#मानसिक स्थिति
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positivemen · 1 year ago
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नकरात्मक विचारों को कैसे परास्त करें: एक व्यक्तिगत अनुभव*
परिचय:**
नमस्कार दोस्तों,
आज हम बात करेंगे एक ऐसे विषय पर जो हर किसी के मन में कभी न कभी आता है - नकरात्मक विचार। ये विचार हमारे मन में आकर्षण पैदा करते हैं, लेकिन उनसे छुटकारा पाने का रास्ता कहां है, इस पर हम विचार करेंगे। मैं अपने व्यक्तिगत अनुभव से आपको बताने वाला हूं कि कैसे मैंने नकरात्मक विचारों को समझा और उनसे निपटने के लिए कुछ उपायों का इस्तेमाल किया।
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helputrust · 4 months ago
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लखनऊ, 29.09.2024 | विश्व हृदय दिवस 2024 के अवसर पर हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट एवं राणा होम्यो क्लीनिक के संयुक्त तत्वावधान में राणा होम्यो क्लीनिक, शॉप नंबर 3, झंडेवाला चौराहा, जल निगम रोड, बालागंज, लखनऊ में नि:शुल्क होम्योपैथिक परामर्श, निदान एवं दवा वितरण शिविर का आयोजन किया गया | शिविर में परामर्शदाता चिकित्सक डॉ संजय कुमार राणा एवं उनकी टीम ने 48 रोगियों की नि:शुल्क जांच कर, रोगियों को सीने में दर्द होना, भूख न लगना, सांस फूलना, हृदय व गुर्दे की बीमारी, मधुमेह (Diabetes / Sugar), रक्तचाप (Blood Pressure), उलझन या घबराहट होना, पेट में दर्द होना, गले में दर्द होना, थकावट होना, पीलिया (Jaundice), थाइरोइड (Thyroid), बालों का झड़ना (Hair Fall) के लिए एक सप्ताह की निःशुल्क होम्योपैथिक दवाइयां वितरित की गई  |
शिविर का शुभारंभ डॉ संजय कुमार राणा, परामर्शदाता चिकित्सक, उनकी टीम से डॉ संतोष कुमार राणा, डॉ राहुल राणा, नर्सिंग स्टाफ साबिया जी, सुश्री बेबी यादव ने दीप प्रज्वलन कर किया |
डॉ० संजय कुमार राणा ने कहा कि, "होम्योपैथी दवाएं हृदय रोग में शरीर की प्राकृतिक उपचार क्षमता को जागृत करती हैं । ये दवाएं हृदय की मांसपेशियों को मजबूत बनाती हैं, रक्त प्रवाह को नियंत्रित करती हैं और हृदय की धड़कन को सामान्य करती हैं । होम्योपैथी व्यक्तिगत लक्षणों के आधार पर काम करती है और बिना किसी दुष्प्रभाव के रोग की जड़ तक पहुंचकर उसे ठीक करने में मदद करती है । होम्योपैथिक दवाएं रोगी के व्यक्तिगत लक्षणों, मानसिक स्थिति और शारीरिक स्थिति को ध्यान में रखते हुए दी जाती हैं, जिससे न केवल हृदय की सेहत में सुधार होता है, बल्कि रोगी के पूरे शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली भी मजबूत होती है । हृदय रोग से पीड़ित मरीजों के लिए यह एक सुरक्षित और प्रभावी चिकित्सा पद्धति है ।"
शिविर में परामर्शद��ता चिकित्सक डॉ० संजय कुमार राणा, उनकी टीम से डॉ संतोष कुमार राणा, डॉ राहुल राणा, डॉ दिनकर दुबे, डॉ रामासन साहू, नर्सिंग स्टाफ साबिया जी, सुश्री बेबी यादव तथा लखनऊ विश्वविद्यालय के सामाजिक कार्य विभाग से छात्र-छात्राओं सुश्री आकृति कुमारी, सुश्री विनीता सिंह, सुश्री रनवीत कालरा, खुसरू निजामी एवं ट्रस्ट के स्वयंसेवकों की गरिमामयी उपस्थिति रही l
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sheathveda-ayurveda-clinic · 6 months ago
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शिरोधारा: आयुर्वेदिक चिकित्सा की अद्वितीय विधि
शिरोधारा एक प्राचीन आयुर्वेदिक चिकित्सा पद्धति है, जिसमें लगातार धारा की तरह एक विशेष औषधीय तेल या तरल पदार्थ को माथे पर डाला जाता है। यह उपचार न केवल शारीरिक, बल्कि मानसिक और भावनात्मक संतुलन को भी ��ुनः स्थापित करने में सहायक है। शिरोधारा का शाब्दिक अर्थ होता है "सिर पर धार"।
शिरोधारा के लाभ
तनाव और चिंता में राहत: शिरोधारा तनाव, चिंता और अवसाद को कम करने में मदद करता है। यह मस्तिष्क को शांत करता है और मानसिक शांति प्रदान करता है।
नींद की गुणवत्ता में सुधार: यह अनिद्रा और नींद से संबंधित समस्याओं के उपचार में अत्यधिक प्रभावी है। शिरोधारा के बाद अच्छी और गहरी नींद आती है।
माइग्रेन और सिरदर्द में राहत: नियमित शिरोधारा सत्र माइग्रेन और लगातार सिरदर्द को कम करने में सहायक होते हैं।
मस्तिष्क की कार्यक्षमता में वृद्धि: शिरोधारा मानसिक स्पष्टता, स्मरण शक्ति और एकाग्रता को बढ़ावा देता है।
चमकती त्वचा: यह त्वचा को पोषण प्रदान करता है और चेहरे की चमक को बढ़ाता है।
