#उत्तर प्रदेश चुनाव 2022
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Why Milkipur Seat Elections Delayed: Gorakhnath Baba's Role Explained
Introduction
Milkipur Seat Bypolls Election 2024: भारत के निर्वाचन आयोग ने महाराष्ट्र और झारखंड में विधानसभा चुनावों का एलान कर दिया है. इसके साथ ही 48 विधानसभा सीटों, 2 लोकसभा सीटों पर होने वाले उपचुनाव की तारीखों का भी एलान कर दिया है. उत्तर प्रदेश की 9 सीटों पर उपचुनाव की तारीखों की घोषणा कर दी गई है. हालांकि, अयोध्या की मिल्कीपुर सीट पर सभी की नजरें बनी हुई थी. लेकिन इस सीट पर तारीखों का एलान नहीं हुआ. चुनाव आयोग ने इसका जवाब भी दिया है कि इस सीट पर उपचुनाव की तारीखों का एलान क्यों नहीं किया गया है .
Table of Content
क्यों नहीं हुआ चुनाव की तारीखों का एलान
क्या पूरा मामला
SP ने साधा निशाना
क्या है वोटरों की संख्या
अजित प्रसाद को दिया जा सकता है टिकट
किन-किन सीटों पर हो रहा उपचुनाव
क्या है जातीय समीकरण
मिल्कीपुर सीट का इतिहास
लोकसभा में पहुंचने वाले दूसरे नेता बने अवधेश प्रसाद
SP को लग सकता है बड़ा झटका
सीएम योगी ने संभाली कमान
BJP की ब��़ी टेंशन
क्यों नहीं हुआ चुनाव की तारीखों का एलान
चुनाव आयोग का कहना है कि इस सीट पर चुनाव की तारीखों का एलान इसलिए नहीं किया गया क्योंकि BJP के पूर्व विधायक बाबा गोरखनाथ ने समाजवादी पार्टी विधायक अवधेश प्रसाद के खिलाफ इलाहाबाद हाईकोर्ट में याचिका दायर की है और कोर्ट में पिटीशन अभी पेंडिंग है. ऐसे में मिल्कीपुर सीट पर चुनाव की तारीखों का एलान नहीं किया जा सकता है. वहीं, समाजवादी पार्टी ने इसको लेकर चुनाव आयोग पर निशाना साधा है. समाजवादी पार्टी ने आरोप लगाया कि चुनाव आयोग BJP के पक्ष में काम कर रही है. अगर ऐसा है तो फिर कानपुर की सीसामऊ सीट का मामला भी कोर्ट में चल रहा है, लेकिन वहां चुनाव की तारीखों का एलान हो गया है.
बता दें कि इस सीट से समाजवादी पार्टी के अवधेश प्रसाद विधायक थे. लेकिन 2024 में लोकसभा चुनाव उन्होंने लड़ा और जीत हासिल कर ली. 7 हजार वोटों से जीत हासिल कर वो संसद पहुंच गए. ऐसे में मिल्कीपुर सीट खाली हो गई.
क्या पूरा मामला ?
साल 2022 में BJP प्रत्याशी बाबा गोरखनाथ ने समाजवादी पार्टी के अवधेश प्रसाद के खिलाफ इलाहाबाद हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी. उन्होंने अवधेश प्रसाद के चुनावी हलफनामे पर सवाल उठाए था और उनके निर्वाचन को चुनौती दी थी. बाबा गोरखनाथ का कहना था कि अवधेश प्रसाद ने जो हलफनामा दाखिल किया. उसमें नोटरी ऐसे शख्स से कराई गई, जिसका लाइसेंस पहले ही खत्म हो चुका था. ऐसे में उनका हलफनामा वैध नहीं माना जाएगा. उनका हलफनामा अवैध था. BJP प्रत्याशी ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में याचिका दायर कर अवधेश प्रसाद के नामांकन को रद्द किए जाने की गुहार लगाई थी.
SP ने साधा निशाना
समाजवादी पार्टी के प्रवक्ता फकरूल हसन चांद ने दूसरी तरफ चुनाव आयोग पर निशाना साधा है. उन्होंने कहा कि चुनाव आयोग पक्षपात कर रहा है. मिल्कीपुर का मामला कोर्ट में चल रहा है, तो वहां चुनाव नहीं हो रहा. लेकिन वैसा ही एक मामला सीसामऊ विधानसभा सीट का है, तो फिर वहां चुनाव कैसे हो रहा है. उन्होंने कहा कि समाजवादी पार्टी के विधायक रहे इरफान सोलंकी ने भी कोर्ट में याचिका दायर की है. उन्होंने निचली अदालत के फैसले को ऊपरी अदालत में चुनौती दी है.
