#रस्ते
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bazmeshayari · 4 months ago
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मुझे इल्म है तुम रास्ते से पलट जाओगे
मुझे इल्म है तुम रास्ते से पलट जाओगे फिर तुम्हारे साथ सफ़र की इब्तिदा क्या करना ? वैसे भी ये किसी और को मयस्सर होंगी ये जुल्फें, ये लब, ये तेरी अदा का क्या करना ? तुमने वफ़ा तो निभाई मगर रकीब के साथ अब बताओ ये तुम्हारी उस वफ़ा का क्या करना ? तुम न सही तुम्हारी निशानियाँ तो रख लूँ ये तेरे ख़त, तस्वीरें जला कर क्या करना ? मेरे बगैर अगर कोई तेरा आसरा नहीं माहिर इधर आ मेरे पास तुझे फिर जुदा क्या…
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sonukumar15886 · 6 months ago
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mhlivenews · 11 months ago
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शालेय विद्यार्थ्यांना रस्ते सुरक्षेचे धडे, वाहतूकीच्या नियमांचे पालन करण्याच्या सूचना
म. टा. वृत्तसेवा, कल्या��: अल्पवयीन मुलांनी वाहने चालविणे धोकादायक असून, तो गंभीर गुन्हा आहे. मात्र, गरजेसाठी विद्यार्थांना वाहने चालवायचीच असतील, तर त्यांच्यासाठी इलेक्ट्रिक दुचाकी हा पर्याय आहे. शून्य अपघात आणि त्यापलीकडे जाऊन अपघात पूर्ण रोखण्यासाठी वाहतुकीच्या नियमांचे पालन करणे किती गरजेचे आहे. वाहतूक कोंडी टाळण्यासाठी वाहने पार्किंगच्या जागेवरच पार्क करावीत यांसारख्या सूचना प्रादेशिक परिवहन…
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rebel-bulletin · 2 years ago
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रस्ते व पूल बांधकामासाठी १३२.९९ कोटींची तरतूद; आ. रहांगडाले यांनी मानले शासनाचे आभार
तिरोडा : तिरोडा-गोरेगाव विधानसभा क्षेत्राचे आमदार विजय रहांगडाले यांच्या माध्यमातून तिरोडा गोरेगाव तालुक्यातील रस्ते व पूल बांधकामाकरिता एकून १२५ कोटींची कामे समाविष्ट झाल्याने विधानसभा क्षेत्रातील रस्ते व पूल बांधकामाची समस्या कायमस्वरूपी दूर होणार आहे. यामध्ये प्रामुख्याने इतर जिल्हा मार्ग रस्ते बांधकामाकरिता एकूण ७२.०५ कोटीची तरतुद करण्यात आली आहे. चुरडी-चिखली-मंगेझरी सिमेंट रस्ता…
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daughterofchaosstuff · 3 months ago
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“लम्हा लम्हा तेरे बिन ज़िन्दगी अधूरी थी,तुझको पा के जाना है कितनी तू ज़रूरी थी
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चाँद तारे देखो तो ये नज़र भी आता है,कहकशाँ के रस्ते में तेरा घर भी आता है |”
~Rafta Rafta, Namastey London
Every moment without you was incomplete, I realised how much I needed you once I had you.
If I look at the moon and the stars then it also seems, your home too lies along the starry road to the galaxies.
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blabbershere · 20 days ago
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जिंदगी छोटी नहीं होती ,
हम जीना ही देर से शुरू करते हैं।
जब तक रस्ते समझ में आते हैं,
तब तक लौटने का वक्त हो जाता है।
— इरफान खान
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mrinalini810 · 1 year ago
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Kaate nahi kat-te hain lamhe intezaar ke, Nazarein jama ke baithe hain raste pe yaar ke, Dil ne kaha dekhein jo jalwe husn-e-yaar ke, Laaya hai koun inko, phalak se utaar ke.
काटे नहीं कटते हैं लम्हे इंतज़ार के,  नज़रें जमा के बैठे हैं रस्ते पे यार के, दिल ने कहा देखें जो जलवे हुस्न-ऐ-यार के,  लाया है कौन इनको, फलक से उतार के।
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thisismatildaa · 2 months ago
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Adulting?
