Brain Stroke: थंडीत वाढतो ब्रेन स्ट्रोकचा धोका, या लोकांनी घ्यावी विशेष काळजी
Brain Stroke: थंडीत वाढतो ब्रेन स्ट्रोकचा धोका, या लोकांनी घ्यावी विशेष काळजी
Brain Stroke: थंडीत वाढतो ब्रेन स्ट्रोकचा धोका, या लोकांनी घ्यावी विशेष काळजी
नवी दिल्ली – हिवाळ्याचा ऋतू सर्वांनाच आवडतो, मात्र जसजशी थंडी वाढते (winter season) तसतसे कमी तापमानामुळे विविध आजारांचा धोकाही वाढतो. अशा वेळी थोडीसाही निष्काळजीपणा केल्यास ते आरोग्यासाठी (health care) कठीण ठरू शकते. सध्याच्या काळात हार्ट ॲटॅक आणि ब्रेन स्ट्रोक (brain stroke)याची अनेक प्रकरणे समोर येत आहेत. एका…
*⛅ व्रत पर्व विवरण - गणेश चतुर्थी (चंद्र दर्शन निषिद्ध, चन्द्रास्त - रात्रि 09.27), गणेश महोत्सव प्रारम्भ, सर्वार्थ सिद्धि योग (दोपहर 12:24 से प्रातः 06:24 सितम्बर 08 तक)*
*⛅विशेष - चतुर्थी को मूली खाने से धन-नाश होता है। (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*
*🔹अपने हाथ में ही अपना आरोग्य🔹*
*🔸१) सभी अंगों में पुष्टिदायक तेल की मालिश अवश्य करानी चाहिए सिर में कान में और पैरों में तो विशेष रूप से करानी चाहिए । कराने से वायु तथा कफ मिटता है, थकान मिटती है, शक्ति तथा सुख की प्राप्ति होती है, नींद अच्छी आती है, शरीर का वर्ण सुधरता है, शरीर में कोमलता आती है, आयुष्य की वृद्धि होती है तथा देह की पुष्टि होती है ।*
*🔸(२) सिर में मालिश किया हुआ तेल सभी इन्द्रियों को तृप्त करता है, दृष्टि को बल देता है, सिर के दर्दों को मिटाता है। बाल में तेल पहुँचने से बाल घने, लम्बे तथा मुलायम होते हैं । लंबे समय तक टिकते हैं और बाल काले बने रहते हैं तथा सिर को भी भरा हुआ रखता है ।*
*🔸(३) नित्य कान में तेल डालने से कान में रोग या मैल नहीं होता । गले के बाजू की नाड़ी तथा दाढ़ी अकड नहीं जाती । बहुत ऊँचे से सुनना या बहरापन नहीं होता । कान में रस आदि पदार्थ डालने हों तो भोजन से पहले डालना हितकर है ।*
*🔸(४) पैरों पर तेल मसलने से पाँव मजबूत होते हैं। नींद अच्छी आती है, आँख स्वच्छ रहती है तथा पैर झूठे नहीं पड़ जाते, श्रम से अकड़ नहीं जाते, संकोच प्राप्त नहीं करते तथा फटते भी नहीं । जिस तरह गरुड़ के पास साँप नहीं जाते उसी तरह कसरत के अभ्यासी और तेल की मालिश करानेवाले के पास रोग नहीं जाते । नहाते समय तेल का उपयोग किया हो तो वह तेल रोंगटों के छिद्रों, शिराओं के समूह तथा धमनियों के द्वारा सम्पूर्ण शरीर को तृप्त करता है तथा बल प्रदान करता है ।*
*🔸(५) जिस तरह मूल में सिंचित वृक्षों के पत्ते आदि वृद्धि प्राप्त करते हैं उसी तरह अंगों पर तेल मलवानेवाले मानवों की तेल से सिंचित धातुएँ पुष्टि प्राप्त करती हैं ।*
*🔸(६) बुखार से पीड़ित, कब्जियतवाले, जिसने जुलाब लिया हो, जिसे उल्टी हुई हो, उसे कभी भी तेल की मालिश नहीं करनी चाहिये ।*
*🔸(७) मुँह पर तेल मलन�� से आँखें मजबूत होती हैं, गाल पुष्ट होते हैं, फोड़े तथा फुन्सियाँ नहीं होती और मुँह कमल के समान सुशोभित होता है ।*
*🔸(८) जो मनुष्य प्रतिदिन आँवले से स्नान करता है उसके बाल जल्दी सफेद नहीं होते और वह सौ वर्ष तक जीवित रहता है ।*
*🔸(९) दर्पण में देहदर्शन करना यह मंगलरूप है, कांतिकारक है, पुष्टिदाता है, बल तथा आयुष्य को बढ़ाने वाला है और पाप तथा अलक्ष्मी का नाश करनेवाला ।*
*🔸(१०) जो मनुष्य सोते समय बिजोरे के पत्तों का चूर्ण शहद के साथ चाटता है वह सुखपूर्वक सो सकता है ।*
📖 *आज का पंचांग, चौघड़िया व राशिफल (सप्तमी तिथि)*📖
※══❖═══▩राधे राधे▩═══❖══※
※══❖═══▩राधे राधे▩═══❖══※
#वास्तु_ऐस्ट्रो_टेक_सर्विसेज_टिप्स
#हम_सबका_स्वाभिमान_है_मोदी
#योगी_जी_हैं_तो_मुमकिन_है
#देवी_अहिल्याबाई_होलकर_जी
#योगी_जी
#bageshwardhamsarkardivyadarbar
#kedarnath
#badrinath
#JaiShriRam
#yogi
#jodhpur
#udaipur
#RSS
#rajasthan
#hinduism
※══❖═══▩राधे राधे▩═══❖══※
दिनांक :-11-अगस्त-2024
वार :------रविवार
तिथी :---07सप्तमी (अहोरात्र)
पक्ष:--------शुक्लपक्ष
माह:--------श्रावण
नक्षत्र:-----स्वाती (अहोरात्र)
योग:-----शुभ:-15:48
करण:-----गर:-18:54
चन्द्रमा:---तुला
सूर्योदय:-----06:12
सूर्यास्त:------19:13
दिशा शूल------पश्चिम
निवारण उपाय:---जौं या पान का सेवन
ऋतु :---------वर्षा ऋतु
गुलीक काल:---16:00से 17:36
राहू काल:---17:36से19:12
अभीजित---11:55से12:45
विक्रम सम्वंत .........2081
शक सम्वंत ............1946
युगाब्द ..................5126
सम्वंत सर नाम:---कालयुक्त
🌞चोघङिया दिन🌞
चंचल:-07:48से09:26तक
लाभ:-09:26से11:04तक
अमृत:-11:04से12:42तक
शुभ:-14:22से16:00तक
🌗चोघङिया रात🌓
शुभ:-19:13से20:36तक
अमृत:-20:36से22:00तक
चंचल:-22:00से23:23तक
लाभ :-02:05से03:28तक
शुभ :-04:50से06:13तक
🙏आज के विशेष योग🙏 वर्ष का 125वाँ दिन, शीतला सप्तमी (सिंध प्रांत), आदित्य पूजन, भानु सप्तमी, वैधृति महापात 10:14 से14:53, कल्याणधणी डिग्गीपुरी पदयात्रा प्रारंभ (05दिन, जयपुर),
🌺👉 टिप्स 👈🌺
श्रावण मास में दही का सेवन ना करे।
सुविचार
ज़िन्दगी में मनुष्य के आँखे बन्द करने से कभी मुसीबत नही टला करती है, बल्कि उस मुसीबत का सामना करने से मनुष्य की आँखे खुला करती हैं।👍 सदैव खुश मस्त स्वास्थ्य रहे।
राधे राधे वोलने में व्यस्त रहे।
*💊💉आरोग्य उपाय🌱🌿*
*प्रदूषण से सेहत बचाने के आयुर्वेदिक उपाय -*
⚫.दिन में दो बार अदरक की चाय पीना फायदेमंद है। आधा चम्मच अदरक के रस में आधा चम्मच शहद मिलाकर लें। अदरक इम्यूनिटी को बढ़ाती है और सांस से जुड़ी समस्याओं में फायदेमंद है।
⚫. गले में खराश महसूस हो रही हो तो अदरक का काढ़ा पिएं। एक गिलास में छोटा-सा अदरक का टुकड़ा बारीक काटकर, 4-5 पत्ते तुलसी और 2-3 दाने काली मिर्च के मिलाकर दो कप पानी में उबालें। पानी आधा रह जाए तो छानकर पी लें। ऐसा दिन भर में 2-3 बार करें। इससे गले की खराश कम होगी और श्वसन तंत्र दुरुस्त होगा। अगर बलगम की शिकायत है तो उस काढ़े में थोड़ा रॉक सॉल्ट मिला लें।
*🐏🐂 राशिफल🐊🐬*
🐐 *राशि फलादेश मेष :-*
*(चू, चे, चो, ला, ली, लू, ले, लो, आ)*
सरकारी कामकाज में वृद्धि के योग हैं। बाधाएं समाप्त होंगी। सामाजिक प्रतिष्ठा बढ़ेगी। नए उपक्रम प्रारंभ हो सकते हैं। नौकरी में प्रभाव बढ़ेगा। पार्टनरों से मतभेद दूर होंगे। जल्दबाजी से बचें। व्यापार-व्यवसाय ठीक चलेगा।
🐂 *राशि फलादेश वृष :-*
*(ई, ऊ, ए, ओ, वा, वी, वू, वे, वो)*
नए मित्रों से लाभ होगा। ऐश्वर्य के साधन प्राप्त होंगे। तंत्र-मंत्र में रुचि रहेगी। कानूनी अड़चन दूर होकर स्थिति अनुकूल होगी। धनार्जन होगा। जीवन सुखद व्यतीत होगा। व्यापार-व्यवसाय, निवेश व नौकरी मनोनुकूल लाभ देंगे।
👫 *राशि फलादेश मिथुन :-*
*(का, की, कू, घ, ङ, छ, के, को, ह)*
आवागमन में विशेष सावधानी रखें। चोट लग सकती है। विवाद से बचें। कार्यक्षमता में कमी रहेगी। भावना में बहकर कोई निर्णय न लें। कीमती वस्तुएं संभालकर रखें। दूसरों के कार्य में हस्तक्षेप न करें। दूसरों की अपेक्षाएं बढ़ेंगी। तनाव रहेगा।
🦀 *राशि फलादेश कर्क :-*
*(ही, हू, हे, हो, डा, डी, डू, डे, डो)*
आवश्यक वस्तु समय पर नहीं मिलेगी। तनाव रहेगा। थकान रह सकती है। रुका हुआ धन प्राप्ति के योग हैं। व्यावसायिक यात्रा मनोनुकूल रहेगी। नए काम मिलेंगे। धन प्राप्ति सुगम होगी। स्वास्थ्य का ध्यान रखें। पारिवारिक चिंता बनी रहेगी।
🦁 *राशि फलादेश सिंह :-*
*(मा, मी, मू, मे, मो, टा, टी, टू, टे)*
जीवनसाथी का सहयोग प्राप्त होगा। व्यापार-व्यवसाय से मनोनुकूल लाभ होगा। कार्य की बाधा दूर होगी। नौकरी में चैन रहेगा। निवेश लाभदायक रहेगा। जोखिम व जमानत के कार्य टालें। घर-बाहर प्रसन्नता का वातावरण निर्मित होगा।
👩🏻🦰 *राशि फलादेश कन्या :-*
*(ढो, पा, पी, पू, ष, ण, ठ, पे, पो)*
सही बात का भी विरोध हो सकता है। हित शत्रुओं से सावधान रहें। संपत्ति का कोई बड़ा सौदा बड़ा लाभ दे सकता है। प्रयास भरपूर करें। उन्नति के मार्ग प्रशस्त होंगे। दुष्टजनों से दूर रहें। परिवार के किसी व्यक्ति के स्वास्थ्य की चिंता रहेगी।
⚖ *राशि फलादेश तुला :-*
*(रा, री, रू, रे, रो, ता, ती, तू, ते)*
किसी रचनात्मक कार्य में सफलता प्राप्त होगी। मन में नए विचार आएंगे। स्वादिष्ट भोजन का आनंद प्राप्त होगा। यात्रा मनोरंजक हो सकती है। स्वास्थ्य कमजोर रह सकता है। किसी तरह से धनहानि के योग हैं। सावधानी रखें।
🦂 *राशि फलादेश वृश्चिक :-*
*(तो, ना, नी, नू, ने, नो, या, यी, यू)*
