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#महत्वपूर्ण हिंदू व्रत
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निर्जला एकादशी एक महत्वपूर्ण हिंदू व्रत है जो भगवान विष्णु की आराधना में समर्पित है। यह व्रत श्रद्धा, त्याग, और आत्म-समर्पण का प्रतीक है। इसके माध्यम से उपवासी शारीरिक, मानसिक, और आध्यात्मिक रूप से स्वस्थ बनते हैं और अपने अंतरंग शांति का आनंद लेते हैं। यह व्रत संतुष्टि, शक्ति, और आनंद को अनुभव करने का एक अवसर प्रदान करता है।
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dharmikjeevan · 1 year
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Hindu Panchang: June 17, 2023 | Vrat, Tyohar, Muhurat, Choghadiya, and More
देखें जून 17, 2023 के लिए हिंदू पंचांग के व्रत, त्योहार, मुहूर्त, चौघड़िया और अन्य महत्वपूर्ण जानकारी। यह वीडियो आपको सभी संगठनों और कार्यों के लिए सही समय और मुहूर्त की जानकारी प्रदान करेगी। जीवन को आसान बनाने और अपने धार्मिक अनुष्ठानों को संपन्न करने के लिए इस वीडियो को देखें।
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festivalblogs · 6 days
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करवा चौथ 2024: पूजा का महत्व, विधि और तिथि
Karwa Chauth 2024: करवा चौथ का व्रत हिंदू धर्म में विवाहित महिलाओं के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है। इसे पति की लंबी आयु, अच्छे स्वास्थ्य, और सुखमय वैवाहिक जीवन की कामना के साथ रखा जाता है। यह निर्जला व्रत है, जिसमें महिलाओं को अन्न और जल ग्रहण करने की अनुमति नहीं होती। करवा चौथ के दिन सूर्योदय से लेकर चंद्रोदय तक व्रत किया जाता है और रात में चंद्र दर्शन के बाद व्रत का पारण किया जाता है। इस वर्ष करवा चौथ 20 अक्टूबर, 2024 को मनाया जाएगा।
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parasparivaarorg · 7 days
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विजया एकादशी क्या है पारस जी से जाने?
हर महीने में दो बार एकादशी व्रत किया जाता है और इस तरह एक साल में 24 एकादशी व��रत किए जाते हैं। महंत श्री पारस भाई जी ने कहा कि फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी को विजया एकादशी कहते हैं। यदि आप चाहते हैं कि आपको किसी भी कार्य में सफलता प्राप्त हो तो इसके लिए विजया एकादशी का व्रत रखें। इस व्रत को रखने से और भगवान विष्णु की पूजा करने से आपको जीवन में अवश्य सफलता मिलती है। इसी कड़ी में आइये जानते हैं कब है विजया एकादशी का व्रत और क्या है इस व्रत का महत्व ?
कब है विजया एकादशी 2024 ?
हिंदू धर्म में एकादशी तिथि का विशेष महत्व है। फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी विजया एकादशी के नाम से जानी जाती है। उदयातिथि के आधार पर विजया एकादशी का व्रत 6 मार्च बुधवार को है। क्योंकि एकादशी तिथि का सूर्योदय 6 मार्च को होगा इसलिए यह व्रत इसी दिन किया जायेगा। यह व्रत शत्रुओं पर विजय प्राप्त करने के लिए भी किया जाता है। पौराणिक मान्यता के अनुसार, भगवान श्री राम ने रावण से युद्ध करने से पहले विजया एकादशी का व्रत रखा था, जिसके प्रभाव से उन्होंने रावण का वध किया था इसलिए इस दिन व्रत रखना अत्यंत फलदायी माना जाता है। इस दिन व्रत रखकर भगवान विष्णु की कृपा से जीवन में सुख-समृद्धि और ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है।
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विजया एकादशी व्रत की पूजा विधि
विजया एकादशी के दिन सबसे पहले सवेरे उठकर स्नान आदि करें और फिर सच्चे मन से भगवान विष्णु का नाम लेकर व्रत-पूजा का संकल्प लें। इसके बाद भगवान विष्णु की प्रतिमा के सामने शुद्ध घी का दीपक जलाएं। फिर भगवान को अक्षत, फल, पुष्प, चंदन, मिठाई, रोली, मोली आदि अर्पित करें। भगवान विष्णु को तुलसी दल जरूर अर्पित करें क्योंकि भगवान विष्णु को तुलसी अत्यधिक प्रिय है। श्रद्धा-भाव से पूजा कर अंत में भगवान विष्णु की आरती करने के बाद सबको प्रसाद बांटें।
इस दिन विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करना भी शुभ होता है क्योंकि इस पाठ को करने से लक्ष्मी जी आपके घर में वास करती हैं। महंत श्री पारस भाई जी ने बताया कि विजया एकादशी के शुभ दिन किसी गोशाला में गायों के लिए अपनी सामर्थ्य के अनुसार धन का दान करें। विजया एकादशी के दिन दान-पुण्य का विशेष महत्व होता है। गरीबों व जरूरतमंदों को अन्न , वस्त्र, दक्षिणा आदि दान करें।
विजया एकादशी पारण
विजया एकादशी व्रत के दूसरे दिन पारण किया जाता है। एकादशी व्रत में दूसरे दिन विधि-विधान से व्रत को पूर्ण किया जाता है। विजया एकादशी व्रत का पारण 7 मार्च, गुरुवार को किया जाएगा। महंत श्री पारस भाई जी ने कहा कि इस व्रत का पारण करने से पहले आप ब्राह्मणों को भोजन अवश्य करायें और साथ ही अपनी सामर्थ्य के अनुसार जरूरतमंद को दान करें और इसके बाद ही स्वयं भोजन करें।
विजया एकादशी व्रत का महत्व
एकादशी का व्रत भगवान विष्णु को समर्पित होता है। इस दिन उपवास रखने का विशेष महत्व है। साल में जो 24 एकादशी आती हैं, हर एकादशी का अपना अलग महत्व है। विजया एकादशी का व्रत रखने से व्यक्ति की मुश्किलें दूर होती हैं और हर कार्य में सफलता प्राप्त होती है। महंत श्री पारस भाई जी का कहना है कि भगवान विष्णु के आशीर्वाद से पाप मिटते हैं और मोक्ष की प्राप्ति होती है। विजया एकादशी जिसके नाम से ही पता चलता है कि इस एकादशी के प्रभाव से आपको विजय की प्राप्ति होती है। यानि विजय प्राप्ति के लिए इस दिन श्रीहरि की पूजा करना बहुत ही महत्वपूर्ण माना जाता है। इसके अलावा यह भी मान्यता है कि जो मनुष्य विजया एकादशी का व्रत रखता है उस मनुष्य के पितृ स्वर्ग लोक में जाते हैं।
पूजा के समय इस मंत्र का जाप करें- कृं कृष्णाय नम:, ऊं नमो भगवते वासुदेवाय नम:। महंत श्री पारस भाई जी ने इस व्रत के महत्व के बारे में बताते हुए कहा कि पद्म पुराण और स्कन्द पुराण में भी इस व्रत का वर्णन मिलता है। विजया एकादशी का व्रत भी बाकी एकादशियों की तरह बहुत ही कल्याणकारी है।
महंत श्री पारस भाई जी आगे कहते हैं कि यदि आप शत्रुओं से घिरे हो और कैसी भी विकट परिस्थिति क्यों न हो, तब विजया एकादशी के व्रत से आपकी जीत निश्चित है।
इस दिन ये उपाय होते हैं बहुत ख़ास
तुलसी की पूजा विजया एकादशी के दिन तुलसी पूजा को बहुत ही अधिक महत्व दिया जाता है। इस तुलसी के पौधे को जल अर्पित कर दीपक जलाएं। इसके अलावा तुलसी का प्रसाद भी ग्रहण करें। ऐसा करने से घर से दुःख दूर होते हैं और घर में खुशालीआती है ।
शंख की पूजा
विजया एकादशी के दिन तुलसी पूजा की तरह शंख पूजा का भी अत्यधिक महत्व है। इस दिन शंख को तिलक लगाने के बाद शंख में जल भरकर भगवान विष्णु का अभिषेक कर शंख बजाएं। शंख से अभिषेक कर बजाना भी फलदायी माना जाता है। ऐसा करने से घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।
पीला चंदन प्रयोग करें
महंत श्री पारस भाई जी ने बताया कि विजया एकादशी के दिन पीले चंदन का अत्यंत महत्व होता है। इसलिए इस दिन भगवान विष्णु को और स्वयं भी पीले चंदन का टीका अवश्य लगाएं। पीले चंदन का टीका लगाने से आपको कभी असफलता नहीं मिलेगी और आपकी सदैव जीत होगी।
ॐ श्री विष्णवे नम: “पारस परिवार” की ओर से विजया एकादशी 2024 की हार्दिक शुभकामनाएं !!!
