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फिशर के कारण, लक्षण और उपाय (Causes, Symptoms and Remedies for Fissure in Hindi)
एनल फिशर को गुदा विदर के नाम से जाना जाता है। जब गुदा में छोटे-छोटे कट या दरार उत्पन्न होते हैं, और उनमें दर्द होता है, तो उस स्थिति को फिशर कहा जाता है। मुख्य रूप से फिशर गुदा के बाहर होते हैं और इसके उत्पन्न होने के कई कारण होते हैं। कुछ मुख्य कारण है जैसे - सख्त स्टूल पास होना, लम्बे समय तक डायरिया होना, बहुत ज्यादा कब्ज या प्रेगनेंसी। एनल फिशर के कारण रोगी को असहनीय दर्द का सामना करना पड़ता है। यह दर्द गुदे के आसपास के क्षेत्र में होता है, और ज्यादातर यह दर्द मल त्याग करने के समय रोगी को परेशान करता है। कई मामलों में देखा गया है कि उन दरारों में जख्म बन जाते हैं और उन जख्मों से खून भी बहने लगते हैं। कई बार देखा गया है कि लोग फिशर के लक्षणों को बवासीर के लक्षण समझ लेते हैं, जिसके कारण इलाज में बहुत देर हो जाती है और स्थिति गंभीर हो जाती है। यदि आपको फिशर की समस्या है और उससे अधिक परेशान हैं तो आइये फेलिक्स हॉस्पिटल के साथ इसके कारण जानते है |
anal fissure in hindi एनल फिशर एक ऐसी समस्या है, जिसका इलाज बहुत ज्यादा अनिवार्य है। इस रोग के कारण व्यक्ति का जीवन शैली गंभीर रूप से प्रभावित होता है। फिशर के इलाज के बहुत सारे विकल्प मौजूद हैं और इस ब्लॉग के द्वारा हम उन्हीं कुछ विकल्पों के साथ फिशर के कारण, लक्षण और इलाज के बारे में बात करेंगे। यहां एक बात का ध्यान रखना होगा कि इस ब्लॉग में मौजूद जानकारी सामान्य जानकारी है। यदि आप फिशर के लक्षण या फिर एनल फिशर के कारण और जोखिम कारक एवं जटिलताओं के बारे में जानना चाहते हैं, तो आप हमारे विशेषज्ञ से संपर्क कर सकते हैं। फिशर यानी एनल (गुदा) की लाइनिंग में किसी प्रकार का कट होना (anal fissure meaning in hindi) । फिशर होने पर व्यक्ति को मल त्याग करते समय बहुत दर्द होता है और कभी-कभी खून भी आ जाता है। यह स्थिति किसी भी व्यक्ति के लिए काफी कष्टकारी हो सकती है। इस समस्या से निपटने के लिए जरूरी है कि व्यक्ति एनल फिशर के कारण को जानें। आमतौर पर लोग इसका उपचार करने की कोशिश करते हैं। जबकि इसकी असली समस्या को नहीं समझते हैं। एनल फिशर का उपचार करके आप इसके लक्षणों (Anal Fissure Symptoms) को कुछ हद तक कम कर सकते हैं। लेकिन, समस्या से पूरी तरह रिकवरी नहीं होती है। यहां हम आपको बता रहे हैं कि एनल फिशर होने के मुख्य कारण क्या हैं और उनसे कैसे निपट सकते हैं (fissure treatment in hindi)
क्या आप आपके नजदीकी में हॉस्पिटल में फिशर का इलाज चाहते है, फेलिक्स हॉस्पिटल आपकी सहायता के लिए तैयार है। आज ही हमसे संपर्क करें और हमारी सेवाओं के बारे में अधिक जानें और देखें कि हम आपके परिवार को सर्वोत्तम देखभाल कैसे सुनिश्चित कर सकते हैं। हम आपके परिवार के स्वास्थ्य सफ़र में हिस्सा बनने के लिए उत्साहित हैं। अभी फेलिक्स हॉस्पिटल से संपर्क करें और हमारे जनरल सर्जरी की टीम के साथ एक परामर्श की ��ारीख तय करें। हमें कॉल करें - +91 9667064100।
फिशर किसे कहते हैं fissure meaning in hindi ?
फिशर एक खास प्रकार की मलद्वार (Anus) की बीमारी है जिसमें मलद्वार (Anus) के किसी भाग में यदि कट या दरार लग जाये तो उसे फिशर कहते हैं। ये कट या दरार सामान्यतः सिक्स ‘ओ ‘ क्लॉक के पोजीशन पर लगता है। लेकिन ये कट या दरार गर्भवती महिलााओं को ये टवेल ‘ओ ‘ क्लॉक पोजीशन पर लगता है।
फिशर के कितने प्रकार हो सकते हैं?
फिशर के सामान्य तौर पर दो प्रकार होते हैं:
तीव्र (Acute) - त्वचा की ऊपरी सतह पर छेद या दरार को एक्यूट फिशर कहा जाता है।
दीर्घकालिक (Chronic) - अगर त्वचा की सतह पर हुआ छेद या दरार ठीक ना हो पाए, तो समय के साथ-साथ क्रॉनिक फिशर विकसित होने लगता है।
एनल फिशर के लक्षण - Anal fissure symptoms in Hindi
गुदा में फिशर के लक्षण व संकेतों में निम्न शामिल हो सकते हैं:
Fissure Symptoms मल त्याग के दौरान दर्द, कभी-कभी गंभीर दर्द होना। मल त्याग करने के बाद दर्द होना जो कई घंटों तक रह सकता है। मल त्याग के बाद मल पर गहरा लाल रंग दिखाई देना। गुदा के आसपास खुजली या जलन होना। गुदा के चारों ओर की त्वचा में एक दरार दिखाई देना। गुदा फिशर के पास त्वचा पर गांठ या स्किन टैग दिखाई देना।
फिशर के लक्��ण - Symptoms of Fissure And Fistula In Hindi
आमतौर पर एनल फिशर से जुड़े कुछ लक्षण (Anal fissure symptoms in hindi) में एनल एरिया में मल त्याग के दौरान तेज दर्द महसूस होता है। इसमें खुनी मल के साथ एनल और उसके आस-पास लगातर जलन या खुजली होती महसूस होती है। आमतौर पर एनल एरिया के आसपास पानी भी दिखाई देता है।
फिशर के लक्षण symptoms of fissure in Hindi:
मल त्याग करते वक्त दर्द होना।
जलन होना।
कभी कभी रक्ततस्राव होना।
फिशर होने के कारण (causes of due to fissure in hindi ) :
तनाव (Stress)
लंबे समय तक टॉयलेट सीट पर बैठे रहना (Prolonged sitting on a toilet seat)
कब्ज़ (Constipation)
मल त्याग करते वक्त बहुत जोर लगाना (Too much force during bowel movements)
यह फिशर के मुख्य लक्षण है (Anal fissure symptoms in hindi) जो आम तोर पर देखने को मिल जाते है |
फिशर होने के कारण - Causes of Fissure In Hindi :
एनल फिशर होने के अलग-अलग कारण हो सकते हैं। इसके मलाशय का कैंसर, वजाइनल चाइल्डबर्थ, अप्राकृतिक यौन संबंध, और लंबे समय तक दस्त होने की समस्या हो सकती है। ज्यादातर मामलों में फिशर गोने के कारण मल त्याग में रुकावट या फिर कब्ज हो सकता है। ये उन मांसपेशियों को फाड़ देता है एनल के अंदर से दबाने वाले सिस्टम को कंट्रोल करता है।
लंबे समय से डायरिया होना- Persistent Diarrhea in Hindi :
डायरिया यानी दस्त होना। यदि किसी व्यक्ति को लंबे समय तक दस्त होते रहें, तो इससे एनल फिशर होने का रिस्क (Diarrhea Can Cause Anal Fissure) बढ़ जाता है। फिशर के मुख्य लक्षण है (Anal fissure symptoms in hindi) जो आम तोर पर देखने को मिल जाते है बार-बार दस्त होने के कारण शरीर से काफी मात्रा में पानी निकल जाता है। इस वजह से स्किन काफी ज्यादा ड्राई हो जाती है और एनल ओपनिंग में कट लग जाता है। वैसे भी एनल स्किन काफी सेंसिटिव होती है। इस वजह से एनल फिशर होने पर काफी ज्यादा दर्द का अहसास भी होता है।
इंफ्लेमेटरी बाउल डिजीज- Inflammatory Bowel Disease:
Inflammatory Bowel Disease in hindi फिशर, इंफ्लेमेटरी बाउल डिजीज के कारण भी हो सकता है। इसका मतलब है जिस व्यक्ति को अक्सर कब्ज की समस्या रहती है या फिर दस्त बने रहते हैं, उन्हें एनल फिशर हो सकता है। इंफ्लेमेटरी बाउल डिजीज में दो तरह की कंडीशन आती है। एक क्रोहन डिजीज ( Crohn's disease) और अल्सरेटिव कोलाइटिस (Ulcerative Colitis)। इसका मतलब है कि गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल (जीआई) ट्रैक में लंबे समय से चल रही सूजन। इस सूजन के कारण अक्सर मरीज को फिशर की प्रॉब्लम का सामना करना पड़ता है।
प्रेग्नेंसी या डिलीवरी- Pregnancy And Childbirth in Hindi:
डिलीवरी के दौरान दबाव बनाते समय एनल लाइनिंग में घाव हो जाता है या कट लग जाता है। सामान्य तौर पर इसको कब्ज से जोड़कर देखा जाता है। अगर किसी महिला को कब्ज है, तो डिलीवरी के लिए दबाव बनाते समय फिशर की समस्या (fissure meaning in hindi) हो सकत��� है। ये बात अलग है कि जिन महिलाओं को कब्ज नहीं है, उन्हें भी डिलीवरी के दौरान दबाव बनाने के कारण एनल फिशर हो सकता है।
एनल ट्रॉमा के कारण- Anal Trauma in Hindi:
अगर किसी को सेक्सुअल एक्टिविटी के दौरान एनल में चोट लग जाए, तो भी एनल फिशर होने का रिस्क बढ़ जाता है। हालांकि, सबके साथ ऐसा हो, यह जरूरी नहीं है। लेकिन, अगर एसटीआई, जैसे सिफलिस और हर्पीस जैसी घातक बीमारियां हैं, तो भी एनल फिशर हो सकता है। इससे एनल कैनाल पूरी तरह डैमेज हो सकती है या फिर इंफेक्शन (Anal Infection Symptoms) का खतरा बढ़ सकता है।
एनल फिशर से कैसे करें बचाव- Remedies For Anal fissure treatment in Hindi :
एनल फिशर से बचाव के लिए आप कुछ उपाय आजमा सकते हैं, जैसे की अगर डायरिया की वजह से एनल फिशर है, तो पहले उसका इलाज करवाएं। ज्यादा से ज्याद खुद को हाइड्रेट रखें, ताकि मल त्याग करते समय तकलीफ कम हो। अपनी डाइट में हेल्दी चीजें शामिल करें, जैसे फाइबर खाएं और फ्लूइड इनटेक ज्यादा लें। आप प्रभावित हिस्से में नारियल तेल या कोई भी लुब्रिकेंट लगा सकते हैं।
Home Remedies For Anal Fissure In Hindi:
एनल फिशर यानी गूदा में फटा हुआ या खुला हुआ घाव। यह किस्म से अल्सर की तरह होता है, जो कि गूदा (एनस) के पास बड़ी आंत की लाइनिंग में विकसित होता है। एनल फिशर होने पर व्यक्ति को मल त्यागने में बहुत ज्यादा दिक्कतें आती हैं। यहां तक कि कई बार मल त्यागते समय तीव्र दर्द होता है और खून भी निकल जाता है। किसी भी व्यक्ति के लिए यह कंडीशन काफी कष्टकारी हो सकती है। सवाल है, ऐसी कंडीशन में क्या किया जा सकता है। हालांकि, इसके लिए कई तरह के ट्रीटमेंट मौजूद हैं। लेकिन आप कुछ घरेलू उपायों की मदद से इसकी तकलीफ को कम कर सकते हैं (fissure treatment in hindi)
नारियल का तेल अप्लाई करें- Apply Coconut Oil : एनल फिशर के उपचार के लिए आप नारियल के तेल का इस्तेमाल (Coconut Oil For Fissure) कर सकते हैं। इसमें ट्राइग्लिसराइड्स नाम का एक तत्व होता है, जो इसे लुब्रिकेंट बनाता है। नारियल तेल को प्रभावित हिस्से में लगाने से मल त्याग करते समय दर्द कम होता है। आप इसका उपयोग एक दिन में से दो से तीन बार कर सकते हैं। इसका कोई साइड इफेक्ट भी नहीं होता है। यही नहीं, नारियल तेल के उपयोग से खुजली और जलन की समस्या में भी कमी आती है।
पर्याप्त मात्रा में पानी पिएं- Hydrate Yourself : एनल फिशर से राहत पाने के लिए (fissure treatment in hindi) बहुत जरूरी है कि आप पर्याप्त मात्रा में पानी पिएं। पानी की कमी के कारण अक्सर व्यक्ति को बहुत सारी तकलीफों का सामना करना पड़ता है। पानी की कमी (Drink Adequate Water) की वजह से कब्ज की समस्या भी होती है। इसलिए, जरूरी है कि आप एक दिन में कम से कम आठ गिलास पानी जरूर पिएं। पानी पीने से मल नर्म होता है और मल त्याग करने में दिक्कत नहीं होती है।
डाइट में घी शामिल करें- Add Ghee In Your Diet : सर्दियों में घी खाने से कई तरह के लाभ होते हैं। कुछ लोग रोजाना सुबह घी खाने से अपने दिन की शुरुआत करते हैं। एनल फिशर के उपचार (fissure meaning in hindi) तौर पर आप घी का उपयोग कर सकते हैं। दरअसल, घी में नेचुरल तरीके लैक्सेटिव और फैटी एसिड मौजूद होता है, जो कि मल त्याग (Ghee Is Good For Fissure) करने को आसाना बनाता है। हालांकि, घी की ओवर ईटिंग करना ठीक नहीं है। इससे आपका वेट गेन हो सकता है।
गर्म पानी से सिंकाई करें- Hot Compress : एनल फिशर की समस्या बहुत ज्यादा बढ़ने पर आप गर्म पानी से प्रभावित हिस्से का सिंकाई (Hot Compress For Fissure) कर सकते है। यह बहुत ही बेहतरीन उपचार (fissure meaning in hindi) है। लेकिन ध्यान रहे कि पानी बहुत ज्यादा गर्म न हो। गर्म पानी में सिंकाई करने से दर्द कम होता है। एनल फिशर से उपचार के तौर पर आप एक दिन में कम से तीन से चार बार इस प्रोसेस को दोहराएं।
डाइट में करें बदलाव- Change Your Diet : डाइट में ऐसी चीजें शामिल करने से बचें, जिससे स्टूल सख्त हो सकता है। इसमें खासकर, जंक फूड, स्ट्रीट फूड, रेडी टू फूड जैसी चीजें शामिल हैं। आपको अपनी डाइट में ज्यादा से ज्यादा फाइबर युक्त चीजें शामिल करनी चाहिए। उदाहरण के तौर पर, मौसमी सब्जियां और फल। इनके सेवन से मल सॉफ्ट होता है और मल त्याग करते समय तकलीफ भी कम होती है।
Resource: https://www.felixhospital.com/blogs/fissure-meaning-in-hindi
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YouTube पर "मर्यादित रहकर भक्ति करने से ही मोक्ष होगा। SATLOK ASHRAM" देखेंपरमेश्वर का संदेश दशहरे पर देते हुए
*#आदिराम_का_संदेश*
*Sant Rampal Ji Maharaj*
🎉कबीर परमात्मा का संदेश
पर नारी को बहन बेटी के भाव से देखें
कबीर परमात्मा कहते हैं:- “पर नारी को देखिए, बहन बेटी के भाव। कहैं कबीर काम नाश का, यही सहज उपाय।।“ भावार्थ है कि दूसरी स्त्री को अपनी बहन, बेटी के भाव से देखें, जिससे परस्त्री को देखकर उठने वाली काम वासना स्वतः नष्ट हो जाती है।
🎉 कबीर, सर्व सोने की लंका थी, वो रावण से रणधीरं |
एक पलक मे राज विराजै, जम के पड़ै जंजीरं ||
पूज्यनीय भगवान कबीर साहेब जी बताते हैं, रावण की पूरी लंका सोने से बनी थी। वह बहुत शक्तिशाली शासक था। परन्तु फिर भी सतभक्ति बिना लंकापति रावण भी एक ही क्षण में राख हो गया।
🎉 मर्द गर्द में मिल गए, रावण से रणधीर।
कंश, केसी, चाणूर से, हिरणाकुश बलबीर।।
कंस, केसी, चाणौर, हिरणाकुश और रावण जैसे योद्धा भी सतभक्ति के बिना मृत्यु उपरांत मिट्टी में मिल गए।
कबीर परमात्मा की सतभक्ति से ही मोक्ष मिल सकता है।
🎉 भक्ति बिना क्या होत है, ये भरम रहा संसार।
रति कंचन पाया नहीं, रावण चलती बार।।
परमात्मा कबीर साहेब जी बताते हैं कि रावण का बहुत बड़ा साम्राज्य और विशाल परिवार था। उनके एक लाख बेटे और सवा लाख पोते थे, लेकिन आज उनके परिवार में एक भी परिवार का सदस्य जीवित नहीं है, सभी मर चुके हैं।
कबीर परमात्मा की सतभक्ति के बिना जीव को शांति व मोक्ष कभी नहीं मिल सकता।
🎉 भगवान कबीर साहेब जी गुमराह और आध्यात्मिक रूप से मृत आत्माओं को जगाते हैं और उन्हें आदि राम की सत्य साधना करने के लिए प्रेरित करते हैं और कसाई ब्रह्म-काल के जाल से छुटकारा दिलवाते हैं।
🎉 आवत संग न जात संगाती, क्या हुआ दर बांधे हाथी।
इक लख पूत सवा लख नाती, उस रावण के आज दीया न बाती ।।
रावण का बहुत बड़ा परिवार था। उसके बावजूद भी वह एक पूर्ण परमात्मा कबीर साहेब की सतभक्ति के बिना अनमोल मनुष्य जीवन की बाज़ी हार कर चला गया।
🎉 इन्द्री कर्म ना लगे लगारं, जो भजन करैं निर्धुन्ध रे।
गरीब दास जग कीर्ति होगी, जब लग सुरज चन्द रे।।
समर्थ परमेश्वर की शरण रहकर सत्य साधना करने वाले को काल लोक के कर्म नहीं लगते।
उस साधक को पूर्ण मोक्ष प्राप्ति में कोई शंका नहीं है, न ही कोई हानि होती।
रावण मनुष्य जन्म हार कर चला गया सतभक्ति के बिना। कृपया आप अपना कीमती जीवन बर्बाद न करें।
🎉काम, क्रोध, लोभ, मोह, अहंकार है सबसे भयानक रावण
इनको केवल परमेश्वर कबीर देव जी की सतभक्ति से ही काबू किया जा सकता है
🎉 आदिराम की सतभक्ति से हमारे अंदर बैठे काम, क्रोध, लोभ, मो���, अहंकार रूपी रावण का नाश किया जा सकता है।
कौन है आदिराम? देखें साधना चैनल शाम 07:30 बजे
🎉आदिराम की पूजा के बिना पांचों विकार रूपी रावण जीव का जीवन लूट लेते हैं।
क��से करें साधना उस आदिराम की?