or
"शुरू दिन से जो रस्ते मुझे पसंद न थे,
वहां से रोज़ गुज़ारा है जिंदगी ने मुझे।"
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famousmusicdreamer · 2 months ago
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आलिशान सुखसुविधांनी सज्ज भाग्य गार्डन सिटी
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महाराष्ट्राची सांस्कृतिक परंपरा जपणारे शहर म्हणजे पैठण अशी पैठणची ओळख असली तरी पैठणी साडी, संत एकनाथ महाराजांचा वाडा, मराठी क्रांती भवन, जायकवाडी धरण अशी एक ना अनेक प्रसिद्ध ठिकाणे येथे आहेत. यातच सध्या पैठणची ओळख बनले आहे ते म्हणजे भाग्य कन्स्ट्रक्शन निर्मित भाग्य गार्डन सिटी. एक असा गृहप्रकल्प जो नवतंत्रज्ञानाने बनलेला आहे आणि सर्वात महत्त्वाचे म्हणजे अनेकांचे घराचे स्वप्न पूर्ण करीत आहे. सांस्कृतिक नगरी पैठणध्ये घर घेण्याची अनेकांची इच्छा असते हे लक्षात घेऊन नागरिकांच्या आर्थिक क्षमता आणि गरजा लक्षात घेऊन गृहप्रकल्पाची निर्मिती करणारे भाग्य कन्स्ट्रक्शन हे पैठण मधील एकमेव बांधकाम व्यवसायिक आहेत. चला तर मग या लेखाच्या माध्यमातून भाग्य गार्डन सिटी या गृहप्रकल्पामध्ये कोणकोणत्या सुखसुविधा आहे त्या आपण जाणून घेऊया!
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१) आकर्षक प्रवेशद्वार
भाग्य गार्डन सिटी या समृद्ध गृहप्रकल्पाची ओळख सांगणारे आकर्षक प्रवेशद्वार पाहूनच अनेकांना समाधान वाटते. कारण प्रवेशद्वार म्हणजे रहिवासी आणि त्यांच्या पाहुण्यांचे स्वागत करणारी एक भींत असते. या आकर्षक प्रवेशद्वाराकडे पाहूनच येथील रहिवासी किंवा त्यांचे नातलग येथील आलिशान राहणीमानाचा अंदाज लावत असतात. आलिशान राहणीमानाला शोभेल असेच आहे भाग्य गार्डन सिटीचे आकर्षक प्रवेशद्वार.
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२) गृहप्रकल्पा अंतर्गत काँक्रीट रोड
भाग्य गार्डन सिटी गृहप्रकल्पांतर्गत काँक्रीट रोडची व्यवस्था करण्यात आली आहे. रहिवाश्यांना चालण्यासाठी सुटसुटीच रस्ते आणि मुलांना देखील ऐसपैस परिसर देण्यात आला आहे..
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३) पाण्याचे योग्य व्यवस्थापन
पावसाचे पाणी जमीनीवर पडल्यानंतर ते गटार���त मिसळते आणि वाया जाते. परंतु याच पावसाच्या पाण्याचे योग्य व्यवस्थापन केल्यास तेच पाणी साठवून वर्षभर वापरता येते. आणि गृहप्रकल्पांतर्गत मुबलक पाणी उपलब्ध होते. या गोष्टीचा विचार करुन भाग्य कन्स्ट्रक्शन निर्मित भाग्य गार्डन सिटी मध्ये पावसाच्या पाण्याचे योग्य व्यवस्थापन करण्यात आले आहे. यालाच रेन वॉटर हार्वेस्टिंग असे म्हणतात.  त्यामुळे येथे राहणाऱ्या नागरिकांना पाण्याची समस्या कधीच उद्भवरणार नाही.   
अधिक माहितीसाठी येथे क्लिक करा
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jiteshwri · 6 months ago
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#समर्थ_की_शरण_और_कटै_जन्म_मरण
एक बहन अपने भाई को राखी बांधने गयी थी और भाई की रस्ते में ही मौत हो गयी, फिर रक्षा कैसे कर सकता है भाई?
अगर राखी बांधनी है तो भगवान को बांधो ताकि सबकी रक्षा हो।
📣 Visit 👉 Sant Rampal Ji Maharaj YouTube Channel.
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shivamgarg3217 · 6 months ago
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एक बहन अपने भाई को राखी बांधने गयी थी और भाई की रस्ते में ही मौत हो गयी, फिर रक्षा कैसे कर सकता है भाई?
अगर राखी बांधनी है तो भगवान को बांधो ताकि सबकी रक्षा हो।
#समर्थ_की_शरण_और_कटै_जन्म_मरण
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fuckasur · 1 year ago
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दूर बनाई थी मंज़िल तो रस्ते में ही शाम हुई..
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aartigulhane · 2 years ago
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रस्ते तो बहुत है हिंदी शायरी | Raste To Bahut Hai | Best Hindi Shayari
Raaste Toh Bahut Hai Hindi Shayari has been published in front of you.It is a poem of 4 lines.Everything is in this 4 lines. Neither do we know our journey nor our destination. Still we keep wandering like this, will we be able to succeed in our life........? Those who do not know the destination, how will they be successful.....?