क्या है वोटरों की संख्या ?
अयोध्या की मिल्कीपुर सीट पर 34% OBC और 36% जनर�� वोटर हैं. मुस्लिम वोटरों की संख्या 9.48% है. SC के 20% वोटर हैं. सामान्य वर्ग को वोटरों की बात करें तो उनकी हिस्सेदारी 36.04% है. इस सीट पर कुल 3.69 लाख वोटर हैं. इस सीट पर BJP के लिए ब्राह्मण और ठाकुर मजबूत वोट बैंक माने जाते हैं तो समाजवादी पार्टी के लिए यादव-SC और मुस्लिम वोट बैंक है. पिछले 5 चुनावों की अगर बात करें तो इस सीट पर 3 बार समाजवादी पार्टी, एक बार BJP और एक बार BSP को जीत मिली है.
अजित प्रसाद को दिया जा सकता है टिकट
इस सीट पर जब भी चुनाव होगा समाजवादी पार्टी और BJP में सीधा मुकाबला होना तय है. अगर समाजवादी पार्टी की बात करें तो कहा जा रहा है कि अवधेश प्रसाद के बेटे अजित प्रसाद को टिकट दिया जाएगा. जबकि BJP ने अभी अपना प्रत्याशी फाइनल नहीं किया है.
किन-किन सीटों पर हो रहा उपचुनाव
यूपी की मैनपुरी की करहल, कानपुर की सीसामऊ, प्रयागराज की फूलपुर, अंबेडकरनगर की कटेहरी, मिर्जापुर की मझवां, गाजियाबाद सदर, अलीगढ़ की खैर, मुजफ्फरनगर की मीरापुर और मुरादाबाद की कुंदरकी सीट पर विधानसभा उपचुनाव होना है. 13 नवंबर को 9 सीटों पर उपचुनाव होंगे.
क्या है जातीय समीकरण ?
मिल्कीपुर विधानसभा सीट के जातीय समीकरण की अगर बात करें तो इस सीट पर सबसे ज्यादा यादव मतदाता हैं. यादव मतदाताओं की संख्या करीब 65 हजार है. वहीं, 60 हजार पासी, 50 हजार ब्राह्मण, 35 हजार मुस्लिम, 25 हजार ठाकुर, गैर-पासी दलित 50 हजार, मौर्य 8 हजार, चौरासिया 15 हजार, पाल 8 हजार, वैश्य 12 हजार हैं. इस सीट पर यादव, पासी और ब्राह्मण वोटर अहम भूमिका निभाते हैं. समाजवादी पार्टी इस सीट पर यादव-मुस्लिम-पासी समीकरण के सहारे चुनाव जीतने की कोशिश कर रही है तो BJP को सवर्ण और दलित वोटरों का सहारा है. बता दें कि मिल्कीपुर एक सुरक्षित सीट है.
यह भी पढ़ें : बारामती सीट पर होगा ‘चाचा बनाम भतीजे’ का मुकाबला, NCP ने किन उम्मीदवारों को दिया टिकट
मिल्कीपुर सीट का इतिहास
मिल्कीपुर विधानसभा सीट 1967 में वजूद में आई थी. इस सीट पर कांग्रेस, जनसंघ और CPI, BJP, BSP और समाजवादी पार्टी जीत हासिल कर चुकी है. हालांकि इस सीट पर सबसे ज्यादा समाजवादी पार्टी और लेफ्ट को जीत मिली है. साल 2008 में परिसीमन के बाद मिल्कीपुर सीट SC के लिए रिजर्व हो गई थी.
लोकसभा में पहुंचने वाले दूसरे नेता बने अवधेश प्रसाद
मिल्कीपुर से विधायक रहते हुए लोकसभा में पहुंचने वाले मित्रसेन यादव पहले नेता हैं तो वहीं अवधेश प्रसाद लोकसभा पहुंचने वाले दूसरे नेता हैं. बता दें कि मिल्कीपुर में साल 1998 में पहली बार विधानसभा उपचुनाव हुआ था तो मित्रसेन यादव उस समय समाजवादी पार्टी से विधायक थे. उन्होंने विधायक रहते हुए लोकसभा चुनाव लड़ा और जीत हासिल की थी. इस सीट पर दूसरी बार साल 2004 में उपचुनाव हुआ था. उस समय समाजवादी पार्टी के के तत्कालीन विधायक आनंदसेन यादव विधानसभा सदस��यता से इस्तीफा देकर BSP का दामन थाम लिया था. हालांकि वो यह चुनाव हार गए थे.
