#मन को शांत करने की सरल विधि?
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चौथा दिन करे मां कूष्मांडा की पूजन विधि, श्लोक, मंत्र एवं भोग
इन दिनों शारदीय नवरात्रि का पावन पर्व चल रहा है। नवरात्रि के चौथे दिन मां कूष्मांडा की पूजा-आराधना की जाती है। अपनी मंद, हल्की हंसी द्वारा अंड अर्थात ब्रह्मांड को उत्पन्न करने के कारण इन्हें कूष्मांडा देवी के रूप में पूजा जाता है। संस्कृत भाषा में कूष्मांडा को कुम्हड़ कहते हैं। बलियों में कुम्हड़े की बलि इन्हें सर्वाधिक प्रिय है। इस कारण से भी मां कूष्माण्डा (कूष्मांडा) कहलाती हैं।
🌞आइए पढ़ें मां कूष्मांडा की पूजन विधि, मंत्र एवं भोग-🌞
👉देवी कूष्मांडा पूजन विधि-
नवरात्रि में इस दिन भी रोज की भांति सबसे पहले कलश की पूजा कर माता कूष्मांडा को नमन करें।
इस दिन पूजा में बैठने के लिए हरे रंग के आसन का प्रयोग करना बेहतर होता है।
देवी को लाल वस्त्र, लाल पुष्प, लाल चूड़ी भी अर्पित करना चाहिए।
मां कूष्मांडा को इस निवेदन के साथ जल पुष्प अर्पित करें कि, उनके आशीर्वाद से आपका और आपके स्वजनों का स्वास्थ्य अच्छा रहे।
अगर आपके घर में कोई लंबे समय से बीमार है तो इस दिन मां से खास निवेदन कर उनके अच्छे स्वास्थ्य की कामना करनी चाहिए।
देवी को पूरे मन से फूल, धूप, गंध, भोग चढ़ाएं।
मां कूष्मांडा को विविध प्रकार के फलों का भोग अपनी क्षमतानुसार लगाएं।
पूजा के बाद अपने से बड़ों को प्रणाम कर प्रसाद वितरित करें।
देवी कूष्मांडा योग-ध्यान की देवी भी हैं। देवी का यह स्वरूप अन्नपूर्णा का भी है। उदराग्नि को शांत करती हैं। इसलिए, देवी का मानसिक जाप करें। देवी कवच को पांच बार पढ़ना चाहिए।
👉 देवी को प्रसन्न करने के मंत्र-
श्लोक- सुरासंपूर्णकलशं रुधिराप्लुतमेव च। दधाना हस्तपद्माभ्यां कूष्माण्डा शुभदास्तु मे ॥
👉सरल मंत्र- 'ॐ कूष्माण्डायै नम:।।'
👉मां कूष्मांडा की उपासना का मंत्र- देवी कूष्मांडा की उपासना इस मंत्र के उच्चारण से की जाती है- कुष्मांडा: ऐं ह्री देव्यै नम:
वन्दे वांछित कामार्थे चन्द्रार्धकृतशेखराम्। सिंहरूढ़ा अष्टभुजा कूष्माण्डा यशस्विनीम्॥
मंत्र: या देवि सर्वभूतेषू सृष्टि रूपेण संस्थिता नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:
👉अर्थ : हे मां! सर्वत्र विराजमान और कूष्माण्डा के रूप में प्रसिद्ध अम्बे, आपको मेरा बार-बार प्रणाम है। या मैं आपको बारंबार प्रणाम करता हूँ। हे मां, मुझे सब पापों से मुक्ति प्रदान करें।
👉प्रसाद- माता कूष्मांडा के दिव्य रूप को मालपुए का भोग लगाकर किसी भी दुर्गा मंदिर में ब्राह्मणों को इसका प्रसाद देना चाहिए। इससे माता की कृपा स्वरूप उनके भक्तों को ज्ञान की प्राप्ति होती है, बुद्धि और कौशल का विकास होता है। और इस अपूर्व दान से हर प्रकार का विघ्न दूर हो जाता है। 👉 ऐसी ही रोचक और ज्ञानवर्धक "सनातन धर्म, Astrology और VastuShastra" की जानकारी पहले पाने के लिए अभी जुड़ें "Astro Vastu Kosh" से 👈 9837376839
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शिव सहस्रनाम का पाठ करने के नियम, पूजा महत्व और लाभ
शिव सहस्रनाम भगवान शिव के 1000 नामों का स्तोत्र है। यह महाकाव्य महाभारत के अनुशासन पर्व में वर्णित है। शिव सहस्रनाम का पाठ करना भगवान शिव की पूजा का एक महत्वपूर्ण हिस्सा माना जाता है।
शिव सहस्रनाम भगवान शिव की भक्ति का एक सरल और प्रभावी तरीका है। इसका नियमित पाठ करने से जीवन में अनेक लाभ प्राप्त होते हैं।
शिव सहस्रनाम का पाठ करने के नियम:
शिव सहस्रनाम का पाठ करने से पहले स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
पूजा स्थान को स्वच्छ और रंगोली, फूलों, दीपक आदि से सजाएं।
भगवान शिव की प्रतिमा या शिवलिंग स्थापित करें।
गंगाजल, दूध, दही, घी, शहद, और पंचामृत से भगवान का अभिषेक करें।
धूप, दीप जलाएं और भोग लगाएं।
शांत मन से बैठकर शिव सहस्रनाम का पाठ करें।
प्रत्येक नाम का अर्थ समझने का प्रयास करें।
पाठ पूर्ण करने के बाद आरती करें और भगवान से प्रार्थना ��रें।
शिव सहस्रनाम पूजा का महत्व:
शिव सहस्रनाम का पाठ करने से भगवान शिव प्रसन्न होते हैं और मनोकामनाएं ��ूर्ण करते हैं।
यह पापों का नाश करता है और पुण्य प्रदान करता है।
इससे मोक्ष की प्राप्ति होती है।
रोग, शत्रु, भय और कष्टों से मुक्ति मिलती है।
ज्ञान, बुद्धि, और विद्या प्राप्त होती है।
गृह क्लेश और संकट दूर होते हैं।
वैवाहिक जीवन में सुख-समृद्धि प्राप्त होती है।
शिव सहस्रनाम का पाठ करने के लाभ:
शिव सहस्रनाम का पाठ करने से मन शांत होता है और एकाग्रता बढ़ती है।
इससे आत्मविश्वास बढ़ता है और सकारात्मक सोच विकसित होती है।
यह व्यक्ति को धार्मिक और आध्यात्मिक बनाता है।
इससे जीवन में खुशी और समृद्धि आती है।
शिव सहस्रनाम कुछ विशेष बातें:
शिव सहस्रनाम का पाठ प्रतिदिन या सोमवार, प्रदोष व्रत, मासिक शिवरात्रि, या महाशिवरात्रि को करना विशेष फलदायी माना जाता है।
पाठ करते समय रुद्राक्ष की माला पहनना शुभ होता है।
यदि आप संस्कृत का उच्चारण नहीं जानते हैं तो आप हिंदी में शिव सहस्रनाम का पाठ भी कर सकते हैं।
आप किसी पुजारी या विद्वान से भी शिव सहस्रनाम का पाठ विधि सीख सकते हैं।
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विपश्यना :भारत की सबसे पुरानी योग की तकनीक है -
विपश्यना भारत की सबसे पुरानी ध्यान केंद्रित करने वाली तकनीक है |इसका सरल सा मतलब है की सभी चीजें को उनके वास्तविक रूप में देखना |ये एक संस्कृत शब्द है -विपश्यना= (वि + पश्य + ना)विशेष प्रकार से देखना|आज से करीब २५०० वर्ष पूर्व महात्मा बुद्ध ने इस तकनीक को पुनर्जीवित किया |महात्मा बुद्ध की शिक्षाओं में से एक विपश्यना भी है। यह वास्तव में सत्य की उपासना है। सत्य में जीने का अभ्यास है। विपश्यना इसी क्षण में यानी तत्काल में जीने की कला है। भूत की चिंताएं और भविष्य की आशंकाओं में जीने की जगह भगवान बुद्ध ने अपने शिष्यों को आज के बारे में सोचने केलिए कहा।
विपश्यना :एक कला -
विपश्यना सम्यक् ज्ञान है। जो जैसा है, उसे ठीक वैसा ही देख-समझकर जो आचरण होगा, वही सही और कल्याणकारी सम्यक आचरण होगा। विपश्यना जीवन की सच्चाई से भागने की शिक्षा नहीं देता है, बल्कि यह जीवन की सच्चाई को उसके वास्तविक रूप में स्वीकारने की प्रेर��ा देता है।योग साधना के तीन मार��ग प्रचलित हैं - विपश्यना, भावातीत ध्यान और हठयोग।
विपश्यना करने का सही तरीका -
मन और शरीर की सर्वसामान्य जड़ की यह अवलोकन-आधारित, आत्म-खोजात्मक यात्रा है, जो मानसिक अशुद्धता को पिघलाता है, जिसके परिणामस्वरूप एक संतुलित मन प्यार और करुणा से भरा होता है|विपश्यना अनुशासन बहुत जरुरी है और साथ में लगन |क्योकि खुद को शांत और ख़ुशी आदमी खुद के दवरा ही दे सकता है |इसलिए ये योग केवल इसे गंभीरता से लेने वाले के लिए उपयोगी होता है | ये 10 दिवसीय प्रक्रिया है |इसका पूरा एक कोड ऑफ़ डिसिप्लिन होता है जिसको तीन भागों में बाटा गया है पहला चरण - इस चरण में आपको हत्या ,चोरी ,यौन गतिविधि , गलत तरीके से बात और नशे की आदतों को छोड़ना होता है ये मन को शांत करता है |
दूसरे चरण - इस चरण में आपको अपने श्वास लेने की विधि पर काबू करके मन को शांत रखना होता है |इस क्रिया में व्यक्ति का मन खुद बे खुद शांत हो जाता है चौथ��� दिन तक |खुद को केंद्रित करके अपने शरीर के बारे में जानने और संवेदनाओं को समझना और संतुलित करना इसके ही अंग है |
तीसरा चरण -ये अंतिम चरण है |व्यक्ति दया के प्रति प्रेम और सभी के लिए अच्छे काम करना और अपनी सब अशुद्धि भुलाकर ध्यान केंद्रित करना सीख चूका होता है |
इस तकनीक को इस समय क्या राजनेता और क्या अभिनेता और बिज़नेस मैन सब अपना रहे है | ये पुरे विश्व में प्रसिद्ध है | अगर आप सुकून चाहते है तो इसे आजमाए जरूर क्योकि हमारा काम बताना है |
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Q. A. W. - KMSRAJ51 - Ep.- 19th / 06-Aug-2017
Q. A. W. – KMSRAJ51 – Ep.- 19th / 06-Aug-2017
Kmsraj51 की कलम से…..
ϒ Q. A. W. ~ KMSRAJ51 ϒ ओम गंग गणपतये नमः
श्री गणेश मंत्र ~
ऊँ वक्रतुण्ड़ महाकाय सूर्य कोटि समप्रभं। निर्विघ्नं कुरू मे देव, सर्व कार्येषु सर्वदा।।
रविवार, 06-अगस्त-2017
Q. 1 .⇒ मन को शांत करने का सबसे कारगर तरीका क्या है ? “या” कैसे मन को शांत करें?
“या” मन को शांत करने की सरल विधि? “या” कैसे अपने मन को सदैव शांति की अवस्था में रखें ? – रेणु जोशी – आबू रोड (राजस्थान), –…
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#कैसे अपने मन को सदैव शांति की अवस्था में रखें ?#कैसे मन को शांत करें?#मन को शांत करने की सरल विधि?#Ep- 19th / 06-Aug-2017#How to calm the mind?#https://kmsraj51.com/#kms#kmsra#KMSRAJ#Kmsraj51#QAW-KMSRAJ51#Simple method to calm the mind?
