#यूपी में बसपा विधायक
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UP Chunav Results 2024: भाजपा को रास न आया रालोद का साथ… RLD को फायदा, BJP को बड़ा नुकसान; गैर मुस्लिम बिखरे
जमीन पर नहीं जुड़ सके भाजपा और रालोद के कार्यकर्ता|
भाजपा और रालोद साथ तो आ गए लेकिन जमीन पर इन पार्टियों के कार्यकर्ताओं के बीच वह अंडरस्टैंडिंग नहीं दिखी जो गठबंधन में होनी चाहिए थी। चर्चा यह भी है कि रालोद के कोटे की बागपत और बिजनौर सीटों पर जाटों ने भावनात्मक रूप से सहयोग किया, जबकि अन्य सीटों पर तटस्थभाव रखा।कई स्थानों पर दोनों पार्टियों के कार्यकर्ताओं के बीच मारपीट की घटना भी सामने आई। ऐसे में माना यह भी जा रहा है कि कार्यकर्ताओं के बीच सामंजस्य न बिठा पाने का खामियाजा भी भाजपा को ही भुगतना पड़ा।
Results of UP Chunav पहले चरण में आठ में से छह सीट भाजपा हारी|
पहले चरण में जिन आठ सीटों पर चुनाव हुआ था, उसमें से छह सीट भाजपा गठबंधन हार गई। बाकी सहारनपुर, मुजफ्फरनगर, कैराना, मुरादाबाद, रामपुर सीट पर सपा-कांग्रेस ने ��ब्जा किया। बिजनौर रालोद के खाते में गई और पीलीभीत सीट को भाजपा ने जीता। नगीना सीट पर आजाद समाज पार्टी के चंद्रशेखर आजाद ने जीत दर्ज की। 2019 के चुनाव में मुजफ्फरनगर, कैराना और पीलीभीत पर भाजपा ने कब्जा किया था।
Results for UP Chunav 2024: मुस्लिमों ने दिया इंडिया गठबंधन का एक तरफा साथ
सीट कोई भी रही हो। मुस्लिम मतदाताओं ने इंडिया गठबंधन के पक्ष में एकतरफा मतदान किया। हालांकि नगीना सीट पर रणनीतिक रूप से मुस्लिमों ने आसपा के चंद्रशेखर को एकतरफा मतदान किया। पश्चिमी यूपी की कुछ सीटें ऐसी भी रहीं जहां दलितों ने इंडिया गठबंधन के पक्ष में मतदान किया। यही वजह रही कि पश्चिमी उत्तर प्रदेश की कई सीटों पर बसपा के मुस्लिम प्रत्याशी होने के बावजूद वोट सपा-कांग्रेस के पक्ष में पड़ा। मसलन मेरठ में अगर सुनीता वर्मा ने भाजपा के अरुण गोविल को कड़ी टक्कर दी तो यह दलित वोटों के बदौलत ही मुमकिन हो सका।
मुजफ्फरनगर से क्या खत्म हो गया चौधरी परिवार के रुत्बा?
मुजफ्फरनगर सीट पर रालोद की यह लगातार तीसरी हार है। 2019 के चुनाव में समाजवादी पार्टी और बसपा दोनों ने चौधरी अजित सिंह का समर्थन किया था। इन सबके बावजूद भाजपा ने यहां अजित सिंह को 6 हजार से अधिक वोटों से हरा दिया था। लेकिन नतीजा आया तो हरेंद्र मलिक चुनाव जीत गए। अब देखना दिलचस्प होगा कि केंद्र में एक बार फिर से भाजपा सरकार बनने के बाद क्या जयंत चौधरी को वह महत्व मिलता है जो चुनाव से पहले मिला था? इस बार रालोद साथ आई तो माना जा रहा था कि संजीव बालियान आराम से यह सीट एक बार फिर जीत सकते हैं,
सहारनपुर की सीट पर रशीद मसूद का दबदबा रहा है। इस बार उन्होंने यहां से सीट हासिल की। यहां से रशीद मसूद दो बार चुनाव जीत चुके हैं। इमरान मसूद रशीद मसूद के भतीजे हैं। रशीद मसूद 2004 में समाजवादी पार्टी के टिकट पर चुनाव जीते थे। इससे पहले जनता दल के टिकट पर उन्होंने जीत हासिल की थी।
Results for UP Chunav 2024: कैराना में तीसरी पीढ़ी की जीत|
कैराना में 1984 में चौधरी अख्तर हसन ने जीत हासिल की थी। उसके बाद उनके बेटे मुनव्वर हसन 1999 में आरएलडी से चुनाव जीते थे। तबस्सुम हसन ने आरएलडी के टिकट पर 2018 में हुए उप चुनाव में भी जीत दर्ज की थी। अब इकरा हसन ने समाजवादी पार्टी के टिकट पर यहां से जीत हासिल की है।मुनव्वर हसन की पत्नी 2009 तबस्सुम हसन ने बसपा के प्रत्याशी के रूप में जीत हासिल की थी। इकरा के भाई नाहिद हसन भी मौजूदा समय में कैराना से विधायक हैं। इकरा पश्चिमी उत्तर प्रदेश में सबसे कम उम्र की सांसद बन गई हैं।