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sharpbharat · 7 days
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Jitiya vrat 2024 - पंचांग अनुसार इस दिन रखा जायेगा जितिया व्रत, जानें जीवित्पुत्रिका व्रत की सही तिथि, मुहूर्त और महत्व
शार्प भारत डेस्क : जितिया व्रत या जीवित्पुत्रिका व्रत हिंदू धर्म में एक बहुत ही महत्वपूर्ण उपवास माना गया है. जितिया व्रत में, महिलाएं अपनी संतान की सुरक्षा व स्वास्थ्य के लिए पूरे दिन निर्जला उपवास करती हैं. पंचांग के अनुसार आश्विन माह की कृष्ण पक्ष अष्टमी पर जितिया व्रत किया जाता है. इस साल यह व्रत 25 सितंबर को किया जा रहा है. मान्यता है कि इस व्रत के पुण्य प्रभाव से संतान की आयु लंबी होती है.…
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narayansevango · 12 days
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भाद्रपद पूर्णिमा 2024: धार्मिक महत्व और पूजा विधि
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भाद्रपद पूर्णिमा हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण त्योहार है। यह दिन भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा के लिए समर्पित होता है। इस दिन चंद्रमा की किरणें विशेष महत्व रखती हैं।
2024 में भाद्रपद पूर्णिमा की तारीख:
तिथि: 17 सितंबर, 2024
शुभ मुहूर्त: (यहाँ आप विशिष्ट शुभ मुहूर्त का उल्लेख कर सकते हैं, जैसे कि पूजा का समय, स्नान का समय आदि)
भाद्रपद पूर्णिमा का महत्व:
धार्मिक महत्व: इस दिन पितृ पक्ष की शुरुआत होती है। इसलिए, पितरों का श्राद्ध करना और दान करना विशेष महत्व रखता है।
ज्योतिषीय महत्व: चंद्रमा की किरणें इस दिन विशेष प्रभाव डालती हैं। मान्यता है कि इस दिन की गई पूजा से मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।
आध्यात्मिक महत्व: भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की कृपा पाने के लिए यह दिन बहुत शुभ माना जाता है।
भाद्रपद पूर्णिमा की पूजा विधि:
स्नान: सुबह जल्दी उठकर गंगा जल से स्नान करना शुभ माना जाता है।
पूजा: भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की मूर्ति या चित्र को स्नान कराकर शुद्ध करें। उन्हें फूल, चंदन, अक्षत, रोली और धूप-दीप अर्पित करें।
व्रत: इस दिन व्रत रखना शुभ माना जाता है।
दान: गरीबों को भोजन, वस्त्र आदि का दान करना चाहिए।
कथा: भाद्रपद पूर्णिमा की कथा का पाठ करना चाहिए।
भाद्रपद पूर्णिमा पर क्या करें:
चंद्र दर्शन: पूर्णिमा के दिन चंद्रमा को अर्घ्य दें।
मंत्र जाप: भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी के मंत्रों का जाप करें।
धार्मिक ग्रंथों का पाठ: भगवद गीता, श्रीमद् भागवत गीता आदि धार्मिक ग्रंथों का पाठ करें।
भाद्रपद पूर्णिमा पर क्या न करें:
अशुभ कार्य: इस दिन कोई भी अशुभ कार्य नहीं करना चाहिए।
झूठ बोलना: झूठ बोलने से बचना चाहिए।
क्रोध करना: क्रोध करने से बचना चाहिए।
भाद्रपद पूर्णिमा के लाभ:
मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।
सुख-शांति और समृद्धि प्राप्त होती है।
पितृ दोष से मुक्ति मिलती है।
रोगों से छुटकारा मिलता है।
नारायण सेवा संस्थान के स्वयंसेवक इस दिन जरूरतमंद लोगों की सेवा में जुट जाते हैं। वे भोजन, कपड़े, दवाइयाँ और अन्य आवश्यक चीज़ें वितरित करते हैं। इसके अलावा, वे गरीब बच्चों को शिक्षा और स्वास्थ्य सुविधाएँ प्रदान करने के लिए भी कार्य करते हैं।
निष्कर्ष:
भाद्रपद पूर्णिमा एक पवित्र त्योहार है जो धार्मिक, ज्योतिषीय और आध्यात्मिक महत्व रखता है। इस दिन भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा करने से जीवन में सुख-शांति और समृद्धि आती है।
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jeevanjali · 22 days
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Hartalika Teej: हरतालिका तीज पर भूल से भी ना खाएं, ये चीजें नाराज हो सकती हैं तीज माताHartalika Teej: हरतालिका तीज एक महत्वपूर्ण हिंदू त्योहार है जो खासकर महिलाओं द्वारा व्रत के रूप में मनाया जाता है, इस दिन, महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र और सुखमय जीवन के लिए उपवासी रहती हैं,
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श्रीकृष्ण जन्माष्टमी की आप सभी को ढेरों शुभकामनायें
श्रीकृष्ण जन्माष्टमी का पर्व आज, जानिए शुभ मुहूर्त और पूजा विधि
कान्हा जी भगवान विष्णु के आठवें अवतार हैं। उनकी अद्भुत लीलाओं का वर्णन आज भी उनके भक्तों के जुबान पर है। यह दिव्य त्योहार श्री कृष्ण के जन्मोत्सव का प्रतीक है। हिंदू पंचांग के अनुसार इस साल यह पर्व (Krishna Janmashatami 2024 Subh Muhurat) 26 अगस्त को मनाया जाएगा तो आइए इसकी पूजा विधि मंत्र और पूजन का समय जानते हैं।
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जन्माष्टमी का पर्व बेहद शुभ माना जाता है।
कान्हा जी भगवान विष्णु के आठवें अवतार हैं।
इस साल जन्माष्टमी 26 अगस्त 2024 को मनाई जाएगी
जन्माष्टमी के पर्व को बहुत शुभ माना जाता है। यह त्योहार भगवान कृष्ण को समर्पित है। हिंदू पंचांग के अनुसार, 2024 वर्ष में जन्माष्टमी 26 अगस्त को मनाई जाएगी। ऐसी मान्यता है कि इस दिन (Janmashatami 2024 Subh Muhurat) सच्चे भाव के साथ कान्हा जी की पूजा-अर्चना करने से सुख और शांति की प्राप्ति होती है। साथ ही जीवन में शुभता का आगमन होता है।