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जय श्री कृष्णा। मित्रों आपको राज़कुमार देशमुख का स्नेह वंदन।।आज मंगलवार है आज हनुमंत लला की कृपा के लिए बहुत से लोग सुंदर कांड का पाठ करते है।सुंदर कांड के संदर्भ में एक रोचक जानकारी हाल के दिनों में ��ढ़ने मिली तो सोचा आज कथा सेवा में इसे ही साझा करूं।
🌹🌹🔰🙏सुंदरकांड समझ कर उसका पाठ करें तो हमें और भी आनंद आएगा।
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🔰👉सुंदरकांड में ०१ से २६ तक जो दोहे हैं, शिवजी का गायन है, वो शिव कांची है। क्योंकि शिव आधार हैं, अर्थात कल्याण।
🔰👉जहां तक आधार का सवाल है, तो पहले हमें अपने शरीर को स्वस्थ बनाना चाहिए, शरीर स्वस्थ होगा तभी हमारे सभी काम हो पाएंगे।
🔰👉किसी भी काम को करने के लिए अगर शरीर स्वस्थ है तभी हम कुछ कर पाएंगे, या कुछ कर सकते हैं।
🔰👉सुन्दरकाण्ड की एक से लेकर 26 चौपाइयों में तुलसी बाबा ने कुछ ऐसे गुप्त मंत्र हमारे लिए रखे हैं जो प्रकट में तो हनुमान जी का ही चरित्र है लेकिन अप्रकट में जो चरित्र है वह हमारे शरीर में चलता है।
🔰👉हमारे शरीर में 72000 नाड़ियां हैं उनमें से भी तीन सबसे महत्वपूर्ण हैं।
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🔰 #जैसे_ही_हम_सुन्दरकाण्ड_प्रारंभ_करते_हैं🔰
🔰🙏ॐ श्री परमात्मने नमः, तभी से हमारी नाड़ियों का शुद्धिकरण प्रारंभ हो जाता है।
🔰👉सुंदरकांड में एक से लेकर २६ दोहे तक में ऐसी शक्ति है, जिसका बखान करना इस पृथ्वी के मनुष्यों के बस की बात नहीं है।
🔰👉इन दोहों में किसी भी राजरोग को मिटाने की क्षमता है, यदि श्रद्धा से पाठ किया जाए तो इसमें ऐसी संजीवनी है, कि बड़े से बड़ा रोग निर्मूल हो सकता है।
🔰👉एक से लेकर २६ चौपाइयों में शरीर के शुद्धिकरण का फिल्ट्रेशन प्लांट मौजूद है।
🔰👉हमारे शरीर की लंका को हनुमान जी महाराज स्वच्छ बनाते हैं।
🔰👉जैसे-जैसे हम सुंदरकांड के पाठ का अध्ययन करते जाएंगे वैसे-वैसे हमारी एक-एक नाड़ियां शुद्ध होती जाएंगी।
🔰👉शरीर का जो तनाव है, टेंशन है वह २६ वें दोहे तक आते-आते समाप्त हो जाएगा।
🔰👉आप कभी इसका अपने घर प्रयोग करके देखना, हालांकि घर पर कुछ असर कम होगा लेकिन सामूहिक
सुंदरकांड में इसका लाभ कई गुना बढ़ जाता है।
🔰👉क्योंकि आज के युग में कोई शक्ति समूह में ज्यादा काम करती है।
🔰👉अगर वह साकारात्मक है तब भी और यदि नकारात्मक है तब भी ज्यादा काम करेगी।
🔰👉बड़ी संख्या में साकारात्मक शक्तियां एकत्र होकर जब सुंदरकांड का ���ाठ करती हैं तो भला किस रोग का अस्तित्व ह कि वह हमारे शरीर में टिक जाए।
🔰👉आप घर पर इसका प्रयोग कर इसकी सत्यता की पुष्टि कर सकते हैं।
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🔰👉किसी का यदि ब्लड प्रेशर बढ़ा हुआ है तो उसे संकल्प लेकर हनुमान जी के सन्मुख बैठना चाहिए।
🔰💢#संपुट_अवश्य_लगाएं💢🔰
🔰🙏#मंगल_भवन_अमंगल_हारी।🙏🔰
🔰🙏#द्रवहु_सुदसरथ_अजिर_बिहारी।।🙏🔰
🔰👉यह संपुट बड़ा ही प्रभावकारी है, इसे बेहद प्रभावकारी परिणाम देने वाला संपुट माना गया है।
🔰👉आप मानसिक संकल्प लेकर सुन्दरकाण्ड का पाठ आरंभ करें और देखें २६ वें दोहे तक आते-आते आपका ब्लड प्रेशर नार्मल हो जायेगा।
🔰👉आप स्वयं रक्तचाप मापन विधि कर देख सकते हैं वह निश्चित सामान्य होगा नार्मल होगा।
🔰👉१०० में से ९९ लोगों का निश्चित रूप से ठीक होगा, केवल उस व्यक्ति का जरूर गड़बड़ मिलेगा जिसके मन में परिणाम को लेकर शंका होगी।
🔰👉जो सोच रहा होगा कि होगा कि नहीं होगा, उस एक व्यक्ति का परिणाम गड़बड़ हो सकता है।
🔰👉आप पूर्ण श्रद्धा के साथ पाठ करें परिणाम शत-प्रतिशत अनुकूल आएगा ही।
🔰👉एक से लेकर २६ दोहे तक की यह फलश्रुति है कि आपका शरीर बलिष्ट बने।
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🔰💢#शरीरमाद्यं_खलु_धर्मसाधनम्💢🔰
🔰👉जब तक हमारा शरीर स्वस्थ है, तभी तक हम धर्म-कर्म कर सकते हैं।
🔰👉शरीर स्वस्थ है तो हम भगवान का नाम ले सकते हैं।
🔰👉यदि शरीर में बुखार है, ताप है तो हमें प्रभु की माला करना अच्छा लगेगा ही नहीं।
🔰👉इसलिए शरीर तो हमारा रथ है इसका पहले ध्यान रखना है, स्वस्थ रखना है।
🔰सुन्दरकाण्ड बाबा तुलसीदास जी का हनुमान जी के लिए एक वैज्ञानिक अभियान है और जैसे ही २६ वां दोहा आएगा, वैसे ही
🔰🙏#मंगल_भवन_अमंगल_हारी।🙏🔰
🔰🙏#उमा_सहित_जेहि_जपत_पुरारी।।🙏🔰
🔰👉कैलाश में बैठे भगवान शिव और मां पार्वती के साथ यह वार्तालाप है, २६ वें दोहे के बाद जो गंगा बहती है वह है शिव कांची है।
🔰👉इसमें हमारे शरीर का ऊपर का भाग है, उसे स्वस्थ रखने की संजीवनी है। जैसे-जैसे हम पाठ करते जाएंगे २६ वें दोहे के बाद हमारा मन शांत होता जाएगा।
🔰👉प्रत्येक व्यक्ति की कोई ना कोई इच्छा जरूर होती है, बिना इच्छा के कोई व्यक्ति नहीं हो सकता।
🔰👉सुंदरकांड हमारी व्यर्थ की इच्छाओं को निर्मूल करता है, साथ ही हमारी सद्इच्छाओं को जागृत करता है।
🔰🙏विभीषण जी ने राम जी से कहा ही है🙏🔰
🔰#उर_कछु_प्रथम_बासना_रही।🔰
🔰प्रभु_पद_प्रीति_सरित सो_बही॥🔰
🔰👉यहां विभीषण जी ने स्वीकार किया है-
🔰👉प्रभु मुझे भी राजा बनने की इच्छा थी कि मुझे लंका का राज मिलेगा। लेकिन जब से श्री राम जी के दर्शन हुए हैं में इच्छा से भी मुक्त हो गया।
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🔰🙏सकल सुमंगल दायक रघुनायक गुन गान।
🔰🙏सादर सुनहिं ते तरहिं भव सिंधु बिना जलजान॥
🔰👉इसी प्रकार एक और वचन है🙏🔰
🔰भव भेषज रघुनाथ जसु सुनहिं जे नर अरु नारी।
🔰तिन्ह कर सकल मन��रथ सिद्द्ध करहिं त्रिसिरारी।।
🔰👉सुन्दरकाण्ड हमें यूं ही अच्छा नहीं लगता है, यह हमें इसलिए अच्छा लगता है क्योंकि यह हमारे अंदर का जो तत्व है उसको दस्तक देता है, कि जागो।
🔰👉हमारे अंदर जो दिव्यता है सुंदरकांड उसको जगाने का काम करता है।
🔰👉इसीलिए तो विभीषण जी ने कहा है-
🔰🙏उर कछु प्रथम वासना रही।🙏🔰
🔰🙏प्रभु पद प्रीति सरिस सो बही।।🙏🔰
🔰🙏रामजी कहते हैं--
🔰👉निर्मल मन जन सो मोहि पावा।
🔰👉मोहि कपट छल छिद्र न भावा॥
🔰👉जिसका मन निर्मल है, वही मुझे पाएगा... कबीर दास जी इसे बेहद सरल ढंग से परिभाषित किया।
🔰👉कबीरा मन निर्मल भया निर्मल भया शरीर।
🔰👉फिर पाछे पाछे हरि चले कहत कबीर कबीर।।
🔰👉दोनों निर्मल हो गए कुछ आशा ब��ी ही नहीं। सुन्दरकाण्ड हमें निरपेक्ष बनाता है।
🔰👉सुंदरकांड भौतिक सुख शांति ही नहीं देता, बल्कि हमें मिलना है वह तो हम लिखवाकर ही आए हैं।
🔰👉गाड़ी बंगला, सुख-वैभव, यह हमारा प्रारब्ध तय करता है।
🔰👉 जो हम लिखावाकर नहीं आए हैं, वह हमें यह पाठ देता है।
🔰👉बिनु सत्संग विवेक न होई।
🔰👉रामकृपा बिनु सुलभ न सोई।।
🔰👉सुंदरकांड में हमें सब कुछ देने की क्षमता है लेकिन प्रभु से मांग कर उन को छोटा मत कीजिए...
🔰👉तुम्हहि नीक लागै रघुराई।
🔰👉सो मोहि देहु दास सुखदाई॥
🔰🙏है प्रभु आपको जो ठीक लगता है वह हमें दीजिए।
🔰👉उदाहरण के लिए यदि कोई बालक अपने पिता से १० या २० रुपये मांगता है और पिता उसे रुपये देकर अपना कर्तव्य पूरा मान लेगा, यानी पिता सस्ते में छूट गया, लेकिन वही बालक अपने पिता से कहता है कि जो आप को ठीक लगे वह मुझे दीजिए।
🔰👉ऐसा सुनते ही पिता की टेंशन बढ़ जाएगी, तनाव छा जाएगा... क्योंकि पिता पुत्र को सर्वश्रेष्ठ देना चाहता है।
🔰👉इसलिए परमपिता परमेश्वर को मांगकर छोटा मत कीजिए, उनसे कहिए जो बात प्रभु को ठीक लगे, वही मुझे दीजिए। फिर भगवान जब देना शुरू करेंगे तो हमारी ले लेने की क्षमता नहीं होगी... उसी क्षमता को बढ़ाने का काम यह सुन्दरकाण्ड करता है।
🔰👉सुंदरकांड के द्वितीय चरण में एक महामंत्र है।
🔰👉दीन दयाल बिरिदु संभारी।
🔰👉हरहु नाथ मम संकट भारी।।
🔰👉यह चौपाई रामचरितमानस का तारक मंत्र है, इसे अपने हृदय पर लिखकर रख लीजिए।
🔰👉रामचरित मानस का यह मंत्र हमें उस संकट से मुक्ति दिलाता है जिसके बारे में हमें भी नहीं पता है।
🔰👉इसी प्रकार रामचरितमानस का एक और महामृत्युंजय मंत्र है।-
🔰👉नाम पाहरू दिवस निसि ध्यान तुम्हार कपाट।
🔰👉लोचन निज पद जंत्रित जाहिं प्रान केहिं बाट।।
🔰👉यदि आपको मृत्यु का भय लग रहा है तो इस दोहे का रटन कीजिए, यदि आपको लगता है कि आप फंस गए हैं और निकलना असंभव जान पड़ रहा है, ऐसे में घबराने की बिल्कुल भी जरूरत नहीं है। आप हनुमान जी का ध्यान करके इस दोहे का रटन शुरू कर दीजिए। हनुमान जी महाराज की कृपा से १५ मिनट में संकट टल जाएगा।
🔰👉इस पंक्ति का, इस दोहे का कुछ विद्वान इस तरह भी अर्थ निकालते हैं कि जो आपके भाग्य में लिखा है, उसको तो आपको भोगना ही है, लेकिन उसे सहन करने की शक्ति रामजी के अनुग्रह से हनुमान जी प्रदान करते हैं और जीवन से हर परेशानियों को मुक्त कर देते हैं।
🔰👉हनुमान जी की असीम अनुकंपा को बखान करना किसी के भी बस में नहीं है।
🔰👉 हम केवल उसका अनुभव साझा कर सकते हैं।
🔰🙏सुन्दरकाण्ड दिन-प्रतिदिन अपने अर्थ को व्यापक बनाता जाता है।
🔰🙏आज आपके लिए एक अर्थ है, तो कल दूसरा होगा।
🔰🙏ये महिमा है प्रभु की।
🔰🙏तो सुन्दरकाण्ड का अध्ययन करते रहिये और प्रतिदिन प्रभु के प्रसाद को ग्रहण करने की क्षमता बढ़ाते रहिये।।
____जय श्री राम_____
अंत में आपसे पुनः निवेदन है कि आप कोराॆना काल में मानवीय दूरी का पालन करें मास्क, सेनेटाइजर का प्रयोग करें &चीन के सामान का बहिष्कार करें और स्वदेशी सामान अपनाए ताकि आने वाले आर्थिक संकट का सामना हम कर सके।
📚 संकलन कर्ता: राज़कुमार देशमुख 📚
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🚩महाशिवरात्रि का ऐसा है इतिहास, इसदिन शिवजी को ऐसे करें प्रसन्न-09 मार्च 2021
🚩तीनों लोकों के मालिक भगवान शिव का सबसे बड़ा त्यौहार महाशिवरात्रि है ।महाशिवरात्रि भारत के साथ कई अन्य देशों में भी धूम-धाम से मनाई जाती है ।
🚩‘स्कंद पुराण के ब्रह्मोत्तर खंड में शिवरात्रि के उपवास तथा जागरण की महिमा का वर्णन है : ‘शिवरात्रि का उपवास अत्यंत दुर्लभ है । उसमें भी जागरण करना तो मनुष्यों के लिए और भी दुर्लभ है । लोक में ब्रह्मा आदि देवता और वशिष्ठ आदि मुनि इस चतुर्दशी की भूरि-भूरि प्रशंसा करते हैं । इस दिन यदि किसी ने उपवास किया तो उसे सौ यज्ञों से अधिक पुण्य होता है ।
🚩शिवलिंग का प्रागट्य!
🚩पुराणों में आता है कि ब्रह्मा जी जब सृष्टि का निर्माण करने के बाद घूमते हुए भगवान विष्णु के पास पहुंचे तो देखा कि भगवान विष्णु आराम कर रहे हैं। ब्रह्मा जी को यह अपमान लगा ‘संसार का स्वामी कौन?’ इस बात पर दोनों में युद्ध की स्थिति बन गई तो देवताओं ने इसकी जानकारी देवाधिदेव भगवान शंकर को दी।
🚩भगवान शिव युद्ध रोकने के लिए दोनों के बीच प्रकाशमान शिवलिंग के रूप में प्रकट हो गए। दोनों ने उस शिवलिंग की पूजा की। यह विराट शिवलिंग ब्रह्मा जी की विनती पर बारह ज्योतिर्लिंगों में विभक्त हुआ। फाल्गुन कृष्ण चतुर्दशी को शिवलिंग का पृथ्वी पर प्राकट्य दिवस महाशिवरात्रि कहलाया।
🚩बारह ज्योतिर्लिंग (प्रकाश के लिंग) जो पूजा के लिए भगवान शिव के पवित्र धार्मिक स्थल और केंद्र हैं। वे स्वयम्भू के रूप में जाने जाते हैं, जिसका अर्थ है "स्वयं उत्पन्न"।
🚩1. सोमनाथ यह शिवलिंग गुजरात के सौराष्ट्र में स्थापित है।
🚩2. श्री शैल मल्लिकार्जुन मद्रास में कृष्णा नदी के किनारे पर्वत पर स्थापित है।
🚩3. महाकाल उज्जैन के अवंति नगर में स्थापित महाकालेश्वर शिवलिंग, जहां शिवजी ने दैत्यों का नाश किया था।
🚩4. ॐकारेश्वर मध्यप्रदेश के धार्मिक स्थल ओंकारेश्वर में नर्मदा तट पर प���्वतराज विंध्य की कठोर तपस्या से खुश होकर वरदान देने हेतु यहां प्रकट हुए थे शिवजी। जहां ममलेश्वर ज्योतिर्लिंग स्थापित हो गया।
🚩5. नागेश्वर गुजरात के द्वारकाधाम के निकट स्थापित नागेश्वर ज्योतिर्लिंग।
🚩6. बैजनाथ बिहार के बैद्यनाथ धाम में स्थापित शिवलिंग।
🚩7. भीमाशंकर महाराष्ट्र की भीमा नदी के किनारे स्थापित भीमशंकर ज्योतिर्लिंग।
🚩8. त्र्यंम्बकेश्वर (महाराष्ट्र) नासिक से 25 किलोमीटर दूर त्र्यंम्बकेश्वर में स्थापित ज्योतिर्लिंग।
🚩9. घुश्मेश्वर महाराष्ट्र के औरंगाबाद जिले में एलोरा गुफा के समीप वेसल गांव में स्थापित घुश्मेश्वर ज्योतिर्लिंग।
🚩10. केदारनाथ हिमालय का दुर्गम केदारनाथ ज्योतिर्लिंग। हरिद्वार से 150 पर मील दूरी पर स्थित है।
🚩11. काशी विश्वनाथ बनारस के काशी विश्वनाथ मंदिर में स्थापित विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग।
🚩12. रामेश्वरम् त्रिचनापल्ली (मद्रास) समुद्र तट पर भगवान श्रीराम द्वारा स्थापित रामेश्वरम ज्योतिर्लिंग।
🚩दूसरी पुराणों में ये कथा आती है कि सागर मंथन के समय कालकेतु विष निकला था उस समय भगवान शिव ने संपूर्ण ब्रह्मांड की रक्षा करने के लिये स्वयं ही सारा विषपान कर लिया था। विष पीने से भोलेनाथ का कंठ नीला हो गया और वे नीलकंठ के नाम से पुकारे जाने लगे। पुराणों के अनुसार विषपान के दिन को ही महाशिवरात्रि के रूप में मनाया जाने लगा।
🚩कई जगहों पर ऐसा भी वर्णन आता है कि शिव पार्वती का उस दिन विवाह हुआ था इसलिए भी इस दिन को शिवरात्रि के रूप में मनाने की परंपरा रही है।
🚩पुराणों अनुसार ये भी माना जाता है कि सृष्टि के प्रारंभ में इसी दिन मध्यरात्रि भगवान शंकर का ब्रह्मा से रुद्र के रूप में अवतरण हुआ था। प्रलय की वेला में इसी दिन प्रदोष के समय भगवान शिव तांडव करते हुए ब्रह्मांड को तीसरे नेत्र की ज्वाला से समाप्त कर देते हैं। इसीलिए इसे महाशिवरात्रि अथवा कालरात्रि कहा गया।
🚩शिवरात्रि वैसे तो प्रत्येक मास की चतुर्दशी (कृष्ण पक्ष) को होती है परन्तु फाल्गुन (कृष्ण पक्ष) की शिवरात्रि (महाशिवरात्रि) नाम से ही प्रसिद्ध है।
🚩महाशिवरात्रि से संबधित पौराणिक कथा!!
🚩एक बार पार्वती जी ने भगवान शिवशंकर से पूछा, 'ऐसा कौन-सा श्रेष्ठ तथा सरल व्रत-पूजन है, जिससे मृत्युलोक के प्राणी आपकी कृपा सहज ही प्राप्त कर लेते हैं?
