Tumgik
#लाचारी
maakavita · 7 months
Text
आज से माँ की जिम्मेदारी (aaj se maa ki jimmedari )
आज से माँ की जिम्मेदारी (aaj se maa ki jimmedari ) : परम्परा हमारी   ये तेरा हिस्सा वो मेरा हिस्सा, बाँट लिए है सब ने बारी-बारी, एक -दूसरे का सब चेहरा देख रहें हैं, कौन उठाएगा आज से माँ की जिम्मेदारी, (aaj se maa ki jimmedari ), *      *       *       *       * मौन होकर खड़े हो गए हैं, बढ़-चढ़कर बोलने वाले, किस ओर झुकाएं पलड़ा तराजू का, सोच रहें हैं एक बराबर तोलने वाले, आज सब पर क्यों बोझ बन ग‌ई…
Tumblr media
View On WordPress
0 notes
shayriara · 9 months
Text
#laachaari
किसी के भाग्य मे इतनी लाचारी ना लिख राम कि उसे रास्ता मौत लगे
ज़ब वो सर झुकाये तेरे सजदे मे तो उसे लकीरें भी लकीरो की सौत लगे...
Kisi me bhagy me itni laachaari na likh raam ki use rasta mout lage
Jb vo sir jhukaaye tere sajde me to use lakeere bhi lakeero ki sout lage..
- Krishna sharma (कृष्णा शर्मा )
20 notes · View notes
chandnihumai · 8 months
Text
अब इसे आदत समझु या लाचारी पुरानी बातें जो घाव कर दिया करती थी मेरे दिल में, अब बस छुकर युही निकल जाया करती है ।
8 notes · View notes
deepjams4 · 5 months
Text
Tumblr media
बाइस्कोप!
आओ बच्चो…………आओ बाइस्कोप दिखाऊँ
तुम्हें बचपन की कहानियों में छुपे रहस्य बताऊँ
ये छोटी सी ताकी बड़ी बड़ी कहानियाँ दिखलाए
मनोरंजन ही नहीं जीवन से परिचय भी करवाए!
इन कहानियों का…………मैं तो बस सूत्रधार हूँ
देस-परदेस की कहानियाँ बताने को बेक़रार हूँ
आज की कहानी के
टिकट का दाम है ……बस चार आना …….चार आना….
चार आना……हो सके तो लाना…..न हो तब भी आना….
रोकूँगा नहीं….बाइस्कोप के मज़े उठाने...भाग के आना….
भाग के आना…..भाग के आना….
आओ बैठो ताकी का ढक्कन हटाओ
बस अपनी आँख……ताकी में गढ़ाओ
और अब…….मेरी ही बात सुनते जाओ
बाइस्कोप देखो…...और मज़ा उठाओ
इस कहानी में एक देश में राज-काल है
जिसकी जनता का बड़ा ही बुरा हाल है
पनपता हुआ पूँजीवाद है….अधर में लटकता समाजवाद है
जेबें ख़ाली लिए खोखली….लाल रंगी वामपन्थी आवाज़ है
भौतिकवाद…..यथार्थवाद…..भक्तिवाद..….. दार्शनिकवाद
सब के सब ही बेहाल हैं वहाँ..…निरर्थक बना आदर्शवाद है
भोली प्रजा को भरमाते………धर्माधिकारियों की भरमार है
आशाएँ खोजती प्रजा पर……….....निराशा का दुष्प्रभाव है
पूँजीवादी हर तरफ़ फिरता है ख़ुशहाली की ढींगे हाँकता
वामपंथी ग़रीबी लाचारी बर्बादी की बस चीखें ही मारता
अस्तित्व खो चुका समाजवादी है अपने अवसर तलाशता
प्रजा हुई गरीब ….और बेईमान सेठ हुआ अमीर
हर चीज़ हड़पकर कहे….ये बस है उसका नसीब
स्वाँग रचे है राजा……मगर लूट में है पूरा शरीक
एक वज़ीर है……..वो राजा के बड़ा ही करीब है
मगर बंदा दिखता बड़ा ही अजीब-ओ-गरीब है
राजपाठ चलाने को……..वज़ीर ही ज़िम्मेदार है
धनवानों से उसका रिश्ता बड़ा ही बाकमाल है
हिस्सा है उसका भी जितना सेठ लूटता माल है
राजकोष का तो उसने किया पूरा ही बंटाधार है
हाँ फ़ौज का मुखिया…घुड़सवार सिपहसलार है
जनता पे ज़ुल्म ढानेवालों का वो बना सरदार है
लूट का धन बटोरकर….वो भी बना मालामाल है
ज़ुल्मियों से डरे जनता…भविष्य बना अंधकार है
कुछ बोले बिना चुपचाप सहे….जनता लाचार है
सत्ता की सबके सिरों पे…जो लटकती तलवार है
देखो धर्माचार्य बनके कैसे धोखा करे पाखंड रचे
नाम भुनाए लूट मचाए…भगवान को बदनाम करे
डरे हुए लोगों पर…लेकर नाम प्रभु का प्रपंच रचे
यहाँ चापलूसों की चापलूसी ही राजा का प्राश् है
चरमराती व्यवस्था में….. मूल्यों का हुआ ह्रास है
प्रशासन की बैंड बज गई न्याय प्रणाली हताश है
झूठी खबरें फैलाने वाले तंत्र से….प्रजा निराश है
जातिगत समीकरणों की चपेट में आया समाज है
धर्मों में आपसी लड़ाइयों का पनप रहा पिशाच है
चारों तरफ़ दिखाई देता बस विनाश ही विनाश है
मगर प्रजा की व्यथा का सत्ता को कहाँ आभास है
बच्चो ये तो बस कहानी है…तुम नन्हे फूलों को चेतानी है
सूत्रधार ने यही बात तुम्हें……..बस फिर याद दिलानी है
कभी भूला बिसरा ही न देना…..तुम आपसी सौहार्द कहीं
चापलूसों की चालों से……तुम सतर्क रहना हर पल सभी
याद होगी बूढ़े किसान और उसके झगड़ते बेटों की कहानी
सुनाई थी न तुम्हें… जो गट्ठर में बँधी लकड़ियों की ज़ुबानी
मौक़ापरस्त बहुत हैं यहाँ तुम उनकी बातों में कभी न बहना
गट्ठर में बँधी लकड़ियों की तरह ही मज़बूती से इकट्ठे रहना
प्रलोभनों से विचलित न होना दुख सुख सब मिलके सहना
याद रहे ये देश है तुम्हारा इसका नाता तुमसे सदा है रहना
गरीब जनता की आवाज़ बनके उनके हक़ की बातें कहना
चाहे संघर्ष जीवन में आयें कितने भी उन्हें बस हँसके सहना!
बस खेल ख़त्म हुआ अब…. आँख ताकी से हटाओ
अपनी अपनी ताकी का ढक्कन…..वापिस लगाओ
तुम जाओ खेलो कूदो भागो दौड़ो और मौज मनाओ
बाइस्कोप लेकर मैं सूत्रधार अब यहाँ से जाता हूँ
इंतज़ार करना मेरा……
जब तक खोजकर एक नयी कहानी सुनाने लाता हूँ!
©deepjams4- some_wandering_thoughts
4 notes · View notes
kaminimohan · 1 year
Text
Free tree speak काव्यस्यात्मा 1371.