बिजनौर से 2009 में संजय चौहान ने आरएलडी के टिकट पर सांसद बने थे। समाजवादी पार्टी ने ��ुजफ्फरनगर से जिस हरेंद्र मलिक पर दांव लगाया था, वह पहले रालोद के टिकट पर विधायक रह चुके हैं। इस बार उनके बेटे और मीरापुर से रालोद विधायक चंदन चौहान ने बिजनौर से जीत हासिल की। उनके बेटे पंकज मलिक भी चरथावल से सपा के विधायक हैं। हरेंद्र मलिक दो बार के सांसद संजीव बालियान को हराकर संसद पहुंच गए।
Results for UP Chunav 2024: आखिरी दिन मिला टिकट और जीत गए|
सबसे दिलचस्प नजारा रामपुर में देखने को मिला। यहां नई दिल्ली के पार्लियामेंट की मस्जिद के इमाम मोहिबुल्ला को अंतिम समय में समाजवादी पार्टी ने टिकट दिया। खास बात यह भी है कि आजम खां के इस्तीफे के बाद रामपुर में जब उप चुनाव हुआ तो भाजपा के घनश्याम लोधी ने यहां से जीत हासिल की थी। बताया यह भी जाता है कि मोहिबुल्ला के टिकट से समाजवादी पार्टी के कद्दावर नेता आजम खां नाराज थे। इसके बावजूद मोहिबुल्ला ने यहां से बड़ी जीत दर्ज की। रूचिवीरा ने यहां से एक लाख से अधिक वोटों से जीत हासिल की। इसी तरह रूचिवीरा को भी अंतिम समय में मुरादाबाद से टिकट दिया गया था।
Results for UP Chunav 2024: पश्चिम के दो विधायक बने सांसद, अब होगा उपचुनाव|
बिजनौर से चंदन चौहान व संभल से जियाउर्रहमान बर्क सांसद चुने गए हैं। पश्चिमी उत्तर प्रदेश से दो विधायक सांसद बन गए हैं। ये दोंनों विधायक हैं। इसलिए मीरापुर और कुंदरकी सीट पर उपचुनाव होगा।
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कैसरगंज से बृजभूषण सिंह का कट गया टिकट! छोटे बेटे करन को बीजेपी बना सकती है उम्मीदवार
गोंडा: यूपी के से जुड़ी एक बड़ी खबर सामने आ रही है। सूत्रों का दावा है कि बीजेपी ने इस बार यहां से निवर्तमान सांसद बृजभूषण शरण सिंह का टिकट काट दिया है। उनकी पत्नी या बेटे को टिकट दिया जा सकता है। बृजभूषण सिंह पिछले कई दिनों से अपने इलाके में तेजी से चुनाव प्रचार कर रहे हैं। अभी तक कैसरगंज और रायबरेली सीट पर बीजेपी उम्मीदवार नहीं तय कर पाई है। कहा जा रहा है कि अमित शाह बृजभूषण सिंह से बातचीत कर उनके परिवार के किसी सदस्य को टिकट देने के लिए सहमति बनाएंगे।कहा जा रहा है कि बीजेपी बृजभूषण के छोटे बेटे करन भूषण सिंह को टिकट दे सकती है। बड़े बेटे प्रतीक पहले से ही बीजेपी विधायक हैं। मीडिया रिपोट्स के मुताबिक, बीजेपी आलाकमान जल्द कैसरगंज सीट के प्रत्याशी का ऐलान कर देगी। महिला पहलवानों के यौन शोषण मामले को लेकर हुए विवाद के चलते बृजभूषण सिंह की दावेदारी पर प्रश्नवाचक चिह्न लगा हुआ था। बृजभूषण सिंह का कैसरगंज के अलावा आसपास की लोकसभा सीटों पर भी प्रभाव माना जाता है। 3 मई पर्चा भरने की अंतिम डेट बृजभूषण सिंह कैंसरगंज सीट से लगातार तीन बार से सांसद चुने जाते आ रहे हैं। इसके पहले वह दो बार ��ोंडा और एक बार बहराइच से भी लोकसभा चुनाव जीत चुके हैं। कैसरगंज सीट पर पांचवें चरण के तहत 20 मई को मतदान होना है। तीन मई नामांकन की अंतिम तिथि है। यहां से बीजेपी के अलावा सपा ने भी अभी तक अपना प्रत्याशी नहीं उतारा है। बसपा ने यहां से ब्राह्मण कार्ड खेलते हुए नरेंद्र पांडेय को उतार दिया है। http://dlvr.it/T6J9ZM
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यूपी :बसपा विधायक उमाशंकर सिंह को इलाहाबाद हाईकोर्ट से बड़ी राहत, बलिया में चल रहा आपराधिक केस रद्द - Big Relief To The Bsp Mla Of Rasda From The High Court The Ongoing Criminal Case In Ballia Canceled
बसपा विधायक उमाशंकर सिंह – फोटो : अमर उजाला विस्तार इलाहाबाद हाईकोर्ट ने रसड़ा के बसपा विधायक उमाशंकर सिंह व 10 अन्य को बड़ी राहत दी है। उनके खिलाफ अपर सत्र अदालत बलिया में बैंक धोखाधड़ी व भ्रष्टाचार के आरोप में चल रहे आपराधिक केस को रद्द कर दिया है। अदालत ने पक्षकारों के बीच समझौते के आधार पर केस वापस करने से यह कहते हुए इन्कार कर दिया था कि केस वापसी अर्जी से पहले हाईकोर्ट से अनुमति नहीं ली गई…