रक्तचाप को नियंत्रित करना: यह उच्च रक्तचाप को नियंत्रित करने में मदद करता है और संपूर्ण स्वास्थ्य को बेहतर बनाता है।
नर्वस सिस्टम की उत्तेजना को शांत करना: शिरोधारा नर्वस सिस्टम की उत्तेजना को शांत करता है और पूरे शरीर में एक आरामदायक अनुभव पैदा करता है।
शिरोधारा का अनुभव
शिरोधारा का सत्र अत्यंत आरामदायक होता है, जहाँ आप एक आरामदायक स्थिति में लेटे रहते हैं। एक विशेष औषधीय तेल या तरल पदार्थ का धीमी गति से और लगातार आपके माथे के बीचोबीच डाला जाता है। यह प्रक्रिया आमतौर पर 30-60 मिनट तक चलती है और इसके बाद आप तरोताजा और पुनःजीवित महसूस करते हैं।
आइए, शिरोधारा के अद्वितीय लाभों का अनुभव करें और अपने शारीरिक, मानसिक और भावनात्मक स्वास्थ्य को पुनः संतुलित करें। शिरोधारा के लिए आज ही अपॉइंटमेंट बुक करें और आयुर्वेद की इस प्राचीन चिकित्सा विधि से अपने जीवन को नई दिशा दें।
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shabdforwriting · 4 months ago
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कचोटती तनहाइयाँ by प्रभा मिश्रा 'नूतन'
किताब के बारे में... कचोटती तनहाइयाँ प्रभा मिश्रा 'नूतन' द्वारा लिखी गई एक कहानी है, जो वृद्धावस्था में अपने अकेलेपन और कचोटती यादों से जूझ रहे सूर्य प्रताप भानु और दिव्या प्रताप भानु की जटिल मानसिक और भावनात्मक स्थिति को उजागर करती है।
यह कहानी उनके जीवन के उस पड़ाव को दर्शाती है जहाँ वे समाज में अपनी जगह और परिवार में अपने महत्व को लेकर चिंतित होते हैं। वृद्धावस्था में आने वाली चुनौतियों, खासकर मानसिक तनाव, सामाजिक अलगाव और परिवार से दूर होते संबंधों का यथार्थ चित्रण इस पुस्तक में किया गया है।
यदि आप इस पुस्तक के बारे में अधिक जानकारी प्राप्त करना चाहते हैं तो नीचे दिए गए लिंक से इस पुस्तक को पढ़ें या नीचे दिए गए दूसरे लिंक से हमारी वेबसाइट पर जाएँ!
https://hindi.shabd.in/kcotttii-tnhaaiyaan-prabha-mishra-nutan/book/10277380/
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horoscope1726 · 11 months ago
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कुंडली में आंशिक काल सर्प दोष होने से जीवन में क्या दुष्प्रभाव होते है ?
काल सर्प दोष एक ज्योतिषीय दोष है जो कुंडली में राहु और केतु की विशेष स्थिति को संकेत करता है। इसे कुंडली में 'राहु-केतु सर्प दोष' भी कहा जाता है। काल सर्प दोष के होने से जीवन में कई प्रकार के दुष्प्रभाव हो सकते हैं, जैसे:
धन संबंधी परेशानी: काल सर्प दोष के कारण धन संबंधी परेशानी हो सकती है। धन की निर्धारितता, धन का बिगड़ना, वित्तीय संकट आदि के लिए यह दोष जिम्मेदार हो सकता है।
परिवारिक समस्याएं: काल सर्प दोष के कारण परिवारिक संबंधों में समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं। परिवार के बीच विवाद, असंतुलन, और विवाह संबंधों में कठिनाई का सामना किया जा सकता है।
स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं: काल सर्प दोष के कारण स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं। यह विभिन्न प्रकार की रोगों और तकलीफों का कारण बन सकता है।
करियर में असफलता: काल सर्प दोष के कारण करियर में असफलता और परेशानियां हो सकती हैं। कठिनाईयों, रोक-टोकों, या निराशा का अनुभव किया जा सकता है।
मानसिक तनाव: काल सर्प दोष से युक्त व्यक्ति में मानसिक तनाव और चिंता की समस्याएं हो सकती हैं। यह उन्हें चिंतित, अस्थिर, और असंतुष्ट बना सकता है।
आध्यात्मिक प्रगति में बाधाएं: काल सर्प दोष के कारण आध्यात्मिक प्रगति में भी बाधाएं उत्पन्न हो सकती हैं। व्यक्ति की मानसिक शक्ति और आत्म-विश्वास पर अस�� पड़ सकता है।
काल सर्प दोष के दुष्प्रभाव को कम करने के लिए ज्योतिषियों द्वारा कुछ उपायों की सिफारिश की जाती हैं, जैसे कि मंत्र जाप, दान-धर्म, पूजा-अर्चना, यंत्र-तंत्र, आदि। इन उपायों का उचित अनुसरण करने से व्यक्ति की ��्थिति में सुधार हो सकता है।
कृपया ध्यान दें कि काल सर्प दोष का प्रभाव व्यक्ति की कुंडली के अनुसार भिन्न हो सकता है, और और अधिक जानकरी के लिए आप टोना टोटक सॉफ्टवेयर की मदद ले सकते है।
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geeta1726 · 1 year ago
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क्या कोई ऐसा उपाय है जिसके करने से कुंडली के सभी ग्रहों के शुभ परिणाम प्राप्त हो?