हाइकु
सुनते चलो
Tumblr media
लाचारी के हो
भले लम्बे रास्ते
चलते चलो।
दृष्टि धूमिल
अंधेरा चारों ओर
दीए-सा जलो।
ध्यान सुनाएँ
अनंत की आवाज़
सुनते चलो।
-© कामिनी मोहन पाण्डेय
-काव्यस्यात्मा
4 notes · View notes
aayushiagrawal · 7 days
Text
बचपन से जब आपको बताया जाता है की आप कुछ कम हो है उतने काबिल नही हो आपकी भी ऐसी ही सोच बन जाती है ! लेकिन लेकिन जब आपकी जिंदगी मैं ऐसा कोई आता है जो आपको कीमती समझाता है तब आपका कॉन्फिडेंस बहुत बढ़ जाता हैं। खुशनसीब हूं अपनी जिंदगी के उस सख्स के लिऐ। अब वो फैसला मैं दिमाग से नही दिल से लेना चहती हूं ये तो पहले ही सोच लिया था की आपने जीवन साथी मैं एक दोस्त देखोगी पर जब तुम मेरे दोस्त थे तो मुझे तुम्मे एक अच्छा जीवनसाथी देखी देता था। हमारी परवरिश ऐसे ही हुई है की हम किसी व्यक्ति का पहले बैंक एक्वाउन देखते है उसकी धन संपत्ति देखी जाती हैं, पर मैने सोच लिया था अपने जीवनसाथी रूपी मित्र का मैं पहले हमारे संस्कारों और नैतिक मूल्य को देखोगी । लोग अपने बुढ़ापे का क्यों नहीं सोचते हैं वह क्यों नहीं सोचते हैं कि क्या हम आगे की जिंदगी अपने बेटे के पैसों पर ही बनाएंगे क्यों बेटे के लिए बोझ हो जाएंगे अपनी जमा पूंजी खोया तो वह लड़की के दहेज में या लड़के की शादी धूमधाम से कराने में खर्च कर देते हैं वह पैसा क्यों नहीं बचाते अपने बुढ़ापे के लिए ताकि वह समाज में सम्मान जन सम्मानजनक तरीके से जी सके आखरी जिंदगी क्या बस बेचारी लाचारी और अत्याचारी लज्जित और अपमानजनक तरीके से गुजारने के लिए होती है क्या तो फिर बाकी की पूरी जिंदगी क्यों मेहनत करते हो कि लोग आपको सम्मान दें।
मुझे नही पता, मेरे जीवन की कहानी क्या होगी…पर मुझे इतना जरूर पता है, उसमें ये कहीं नहीं लिखा होगा…कि मैंने कोशिश नही की।
0 notes
shrikrishna-jug · 2 months
Text
एक सुंदर स्वप्न माझे होणार होते कधी
लाचारी पहा, आम्ही अजून संकटात आहोतजीवन आज फिरून त्याच मार्गावर आहे जीवन जे जगले जाते, जसेच्या तसेहोतेक्षणो क्षणी वाटते की सर्व गुन्ह्यात आहेत होऊ शकले काही नाही, विचार करून इथेभाकऱ्या आता माझ्या, बनती पसंतीत आहे एक सुंदर स्वप्न माझे होणार होते कधीजीवन कमी जरी, माझ्या बाहुत आहे शिवत आहेत आता सर्व फाटक्या वेदनानानाव सर्वांचे इथे, आता शिंप्यात आहे हे त्याला पण कुठे माहित, हिशोब आहे इथेजीवन…
0 notes
writerss-blog · 3 months
Text
दौलत का नशा
दौलत का नशा सबसे भारी है इसमें पाना कमाना ही दुनियादारी है इज्जत शोहरत इसी से मिलती है हर शख्सियत दौलत के आगे झुकती है मान सम्मान भी उसी को मिलता है जो दौलत मंद होता है गरीब को दो वक्त रोटी की लाचारी है । ��हंकार दौलतमंद का द्योतक है उसके लिए खुद को खुदा समझने की बीमारी है  यही तो दौलत का नशा और स्वयं भू कहने की तैयारी है । ।
0 notes
dryinkpot · 4 months
Text
प्रदेशवादियों के नाम संदेश,
4 जून 2024 को भारत के आम चुनाव यानि कि 18वें लोक सभा चुनाव समाप्त हो गए। चुनाव से संबंधित रोचक तथ्यों पर अगर नज़र डाली जाए तो दर्जनों तथ्य सामने आएं हैं जिस पर विश्वास कर पाना अधिकांश लोगों को असहज कर देता हैं। पर उस सभी में सबसे रोचक और चर्चा का विषय बनने वाला मुद्दा बना उत्तर प्रदेश के लोगों का चुनावी व्यवहार। पिछले दो लोक सभा चुनावों में भाजपा को पूर्ण बहुमत की परिस्थिति में लाने वाले और सीट(आबादी) के लिहाज से सबसे बड़े प्रदेश में इस बार एक बड़ा उलट फेर देखने को मिला। उत्तर प्रदेश में भाजपा के मुख्य विपक्षी दल समाजवादी पार्टी ने एक बड़ी जीत हासिल कर सबको चौंका दिया। किसी ने शायद ही सोचा होगा की राम मंदिर और मोदी – योगी के डबल इंजन वाले राज्य में ऐसा भी हो सकता है। इतना झटका कम नहीं था की प्रभु श्री राम नगरी अयोध्या(फैज़ाबाद) वासियों ने भी चौकाने वाले परिणाम देकर आखरी कील ठोकने का काम किया। ऐसे में अपनी पसंदीदा पार्टी को ना जीतता हुआ देखना कष्टदायी तो है। 
इन सभी कहानियों के बीच व्यक्तिगत रूप से जो चीज हृदय के सबसे करीब पहुंची वो थी पूरे प्रदेश वासियों की आलोचना और कई मौकों पर काफ़ी निचले स्तर की भाषा में आलोचना। आलोचकों में बीमारू राज्यों में गिने जाने वाले राज्यों के वासी भी हैं । आलोचकों का कहना है भाजपा के सबसे प्रिय राज्य होने के बाद भी उत्तर प्रदेश ने धोखा दे दिया। प्रदेशवासियों को देशद्रोही और गद्दार जैसे उपाधियों से सुशोभित किया जा रहा है। कहा जा रहा है दगाबाजी की सीमाओं को लांघने में उत्तर प्रदेश अब "सोनम बेवफा" से भी आगे निकल चुका है। राजनैतिक पार्टियां और उनके कार्यकर्ता आलोचना करें तो एक हद तक बातें समझ में आती हैं क्योंकि उन्होंने अपनी पार्टी के लिए जमीनी स्तर पर मेहनत की होती है। पर जब आम जनता पार्टी कैडर की तरह अपने ही देशवासियों का मखौल उड़ाने लगे तो सजग होने की आवश्यकता है। अपने पसंदीदा नेता से प्रेम करना, उसका प्रचार प्रसार करने या फिर फिर उसको आलोचना से बचाने के प्रयत्नों में कोई बुराई नहीं है। परंतु अपने नेता या पार्टी के प्रति अंधभक्ति किसी दिन आपके स्वयं के लिए भी भयावह साबित हो सकती है। सोचकर देखिए की अगर किसी दिन रोड ऐक्सिडेंट में अकारण आपके परिवार से किसी सदस्य की मृत्यु हो जाती है, जिसमें आपके परिवार के सदस्य की कोई गलती नहीं है। करोड़ों की गाड़ी से कुचलने वाला आपकी ही समर्थित पार्टी विशेष का विधायक या उसका बेटा निकलता है। आप आपने परिवार जन के लिए न्याय की गुहार लगाते हैं और आपके अन्य साथी आप पर ही पार्टी को बदनाम करने के प्रयास करने का आरोप लगाते हैं। इस परिस्थिति में आपकी पीड़ा असहज करने वाली होगी पर किसी से बताए, बताई नहीं जायेगी। ऐसी घड़ी में कोई पार्टी या नेता आपके दुखों पे मरहम की पट्टी बांधने नहीं आएगा। आपका पड़ोसी जो आ सकता था, उसे आप पहले ही राजनैतिक मतभेद के कारण द्वेष से भर चुके हैं। अंत में बचेगी न्यायलय जिसमें 6 महीने घिसने के बाद आपको अपनी औकात और लाचारी दोनों स्वयं महसूस होने लगेगी। उदाहरण के तौर पे भारत में अगर हर महीने आप ₹ 25000 कमाते हैं तो भारत में टॉप 10% अमीरों की श्रेणी में आते हैं और वहीं कपिल सिब्बल जैसे वरिष्ठ वकील केस की एक उपस्थिति के ₹ 2500000 तक चार्ज करते हैं। ध्यान रहे कि ये जरूरी भी नहीं है की आपके मामले में सीसीटीवी कैमरा लगा हो और लगा भी तो सही अवस्था में सही प्राधिकरण तक पहुंच जाए। मुझे पता है अधिकांश लोगों को ऊपर बनाती गई मेरी मनगढ़ंत घटना प्रासंगिक न लगे, परंतु ऐसा कुछ भी कभी नहीं होगा जैसे ढीठ खयाल भी मन से त्याग देना ही उचित होगा। प्रोपेगेंडा, नैरेटिव और विचारधारा की लड़ाई एक हद तक उचित है पर जब विचार मतभेद से मनभेद में बदलने लगे, तो सतर्क और सजग होने की आवश्यकता और भी बढ़ जाती है। सुख दुख बाटने वाले अपने निजी स्पेस को हुंडा पे चढ़ा के तीरथ पर निकलने के बजाय उसे संजोहने का प्रयत्न करें।लोकतंत्र में मतदान का अधिकार ही सबसे महत्वपूर्ण अधिकार है और उसके इस्तेमाल के लिए लोगों को गद्दार बोलना अनैतिक ही नहीं अपमानित करने जैसा है। यूटयूब पे गीता ज्ञान अर्जित करने और भजन सुनने से कुछ नही होगा जबतक जीवन में उन मूल्यों को बिना किसी शर्त आत्मसात किया जाए।