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UP Chunav : BSP ने किया रणनीति में बदलाव, किसी दल से नहीं करेगी गठबंधन
UP Chunav : BSP ने किया रणनीति में बदलाव, किसी दल से नहीं करेगी गठबंधन
बसपा ने ��ाज्यों को जोड़ने क�� लिए 23 नवंबर को उत्तर प्रदेश के हर क्षेत्र में कृषि में सुधार किया है | बहुजन पार्टी ने अपनी नीति में परिवर्तन किया | चुनाव वाग | । Source link
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#अप चुनाव 2022#अप चुनाव 2022 की तारीख#असदुद्दीन ओवैसी उप चुनाव 2022#उत्तर प्रदेश 2022 चुनाव#उत्तर प्रदेश चुनाव 2022#उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव#उप चुनाव 2022 कांग्रेस#उप चुनाव 2022 खबर#उप चुनाव 2022 जनता की राय#उप चुनाव 2022 बीएसपी#उप चुनाव 2022 बीजेपी#उप चुनाव 2022 सर्वेक्षण#ब��पा#बसपा प्रदेश अध्यक्ष उ.प्र#बी जे पी#मायावती#मायावती ब्राह्मणों पर#यूपी चुनाव 2022#यूपी चुनाव 2022 अखिलेश यादव#यूपी में बसपा विधायक#यूपी विधानसभा चुनाव 2022#योगी#योगी आदित्यनाथ#सपा
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यूपी विधानसभा उपचुनाव: गोला गोकर्णनाथ सीट पर बीजेपी और सपा के बीच मुख्य मुकाबला
यूपी विधानसभा उपचुनाव: गोला गोकर्णनाथ सीट पर बीजेपी और सपा के बीच मुख्य मुकाबला
उत्तर प्रदेश में गोला गोकर्णनाथ विधानसभा क्षेत्र के उपचुनाव में सत्तारूढ़ भाजपा और समाजवादी पार्टी के बीच मुकाबला होना तय है क्योंकि कांग्रेस और बसपा चुनावी लड़ाई से बाहर हो गए थे। चुनाव के लिए कुल सात उम्मीदवारों ने पर्चा दाखिल किया है, जिसके लिए नामांकन दाखिल करने की तारीख शुक्रवार को समाप्त हो गई। इस सीट पर उपचुनाव 6 सितंबर को मौजूदा विधायक अरविंद गिरी के निधन के कारण कराना पड़ा था। भारतीय…
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#उतार प्रदेश।#कांग्रेस#गोला गोकर्णनाथ विधानसभा उपचुनाव#बसपा#बी जे पी#यूपी चुनाव#यूपी विधानसभा उपचुनाव#समाजवादी पार्टी
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यूपी में बसपा को एक सीट क्यों मिली? पार्टी के इकलौते विधायक उमाशंकर सिंह ने बताई वजह
यूपी में बसपा को एक सीट क्यों मिली? पार्टी के इकलौते विधायक उमाशंकर सिंह ने बताई वजह
उत्तर प्रदेश चुनाव में मायावती को सिर्फ एक सीट मिली है. इस बार बसपा के इकलौते विधायक उमाशंकर सिंह हैं, जो बलिया नगर सीट से जीते हैं. 2) इस प्रदर्शन का कारण बसपा है, इस बारे में हमारे संवाददाता अजय सिंह। Source by [author_name]
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UP Election 2022: अंतिम चरण के मतदान में वोट पर चोट करने को तैयार मतदाता
यूपी चुनाव : उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के छठे चरण की वोटिंग हो चुकी है ऐसे में आज यूपी चुनाव के लिए मतदाता सातवें और अंतिम चरण में वोट पर चोट करने को तैयार है आखिरी चरण के नौ जिलों की 54 सीटों पर मतदान हो रहा है जिसमे आजमगढ़, गाजीपुर , जौनपुर , वाराणसी, भदोही शामिल है इस चरण में उत्तर प्रदेश के तीन मंत्री चुनावी मैदान पर है वाराणसी दक्षिण विधानसभा सीट से राज्य के पर्यटन व सांस्कृतिक मंत्री नीलकंठ तिवारी है पंजीयन मंत्री रविन्द्र जयसवाल, दिव्यांग कल्याण मंत्री अनिल राजभर की किस्मत का फैसला जनता ईवीएम पर कैद कर देगी । यहां कुछ सीटें बड़ी खास है क्योंकि पिछले कुछ समय से विवादों में रहे ये प्रत्याशी भी जोर आजमाइश के लिए चुनावी मैदान पर डटे है भाजपा छोड़कर सपा का दामन थामने वाले गाजीपुर की जहूराबाद सीट से सुभासपा के अध्यक्ष ओम प्रकाश राजभर है मऊ सदर से बांदा जेल ने बन्द मुख्तार अंसारी के बेटे अब्बास अंसारी , और भदोही से विधायक अजय मिश्रा जैसे दिग्गज मैदान पर है
क्या था 2017 में जीत का समीकरण