ज्योतिष या कुंडली के अनुसार, व्यक्ति की कुंडली में ग्रहों की स्थिति और उनकी दशाएं उसके जीवन में विभिन्न प्रभाव डाल सकती हैं। हालांकि, कोई भी ऐसा उपाय जो सभी ग्रहों के शुभ परिणाम सुनिश्चित करे, वैदिक ज्योतिष में सामान्यत: संभावना के बारे में हैं।
ध्यान और मेधा भड़ाना: योग और ध्यान के माध्यम से मानसिक शांति बनाए रखना ग्रहों के प्रभाव को कम कर सकता है।
दान और सेवा: धर्मिक और नैतिक कार्यों के माध्यम से ग्रहों के प्रभाव को शांत करने के लिए दान और सेवा करना उपयुक्त हो सकता है।
मंत्र जाप: कुछ विशेष मंत्रों का जाप करना भी ग्रहों के प्रभाव को शांत करने में सहायक हो सकता है।
योग और प्राणायाम: योग और प्राणायाम के अभ्यास से शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को सुधारा जा सकता है, जिससे ग्रहों का प्रभाव कम हो सकता है।
यह उपाय शांति और समृद्धि की प्राप्ति के लिए हो सकते हैं, लेकिन कृपया ध्यान दें कि ये विचार विशिष्ट धार्मिक अनुष्ठानों और विशेष शिक्षा के साथ आएंगे। जिसके लिए आप Kundli Chakra 2022 Professional सॉफ्टवेयर का प्रयोग कर सकते है।
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rbdasblog · 1 year ago
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आर्थिक व मानसिक स्थिति हुई ठीक। Ganga Das, KabirDham (CG)
पूर्ण परमात्मा की भक्ति करने से भगत को बहुत ही लाभ होते हैं
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pradhyayoga · 2 years ago
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योग क्या है ?
योग क्या है ?
हम में से ज्यादा तर लोग आज योग को मात्र शारीरिक स्वाथ्य के रूप में लेते है , कुछ आसान और शरीर की अलग अलग मुद्राओ को करना ही योग मानते है ,आधुनिक युग में योग के अलग -अलग तरीके आपको दिखाए जाते है जो की लुभावने होते है पर क्या वो आपके लिए लाभकारी है ,ये समझने के लिए पहले हमे योग क्या है ये जानना होगा -
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शरीर, मन और आत्मा का एकीकरण है योग
शरीर, मन और आत्मा का एकीकरण ही योग कहा गया है ,योग का अर्थ ही है जोड़ना / मिलाना ,और भी सरल शब्दों में कहा जाये तो अपने शरीर को स्वस्थ्य से ,मन को अच्छे विचारो से और अपनी आत्मा को परमात्मा से मिलाना /जोड़ना या मिलाने का प्रयास करना ही योग है ,
योग एक प्राचीन भारतीय विज्ञान है जो हमारे शरीर, मन और आत्मा के एकीकरण को समर्पित है। यह एक अद्वैत सिद्धांत है जो मनुष्य के सम्पूर्ण विकास और पूर्णता को प्राप्त करने की मार्गदर्शन करता है। योग आत्मा की अनुभूति और उसके अभिविकास को संभव बनाता है, जिससे हम आनंद, शांति, ��्वस्थता और सच्ची संतुष्टि की अनुभूति कर सकते हैं।
योग का शास्त्रीय आधार पतंजलि के 'योग सूत्र' माना जाता है। पतंजलि ने योग को आठ अंगों में विभाजित किया है, जिन्हें 'अष्टांग योग' कहा जाता है। ये अष्टांग योग यम, नियम, आसन, प्राणायाम, प्रत्याहार, धारणा, ध्यान और समाधि हैं। इन अंगों के माध्यम से, योगी अपने मन को नियंत्रित करते हैं, शरीर को स्वस्थ रखते हैं और आत्मा के साथ अद्वैत अनुभव करते हैं।
योग के माध्यम से हम अपने शरीर की स्थायित्वता, लचीलापन, शक्ति और स्थैर्य को विकसित करते हैं। आसनों के द्वारा हम अपने शरीर को सुव्यस्थ और लचीला बनाते हैं। प्राणायाम के माध्यम से हम अपने प्राण (श्वास-प्रश्वास) को नियंत्रित करते हैं और अपने मन को शांत करते हैं। प्रत्याहार के द्वारा हम अपने इंद्रियों को इन्द्रिय विषयों से वश में लाते हैं और मन को बाहरी विषयों से आंतरिक मंदिर में नियंत्रित करते हैं। इस प्रकार योगी अपने मन को नियंत्रित कर अपनी चिंताओं और विचारों को स्वयं संयमित करते हैं।
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योग का ध्यान और समाधि अंग मन को एकाग्र करने, उसे अपनी सच्ची पहचान में ले जाने और आत्मा के साथ एकीकृत होने के लिए हैं। योगी ध्यान के माध्यम से अपने आंतरिक स्वरूप की पहचान करते हैं और समाधि में वह अपनी अस्तित्वता को भुल जाता है और परमात्मा के साथ अभिन्न हो जाता है। इस स्थिति में, योगी को सच्ची आनंद, शांति और आत्मिक समृद्धि की अनुभूति होती है।
