे पाएंगे। व्यसनों से दूर रहें।
कुंभ (गू, गे, गो, सा, सी, सू, से, सो, दा)
रोजगार के क्षेत्र में किये जा रहे प्रयास आज फलीभूत होने से आर्थिक समस्याओं का समाधान होगा। सार्वजनिक क्षेत्र से शुभ समाचार मिलने की संभावना है। बेरोजगार व्यक्तियों को भी रोजगार मिलने की सम्भावना बनेगी। आज आपसे बहस में कोई नहीं जीत पायेगा लेकिन बड़बोलेपन के कारण महिलाओं के सम्मान में कमी होगी। दिन के उत्तरार्ध में कार्य भार बढ़ने से कमर अथवा अन्य अंगों में दर्द की शिकायत रहेगी। पारिवारिक वातावरण मिला जुला रहेगा। यात्रा आज किसी न किसी रूप में लाभदायक सिद्ध होगी।
मीन (दी, दू, थ, झ, ञ, दे, दो, चा, ची)
आज का दिन मिला-जुला रहेगा। सेहत लगभग सामान्य रहेगी। आज कई दिनों से लटके किसी अनुबंध के आगे बढ़ने से धन लाभ की कामना अधूरी रहेगी। व्यवसाय के ऊपर अधिक ध्यान देने के बाद भी कार्य विलम्ब से पूर्ण होंगे लाभ के कई अवसर मिलेंगे परन्तु धनागम के लिए थोड़ी प्रतीक्षा करनी पड़ेगी। संध्या बाद आवश्यकता अनुसार धन की पूर्ति हो जाएगी। आज कार्य क्षेत्र पर आपकी लापरवाही के चलते अधिकारी वर्ग गर्म हो सकते है। स्टेशनरी अथवा प्रिंटिंग के कार्य से जुड़े जातको को आकस्मिक नए अनुबंध मिल सकते है। परिवार के लिए आप कुछ नया करेंगे।
आपका दिन शुभ व मंगलमय हो।
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बचपन से जब आपको बताया जाता है की आप कुछ कम हो है उतने काबिल नही हो आपकी भी ऐसी ही सोच बन जाती है ! लेकिन लेकिन जब आपकी जिंदगी मैं ऐसा कोई आता है जो आपको कीमती समझाता है तब आपका कॉन्फिडेंस बहुत बढ़ जाता हैं। खुशनसीब हूं अपनी जिंदगी के उस सख्स के लिऐ। अब वो फैसला मैं दिमाग से नही दिल से लेना चहती हूं ये तो पहले ही सोच लिया था की आपने जीवन साथी मैं एक दोस्त देखोगी पर जब तुम मेरे दोस्त थे तो मुझे तुम्मे एक अच्छा जीवनसाथी देखी देता था। हमारी परवरिश ऐसे ही हुई है की हम किसी व्यक्ति का पहले बैंक एक्वाउन देखते है उसकी धन संपत्ति देखी जाती हैं, पर मैने सोच लिया था अपने जीवनसाथी रूपी मित्र का मैं पहले हमारे संस्कारों और नैतिक मूल्य को देखोगी । लोग अपने बुढ़ापे का क्यों नहीं सोचते हैं वह क्यों नहीं सोचते हैं कि क्या हम आगे की जिंदगी अपने बेटे के पैसों पर ही बनाएंगे क्यों बेटे के लिए बोझ हो जाएंगे अपनी जमा पूंजी खोया तो वह लड़की के दहेज में या लड़के की ��ादी धूमधाम से कराने में खर्च कर देते हैं वह पैसा क्यों नहीं बचाते अपने बुढ़ापे के लिए ताकि वह समाज में सम्मान जन सम्मानजनक तरीके से जी सके आखरी जिंदगी क्या बस बेचारी लाचारी और अत्याचारी लज्जित और अपमानजनक तरीके से गुजारने के लिए होती है क्या तो फिर बाकी की पूरी जिंदगी क्यों मेहनत करते हो कि लोग आपको सम्मान दें।
मुझे नही पता, मेरे जीवन की कहानी क्या होगी…पर मुझे इतना जरूर पता है, उसमें ये कहीं नहीं लिखा होगा…कि मैंने कोशिश नही की।
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एक सुंदर स्वप्न माझे होणार होते कधी
लाचारी पहा, आम्ही अजून संकटात आ��ोतजीवन आज फिरून त्याच मार्गावर आहे जीवन जे जगले जाते, ज��ेच्या तसेहोतेक्षणो क्षणी वाटते की सर्व गुन्ह्यात आहेत होऊ शकले काही नाही, विचार करून इथेभाकऱ्या आता माझ्या, बनती पसंतीत आहे एक सुंदर स्वप्न माझे होणार होते कधीजीवन कमी जरी, माझ्या बाहुत आहे शिवत आहेत आता सर्व फाटक्या वेदनानानाव सर्वांचे इथे, आता शिंप्यात आहे हे त्याला पण कुठे माहित, हिशोब आहे इथेजीवन…
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प्रदेशवादियों के नाम संदेश,
4 जून 2024 को भारत के आम चुनाव यानि कि 18वें लोक सभा चुनाव समाप्त हो गए। चुनाव से संबंधित रोचक तथ्यों पर अगर नज़र डाली जाए तो दर्जनों तथ्य सामने आएं हैं जिस पर विश्वास कर पाना अधिकांश लोगों को असहज कर देता हैं। पर उस सभी में सबसे रोचक और चर्चा का विषय बनने वाला मुद्दा बना उत्तर प्रदेश के लोगों का चुनावी व्यवहार। पिछले दो लोक सभा चुनावों में भाजपा को पूर्ण बहुमत की परिस्थिति में लाने वाले और सीट(आबादी) के लिहाज से सबसे बड़े प्रदेश में इस बार एक बड़ा उलट फेर देखने को मिला। उत्तर प्रदेश में भाजपा के मुख्य विपक्षी दल समाजवादी पार्टी ने एक बड़ी जीत हासिल कर सबको चौंका दिया। किसी ने शायद ही सोचा होगा की राम मंदिर और मोदी – योगी के डबल इंजन वाले राज्य में ऐसा भी हो सकता है। इतना झटका कम नहीं था की प्रभु श्री राम नगरी अयोध्या(फैज़ाबाद) वासियों ने भी चौकाने वाले परिणाम देकर आखरी कील ठोकने का काम किया। ऐसे में अपनी पसंदीदा पार्टी को ना जीतता हुआ देखना कष्टदायी तो है।
