#ये है गीता का ज्ञान
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गीता अध्याय 1 श्लोक 12 से 15 में कहा है कि तीनों प्रभुओं (त्रिगुणमाया) के पुजारी राक्षस स्वभाव को धारण किए हुए, मनुष्यों में नीच, शास्त्र विरूद्ध साधना रूपी दुष्कर्म करने वाले, मूर्ख मुझे (ब्रह्म को) नहीं भजते ।
यही प्रमाण गीता अध्याय 16 श्लोक 4 से 20 व 23, 24 तक अध्याय 17 श्लोक 2 से 14 तथा 19 व 20 में भी है।
जानने के लिए अवश्य पढ़ें पवित्र पुस्तक "हिन्दू साहेबान ! नहीं समझे गीता, वेद, में व देखें साधना टीवी चैनल पर रोजाना शाम 7.30बजे।
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#ये_है_गीता_ज्ञान
💥 जगतगुरु तत्त्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज :
गीता अध्याय 11 श्लोक 21 में अर्जुन ने कहा कि आप तो देवताओं के समूह के समूह को खा रहे हैं जो आपकी स्तुति हाथ जोड़कर भयभीत होकर कर रहे हैं। गीता अध्याय 11 श्लोक 32 में गीता ज्ञान दाता ने बताया कि हे अर्जुन! मैं बढ़ा हुआ काल हूँ।
इससे सिद्ध हुआ कि गीता का ज्ञान श्री कृष्ण जी के शरीर में प्रविष्ट होकर काल ने कहा है।
अधिक जानकारी के लिए देखें Sant Rampal Ji Maharaj Youtube Channel
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Tattvadarshi Sant Rampal Ji
क्या आप जानते हो कि गीता जी के अध्याय 15 श्लोक 17 में लिखा है कि पूर्ण परमात्मा तीनों लोकों में प्रवेश करके सब जीव आत्माओं का पालन पोषण करते हैं।
अधिक जानकारी के लिए :-
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अध्याय 15 का श्लोक 4
ततः, पदम्, तत्, परिमार्गितव्यम्, यस्मिन्, गताः, न, निवर्तन्ति, भूयः,
तम्, एव्, च, आद्यम्, पुरुषम्, प्रपद्ये, यतः, प्रवृत्तिः, प्रसृता, पुराणी।।4।।
अनुवाद: {जब गीता अध्याय 4 श्लोक 34 अध्याय 15 श्लोक 1 में वर्णित तत्वदर्शी संत मिल जाए} (ततः) इसके पश्चात् (तत्) उस परमेश्वर के (पदम्) परम पद अर्थात् सतलोक को (परिमार्गितव्यम्) भलीभाँति खोजना चाहिए (यस्मिन्) जिसमें (गताः) गये हुए साधक (भूयः) फिर (न, निवर्तन्ति) लौटकर संसारमें नहीं आते (च) और (यतः) जिस परम अक्षर ब्रह्म से (पुराणी) आदि (प्रवृत्तिः) रचना-सृष्टि (प्रसृता) उत्पन्न हुई है (तम्) उस (आद्यम्) सनातन (पुरुषम्) पूर्ण परमात्मा की (एव) ही (प्रपद्ये) मैं शरण में हूँ। पूर्ण निश्चय के साथ उसी परमात्मा का भजन करना चाहिए। (4)
हिन्दी: {जब गीता अध्याय 4 श्लोक 34 अध्याय 15 श्लोक 1 में वर्णित तत्वदर्शी संत मिल जाए} इसके पश्चात् उस परमेश्वर के परम पद अर्थात् सतलोक को भलीभाँति खोजना चाहिए जिसमें गये हुए साधक फिर लौटकर संसारमें नहीं आते और जिस परम अक्षर ब्रह्म से आदि रचना-सृष्टि उत्पन्न हुई है उस सनातन पूर्ण परमात्मा की ही मैं शरण में हूँ। पूर्ण निश्चय के साथ उसी परमात्मा का भजन करना चाहिए।
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कबीर, ज्ञानी रोगी अर्थार्थी जिज्ञासू ये चार। सो सब ही हरि ध्यावते ज्ञानी उतरे पार।। भावार्थ:- परमात्मा की भक्ति चार प्रकार के व्यक्ति करते हैं:-
ज्ञानी:- ज्ञानी को विश्वास हो जाता है कि मानव जीवन केवल परमात्मा की भक्ति करके जीव का कल्याण कराने के लिए प्राप्त होता है। उनको यह भी समझ होती है कि केवल एक पूर्ण परमात्मा की भक्ति से मोक्ष होगा, अन्य देवी-देवताओं की भक्ति से जन्म-मरण का क्लेश नहीं कटेगा। पूर्ण सतगुरू से दीक्षा लेकर बात बनेगी। इसलिए ज्ञानी भक्त पार होते हैं।
