#ज्ञान सो ज्ञान कबीर ज्ञान
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appasahebparbhane · 4 months ago
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#कबीर_बड़ा_या_कृष्ण
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पूज्य कबीर परमेश्वर (कविर् देव) जी की अमृतवाणी में सृष्टि रचना
धर्मदास यह जग बौराना। कोई न जाने पद निरवाना।।
यही कारन मैं कथा पसारा। जग से कहियो राम नियारा।।
यही ज्ञान जग जीव सुनाओ। सब जीवों का भ्रम नशाओ।।
अब मैं तुम से कहों चिताई। त्रयदेवन की उत्पति भाई।।
कुछ संक्षेप कहों गुहराई। सब संशय तुम्हरे मिट जाई।।
भरम गये जग वेद पुराना। आदि राम का भेद न जाना।।
राम राम सब जगत बखाने। आदि राम कोई बिरला जाने।।
ज्ञानी सुने सो हिरदै लगाई। मूर्ख सुने सो गम्य ना पाई।।
माँ अष्टंगी पिता निरंजन। वे जम दारुण वंशन अंजन।।
पहिले कीन्ह निरंजन राई। पीछे से माया उपजाई।।
माया रूप देख अति शोभा। देव निरंजन तन मन लोभा।।
कामदेव धर्मराय सत्ताये। देवी को तुरत ही धर खाये।।
पेट से देवी करी पुकारा। साहब मेरा करो उबारा।।
टेर सुनी तब हम तहाँ आये। अष्टंगी को बंद छुड़ाये।।
सतलोक में कीन्हा दुराचारि, काल निरंजन दिन्हा निकारि।।
माया समेत दिया भगाई, सोलह संख कोस दूरी पर आई।।
अष्टंगी और काल अब दोई, मंद कर्म से गए बिगोई।।
धर्मराय को हिकमत कीन्हा। नख रेखा से भग कर लीन्हा।।
धर्मराय किन्हाँ भोग विलासा। माया को रही तब आसा।।
तीन पुत्र अष्टंगी जाये। ब्रह्मा विष्णु शिव नाम धराये।।
तीन देव विस्तार चलाये। इनमें यह जग धोखा खाये।।
पुरुष गम्य कैसे को पावै। काल निरंजन जग भरमावै।।
तीन लोक अपने सुत दीन्हा। सुन्न निरंजन बासा लीन्हा।।
अलख निरंजन सुन्न ठिकाना। ब्रह्मा विष्णु शिव भेद न जाना।।
तीन देव सो उनको धावें। निरंजन का वे पार ना पावें।।
अलख निरंजन बड़ा बटपारा। तीन लोक जिव कीन्ह अहारा।।
ब्रह्मा विष्णु शिव नहीं बचाये। सकल खाय पुन धूर उड़ाये।।
तिनके सुत हैं तीनों देवा। आंधर जीव करत हैं सेवा।।
अकाल पुरुष काहू नहीं चीन्हां। काल पाय सबही गह लीन्हां।।
ब्रह्म काल सकल जग जाने। आदि ब्रह्म को ना पहिचाने।।
तीनों देव और औतारा। ताको भजे सकल संसारा।।
तीनों गुण का यह विस्तारा। धर्मदास मैं कहों पुकारा।। गुण तीनों की भक्ति में, भूल परो संसार।
कहै कबीर निज नाम बिन, कैसे उतरैं पार।।
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transparentdestinypaper · 2 years ago
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shakuntalasworld · 3 months ago
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Sadhna TV Satsang || 22-08-2024 || Episode: 3006|| Sant Rampal Ji Mahara...
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8459022012 · 7 months ago
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arnavpal123 · 7 months ago
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#Who_Is_AadiRam
कबीर, जिन राम कृष्ण निरंजन किया, सो तो करता न्यार।
अंधा ज्ञान न बूझई, कहै कबीर बिचार।।
सर्व सृष्टि का कर्ता कौन है? जानने के लिए अवश्य पढ़ें ज्ञान गंगा।
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fortunatelytooartisan · 7 months ago
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#Who_Is_AadiRam
Kabir Is God
कबीर, जिन राम कृष्ण निरंजन किया, सो तो करता न्यार।
अंधा ज्ञान न बूझई, कहै कबीर बिचार।।
सर्व सृष्टि का कर्ता कौन है? जानने के लिए अवश्य पढ़ें ज्ञान गंगा।
https://youtu.be/vAzKryZEek4?feature=shared
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ghostlybelieverpoetry · 7 months ago
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sanjaygarg · 1 year ago
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kramsingh1959 · 2 years ago
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satlokashram · 9 months ago
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कबीर, ज्ञानी रोगी अर्थार्थी जिज्ञासू ये चार। सो सब ही हरि ध्यावते ज्ञानी उतरे पार।। भावार्थ:- परमात्मा की भक्ति चार प्रकार के व्यक्ति करते हैं:-
ज्ञानी:- ज्ञानी को विश्वास हो जाता है कि मानव जीवन केवल परमात्मा की भक्ति करके जीव का कल्याण कराने के लिए प्राप्त होता है। उनको यह भी समझ होती है कि केवल एक पूर्ण परमात्मा की भक्ति से मोक्ष होगा, अन्य देवी-देवताओं की भक्ति से जन्म-मरण का क्लेश नहीं कटेगा। पूर्ण सतगुरू से दीक्षा लेकर बात बनेगी। इसलिए ज्ञानी भक्त पार होते हैं।