SP को लग सकता है बड़ा झटका
अयोध्या में नाबालिग बच्ची से दुष्कर्म के मामले ने खूब तुल पकड़ा था. सीएम योगी ने विधानसभा में जोर-शोर से इस मुद्दे को उठाया था. इस मामले में SP नेता मोईद खान का नाम सामने आया था. इसके बाद BJP ने समाजवादी पार्टी पर जमकर निशाना साधा रही है. दूसरी तरफ पीड़िता और उसके परिवार की मदद कर योगी सरकार जनता को खास संदेश देने की कोशिश में लगे हुए हैं. राजनीतिक विशेषज्ञों की मानें तो अयोध्या दुष्कर्म कांड उपचुनाव में SP को बड़ा झटका दे सकता है.
सीएम योगी ने संभाली कमान
मिल्कीपुर उपचुनाव की कमान सीएम योगी आदित्यनाथ ने संभाल रखी है. पिछले कुछ दिनों की बात करें तो सीएम योगी तीन बार अयोध्या का दौरा कर चुके हैं. सीएम मिल्कीपुर में दो सभाएं भी कर चुके हैं. अयोध्या में दुष्कर्म का मामला सामने आने के बाद सीएम योगी ने बीकापुर विधायक अमित सिंह चौहान के साथ पीड़ित परिवार को मिलने के लिए बुलाया था और कठोर कार्रवाई का आश्वासन भी दिया था. इस घटना का जिक्र अपनी सभी सभाओं में भी सीएम योगी कर चुके हैं और समाजवादी पार्टी पर निशाना साधा है.
BJP की बढ़ी टेंशन
2012 के विधानसभा चुनाव में अवधेश प्रसाद यादव को इस सीट से जीत मिली थी. हालांकि साल 2017 में वो चुनाव हार गए थे, लेकिन 2022 में उन्हें दोबारा जीत मिली और 2024 लोकसभा चुनाव में उन्हें फैजाबाद सीट से जीत मिली. उनके सांसद चुने जाने के बाद मिल्कीपुर सीट खाली हो गई. ऐसे में इस सीट पर उपचुनाव होने जा रहा है. इस सीट पर एक बार फिर समाजवादी पार्टी और BJP के बीच सियासी टक्कर देखने को मिलेगी. लोकसभा चुनाव में जिस तरह से समाजवादी पार्टी को जीत मिली है, उसने BJP की टेंशन जरूर बढ़ा दी है. बता दें कि मिल्कीपुर में समाजवादी पार्टी ने BJP को 8 हजार वोटों से हरा दिया था. ऐसे में BJP के लिए इस सीट पर जीत हासिल करने के लिए रास्ता आसान नहीं होगा. BJP इस सीट पर हर हाल में जीत हासिल करना चाहती है. ऐसे में BJP ऐसा उम्मीदवार उतारना चाहती है, जो सियासी समीकरण में फिट बैठे और हार का हिसाब बराबर कर सकें.
Conclusion
लोकसभा चुनाव में यूपी में BJP का प्रदर्शन बेहद ही खराब रहा था, लेकिन इससे भी बड़ी टीस फैजाबाद सीट पर हार थी. अयोध्या में राम मंदिर बनने के बाद BJP की रणनीति थी कि इसी के सहारे न केवल पूरे यूपी बल्की हिंदी भाषी क्षेत्रों में दबदबा बनाना का था, लेकिन BJP के हाथ केवल हार आई. ऐसे में BJP की जख्मों पर मिल्कीपुर विधानसभा सीट मरहम लगाने का काम कर सकती है. अवधेश प्रसाद के फैजाबाद से सांसद बन जाने के बाद इस सीट पर होने जा रहा उपचुनाव काफी रोचक हो गया है. सभी के मन में यह सवाल है कि क्या समाजवादी पार्टी का इस सीट पर दबदबा बना रहेगा या फिर BJP को राहत मिलने वाली है. इतिहास की नजर��ं से देखें तो मिल्कीपुर में अब तक के दो उपचुनावों में समाजवादी पार्टी को ही जीत मिली है. ��ेकिन इस बार BJP अपनी पूरी रणनीति के साथ तैयार है और समाजवादी पार्टी का दबदबा खत्म कर हर हाल में कमल खिलाना चाहती है.