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करियर में सफलता प्राप्ति के लिए कान्हा जी को अर्पित करें प्रिय फूल, पूजा होगी सफल
जन्माष्टमी का पर्व कान्हा जी को समर्पित है। मान्यता है कि जन्माष्टमी (Janmashtami 2024) पर विधिपूर्वक कान्हा जी की उपासना और व्रत करने से साधक को अक्षय फल की प्राप्ति होगी। साथ ही प्रभु प्रसन्न होंगे। इस आर्टिकल में हम आपको बताएंगे जन्माष्टमी से जुड़े कुछ महत्वपूर्ण नियम जिनका पालन करने से आप करियर में सफलता प्राप्त कर सकते हैं।
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भाद्रपद माह में जन्माष्टमी मनाई जाती है।
इस अवसर पर लड्डू गोपाल का अभिषेक किया जाता है।
प्रभु को प्रिय फूल अर्पित करने चाहिए।
Janmashtami 2024: धार्मिक मान्यता है कि भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि पर भगवान श्रीकृष्ण का अवतरण हुआ था। इसलिए इस तिथि पर हर साल जन्माष्टमी का पर्व मनाया जाता है। इस वर्ष यह त्योहार आज यानी 26 अगस्त को है। ऐसा माना जाता है कि पूजा के दौरान लड्डू गोपाल को प्रिय फूल अर्पित करने से साधक का जीवन सदैव खुशहाल रहता है और सुख-समृद्धि में वृद्धि होती है। ऐसे में आइए जानते हैं प्रभु को कौन से फूल चढ़ाने चाहिए ?
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जन्माष्टमी 2024 पूजा शुभ मुहूर्त (Janmashtami 2024 Puja Time)
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पंचांग के अनुसार, भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि की शुरुआत 26 अगस्त को मध्य रात्रि 03 बजकर 39 मिनट पर शुरू हो गई है। साथ ही इस तिथि का समापन 27 अगस्त को मध्य रात्रि 02 बजकर 19 पर समाप्त होगा। ऐसे में जन्माष्टमी व्रत आज यानी 26 अगस्त को किया जाएगा। कान्हा जी की पूजा करने का शुभ मुहूर्त 27 अगस्त की रात्रि 12 बजकर 01 मिनट से 12 बजकर 45 मिनट तक है।
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hindunidhi · 2 months
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वरलक्ष्मी व्रत पूजन की विधि और महत्व: सुख, समृद्धि, वैवाहिक सौभाग्य का वरदान
वरलक्ष्मी व्रत हिंदू धर्म में महिलाओं द्वारा रखा जाने वाला एक महत्वपूर्ण व्रत है। यह व्रत विशेष रूप से विवाहित महिलाओं के लिए होता है और माना जाता है कि इसे रखने से सुख, समृद्धि और वैवाहिक जीवन में सौभाग्य की प्राप्ति होती है।
वरलक्ष्मी व्रत एक पवित्र और महत्वपूर्ण व्रत है। इस व्रत को रखने से सुख, समृद्धि और वैवाहिक जीवन में सौभाग्य की प्राप्ति होती है। यदि आप भी वरलक्ष्मी व्रत रखना चाहते हैं, तो उपरोक्त विधि का पालन कर सकते हैं।
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वरलक्ष्मी व्रत का महत्व
इस व्रत को रखने से माता लक्ष्मी की विशेष कृपा प्राप्त होती है। लक्ष्मी जी धन की देवी हैं और उनकी कृपा से घर में सुख-समृद्धि आती है।
विवाहित महिलाओं के लिए यह व्रत विशेष रूप से महत्वपूर्ण होता है। माना जाता है कि इस व्रत को रखने से वैवाहिक जीवन में सुख और शांति बनी रहती है।
वरलक्ष्मी व्रत को रखने से महिलाओं को सौभाग्य की प्राप्ति होती है।
इस व्रत को रखने से मनोकामनाएं पूरी होती हैं।
वरलक्ष्मी व्रत पूजन विधि
वरलक्ष्मी व्रत पूजन की विधि इस प्रकार है
सबसे पहले एक कलश स्थापित किया जाता है। कलश को आम के पत्तों और फूलों से सजाया जाता है।
कलश स्थापना के बाद गणेश जी की पूजा की जाती है।
फिर माता लक्ष्मी की पूजा की जाती है। लक्ष्मी जी की मूर्ति या चित्र को फूलों और रोली से सजाया जाता है।
लक्ष्मी जी को रोली, चावल, फूल, मिठाई और फल अर्पित किए जाते हैं।
दीपक जलाकर लक्ष्मी जी को अर्पित किया जाता है।
लक्ष्मी जी के मंत्रों का जाप किया जाता है।
वरलक्ष्मी व्रत कथा सुनी जाती है।
अंत में आरती की जाती है।
अन्य जानकारी
वरलक्ष्मी व्रत आमतौर पर श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी को मनाया जाता है।
इस व्रत को रखने के लिए विशेष रूप से सोलह श्रृंगार किया जाता है।
इस दिन महिलाएं नए वस्त्र पहनती हैं और सोने के आभूषण धारण करती हैं।
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samparkpanditji · 4 months
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अविश्वसनीय "जया एकादशी व्रत कथा: 2024" (मोक्ष प्राप्ति)
"जया एकादशी" का व्रत हिंदू धर्म में अत्यंत पवित्र और महत्वपूर्ण माना जाता है। यह व्रत माघ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को मनाया जाता है। 2024 में जया एकादशी का व्रत 9 फरवरी को पड़ेगा। इस व्रत की कथा और महत्व को समझना मोक्ष प्राप्ति के लिए अत्यंत आवश्यक है।
जया एकादशी व्रत कथा:
पौराणिक कथा के अनुसार, इंद्रलोक में माल्यवान नामक एक गंधर्व और पुष्पवती नामक अप्सरा रहती थी। एक बार दोनों ने इंद्र की सभा में अपने कर्तव्यों का पालन करते समय एक-दूसरे के प्रति आकर्षित होकर ध्यान भंग कर दिया। इससे इंद्रदेव क्रोधित हो गए और उन्होंने दोनों को श्राप देकर पृथ्वी पर राक्षस योनि में जन्म लेने का आदेश दिया। पृथ्वी पर आकर वे दोनों दुखी और कष्टमय जीवन जीने लगे।
