#करहल विधानसभा क्षेत्र
Explore tagged Tumblr posts
lok-shakti · 2 years ago
Text
UP By Election Results Live: यूपी की एक लोकसभा और दो विधानसभा सीटों पर मतगणना आज 8 बजे से, तैयारी पूरी
UP By Election Results Live: यूपी की एक लोकसभा और दो विधानसभा सीटों पर मतगणना आज 8 बजे से, तैयारी पूरी
07:32 AM, 08-Dec-2022 सुबह 8 से शुरू होगी मतगणना मुख्य निर्वाचन अधिकारी अजय कुमार शुक्ला ने बताया कि सुबह 8 से मतगणना शुरू होगी। उन्होंने बताया कि मैनपुरी लोकसभा क्षेत्र के करहल, मैनपुरी, भोगांव और किशनी विधानसभा क्षेत्र के बूथों की मतगणना मैनपुरी में होगी। जसवंतनगर विधानसभा क्षेत्र की मतगणना इटावा में होगी। 06:55 AM, 08-Dec-2022 भाजपा ने किया बड़े अंतर से जीत का दावा भाजपा प्रदेश अध्यक्ष…
View On WordPress
0 notes
xmtnews · 3 years ago
Text
अखिलेश यादव ने करहल की सीट छोड़ी तो कौन होगा प्रत्याशी? सपा के सामने बड़ा सवाल
अखिलेश यादव ने करहल की सीट छोड़ी तो कौन होगा प्रत्याशी? सपा के सामने बड़ा सवाल
आगरा सत्ता पाने की जंग हारने के बावजूद सपा मुखिया अखिलेश यादव मैनपुरी जिले की करहल विधानसभा सीट पर बड़ी जीत हासिल करने के कामयाब रहे। पर ��तीजों के बाद उनके विधायक या सांसद बने रहने को लेकर कयासों का दौर चल रहा है। जिले में, खासकर करहल क्षेत्र के लोग चर्चाओं में लगे हैं कि अखिलेश यादव आजमगढ़ से सांसद रहेंगे या फिर करहल से विधायक। हालांकि विधायकी छोड़ने की चर्चाएं ज्यादा हैं। इसके साथ यह सवाल भी उठ…
Tumblr media
View On WordPress
0 notes
liajayeger1 · 3 years ago
Text
करहल मैनपुरी में अखिलेश यादव निर्वाचन क्षेत्र में बुलडोजर रन अप विधानसभा चुनाव 2022 के परिणाम के बाद - यूप: विल बबल बल्लडोजर, तैयारी ने की तैयारी की
करहल मैनपुरी में अखिलेश यादव निर्वाचन क्षेत्र में बुलडोजर रन अप विधानसभा चुनाव 2022 के परिणाम के बाद – यूप: विल बबल बल्लडोजर, तैयारी ने की तैयारी की
{“_id”:”622c902f01597a281a713216″,,”slug”:”बुलडोजर-विल-रन-इन-अखिलेश-यादव-निर्वाचन-इन-करहल-मैनपुरी-आफ्टर-अप-असेंबली-चुनाव-2022-रिजल्ट”, “टाइप” :”story”,”status”:”publish”,”title_hn”:”यूपी: यादव: यादव के करहल में बुलडोजर, प्रबंधन ने की वृद्धि की तैयारी”,”श्रेणी”:{“शीर्षक”:”शहर और राज्य “,”title_hn”:”शहर और राज्य”, “स्लग”: “शहर और राज्य”}} आम खबर, मेनपुरी द्वारा प्रकाशित: ज्ञानेंद्र सिंह अपडेट किया…
Tumblr media
View On WordPress
0 notes
viralnewsofindia · 3 years ago
Text
शिवपाल की हुई दुर्गती से फिर दिखा अखिलेश का संस्कार : मुख्यमंत्री योगी
शिवपाल की हुई दुर्गती से फिर दिखा अखिलेश का संस्कार : मुख्यमंत्री योगी
लखनऊ:  मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ शुक्रवार को समाजवादी पार्टी का गढ़ कहे जाने वाले मैनपुरी जिले में समाजवादी पार्टी के नेताओं पर जमकर बरसे। मुख्यमंत्री ने यह दावा भी किया कि मैनपुरी की चारों विधानसभा सीटों पर भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशी जीत रहे हैं। इस जिले के करहल विधानसभा क्षेत्र में मुख्यमंत्री ने शिवपाल यादव की दुर्गति का जिक्र कर सपा मुखिया अखिलेश यादव को संस्कारविहीन साबित कर दिया। करहल…
Tumblr media
View On WordPress
0 notes
shahar-e-aman · 3 years ago
Photo
Tumblr media
शिवपाल यादव कभी मुलायम सिंह के खास सिपहसालार हुआ करते थे,कल उन्हें बैठने को हत्था मिला,वे मुंह लटकाये खड़े रहे,कैसी दुर्गति कर दी है: योगी लखनऊ: 2022 विधानसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव द्वारा यह कहा जा रहा है नई सपा है नई हवा है और बीते दिनों उन्होंने अपने विधानसभा क्षेत्र जहां से वह स्वयं उम्मीदवार हैं करहल में जनसभा को संबोधित करते हुए कहा की भाजपाई केवल झूठ का प्रोपेगेंडा फैला रहे हैं जो विकास हुआ वह सपा सरकार में हुआ आज उसी विधानसभा क्षेत्र में सीएम योगी ने भी पार्टी उम्मीदवार के पक्ष में देश हित में पार्टी द्वारा सरकार द्वारा द्वारा कराए जा रहे विकास को गति देने के लिए भाजपा को वोट देने की अपील करते हुए अखिलेश पर तंज कसते हुए कहा कि कभी मुलायम के खास सिपहसालार हुआ करते थे शिवपाल आज उनकी दुर्गती हो गई कुर्सी के हत्थे पर जगह दी गई। यह नई सपा है। कैस�� मुंह लटकाते रहे। #Akhileshyadav #samajwadipartyofficial https://www.instagram.com/p/CaHNW7xvGk1/?utm_medium=tumblr