🚩उत्तर में शिवजी ने पार्वती को 'शिवरात्रि' के व्रत का विधान बताकर यह कथा सुनाई- 'एक बार चित्रभानु नामक एक शिकारी था । पशुओं की हत्या करके वह अपने कुटुम्ब को पालता था। वह एक साहूकार का ऋणी था, लेकिन उसका ऋण समय पर न चुका सका। क्रोधित साहूकार ने शिकारी को शिवमठ में बंदी बना लिया। संयोग से उस दिन ��िवरात्रि थी।'
🚩शिकारी ध्यानमग्न होकर शिव-संबंधी धार्मिक बातें सुनता रहा। चतुर्दशी को उसने शिवरात्रि व्रत की कथा भी सुनी। संध्या होते ही साहूकार ने उसे अपने पास बुलाया और ऋण चुकाने के विषय में बात की। शिकारी अगले दिन सारा ऋण लौटा देने का वचन देकर बंधन से छूट गया। अपनी दिनचर्या की भांति वह जंगल में शिकार के लिए निकला। लेकिन दिनभर बंदी गृह में रहने के कारण भूख-प्यास से व्याकुल था। शिकार करने के लिए वह एक तालाब के किनारे बेल-वृक्ष पर पड़ाव बनाने लगा। बेल वृक्ष के नीचे शिवलिंग था जो बिल्वपत्रों से ढका हुआ था। शिकारी को उसका पता न चला।
🚩पड़ाव बनाते समय उसने जो टहनियां तोड़ीं, वे संयोग से ��िवलिंग पर गिरी। इस प्रकार दिनभर भूखे-प्यासे शिकारी का व्रत भी हो गया और शिवलिंग पर बेलपत्र भी चढ़ गए। एक पहर रात्रि बीत जाने पर एक गर्भिणी मृगी तालाब पर पानी पीने पहुंची। शिकारी ने धनुष पर तीर चढ़ाकर ज्यों ही प्रत्यंचा खींची, मृगी बोली, 'मैं गर्भिणी हूं। शीघ्र ही प्रसव करूंगी। तुम एक साथ दो जीवों की हत्या करोगे, जो ठीक नहीं है। मैं बच्चे को जन्म देकर शीघ्र ही तुम्हारे समक्ष प्रस्तुत हो जाऊंगी, तब मार लेना।' शिकारी ने प्रत्यंचा ढीली कर दी और मृगी जंगली झाड़ियों में लुप्त हो गई।
🚩कुछ ही देर बाद एक और मृगी उधर से निकली। शिकारी की प्रसन्नता का ठिकाना न रहा। समीप आने पर उसने धनुष पर बाण चढ़ाया। तब उसे देख मृगी ने विनम्रतापूर्वक निवेदन किया, 'हे पारधी! मैं थोड़ी देर पहले ऋतु से निवृत्त हुई हूं। कामातुर विरहिणी हूं। अपने प्रिय की खोज में भटक रही हूं। मैं अपने पति से मिलकर शीघ्र ही तुम्हारे पास आ जाऊंगी।' शिकारी ने उसे भी जाने दिया। दो बार शिकार को खोकर उसका माथा ठनका। वह चिंता में पड़ गया। रात्रि का आखिरी पहर बीत रहा था। तभी एक अन्य मृगी अपने बच्चों के साथ उधर से निकली। शिकारी के लिए यह स्वर्णिम अवसर था। उसने धनुष पर तीर चढ़ाने में देर नहीं लगाई। वह तीर छोड़ने ही वाला था कि मृगी बोली, 'हे पारधी!' मैं इन बच्चों को इनके पिता के हवाले करके लौट आऊंगी। इस समय मुझे मत मारो।
🚩शिकारी हंसा और बोला, सामने आए शिकार को छोड़ दूं, मैं ऐसा मूर्ख नहीं। इससे पहले मैं दो बार अपना शिकार खो चुका हूं। मेरे बच्चे भूख-प्यास से तड़प रहे होंगे। उत्तर में मृगी ने फिर कहा, जैसे तुम्हें अपने बच्चों की ममता सता रही है, ठीक वैसे ही मुझे भी। इसलिए सिर्फ बच्चों के नाम पर मैं थोड़ी देर के लिए जीवनदान मांग रही हूं। हे पारधी! मेरा विश्वास कर, मैं इन्हें इनके पिता के पास छोड़कर तुरंत लौटने की प्रतिज्ञा करती हूं।
🚩मृगी का दीन स्वर सुनकर शिकारी को उस पर दया आ गई। उसने उस मृगी को भी जाने दिया। शिकार के अभाव में बेल-वृक्ष पर बैठा शिकारी बेलपत्र तोड़-तोड़कर नीचे फेंकता जा रहा था। पौ फटने को हुई तो एक हृष्ट-पुष्ट मृग उसी रास्ते पर आया। शिकारी ने सोच लिया कि इसका शिकार वह अवश्य करेगा। शिकारी की तनी प्रत्यंचा देखकर मृग विनीत स्वर में बोला, हे पारधी भाई! यदि तुमने मुझसे पूर्व आने वाली तीन मृगियों तथा छोटे-छोटे बच्चों को मार डाला है, तो मुझे भी मारने में विलंब न करो, ताकि मुझे उनके वियोग में एक क्षण भी दुःख न सहना पड़े। मैं उन मृगियों का पति हूं। यदि तुमने उन्हें जीवनदान दिया है तो मुझे भी कुछ क्षण का जीवन देने की कृपा करो। मैं उनसे मिलकर तुम्हारे समक्ष उपस्थित हो जाऊंगा।
🚩मृग की बात सुनते ही शिकारी के सामने पूरी रात का घटनाचक्र घूम गया, उसने सारी कथा मृग को सुना दी। तब मृग ने कहा, 'मेरी तीनों पत्नियां जिस प्रकार प्रतिज्ञाबद्ध होकर गई हैं, मेरी मृत्यु से अपने धर्म का पालन नहीं कर पाएंगी। अतः जैसे तुमने उन्हें विश्वासपात्र मानकर छोड़ा है, वैसे ही मुझे भी जाने दो। मैं उन सबके साथ तुम्हारे सामने शीघ्र ही उपस्थित होता हूं।' उपवास, रात्रि-जागरण तथा शिवलिंग पर बेलपत्र चढ़ने से शिकारी का हिंसक हृदय निर्मल हो गया था। उसमें भगवद् शक्ति का वास हो गया था। धनुष तथा बाण उसके हाथ से सहज ही छूट गया। भगवान शिव की अनुकंपा से उसका हिंसक हृदय कारुणिक भावों से भर गया। वह अपने अतीत के कर्मों को याद करके पश्चाताप की ज्वाला में जलने लगा।
🚩थोड़ी ही देर बाद वह मृग सपरिवार शिकारी के समक्ष उपस्थित हो गया, ताकि वह उनका शिकार कर सके, किंतु जंगली पशुओं की ऐसी सत्यता, सात्विकता एवं सामूहिक प्रेमभावना देखकर शिकारी को बड़ी ग्लानि हुई। उसके नेत्रों से आंसुओं की झड़ी लग गई। उस मृग परिवार को न मारकर शिकारी ने अपने कठोर हृदय को जीव हिंसा से हटा सदा के लिए कोमल एवं दयालु बना लिया। देवलोक से समस्त देव समाज भी इस घटना को देख रहे थे। घटना की परिणति होते ही देवी-देवताओं ने पुष्प-वर्षा की। तब शिकारी तथा मृग परिवार मोक्ष को प्राप्त हुए'।
🚩परंपरा के अनुसार, इस रात को ग्रहों की स्थिति ऐसी होती है जिससे मानव प्रणाली में ऊर्जा की एक शक्तिशाली प्राकृतिक लहर बहती है। इसे भौतिक और आध्यात्मिक रूप से लाभकारी माना जाता है इसलिए इस रात जागरण की सलाह भी दी गयी है ।
🚩शिवरात्रि व्रत की महिमा!!
🚩इस व्रत के विषय में यह मान्यता है कि इस व्रत क�� जो जन करता है, उसे सभी भोगों की प्राप्ति के बाद, मोक्ष की प्राप्ति होती है। यह व्रत सभी पापों का क्षय करने वाला है ।
🚩महाशिवरात्रि व्रत की विधि!!
इस व्रत में चारों पहर में पूजन किया जाता है। प्रत्येक पहर की पूजा में "ॐ नम: शिवाय" का जप करते रहना चाहिए। अगर शिव मंदिर में यह जप करना संभव न हों, तो घर की पूर्व दिशा में, किसी शान्त स्थान पर जाकर इस मंत्र का जप किया जा सकता है । चारों पहर में किये जाने वाले इन मंत्र जपों से विशेष पुण्य प्राप्त होता है। इसके अतिरिक्त उपवास की अवधि में रुद्राभिषेक करने से भगवान शंकर अत्यन्त प्रसन्न होते हैं।
🚩फाल्गुन कृष्ण चतुर्दशी अर्थात् महाशिवरात्रि पृथ्वी पर शिवलिंग के प्राकट्य का दिवस है और प्राकृतिक नियम के अनुसार जीव-शिव के एकत्व में मदद करनेवाले ग्रह-नक्षत्रों के योग का दिवस है । इस दिन रात्रि-जागरण कर ईश्वर की आराधना-उपासना की जाती है । ‘शिव से तात्पर्य है ‘कल्याणङ्क अर्थात् यह रात्रि बडी कल्याणकारी रात्रि है ।
🚩महाशिवरात्रि का पर्व अपने अहं को मिटाकर लोकेश्वर से मिलने के लिए है । आत्मकल्याण के लिए पांडवों ने भी शिवरात्रि महोत्सव का आयोजन किया था, जिसमें सम्मिलित होने के लिए भगवान श्रीकृष्ण द्वारिका से हस्तिनापुर आये थे । जिन्हें संसार से सुख-वैभव लेने की इच्छा होती है वे भी शिवजी की आराधना करते हैं और जिन्हें सद्गति प्राप्त करनी होती है अथवा आत्मकल्याण में रुचि है वे भी शिवजी की आराधना करते हैं ।
शिवपूजा में वस्तु का मूल्य नहीं, भाव का मूल्य है । भावो हि विद्यते देवः । आराधना का एक तरीका यह है कि उपवास रखकर पुष्प, पंचामृत, बिल्वपत्रादि से चार प्रहर पूजा की जाये । दूसरा तरीका यह है कि मानसिक पूजा की जाये ।
🚩 हम मन-ही-मन भावना करें :
ज्योतिर्मात्रस्वरूपाय निर्मलज्ञानचक्षुषे । नमः शिवाय शान्ताय ब्रह्मणे लिंगमूर्तये ।।
‘ज्योतिमात्र (ज्ञानज्योति अर्थात् सच्चिदानंद, साक्षी) जिनका स्वरूप है, निर्मल ज्ञान ही जिनके नेत्र है, जो लिंगस्वरूप ब्रह्म हैं, उन परम शांत कल्याणमय भगवान शिव को नमस्कार है ।
🚩‘ईशान संहिता में भगवान शिव पार्वतीजी से कहते हैं : फाल्गुने कृष्णपक्षस्य या तिथिः स्याच्चतुर्दशी । तस्या या तामसी रात्रि सोच्यते शिवरात्रिका ।।तत्रोपवासं कुर्वाणः प्रसादयति मां ध्रुवम् । न स्नानेन न वस्त्रेण न धूपेन न चार्चया । तुष्यामि न तथा पुष्पैर्यथा तत्रोपवासतः ।।
🚩‘फाल्गुन के कृष्णपक्ष की चतुर्दशी तिथि को आश्रय करके जिस अंध���ारमयी रात्रि का उदय होता है, उसीको ‘शिवरात्रि' कहते हैं । उस दिन जो उपवास करता है वह निश्चय ही मुझे संतुष्ट करता है । उस दिन उपवास करने पर मैं जैसा प्रसन्न होता हूँ, वैसा स्नान कराने से तथा वस्त्र, धूप और पुष्प के अर्पण से भी नहीं होता ।
🚩शिवरात्रि व्रत सभी पापों का नाश करनेवाला है और यह योग एवं मोक्ष की प्रधानतावाला व्रत है ।
🚩महाशिवरात्रि बड़ी कल्याणकारी रात्रि है । इस रात्रि में किये जानेवाले जप, तप और व्रत हजारों गुणा पुण्य प्रदान करते हैं ।
🚩स्कंद पुराण में आता है : ‘शिवरात्रि व्रत परात्पर (सर्वश्रेष्ठ) है, इससे बढकर श्रेष्ठ कुछ नहीं है । जो जीव इस रात्रि में त्रिभुवनपति भगवान महादेव की भक्तिपूर्वक पूजा नहीं करता, वह अवश्य सहस्रों वर्षों तक जन्म-चक्रों में घूमता रहता है ।
🚩यदि महाशिवरात्रि के दिन ‘बं' बीजमंत्र का सवा लाख जप किया जाय तो जोड़ों के दर्द एवं वायु-सम्बंधी रोगों में विशेष लाभ होता है ।
🚩व्रत में श्रद्धा, उपवास एवं प्रार्थना की प्रधानता होती है । व्रत नास्तिक को आस्तिक, भोगी को योगी, स्वार्थी को परमार्थी, कृपण को उदार, अधीर को धीर, असहिष्णु को सहिष्णु बनाता है । जिनके जीवन में व्रत और नियमनिष्ठा है, उनके जीवन में निखार आ जाता है
स्त्रोत : संत श्री आशारामजी आश्रम द्वारा प्रकाशित "ऋषि प्रसाद पत्रिका"
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Yoga nidra meditation and astral projection Guide in Hindi 2020 updated
Yoga nidra meditation यानि Yogic sleeping एक ऐसा अभ्यास है जिसमे हमारा शरीर शिथिल हो जाता है लेकिन हमारा brain पूरी तरह Consciousness में रहता है. आसान शब्दों में कहे तो ये जागते हुए सोने का अभ्यास है. हम अपने body को relax करते हुए मस्तिष्क की Awareness को बढाते है. जितना ज्यादा हमारा मन और शरीर शांत होता है हम उतना ही awareness की state में रहते है. ये अभ्यास हमारी unconsciousness को बढाता है जिसकी वजह से हम अपने body और mind को बेहतर explore कर पाते है. ���सके कई सारे benefits है जिन्हें Yoga nidra training Online course के जरिये ले सकते है.
इन कोर्स को लेने वाले ज्यादातर लोग yoga nidra for insomnia या फिर Insomnia ( sleeping disorder ) के पेशेंट होते है. इसका spiritual path से भी connection जोड़ा जा सकता है जिसमे Inner peace को explore करना शामिल है. अगर आप इसका अभ्यास कर रहे है तो आपको मालूम होना चाहिए की Astral projection के लिए भी yoga nidra guided meditation का अभ्यास किया जा सकता है. आज हर जगह Yoga nidra online training course शुरू किये जा रहे है जिनका मकसद शरीर और मन की शांति है. योग निद्रा का अभ्यास बिना किसी तकनीक जानकारी के भी किया जा सकता है क्यों की जितना ज्यादा हम खुद को relax करने पर ध्यान देंगे उतना ही ज्यादा हम खुद को explore कर पाएंगे. आइये जानते है योग निद्रा ध्यान के बारे में.