एक दिन माघ मास की शुक्ल पक्ष की एकादशी के दिन, भूले-भटके उन्होंने इस पवित्र दिन का व्रत रखा और भगवान विष्णु की आराधना की। उनके इस व्रत के प्रभाव से वे अपने पापों से मुक्त हो गए और पुनः अपने दिव्य स्वरूप में लौट आए। भगवान विष्णु ने उन्हें आशीर्वाद देकर उनके कष्टों का अंत किया और उन्हें स्वर्गलोक भेज दिया।
जया एकादशी व्रत का महत्व:
जया एकादशी का व्रत रखने से व्यक्ति को समस्त पापों से मुक्ति मिलती है और मोक्ष प्राप्ति का मार्ग प्रशस्त होता है। इस व्रत को करने से व्यक्ति के जीवन में सुख, शांति और समृद्धि का संचार होता है। कहा जाता है कि इस व्रत के पुण्य प्रभाव से व्यक्ति के पूर्व जन्मों के पाप भी समाप्त हो जाते हैं।
व्रत के दिन प्रातः काल स्नान कर भगवान विष्णु की पूजा करनी चाहिए और व्रत की कथा का पाठ करना चाहिए। व्रत के दौरान ब्रह्मचर्य का पालन करना आवश्यक है और संभव हो तो रात में जागरण करके भगवान का स्मरण करना चाहिए। जया एकादशी व्रत का पालन करने से व्यक्ति को जीवन के हर क्षेत्र में सफलता मिलती है और अंततः मोक्ष प्राप्ति होती है।
इस प्रकार, जया एकादशी व्रत कथा और इसका पालन करने से व्यक्ति के जीवन में सकारात्मक परिवर्तन आते हैं और मोक्ष प्राप्ति का मार्ग खुलता है।
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vedicastrologyy · 6 months
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हिंदू धर्म में प्रदोष व्रत/Pradosh Vrat 2024 को बेहद ही महत्वपूर्ण माना जाता है।
https://www.vinaybajrangi.com/blog/vrat/pradosh-vrat-2024
https://www.youtube.com/watch?v=uEnO9hO9Wiw
#shanipradoshvrat #pradoshvrat #pradoshvrat2024 #amavasya #somvatiamavasya
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parasparivaar · 11 months
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रमा एकादशी 2023
महंत श्री पारस भाई जी के अनुसार, रमा एकादशी व्रत का पालन करने से धन, समृद्धि और सुखी जीवन मिलता है। साथ ही आपको वर्तमान और पिछले जन्मों के पापों से मुक्ति मिलती है।
हिंदू धर्म में एकादशी का व्रत महत्वपूर्ण स्थान रखता है। रमा एकादशी का व्रत कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि के दिन रखा जाता है। रमा एकादशी का व्रत रखने से व्यक्ति को बैकुंठ में जगह मिलती है। चलिए जानते हैं इस साल रमा एकादशी का व्रत कब रखा जाएगा और क्या है एकादशी व्रत की पूजा विधि और महत्व।
कब है रमा एकादशी व्रत ?
हिंदू पंचांग के अनुसार, रमा एकादशी का व्रत कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि के दिन रखा जाता है। इस साल यह व्रत 9 नवंबर को रखा जाएगा। साधक को 10 नवंबर को सुबह पूजा पाठ करके व्रत का पारण कर लेना चाहिए। यह रमा एकादशी दिवाली से पहले आती है। “महंत श्री पारस भाई जी” के अनुसार, रमा एकादशी का व्रत बाकी एकादशी में शुभ और अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है। 
ऐसा माना जाता है कि रमा एकादशी पर भगवान विष्णु की पूजा करने से जातक को सभी प्रकार के सांसारिक सुखों की प्राप्ति होती है। जो इस व्रत को रखता है उसे ब्रह्महत्या के साथ कई पापों से मुक्ति मिल जाती है। रमा एकादशी का व्रत करने से सभी पाप मिट जाते हैं। सौभाग्यवती स्त्रियों के लिए यह व्रत सुख और सौभाग्यप्रद माना गया है। 
रमा एकादशी व्रत पूजा विधि
रमा एकादशी व्रत को सबसे महत्वपूर्ण एकादशी में से एक माना जाता है। इस दिन जगत के पालनहार श्री हरि विष्णु की पूजा करने और व्रत रखने का विधान है। रमा एकादशी के दिन सबसे पहले स्नान करने के बाद भगवान विष्णु की प्रतिमा को गंगाजल से अभिषेक कराएं। 
फिर व्रत का संकल्प लेकर श्रद्धा भाव से भगवान विष्णु की पूजा करें। जिस प्रकार आप व्रत कर सकते हैं, उसी के अनुसार संकल्प लें, जैसे यदि पूरा दिन निराहार रहना चाहते हो या फिर एक समय फलाहार करना चाहते हैं। भगवान विष्णु को दीप, धूप, नैवेद्य, फल, पुष्प आदि अर्पित करें। फिर विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करें और रमा एकादशी की व्रत कथा पढ़ें। ब्राह्मणों को भोजन और दक्षिणा देकर उनका आशीर्वाद लें। 
रमा एकादशी को पुण्य कर्म करने के लिए सबसे अच्छा माना जाता है। इसे भगवान विष्णु के सबसे प्रिय एकादशी में से एक जाना जाता है। इस दिन भगवान विष्णु को तुलसी दल अर्पित करना बहुत ही शुभ माना जाता है। भोग में विष्णु भगवान को पीले रंग की मिठाई चढ़ानी चाहिए। इस दिन व्रत करने से मां लक्ष्मी भी आपको ऐश्वर्य, कीर्ति, धन का आशीर्वाद देती हैं। पुराणों के अनुसार रमा एकादशी व्रत को करने से व्रती अपने सभी पापों का नाश करते हुए भगवान विष्णु का धाम प्राप्त करता है और मृत्यु के बाद मोक्ष को प्राप्त करता है।
“महंत श्री पारस भाई जी’ के मुताबिक जो भक्त, प्रभु की भक्ति श्रद्धा और आस्था के साथ करते हैं उनके सभी कष्टों का निवारण प्रभु अवश्य करते हैं।
रमा एकादशी व्रत का महत्व
सभी एकादशियों में रमा एकादशी को सबसे महत्वपूर्ण माना जाता है। इसे रम्भा एकादशी के नाम से भी जाना जाता है। पौराणिक कथाओं के अनुसार जो भी व्यक्ति रमा एकादशी का व्रत करता है, उससे भगवान विष्णु बहुत प्रसन्न होते हैं और व्यक्ति को सभी तरह के पापों से मुक्ति मिलती है। 