0 notes
countryinsidenews · 3 years ago
Text
लखनऊ / समाजवादी पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव" करहल "से विधानसभा चुनाव लड़ेंगे
लखनऊ / समाजवादी पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव” करहल “से विधानसभा चुनाव लड़ेंगे
सौरभ निगम की रिपोर्ट / समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव अपने गृह जनपद क्षेत्र मैनपुरी की करहल विधानसभा सीट से चुनाव लड़ेंगे. अखिलेश यादव पहली बार विधानसभा का चुनाव लड़ेंगे. समाजवादी पार्टी लगातार 1993 से मैनपुरी की करहल जीत रही है. करहल को समाजवादी पार्टी का गढ़ माना जाता है. अखिलेश यादव ने अपने लिए सुरक्ष���त सीट चुना. जहां से आसान तरीके से चुनाव जीत जाए. समाजवादी पार्टी को मेहनत…
Tumblr media
View On WordPress
0 notes
lazypenguinearthquake · 3 years ago
Text
विधानसभा चुनाव: घरेलू मैदानों पर भारी मुकाबलों के लिए वापसी करने वाले दिग्गज | इंडिया न्यूज - टाइम्स ऑफ इंडिया
विधानसभा चुनाव: घरेलू मैदानों पर भारी मुकाबलों के लिए वापसी करने वाले दिग्गज | इंडिया न्यूज – टाइम्स ऑफ इंडिया
लखनऊ: सपा प्रमुख के साथ अखिलेश यादव मैनपुरी में पार्टी के पॉकेट बोरो करहल से चुनाव लड़ने के लिए तैयार, आगामी यूपी विधानसभा चुनाव में न केवल एक सीट जीतने के लिए, बल्कि एक बड़े निर्वाचन क्षेत्र को प्रभावित करने के लिए इसे एक सुविधाजनक बिंदु के रूप में उपयोग करने के लिए अपने राजनीतिक पिछवाड़े में वापस जाने की प्रवृत्ति देखी जा रही है। क्षेत्र। यह भाजपा और सपा के मामले में स्पष्ट हो गया, जिन्होंने…
View On WordPress
0 notes
chaitanyabharatnews · 5 years ago
Text
किस्सा कुछ यूं हैः 'धरती पुत्र' मुलायम सिंह को पहलवानी के साथ पढ़ाई का भी था शौक
Tumblr media
चैतन्य भारत न्यूज लखनऊ. राजनीति में कई किरदार इतने अनूठे और दिलों पर राज करने वाले होते हैं कि उनके बारे में किस्सों की कोई कमी नहीं होती। उनका व्यक्तित्व भी कम प्रेरक नहीं होता। कहानियां इतनी होती हैं किताबें कम पड़ जाती हैं। ऐसा ही एक व्यक्तित्व है उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव का। धरती पुत्र के नाम से पहचाने जाने वाले मुलायम सिंह यादव पर करीब 28 किताबें लिखी गई हैं। पहलवानी के शौकीन मुलायम सिंह यादव को पढ़ाई से भी कम प्रेम नहीं था।
Tumblr media
कुश्ती के दांवपेच आजमा बने राजनीति के पहलवान मुलायम सिंह यादव का जन्म उत्तर प्रदेश के इटावा जिले के सैफई में 22 नवंबर, 1939 को हुआ था। इनके पिता का नाम सुघर सिंह और माता का नाम मूर्ति देवी है। पिता सुघर सिंह उन्हें बड़ा पहलवान बनाना चाहते थे। यही वजह थी कि उन्होंने पहलवानी भी सीखी। मुलायम का मनपसंद दांव था चरखा दांव। उन्होंने कई कुश्तियां लड़ी। अखाड़े में अच्छे-अच्छों को पटखनी दी लेकिन पढ़ाई में भी उनका बहुत मन लगता था। उन्हें पढ़ाना भी पसंद था इसलिए बीटीसी की शिक्षा हासिल की और इंटर कॉलेज में पढ़ाना भी शुरू कर दिया। पढ़ाना शुरू करने के बाद कुश्ती लड़ना छोड़ दी लेकिन उसका आयोजन हमेशा करवाते हैं। मुलायम ने हमेशा पढ़ाई को प्राथमिकता दी। उन्होंने राजनीतिक जीवन से समय निकाल कर आगरा यूनिवर्सिटी से राजनीतिक शास्त्र की डिग्री ली।
Tumblr media
समाज में ऊंच-नीच के विरोधी मुलायम सिंह की पहली शादी घरवालों ने 18 साल की उम्र में ही कर दी थी। मुलायम उस वक्त दसवीं में थे। लोग बताते हैं कि उस वक्त वाहनों का इतना चलन नहीं था इसलिए मुलायम की बरा�� भैंसागाड़ी से गई थी। हालांकि मुलायम सिंह शुरू से खुले विचारों के थे। वे जाति प्रथा, ऊंच-नीच के भी विरोधी थे। एक घटना है, तीसरी कक्षा में एक उच्च जाति का लड़का जाटव छात्र को पीट रहा था। मुलायम ने न सिर्फ मदद मांग रहे उस लड़के की मदद की, बल्कि पीटने वाले लड़के की पिटाई भी की थी। मुलायम सिंह यादव 15 वर्ष की उम्र में लोहिया के आंदोलन से जुड़े। वे गांव-गांव जाया करते थे। इसी दौरान वे पास के गांव में पहुंचे। जहां कथित नीची जाति के लोग रहते थे। अपने साथियों के साथ पहुंचे मुलायम सिंह ने उनका आतिथ्य भी स्वीकार किया जो कि उस दौर में घृणित माना जाता था। नीच�� जाति का आतिथ्य स्वीकार करने की वजह से मुलायम को सैफई गांव में पंचायत में हाजिर होना पड़ा था, लेकिन मुलायम ही वह शख्सियत हैं, जो किसी भी दबाव में झुके नहीं। उनसे जब कहा गया कि या तो अब नीची जाति के लोगों से मिलना छोड़ दो या जुर्माना दो, तो उन्होंने कहा जुर्माना दूंगा।