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करहल में सपा की साइकिल चली फुल रफ्तार, मुस्लिम बहुल सीटों पर कैसे लग गया ‘ब्रेक’?
उत्तर प्रदेश की 9 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव लड़ने वाले उम्मीदवारों की किस्मत ईवीएम में कैद हो गई है. पिछले चुनाव से 13 फीसदी कम हुए मतदान ने सियासी गणित को उलझा दिया है. सियासी दल अपनी-अपनी जीत के दावे भले ही करें लेकिन पूरी तरह आश्वस्त कोई भी नहीं है. 2022 चुनाव में बीजेपी की लहर के बाद भी सपा चार सीटें जीतने में कामयाब रही थी और 2024 में उसे छह सीटों पर बढ़त मिली थी. पांच महीने के बाद हुए…
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Uttar Pradesh ki Nau Seaton Par hi Honge Upachunaav, Sabase Hot Seat Milkeepur ke Lie Karana Hoga Intajaar
लखनऊ। उत्तर प्रदेश की 10 विधानसभा सीटें फिलहाल खाली हैं, लेकिन चुनाव आयोग ने नौ सीटों पर ही उपचुनाव की तारीखों की घोषणा की है। अयोध्या की मिल्कीपुर सीट पर चुनाव नहीं होंगे जिस पर पूरे प्रदेश की निगाहें थीं।
जानकारी के अनुसार, हाईकोर्ट में दायर याचिका की वजह से मिल्कीपुर में उपचुनाव की तिथि की घोषणा नहीं हो सकी है। मिल्कीपुर के पूर्व विधायक गोरखनाथ बाबा ने 2022 आम चुनाव को लेकर हाई कोर्ट में याचिका दाखिल की है। साल 2022 में विधानसभा चुनाव हारने के बाद ��ोरखनाथ बाबा ने अवधेश प्रसाद के चुनाव जीतने को लेकर याचिका दायर की थी। जो अभी अदालत में लंबित है।
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10 हजार से अधिक लोगों की जिंदगी लील गई लू, देखें किस राज्य में सबसे अधिक असर
नई दिल्ली : पिछले कुछ समय में जलवायु परिवर्तन का असर साफ रूप से दिखने लगा है। इसका असर अधिक गर्मी के ��ाथ ही अधिक सर्दी के रूप में दिख रहा है। 2013 से 2022 के बीच देश में लू यानी हीटवेव के कारण 10 हजार से अधिक मौतें दर्ज की गई हैं। यह जानकारी बुधवार को लोकसभा में एक प्रश्न के उत्तर में सरकार की तरफ से उपलब्ध कराई गई। पृथ्वी विज्ञान राज्य मंत्री जितेंद्र सिंह ने राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) द्वारा उपलब्ध कराए गए डेटा को साझा किया, जो गृह मंत्रालय के अंतर्गत आता है। इसमें मौतों की संख्या की पुष्टि की गई। किस राज्य में कितनी मौत आंकड़ों के अनुसार 9 साल के दौरान कुल 10,617 मौतें हुईं। इनमें आंध्र प्रदेश, उत्तर प्रदेश, तेलंगाना, पंजाब और बिहार सबसे अधिक प्रभावित राज्य रहे। इन राज्यों में क्रमशः 2,203, 1,485, 1,172, 1,030 और 938 मौतें हीटवेव से हुईं। केंद्र शासित प्रदेशों के आंकड़ों से पता चला कि उपर दी गई अवधि में दिल्ली और जम्मू-कश्मीर में हीटवेव से संबंधित 18 मौतें हुईं। 2014 से 2024 के बीच, 219 दिनों की भीषण गर्मी के साथ, उत्तर प्रदेश में आंध्र प्रदेश की तुलना में दोगुने दिन हीटवेव देखे गए। हालांकि,न दक्षिणी राज्य में हीटवेव से सबसे अधिक मौत दर्ज की गईं। गर्मी ने तोड़ा 80 साल का रिकॉर्ड रिपोर्ट के अनुसार 50 डिग्री सेल्सियस के पार टेंपरेचर जाने के साथ, इस साल अभूतपूर्व गर्मी ने 80 साल के रिकॉर्ड को तोड़ दिया। उत्तर और मध्य भारत के कई क्षेत्रों में इस साल लंबे समय तक तीव्र लू देखी गई। इस वर्ष लोकसभा चुनाव भी भीषण गर्मी के बीच हुए। जिसमें