इन सभी कहानियों के बीच व्यक्तिगत रूप से जो चीज हृदय के सबसे करीब पहुंची वो थी पूरे प्रदेश वासियों की आलोचना और कई मौकों पर काफ़ी निचले स्तर की भाषा में आलोचना। आलोचकों में बीमारू राज्यों में गिने जाने वाले राज्यों के वासी भी हैं । आलोचकों का कहना है भाजपा के सबसे प्रिय राज्य होने के बाद भी उत्तर प्रदेश ने धोखा दे दिया। प्रदेशवासियों को देशद्रोही और गद्दार जैसे उपाधियों से सुशोभित किया जा रहा है। कहा जा रहा है दगाबाजी की सीमाओं को लांघने में उत्तर प्रदेश अब "सोनम बेवफा" से भी आगे निकल चुका है। राजनैतिक पार्टियां और उनके कार्यकर्ता आलोचना करें तो एक हद तक बातें समझ में आती हैं क्योंकि उन्होंने अपनी पार्टी के लिए जमीनी स्तर पर मेहनत की होती है। पर जब आम जनता पार्टी कैडर की तरह अपने ही देशवासियों का मखौल उड़ाने लगे तो सजग होने की आवश्यकता है। अपने पसंदीदा नेता से प्रेम करना, उसका प्रचार प्रसार करने या फिर फिर उसको आलोचना से बचाने के प्रयत्नों में कोई बुराई नहीं है। परंतु अपने नेता या पार्टी के प्रति अंधभक्ति किसी दिन आपके स्वयं के लिए भी भयावह साबित हो ���कती है। सोचकर देखिए की अगर किसी दिन रोड ऐक्सिडेंट में अकारण आपके परिवार से किसी सदस्य की मृत्यु हो जाती है, जिसमें आपके परिवार के सदस्य की कोई गलती नहीं है। करोड़ों की गाड़ी से कुचलने वाला आपकी ही समर्थित पार्टी विशेष का विधायक या उसका बेटा निकलता है। आप आपने परिवार जन के लिए न्याय की गुहार लगाते हैं और आपके अन्य साथी आप पर ही पार्टी को बदनाम करने के प्रयास करने का आरोप लगाते हैं। इस परिस्थिति में आपकी पीड़ा असहज करने वाली होगी पर किसी से बताए, बताई नहीं जायेगी। ऐसी घड़ी में कोई पार्टी या नेता आपके दुखों पे मरहम की पट्टी बांधने नहीं आएगा। आपका पड़ोसी जो आ सकता था, उसे आप पहले ही राजनैतिक मतभेद के कारण द्वेष से भर चुके हैं। अंत में बचेगी न्यायलय जिसमें 6 महीने घिसने के बाद आपको अपनी औकात और लाचारी दोनों स्वयं महसूस होने लगेगी। उदाहरण के तौर पे भारत में अगर हर महीने आप ₹ 25000 कमाते हैं तो भारत में टॉप 10% अमीरों की श्रेणी में आते हैं और वहीं कपिल सिब्बल जैसे वरिष्ठ वकील केस की एक उपस्थिति के ₹ 2500000 तक चार्ज करते हैं। ध्यान रहे कि ये जरूरी भी नहीं है की आपके मामले में सीसीटीवी कैमरा लगा हो और लगा भी तो सही अवस्था में सही प्राधिकरण तक पहुंच जाए। मुझे पता है अधिकांश लोगों को ऊपर बनाती गई मेरी मनगढ़ंत घटना प्रासंगिक न लगे, परंतु ऐसा कुछ भी कभी नहीं होगा जैसे ढीठ खयाल भी मन से त्याग देना ही उचित होगा। प्रोपेगेंडा, नैरेटिव और विचारधारा की लड़ाई एक हद तक उचित है पर जब विचार मतभेद से मनभेद में बदलने लगे, तो सतर्क और सजग होने की आवश्यकता और भी बढ़ जाती है। सुख दुख बाटने वाले अपने निजी स्पेस को हुंडा पे चढ़ा के तीरथ पर निकलने के बजाय उसे संजोहने का प्रयत्न करें।लोकतंत्र में मतदान का अधिकार ही सबसे महत्वपूर्ण अधिकार है और उसके इस्तेमाल के लिए लोगों को गद्दार बोलना अनैतिक ही नहीं अपमानित करने जैसा है। यूटयूब पे गीता ज्ञान अर्जित करने और भजन सुनने से कुछ नही होगा जबतक जीवन में उन मूल्यों को बिना किसी शर्त आत्मसात किया जाए।
मेरा द्वेष में आकर साथी बीमारू राज्यों का मखौल उड़ाने का कोई मकसद नहीं है क्योंकि सभी राज्य अपनी–अपनी विशेष परिस्थियों के अधीन हैं और सभी के माखौल बनाने के पर्याप्त कारण भी मौजूद हैं। परंतु साथ ही सभी की अपनी चुनौतियां हैं और सभी की अपनी विशेषताएं भी।" राम–श्याम" जैसे द्वंद समासी उदाहरण स्वरूप और एक ��्वास में लिए जाने वाले दो जमीनी सीमा से जुड़े हुए भाई समान राज्य एक दूसरे का मखौल बनाएं ये शोबनिया कहीं से नहीं प्रतीत होता है। लेकिन एक बात मैं फिर भी कहना चाहूंगा की उत्तर प्रदेश का वर्तमान और भविष्य बाकी पिछड़े हुए उत्तर के राज्यों के मुकाबले सबसे उज्ज्वल है। उदहारण के तौर पर अगर माना जाए की सभी राज्य कैंसर से ग्रस्त हैं तो उत्तर प्रदेश अभी भी इस स्टेज में हैं जिसके लिए पूर्ण प्रभावी इलाज़ सबसे ज्यादा संभव है।