Decide the destination, the path will be made automatically.
#AartiGulhane✍️
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kaminimohan · 2 years ago
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Free tree speak काव्यस्यात्मा 1382.
लफ़्ज़ ने लफ़्ज़ों पर खुलेआम लिखा था -कामिनी मोहन।
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1.
युग बदले दुनिया बदले नई सुबह का भान होता है,
नए विचार नए व्यवहार सब नया तान होता है।
आवाज़ है कविता की कुछ और नहीं समझ लेना
अँधेरे को कविता सुनाऊँ नया निर्माण होता है।
- © कामिनी मोहन पाण्डेय।
2.
जवाब मिले न मिले सवाल पूछ लेते हैं,
हाल-ए-दिल अर्ज़ कर हाल पूछ लेते हैं।
शहर-ए-दिल के महबस में हूँ क्या कहूँ,
सब चुप हो तो मौसम का हाल पूछ लेते हैं।
-© कामिनी मोहन पाण्डेय
शहर-ए-दिल : दिल की दुनिया
महबस : क़ैद
3.
ज़िस्म के रिश्ते ख़ुश-रंग होते हैं,
आख़िरी साँस तक ही संग होते हैं
बेवफ़ा ज़िंदगी का ऐतबार न कीजे
रूह के रिश्ते ही शफ़क़-रंग होते हैं।
-© कामिनी मोहन पाण्डेय
4.
हर आती-जाती साँस संग चलने वाला,
हर दिल को अलवि��ा कह चलने वाला।
रिश्तों की निगाह क़र्ज़ बन पीछा न करें
मैं अपना कफ़न ओढ़ कर चलने वाला।
-© कामिनी मोहन पाण्डेय
5.
कभी कोई किसी को पार उतार न सका
औरों के रस्ते के कांटों को बुहार न सका
फिर क्यों उठती हैं उँगलियाँ हमारी तरफ़
माँझी क्या करें डूबी नय्या उभार न सका।
-© कामिनी मोहन पाण्डेय
6.
जिसने मेरे सिर पर पहला हाथ फेरा था,
मेरी हर मुस्कान पर आँचल का घेरा था।
दुआ मिलीं, गगन पर सूरज के आने से पहले
वो माँ थीं मैं जिसकी आँख का सवेरा था।
- © कामिनी मोहन पाण्डेय
7.
चार किताबें पढ सब बदलते जाते हैं,
न जाने कैसी तरक़्क़ी के पीछे जाते हैं।
नीति बदली, नियम बदला लेकिन,
हम सिर्फ़ ज़िंदगी की ओर देखे जाते हैं।
-© कामिनी मोहन पाण्डेय
8.
रंगों ने हम पर भरपूर भरम ढाया,
बेरंग करने को कुदरत ने करम ढाया।
बिन कहे ही बदल जाते हैं जीवन के सब रंग
ज़ेहन पर गुज़रते लम्हों ने सितम ढाया।
- © कामिनी मोहन पाण्डेय
9.
सत्य-प्रेम की शक्ति क्षणिक न थी हम दोनों की
बेबसी लाचारगी एक-सी थी हम दोनों की
इधर से उधर गए एक ठौर हम पकड़ न सके
देखते ही देखते राह बदल गई हम दोनों की
-© कामिनी मोहन पाण्डेय
10.
गरम हवाए बताएँ, कब तक यूँ चलेगी,
धुएँ की धूल आँखों पर कब तक यूँ चढ़ेगी।
मेरे सामने, क्या कुछ न, आजकल हो रहा है,
मुँह फेर कर उजाला अंधेरे में सो रहा है।
- © कामिनी मोहन पाण्डेय।
11.
कॉपी के कवर पर तेरा नाम लिखा था,
आख़िरी पन्ने पर पैगाम लिखा था।
ज़िंदगी के पन्नों को पलटकर पढ़ा तो जाना
लफ़्ज़ ने लफ़्ज़ों पर खुलेआम लिखा था।
- © कामिनी मोहन पाण्डेय।
12.