योग आजकल एक प्रमुख ध्यान विधा के रूप में भी चर्चा में है। यहालांकि, योग केवल एक ध्यान तक सीमित नहीं है, बल्कि यह एक पूर्ण जीवनशैली को भी दर्शाता है। योग का अभ्यास व्यक्ति को तनाव, रोग, मानसिक चिंताओं और अनियंत्रित मन के साथ निपटने में मदद करता है। योग के माध्यम से हम अपनी आंतरिक शक्तियों को जागृत करते हैं, स्वस्थ और खुश जीवन जीते हैं और स्वयं को संतुष्ट रखते हैं।
योग का महत्वपूर्ण अंश योगासन है, जिसमें विभिन्न शारीरिक पोज़ और आसनों को प्रदर्श��त किया जाता है। योगासनों के अभ्यास से हमारे शरीर की लचीलापन, संतुलन, स्थायित्व और शक्ति में सुधार होती है। इसके अलावा, योग आसनों के द्वारा हम विभिन्न रोगों को नियंत्रित कर सकते हैं, जैसे कि मधुमेह, हृदय रोग, अस्थमा, अवसाद आदि।
योग का अभ्यास मनोरोगों में भी मदद करता है। ध्यान और मन को नियंत्रित करके हम स्वयं को शांत और स्वस्थ बना सकते हैं। योग का अभ्यास करने से मन में स्थिरता और एकाग्रता की स्थिति बढ़ती है, जिससे समस्याओं और टेंशन को नियंत्रित किया जा सकताहै।
योग का अभ्यास सिर्फ शारीरिक और मानसिक लाभों तक ही सीमित नहीं है, बल्कि यह आत्मा के साथ एकीकृत होने की भी साधना है। जब हम योग के माध्यम से अपने मन को नियंत्रित करते हैं और अपनी आंतरिक स्वरूप को पहचानते हैं, तब हम एक ऊँचे स्तर पर उठते हैं और अपने स्वभाव के मूल्यों को समझते हैं। इस प्रकार, योग हमें सच्ची स्वतंत्रता, आनंद और मुक्ति की अनुभूति दिलाताहै।
योग हमारे शरीर, मन और आत्मा के एकीकरण को साधना करने और समर्पित होने का एक विज्ञान है। इसके माध्यम से हम अपनी शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक स्थिति में सुधार कर सकते हैं और एक सुखी, स्वस्थ और पूर्ण जीवन जी सकते हैं। योग का अभ्यास करने से हम अपनी सामर्थ्यों को पहचानते हैं और आपातकाल में भी स्थिर रहते हैं। इसलिए, योग हमारे जीवन का अटूट हिस्सा है और हमें स्वस्थ, स्थिर और संतुष्ट बनाने में सहायता प्रदान करता है। योग का अभ्यास आपकी जीवनशैली को सुधारता है और आपको एक सकारात्मक दिशा में ले जाता है।
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drgagankhullar · 1 day ago
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मिनिमली इनवेसिव सीएबीजी (Minimally Invasive CABG) एक प्रकार का हृदय शल्यक्रिया (सर्जरी) है, जिसका उपयोग कोरोनरी आर्टरी बाईपास ग्राफ्टिंग (CABG) के लिए किया जाता है, लेकिन यह पारंपरिक सीएबीजी सर्जरी से कहीं कम आक्रामक होता है। इस सर्जरी में, डॉक्टर पारंपरिक बाईपास सर्जरी के मुकाबले बहुत छोटी चीरे (इंकिशन्स) करते हैं, जिससे रिकवरी का समय कम होता है और दर्द भी कम होता है। मिनिमली इनवेसिव सीएबीजी के बारे में अधिक जानकारी: 1. सर्जरी का तरीका: ++++++++++++ पारंपरिक सीएबीजी में, डॉक्टर छाती के बीच में बड़ी चीरी (इंकिशन) करते हैं और हृदय तक पहुंचने के लिए हड्डियों को हटाते हैं। वहीं, मिनिमली इनवेसिव सीएबीजी में छोटे चीरे किए जाते हैं, जिनसे हृदय तक पहुंचा जा सकता है बिना छाती को पूरी तरह से खोलने के। 2. लाभ: ++++++ - कम दर्द और कम संक्रमण का खतरा: क्योंकि चीरे छोटे होते हैं, इसलिए रिकवरी की प्रक्रिया सरल और दर्द रहित होती है। - जल्दी रिकवरी: मरी�� को अस्पताल में कम समय रहना पड़ता है, और वे जल्दी घर जा सकते हैं। आमतौर पर, एक हफ्ते के भीतर मरीज सामान्य गतिविधियाँ शुरू कर सकते हैं। - कम डर और तनाव: कम आक्रामक सर्जरी से मरीज का मानसिक तनाव भी कम होता है। 3. क्या होता है इस सर्जरी में? ++++++++++++++++++ - इस सर्जरी में, डॉक्टर कोरोनरी धमनी में ब्लॉकेज को बypass करने के लिए एक स्वस्थ रक्त वाहिका का उपयोग करते हैं, ताकि रक्त का प्रवाह हृदय तक सही तरीके से पहुंच सके। मिनिमली इनवेसिव तकनीक में छोटे चीरे किए जाते हैं और मशीन की मदद से हृदय तक पहुंचा जाता है। 4. कैंडिडेट्स: ++++++++ यह सर्जरी उन मरीजों के लिए उपयुक्त होती है जिनके दिल की धमनियों में कई ब्लॉकेज होते हैं, लेकिन उनकी स्थिति इतनी गंभीर नहीं होती कि उन्हें पारंपरिक बाईपास सर्जरी की आवश्यकता हो। #MICS #minimallyinvasivecardiacsurgery #CABG #drgagankhullar #cardiacsurgery #cardiacsurgeon #heartdoctor #heartspecialist #hamirpur #himachalpradesh #india
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ainnewsone · 1 day ago
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कुंभ मेला और ब्रह्मांडीय संबंध: खगोलशास्त्र और पौराणिक दृष्टिकोण