इसमें कोई शक नहीं है इस बार का चुनाव उतना ही पेचीदा और कठिन खासकर बीजेपी के लिए । जितनी आसानी से बीजेपी ने साल 2017 यूपी विधानसभा चुनाव में 54 सीटों में 29 पर जीत दर्ज की थी इस बार बीजेपी अपने ही गढ़ में खतरा महसूस कर रही है पिछले चुनाव में बीजेपी सहयोगी पार्टी सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी यानी ओम प्रकाश राजभर की पार्टी ने 3 सीटें जीती थीं निषाद पार्टी जिसके अध्यक्ष संजय निषाद है उन्होंने एक सीट कब्जाई थी बसपा ने 6 सीट और समाजवादी पार्टी ने 11 सीटों पर कब्जा किया था लेकिन राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है पिछले चुनाव में जो समीकरण बने थे ठीक उससे उलट समीकरण इस बार बनते दिख रहे है मतलब भाजपा के लिए यह खतरे की आहट है आज 9 जिलों की 54 सीटों पर 2.6 करोड़ मतदाता अपने विधायक का फैसला करेगा जिसमें 1.9 करोड़ पुरुष है और 97.8 करोड़ महिला वहीं 1027 थर्ड जेंडर है ।
अब तक कौन किस पर पड़ा भारी
बस आज से तीन दिन और फिर उत्तर प्रदेश की जनता को 10 मार्च को 12 बजे सूबे का मुख्यमंत्री और अपने क्षेत्र का विधायक मिल जाएगा। उत्तर प्रदेश में कुल सात चरणों में वोटिंग हुई है जो चुनावी गणित बता रहा है उसके लिहाज से पहले तीन चरण समाजवादी के खेमे में गए है मतलब पश्चिमी यूपी के चरण । राजनीतिक विश्लेषकों के आधार पर चौथे चरण से स्थितियां बदली है और बीजेपी के लिए चौथे चरण से लेकर छठे चरण के मतदान उसके पक्ष में गए है लेकिन यह सिर्फ अनुमान है असल में मतदाताओं ने क्या फैसला किया है इसका नतीजा तो गुरुवार यानी 10 मार्च को ही पता चलेगा । क्योंकि ऐसा कहा माना जा रहा था कि इस बार जनता ने अपना वोट दिल में दबाकर रखा है किसी के सामने जाहिर नहीं होने दिया और इवीएम के सामने ही अपना अंतिम फैसला सुनाया। उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव में सिर्फ और सिर्फ लड़ाई सपा और बीजेपी के बीच थी अन्य दल तो कहीं नजर ही नहीं आ रहे थे।
बसपा – कांग्रेस की स्थित क्या है
कांग्रेस वो राजनीतिक पार्टी है जिसने उत्तर प्रदेश में एक छत्र राज किया है लेकिन पिछले 32 सालों से यूपी की धरती पर कांग्रेस का अस्तित्व का खत्म सा हो गया है जिस उत्तर प्रदेश की जनता ने कांग्रेस जैसी राष्ट्रीय पार्टी को कई विधानसभा चुनाव में लखनऊ की गद्दी पर बैठाया हो फिर ऐसा क्या हुआ कि उतनी ही तेजी से उसे उतार दिया और आज कांग्रेस इस विधानसभा चुनाव में कहीं भी नहीं है कांग्रेस खुद इस बात को जानती और समझती है तो बहुजन समाज पार्टी जिसने 2007 विधानसभा चुनाव में 202 सीटें जीतकर बहुमत की सरकार बनाई थी आज पिछले दो चुनावों से बसपा जनता के मन में जगह नहीं बना पाई है दलितों , ब्राह्मण , और मुस्लिमो कि हितैषी समझी जाने वाली बसपा के पास आज तीनों ही वर्ग के मतदाता छिटक गए और नाराज भी है इस विधानसभा चुनाव में बसपा चमत्कार तो नहीं कर सकती लेकिन किसी पार्टी की डूबती नैया को बचा सकती है ।
SOURCE: https://www.bejagruk.in/election/up-election-2022/up-election-2022-5/
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यूपी में बसपा से चुनाव जीतने वाले इकलौते विधायक बोले- जाति-पाति के नाम पर बने संगठन भविष्य के लिए घातक
*The only MLA who won the election from BSP in UP said – Organizations formed in the name of caste-caste are fatal for the future*
https://azaadsamachar.com/index.php/2022/03/12/the-only-mla-who-won-the-election-from-bsp-in-up-said-organizations-formed-in-the-name-of-caste-caste-are-fatal-for-the-future/
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रानीगंज में आरके वर्मा ने धीरज ओझा को 2649 वोटों से हराया
रानीगंज में आरके वर्मा ने धीरज ओझा को 2649 वोटों से हराया