कौन है आदिराम? देखें साधना चैनल शाम 07:30 बजे
🎉 रावण असली सेठ नहीं था
कबीर, सब जग निर्धना धनवंता ना कोए।
धनवंता सो जानियो राम नाम धन होय।।
कबीर परमात्मा कहते हैं कि वास्तविक धनवान वही है जो सतभक्ति करता है।
रावण इतना धनवान होकर भी हारे जुआरी की तरह जन्म हार गया।
🎉 सच्चे भक्त की रक्षा कबीर परमात्मा ही करते हैं
गरीब, काल डरै करतार से, जय जय जय जगदीश।
जौरा जोड़ी (जूते) झाड़ता, पग रज डारै शीश।।
परमेश्वर कबीर जी के भक्त की मृत्यु काल नहीं कर सकता।
परमेश्वर कबीर जी की आज्ञा से ही होगी। इसलिए यम तथा मौत दोनों सतगुरु के भक्त के निकट नहीं आते।
🎉गरीब, माया का रस पीय कर, फूट गये दो नैन।
ऐसा सतगुरु हम मिल्या, बास दिया सुख चैन।।
रावण ने सोने की लंका बनाई हुई थी। इतनी माया जोड़ी फिर भी उसका अंत कैसा दर्दनाक हुआ।
वर्तमानं में भी सब माया संग्रह करने में लगे हैं। मनुष्य जीवन का मूल उद्देश्य परमात्मा का भजन भक्ति करके जीव कल्याण कराना था।
ये ज्ञान केवल तत्त्वदर्शी संत अथवा सतगुरु ही दे सकता है। जो कि वर्तमान में संत रामपाल जी महाराज जी ही हैं।
🎉 दशहरे पर जानें वह आदि राम कौन है जो इंसान के अंदर की बुराइयों का नाश कर सकता है।
आदि राम जिसकी सतभक्ति से मनुष्य भी देवता बन जाते हैं। देखें साधना चैनल शाम 07:30 बजे
🎉 कबीर, सतगुरु के उपदेश का, सुनिया एक बिचार।
जो सतगुरु मिलता नहीं, जाता यमके द्वार।।
कबीर परमात्मा कहते हैं कि यदि सतगुरु नहीं मिलता तो भक्तिहीन जीव को नरक में घोर यातनाएं दी जाती हैं।
वर्तमान में सतगुरु केवल संत रामपाल जी महाराज ही हैं।
🎉 पूर्ण संत रामपाल जी महाराज का उद्देश्य है कि अपने देश की जनता बुराइयों से बचे, शान्तिपूर्वक निर्मल जीवन जीए। परमेश्वर की भक्ति करें, अपने पूर्वजों की तरह बाँट कर खाए। दूसरे की माँ, बहन, बेटी को अपनी माँ, बहन बेटी के भाव से ही देखें।
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गेहूं की अच्छी फसल तैयार करने के लिए जरूरी खाद के प्रकार
गेहूं की खेती पूरे विश्व में की जाती है। पुरे विश्व की धरती के एक तिहाई हिस्से पर गेहूं की खेती की जाती है। धान की खेती केवल एशिया में की जाती है जबकि गेहूं विश्व के सभी देशों में उगाया जाता है। इसलिये गेहूं की खेती का बहुत अधिक महत्व है और किसान भाइयों के लिए गेहूं की खेती कृषि उपज के प्राण के समान है। इसलिये प्रत्येक किसान गेहूं की अच्छी उपज लेना चाहता है। वर्तमान समय में वैज्ञानिक तरीके से खेती की जाती है। इसलिये किसान भाइयों को चाहिये कि वह गेहूं की खेती उन्नत एवं वैज्ञानिक तरीके से करेंगे तो उन्हें अपने खेतों में अच्छी पैदावार मिल सकती है।
क्यों है अच्छी फसल की जरूरत
किसान भाइयों एक बात यह भी सत्य है कि जमीन का दायरा सिकुड़ता जा रहा है और आबादी बढ़ती जा रही है। मानव का मुख्य भोजन गेहूं पर ही आधारित है। इसलिये गेहूं की मांग बढ़ना आवश्यक है। इस मांग को पूरा करने के लिए अधिक से अधिक पैदावार करना होगा। जहां लोगों की जरूरतें पूरी होंग�� और वहीं किसान भाइयों की आमदनी भी बढ़ेगी। किसान भाइयों गेहूं की खेती बहुत अधिक मेहनत मांगती है। जहां खेत को तैयार करने के लिए अधिक जुताई, पलेवा, निराई गुड़ाई, सिंचाई के साथ खाद एवं उर्वरक का भी प्रबंधन समय-समय पर करना होता है। आइये देखते हैं कि गेहूं की खेती में किन-किन खादों व उर्वरकों का प्रयोग करके अधिक से अधिक पैदावार ली जा सकती है।
अधिक उत्पादन का मूलमंत्र
गेहूं की खेती की खास बात यह होती है कि इसमें बुआई से लेकर आखिरी सिंचाई तक उर्वरकों और पेस्टिसाइट व फर्टिसाइड का इस्तेमाल किया जाता है। तभी आपको अधिक उत्पादन मिल सकता है।
बुआई के समय करें ये उपाय
गेहूं की अच्छी फसल लेने के लिए किसान भाइयों को सबसे पहले तो अपनी भूमि का परीक्षण कराना चाहिये, मृदा परीक्षण या सॉइल टेस्टिंग भी कहा जाता है। परीक्षण के उपरांत कृषि विशेषज्ञों से राय लेकर खेत तैयार करने चाहिये और उनके द्वारा बताई गई विधि से ही खेती करेंगे तो आपको अधिक से अधिक पैदावार मिलेगी। क्योंकि फसल की पैदावार बहुत कुछ खाद एवं उर्वरक की मात्रा पर निर्भर करती है। गेहूं की खेती में हरी खाद, जैविक खाद एवं रासायनिक खाद के अलावा फर्टिसाइड और पेस्टीसाइड का भी प्रयोग करना होता है। कौन सी खाद कब इस्तेमाल की जाती है, आइये जानते हैं:-
गेहूं की फसल के लिए बुआई से पहले खेत को अच्छी तरह से तैयार किया जाता है। इसके लिए सबसे पहले 35 से 40 क्विंटल गोबर की सड़ी हुई खाद प्रति हेक्टेयर खेत में डालना चाहिये। इसके साथ ही 50 किलोग्राम नीम की खली और 50किलो अरंडी की खली को भी मिला लेना चाहिये। पहले इन सभी खादों के मिश्रण को खेत में बिखेर दें और उसके बाद खेत की जमकर जुताई करनी चाहिये।
किसान भाई गेहूं की अच्छी फसल के लिए अगैती फसल में बुआई के समय 150 किलोग्राम नाइट्रोजन, 60 किलोग्राम फास्फोरस और 40 किलोग्राम पोटाश का इस्तेमाल करना चाहिये। गेहूं की पछैती फसल के लिए बुआई के समय 80 किलोग्राम नाइट्रोजन, 60 किलोग्राम फास्फोरस, 40 किलोग्राम पोटाश गोबर की खाद, नीम व अरंडी की खली के बाद डालना चाहिये।
इसमें नाइट्रोजन की आधी मात्रा को बचा कर रख लेना चाहिये जो बाद में पहली व दूसरी सिंचाई के समय डालना चाहिये।
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गेहूं की अच्छी फसल के लिए क्या करें किसान
पहली सिंचाई के समय
बुआई के बाद पहली सिंचाई लगभग 20 से 25 दिन पर की जाती है। उस समय किसान भाइयों को गेहूं की फसल के लिए 40 से 45 किलोग्राम यूरिया, 33 प्रतिशत वाला जिंक 5 किलो, या 21 प्रतिशत वाला जिंक 10 किलो, सल्फर 3 किलो का मिश्रण डालना चाहिये। इसके अलावा नैनोजिक एक्सट्रूड जैसे जायद का भी प्रयोग करना चाहिये।
दूसरी सिंचाई के समय
गेहूं की खेती में दूसरी सिंचाई बुआई के 40 से 50 दिन बाद की जानी चाहिये। उस समय भी आपको 40 से 45 किलोग्राम यूरिया डालनी होगी । इसके साथ थायनाफेनाइट मिथाइल 70 प्रतिशत डब्ल्यूपी 500 ग्राम प्रति एकड़, मारबीन डाजिम 12 प्रतिशत, मैनकोजेब 63 प्रतिशत डब्ल्यूपी 500 ग्राम प्रति एकड़ से मिलाकर डालनी चाहिये।
उर्वरकों का इस्तेमाल का फैसला ऐसे करें
मुख्यत: गेहूं की फसल में दो बार सिंचाई के बाद ही उर्वरकों का मिश्रण डालने का प्रावधान है लेकिन उसके बाद किसान भाइयों को अपने खेत व फसल की निगरानी करनी चाहिये। इसके अलावा भूमि परीक्षण के बाद कृषि विशेषज्ञों की राय के अनुसार उर्वरकों का इस्तेमाल करना चाहिये। यदि भूमि परीक्षण नहीं कराया है तो आपको अपने खेत की निगरानी अपने स्तर से करनी चाहिये और स्वयं के अनुभव के आधार पर या अनुभवी किसानों से राय लेकर फसल की जरूरत के हिसाब से उर्वरक, फर्टिसाइड व पेस्टीसाइड का इस्तेमाल करना चाहिये।
हल्की फसल हो तो क्या करें
विशेषज्ञों के अनुसार दूसरी सिंचाई के बाद देखें कि आपकी फसल हल्की हो तो आप अपने खेतों में माइकोर हाइजल दो किलो प्रति एकड़ के हिसाब से डालें। जिन किसान भाइयों ने बुआई के समय एनपीके का इस्तेमाल किया हो तो उन्हें अलग से पोटाश डालने की आवश्यकता नहीं है क्योंकि एनपीके में 12 प्रतिशत नाइट्रोजन और 32 प्रतिशत फास्फोरस होता है और 16प्रतिशत पोटाश होता है।
डीएपी का इस्तेमाल करने वाले क्या करें
जिन किसान भाइयों ने बुआई के समय डीएपी खाद का इस्तेमाल किया हो तो उन्हें पहली सिंचाई के बाद ही 15 से 20 किलो म्यूरेट आफ पोटाश प्रति एकड़ के हिसाब से डालना चाहिये। क्योंकि डीएपी में 18 प्रतिशत नाइट्रोजन होता है और 46 प्रतिशत फास्फोरस होता है और पोटाश बिलकुल नहीं होता है।
प्रत्येक सिंचाई के बाद खेत को परखें
गेहूं की फसल में 5-6 बार सिंचाई करने का प्रावधान है। किसान भाइयों को चाहिये कि वो कुदरती बरसात को देख कर और खेत की नमी की अवस्था को देखकर ही सिंचाई का फैसला करें। यदि प्रति सिंचाई के बाद यूरिया की खाद डाली जाये तो आपकी फसल में रिकार्ड पैदावार हो सकती है। यूरिया के साथ फसल की जरूरत के हिसाब से फर्टिसाइड और पेस्टीसाइड का भी इस्तेमाल करना चाहिये।
पहली दो सिंचाई के बाद तीसरी सिंचाई 60 से 70 दिन बाद की जाती है। चौथी सिंचाई 80 से 90 दिन बाद उस समय की जाती है जब पौधों में फूल आने को होते हैं। पांचवीं सिंचाई 100 से 120 दिन बाद करनी चाहिये।
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गन्ने की आधुनिक खेती की सम्पूर्ण जानकारी
खाद सिंचाई से पहले या बाद में डाली जाए?