खैर साथी राज्यों का भी समय के अनुसार मौज लेना उतना नहीं खलता है जितना की प्रदेश के वासियों का अपने ही प्रदेश वासियों के प्रति नफरत और द्वेष। विशेषकर फैज़ाबाद के वासियों के प्रति तो नफ़रत और गालियों के कसीदे पढ़े जा रहें हैं। लोगों का कहना है की मोदी जी इस प्रदेश के लोग आपके प्रेम और सम्मान के लायक नहीं हैं। "यू डिजर्व बैटर" जैसे हैशटैग का इस्तेमाल जोरो शोरो पे है। कुछ लोग तो राज्य छोड़ने तक की बात कर रहे हैं। व्यक्तिगत तौर पे मेरा साफ और स्पष्ट तौर पे मत है कि ना तो उत्तर प्रदेश के मुखिया आदित्यनाथ प्रदेश से बड़े हैं और ना ही माननीय प्रधान मंत्री मोदी जी। प्रजा से राजा की पहचान है राजा से प्रजा की नहीं। राष्ट्र से बड़े होने का तो दूर–दूर तक सवाल ही नहीं है। आपका मत मेरे मत से भिन्न हो सकता है। उत्तर प्रदेश के लोग अपना नेता चुनने का अधिकार रखते हैं और वही वो हर चुनाव में करते आ रहे हैं। गुजरात से आने वाले व्यक्ति को बनारस के लोगों ने और गंगा मां ने ना केवल अपने बेटे की तरह प्यार और सम्मान दिया है, बल्कि प्रधानमंत्री तक के सफर को सुगम बनाने का हर संभव प्रयास किया जो की अपने आप में प्रदेशवासियों के उदारता का प्रतीक है।
नोएडा में पिताजी जी की chauffeur–सहित चार चूड़ी वाली ऑटोमैटिक ई वी में बैठी चिंकी और ओमान –मस्कट में फ्री टाइम में नान खटाई की रेडी लगाने वाला गोरखपुर का दिनेश भी ट्वीट कर रहें हैं की "यूपी पीपल यू हैव लेड द गॉड डाउन" । "बट विच गॉड ?" पूछने पे सकपका जा रहे हैं कि भगवान राम का नाम लें या मोदी जी का। एक व्यक्ति चाहें कितना भी सम्मानित, प्रिय और ताकतवर क्यूं ना हो, वो ईश्वर से ऊपर स्थान कभी नहीं पा सकता। इतनी सीख तो हिंदुओं को कम से कम मुस्लिमों से ही ले लेनी चाहिए।
2020 के कोविड लॉकडॉन में ट्यूटर चलाना सीखने वाला रिंकू भी ट्वीट कर रहा है की ये "अजय राय कौन है ?" जो मोदी जी के ��ीत के मार्जिन को इतना कम कर दिया। रिंकू को मेरा उत्तर ये है की ट्यूटर से पहले जो भारत में चुनाव हुआ करते थे, जिस समय तुम टूटी–फ्रूटी के टेट्रा पैक में स्ट्रॉ फसाना सीख रहे थे तब अजय राय पांचवी बार विधायिकी की शपथ ले रहे थे। संभवतः अगर स्वयं प्रधानमंत्री वाराणसी सीट से ना लड़ रहे होते तो इस बार भाजपा के किसी और उम्मीदवार को मुंह की भी खानी पड़ सकती थी। खैर ऐसी अनेक जानकारियों के लिए ट्यूटर अनइंस्टॉल करके किताब ना सही तो कम से कम विकिपीडिया तक का सफर तो तय ही करना पड़ेगा।
किसी सीट पे कौन सी पार्टी/उम्मीदवार जीती और कौन सी हारी के अनेकों कारण गिनाए जा सकते हैं। भारत जैसे विकासशील और विविधताओं से भरे देश में इसका आंकलन लगाना और भी मुश्किल हो जाता है। मैं कोई चुनावी विशेषज्ञ तो नहीं हूं पर मुझे लगता है सभी मुद्दों में "निजी मुद्दे" सभी के निर्णयों में अनुपातहीन तरीके से दखलंदाजी करता है । भारत, जिसकी अधिकांश आबादी या तो मिडल क्लास या गरीब है उसके लिए जीडीपी, इंफ्रास्ट्रक्चर ,इकोनॉमिक आउटलुक, इज ऑफ डूइंग बिजनेस, फॉरेक्स रिज़र्व ,ग्लोबल स्ट्रेचर, वर्ल्ड ऑर्डर, ग्लोबलाइजेशन आदि जैसे जटिल राष्ट्रहित के मुद्दों से ज्यादा दिलचस्पी और भावना महंगाई, शिक्षा, नौकरी, सेहत, पानी, बिजली, मकान आदि मुद्दों से जुड़ी होती है। क्या लोगों के विचारों में इन बातों को लेकर कोई बदलाव नहीं हुए हैं? हुए हैं, पर महज़ 70 साल पहले शारीरिक गुलामी त्यागने वाले देश की तुलना आप अमरीका, कनाडा, फ्रांस, जर्मनी, ब्रिटेन सरीखे देशों से नहीं कर सकते। इन बदलावों के लिए जागरूक करने का श्रेय भी काफी हद तक पिछले 10 साल के मोदी कार्यकाल को भी जाता है।
ऐसा ही एक "निजी मुद्दा" था अयोध्या निवासियों का अपने मूल स्थानों से विस्थापन । अयोध्या में ऐसे हजारों परिवार हैं जिन्हें राम मंदिर निर्माण कार्य के अंतर्गत चलाए गए भूमि अधिग्रहण कार्यक्रम के दौरान अपने निजी जमीन, मकान और दुकानों को ना चाहते हुए भी या फिर बाज़ार से कम कीमत पर बेचना पड़ गया। ऐसी परिस्थिति के कारण जनता में काफी रोष और गुस्सा भी था जो शायद लोगों ने अपने वोट के माध्यम से प्रदर्शित करने का प्रयत्न किया है। आम जनमानस के पास सरकारों के खिलाफ़ लड़ने का बस ये एकमात्र हथियार होता है। आप इसे छीन नहीं सकते। हो सकता है इंदौर, लखनऊ, रायपुर जैसे शहरों