Tumblr media
जमीन से जुड़े नेता ने हासिल की ऊंचाइयां मुलायम सिंह उत्तरप्रदेश की राजनीति में एक ऐसा नाम है जिसने अपने दम पर जमीन से जुड़े रहने के साथ ही सियासी शिखर तक का सफल तय किया। उनके बारे में पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह कहते थे यह छोटे कद का बड़ा नेता है। मुलायम सिंह 1967 में पहली बार विधान सभा के सदस्य चुने गए थे। साल 1992 में उन्होंने समाजवाद का नारा बुलंद किया और समाजवादी पार्टी बनाई। इसके बाद पीछे मुड़कर नहीं देखा। देश में जब ठाकुर-पंडित की राजनीति होती थी ऐसे में मुलायम ने यादव सहित सभी पिछड़ी जातियों को एक करके उन्हें पहचान दिलाने का काम किया।
Tumblr media
गठबंधन की राजनीति के जनक मुलायम सिंह यादव को गठबंधन की राजनीति का जनक भी कहा जाता है। उन्होंने पहली बार बसपा-सपा के गठजोड़ से उत्तर प्रदेश में सरकार बनाई और खुद मुख्यमंत्री बने। संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी के टिकट पर पहली बार जसवंत नगर क्षेत्र से 28 वर्ष की उम्र में मुलायम 1967 में विधानसभा सदस्य चुने गए। इसके बाद तो वे 1974, 77, 1985, 89, 1991, 93, 96 और 2004 और 2007 में विधान सभा सदस्य चुने गए। इस बीच वे 1982 से 1985 तक यूपी विधान परिषद के सदस्य और नेता विरोधी दल रहे। पहली बार 1977-78 में राम नरेश यादव और बनारसी दास के मुख्यमंत्रित्व काल में सहकारिता एवं पशुपालन मंत्री बनाए गए। इसके बाद से ही वे करीबी लोगों के बीच मंत्रीजी के नाम से जाने लगे। वे तीन बार उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री और केंद्र में रक्षा मंत्री रह चुके हैं।
Tumblr media
दो बार हो चुका है हमला मुलायम की बढ़ती लोकप्रियता से परेशान होकर विरोधियों ने उन पर हमला भी करवाया था। 1984 में मैनपुरी के करहल ब्लॉक के कुर्रा थाने के तहत महीखेडा गांव के बाहर उन पर लौटते वक्त हमला हो गया था। दरअसल मुलायम गांव में एक शादी में शामिल होने गए थे। तब हमलावरों ने उन पर झाड़ियों में छिपकर गोलियों से हमला कर दिया था। मुलायम ने चालाकी बरतते हुए सुरक्षाकर्मियों से कहा कि जोर-जोर से चिल्लाओ नेताजी मार दिए गए। सुरक्षाकर्मियों ने वैसा ही किया और हमलावर उनकी बात सुनकर आश्वस्त होकर भाग गए। इसके कुछ साल बाद मुलायम पर एक बार फिर हमला हुआ था। चुनाव अभियान के तहत क्रांति रथ से चल रहे मुलायम पर ��ैवरा के पास एक मिल से काफी गोलियां चली। सड़क पर बम भी रखे गए थे। इस हमले में मुलायम क्रांति रथ के ड्राइवर हेतराम की चालाकी से बाल-बाल बचे थे जबकि शिवपाल यादव इस हमले में जख्मी हो गए थे।
Tumblr media
अयोध्या राम मंदिर विवाद में नाम मिला मुल्ला मुलायम 30 अक्टबूर, 1990 को मुलायम सिंह यादव के मुख्यमंत्री रहते राम मंदिर के कारसेवकों पर चली गोलियों में पांच लोगों की मौत हुई थी। इस घटना के बाद अयोध्या से लेकर देश का माहौल काफी गरमा गया था। 6 दिसंबर, 1992 में विवादित बाबरी ढांचे को गिरा दिया गया। 1990 के गोलीकांड के बाद हुए उप्र विधानसभा चुनाव में मुलायम सिंह बुरी तरह हार गए और भाजपा के कल्याण सिंह उप्र के नए मुख्यमंत्री बने। तब मुलायम को 'मुल्ला मुलायम' तक कहा जाने लगा क्योंकि उन्होंने कारसेवकों पर गोली चलाने के आदेश दिए थे। मुलायम सिंह ने इसी दौरान समाजवादी पार्टी का गठन भी किया और उन्हें मुस्मिलों का नेता कहा जाने लगा। साल 1990 की घटना के 23 साल बाद जुलाई 2013 में मुलायम ने कहा था कि उन्हें गोली चलवाने का अफसोस है लेकिन उनके पास अन्य कोई विकल्प नहीं था।
Tumblr media
देश का सबसे बड़ा राजनीतिक कुनबा मुलायम सिंह का परिवार देश का सबसे बड़ा राजनीतिक कुनबा है। इस सबसे बड़े राजनीतिक कुनबे से कुल 13 लोग क्रमश: मुलायम सिंह यादव, अखिलेश यादव, डिंपल यादव, शिवपाल यादव, राम गोपाल यादव, अंशुल यादव, प्रेमलता यादव, अरविंद यादव, तेज प्रताप सिंह यादव, सरला यादव, अंकुर यादव, धर्मेंद्र यादव और अक्षय यादव राजनीतिक धरातल पर जोर-आजमाइश कर रहे हैं। मुलायम का बड़ा राजनीतिक कुनबा ह��ने के बावजूद उनके एक भाई अभय राम आज भी सादगी भरा जीवन सैफई में रहकर जीते हैं। आज भी वह खेतों में काम करते दिखेंगे। इसी तरह उनके भाई रतन सिंह भी किसानी में रमे थे, लेकिन उनकी हाल ही में मृत्यु हो गई। Read the full article