मेरा द्वेष में आकर साथी बीमारू राज्यों का मखौल उड़ाने का कोई मकसद नहीं है क्योंकि सभी राज्य अपनी–अपनी विशेष परिस्थियों के अधीन हैं और सभी के माखौल बनाने के पर्याप्त कारण भी मौजूद हैं। परंतु साथ ही सभी की अपनी चुनौतियां हैं और सभी की अपनी विशेषताएं भी।" राम–श्याम" जैसे द्वंद समासी उदाहरण स्वरूप और एक स्वास में लिए जाने वाले दो जमीनी सीमा से जुड़े हुए भाई समान राज्य एक दूसरे का मखौल बनाएं ये शोबनिया कहीं से नहीं प्रतीत होता है। लेकिन एक बात मैं फिर भी कहना चाहूंगा की उत्तर प्रदेश का वर्तमान और भविष्य बाकी पिछड़े हुए उत्तर के राज्यों के मुकाबले सबसे उज्ज्वल है। उदहारण के तौर पर अगर माना जाए की  सभी राज्य कैंसर से ग्रस्त हैं तो उत्तर प्रदेश अभी भी इस स्टेज में हैं जिसके लिए पूर्ण प्रभावी इलाज़ सबसे ज्यादा संभव है। 
खैर साथी राज्यों का भी समय के अनुसार मौज लेना उतना नहीं खलता है जित���ा की प्रदेश के वासियों का अपने ही प्रदेश वासियों के प्रति नफरत और द्वेष। विशेषकर फैज़ाबाद के वासियों के प्रति तो नफ़रत और गालियों के कसीदे पढ़े जा रहें हैं। लोगों का कहना है की मोदी जी इस प्रदेश के लोग आपके प्रेम और सम्मान के लायक नहीं हैं। "यू डिजर्व बैटर" जैसे हैशटैग का इस्तेमाल जोरो शोरो पे है। कुछ लोग तो राज्य छोड़ने तक की बात कर रहे हैं। व्यक्तिगत तौर पे मेरा साफ और स्पष्ट तौर पे मत है कि ना तो उत्तर प्रदेश के मुखिया आदित्यनाथ प्रदेश से बड़े हैं और ना ही माननीय प्रधान मंत्री मोदी जी। प्रजा से राजा की पहचान है राजा से प्रजा की नहीं। राष्ट्र से बड़े होने का तो दूर–दूर तक सवाल ही नहीं है। आपका मत मेरे मत से भिन्न हो सकता है। उत्तर प्रदेश के लोग अपना नेता चुनने का अधिकार रखते हैं और वही वो हर चुनाव में करते आ रहे हैं। गुजरात से आने वाले व्यक्ति को बनारस के लोगों ने और गंगा मां ने ना केवल अपने बेटे की तरह प्यार और सम्मान दिया है, बल्कि प्रधानमंत्री तक के सफर को सुगम बनाने का हर संभव प्रयास किया जो की अपने आप में प्रदेशवासियों के उदारता का प्रतीक है। 
नोएडा में पिताजी जी की chauffeur–सहित चार चूड़ी वाली ऑटोमैटिक ई वी में बैठी चिंकी और ओमान –मस्कट में फ्री टाइम में नान खटाई की रेडी लगाने वाला गोरखपुर का दिनेश भी ट्वीट कर रहें हैं की "यूपी पीपल यू हैव लेड द गॉड डाउन" । "बट विच गॉड ?" पूछने पे सकपका जा रहे हैं कि भगवान राम का नाम लें या मोदी जी का। एक व्यक्ति चाहें कितना भी सम्मानित, प्रिय और ताकतवर क्यूं ना हो, वो ईश्वर से ऊपर स्थान कभी नहीं पा सकता। इतनी सीख तो हिंदुओं को कम से कम मुस्लिमों  से ही ले लेनी चाहिए।
2020 के कोविड लॉकडॉन में ट्यूटर चलाना सीखने वाला रिंकू भी ट्वीट कर रहा है की ये "अजय राय कौन है ?" जो मोदी जी के जीत के मार्जिन को इतना कम कर दिया। रिंकू को मेरा उत्तर ये है की ट्यूटर से पहले जो भारत में चुनाव हुआ करते थे, जिस समय तुम टूटी–फ्रूटी के टेट्रा पैक में स्ट्रॉ फसाना सीख रहे थे तब अजय राय पांचवी बार विधायिकी की शपथ ले रहे थे। संभवतः अगर स्वयं प्रधानमंत्री वाराणसी सीट से ना लड़ रहे होते तो इस बार भाजपा के किसी और उम्मीदवार को मुंह की भी खानी पड़ सकती थी। खैर ऐसी अनेक जानकारियों के लिए ट्यूटर अनइंस्टॉल करके किताब ना सही तो कम से कम विकिपीडिया तक का सफर तो तय ही करना पड़ेगा। 
किसी सीट पे कौन सी पार्टी/उम्मीदवार जीती और कौन सी हारी के अनेकों कारण गिनाए जा सकते हैं। भारत जैसे विकासशील और विविधताओं से भरे देश में इसका आंकलन लगाना और भी मुश्किल हो जाता है। मैं कोई चुनावी विशेषज्ञ तो नहीं हूं पर मुझे लगता है सभी मुद्दों में "निजी मुद्दे" सभी के निर्णयों में अनुपातहीन तरीके से दखलंदाजी करता है । भारत, जिसकी अधिकांश आबादी या तो मिडल क्लास या गरीब है उसके लिए जीडीपी, इंफ्रास्ट्रक्चर ,इकोनॉमिक आउटलुक, इज ऑफ डूइंग बिजनेस, फॉरेक्स रिज़र्व ,ग्लोबल स्ट्रेचर, वर्ल्ड ऑर्डर, ग्लोबलाइजेशन आदि जैसे जटिल राष्ट्रहित के मुद्दों से ज्यादा दिलचस्पी और भावना महंगाई, शिक्षा, नौकरी, सेहत, पानी, बिजली, मकान आदि मुद्दों से जुड़ी होती है। क्या लोगों के विचारों में इन बातों को लेकर कोई बदलाव नहीं हुए हैं? हुए हैं, पर महज़ 70 साल पहले शारीरिक गुलामी त्यागने वाले देश की तुलना आप अमरीका, कनाडा, फ्रांस, जर्मनी, ब्रिटेन सरीखे देशों से नहीं कर सकते। इन बदलावों के लिए जागरूक करने का श्रेय भी काफी हद तक पिछले 10 साल के मोदी कार्यकाल को भी जाता है।
ऐसा ही एक "निजी मुद्दा" था अयोध्या निवासियों का अपने मूल स्थानों से विस्थापन । अयोध्या में ऐसे हजारों परिवार हैं जिन्हें राम मंदिर निर्माण कार्य के अंतर्गत चलाए गए भूमि अधिग्रहण कार्यक्रम के दौरान अपने निजी जमीन, मकान और दुकानों को ना चाहते हुए भी या फिर बाज़ार से कम कीमत पर बेचना पड़ गया। ऐसी परिस्थिति के कारण जनता में काफी रोष और गुस्सा भी था जो शायद लोगों ने अपने वोट के माध्यम से प्रदर्शित करने का प्रयत्न किया है। आम जनमानस के पास सरकारों के खिलाफ़ लड़ने का बस ये एकमात्र हथियार होता है। आप इसे छीन नहीं सकते। हो सकता है इंदौर, लखनऊ, रायपुर जैसे शहरों में एसी में बैठकर, इस सितंबर परिवार संग अयोध्या में रामलला के दर्शन की प्लानिंग के हिसाब से ये तर्कसंगत न लगे पर वास्तविकता यही है। ईश्वर से किसी को बैर नहीं हैं, अयोध्या निवासियों को तो बिलकुल नहीं। वो तो रामलला को सदियों से पूज रहें हैं जब किसी मंदिर की कोई आस भी नहीं थी परंतु मंदिर बन जाने के कारण वो अपने आज और कल से मुंह तो नही मोड़ सकते। जब ठोकर आपके निजी स्वार्थ पे लगती है तो पीड़ा असहज कर ही जाती है। जिस मकान को आपके पुरखों ने बनाया हो, जिसे आपके माता पिता ने अपनी मेहनत से रंगत दी हो, जहां आप ने अपने भाई बहन के साथ अपना बचपन हंसते–खेलते काटा हो, जिसकी छतों से आप ने दूसरों की पतंगे काटी हो, जिसके आंगन में आपकी मां ने अचार और पापड़ सुखाएं हों, जिसके दुआर पर आपके पिताजी की स्कूटर वर्षों से खड़ी होती आई हो, उसको एक झटके में खो देना कभी भी आसान नहीं होता है। बात कई बार सिर्फ़ आर्थिक कीमत की नहीं, बल्कि उससे जुड़े हुए आपके हृदय में बसी हुए भावनाओं की होती है। बजार संगत कीमत तो बस एक समझौता है जिसे हासिल करने के बाद भी कभी टीस नहीं जाती। जिस दुकान से घरों की रोजी रोटी चल रही हो उसे यूं एक पल में पराया कर देना किसी के लिए आसान नहीं होगा। इसमें कोई दो राय नहीं है की मंदिर निर्माण और उससे संबंधित विकास कार्यों से अयोध्या की अर्थव्यवस्था में आने वाले वर्षों में काफ़ी वृद्धि होगी। पर इन वृद्धियों से लाभ उठाने का घाटा भी अयोध्यावासियों को ही सहना पड़ रहा है। ऐसे में जनता में नाराज़गी होना स्वाभाविक था। हार जीत समीकरण के सैकड़ों कारकों में एक महत्वपूर्ण कारक यह भी था। और ऐसा पहली बार नहीं हुआ है जब किसी विकास कार्य के कारण आम जनता को परेशानी न उठानी पड़ी हो। जब काशी विश्वनाथ कोरिडोर निर्माणाधीन था तब इस कार्य से प्रभावित जनता ने अपना आक्रोश 2019 लोक सभा चुनावों में व्यक्त भी किया था। विकास और उसके प्रभावों के बीच के सामंजस्य और संतुलन होना अति आवश्यक हैं। ऐसा संतुलन ना हो तो क्या हो सकता है उसका एक बेहतरीन उदाहरण इस ग्रीष्म ऋतु ने बयां कर ही दिया है। मुझे यकीन है की इतना कहने के बाद भी लोग इसे मोदीजी के विकास कार्यों के बाधा के रूप में ही देख रहे होंगे। दुखों में साथी बनने और स्वयं आत्मसात करने में भरी अंतर होता है।