किसान भाइयों के समक्ष यह गंभीर समस्या है कि गेहूं की फसल में खाद कब डालनी चाहिये? हालांकि खाद डालने का प्रावधान सिंचाई के बाद ही का है लेकिन कुछ किसान भाइयों को यह शिकायत होती है कि सिंचाई के बाद खेत की मिट्टी दलदली हो जाती है, जहां खेत में घुसने में पैर धंसते हैं और उससे पौधों की जड़ों को नुकसान पहुंच सकता है। ऐसी स्थिति में किसान भाइयों को परिस्थिति देखकर स्वयं फैसला लेना होगा।
यदि भूमि अधिक दलदली है और सिंचाई के बाद पैर धंस रहे हैं तो आपको खेत के पानी को सूखने का इंतजार करना चाहिये लेकिन पर्याप्त नमी होनी चाहिये तभी खाद डालें। इसके लिए आप सिंचाई से अधिक से अधिक दो दिन के बाद खाद अवश्य डाल देनी चाहिये। यदि यह भी संभव न हो पाये तो इस तरह की भूमि में सिंचाई से 24 घंटे पहले खाद डालनी चाहिये लेकिन ध्यान रहे कि 24 घंटे में सिंचाई अवश्य ही हो जानी चाहिये। तभी खाद आपको लाभ देगी अन्य��ा नहीं।
यदि आपके खेत की भूमि बलुई या रेतीली है, जहां पानी तत्काल सूख जाता है और आप खेत में आसानी से जा सकते हैं तो आपको सिंचाई के तत्काल बाद ही खाद डालनी चाहिये। ऐसे खेतों में अधिक से अधिक सिंचाई के 24 घंटे के भीतर खाद डालनी चाहिये।
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क्या डेल्टा प्लस की वजह से आएगी भारत में तीसरी लहर, जानिए क्या कहते हैं एक्सपर्ट? Divya Sandesh
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क्या डेल्टा प्लस की वजह से आएगी भारत में तीसरी लहर, जानिए क्या कहते हैं एक्सपर्ट?
लखनऊ कोरोना वायरस के लगातार म्यूटेशन ने डॉक्टर्स- वैज्ञानिकों के साथ आम लोगों की भी चिंता बढ़ा दी है। इन दिनों कोरोना वायरस का नया वेरिएंट डेल्टा प्लस सुर्खियों में बना हुआ है। यह डेल्टा वेरिएंट का ही अपग्रेटेड रूप है जिसने दूसरी लहर के दौरान देश में तबाही मचाई थी। अब डेल्टा प्लस के केस भी कई राज्यों में रिपोर्ट किए जा रहे हैं। यहां तक कहा जा रहा है कि अगर तीसरी लहर आती है तो डेल्टा प्लस वेरिएंट भी उसकी एक वजह हो सकता है। इस दावे में कितनी सच्चाई है और डेल्टा प्लस वेरिएंट से हमें कितना सतर्क रहने की जरूरत है, इस पर बीएचयू के जूलॉजी विभाग के प्रफेसर डॉ. ज्ञानेश्वर चौबे से बातचीत-
सवाल- ? इसे संभावित तीसरी लहर का कारण बताया जा रहा है। जवाब- दूसरी लहर का कारण डेल्टा वेरिएंट था। डेल्टा वेरिएंट की संक्रामकता दर काफी ऊंची थी। इस वजह से भारत में बहुत अधिक केस देखने को मिले। अब इस वेरिएंट के साथ एक और म्यूटेशन जुड़ चुका है – K417n, इसलिए इसे डेल्टा प्लस वेरिएंट नाम दिया गया। यह म्यूटेशन पहले अफ्रीकन वेरिएंट (बीटा वेरिएंट) के साथ जुड़ा था। इसकी खासियत यह थी कि जिसके शरीर में एंटीबॉडी का स्तर कम होता है, बीटा वेरिएंट उसे भी दोबारा संक्रमित कर सकता था।
डेल्टा प्लस पर अभी निगरानी रखनी होगी क्योंकि सारे वेरिएंट खतरनाक नहीं हो सकते। दूसरी चीज यह भी है कि भारत में डेल्टा वेरिएंट बड़ी आबादी को संक्रमित कर चुका है। ऐसे में वहां ऐंटीबॉडी भी बन चुकी है ���र उसे भेदने वाला वेरिएंट अभी नहीं आया है। अभी हम नहीं कह सकते कि डेल्टा प्लस तीसरी लहर का कारण बनेगा या नहीं। कम से कम 6 महीने का वक्त लगेगा कोई लहर आने में।
सवाल- किसी वायरस को वेरिएंट ऑफ कंसर्न कब घोषित किया जाता है?
जवाब-किसी भी वायरस के वेरिएंट को तब खतरनाक माना जाता है जब वह तेजी से बहुत सारे देशों में फैल जाता है। डेल्टा प्लस वेरिएंट पहले से ही कई देशों में मौजूद है। इसके साथ एक और म्यूटेशन जुड़ गया- K417n जो Immune Evasion यानी प्रतिरक्षा को भेदने की प्रॉपर्टी रखता है हालांकि लेकिन यह गुण इसमें आंशिक है। अगर पूरी तरह से Immune Evasion की प्रॉपर्टी रखता, तब यह बहुत खतरनाक होता। तब यह उन सभी को संक्रमित कर सकता था जिन्हें वैक्सीन लगाई जा चुकी है।
सवाल- डेल्टा प्लस के जीनोम सिक्वेंसिंग के लिए बीएचयू क�� भी सेंटर बनाया गया है, ��ितनी मदद मिलेगी?
जवाब- पूर्वांचल की बात करें यहां पहली लहर में भी नुकसान हुआ था और दूसरी लहर में भी। पूर्वांचल में पहली लहर में सिर्फ दो सिक्वेंसेंस उपलब्ध थे। हमें पता नहीं था कि किस वेरिएंट की वजह से इतने केस बढ़े। दूसरी लहर में हैदराबाद की सीसीएमबी इंस्टिट्यूट से हमने सहयोग लिया, तब सिक्वेंसिंग के जरिए पता लगाया कि 36 फीसदी केस डेल्टा वेरिएंट के हैं। इसी वजह से इतने केस बढ़े, इतनी मौतें हुईं। जब भी देश में एक साथ कोरोना के केस बढ़ते हैं तो वाराणसी में भी केस बढ़ जाते हैं। वाराणसी हॉट स्पॉट क्षेत्रों में बना रहता है। यहां हमेशा सर्विलांस की जरूरत है इसलिए सरकार के इस कदम से काफी मदद मिलेगी।
सवाल- डेल्टा प्लस पर वैक्सीन कितनी मारक होगी?
जवाब- अभी तक ऐसा कोई वेरिएंट नहीं आया है जो वैक्सीन को बाईपास कर सके या उससे बनीं ऐंटीबॉडी को भेद सके। वैक्सीन की डोज लगने के बाद भी लोगों संक्रमित होते हैं लेकिन उनमें अस्पताल जाने के केस और मृत्यु की संभावना कम रहती है। वैक्सीन का असर हमेशा बड़ी आबादी में देखा जाता है न कि किसी अकेले शख्स में।
अब अगर पिछली लहर की बात करें तो डेल्टा वेरिएंट ने उन्हें भी इंफेक्ट किया जिन्हें वैक्सीन की सिंगल या डबल डोज लगी थी लेकिन उसमें से 2 या 4 केस छोड़ दिए जाएं तो अधिकतर लोगों को न ऑक्सिजन की जरूरत पड़ी न अस्पताल जाने की। अफ्रीकन वेरिएंट के साथ भी ऐसा ही है। वैक्सीन लगने के बाद भी लोगों को संक्रमित कर रहा है लेकिन स्थिति बहुत गंभीर नहीं होगी।
सवाल-क्या कोरोना वायरस की अभी कई और लहरें भी आ सकती हैं?
जवाब- ये वायरस पहली बार इंसान के शरीर में आया। हमारे इम्यून सिस्टम को इस वायरस के बारे में कोई जानकारी नहीं थी। इस वायरस ने जब पहली बार मानव शरीर में प्रवेश किया तो इम्यून सिस्टम इसे समझ नहीं पाया था। पहली लहर में इसने कुछ लोगों को संक्रमित किया। 4 से 5 महीने बाद दूसरी लहर आई क्योंकि जो लोग ठीक हो चुके थे उनमें ऐंटीबॉडी का लेवल घट गया था।
फिर भी जिन लोगों में दोबारा इंफेक्शन हुआ उनमें अस्पताल जाने और मौत की संभावना कम थी लेकिन जिन्हें कभी इंफेक्शन नहीं हुआ था उसमें बहुत सारे लोग अस्पताल गए और मौतें भी हुईं। विज्ञान की दृष्टि से देखें तो अगर वायरस का ऐसा वेरिएंट आए जो सबको संक्रमित करने लगे ज 100 फीसदी तक प्रतिरक्षा को भेद सके, तभी ऐसा होगा वरना दूसरी लहर जैसी स्थिति हम हमारे देश में नहीं आएगी।
सवाल- वायरस के इतने अधिक म्यूटेशन के पीछे क्या वजह है?
जवाब- वायरस जब शरीर में जाता है तो बहुत सारी कॉपी बनाता है उन कॉपी में बहुत सारे म्यूटेशन होते हैं। कुछ म्यूटेशन ऐसे होते हैं जो इम्यूनिटी के विरुद्ध काम करने के लिए वायरस की मदद करते हैं। इसी वजह से एक शख्स को संक्रमित करने के बाद वायरस दूसरे को भी संक्रमित कर देते हैं। जितना ज्यादा वायरस संक्रमित करेगा, उतना ही म्यूटेशन ज्यादा होगा। इसीलिए हम लोग इस बात पर स्ट्र���स देते हैं कि वायरस का इंफेक्शन कम हो तो उससे कम वेरिएंट बनेंगे और हम इससे बच जाएंगे।
सवाल- संभावित तीसरी लहर से बचने के लिए क्या सतर्कता रखनी चाहिए?
जवाब- पहली लहर के बाद ज्यादातर लोग ये मानने लगे थे कि भारत में इम्यूनिटी बन चुकी है और हम यह जंग जीत गए हैं लेकिन यही हमारी सबसे बड़ी कमी थी। तीसरी लहर की बात करें तो अब हमारे पास वायरस की समझ ज्यादा है। हमें ये पता करना है कि तीसरी लहर कब आएगी। इसके लिए उपाय भी हैं। अगर हम सीरो सर्विलांस और वायरस सर्विलांस के साथ सीवर सर्विलांस करते रहे हॉटस्पॉट क्षेत्रों में तो हम एक महीने पहले ही इसकी लहर की भविष्यवाणी कर सकते हैं और उसके अनुसार उपाय कर सकते हैं।
इसके अलावा और भी विधियां हैं जिनपर हम काम कर रहे हैं। अभी एक वायरस को सीक्वेंस करने में 10 से 15 हजार का खर्च आता है। हम लोग इसका खर्च कम करके 1 हजार रुपये में करने की कोशिश कर रहे हैं। शायद एक से दो महीने में यह संभव हो जाएगा तो इससे हम बड़ी संख्या में सैंपल को सीक्वेंस कर सकते है और वायरस के वेरिएंट का पता लगा सकते हैं।
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What Is Laser Printer In Hindi
लेजर प्रिंटर खरीदते समय इन लेजर प्रिंटर युक्तियों का उपयोग करें। प्रिंटर की पसंद मुद्रण या प्रदर्शन मापदंडों की गुणवत्ता की तुलना में उपयोग पर काफी हद तक निर्भर करती है। लेजर प्रिंटर पारंपरिक रूप से महंगे थे, लेकिन वे अच्छे आर्थिक और कुरकुरा प्रिंटआउट की पेशकश करते हैं-कम से कम जहां तक थोक मोनोक्रोम प्रिंटिंग का संबंध है।
Laser Printer
तो लेजर प्रिंटर की जरूरत किसे होगी? यदि आपके दैनिक कार्य दिनचर्या में कार्यालय उपयोग के लिए बड़ी संख्या में चादरें शामिल हैं और इससे भी महत्वपूर्ण बात यह है कि आपको प्रिंट-आउट फास्ट की आवश्यकता है, आपको लेजर प्रिंटर की आवश्यकता है। इस मामले में, ये लेजर प्रिंटर टिप्स आपके लिए उपयोगी होंगे।
यदि आप अपने पुराने इंकजेट प्रिंटर से संतुष्ट नहीं हैं और एक नया लेजर प्रिंटर खरीदने की सोच रहे हैं तो ये लेजर प्रिंटर टिप्स आपके लिए उपयोगी होंगे। इन लेजर प्रिंटर युक्तियों का उपयोग करें और एक स्मार्ट विकल्प बनाएं। यदि आपका बजट सीमित है, तो आपको इन लागत प्रभावी लेजर प्रिंटर को देखने की जरूरत है।
कार्यालयों और सोहो खंडों में मुद्रण में ज्यादातर थोक पाठ प्रिंट-आउट शामिल होते हैं और इसलिए लेजर प्रिंटर सबसे व्यवहार्य विकल्प हैं। इसके अलावा, जैसे ही ये प्रिंटर नेटवर्क विकल्प के साथ आते हैं-इनका उपयोग नेटवर्क पर साझा संसाधन के रूप में किया जा सकता है, जो उन्हें कार्यालय के वातावरण के लिए आदर्श बनाता है। एक अन्य महत्वपूर्ण विशेषता जो दिखनी चाहिए, वह बफर मेमोरी की संख्या है-और अधिक बेहतर है, खासकर अगर प्रिंटर नेटवर्क पर है। एक बड़ी कागज़ की क्षमता का होना पेशेवर लेजर प्रिंटर के लिए एक अतिरिक्त लाभ है, जो ऑपरेशन के भरण-विस्मरण के लिए है।
खरीदने के लिए इन लेजर प्रिंटर युक्तियों का उपयोग करें
लेजर प्रिंटर की वारंटी के बारे में लेजर प्रिंटर टिप्स
• एक कैरी-इन वारंटी निश्चित रूप से एक बड़ा दर्द है जहां तक लेजर प्रिंटर जैसी भारी वस्तुओं का संबंध है। वारंटी व्यापक और ऑन-साइट होनी चाहिए।
• वारंटी अवधि जितनी अधिक होगी, उतना बेहतर होगा। यह इंगित करता है कि (निर्माता को उत्पाद में अधिक विश्वास है।
• तेज़ और उच्च गुणवत्ता वाले प्रिंटर धीमे लोगों की तुलना में बहुत अधिक महंगे हैं। यदि आप अपने प्रिंटआउट लेने की जल्दी में नहीं हैं या आपको उत्कृष्ट गुणवत्ता की आवश्यकता नहीं है, तो अपने स्थलों को थोड़ा कम करें। आप इस तरह से बहुत से पैसे बचाएंगे।