अर्थार्थी:- जो धन लाभ के लिए ही भक्ति करते हैं।
आर्त यानि संकट ग्रस्त:- केवल अपने संकट का नाश करने के लिए भक्ति करते हैं।
जिज्ञासु:- जिज्ञासु परमात्मा का ज्ञान अधूरा समझते हैं और वक्ता बनकर महिमा की भूख में जीवन नाश कर जाते हैं। यही प्रमाण गीता अध्याय 7 श्लोक 16-17 में भी है।
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वेद, गीता, पुराण, कुरआन आदि सभी सद्ग्रंथों में अधूरा ज्ञान है यही कारण है कि ये सभी सद्ग्रंथ हमें तत्त्वदर्शी संत की शरण में जाने के लिए संकेत करते हैं। जबकि पांचवें वेद "सूक्ष्मवेद" में अध्यात्म का सम्पूर्ण ज्ञान है जिसे संत रामपाल जी महाराज ने उजागर किया है ।
वासुदेव किसे कहते हैं?सच्चिदानंद घन ब्रह्म कौन है, जिसकी भक्ति करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है? सच्चिदानंद घन ब्रह्म की सम्पूर्ण जानकारी जानने के लिए Factful Debates Youtube Channel पर देखिए वीडियो असली रामायण सार।जानने के लिए Sant Rampal Ji Maharaj App डाउनलोड करें।
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लखनऊ, 23.07.2024 । माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी की मुहिम आत्मनिर्भर भारत को साकार करने तथा महिला सशक्तिकरण हेतु गो कैंपेन (अमेरिकन संस्था) के सहयोग से ��ेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट तथा रेड ब्रिगेड ट्रस्ट के संयुक्त तत्वावधान में यशोदा रस्तोगी गर्ल्स इंटर कॉलेज, लखनऊ में आत्मरक्षा कार्यशाला आयोजित की गई जिसमे 155 छात्राओं ने मेरी सुरक्षा, मेरी ज़िम्मेदारी मंत्र को अपनाते हुए आत्मरक्षा के गुर सीखे तथा वर्तमान परिवेश में आत्मरक्षा प्रशिक्षण के महत्व को जाना ।
कार्यशाला का शुभारंभ राष्ट्रगान से हुआ तथा यशोदा रस्तोगी गर्ल्स इंटर कॉलेज की प्रधानाचार्या डॉ कुसुम लता राय तथा शिक्षिकाओं एवं रेड ब्रिगेड से प्रशिक्षिकाओं ने दीप प्रज्वलित किया ।
यशोदा रस्तोगी गर्ल्स इंटर कॉलेज की प्रधानाचार्या डॉ कुसुम लता राय ने हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट का धन्यवाद करते हुए कहा कि, “जो आत्मरक्षा के गुर आप को सिखाए गए हैं, उनका उपयोग केवल आवश्यक होने पर ही करें । याद रखें आत्मरक्षा का उद्देश्य केवल खुद को सुरक्षित रखना है न कि किसी से लड़ाई करना । आप सभी किसी भी स्थिति में खुद को बचा सकते हैं, परंतु इस ज्ञान का उपयोग सोच-समझकर और सही समय पर ही करें । आत्मरक्षा के ये कौशल आपको मजबूती और आत्मविश्वास देंगे, लेकिन इसे अनुशासन और जिम्मेदारी के साथ अपनाना चाहिए । हम सभी का कर्तव्य है कि समाज की बालिकाओं को शिक्षित और आत्मनिर्भर बनाने में अपना महत्वपूर्ण योगदान दें । मेरा पूर्ण विश्वास है कि आज की यह कार्यशाला आपके जीवन में एक सकारात्मक परिवर्तन लेकर आएगी और आपको एक नई दिशा दिखाएगी ।“
आत्मरक्षा प्रशिक्षण में रेड ब्रिगेड ट्रस्ट से कुशल प्रशिक्षिकाओं ने लड़कियों को आत्मरक्षा के गुर सिखाते हुए लड़कों की मानसिकता के बारे में अवगत कराया तथा उन्हें हाथ छुड़ाने, बाल पकड़ने, दुपट्टा खींचने से लेकर यौन हिंसा एवं बलात्कार से किस तरह बचा जा सकता है यह अभ्यास के माध्यम से बताया |
कार्यशाला के अंत में सभी प्रतिभागियों को सहभागिता प्रमाण पत्र वितरित किये गये ।