अपेक्षित कार्यों में विलंब होगा। तनाव व चिंता बने रहेंगे। अप्रसन्नतादायक सूचना प्राप्त हो सकती है। जोखिम व जमानत के कार्य टालें। पुराना रोग बाधा का कारण बन सकता है। वाणी पर नियंत्रण रखें। भागदौड़ रहेगी। धनार्जन होगा।
🏹 *राशि फलादेश धनु :-*
*(ये, यो, भा, भी, भू, धा, फा, ढा, भे)*
अचानक बड़ा खर्च होगा। यात्रा में जल्दबाजी न करें। किसी अपने ही व्यक्ति से कहासुनी हो सकती है। लेन-देन में धोखा खा सकते हैं। स्वास्थ्य का पाया कमजोर रहेगा। व्यर्थ भागदौड़ से खिन्नता रहेगी। व्यापार-व्यवसाय से आवक बनी रहेगी।
🐊 *राशि फलादेश मकर :-*
*(भो, जा, जी, खी, खू, खे, खो, गा, गी)*
उत्साहवर्धक सूचना प्राप्त होगी। घर-बाहर सभी ओर से सहयोग प्राप्त होगा। भूले-बिसरे साथियों से मुलाकात होगी। आत्मविश्वास बना रहेगा। जोखिम उठाने का साहस कर पाएंगे। कारोबार अच्छा चलेगा। जल्दबाजी न करें।
🏺 *राशि फलादेश कुंभ :-*
*(गू, गे, गो, सा, सी, सू, से, सो, दा)*
दांपत्य जीवन सुखमय रहेगा। मित्रों के सहयोग से कार्य की बाधा दूर होगी। बेरोजगारी दूर करने के प्रयास सफल रहेंगे। कोई बड़ा कार्य करने की इच्छा पूर्ण हो सकती है। घर-बाहर सभी ओर से सफलता प्राप्त होगी। लाभ होगा।
🐡 *राशि फलादेश मीन :-*
*(दी, दू, थ, झ, ञ, दे, दो, चा, ची)*
प्रयास सफल रहेंगे। सामाजिक कार्य करने की प्रेरणा प्राप्त होगी। घर-बाहर पूछ-परख रहेगी। पारिवारिक सहयोग से कार्य बनेंगे। जीवन सुखद व्यतीत होगा। आय में वृद्धि होगी। नौकरी में प्रभाव बढ़ेगा। थकान रह सकती है।
भक्ति का आशय भक्त अपने इष्टदेव अथवा देवी, ईश्वर (भगवत व भगवती) के प्रति संपूर्ण समर्पण होता है। अर्थात् सरल शब्दों में हम कह सकते हैं कि भक्त की आत्मा का परमात्मन् की डोर से बंध जाना।
महंत श्री पारस भाई जी की नजरों में भक्ति का तात्पर्य है " स्नेह, लगाव, श्रद्धांजलि, विश्वास, प्रेम, पूजा, पवित्रता, समर्पण "। इसका उपयोग मूल रूप से हिंदू धर्म में एक भक्त द्वारा व्यक्तिगत भगवान या प्रतिनिधि भगवान के प्रति भक्ति और प्रेम का उल्लेख करते हुए किया गया था।
भक्ति का स्वरुप कैसा होना चाहिए:
संक्षेप में कहा जा सकता है कि भक्ति में तीन मुख्य गुण अर्थात् भक्त का भाव निष्कपट, निःस्वार्थ, निष्ठा समर्पण होना चाहिए। परमेश्वर अथवा ईश्वर के प्रति निष्ठापूर्वक समर्पित होने वाला साधक ही सत्यप्रिय (निष्ठावान) भक्त है।
संध्यावन्दन, योग, ध्यान, तंत्र, ज्ञान, कर्म के अतिरिक्त भक्ति भी मुक्ति का एक मार्ग है। भक्ति भी कई प्रकार ही होती है। इसमें श्रवण, भजन-कीर्तन, नाम जप-स्मरण, मंत्र जप, पाद सेवन, अर्चन, वंदन, दास्य, सख्य, पूजा-आरती, प्रार्थना, सत्संग आदि शामिल हैं। इसे नवधा भक्ति कहते हैं।
संक्षेप में कहा जा सकता है कि भक्ति में तीन मुख्य गुण अर्थात् भक्त का भाव निष्कपट, निःस्वार्थ, निष्ठा समर्पण होना चाहिए। महंत श्री पारस भाई जी ने बताया कि परमेश्वर अथवा ईश्वर के प्रति निष्ठापूर्वक समर्पित होने वाला साधक ही सत्यप्रिय (निष्ठावान) भक्त है।
ध्यान उपासना करने हेतु दिशा:
ध्यान आराधना करते समय भक्त का मुख पूर्व दिशा में होना चाहिए। वास्तु शास्त्र के अनुसार उत्तर-पूर्व को उत्तमोत्तम दिशा माना गया है क्योंकि उत्तर-पूर्व को ईशान कोण कहा जाता है ।
वास्तु शास्त्र के अनुसार पूजा गृह में कभी भी पूर्वजों की तस्वीर न तो लगानी चाहिए व ना हीं रखनी चाहिए। भगवान् की किसी प्रतिमा या मूर्ति की पूजा करते समय भक्त उपासक का मुख पूर्व दिशा में होना चाहिए। यदि पूर्व दिशा में मुंह नहीं कर सकते तो पश्चिम दिशा की ओर मुख करके पूजा करना भी उचित है।
वास्तु शास्त्र में बताया गया है कि पूर्व दिशा की ओर मुंह करके खाना खाने से सभी तरह के रोग मिटते हैं पूर्व दिशा को देवताओं की दिशा माना जाता है तथा पूर्व दिशा की ओर मुख करके भोजन करने से देवताओं की कृपा और आरोग्य की प्राप्ति होती है एवं आयु में वृद्धि होती है।
दक्षिण-पूर्व दिशा में भगवान् के विराट स्वरूप की चित्र लगाएं। यह ऊर्जा का सूचक है। समस्त ब्रह्माण्ड को स्वयं में समाए असीम ऊर्जा के प्रतीक भगवान् श्रीकृष्ण समस्त संसार के भोक्ता हैं.।
भागवत भक्ति क्यों की जाती है:
संक्षेप में हम यह मानते व जानते एवं जानते हैं कि आराधक निज मनोरथ-पूर्ति हेतु ईश्वर (भगवत व भगवती) की भक्ति करते हैं। मनुष्य इसलिए ईश्वर के समीप जाता है कि वह ईश्वर-भक्ति करके अपनी इच्छाओं की पूर्ति कर सके। परमेश्वर एक है। गुरु एवं गोविन्द भी एक है।
क्या है भगवान् की भक्ति:
जब भक्त सेवा अथवा आराधना के माध्यम से परमात्मन् से साक्षात संबंध स्थापित कर लेता है तो इसे ही गीता में भक्तियोग कहा गया है। नारद के अनुसार भगवान् के प्रति मर्मवेधी (उत्कट) प्रेम ही भक्ति है। ऋषि शांडिल्य के अनुसार परमात्मा की सर्वोच्च अभिलाषा ही भक्ति है। नारद के अनुसार भगवान् के प्रति परितस अथवा उत्कट प्रेम होने पर भक्त भगवान् के रङ्ग में ही रंग जाते हैं।
महंत श्री पारस भाई जी के कहा कि जिसके विचारों में पवित्रता हो, साथ ही जो अहंकार से दूर हो और जो सबके प्रति समान भाव रखता हो, ऐसे व्यक्ति की भक्ति सच्ची है और वही सच्चा भक्त है।
भक्त कितने प्रकार के होते हैं:
भक्ति विविध प्रकार की होती है। भक्ति में श्रवण, भजन-कीर्तन, नाम जप-स्मरण, मंत्र जप, पाद-सेवन, पूजन-अर्चन, वंदन, दास्य, सख्य, पूजा-आरती, प्रार्थना, सत्संग इत्यादि शामिल हैं।
चार तरह के भक्त:
श्रीमद भगवद् गीता के सप्तम अध्याय में भगवान् श्रीकृष्ण पार्थ (अर्जुन) विभिन्न प्रकार के भक्तों के विषय में वर्णन करते हुए कहते हैं कि
चतुर्विधा भजन्ते मां जना: सुकृतिनोऽर्जुन।
आर्तो जिज्ञासुरर्थार्थी ज्ञानी च भरतर्षभ॥०७-१६॥
सार: हे अर्जुन! आर्त, जिज्ञासु, अर्थार्थी एवं ज्ञानी ऐसे चार प्रकार के भक्त मेरा भजन किया करते हैं। इन चारों भक्तों में से सबसे निम्न श्रेणी का भक्त अर्थार्थी है। उससे श्रेष्ठ आर्त, आर्त से श्रेष्ठ जिज्ञासु, तथा जिज्ञासु से भी श्रेष्ठ ज्ञानी है।
अर्थार्थी: अर्थार्थी भक्त वह है जो भोग, ऐश्वर्य तथा सुख प्राप्त करने के लिए भगवान् का भजन करता है। उसके लिए भोगपदार्थ व धन मुख्य होता है एवं ईश्वर का भजन गौण।
आर्त: आर्त भक्त वह है जो शारीरिक कष्ट आ जाने पर या धन-वैभव नष्ट होने पर अपना दु:ख दूर करने के लिए भगवान् को पुकारता है।
जिज्ञासु: जिज्ञासु भक्त अपने शरीर के पोषण के लिए नहीं वरन् संसार को अनित्य जानकर भगवान् का तत्व जानने एवं उन्हें प्राप्त करने के लिए भजन करता है।
ज्ञानी: आर्त, अर्थार्थी एवं जिज्ञासु तो सकाम भक्त हैं किंतु ज्ञानी भक्त सदैव निष्काम होता है। ज्ञानी भक्त परमात्मन् के अतिरिक्त कोई अभिलाषा नहीं रखता है। इसलिए परमात्मन् ने ज्ञानी को अपनी आत्मा कहा है। ज्ञानी भक्त के योगक्षेम का वहन भगवन् स्वयं करते हैं।
चारों भक्तों में से कौन-सा भक्त है संसार में सर्वश्रेष्ठ:
तेषां ज्ञानी नित्ययुक्त एकभक्तिर्विशिष्यते।
प्रियो हि ज्ञानिनोऽत्यर्थमहं स च मम प्रियः॥१७॥
अर्थात् परमात्मन् श्रीकृष्णः श्रीमद भगवद् गीता में कुंतीपुत्र अर्जुन (कौन्तेय) से कहते हैं कि
सार: इनमें से जो परमज्ञानी है तथा परमात्मन् की शुद्ध भक्ति में लीन रहता है वह सर्वश्रेष्ठ है, क्योंकि मैं उसे अत्यंत प्रिय हूं एवं वह मुझे अतिसय प्रिय है। इन चार वर्गों में से जो भक्त ज्ञानी है वह साथ ही भक्ति में लगा रहता है, वह सर्वश्रेष्ठ है।
कलयुग में भगवान् को कैसे प्राप्त करें:
श्रीमद्भागवत के अनुसार कलयुग दोषों का भंडार है। किन्तु इसमें एक महान सद्गुण यह है कि सतयुग में भगवान् के ध्यान, तप एवं त्रेता युग में यज्ञ-अनुष्ठान, द्वापर युग में आराधक को भक्त तप व पूजा-अर्चन से जो फल प्राप्त होता था, कलयुग में वह पुण्य परमात्मन् श्रीहरिः के नाम-सङ्कीर्तन मात्र से ही सुलभ हो जाता है।
महंत श्री पारस भाई जी कहते हैं इस कलयुग में शुद्ध भक्ति, प्रेम का वह उच्चतम रूप है जिसका जवाब भगवान बिना शर्त, प्रेम और ध्यान के साथ देते हैं।
कलयुग में चिरजीविन् देव:
वैसे तो महर्षि मार्कण्डेय, दैत्यराज बलि, परशुराम, आञ्जनेय (महावीर्य हनुमन्त् अवा हनुमत्), लङ्केश विभीषण, महर्षि वेदव्यास, कृप व अश्वत्थामन् किन्तु महाबली हनुमन् को समस्त युगों में जगदीश्वर सदाशिवः, चिरजीविन् नारायणः, पितामह ब्रह्मदेव व धर्मराज यमदेव एवं अन्य समग्र देवगणों के आशीर्वचन के अनुसार अतुलित बलधामन् हनुमन्त् अथवा हनुमत् को चिरजीविन् बने रहने का वरदान प्राप्त है। पुरुषोत्तम श्रीरामः ने भी निज साकेत लोक में जाने के पूर्व आञ्जनेय को चिरजीविन् रहने का वरदान दिया था।