• लेजर प्रिंटर जैसे महंगे परिधीयों के साथ, यह दुर्घटना या खराबी होने पर आपके दिल को तोड़ देता है। घटिया ग्राहक सेवा जोड़ें जो आप उक्त परिधीय को खिड़की से बाहर फेंकने के लिए तैयार हैं। उन लोगों से पूछें, जिन्होंने ग्राहक सहायता कर्मचारियों के साथ अपने अनुभवों के बारे में पहले ही प्रिंटर खरीद लिया है। यह कुछ प्रयास ले सकता है लेकिन इसके लायक है।
स्मार्ट लेजर प्रिंटर टिप्स:
रिज़ॉल्यूशन: यह डॉट्स प्रति इंच (डीपीआई) में मापा जाता है, और छवि गुणवत्ता आउटपुट का एक मोटा उपाय है।
लेजर प्रिंटर बेहतर क्वालिटी और शार्पनेस के मामले में इसी तरह के रेजोल्यूशन पर इंकजेट प्रिंटर के आउटपुट को बेहतर बना सकते हैं, क्योंकि इसमें स्याही की कोई स्मगलिंग या स्प्रेडिंग नहीं होती है।
गति: प्रिंट गति आमतौर पर ��ुद्रण गुणवत्ता के विपरीत आनुपातिक होती है।
लेजर प्रिंटर इंकजेट समकक्षों की तुलना में बहुत अधिक गति प्रदान करते हैं। लगभग 6 पीपीएम से शुरू होकर स्पीड 45 पीपीएम या इससे अधिक तक जा सकती है।
रंग: हालांकि कम-अंत इंकजेट महान गुणवत्ता की पेशकश नहीं करते हैं, उच्च-अंत वाले ग्लोस पेपर पर उच्च रिज़ॉल्यूशन पर मुद्रित होने पर फोटो-गुणवत्ता आउटपुट प्रदान करते हैं। यद्यपि प्रत्येक रंग पृष्ठ को प्रिंट करने की लागत तुलनीय रंगीन लेजर प्रिंटर की तुलना में अधिक है, प्रिंटर की कीमत स्वयं बहुत कम है।
कनेक्शन: जांचें कि आपके कंप्यूटर में आपके द्वारा चुने गए प्रिंटर के लिए सही प्रकार का पोर्ट है। जबकि नए मॉडलों में यूएसबी पोर्ट होते हैं, समानांतर पोर्ट मॉडल भी काफी सामान्य हैं। नेटवर्क के लिए, एक प्रिंटर को सीधे नेटवर्क से कनेक्ट करने और आपके द्वारा उपयोग किए जाने वाले प्रोटोकॉल का समर्थन करने में सक्षम होना चाहिए।
कागज: जांचें कि प्रिंटर आपके द्वारा उपयोग किए जाने की योजना के आकार और संस्करणों को समायोजित करता है।
मेमोरी: प्रिंटर एक बफर (रैम) के साथ आते हैं। एक बड़ा बफर उच्च-रिज़ॉल्यूशन दस्तावेज़ों या बड़ी संख्या में नियमित दस्तावेज़ों के भंडारण की अनुमति देता है।
लेजर प्रिंटर के लिए पोस्टस्क्रिप्ट: लेजर प्रिंटर के लिए पोस्टस्क्रिप्ट समर्थन होना महत्वपूर्ण है। यह वेक्टर ग्राफिक्स प्रिंट करने में लगने वाले समय को कम कर देता है-प्री-प्रेस सेट-अप्स में फायदा और इस तरह के अन्य ग्राफिक्स-सेंसिटिव प्रिंट प्रोसेस से कलर सेपरेशन प्रिंट आदि बनाने में मदद मिलती है।
लेजर प्रिंटर टिप्स - लेजर प्रिंटर के लिए सावधानियां कैसे बरतें
• अपने लेजर प्रिंटर को रखने के लिए उचित स्थान का चयन करें। एक ठीक से हवादार क्षेत्र की सिफारिश की जाती है। ऐसे स्थान का चयन करें जहां तापमान और आर्द्रता तेजी से नहीं बदलते हैं। भारी धूल निर्माण वाले क्षेत्रों से बचने की कोशिश करें।
• प्रिंटर को एक मजबूत और स्तरीय सतह पर रखें और एयरफ्लो के लिए प्रिंटर के चारों ओर पर्याप्त स्थान दें।
• प्रिंटर के बाहर की सफाई के लिए हमेशा हल्के हल्के कपड़े का उपयोग करें। अंदर की सफाई के लिए, एक सूखे, एक प्रकार का वृक्ष मुक्त कपड़े का उपयोग करें। यह सुनिश्चित करेगा कि कोई भी तरल प्रिंटर के अंदर प्रवेश नहीं करता है। अधिकांश निर्माता अपने मैनुअल पर उपयोगी सफाई की जानकारी प्रदान करते हैं, इसलिए उन्हें देखें।
• उस कागज का उपयोग करें जो विशेष रूप से आपके प्रिंटर के लिए निर्मित किया गया हो और आपके प्रिंट कार्य के लिए सही कागज प्रकार का चयन करें।
• निर्माता के वेब साइट से नवीनतम ड्राइवरों और पैच को डाउनलोड करके अपने प्रिंटर को अद्यतित रखें। यह मदद करता है क्योंकि अधिकांश निर्माता आपके यूनिट के लिए ड्राइवर अपडेट प्रदान करते हैं, जिसमें पैच शामिल हैं जो फोंट या सही असंगति जोड़ते हैं।
• यदि मलबा विफलता का प्राथमिक कारण है, तो टोनर मलबे का प्राथमिक कारण है। सभी टोनर कार्ट्रिज मशीन में थोड़ी मात्रा में टोनर छोड़ेंगे। जब आप कारतूस बदलते हैं तो यह मशीन को साफ करना महत्वपूर्ण है। यह महत्वपूर्ण है कि मशीन का घनत्व नियंत्रण ठीक से सेट हो, ताकि मशीन को बहुत अधिक टोनर खींचने से रोका जा सके। हम सभी डार्क प्रिंट पसंद करते हैं, लेकिन अगर आपकी प्रिंट सेटिंग्स बहुत डार्क हैं, तो यह लंबे समय में कारतूस के जीवन के लिए हानिकारक हो सकता है।
• अपने प्रिंटर के शीर्ष पर दस्तावेजों या विविध वस्तुओं को ढेर न करें, क्योंकि वे इसे नुकसान पहुंचा सकते हैं। आपका प्रिंटर ज़्यादा गरम हो सकता है और इसके परिणामस्वरूप प्रिंटर की ज़िंदगी में खराबी और यहां तक कि कमी भी हो सकती है।
लेजर प्रिंटर टिप्स - प्रिंटर का स्मार्ट उपयोग कैसे करें:
एक प्रिंटर केवल उबाऊ पुराने पाठ को प्रिंट नहीं करता है। आप आगे बढ़ सकते हैं और बहुत कुछ प्रिंट कर सकते हैं जो आप चाहते हैं।
आप हर बार प्रिंट कमांड दिए बिना एक ही दस्तावेज़ की कई प्रतियाँ मुद्रित कर सकते हैं। जब भी आप फ़ाइल मेनू या प्रिंटर आइकन से प्रिंट विकल्प चुनते हैं, तो एक छोटा प्रिंटर डायलॉग बॉक्स खुलता है। यहां, 'प्रतियों की संख्या' के तहत, इसे केवल उस संख्या तक बढ़ाएं जिसे आप मुद्रित करना चाहते हैं।
लेजर प्रिंटर टिप्स - वेब पेज से प्रिंट आउट लेते समय स्याही को कैसे बचाया जाए?
क्या आप उन लोगों में से एक हैं जो सीधे प्रिंट कमांड के लिए सिर करते हैं जब आप किसी वेब पेज पर अपनी पसंद की चीज़ देखते हैं?
खैर, इस पर विचार करें। आप आसानी से अपने दस्तावेज़ के विशिष्ट भागों का चयन कर सकते हैं, इसलिए आपको इसे पूरी तरह से प्रिंट करने की आवश्यकता नहीं है। यह स्पष्ट रूप से स्याही को बचाने में सहायक हो सकता है। ऐसा करने के लिए, बस उस क्षेत्र या दस्तावेज़ का हिस्सा चुनें जिसे आप प्रिंट करना चाहते हैं। अब, प्रिंट डायलॉग बॉक्स में, पेज रेंज के तहत सिलेक्शन चुनें। अब आपके प्रिंटआउट में बैनर विज्ञापन या चित्र नहीं होंगे जो आपके किसी काम के नहीं हैं। कई बार ऐसा होता है कि आप स्याही बचाने के लिए कम रिज़ॉल्यूशन पर प्रिंट करना चाहते हैं, या आप पेपर पर दोनों तरफ प्रिंट करना चाहते हैं।
विभिन्न प्रिंटर विभिन्न प्रकार के मुद्रण विकल्प प्रदान करते हैं, जिनका उपयोग आप अपनी मुद्रण आवश्यकताओं के अनुरूप कर सकते हैं। आइए इनमें से कुछ विकल्पों पर एक नज़र डालें। कई प्रिंटर कुछ प्रकार के टोनर या स्याही बचत मोड भी प्रदान करते हैं, ज�� आपको बहुत कम स्याही का उपयोग करके वास्तव में तेजी से प्रिंट करने देता है। यह विशेष रूप से मुद्रण ड्राफ्ट या लंबे दस्तावेजों की किसी न किसी प्रतियां के लिए उपयोगी है।
प्रिंटर संवाद बॉक्स आपको किसी दस्तावेज़ या पृष्ठों की एक विशिष्ट श्रेणी में विशिष्ट पृष्ठ मुद्रित करने देता है। आप चाह���ं तो एक ही दस्तावेज़ की कई प्रतियाँ भी प्रिंट कर सकते हैं। अधिक विकल्पों के लिए, आप गुण बटन पर क्लिक कर सकते हैं। यह आपको कई काम करने देगा, जैसे कि आप जिस रिज़ॉल्यूशन को प्रिंट करना चाहते हैं, उसका चयन करें। एक उच्च रिज़ॉल्यूशन अधिक स्याही का उपयोग करता है, लेकिन बेहतर गुणवत्ता देता है, और इसके विपरीत।
आप कागज के दोनों किनारों पर प्रिंट करना भी चुन सकते हैं, जो मैनुअल या पुस्तकों जैसी चीजों के लिए काम आता है। आप अपने प्रिंटिंग मीडिया का आकार चुन सकते हैं, यदि आप कहते हैं, लिफाफे या पोस्टकार्ड पर प्रिंट करना चाहते हैं। आप अपने प्रिंटआउट का ओरिएंटेशन भी बदल सकते हैं, इसलिए आप पोर्ट्रेट या लैंडस्केप मोड में प्रिंट कर सकते हैं।
लेजर प्रिंटर टिप्स - प्रिंट पूर्वावलोकन विकल्प का उपयोग कैसे करें?
एक और बहुत उपयोगी सुविधा प्रिंट पूर्वावलोकन विकल्प है। इससे आप देख सकते हैं कि प्रिंट होने के बाद आपका प्रिंटआउट कैसा दिखेगा, इसलिए अपव्यय कम से कम हो। आप इसे देखने के लिए अपने दस्तावेज़ से ज़ूम इन और आउट कर सकते हैं।
अधिकांश अनुप्रयोगों में, यह कमांड आपके टूलबार में प्रिंट पूर्वावलोकन आइकन पर क्लिक करके फ़ाइल मेनू में पहुँचा जा सकता है। ध्यान रखें कि प्रत्येक प्रिंटर मॉडल के साथ सटीक विकल्प भिन्न होंगे। महत्वपूर्ण बात यह है कि वे मौजूद रहें। तो, जो कुछ भी आपके मुद्रण की मांग है, आप जानते हैं कि आवश्यकता को पूरा करने के लिए सबसे अच्छा कैसे है। क्या आपको लेजर प्रिंटर टिप्स पसंद हैं? इन बेस्ट सेलिंग प्रिंटर्स को देखें और लेजर प्रिंटर टिप्स का उपयोग करें। यदि आपने इसका आनंद लिया है, तो यह एक प्रयास के लायक है।
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स्लिम और जवां नज़र आने के प्रेशर में बिगड़ता महिलाओं का बजट (Weight Management: Myths And Facts About Weight Loss)
घर में शादी है, किसी ख़ास पार्टी-फंक्शन में जाना है, लड़के वाले देखने आ रहे हैं... ऐसे कई बहाने हैं जो महिलाओं को झटपट स्लिम नज़र आने के लिए उकसाते हैं... फिर शुरू होती है स्लिम नज़र आने के शॉर्टकट तरीफ़ों की तलाश... स्लिम नज़र आने के शॉर्टकट तरीके जितने लुभावने होते हैं, उतने ही महंगे भी होते हैं... लेकिन महिलाओं पर स्लिम और जवां नज़र आने का इतना प्रेशर होता है कि इसके लिए वो बजट से ज़्यादा ख़र्च करने के लिए भी तैयार रहती हैं... महिलाओं की झटपट स्लिम और जवां नज़र आने की चाहत के कारण ही स्लिमिंग इंडस्ट्री ख़ूब फल-फूल ��ही है... आइए, जानें फिटनेस के बाज़ार के सच-झूठ.
महिलाओं पर ख़ूबसूरत दिखने का प्रेशर हमेशा से रहा है. ख़ूबसूरत महिलाओं की ख़ातिर बड़े-बड़े युद्ध तक हुए हैं. आज भी ख़ूबसूरती की डिमांड कम नहीं है. शादी का रिश्ता तय होते समय आज भी ख़ूबसूरत लड़कियों को प्राथमिकता मिलती है. ख़ूबसूरती के मापदंड पर स्लिम बॉडी और ख़ूबसूरत-जवां त्वचा आज भी टॉप पर हैं, इसीलिए हर महिला स्लिम और जवां नज़र आना चाहती है. लेकिन ख़ूबसूरती की इस होड़ में कई महिलाएं अपने बजट और शरीर दोनों का नुक़सान कर रही हैं. झटपट स्लिम और जवां नज़र आने के क्या साइइ इफेक्टस हैं तथा प्राकृतिक तरीके से आप कैसे स्लिम और जवां बनी रह सकती हैं, इसके बारे में बता रही हैं डायटीशियन कंचन पटवर्धन.
स्लिम नज़र ���ने की वजहें डायटीशियन कंचन पटवर्धन के अनुसार, पहले तो लड़कियां ही स्लिम बॉडी के लिए डायटिंग करती थीं, लेकिन अब महिलाएं भी पीछे नहीं हैं. महिलाएं भी स्लिम-ट्रिम नज़र आने के लिए कुछ भी करने के लिए तैयार रहती हैं. लुक्स और फिटनेस को लेकर इतनी कॉम्पटीशन की कई वजहें हैं, जैसे-
* आजकल मिस, मिसेस, मिस्टर... जैसे कई ब्यूटी पेजेंट्स शुरू हो गए हैं, इनमें हिस्सा लेने के लिए अब लड़कियां, महिलाएं, पुरुष सभी अपने लुक्स और बॉडी पर ख़ास ध्यान देने लगे हैं. * सोशल मीडिया पर फोटोज़ अपलोड करने और लाइक्स-कमेंट्स की चाह में भी लोग महंगे कपड़े, कॉस्मेटिक्स और स्लिमिंग ट्रीटमेंट्स लेने गुरेज नहीं करते. * कम समय में झटपट स्लिम-ट्रिम बनाने का प्रलोभन देने वाले विज्ञापनों को देखकर भी महिलाओं के मन में विज्ञापन में दिखाई जाने वाली परफेक्ट बॉडी पाने की इच्छा जागने लगती है. इसके लिए वो अपने बजट से ज़्यादा पैसे खर्च करने के लिए भी तैयार रहती हैं.