में एसी में बैठकर, इस सितंबर परिवार संग अयोध्या में रामलला के दर्शन की प्लानिंग के हिसाब से ये तर्कसंगत न लगे पर वास्तविकता यही है। ईश्वर से किसी को बैर नहीं हैं, अयोध्या निवासियों को तो बिलकुल नहीं। वो तो रामलला को सदियों से पूज रहें हैं जब किसी मंदिर की कोई आस भी नहीं थी परंतु मंदिर बन जाने के कारण वो अपने आज और कल से मुंह तो नही मोड़ सकते। जब ठोकर आपके निजी स्वार्थ पे लगती है तो पीड़ा असहज कर ही जाती है। जिस मकान को आपके पुरखों ने बनाया हो, जिसे आपके माता पिता ने अपनी मेहनत से रंगत दी हो, जहां आप ने अपने भाई बहन के साथ अपना बचपन हंसते–खेलते काटा हो, जिसकी छतों से आप ने दूसरों की पतंगे काटी हो, जिसके आंगन में आपकी मां ने अचार और पापड़ सुखाएं हों, जिसके दुआर पर आपके पिताजी की स्कूटर वर्षों से खड़ी होती आई हो, उसको एक झटके में खो देना कभी भी आसान नहीं होता है। बात कई बार सिर्फ़ आर्थिक कीमत की नहीं, बल्कि उससे जुड़े हुए आपके हृदय में बसी हुए भावनाओं की होती है। बजार संगत कीमत तो बस एक समझौता है जिसे हासिल करने के बाद भी कभी टीस नहीं जाती। जिस दुकान से घरों की रोजी रोटी चल रही हो उसे यूं एक पल में पराया कर देना किसी के लिए आसान नहीं होगा। इसमें कोई दो राय नहीं है की मंदिर निर्माण और उससे संबंधित विकास कार्यों से अयोध्या की अर्थव्यवस्था में आने वाले वर्षों में काफ़ी वृद्धि होगी। पर इन वृद्धियों से लाभ उठाने का घाटा भी अयोध्यावासियों को ही सहना पड़ रहा है। ऐसे में जनता में नाराज़गी होना स्वाभाविक था। हार जीत समीकरण के सैकड़ों कारकों में एक महत्वपूर्ण कारक यह भी था। और ऐसा पहली बार नहीं हुआ है जब किसी विकास कार्य के कारण आम जनता को परेशानी न उठानी पड़ी हो। जब काशी विश्वनाथ कोरिडोर निर्माणाधीन था तब इस कार्य से प्रभावित जनता ने अपना आक्रोश 2019 लोक सभा चुनावों में व्यक्त भी किया था। विकास और उसके प्रभावों के बीच के सामंजस्य और संतुलन होना अति आवश्यक हैं। ऐसा संतुलन ना हो तो क्या हो सकता है उसका एक बेहतरीन उदाहरण इस ग्रीष्म ऋतु ने बयां कर ही दिया है। मुझे यकीन है की इतना कहने के बाद भी लोग इसे मोदीजी के विकास कार्यों के बाधा के रूप में ही देख रहे होंगे। दुखों में साथी बनने और स्वयं आत्मसात करने में भरी अंतर होता है।पर विश्वास कीजिए जब कोई सरकार आपके पिताजी/माताजी या स्वयं की अर्जित कमाई को अपनी शर्तों पे लेने आएगी तो आप भी ज्यादा देर तक नाराज़गी छुपा नहीं पाएंगे। उदाहरणस्वरूप इनकम टैक्स भरने वा��े शायद इस भावना से ज्यादा जुड़ पाएंगे। आप अपनी कमाई का हिस्सा देने में कतराते हैं और कोई बिना इच्छा अपनी विरासत नीलाम कर के वोट भी खिलाफत में देने का अधिकार खो दे । ये तो न्यायसंगत बात नहीं होगी। जैसे कि करोड़ों भारतीयों के लिए "विंडफाल टैक्स" या फिर " POEM रूल्स" या "NPA" जैसे महत्वपूर्ण राष्ट्रीय मुद्दे चुनावी मुद्दों की सूची में पहली प्राथमिकता पाने में असफल महसूस करते हैं वैसे ही अयोध्यावासी या कोई आम नागरिक भी पहले अपने परिवार का पेट पालने को सोचता है फिर कहीं समाज हित की बात करता है। आधुनिक काल में दार्शनिक बनने की सबसे पहली शर्त होती पेट में अन्न होना। आदर्श समाधान प्रायः दूसरों के संदर्भ में ही दिए जाते हैं। बाकि ये "एक" चुनाव हारने का "एक" खास चुनाव क्षेत्र से संबंधित "एक" विशेष मुद्दा है। चुनाव जीतने और नहीं जीतने के अनेकों और कारण होते हैं। ज्यादा दिलचस्पी के लिए विशेषज्ञों के लेखों को पढ़ा जा सकता है।
हाल ही में भारत के विदेश मंत्री ने भी रूस से तेल आयात पर लगे आरोपों के सन्दर्भ में पूछे गए प्रश्न के दौरान यही कहा की" यूरोप की तकलीफें विश्व की तकलीफें नहीं हो सकती। भारत वो हर संभव प्रयास करेगा जो उसके निजी हित के लिए उचित होगा।" विश्वगुरु होने के नाते हमें सभी के बारे में सोचना चाहिए ये आदर्श नीति तो हो सकती है पर व्यवहारिक नीति नहीं। शायद इससे कुछ मिलता जुलता विचार आक्रोशित अयोध्यावासियों का भी रहा होगा। अगर मंदिर निर्माण के बाद भी कुछ लोगो ने वोट नहीं दिया है तो मंदिर निर्माण के कारण से ही बहुत से लोगो ने वोट दिया भी है।