0 notes
Photo
Tumblr media
उच्च शिक्षित दबंग महिला हैं संघमित्रा मौर्य, मुलायम सिंह से भिड़ चुकी हैं बदायूं लोकसभा क्षेत्र से भारतीय जनता पार्टी ने संघमित्रा मौर्य को प्रत्याशी घोषित कर दिया है। संघमित्रा के बारे में हर कोई जानना चाहता हैं, वे कैबिनेट मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य की बेटी हैं, वे इस बार धर्मेन्द्र यादव को चुनौती देंगी, इससे वर्ष- 2014 के चुनाव में मुलायम सिंह यादव को चुनौती दे चुकी हैं। पढ़ें: समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी धर्मेन्द्र यादव के दबाव में है पुलिस-प्रशासन पिछ्ला चुनाव संघमित्रा मौर्य ने मैनपुरी लोकसभा क्षेत्र से बसपा प्रत्याशी के रूप में लड़ा था। मैनपुरी में वे आक्रामक अंदाज में सक्रिय हुई थीं। उन्होंने मुलायम सिंह यादव पर सीधा हमला बोला था। 28 अक्टूबर 2012 को छोटे क्रिश्चियन मैदान में संघमित्रा मौर्य को बसपा प्रत्याशी बनाने की घोषणा हुई थी, इस दौरान उन्होंने विवावित टिप्पणी करते हुए कहा था कि मुलायम सिंह भैंस चराओ, आने वाले लोकसभा चुनाव के बाद मुलायम सिंह यादव को भैंस चराने लायक बना दूंगी, इस रैली में पिता स्वामी प्रसाद मौर्य ने भी जोरदार हमला बोला था। स्वामी प्रसाद मौर्य ने मुलायम सिंह यादव को गुंडों का सरगना कहा था, साथ ही अन्य आपत्तिजनक और जातिगत शब्दों का प्रयोग किया था। प्रकरण में मुकदमा भी दर्ज हुआ था, जिस पर बाद में उच्च न्यायालय से स्टे मिल गया था। संघमित्रा मौर्य के आक्रामक अंदाज के कारण ही मुलायम सिंह यादव को मैनपुरी के साथ आजमगढ़ से भी लड़ना पड़ा था। हालाँकि मुलायम सिंह यादव दोनों स्थानों से जीत गये थे। मैनपुरी से मुलायम को 595918 और भाजपा के शत्रुध्न सिंह चौहान को 231252 वोट मिले थे। संघमित्रा 142833 वोट पाकर चौथे स्थान पर रही थीं, इससे पहले संघमित्रा 2012 में कासगंज क्षेत्र से बसपा के टिकट पर विधानसभा चुनाव भी लड़ चुकी हैं लेकिन, सफलता नहीं मिली थी, इसी चुनाव में ऊंचाहार क्षेत्र से भाई उत्कृष्ट भी चुनाव हार गये थे। राजनैतिक ��मीन तैयार करने में संघमित्रा को सफलता नहीं मिल पा रही है, इसी क्रम में वे अब बदायूं आई हैं। खैर, संघमित्रा मौर्य एमबीबीएस हैं, उनके पास करोड़ों की चल-अचल संपत्ति है, वे वाहनों की शौकीन हैं, स्कूटी से लेकर फॉर्च्यूनर तक की मालकिन हैं, उनके पास रिवाल्वर और रायफल भी है। मोदी पर लिखी एक किताब "मोदित्व के मायने" की सह-लेखक भी हैं। बौद्ध धर्म की अनुयायी हैं, ऐसे में भाजपा में सामजंस्य बैठा पाना आसान नहीं हो रहा होगा, क्योंकि पिता-पुत्री हिंदू परंपराओं के आलोचक रहे हैं। स्वामी प्रसाद मौर्य तो हिंदू धर्म की कड़ी आलोचना भी कर चुके हैं। बेटी ने मोदी पर किताब लिखी है लेकिन, 9 मार्च 2014 को मैनपुरी के करहल में स्वामी प्रसाद मौर्य ने नरेन्द्र मोदी और मुलायम सिंह को हत्यारा तक बता दिया था। उन्होंने कहा था कि दोनों के ही हाथ खून से सने हुए हैं पर, राजनीति में विचार और भाषा बदलती रहती है, अब दोनों समर्पित भाजपाई हैं और भाजपाई उन्हें कितना भाजपाई मानते हैं, इसका खुलासा भविष्य में ही हो सकेगा। (गौतम संदेश की खबरों से अपडेट रहने के लिए एंड्राइड एप अपने मोबाईल में इन्स्टॉल कर सकते हैं एवं गौतम संदेश को फेसबुक और ट्वीटर पर भी फ़ॉलो कर सकते हैं, साथ ही वीडियो देखने के लिए गौतम संदेश चैनल को सबस्क्राइब कर सकते हैं)
0 notes
akashyouthindia-blog · 8 years ago
Photo
Tumblr media
जिले के 87 गांव अभी भी अंधेरे में यूथ इण्डिया न्यूज, संवाददाता। सपा शासन में घोषित किए गए वीआईपी जिले के 87 गांव अभी भी अंधेरे में हैं। सपा के गढ़ करहल विधानसभा क्षेत्र के सर्वाधिक 29 गांव उपेक्षित गांवों की सूची में शामिल हैं। सपा शासन में जिले को वीआईपी दर्जा दिया गया था। सपा के संरक्षक सांसद मुलायम सिंह यादव के दूसरे घर कहे जाने वाले जिले में वर्ष 2012 के चुनाव में चारों सीटों पर सपा के राजू यादव मैनपुरी, सोबरन सिंह यादव करहल, ब्रजेश कठेरिया किशनी, आलोक शाक्य भोगांव से जीते थे। प्रदेश में सपा की सरकार होने के कारण जिले को 24 घंटे की बिजली आपूर्ति के निर्देश दिए गए। तमाम योजनाओं में वरीयता देकर लोगों को सुविधाएं दी गई। सुविधाओं के बाद भी जिले के कई गांव अभी भी अंधेरे में ही हैं। इन गांवों में बिजली के लिए खंभे नहीं लगाए गए हैं और जहां खंभे हैं वहां तार नहीं खींचे गए हैं। बिजली नहीं होने से इन गांवों के लोग अंधेरे में ही रहने को मजबूर हैं। ग्रामीण अंचल के लोग सपा शासन में बिजली की रोशनी की उम्मीद लगाए रहे मगर सपा शासन में भी उनको बिजली नहीं मिली। सरकार चली गई मगर उनकी उम्मीद अधूरी ही रही।