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कुंभ मेला केवल एक धार्मिक आयोजन नहीं है, बल्कि यह भारतीय संस्कृति में गहरे खगोलशास्त्र और ब्रह्मांडीय शक्तियों से जुड़ा हुआ है। यह महापर्व हर 12 साल में आयोजित होता है और भारत के चार प्रमुख तीर्थस्थलों—प्रयागराज, हरिद्वार, उज्जैन और नाशिक—में मनाया जाता है। इस आयोजन का धार्मिक और वैज्ञानिक दोनों ही दृष्टिकोण से गहरा महत्व है। ग्रहों का संबंध: 12 साल के चक्र का महत्व - बृहस्पति (गुरु) और सूर्य के संयोग से विशेष ग्रह स्थिति उत्पन्न होती है, जब कुंभ मेला आयोजित होता है। - बृहस्पति सूर्य के चारों ओर एक पूरा चक्कर 12 साल में पूरा करता है। - जब बृहस्पति कुंभ राशि में प्रवेश करता है, तो कुंभ मेला आयोजित होता है। कुंभ मेला के लिए ज्योतिषीय समय कुंभ मेला का आयोजन ज्योतिषीय रूप से उस समय होता है, जब: - बृहस्पति कुंभ राशि में और सूर्य मेष राशि में होते हैं। - यह संयोग अमृत प्राप्त करने के लिए देवताओं और असुरों के युद्ध से जुड़ा है, जब अमृत की बूंदें इन स्थानों पर गिरीं। पौराणिक दृष्टिकोण: समुद्र मंथन और कुंभ मेला - समुद्र मंथन से प्राप्त अमृत की बूंदें चार स्थानों पर गिरीं: - प्रयागराज (प्रय��ग) - हरिद्वार - उज्जैन - नाशिक इन स्थानों को कुंभ मेला का स्थल माना जाता है। ब्रह्मांडीय ऊर्जा: तीर्थ स्थानों का वैज्ञानिक महत्त्व कुंभ मेला के स्थानों को इस प्रकार चुना गया है कि वे ग्रहों के साथ संरेखित होते हैं। इन स्थानों पर स्नान करने से भक्तों को मानसिक और आध्यात्मिक शांति मिलती है। कुंभ स्थल नदी ग्रह स्थिति प्रयागराज गंगा, यमुन, सरस्वती बृहस्पति मेष राशि में हरिद्वार गंगा बृहस्पति कुंभ राशि में उज्जैन शिप्रा बृहस्पति सिंह राशि में नाशिक गोदावरी बृहस्पति कर्क राशि में महाकुंभ मेला: 144 साल का दुर्लभ आयोजन - महाकुंभ मेला हर 144 साल में एक बार होता है, जो सबसे दुर्लभ और शक्तिशाली मेला माना जाता है। - यह आयोजन केवल प्रयागराज (इलाहाबाद) में होता है। - महाकुंभ मेला तब आयोजित होता है, जब: - बृहस्पति वृषभ राशि में प्रवेश करता है। - सूर्य और चंद्रमा मकर राशि में संरेखित होते हैं। विज्ञान और विश्वास: कुंभ मेला पर दृष्टिकोण विज्ञान का दृष्टिकोण: - वैज्ञानिकों के अनुसार, ग्रहों की स्थिति मानव जीवन पर सूक्ष्म प्रभाव डालती है, लेकिन इसका आध्यात्मिक ऊर्जा पर कोई ठोस प्रमाण नहीं है। - कुछ वैज्ञानिक यह मानते हैं कि ग्रहों के संरेखण से जीवविज्ञान पर हल्का असर हो सकता है। आध्यात्मिक दृष्टिकोण: - हिंदू साधु और ज्योतिषाचार्य मानते हैं कि ग्रह मानव जीवन और आध्यात्मिक ऊर्जा पर प्रभाव डालते हैं। - कुंभ मेला के दौरान लाखों भक्त आध्यात्मिक जागरण, उपचार और मुक्ति का अनुभव करते हैं। निष्कर्ष कुंभ मेला एक महत्वपूर्ण धार्मिक और सांस्कृतिक आयोजन है, जो न केवल भारत, बल्कि पूरे विश्व में अपने खगोलशास्त्र और पौराणिक महत्व के लिए प्रसिद्ध है। चाहे वह ग्रहों का संयोग हो, पौराणिक कथा हो, या फिर ब्रह्मांडीय ऊर्जा, कुंभ मेला का हर पहलू भारतीय संस्कृति में एक अनूठा स्थान रखता है। Read the full article
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vastuastrotech · 2 days ago
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02 फरवरी 2025 : आपका जन्मदिन
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🚩🔱ॐगं गणपतये नमः🔱🚩*
🌺 *सुप्रभात जय श्री राधेकृष्णा*🌺
※══❖═══▩राधे राधे▩═══❖══※
#वास्तु_ऐस्ट्रो_टेक_सर्विसेज_टिप्स
#हम_सबका_स्वाभिमान_है_मोदी
#योगी_जी_हैं_तो_मुमकिन_है
#देवी_अहिल्याबाई_होलकर_जी
#योगी_जी
#bageshwardhamsarkardivyadarbar
#kedarnath
#badrinath
#JaiShriRam
#yogi
#jodhpur
#udaipur
#RSS
#rajasthan
#hinduism
※══❖═══▩राधे राधे▩═══❖══※
👍🏻👍🏻आध्यात्मिक गुरु 👍🏻राधे राधे 8764415587, 9610752236