इसके अलावा उस व्यक्ति को बैकुंठ की प्राप्ति होती है। ऐसी मान्यता है कि रमा एकादशी पर भगवान विष्णु की पूजा करने से जातक के सभी प्रकार के दुःख दूर होते हैं और सुखों की प्राप्ति होती है। रमा एकादशी के व्रत रखने के साथ ही इस दिन माता लक्ष्मी की पूजा करने का भी विधान है। एकादशी व्रत सूर्योदय से शुरू होता है और अगले दिन द्वादशी तिथि को समाप्त होता है। इस व्रत को रखने से घर में सुख-समृद्धि और खुशहाली आती है। 
साल में कुल 24 एकादशी मनाई जाती हैं और ऐसा माना जाता है कि जो इस शुभ दिन पर उपवास रखते हैं, वे अपने पिछले जन्म के बुरे कर्मों से मुक्त हो जाते हैं। जब अधिकमास या मलमास आता है तब इनकी संख्या बढ़कर 26 हो जाती है। इस व्रत को करने से लक्ष्मी जी प्रसन्न होती हैं। यानि मां लक्ष्मी की कृपा प्राप्ति के लिए भी यह दिन सबसे शुभ माना जाता है। धन-धान्य और सुख की प्राप्ति के अलावा विवाह में हो रही देरी की समस्याओं को दूर करने के लिए रमा एकादशी का व्रत जरूर रखें।
“महंत श्री पारस भाई जी” ने बताया कि इस दिन श्री नारायण की पूजा अर्चना करने से व्यक्ति को उत्तम लोक की प्राप्ति होती है। इसके अलावा एकादशी का व्रत को करने से मन और तन दोनों स्वस्थ रहते हैं।
रमा एकादशी के दिन दान करने का क्या है महत्व ?
जो व्यक्ति इस दिन व्रत रखता है उसकी सभी मनोकामनायें पूरी होती हैं और समस्याओं से छुटकारा मिलता है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन दान करने से 11 हजार गाय के दान करने के बराबर पुण्य फल मिलता है। तो आइये जानते हैं रमा एकादशी के दिन दान करने का क्या है महत्व और इस दिन किन चीजों का दान करना फलदायी माना जाता है।
अन्न का दान करें 
रमा एकादशी के दिन गरीब या जरूरतमंदों लोगों को अन्न का दान करना शुभ माना जाता है। ऐसा करने पर माँ लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं और सुख-समृद्धि का आशीर्वाद देती हैं।
तेल का दान करें
रमा एकादशी के दिन सरसों के तेल का दान करना अच्छा माना जाता है। ऐसा करने से शनि महाराज खुश होते हैं और आपके कष्ट दूर होते हैं।
पढ़ाई से संबंधित चीजें दान करें
इस दिन पढ़ने वाले बच्चों को पढ़ाई से संबंधित चीजें जरूर दान करें। ऐसी मान्यता है कि ऐसा करने से माँ लक्ष्मी तो प्रसन्न होती ही है। साथ में माँ सरस्वती भी प्रसन्न होती हैं, क्योंकि माँ सरस्वती विद्या की देवी हैं। ऐसा करने से आपको करियर और जीवन में सफलता मिलती है।
पीले फल का दान करें
ऐसी मान्यता है कि रमा एकादशी के दिन पीले फल का दान करने से भगवान विष्णु की कृपा बनी रहती है और आपके जीवन में खुशहाली आती है।
 कंबल का करें दान
इस दिन गरीबों को कंबल का दान करना अच्छा माना जाता है। ऐसा करने से आपको शुभ फल की प्राप्ति होती है। ऐसी मान्यता है कि जो लोग इस दिन समर्पण के साथ उपवास रखते हैं उनके जीवन की सभी समस्याएं दूर होती हैं।
रमा एकादशी व्रत के दिन इन नियमों को ध्यान में रखें
किसी का अनादर न करें और झूठ न बोलें
रमा एकादशी के दिन तुलसी माता को जल नहीं चढ़ाएं
एकादशी के दिन चावल का सेवन न करें
एकादशी व्रत के दिन तामसिक चीजों से दूर रहें
केवल सात्त्विक भोजन ही ग्रहण करें
महंत श्री पारस भाई जी कहते हैं कि कार्तिक मास में प्रात: सूर्योदय से पूर्व उठने का और दान आदि करने का विधान है। इसलिए इस माह में प्रात: उठकर केवल स्नान करने मात्र से ही मनुष्य को जहां कई हजार यज्ञ करने का फल मिलता है, वहीं इस महीने में श्रद्धापूर्वक किए गए किसी भी व्रत का फल हजारों गुणा अधिक मिलता है। शास्त्रों में विष्णुप्रिया तुलसी की महिमा अधिक है इसलिए व्रत में तुलसी पूजन करना और तुलसी की परिक्रमा करना अति उत्तम माना गया है।
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dharmikjeevan · 1 year
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Hindu Panchang: June 16, 2023 | Vrat, Tyohar, Muhurat, Choghadiya, and More
देखें जून 16, 2023 के लिए हिंदू पंचांग के व्रत, त्योहार, मुहूर्त, चौघड़िया और अन्य महत्वपूर्ण जानकारी। यह वीडियो आपको सभी संगठनों और कार्यों के लिए सही समय और मुहूर्त की जानकारी प्रदान करेगी। जीवन को आसान बनाने और अपने धार्मिक अनुष्ठानों को संपन्न करने के लिए इस वीडियो को देखें।
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adbanaoapp-india · 11 months
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दिवाली की शुरुवात , गोवत्स द्वादशी / वसुबारस के साथ ।
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दिवाली की शान बढ़ाओ, लोकल ख़रीदारी अपनाओ। AdBanao Special Blog
गोवत्स द्वादशी / वसुबारस बनाओ ख़ास AdBanao App के साथ। 
वसुबारस क्या है और क्यूँ मानते है|
भारत में त्योहारों की कोई कमी नहीं होती है। यहां त्यौहारों में नई-नई रंगत भर जाती है और धूम-धाम से मनाया जाता है। इन त्यौहारों में भारतीय बहुत उत्साह से भाग लेते हैं। ऐसे ही एक त्यौहार है वसुबारस। यह त्यौहार दीवाली से एक दिन पहले मनाया जाता है। हम इस दिन को भगवान विष्णु और उनकी प्रतिनिधित्व करने वाली गाय के उपासना के रूप में मनाया जाता है। 
वसुबारस क्या होता है? इस दिन गाय और उसकी सहायक दूध पिलाने वाली बछड़े का पूजन किया जाता है।
