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विद्यार्थी जीवन में अनुशासन का महत्व: कैसे बनें एक अनुशासित छात्र?
अनुशासित छात्र लिखते हुए विद्यार्थी जीवन में अनुशासन के महत्व को जानें और सीखें कैसे बनें एक अनुशासित छात्र। यह लेख आपको सफलता के लिए आवश्यक कौशल और रणनीतियाँ प्रदान करेगा। विद्यार्थी जीवन एक महत्वपूर्ण समय होता है जो हमारे भविष्य की नींव रखता है। इस समय में अनुशासन का महत्व अत्यधिक होता है। यह लेख आपको बताएगा कि अनुशासन क्यों महत्वपूर्ण है और कैसे आप एक अनुशासित छात्र बन सकते हैं। आइए, इस…
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किस्मत के भरोसे बैठना बंद करें
यह एक महत्वपूर्ण संदेश है जो हमें अपनी किस्मत या भाग्य पर निर्भर न रहने और अपनी जिम्मेदारी लेने के लिए प्रेरित करता है। अक्सर लोग अपनी असफलताओं या कठिनाइयों के लिए किस्मत को दोष देते हैं और सुस्त हो जाते हैं। लेकिन यह उन्हें आगे बढ़ने से रोकता है।
For more details visit - गीता के श्लोकों को सरल भाषा में समझाने का प्रयास करते हैं। Geeta gyan - Geeta param rahasyam ये श्लोक गीता के महत्वपूर्ण भाग हैं जो मार्गदर्शन के रूप में सेवन किए
हमें समझना चाहिए कि हम अपने भविष्य के नियंता हैं और केवल हमारी मेहनत और प्रयास ही हमारी सफलता तय करेंगे। किस्मत के भरोसे बैठने से कुछ नहीं होगा। हमें लक्ष्य निर्धारित करना चाहिए, योजना बनानी चाहिए और कड़ी मेहनत करनी चाहिए।
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झारखंड प्रदेश कांग्रेस कमेटी के पांच नेताओं को छह साल के लिए पार्टी से निकालने की सिफारिश
झारखंड प्रदेश कांग्रेस कमेटी के पांच नेताओं को छह साल के लिए पार्टी से निकालने की सिफारिश
रांची। झारखंड प्रदेश कांग्रेस कमेटी के पांच नेताओं को छह साल के लिए पार्टी से निष्कासित की सिफारिश की गयी है। यह सिफारिश झारखंड प्रदेश कांग्रेस अनुशासन समिति ने की है। प्रभारी अविनाश पाण्डेय व प्रदेश अध्यक्ष राजेश ठाकुर को सिफारिश की गयी है। समिति ने अपना मंतव्य कमेटि के प्रदेश अध्यक्ष को थमा दिया है। अब प्रदेश अध्यक्ष प्रभारी को प्रेषित करेगे । रविवार को पार्टी मुख्यालय में अनुशासन समिति की…
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लखनऊ, 28.09.2024 | स्वर कोकिला भारत रत्न लता मंगेशकर जी की 94वीं जन्म जयंती के अवसर पर हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट द्वारा ट्रस्ट के इंदिरा नगर स्थित कार्यालय में “श्रद्धापूर्ण पुष्पांजलि” कार्यक्रम का आयोजन किया गया । कार्यक्रम के अंतर्गत हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट के प्रबंध न्यासी श्री हर्ष वर्धन अग्रवाल, न्यासी डॉ0 रूपल अग्रवाल व ट्रस्ट के स्वयंसेवकों ने स्वर कोकिला भारत रत्न लता मंगेशकर जी के चित्र पर पुष्पांजलि अर्पित कर उन्हें सादर नमन किया ।