जन्मदिन की शुभकामनाओं के साथ आपका स्वागत है #वास्तु_ऐस्ट्रो_टेक_सर्विसेज_टिप्स की विशेष प्रस्तुति में। यह कॉ��म नियमित रूप से उन पाठकों के व्यक्तित्व और भविष्य के बारे में जानकारी देगा जिनका उस दिनांक को जन्मदिन होगा। पेश है दिनांक 2 को जन्मे व्यक्तियों के बारे में जानकारी : दिनांक 2 को जन्मे व्यक्ति का मूलांक 2 होगा। इस तरह आपका मूलांक 2 होगा। इस मूलांक को चंद्र ग्रह सचालित करता है। चंद्र ग्रह मन कारक होता है। आप अत्यधिक भावुक होते है। आप स्वभाव से संकालू भी होते है। दूसरों के दर्द से आप परेशान हो जाना आपकी कमजोरी है। आप मानसिक रूप से तो स्वस्थ है। लेकिन शारीरिक रूप से कमजोर है। चंद्र ग्रह स्त्री ग्रह माना गया है। अत: आप अत्यंत कोमल स्वभाव के है। आपमें अभिमान तो जरा भी नहीं होता चंद्र के समान आपके स्वभाव में उतार चढ़ाव पाया जाता है। आप अगर जल्दबाजी को त्याग दे। तो आप जीवन में सफल होते है।
शुभ दिनांक : 2, 11, 20, 29
शुभ अंक : 2, 11, 20, 29, 56, 65, 92
शुभ वर्ष : 2027, 2029, 2031, 2033, 2035
ईष्टदेव : भगवान शिव और बटुक भैरव
शुभ रंग : सफेद, हल्का नीला और सिल्वर ग्रे
कैसा रहेगा यह वर्ष
किसी नवीव कार्य योजनाओं की शुरुआत करने से पहले बड़ो की सलाह लें व्यापार व्यवसाय की स्थिति ठीक ठीक रहेगी स्वास्थ्य की दृष्टि से संभल कर चलने का वक्त होगा। पारिवारिक विवाद आपसी मेलजोल से ही सुलझाये दखल अंदाजी ठीक नहीं रहेगी वर्ष काफी समझदारी से चलने का रहेगा लेखन से संबधित मामलों में सावधानी रखना होगी। अधूरे कार्यो में सफलता मिलेगी।
※══❖═══▩राधे राधे▩═══❖══※
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helputrust · 5 months ago
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लखनऊ, 21.09.2024 । माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी की मुहिम आत्मनिर्भर भारत को साकार करने तथा महिला सशक्तिकरण हेतु गो कैंपेन (अमेरिकन संस्था) के सहयोग से हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट तथा रेड ब्रिगेड ट्रस्ट के संयुक्त तत्वावधान में गोपीनाथ लक्ष्मणदास रस्तोगी इंटर कॉलेज, ऐशबाग, लखनऊ में आत्मरक्षा कार्यशाला आयोजित की गई जिसमे 22 छात्राओं ने मेरी सुरक्षा, मेरी ज़िम्मेदारी मंत्र को अपनाते हुए आत्मरक्षा के गुर सीखे तथा वर्तमान परिवेश में आत्मरक्षा प्रशिक्षण के महत्व को जाना ।
कार्यशाला का शुभारंभ राष्ट्रगान से हुआ तथा गोपीनाथ लक्ष्मणदास रस्तोगी इंटर कॉलेज की शिक्षिकाओं श्रीमती सरिता पाण्डे, श्रीमती बिन्दू शर्मा, श्रीमती विजय लक्ष्मी एवं रेड ब्रिगेड से प्रशिक्षिका ने दीप प्रज्वलित किया ।
गोपीनाथ लक्ष्मणदास रस्तोगी इंटर कॉलेज की शिक्षिका श्रीमती सरिता पाण्डे ने हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट का धन्यवाद करते हुए कहा कि, “आज के आत्मरक्षा कार्यक्रम ने हमारी बेटियों में आत्मविश्वास की नई लहर पैदा की है । यह केवल एक प्रशिक्षण सत्र नहीं था, बल्कि जीवन जीने की एक नई दिशा थी । आत्मरक्षा के इस महत्वपूर्ण पाठ ने उन्हें न केवल शारीरिक रूप से सशक्त बनाया, बल्कि मानसिक रूप से भी मजबूत किया । आत्मरक्षा सिर्फ बाहरी खतरों से सुरक्षा नहीं है, बल्कि यह अपने आत्म-सम्मान और स्वाभिमान की रक्षा का भी एक साधन है । हमारी बेटियां अब आत्मरक्षा के साथ-साथ आत्मनिर्भरता का भी पाठ सीख चुकी हैं । यह कार्यक्रम उन्हें हर उस स्थिति का सामना करने के लिए तैयार कर रहा है, जहां उन्हें खुद को साबित करने का मौका मिलेगा । समाज में ऐसे कार्यक्रमों की अहमियत इसलिए है क्योंकि यह न केवल नारी सशक्तिकरण को बल देते हैं, बल्कि यह भी सुनिश्चित करते हैं कि हमारी बेटियां अपनी सुरक्षा और अधिकारों के प्रति जागरूक रहें । हम आशा करते हैं कि वे इन सीखों को जीवनभर संजोएंगी और समाज में एक प्रेरणास्त्रोत बनेंगी ।"
आत्मरक्षा प्रशिक्षण में रेड ब्रिगेड ट्रस्ट से कुशल प्रशिक्षिकाओं ने लड़कियों को आत्मरक्षा के गुर सिखाते हुए लड़कों की मानसिकता के बारे में अवगत कराया तथा उन्हें हाथ छुड़ाने, बाल पकड़ने, दुपट्टा खींचने से लेकर यौन हिंसा एवं बलात्कार से किस तरह बचा जा सकता है यह अभ्यास के माध्यम से बताया |
कार्यशाला के अंत में सभी प्रतिभागियों को सहभागिता प्रमाण पत्र वितरित किये गये ।
कार्यशाला में गोपीनाथ लक्ष्मणदास रस्तोगी इंटर कॉलेज की शिक्षिकाओं श्रीमती सरिता पाण्डे, श्रीमती बिन्दू शर्मा, श्रीमती विजय लक्ष्मी, श्रीमती मनीषा दीक्षित, छात्राओं, रेड ब्रिगेड ट्रस्ट से प्रशिक्षिकाओं तथा हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट के स्वयंसेवकों की गरिमामयी उपस्थिति रही l
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rightnewshindi · 3 days ago