पोस्टल वोट में भी आरके वर्मा धीरज ओझा से आगे रहे रानीगंज (प्रतापगढ़)। यूपी के प्रतापगढ़ जिले की रानीगंज सीट से समाजवादी पार्टी के उम्मीदवार आरके वर्मा ने भाजपा के विधायक रहे धीरज ओझा को 2649 वोटों से हरा दिया है। पोस्टल वोटों में भी आरके वर्मा आगे रहे। आरके वर्मा को 643 और धीरज ओझा को 363 पोस्टल वोट मिले। जाने किसे मिला कितना वोट आरके वर्मा, सपा – 75583धीरज ओझा, भाजपा – 72934अजय यादव, बसपा –…
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गोधरा कांड पर नरेंद्र मोदी के इंटरव्यू के कारण SP से निकाले गए थे शाहिद, अब जयंत से दूरियां, इनसाइड स्टोरी
अभय सिंह राठौड़, लखनऊ: लोकसभा चुनाव 2024 में सभी की नजरें मुस्लिम वोटरों पर गड़ी हुई हैं। यूपी ही नहीं, बल्कि पूरे देश में मुसलमानों की ठीकठाक आबादी है। अकेले यूपी में 20 फीसदी के करीब मुसलमान वोटर हैं। साथ ही 29 लोकसभा सीट ऐसी हैं, जिन पर मुस्लिम वोटर जीत-हार की निर्णायक भूमिका अदा करते हैं। इसी क्रम में NDA का हिस्सा बनते ही एक बड़े मुस्लिम नेता ने राष्ट्रीय लोकदल का साथ छोड़ दिया है। RLD के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष ने पार्टी से इस्तीफा देते हुए कहा कि मैं खामोशी से देश के लोकतांत्रिक ढांचे को समाप्त होते नहीं देख सकता हूं। मुख्यमंत्रियों की गिरफ्तारी से भी आहत हूं। इसके साथ ही उन्होंने माफिया मुख्तार अंसारी की मौत मामले में जांच की मांग की थी। गुजरात के गोधराकांड के बाद तत्कालीन सीएम नरेंद्र मोदी का इंटरव्यू करने पर सपा ने उन्हें निष्कासित कर दिया था। आज हमला देश के संवैधानिक ढांचों पर है- शाहिद सिद्दीकी शाहिद सिद्दीकी ने बताया कि उन्होंने RLD मुखिया जयंत चौधरी को अपना इस्तीफा भेज दिया है। उन्होंने राष्ट्रीय लोकदल की सदस्यता और राष्ट्रीय उपाध्यक्ष के पद से अपना त्यागपत्र दे दिया है। उन्होंने कहा कि आज देश के संवैधानिक ढांचों और लोकतंत्र के ऊपर हमला है। ऐसे में किसी का चुप रहना पाप है। शाहिद ने कहा कि बीजेपी नेताओं से अपील करता हूं कि उन्हें अटल जी के रास्ते को अपनाना चाहिए और राजधर्म निभाने की बात करनी चाहिए। आज जिस तरीके से मुख्यमंत्रियों को गिरफ्तार किया जा रहा है। नेताओं के 15-15 साल पुराने मुकदमे निकाले जा रहे हैं। चुनाव के ठीक समय ऐसा होना ये राजधर्म नहीं है। बीजेपी नेताओं से ये की अपील इसके साथ ही उन्होंने कहा कि बीजेपी नेता जो अटल जी और बीजेपी की नीति में विश्वास करते हैं, उन्हें भी इसका विरोध करना चाहिए। सभी राजनीतिक दलों के लीडरों से अपील है कि भारत का लोकतंत्र सबसे महत्वपूर्ण ��ै। सत्ता आती जाती रहती है। इमरजेंसी का हमने विरोध किया था। हमने जेल काटी थी। ये इसलिए नहीं किया कि हम इंदिरा गांधी या कांग्रेस के विरोधी थे। हम देश के हित में खड़े होना चाहते थे। आज भी हम देश के हित में खड़े होना चाहते हैं। सवाल इस समय बीजेपी, आरएलडी, कांग्रेस और आम आदमी पार्टी का नहीं है। सवाल हिंदुस्तान और लोकतंत्र का है। पूरी दुनिया में हमारी ��हचान हमारे लोकतंत्र की वजह से है। इस पहचान और इज्जत को आगे बढ़ाना है। मुख्तार अंसारी की मौत पर कही थी ये बात मऊ से 5 बार के विधायक माफिया मुख्तार अंसारी की मौत पर भी आरएलडी के उपाध्यक्ष रहे शाहिद सिद्दीकी ने अपनी प्रतिक्रिया दी थी। शाहिद ने इस मामले में जांच की मांग की थी। उन्होंने कहा कि मुख्तार अंसारी महान स्वतंत्रता सेनानी और महात्मा गांधी के सहयोगी डॉ. एम.ए. अंसारी के परिवार से आते हैं। स्थानीय माफिया द्वारा उनके परिवार पर किए गए हमलों के कारण वो (मुख्तार अंसारी) आपराधिक गतिविधियों में शामिल हो गए थे। उनकी मौत की पूरी जांच होनी चाहिए, क्योंकि यह संदिग्ध परिस्थितियों में हुई है। मायावती के खिलाफ बोलने पर बसपा ने किया था निष्कासित पूर्व राज्यसभा सांसद शहीद सिद्दीकी राष्ट्रीय लोकदल में राष्ट्रीय उपाध्यक्ष के पद पर कार्यरत थे। शाहिद पत्रकार होने के साथ ही नई दिल्ली से प्रकाशित उर्दू साप्ताहिक पत्रिका के मुख्य संपादक भी हैं। शाहिद सिद्दीकी का जन्म 1951 में पत्रकारों और लेखकों के परिवार में हुआ था। उनके पिता मौलाना अब्दुल वहीद सिद्दीकी एक पत्रकार और भारत के स्वतंत्रता आंदोलन के नेता थे। शाहिद सिद्दीकी ने अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत कांग्रेस से की थी। 