गोसाईं तुलसीदास जी रामायण में लिखते हैं कलियुग में भी हनुमान् जी न केवल जीवंत रहेंगे अपितु चिरजीविन् बने रहेंगे एवं उनकी कृपा से ही उन्हें (महात्मा तुलसीदास) पुरुषोत्तम श्रीराम व लक्ष्मण जी के साक्षात दर्शनों का सौभाग्य प्राप्त हुआ। उन्हें सीताराम जी से आशीर्वाद स्वरूप अजर अमर होने का वर प्राप्त है।
हनुमान् जी का वास स्थान:
कहते हैं कि कलियुग में आञ्जनेय (हनुमन्त्) गन्धमादन (गंधमादन) गिरि पर निवास करते हैं, ऐसा श्रीमद् भागवत में वर्णन आता है। उल्लेखनीय है कि अपने अज्ञातवास के समय हिमवंत पार करके पाण्डव (महाराज पाण्डुपुत्र धर्मराज युधिष्ठिर, भीम, अर्जुन, नकुल सहदेव व द्रौपदी सहित गंधमादन पर्वत के निकट पहुंचे थे।
“कामसूत्र” भारतीय संस्कृति के एक प्राचीन ग्रंथ है जो मनुष्य के जीवन के विभिन्न पहलुओं को समझाने और दिशा-निर्देश प्रदान करने का उद्देश्य रखता है। यह ग्रंथ आपके प्रसन्न जीवन और समृद्धि के मार्गदर्शन के लिए सिखाता है और विभिन्न पहलुओं को संस्कृति और समाज के साथ मिलकर कैसे जीना चाहिए, उसके निर्देश प्रदान करता है।
परिचय: “कामसूत्र” का रचयिता वात्स्यायन था, जो प्राचीन भारतीय दार्शनिक, विद्वान्, और वात्स्यायन सूत्रों के लेखक थे। इस ग्रंथ का लेखन समय सीमा के संदर्भ में नहीं जाना जा सकता है, लेकिन यह प्राचीन भारतीय संस्कृति, योनिमति और संभोग के क्षेत्र में विस्तारपूर्ण ज्ञान प्रदान करता है।
ग्रंथ की विशेषताएँ: “कामसूत्र” विभिन्न विषयों पर 36 अध्यायों में विभाजित है, जो मनुष्य के जीवन के विभिन्न पहलुओं को समझाते हैं। यह ग्रंथ मनोबल, सामाजिक रीति-रिवाज़, संबंध, लड़ाई-झगड़ा, सुख-संतोष, रस, आरोग्य, राजनीति और धर्म के विषय में मार्गदर्शन प्रदान करता है।
सुख और संतोष: “कामसूत्र” मानव जीवन के सुख और संतोष के लिए मार्गदर्शन प्रदान करता है। यह विभिन्न प्रकार के आनंद के रसों के बारे में बताता है और कैसे उन्हें अपने जीवन में अंतर्निहित कर सकते हैं।
समाजिक रीति-रिवाज़: ग्रंथ में समाजिक रीति-रिवाज़ और व्यवहार के बारे में विस्तृत विवरण है। यहाँ पर विवाह, परिवार, उपनयन, दासी-दास, राजा-प्रजा, आदि के संबंध में नियमों का पालन करने की सलाह दी गई है।
संबंध और संगीत: ग्रंथ में संबंधों के विषय में भी विस्तृत चर्चा है, जैसे कि पति-पत्नी के आपसी संबंध, दासी-दास के संबंध आदि। साथ ही, संगीत और नृत्य के विषय में भी चर्चा की गई है।
रस, आरोग्य, और धर्म: ग्रंथ में रस के विषय में भी विवरण दिया गया है, जैसे कि कैसे व्यक्ति विभिन्न भावों का आनंद उठा सकता है। आरोग्य के मामले में भी कुछ टिप्स दिए गए हैं, जो व्यक्ति के स्वास्थ्य के लिए उपयोगी हो सकते हैं। धर्म के मामले में भी ग्रंथ विभिन्न धर्मिक आचरणों और कर्मों के बारे में सलाह प्रदान करता है।
रस, आरोग्य, और धर्म: ग्रंथ में रस के विषय में भी विवरण दिया गया है, जैसे कि कैसे व्यक्ति विभिन्न भावों का आनंद उठा सकता है। आरोग्य के मामले में भी कुछ टिप्स दिए गए हैं, जो व्यक्ति के स्वास्थ्य के लिए उपयोगी हो सकते हैं। धर्म के मामले में भी ग्रंथ विभिन्न धर्मिक आचरणों और कर्मों के बारे में सलाह प्रदान करता है।
नैतिकता और शिक्षा: ग्रंथ में नैतिकता और शिक्षा के मामले में भी विचार दिये गए हैं। यहाँ पर आदर्श पत्नी, पति, पुत्र, गुरु, शिष्य, और समाज के सदस्यों के बारे में नैतिक मूल्यों की चर्चा की गई है।
सामाजिक न्याय: ग्रंथ में सामाजिक न्याय के मामले में भी सलाह दी गई है। यहाँ पर विधवा, यतीम, वृद्ध, दिव्यांग, गरीब, और दुखियों के प्रति सहानुभूति का मार्गदर्शन किया गया है।
समाज और राजनीति: ग्रंथ में समाज और राजनीति के मामले में भी नियमों की चर्चा है। यहाँ पर शिक्षा, कला, विज्ञान, साहित्य, व्यापार, सेवा, और समाज में योगदान के बारे में बताया गया है।
ग्रंथ की महत्वपूर्णता: “कामसूत्र” मनुष्य के जीवन के विभिन्न पहलुओं के लिए संदर्भ और मार्गदर्शन प्रदान करने में महत्वपूर्ण है। यह न केवल संबंधों को संतुष्टि और समृद्धि से भर देने के उपाय बताता है, बल्कि व्यक्ति के मानसिक स्वास्थ्य, सामाजिक आदर्श, और समृद्धि के मार्ग में भी मार्गदर्शन करता है।
“कामसूत्र” भारतीय संस्कृति के प्राचीन ग्रंथों में से एक है जो जीवन के विभिन्न पहलुओं को समझाने और मार्गदर्शन प्रदान करने का उद्देश्य रखता है। यह ग्रंथ काम (सुख-संतोष), धर्म (नैतिकता), और अर्थ (आर्थिक संबंध) के मामलों में मानव जीवन की विभिन्न पहलुओं को विस्तार से बताता है। इसका रचयिता वात्स्यायन था, जो एक प्राचीन भारतीय विद्वान और दार्शनिक थे।
संरचना:
“कामसूत्र” को चार खंडों में विभाजित किया गया है:
धर्मयोग: इस खंड में नैतिकता, धर्म, और मानव जीवन के सामाजिक नियमों का वर्णन है। यहाँ पर व्यक्तिगत और सामाजिक नैतिकता, आदर्श जीवन, पुनर्विवाह, आदि के विषय में बताया गया है।
अर्थ��ोग: इस खंड में विभिन्न प्रकार के व्यवसाय, व्यापार, और आर्थिक संबंधों का वर्णन है। यहाँ पर वित्तीय योग्यता, लेन-देन, निवेश, और व्यापारिक संबंधों के बारे में सलाह दी गई है।
कामयोग: इस खंड में सुख-संतोष के विषय में बताया गया है। यहाँ पर प्रेम, विवाह, संबंध, रति-क्रियाएँ, और आनंद के बारे में विस्तारपूर्ण जानकारी दी गई है।
मोक्षयोग: इस खंड में आत्मा, ध्यान, और आध्यात्मिकता के मामलों का वर्णन है। यहाँ पर आत्मा के स्वरूप, मन, ध्यान, और मोक्ष के बारे में चर्चा की गई है।
महत्वपूर्ण विषय: “कामसूत्र” का प्रमुख उद्देश्य न केवल सुख और संतोष की प्राप्ति है, बल्कि व्यक्ति के समाज में सही रीति-रिवाज़ और नैतिकता के साथ कैसे रहना चाहिए, वह भी सिखाना है।
नैतिकता और आदर्श: “कामसूत्र” में नैतिकता के मामले में विविधता है। यह बताता है कि व्यक्ति को अपने व्यवहार में नैतिकता का पालन करना चाहिए और उसके सामाजिक और परिवारिक कर्तव्यों की परख करनी चाहिए।
विवाह और संबंध: “कामसूत्र” में विवाह और संबंधों के मामले में भी विवरण है। यहाँ पर विवाह के विभिन्न पहलुओं को समझाया गया है, जैसे कि उचित संबंध का चयन, सही साथी की पहचान, और पति-पत्नी के आपसी संबंधों की महत्वपूर्णता।
र���ि-क्रियाएँ: ग्रंथ में रति-क्रियाओं (सेक्स) के मामले में भी सलाह दी गई है। यहाँ पर विविधता के साथ रति-क्रियाओं के प्रति योग्यता और संबंधों की महत्वपूर्णता की बात की गई है।
समृद्धि का मार्गदर्शन: “कामसूत्र” में व्यवसायिक सफलता और समृद्धि के मार्ग के बारे में भी सलाह दी गई है। यहाँ पर व्यापारिक संबंधों, निवेश, और व्यवसाय के नियमों का वर्णन किया गया है।
संगीत और कला: ग्रंथ में संगीत और कला के मामले में भी बताया गया है। यहाँ पर विभिन्न प्रकार के कलाओं और संगीत के प्रति योग्यता की बात की गई है।
आध्यात्मिकता: “कामसूत्र” का अंतिम खंड आध्यात्मिकता और मोक्ष के विषय में है। यहाँ पर ध्यान, आत्मा की पहचान, और मोक्ष के मार्ग का वर्णन किया गया है।
ग्रंथ की प्रासंगिकता: “कामसूत्र” विभिन्न पहलुओं में मानव जीवन के निर्देशन के लिए मार्गदर्शन प्रदान करता है। यह न केवल व्यक्तिगत जीवन के लिए है, बल्कि समाज में सही रीति-रिवाज़ और सभी प्रकार के संबंधों के लिए भी उपयोगी है।
ग्लोबल वॉर्मिंग - वैश्विक तापमानवाढ हे जगासमोरचं मोठं आव्हान असून, ही समस्या दूर करण्यासाठी विशेष प्रयत्नांची गरज असल्याचं, राष्ट्रपती द्रौपदी मुर्मू यांनी म्हटलं आहे. राष्ट्रीय पंचायत पुरस्कार सप्ताहाचं उद्घाटन आणि राष्ट्रीय पंचायत पुरस्कारांचं वितरण आज नवी दिल्लीत राष्ट्रपतींच्या हस्ते झालं, त्यावेळी त्या बोलत होत्या. या पार्श्वभूमीवर आज हरित ऊर्जा तसंच शून्य कार्बन उत्सर्जनासाठी पंचायतींना पुरस्कार देताना, आपल्याला समाधान होत असल्याची भावना राष्ट्रपतींनी व्यक्त केली.
स्वातंत्र्याचा अमृत महोत्सव कार्यक्रमाचा भाग म्हणून पंचायत राज मंत्रालयाच्या वतीनं आजपासून २१ एप्रिलपर्यंत राष्ट्रीय पंचायत पुरस्कार सप्ताह साजरा केला जात आहे. तर २४ एप्रिल रोजी राष्ट्रीय पंचायत राज दिवस साजरा केला जाईल. ‘पंचायतींचा संकल्पपूर्ती उत्सव’ या विषयावर परिषदांचं आयोजन मंत्रालयानं केलं आहे.
***
जी-20 कृषी मुख्य वैज्ञानिकांच्या बैठकीला आजपासून वाराणसी इथं सुरुवात झाली. केंद्रीय रस्ते वाहतूक राज्यमंत्री जनरल व्ही के सिंह यांच्या हस्ते या बैठकीचं उद्घाटन झालं. भरड धान्याच्या बाबतीत जागतिक नेतृत्व करण्याची भारताकडे क्षमता असल्याचं, सिंह यांनी यावेळी नमूद केलं. दरम्यान, जी-20 डिजिटल अर्थव्यवस्था कृती समूहाची दुसरी बैठक आजपासून हैदराबाद इथं, तर आरोग्य कृती गटाची दुसरी बैठक गोवा इथं सुरु झाली.