पर विश्वास कीजिए जब कोई सरकार आपके पिताजी/माताजी या स्वयं की अर्जित कमाई को अपनी शर्तों पे लेने आएगी तो आप भी ज्यादा देर तक नाराज़गी छुपा नहीं पाएंगे। उदाहरणस्वरूप इनकम टैक्स भरने वाले शायद इस भावना से ज्यादा जुड़ पाएंगे। आप अपनी कमाई का हिस्सा देने में कतराते हैं और कोई बिना इच्छा अपनी विरासत नीलाम कर के वोट भी खिलाफत में देने का अधिकार खो दे । ये तो न्यायसंगत बात नहीं होगी। जैसे कि करोड़ों भारतीयों के लिए "विंडफाल टैक्स" या फिर " POEM रूल्स" या "NPA" जैसे महत्वपूर्ण राष्ट्रीय मुद्दे चुनावी मुद्दों की सूची में पहली प्राथमिकता पाने में असफल महसूस करते हैं वैसे ही अयोध्यावासी या कोई आम नागरिक भी पहले अपने परिवार का पेट पालने को सोचता है फिर कहीं समाज हित की बात करता है। आधुनिक काल में दार्शनिक बनने की सबसे पहली शर्त होती पेट में अन्न होना। आदर्श समाधान प्रायः दूसरों के संदर्भ में ही दिए जाते हैं। बाकि ये "एक" चुनाव हारने का "एक" खास चुनाव क्षेत्र से संबंधित "एक" विशेष मुद्दा है। चुनाव जीतने और नहीं जीतने के अनेकों और कारण होते हैं। ज्यादा दिलचस्पी के लिए विशेषज्ञों के लेखों को पढ़ा जा सकता है।
हाल ही में भारत के विदेश मंत्री ने भी रूस से तेल आयात पर लगे आरोपों के सन्दर्भ में पूछे गए प्रश्न के दौरान यही कहा की" यूरोप की तकलीफें विश्व की तकलीफें नहीं हो सकती। भारत वो हर संभव प्रयास करेगा जो उसके निजी हित के लिए उचित होगा।" विश्वगुरु होने के नाते हमें सभी के बारे में सोचना चाहिए ये आदर्श नीति तो हो सकती है पर व्यवहारिक नीति नहीं। शायद इससे कुछ मिलता जुलता विचार आक्रोशित अयोध्यावासियों का भी रहा होगा। अगर मंदिर निर्माण के बाद भी कुछ लोगो ने वोट नहीं दिया है तो मंदिर निर्माण के कारण से ही बहुत से लोगो ने वोट दिया भी है।
चर्चा में थोड़ा भटक गया था। मूल मुद्दा था उत्तर प्रदेश वासियों का अपने की सह–प्रदेशवासियों के प्रति कटुता। वैसे तो मैं मूलतः गोरखपुर का निवासी हूं पर पिताजी के कड़ी मेहनत के पैसे उड़ाने के कारण गोरखपुर और और उत्तर प्रदेश से बाहर रहने का भी कई बार सौभाग्य मिला। इन तमाम जगहों पर रहने के बाद एक व्यतिगत अनुभव साझा करने के कारण ही इतना लंबा लेख लिखना पड़ गया। हो सकता शायद सभी लोग इस बात से इत्तेफाक ना रखें पर मैंने ऐसा महसूस किया है की एकता के नाम पे सबसे कमज़ोर राज्य अगर कोई है तो वो उत्तर प्रदेश है। आप देश में कहीं भी चले जाएं आपको हर जगह बिहारी, मराठी, बंगाली, तमिल, तेलगु , मलयाली , कन्नड़, पंजाबी, हरयाणवी, हिमाचली, कश्मीरी,आसामी,आदि ग्रुप मिल जायेगा पर उत्तर प्रदेश के लोगों का कोई ग्रुप मिल पाना संभव नहीं होता। उत्तर प्रदेश वासी अक्सर आलू/भाटा की भांति किसी अन्य ग्रुप का हिस्सा बना हुआ मिल सकता है। या ज्यादा से ज्यादा बिहारी का साथ पकड़ के माहौल बनने की कोशिश करता हुआ मिल सकता है। और एक प्रदेश से होने की जो खुशी अन्य राज्य के लोगों में देखने को मिलती है वो खुशी उत्तर प्रदेश वासियों में नगण्य के समान है। एक कारण तो है उत्तर प्रदेश का पूरब से पश्चिम तक भगौलिक विस्तार जो की मूलतः बोली के आधार पे मोटा–मोटा ब्रज, अवध, पूर्वांचल, बुंदेलखंड, बघेलखंड जैसे क्षेत्रों में बांटा जा सकता है । ये सभी क्षेत्र अन्य राज्यों से भी जुड़े हुए है जैसे ब्रज/ पश्चिमी यूपी जुड़ा है दिल्ली और हरियाणा से, पूर्वांचल जुड़ा है बिहार से, बुंदेलखंड जुड़ा है मध्य प्रदेश से और बघेलखंड जुड़ा है छत्तीसगढ़ और झारखंड से, जिसके फलस्वरूप इन सभी क्षेत्रों की एक प्रदेश के रूप में पहचान न होकर एक क्षेत्रीय पहचान तक ही सीमित रह गई है या यूं कहें कि इन जुड़े हुए राज्यों में आवश्यकता से अधिक मिश्रित हो गई है। दूसरा कारण है अपने ही मन में धारण किया हुआ पूर्वाग्रह। पूर्वांचल का व्यक्ति जब किसी पश्चिमी यूपी के व्यक्ति से मिलता है तो उसको मन ही मन "दिल्ली से है बे***" वाली कैटेगरी में डाल के खुश हो जाता है और पश्चिमी यूपी वाला पूर्वांचल वाले को "भोजपुरी स्पीकिंग इलिटरेट बिहारी टाइप्स" वाली कैटेगरी में डाल के खुश। बुंदेली और बघेली बाकी तीनों से रिजोनेट ना ही करते हैं, और लगता है ना ही करना चाहते हैं और अपनी चौड़ में मस्त रहते हैं। अवध भी बाकी चारों से कोई खास जुड़ाव शायद ही महसूस करता है क्योंकि शायद आज भी मुग़लकालीन बादशाहत उसके दिमाग पे काबिज है। इसलिए पांचों भाई अपने को एक परिवार का हिस्सा मानने के बजाय अपनी ही धुन में सवार रहते हैं। परंतु ऐसा भी नहीं है की कम से कम एक क्षेत्र के ही दो लोगों में कोई खास भाईचारा उत्पन्न हो जाए। गोरखपुर के ही अगर पांच अपरिचित लोगों को अगर एक कमरे में बंद कर दिया जाए तो वो भी बस ज्यादा से ज्यादा नाम पूछने की इच्छा जाहिर कर सकते हैं , इस बात की एक प्रतिशत भी खुशी नहीं जाहिर करेंगे की एक ही जिले से हैं एक राज्य तो दूर की बात हैं। हैरत की बात नही है की एक समय पर राज्य को चार भाग में विभाजित करने की बात भी चर्चा में आई थी। जिले स्तर पर भी देखा जाए तो गाजियाबाद, नोएडा वाले उनका पता पूछने पर असली नाम कम, एनसीआर कहना ज्यादा पसंद करते हैं क्योंकि उससे दिल्ली वाली फील आती है तो वहीं बलिया के लोग मंगल पांडे के जमाने से ही अपने आप को राज्य के भीतर एक स्वतंत्र राज्य के रूप में देखते हैं और बागी तमगे के साथ जायज भी ठहराते हैं। गाजीपुर वाले मानते है की एक दिन पहले आजाद होने के कारण वो भी विशेष दर्जा ही रखते हैं। पूरे प्रदेश को शायद जमीन पे जोड़ रखा है मां गंगा ने और आसमान में 80 लोक सभा सीटों ने। पर आज जब कुछ लोग राजनैतिक मतभेद के चक्कर में अपने ही लोगों को गाली देने में लगे थे तो फिर लगा की अपनी पीड़ा साझा की जाए और प्रदेशवासियो को याद दिलाया जाए की एक "स्टेट आइडेंटिटी" के रूप तो आज भी कोई ठोस भावनात्मक पहचान बना पाने में अक्षम रहें हैं हम उत्तर प्रदेश के लोग। इसलिए समय रहते प्रयत्न करें की अपनों के साथ अपनो जैसे व्यवहार हो पाए और पूरा प्रदेश एक परिवार जैसा महसूस करे। अपने आप को श्रेष्ठकर और दूसरों को न्यूंतर मानकर अपनी मानसिक कुंठा से बाहर निकलने का प्रयास करें। प्रदेश में मानसिक विभाजन के अनेक कारण पहले ही मौजूद हैं, एक और न बनाकर अपना बंटाधार होने से बचाएं।
1 note · View note
Video
youtube
हि लाचारी केवळ मतांसाठी एकनाथ शिंदे..