1997-99 तक कांग्रेस अल्पसंख्यक मोर्चा के प्रमुख रह चुके हैं। बाद में शाहिद सपा में शामिल हो गए थे। 2002 से 2008 तक सपा में उन्हें राष्ट्रीय महासचिव की जिम्मेदारी सौंपी गई थी। वो राज्यसभा सांसद रहे चुके हैं। जुलाई 2008 में बसपा में शामिल हो गए थे, लेकिन बसपा सुप्रीमो मायावती के खिलाफ बोलने के कारण उन्हें 2009 में पार्टी से निष्कासित कर दिया गया था। गोधरा कांड के बाद पीएम मोदी का इंटरव्यू करने पर सपा ने किया था निष्कासित पेशे से पत्रकार शाहिद सिद्दीकी को गोधरा कांड के बाद अल्पसंख्यक विरोधी दंगों पर गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी का साक्षात्कार लेने के लिए उन्हें जुलाई 2012 में समाजवादी पार्टी से निष्कासित कर दिया गया था। उस इंटरव्यू में मोदी ने कहा था कि अगर मैं दोषी हूं तो मुझे फांसी दे दो। कवर-पेज साक्षात्कार छह पृष्ठों का था और इसमें गुजरात में मुसलमानों की स्थिति, गोधरा के बाद के दंगे और अन्य संवेदनशील मुद्दे शामिल थे। सिद्दीकी ने उन्हें अस्वीकार करने के समाजवादी पार्टी के रुख को महज एक मजाक करार देते हुए कहा था कि मैं मुलायम सिंह यादव सहित समाजवादी पार्टी के सभी प्रमुख नेताओं ��ी उपस्थिति में पार्टी में… http://dlvr.it/T4yBNz
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2022 के यूपी विधानसभा चुनाव से पहले दो मौजूदा विधायक समाजवादी पार्टी में शामिल
2022 के यूपी विधानसभा चुनाव से पहले दो मौजूदा विधायक समाजवादी पार्टी में शामिल
महत्वपूर्ण 2022 उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनावों से पहले, समाजवादी पार्टी रविवार को हाथ में तब लगी जब दो मौजूदा विधायक, एक विधायक बी जे पी और बसपा से एक, सपा प्रमुख अखिलेश यादव की उपस्थिति में यहां अपने मुख्यालय में पार्टी में शामिल हुए। विधायक गोरखपुर के चिलुपार विधानसभा सीट से विनय शंकर तिवारी (बसपा) और संत कबीर नगर के खलीलाबाद निर्वाचन क्ष���त्र से दिग्विजय नारायण उर्फ जय चौबे हैं। यूपी विधान…
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यूपी विधानसभा चुनाव: दो मौजूदा विधायक समाजवादी पार्टी में शामिल | लखनऊ समाचार - टाइम्स ऑफ इंडिया
यूपी विधानसभा चुनाव: दो मौजूदा विधायक समाजवादी पार्टी में शामिल | लखनऊ समाचार – टाइम्स ऑफ इंडिया
लखनऊ: महत्वपूर्ण 2022 उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनावों से पहले, दो मौजूदा विधायक, भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के एक और बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के एक विधायक, यहां अपने मुख्यालय में समाजवादी पार्टी (सपा) की उपस्थिति में शामिल हो गए। पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव की। विधायक गोरखपुर के चिलुपार विधानसभा सीट से विनय शंकर तिवारी (बसपा) और संत कबीर नगर के खलीलाबाद निर्वाचन क्षेत्र से दिग्विजय नारायण उर्फ जय…
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#आज की खबर लखनऊ#कबीर नगर#गोरखपुर#जय चौबे#तिवारी#दिग्विजय नारायण#लखनऊ की आज की खबर#लखनऊ ताजा खबर#लखनऊ समाचार#लखनऊ समाचार लाइव#विनय शंकर तिवारी
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मायावती की नजर पश्चिम यूपी पर, महिलाओं ने दिया वोट
मायावती की नजर पश्चिम यूपी पर, महिलाओं ने दिया वोट