***
सामाजिक न्यायासाठी जातीनिहाय जनगणनेची आवश्यकता राज्यसभेतील विरोधीपक्षनेते तथा काँग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे यांनी व्यक्त केली आहे. दर द���ा वर्षांनी होणारी जनगणना २०२१ मध्ये होऊ शकलेली नाही, ती लवकरात लवकर घ्यावी, अशी मागणी खरगे यांनी एका ट्विटच्या माध्यमातून केली आहे. जातीनिहाय जनगणनेच्या अभावामुळे सामाजिक न्याय विभागाकडची माहिती अपुरी असल्याची शक्यताही खरगे यांनी वर्तवली आहे.
***
पंतप्रधान सूक्ष्म अन्नप्रक्रिया उद्योग योजनेच्या अंमलबजावणीत महाराष्ट्र राज्य देशात अव्वल ठरलं आहे. राज्यात देशातल्या सर्वाधिक सहा हजार ५९२ वैयक्तिक प्रकल्पांना मंजुरी देण्यात आली असून, त्यापैकी दोन हजार ६६० प्रकल्प कार्यान्वित करण्यात आले असल्याची माहिती कृषी आयुक्तालयानं दिली आहे. आत्मनिर्भर भारत मोहिमेअंतर्गत प्रधानमंत्री सूक्ष्म अन्न प्रक्रिया उद्योग ही योजना, २०२०-२१ ते २०२४-२५ या पाच वर्षांसाठी लागू करण्यात आली असून, 'एक जिल्हा, एक उत्पादन' या धर्तीवर ती राबवली जात आहे.
***
महाराष्ट्र भूषण पुरस्कार सोहळ्यात उष्माघातामुळे झालेल्या मृत्यूंची जबाबदारी घेत, सांस्कृतिक कार्यमंत्र्यांनी राजीनामा द्यावा, अशी मागणी विधान परिषदेचे विरोधी पक्षनेते अंबादास दानवे यांनी केली आहे. दानवे यांनी आज खारघर इथल्या रुग्णालयांत दाखल रुग्णांची भेट घेतली. त्यानंतर पत्रकार परिषदेत बोलताना, सांस्कृतिक खात्याच्या संबंधित अधिकाऱ्यांवर सदोष मनुष्य वधाचा गुन्हा दाखल करावा, अशी मागणी त्यांनी केली. या कार्यक्रमासाठी आलेल्या श्रीसेवकांना पाणी आणि सावलीसह आवश्यक सुविधा देणं ही आयोजकांची जबाबदारी होती, या सुविधा देणं शक्य नव्हतं, तर खुल्या मैदानावर कार्यक्रम घ्यायला नको होता, असंही दानवे यांनी म्हटलं आहे.
विधानसभेचे विरोधी पक्षनेते अजित पवार यांनीही रुग्णालयात जाऊन रुग्णांची भेट घेत विचारपूस केली. या आयोजनात योग्य ती खबरदारी घेतली होती की नाही, याची चौकशी व्हायला हवी, असं मत पवार यांनी पत्रकारांशी बोलतांना व्यक्त केलं.
महाराष्ट्र नवनिर्माण सेनेचे अध्यक्ष राज ठाकरे यांनी, हा कार्यक्रम कडाक्याच्या उन्हात न ठेवता सायंकाळी घेण्याची बाब प्रशासनाच्या लक्षात आली नाही का, असा प्रश्न विचारला आहे. एका ट्विट संदेशात ठाकरे यांनी, भविष्यात अशा घटना होऊ नयेत, आणि प्रशासन अशा चुका करणार नाहीत, याची काळजी घ्यावी, असं म्हटलं आहे.
***
अखिल भारतीय मराठी नाट्य परिषदेच्या निवडणुकीत मुंबई मध्यवर्ती शाखेतल्या दहापैकी आठ जागांवर प्रशांत दामले यांच्या रंगकर्मी नाटक समूहाचे उमेदवार विजयी झाले. तर उर्वरित दोन जागांवर प्रसाद कांबळी यांच्या आपलं पॅनलच्या उमेदवारांचा विजय झाला आहे. नाट्य परिषदेच्या सोलापूर मंडळात नटराज पॅनलनं सर्व सहा जागा जिंकल्या आहेत.
***
इंडियन प्रिमियर लीग - आयपीएल क्रिकेट स्पर्धेत आज बंगळुरु इथं रॉलय चॅलेंजर्स बंगळुरु आणि चेन्नई सुपर किंग्ज यांच्यात सामना होणार आहे. संध्याकाळी साडे सात वाजता सामन्याला सुरुवात होईल.
***
हवामान-
कोकण, मध्य महाराष्ट्र आणि मराठवाड्यात उद्यापासून तीन दिवस तुरळक ठिकाणी जोराचे वारे, वीजांसह हलका ते मध्यम स्वरुपाचा पाऊस पडेल असा इशारा हवामान विभागानं दिला आहे. विदर्भासाठी असाच इशारा एकोणीस आणि वीस एप्रिलसाठी देण्यात आला आहे.
शास्त्र विधि को त्याग कर साधना करने वाले भगवानों के लिए दुःखदाई तथा नरक के अधिकारी।। Part B
गीता अध्याय 17 के कुछ श्लोकों का हिन्दी अनुवाद
गीता अध्याय 17 श्लोक 1-10:-
अध्याय 17 श्लोक 1 का अनुवाद: श्लोक 1 में अर्जुन ने जानना चाहा कि हे कृष्ण! जो मनुष्य शास्त्रविधिको त्यागकर श्रद्धासे युक्त हुए देवादिका पूजन करते हैं। उनकी स्थिति फिर कौन-सी सात्विकी है अथवा राजसी तामसी?(1)
गीता ज्ञान देने वाले काल ब्रह्म ने उत्तर दिया:-
अध्याय 17 श्लोक 2 का अनुवाद: मनुष्यों की वह स्वभाव से उत्पन्न श्रद्धा सात्विकी और राजसी तथा तामसी ऐसे तीनों प्रकार की ही होती है। उस अज्ञान अंधकाररूप जंजाल को सुन।(2)
अध्याय 17 श्लोक 3 का अनुवाद: हे भारत! सभी की श्रद्धा उनके अन्तःकरण के अनुरूप होती है। यह व्यक्ति श्रद्धामय है इसलिये जो पुरुष जैसी श्रद्धावाला है, वह स्वयं वास्तव में वही है।(3)
अध्याय 17 श्लोक 4 का अनुवाद: सात्विक पुरुष श्री ब्रह्मा जी, श्री विष्णु जी, श्री शिव जी आदि देवताओं को पूजते हैं, राजस पुरुष यक्ष और राक्षसोंको तथा अन्य जो तामस मनुष्य हैं वे प्रेत और भूतगणों को पूजते हैं तथा मुख्य रूप से श्री शिव जी को भी इष्ट मानते हैं।(4)
अध्याय 17 श्लोक 5 का केवल हिन्दी अनुवाद: जो मनुष्य शास्त्रविधिसे रहित केवल मन माना घोर तपको तपते हैं तथा पाखण्ड और अहंकारसे युक्त एवं कामना के आसक्ति और भक्ति बल के अभिमान से भी युक्त हैं।(5)
अध्याय 17 श्लोक 6 का अनुवाद: शरीर में रहने वाले प्राणियों के मुखिया - ब्रह्मा, विष्णु, शिव तथा गणेश व प्रकृति को व मुझे तथा इसी प्रकार शरीर के हृदय कमल में जीव के साथ रहने वाले पूर्ण परमात्मा को परेशान करने वाले उनको अज्ञानियोंको राक्षसस्वभाववाले ही जान। गीता अध्याय 13 श्लोक 17 तथा अध्याय 18 श्लोक 61 में कहा है कि पूर्ण परमात्मा विशेष रूप से सर्व प्राणियों के हृदय में स्थित है।(6)
अध्याय 17 श्लोक 7 का अनुवाद: भोजन भी सबको अपनी अपनी प्रकृतिके अनुसार तीन प्रकार का प्रिय होता है इसलिए वैसे ही यज्ञ तप और दान भी तीन-तीन प्रकारके होते हैं उनके इस भेदको तू मुझसे सुन।(7)
अध्याय 17 श्लोक 8 का अनुवाद: आयु, बुद्धि, बल, आरोग्य, सुख और प्रीतिको बढ़ानेवाले रसयुक्त चिकने और स्थिर रहनेवाले तथा स्वभावसेही मनको प्रिय ऐसे आहार अर्थात् भोजन करनेके पदार्थ सतोगुण प्रधान अर्थात् विष्णु के उपासक को जिनका विष्णु उपास्य देव है। उनको ऊपर लिखे आहार करना पसंद होते हैं।(8)
अध्याय 17 श्लोक 9 का अनुवाद: कडुवे, खट्टे, लवणयुक्त बहुत गरम, तीखे, रूखे, दाहकारक और दुःख चिन्ता तथा रोगोंको उत्पन्न करनेवाले आहार राजस पुरुषको रजोगुण प्रधान अर्थात् जिनका ब्रह्मा उपास्य देव है उनको ऊपर लिखे आहार स्वीकार होते हैं। क्योंकि हिरणाकशिपु राक्षस ने ब्रह्मा की उपासना की थी।(9)
अध्याय 17 श्लोक 10 का अनुवाद: जो भोजन अधपका रसरहित दुर्गन्धयुक्त बासी और उच्छिष्ट है तथा जो अपवित्र भी है वह भोजन तामस पुरुषको प्रिय होता है। तमोगुण प्रधान व्यक्तियों का उपास्य देव शिव है तथा वे उनसे निम्न स्तर के भूत प्रेतों को पूजते हैं उनको आहार ऊपर लिखित पसंद होता है। (10)
आध्यात्मिक जानकारी के लिए आप संत रामपाल जी महाराज जी के मंगलमय प्रवचन सुनिए। Sant Rampal Ji Maharaj YOUTUBE चैनल पर प्रतिदिन 7:30-8.30 बजे। संत रामपाल जी महाराज जी इस विश्व में एकमात्र पूर्ण संत हैं। आप सभी से विनम्र निवेदन है अविलंब संत रामपाल जी महाराज जी से नि:शुल्क नाम दीक्षा लें और अपना जीवन सफल बनाएं।
।। नमो नमः ।। ।।भाग्यचक्र ।। आज का पञ्चाङ्ग :- संवत :- २०७९ दिनांक :- 05 दिसंबर 2022 सूर्योदय :- 06:54 सूर्यास्त :- 17:41 सूर्य राशि :- वृश्चिक चंद्र राशि :- मेष मास :- अगहन तिथि :- त्रियोदशी वार :- चंद्रवार नक्षत्र :- अश्विनी योग :- परिध करण :- कौलव अयन:- दक्षिणायन पक्ष :- शुक्ल ऋतू :- हेमंत लाभ :- 14:59 - 16:19 अमृत:- 16:20 - 17:40 शुभ :- 09:37 - 10:36 राहु क���ल :- 08:15 - 09:56 जय महाकाल महाराज :- *प्रदोष व्रत:-* आज प्रदोष ( सोमप्रदोष ) व्रत रहेगा, सोमप्रदोष के दिन भगवान शिव व माता पार्वती जी का पूजन करने व भगवान शिव का रुद्राभिषेक ब्राह्मणों द्वारा करवाने से अनंत पुण्यफल की प्राप्ति होती है। सोमवार के दिन त्रयोदशी पड़ने पर किया जाने वाला सोमप्रदोष व्रत आरोग्य प्रदान करता है और मनुष्य की समस्त इच्छाओं की पूर्ति होती है। आज का मंत्र :- ""|| ॐ नमः शिवाय।। ||"" *🙏नारायण नारायण🙏* जय महाकालेश्वर महाराज। माँ महालक्ष्मी की कृपा सदैव आपके परिवार पर बनी रहे। 🙏🌹जय महाकालेश्वर महाराज🌹🙏 महाकालेश्वर ज्योर्तिलिंग का आज का भस्म आरती श्रृंँगार दर्शन। 05 दिसंबर 2022 ( चंद्रवार ) जय महाकालेश्वर महाराज। सभी प्रकार के ज्योतिष समाधान हेतु। Whatsapp@9522222969 https://www.facebook.com/Bhagyachakraujjain शुभम भवतु ! 9522222969 https://www.instagram.com/p/ClxX1LbSEjC/?igshid=NGJjMDIxMWI=
या देवी सर्वभूतेषु माँ कूष्माण्डा रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥
चौथे दिन कूष्माण्डा देवी के स्वरूप की उपासना की जाती है। इस दिन साधक का मन 'अनाहत' चक्र में अवस्थित होता है। अतः इस दिन उसे अत्यंत पवित्र और अचंचल मन से कूष्माण्डा देवी के स्वरूप को ध्यान में रखकर पूजा-उपासना के कार्य में लगना चाहिए। जब सृष्टि का अस्तित्व नहीं था, तब इन्हीं देवी ने ब्रह्मांड की रचना की थी। अतः ये ही सृष्टि की आदि-स्वरूपा, आदिशक्ति हैं। इनका निवास सूर्यमंडल के भीतर के लोक में है। वहाँ निवास कर सकने की क्षमता और शक्ति केवल इन्हीं में है। इनके शरीर की कांति और प्रभा भी सूर्य के समान ही दैदीप्यमान हैं।
इनके तेज और प्रकाश से दसों दिशाएँ प्रकाशित हो रही हैं। ब्रह्मांड की सभी वस्तुओं और प्राणियों में अवस्थित तेज इन्हीं की छाया है। माँ की आठ भुजाएँ हैं। अतः ये अष्टभुजा देवी के नाम से भी विख्यात हैं। इनके सात हाथों में क्रमशः कमंडल, धनुष, बाण, कमल-पुष्प, अमृतपूर्ण कलश, चक्र तथा गदा है। आठवें हाथ में सभी सिद्धियों और निधियों को देने वाली जपमाला है। इनका वाहन शेर है।