बिहार, ओडिशा और उत्तर प्रदेश में कई लोगों की जान चली गई, जिनमें कुछ चुनाव अधिकारी भी शामिल थे। डीएमके नेता कनिमोझी करुणानिधि ने भी चुनाव के दौरान भीषण गर्मी के कारण ड्यूटी पर मारे गए सरकारी कर्मचारियों के परिवारों को दिए जाने वाले मुआवजे के बारे में मंत्रालय से सवाल किया। इस पर मंत्री ने जवाब दिया कि राज्य आपदा प्रतिक्रिया कोष (SDRF) और राज्य आपदा न्यूनीकरण कोष (SDMF) में राज्य के आपदा प्रबंधन से संबंधित मुद्दों के लिए संसाधन उपलब्ध हैं। आगे की वित्तीय सहायता के लिए, राज्य संबंधित दिशा-निर्देशों के अनुसार आपदा प्रबंधन के लिए केंद्र सरकार के फंड का लाभ उठा सकते हैं। http://dlvr.it/TBMPV1
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अखिल भारतीय ग्राम प्रधान संगठन ने कष्टदायी समस्या समाधान हेतु सौंपा ज्ञापन
सिद्धार्थनगर। अखिल भारतीय ग्राम प्रधान संगठन ब्लॉक इकाई खुनियाँव ने ग्राम प्रधानों की कष्टदायी समस्या के समाधान हेतु प्रधानमंत्री को सम्बोधित एक ज्ञापन खण्ड विकास अधिकारी खुनियाँव को सौंप कर कार्रवाई करने की मांग किया है। गुरूवार दोपहर ग्राम प्रधानों ने ब्लाक में ताला बन्दी करके अपनी नाराजगी व्यक्त करने के बाद खण्ड विकास अधिकारी खुनियांव विजय कुमार मिश्रा को सौंपे ज्ञापन में कहा कि सहायक सचिव कम डाटा एंट्री ऑपरेटर, शौचालय केयर टेकर एवं प्रधान के मानदेय की व्यवस्था राज्य सरकार द्वारा अलग से करने का वादा मुख्यमंत्री द्वारा किया गया था। रजिस्टर्ड डिप्लोमा होल्डर अथवा जनपद में नियुक्त किसी भी तकनीकी सहायक से स्टीमेट बनवाने की छूट का प्राविधान करने, जिले के प्रधानों, क्षेत्र पंचायत सदस्यों एवं जिला पंचायत सदस्यों की सहभागिता में पंचायतों से जुड़ी समस्याओं के समाधान के लिए जनपद स्तर पर माह में एक बार उक्त जनपद के जिला अधिकारी व वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक की अध्यक्षता में पंचायत दिवस मनाये जाने, जिला योजना समिति में प्रधानों को प्रतिनिधित्व देने का वादा मुख्यमंत्री द्वारा किया गया था। इसके अतिरिक्त मांगों पर भी सहानुभूति पूर्वक विचार करके प्रदेश में इसे लागू किया जाए। जनता द्वारा निर्वाचित प्रधानों को अकारण भ्रष्ट समझकर संदेह करने व परेशान एवं हतोत्साहित करने के लिए मनरेगा योजना में कार्यस्थल पर ही एनएमएमएस ऐप के माध्यम से दिन में दो बार उपस्थिति प्रमाणित करने के भारत सरकार के ग्रामीण विकास विभाग (मनरेगा डिवीजन) द्वारा जारी 23 दिसम्बर 2022 के आदेश को वापस लिया जाए। व्हाट्सएप ग्रुप बनाकर हारे हुए प्रत्याशी को उससे जोड़कर मनरेगा की सारी कार्यवाही को शेयर एवं वायरल करने के 23 मई 2022 के अपर आयुक्त मनरेगा “ग्राम्य विकास विभाग“ उत्तर प्रदेश के आदेश को भी वापस लिया जाय। रू. 213 प्रतिदिन की मजदूरी पर मजदूर काम करने को तैयार नहीं है। अतः इसे बढ़ाकर कम से कम रू. 