इस अवसर पर हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट के प्रबंध न्यासी श्री हर्ष वर्धन अग्रवाल ने कहा कि, “लता दीदी की आवाज में एक ऐसा जादू था, जिसने उन्हें "स्वर कोकिला" का खिताब दिलाया । उनके द्वारा गाए गए गीत न केवल भारत में, बल्कि पूरे विश्व में सुने और सराहे जाते हैं । उनका संगीत हमारे दिलों की गहराई तक उतरता हैं, और उनके गीतों में वह भावनात्मक गहराई हैं, जो हर पीढ़ी को छूती हैं । लता दीदी ने भारतीय सिनेमा को 70 से अधिक वर्षों तक अपनी मधुर आवाज से समृद्ध किया । उन्होंने 30,000 से अधिक गीतों को अपनी आवाज दी, जो एक विश्व रिकॉर्ड हैं । उनके योगदान के लिए उन्हें अनगिनत पुरस्कार��ं से सम्मानित किया गया । लता जी की आवाज ने हमें प्रेम, दर्द, खुशी और भक्ति के अनगिनत रंगों का एहसास कराया हैं । उनका संगीत एक ऐसा धरोहर हैं, जिसे हम हमेशा संजोकर रखेंगे । उनके गीतों ने हमें जीवन के हर मोड़ पर प्रेरित किया है और उनका संगीत हमारी सांस्कृतिक धरोहर का अभिन्न हिस्सा हैं । लता जी का जीवन और उनका संगीत हमें सिखाता हैं कि जब कोई व्यक्ति अपने सपनों का पीछा करता हैं, तो वह असंभव को भी संभव कर सकता हैं । उनका समर्पण, अनुशासन और संगीत के प्रति उनकी अटूट लगन हम सभी के लिए प्रेरणा का स्रोत है ।“
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Rashtriya Swayamsevak Sangh is a strong symbol of cultural and social unity of the nation: Colonel Rajyavardhan Rathore
-कैबिनेट मंत्री कर्नल राज्यवर्धन राठौड़ ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के स्थापना दिवस पर समस्त स्वयंसेवकों को हार्दिक शुभकामनाएं दीं -विश्व के सबसे बड़े स्वयंसेवी संगठन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने करोड़ों भारतीयों के व्यक्तित्व एवं चरित्र निर्माण में वंदनीय भूमिका निभाई : कर्नल राज्यवर्धन राठौड़ -संघ के हर एक कार्यकर्ता का समर्पण और बलिदान राष्ट्र निर्माण एवं विकास के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण : कर्नल राज्यवर्धन राठौड़ -राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ राष्ट्र की सांस्कृतिक और सामाजिक एकता का सशक्त प्रतीक : कर्नल राज्यवर्धन राठौड़
कैबिनेट मंत्री, राजस्थान सरकार कर्नल राज्यवर्धन राठौड़ ने मातृभूमि की सेवा के लिए समर्पित, विश्व के सबसे बड़े स्वयंसेवी संगठन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के स्थापना दिवस विजयादशमी के अवसर पर समस्त स्वयंसेवकों को हार्दिक शुभकामनाएं दीं। कर्नल राज्यवर्धन राठौड़ ने कहा, अखण्ड भारत निर्माण के दिव्य ध्येय और राष्ट्र प्रथम की भावना से जोड़ता यह संगठन असंख्य जनों के लिए प्रेरणास्रोत है। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ मात्र एक संगठन नहीं अपितु निःस्वार्थ सेवा, अनुशासन और अद्वितीय समर्पण का पर्याय है। माँ भारती के वैभव को उच्चतम शिखर पर पहुंचाने हेतु संघ ने करोड़ों भारतीयों के व्यक्तित्व एवं चरित्र निर्माण में वंदनीय भूमिका निभाई है।