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हिना खान के फिटनेस मंत्र (Fitness Mantra Of Hina Khan)
खतरनाक हो सकता है स्लिमिंग का शॉर्टकट फॉमूला स्लिम नज़र आने के शॉर्टकट तरीके जितने महंगे होते हैं, उतने ही लंबे भी होते हैं. जब तक आप इस गणित को समझ पाती हैं, तब तक बहुत देर हो चुकी होती है. पहले आप झटपट स्लिम नज़र आने के लिए पैसे ख़र्च करती हैं, फिर उससे हुए नुक़सान की भरपाई करने के लिए ख़र्च करती हैं और ये सिलसिला चलता जाता है. ये एक तरह से साइकिल की तरह काम करता है, जिसके कारण स्लिमिंग इंडस्ट्री फल-फूल रही है. लोग डिमांड करते जा रहे हैं और स्लिमिंग इंडस्ट्री सप्लाई करती जा रही है और इसमें नुक़सान स़िर्फ आपका हो रहा है.
जानें फैट बर्नर के साइड इफेक्ट्स स्लिमिंग इंडस्ट्री में आजकल फैट बर्नर फैशन में हैं. हर कोई फैट बर्नर का प्रयोग करके स्लिम बॉडी पाना चाहता है, लेकिन कई फैट बर्नर आपके मेटाबॉलिज़्म को इतना बढ़ा देने हैं कि इसके कारण ब्ल��प्रेशर, स्ट्रोक्स जैसी बीमारी होने की संभावना तक बढ़ जाती है. कुछ फैट बर्नर इंटेस्टाइन में फैट के एब्ज़ॉर्शन को रोकते हैं, जिससे आपकी बॉडी में फैट एब्ज़ॉर्ब नहीं होता. इससे थोड़े दिनों तक तो सब ठीक चलता है, क्योंकि हमारी बॉडी सुपर कंप्यूटर की तरह होती है, वो अपनी ज़रूरत की चीज़ें कहीं न कहीं से निकाल ही देती है. लेकिन थोड़े समय बाद शरीर में फैट की डेफिशियंसी बढ़ने लगती है. धीरे-धीरे शरीर में फैट की इतनी कमी हो जाती है कि विटामिन ए, डी, ई और के की कमी हो जाती है. इससे आगे चलकर कई हेल्थ प्रॉब्लम्स शुरू हो जाती हैं. विटामिन ए की कमी से इम्यूनिटी कम हो जाती है, विटामिन डी की कमी हड्डियां कमज़ोर हो जाती हैं, विटामिन ई की कमी से फर्टिलिटी और मेमोरी प्रभावित होती है, स्किन प्रॉब्मल्म होने लगती हैं. विटामिन के की कमी से खूब में थक्के जमने की समस्या हो सकती है.
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मोटापा कम करने के १० योगासन (10 Yoga For Weight Loss Fast And Naturally)
कितने हेल्दी हैं प्रोटीन शेक? आजकल प्रोटीन शेक का सेवन भोजन के विकल्प के तौर पर किया जाने लगा है. कई मल्टीनेशनल कंपनियों के महंगे प्रोटीन शेक का प्रयोग अमीर घर की महिलाएं ही नहीं, बल्कि मध्यमवर्गीय महिलाएं भी कर रही हैं. ये कंपनियां कहती हैं कि आप स़िर्फ दिन में दो बार ये प्रोटीन शेक पीयो और खाना मत खाओ. एक ग्लास प्रोटीन शेक में करीब 190 कैलोरी होती हैं और ये एक ग्लास शेक पीकर आपका पेट भर जाता है. प्रोटीन शेक पीकर आपको खाने की संतुष्टि तो मिलती है, लेकिन आपके शरीर में फैट एब्ज़ॉर्ब नहीं होता. इटपट स्लिम नज़र आने के लिए महिलाएं इन्हें ख़रीदने के लिए अपने बजट से अधिक ख़र्च तो कर लेती हैं, लेकिन कुछ समय बाद जब ये महिलाएं अपना नॉर्मल खाना खाती हैं, तो इनका वज़न दुगुनी गति से बढ़ने लगता है. ऐसे में इन्हें फिर से वही डायट शुरू करनी पड़ती है और ये साइकिल चलता रहता है. इसके अलावा फिटनेस के इस शॉर्टकट प्रोसेस में फैट से ज़्यादा मसल लॉस होता है. जब आप कम समय में ज़्यादा वज़न घटाती हैं, तो आपके शरीर और चेहरे की त्वचा लूज़ हो जाती है, जिससे जल्दी झुर्रियां आ जाती हैं, चेहरा बेजान दिखने लगता है, डबल चिन की समस्या हो जाती है. बाद में आपको स्किन टाइटनिंग के लिए अलग से खर्च करना पड़ता है, महंगे फेशियल करवाने पड़ते हैं, स्किन टाइटनिंग पैकेज लेने पड़ते हैं.
ये है स्लिम और जवां नज़र आने का प्राकृतिक तरीक़ा आप अपने मोटापे और बढ़ती उम्र के संकेतों को प्राकृतिक तरी़के से आसानी से रोक सकती हैं. इसके लिए आपको अलग से कुछ भी ख़र्च करने की ज़रूरत नहीं है. आइए, हम आपको स्लिम और जवां बने रहने के आसान और असरदार प्राकृतिक उपाय बताते हैं. स्लिम नज़र आने के शॉर्टकट तरीके अपनाने के बजाय प्राकृतिक तरीके से वज़न घटाएं, जिससे आप हमेशा स्लिम और सुंदर बनी रहेंगी.
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रोज़ 4 मिनट करें ये… और 1 महीने में बन जाएं स्लिम एंड सेक्सी (Do This 4 Minutes And Get Sexy Body In A Month)
* हेल्दी डायट का पहला मंत्र है दिनभर में थोड़ा-थोड़ा खाना इसलिए पूरे दिनभर में 5 बार खाएं. साथ ही यह भी देखें कि आप किस समय क्या खा रही हैं. * रोज़ सुबह उठकर सबसे पहले नींबू का रस और शहद मिला गरम पानी पीएं. अगर आपको अपना कोलेस्ट्रॉल कम करना है, तो गरम पानी में दालचीनी मिला सकती हैं, डायबिटीज़ कम करना है तो मेथी दाना भिगोकर मिला सकती हैं, सर्दी है तो पानी में हल्दी मिला सकती हैं. इन चीज़ों से सेहत अच्छी रहती है, वज़न घटना है और ख़ूबसूरती बढ़ती है. * अंकुरित अनाज, गाय का दूध, अंडे, नट्स आदि को अपने सुबह के नाश्ते में शामिल करें. इडली, डोसा, पोहा आदि भी ले सकती हैं. * नाश्ता व दोपहर के खाने के बीच में जब थोड़ी भूख होती है, उस समय मौसमी फल खाने चाहिए. ये आपको एनर्जी के साथ-साथ विटामिन्स और मिनरल्स भी प्रदान करते हैं, जिससे रोग-प्रतिरोधक शक्ति भी बढ़ती है. फलों के नियमित सेवन से आपको कम कैलोरी में सभी न्यूट्रीएंट्स मिल जाते हैं और ये वज़न कम करने में मददगार होते हैं.
बढ़ा हुआ पेट कम करने के लिए करें ये 4 योगासन, देखें वीडियो:
https://youtu.be/kXGQVFmMg5w
* दोपहर के खाने में ज्वारी, बाजरा, नाचनी से बनी रोटी खाएं. साथ ही हरी सब्ज़ियां व सभी प्रकार की दालें खा सकती हैं. भोजन के साथ सलाद भी खाएं. कैलोरीज़ कम करने के लिए रोटी में घी न लगाएं. सब्ज़ियों व दाल में भी कम घी/तेल का तड़का लगाएं. मसाले जैसे- हल्दी, कालीमिर्च, हींग आदि के प्रयोग से भोजन को स्वादिष्ट बनाया जा सकता है. इन मसालों से शरीर का मेटाबॉलिज़्म भी बढ़ता है, जिससे वज़न कम होने में मदद मिलती है. * शाम के नाश्ते में नारियल पानी, छाछ या दही लिया जा सकता है. भूने हुए चने, ब्राउन ब्रेड सैंडविच, फ्रूट आदि भी ले सकती हैं. * रात को हल्का खाना जैसे- सूप, सलाद, खिचड़ी आदि लेने से वज़न कम होता है. रात के खाने और सोने में लगभग 3 घंटे का अंतर होना चाहिए. * स्लिम और जवां नज़र आने के लिए हेल्दी डायट के साथ-साथ वर्कआउट भी बेहद ज़रूरी है. इसके लिए रोज़ाना एक घंटा मॉर्निंग वॉक, जॉगिंग, एक्सरसाइज़, योग, मेडिटेशन आदि के लिए ज़रूर निकालें.
- कमला बडोनी
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ब्लॉगिंग से पैसे कैसे कमाए? ब्लॉग से पैसे कमाने के 7 तरीके
ब्लॉगिंग को बहुत से लोग पसंद करते हैं, लेकिन अब यह ऑनलाइन पैसा कमाने का एक बहुत अच्छा प्लेटफॉर्म बन गया है, कई ब्लॉगर पार्ट-टाइम और फुल-टाइम ब्लॉगिंग करके इस प्लेटफॉर्म से बहुत अच्छी कमाई कर रहे हैं। यह Platform Online Earning करने का एक Trusted Platform है, आज इस पोस्ट में आपको में ब्लॉगिंग से पैसे कमाने के बेहतरीन टिप्स बताऊंगा।
Blogging Se Paise Kaise Kamayen आप ब्लॉगिंग फील्ड में Business की तरह भी काम कर सकते हो और यहाँ से बहुत अच्छी Online Earning भी कर सकते हो। पर जो लोग Blogging से पैसे कमाना चाहते है और जो लोग अपने जुनून के लिए Blogging करते है उन दोनों में बहुत अंतर होता है जो Passion के लिए ब्लॉग्गिंग करते है उनके कुछ अलग नियम होते है क्योकि जिनका जुनून ब्लॉगिंग करना होता है, उनका Focus Earning की तरफ कम होता है और वो लोग फिर भी बहुत अच्छी कमाई करते है। क्योकि वो लोग अपने पैशन को फॉलो करते है।
क्या ब्लॉग से पैसा कमाना संभव है?
अगर आपको लिखने का शोंख है अपने इस जुन्नुन को दुनिया के सामने लाने के लिए शुरू कर सकते है, ब्लॉग लेखन में शुरू में लेखक बहुत सारी गलतियां करता है और सही तरह से ब्लॉग पर काम न करना और पैसे की उम्मीद लगाकर बैठने की भूल करता है। अगर आप मजाक में ब्लॉग शुरू कर रहे है इस उम्मीद में की पैसे कमा सकते है तो रुकिए, यहाँ मेहनत के साथ ब्लॉग्गिंग का ज्ञान होना भी जरुरी है। अगर Serious है तभी कीजिए, ��िर्फ पैसे कमाने के लिए और भी दूसरे उपाय है। SEO फ्रेंडली Blog कैसे बनाये? Blogging क्या है कैसे करते है? ब्लॉग्गिंग करने के फायदे Mobile से ब्लॉग्गिंग कैसे करें? अब फ़ोन से ब्लॉग लिखें अधिकांश लोगों के पास लगभग एक जैसे सवाल होते हैं, जैसे… क्या ब्लॉगिंग से पैसा कमाना वास्तव में संभव है? आपके अलावा और कितने लोग इन चीजों को करते हैं? पैसा कमाने के लिए आप किन विषयों पर ब्लॉग बना सकते हैं? मैं इन सभी सवालों को पूरी तरह से समझता हूं, लेकिन मैं इसमें दो और सवाल जोड़ना चाहता हूं। यदि ब्लॉगिंग वास्तव में पैसा कमा सकते है, तो इसमें सफल होने के कितने मौके हैं? अगर आज कोई ब्लॉगिंग शुरू करता है, तो किस समय पर एक अच्छी आय शुरू होगी? यदि आप एक ब्लॉग और वेबसाइट शुरू करते हैं, तो आप पैसे कमाने के कई रास्ते खोलेंगे, जहाँ आप वेबसाइट पर विज्ञापन देकर, उत्पाद बेचकर, कुछ सेवाएँ प्रदान करके अच्छा पैसा कमा सकते हैं।
Blogging से पैसे कमाने के तरीके
समय के साथ Competition बढ़ रही है और Hard Work के साथ आपको Smart Work करने की आवश्यकता है, ऐसा नहीं है कि आपने एक ब्लॉग बनाया है और आपकी कमाई शुरू हो गई है, कुछ लोगों को बहुत काम समय में सफलता मिलती है और कुछ को वर्षों लग जाते हैं। यह आपके काम करने के तरीके पर निर्भर करता है, बाकी को बनाए रखें क्योंकि आपको हमेशा वही मिलेगा जो आपने काम किया है और कड़ी मेहनत हमेशा भुगतान करती है। 1. अपने ब्लॉग को पूरी तरह से सेटअप करे? ब्लॉगिंग से पैसे कमाने के लिए आपको एक Domain और Web Hosting खरीदनी होगी और अपने ब्लॉग को पूरी तरह से सेटअप करना होगा। अपने ब्लॉग को पूरी तरह से सेटअप करने के लिए आपको एक अच्छी Theme, Web Hosting, Domain और ब्लॉग के SEO, Speed को ऑप्टिमाइज़ करे। अपने ब्लॉग के लिए एक टॉपिक चुने जिस पर आप कंटेंट लिखोगे और जिस टॉपिक पर आपको ज्ञान हो वही टॉपिक चुने क्योकि किस टॉपिक की आपको ज्ञान है कि आप उस पर ज्यादा अच्छा Article लिख सकते हो। 2. Quality Content शेयर करे अगर आप Blogging से बहुत ज्यादा earning करना चाहते हो तो आपको अपने Blog पर Unique और Quality Content लिखना होगा आपको उस Topic पर article लिखना चाहिए जो सभी लोग Search करते हो और Social Media पर ज्यादा शेयर किया जाता हो ताकि आपकी पोस्ट Google में Rank कर सके और अगर आपकी पोस्ट Google में Rank कर जाती है तो आपको बहुत अच्छी earning होगी इसीलिए हमे हमेशा Quality Content लिखना चाहिए ब्लॉग पोस्ट को रैंक करने के लिए आपको अच्छे कीवर्ड का उपयोग करना होगा जो Google पर बहुत अधिक खोज किए जाते हैं 3. Audience की जरूरतों को समझो ज्यादातर Blogger Audience की जरूरतों को कुछ समय में ही समझने लगते है और उससे काफी अच्छी earning भी करते है पर ��ुछ समय बाद सभी ब्लॉगर सोचते है की अब हम अपनी ऑडियंस की सभी जरूरतों को अच्छे से समझते है पर ये बात गलत है क्योकि आज से 6 महीने बाद या 1 साल बाद आपकी Audience की जरूरत कुछ और इसीलिए आपको अपनी ऑडियंस की जरूरतों को समझने के लिए हमेशा आपको अपडेट रहना पड़ेगा और जो आपकी ऑडियंस की समस्याओं को उन्हें समझेगा। और यदि आप ऑडियंस का समर्थन पाना चाहते हैं तो आपको हमेशा उनकी जरूरतों के हिसाब से ही लेख पोस्ट करना होगा। 