माँ कूष्माण्डा की उपासना से भक्तों के समस्त रोग-शोक मिट जाते हैं। इनकी भक्ति से आयु, यश, बल और आरोग्य की वृद्धि होती है। माँ कूष्माण्डा अत्यल्प सेवा और भक्ति से प्रसन्न होने वाली हैं। यदि मनुष्य सच्चे हृदय से इनका शरणागत बन जाए तो फिर उसे अत्यन्त सुगमता से परम पद की प्राप्ति हो सकती है।माँ कूष्माण्डा की उपासना मनुष्य को आधियों-व्याधियों से सर्वथा विमुक्त करके उसे सुख, समृद्धि और उन्नति की ओर ले जाने वाली है। अतः अपनी लौकिक, पारलौकिक उन्नति चाहने वालों को इनकी उपासना में सदैव तत्पर रहना चाहिए।
यह श्लोक सरल और स्पष्ट है। माँ जगदम्बे की भक्ति पाने के लिए इसे कंठस्थ कर नवरात्रि में चतुर्थ दिन इसका जाप करना चाहिए।
या देवी सर्वभूतेषु माँ कूष्माण्डा रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।'
अर्थ : हे माँ! सर्वत्र [2] विराजमान और कूष्माण्डा के रूप में प्रसिद्ध अम्बे, आपको मेरा बार-बार प्रणाम है। या मैं आपको बारंबार प्रणाम करता हूँ। हे माँ, मुझे सब पापों से मुक्ति प्रदान करें।
अपनी मंद, हल्की हँसी द्वारा अंड अर्थात ब्रह्मांड को उत्पन्न करने के कारण इन्हें कूष्माण्डा देवी के रूप में पूजा जाता है। संस्कृत भाषा में कूष्माण्डा को कुम्हड़ कहते हैं। बलियों में कुम्हड़े की बलि इन्हें सर्वाधिक प्रिय है। इस कारण से भी माँ कूष्माण्डा कहलाती हैं
*ब्राह्मण* को क्यों शास्त्रों में कहा गया है *देवता*, जानना चाहते हैं ज़रूर पढ़ें l
शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ
आप में से लगभग लोग जानते होंगे कि हिंदू धर्म में ब्राह्मण देवता तो किसी देवी-देवता के कम नहीं माना जाता। कहने का भाव हैं इन्हें भी देवी-देवताओं की ही तरह पूजनीय माना जाता है। मगर इन्हीं लोगों में से बहुत से लोगों के मन में ये सवाल भी आया होगा कि आख़िर क्यों ब्राह्मण को देवता का रूप माना जाता है? इसके पीछे का कारण क्या है? दरअसल इस बात का विवरण धार्मिक ग्रंथों में बाखूबी किया गया है। जी हां शास्त्रों से जानते हैं कि क्यों ब्राह्मण को देवता समान पूजनीय माना जाता हैं I
अर्थात- उपरोक्त श्लोक के अनुसार पृथ्वी में जितने भी तीर्थ हैं वह सभी समुद्र में मिलते हैं और समुद्र में जितने भी तीर्थ हैं वह सभी ब्राह्मण के दक्षिण पैर में है। चार वेद उसके मुख में हैं। अंग में सभी देवता आश्रय करके रहते हैं। इसलिए ऐसी मान्यता है ब्राह्मण की पूजा करने से सब देवों की पूजा होती है। पृथ्वी में ब्राह्मण विष्णु स्वरूप माने गए हैं इसलिए जिसको कल्याण की इच्छा हो उसे कभी ब्राह्मणों का अपमान तथा द्वेष नहीं करना चाहिए।🚩
देवाधीनाजगत्सर्वं मन्त्राधीनाश्च देवता:।
ते मन्त्रा: ब्राह्मणाधीना:तस्माद् ब्राह्मण देवता।👏🏻
अर्थात- सारा संसार देवताओं के अधीन है तथा देवता मंत्रों के अधीन हैं और मंत्र ब्राह्मण के अधीन हैं ब्राह्मण को देवता माने जाने का एक प्रमुख कारण ये भी है।
अर्थात- ब्राह्मण के बालक को जन्म से ही ब्राह्मण समझना चाहिए। संस्कारों से "द्विज" संज्ञा होती है तथा विद्याध्ययन से "विप्र" नाम धारण करता है। जो वेद, मंत्र तथा पुराणों से शुद्ध होकर तीर्थ स्नानादि के कारण और भी पवित्र हो गया है, वह ब्राह्मण परम पूजनीय माना गया है।🚩
ॐ पुराणकथको नित्यं, धर्माख्यानस्य सन्तति:।
अस्यैव दर्शनान्नित्यं ,अश्वमेधादिजं फलम्।।👏🏻
अर्थात- जिसके हृदय में गुरु,देवता,माता-पिता और अतिथि के प्रति भक्ति है। जो दूसरों को भी भक्तिमार्ग पर अग्रसर करता है,जो सदा पुराणों की कथा करता और धर्म का प्रचार करता है। शास्त्रों में ऐसे ब्राह्मण के दर्शन से अश्वमेध यज्ञों का फल प्राप्त होने की बात कही गई है।
पौराणिक कथाओं के अनुसार एक बार पितामह भीष्म जी ने पुलस्त्य जी से पूछा हे गुरुवर! मनुष्य को देवत्व, सुख, राज्य, धन, यश, विजय, भोग, आरोग्य, आयु, विद्या, लक्ष्मी, पुत्र, बन्धुवर्ग एवं सब प्रकार के मंगल की प्राप्ति कैसे हो सकती है। तब पुलस्त्य जी ने उनकी बात का उत्तर देते हुए कहा राजन!इस पृथ्वी पर ब्राह्मण सदा ही विद्या आदि गुणों से युक्त और श्रीसम्पन्न होता है। तीनों लोकों और प्रत्येक युग में विप्रदेव नित्य पवित्र माने गए हैं। ब्राह्मण देवताओं का भी देवता है। संसार में उसके समान कोई दूसरा नहीं है। वह साक्षात धर्म की मूर्ति है और सबको मोक्ष का मार्ग प्रशस्त करने वाला है। ब्राह्मण सब लोगों का गुरु, पूज्य और तीर्थस्वरुप मनुष्य है। पूर्वकाल में नारदजी ने ब्रम्हाजी से पूछा था। ब्रम्हन्! किसकी पूजा करने पर भगवान लक्ष्मीपति प्रसन्न होते हैं। तो ब्रह्मा जी बोले, जिस पर ब्राह्मण प्रसन्न होते हैं,उस पर भगवान विष्णु जी भी प्रसन्न हो जाते हैं। अत: ब्राह्मण की सेवा करने वाला मनुष्य निश्चित ही परब्रम्ह परमात्मा को प्राप्त होता है। ब्राह्मण के शरीर में सदा ही श्री विष्णु का निवास है। जो दान, मान और सेवा आदि के द्वारा प्रतिदिन ब्राह्मणों की पूजा करते हैं, उसके द्वारा मानों शास्त्रीय पद्धति से उत्तम दक्षिणा युक्त सौ अश्वमेध यज्ञों का अनुष्ठान हो जाता है। जिसके घर पर आया हुआ ब्राह्मण निराश नही लौटता, उसके समस्त पापों का नाश हो जाता है। पवित्र देश काल में सुपात्र ब्राह्मण को जो धन दान किया जाता है वह अक्षय होता है। वह जन्म जन्मान्तरों में फल देता है, उनकी पूजा करने वाला कभी दरिद्र, दुखी और रोगी नहीं होता है। जिस घर के आंगन में ब्राह्मण की चरणधूलि पड़ने से वह पवित्र होते हैं वह तीर्थों के समान हैं।🚩
ॐ न विप्रपादोदककर्दमानि,
न वेदशास्त्रप्रतिघोषितानि!
स्वाहास्नधास्वस्तिविवर्जितानि,
श्मशानतुल्यानि गृहाणि तानि।।
जहां ब्राह्मणों का चरणोदक नहीं गिरता,जहां वेद शास्त्र की गर्जना नहीं होती,जहां स्वाहा,स्वधा,स्वस्ति और मंगल शब्दों का उच्चारण नही��� होता है। वह चाहे स्वर्ग के समान भवन भी हो तब भी वह श्मशान के समान है।
भीष्मजी! पूर्वकाल में विष्णु भगवान के मुख से ब्राह्मण , बाहुओं से क्षत्रिय, जंघाओं से वैश्य और चरणों से शूद्रों की उत्पत्ति हुई। पितृयज्ञ(श्राद्ध-तर्पण), विवाह, अग्निहोत्र, शान्तिकर्म और समस्त मांगलिक कार्यों में सदा उत्तम माने गए हैं। ब्राह्मण के मुख से देवता हव्य और पितर कव्य का उपभोग करते हैं। ब्राह्मण के बिना दान,होम तर्पण आदि सब निष्फल होते हैं।
जहां ब्राह्मणों को भोजन नहीं दिया जाता,वहा असुर,प्रेत,दैत्य और राक्षस भोजन करते हैं। इसलिए कहा जाता है ब्राह्मण को देखकर श्रद्धापूर्वक उसको प्रणाम करना चाहिए।👏🏻
उनके आशीर्वाद से मनुष्य की आयु बढती है,वह चिरंजीवी होता है। ब्राह्मण को देखकर भी प्रणाम न करने से,उनसे द्वेष रखने से तथा उनके प्रति अश्रद्धा रखने से मनुष्यों की आयु क्षीण होती है, धन ऐश्वर्य का नाश होता है तथा परलोक में भी उसकी दुर्गति होती है।
चौ- पूजिय विप्र सकल गुनहीना।
शूद्र न गुनगन ग्यान प्रवीणा।।
कवच अभेद्य विप्र गुरु पूजा।
एहिसम विजयउपाय न दूजा।।
रामचरित मानस में कहा गया है-🚩
ॐ नमो ब्रम्हण्यदेवाय,
गोब्राम्हणहिताय च।
जगद्धिताय कृष्णाय,
गोविन्दाय नमो नमः।।🚩
अर्थात- जगत के पालनहार गौ, ब्राम्हणों के रक्षक भगवान श्रीकृष्ण जी कोटिशः वन्द��ा करते हैं। जिनके चरणारविन्दों को परमेश्वर अपने वक्षस्थल पर धारण करते हैं, उन ब्राम्हणों के पावन चरणों में हमारा कोटि-कोटि प्रणाम है। ब्राह्मण जप से पैदा हुई शक्ति का नाम है, ब्राह्मण त्याग से जन्मी भक्ति का धाम है।
ब्राह्मण ज्ञान के दीप जलाने का नाम है,
ब्राह्मण विद्या का प्रकाश फैलाने का काम है।
ब्राह्मण स्वाभिमान से जीने का ढंग है,
ब्राह्मण सृष्टि का अनुपम अमिट अंग है।
ब्राह्मण विकराल हलाहल पीने की कला है,
ब्राह्मण कठिन संघर्षों को जीकर ही पला है।
ब्राह्मण ज्ञान, भक्ति, त्याग, परमार्थ का प्रकाश है,
ब्राह्मण शक्ति, कौशल, पुरुषार्थ का आकाश है।
ब्राह्मण न धर्म, न जाति में बंधा इंसान है,
ब्राह्मण मनुष्य के रूप में साक्षात भगवान है।
ब्राह्मण कंठ में शारदा लिए ज्ञान का संवाहक है,
ब्राह्मण हाथ में शस्त्र लिए आतंक का संहारक है।
ब्राह्मण सिर्फ मंदिर में पूजा करता हुआ पुजारी नहीं है,
ब्राह्मण घर-घर भीख मांगता भिखारी नहीं है।
ब्राह्मण गरीबी में सुदामा-सा सरल है,
ब्राह्मण त्याग में दधीचि-सा विरल है।
ब्राह्मण विषधरों के शहर में शंकर के समान है,
ब्राह्मण के हस्त में शत्रुओं के लिए बेद कीर्तिवान है।
ब्राह्मण सूखते रिश्तों को संवेदनाओं से सजाता है,
ब्राह्मण निषिद्ध गलियों में सहमे सत्य को बचाता है।
ऐसे तो देखा जाये तो हर मनुष्य के लिए सेक्स को ले कर अपना एक अलग नजरिया होता है। हमारे भारत देश में कई लोग अभी भी ऐसे है जो सेक्स के बारे में बात भी नहीं करना चाहते है। उनके हिसाब से सेक्स के बारे में बात करना हमारी (best ayurvedic medicine to increase stamina in bed) भारतीय संस्कृति के खिलाफ है। और अगर हम ऐसे खुलेआम सेक्स के बारे में बात करते है तो भारतीय संस्कृति की मर्यादा का उल्लंघन होता है। पर कई लोग ऐसे भी है जो सेक्स को अपने प्रेम के लिए परिभाषित करते है। कुछ लोग सेक्स को सिर्फ सुख लेने के लिए ही मानते है तो कुछ सेक्स को सिर्फ बच्चे पैदा करने के लिए करते है। पर सच तो है की यौन संबंध कोई बुरी या ख़राब चीज़ नहीं है। अगर आपको किसी भी तरीके की यौन समस्या है तो आप अपने दोस्तों से या फिर किसी करीबी से सलाह ले सकते है इसमें किसी भी तरीके की जिचक महसूस करने की कोई जरुरत नहीं है या फिर किसी पे हसने की या उन्हें जज करने की भी जरुरत नहीं है। क्या आप को पता है सेक्स हमारे जीवन के लिए कितना जरुरी होता है?