कर्नल राज्यवर्धन राठौड़ ने कहा, संघ के सभी स्वयंसेवक देश सेवा में सदैव तत्पर रहते हैं। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ अपनी स्थापना से ही भारतीय संस्कृति की रक्षा व युवाओं को संगठित कर उनमें राष्ट्रभक्ति के विचारों को सींचने का उल्लेखनीय कार्य कर रहा है। एक ओर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ समाज सेवा के कार्यों को गति देकर हर वर्ग को सशक्त बना रहा है, तो दूसरी ओर शैक्षणिक प्रयासों से देशहित के प्रति समर्पित देशभक्तों का निर्माण कर रहा है। संघ के हर एक कार्यकर्ता का समर्पण और बलिदान राष्ट्र निर्माण एवं विकास के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। विश्व के सबसे बड़े स्वयंसेवी संगठन के रूप में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ द्वारा किया गया हर प्रयास हमारे लिए एक प्रेरणा है। यह संगठन आज राष्ट्र की सांस्कृतिक और सामाजिक एकता का सशक्त प्रतीक है। संघ के अनुशासन, सेवा और राष्ट्रभक्ति के सिद्धांतों पर चलते हुए करोड़ों स्वयंसेवक देश की अखंडता, विकास और संस्कृति के लिए समर्पित हैं। संघ का यह प्रयास हर भारतीय के भीतर राष्ट्र के प्रति गौरव और जिम्मेदारी की भावना को प्रबल करता है। संघ के कार्यों से प्रेरित होकर हम सभी राष्ट्र को सशक्त और समृद्ध बनाने की दिशा में निरंतर प्रयासरत हैं।
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Sant rampal ji Maharaj
संत रामपाल जी महाराज के जो भगत भाई हैं वे अनुशासन से रहते हैं क्योंकि उनको सच्चा गुरु प्राप्त हुआ और सच्चा गुरु वही होता है जो सभी शास्त्रों का खोल करके प्रमाण सहित ज्ञान बताता है और मोच प्राप्ति करवाता है
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अनुशासन के आठ अंग
अष्टांग शब्द संस्कृत के दो शब्दों ‘अष्ट’और ‘अंग’से मिलकर बना है। ‘अष्ट’संख्या आठ को संदर्भित करती है जबकि ‘अंग’ का अर्थ है शरीर या अंग। इसलिए अष्टांग योग, योग के आठ अंगों का एक पूर्ण मिलन है जो कि योग सूत्रों के दर्शन की विभिन्न शाखाओं का प्रतिनिधित्व करते हैं। जीवन के विभिन्न क्षेत्र में अनुशासन के लिए महर्षि पतंजलि ने साधन पाद में इसके बारे में बताया है। योग दर्शन में वर्णित यह आठ अंग हैं यम, नियम, आसन, प्राणायाम, प्रत्याहार, धारणा, ध्यान और समाधि।
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कुंडली में पितृ दोष क्या होता है? इसका निर्वाण कैसे किया जाता है?
कुंडली में "पितृ दोष" एक ज्योतिषीय परंपरागत अवधारित गुण है जिसे किसी के जन्मपत्रिका में पितरों से संबंधित समस्याओं की सूचना के रूप में वर्णित किया जाता है। यह दोष व्यक्ति के पूर्वजों या पितृगण से संबंधित हो सकता है और उसके जीवन में कठिनाएँ उत्पन्न कर सकता है।
पितृ दोष के मुख्य कारणों में शामिल हो सकते हैं:
पितृ शाप: यदि किसी ने अपने पूर्वजों के प्रति अनुशासन न किया हो या किसी ने किसी पूर्वज को अनैतिक तरीके से मारा हो, तो ऐसे पितृ शाप का प्रभाव कुंडली में आ सकता है।
श्राद्ध न करना: श्राद्ध एक पितृ पूजा का रूप है जो पितृगण की आत्माओं की शांति के लिए की जाती है। यदि कोई व्यक्ति श्राद्ध नहीं करता है, तो इससे पितृ दोष उत्पन्न हो सकता है।
पितृ दोष का निर्वाण करने के लिए व्यक्ति कुछ उपाय कर सकता है:
श्राद्ध और पितृ पूजा: व्यक्ति को श्राद्ध और पितृ पूजा करना चाहि���। इससे पितृगण की आत्माओं को शांति मिलती है और दोष कम होता है।