कार्यशाला में यशोदा रस्तोगी गर्ल्स इंटर कॉलेज की प्रधानाचार्या डॉ कुसुम लता राय, शिक्षिकाओं श्रीमती अर्पणा त्रिपाठी, श्रीमती पूनम शंकर, श्रीमती गीता मिश्रा, डॉ अर्चना सिंह, श्रीमती मीना वर्मा, श्रीमती रश्मी पांडे, श्रीमती शैलजा स��ंह, श्रीमती मंजू चौधरी, श्रीमती संगीता शुक्ला, श्रीमती सुनीता दोहरे, श्रीमती उषा देवी, श्रीमती शची सिंह, श्रीमती संध्या गुप्ता, श्रीमती राजकृष्ण राज, श्रीमती सीमा राव, श्रीमती अंजलि पाण्डे, श्रीमती अर्चना सिंह, छात्राओं, रेड ब्रिगेड ट्रस्ट से प्रशिक्षिकाओं तथा हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट के स्वयंसेवकों की गरिमामयी उपस्थिति रही l
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वेद, गीता, पुराण, कुरआन आदि सभी सद्ग्रंथों में अधूरा ज्ञान है यही कारण है कि ये सभी सद्ग्रंथ हमें तत्त्वदर्शी संत की शरण में जाने के लिए संकेत करते हैं। जबकि पांचवें वेद "सूक्ष्मवेद" में अध्यात्म का सम्पूर्ण ज्ञान है।
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Tattvadarshi Sant Rampal Ji
गीता सार
गीता अध्याय 16, श्लोक 23
यः शास्त्र-विधिम उत्सृज्य वर्तते काम-कर्ताः न स सिद्धिं अवाप्नो��ि न सुखं न परम गतिम्
गीता अध्याय 16 श्लोक 23 में कहा है कि शास्त्र विधि को त्यागकर जो साधक मनमाना आचरण करते हैं उनको ना तो कोई सुख होता है ना कोई सिद्धि प्राप्त होती है तथा ना ही उनकी गति अर्थात मोक्ष होता है।
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करवा चौथ पाखंड पूजा है!
संत गरीबदास जी कृत अमरग्रन्थ के अध्याय अथ मूल ज्ञान की वाणी 62 में कहा गया है:
गरीब, प्रथम अन्न जल संयम राखै, योग युक्त सब सतगुरू भाखै।
अर्थात अन्न तथा जल को सीमित खावै, न अधिक और न ही कम, यह शास्त्र अनुकूल भक्ति साधना है। इसी का समर्थन गीता अध्याय 6 श्लोक 16 करता है जिसमें कहा है कि ये भक्ति न ही अत्यधिक खाने वाले की और न बिल्कुल न खाने वाले अर्थात् व्रत रखने वाले की सिद्ध होती है।
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#सूक्ष्मवेद_का_रहस्य
वेद, गीता, पुराण, कुरआन आदि सभी सग्रंथों में अधूरा ज्ञान है यही कारण है कि ये सभी सद्ग्रंथ हमें तत्त्वदर्शी संत की शरण में जाने के लिए संकेत करते हैं।
जबकि पांचवें वेद "सूक्ष्मवेद" में अध्यात्म का सम्पूर्ण ज्ञान है।
#FifthVedaOfGodKabir
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#संत रामपाल जी महाराज#महेश भी भक्ति में लगे रहते हैं। आओ ज्ञान गंगा पुस्तक पढ़कर जानें ये तीनों भगवान किस परमात्मा की भ#हिंदुओं से धोखा#हिन्दूसाहेबान नहीं समझे गीता वेद पुराण#संत#leigh bardugo#सत्य#सत भक्ति संदेश#सतलोकआश्रम#सत भक्ति संदेश#सत्संग से ही सुख है#maggie stiefvater#भूखेबच्चेदेख मां कैसे खुश हो#हिन्दू भाई संभलो#भोपाल#neil gaiman#rainbow rowell#ये है गीता का ज्ञानtattvadarshi sant rampal ji#द्वापरयुग में परमेश्वर कबीर जी करुणामय नाम से प्रकट हुए थे। उस समय राजा चंद्रविजय और उनकी पत्न#झूठीमीडिया शर्म करोmedia apologize to sant rampalji#19 days#england#tumblr milestone#sculpture#tommyinnit
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#सूक्ष्मवेद_का_रहस्य
वेद, गीता, पुराण, कुरआन आदि सभी सद्ग्रंथों में अधूरा ज्ञान है यही कारण है कि ये सभी सद्ग्रंथ हमें तत्त्वदर्शी संत की शरण में जाने के लिए संकेत करते हैं।
जबकि पांचवें वेद सूक्ष्मवेद में अध्यात्म का सम्पूर्ण ज्ञान है।
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