चलो आज हम बात करते है की सेक्स हमारे जीवन में कितना महत्त्व रखता है। सेक्स हर किसी के लिए सही है इसे सिर्फ बच्चे पैदा करने के लिए या फिर यौन सुख लेने के लिए ही नहीं करते है।(ayurvedic medicine for sexual stamina) सेक्स के हमारे जीवन में बहोत से फायदे है। आइये हम आपको बताते है की सेक्स करने से क्या फायदे होते है।
प्यार बढ़ता है
तनाव कम होता है
हदय रोग से बचता है
ब्लड सर्कुलेशन
फिटनेस में सुधार आता है
प्यार बढ़ता है :
आप सब तो जानते ही होंगे की सेक्स करने से दो लोगो के बिच की दूरिया ख़तम होती है और नजदीकयाँ बढ़ती है। एक शादी शुदा जीवन में सेक्स बहोत ही जरुरी है। सेक्स करने से उनके बिच की दूरिया कम होती है और उनमे प्यार बढ़ता है।
तनाव कम होता है:
सेक्स को महसूस करके उसका आनंद लेना चाहिए इससे आपके दिमाग को शांति मिलेगी। आज कल के समय में लोगो को छोटा बडा स्ट्रेस तो होता ही है और कोई एक चीज़ के बारे में ज्यादा सोच कर अपना स्ट्रेस लेवल बढ़ाते है। लेकिन अगर वो अपने पार्टनर के साथ थोड़ा अच्छा टाइम बिताते है या फिर सेक्स का आनंद लेते है तो इससे तनाव कम होता है और दिमाग को आराम महसूस होता है।
हदय रोग से बचता है:
क्या आप को पता है की सही इंसान के साथ सेक्स का आनंद लेने से आपको हदय समबन्धित रोग की संभावना ख़तम हो जाती है ? सेक्स करने से दिल की बीमारिया होने का खतरा कम हो जाता है।
ब्लड सर्कुलेशन:
सेक्स करने से हमारा ब्लड सर्कुलेशन बढ़ता है जिससे हमारे बॉडी में सभी जगह पर ऑक्ससीजन पोहचता है। इससे हमारी रोग प्रतिरोधक शक्ति भी बढ़ती है। जो लोग अपने ब्लड प्रेशर को नियंत्रित करने के लिए योग, व्यायाम, या डायबिटीस की दवाई लेते है उनके लिए सेक्स आहोत ही लाभदायी है।
फिटनेस में सुधार आता है:
लोग फिट रहने के लिए जिम में जाते है और काफी महेनत करते है। लेकिन क्या आपको यह बात पता है की सेक्स करने से बॉडी में सुधार आता है। इससे बॉडी शेप अट्रैक्टिव बनता है और इम्यून सिस्टम में भी सुधार आता है।
ऐसे ही सेक्स के बहोत सारे फायदे है लेकिन कई बार बढ़ती उम्र के साथ सेक्स करने में भी बहोत सी समस्याओ का सामना करना पड़ता है जैसे की शीघ्रपतन, ढीलापन, जल्दी डिस्चार्ज हो जाना, वाइट डिस्चार्ज, कम कामेच्छा, डिसइन्फेक्शन, सेक्स के दौरान थकान महसूस करना, जैसी कई सारी समस्याए होती है।
और पढ़े: https://www.arayurveda.com/blogs/ayurvedic-medicine-for-sexual-stamina
ऐसी सभी समस्या के इलाज के लिए किसी भी घरेलु नुस्खे या फिर किसी भी डॉक्टर से केमिकल की या रासायनिक दवाइया लेना आपके लिए हानिकारक हो सकता है। इसके लिए अगर आप आयुर्वेदिक और नेचुरल दवाई ले तो आपकी सेक्सुअल हेल्थ के लिए बहोत ही सही रहेगा। इसके लिए हमारे पास “Knight Rider Tablet” का इस्तेमाल कर सकते हो। ये पूरी तरीके से आयुर्वेदिक जड़ी बूटियों से तैयार की गई है। इसमें अश्वगंधा, शिलाजीत, शतावरी, कौचा, गोक्षुरा जैसे महत्वपूर्ण जड़ी बुटिया सही मात्रा में मिला कर तैयार की गई है। इस दवा को भारत सरकार ने भी पूरी जाँच करने के बाद यौन पीड़ित मरीजों के समाधान के लिए मंजूरी दे दी है। यह दवाई आरोग्य विभाग द्वारा प्रमाणित है तथा साथ ही इस कंपनी को GMP और ISO द्वारा स्वीकृत प्रदान किया गया है। इसके इस्तेमाल से किसी प्रकार की दुष्प्रभाव का खतरा नहीं है।
For More Information
Call Now: +919099857272
Visit Please:-https://www.arayurveda.com/
Email:- [email protected]
Visit:- https://www.arayurveda.com/blogs
Health: रक्तातील साखरेची कोणती मर्यादा आहे धोकादायक? डायबिटीसबद्दल अनेकांना माहिती नाही या गोष्टी
Health: रक्तातील साखरेची कोणती मर्यादा आहे धोकादायक? डायबिटीसबद्दल अनेकांना माहिती नाही या गोष्टी
Health: रक्तातील साखरेची कोणती मर्यादा आहे धोकादायक? डायबिटीसबद्दल अनेकांना माहिती नाही या गोष्टी
मुंबई, भारतात मधुमेह (Diabetes) हा सर्वात सामान्य आजार झाला आहे. लोकं मोठ्या प्रमाणात या आजाराला बळी पडत आहेत, ज्याचे सर्वात मोठे कारण म्हणजे जागरूकतेचा (Awareness) अभाव आणि चुकीची जीवनशैली. मधुमेहामध्ये रक्तातील साखरेचे प्रमाण नियंत्रणात ठेवणे अत्यंत आवश्यक आहे. रक्तातील साखरेशी संबंधित महत्वाची…
*🪷कामिका एकादशी महत्व एवं पूजा विधि और कामिका एकादशी व्रत कथा🪷*
सनातन धर्म में सावन माह कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को कामिका एकादशी मनाई जाती है। इस साल 31 जुलाई बुधवार को कामिका एकादशी है। यह विशेष दिन श्रीहरि विष्णुजी को समर्पित माना जाता है।
इस दिन भगवान विष्णु की विधिपूर्वक पूजा करने से अकाल मृत्यु का भय नहीं होता है और व्यक्ति को सभी पापों से मुक्ति मिलता है। यह चातुर्मास महीने की पहली एकादशी होती है।
कहा जाता है कि कामिका एकादशी का व्रत रखने से साधक पर विष्णुजी की कृपा बनी रहती है और सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं।
पूजा का शुभ मुहूर्त : इस दिन सुबह 05 बजकर 32 मिनट से लेकर सुबह 07 बजकर 32 मिनट तक पूजा का शुभ मुहूर्त बन रहा है। इस बार सर्वार्थ सिद्धि योग में कामिका एकादशी मनाई जाएगी।
व्रत के दिन स्नानादि के बाद साफ और स्वच्छ कपड़े धारण करें।
विष्णुजी का ध्यान करें और व्रत का संकल्प लें। इसके बाद छोटी चौकी पर लाल या पीला कपड़ा बिछाएं। चौकी पर विष्णुजी और मां लक्ष्मी की प्रतिमा स्थापित करें। अब मां लक्ष्मी और विष्णुजी के समक्ष दीपक जलाएं। उन्हें फल, फूल, धूप, दीप और नेवैद्य अर्पित करें। विष्णुजी की आरती उतारें और उनके मंत्रों का जाप करें। तत्पश्चात कामिका एकादशी की व्रत कथा पढ़ें। अंत में सभी देवी-देवताओं की आरती उतारें और पूजा समाप्त करें।
कामिका एकादशी का व्रत हरि विष्णु जी को समर्पित है। कामिका एकादशी का महत्व इसलिए भी अधिक रहता है क्योंकि, यह सावन मास में आती है। कामिका एकादशी सावन मास में आने वाली पहली एकादशी है। इसलिए कामिका एकादशी के दिन पद्म पुराण में बताए गए उपाय अपनाने से व्यक्ति को भगवान विष्णु के साथ भगवान शिव की कृपा प्राप्त होती है। साथ ही यह उपाय मोक्ष दिलाने वाले और धन संपत्ति लाभ दिलाने वाले हैं। कामिका एकादशी के यह उपाय मोक्ष दिलाने के साथ ही सुख समृद्धि भी बढ़ाएंगे।
*सावन में कामिका एकादशी पर करें ये 6 उपाय, धन संपत्ति से होंगे मालामाल*
पद्मपुराण के अनुसार, कामिका एकादशी के दिन भगवान विष्णु की पूजा तुलसी की मंजरी से करें ऐसे करने से जन्मों के पापों से मुक्ति मिलती है। यमलोक नहीं जाना पड़ता है।
कामिका एकादशी पर पूजा के समय तिल के तेल से या घी का दीपक भगवान विष्णु को दिखाएं। पद्मपुराण के अनुसार, इस उपाय से पितृ लोक में पितृ संतुष्ट होते हैं और पितरों की कृपा प्राप्त होती है।
*मोक्ष के लिए करें ये उपाय*
इसके अलावा कामिका एकादशी पर आप गौसेवा करें गौमाताओं को भोजन कराएं एवं श्री कृष्ण की लीलाओं का पाठ करें। इसके अलावा विष्णु सहस्त्रनाम, विष्णु चालीसा का पाठ करें ऐसा करने से आपको मोक्ष मिलती है।
एकादशी के दिन तुलसी पीढ़ा को मिट्टी से लेपें। साथ ही तुलसी माता को दीपक दिखाना चाहिए और तुलसी पूजन करना चाहिए। ऐसा करने से मनुष्य पाप मुक्त होता है और उन्हें सुखों समृद्धि की प्राप्ति होती है।
*कामिका एकादशी पर धन संपत्ति के लिए करें ये उपाय*
एकादशी के दिन गौमाताओं के निमित्त कुछ न कुछ दान अवश्य करें गौसेवा करने से धन संपत्ति में वृद्धि होती है। यदि किसी के जीवन में आर्थिक दिक्कतें चल रही हैं तो वह भी समाप्त हो जाती हैं। इसके अतिरिक्त घर मे हल्दी मिलाकर जल का छिड़काव करें और स्वास्तिक बनाएं ऐसे करने से घर मे देवी लक्ष्मी का वास होता है।
*कामिका एकादशी पर आरोग्य प्राप्ति के लिए उपाय*
कामिका एकादशी सावन की पहली एकादशी होती है। भगवान विष्णु के पूजन के साथ ही भगवान शिव का पंचामृत से अभिषेक करना चाहिए ऐसे करने से आरोग्य और धन वैभव की प्राप्ति होती है।
*🪷 कामिका एकादशी व्रत कथा 🪷*