400 प्रतिदिन किया जाय। तीन वर्ष से अधिक समय से ब्लॉकों में जमें कर्मचारियों का ��न्यत्र स्थानांतरण किया जाए। वर्ष 1993 में पारित 73वें संविधान संशोधन विधेयक के तहत 29 विषय व उनसे जुड़े अधिकार, कोष, कार्य और पंचायत कर्मियों को पंचायतों को सौंपकर सत्ता विकेंद्रीकरण की आदर्श व्यवस्था लागू की जाए। नई नगर पंचायतों के सृजन तथा विस्तारीकरण के नाम पर 5 वर्ष के लिए निर्वाचित प्रधानों को अपदस्थ किया जाना किसी भी दृष्टिकोण से उचित नहीं है। इस लिए नगर पंचायतों के नवसृजन और विस्तारीकरण से प्रभावित ग्राम पंचायत के प्रधानों का 5 वर्ष का कार्यकाल पूर्ण करने दिया जाय। तत्पश्चात उन नगर पंचायतों में चुनाव कराया जाए। ग्राम पंचायतों को प्रदत केंद्रीय वित्त आयोग की धनराशि से 30 प्रतिशत की कटौती करके उसे क्षेत्र पंचायतों एवं जिला पंचायतों को आवंटित किया जाना अन्याय पूर्ण निर्णय है। ग्राम पंचायतों के समुचित विकास हेतु तत्काल उक्त निर्णय को वापस लिया जाए। राज्य वित्त आयोग और प्रशासनिक सुधार आयोग की समस्त प्रमुख सिफारिशों को उत्तर प्रदेश में लागू किया जाए। प्रधानों, क्षेत्र पंचायत सदस्यों एवं जिला पंचायत सदस्यों की सुरक्षा हेतु शस्त्र लाइसेंस जारी करने में प्राथमिकता दी जाय। प्रधानों व सभी त्रिस्तरीय पंचायत प्रतिनिधियों के विरुद्ध अभियोग पंजीकरण से पूर्व उपनिदेशक पंचायतीराज से अनुमति का प्राविधान किया जाय तथा बिना शपथ-पत्र के प्रधानों की जांच न करायी जाए व झूठी शिकायत, प्रधानों व सभी त्रिस्तरीय पंचायत प्रतिनिधियों के विरुद्ध अभियोग पंजीकरण से पूर्व उपनिदेशक पंचायतीराज से अनुमति का प्राविधान किया जाय। बिना शपथ-पत्र के प्रधानों की जांच न करायी जाए। झूठी शिकायत मिलने पर शिकायतकर्ता के विरुद्ध भी कानूनी कार्रवाई अनिवार्य की जाए। भारत की जनता द्वारा प्रदत टैक्स से सरकारों का कार्य एवं विकास कार्य होता है तथा जन्नसंख्या का 70 प्रतिशत भाग गांव में निवास करता है। इसलिए गांव के विकास के लिए सरकार को प्राप्त राजस्व का 70 प्रतिशत ग्राम पंचायतों को उपलब्ध कराया जाए। पंचायत से जुड़े राजस्व कर्मी, पंचायत कर्मी, आंगनवाड़ी, राशन कोटेदार व प्राथमिक विद्यालय के अध्यापकों की उपस्थिति कार्य प्रमाणन, निलंबन की संस्तुति सहित सभी मामलों में पंचायतों को पूर्ण अधिकार दिया जाए। पंचायतों में प्रयुक्त होने वाली निर्माण सामग्री (ईट, मोरंग, सफेद बालू, गिट्टी, सरिया, सीमेंट आदि) का मूल्य बाजार दर से बहुत ही कम है। उसे बाजार दर के अनुरूप पुनरीक्षित किया जाय। उपरोक्त निर्माण सामग्री के मूल्य का निर्धारण लोक निर्माण विभाग द्वारा किया जाता है। जबकि उपरोक्त सामग्री का प्रयोग स्वयं लोक निर्माण विभाग द्वारा नहीं किया जाता। जिसके कारण लोक निर्माण विभाग द्वारा जानबूझकर बाजार दर से कम मूल्य निर्धारित किया जाता है। मूल्य निर्धारण का कार्य किसी अन्य एजेंसी से कराया जाए। ज्ञापन देते समय ब्लॉक अध्यक्ष राजू सिंह, म���ामंत्री विमल पत्नी चंद्रजीत यादव, महासचिव राम धीरज साहनी, ग्राम प्रधान पवन कुमार, शिव सहाय, अब्दुल सलाम, परमात्मा प्रसाद, संदीप चौधरी, राम तीरथ, मीरा देवी, जुबैदा खातून, अंजनी देवी आदि लोग उपस्थित रहे। Read the full article
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यूपी में मायावती शून्य, क्या दलित राजनीति का हो रहा है अंत? एग्जिट पोल के आंकड़ों ने दे दिया बड़ा संकेत