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राशिफल, 1 फरवरी 2025; आज मकर राशि के लोगों की हो सकती है धनहानि, पढ़ें सभी राशियों का भविष्यफल
राशिफल, 1 फरवरी 2025; आज मकर राशि के लोगों की हो सकती है धनहानि, पढ़ें सभी राशियों का भविष्यफल #News
Aaj Ka Rashifal 1 February 2025: ग्रहों की स्थिति- गुरु वृषभ राशि में। मंगल मिथुन राशि में। केतु कन्या राशि में। सूर्य और बुध मकर राशि में। शनि और चंद्रमा कुंभ राशि में और शुक्र और राहु मीन राशि के गोचर में चल रहे हैं। Rashifal (राशिफल)- मेष राशि- मानसिक थोड़ी सी परेशानी का अनुभव करेंगे। यात्रा में कष्ट संभव है। आय में उतार-चढ़ाव बना रहेगा। प्रेम, संतान की स्थिति मध्यम। व्यापार आपका लगभग सही…
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संकेत जो बताते हैं कि आपको अवसाद हो सकता है
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अवसाद सिर्फ़ उदास महसूस करने से कहीं ज़्यादा है - यह एक गंभीर मानसिक स्वास्थ्य स्थिति है जो किसी व्यक्ति के सोचने, महसूस करने और व्यवहार करने के तरीके को प्रभावित करती है। लक्षणों को जल्दी पहचानना सही सहायता प्राप्त करने में मदद कर सकता है।
अवसाद के सामान्य लक्षण: उदास मनोदशा: उदासी, खालीपन या निराशा की लगातार भावनाएँ। रुचि का नुकसान: पहले की गतिविधिय���ं में कम रुचि या आनंद। वज़न या भूख में बदलाव: वज़न में उल्लेखनीय कमी या वृद्धि, या भूख में उल्लेखनीय बदलाव। नींद की गड़बड़ी: अनिद्रा (नींद में कठिनाई) या हाइपरसोमनिया (अत्यधिक नींद)। साइकोमोटर परिवर्तन: बेचैनी या धीमी गति से चलना और बोलना। थकान या कम ऊर्जा: शारीरिक परिश्रम के बिना भी थका हुआ महसूस करना। बेकारपन या अपराधबोध की भावनाएँ: अत्यधिक या अनुचित आत्म-दोष। सोचने या ध्यान केंद्रित करने में कठिनाई: निर्णय लेने या ध्यान केंद्रित करने में परेशानी। मृत्यु के बार-बार विचार आना: आत्महत्या के विचार, चाहे निष्क्रिय (अस्तित्व में न रहने के विचार) या सक्रिय (विशिष्ट योजनाएँ बनाना)।
यदि ये लक्षण दो सप्ताह से अधिक समय तक बने रहते हैं और दैनिक जीवन में बाधा डालते हैं, तो पेशेवर मदद लेना महत्वपूर्ण है।
मानसिक स्वास्थ्य सहायता के लिए, Dr. Zaini Ahmed, MBBS, MD (Psychiatry), सोमवार से शनिवार, दोपहर 12 बजे से दोपहर 3 बजे तक सुकून हार्ट एंड माइंड केयर, सैनिक मार्केट, मेन रोड, रांची, झारखंड: 834001 पर परामर्श के लिए उपलब्ध हैं।
📞 अपॉइंटमेंट के लिए, कॉल करें: 6200784486
आपका मानसिक स्वास्थ्य मायने रखता है। मदद मांगना ताकत का संकेत है, कमज़ोरी का नहीं।
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karmakrafts · 5 days ago
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त्रिवेणी संगम पितृ दोष पूजा: शांति और समृद्धि का मार्गदर्शन
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पितृ दोष, वैदिक ज्योतिष में एक महत्वपूर्ण दोष है, जो पूर्वजों के कर्मात्मक असंतुलन या उनके प्रति अपूर्ण कर्तव्यों के कारण उत्पन्न होता है। यह वित्तीय समस्याओं, स्वास्थ्य संबंधी परेशानियों या सफलता में देरी के रूप में प्रकट हो सकता है। त्रिवेणी संगम पितृ दोष पूजा पूर्वजों का आशीर्वाद पाने और जीवन में सामंजस्य बहाल करने का एक शक्तिशाली तरीका है। यहाँ इस पवित्र पूजा के बारे में सब कुछ जानें और यह कैसे आपके जीवन में शांति ला सकती है।
पितृ दोष क्या है?
पितृ दोष तब उत्पन्न होता है जब पूर्वजों की वंश परंपरा कर्तव्यों के अपूर्ण होने, अनुष्ठानों के न होने, या नकारात्मक कर्म प्रभावों के कारण बाधित होती है। यह कुंडली में सूर्य, चंद्रमा और राहु की स्थिति के माध्यम से पहचाना जा सकता है। यह दोष जीवन में समृद्धि, खुशी और विकास को बाधित कर सकता है।इसके प्रभाव निम्नलिखित हो सकते हैं:
वित्तीय समस्याएं – आय में अस्थिरता, धन संचय में बाधाएं।
संतान संबंधी समस्याएं – संतान सुख में देरी या संतान की ओर से चिंता।
वैवाहिक और पारिवारिक कलह – दांपत्य जीवन में अस्थिरता और विवाद।
स्वास्थ्य संबंधी परेशानी – लंबे समय तक चलने वाली बीमारियां और मानसिक तनाव।
करियर और व्यवसाय में बाधाएं – नौकरी या व्यापार में निरंतर असफलता।
यह भी पढ़ें: मौनी अमावस्या 2025: जानें तिथि, महत्व, स्नान-दान, तर्पण का समय
कैसे पता करें कि घर में पितृ दोष है?