0 notes
chaitanyabharatnews · 5 years ago
Text
किस्सा कुछ यूं हैः 'धरती पुत्र' मुलायम सिंह को पहलवानी के साथ पढ़ाई का भी था शौक
Tumblr media
चैतन्य भारत न्यूज लखनऊ. राजनीति में कई किरदार इतने अनूठे और दिलों पर राज करने वाले होते हैं कि उनके बारे में किस्सों की कोई कमी नहीं होती। उनका व्यक्तित्व भी कम प्रेरक नहीं होता। कहानियां इतनी होती हैं किताबें कम पड़ जाती हैं। ऐसा ही एक व्यक्तित्व है उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव का। धरती पुत्र के नाम से पहचाने जाने वाले मुलायम सिंह यादव पर करीब 28 किताबें लिखी गई हैं। पहलवानी के शौकीन मुलायम सिंह यादव को पढ़ाई से भी कम प्रेम नहीं था।
Tumblr media
कुश्ती के दांवपेच आजमा बने राजनीति के पहलवान मुलायम सिंह यादव का जन्म उत्तर प्रदेश के इटावा जिले के सैफई में 22 नवंबर, 1939 को हुआ था। इनके पिता का नाम सुघर सिंह और माता का नाम मूर्ति देवी है। पिता सुघर सिंह उन्हें बड़ा पहलवान बनाना चाहते थे। यही वजह थी कि उन्होंने पहलवानी भी सीखी। मुलायम का मनपसंद दांव था चरखा दांव। उन्होंने कई कुश्तियां लड़ी। अखाड़े में अच्छे-अच्छों को पटखनी दी लेकिन पढ़ाई में भी उनका बहुत मन लगता था। उन्हें पढ़ाना भी पसंद था इसलिए बीटीसी की शिक्षा हासिल की और इंटर कॉलेज में पढ़ाना भी शुरू कर दिया। पढ़ाना शुरू करने के बाद कुश्ती लड़ना छोड़ दी लेकिन उसका आयोजन हमेशा करवाते हैं। मुलायम ने हमेशा पढ़ाई को प्राथमिकता दी। उन्होंने राजनीतिक जीवन से समय निकाल कर आगरा यूनिवर्सिटी से राजनीतिक शास्त्र की डिग्री ली।
Tumblr media
समाज में ऊंच-नीच के विरोधी मुलायम सिंह की पहली शादी घरवालों ने 18 साल की उम्र में ही कर दी थी। मुलायम उस वक्त दसवीं में थे। लोग बताते हैं कि उस वक्त वाहनों का इतना चलन नहीं था इसलिए मुलायम की बरात भैंसागाड़ी से गई थी। हालांकि मुलायम सिंह शुरू से खुले विचारों के थे। वे जाति प्रथा, ऊंच-नीच के भी विरोधी थे। एक घटना है, तीसरी कक्षा में एक उच्च जाति का लड़का जाटव छात्र को पीट रहा था। मुलायम ने न सिर्फ मदद मांग रहे उस लड़के की मदद की, बल्कि पीटने वाले लड़के की पिटाई भी की थी। मुलायम सिंह यादव 15 वर्ष की उम्र में लोहिया के आंदोलन से जुड़े। वे गांव-गांव जाया करते थे। इसी दौरान वे पास के गांव में पहुंचे। जहां कथित नीची जाति के लोग रहते थे। अपने साथियों के साथ पहुंचे मुलायम सिंह ने उनका आतिथ्य भी स्वीकार किया जो कि उस दौर में घृणित माना जाता था। नीची जाति का आतिथ्य स्वीकार करने की वजह से मुलायम को सैफई गांव में पंचायत में हाजिर होना पड़ा था, लेकिन मुलायम ही वह शख्सियत हैं, जो किसी भी दबाव में झुके नहीं। उनसे जब कहा गया कि या तो अब नीची जाति के लोगों से मिलना छोड़ दो या जुर्माना दो, तो उन्होंने कहा जुर्माना दूंगा।
Tumblr media
जमीन से जुड़े नेता ने हासिल की ऊंचाइयां मुलायम सिंह उत्तरप्रदेश की राजनीति में एक ऐसा नाम है जिसने अपने दम पर जमीन से जुड़े रहने के साथ ही सियासी शिखर तक का सफल तय किया। उनके बारे में पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह कहते थे यह छोटे कद का बड़ा नेता है। मुलायम सिंह 1967 में पहली बार विधान सभा के सदस्य चुने गए थे। साल 1992 में उन्होंने समाजवाद का नारा बुलंद किया और समाजवादी पार्टी बनाई। इसके बाद पीछे मुड़कर नहीं देखा। देश में जब ठाकुर-पंडित की राजनीति होती थी ऐसे में मुलायम ने यादव सहित सभी पिछड़ी जातियों को एक करके उन्हें पहचान दिलाने का काम किया।
Tumblr media