4. Blog पर Newslatter जोड़ें सभी ब्लॉगर ये नहीं चाहेगा की उसके ब्लॉग पर पोस्ट पढ़ने के लिए लोग आये और फिर ब्लॉग पर लेख पढ़ कर के चले जाएं सभी ब्लॉगर चाहते हैं की उनके ब्लॉग पर जितने भी लोग लेख पढ़ रहे आये वो सभी न्यूज़लैटर को सब्सक्राइब करें ताकि आप ऐसा करें जब भी अपने ब्लॉग पर कोई नई पोस्ट प्रकाशित न करें तो उन्हें ईमेल पर सूचित करें ताकि वे आपके सभी ब्लॉग पर लेख पढ़ रहे हों। अगर आप ब्लॉग्गिंग से ज्यादा कमाई करना चाहते हैं तो अपने ब्लॉग पर न्यूज़लेटर को ज़रूर जोड़ें, ताकि आपके ब्लॉग के सभी रीडर्स आपकी नई पोस्ट पब्लिश होने पर आपके ब्लॉग पर आकर पढ़ें। 5. ब्लॉग में महत्वपूर्ण पृष्ठों को Add करे सभी ब्लॉगर्स को अपने ब्लॉग में 4 पेज जरूर बनाने चाहिए और अगर आपको Adsence का अप्रूवल पाना चाहिए तो अपने ब्लॉग पर तो ये 4 पेज जरूर बनाये। About Us: इस पृष्ठ में आपको अपने ब्लॉग के बारे में बताना है और आप चाहते हैं तो अपने बारे में भी बता सकते हैं Contact Us: इस पृष्ठ में आपको अपना संपर्क विस्तार डालनी है, ताकि कोई भी आगंतुक संपर्क कर सके। Privacy Policy: इस पृष्ठ में अपने ब्लॉग की गोपनीयता नीति लिखी गई है। Disclaimer: इस पृष्ठ को अपने ब्लॉग की अस्वीकृति विवरण में। 6. ब्लॉग पर गुणवत्ता सामग्री लिखें अपने ब्लॉग के लिए पोस्ट लिकने के लिए सबसे पहले टॉपिक चुना गया जो टॉपिक पर आप आर्टिकल लिखोगे उसमे Keyword का इस्तेमाल जरूर करे जिस कीवर्ड पर आप अपने ब्लॉग की पोस्ट को रैंक करना चाहते हों उस कीवर्ड को कम से कम अपने ब्लॉग को 7-8 बार देखें जरूर इस्तेमाल किया और जो आप पोस्ट लिख रहे हैं, उसका Lenth कम से कम 800 शब्दों का होना चाहिए। 7. अपने ब्लॉग पर Adsense जोड़े जब आपका ब्लॉग को कम से कम 20 से 30 दिन हो जाए और आपके ब्लॉग पर 15 से 30 पोस्ट हो तभी Adsence जोड़े ऐसा करने से आपके Blog को Adsense Approval मिलने के चांस बढ़ जाते है। वेब होस्टिंग क्या है? होस्टिंग कितने प्रकार की होती है? ब्लॉगर फ्री ब्लॉग और वेबसाइट कैसे बनाये? AdMob क्या है? इससे पैसे कैसे कमायें? अगर आप ये सभी टिप्स फॉलो करते हैं तो आपको Adsense Approval मिलने की उम्मीद है और बहुत बढ़ जाता है। ये सभी Tips को अपने ब्लॉग पर जरूर लागू करें। मेरा नाम Priyank Bagle है और में TechnicalBagle.com का Author हूँ। अगर आपको Technology और Make Money Online से Related पोस्ट पढ़नी है तो हमारा ब्लॉग पढ़े। आप हमसे सी��ते हैं कि ब्लॉगिंग स्टेप से पैसे कैसे कमाएं, ब्लॉग और वेबसाइट स्टार्टअप के लिए आपके व्यवसाय के विचारों का सबसे अच्छा तरीका है, कई विषय और विचार आपको ब्लॉगिंग के क्षेत्र में सफलता दिला सकते हैं और आप बहुत सारे दर्शक और पैसा कमा सकते हैं। ब्लॉग शुरू करने से सफलता पाने के लिए आपको धैर्य और दृढ़ता की आवश्यकता है।, दोस्तों आप सभी इस पोस्ट में ब्लॉगर से पैसे कमाने की टिप्स मिल गयी होगी अगर आपका इस पोस्ट से सम्बंधित कोई सवाल नहीं है तो आप कमेंट करके पूछिए Read the full article
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Benefits of Taking Breakfast | Bananas, seasonal fruits, salads | waking up early in the morning and exercising
Health Fitness Tips in Hindi : आजकल की भागदौड़ वाली जिंदगी में हर कोई फिट रहना चाहते है लेकिन वो अपने काम काज की वजह से अपने Health को समय नहीं दे पता और फिर उसकी बिमारिय बढ़ती जाती है| इसलिये आज हम आपके लिये कुछ ऐसी फिटनेस टिप्स / Fitness Tips In Hindi जिसे पढ़कर और Use करके आप एकदम से फिट हो जायेंगे और इसे आपके रूटीन में है| उसके लिये आपको अलग से समय निकालने की जरुरत नही| और ये अच्छे स्वस्थ के लिये भी अच्छी है|
फिट रहने की अच्छीं आदतें (Good Habits To Stay Fit):
जबरदस्त फिटनेस (Tremendous Fitness)-
स्वास्थ्य और जबरदस्त फिटनेस हासिल करने के लिए आपको घंटो जिम में पसीना बहाने की जरूरत नहीं है। कुछ आसान उपायों को आप अपने रूटीन में अपनाकर बेहतर फिटनेस हासिल कर सकते हैं। आइए जानते हैं कुछ ऐसे ही उपाय जो आपको हमेशा फिट रखेंगे।
ब्रेकफास्ट रखेगा एनर्जी से भरपूर (Breakfast Will Be Full Of Energy)-
सुबह में हेल्थी ब्रेकफास्ट बेहद जरूरी है। ब्रेकफास्ट ठीक से न करने पर आपको थकान लगना और वजन बढ़ने जैसी कई समस्याओं का सामना करना पड़ता है।
सुबह खाएं दो केले (Eat Two Bananas In The Morning)-
आज से आप अपने ब्रेकफास्ट में दो केलों को जरूर शामिल करें। रोजाना नाश्ते में सिर्फ दो केले खाने से आप दिनभर ऊर्जावान रहेंगे। साथ ही आपका दिल की बीमारियों से भी बचाव होगा।
10 मिनट एक्सरसाइज का देखें कमाल (See Amazing 10 Minutes Exercise)-
सुबह अपने लिए ��िर्फ 10 मिनट निकालें। इन 10 मिनट में पार्क में जाकर हल्की दौड़, योगा, बॉडी वेट एक्ससाइज आदि में से आपको जो भी पसंद हो जरूर करें।
डिनर में इस बात का रखें ध्यान (Keep This In Mind During Dinner)-
हमेशा आपकी कोशिश होनी चाहिए कि रात को डिनर आठ बजे तक जरूर कर लें। डिनर में जितना संभव हो कम से कम खाएं। इसके अलावा रात में आपको मीठा का सेवन बिल्कुल भी नहीं करना चाहिए।
सप्ताह में एक बार फॉस्ट फूड (Once A Week Fast Food)-
फॉस्ट फूड खाने का बहुत मन करे तो इसके लिए सप्ताह का कोई एक दिन निर्धारित कर लें और इस दिन फॉस्ट फूड को इंजॉय करें। ज्यादा फॉस्ट फूड खाने से आप मोटापे का शिकार हो जाते हैं।
घूमने के लिए निकालें समय (Take Time Out)-
पैसा कमाने के लिए मशीन न बनें बल्कि अपने पूरे परिवार के साथ दो तीन माह में कुछ दिनों के लिए कहीं बाहर घूमने जाएं। इस दौरान ऑफिस के कामों की टेंशन से दूर पिकनिक को पूरा इंजॉय करें।
खूब खाएं सलाद (Eat Plenty Of Salad)-
भोजन में कच्ची चीजें खूब खाएं। खाने के साथ सलाद का अधिक से अधिक सेवन करें। भोजन में अंकुरित चनों और दालों को शामिल करें।
सुबह जल्दी उठना (Get Up Early In The Morning)-
सुबह जल्दी उठने और रात को जल्दी सोने की आदत बनाएं। सिर्फ इतना करने से ही आपकी स्वास्थ्य संबंधित आधी से अधिक समस्याएं दूर हो जाएंगी।
मौसमी फलों का सेवन (Seasonal Fruit Intake)-
मौसमी फलों का अधिक से अधिक सेवन करने से आप बीमारियों से दूर रहते हैं। इन फलों को अपने ब्रेकफास्ट और लंच में शामिल करें। इनके जूस का सेवन भी आप कर सकते हैं।
खूब पिएं पानी (Drink Plenty Of Water)-
गर्मी का मौसम हो या सर्दी का दिनभर में कम से कम तीन से चार लीटर पानी जरूर पिएं। कम पानी पीने से हम कई तरह की बीमारियों का शिकार हो सकते हैं।
खाने के बाद न पिएं पानी (Do Not Drink Water After Eating)-
खाना खाने के तुरंत बाद पानी पीने की आदत छोड़े। इससे आपका खाना ठीक से हजम नहीं होता है। खाना खाने और पानी पीने में कम से कम 30 से 50 मिनट का अंतर होना चाहिए।
फ्रिज के ठंडे पानी से बचें (Avoid Fridge Cold Water)-
गर्मी से आकर कभी भी एकदम से फ्रिज का ठंडा पानी न पिएं, ये आपके शरीर को कमजोर करता है। फ्रिज के पानी में हमेशा ताजा जल मिलाकर ही पिएं।
हेल्दी खाना, सेहत का खजाना (Healthy Food, A Treasure Of Health)-
दिन में 5-6 बार थोड़ा-थोड़ा खाएं। दिल और लिवर को फिट रखने के लिए ऐसी चीजें खाएं जिनमें फाइबर खूब हो, जैसे कि गेहूं, ज्वार, बाजरा, जई आदि। दलिया, स्प्राउट्स, ओट्स और दालों के फाइबर से कॉलेस्ट्रॉल कम होता है।
हरी सब्जियां, सनफ्लावर सीड्स, फ्लैक्स सीड्स आदि खाएं। इनमें फॉलिक एसिड होता है, जो कॉलेस्ट्रॉल लेवल को मेंटेन करने में मदद करता है।
हल्की दौड़, योगा, बॉडी वेट एक्ससाइज और सरसों तेल में काफी ओमेगा-थ्री होता है, जो दिल के लिए अच्छा है।
रोजाना 1-2 अखरोट और 8-10 बादाम भी खाएं।
तो दोस्तो, हमारा ये आर्टिकल आपको कैसा लगा? अगर अच्छा लगा, तो इसे अन्य लोगों के साथ भी ज़रूर शेयर करें। न जाने कौन-सी जानकारी किस ज़रूरतमंद के काम आ जाए। साथ ही, अगर आप किसी ख़ास विषय या परेशानी पर आर्टिकल चाहते हैं, तो कमेंट बॉक्स में हमें ज़रूर बताएं। हम यथाशीघ्र आपके लिए उस विषय पर आर्टिकल लेकर आएंगे। धन्यवाद।
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Reference by:-fitnessfundatips
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निजी डाटा चोरी करने वालों की अब खैर नहीं, होगी जेल और 15 करोड़ तक जुर्माना, जानें डाटा चोरी से बचने के उपाय
चैतन्य भारत न्यूज नई दिल्ली. निजी डेटा की सेंधमारी ने बीते कुछ सालों में भारत समेत दुनियाभर के कई देशों की सरकारों की टेंशन बढ़ा दी है। इसे लेकर भारत सरकार अब एक डाटा संरक्षण कानून लागू करने की तैयारी में है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने इस बिल को मंजूरी दे दी है। अब सरकार संसद में चल रहे शीतकालीन सत्र में इस बिल को पेश करेगी। इस बिल के मुताबिक डाटा लीक होने पर कंपनियों पर जुर्माना लगाने का प्रावधान है। (adsbygoogle = window.adsbygoogle || ).push({}); तीन साल तक होगी जेल दरअसल, तेज रफ्तार जिंदगी में लगभग हर काम इंटरनेट के जरिए ही होता है। महानगरों की ही बात करें तो राशन से लेकर खाना, दवा, अस्पताल में समय लेना, रेल-बस टिकट और कपड़े तक ऑनलाइन खरीदे जा रहे हैं। ऑनलाइन खरीदारी करने में यूजर को अपनी सभी जानकारी देनी होती है। ऐसे में यूजर का डाटा इंटरनेट कंपनियों के पास पहुंच जाता है और फिर उसका गलत इस्तेमाल किया जाता है। लेकिन नए बिल के तहत यदि इंटरनेट कंपनियां यूजर के डाटा का गलत इस्तेमाल करती है तो उन पर भारी जुर्माना लगाया जाएगा। जानकारी के मुताबिक, निजी डाटा चुराने पर अब कंपनी के जिम्मेदार अधिकारियों को तीन साल की जेल भी हो सकती है और कंपनी को 15 करोड़ रुपए तक या उसके वैश्विक टर्नओवर का चार फीसदी जुर्माना भी देना पड़ सकता है। राष्ट्रीय हित से जुड़े मामलों में डाटा के इस्तेमाल की अनुमति बिल के मुताबिक, कोई भी निजी या सरकारी संस्था किसी व्यक्ति के डाटा का उसकी अनुमति के बिना इस्तेमाल नहीं कर सकती। किसी भी व्यक्ति को उसके डाटा के संबंध में अहम अधिकार होंगे। चिकित्सा आपातकाल और राज्य या केंद्र की लाभकारी योजनाओं के लिए ऐसा किया जा सकता है। संबंधित व्यक्ति अपने डाटा में सुधार या फिर संस्था के पास मौजूद अपने डाटा तक पहुंच की मांग क�� सकता है। बिल में प्रावधान है कि, 'किसी भी संस्था को संबंधित व्यक्ति के डाटा को इस्तेमाल करने से पहले उसके बारे में बताना होगा। हालांकि, इस बिल में राष्ट्रीय हित से जुड़े मामलों पर डाटा के इस्तेमाल की अनुमति मिलेगी। जानकारी के मुताबिक, राष्ट्रीय सुरक्षा, कानूनी कार्यवाही और पत्रकारिता के उद्देश्यों के लिए इस डाटा का इस्तेमाल किया जा सकेगा। ये भी हैं प्रावधान स्वास्थ्य, धर्म या राजनीतिक रुझान, बायोमेट्रिक, आनुवांशिक, यौन रुचियों, लैंगिक, वित्तीय आदि से संबंधित डाटा को संवेदनशील डाटा माना गया है। इसका उल्लंघन करने पर 5 करोड़ रुपए तक या कंपनी के वैश्विक टर्नओवर का दो फीसदी जुर्माने का प्रावधान है। सोशल मीडिया कंपनियों को अपने यूजर की पहचान के लिए ऐसा तंत्र विकसित करना होगा, जो स्वेच्छा से अपनी पहचान बताने को तैयार हैं। सिर्फ राष्ट्रीय सुरक्षा और अदालती आदेश से जुड़े मामलों में ही निजी डाटा का इस्तेमाल किया जा सकता है। 