Yoga nidra meditation
पूरी दुनिया में Yoga nidra, or yogic sleep आज एक immensely powerful meditation technique के रूप में popular हो चुकी है. इस Yoga practice को हम savasana ( शवासन ) के अभ्यास के जरिये कर सकते है. साधक इस प्रक्रिया में अपने pancha maya kosha ( पांच माया कोष यानि 5 लेयर ) से गुजरते है. Yoga nidra guided meditation एक ऐसा अभ्यास है जिसे insomnia से पीड़ित लोगो द्वारा किया जाता है. योग निद्रा का अभ्यास इसके अलावा Astral projection के लिए भी किया जा रहा है और ये सबसे सरल अभ्यास है. इसके ऐसे कई benefits है जो हमें अभ्यास के दौरान मिलते है जिसमे तनाव से छुटकारा, खुद को समझना और spiritual experience शामिल है. इसका अभ्यास step by step guide में दिया गया है लेकिन अभ्यास से पहले हमें yoga nidra benefits के बारे में पहले जान लेना चाहिए. Amazing Yoga nidra Guided Benefits यहाँ हमने कुछ खास फायदे के बारे में बात की है जो हमें Yoga nidra meditation के अभ्यास के दौरान मिलते है. ये अभ्यास जितना सरल है उतना ही flexible भी है. कोई भी बिना किसी expert knowledge के खुद को explore कर सकता है. आइये जानते है की Yoga nidra के अभ्यास के खास फायदे क्या क्या है. Anyone can do yoga nidra योग और प्राणायाम की कई विधि में लम्बे समय तक बैठे रहना हर किसी के बस की बात नहीं है. Yoga nidra meditation जैसी योग विधि को किसी भी उम्र में किया जा सकता है फिर चाहे वो 8 साल से ऊपर के बच्चे हो या फिर 60 साल के senior citizen हर उम्र के लोगो द्वारा इसे किया जा सकता है. ये अभ्यास बिलकुल आसान है आपको सिर्फ अपने body को floor पर relax करना है. अगर आप अपने body को floor पर नहीं लिटा सकते है तो बैठ कर भी अभ्यास किया जा सकता है. किसी तरह के खास गाइड की जरुरत नहीं जब भी आप योग निद्रा का अभ्यास करते है आपको किसी तरह की special guide की जरुरत नहीं होती है. आपको शवासन में लेटना है और आवाज के गाइड को फॉलो करना है. ��ब आप अभ्यास करते है तब आप अपने अभ्यास के कुछ भाग को याद रख पाते है तो कुछ भाग को याद नहीं रख पाते है. ये सब होता है अभ्यास के दौरान body और mind के relax होने की वजह से. हम जब भी अभ्यास करते है हमें हर बार नया experience करने को मिलता है. अगर ऐसा होता है तो कुछ भी गलत नहीं है. ज्यादातर लोगो को लगता है की शवासन के अभ्यास के दौरान सो जाना सही नहीं है लेकिन वास्तव में हमें तब भी इसके benefit मिलते है. अभ्यास के दौरान शुरुआत में हमें जो नींद आती है वो शरीर और मस्तिष्क के शांत होने की वजह से होता है. अभ्यास के दौरान हमारा unconscious mind काम करना शुरू कर देता है जिससे कुछ समय बाद नींद आने जैसी समस्या नहीं होती है. योग निद्रा को आप दैनिक लाइफ में अपना सकते है Seated meditation यानि बैठ कर किये जाने वाले ध्यान के अभ्यास हमें परेशान कर सकते है. ध्यान के अभ्यास के दौरान सां��ो पर खुद को एकाग्र करना, ध्यान भटकने पर वापस सांसो पर लौटना और किसी माध्यम पर खुद को जोड़ना ये जल्दी ही हमें boring लगने लगता है. Yoga nidra guided meditation हमेशा से गाइडेड होता है. इसका अभ्यास 5 minute से लेकर जितना चाहे उतना लम्बा रख सकते है. Yoga nidra meditation को आप अपने दैनिक लाइफ का हिस्सा बना सकते है. चाहे तो सुबह उठने के बाद या फिर रात को सोते समय आप इसका अभ्यास कर सकते है. सोते समय हैडफ़ोन लगाए और YouTube से किसी भी Yoga nidra guided meditation mp3 or video को select कर अभ्यास शुरू कर सकते है. हालाँकि ऐसा करना सही तरीका नहीं है लेकिन आप शुरुआत इस तरह से भी कर सकते है. तनाव दूर करने के लिए सबसे आसान उपाय Yoga nidra meditation के जरिये deep rest and relaxation को achieve किया जा सकता है. आमतौर पर meditation practice के दौरान ऐसा करना संभव नहीं हो पाता है. शवासन के दौरान खुद की body के एक एक पार्ट को relax करते हुए महसूस करना अभ्यास को आसान बनाता है और हम Deep relax का अनुभव करते है. आमतौर पर जब हम ये अभ्यास करते है तब जैसे जैसे हम body parts को relax करते है वैसे वैसे हमें नींद आना शुरू हो जाती है और जल्दी ही हम गहरी नींद ले पाते है. यही वजह है की yoga nidra for insomnia का अभ्यास गहरी नींद के लिए किया जाता है. हम खुद को बेहतर जान पाते है Yoga nidra Guided meditation के अभ्यास के दौरान शरीर और मस्तिष्क के शांत होने की वजह से हम खुद को बेहतर explore कर पाते है. लम्बे समय से जिन emotion को हम अपने अन्दर दबाए हुए रहते है एक एक कर वे बाहर निकलने लगते है और यही से हम खुद को जानने की क्रिया की शुरुआत करते है. हम अपने भावनाओ को जब समझना शुरू करते है तब हमें बेहतर पता होता है की हमें क्या चाहिए और किस तरह के विचार पर काबू पाना है वो भी बिना उनमे उलझे. शवासन का मुख्य उदेश्य खुद को explore करना और emotion को बिना उलझे समझना है. बिना किसी शारीरिक तनाव में उलझे हम खुद को फ्री रहते हुए explore कर पाते है. Guided Yoga nidra online training आज जगह जगह पर yoga nidra online training दी जा रही है जिसकी फीस काफी महंगी होती है. अगर आप किसी महंगे Online coaching center की तलाश कर रहे है तो आपको पता होना चाहिए की इनकी फीस 15000 से शुरू होती है. ज्यादातर जगह पर ये दिन के हिसाब से कोर्स होता है. Yoga nidra meditation का कम से कम ये 4 सप्ताह का कोर्स होता है जिसकी फीस Indian currency के अनुसार लगभग 28000 होती है. इसमें हर सप्ताह एक साधना करवाई जाती है. इन साधना में an asana practice, a pranayama practice, and a Yoga Nidra (approximately 1.5 hrs/week) का schedule होता है. इसके साथ ही 1 Yoga Nidra Philosophy Recording जो की हर सप्ताह होती है और उसका टाइम 90-120 minute हर सप्ताह होता है.तीसरा चरण विडियो का है जिसमे 1 Yoga Nidra Technique Video जिसका समय हर सप्ताह 90 minute का होता है ये सब आपको online Yoga nidra training में मिलेगा. 10 Steps of Guided nidra meditation योग निद्रा का अभ्यास करना बेहद आसान अभ्यास है. इसके लिए आपको yoga nidra for sleep female voice audio पर meditation करने की जरुरत है. ज्यादातर इसका अभ्यास stress release करने और better sleep के लिए किया जाता है. Yoga nidra guided meditation के लिए आपको एक Yoga mate चाहिए अगर ना मिले तो कम्बल ले और अभ्यास करे. योग निद्रा के अभ्यास के लिए आपको 10 steps को follow करना होता है जो निम्न है. बेहतर नींद के लिए किया जाने वाला ये अभ्य���स 3 चरण में है. पहले की तैयारी, अभ्यास और फिर अनुभव. स्टेप में किया जाने वाला Yoga nidra meditation का अभ्यास आपको बेहतर नींद लेने में help करता है साथ ही आपके body और mind को भी relax करता है. अभ्यास से पहले की तैयारी 1 Connect to Your Heartfelt Desire अभ्यास से पहले आपको पता होना चाहिए की आप अभ्यास किसलिए कर रहे है और आपका उदेश्य क्या है. ये heartfelt desire कुछ भी हो सकती है जैसे की health, well-being, or awakening या फिर कुछ भी जिसे आप सबसे ज्यादा चाहते है. ज्यादातर इसकी वजह Astral travel होती है क्यों की Yoga nidra के अभ्यास में ही हम Deep sleep or Astral travel experience कर सकते है. आपको यह इच्छा पूरी body को explore करते हुए imagine करना है. जैसे जैसे आप body को explore करते है वैसे वैसे आपका body खुद relax feel करना शुरू कर देता है. 2. Set an Intention आपका उदेश्य आपके अभ्यास में झलकना चाहिए. अभ्यास के दौरान जो भावना आप मन में रखते है वह अभ्यास में reflect होने लगती है. अगर आपका Intention खुद को relax or rest करना है तो आपको अभ्यास के दौरान वो अनुभव होना भी चाहिए. 3. Find Your Inner Resource किसी बाहरी सोर्स से जुड़ने की बजाय हमें अपने अन्दर की सोर्स पर ध्यान देना चाहिए. ऐसा करने से हम ज्यादा खुद को secure feel कर पाते है. जब भी आप खुद को विचारो में उलझा हुआ feel करे Yoga nidra meditation का अभ्यास daily life में कभी भी करे आपको yoga nidra benefits मिलना शुरू हो जाता है. Yoga nidra for sleep guided meditation 4. Scan Your Body अभ्यास के दौरान हम पूरी body को explore करते है. ये एक ऐसा अभ्यास है जिसमे हम खुद को स्कैन करते है. Yoga nidra guided meditation को धीरे धीरे experience किया जाता है जैसे की body के एक एक parts को बिना देखे मन से महसूस करना. हम शरीर के हर अंग को अलग अलग मानते हुए उन्हें महसूस करते है जिसमे अंगो को महसूस करना, लेफ्ट और राईट को महसूस करना और उनमे हो रही हरकत को महसूस करना ये सब शामिल है. 5. Become Aware of Your Breath अभ्यास में जब शरीर पूरी तरह शांत हो जाता है तब हम पूरा ध्यान सांसो पर लगा देते है. हमारी body किस तरह साँस ले रही है, सांसे अन्दर और बाहर हो रही है या फिर अन्दर इनकी मूवमेंट किस तरह हो रही है ये सब हम अभ्यास में महसूस करते है. 6. फीलिंग को समझे बिना किसी तरह के हस्तक्षेप के जो भी हो रहा है उसे महसूस करे. इस दौरान मन 2 तरह के बदलाव होते है जैसे की sensations जिसमे heaviness, tension, or warmth शामिल है और emotions जिसमे sadness, anger, or worry शामिल है के बदलाव को हम महसूस करते है. Yoga nidra Guided meditation experience 7. Witness Your Thoughts अभ्यास के दौरान thoughts, memories, and images को mind में आने दे इन्हें रोकने की कोशिश न करे. बिना किसी Judgement के जो विचार आ रहे है उन्हें बदलने की कोशिश करे. अगर कोई विचार ऐसा है जो आपको negative बना रहा है तो उसे judge न करे बल्कि emotion को बदलने की कोशिश करे. 8. आनंद को महसूस करे हमारा नाभि केंद्र सभी भावनाओ का केंद्र माना जाता है. जब body पूरी तरह relax हो जाती है और कोई भी emotion बदलाव नहीं होता है तब उस स्थिति में हमारे शरीर में कौनसा emotion चलता है उसके जॉय को महसूस करे. 9. Observe Your Self अब जब हम खुद को पूरी तरह relax कर चुके है तब हमें अपने आप को observe करना है. किस तरह के विचार से हमारी body में क्या फीलिंग आती है इन सबसे हम खुद को observe करते है. जब किसी फीलिंग से हम खुद को जोड़ते है तब हम क्या महसूस करना शुरू कर देते है ये सब इस स्टेप में हम जानते है. 10. Reflect on Your Practice अभ्यास पूरा होने के बाद उसके असर को दिन भर की गतिविधि में महसूस करे. दिनभर में दूसरे कामो में busy रहते हुए feeling of pure Being, or pure Awareness को experience करे. बिना किसी बदलाव के आप खुद को इस अवस्था में कितने समय तक रख पाते है ये आपके अभ्यास की सम्पूर्णता को निर्धारित करता है. Difference between astral projection and yoga nidra yoga nidra का मुख्य उदेश्य sleeping state में awareness को बनाए रखना होता है. हम सोते हुए भी अपनी consciousness से बने रहते है जिसकी वजह से सोते समय हम Dreaming or sleep में खोने की बजाय पूरी तरह चेतना में बने रहते है. जो भी हमारे अनुभव रहते है वो पूर्ण चेतना से जुड़े रहते है. अलग अलग लोग इसे waking experience, dream, astral experience के नाम से जानते है.