लखनऊ: उत्तर प्रदेश में लोकसभा चुनाव को लेकर एग्जिट पोल का परिणाम सामने आया है। इसमें तमाम राजनीतिक दलों के चुनाव परिणाम से संबंधित सर्वेक्षण रिपोर्ट आए हैं। चुनावी सर्वेक्षणों में एक आम बात दिख रही है, वह है बहुजन समाज पार्टी को खाता न खुलना। दरअसल, 10 साल बाद एक बार फिर बहुजन समाज पार्टी के सामने उत्तर प्रदेश में शून्य पर सिमटने जैसी नौबत बनती दिख रही है। लोकसभा चुनाव 2014 में बहुजन समाज पार्टी खाता नहीं खोल पाई थी। मोदी लहर में यूपी की 80 में से 73 सीटों पर एनडीए को जीत मिली थी। वहीं, सपा 5 और कांग्रेस 2 सीटों पर जीती थी। यूपी विधानसभा चुनाव 2022 में बसपा ने प्रदेश की 403 सीटों में से केवल 1 सीट पर जीत दर्ज की। हालांकि, उसका वोट शेयर 12.9 फीसदी था, जो यूपी में जाटव वोट बैंक के आसपास था। यूपी में दलितों की आबादी 21 फीसदी के करीब है। इसमें जाटव वोटरों का शेयर करीब 13 फीसदी है।यूपी चुनाव 2022 में बसपा का सबसे कम वोट शेयरों में से एक था। लोकसभा चुनाव में जब बसपा को यूपी में एक भी सीट नहीं मिली थी, तब उसका वोट शेयर 19.77 फीसदी था। 2017 के विधानसभा चुनावों में जब उसने 19 सीटें जीतीं, तो उसे 22.23 फीसदी वोट मिले। लोकसभा चुनाव 2019 में बसपा ने सपा के साथ मिलकर चुनाव लड़ा। लोकसभा चुनाव में अखिलेश यादव ने आगे बढ़कर के साथ चुनावी गठबंधन किया था। हालांकि, अब मायावती दलित पॉलिटिक्स पर अपनी पकड़ को उस स्तर पर बनाए रखने में कामयाब होती नहीं दिख रही हैं। लोकसभा चुनाव 2024 में बसपा का वोट शेयर 2022 के भी नी��े जाने का अनुमान व्यक्त किया जा रहा है। राजनीतिक जमीन गंवा रह���ं मायावती चुनाव सर्वेक्षण रिपोर्ट इस बात की तरफ इशारा कर रहे हैं कि मायावती अपनी दलित राजनीति की जमीन को गंवा रही हैं। यूपी की राजनीति में बहुजन समाज पार्टी एक बार फिर खाता नहीं खोल पाने की स्थिति में खड़ी दिख रही। वहीं, बसपा के कैडर वोटों का बंटवारा एनडीए और इंडिया के बीच होता दिख रहा है। बहुजन समाज पार्टी के वोट बैंक पर समाजवादी पार्टी और भाजपा कब्जा जमाती दिख रही है। खाद्यान्न योजना के तहत 5 किलोग्राम मुफ्त अनाज वितरण ने दलित वर्ग में बड़ा असर दिखाया है। पीएम नरेंद्र मोदी और सीएम योगी आदित्यनाथ की इस योजना को गरीब तबके में बड़ा प्रभाव डाला है। बदले समीकरणों ने डाला है असर कैडर वोट बैंक को बचाने के लिए बसपा की ओर से कोई ठोस प्रयास नहीं हो पाया। भाजपा की योजना ने असर डाला। यही वजह रही थी कि बसपा के युवा नेता आकाश आनंद ने भाजपा सरकार की खाद्यान्न योजना पर तगड़ा हमला बोला। यूपी चुनाव 2022 के दौरान खाद्यान्न योजना का यह असर दिखा था कि बसपा के कैडर भाजपा की तरफ शिफ्ट होते दिखे। लोकसभा चुनाव 2024 में समाजवादी पार्टी ने दलित वोटों के शिफ्ट होने को देखते हुए अपने माय(मुस्लिम+यादव) समीकरण को बदलकर पिछड़ा दलित अल्पसंख्यक यानी पीडीए समीकरण के रूप में परिभाषित करना शुरू किया। पार्टी की नजर दलित राजनीति को अपने पाले में लाने की रही। इसमें सबसे बड़ा झटका मायावती को लगता दिख रहा है। http://dlvr.it/T7j3jc
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चुनाव 2022 लाइव अपडेट: यूपी चुनाव उम्मीदवारों को अंतिम रूप देने के लिए बीजेपी सीईसी की बैठक जल्द
चुनाव 2022 लाइव अपडेट: यूपी चुनाव उम्मीदवारों को अंतिम रूप देने के लिए बीजेपी सीईसी की बैठक जल्द