0 notes
shayriara · 2 years
Text
#Ashq
मेरे अश्क़ उसकी हथेली पर रश्क़ करते रहे वो बेदर्द मदहोश था
मेरी लाचारी के आगे पत्थरखाने का हर पत्थर भी ख़ामोश था..
Mere ashq uski hatheli par rashq karte rahe vo bedard madhosh tha
Meri lachaari ke aage pattharkhaane ka har patthar bhi khamosh tha...
- Krishna Sharma (कृष्णा शर्मा )
24 notes · View notes
astrovastukosh · 7 months
Text
Tumblr media
*🌞~ आज दिनांक - 19 फरवरी 2024 का वैदिक हिन्दू पंचांग ~🌞*
*⛅दिन - सोमवार*
*⛅विक्रम संवत् - 2080*
*⛅अयन - उत्तरायण*
*⛅ऋतु - वसंत*
*⛅मास - माघ*
*⛅पक्ष - शुक्ल*
*⛅तिथि - दशमी सुबह 08:49 तक तत्पश्चात एकादशी*
*⛅नक्षत्र - मृगशिरा सुबह 10:33 तक तत्पश्चात आर्द्रा*
*⛅योग - विष्कम्भ दोपहर 12:01 तक तत्पश्चात प्रीति*
*⛅राहु काल - सुबह 08:36 से 10:02 तक*
*⛅सूर्योदय - 07:10*
*⛅सूर्यास्त - 06:38*
*⛅दिशा शूल - पूर्व*
*⛅ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 05:29 से 06:20 तक*
*⛅निशिता मुहूर्त - रात्रि 12:28 से 01:18 तक*
*⛅व्रत पर्व विवरण - छत्रपति शिवाजी महाराज जयन्ती (दि. अ), भक्त पुंडलिक उत्सव (पंढरपुर), वसंत ऋतु प्रारम्भ*
*⛅विशेष - दशमी को कलम्बी शाक खाना त्याज्य है । एकादशी को शिम्बी (सेम) खाने से पुत्र का नाश होता है । (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*
*🔸जया एकादशी - 20 फरवरी 24🔸*
*🔹एकादशी 19 फरवरी सुबह 08:49 से 20 फरवरी सुबह 09:55 तक ।*
*🔹व्रत उपवास 20 फरवरी मंगलवार को रखा जायेगा । 19, 20 फरवरी दो दिन चावल खाना निषिद्ध है ।*
*🔹एकादशी को चावल खाना वर्जित क्यों ?🔹*
*🌹एक वैज्ञानिक रहस्य बताते हुए कहते हैं : संत डोंगरेजी महाराज बोलते थे कि एकादशी के दिन चावल नहीं खाना चाहिए । जो खाता है, समझो वह एक-एक चावल का दाना खाते समय एक-एक कीड़ा खाने का पाप करता है । संत की वाणी में हमारी मति-गति नहीं हो तब भी कुछ सच्चाई तो होगी । मेरे मन में हुआ कि ‘इस प्रकार कैसे हानि होती होगी ? क्या होता होगा ?’*
*🌹 तो शास्त्रों से इस संशय का समाधान मेरे को मिला कि प्रतिपदा से लेकर अष्टमी तक वातावरण में से, हमारे शरीर में से जलीय अंश का शोषण होता है, भूख ज्यादा लगती है और अष्टमी से लेकर पूनम या अमावस्या तक जलीय अंश शरीर में बढ़ता है, भूख कम होने लगती है । चावल पैदा होने और चावल बनाने में खूब पानी लगता है । चावल खाने के बाद भी जलीय अंश ज्यादा उपयोग में आता है । जल के मध्यम भाग से रक्त एवं सूक्ष्म भाग से प्राण बनता है । सभी जल तथा जलीय पदार्थों पर चन्द्रमा का अधिक प्रभाव पड़ने से रक्त व प्राण की गति पर भी चन्द्रमा की गति का बहुत प्रभाव पड़ता है । अतः यदि एकादशी को जलीय अंश की अधिकतावाले पदार्थ जैसे चावल आदि खायेंगे तो चन्द्रमा के कुप्रभाव से हमारे स्वास्थ्य और सुव्यवस्था पर कुप्रभाव पड़ता है । जैसे कीड़े मरे या कुछ अशुद्ध खाया तो मन विक्षिप्त होता है, ऐसे ही एकादशी के दिन चावल खाने से भी मन का विक्षेप बढ़ता है । तो अब यह वैज्ञानिक समाधान मिला कि अष्टमी के बाद जलीय अंश आंदोलित होता है और इतना आंदोलित होता है कि आप समुद्र के नजदीक डेढ़-दो सौ किलोमीटर तक के क्षेत्र के पेड़-पौधों को अगर उन दिनों में काटते हो तो उनको रोग लग जाता है ।*
*🔹अभी विज्ञानी बोलते हैं कि मनुष्य को हफ्ते में एक बार लंघन करना (उपवास रखना) चाहिए लेकिन भारतीय संस्कृति कहती है : लाचारी का नाम लंघन नहीं… भगवान की प्रीति हो और उपवास भी हो । ‘उप’ माने समीप और ‘वास’ माने रहना – एकादशी व्रत के द्वारा भगवद्-भक्ति, भगवद्-ध्यान, भगवद्-ज्ञान, भगवद्-स्मृति के नजदीक आने का भारतीय संस्कृति ने अवसर बना लिया ।*
*🔹19 फरवरी से 19 अप्रैल तक क्या करें ?🔹*
*🔸1] कड़वे, तीखे, कसैले, शीघ्र पचनेवाले, रुक्ष (चिकनाईरहित) व उष्ण पदार्थों का सेवन करें । (अष्टांगह्रदय, योगरत्नाकर )*
*🔸2] पुराने जौ तथा गेहूँ की रोटी, मूँग, साठी चावल, करेला, लहसुन, अदरक, सूरन, कच्ची मूली, लौकी, तोरई, बैंगन, सोंठ, काली मिर्च, पीपर, अजवायन, राई, हींग, मेथी, गिलोय, हरड, बहेड़ा, आँवला आदि का सेवन हितकारी है ।*
*🔸3] सूर्योदय से पूर्व उठकर प्रात:कालीन वायु का सेवन, प्राणायाम, योगासन - व्यायाम, मालिश, उबटन से स्नान तथा जलनेति करें ।*
*🔸4] अंगारों पर थोड़ी-सी अजवायन डालकर उसके धूएँ का सेवन करने से सर्दी, जुकाम, कफजन्य सिरदर्द आदि में लाभ होता है ।*
*5] २ से ३ ग्राम हरड चूर्ण में समभाग शहद मिलाकर सुबह खाली पेट लेने से रसायन के लाभ प्राप्त होते हैं ।*
#akshayjamdagni #hindu #Hinduism #bharat #hindi #panchang #vedicastrology #astrology #rashifal #astrologypost
🚩Join us for any kind of information related to astrology, Vastu, and numerology. 🚩👇 👉Whatsapp Link
https://chat.whatsapp.com/BsWPoSt9qSj7KwBvo9zWID
☎️👇
9837376839
0 notes
Text
Tumblr media
Today's Horoscope-
मेष (चू, चे, चो, ला, ली, लू, ले, लो, अ) आज के दिन आप परिजनों के लिए भाग्यशाली साबित होंगे। आज भाग्य का साथ मिलने से आपके द्वारा जल्दबाजी में लिए निर्णय भी लाभ दिलाने वाले ही रहेंगे। पारिवारिक दायित्वों की पूर्ति भी आज समय पर करेंगे लेकिन आज विपरीत लिंगीय आकर्षण अधिक रहेगा जल्द ही बातों में आ जाएंगे। संतोषजनक व्यवसाय रहने से धन की आमद होगी। दैनिक कार्य में व्यस्तता अधिक रहेगी। घूमने-फिरने की योजनाएं बनाएंगे परन्तु इसमें व्यवधान आ सकते है। मध्यान के बाद स्थिति परेशानी वाली बनेगी परन्तु कुछ समय के लिये ही। बनते कामो में अड़चने आने लगेगी। व्यवसाय में किये वादे अंतिम समय पर ना निभा पाने के कारण खरी-खोटी सुन्नी पड़ेगी।