अनुभव तो अनुभव होता है फिर चाहे हम इसे कोई भी नाम दे इसमें कोई मायने नहीं रखता है. यहाँ Yoga nidra meditation में ये मायने नहीं रखता है की आप क्या अनुभव कर रहे है मायने ये रखता है की इस दौरान आप किस state of thought में रहते है. यहाँ पर conscious and aware, or unconscious and ignorant. Enlightenment कोई अनुभव नहीं है बल्कि एक state है. हम जिस state में रहते है वही हमारे लिए अनुभव बनाना शुरू कर देती है. Yoga nidra guided meditation पूरी तरह permanent state of wakefulness में घटता है फिर चाहे आप कुछ भी अनुभव करे. योग निद्रा बंद आँखों से चेतना में बने रहते हुए deep relaxation को experience करना है वही दूसरी और astral projection एक अनुभव है जो हम Astral body के जरिये Astral dimension में किया जाता है. ज्यादातर लोग इसे अनुभव करने की बजाय इसमें फंस जाते है और hallucinations experience करने लगते है. अगर आप इसमें फंसना नहीं चाहते है तो आपको Astral travel and hallucinations experience के बिच फर्क पता होना चाहिए. जब ऐसा होगा तभी आप सही तरह से अनुभव कर सकते है. Astral Projection Methods वैसे तो conscious OBE and astral projection को लेकर Different kind of method है लेकिन मुख्य रूप कुछ आसान तरीके है जिन्हें आप अपना सकते है. शरीर के सोने के बाद भी मस्तिष्क को चेतन रखे जैसे की Yoga nidra meditation जिसमे हमारा शरीर पूरी तरह relax हो जाता है लेकिन हमारा brain फिर भी active रहता है. शरीर से बाहर होने का अनुभव करने के लिए आपको अपने शरीर को जितना हो सके relax करना है और अपने आसपास होने वाले गतिविधि को sense करना है. इसके साथ ही आपकी body में जो vibration होना शुरू होता है उसे experience करना है. जल्दी ही ये vibration इतना ज्यादा बढ़ जाता है की आपका subtle body आपके Physical body से अलग होने लगता है. How to Astral Project/Travel 7 आसान स्टेप में आप योगनिद्रा के जरिये Astral travel कर सकते है. ये अभ्यास Yoga nidra meditation पर based है जिसमे शरीर और मस्तिष्क को शांत करते है. सबसे पहले body ओर mind को पूर��� तरह relax कर ले. जब body ओर mind पूरी तरह relax हो जाता है हम hypnagogic state, or half-sleep में enter करते है. इस अवस्था को और ज्यादा गहरा बनाते जाए. इसके लिए आप भौतिक अहसास की जगह मानसिक अहसास करना शुरू करे जैसे की भावनाओ के जरिये शरीर को महसूस करना. अपने आसपास के environment में presence of vibration को महसूस करना शुरू कर दे. ऐसा करने पर आप state of deep attention में इसका अहसास करना शुरू कर देते है. भौतिक शरीर में हो रहे वाइब्रेशन को महसूस करे. जब आप Subtle body में ये vibration महसूस करने लगते है तो ये आपके Physical body के अलग होने का पहला चरण ��ोता है. अपना पूरा focus शरीर से बाहर निकलने में लगा दे. जब आप शरीर से बाहर निकलने का अभ्यास कर रहे होते है तब आपका ध्यान अपने body के अन्दर हो रहे vibration पर होना चाहिए. ऐसा करना आपकी body में कम्पन पैदा करता है और आप बाहर निकलने की शुरुआत करते है. शरीर से बाहर Astral projection के लिए आपको ये स्टेप follow करनी है. जब आप ऐसा करेंगे तब आप अपने शरीर से बाहर होने का अनुभव करना शुरू कर देते है. Yoga nidra meditation and astral projection final conclusion अब तक आप जान चुके है की Yoga nidra meditation के जरिये Astral projection को possible किया जा सकता है. जब हमारा शरीर और मन अपने चरम पर शांत हो जाते है तब हम अपने subtle body को शरीर से अलग महसूस कर सकते है. इस पूरी प्रक्रिया में Yoga nidra Guided meditation हमें body and mind को relax होने में मदद करता है जिसकी वजह से हमारी awareness बढती है और हम अपने आसपास के environment को लेकर ज्यादा से ज्यादा Conscious रहते है. शरीर के सो जाने के बावजूद भी अगर हमारी चेतना जाग्रत रहती है तो हम आसानी से शरीर को छोड़कर बाहर निकल सकते है. योग निद्रा का मुख्य उदेश्य शरीर और मन को शांत करना है साथ ही खुद को explore करना भी है. अगर आप Yoga nidra benefit लेना चाहते है तो आपको इसके लिए लम्बे अभ्यास की जरुरत होगी. आप चाहे तो ये yoga nidra for sleep female voice music सुन कर अभ्यास कर सकते है. Read the full article
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🙏🙏🕉️🌹🌹दिसंबर 8 : मार्गशीर्ष महीने के शुक्लपक्ष की एकादशी को मोक्षदायिनी एकादशी के रूप में मनाया जाता है। मोक्षदा एकादशी का धार्मिक महत्व पितरों को मोक्ष दिलानेवाली एकादशी के रूप में भी है। मान्यता है कि इस व्रत को करने से व्रती के साथ ही उसके पितरों के लिए भी मोक्ष के द्वार खुल जाते हैं।मोक्षदा एकादशी का श्रीकृष्ण से है संबंध🌹🌹🕉❣❣ पद्मपुराण में वर्णित है कि भगवान श्री कृष्ण धर्मराज युधिष्ठिर को इस दिन का महत्व समझाते हैं। वह बताते हैं कि यह मोक्षदा एकादशी बहुत ही पुण्य फलों वाली है। इस दिन सच्चे मन से पूजा-आराधना करने से व्यक्ति के सभी पापों का नाश हो जाता है। इसके अलावा यह भी जिक्र मिलता है कि इसी दिन भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन को गीता का उपदेश दिया था। कथा मिलती है कि जब द्वापर युग में महाभारत युद्ध के दौरान अर्जुन अपने सगे- संबंधियों पर बाण चलाने से घबराने लगे तब श्रीकृष्ण ने उन्हें जीवन, आत्मा और कर्तव्य के बारे में विस्तार से समझाया था। इसलिए इस दिन को गीता जयंती के नाम से भी जानते हैं। मनचाही मुराद पाने के लिए पढ़ें रामायण की ये चौपाइयां 🙏🙏🕉️🌹🌹दिसंबर ८ को मोक्षदा एकादशी और गीता जयंती है इस दिन भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन को गीता का उपदेश दिया था ❣मंत्र: ॐ क्लीं कृष्णाय नमः, ॐ नमो भगवते वासुदेवाय 🌹 मोक्षदा एकादशी के व्रत की विधि बहुत सरल है। इस दिन सुबह स्नानादि से निवृत्त होकर घर के मंदिर की सफाई करें और पूरे घर में गंगाजल छिड़कें। ❣️ इसके बाद पूजाघर में भगवान को गंगाजल से स्नान कराएं या उनकी तस्वीर पर गंगाजल के छींटे दें। उन्हें वस्त्र अर्पित करें। ❣️ इसके बाद रोली और अक्षत से तिलक करें। फूलों से भगवान का श्रृंगार करें। इत्र छिड़कें। 💟– भगवान को फल और मेवे का भोग लगाएं। ��बसे पहले भगवान गणपति और फिर माता लक्ष्मी के साथ श्रीहरि की आरती करें। 🌹 भगवान विष्णु को तुलसी के पत्ते अवश्य अर्पित करें। दिनभर व्रत करें। फलाहार कर सकते हैं और यदि पूरे दिन व्रत संभव न हो तो ए�� समय सात्विक भोजन कर सकते हैं।🌹– व्रत के दौरान मन शांत रखें। क्रोध न करें और किसी को अपशब्द न कहें। शाम के समय दीपक जलाकर भजन-कीर्तन करें : प्रणाम 🌹🌹🕉🙏🙏 https://www.instagram.com/p/B5y3YkcAuMx/?igshid=g4ag2kba48dv
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विज्ञान भैरव तंत्र विधि–112 (ओशो)
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विज्ञान भैरव तंत्र विधि–112 (ओशो)
चौथी विधि:
‘आधारहीन, शाश्वत, निश्चल आकाश में प्रविष्ट होओ।’
इस विधि में आकाश के, स्पेस के तीन गुण दिए गए है।
1–आधारहीन: आकाश में कोई आधार नहीं हो सकता।
2–शाश्वत: वह कभी समाप्त नहीं हो सकता।
3–निश्चल: वह सदा ध्वनि-रहित व मौन रहता है।
इस आकाश में प्रवेश करो। वह तुम्हारे भीतर ही है।
लेकिन मन सदा आधार खोजता है। मेरे पास लोग आते है और मैं उनसे कहता हूं, ‘आंखें बंद कर के मौन बैठो और कुछ भी मत करो।’ और वे कहते है, हमें कोई अवलंबन दो, सहारा दो। सहारे के लिए कोई मंत्र दो। क्योंकि हम खाली बैठ नहीं सकते है। खाली बैठना कठिन है। यदि मैं उन्हें कहता हूं कि मैं तुम्हें मंत्र दे दूं तो ठीक है। तब वह बहुत खुश होते है। वे उसे दोहराते रहते है। तब सरल है।
आधार के रहते तुम कभी रिक्त नहीं हो सकते। यही कारण है कि वह सरल है। कुछ न कुछ होना चाहिए। तुम्हारे पास करने के लिए कुछ न कुछ होना चाहिए। करते रहने से कर्ता बना रहता है। करते रहने से तुम भरे रहते हो—चाहे तुम ओंकार से भरे हो। ओम से भरे हो, राम से भरे हो। जीसस से, आवमारिया से। किसी भी चीज से—किसी भी चीज से भरे हो, लेकिन तुम भरे हो। तब तुम ठीक रहते हो। मन खालीपन का विरोध करता है। वह सदा किसी चीज से भरा रहना चाहता है। क्योंकि जब तक वह भरा है तब तक चल सकता है। यदि वह रिक्त हुआ तो समाप्त हो जाएगा। रिक्तता में तुम अ-मन को उपलब्ध हो जाओगे। वही कारण है कि मन आधार की खोज करता है।
यदि तुम अंतर-आकाश, इनर स्पेस में प्रवेश करना चाहता हो तो आधार मत खोजों�� सब सहारे—मंत्र, परमात्मा, शास्त्र–जो भी तुम्हें सहारा देता है वह सब छोड़ दो। यदि तुम्हें लगे कि किसी चीज से तुम्हें सहारा मिल रहा है तो उसे छोड़ दो और भीतर आ जाओ। आधारहीन।
यह भयपूर्ण होगा; तुम भयभीत हो जाओगे। तुम वहां जा रहे हो जहां तुम पूरी तरह खो सकते हो। हो सकता है तुम वापस ही न आओ। क्योंकि वहां सब सहारे खो जाएंगे। किनारे से तुम्हारा संपर्क छूट जाएगा। और नदी तुम्हें कहां ले जाएगी। किसी को पता नहीं। तुम्हारा आधार खो सकता है। तुम एक अनंत खाई में गिर सकते हो। इसलिए तुम्हें भय पकड़ता है। और तुम आधार खोजने लगते हो। चाहे वह झूठा ही आधार क्यों न हो, तुम्हें उससे राहत मिलती है। झूठा आधार भी मदद देता है। क्योंकि मन को कोई अंतर नहीं पड़ता कि आधार झूठा है या सच्चा है, कोई आधार होना चाहिए।
एक बार एक व्यक्ति मेरे पास आया। वह ऐसे घर में रहना था जहां उसे लगता था कि भूत-प्रेत है, और वह बहुत चिंतित था। चिंता के कारण उसका भ्रम बढ़ने लगा। चिंता से वह बीमार पड़ गया, कमजोर हो गया। उसकी पत्नी ने कहा, यदि तुम इस घर से जरा रुके तो मैं तो रहीं हूं। उसके बच्चों को एक संबंधी के घर भेजना पडा।
वह आदमी मेरे पास आया और बोला, अब तो बहुत मुश्किल हो गयी है। मैं उन्हें साफ-साफ देखता हूं। रात वे चलते है, पूरा घर भूतों से भरा हुआ है। आप मेरी मदद करें।
तो मैंने उसे अपना एक चित्र दिया और कहा, इसे ले जाओ। अब उन भूतों से मैं निपट लुंगा। तुम बस आराम करो। और सो जाओ। तुम्हें चिंता करने की जरूरत नहीं है। उनसे मैं निपट लुंगा। उन्हें मैं देख लूंगा। अब यह मेरा काम है। और तुम बीच में मत आना। अब तुम्हें चिंता नहीं करनी है।
वह अगले ही दिन आया और बोला, ‘बड़ी राहत मिली मैं चेन से सोया। आपने तो चमत्कार कर दिया।’ और मैंने कुछ भी नहीं किया था। बस एक आधार दिया। आधार से मन भर जाता है। वह खाली न रहा; वहां कोई उसके साथ था।
सामान्य जीवन में तुम कई झूठे सहारों को पकड़े रहते हो, पर ���े मदद करते है। और जब तक तुम स्वयं शक्तिशाली न हो जाओ, तुम्हें उनकी जरूरत रहेगी। इसीलिए में कहता हूं कि यह परम विधि है—कोई आधार नहीं।
बुद्ध मृत्युशय्या पर थे और आनंद ने उनसे पूछा, ‘आप हमें छोड़कर जा रहे है, अब हम क्या करेंगें? हम कैसे उपलब्ध होंगे? जब आप ही चले जाएंगे तो हम जन्मों-जन्मों के अंधकार में भटकते रहेंगे, हमारा मार्गदर्शन करने के लिए कोई भी नहीं रहेगा, प्रकाश तो विदा हो रहा है।’
तो बुद्ध ने कहा,तुम्हारे लिए यह अच्छा रहेगा। जब मैं नहीं रहूंगा तो तुम अपना प्रकाश स्वयं बनोंगे। अकेले चलो, कोई सहारा मत खोजों, क्योंकि सहारा ही अंतिम बाधा है।
और ऐसा ही हुआ। आनंद संबुद्ध नहीं हुआ था। चालीस वर्ष से वह बुद्ध के साथ था, वह निकटतम शिष्य था, बुद्ध की छाया की भांति था, उनके साथ चलता था। उनके साथ रहता था। उनका बुद्ध के साथ सबसे लंबा संबंध था। चालीस वर्ष तक बुद्ध की करूणा उस पर बरसती रही थी। लेकिन कुछ भी नहीं हुआ। आनंद सदा की भांति आज्ञानी ही रहा। और जिस दिन बुद्ध ने शरीर छोड़ा उसके दूसरे ही दिन आनंद संबुद्ध हो गया—दूसरे ही दिन।
वह आधार ही बाधा था। जब बुद्ध ने रहे तो आनंद कोई आधार न खोज सका। यह कठिन है। यदि तुम किसी बुद्ध के साथ रहो वह बुद्ध चला जाए, तो कोई भी तुम्हें सहारा नहीं दे सकता। अब कोई भी ऐसा न रहेगा जिसे तुम पकड़ सकोगे। जिसने किसी बुद्ध को पकड़ लिया वह संसार में किसी और को पकड़ पायेगा। यह पूरा संसार खाली होगा। एक बार तुमने किसी बुद्ध के प्रेम और करूणा को जान लिया हो तो कोई प्रेम, कोई करूणा उसकी तुलना नहीं कर सकती। एक बार तुमने उसका स्वाद ले लिया तो और कुछ भी स्वाद लेने जैसा न रहा।
तो चालीस वर्ष में पहली बार आनंद अकेला हुआ। किसी भी सहारे को खोजने का कोई उपाय नहीं था। उसने परम सहारे को जाना था। अब छोटे-छोटे सहारे किसी काम के नहीं, दूसरे ही दिन वह संबुद्ध हो गया। वह निश्चित ही आधारहीन, शाश्वत निश्चल अंतर-आकाश में प्रवेश कर गया होगा।
तो स्मरण रखो कोई सहारा खोजने का प्रयास मत करो। आधारहीन ही जानो। यदि इस विधि को कहने का प्रयास कर रहे हो तो आधारहीन हो जाओ। यही कृष्ण मूर्ति सिखा रहा है। ‘आधारहीन हो जाओ, किसी गुरु को मत पकड़ो, किसी शस्त्र को मत पकड़ो। किसी भी चीज को मत पकड़ो।’
सब गुरु यही करते रहे है। हर गुरू का सारा प्रयास ही यह होता हे। कि पहले वह तुम्हें अपनी और आकर्षित करे,ताकि तुम उससे जुड़ने लगो। और जब तुम उससे जुड़ने लगते हो, जब तुम उसके निकट और घनिष्ठ होने लगते हो, तब वह जानता है कि पकड़ छुड़ानी होगा। और अब तुम किसी और को नहीं पकड़ सकते—यह बात ही खतम हो गई। तुम किसी और के पास नहीं जा सकते—यह बात असंभव हो गई। तब वह पकड़ को काट डालता है। और अचानक तुम आधारहीन हो जाते हो। शुरू-शुरू में तो बड़ा दुःख होगा। तुम रोओगे और चिल्लाओगे और चीखोगे। और तुम्हें लगेगा कि सब कुछ खो गया। तुम दुःख की गहनत्म गहराइयों में गिर जाओगे। लेकिन वहां से व्यक्ति उठता है, अकेला और आधारहीन।
‘आधारहीन, शाश्वत, निश्चल आकाश में प्रविष्ट होओ।’
उस आकाश को न कोई आदि है न कोई अंत। और वह आकाश पूर्णत: शांत है, वहां कुछ भी नहीं है—कोई आवाज भी नहीं। कोई आवाज भी नहीं। कोई बुलबुला तक नहीं। सब कुछ निश्चल है।
वह बिंदु तुम्हारे ही भीतर है। किसी भी क्षण तुम उससे प्रवेश कर सकते हो। यदि तुममें आधारहीन होने का साहस है तो इसी क्षण तुम उसमें प्रवेश कर सकते हो। ��्वार खुला है। निमंत्रण सबके लिए है। लेकिन साहस चाहिए—अकेले होने का, रिक्त होने का, मिट जाने का और मरने का। और यदि तुम अपने भीतर आकाश में मिट जाओ तो तुम ऐसे जीवन को पा लोगे जो कभी नहीं मरता, तुम अमृत को उपलब्ध हो जाओगे।
आज इतना ही।
इति शुभमस्तु: ओशो
साभार:-(oshosatsang.org)
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जाप करने के लिए माँ सरस्वती का बीज मंत्र
माँ सरस्वती का बीज मंत्र:
ॐ ऐं सरस्वत्यै नमः
यह माँ सरस्वती का सबसे प्रसिद्ध और सरल बीज मंत्र है। इसका जाप करने से ज्ञान, बुद्धि, स्मरण शक्ति और एकाग्रता में वृद्धि होती है।
अन्य बीज मंत्र:
ॐ ऐं ह्रीं श्रीं क्लीं ऐं सरस्वत्यै नमः
ॐ सरस्वत्यै नमः
ॐ वाग्देव्यै च विद्महे कामराजाय धीमहि। तन्नो देवी प्रचोदयात्। (सरस्वती गायत्री मंत्र)
जाप करने की विधि:
प्रातः काल स्नान करके शांत स्थान पर बैठें।
माँ सरस्वती की प्रतिमा के सामने दीप प्रज्वलित करें।
रुद्राक्ष या तुलसी की माला से मंत्र का जाप करें।
एकाग्रता से मंत्र का उच्चारण करें।
कम से कम 108 बार मंत्र का जाप करें।
जाप का समय:
वसंत पंचमी के दिन माँ सरस्वती का बीज मंत्र का जाप करना विशेष रूप से फलदायी होता है।
इसके अलावा, बुधवार और गुरुवार को भी माँ सरस्वती का बीज मंत्र का जाप करना शुभ माना जाता है।
आप अपनी सुविधानुसार किसी भी समय मंत्र का जाप कर सकते हैं।
जाप के लाभ:
ज्ञान, बुद्धि, स्मरण शक्ति और एकाग्रता में वृद्धि होती है।
शिक्षा और करियर में सफलता मिलती है।
रचनात्मकता और कल्पनाशीलता में वृद्धि होती है।
भाषण और वाद-विवाद में सफलता मिलती है।
मन शांत और एकाग्र होता है।
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आज 5 फरवरी को माघ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को जया एकादशी व्रत तिथि है। अन्य एकादशी तिथियों की अपेक्षा इस एकादशी को शास्त्रों में अधिक फलदायी बताया गया है। इस दिन श्रद्धा भाव से व्रत रखकर विधि पूर्वक पूजा-पाठ करने से व्रती की अनेक कामनाएं पूरी हो जाती है। जया एकादशी के दिन फलहारी व्रत रखा जा सकता है। इस दिन भगवान विष्णु पूजा आराधना के साथ कामना पूर्ति के लिए विष्णु मंत्रों का 108 बार जप सुबह शाम तुलसी की माला से जरूर करना चाहिए। इस सप्ताह इन 6 राशि वालों का पूरी तरह बदलने जा रहा भाग्य, कहीं इसमें एक राशि आपकी तो नहीं जया एकादशी व्रत पूजा विधान 1- जया एकादशी के दिन प्रातः उठकर स्नानादि के बाद सूर्य को अर्घ्य दें, और भगवान विष्णु के शालिग्राम स्वरुप की पूजा आराधना करें। 2- भगवान विष्णु को पीले फूल, पंचामृत तथा तुलसी दल एवं ऋतुफल भी अर्पित करें। 3- पूजन के बाद भगवान श्री विष्णु जी के स्वरूप का ध्यान करें और उनके बीज मंत्रों का ��प करें। 4- जया एकादशी के दिन पूर्ण रूप से जलीय आहार लें, फलाहार लेने में भी कोई दोष नहीं माना गया हैं, दोनों ही स्थिति में इसके श्रेष्ठ परिणाम मिलते हैं। 5- इस दिन मन ही मन इष्ट मंत्रों का जप करें, तथा न ही तो क्रोध करें और न ही झूठ बोले। अपने घर में ही करें लें ये सरल वास्तु उपाय, दौड़ी आएंगी माँ लक्ष्मी जया एकादशी के दिन इन कामों करने से बचना चाहिए- 1- जुआ खेलना- एकादशी तिथि को जुआ नहीं खेलना चाहिए, ऐसा करने से वंश का नाश हो जाता है। 2- पान खाना- एकादशी तिथि को पान खाना भी वर्जित माना गया है, पान खाने से मन में रजोगुण की प्रवृत्ति बढ़ती है। 3 - दूसरों की बुराई से बचना- एकादशी तिथि को दूसरों की बुराई नहीं करना चाहिए। इस दिन परनिंदा करने से मन में दूसरों के प्रति कटु भाव आ सकते हैं। 4- चोरी करना- एकादशी तिथि को चोरी करने से चोरी करने वाली 7 पीढ़ियों को उसका पाप लगता है। 5- स्त्रीसंग- एकादशी तिथि को स्त्रीसंग करना भी वर्जित है क्योंकि इससे भी मन में विकार उत्पन्न होता है और ध्यान भगवान भक्ति में नहीं लगता। इसलिए इस दिन स्त्रीसंग नहीं करना चाहिए। 6- क्रोध- एकादशी तिथि को क्रोध भी नहीं करना चाहिए। अगर किसी से कोई गलती हो भी जाए तो उसे माफ कर देना चाहिए और मन शांत रखना चाहिए। ********** source https://www.patrika.com/festivals/magh-jaya-ekadashi-vrat-puja-vidhi-niyam-5731442/
http://www.poojakamahatva.site/2020/02/blog-post_27.html
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पद्मासन करने का तरीका और फायदे – Padmasana (Lotus Pose) Steps And Benefits in Hindi
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पद्मासन करने का तरीका और फायदे – Padmasana (Lotus Pose) Steps And Benefits in Hindi
पद्मासन करने का तरीका और फायदे – Padmasana (Lotus Pose) Steps And Benefits in Hindi Soumya Vyas Hyderabd040-395603080 November 18, 2019
पारिवारिक, सामाजिक और ऑफिस की जिम्मेदारियों से अपने लिए समय निकालना मुश्किल हो जाता है। इस वजह से व्यक्ति आसानी से बीमारियों की चपेट में आ सकता है। ऐसे में स्वयं को स्वस्थ रखने का सबसे आसन तरीका होता है सुबह उठ कर योगासन करना। योग में ऐसे कई आसन हैं, जो शारीरिक और मानसिक तौर पर स्वस्थ बनाए रखने में में मदद कर सकते हैं और ऐसा ही एक आसन है पद्मासन। पद्मासन के फायदे आपके तनाव को कम कर सकते हैं और दिनभर ऊर्जावान बनाए रखने में मदद कर सकते हैं, बशर्ते इसे सही ढंग से किया जाए।
स्टाइलक्रेज के इस लेख में हम पद्मासन योग पर चर्चा करेंगे। इस लेख में पद्मासन के लाभ के साथ, आपको पद्मासन करने का तरीका भी बताएगा जाएगा। इन सब के साथ आप यह भी जान पाएंगे कि पद्मासन करते समय सावधानियां रखना क्यों जरूरी है।
पद्मासन के लाभ बताने से पहले यह जानना जरूरी है कि पद्मासन क्या होता है।
विषय सूची
पद्मासन क्या है – What is Padmasana (Lotus Pose) in hindi
पद्मासन, एक प्रकार का योगासन है, जिसे बैठ कर किया जाता है। यह संस्कृत के शब्द पद्म अर्थात कमल और आसन को मि��ाकर बनाया गया है। भारतीय संस्कृति में कमल का धार्मिक रूप से बहुत महत्व है। माना जाता है कि जिस प्रकार कमल कीचड़ में खिलने के बाद भ��� अपनी खूबसूरती नहीं खोता है, उसी प्रकार पद्मासन व्यक्ति को सामाजिक बुराइयों से दूर रख मन को शांत रखने में मदद करता है। अक्सर, प्राणायाम करते समय पद्मासन मुद्रा में बैठने का सुझाव दिया जाता है (1)।
लेख के अगले भाग जानिए पद्मासन के फायदे के बारे में।
पद्मासन करने के फायदे – Benefits of Padmasana (Lotus Pose) in hindi
1. दिमाग को शांत करे
योग करते समय व्यक्ति का दिमाग और उसका शरीर एक लय में चलना जरूरी होता है। इस कारण योग करते समय ध्यान केंद्रित करना आवश्यक हो जाता है। ध्यान करने के लिए पद्मासन योग को एक बहुत जरूरी योगासन माना जाता है। यह ध्यान केंद्रित कर दिमाग को शांत करने में मदद कर सकता है (1)।
2. ऊर्जा बनाए रखे
अगर कोई थका हुआ महसूस कर रहा है, तो कुर्सी पर बैठने की जगह पद्मासन में बैठा जा सकता है। इंटरनेशनल जर्नल ऑफ योग के एक शोध में पाया गया है कि लगभग 20 मिनट तक पद्मासन में बैठने से पद्मासन के लाभ ऊर्जा के स्तर को बढ़ाने का काम कर सकते हैं (2)।
3. बेहतर नींद
नींद न आने के कई कारण हो सकते हैं, जैसे मानसिक या शारीरिक थकान या फिर स्ट्रेस। कई बार इसमें एलोपैथिक दवाइयां भी काम नहीं कर पाती हैं। ऐसे में पद्मासन के फायदे बेहतर नींद लाने में मदद कर सकते हैं। शोध में पाया गया है कि पद्मासन स्ट्रेस को कम कर सकता है, जिससे बेहतर नींद लेने में मदद मिल सकती है (3)।
4. घुटनों के लिए लाभकारी
पद्मासन में बैठते समय घुटनों और टखनों को अच्छी तरह खींच कर और मोड़ कर बैठना होता है। आसन करने के दौरान जब जोड़ों में खिंचाव पड़ता है, तो एक खास प्रकार का द्रव (श्लेष द्रव – Synovial Fluid) का रिसाव होता है। माना जाता है कि यह द्रव मांसपेशियों की अकड़न को कम करने के साथ-साथ अर्थराइटिस जैसी बीमारियों के खतरे को कम करने में मदद कर सकता है (4)।
5. माहवारी में लाभदायक
माहवारी के दौरान पेट, कमर में दर्द, अकड़न, थकान, चिड़चिड़ापन आदि होना आम बात है। ऐसे में इन लक्षणों को कम करने के लिए पद्मासन योग मददगार साबित हो सकता है। जैसा कि हम लेख में पहले भी बता चुके हैं कि पद्मासन दिमाग को शांत करता है। साथ ही यह मांसपेशियों की अकड़न व कमर दर्द आदि को कम करने में भी मदद कर सकता है और माहवारी की असहजता को दूर करने में मदद कर सकता है (4) (5)।
6. गर्भवती के लिए पद्मासन के फायदे
गर्भावस्था के दौरान भी पद्मासन के फायदे एक महिला को मिल सकते हैं। जैसा कि हमने आपको ऊपर बताया है कि यह आसन तनाव को दूर करने के साथ-साथ मांसपेशियों की अकड़न को दूर करने और शरीर में ऊर्जा बढ़ाने का काम कर सकता है। फिलहाल, इस बात का कोई वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है, जो यह बता सके कि इसके लाभ गर्भावस्था के दौरान गर्भवती महिला को मिलेंगे या नहीं। साथ ही गर्भावस्था के दौरान इस आसन को करने से पहले डॉक्टरी परामर्श जरूर लें।
पद्मासन के लाभ जानने के बाद, आइए अब आपको पद्मासन की विधि के बारे में बताते हैं।
पद्मासन योग मुद्रा करने का तरीका – Steps to do Padmasana (Lotus Pose) in Hindi
किसी भी आसन के फायदे उसे सही ढंग से करने पर ही मिलते हैं, इसलिए जरूरी है उसके करने के तरीके के बारे में जानना। नीचे जानिए पद्मासन की विधि के बारे में :
योग मैट पर पैरों को सामने की ओर फैलाकर बैठ जाएं।
अपनी कमर और गर्दन को सीधा रखें।
अब दाएं पैर को मोड़ कर उसकी एड़ी को बाईं जांघ पर रखें।
इस प्रक्रिया को दूसरे पैर के साथ भी दोहराएं।
जब दोनों पैरों को मोड़कर एड़ी को विपरीत जांघों पर रखकर आप सहज हो जाएं, तो हाथों से ज्ञानमुद्रा बनाकर घुटनों पर रखें।
इस दौरान अपनी कोहनियों को सीधा रखें।
अब इस मुद्रा में कुछ देर बैठें।
इस मुद्रा में सांस लेने और छोड़ने की प्रक्रिया को सामान्य रूप से जारी रखें।
इस प्रक्रिया को दिन में दो बार तीन से पांच मिनट के लिए दोहरा सकते हैं।
अगर आपने पहले कभी पद्मासन नहीं किया तो लेख का अगला भाग आपके लिए है। जानिए शुरुआती लोगों के लिए पद्मासन की विधि।
शुरुआती लोगों के लिए पद्मासन करने की टिप – Beginner’s Tip to do Padmasana (Lotus Pose) in Hindi
अगर आपने पहले कभी पद्मासन नहीं किया और पिछले भाग में बताई गई पद्मासन की विधि करने में आपको असहजता हो रही है, तो आप अर्धपद्मासन कर सकते हैं। इसे नीचे बताई गई विधि से किया जा सकता है :
योग मैट पर पालथी मार कर बैठ जाएं।
अब दाएं पैर की एड़ी को बाएं पैर की जांघ पर रखें।
अब उंगलियों से ज्ञान मुद्रा बनाकर हाथों को घुटनों पर रखें।
अपनी कोहनियों को सीधा रखें।
ध्यान रखें कि पूर्ण पद्मासन की ही तरह इसमें भी कमर और गर्दन को सीधा रखना है।
अब धीरे-धीरे गहरी सांस लें और फिर धीरे धीरे छोड़ें।
इसे लगभग तीन से पांच मिनट तक करें और फिर दूसरे पैर से यह प्रक्रिया दोहराएं।
जब आप इसमें पूरी तरह से प्रशिक्षित हो जाएं, तो पूर्ण पद्मासन करने का प्रयास करें।
यह आसन करते समय कुछ सावधानियां बरतने की जरूरत होती है। लेख के अगले भाग में जानिए पद्मासन करते समय सावधानियां कैसे बरतनी चाहिए।
पद्मासन योग के लिए कुछ सावधानियां – Precautions for Padmasana (Lotus Pose) In Hindi
पद्मासन करते समय सावधानियां न बरतने से आपको कुछ नुकसान का सामना करना पड़ सकता है। नीचे जानिए पद्मासन करते समय सावधानियां कैसे बरतनी चाहिए :
अगर आपने पहले कभी पद्मासन नहीं किया है, तो इसे योग विशेषज्ञ की देखरेख में ही करें।
जोड़ों या घुटने के दर्द से पीड़ित लोग पद्मासन को न करें।
गर्भावस्था में भी पद्मासन योग विशेषज्ञ की देखरेख में करने की सलाह दी जाती है।
इस लेख को पढ़ने के बाद आप पद्मासन के फायदे के बारे में अच्छी तरह समझ गए होंगे। इसकी सबसे अच्छी बात यह है कि अगर इसे सही ढंग से किया जाए, तो इसका कोई दुष्प्रभाव नहीं होता। आप अब पद्मासन करने का तरीका भी समझ गए होंगे। इस बात पर ध्यान दें कि प्रतिदिन योग करने से शरीर स्वस्थ और तंदुरुस्त रहता है, लेकिन यह कोई मेडिकल ट्रीटमेंट नहीं है। किसी बीमारी का उपचार करने के लिए पद्मासन कितना लाभकारी होगा, यह ��हीं कहा जा सकता। साथ ही पद्मासन करते समय सावधानियां भी जरूर बरतें। हम आशा करते हैं कि इस लेख की मदद से आप पद्मासन के लाभ सही ढंग से उठा पाएंगे। कमेंट बॉक्स में लिख कर हमें बताना न भूलें कि यह लेख आपको कैसे लगा।
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Soumya Vyas
सौम्या व्यास ने माखनलाल चतुर्वेदी विश्वविद्यालय, भोपाल से इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में बीएससी किया है और इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ जर्नलिज्म एंड न्यू मीडिया, बेंगलुरु से टेलीविजन मीडिया में पीजी किया है। सौम्या एक प्रशिक्षित डांसर हैं। साथ ही इन्हें कविताएं लिखने का भी शौक है। इनके सबसे पसंदीदा कवि फैज़ अहमद फैज़, गुलज़ार और रूमी हैं। साथ ही ये हैरी पॉटर की भी बड़ी प्रशंसक हैं। अपने खाली समय में सौम्या पढ़ना और फिल्मे देखना पसंद करती हैं।
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Source: https://www.stylecraze.com/hindi/padmasana-ke-fayde-aur-karne-ka-tarika-in-hindi/
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विपश्यना :भारत की सबसे पुरानी योग की तकनीक है -
विपश्यना भारत की सबसे पुरानी ध्यान केंद्रित करने वाली तकनीक है |इसका सरल सा मतलब है की सभी चीजें को उनके वास्तविक रूप में देखना |ये एक संस्कृत शब्द है -विपश्यना= (वि + पश्य + ना)विशेष प्रकार से देखना|आज से करीब २५०० वर्ष पूर्व महात्मा बुद्ध ने इस तकनीक को पुनर्जीवित किया |महात्मा बुद्ध की शिक्षाओं में से एक विपश्यना भी है। यह वास्तव में सत्य की उपासना है। सत्य में जीने का अभ्यास है। विपश्यना इसी क्षण में यानी तत्काल में जीने की कला है। भूत की चिंताएं और भविष्य की आशंकाओं में जीने की जगह भगवान बुद्ध ने अपने शिष्यों को आज के बारे में सोचने केलिए कहा।
विपश्यना :एक कला -
विपश्यना सम्यक् ज्ञान है। जो जैसा है, उसे ठीक वैसा ही देख-समझकर जो आचरण होगा, वही सही और कल्याणकारी सम्यक आचरण होगा। विपश्यना जीवन की सच्चाई से भागने की शिक्षा नहीं देता ह���, बल्कि यह जीवन की सच्चाई को उसके वास्तविक रूप में स्वीकारने की प्रेरणा देता है।योग साधना के तीन मार्ग प्रचलित हैं - विपश्यना, भावातीत ध्यान और हठयोग।
विपश्यना करने का सही तरीका -
मन और शरीर की सर्वसामान्य जड़ की यह अवलोकन-आधारित, आत्म-खोजात्मक यात्रा है, जो मानसिक अशुद्धता को पिघलाता है, जिसके परिणामस्वरूप एक संतुलित मन प्यार और करुणा से भरा होता है|विपश्यना अनुशासन बहुत जरुरी है और साथ में लगन |क्योकि खुद को शांत और ख़ुशी आदमी खुद के दवरा ही दे सकता है |इसलिए ये योग केवल इसे गंभीरता से लेने वाले के लिए उपयोगी होता है | ये 10 दिवसीय प्रक्रिया है |इसका पूरा एक कोड ऑफ़ डिसिप्लिन होता है जिसको तीन भागों में बाटा गया है पहला चरण - इस चरण में आपको हत्या ,चोरी ,यौन गतिविधि , गलत तरीके से बात और नशे की आदतों को छोड़ना होता है ये मन को शांत करता है |
दूसरे चरण - इस चरण में आपको अपने श्वास लेने की विधि पर काबू करके मन को शांत रखना होता है |इस क्रिया में व्यक्ति का मन खुद बे खुद शांत हो जाता है चौथे दिन तक |खुद को केंद्रित करके अपने शरीर के बारे में जानने और संवेदनाओं को समझना और संतुलित करना इसके ही अंग है |
तीसरा चरण -ये अंतिम चरण है |व्यक्ति दया के प्रति प्रेम और सभी के लिए अच्छे काम करना और अपनी सब अशुद्धि भुलाकर ध्यान केंद्रित करना सीख चूका होता है |
इस तकनीक को इस समय क्या राजनेता और क्या अभिनेता और बिज़नेस मैन सब अपना रहे है | ये पुरे विश्व में प्रसिद्ध है | अगर आप सुकून चाहते है तो इसे आजमाए जरूर क्योकि हमारा काम बताना है |
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मेडिटेशन: मल्टि टास्किंग के बढ़ते बोझ के बीच अपने लिए निकालें सिर्फ 15 मिनट
जीवन के उद्देश्य को हासिल करने और खुद को तनावमुक्त रखने का सबसे सरल और उपयोगी तरीका ही मेडिटेशन (ध्यान) है. तो चलिए आपको बताते हैं कि आप किस तरह से केवल 20 मिनट मेडिटेशन करने से अपनी जिंदगी बदल सकते हैं.