एक गाँव में एक वीर क्षत्रिय रहता था। एक दिन किसी कारण वश उसकी ब्राह्मण से हाथापाई हो गई और ब्राह्मण की मृत्य हो गई। अपने हाथों मरे गये ब्राह्मण की क्रिया उस क्षत्रिय ने करनी चाही। परन्तु पंडितों ने उसे क्रिया में शामिल होने से मना कर दिया। ब्राह्मणों ने बताया कि तुम पर ब्रह्म-हत्या का दोष है। पहले प्रायश्चित कर इस पाप से मुक्त हो तब हम तुम्हारे घर भोजन करेंगे।
इस पर क्षत्रिय ने पूछा कि इस पाप से मुक्त होने के क्या उपाय है। तब ब्राह्मणों ने बताया कि श्रावण माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी को भक्तिभाव से भगवान श्रीधर का व्रत एवं पूजन कर ब्राह्मणों को भोजन कराके सदश्रिणा के साथ आशीर्वाद प्राप्त करने से इस पाप से मुक्ति मिलेगी। पंडितों के बताये हुए तरीके पर व्रत कराने वाली रात में भगवान श्रीधर ने क्षत्रिय को दर्शन देकर कहा कि तुम्हें ब्रह्म-हत्या के पाप से मुक्ति मिल गई है।
इस व्रत के करने से ब्रह्म-हत्या आदि के सभी पाप नष्ट हो जाते हैं और इहलोक में सुख भोगकर प्राणी अन्त में विष्णुलोक को जाते हैं। इस कामिका एकादशी के माहात्म्य के श्रवण व पठन से मनुष्य स्वर्गलोक को प्राप्त करते हैं।
*Astrology, Vastu एवं सनातन धर्म की हर जानकारी सबसे पहले पाने के लिए नीचे हमारे whatsapp चैनल से जुड़ें* https://chat.whatsapp.com/BsWPoSt9qSj7KwBvo9zWID
*हमारे प्रातः स्मरणीय परम आराध्य पुरुषोत्तम 🏹भगवान श्रीराम🚩 के प्राकट्य दिवस (रामनवमी) की आपको और आपके परिवार को ईष्ट मित्रो सहित अनन्त कोटि-कोटि शुभकामनाएं।*
※══❖═══▩राधे राधे▩═══❖══※
🙏🏻 *सुख-समृद्धि के लिए करें मां सिद्धिदात्री की पूजा*
*चैत्र नवरात्रि के अंतिम दिन मां सिद्धिदात्री की पूजा की जाती है।* मां सिद्धिदात्री भक्तों को हर प्रकार की सिद्धि प्रदान करती हैं। अंतिम दिन भक्तों को पूजा के समय अपना सारा ध्यान निर्वाण चक्र, जो कि हमारे कपाल के मध्य स्थित होता है, वहां लगाना चाहिए। ऐसा करने पर देवी की कृपा से इस चक्र से संबंधित शक्तियां स्वत: ही भक्त को प्राप्त हो जाती हैं। सिद्धिदात्री के आशीर्वाद के बाद श्रद्धालु के लिए कोई कार्य असंभव नहीं रह जाता और उसे सभी सुख-समृद्धि प्राप्त होती है।
※══❖═══▩राधे राधे▩═══❖══※
दिनांक:-17-अप्रैल-2024
वार:--------बुधवार
तिथी :----09नवमी:-15:14
पक्ष:-------शुक्लपक्ष
माह:-------चैत्र
नक्षत्र:----आश्लेषा (अहोरात्र)
योग:------शूल:-23:50
करण:-----कोलव:-15:14
चन्द्रमा:-----कर्क
सूर्योदय:-----06:16
सूर्यास्त:------18:59
दिशा शूल----- उत्तर
निवारण उपाय:----धनिया का सेवन
ऋतु :----बसंत ग्रीष्म ऋतु
गुलीक काल:---11:02से 12:38
राहू काल:---12:38से14:13
अभीजित--------नहीं है
विक्रम सम्वंत .........2081
शक सम्वंत ............1946
युगाब्द ..................5126
सम्वंत सर नाम:----कालयुक्त
🌞चोघङिया दिन🌞
लाभ:-06:16से07:52तक
अमृत:-07:52से09:27तक
शुभ:-11:02से12:38तक
चंचल:-15:48से 17:24तक
लाभ:-17:14से 18:59तक
🌗चोघङिया रात🌓
शुभ:-20:23से21:48तक
अमृत :-21:48से23:12तक
चंचल :-23:12से00:37तक
लाभ :-03:26से04:51तक
🙏आज के विशेष योग 🙏
वर्ष का09वा दिन, श्री रामनवमी, श्री स्वामीनारायण जयंती, चैत्र नवरात्र समाप्त, रवियोग अहोरात्र, ज्वालामुखी योग प्रारंभ 15:14, मातृकाव्रत, पंचराव्रत पारणा, मेला रामनवमी, मेला महावीर जी प्रारंभ,
👉वास्तु टिप्स👈
आप महिलाएं दुसरो का काम मे लिया हुआ सिंन्दुर ना लगाएं।
*सुविचार*
बारी मथे बरु होय घृत, सिकता ते बरु तेल।
बिनु हरी भजन न भव तरिय यह सिद्धान्त अपेल।।
अर्थात
समुद्र को मथ के भले ही कोई घी निकाल ले, बालू से भले ही कोई तेल निकाल ले पर बिना राम की भक्ति के कोई भव् सागर से पार नहीं हो सकता
💐💐 सियावर रामचंद्र की जय💐💐
सदैव खुश मस्त स्वास्थ्य रहे
राधे राधे वोलने मे��� व्यस्त रहे
*💊💉आरोग्य उपाय🌱🌿*
*9 नवम सिद्धिदात्री यानि शतावरी -*
नवदुर्गा का नवम रूप सिद्धिदात्री है, जिसे
नारायणी याशतावरी कहते हैं। शतावरी बुद्धि बल एवं वीर्य के लिए उत्तम औषधि है। यह रक्त विकार एवं वात पित्त शोध नाशक और हृदय को बल देने वाली महाऔषधि है। सिद्धिदात्री का जो मनुष्य
नियमपूर्वक सेवन करता है। उसके सभी कष्ट स्वयं ही दूर हो जाते हैं। इससे पीड़ित व्यक्ति को सिद्धिदात्री देवी की आराधना करना चाहिए।
*🐑🐂 राशिफल🐊🐬*
🐑 *मेष*
दूर से शुभ समाचार की प्राप्ति होगी। कलह-दुर्घटनादि से हानि के योग हैं। व्यापार, नौकरी, निवेश से लाभ होगा। आने वाले धन में विलंब होगा।
🐂 *वृष*
निवेशादि लाभ देंगे। परीक्षा-साक्षात्कार में सफलता के योग हैं। यात्रा लाभदायक होगी। मनोमालिन्य होगा। निर्णय लेने में दुविधा होगी।
👫 *मिथुन*
शारीरिक कष्ट हो सकता है। व्यय बढ़ने से कष्ट होगा। जोखिम वाले कार्य न करें। पारिवारिक चिंता प्रतिस्पर्धा से उत्तेजना बढ़ेगी। व्यापार धीमा चलेगा।
🦀 *कर्क*
रुका हुआ धन वापस आएगा। पराक्रम से निवेश, व्यापार, नौकरी, परीक्षा में सफलता मिलेगी। यात्रा होगी। ऋण लेना पड़ सकता है।
🦁 *सिंह*
नई योजनाएं लागू होंगी। पराक्रम वृद्धि होगी। निवेशादि लाभदायक रहेंगे। प्रतिष्ठा वृद्धि होगी। जल्दबाजी नुकसानदायक रहेगी।
💁 *कन्या*
धार्मिक यात्रा हो सकती है। निवेश, नौकरी में सफलता मिलने से राजकार्य बनने से उत्साह बढ़ेगा। व्यापार में नई योजनाओं का प्रारंभ होगा।
⚖ *तुला*
विवाद से दूर रहें। वाहन-मशीनरी का प्रयोग सावधानी से करें। जोखिम न उठाएं। शत्रु सक्रिय रहेंगे, धीरज रखें। पूँजी निवेश में लाभ होगा।
🦂 *वृश्चिक*
प्रेम-प्रसंगों में सफलता मिलेगी। राजकीय कार्य एवं निवेशादि लाभ देंगे। शत्रु शांत रहेंगे। मान-सम्मान बढ़ेगा। रुके कार्य में सफलता मिलेगी।
🏹 *धनु*
संपत्ति के कार्य से लाभ होगा। निवेश, नौकरी में सफलता मिलेगी। परीक्षा, साक्षात्कार में सफलता के योग हैं। दुस्साहस हानिकारक हो सकता है।
🐊 *मकर*
पराक्रम से लाभ होगा। निवेशादि से लाभ होगा। बौद्धिक कार्य में सफलता होगी। मिष्ठान्नादि का सुख मिलेग���। सामाजिक कार्यों में सम्मान प्राप्त होगा।
🏺 *कुंभ*
विवाद, दुर्घटना से हानि हो सकती है। जोखिम वाले कार्य टालें। विरोधी सक्रिय रहेंगे। व्यापार-व्यवसाय धीमा चलेगा। कार्ययोजना पर अमल जरूरी है।
🐬 *मीन*
यात्रा लाभकारी हो सकती है। प्रतिष्ठा-पराक्रम में वृद्धि होगी। रुके हुए कार्यों में गति आएगी। धनागम होगा। नवीन अनुबंध के कारण लाभ में वृद्धि होगी।
अपना स्वास्थ्य सही-तो परिवार सही विश्व स्वास्थ्य दिवस २०२२-विशेष, इमेजेस,
कोट्स, मैसेजेस और व्हाट्सएप ग्रीटिंग्स अपने परिवार के सहित अपने समाज को भी
शेयर करें
"The biggest wealth is health" - World Health Day 2022: Special Images Quotes Messages & WhatsApp Greetings
विश्व स्वास्थ्य दिवस २०२२ विशेष, इमेजेस: आज का दिन, यानी विश्व स्वास्थ्य दिवस मनाने के कई बहुमूल्य कारण हे तो इसी विषय में चर्चा करेंगे आज। इस लेख के जरिए आप सीख पाएंगे अपना स्वास्थ्य सही-तो परिवार सही विश्व स्वास्थ्य दिवस २०२२, विशेष, इमेजेस, कोट्स, मैसेजेस और व्हाट्सएप ग्रीटिंग्स अपने परिवार के सहित अपने समाज को भी शेयर करें।
विश्व स्वास्थ्य दिवस २०२२ [ WORLD HEALTH DAY 2022 WISHES, IMAGES, QUOTES WHATSAPP MESSAGES, STATUS AND PHOTOS]
हर रोज विश्व स्वास्थ्य दिवस तो आता नहीं साल में एक ही बार आता है वह भी 7 अप्रैल के दिन इसीलिए हमें सावधानी बरतनी चाहिए अपने स्वास्थ्य के प्रति सतर्क रहना चाहिए। दुनिया में सभी के स्वास्थ्य सही सलामत रहे इसीलिए डब्ल्यूएचओ के प्रतिनिधि में हर साल 7 अप्रैल के दिन विश्व स्वास्थ्य दिवस के रूप में मनाया जाता है। स्वास्थ्य में न केवल शारीरिक बल्कि मानसिक और सामाजिक कल्याण भी शामिल है। यदि किसी व्यक्ति के पास ये तीनों हैं, तो उसे स्वस्थ कहा जाता है।
जरूर पढ़े: World Health Day 2022: विश्व स्वास्थ्य दिवस 2022 तिथि, विषय, इतिहास, महत्व
विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार स्वास्थ्य, मानव सुख और कल्याण के लिए मौलिक है। यह आर्थिक उन्नति में भी महत्वपूर्ण योगदान देता है, क्योंकि स्वस्थ लोग लंबे समय तक जीवित रहते हैं और अधिक उत्पादक होते हैं। दुनिया भर में कई भयानक बीमारियां लाखों लोगों को पीड़ित करती हैं। हर साल, विश्व स्वास्थ्य दिवस दुनिया भर में लोगों के सामान्य स्वास्थ्य और भलाई के बारे में जागरूकता को बढ़ावा देने के लिए मनाया जाता है।