चर्चा में थोड़ा भटक गया था। मूल मुद्दा था उत्तर प्रदेश वासियों का अपने की सह–प्रदेशवासियों के प्रति कटुता। वैसे तो मैं मूलतः गोरखपुर का निवासी हूं पर पिताजी के कड़ी मेहनत के पैसे उड़ाने के कारण गोरखपुर और और उत्तर प्रदेश से बाहर रहने का भी कई बार सौभाग्य मिला। इन तमाम जगहों पर रहने के बाद एक व्यतिगत अनुभव साझा करने के कारण ही इतना लंबा लेख लिखना पड़ गया। हो सकता शायद सभी लोग इस बात से इत्तेफाक ना रखें पर मैंने ऐसा महसूस किया है की एकता के नाम पे सबसे कमज़ोर राज्य अगर कोई है तो वो उत्तर प्रदेश है। आप देश में कहीं भी चले जाएं आपको हर जगह बिहारी, मराठी, बंगाली, तमिल, तेलगु , मलयाली , कन्नड़, पंजाबी, हरयाणवी, हिमाचली, कश्मीरी,आसामी,आदि ग्रुप मिल जायेगा पर उत्तर प्रदेश के लोगों का कोई ग्रुप मिल पाना संभव नहीं होता। उत्तर प्रदेश वासी अक्सर आलू/भाटा की भांति किसी अन्य ग्रुप का हिस्सा बना हुआ मिल सकता है। या ज्यादा से ज्यादा बिहारी का साथ पकड़ के माहौल बनने की कोशिश करता हुआ मिल सकता है। और एक प्रदेश से होने की जो खुशी अन्य राज्य के लोगों में देखने को मिलती है वो खुशी उत्तर प्रदेश वासियों में नगण्य के समान है। एक कारण तो है उत्तर प्रदेश का पूरब से पश्चिम तक भगौलिक विस्तार जो की मूलतः बोली के आधार पे मोटा–मोटा ब्रज, अवध, पूर्वांचल, बुंदेलखंड, बघेलखंड जैसे क्षेत्रों में बांटा जा सकता है । ये सभी क्षेत्र अन्य राज्यों से भी जुड़े हुए है जैसे ब्रज/ पश्चिमी यूपी जुड़ा है दिल्ली और हरियाणा से, पूर्वांचल जुड़ा है बिहार से, बुंदेलखंड जुड़ा है मध्य प्रदेश से और बघेलखंड जुड़ा है छत्तीसगढ़ और झारखंड से, जिसके फलस्वरूप इन सभी क्षेत्रों की एक प्रदेश के रूप में पहचान न होकर एक क्षेत्रीय पहचान तक ही सीमित रह गई है या यूं कहें कि इन जुड़े हुए राज्यों में आवश्यकता से अधिक मिश्रित हो गई है। दूसरा कारण है अपने ही मन में धारण किया हुआ पूर्वाग्रह। पूर्वांचल का व्यक्ति जब किसी पश्चिमी यूपी के व्यक्ति से मिलता है तो उसको मन ही मन "दिल्ली से है बे***" वाली कैटेगरी में डाल के खुश हो जाता है और पश्चिमी यूपी वाला पूर्वांचल वाले को "भोजपुरी स्पीकिंग इलिटरेट बिहारी टाइप्स" वाली कैटेगरी में डाल के खुश। बुंदेली और बघेली बाकी तीनों से रिजोनेट ना ही करते हैं, और लगता है ना ही करना चाहते हैं और अपनी चौड़ में मस्त रहते हैं। अवध भी बाकी चारों से कोई खास जुड़ाव शायद ही महसूस करता है क्योंकि शायद आज भी मुग़लकालीन बादशाहत उसके दिमाग पे काबिज है। इसलिए पांचों भाई अपने को एक परिवार का हिस्सा मानने के बजाय अपनी ही धुन में सवार रहते हैं। परंतु ऐसा भी नहीं है की कम से कम एक क्षेत्र के ही दो लोगों में कोई खास भाईचारा उत्पन्न हो जाए। गोरखपुर के ही अगर पांच अपरिचित लोगों को अगर एक कमरे में बंद कर दिया जाए तो वो भी बस ज्यादा से ज्यादा नाम पूछने की इच्छा जाहिर कर सकते हैं , इस बात की एक प्रतिशत भी खुशी नहीं जाहिर करेंगे की एक ही जिले से हैं एक राज्य तो दूर की बात हैं। हैरत की बात नही है की एक समय पर राज्य को चार भाग में विभाजित करने की बात भी चर्चा में आई थी। जिले स्तर पर भी देखा जाए तो गाजियाबाद, नोएडा वाले उनका पता पूछने पर असली नाम कम, एनसीआर कहना ज्यादा पसंद करते हैं क्योंकि उससे दिल्ली वाली फील आती है तो वहीं बलिया के लोग मंगल पांडे के जमाने से ही अपने आप को राज्य के भीतर एक स्वतंत्र राज्य के रूप में देखते हैं और बागी तमगे के साथ जायज भी ठहराते हैं। गाजीपुर वाले मानते है की एक दिन पहले आजाद होने के कारण वो भी विशेष दर्जा ही रखते हैं। पूरे प्रदेश को शायद जमीन पे जोड़ रखा है मां गंगा ने और आसमान में 80 लोक सभा सीटों ने। पर आज ज�� कुछ लोग राजनैतिक मतभेद के चक्कर में अपने ही लोगों को गाली देने में लगे थे तो फिर लगा की अपनी पीड़ा साझा की जाए और प्रदेशवासियो को याद दिलाया जाए की एक "स्टेट आइडेंटिटी" के रूप तो आज भी कोई ठोस भावनात्मक पहचान बना पाने में अक्षम रहें हैं हम उत्तर प्रदेश के लोग। इसलिए समय रहते प्रयत्न करें की अपनों के साथ अपनो जैसे व्यवहार हो पाए और पूरा प्रदेश एक परिवार जैसा महसूस करे। अपने आप को श्रेष्ठकर और दूसरों को न्यूंतर मानकर अपनी मानसिक कुंठा से बाहर निकलने का प्रयास करें। प्रदेश में मानसिक विभाजन के अनेक कारण पहले ही मौजूद हैं, एक और न बनाकर अपना बंटाधार होने से बचाएं।
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हि लाचारी केवळ मतांसाठी एकनाथ शिंदे..