वृष (ई, ऊ, ए, ओ, वा, वी, वू, वे, वो) आज के दिन परिस्थितियां बाधा डालने वाली बन रही है आवश्यक कार्यो को टालना ही बेहतर रहेगा। आज किसी ना किसी रूप में धन हानि की संभावना है। उधारी जल्द चुकाने का प्रयास करें अन्यथा मानभंग हो सकता है। कार्य व्यवसाय को लेकर चिंतित रहेंगे। समय पर कार्य पूरा ना कर पाने के कारण शर्मिंदगी झेलनी पड़ सकती है। क्रोध भी आज सामान्य से अधिक रहने से घर-बाहर का वातावरण अशान्त बनेगा। कार्य क्षेत्र पर अधिक परिश्रम करने पर भी अल्प लाभ से संतोष करना पड़ेगा। सेहत में उतार-चढ़ाव बना रहेगा। आज परिवार की आवश्यकता पूर्ती करने में असमर्थ रहेंगे। महिलाओ का मन किसी अरिष्ट की आशंका से व्याकुल रहेगा।
मिथुन (का, की, कू, घ, ङ, छ, के, को, हा) आज आप जो भी कार्य करेंगे वह अपना हो या किसी अन्य का उसमे सफलता अवश्य मिलेगी। स्वभाव में व्यवहारिकता रहने से लोग आपसे समीपता बढ़ाना चाहेंगे। कार्य क्षेत्र अथवा अन्य जगह किसी की सहायता करनी पड़ेगी इसमे धन एव समय खर्च होंगे लेकिन आत्मशांति भी मिलेगी। दोपहर बाद का समय अधिक सुखदायक रहेगा। बड़े बुजुर्गों अथवा अधिकारी वर्ग की कृपा दृष्टि रहने से आज मनमाना व्यवहार करेंगे अपनी बात मनवाने के लिए भी आज का दिन उपयुक्त है। जिद्दी व्यवहार के कारण पारिवारिक विवाद का कारण भी बन सकते है। ससुराल-अथवा मायके पक्ष से स्वार्थ सिद्धि की पूर्ति कर लेंगे। असंयमित खान-पान के कारण उदर शूल-कब्ज की शिकायत रहेगी।
कर्क (ही, हू, हे, हो, डा, डी, डू, डे, डो) आज के दिन आप भागदौड की जिंदगी को छोड़ चैन से समय व्यतीत करना पसंद करेंगे लेकिन आकस्मिक कार्य आने से आपकी यह कामना पूरी नही हो सकेगी। घर के सदस्य आपके व्यवहार में अचानक आई उदासीनता से परेशान होंगे। आप लाभ-हानि की परवाह किये बिना अपनी ही मस्ती में रहेंगे। किसी का हस्तक्षेप करने से विवाद पर भी उतर सकते है। प्रेम प्रसंगों में आपके गलत निर्णय के कारण हानि होगी। परिजन आज आपके ऊपर नजर लगाए हुए है किसी भी अनैतिक गतिविधि से दूरी बनाए रखें अन्यथा पारिवारिक सुख शांति बिगड़ सकती है। धन लाभ से खर्च ज्यादा रहेगा।
सिंह (मा, मी, मू, मे, मो, टा, टी, टू, टे) आज आप अपने बुद्धि एवं कार्य कौशल से परिवार एवं सार्वजनिक क्षेत्र पर प्रभाव बनाएंगे। लेकिन प्रत्येक क्रिया को संदेह की दृष्टि से देखने के कारण किसी से झगड़ा भी हो सकता है। आर्थिक स्थिति अचनाक धन लाभ होने से सुधरेगी आज आप इच्छा पूर्ति एवं सुखोपभोग पर खर्च करने में सोचेंगे नही। घरेलु कार्यो के कारण व्यवसायिक कार्य स्थगित करने पड़ सकते है इसका विपरीत असर भी अवश्य देखने को मिलेगा। किसी मांगलिक कार्यक्रम के लिये खरीददारी पर भी अधिक खर्च होगा। कार्य क्षेत्र से शुभ समाचार मिलने से मन की चिंता दूर होगी। संध्या का समय मौज-शौक पूर्ण करने में बितायेंगे। स्त्री वर्ग के कारण पीड़ा हो सकती है।
कन्या (टो, पा, पी, पू, ष, ण, ठ, पे, पो) आज के दिन आपके मन के विपरीत घटनायें घटित होंगी जिससे मन कुछ समय के लिये विचलित होगा लेकिन आज आपकी विवेक शक्ति प्रखर रहने से हर प्रकार की परिस्थितियों का सामना करने का साहस रहेगा। आज आप कार्य क्षेत्र पर धन कमाने से ज्यादा महत्त्व व्यवहार बनाने को देंगे। मध्यान बाद का अधिकांश समय आनंद प्रमोद में बितायेंगे। शारीरिक रूप से चुस्त रहेंगे। किसी मनोकामना की पूर्ति होने की संभावना है। धन लाभ के लिए थोड़ा इन्तजार करना पड़ेगा परन्तु निराश नहीं होंगे। परिजन-मित्रो के साथ उत्तम भोजन वाहन सुख मिलेगा। संध्या का समय प्रेम-प्यार के लिए भी यादगार रहेगा। खर्च लगे रहेंगे।
तुला (रा, री, रू, रे, रो, ता, ती, तू, ते) आज आपके मन मे बड़ी-बड़ी योजनाए चलती रहेंगी लेकिन आज शारीरिक अस्वस्थता कार्यो में बाधा डालेगी। स्फूर्ति की कमी प्रातः काल से ही बनेगी दैनिक कार्यो को भी लाचारी में करना पड़ेगा। कार्य क्षेत्र पर मध्यान बाद लाभ के अवसर मिलेंगे लेकिन मन एकाग्र ना होने से उचित लाभ नही मिल सकेगा। आपकी प्रशंशा करने वाले भी पीठ पीछे आलोचना करेंगे। परन्तु इससे उदास ना हों अपने कार्य में निष्ठा से लगे रहे जल्द ही समय आपके अनुकूल बनेगा। आज अहम् को लेकर किसी से टकराव भी हो सकता है वाणी अथवा व्यवहार से किसी को ठेस ना पहुंचे इसका ध्यान रखें। आध्यत्म से जुड़ें मानसिक शान्ति मिलेगी।
वृश्चिक (तो, ना, नी, नू, ने, नो, या, यी, यू) आज का दिन आप सुख-शांति से बिताएंगे। कार्य व्यवसाय में कम मेहनत के बाद भी अधिक लाभ होने से आर्थिक पक्ष पहले से बेहतर बनेगा। मनोरंजन अथवा अन्य घरेलू सुखों पर खर्च करने के लिये ज्यादा सोचना नही पड़ेगा। परिजन आज आपकी पसंद का विशेष ख्याल रखेंगे। किसी से धन संबंधित व्यवहारों को लेकर कहाँ-सुनी होने की संभावना है। कार्य क्षेत्र पर अनदेखी के कारण लाभ होने में विलंब हो सकता है। संबंधो की लिहाज के कारण हानि भी उठानी पड़ सकती है। सेहत उत्तम बनी रहेगी। किसी ऐतिहासिक अथवा धार्मिक यात्रा का आयोजन करेंगे। धर्म-कर्म में आस्था रहेगी। परिजनों का साथ मिलेगा।
धनु (ये, यो, भा, भी, भू, ध, फा, ढा, भे) आज के दिन आप काम-काज से मन चुरायेंगे। घरेलू कार्य भी आज आपको आफत ही लगेंगे इसकी जगह मौज शौक यात्रा पर्यटन की तरफ ज्यादा आकर्षित होंगे जहां आवश्यकता नही वहां भी खर्च करेंगे। मान सम्मान मिलने से अहम की भावना भी रहेगी। व्यवसाय के अलावा भी आज विविध क्षेत्रों से लाभ मिल सकता है परन्तु सहकर्मियों का कम सहयोग मिलने से पूर्ण सफल नही हो पाएंगे। धार्मिक एवं सामाजिक क्षेत्र के लिये भी समय निकालेंगे। समाज के प्रतिष्ठित लोगो से जान पहचान बढ़ेगी। घरेलु आवश्यकताओ की पूर्ति पर अधिक खर्च करेंगे। मनोरंजन के लिए पर्यटन पर भी जाने के अवसर आएंगे। स्त्री सुख मिलेगा।