भारत में अधिकतर हिंदू गाय को अत्यंत मूल्यवान व पवित्र मानते है।
इस त्योहार को अनेक राज्यों में अलग-अलग नामों से मनाया जाता है, लेकिन इसका महत्व सब जगह पूरी तरह से समान ही होता है। वसुबारस के दिन गायों की पूजा की विधि अनेक स्थानों पर अलग-अलग होती है। महाराष्ट्र में वसुबारस को गोवत्स द्वादशी के रूप में मनाया जाता है। गुजरात में बाघ बारस नाम से मनाया जाता है।
आंध्र प्रदेश राज्य में पीठापुरम दत्त महासंस्थान में श्रीपाद श्री वल्लभ के श्रीपाद वल्लभ आराधना उत्सव के रूप में मनाया जाता है। अन्य राज्यों में भी वसुबारस को उत्सव के रूप में आयोजित किया जाता है। 
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गौ माता को मातृत्व, उर्जा और स्थिरता का प्रतीक माना जाता है। ऐसा माना जाता है कि जिनके घर गाय होती है उनके घर धन और लाभ की प्राप्ति होती है और इसलिए लोग अपनी गाय और बछड़ों को पूजते हैं, उन्हें वसुधा देवी का रूप मानते हैं और उनसे आशीर्वाद लेते हैं।
वसुबारस का महत्व
वसुबारस मुख्यतः देवी गौ माता की पूजा का दिन माना जाता है। गाय को माँ के रूप में मानी जाती है जो हमारे जीवन में अत्यंत महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। इसलिए इस दिन हमें एक मौका मिलता है भगवान शिव की तरह, देवी गौ माता की पूजा करने का। 
इसी के साथ देवी लक्ष्मी धन और समृद्धि की देवी मानी जाती है, जो अपने भक्तो�� के जीवन में खुशहाली और समृद्धि लाती है। वसुबारस के दिन गौ माता की पूजा करने से देवी लक्ष्मी सुख, समृद्धि और सफलता का वरदान देती हैं। वसुबारस के दिन भगवान कुबेर और देवी लक्ष्मी की प्रार्थना करने का एक और सुअवसर होता है। इस दिन अगर हम व्रत रखते हैं, तो यह हमारी मनोकामनाएं पूरी करने में मदद करता है। हमें उम्मीद है कि इस वसुबारस पर आप सभी गौ माता की पूजा कर, देवी लक्ष्मी की कृपा प्राप्त करें और हर एक से प्यार भरे रिश्तों की स्थापना करें।
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वसुबारस में पूजा विधि
हिंदू धर्म में गौ माता को बड़ा महत्व मिलता है, और विभिन्न उत्सवों में गौ माता की पूजा की जाती है। वसुबारस उत्सव के दौरान भी गौ माता व उसके बछड़ों की पूजा की जाती है। गौ पूजा प्रातःकाल में कि जाती है। गौ माता की पूजा के लिए एक साफ़ थाली उसमें चावल, फूल, दीपक, पंचामृत, नारियल का पानी, शक्कर, हल्दी, कुमकुम आदि आवश्यक चीजें है। उसी के साथ भोग भी आवशक है, भोग स्वरूप गेहूँ के उत्पाद, चना और मूंग की फलियाँ खिलाई जाती हैं| 
श्री कृष्ण की पूजा भी वसुबारस में की जाती है। वसुबारस के दिन कर्म करने की महत्वता होती है। दिन के जल्दी सूर्योदय पर उठें और गौ माता की पूजा के बाद महिलाएँ घर के कोने-कोने से आकाश की ओर अभिवादन करती है| यह करने से बड़ी से बड़ी आपदाओं से बचा जा सकता है ऐसी मान्यता है। इसी के साथ दान का भी इस दें पर अनन्य साधारण महत्व है। 
गौ माता या कामधेनु जैसी स्वर्गीय गाय की पूजा करने से, हमारे घर सुख शांति और धन कि कभी कमी नहीं रहेगी यह धरना होती है, इसी लिए वसुबारस के दिन लोग अपनी इच्छाओं को पूरा करने के लिए गौ माता से आशीर्वाद लेते हैं।
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वसुबारस पर आप अपना बिज़नस कैसे बढ़ा सकते हो?
हम सभी को पता है कि, वसुबारस दिवाली कि शुरुवात मानी जाती है, दिवाली भारत का सबसे बड़ा त्योहार है|
दिवाली खुशियों के साथ साथ बिज़नस बढाने का भी अवसर लेकर आती है|
इस दिवाली आप अपने बिज़नस कि ब्रांडिंग करके अपने बिज़नस को बढ़ा सकते हो| आपके बिज़नस कि ब्रांडिंग के लिए AdBanao ऐप सबसे प्रीमियम और कारगर है| 
AdBanao से आप वसुबारस के लिए सोशल मीडिया पोस्ट बना सकते हो उसी के साथ नरक चतुर्थी के बैनर्स, लक्ष्मी पूजा के बधाई पोस्टर, बलि प्रतिपदा के व्हिडिओ स्टेटस, दिवाली पाडवा के प्रोडक्ट ads, गोवेर्धन पूजा के स्टेटस के साथ WhatsApp स्टिकर्स, धनतेरस के लिए बिजनेस Ads, भैया दूज ब्रांडिंग पोस्टर्स,  तुलसी विवाह के सोशल मीडिया पोस्ट, देव दिवाली के व्हिडिओ स्टेटस, और भी बहुत कुछ आपको मिलता है AdBanao ऐप में|
तो चलो, दिवाली के साथ अपने बिज़नस ब्रांडिंग का भी उत्सव मानते है, AdBanao से ब्रांडिंग करके इस दिवाली अपना कारोबार बढ़ाते है|
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parasparivaarorg · 16 days
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पारस से जाने: ज्ञान की देवी माता सरस्वती
वसंत पंचमी (मां सरस्वती का जन्मोत्सव)
पारस परिवार के संस्थापक, आदरणीय “महंत श्री पारस भाई जी” एक सच्चे मार्गदर्शक, एक महान ज्योतिषी, एक आध्यात्मिक लीडर, एक असाधारण प्रेरक वक्ता और एक सामाजिक कार्यकर्ता हैं जो देश और समाज के कल्याण के लिए खुद को समर्पित करते हैं। उनका एक ही लक्ष्य है लोगों के सुखी और समृद्ध जीवन की कामना करना। लोगों को अँधेरे से निकालकर उनके जीवन में रोशनी फैलाना।
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“पारस परिवार” हर किसी के जीवन को बेहतर बनाने के लिए निरंतर प्रतिबद्ध है। पारस परिवार से जो भी जुड़ जाता है वो इस परिवार का एक अहम हिस्सा बन जाता है और यह संगठन और भी मजबूत बन जाता है। जिस तरह एक परिवार में एक दूसरे की जरूरतों का ख्याल रखा जाता है। ठीक उसी तरह पारस परिवार भी एक परिवार की तरह एक दूसरे का सम्मान करता है और जरूरतमंद लोगों के जीवन में बदलाव लाने के साथ यह परिवार एकजुट की भावना रखता है ।