गठबंधन की राजनीति के जनक मुलायम सिंह यादव को गठबंधन की राजनीति का जनक भी कहा जाता है। उन्होंने पहली बार बसपा-सपा के गठजोड़ से उत्तर प्रदेश में सरकार बनाई और खुद मुख्यमंत्री बने। संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी के टिकट पर पहली बार जसवंत नगर क्षेत्र से 28 वर्ष की उम्र में मुलायम 1967 में विधानसभा सदस्य चुने गए। इसके बाद तो वे 1974, 77, 1985, 89, 1991, 93, 96 और 2004 और 2007 में विधान सभा सदस्य चुने गए। इस बीच वे 1982 से 1985 तक यूपी विधान परिषद के सदस्य और नेता विरोधी दल रहे। पहली बार 1977-78 में राम नरेश यादव और बनारसी दास के मुख्यमंत्रित्व काल में सहकारिता एवं पशुपालन मंत्री बनाए गए। इसके बाद से ही वे करीबी लोगों के बीच मंत्रीजी के नाम से जाने लगे। वे तीन बार उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री और केंद्र में रक्षा मंत्री रह चुके हैं।
Tumblr media
दो बार हो चुका है हमला मुलायम की बढ़ती लोकप्रियता से परेशान होकर विरोधियों ने उन पर हमला भी करवाया था। 1984 में मैनपुरी के करहल ब्लॉक के कुर्रा थाने के तहत महीखेडा गांव के बाहर उन पर लौटते वक्त हमला हो गया था। दरअसल मुलायम गांव में एक शादी में शामिल होने गए थे। तब हमलावरों ने उन पर झाड़ियों में छिपकर गोलियों से हमला कर दिया था। मुलायम ने चालाकी बरतते हुए सुरक्षाकर्मियों से कहा कि जोर-जोर से चिल्लाओ नेताजी मार दिए गए। सुरक्षाकर्मियों ने वैसा ही किया और हमलावर उनकी बात सुनकर आश्वस्त होकर भाग गए। इसके कुछ साल बाद मुलायम पर एक बार फिर हमला हुआ था। चुनाव अभियान के तहत क्रांति रथ से चल रहे मुलायम पर हैवरा के पास एक मिल से काफी गोलियां चली। सड़क पर बम भी रखे गए थे। इस हमले में मुलायम क्रांति रथ के ड्राइवर हेतराम की चालाकी से बाल-बाल बचे थे जबकि शिवपाल यादव इस हमले में जख्मी हो गए थे।
Tumblr media
अयोध्या राम मंदिर विवाद में नाम मिला मुल्ला मुलायम 30 अक्टबूर, 1990 को मुलायम सिंह यादव के मुख्यमंत्री रहते राम मंदिर के कारसेवकों पर चली गोलियों में पांच लोगों की मौत हुई थी। इस घटना के बाद अयोध्या से लेकर देश का माहौल काफी गरमा गया था। 6 दिसंबर, 1992 में विवादित बाबरी ढांचे को गिरा दिया गया। 1990 के गोलीकांड के बाद हुए उप्र विधानसभा चुनाव में मुलायम सिंह बुरी तरह हार गए और भाजपा के कल्याण सिंह उप्र के नए मुख्यमंत्री बने। तब मुलायम को 'मुल्ला मुलायम' तक कहा जाने लगा क्योंकि उन्होंने कारसेवकों पर गोली चलाने के आदेश दिए थे। मुलायम सिंह ने इसी दौरान समाजवादी पार्टी का गठन भी किया और उन्हें मुस्मिलों का नेता कहा जाने लगा। साल 1990 की घटना के 23 साल बाद जुलाई 2013 में मुलायम ने कहा था कि उन्हें गोली चलवाने का अफसोस है लेकिन उनके पास अन्य कोई विकल्प नहीं था।
Tumblr media
देश का सबसे बड़ा राजनीतिक कुनबा मुलायम सिंह का परिवार देश का सबसे बड़ा राजनीतिक कुनबा है। इस सबसे बड़े राजनीतिक कुनबे से कुल 13 लोग क्रमश: मुलायम सिंह यादव, अखिलेश यादव, डिंपल यादव, शिवपाल यादव, राम गोपाल यादव, अंशुल यादव, प्रेमलता यादव, अरविंद यादव, तेज प्रताप सिंह यादव, सरला यादव, अंकुर यादव, धर्मेंद्र यादव और अक्षय यादव राजनीतिक धरातल पर जोर-आजमाइश कर रहे हैं। मुलायम का बड़ा राजनीतिक कुनबा होने के बावजूद उनके एक भाई अभय राम आज भी सादगी भरा जीवन सैफई में रहकर जीते हैं। आज भी वह खेतों में काम करते दिखेंगे। इसी तरह उनके भाई रतन सिंह भी किसानी में रमे थे, लेकिन उनकी हाल ही में मृत्यु हो गई। Read the full article
0 notes
akashyouthindia-blog · 8 years ago
Photo
Tumblr media
सपा में झगड़े से परेशान मुलायम के ‘सैफई-वाले’, कहा- चुनाव पर पड़ेगा असर यूथ इण्डिया संवाददाता। मुलायम सिंह यादव की साइकिल के पीछे बैठकर जैन कॉलेज, करहल में पढ़ाई के लिए जाने वाले रामसेवक यादव आहत हैं। कहते हैं कि नेताजी (मुलायम सिंह यादव) ने पार्टी खड़ी की है। उन्हें दुखी देख पूरा सैफई दुखी है। उन्हें राष्ट्रीय अध्यक्ष पद से हटाने का फैसला गलत है। रामसेवक समेत सैफई ही नही, इटावा और मैनपुरी के बहुत सारे लोग चाहते हैं कि मुलायम का परिवार एक रहे, प्रदेश में सपा सरकार बने। वे मानते हैं, थोड़ा ही सही, परिवार के विवाद का असर चुनावों पर पड़ेगा। इटावा और मैनपुरी में घूमने पर उनकी बातों की तस्दीक भी होती है। दोनों जिलों के चुनाव पर भी इसका असर दिखता है। इन दोनों जिलों में 2012 के विधानसभा चुनाव में सपा ने सभी सीटें जीती थीं। अब स्थिति बदली हुई है। इटावा और किशनी (मैनपुरी) सीटों पर सपा कड़े संघर्ष में फंसी हुई है। असर औरैया, फर्रुखाबाद, एटा, कासगंज और फिरोजाबाद की कई सीटों पर पड़ सकता है। सैफई के लगभग हर परिवार का नेताजी से सीधा जुड़ाव है। अजय कुमार यादव बताते