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*🌞~ आज दिनांक - 19 फरवरी 2024 का वैदिक हिन्दू पंचांग ~🌞*
*⛅दिन - सोमवार*
*⛅विक्रम संवत् - 2080*
*⛅अयन - उत्तरायण*
*⛅ऋतु - वसंत*
*⛅मास - माघ*
*⛅पक्ष - शुक्ल*
*⛅तिथि - दशमी सुबह 08:49 तक तत्पश्चात एकादशी*
*⛅नक्षत्र - मृगशिरा सुबह 10:33 तक तत्पश्चात आर्द्रा*
*⛅योग - विष्कम्भ दोपहर 12:01 तक तत्पश्चात प्रीति*
*⛅राहु काल - सुबह 08:36 से 10:02 तक*
*⛅सूर्योदय - 07:10*
*⛅सूर्यास्त - 06:38*
*⛅दिशा शूल - पूर्व*
*⛅ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 05:29 से 06:20 तक*
*⛅निशिता मुहूर्त - रात्रि 12:28 से 01:18 तक*
*⛅व्रत पर्व विवरण - छत्रपति शिवाजी महाराज जयन्ती (दि. अ), भक्त पुंडलिक उत्��व (पंढरपुर), वसंत ऋतु प्रारम्भ*
*⛅विशेष - दशमी को कलम्बी शाक खाना त्याज्य है । एकादशी को शिम्बी (सेम) खाने से पुत्र का नाश होता है । (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*
*🔸जया एकादशी - 20 फरवरी 24🔸*
*🔹एकादशी 19 फरवरी सुबह 08:49 से 20 फरवरी सुबह 09:55 तक ।*
*🔹व्रत उपवास 20 फरवरी मंगलवार को रखा जायेगा । 19, 20 फरवरी दो दिन चावल खाना निषिद्ध है ।*
*🔹एकादशी को चावल खाना वर्जित क्यों ?🔹*
*🌹एक वैज्ञानिक रहस्य बताते हुए कहते हैं : संत डोंगरेजी महाराज बोलते थे कि एकादशी के दिन चावल नहीं खाना चाहिए । जो खाता है, समझो वह एक-एक चावल का दाना खाते समय एक-एक कीड़ा खाने का पाप करता है । संत की वाणी में हमारी मति-गति नहीं हो तब भी कुछ सच्चाई तो होगी । मेरे मन में हुआ कि ‘इस प्रकार कैसे हानि होती होगी ? क्या होता होगा ?’*
*🌹 तो शास्त्रों से इस संशय का समाधान मेरे को मिला कि प्रतिपदा से लेकर अष्टमी तक वातावरण में से, हमारे शरीर में से जलीय अंश का शोषण होता है, भूख ज्यादा लगती है और अष्टमी से लेकर पूनम या अमावस्या तक जलीय अंश शरीर में बढ़ता है, भूख कम होने लगती है । चावल पैदा होने और चावल बनाने में खूब पानी लगता है । चावल खाने के बाद भी जलीय अंश ज्यादा उपयोग में आता है । जल के मध्यम भाग से रक्त एवं सूक्ष्म भाग से प्राण बनता है । सभी जल तथा जलीय पदार्थों पर चन्द्रमा का अधिक प्रभाव पड़ने से रक्त व प्राण की गति पर भी चन्द्रमा की गति का बहुत प्रभाव पड़ता है । अतः यदि एकादशी को जलीय अंश की अधिकतावाले पदार्थ जैसे चावल आदि खायेंगे तो चन्द्रमा के कुप्रभाव से हमारे स्वास्थ्य और सुव्यवस्था पर कुप्रभाव पड़ता है । जैसे कीड़े मरे या कुछ अशुद्ध खाया तो मन विक्षिप्त होता है, ऐसे ही एकादशी के दिन चावल खाने से भी मन का विक्षेप बढ़ता है । तो अब यह वैज्ञानिक समाधान मिला कि अष्टमी के बाद जलीय अंश आंदोलित होता है और इतना आंदोलित होता है कि आप समुद्र के नजदीक डेढ़-दो सौ किलोमीटर तक के क्षेत्र के पेड़-पौधों को अगर उन दिनों में काटते हो तो उनको रोग लग जाता है ।*
*🔹अभी विज्ञानी बोलते हैं कि मनुष्य को हफ्ते में एक बार लंघन करना (उपवास रखना) चाहिए लेकिन भारतीय संस्कृति कहती है : लाचारी का नाम लंघन नहीं… भगवान की प्रीति हो और उपवास भी हो । ‘उप’ माने समीप और ‘वास’ माने रहना – एकादशी व्रत के द्वा��ा भगवद्-भक्ति, भगवद्-ध्यान, भगवद्-ज्ञान, भगवद्-स्मृति के नजदीक आने का भारतीय संस्कृति ने अवसर बना लिया ।*
*🔹19 फरवरी से 19 अप्रैल तक क्या करें ?🔹*
*🔸1] कड़वे, तीखे, कसैले, शीघ्र पचनेवाले, रुक्ष (चिकनाईरहित) व उष्ण पदार्थों का सेवन करें । (अष्टांगह्रदय, योगरत्नाकर )*
*🔸2] पुराने जौ तथा गेहूँ की रोटी, मूँग, साठी चावल, करेला, लहसुन, अदरक, सूरन, कच्ची मूली, लौकी, तोरई, बैंगन, सोंठ, काली मिर्च, पीपर, अजवायन, राई, हींग, मेथी, गिलोय, हरड, बहेड़ा, आँवला आदि का सेवन हितकारी है ।*
*🔸3] सूर्योदय से पूर्व उठकर प्रात:कालीन वायु का सेवन, प्राणायाम, योगासन - व्यायाम, मालिश, उबटन से स्नान तथा जलनेति करें ।*
*🔸4] अंगारों पर थोड़ी-सी अजवायन डालकर उसके धूएँ का सेवन करने से सर्दी, जुकाम, कफजन्य सिरदर्द आदि में लाभ होता है ।*
*5] २ से ३ ग्राम हरड चूर्ण में समभाग शहद मिलाकर सुबह खाली पेट लेने से रसायन के लाभ प्राप्त होते हैं ।*