15-20 पैसे प्रति व्यक्ति बिक रहा है डाटा हाल ही में एक रिपोर्ट सामने आई थी कि, लोगों की निजी जानकारियां महज 15 पैसे से लेकर 50 पैसे प्रति व्यक्ति के थोक भाव बिकती हैं। निजी डाटा लीक करने का कारोबार दस हजार करोड़ रुपए से ज्यादा का है। इनमें सबसे ज्यादा विदेशी कंपनियां लगी हुई हैं। अब तक इन मामलों को लेकर कोई कानून नहीं बना था, ऐसे में पुलिस चाहकर भी कुछ नहीं कर पा रही है। आम जनता के पास रोजाना किसी न किसी कॉल सेंटर से फोन आ जाता है। कोई इंश्योरेंस लेने की बात कहता है तो कोई प्लॉट, फ्लैट, क्रेडिट कार्ड, या पर्सनल लोन का ऑफर करता है। ऐसे में कई बार लोगों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। कैसे होता है डाटा चोरी विशेषज्ञ की माने तो आपका स्मार्ट फोन कुछ ही सेकंड में हैक हो सकता है। ऐसे में आपकी सभी जानकारी लीक हो जाती है। एक अध्ययन के मुताबिक, 70 प्रतिशत से अधिक स्मार्टफोन ऐप्स ऐसी हैं जो आपकी निजी जानकारी थर्ड पार्टी ट्रैकिंग कंपनियों को दे रही हैं। इन ऐप के जरिए कंपनियों की पहुंच आपके मोबाइल फोन के माइक और फोटो गैलरी तक भी हो जाती है। ये सिलसिला तब से शुरू हुआ है, जब से यूजर्स ने स्मार्टफोन में ऐप डाउनलोड करना शुरू किया है। थर्ड पार्टी के पास डेटा जाने के बाद इसका कई तरह से इस्तेमाल किया जा सकता है। जैसे- गूगल पर जो चीज आप सबसे ज्यादा सर्च करते हैं या पढ़ते हैं उससे संबंधित विज्ञापन आपके मोबाइल और डेस्कटॉप पर आने लगते हैं। इससे कैसे बचें अपने फोन की ऐप में गैरजरूरी एक्सेस डिसेबल करें। फोन सेटिंग में जाकर आप ऐप परमीशन का स्टेटस देखें, और जिनकी एक्सेस नहीं देनी है, उन्हें डिसेबल कर दें। हमेशा दो मेल आईडी रखे। एक आईडी ��ो बैंक कम्यूनिकेशन वाली हो उसे मोबाइल से कनेक्ट न करें। सबसे ज्यादा डाटा चोरी उन जगहों से होती है जहां डाउनलोड किया गया। जब भी आप किसी साइबर कैफे कोई जरुरी काम करें, जैसे आधार या फिर अन्य दस्तावेज डाउनलोड करना, तो उन्हें रिसाइकिल बिन से भी डिलीट कर दें। अगर किसी साइबर कैफे में अपना मेल आईडी लॉगिन करते हैं तो उसे डिलीट करके ही जाएं। गूगल प्ले स्टोर पर ऐप डाउनलोड करने से पहले उसकी रेटिंग जरूर देखें। रेटिंग 4 या अधिक होनी चाहिए। ये भी पढ़े... 13 लाख भारतीयों के डेबिट-क्रेडिट कार्ड का डेटा चोरी, ऑनलाइन बेच रहे हैकर्स यदि आप भी हुए हैं ऑनलाइन फ्रॉड के शिकार, तो ऐसे कीजिए शिकायत आपको बिना बताए अकाउंट से पैसे निकाल रहे हैं ये ऐप, तुरंत करें डिलीट वरना हो सकता है नुकसान जानें कैसे भारतीय WhatsApp में घुसी इजरायली एजेंसी? कौन-कौन हुए इस जासूसी के शिकार? Read the full article
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+91-9815360868| Premi ya premika ki shaadi ko todne ya rokne ke achuk totke|
हां, आप इन उपाय की मदद से किसी की भी शादी आसानी से तोड़/रोक सकते है अगर आप अपने प्रेमी व् प्रेमिका से प्यार करते है और उनसे शादी करना चाहते है और आपके प्रेमी व् प्रेमिका किसी और से शादी कर रहे हे अगर आप प्रेमी व प्रेमिका की शादी को तोड़ने का मंत्र व् उपाय जानना चाहते है तो आपको चिंता करने की आवशयकता नहीं है क्योकि हमारे पास ऐसे विशेषज्ञ है जिनके मंत्र व् उपायों से आप अपने प्रेमी व् प्रेमिका की शादी को आसानी से तोड़/रोक सकते है
प्रेमी-प्रेमिका की शादी रोकने/तोड़ने का टोटके|
अपनी प्रेमिका-प्रेमी के बीच प्यार को प्रगाढ़ करें. कोई भी लड़की किसी ऐसे लड़के को नही छोड़ना चाहती जो उससे दिल की गहराई से प्यार करे और उसे ख़ास महसूस करवाए. आपका हमेशा सकारात्मक पलुओं पर ध्यान देने की ज़रूरत है. आप बार बार अगर प्रेमी-प्रेमिका की शादी रोकने/तोड़ने का टोटके के बारे में चर्चा करेंगे तो इससे आपके रिश्ते में खटास आ सकती है| अपने प्रेमिका या प्रेमी के लिए कुछ ऐसा करें कि वह उसके दिल को छू जाए. अगर आप ऐसा करने में कामयाब हो जाते हैं तो समझ लीजिये आपने आधी जंग जीत ली| अपने रिश्ते को उसके लिए बोझ न बनने दें. आपको ये हमेशा ध्यान रखना है कि हर रिश्ते में थोड़ा स्पेस ज़रूरी होता है. अपने प्रेमी या प्रेमिका को ये दिखाने की कोशिश न करें कि आपका अलावा उसका कोई अस्तित्व ही नही है. इसके स्थान पर उसे वैसा बनने दें जैसा वो बनाना चाहता है या चाहती है. उसे ख़ुद का नजरिया रखने की इजाज़त दें|
प्रेमी-प्रेमिका की शादी रोकने/तोड़ने का उपाय
आप मंत्रो का प्रयोग करके भी प्रेमी की सगाई को रुकवा सकते हैं. इस उपाय को शनिवार से शुरू करके लगातार 10 दिनों तक करें. इस उपाय में एक ताज़ा नीम्बू लेकर उसके ऊपर लाल पेन से अपने प्रेमी की जन्म तारीख या उसका नाम लिख दें. अब इस नीम्बू को किसी लाल रंग के कपड़े में बांध दें. इसके बाद इसे अपने सिर से 7 बार घुमा कर तकिये के नीचे रख कर सो जाएँ. यह विधि लगातार 10 दिन तक करने पर आपको सफलता मिल जाएगी| अपनी प्रेमी की शादी सगाई तोड़ने के लिए एक अचूक टोटका भी है. ये टोटका इस प्रकार है. एक कच्ची मिटटी के बर्तन में 100 ग्राम चावल और 100 ग्राम काले तिल भर कर उसे सफ़ेद रंग के कपड़े से बांध दें. इस कपड़े पर अपने प्रेमी का नाम लिख दें. अब इसे रात्रि के 12 बजे किसी सुनसान चौराहे पर रख कर प्रेमी का नाम 7 बार लें और घर आ जाए. आते समय पीछे मुड़कर न देखें|
अधिक जानकारी के लिए:- https://www.loveguruspecialistbabaji.com/rishirajblog/2018/10/05/premi-ya-premika-ki-shadi-rokne-ya-todne-ka-upay/
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गेहूं की खेती पूरे विश्व में की जाती है। पुरे विश्व की धरती के एक तिहाई हिस्से पर गेहूं की खेती की जाती है। धान की खेती केवल एशिया में की जाती है जबकि गेहूं विश्व के सभी देशों में उगाया जाता है। इसलिये गेहूं की खेती का बहुत अधिक महत्व है और किसान भाइयों के लिए गेहूं की खेती कृषि उपज के प्राण के समान है। इसलिये प्रत्येक किसान गेहूं की अच्छी उपज लेना चाहता है। वर्तमान समय में वैज्ञानिक तरीके से खेती की जाती है। इसलिये किसान भाइयों को चाहिये कि वह गेहूं की खेती उन्नत एवं वैज्ञानिक तरीके से करेंगे तो उन्हें अपने खेतों में अच्छी पैदावार मिल सकती है।
क्यों है अच्छी फसल की जरूरत
किसान भाइयों एक बात यह भी सत्य है कि जमीन का दायरा सिकुड़ता जा रहा है और आबादी बढ़ती जा रही है। मानव का मुख्य भोजन गेहूं पर ही आधारित है। इसलिये गेहूं की मांग बढ़ना आवश्यक है। इस मांग को पूरा करने के लिए अधिक से अधिक पैदावार करना होगा। जहां लोगों की जरूरतें पूरी होंगी और वहीं किसान भाइयों की आमदनी भी बढ़ेगी। किसान भाइयों गेहूं की खेती बहुत अधिक मेहनत मांगती है। जहां खेत को तैयार करने के लिए अधिक जुताई, पलेवा, निराई गुड़ाई, सिंचाई के साथ खाद एवं उर्वरक का भी प्रबंधन समय-समय पर करना होता है। आइये देखते हैं कि गेहूं की खेती में किन-किन खादों व उर्वरकों का प्रयोग करके अधिक से अधिक पैदावार ली जा सकती है।
अधिक उत्पादन का मूलमंत्र
गेहूं की खेती की खास बात यह होती है कि इसमें बुआई से लेकर आखिरी सिंचाई तक उर्वरकों और पेस्टिसाइट व फर्टिसाइड का इस्तेमाल किया जाता है। तभी आपको अधिक उत्पादन मिल सकता है।
बुआई के समय करें ये उपाय
गेहूं की अच्छी फसल लेने के लिए किसान भाइयों को सबसे पहले तो अपनी भूमि का परीक्षण कराना चाहिये, मृदा परीक्षण या सॉइल टेस्टिंग भी कहा जाता है। परीक्षण के उपरांत कृषि विशेषज्ञों से राय लेकर खेत तैयार करने चाहिये और उनके द्वारा बताई गई विधि से ही खेती करेंगे तो आपको अधिक से अधिक पैदावार मिलेगी। क्योंकि फसल की पैदावार बहुत कुछ खाद एवं उर्वरक की मात्रा पर निर्भर करती है। गेहूं की खेती में हरी खाद, जैविक खाद एवं रासायनिक खाद के अलावा फर्टिसाइड और पेस्टीसाइड का भी प्रयोग करना होता है। कौन सी खाद कब इस्तेमाल की जाती है, आइये जानते हैं:-
गेहूं की फसल के लिए बुआई से पहले खेत को अच्छी तरह से तैयार किया जाता है। इसके लिए सबसे पहले 35 से 40 क्विंटल गोबर की सड़ी हुई खाद प्रति हेक्टेयर खेत में डालना चाहिये। इसके साथ ही 50 किलोग्राम नीम की खली और 50किलो अरंडी की खली को भी मिला लेना चाहिये। पहले इन सभी खादों के मिश्रण को खेत में बिखेर दें और उसके बाद खेत की जमकर जुताई करनी चाहिये।
किसान भाई गेहूं की अच्छी फसल के लिए अगैती फसल में बुआई के समय 150 किलोग्राम नाइट्रोजन, 60 किलोग्राम फास्फोरस और 40 किलोग्राम पोटाश का इस्तेमाल करना चाहिये। गेहूं की पछैती फसल के लिए बुआई के समय 80 किलोग्राम नाइट्रोजन, 60 किलोग्राम फास्फोरस, 40 किलोग्राम पोटाश गोबर की खाद, नीम व अरंडी की खली के बाद डालना चाहिये।
इसमें नाइट्रोजन की आधी मात्रा को बचा कर रख लेना चाहिये जो बाद में पहली व दूसरी सिंचाई के समय डालना चाहिये।
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गेहूं की अच्छी फसल के लिए क्या करें किसान
पहली सिंचाई के समय
बुआई के बाद पहली सिंचाई लगभग 20 से 25 दिन पर की जाती है। उस समय किसान भाइयों को गेहूं की फसल के लिए 40 से 45 किलोग्राम यूरिया, 33 प्रतिशत वाला जिंक 5 किलो, या 21 प्रतिशत वाला जिंक 10 किलो, सल्फर 3 किलो का मिश्रण डालना चाहिये। इसके अलावा नैनोजिक एक्सट्रूड जैसे जायद का भी प्रयोग करना चाहिये।
दूसरी सिंचाई के समय
गेहूं की खेती में दूसरी सिंचाई बुआई के 40 से 50 दिन बाद की जानी चाहिये। उस समय भी आपको 40 से 45 किलोग्राम यूरिया डालनी होगी । इसके साथ थायनाफेनाइट मिथाइल 70 प्रतिशत डब्ल्यूपी 500 ग्राम प्रति एकड़, मारबीन डाजिम 12 प्रतिशत, मैनकोजेब 63 प्रतिशत डब्ल्यूपी 500 ग्राम प्रति एकड़ से मिलाकर डालनी चाहिये।
उर्वरकों का इस्तेमाल का फैसला ऐसे करें
मुख्यत: गेहूं की फसल में दो बार सिंचाई के बाद ही उर्वरकों का मिश्रण डालने का प्रावधान है लेकिन उसके बाद किसान भाइयों को अपने खेत व फसल की निगरानी करनी चाहिये। इसके अलावा भूमि परीक्षण के बाद कृषि विशेषज्ञों की राय के अनुसार उर्वरकों का इस्तेमाल करना चाहिये। यदि भूमि परीक्षण नहीं कराया है तो आपको अपने खेत की निगरानी अपने स्तर से करनी चाहिये और स्वयं के अनुभव के आधार पर या अनुभवी किसानों से राय लेकर फसल की जरूरत के हिसाब से उर्वरक, फर्टिसाइड व पेस्टीसाइड का इस्तेमाल करना चाहिये।
हल्की फसल हो तो क्या करें
विशेषज्ञों के अनुसार दूसरी सिंचाई के बाद देखें कि आपकी फसल हल्की हो तो आप अपने खेतों में माइकोर हाइजल दो किलो प्रति एकड़ के हिसाब से डालें। जिन किसान भाइयों ने बुआई के समय एनपीके का इस्तेमाल किया हो तो उन्हें अलग से पोटाश डालने की आवश्यकता नहीं है क्योंकि एनपीके में 12 प्रतिशत नाइट्रोजन और 32 प्रतिशत फास्फोरस होता है और 16प्रतिशत पोटाश होता है।
डीएपी का इस्तेमाल करने वाले क्या करें
जिन किसान भाइयों ने बुआई के समय डीएपी खाद का इस्तेमाल किया हो तो उन्हें पहली सिंचाई के बाद ही 15 से 20 किलो म्यूरेट आफ पोटाश प्रति एकड़ के हिसाब से डालना चाहिये। क्योंकि डीएपी में 18 प्रतिशत नाइट्रोजन होता है और 46 प्रतिशत फास्फोरस होता है और पोटाश बिलकुल नहीं होता है।
प्रत्येक सिंचाई के बाद खेत को परखें
गेहूं की फसल में 5-6 बार सिंचाई करने का प्रावधान है। किसान भाइयों को चाहिये कि वो कुदरती बरसात को देख कर और खेत की नमी की अवस्था को देखकर ही सिंचाई का फैसला करें। यदि प्रति सिंचाई के बाद यूरिया की खाद डाली जाये तो आपकी फसल में रिकार्ड पैदावार हो सकती है। यूरिया के साथ फसल की जरूरत के हिसाब से फर्टिसाइड और पेस्टीसाइड का भी इस्तेमाल करना चाहिये।
पहली दो सिंचाई के बाद तीसरी सिंचाई 60 से 70 दिन बाद की जाती है। चौथी सिंचाई 80 से 90 दिन बाद उस समय की जाती है जब पौधों में फूल आने को होते हैं। पांचवीं सिंचाई 100 से 120 दिन बाद करनी चाहिये।
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खाद सिंचाई से पहले या बाद में डाली जाए?