हैं कि उनके पिता ताले सिंह और शिवपाल सिंह यादव क्लास फैलो रहे हैं। ताले सिंह का तीन माह पहले निधन हो चुका है। अजय बताते हैं कि उनके पिता जब छठी क्लास में थे तब नेताजी (मुलायम सिंह) उनके क्लास टीचर थे। वह कहते हैं कि परिवार एकजुट रहेगा तो अच्छा रहेगा, मजबूत भी रहेगा। यहां के लोगों के सामने भी दिक्कत है कि वे किस पाले में खड़े हों। मुलायम का पूरे गांव में सम्मान है। लोग मानते हैं कि उन्हें राष्ट्रीय अध्यक्ष पद से नहीं हटाया जाना चाहिए था। अजय के साथ बैठे पड़ोस के झेंगूपुर गांव के शादी लाल यादव और सैफई के सियाराम यादव कहते हैं कि परिवार जब बड़ा होता है तो थोड़ा बहुत विवाद हो ही जाता है। मुलायम सिंह ही परिवार गांव, क्षेत्र और जिले को यहां तक लाएं हैं। सभी लोग चाहते हैं कि परिवार एक रहे, सपा की सरकार बने और मुलायम सिंह फिर सम्मान के साथ अध्यक्ष बनाए जाएं। किशनी (मैनपुरी) निवासी इलाहाबाद हाईकोर्ट के अधिव��्ता नरेन्द्र सिंह यादव कहते हैं कि मैनपुरी के लोग नेताजी से जुड़े हुए हैं। वे नहीं मानते कि झगड़ा बनावटी है। परिवार में जो कुछ हुआ, नेताजी हटाए गए, वह जिस तरह चुनावी परिदृश्य से गायब हैं, उससे पुराने लोग आहत हैं। उन्हें लगता है कि नेताजी और शिवपाल यादव के साथ अच्छा बर्ताव नहीं हुआ। आखिर पार्टी नेताजी ने खड़ी की और शिवपाल ने उनकी मदद की। जसवंतनगर के रवि बाबू कहते हैं कि यहां लोग शिवपाल के साथ हैं लेकिन  इटावा में आवास विकास परिषद में रहने वाले सेवानिवृत्त डिप्टी एसपी रामनाथ सिंह यादव मानते हैं कि मुलायम परिवार के विवाद का चुनाव पर असर नहीं है। सभी जानते हैं कि परिवार के झगड़े का फैसला हो जाएगा। कार्यकर्ता परिवार के विवाद में कुछ बोलना नहीं चाहते हैं। युवाओं का समर्थन अखिलेश के साथ हैं। पुराने लोग जरूर कुछ चितिंत हैं लेकिन सभी सपा को जिता रहे हैं। सैफई के लंबे समय से प्रधान चले आ रहे दर्शन सिंह यादव तो मुलायम परिवार के झगड़े से इतने आहत हैं कि उन्होंने चुप्पी साध ली। चुनावी गहमागहमी के दूर वह सैफई के बाहर एक दुकान पर पर बैठे मिले। चुनाव की चर्चा आते ही माथे पर दोनों हाथ रखकर सिर नीचे कर लेते हैं। ज्यादा कुरदने पर कहते हैं, तबियत ठीक नहीं है। डॉक्टर ने बोलने से मना किया है। बुजुर्ग दुकानदार कहते हैं, आप अभयराम (मुलायम सिंह के छोटे भाई) से मिल लो। हालांकि अभयराम के बारे मे बताया गया कि वह लखनऊ गए हैं। बसरेहर ब्लॉक के प्रमुख और सेवानिवृत्त प्रधानाचार्य अजंट सिंह यादव पूरे क्षेत्र में फूफाजी के नाम से मशहूर हैं। वह मुलायम सिंह यादव के बहनोई और अखिलेश यादव के फूफा हैं। परिवार के विवाद पर बहुत ज्यादा बोलने से बचते हैं। उन्होंने कहा कि परिवार के विघटन से नुकसान है, एकता में सभी की भलाई है। चुनाव में भी इससे 19-20 हो सकता है। वह कहते हैं, मेरी पत्नी कमला मुलायम सिंह समेत पांच भाइयों की अकेली बहन है। हमने अखिलेश का ढाई महीने से लेकर 12-13 साल की उम्र तक पालन पोषण किया है, धर्मेन्द्र यादव को भी ढाई साल की उम्र से पाला है। परिवार में पांचों भाइयों में शिवपाल सबसे छोटे है, इसलिए उनसे भी खास लगाव रहा है। वह कहते हैं, मैंने बहुत कोशिश की कि परिवार एक रहे लेकिन बात नहीं बनी। बीच के ही कुछ लोग नहीं चाहते कि परिवार में एकता हो। ये लोग कौन है? इस सवाल पर वह कहते हैं, मेरे मुंह से क्यों कहलवाते हो ? आपने कल (बृहस्पतिवार) को इटावा का भाषण तो सुना ही होगा। उनका इशारा रामगोपाल यादव की ��रफ था।
0 notes
akashyouthindia-blog · 8 years ago
Photo
Tumblr media
जब मुलायम ने कहा- चिल्लाओ… चिल्लाओ, नेताजी मर गए यूथ इण्डिया संवाददाता। 78 साल के हो चले मुलायम सिंह यादव भले ही आज अपने बेटे से राजनीतिक लड़ाई हार गए हो, लेकिन मुलायम कभी राजनीति के माहिर खिलाड़ी थे। पुराने लोगों की जुबान पर आज भी तमाम ऐसे किस्से हैं, जो नेताजी को सियासत के मैदान में कुछ अलग खड़ा करते हैं। आइए जानते हैं मुलायम सिंह ��े जीवन से जुड़ी कुछ दिलचस्प और अनसुनी कहानियां, जब मुलायम ने अपने दिमाग से विरोधियों को चंद मिनटों में चित कर दिया- बात 1982 की है, जब मुलायम सिंह यादव एक शादी समारोह में जा रहे थे तभी कुछ गुंडों ने उनके काफिले पर हमला कर दिया। मुलायम को यह बात तुरंत समझ में आ गई कि यह हमला उनको ध्यान में रख कर किया गया है। मुलायम का दिमाग तुरंत चला और उन्होंने सुरक्षाकर्मियों से कहा कि जोर से चिल्लाओ कि ’नेताजी मर गए’। मुलायम के कहने पर सुरक्षाकर्मियों ने ऐसा ही किया। सुरक्षाकर्मियों से यह सुनकर कि ’नेताजी मर गए’ बदमाश वापस चले गए। उन्हें लगा कि उनका हमला सफल हो गया। इस तरह नेताजी अपनी सूझ.