2017 के विधानसभा चुनावों में बसपा ने 19 सीटें जीतीं, लेकिन 2022 के चुनावों से कुछ महीने पहले, विधानसभा में पार्टी के लिए केवल तीन सदस्य ही खड़े हो सकते हैं – उमा शंकर सिंह (रसारा), आज़ाद अली मर्दन (लालगंज) और श्याम सुंदर शर्मा ( मंथ)। पिछले दो वर्षों में, पार्टी अध्यक्ष मायावती ने अपने अधिकांश विधायकों को पार्टी विरोधी गतिविधियों के लिए निलंबित या निष्कासित कर दिया है, जिसमें चिलुपार विधायक विनय…
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#इंडियन एक्सप्रेस#उत्तर प्रदेश चुनाव#महिलाओं का वोट#मायावती#मायावती की नजर पश्चिम यूपी पर#मायावती पश्चिम यूपी#मायावती महिला वोट#यूपी चुनाव#राजनीतिक नब्ज
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पार्टी की विजय के लिए कार्यकर्ता स्वयं को प्रत्याशी समझ जी जान से जुटे: केपी मौर्या लखनऊ: 2022 विधानसभा चुनाव में पार्टी पदाधिकारी व कार्यकर्ताओं का उत्साह बढ़ाने के लिए डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य ने वर्चुअल संवाद कर कहा कि प���रत्येक कार्यकर्ता हर विधानसभा क्षेत्र में स्वयं को प्रत्याशी समझे और पार्टी की विजय के लिए जी जान से जुट जाएं तभी उत्तर प्रदेश में विजय पताका फहराकर इतिहास रचेंगे। आपको बता दें कि सिराथू विधानसभा से प्रत्याशी बनाए जाने के बाद आज 20 जनवरी 2022 को यूपी के उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने पार्टी पदाधिकारियों, बूथ अध्यक्षों, शक्ति केंद्र संयोजकों और वरिष्ठ कार्यकर्ताओं के साथ वर्चुअल माध्यम से संवाद किया। इस दौरान वर्चुअल बैठक में उन्होंने कहा कि मेरी राजनीतिक यात्रा 2012 से सिराथू विधानसभा से ही प्रारंभ हुई थी, आप सभी के आशीर्वाद से ही आज मैं इस बड़े दायित्व का भी निर्वाह कर रहा हूं। कार्यकर्ता खुद को प्रत्याशी समझ निभाएं दायित्व केशव प्रसाद मौर्य ने कहा कि सिराथू विधानसभा के कार्यकर्ता खुद को प्रत्याशी समझकर अपना दायित्व निभाएं। इस दौरान उन्होंने सभी को आश्वासन दिया कि उनके और कार्यकर्ताओं के बीच किसी भी प्रकार की दीवार नहीं होगी। किसी भी तरह की समस्या होने पर वह सीधे संपर्क कर सकेंगे। सिराथू विधानसभा के लिए सदैव एक ऑफिस और फोन नंबर समर्पित रहेगा। गौरतलब है कि केशव प्रसाद मौर्य 2012 में पहली बार सिराथू से ही भाजपा के विधायक चुने गए थे और उन्होंने सपा प्रत्याशी वाचस्पति को 26000 वोटों के अंतर से हराया था। वह उस वक्त प्रयागराज मंडल से भाजपा के इकलौते विधायक चुने गए थे। हालांकि डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य के सिराथू से चुनाव लड़ने के ऐलान के बाद यह हॉट सीट हो गई है। इस सीट पर अभी सपा और बसपा ने अपने प्रत्याशियों की घोषणा नहीं की है। माना जा रहा है कि मौर्य के कद और जातीय समीकरण के हिसाब से सपा और बसपा को इस सीट से प्रत्याशी उतारने में काफी मशक्कत करनी पड़ेगी। सिराथू विधानसभा सीट पर अगर जातीय समीकरण की बात करें तो यह भाजपा के लिए बेहद अनुकूल सीट मानी जा रही है। इस सीट पर अनुसूचित जाति वर्ग के मतदाता सर्वाधिक हैं। जबकि दूसरे नंबर पर पिछड़े वर्ग के मतदाता हैं। इस सीट पर हार-जीत का फैसला अनुसूचित जाति वर्ग के मतदाताओं के हाथ में रहता है। सिराथू में मौजूदा समय में 3,65,153 मतदाता हैं। इनमें पुरुष (1,95,660) और महिला (1,69,492) हैं। @bjp4up @bjp4india @keshavprasadmaurya1 https://www.instagram.com/p/CY9SAY9s7Hy/?utm_medium=tumblr
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PDA में 'ए' से अल्पसंख्यक मुसलमान या अगड़ा? अखिलेश के एक फैसले से साफ हो जाएगा