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Today's Horoscope -
मेष (चू, चे, चो, ला, ली, लू, ले, लो, अ)
आज के दिन भी ग्रह स्थिति घर बाहर उथल पुथल कराएगी में आपको घरेलु मामलो में विशेष सावधानी बरतने की आयवश्यक रहेगी। रूठने-मनाने में दिन का कुछ भाग व्यर्थ हो सकता है। बुजुर्ग वर्ग भी आज आपकी विचारधारा के विपरीत सोच रखेंगे जिससे तालमेल बैठाने में मुश्किल होगी। कार्य क्षेत्र पर अन्य व्यक्ति आपकी लाचारी का फायदा उठा सकता है। आज किसी के आगे समर्पण ना करें थोड़ा धैर्य रख मध्यान बाद की प्रतीक्षा करें परिस्थितियां सुधारने पर राहत मिलने लगेगी। आज बाहरी व्यक्ति से मन के भेद प्रकट ना करें। सेहत अकस्मात खराब हो सकती है।
वृष (ई, ऊ, ए, ओ, वा, वी, वू, वे, वो)
आर्थिक दृष्टिकोण से आज का दिन पिछले कुछ दिनों से बेहतर रहेगा। कार्य क्षेत्र से अतिरिक्त आय होगी। रुके हुए कार्य पूर्ण होने से भी धन के स्त्रोत्र बढ़ेंगे लेकिन आज हाथ खुला रहने से भविष्य में बड़े खर्च की योजना भी बनेगी। सामाजिक गतिविधियों में पूरा समय ना दे पाने से लोगो से दूरी बन सकती है। संध्या का समय पूर्वनियोजित रहेगा पर्यटन पार्टी की योजना बनाई जाएगी। उत्तम भोजन के साथ गृहस्थ का सुख मिलेगा। सन्तानो के ऊपर अतिरिक्त खर्च करना पड़ेगा। सेहत छोटी मोटी व्याधि को छोड़ सामान्य रहेगी।
मिथुन (का, की, कू, घ, ङ, छ, के, को, हा)
आज का दिन मिला-जुला रहेगा। सेहत लगभग सामान्य रहेगी। आज कई दिनों से लटके किसी अनुबंध के आगे बढ़ने से धन लाभ की कामना अधूरी रहेगी। व्यवसाय के ऊपर अधिक ध्यान देने के बाद भी कार्य विलम्ब से पूर्ण होंगे लाभ के कई अवसर मिलेंगे परन्तु धनागम के लिए थोड़ी प्रतीक्षा करनी पड़ेगी। संध्या बाद आवश्यकता अनुसार धन की पूर्ति हो जाएगी। आज कार्य क्षेत्र पर आपकी लापरवाही के चलते अधिकारी वर्ग गर्म हो सकते है। स्टेशनरी अथवा प्रिंटिंग के कार्य से जुड़े जातको को आकस्मिक नए अनुबंध मिल सकते है। परिवार के लिए आप कुछ नया करेंगे।
कर्क (ही, हू, हे, हो, डा, डी, डू, डे, डो)
आपका आज का दिन मिश्रित फलदायी रहेगा। दिन के पहले भाग में आर्थिक दृष्टिकोण से संतुष्टि रहेगी। कार्य क्षेत्र पर बिक्री बढने से धन की आमद होगी। व्यक्तित्व का भी विकास होने से सामाजिक छवि बेहतर बनेगी। लेकिन धन हाथ मे आने के बाद दिमाग उटपटांग कामो में उलझेगा साथ ही कुछ समय के लिये पारिवारिक समस्याओं के कारण मन अशांत रहेगा। घर में किसी विवाद के बढ़ने की सम्भवना है। मौन दर्शक बनकर रहने में ही भलाई है। सेहत में थोड़ा बहुत बदलाव आ सकता है। अतिआवश्यक कार्य दोपहर बाद करना ही हितकर रहेगा।
सिंह (मा, मी, मू, मे, मो, टा, टी, टू, टे)
आज के दिन आप अधिक लापरवाह रहने के कारण हानि उठा सकते है। प्रातः काल से ही यात्रा पर्यटन की योजना बनेगी कार्य क्षेत्र पर अधिक ध्यान देने के बाद भी अल्प लाभ से संतोष करना पड़ेगा। नौकरों के ऊपर ज्यादा विश्वास भी हानि का कारण बन सकता है। कार्य क्षेत्र पर चोरी जैसी गतिविधि अथवा आप पर आरोप लगाए जा सकते है सावधान रहे। वाणी में कठोरता रहने से घर में कलह होने की सम्भवना है। आर्थिक लेन-देन लिख कर ही करें। संध्या का समय थकान वाला रहेगा कोई नापसंद कार्य भी करना पड़ सकता है। शारीरिक कमजोरी अनुभव करेंगे।
कन्या (टो, पा, पी, पू, ष, ण, ठ, पे, पो)
रोजगार के क्षेत्र में किये जा रहे प्रयास आज फलीभूत होने से आर्थिक समस्याओं का समाधान होगा। सार्वजनिक क्षेत्र से शुभ समाचार मिलने की संभावना है। बेरोजगार व्यक्तियों को भी रोजगार मिलने की सम्भावना बनेगी। आज आपसे बहस में कोई नहीं जीत पायेगा लेकिन बड़बोलेपन के कारण महिलाओं के सम्मान में कमी होगी। दिन के उत्तरार्ध में कार्य भार बढ़ने से कमर अथवा अन्य अंगों में दर्द की शिकायत रहेगी। पारिवारिक वातावरण मिला जुला रहेगा। यात्रा आज किसी न किसी रूप में लाभदायक सिद्ध होगी।
तुला (रा, री, रू, रे, रो, ता, ती, तू, ते)