किसान भाइयों के समक्ष यह गंभीर समस्या है कि गेहूं की फसल में खाद कब डालनी चाहिये? हालांकि खाद डालने का प्रावधान सिंचाई के बाद ही का है लेकिन कुछ किसान भाइयों को यह शिकायत होती है कि सिंचाई के बाद खेत की मिट्टी दलदली हो जाती है, जहां खेत में घुसने में पैर धंसते हैं और उससे पौधों की जड़ों को नुकसान पहुंच सकता है। ऐसी स्थिति में किसान भाइयों को परिस्थिति देखकर स्वयं फैसला लेना होगा।
यदि भूमि अधिक दलदली है और सिंचाई के बाद पैर धंस रहे हैं तो आपको खेत के पानी को सूखने का इंतजार करना चाहिये लेकिन पर्याप्त नमी होनी चाहिये तभी खाद डालें। इसके लिए आप सिंचाई से अधिक से अधिक दो दिन के बाद खाद अवश्य डाल देनी चाहिये। यदि यह भी संभव न हो पाये तो इस तरह की भूमि में सिंचाई से 24 घंटे पहले खाद डालनी चाहिये लेकिन ध्यान रहे कि 24 घंटे में सिंचाई अवश्य ही हो जानी चाहिये। तभी खाद आपको लाभ देगी अन्यथा नहीं।
यदि आपके खेत की भूमि बलुई या रेतीली है, जहां पानी तत्काल सूख जाता है और आप खेत में आसानी से जा सकते हैं तो आपको सिंचाई के तत्काल बाद ही खाद डालनी चाहिये। ऐसे खेतों में अधिक से अधिक सिंचाई के 24 घंटे के भीतर खाद डालनी चाहिये।
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बड़ी ही रुचिकर बात है कि कालांतर में, नाम जपने या न जपने का फल मिलने पर, नाम जपने वाले और न जपने वाले, दोनों बहुत रोते हैं। दोनों रोते हैं? हाँ, दोनों ही रोते हैं। कारण क्या है?
न जपने वाले तो रोते ही हैं, यह विचार करके रोते हैं कि जब जपने का समय था, तब तो जगत की व्यर्थ बातों में जीवन नष्ट कर दिया, नाम जप नहीं किया। तब ही थोड़ा बहुत भी नाम जप लिया होता, तो इतना कष्ट न सहना पड़ता।
पर जपने वाले भी रोते हैं, न जपने वालों से भी अधिक जोर जोर से रोते हैं, कि मालूम नहीं था, युंही जप लिया था, पर उस थोड़े से नाम जप का अब इतना फल मिल रहा है, अगर उस समय और जप लेते तो क्या न मिल जाता?
चलो उनका तो जो हुआ सो हुआ। हम तो अभी यहीं हैं। हमारे पास अभी समय है। अभी श्वास चल रही है। हमें तो आज अभी निश्चयपूर्वक विचार करना चाहिए।
और रास्ता भी क्या है? और कुछ करने को है भी क्या? वासनाओं की अंधी गलियों में माथा पटकते पटकते, लहूलुहान हुए हृदय वाले मनुष्यों को, इस धधकते जगत से निकलने का, नामजप के अलावा उपाय भी क्या है?
हे राम !!
अभिमानी कर्मकाण्डियों का मंदिरों पर राज है, तीर्थ मनन्त माँगने के केन्द्र बने हैं, आश्रम-मठों में धन की सत्ता है, १००८ महामण्डलेश्वर आलीशान कोठी कार ठाठबाठ से बनेठने बैठे हैं, पैसे देकर ये उपाधियाँ खरीदी जाती हैं, "एक बार एक गरीब संत थे" यह पंक्ति अब सुनने में नहीं आती, मूढ़ दो दो रुपए में शास्त्र खरीदकर विद्वानों सा तर्क करते हैं, कथाएँ नाचने-गाने-बजाने वालों ने कब्जा ली, कथा मोलभाव करके चौराहों पर बिकने लगी, बड़े बड़े ब्राण्डेड भिखारी बड़े बड़े ऊंचे मंचों से गाय आदि के नाम पर चन्दे की भीख माँगते हैं, लोगों में संत पहचानने की न दृष्टि रही, न श्रद्धा रही, शास्त्रों का अर्थ अधकचरे अनुवाद करने वालों ने अनर्थ में बदल दिया, जो कोई आत्मज्ञानी महात्मा हैं उन्हें उनके सामान्य आचरण के चलते संत ही नहीं माना जाता।
अब तो मुमुक्षु साधकों को एक आपके पतितपावन नाम का ही सहारा है।
अब विडियो देखें- राम नाम मह��मा
https://youtu.be/AcqKQiFHdfg
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दांतो मे पीलापन
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दांतो मे पीलापन
दांत केवल खाना चबाने के लिए ही नहीं खूबसूरती बढ़ाने में भी मदद करते हैं। अगर आपके दांत पीले होगें तो आपको कभी भी हंसते-हंसते शर्मिंदा कर सकता है। एक बार शर्मिंदा होने के बाद कभी भी कुछ लोगों के बीच खुलकर हंसना नहीं चाहोगें। लेकिन अब आपको घबराने की कोई बात नहीं आज हम आपके लिए ऐसा घरेलू उपाय लेकर आए है जिसे इस्तेमाल करने से आपके दांतों का पीलापन दूर हो जाएगा और आप दोबारा सभी में खुल कर हंस सकेंगे।
सेब का सिरका आपके दांतों का पीलापन हटाकर, आपको तुरंत सफेद और चमकदार मुस्कान दे सकता है। दरअसल यह गहराई और कोमलता के साथ आपके दांतों की आंतरिक सफाई करने में सक्षम होता है। इससे आपके अम्लीयता होने पर भी पीएच की समानता बनी रहती है, और दांत पहले से अधिक साफ, सफेद और चमकदार दिखाई देते हैं। इतना ही नहीं, यह आपके मसूढ़ों को भी स्वस्थ रखने में मदद करता है।
इस सिरके से अपने दांत चमकाने के लिए आपको ज्यादा कुछ करने की जरूरत नहीं है। बस लगभग एक कप पानी में आधा चम्मच सेब का सिरका लें और अपने टूथब्रश की सहायता से दांतों पर इससे तब तक ब्रश करें, जब तक आपके दांत पूरी तरह से साफ न हो जाएं। दांतों के दाग हटने के साथ ही धीरे-धीरे आपके दांतों पर चमक भी आ जाएगी। लेकिन इसे इस्तेमाल करने से पहले आपको कुछ बातों का विशेष ध्यान रखना होगा। जानिए कौन-सी हैं वे बातें
1 सेब का सिरका इस्तेमाल करते समय बॉटल को अच्छी तरह से हिलाएं, तभी इस्तेमाल करें। 2 बगैर पानी में घोले इसका इस्तेमाल करना हानिकारक हो सकता है, क्योंकि यह प्राकृतिक अम्ल है। 3 इसका अत्यधिक प्रयोग करने से परहेज करें, साथ ही दिन में एक बार से ज्यादा इसका इस्तेमाल न करें।अन्यथा यह आपके दांतों की सतह को नुकसान पहुंचा सकता है।
उपाय 2
सामग्री टूथपेस्ट (कोई भी)- मटर के दाने जितनी बेकिंग सोडा- 1 चुटकी नींबू का रस- 1 चम्मच
इस्तेमाल करने का तरीका कटोरी में तीनों चीजों को लेकर तब तक मिलाएं जब तक टूथपेस्ट थोड़ी झाग न छोड़ने लग जाए। अब इसे टूथब्रश पर लगा कर हल्के हाथों से दांतों की मसाज करें। दांतों का पीलापन फूल कर बाहर निकलने लगेगा। फिर पानी से कुल्ला करके देखें आपको फर्क नजर आने लगेगा। इस उपाय को सप्ताह में 2 बार करें। दांतों का पीलापन पूरी तरह से साफ करने लिए इसे कुछ दिनों तक करें।
अन्य कारगर उपाय
अपने दांतों को हफ्ते में एक बार नमक और तेल से साफ करें. आधा छोटे चम्मच में दो बूंद सरसों के तेल की बूंदे डालें और इससे दांतों की हल्की मालिश करें. इससे धीरे-धीरे पीलापन खत्म हो जाएगा.
2. हफ्ते में एक या दो बार ब्रश पर कोलगेट के साथ चुटकिभर बेकिंग सोडा डाल लें. इस तरीके से दांतों से पीली परत साफ होती जाएगी.
3. खाना खाने के बाद नींबू के छिलके से दांतों को रगड़ें. इस तरीके को भी आप हफ्ते में दो से तीन बार कर सकते हैं. ध्यान रखें कि दातों के ऊपर छिलका रगड़े जबड़ों के बीच में नहीं, ऐसा करने से दांत खट्टे हो जाएंगे और आपको खाना खाने में दिक्कत होगी.
4. नीम हमेशा से ही दांतों को साफ करने के लिए इस्तेमाल किया जा रहा है. इसके एंटी-बैक्टीरियल प्रॉपर्टी की वजह से ये दांतों को सभी रोगों से दूर भी रखता है. पीलापन हटाने के लिए नीम की दातून से दांत साफ करें.
5. अगर आप नींबू को दांतों पर नहीं रगड़ना चाहते तो इसके रस से कुल्ला कर सकते हैं. इसके लिए एक चम्मच नींबू के रस में उतनी ही मात्रा में पानी मिलाएं. इस मिक्चर से रोज़ खाना खाने के बाद कुल्ला करें. इससे दांतों का पीलापन दूर होने के बाद सांसों की बदबू भी चली जाएगी.
6. संतरे के पाउडर से भी दांत चमक सकते हैं. ब्रश करने के बाद इस पाउडर से दांतों की हल्के हाथों से मसाज करें
✍🏻📚✍🏻📚✍🏻📚✍🏻 सौंदर्य ग्रुप की प्रस्तुति
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पीसीओडी (PCOD)/पीसीओएस (PCOS) से घर बैठे छुटकारा पाने के लिए करें ये 4 योगासन (4 Effective Yoga Poses To Treat PCOD/PCOS At Home)
पीसीओडी (PCOD) यानी पॉलीसिस्टिक ओवरी डिसीज़ या सिंड्रोम. यह महिलाओं में पाया जानेवाला बहुत ही सामान्य रोग है और बहुत बड़ी संख्या में (लगभग 90 लाख) युवा महिलाएं इससे पीड़ित हैं. हैरानी की बात यह है कि इनमें से भी 60% को यह पता नहीं रहता कि उन्हें यह रोग है. एक व़क्त था जब यह मिडल एज डिसीज़ मानी जाती थी, लेकिन अब ऐसा नहीं रहा. इस रोग में महिलाओं में सेक्स हार्मोंस के असंतुलन के चलते ओवरी में सिस्ट यानी गांठें बन जाती हैं, जिस वजह से गर्भधारण में समस्या होती है. ग़लत खानपान, तनाव, मोटापा, डायबिटीज़, हाई ब्लड प्रेशर आदि के कारण भी पीसीओडी की समस्या हो जाती है. लेकिन योग के ज़रिए आप इस समस्या से निजात पा सकती हैं. योग से आपके पीरियड्स व हार्मोंस संबंधी सभी समस्याएं दूर हो जाएंगी. इस वीडियो में 4 योगासन बताए गए हैं- पश्चिमोत्तानासन, धनुरासन, सर्वांगासन और हलासन, ये 4 योगासन करके आप पीसीओडी (PCOD) / पीसीओएस (PCOS) से आसानी से छुटकारा पा सकती हैं.
कम उम्र की लड़कियों को भी हो रहा है पीसीओडी (PCOD) / पीसीओएस (PCOS) आज की भागदौड़ भरी और तनाव भरी ज़िंदगी में सबसे ज़्यादा हमारी सेहत प्रभावित हो रही है. जो रोग पहले 40-50 की उम्र में होते थे, वो रोग अब बच्चों को भी होने लगे हैं. महिलाओं में भी बड़ी उम्र में पाया जानेवाला रोग पीसीओडी (PCOD) / पीसीओएस (PCOS) अब कम उम्र की लड़कियों में भी दिखाई देने लगा है. इसकी सबसे बड़ी वजह है ग़लत लाइफस्टाइल, गलत खानपान, तनाव, मोटापा आदि.
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पीसीओडी (PCOD) / पीसीओएस (PCOS) के लक्षण 1) अनियमित पीरियड्स यानी मासिक धर्म समय पर न आना 2) चेहरे, छाती, पेट, पीठ पर अधिक बाल उगना 3) अचानक वज़न बढ़ जाना 4) मां न बन पाना 5) इमोशनल इंबैलेंस यानी बेवजह चिंता, तनाव, चिड़चिड़ापन, भावुक हो जाना आदि 6) स्किन ऑयली हो जाना, चेहरे पर पिंपल्स, दाग-धब्बे हो जाना, बार-बार डैंड्रफ हो जाना 7) कई महिलाओं को ओवरी में सिस्ट भी हो जाता है
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पीसीओडी (PCOD) / पीसीओएस (PCOS) से छुटकारा पाने के घरेलू उपाय पीसीओडी (PCOD) / पीसीओएस (PCOS) को नज़रअंदाज़ करना ठीक नहीं है. पीसीओडी (PCOD) / पीसीओएस (PCOS) के बारे में पता चलते ही इसका इलाज ज़रूर कराएं. साथ ही अपनी लाइफस्टाइल में बदलाव लाकर आप पीसीओडी (PCOD) / पीसीओएस (PCOS) से जल्दी ही छुटकारा पा सकती हैं.
1) हेल्दी खाना खाएं और जंक फूड से परहेज करें. 2) नियमित रूप से योग, ध्यान और एक्सरसाइज़ करें. 3) रात में जल्दी सोएं और सुबह जल्दी उठें. 4) तनाव से दूर रहें. 5) अच्छी किताबें पढ़ें, अच्छा संगीत सुनें, अपने शौक के लिए समय निकालें. 6) मोटापा न बढ़ने दें. 7) पीसीओडी (PCOD) / पीसीओएस (PCOS) के बारे में पता चलते ही अपना इलाज कराएं.
पीसीओडी से घर बैठे छुटकारा पाने के लिए करें ये 4 योगासन, देखें वीडियो:
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