सैयद मशकूर, सहारनपुर: मौका भी है, दस्तूर भी है, इसलिए गुरुवार को सहारनपुर के देवबंद पहुंच रहे हैं समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव। मौका है पूर्व विधायक माविया अली के बेटे के विवाह समारोह का। इस शादी के कार्यक्रम में समाजवादी पार्टी सहित विभिन्न दलों के नेता बड़ी संख्या में शिरकत करेंगे। अनुमान लगाया जा रहा है कि देवबंदी उलेमा से को लेकर मुलाकात भी कर सकते हैं। अगर देवबंदी उलेमा से मुलाकात करते हैं या नहीं करते हैं, ये दोनों ही परिस्थितियां अखिलेश यादव के लिए दो धारी तलवार की तरह होने वाली है, क्योंकि अखिलेश यादव ने कुछ दिन पहले समझाया था तो उसमें 'ए' का मतलब अल्पसंख्यक था। वहीं, अभी हाल ही में अखिलेश यादव ने 'ए' का मतलब अगड़ा बताया था। ऐसे में अखिलेश यादव के लिए दोनों परिस्थियां परीक्षा की घड़ी वाली हैं। मुस्लिम राजनीति का केंद्र माना जाता है देवबंद इस्लामिक शिक्षण संस्थान दारूल उलूम के कारण पूरी दुनिया में मशहूर देवबंद को उत्तर प्रदेश की मुस्लिम राजनीति का केंद्र भी माना जाता है। यहां से अक्सर जारी होने वाले फतवे सुर्खियों में रहते हैं। यही नहीं देवबंदी उलेमा किस पार्टी और किस दल को समर्थन कर रहे हैं, इस बात का भी मुस्लिम मतदाताओं पर गहरा असर होता है। किसी ��माने में देवबंद से जारी होने वाली चुनावी अपील को जीत की गारंटी माना जाता था, लेकिन 2014 के बाद से यह फार्मूला काम नहीं कर रहा है। उत्तर प्रदेश की राजनीति में 2014 के बाद से लगातार भारतीय जनता पार्टी ड्राइविंग सीट पर है। 2014 के लोकसभा चुनाव में जहां भाजपा ने जबर्दस्त जीत हासिल की थी। वहीं, 2017 विधानसभा चुनाव में योगी सरकार बनी थी और 2019 में सपा–बसपा का गठबंधन होने के बावजूद भाजपा ने अच्छा प्रदर्शन किया था। 2022 विधानसभा चुनाव में मुस्लिम मतदाताओं में एक तरफ लहर होने के बावजूद समाजवादी पार्टी यूपी की सत्ता हासिल नहीं कर पाई थी। देवबंदी उलेमा से अखिलेश यादव कर सकते हैं मुलाकात समाजवादी पार्टी के लिए मुस्लिम मतदाता बड़ी अहमियत रखते हैं। साथ ही मुस्लिम मतदाताओं के लिए दारूल उलूम देवबंद से उठने वाली आवाज के मायने बेहद अहम है, इसीलिए अखिलेश यादव देवबंद विधानसभा क्षेत्र से विधायक रहे माविया अली के बेटे की शादी के कार्यक्रम में शामिल होने के लिए गुरुवार को सहारनपुर पहुंच रहे हैं। सियासी जानकारी का कहना है कि विवाह समारोह तो एक बहाना है। अनुमान लगाया जा रहा है कि अखिलेश यादव देवबंद दौरे के दौरान जमीयत उलमा ए हिंद के राष्ट्रीय अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी सहित तमाम उलेमा से मुलाकात कर सकते हैं। हालांकि, अभी ऐसा कोई कार्यक्रम जारी नहीं हुआ है। यही नहीं इस दौरे के दौरान अखिलेश यादव देवबंद से कोई ऐसा मैसेज भी देना चाहेंगे, जिसका फायदा 2024 के लोकसभा चुनाव में सपा को मिल सके। पीडीए पर ये कहा था अखिलेश यादव ने सोमवार को पीडीए यात्रा के दौरान अखिलेश यादव ने कहा था कि 'ए' फॉर अगड़ा भी है। पिछड़ा क्या ऐसा स्टेडियम बना सकता है। जिसने स्टेडियम बनाया वो अगड़ा और जो स्टेडियम में तस्वीरें खिंचा रहे हैं वो पिछड़ा हैं। पीडीए यात्रा में सब शामिल हैं। पीडीए में हम पिछड़े, दलित, अल्पसंख्यक मुसलमान भाई की बात कर रहे हैं। वहीं, अखिलेश यादव ने कहा था कि पीडीए आधी आबादी और अगड़े समाज की भी बात कर रहा है। http://dlvr.it/SyFQBW
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बसपा विधायक दल के नेता शाह आलम ने पद और पार्टी से दिया इस्तीफा
बसपा विधायक दल के नेता शाह आलम ने पद और पार्टी से दिया इस्तीफा
शाह आलम (Shah Alam) के बसपा छोड़ने से मायावती को लगा बड़ा झटका पार्टी प्रमुख मायावती के रवैये से नाराज चल रहे था शाह आलम लखनऊ। यूपी में बहुजन समाज पार्टी विधायक दल के नेता शाह आलम (Shah Alam) ने 25 नवंबर 2021 को पद और पार्टी दोनों से इस्तीफा दे दिया। शाह आलम के बसपा छोड़ने से मायावती को बड़ा झटका लगा है। शाह आलम आजमगढ़ जिले की मुबारकपुर विधानसभा सीट से विधायक हैं। एक दिन पहले ही आजमगढ़ के सगड़ी…
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