आज आप कार्यो की भरमार रहने के कारण भ्रमित हो सकते है। परिश्रम का उचित फल नहीं मिलेगा दोपहर तक कार्यो में व्यवधान आने से निराश रहेंगे परन्तु संध्या के समय किसी परिचित के सहयोग से लाभ होने से खर्च निकल जाएंगे। लेकिन संध्या का समय शारीरिक रूप से सावधानी बरतने का है आकस्मिक दुर्घटना अथवा किसी अशुभ समाचार के मिलने से मन परेशान होगा। सरकारी कार्य आज भी निरस्त करें। परिवार के प्रति अधिक भावनात्मक बनेंगे। आध्यात्म में रूचि होने पर भी समय नहीं दे पाएंगे। व्यसनों से दूर रहें।
वृश्चिक (तो, ना, नी, नू, ने, नो, या, यी, यू)
आज का दिन भी अस्तव्यस्त रहने से मनोकामना अधूरी रह सकती है। मध्यान तक जोखिम वाले कार्यो से बचने का प्रयास करें अन्यथा परेशानी में पड़ सकते है। आज कार्य क्षेत्र पर किसी से ना उलझे पद एवं प्रतिष्ठा की हानि हो सकती है। सांसारिक गतिविधियों में व्यस्त रहने के कारण स्वयं की अनदेखी करनी पड़ेगी परन्तु इसके बदले धन लाभ होने से संतोष रहेगा। दोपहर बाद धर्म-कर्म में अधिक रुचि रहेगी धार्मिक कार्यक्रमो में उपस्थिति देंगे। घर के बुजुर्गो से नए अनुभव मिलेंगे। पत्नी संतान का सुख मिलेगा।
धनु (ये, यो, भा, भी, भू, ध, फा, ढा, भे)
आज दिन का पहला भाग आपकी आशाओं के विपरीत रहने वाला है। आय की अपेक्षा खर्च अधिक रहने से धन की कमी अनुभव होगी महत्त्वपूर्ण कार्य को लेकर कीसी से कर्ज लेने की नौबत भी आ सकती है। आस-पडोसी की गलतियों को आज नजरअंदाज करें अन्यथा छोटी बात बड़ा विवाद खड़ा कर देगी। परिजनों की सहानुभूति मानसिक कमजोरी दूर करेगी। धार्मिक गतिविधियों में भी फिजूल खर्ची पर नियंत्रण रखें। अल्प धन लाभ होगा। मध्यान बाद स्थिति में सुधार तो आएगा लेकिन स्वभाव में लापरवाही भी बढ़ने से कोई खास लाभ नही उठा पाएंगे।
मकर (भो, जा, जी, खी, खू, खा, खो, गा, गी)
आज दिन के पूर्वार्ध में आपको परिश्रम के अनुसार फल ना मिलने से मानसिक पीड़ा हो सकती है। दिमाग में नए-नए विचार आने से किसी ठोस निर्णय लेने में परेशानी होगी। नई वस्तुओ की खरीददारी अथवा नये कार्य में निवेश आज ना करें। उत्तरार्ध के बाद स्थिति बेहतर होने लगेगी। धन की आमद होने से वित्तीय आयोजन कर पाएंगे। थोक के व्यवसायी आज निवेश कर सकते है आगे लाभ होगा। परिवार में किसी के बीमार होने से धन का व्यय भी रहेगा परन्तु शांति भी रहेगी।
कुंभ (गू, गे, गो, सा, सी, सू, से, सो, दा)
आज का दिन आंशिक शुभ रहेगा। पुरानी गलतियों या व्यवहार की कमी के कारण आज मन में ग्लानि रहेगी। सेहत भी आज थोड़ी विपरीत रहने से मन की बहुप्रतीक्षित इच्छा अधूरी रह सकती है परन्तु आर्थिक दृष्टिकोण से दिन लाभदायक रहेगा। थोड़े परिश्रम से आशा से अधिक मुनाफा कमा सकते है इसके लिए कुछ अधिक परिश्रम की आवश्यकता रहेगी। आज शेयर सट्टे में निवेश शीघ्र लाभ देगा। पैतृक संपत्ति के कार्य अधूरे रह सकते है। घरेलू सुख सामान्य से उत्तम रहेगा। आज कही सुनी बातों पर विश्वास ना करें।
मीन (दी, दू, थ, झ, ञ, दे, दो, चा, ची)
आज के दिन कार्य क्षेत्र पर व्यस्तता अधिक रहेगी हाथ में लिए अनुबंध समय पर पूर्ण नहीं करने के कारण आलोचना हो सकती है। स���वभाव से ��ी आज ढीलापन रहने के कारण भागदौड़ वाले कार्यो से बचने का प्रयास करेंगे। लेकिन फिर भी आज कार्य क्षेत्र पर अधिकांश कार्य अपने ही बलबूते करना पड़ेगा। सहकारी कार्य लेट-लतीफी के कारण अधूरे रहेंगे। नयी योजनाओं को हाथ में लेने से पहले हानि-लाभ की समीक्षा करलें। संध्या के बाद आर्थिक विषयो में सफलता मिलेगी। यात्रा पर्यटन की योजना बनेगी लेकिन आज टालना ही बेहतर रहेगा। सर, अथवा कमर से निचले भाग में समस्या बनने की सम्भवना है।
आपका दिन शुभ व मंगलमय हो।
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दौलत का नशा
दौलत का नशा सबसे भारी है इसमें पाना कमाना ही दुनियादारी है इज्जत शोहरत इसी से मिलती है हर शख्सियत दौलत के आगे झुकती है मान सम्मान भी उसी को मिलता है जो दौलत मंद होता है गरीब को दो वक्त रोटी की लाचारी है । अहंकार दौलतमंद का द्योतक है उसके लिए खुद को खुदा समझने की बीमारी है यही तो दौलत का नशा और स्वयं भू कहने की तैयारी है । ।
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