बूझ से सही- सलामत बचे रहे। इस घटना में एक कार्यकर्ता की मौत भी हो गई थी। मुलायम सिंह यादव की पहली शादी घरवालों ने 18 सा��� की उम्र में ही कर दी गई थी। मुलायम उस वक्त दसवीं की पढ़ाई कर रहे थे। लोगो बताते हैं कि उस वक्त गाड़ी-मोटर का इतना चलना नहीं था इसलिए मुलयाम कि बारात भैसागाड़ी में गई थी। मुलायम 5 भैसागाड़ी लेकर अपनी शादी में पहुंचे थे। मुलायम बचपन से ही लोगों के हक में अपनी आवाजें उठाते रहें हैं। एक ऐसा ही किस्सा 1954 का है, जब राममनोहर लोहिया ने सिंचाई की दरों में इजाफा के विरोध में जेल भरो आंदोलन का आह्वान किया था। मुलायम उस वक्त मात्र 14 साल के थे, लेकिन उनके हौसलों में कमी नहीं थे। मुलायम भी जेल जाने के लिए चल दिए लेकिन जेलर ने उनकी उम्र का हवाला देते हुए जेल में डालने से मना कर दिया। लेकिन मुलायम वहीं अड़ गए। मुलायाम ने जेलर से कहा- मैं इस मुद्दे पर किसानों के साथ हूं। मैं विरोध प्रदर्शन में उनके साथ हूं। मैं वापस नहीं जाउंगा, आपको मुझे जेल में डालना ही होगा। मुलायम की जिद के बाद आखिरकार जेलर को उन्हें जेल में डालना ही पड़ा। भाजपा के वरिष्ठ नेता लालजी टंडन बताते हैं, ’मुझे यह कहने में कोई दिक्कत नहीं है कि वे यारों के यार हैं। ऐसे यार, जो रिश्तों में कभी सियासत को नहीं आने देते और लाभ का मौका होने पर भी कभी घटिया सियासत नहीं करते। घटना मुझसे ही जुड़ी है। मेरे जन्मदिन पर कुछ लोगों ने साड़ी वितरण का कार्यक्रम रखा था। भीड़ के कारण उसमें दुखद हादसा हो गया। मुलायम उस समय मुख्यमंत्री थे। मैं नेता प्रतिपक्ष। चुनाव भी नजदीक था। तमाम लोगों ने इसे सियासी रंग देने की कोशिश की। मुलायम सिंह बाहर थे। सूचना मिलते ही वह लखनऊ आए और सीधे हमारे घर पहुंचे। ऐलान किया कि यह सिर्फ हादसा है, हादसे के अलावा और कुछ नहीं।’ विधान परिषद के पूर्व सभापति चौधरी सुखराम सिंह यादव ��ताते हैं, ’मुझे वर्ष तो नहीं याद है। पर, मौका माधोगढ़ (जालौन) सीट के विधानसभा उप चुनाव का था। मेरे पिता और मुलायम सिंह के मित्र चौधरी हरमोहन सिंह वहां चुनाव प्रचार कर रहे थे। मैं भी साथ में था। उन दिनों रात-रात भर गांवों में जाकर लोगों से मिलने.जुलने और वोट मांगने की परंपरा थी। हम लोग एक गांव से निकलकर दूसरे गांव जा रहे थे। रात का वक्त था। कुठवन के पास एक गांव में फायरिंग की आवाज सुनाई दी। ’नेताजी’ ने मुझसे कहा कि जीप गांव की तरफ ले चलो। शायदए डकैती पड़ रही है। उन्होंने पड़ोस के गांव के कुछ लोगों को भी जगवाया। हम सभी लोग उस गांव के पास पहुंचे। नेताजी सबसे आगे। गांव से थोड़ा पहले रुककर उन्होंने डकैतों को ललकारा तो उधर से हम लोगों पर फायरिंग हुई। पर, नेताजी पूरी तरह बेखौफ। आखिरकार, डकैतों को गांव से भागना पड़ा। गांव वाले सभी लोग सुरक्षित बच गए।’ मुलायम सिंह यादव ने 1963 में बतौर अध्यापक अपना कैरियर शुरू किया था। मुलायम की पहली नौकरी करहल क्षेत्र के जैन इंटर कॉलेज में लगी थी। बतौर अध्यापक, मुलायम को उस वक्त मात्र 120 रुपये तनख्वाह मिलती थी। आज भले ही 120 रुपये की कोई कीमत न हो लेकिन 1963 में 120 रुपये काफी मायने रखते थे। मुलायम सिंह यादव पांच भाई-बहनों में दूसरे नंबर पर है। मुलायम ने दों शादीयां की हैं। इनकी पहली शादी मालती देवी से हुई थी जिनका 2003 में निधन हो गया। यूपी के मौजूदा सीएम अखि‍लेश यादव मुलायम की पहली पत्नी मालती देवी के ही बेटे हैं। मालती देवी के बाद मुलायम सिंह ने दूसरी शादी साधना गुप्ता से की। फरवरी 2007 में सुप्रीम कोर्ट में मुलायम ने साधना गुप्ता से अपने रिश्ते कबूल किए तो लोगों को नेताजी की दूसरी पत्नी के बारे में पता चला। साधना गुप्ता से मुलायम के बेटे प्रतीक यादव हैं। मुलायम सिंह यादव का परिवार देश का सबसे बड़ा सियासी परिवार है। आज की तारीख में इस परिवार के 20 सदस्य समाजवादी पार्टी का हिस्सा हैं। यह पार्टी उसी लोहियाजी के आदर्शों पर चलने का दावा करती है जो नेहरू की परिवारवाद की राजनीति को बढ़ावा देने की आलोचना करते थे। मुलायम सिंह की जिंदगी में कुछ ऐसे पल भी आए जिनसे वो खुद और उनका कुनबा विवादों में रहे।
0 notes