अर्थार्थी:- जो धन लाभ के लिए ही भक्ति करते हैं।
आर्त यानि संकट ग्रस्त:- केवल अपने संकट का नाश करने के लिए भक्ति करते हैं।
जिज्ञासु:- ��िज्ञासु परमात्मा का ज्ञान अधूरा समझते हैं और वक्ता बनकर महिमा की भूख में जीवन नाश कर जाते हैं। यही प्रमाण गीता अध्याय 7 श्लोक 16-17 में भी है।
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jagtardass9226 · 25 days ago
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*📖 हिन्दू सा��ेबान! नहीं समझे गीता, वेद, पुराण 📖*
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*हिन्दू साहेबान! नहीं समझे गीता, वेद, पुराण Part - 112*
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*कबीर, और ज्ञान सब ज्ञानड़ी, कबीर ज्ञान सो ज्ञान।*
*जैसे गोला तोब का, करता चले मैदान ।।*
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appasahebparbhane · 4 months ago
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#कबीर_बड़ा_या_कृष्ण
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पूज्य कबीर परमेश्वर (कविर् देव) जी की अमृतवाणी में सृष्टि रचना
धर्मदास यह जग बौराना। कोई न जाने पद निरवाना।।
यही कारन मैं कथा पसारा। जग से कहियो राम नियारा।।
यही ज्ञान जग जीव सुनाओ। सब जीवों का भ्रम नशाओ।।
अब मैं तुम से कहों चिताई। त्रयदेवन की उत्पति भाई।।
कुछ संक्षेप कहों गुहराई। सब संशय तुम्हरे मिट जाई।।
भरम गये जग वेद पुराना। आदि राम का भेद न जाना।।
राम राम सब जगत बखाने। आदि राम कोई बिरला जाने।।
ज्ञानी सुने सो हिरदै लगाई। मूर्ख सुने सो गम्य ना पाई।।
माँ अष्टंगी पिता निरंजन। वे जम दारुण वंशन अंजन।।
पहिले कीन्ह निरंजन राई। पीछे से माया उपजाई।।
माया रूप देख अति शोभा। देव निरंजन तन मन लोभा।।
कामदेव धर्मराय सत्ताये। देवी को तुरत ही धर खाये।।
पेट से देवी करी पुकारा। साहब मेरा करो उबारा।।
टेर सुनी तब हम तहाँ आये। अष्टंगी को बंद छुड़ाये।।
सतलोक में कीन्हा दुराचारि, काल निरंजन दिन्हा निकारि।।
माया समेत दिया भगाई, सोलह संख कोस दूरी पर आई।।
अष्टंगी और काल अब दोई, मंद कर्म से गए बिगोई।।
धर्मराय को हिकमत कीन्हा। नख रेखा से भग कर लीन्हा।।
धर्मराय किन्हाँ भोग विलासा। माया को रही तब आसा।।
तीन पुत्र अष्टंगी जाये। ब्रह्मा विष्णु शिव नाम धराये।।
तीन देव विस्तार चलाये। इनमें यह जग धोखा खाये।।
पुरुष गम्य कैसे को पावै। काल निरंजन जग भरमावै।।
तीन लोक अपने सुत दीन्हा। सुन्न निरंजन बासा लीन्हा।।
अलख निरंजन सुन्न ठिकाना। ब्रह्मा विष्णु शिव भेद न जाना।।
तीन देव सो उनको धावें। निरंजन का वे पार ना पावें।।
अलख निरंजन बड़ा बटपारा। तीन लोक जिव कीन्ह अहारा।।
ब्रह्मा विष्णु शिव नहीं बचाये। सकल खाय पुन धूर उड़ाये।।
तिनके सुत हैं तीनों देवा। आंधर जीव करत हैं सेवा।।
अकाल पुरुष काहू नहीं चीन्हां। काल पाय सबही गह लीन्हां।।
ब्रह्म काल सकल जग जाने। आदि ब्रह्म को ना पहिचाने।।
तीनों देव और औतारा। ताको भजे सकल संसारा।।
तीनों गुण का यह विस्तारा। धर्मदास मैं कहों पुकारा।। गुण तीनों की भक्ति में, भूल परो संसार।
कहै कबीर निज नाम बिन, कैसे उतरैं पार।।
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transparentdestinypaper · 7 months ago
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shakuntalasworld · 1 year ago
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Shraddha TV Satsang 15-12-2023 || Episode: 2411 || Sant Rampal Ji Mahara...
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brijpal · 2 months ago
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#SpiritualKnowledge
आध्यात्मिक ज्ञान
कबीर, संगत कीजै साधु की, कभी न निष्फल होय। लोहा पारस परस ते, सो भी कंचन होय ।।
कबीर साहेब जी कहते हैं कि साधु-संतों की संगत करो, वह कभी भी निष्फल नहीं हो सकती। जिस प्रकार पारसमणि के स्पर्श से लोहा स्वर्ण में बदल जाता है, उसी प्रकार संतों की सत्संगति से दुष्ट-दुर्जन भी सज्जन बन जाते हैं।
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vaanigheer · 7 months ago
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#Who_Is_AadiRam
कबीर, जिन राम कृष्ण निरंजन किया, सो तो करता न्यार।
अंधा ज्ञान न बूझई, कहै कबीर बिचार।।
सर्व सृष्टि का कर्ता कौन है? जानने के लिए अवश्य पढ़ें ज्ञान गंगा।
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