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ध्यान (Meditation): अपनी अंदर की आवाज को सुनें
ध्यान खुद से बात करने का एक तरीका है. हर किसी व्यक्ति के अंदर एक शांत व्यक्ति या यूं कहें कि अंतरात्मा होती है. हमारी अंतरआत्मा हमेशा सही होती है और इसलिए ही शायद कहा जाता है कि हम ईश्वर का अंश हैं. सभी महान लोगों का कहना है कि अंतरात्मा की आवाज ईश्वर की आवाज है और इसका किसी एक धर्म से कोई संबंध नहीं है यह सबके लिए सामान्य है. केवल आपको इसे खुद के लिए ढूंढना है.
इस वजह से खुश और शांत रहने का एकमात्र तरीका यह ही है कि हम अपनी अंतरात्मा की आवाज सुनें क्योंकि हमारी अंतरात्मा हमेशा सही राह चुनने में मदद करती है. ध्यान एक ऐसा अभ्यास है जिसमें किसी चीज या किसी व्यक्ति की कल्पना नहीं की जाती, बल्कि इसमें मानसिक, भावनात्मक, शारीरिक और आध्यात्मिक रूप से शांति महसूस की जाती है. इस तरह से आप अपने विचारों को नियंत्रित कर सकते हैं और आप अपने दिमाग से अपनी इच्छा अनुसार काम करवा सकते हैं.
यदि आप दिन के किसी भी समय खुद के लिए 15 मिनट निकालें और ध्यान लगाने की कोशिश करें तो इससे आपको धीरे धीर ध्यान लगाने में मदद मिलेगी. इस कार्य को करने के लिए आपको अधिक सोचने की जरूरत नहीं है. ध्यान कोई भी मनुष्य लगा सकता है.
अगर आप ध्यान करने के तरीकों के किसी भी लेख को पढ़ेंगे तो उसमें आप कहीं न कहीं ये जरूर पढ़ेंगे कि इसमें कुछ क्षण चुपचाप बैठना या विचार करना होता है. हालांकि, सही मायनों में मेडिटेशन इससे कहीं अधिक है. यह गहरी शांति की एक अनुभूति है जिसका अनुभव आप तब ही कर पाते हैं जब आपका मन शांत होता है. तो चलिए आपको बताते हैं कि आपको ध्यान कैसे लगाना चाहिए.
ध्यान लगाने की विधि
आराम से बैठ या लेट जाएं. अगर आपको जरूरत महसूस हो तो आप तकिए का भी इस्तेमाल कर सकते हैं.
अब अपनी आंखें बंद करें. अगर आप चाहें तो आंखों को शीतलता देने वाले मास्क का भी उपयोग कर सकते हैं.
सांस को नियंत्रित न करें और स्वभाविक तरीके से सांस लें.
अब सांस पर अपना ध्यान केंद्रित करें और सांस को अंदर लेने और बाहर निकालने के वक्त शरीर की गतिविधियों पर ध्यान दें. इसके साथ साथ छाती, कंधों, पसलियों और पेट पर भी ध्यान दें. अब बस अपनी सांस पर ध्यान केंद्रित किए बिना इसकी तीव्रता को नियंत्रित करें. अगर इस बीच आपका मन भटक जाता है तो दोबारा से शुरू करें.
आपको इस प्रक्रिया को शुरू करने में 2 से 3 मिनट का वक्त लगेगा और इसके बाद आप इसे लंबे समय के लिए बनाए रखने की कोशिश करें.
इस बात को याद रखें कि यह ध्यान लगाने की बेहद सरल विधि है. हालांकि, इसके अलावा भी कई अन्य प्रकार की विधियां हैं जिनको करने के अलग अलग तरीके हैं.
मेडिटेशन करते वक्त इन नियमों का रखें ध्यान
ध्यान करने के लिए एक सही समय का चुनाव करें. वैसे सुबह 4 बजे से लेकर शाम के 4 बचे तक का समय इसके लिए उत्तम होता है.
अभ्यास के लिए किसी शांत जगह का चुनाव करें जहां आपको ध्यान से भटका���े वाला कोई न हो. आरामदायक स्थिति में बैठें क्योंकि आपके बैठने की स्थिति से भी फर्क पड़ता है. खुद शांत, आराम और स्थिर होने का अनुभव करें.
अपनी रीढ़ की हड्डी को सीधे रखें और बिलकुल सीधे बैठें और अपने कंधों और गर्दन को अधिक तान कर या ढीले छोड़ कर न बैठें.
कोशिश करें कि अभ्यास करते वक्त पेट खाली हो. इस वजह से घर पर या ऑफिस में मेडिटेशन करने का बेहतरीन समय भोजन से पहले का होता है. क्योंकि भोजन करने के बाद मेडिटेशन करने में भी आलस आता है.
ढीले ढाले और आरामदायक कपड़ों का चुनाव करें.
अगर आपको ठंड लग रही हो तो पहले कुछ एक्सरसाइज कर लें. थोड़ी सी शरीर को गर्म करने वाली योगा या एक्सरसाइज से रक्त परिसंचरण में सुधार होता है. इससे बेचैनी भी दूर होती है और शरीर का आलस भी भाग जाता है.
ध्यान लगाते वक्त अपने चेहरे पर थोड़ी सी मुस्कुराहट रखें. इससे आपको आराम, शांति और ध्यान लगाने में सहायता होगी.
अभ्यास खत्म होने के बाद हमेशा अपनी आंखों को धीरे धीरे खोलें और अपने अंदर आई स्फूर्ती को महसूस करने की कोशिश करें.
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Webpage के HTML Source Code कैसे देंखे
Webpage के HTML Source Code देखने का तरीका
इस Website या Blog का Design कितना सुंदर और आकर्षक (Beautiful & Attractive) है. अगर इस Website के Design का Source Code मुझे पता चल जाए तो मैं भी अपने Blog का Design ऐसा ही बनाउंगा.
एक Website कैसे बनती है? Website के पीछे HTML Coding कैसे की गई है? इस Website में HTML Tags का उपयोग कैसे किया गया है? आपके मन मे भी ऐसे विचार जरूर आते होंगे?
अगर आप एक Programming Student है तो आप जरूर जानना चाहेंगे कि फंला Website की Coding या Programming कैसे की गई है? और Source Code को देखने के बाद ही आपकी जिज्ञासा शांत होगी.
तो आइए जानते है कि HTML Document के Source Code कैसे देखे जाते है? और Source Code देखने के क्या फायदे है?
Source Code देखने के तरीको के बारे में बताने से पहले हम आपको Source Code के बारे में कुछ जानकारी देना चाहेंगे. ताकि आपको Source Code की पूरी जानकारी हो जाए.
1. Source Code का परिचय – Introduction to Source Code
आप किसी भी Website या Blog का source Code आसानी से देख सकते है. आप इंटरनेट ब्राउजर द्वारा किसी भी Webpage का HTML Source Code देख सकते है. क्योंकि ब्राउजरों में View Source Code Feature Inbuilt रहता है. इसलिए HTML Document का Source Code View करने के लिए अलग से Tool की जरूरत नही रहती है. और ना ही इसके लिए आपको इंटरनेट की जरूरत पडती है.
जब हम किसी Webpage का HTML Source Code देखते है तो हम Result Page के Source Code देख रहे होते है. Actual Code हम नही देख पाते है.
अब आप ये सोच रहे होंगे कि Source Code View करते समय क्या संपूर्ण Source Code दिखते है या कुछ खास Code ही दिखाए जाते है?
इस सवाल का जवाब Webpage के प्रकार पर निर्भर करता है. आप एक Static Website (जो सिर्फ HTML और CSS से बनी है) की लगभग पूरी Coding को देख सकते है. और एक Dynamic Website की सिर्फ Result Page की Coding को देख सकते है. इस बारे में हमने आगे भी बताया है.
2. क्या किसी Website के Source Code को देखना Legal कार्य है?
आपको ऐसा एक भी Web Developer, Web Designer, Web Master नही मिलेगा. जिसने किसी अन्य Website के Source Code को Copy नही किया है. हर पेशेवर Programmer दूसरी Sites के Source Code को देखकर ही अपनी Skills को माझंते है.
अगर आप किसी दूसरी Website के Source Code का इस्तेमाल एक Learning Tool की तरह करते है तो यह कार्य पूरी तरह Legal और सुरक्षित है. यदि आपने Source Code को अपनी Site या Blog के Design में इस्तेमाल कर लिया तो आप एक Illegal कार्य कर रहे है. जो आपको जेल भी पहूँचा सकता है.
इसलिए आप Source Code का उपयोग सीखने के लिए करें ना कि अपने Blog में Copy Past करें. क्योंकि हमें किसी की मेहनत को चुराने का कोई हक नही है.
3. क्या View Source Code के द्वारा किसी Blog Website के संपूर्ण Coding को देखा जा सकता है?
जैसा हमने पहले भी बताया कि इस सवाल का जवाब आपकी Website के प्रकार पर निर्भर करता है. यदि आप एक Static Website के Source Code देख रहे है तो आप लगभग सारी Coding को देखने मे कामयाब हो जाए. और यदि आप एक Dynamic Website के source Code देख रहे है तो आप सिर्फ Result Page के Source Code देखने में कामयाब होंगे. Actual Coding आप नही देख पाऐंगे.
सभी Search Engines, Server Side Scripts जैसे PHP अपनी Queries को Server पर Execute करते है. और हमें Result Page Show करते है. इसलिए हम सिर्फ Result Page के source Code ही देख पाते है. Actual Code नही देख पाते है. आप Search Engines, Forums, Chats आदि सेवाओं के Source Code नही देख सकते है.
इसके अलावा External Style Sheet Files, External JavaScrip आदि के Code भी आप नही देख सकते है. क्योंकि इनकी Coding File मुख्य Webpage से HTML Link Tag द्वारा जुडी रहती है. इन Files के Code मुख्य File में नही लिखे रहते है. इसलिए हम इन्हे नही देख पाते है.
4. किसी Website या Blog के HTML Source Code को देखने के फायदे क्या है?
Source Code देखने के कई फायदे है. दूसरी Sites के Code नजर डालने पर हमें Code Placement के बारे मे जानकारी मिलती है. आप अपनी खुद की Website की Programming सही तरह से कर पाते है. इन फायदों के अलावा भी कई और भी फायदे होते है.
अगर आप एक Programming Beginner है, तो Source Code आपके लिए Practical Knowledge का भंडार है. आप Source Code के जरीए Web Designing आसानी से सीख सकते है. आप Source Code को देखकर HTML Tags का सही उपयोग करना सीख सकते है. और HTML Tags के उपयोग की Practical Knowledge ले सकते है.
Web Developer के लिए New Skills सीखने के लिए अन्य Sites के Source Code सबसे Best स्रोत है.
Website या Blog की Quality को बनाए रखने के लिए भी Website के Source Code को देखना जरूरी होता है.
5. HTML Document के Source Code देखने का तरीका
HTML Source Code देखने के कई अलग-अलग तरीके है. इस Lesson में हम आपको दो सरल तरीकों से Source Code देखने के बारे में बताऐंगे.
Right Click द्वारा Source Code देखना
Webpage के URL में “view-source” लिखकर Source Code देखना
Right Click द्वारा Source Code देखने का तरीका
Right Click Menu द्वारा Source Code देखने का तरीका बहुत आसान है. आप सिर्फ कुछ आसान से Steps को Follow करके किसी भी Webpage का HTML Source Code देख सकते है. तो आइए Right Click द्वारा Source Code को देखते है.
1. सबसे पहले ब्राउजर को Open कीजिए. हमने यहाँ Firefox Browser का उपयोग किया है. आप अपनी पसंद के अनुसार किसी भी वेब ब्राउजर का उपयोग कर सकते है.
2. अब आप जिस वेबसाईट या ब्लॉग का Source Code देखना चाहते है. उसे ब्राउजर में Open कीजिए. आप चाहे तो आपके द्वारा बनाए गए किसी HTML Document को Open कर सकते है.
3. अब आप Webpage के ऊपर Mouse की Right Click दबाएं. Right Click किसी Image या Link के ऊपर ना दबाएं. नही तो परिणाम अलग हो सकते है. इस बात का जरूर ध्यान रखें.
4. Right Click दबाने के बाद आपके सामने Right Click Menu Open होगी. यहाँ से आप View Page Source पर क्लिक कीजिए. नीचे Screenshot देखें. यह विकल्प ब्राउजर पर निर्भर करता है. इसलिए हो सकता है, आपके ब्राउजर में कुछ अलग नाम हो. जैसे फायरफॉक्स में इसे View Page Source नाम दिया गया है. Internet Explorer में इस विकल्प का नाम View Source है. अन्य ब्राउजरों में भी इससे मिलता-जुलता नाम ही होगा.
5. View Page Source पर क्लिक करते ही आपके सामने संबंधित Webpage के Source Code New Window में Open हो जाऐंगे. जो कुछ इस प्रकार के हो सकते है.नीचे Screenshot देंखे.
6. Source Code को देखकर आप जान सकते है कि Actual Webpage और Source Code Page में कितनी समानता है. आपने देखा होगा कि Actual Content कुछ HTML Tags से घिरा हुआ है. जिनके नाम से आप इन Tags के उपयोग का अंदाजा भी लगा सकते है.
अब आप Right Click द्वारा तो Source Code देखने का तरीका तो जान गए है. अब हम view-source लिखकर Source Code देखने का तरीका जानेंगे.