मकर (भो, जा, जी, खी, खू, खा, खो, गा, गी) आज का दिन आपके लिए कष्ट साध्य रहेगा। आज आप जिस किसी से भी सीधी बात करेंगे उसका उल्टा ही जवाब मिलेगा। परिवार में आज किसी पुराने विवाद को लेकर आपस मे झड़प हो सकती है। बनी बनाई योजनाएं अधर में लटक सकती है। आर्थिक हानि होने की सम्भवना है। स्वास्थ्य भी विपरीत रहने से उत्साहहीनता रहेगी। कार्य क्षेत्र पर आर्थिक कारणों से किसी से लड़ाई हो सकती है। व्यवहार को संतुलित बनाये रखें अन्यथा भविष्य में होंने वाले लाभ से भी वंचित रहना पड़ेगा। परिवार में आपके कारण विवाद होने से अशांति बनी रहेगी।
कुंभ (गू, गे, गो, सा, सी, सू, से, सो, दा) आज का दिन लाभदायक रहेगा। प्रातः काल का समय आलस्य में खराब होगा परन्तु इसके बाद कही से प्रसन्नता दायक समाचार मिलेंगे। कार्य क्षेत्र पर आज आप मध्यान तक कि गतिविधियों से दिन भर का लाभ कमा लेंगे। नौकरी वाले जातक आज आराम करना प��ंद करेंगे। व्यवसाय में बेजिझक निवेश करेंगे शीघ्र ही इसका लाभ मिलेगा। आपकी अथवा किसी सहकर्मी की गलती से हानि होने की भी सम्भावना है परंतु इसका दैनिक क्रियाओं पर ज्यादा असर नहीं पड़ेगा। घर के सदस्य आपसे कई उम्मीदे लगाए रहेंगे संभवतः उन्हें निराश नही करेंगे। स्त्रीवर्ग आपकी मनोदशा को भली भांति समझेगी।
मीन (दी, दू, थ, झ, ञ, दे, दो, चा, ची) आज आपको हर जगह अनुकूल वातावरण मिलेगा परन्तु आज एक साथ कई काम आने से दुविधा में पड़ जाएंगे जिससे विलंब होगा। मध्यान बाद आप सभी कार्यो को धैर्य से सोच समझ कर करेंगे इसलिए सफलता की संभावना भी अधिक रहेगी। कार्य क्षेत्र पर नौकरों की लापरवाही के कारण हानि हो सकती है। मध्यान का समय धन लाभ वाला रहेगा। नविन योजनाओं से भी आज लाभ होगा। महिलाये आज पुरुषों की अपेक्षा ज्यादा खर्चीली रहेंगी लेकिन खर्च अनावश्यक नही होंगे। मनोरंज के लिये भी समय निकाल लेंगे। परिजनों के साथ पर्यटन भोजन पर जाएंगे घर का वातावरण कुछ समय के लिये उग्र बनेगा।
Pandit Gopal Shastri Ji For More Detail Visit: - www.ptgopalshastri Call : - 07888878978/+1(778)7663945 #famousastrologer #astronews #astroworld #Astrology #lovemarriage #astrologers #astrologymemes #marriage #loveback #love #carrerproblemsolution #unemploymentproblems #grahdosh #businessproblemsolution #dealyinmarriage #loveproblemsolutionastrologer #Childlessproblem #familyproblemsolution
0 notes
gurujitmshastri · 8 months
Text
Tumblr media
Today's Horoscope -
मेष (चू, चे, चो, ला, ली, लू, ले, लो, अ)
आज के दिन भी ग्रह स्थिति घर बाहर उथल पुथल कराएगी में आपको घरेलु मामलो में विशेष सावधानी बरतने की आयवश्यक रहेगी। रूठने-मनाने में दिन का कुछ भाग व्यर्थ हो सकता है। बुजुर्ग वर्ग भी आज आपकी विचारधारा के विपर���त सोच रखेंगे जिससे तालमेल बैठाने में मुश्किल होगी। कार्य क्षेत्र पर अन्य व्यक्ति आपकी लाचारी का फायदा उठा सकता है। आज किसी के आगे समर्पण ना करें थोड़ा धैर्य रख मध्यान बाद की प्रतीक्षा करें परिस्थितियां सुधारने पर राहत मिलने लगेगी। आज बाहरी व्यक्ति से मन के भेद प्रकट ना करें। सेहत अकस्मात खराब हो सकती है।
वृष (ई, ऊ, ए, ओ, वा, वी, वू, वे, वो)
आर्थिक दृष्टिकोण से आज का दिन पिछले कुछ दिनों से बेहतर रहेगा। कार्य क्षेत्र से अतिरिक्त आय होगी। रुके हुए कार्य पूर्ण होने से भी धन के स्त्रोत्र बढ़ेंगे लेकिन आज हाथ खुला रहने से भविष्य में बड़े खर्च की योजना भी बनेगी। सामाजिक गतिविधियों में पूरा समय ना दे पाने से लोगो से दूरी बन सकती है। संध्या का समय पूर्वनियोजित रहेगा पर्यटन पार्टी की योजना बनाई जाएगी। उत्तम भोजन के साथ गृहस्थ का सुख मिलेगा। सन्तानो के ऊपर अतिरिक्त खर्च करना पड़ेगा। सेहत छोटी मोटी व्याधि को छोड़ सामान्य रहेगी।
मिथुन (का, की, कू, घ, ङ, छ, के, को, हा)
आज का दिन मिला-जुला रहेगा। सेहत लगभग सामान्य रहेगी। आज कई दिनों से लटके किसी अनुबंध के आगे बढ़ने से धन लाभ की कामना अधूरी रहेगी। व्यवसाय के ऊपर अधिक ध्यान देने के बाद भी कार्य विलम्ब से पूर्ण होंगे लाभ के कई अवसर मिलेंगे परन्तु धनागम के लिए थोड़ी प्रतीक्षा करनी पड़ेगी। संध्या बाद आवश्यकता अनुसार धन की पूर्ति हो जाएगी। आज कार्य क्षेत्र पर आपकी लापरवाही के चलते अधिकारी वर्ग गर्म हो सकते है। स्टेशनरी अथवा प्रिंटिंग के कार्य से जुड़े जातको को आकस्मिक नए अनुबंध मिल सकते है। परिवार के लिए आप कुछ नया करेंगे।
कर्क (ही, हू, हे, हो, डा, डी, डू, डे, डो)
आपका आज का दिन मिश्रित फलदायी रहेगा। दिन के पहले भाग में आर्थिक दृष्टिकोण से संतुष्टि रहेगी। कार्य क्षेत्र पर बिक्री बढने से धन की आमद होगी। व्यक्तित्व का भी विकास होने से सामाजिक छवि बेहतर बनेगी। लेकिन धन हाथ मे आने के बाद दिमाग उटपटांग कामो में उलझेगा साथ ही कुछ समय के लिये पारिवारिक समस्याओं के कारण मन अशांत रहेगा। घर में किसी विवाद के बढ़ने की सम्भवना है। मौन दर्शक बनकर रहने में ही भलाई है। सेहत में थोड़ा बहुत बदलाव आ सकता है। अतिआवश्यक कार्य दोपहर बाद करना ही हितकर रहेगा।
सिंह (मा, मी, मू, मे, मो, टा, टी, टू, टे)
आज के दिन आप अधिक लापरवाह रहने के कारण हानि उठा सकते है। प्रातः काल से ही यात्रा पर्यटन की योजना बनेगी कार्य क्षेत्र पर अधिक ध्यान देने के बाद भी अल्प लाभ से संतोष करना पड़ेगा। नौकरों के ऊपर ज्यादा विश्वास भी हानि का कारण बन सकता है। कार्य क्षेत्र पर चोरी जैसी गतिविधि अथवा आप पर आरोप लगाए जा सकते है सावधान रहे। वाणी में कठोरता रहने से घर में कलह होने की सम्भवना है। आर्थिक लेन-देन लिख कर ही करें। संध्या का समय थकान वाला रहेगा कोई नापसंद कार्य भी करना पड़ सकता है। शारीरिक कमजोरी अनुभव करेंगे।