रहना विधानसभा चुनाव 2022 लाइव अपडेट: सभी पांच राज्यों में सात चरणों में मतदान होगा। मतगणना 10 मार्च को होगी। पांच राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनाव की तैयारियां तेज हो गई हैं। (फाइल फोटो) अपडेट किया गया 24 जनवरी 2022 08:13 AM IST द्वाराhindustantimes.com, नई दिल्ली आने वाले हफ्तों में कुल पांच राज्यों – उत्तर प्रदेश, पंजाब, उत्तराखंड, मणिपुर और गोवा में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं। उत्तर…
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AAP उत्तर प्रदेश में "विजय" रैलियों का आयोजन करेगी जहां इसे शून्य सीटें मिलीं
AAP उत्तर प्रदेश में “विजय” रैलियों का आयोजन करेगी जहां इसे शून्य सीटें मिलीं
आप ने उत्तर प्रदेश की सभी 403 विधानसभा सीटों पर चुनाव लड़ा, लेकिन उसे कोई जीत नहीं मिली। लखनऊ: आम आदमी पार्टी पंजाब विधानसभा चुनाव में अपनी शानदार जीत का जश्न मनाने के लिए 12 मार्च को पूरे उत्तर प्रदेश में विजय जुलूस निकालेगी, पार्टी के राज्यसभा सांसद संजय सिंह ने शुक्रवार को यहां कहा। उन्होंने कहा कि पंजाब में आप की जीत दर्शाती है कि लोगों ने पार्टी क�� राष्ट्रीय विकल्प के रूप में स्वीकार किया…
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लोकसभा, विधानसभा उम्मीदवारों के लिए खर्च की सीमा संशोधित - The hindu news
लोकसभा, विधानसभा उम्मीदवारों के लिए खर्च की सीमा संशोधित – The hindu news
संसदीय सीटों के लिए, राज्य के आधार पर सीमा को बढ़ाकर ₹75 लाख और ₹95 लाख कर दिया गया है पांच राज्यों में विधानसभा चुनावों से पहले, लोकसभा क्षेत्रों के लिए उम्मीदवारों के लिए खर्च की सीमा राज्य के आधार पर ₹54 लाख से ₹75 लाख और ₹70 लाख से ₹95 लाख तक बढ़ा दी गई थी, जबकि विधानसभा क्षेत्रों के लिए खर्च की सीमा बढ़ा दी गई थी। चुनाव आयोग ने गुरुवार को कहा कि ₹20 लाख से ₹28 लाख और ₹28 लाख से ₹40 लाख…
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विधानसभा चुनाव 2022 लाइव अपडेट: यूपी चुनाव पर बीजेपी की बैठक; चन्नी ने कांग्रेस से सीएम उम्मीदवार के नाम पर किया दबाव
विधानसभा चुनाव 2022 लाइव अपडेट: यूपी चुनाव पर बीजेपी की बैठक; चन्नी ने कांग्रेस से सीएम उम्मीदवार के नाम पर किया दबाव
चरण 2 में मतदान करने वाली सीटों में से एक सहारनपुर में सोमवार को एक बड़ा राजनीतिक विकास हुआ, जब कांग्रेस के वरिष्ठ नेता इमरान मसूद सपा में शामिल हो गए। (फाइल) 2022 विधानसभा चुनाव लाइव अपडेट: विधानसभा चुनाव के दूसरे चरण में 14 फरवरी को मतदान के लिए जाने वाले उत्तर प्रदेश की 55 सीटें, क्षेत्र की महत्वपूर्ण मुस्लिम और दलित आबादी को देखते हुए, चरण 1 की तुलना में भाजपा के लिए अधिक चुनौतीपूर्ण प्रतीत…
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Samajwadi Party के पीडीए का मतलब दंगाइयों और अपराधियों का प्रोडक्शन हाउस, Yogi Adityanath ने अखिलेश यादव पर साधा निशाना
ल���नऊ। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने रविवार को समाजवादी पार्टी (सपा) के पीडीए (पिछड़े, दलित, अल्पसंख्यक) की नई परिदेते हुए इसे दंगाइयों और अपराधियों का प्रोडक्शन हाउस करार दिया। सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने साल 2022 के विधानसभा चुनाव के दौरान पीडीए का नारा दिया था। पार्टी ने पिछड़े, दलित और अल्पसंख्यक वर्ग को सम्बोधित इस नारे का इस्तेमाल इस साल सम्पन्न संसदीय चुनाव में भी किया था,…
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