View-Source लिखकर Source Code देखने का तरीका
1. इस विधि में पहला और दूसरा Step तो ऊपर बताए गए तरीके के समान ही है. हम मानकर चल रहे है कि आपके सामने ब्राउजर में कोई वेबपेज खुला हुआ है. हम यहाँ भी उसी डॉक्युमेंट का उपयोग कर रहे है. जिसका Use हमने ऊपर किया है.
2. अब आप ब्राउजर की Address Bar में Webpage के URL के पीछे view-source लिखिए और Enter दबाएं. नीचे Screenshot देंखे.
3. Enter दबाते ही आपके सामने New Browser Window में Webpage के Source Code खुल जाऐंगे.
6. Mobile Phone में Source Code देखने का तरीका
यदि आप एक मोबाईल फोन में Webpage के HTML Source Code देखना चाहते है. तो आप Chrome Browser के Mobile Version में Source Code आसानी से देख सकते है.
Android Mobile में Source Code देखने के लिए आपको ऊपर बताए गए तरीको में से दूसरा तरीका आजमाना पडेगा. आप Chrome Browser की Address Bar में Webpage के URL के पीछे view-source लिखिए. और Search के Icon या फिर Go पर Tap कीजिए. आप चाहे तो Page को Refresh भी कर सकते है. जो भी आपको Suitable लगे वो आप कीजिए. आपके सामने Source Code खुल जाऐंगे.
from Blogger http://bkcomputercafe.blogspot.com/2018/09/webpage-html-source-code.html via IFTTT
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vashikaran prayog in hindi
New Post has been published on https://strivashikaranupay.com/vashikaran-prayog-hindi/
vashikaran prayog in hindi
vashikaran prayog in hindi
वैसे तो वशीकरण के अनेक तरीके प्रचलित है जिनमे से vashikaran ke saral upay कुछ सावर्जनिक रूप से है और कुछ बहुत ही गोपनीय एवम अति प्रभावशाली है. तंत्र, मंत्र तथा यंत्र के क्षेत्र में ही वशीकरण के कई अनेक अचूक और 100 प्रतिशत प्रमाणिक साधन अथवा उपाय उपलब्ध है. लेकिन हर प्रयोग में किसी न किसी विशेष विधि एवम नियम कायदों का पालन करना पड़ता है.
इसीलिए, आज की इस बिजी जिंदगी में मनुष्य vashikaran ke saral upay या तरीके चाहता है जो बहुत ही काम समय से सम्पन्न हो सके. आजकल हर इंसान शार्टकट के जुगाड़ में लगा रहता है लम्बे तथा पारम्परिक रास्ते में ना तो वह चलना चाहता है व ना ही उसके पास इतना समय होता है .
शाब्दिक रूप से टोटके का अर्थ ऐसी तांत्रिक क्रिया से लिया जाता है जिसके दुयारा कोई भी कार्य सरलतापूर्वक पूर्ण कर लिया जाये। टोटकों को तंत्र का अभिन्न अंग मन गया है। टोटकों का प्रयोग भारत में व्यापक रूप से किया जाता है। ये ग्रामीण लोगों के जीवन के अभिन्न अंग है। छोटे मोठे रोगों का उपचार वे टोटकों से ही करते हैं। आदिवासियों का जीवन तो टोटकों पर ही आधारित है। वे रोजी रोटी का प्रबंध करने से लेकर विवाह आदि संस्कारों तथा रोगादि से मुक्ति के लिए टोन टोटको का सहारा लेते है। शत्रुओं पर आक्रमण एब वशीकरण भी वे टोटे टोटको से ही करते है। आधुनिक शहरी जीवन मे भी टोटकों का पर्याप्त चलन है। यदि किसी भी शहर की सड़क पर प्रातःकाल निकला जाये तो चौराहों पर अनेक टोटके मिलते है। टोटका विदेशों में भी व्यापक रूप से प्रचलित है। टोटके सर्वव्यपी है। ये प्राचीनकाल से लेकर वर्तमान कल में भी किये जा रहे है। हम अपनी इस पोस्ट में टोने टोटके दुयार ही वशीकरण का वर्णन प्रस्तुत कर रहे है –
* एक सप्ताह तक प्रतिदिन कनेर का फूल और गोघृत मिलाकर जिस स्त्री का नाम लेकर 1108 बार हवन किया जाएगा, वह वश में हो जाएगी।
* मंगलवार या रविवार के दिन काले धतूरे का पौधा जड़ सहित उखाड़ लाएँ। फिर इसको पीसकर इसमें थोड़ा सा सुध केसर, देशी कपूर तथा वंशलोचन मिलाकर अच्छी तरह रगड़ें। इस मिश्रण का तिलक करने के बाद जिस स्त्री पर साधक की पहली बार द्रष्टि पड़ेगीं, वह उससे सम्मोहित हो जाएगी।
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* मंगलवार अथवा रविवार को अपने रक्त में अपना शुक्र मिलाकर जिस स्त्री के शरीर पर लगा दिया जाए, वह स्त्री वश में हो जाती है।
उस चित्र को इतनी ऊंचाई पर रखें कि जब आप पद्मासन में बैठे, तो उस चित्र की छवि आपकी आंखों के सामने ही रहे। ५ मिनिट तक प्राणायाम करने के पश्चात उस चित्र पर ध्यान एकाग्र करें। पूर्ण गहरे ध्यान में पंहुचकर उस चित्र वाले व्यक्तित्व से बार-बार अपने मन की बात कहें। कुछ समय के बाद अपने मन में यह गहरा विश्वास जगाएं कि आपके इस प्रयास का प्रभाव होने लगा है। यह प्रयोग सूर्योदय से पूर्व होना होता है।
वैसे तो वशीकरण के अनेक तरीके प्रचलित है जिनमे से vashikaran ke saral upay कुछ सावर्जनिक रूप से है और कुछ बहुत ही गोपनीय एवम अति प्रभावशाली है. तंत्र, मंत्र तथा यंत्र के क्षेत्र में ही वशीकरण के कई अनेक अचूक और 100 प्रतिशत प्रमाणिक साधन अथवा उपाय उपलब्ध है. लेकिन हर प्रयोग में किसी न किसी विशेष विधि एवम नियम कायदों का पालन करना पड़ता है.
अगर आपका पति किसी गैर औरत के साथ या फिर अपनी पत्नी किसी और को प्यार कर रही हो आपके तरफ ध्यान नहीं दे रही है तो आप इसका इस्तमाल कर सकते हो|
हमारे फोटो से वशीकरण करने के टोटके में हमने आपको किसी और को फोटो के इस्तमाल से आप वश में कर सकती/सकते हो|
तो आज हम आपको कुछ ऐसे मंत्र और टोटके बताने वाले जिसको आप किसी रूठे हुए को मनाने के लिए इस्तमाल कर सकते हो|
अपने प्यार को पाने के लिए उपाय करने के लिए आपको कुछ बातो का ख्याल रखना है इस नाम से वशीकरण के टोटके में आपको सिर्फ किसी का अच्छा करने के लिए ही इस्तमाल करना चाहिए|
नाम से वशीकरण करने का मंत्र :
नाम से वशीकरण करने के लिए आपको निचे दिए हुए मंत्र का जप करना है|
“ओम हारीम कुरूम पिसचिनी ( जिसका वशीकरण करना है उस व्यक्ति का नाम लें) मं वशियम भवन्ति “
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नाम से वशीकरण करने का मंत्र का जप कैसे करे जानकारी हिंदी में :
ऊपर दिए हुए वशीकरण मंत्र का इस्तमाल आप किसी को वश में करने के लिए इस्तमाल कर सकते हो|
इस मंत्र का प्रयोग आपको लगातार ५ शुक्रवार जाप करना है|
मंत्र का जाप करने के बाद एक सफ़ेद कागज़ लेकर इस कागज़ के ऊपर अपने प्रियजन का नाम लेकर इस कागद में मोर की कलगी रखकर कागज़ में लपेट ले इसके बाद आपको ऊपर दिए हुए मंत्र का जाप करना है|
अब इसको घर के किसी गुप्त जगह पर रखना है ध्यान रहे की यह सिर्फ आपको ही पता हो|
७ दिनों बाद इस को निकालकर एक शांत जगह पर इसके ऊपर देसी घी डालकर इसको जला दे|
इस सरल प्रयोग से आप अपने पति को पत्नी को प्रेमिका को दोस्त के नाम से वशीकरण कर सकते हो| इस क्रिया को करने के समय आपको अपने आप पर विश्वास और नकारात्मक विचार नहीं आने देना है|
दोस्तों आज हम आपको वशीकरण के टोटके के बारेमे थोड़ी जानकारी देने वाले है इनके इस्तमाल करने से आप किसी को भी वश में करके अपने काम करवा सकते हो.
सबसे पहले हम आपको बतादे की वशीकरण मतलब क्या होता है.
वशीकरण मतलब किसी को अपने काबू में करलेना और किसी को अपने कब्जे में करके अपने रुके हुए कामो को यानिकी अपने मेहनत से किये हुए कामो की मंजूरी लेने के लिए कर सकते हो.
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आप वशीकरण से क्या क्या कर सकते है जानिए-
स्त्री वशीकरण (औरत को वश में करना)
पुरुष वशीकरण (पुरुष को यानिकी पति को वश में करना)
बच्चो को काबू में करना.
अपने गर्लफ्रेंड को काबू में करना.
बॉयफ्रेंड को वश में करना.
व्यापर में प्रगति के लिए.
दुश्मन को वश में करने के लिए.
यूँ तो आप एस्ट्रोलॉजी का सहारा लेकर भी अपनी प्राब्लम सॉल्व कर सकते हैं लेकिन उन सभी विधियों में टाइम बहुत लगता है और सफलता के chance भी कम होते हैं लेकिन वशीकरण एक्सपर्ट्स के अनुसार आप इसके कुछ विशेष मंत्रो के द्वारा बहुत जल्दी अपनी समस्या का समाधान कर सकते हैं कुछ लोग तो यहाँ तक कहते हैं की ये कला जादू, टोने, टोटके, वूडू, और लव spells से भी ज्यादा असरदार होता है| कुल मिलकर ये आपके काम कम समय में और ज्यादा success rate के साथ पूरे कर सकते हैं| लाइफ में ऐसी कई स्तिथियाँ आती हैं जब हम समस्याओं से एक दम घिर जाते हैं जैसे प्रॉपर्टी विवाद, घरेलू झगड़े, पति/पत्नी के अवैध संबंध, प्यार में धोखा, रुका हुआ धन, बिज़्नेस में घटा आदि| वशीकरण स्पेशलिस्ट्स के अनुसार इन स्तिथियों में सही मंत्र का उपयोग करके आप बहुत आसानी से अपनी समसाया पूरी तरह से हल कर सकते हैं|
vashikaran prayog in hindi for girlfriend
इस बात को ध्यान में रखते हुए ही यहां वशीकरण यान��� किसी को अपने प्रभाव में लाने या अनुकूल बनाने का सरल अनुभवी एवं अचूक तरीका या उपाय दिया जा रहा है। यह vashikaran ka saral upay इस प्रकार है– जिस भी व्यक्ति को आप अपने वश में करना चाहते हैं, उसका एक चित्र जो कि लगभग पुस्तक के आकार का तथा स्पष्ट छवि वाला हो, उपलब्ध करें।
उस चित्र को इतनी ऊंचाई पर रखें कि जब आप पद्मासन में बैठे, तो उस चित्र की छवि आपकी आंखों के सामने ही रहे। ५ मिनिट तक प्राणायाम करने के पश्चात उस चित्र पर ध्यान एकाग्र करें। पूर्ण गहरे ध्यान में पंहुचकर उस चित्र वाले व्यक्तित्व से बार-बार अपने मन की बात कहें। कुछ समय के बाद अपने मन में यह गहरा विश्वास जगाएं कि आपके इस प्रयास का प्रभाव होने लगा है। यह प्रयोग सूर्योदय से पूर्व होना होता है।
Ajj hum apko premi ya premika ko vash karne ke vashikaran totke hindi me ke bare may batayege. Jiske upyog se app apni premika ya premi ko apne vash me kar skege.
प्रेमी-प्रेमिका को वश में करने का वशीकरण टोटका
मैनसिल, काक जंघा, केशर और तगर इन सबको एक समान भाग में लेकर एक चूर्ण बना लेवे और चूर्ण बनाने के बाद इसे सुरक्षित स्थान पर रख लेवे | इस चूर्ण का प्रयोग रविवार के दिन ही करे | रविवार के दिन इस चूर्ण को जिस पर भी छिड़क देंगे वह वश में हो जायेगा |
प्रेमिका और पत्नी को वश में करने का वशीकरण मंत्र और टोटका
ॐ शिवे भगवे भगे-भगे भगं, क्षोभय-क्षोभय, मोहय-मोहय, छादय-छादय, क्लेदय-क्लेदय क्लीं शरीरे ॐ फट स्वाहा |
इस मंत्र का प्रयोग केवल और केवल रात्रि में ही करना है| जिस भी स्त्री को अपने वश में करना है उसका एक चित्र ले ले और उसके चित्र के सामने ही १०८ बार एक मंत्र को पढ़े | इस प्रयोग से वह स्त्री कामविह्वला होकर आपके चरणों में भागी चली आएगी | यदि इसी मंत्र को सोते समय बराबर साथ दिन तक प्रयोग किया जाये तो वो स्त्री कामातुर होकर रात्रि में ही आपके पास आपकी सेज पर आ जाएगी | ध्यान रहे कि इस मंत्र से गलत कार्य न करे वार्ना इसका परिणाम बहुत बुरा होता है |
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आज हमारी चारों और की दुनिया ने बहुत उन्नति कर ली है और बहुत बड़ी जनसंख्या का ध्यान विज्ञान ने अपनी और आकर्षित किया है| दूसरी और जनसंख्या का बहुत बड़ा भाग ऐसा भी है जो तंत्र, मंत्र, टोटके, जादू टोने , वशीकरण आदि में विश्वास रखता है| यह लेख उन लोगों के लिए है जो वशीकरण में विश्वास रखते हैं और अपनी समस्या के लिए उसे प्रयोग करना चाहते हैं| अक्सर लोग इस तंत्र मंत्र में तब पड़ते हैं जब वो दूसरे उपाय, तरीके और समाधान फैल हो जाते हैं| उनका मन टूटने की कगार पर होता है इसलिए वो ऐसा सब कुछ करके देखना चाहते हैं जिससे उनके रुके काम बन जायें और उनकी समस्या दूर हो जाए| कुछ लोग प्यार में फैल हो जाते हैं, कुछ नौकरी में, कुछ ऑफीस में, कुछ business में, कोई अपने शादी शुदा जीवन में फैल हो जाता है| जब किए हुए सभी कार्य विफल हो जाते हें तब ऐसे लोग अक्सर वशीकरण जैसी विधा का सहारा लेते हैं| तो आईए जानते हैं की वशीकरण होता क्या है और इसके uses, फायदे और इसके मंत्रों के बारे में अपनी जानकारी बढ़ते हैं|
हम आपको बिल्कुल सीधी और सरल भाषा में वशीकरण के बारे में बताएँगे| वशीकरण दो शब्दो से मिलकर बना है वशी जिसका अर्थ है वश में और करण का अर्थ है करना| यानी आपने तंत्र और मंत्र और दूसरे कर्म कांड के द्वारा किसी को या किसी स्तिथि को अपने वश में अपनी भलाई के लिए करना| ये विधा तंत्र और मंत्र की दुनिया में सबसे लोकप्रिया और सबसे सफल मानी जाने वाली विधा है| जो लोग वशीकरण जानते हैं उनके अनुसार ये एक प्रकार का hypnotism है जैसा की hypnotism में आप अपनी wishes पूरा करने के लिए दूसरो को अपने वश में कर लेते हैं उसी प्रकार आप वशीकरण मंत्रो का उपयोग करके सामने वाले को अपने कंट्रोल में कर सकते हैं और अपने रुके हुए काम पूरे करवा सकते हैं| वो लोग ये भी कहते हैं की दूसरे black मैजिक के विपरीत इस विधा को अच्छे कार्यो के लिए किया जाता है.|यानी इससे किसी दूसरे का कोई नुकसान नही होता|
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