‘महंत श्री पारस भाई जी’ एक ऐसे समाज का निर्माण करना चाहते हैं जहाँ कमजोर आर्थिक स्थिति के कारण कोई भी व्यक्ति भूखा न रहे, जहाँ जाति-धर्म के नाम पर झगड़े न हों और जहाँ आपस में लोग मिलजुलकर रहें। साथ ही लोगों में द्वेष न रहे और प्रेम की भावना का विकास हो। पारस परिवार निस्वार्थ रूप से जन कल्याण की विचारधारा से प्रभावित है।
इसी विचारधारा को लेकर वह भक्तों के आंतरिक और बाहरी विकास के लिए कई आध्यात्मिक और सामाजिक कार्यक्रम समय-समय पर आयोजित करते हैं। आध्यात्मिक क्षेत्र (Spiritual Sector) की बात करें तो महंत श्री पारस भाई जी “दुख निवारण महाचण्डी पाठ”, “प्रार्थना सभा” और “पवित्र जल वितरण” जैसे दिव्य कार्यक्रम आयोजित करते हैं।
जिससे वे भक्तों के दुखों का निवारण, उनकी आंतरिक शांति और उनकी सुख-समृद्धि के लिए समर्पित हैं। इसी तरह सामाजिक क्षेत्र की बात करें तो पारस परिवार सामाजिक जागरूकता और समाज कल्याण के लिए भारतीय संस्कृति को संरक्षित करने के लिए लंगर, धर्मरथ और गौ सेवा जैसे महान कार्यों में अपनी सेवाएं दे रहे हैं। इसके अलावा हरियाणा और मध्य प्रदेश में “डेरा नसीब दा” जैसे महान कार्य का निर्माण भी है, जहाँ जाकर सोया हुआ नसीब भी जाग जाता है।
हिन्दू धर्म में बसंत पंचमी बहुत ही महत्वपूर्ण त्यौहार है। बसंत पंचमी के दिन विद्या की देवी माँ सरस्वती की पूजा करने का विधान है। यानि यह पर्व शिक्षा की देवी मां सरस्वती को समर्पित है।बसंत पंचमी से बंसत ऋतु का आगमन शुरू हो जाता है। इस समय पीले-पीले सरसों के खेत एक अलग ही छटा बिखेरते हैं। इस अवसर पर पीले वस्त्र धारण करना शुभ होता है। वसंत ऋतु की महत्ता की बात करें तो गीता में भगवान श्री कृष्ण ने ‘’ऋतूनां कुसुमाकराः’’ अर्थात मैं ऋतुओं में वसंत हूं, यह कहकर वसंत को अपना स्वरूप बताया है।
कब है बसंत पंचमी का त्यौहार? बसंत पंचमी “वसंत” के आगमन को मनाने का एक पवित्र हिंदू त्यौहार है। इस त्यौहार में सरसों के फूलने की खुशी में लोग वसंत ऋतु का स्वागत करते हैं। प्रकृति के इस पर्व को महाकवि कालीदास ने ‘सर्वप्रिये चारुतर वसंते’’ कहकर अलंकृत किया है। इस दिन मां सरस्वती, ज्ञान की देवी की पूजा भी की जाती है। बसंत पंचमी का त्योहार इस बार 14 फरवरी, 2024 को पूरे देश भर में उत्साह के साथ मनाया जाएगा। बसंत पंचमी का पर्व हर साल माघ मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को मनाया जाता है। इस दिन मां सरस्वती की पूरे श्रद्धा भाव के साथ पूजा की जाती है। इस दिन घरों में पीले-केसरिया रंग के खाद्यान्न बनाने और खाने से विशेष कृपा मिलती है। बसंत पंचमी के दिन विद्यालयों, कॉलेजों में सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किये जाते हैं।
बसंत पंचमी पूजन विधि बसंत पंचमी के दिन सबसे पहले सुबह स्नान के बाद पीले वस्त्र पहनें। इसके बाद मां सरस्वती की मन से आराधना करें। मां सरस्वती को पीले रंग के वस्त्र पहनायें। उन्हें हल्दी, केसर, पीले रंग के फूल, पीली मिठाई आदि चीज़ेंअर्पित करें। पूजा प्रारंभ करने से पहले ‘यथोपलब्धपूजनसामग्रीभिः माघ मासे बसंत पंचमी तिथौ भगवत्या: सरस्वत्या: पूजनमहं करिष्ये’ मंत्र का जाप करें। इसके बाद मां सरस्वती की पूजा कर माँ के सामने वाद्य यंत्र और किताबें रखें। अपने पूरे परिवार के साथ खासकर बच्चों के साथ इस दिन जरूर पूजा करें। मां सरस्वती को पीले चावल का भोग लगाकर इसके बाद इस खीर को प्रसाद के रूप में सभी को बांट दें। मां सरस्वती को बागीश्वरी, भगवती, शारदा और वीणावादनी आदि नामों से भी पूजा जाता है।
महंत श्री पारस भाई जी ने कहा कि इस दिन पूजा के दौरान मां सरस्वती व्रत कथा का पाठ करने से आपकी मनचाही मनोकामनाएं पूरी होती हैं और सभी बिगड़े काम बन जाते हैं। इसके अलावा मां सरस्वती की पूजा से ज्ञान की प्राप्ति भी होती है। शिक्षा और कला के क्षेत्र में उन्नति के लिए माता सरस्वती की पूजा में शिक्षा से संबंधित चीजें जरूर रखें, जैसे पेन, कॉपी, किताब और वाद्य यंत्र आदि। मां सरस्वती की विशेष कृपा प्राप्त करने के लिए बसंत पंचमी के दिन सरस्वती जी के मंत्रों का जाप करना भी बेहद शुभ फलकारी माना जाता है। ऐसी मान्यता है कि सृष्टि अपनी प्रारंभिक अवस्था में शांत और नीरस थी। इस तरह मौन देखकर भगवान ब्रह्मा जी ने अपने कमंडल से जल छिड़का और इससे मां सरस्वती प्रकट हुईं। मां सरस्वती की वीणा से संसार को वाणी मिली। इसलिए बसंत पंचमी के दिन मां सरस्वती की पूजा की जाती है।
मां सरस्वती को अति प्रिय है पीला रंग ज्ञान की देवी माँ सरस्वती को पीला रंग बेहद प्रिय है। इसलिए इस दिन पीले रंग के वस्त्र धारण करना अच्छा माना जाता है। पीले रंग के वस्त्र पहनने से मां सरस्वती की आप पर कृपा बनी रहती है। इस दिन मां सरस्वती को हल्दी जरूर अर्पित करनी चाहिए। साथ ही इस दिन मां सरस्वती को पीले रंग की मिठाईयों का भी भोग लगाया जाता है। इसके अलावा माँ को पीले रंग के फूल भी अर्पित किए जाते हैं। मां सरस्वती की पूजा से घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। इस दिन घर में मां सरस्वती की मूर्ति या तस्वीर अवश्य स्थापित करें।