ज़िंदगी रचनात्मकता के प्रवाह की कहानी है
हमने जो लिखा-मिटाया स्मृति की कहानी है।
फिर भी भावना का संपादन यहाँ है अधूरा यारो
ज़िंदगी कविता के संस्मृति की कहानी है।
- © कामिनी मोहन पाण्डेय।
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bhoobhransh · 2 years ago
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मेरा एक घर था तुम्हारे अन्दर तुम्हारा एक घर था मेरे अन्दर
समय बीता खून-पसीने-मूत्र के बहाव में जंगज़दा ईंटों ने ढ़हना शुरू कर दिया
हम व्याकुल होकर हाथ मारते रहे मलबे में
खोजते ठौर, कुछ रातें गुजारने को
खम्भे, टिकाने को अपने शोर भरे सर और उम्मीदें
एक उल्कापिंड हमारे अस्त-व्यस्त ग्रह से टकराने वाला है कुछ दशकों में हम चाहते हैं उससे पहले मुहब्बत के आशियानों में जी भर नींद ले लें अंगड़ाई लेने में भी बर्बाद न हो समय
समय और मृत्यु अपनी पटरियों पर भड़भड़ाते हुए आ रहें हैं शायद पर उससे बहुत पहले हमारे घरों का गलना हमारे प्रेम का अपघटन भुला देगा कि था इस दलदल में कोई महल पहाड़ की कोख में एक गुफा इतिहास में कहीं इंसान
पहाड़ का मर्म भू-स्खलन के धीमे, क्रूर बहाव में बाहर आता है उल्कापिंड टकराता है ढ़लान से कई किलोमीटर तक विश्व ढक जाता है नमी में
पुराने पहाड़ गिरेंगे नए पहाड़ उठेंगे तुम नहीं रोक सकते बहना
तुम्हारे स्पर्श से जहर फैला तुम्हारे कुरेदने से हुए नासूर विखंडन की प्रलयंकारी शक्ति का स्रोत तुम थे ढहती इमारतों की नींव से दरकती मिटटी तुम्हारी थी
चित्रगुप्त ने पूछा तुमसे तुम्हारी ग़लतियों के बारे में तुमने बवंडर की तरह सर हिलाया और कहा “नहीं, नहीं, नहीं!”
रेडक्लिफ रेख खेंच दी गयी एक बार फिर एक कलाई पर धरती की कोख से उफ़नकर लावा रेंगा सब ओर जलते माँस को देखकर हमें प्यार करने वाले भर गए घिन्न से
विभाजन गोदा प्यार के सर में हमने मिलकर थक्कों के कीचड़ से लथपथ घर-बाज़ार, माल-असबाब, ताले-चाबियाँ; जीवन के पुलिंदे मृत्यु सिर्फ़ तुम्हारे हिस्से ही क्यों आई?
स्वप्नों में गुदे फंतांसी परिदृश्य के समक्ष ये गुफाएँ, जैसे कोकेन के समक्ष ख़ुशी
स्टेलेक्टाइट के खम्भों के विन्यास को हमने समझ लिया किसी प्रासाद का खंडहर झींगुर के हाथ मलने की आवाज़ों को मान लिया रात की लटों में उमड़ता नाद आंख-नाक-कान के रस्ते आये उद्दीपनों को मनमाने तरीकों से जमा कर ढूंढ लिया अपना अपना सत्य
विचारों से प्रेम किया और बना लिए हाड़-मांस के पुतले उनके चारों ओर
यहाँ नीरव अन्धकार के कम्बल में ढके हम और कर भी क्या सकते थे बोरियत के मारे
हम जानते थे कि कोई रास्ता नहीं था तो हमने नाखूनों से हमारे पैरों तले की जमीन खुरच ली हमने खोदीं अपनी ही कब्रें ताकि कोई और न कर पाता हमें नेस्तनाबूद
या कि हम नहीं जानते थे कि क्या होता है प्रेम क्या होता है जीवित रहना मृतकों की प्रतिमाओं से भरी इस दुनिया में
क्या होता है होना
न होने के बीहड़ों में
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theblackwavescall · 2 years ago
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यादों का ये बोझ कैसा है 
जिसके तले न वक्त निकलता है
जिसके बिना ज़िन्दगी में न रास है
बस खुशियों के साथ एक छोटा सा घाव है
एक दुःख ह आघात दिल पे
की ये वक्त भी बीत गया 
हाँ बस कुछ बातें याद रह गयी है
श्याम को रेत में लिप्त हातों  का 
पानी ��े मटके  के और  दौड़ना
नीली श्याही का खली पन्नो पे
क्लास के वक्त चित्र बनाना
और हमारा घर आते वक्त
बिना कारण हसना 
रस्ते के मौसम का बिगड़ना
और बारिश में स्कूल बस की और दौड़ना
अब तो बस खली वादों की बातें है
और मुनाफे का सौदा
शायद उस दौर ने यादों में ही 
एक घर बनके दुनिया को छोड़ दिया
अब हर दोस्त अलग शहर में है
और हमारा देश खंडर बन चूका है
बस यादों का भोज कुछ ऐसा है
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