कन्या (टो, पा, पी, पू, ष, ण, ठ, पे, पो)
रोजगार के क्षेत्र में किये जा रहे प्रयास आज फलीभूत होने से आर्थिक समस्याओं का समाधान होगा। सार्वजनिक क्षेत्र से शुभ समाचार मिलने की संभावना है। बेरोजगार व्यक्तियों को भी रोजगार मिलने की सम्भावना बनेगी। आज आपसे बहस में कोई नहीं जीत पायेगा लेकिन बड़बोलेपन के कारण महिलाओं के सम्मान में कमी होगी। दिन के उत्तरार्ध में कार्य भार बढ़ने से कमर अथवा अन्य अंगों में दर्द की शिकायत रहेगी। पारिवारिक वातावरण मिला जुला रहेगा। यात्रा आज किसी न किसी रूप में लाभदायक सिद्ध होगी।
तुला (रा, री, रू, रे, रो, ता, ती, तू, ते)
आज आप कार्यो की भरमार रहने के कारण भ्रमित हो सकते है। परिश्रम का उचित फल नहीं मिलेगा दोपहर तक कार्यो में व्यवधान आने से निराश रहेंगे परन्तु संध्या के समय किसी परिचित के सहयोग से लाभ होने से खर्च निकल जाएंगे। लेकिन संध्या का समय शारीरिक रूप से सावधानी बरतने का है आकस्मिक दुर्घटना अथवा किसी अशुभ समाचार के मिलने से मन परेशान होगा। सरकारी कार्य आज भी निरस्त करें। परिवार के प्रति अधिक भावनात्मक बनेंगे। आध्यात्म में रूचि होने पर भी समय नहीं दे पाएंगे। व्यसनों से दूर रहें।
वृश्चिक (तो, ना, नी, नू, ने, नो, या, यी, यू)
आज का दिन भी अस्तव्यस्त रहने से मनोकामना अधूरी रह सकती है। मध्यान तक जोखिम वाले कार्यो से बचने का प्रयास करें अन्यथा परेशानी में पड़ सकते है। आज कार्य क्षेत्र पर किसी से ना उलझे पद एवं प्रतिष्ठा की हानि हो सकती है। सांसारिक गतिविधियों में व्यस्त रहने के कारण स्वयं की अनदेखी करनी पड़ेगी परन्तु इसके बदले धन लाभ होने से संतोष रहेगा। दोपहर बाद धर्म-कर्म में अधिक रुचि रहेगी धार्मिक कार्यक्रमो में उपस्थिति देंगे। घर के बुजुर्गो से नए अनुभव मिलेंगे। पत्नी संतान का सुख मिलेगा।
धनु (ये, यो, भा, भी, भू, ध, फा, ढा, भे)
आज दिन का पहला भाग आपकी आशाओं के विपरीत रहने वाला है। आय की अपेक्षा खर्च अधिक रहने से धन की कमी अनुभव होगी महत्त्वपूर्ण कार्य को लेकर कीसी से कर्ज लेने की नौबत भी आ सकती है। आस-पडोसी की गलतियों को आज नजरअंदाज करें अन्यथा छोटी बात बड़ा विवाद खड़ा कर देगी। परिजनों की सहानुभूति मानसिक कमजोरी दूर करेगी। धार्मिक गतिविधियों में भी फिजूल खर्ची पर नियंत्रण रखें। अल्प धन लाभ होगा। मध्यान बाद स्थिति में सुधार तो आएगा लेकिन स्वभाव में लापरवाही भी बढ़ने से कोई खास लाभ नही उठा पाएंगे।
मकर (भो, जा, जी, खी, खू, खा, खो, गा, गी)
आज दिन के पूर्वार्ध में आपको परिश्रम के अनुसार फल ना मिलने से मानसिक पीड़ा हो सकती है। दिमाग में नए-नए विचार आने से किसी ठोस निर्णय लेने में परेशानी होगी। नई वस्तुओ की खरीददारी अथवा नये कार्य में निवेश आज ना करें। उत्तरार्ध के बाद स्थिति बेहतर होने लगेगी। धन की आमद होने से वित्तीय आयोजन कर पाएंगे। थोक के व्यवसायी आज निवेश कर सकते है आगे लाभ होगा। परिवार में किसी के बीमार होने से धन का व्यय भी रहेगा परन्तु शांति भी रहेगी।
कुंभ (गू, गे, गो, सा, सी, सू, से, सो, दा)
आज का दिन आंशिक शुभ रहेगा। पुरानी गलतियों या व्यवहार की कमी के कारण आज मन में ग्लानि रहेगी। सेहत भी आज थोड़ी विपरीत रहने से मन की बहुप्रतीक्षित इच्छा अधूरी रह सकती है परन्तु आर्थिक दृष्टिकोण से दिन लाभदायक रहेगा। थोड़े परिश्रम से आशा से अधिक मुनाफा कमा सकते है इसके लिए कुछ अधिक परिश्रम की आवश्यकता रहेगी। आज शेयर सट्टे में निवेश शीघ्र लाभ देगा। पैतृक संपत्ति के कार्य अधूरे रह सकते है। घरेलू सुख सामान्य से उत्तम रहेगा। आज कही सुनी बातों पर विश्वास ना करें।
मीन (दी, दू, थ, झ, ञ, दे, दो, चा, ची)
आज के दिन कार्य क्षेत्र पर व्यस्तता अधिक रहेगी हाथ में लिए अनुबंध समय पर पूर्ण नहीं करने के कारण आलोचना हो सकती है। स्वभाव से भी आज ढीलापन रहने के कारण भागदौड़ वाले कार्यो से बचने का प्रयास करेंगे। लेकिन फिर भी आज कार्य क्षेत्र पर अधिकांश कार्य अपने ही बलबूते करना पड़ेगा। सहकारी कार्य लेट-लतीफी के कारण अधूरे रहेंगे। नयी योजनाओं को हाथ में लेने से पहले हानि-लाभ की समीक्षा करलें। संध्या के बाद आर्थिक विषयो में सफलता मिलेगी। यात्रा पर्यटन की योजना बनेगी लेकिन आज टालना ही बेहतर रहेगा। सर, अथवा कमर से निचले भाग में समस्या बनने की सम्भवना है।
आपका दिन शुभ व मंगलमय हो।
समस्या चाहे कैसी भी हो 100% समाधान प्राप्त करे:-
स्पेशलिस्ट-
मनचाही लव मैरिज करवाना, पति या प्रेमी को मनाना, कारोबार का न चलना, धन की प्राप्ति, पति पत्नी में अनबन और गुप्त प्रेम आदि समस्याओ का समाधान।
एक फोन बदल सकता है आपकी जिन्दगी।
Guru Ji T M Shastri Ji
Call Now: - +91-9872539511
फीस संबंधी जानकारी के लिए #Facebook page के message box में #message करें। आप Whatsapp भी कर सकते हैं।
#famousastrologer#astronews#astroworld#Astrology#Horoscope#Kundli#Jyotish#yearly#monthly#weekly#numerology#rashifal#RashiRatan#gemstone#real#onlinepuja#remedies#lovemarraigespecilist#prediction#motivation#dailyhoroscope#TopAstrologer
0 notes
callmekhiza · 1 year
Text
तुमसे प्यार था इसलिए तुम्हे भगवान् नहीं बनाऊंगी
तुम ये मत समझना की तुम्हारी कमियों से कभी आंखे नहीं मिलाऊँगी
नहीं भरूंगी हामी कभी जब कोई कहेगा "प्यार अंधा होता है"
तुम्हारे आंखों में धूल झोंकने को अपनी लाचारी कह कर नही छिपाऊंगी।
- खिज़ा
Tumse pyaar tha isliye tumhe bhagwaan nahi banaungi
Tum ye mat samajhna ki tumhari kamiyo se kabhi aankhe nahi milaungi
Nahi bharungi haami kabhi jab koi kahega "pyaar andha hota hai"
Tumhare aankh me dhool jhonkne ko apni laachari keh kar nahi chipaungi.
- Khiza
0 notes
Text
0 notes