#विश्व स्वास्थ्य दिवस २०२२: विशेष, इमेजेस, कोट्स, मैसेजेस और व्हाट्सएप ग्रीटिंग्स
1. गर्मी से भरी हुई और प्यार से लिपटी हुई यह संदेश आपके लिए विश्व स्वास्थ्य दिवस के मौके पर।- happy world health day 2022
2. अपने स्वास्थ्य को तंदुरुस्त रखने के लिए आईये यह मूल्यवान दिन में शामिल हो कर सपोर्ट करे। happy world health day
जरूर पढ़े: 15 Precautions You Must Take Before Attending World Health Day 2022 | World Health Day 2022 Date, Theme And Foods You Must Eat For Good Health
3. विश्व स्वास्थ्य दिवस 2022 के दिन सब मिलकर शपथ लें अपने स्वास्थ्य को सही सलामत रखेंगे और समाज को भी यह सीखलायेंगे।
4. विश्व स्वास्थ्य दिवस - रोकथाम हमेशा इलाज से कहीं अधिक गुना बेहतर होता है। अपने परिवार के साथ साथ अपने समाज को भी यह संदेश प्रदान करें। - विश्व स्वास्थ्य दिवस २०२२
5. मानुष्य जाति का सबसे बड़ा धन सेहत होता है। इस धन को बहुत ही प्यार से रखना चाहिए।
6. इस अवसर पर हम सब मिलकर शपथ ले और अपने स्वास्थ्य के प्रति ख्याल रखेंगे और हर रोज कसरत करेंगे। - happy world health day 2022
7. मनुष्य जाति में अपनी स्वास्थ्य से बढ़कर और कुछ भी नहीं है। इस विशेष दिन को आनंदमय बनाने के लिए आप सभी का धन्यवाद और हार्दिक शुभकामनाएं विश्वा स्वास्थ्य दिवस के लिए।
8. अपने साथ अपने परिवार और समाज को भी एक कदम आगे बढ़ाने की कोशिश करें, आज ही के दिन हम यह जान पाएंगे हमारे शरीर में कौन-कौन सी बीमारी है, और हमारा शरीर कितना स्वास्थ है।
9. इस महत्वपूर्ण दिन में सभी को गुड संदेशा देकर स्वास्थ्य दिवस के प्रति एक कदम आगे बढ़ाना चाहिए। happy world health day 2022
10. सभी को यह संदेशा है अपने स्वास्थ्य से खिलवाड़ ना करें, स्वास्थ्य दिवस के अवसर पर आप सभी को शुभकामनाएं।
#विश्व स्वास्थ्य दिवस २०२२ मराठी विशेष, इमेजेस, कोट्स, मैसेजेस और व्हाट्सएप ग्रीटिंग्स
१. जागतिक आरोग्य दिनानिमित्त प्रेमाने भरलेला आणि तुमच्यासाठी प्रेमाने लपेटलेला हा संदेश. - जागतिक आरोग्य दिन २०२२ च्या शुभेच्छा
२. आपले आरोग्य निरोगी ठेवण्यासाठी या मौल्यवान दिवसात सहभागी होऊन आम्हाला पाठिंबा द्या. जागतिक आरोग्य दिनाच्या शुभेच्छा
जरूर पढ़े: World Health Day 2022 in Marathi -इतिहास, थीम, महत्त्व आणि आपल्याला माहित असणे आवश्यक आहे - google वर ट्रेंडिंग
३. जागतिक आरोग्य दिन 2022 च्या दिवशी सर्व��ंनी मिळून शपथ घ्यावी, ते आपले आरोग्य सुरक्षित ठेवतील आणि समाजालाही हे शिकवतील.
४. जागतिक आरोग्य दिन - उपचारापेक्षा प्रतिबंध नेहमीच चांगला असतो. हा संदेश तुमच्या कुटुंबाला आणि समाजाला द्या. - जागतिक आरोग्य दिन 2022
५. आरोग्य ही मानव जातीची सर्वात मोठी संपत्ती आहे. हा पैसा खूप प्रेमाने ठेवावा.
६. या निमित्ताने आपण सर्वांनी मिळून आपल्या आरोग्याची काळजी घेऊया आणि रोज व्यायाम करूया. - जागतिक आरोग्य दिन २०२२ च्या शुभेच्छा
७. मानवजातीमध्ये त्याच्या आरोग्यापेक्षा काहीही महत्त्वाचे नाही. हा विशेष दिवस आनंदाचा बनवल्याबद्दल तुम्हा सर्वांचे आभार आणि तुम्हा सर्वांना जागतिक आरोग्य दिनाच्या खूप खूप शुभेच्छा.
८. आपल्या कुटुंबाला आणि समाजाला सोबत घेऊन एक पाऊल पुढे नेण्याचा प्रयत्न करा, या दिवशी आपल्या शरीरात कोणता आजार आहे, आपले शरीर किती निरोगी आहे हे कळू शकेल.
९. या महत्त्वाच्या दिवशी सर्वांनी चांगला संदेश देऊन आरोग्य दिनाकडे एक पाऊल पुढे टाकावे. जागतिक आरोग्य दिन २०२२ च्या शुभेच्छा
१०. आरोग्यासोबत खेळू नका, हा सर्वांना संदेश आहे, आरोग्य दिनानिमित्त तुम्हा सर्वांना शुभेच्छा.
16 व्याख्या ज्या दैनंदिन आपल्यासोबत घडत असतात पण नक्की वाचा
(१) सर्वसाधारणपणे हा देह मन चालवत असतो त्यामुळे त्या मनात येईल ते आपण करत असतो. ते बरोबर की चूक हे त्याचा परिणाम ठरवत असते तेव्हा प्रत्येक गोष्टीचा परिणाम चांगलाच येण्यासाठी त्या मनालाच चालवायला आपण शिकले पाहिजे. ते शिकवणारे शास्त्र म्हणजेच अध्यात्म.
(२) परमेश्वराने निर्मिलेल्या सर्वच गोष्टी सकारात्मक. त्या गोष्टीस जे आपले मन नकारात्मक विचाराने किंवा गोष्टीने झाकू पाहते तेंव्हा त्या नकारात्मक गोष्टी किंवा विचार नष्ट करण्यास लागणारे सत्य व कृती म्हणजेच अध्यात्म होय.
(३) परमेश्वरनिर्मित सृष्टीच्या रचनेस व नियमावलीस समजून घेणे व त्यावर (जन्म, मृत्यू, संकटे, आनंद, दु:ख इ) पूर्ण विश्वास ठेवणे, त्याने डोके रिकामे ठेवण्याची म्हणजे अनावश्यक गोष्टींवर अजिबात लक्ष न देण्याची आठवण होऊन पूर्णतः दुर्लक्ष करण्याची सवय लावून घेण्याचे शिकवणारे शास्त्र म्हणजे अध्यात्म. अध्यात्म म्हणजे श्रध्दा जागृत करणे.
(४) मनासारखे कोणालाच जगता येत नसते. परिस्थितीनुसार जगायला शिकवणारे शास्त्र म्हणजे अध्यात्म.
(५) मनात चांगल्या विचारामुळे चांगल्या इच्छा निर्माण होतात. चांगल्या इच्छा म्हणजे ज्या मनाला फक्त समाधानच देतात त्यांचा दुष्परिणाम नसतोच अशा सर्व इच्छा पूर्तीचा मार्ग म्हणजे अध्यात्म.
(६) मन शांत व स्वतःला स्थिर करण्याची व एकाच परमानंद भावनेत राहण्याची कला म्हणजे अध्यात्म.
(७) समस्या नष्ट करणारे ज्ञान म्हणजे आत्मज्ञान. तेव्हा कुठल्याही परिस्थितीला सक्षमपणे तोंड देण्यास ह्या देहाला तयार करते ते आत्मज्ञान आणी ते शिकवणारे शास्त्र म्हणजेच अध्यात्म.
(८) मनुष्य चुकीचा विचार करून चुकीच्या मार्गाने जाऊन अनावश्यक परिस्थिती ओढवून घेत असतो कारण मनुष्य भावनेत जगत असतो. भावनेमुळेच तो सुखी अथवा दुखी होतो. सुखी भावना जर सुखी करते तर सर्वच भावना सुखकारक करण्यासाठी काम करणारे शास्त्र म्हणजे अध्यात्म.
(९) सत्य जाणून घेणे. वस्तूस्थिती ही सत्य व माया ही असत्य, तेव्हा मायेच्या मोहातून बाहेर पडण्याचा अभ्यास करणे आवश्यक असतेच. म्हणून खरे सुख काय व कशात आहे हे जाणण्याचा सराव म्हणजे अध्यात्म.
(१०) नि:शंक व निर्भय मन शरीराला पुरेशी झोप, ताकद व आरोग्य देते. भीती फक्त मनात असते, अन्य कोठेही नसते. नको ते विचारच पराभवाला कारण असतात. ते काढून टाकायला शिकवणारे शास्त्र आणि मग हे नि:शंक मन सतत परमेश्वराची आठवण ठेवते. मग त्या अनुषंगाने परमेश्वराच्या सान्निध्यात राहणे व याच रीतीने नि:शंक होऊन निर्भय होण्याचा मार्ग म्हणजे अध्यात्म.
(११ ) द्विधा मनस्थितीत माणूस बेचैन राहतो तर एकच मनोमन पटलेली गोष्ट करण्यास तो केव्हाही तयार असतो. अशा द्वैताकडून अद्वैताकडे म्हणजे मी श्रद्धायुक्त अंत:करणाने कोणत्याही देवाला कोठेही, केव्हाही नमस्कार केला तर तो माझ्या मनोदेवतेलाच असतो हा विश्वास शिकवणारे शास्त्र म्हणजे अध्यात्म.
(१२ ) समोर सर्वचजण सर्वांनाच चांगले म्हणत असतात पण माघारी चांगले म्हणवणारे शास्त्र म्हणजे अध्यात्म.
(१३) देहबुद्धीच्या पलीकडे जाणे, स्वानंद, म्हणजे मनाला ज्या गोष्टीत आनंद वाटतो त्यात सतत रममाण असणे अशी एकच गोष्ट म्हणजे अध्यात्म. देहबुद्धी विसरणे म्हणजे देह विसरणे नव्हे तर एक प्रकारे देहाच्या अनावश्यक क्रिया विसरणे. याने काही नुकसान न होता अध्यात्मात प्रगतीचे असणारे पहिले महत्त्वाचे पाऊल आहे.
(१४) मनाची तगमग थांबवण्याचे शिकण्यासाठी अध्यात्म. अध्यात्म हे मनाला बंधन नसून चुकीच्या मार्गापासून वाचून जीवनाचा खरा आनंद घेण्याचे प्रभावी साधन आहे. प्रत्येक माणसाला कसली तरी चिंता, काळजी आहेच. ती दूर करण्याचे शास्त्र अध्यात्मात आहे. आणि संपूर्ण अध्यात्म हे नामात आहे!
(१५) अध्यात्मातील व्यक्ती वरकरणी जरी वेडगळ वाटत असली तरी आतून ती अत्यंत ज्ञानी असते व इतरांचे अज्ञान न्याहाळत असते व ते दूर करण्याच्या प्रयत्नात असते. आपण आपली पात्रत��� वाढवण्यास शिकावे. पात्रता वाढवण्यासाठीच अध्यात्मातही प्रतिस्पर्धी हवा.
(१६) थोडक्यात सकारात्मक जगायला शिकवते ते अध्यात्म. अध्यात्म या शब्दाची फोड अधि म्हणजे शरीर व त्यात वास असणाऱ्याचे अयन करणे म्हणजे शिकणे ते अध्यात्म.
(१७) वरील १६ व्याख्यांपैकी... काहीच न समजले पण हवा तसा परिणाम येण्यासाठी फक्त लक्षात ठेवावे की - ज्याला पैसा लागत नाही ते म्हणजे अध्यात्म..