घर के आंगन, घर की दरारों या टूटे गमलों में बिना आपके लगाए पीपल का पौधा उग रहा है तो यह पितृ दोष का लक्षण है। पितृ दोष के लक्षणों को पहचानकर आप जान सकते हैं कि आपके घर में यह दोष मौजूद है या नहीं। सामान्य संकेत इस प्रकार हो सकते हैं:
स्वप्नों में पूर्वजों का आना – यदि बार-बार सपनों में दिवंगत पूर्वज दिखाई देते हैं और कुछ मांगते हैं।
घर में आर्थिक समस्याएं – धन की कमी बनी रहती है और आय में स्थिरता नहीं होती।
संतान संबंधी दिक्कतें – संतान प्राप्ति में देरी या बच्चों की पढ़ाई और करियर में रुकावटें आती हैं।
परिवार में आपसी मतभेद – घर में अकारण झगड़े और मतभेद बढ़ जाते हैं।
कार्य में असफलता – कार्यों में बार-बार रुकावटें आती हैं और सफलता नहीं मिलती।
स्वास्थ्य समस्याएं – परिवार के सदस्यों को लगातार बीमारियां घेर लेती हैं।
यदि आपके जीवन में ये समस्याएं लगातार बनी हुई हैं, तो पितृ दोष निवारण पूजा कराना आवश्यक हो सकता है।
अधिक जानकारी के लिए आप AstroLIve के अनुभवी ज्योतिषियों से बात करें।
त्रिवेणी संगम में पितृ दोष निवारण का महत्व
प्रयागराज (इलाहाबाद) में स्थित त्रिवेणी संगम गंगा, यमुना और रहस्यमयी सरस्वती नदियों ��ा पवित्र संगम है। यह भारत के सबसे पवित्र स्थानों में से एक है, जो पितृ दोष निवारण पूजा करने के लिए एक शक्तिशाली स्थान है।
पूर्वजों की मुक्ति: संगम की दिव्य ऊर्जा पूर्वजों की आत्मा को शांति प्रदान करती है।
कर्म संतुलन: यहाँ अनुष्ठान करने से पितृ दोष के कारण होने वाले कर्मात्मक असंतुलन को समाप्त करने में मदद मिलती है।
आने वाली पीढ़ियों का आशीर्वाद: यह पूजा न केवल दोष को दूर करती है बल्कि आने वाली पीढ़ियों के लिए समृद्धि और खुशी भी लाती है।
महाकुंभ पितृ दोष शांति पूजा क्या है?
महाकुंभ पितृ दोष शांति पूजा एक भव्य अनुष्ठान है जो महाकुंभ मेले के दौरान त्रिवेणी संगम में आयोजित किया जाता है। यह अनुष्ठान विशेष रूप से डिज़ाइन किया गया है:
पूर्वजों को प्रार्थना और सम्मान अर्पित करने के लिए।
अपूर्ण कर्तव्यों या गलतियों के लिए क्ष मा मांगने के लिए।
शांति, समृद्धि और पितृ दोष के कारण उत्पन्न बाधाओं को दूर करने के लिए।
महाकुंभ इस अनुष्ठान की आध्यात्मिक शक्ति को बढ़ाता है, जिससे यह पितृ दोष के लिए सबसे प्रभावी उपायों में से एक बन जाता है।
त्रिवेणी संगम पितृ दोष पूजा कैसे करें?
त्रिवेणी संगम में पितृ दोष शांति पूजा का प्रदर्शन निम्नलिखित चरणों में किया जाता है:
ज्योतिषीय परामर्श: अपनी कुंडली में पितृ दोष की पुष्टि करने के लिए ज्योतिषी से सलाह लें।
पूजा सामग्री की व्यवस्था: पूजा के लिए आवश्यक सभी सामग्री सुनिश्चित करें, जैसे तिल, चावल और फूल।
पवित्र मंत्र: अनुष्ठान में वेद मंत्रों का उच्चारण शामिल होता है, जो पूर्वजों को प्रसन्न करते हैं और उनका आशीर्वाद प्राप्त करते हैं।
तर्पण और पिंडदान: ये अर्पण पूर्वजों की आत्मा की शांति सुनिश्चित करने के लिए किए जाते हैं।
गायत्री और महामृत्युंजय मंत्र जाप – ग्रह दोष निवारण के लिए जप।
विशेष हवन एवं आहुति – समस्त दोषों को शांत करने हेतु।
अंतिम विसर्जन: अनुष्ठान संगम के पवित्र जल में अर्पण के विसर्जन के साथ समाप्त होता है।
दान एवं गौसेवा – दोष निवारण के लिए अन्न, वस्त्र और गौदान।
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पितृ दोष निवारण पूजा के लाभ
1. पूर्वजों का आशीर्वाद: यह पूजा पूर्वजों का आशीर्वाद लाती है, जो जीवन में समृद्धि और खुशी सुनिश्चित करती है।
2. बाधाओं का निवारण: व्यक्तिगत और पेशेवर जीवन में बाधाओं को दूर करता है।
3. पारिवारिक सामंजस्य: पारिवारिक संबंधों में शांति और सामंजस्य बहाल करता है।
4. आध्यात्मिक उन्नति: आध्यात्मिक ऊर्जा को बढ़ाता है और ग्रहों के प्रभावों को संतुलित करता है।
5. स्वास्थ्य और धन में सुधार: पितृ दोष से जुड़े स्वास्थ्य समस्याओं और वित्तीय अस्थिरता को हल करता है।
यह भी पढ़ें: राहु केतु पीड़ा शांति पूजा का ज्योतिषीय महत्व – पूजा विवरण, समय और ऑनलाइन बुकिंग
पूजा बुकिंग और अधिक जानकारी
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healthkapitara · 6 days ago
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Sex drive in Hindi | सेक्स ड्राइव :सेक्स पावर बढ़ाने के आसान और प्राकृतिक उपाय
सेक्स ड्राइव यानी आपकी sexual desire आपके शरीर और मानसिक स्थिति पर निर्भर करती है। कई लोग low sex drive in Hindi (कामेच्छा की कमी) से परेशान रहते हैं, लेकिन इसका सही समाधान अपनाकर इसे बढ़ाया जा सकता है। खान-पान, दिनचर्या और मानसिक स्वास्थ्य का इस पर गहरा असर पड़ता है। अगर आपकी sex life में उत्साह की कमी है, तो यह चिंता की बात नहीं है। सही diet, lifestyle और कुछ घरेलू नुस्खे अपनाकर आप अपनी sex…
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