क्यों इतना खास होता है वसंत पंचमी का त्यौहार? यह त्योहार पतझड़ के जाने के बाद बसंत ऋतु के आगमन की खुशी में मनाया जाता है। इसके अलावा यह दिन हिन्दू धर्म में ज्ञान की देवी मां सरस्वती के जन्मोत्सव के रूप में भी मनाया जाता है। बसंत पंचमी के त्यौहार को सिर्फ भारत ही नहीं बल्कि पड़ोसी देश नेपाल और बांग्लादेश भी बड़े ही हर्ष और उल्लास के साथ मनाते हैं। चारों ओर खेतों में खिले सरसों के फूल इसके आने की आहट देते हैं।
बसंत पंचमी के दिन विद्यालयों, कॉलेजों और सांस्कृतिक संस्थाओं में माँ सरस्वती की पूजा के रूप में विशेष कार्यक्रम आयोजित किये जाते हैं। यह त्यौहार भारत में मुख्य रूप से माँ सरस्वती की पूजा और उनकी कृपा का उत्सव है। यह त्यौहार विद्यार्थियों को सरस्वती माता का आशीर्वाद लेने का अवसर देता है। वसंत लोगों का सबसे मनचाहा मौसम होता है। इस मौसम में फूलों पर बहार आ जाती है, खेतों में सरसों के फूल लहलहाने लगते हैं। खेतों में ऐसा लगता है जैसे खेतों में पीली चादर सी बिछ गयी हो। सरसों के पीले फूल अपने आकर्षण से सभी का ध्यान अपनी ओर आकर्षित करते हैं। ऐसा लगता है मानो सोना चमक रहा हो। साथ ही आमों के पेड़ों पर बौर आ जाते हैं। प्रकृति का माहौल एकदम खुशनुमा हो जाता है। बसंत पचंमी का त्यौहार होली की तैयारियों का संकेत है।
यह दिन किसी भी नए कार्य की शुरुआत के लिए है अत्यंत ही शुभ महंत श्री पारस भाई जी ने बताया कि यह दिन किसी भी नए व शुभ कार्य की शुरुआत करने के लिए अत्यंत ही शुभ होता है। इस दिन शुभ कार्यों के लिए अबूझ मुहूर्त होता है। साथ ही यह दिन मां सरस्वती के प्राकट्य दिवस के रूप में मनाया जाता है। माँ सरस्वती को ज्ञान की देवी कहा जाता है इसलिए स्कूलों और कॉलेज में भी इस दिन मां सरस्वती की पूजा अर्चना के साथ बच्चों द्वारा सांस्कृतिक कार्यक्रम भी किए जाते हैं। विद्या की देवी को प्रसन्न करने के लिए बच्चे मां की पूजा करते हैं, जिससे वे परीक्षा में अच्छे अंकों को प्राप्त करें और जीवन में आगे बढ़ें। यह दिन छात्रों, कला, संगीत आदि क्षेत्र से जुड़े लोगों के लिए बेहद खास होता है। वसंत पंचमी कई तरह के शुभ कार्यों के लिए सर्वश्रेष्ठ मानी जाती है। बसंत पंचमी अबूझ मुहूर्त में विद्यारंभ, गृह प्रवेश, विवाह और कोई भी नई वस्तु की खरीदारी के लिए सबसे अच्छा समय माना जाता है। विद्यार्थी और कला साहित्य से जुड़े हर व्यक्ति को इस दिन मां सरस्वती की पूजा अवश्य करनी चाहिए। महंत श्री पारस भाई जी का मानना है कि इस दिन सच्चे मन से की गई पूजा कभी विफल नहीं जाती है।
बसंत पंचमी के दिन देवी सरस्वती को लगायें इन चीज़ों का भोग बसंत पंचमी पर माँ सरस्वती की विधिवत पूजा की जाती है। सरस्वती पूजा के दिन इन विशेष चीज़ों का भोग लगाना बेहद शुभ माना जाता है। आइये जानते हैं माँ सरस्वती को किन चीज़ों का भोग लगाना शुभ फल देता है।
पीले चावल माँ सरस्वती की पूजा में पीला रंग बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। क्योंकि माँ सरस्वती को पीला रंग बेहद पसंद है। इसलिए बसंत पंचमी के दिन देवी सरस्वती को पीले चावल का भोग लगायें।
पीले लडडू बसंत पंचमी के दिन माँ को पीले लडडू यानि बेसन या बूंदी के लडडू का भोग लगाएं। माना जाता है कि पीले लडडू का भोग लगाने से माँ प्रसन्न होती है।
राजभोग इस दिन माँ सरस्वती को राजभोग का भी भोग लगाया जाता है, जो कि शुभ होता है। इन सबके अलावा मालपुआ और जलेबी का भी भोग लगा सकते हैं।
घर में वीणा रखने से रचनात्मक वातावरण निर्मित होता है महंत श्री पारस भाई जी के अनुसार घर में वीणा रखने से घर के अंदर रचनात्मक वातावरण निर्मित होता है। मां सरस्वती की पूजा में मोर पंख को बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। यहाँ तक कि घर के मंदिर में मोर पंख रखने से नकारात्मक ऊर्जा घर में प्रवेश नहीं करती है। इस दिन बच्चों के अक्षर का शुभारंभ भी किया जाता है। सरस्वती पूजा के दिन‘ओम् ऐं सरस्वत्यै नम:’ मंत्र का जाप करें और इस मंत्र को बोलकर विद्यार्थी मां सरस्वती का स्मरण करें। इस मंत्र का जाप करने से बुद्धि तेज होती है और आप सफलता की ऊंचाइयों को छू सकते हैं।
जीवन का यह बसंत, आप सबको अपार खुशियां दे … मां सरस्वती की कृपा आप पर हमेशा बनी रहे। “पारस परिवार” की ओर से आप सबको बसंत पचंमी और सरस्वती पूजा की ढेर सारी शुभकामनायें !!!
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sharpbharat · 2 months
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Jamshedpur vrat-tyohar : अगस्त मास में आनेवाले हैं कई महत्वपूर्ण व्रत-त्योहार, जानें किस दिन है कौन सा व्रत-त्योहार
जमशेदपुर : अगस्त माह में कई महत्वपूर्ण हिंदू व्रत त्योहार आ रहे हैं. वै,े तो अभी श्रावण मास चल रहा है जिसका एक-एक दिन शिव भक्तों के लिए  पर्व की तरह पावन एवं व्रत की तरह महत्वपूर्ण है. इसके अतिरिक्त भी इस महीने में कई महत्वपूर्ण पर्व-त्योहार आ रहे हैं. इस महीने पड़ने वाले व्रत त्योहारों की सूची इस प्रकार है. :- 4 अगस्त, रविवार : श्रावण मास की अमावस्या, हरियाली अमावस्या 5 अगस्त, सोमवार : श्रावण की…
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