दान और कर्म करना: व्यक्ति को दान और अच्छे कर्मों का पालन करना चाहिए। यह पितृगण को आत्मिक शांति देने में मदद कर सकता है।
ब्रह्मचर्य और ध्यान: व्यक्ति को ब्रह्मचर्य (ब्रह्मचरी जीवन) का पालन करना और ध्यान में रहना चाहिए। यह भी पितृ दोष को कम करने में सहायक हो सकता है।
यदि क���सी को ऐसा लगता है कि उनकी कुंडली में पितृ दोष है और वह इससे प्रभावित हो रहे हैं, तो वह Kundli Chakra 2022 Professional की मदद ले सकते है। जिसकी मदद से तुम्हे। उपाए और सुझाव का पता चल सकता है। और आप अपनी सम्पूर्ण कुंडली के बारे में जानकरी जान सकते है।
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#Mysterious_Prophecies
महान धार्मिक नेता द ग्रेट शायरन की भविष्यवाणी
वह संत सभी को सामान कायदा नियम अनुशासन पालन करवा कर सत्य पथ पर लेगा मैं (नास्त्रेदमस )एक बात निर्विवाद सिद्ध करता हूं वह शायरन धार्मिक नेता नया ज्ञान आविष्कार करेगा।
#Great_Prophecies_2024
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#त्याग #बलिदान #राष्ट्रसेवा #निष्ठा एवं #अनुशासन के मूलमंत्र से करोड़ों भारतीयों को #मातृभूमि की सेवा के लिए प्रेरित करने वाले #विश्व के सबसे बड़े #स्वयंसेवी_राष्ट्रवादी_संगठन तथा #राष्ट्रहित के लिए सदैव समर्पित #राष्ट्रीय_स्वयंसेवक_संघ' के स्थापना दिवस की सभी स्वयंसेवकों को हार्दिक बधाई व शुभकामनाएँ ।
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विद्यार्थी जीवन में अनुशासन का महत्व: कैसे बनें एक अनुशासित छात्र?
अनुशासित छात्र लिखते हुए विद्यार्थी जीवन में अनुशासन के महत्व को जानें और सीखें कैसे बनें एक अनुशासित छात्र। यह लेख आपको सफलता के लिए आवश्यक कौशल और रणनीतियाँ प्रदान करेगा। विद्यार्थी जीवन एक महत्वपूर्ण समय होता है जो हमारे भविष्य की नींव रखता है। इस समय में अनुशासन का महत्व अत्यधिक होता है। यह लेख आपको बताएगा कि अनुशासन क्यों महत्वपूर्ण है और कैसे आप एक अनुशासित छात्र बन सकते हैं। आइए, इस…
#अध्ययन कौशल#अनुशासन#आत्म-विकास#छात्र जीवन टिप्स#लक्ष्य निर्धारण#विद्यार्थी जीवन#शैक्षणिक सफलता#समय प्रबंधन
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#त्याग #बलिदान #राष्ट्रसेवा #निष्ठा एवं #अनुशासन के मूलमंत्र से करोड़ों भारतीयों को #मातृभूमि की सेवा के लिए प्रेरित करने वाले #विश्व के सबसे बड़े #स्वयंसेवी_राष्ट्रवादी_संगठन तथा #राष्ट्रहित के लिए सदैव समर्पित #राष्ट्रीय_स्वयंसेवक_संघ' के स्थापना दिवस की सभी स्वयंसेवकों को हार्दिक बधाई व शुभकामनाएँ ।
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विनाश
यही ईश्वरीय संदेश, ईश्वरीय विश्वविद्यालय, जिसे आप सभी,ब्रह्माकुमारियों के नाम से जानते हैं, के माध्यम से, पूरे विश्व को, कब से दिय��� जा रहा है। कि अधर्म नाश और सत्य धर्म की स्थापना के लिए ,अवतरित हुए निराकार परमपिता परमात्मा शिव, जिस सत्य धर्म की स्थापना करवा रहे हैं। उस सत्य धर्म का नाम है, आदि सनातन देवी देवता धर्म इस सत्य धर्म, का संबंध, हिंदू, मुस्लिम, सिख, ईसाई, से न होकर मानवीय मूल्यों से है। चरित्र से है, नैतिकता से है, सच्चाई, सफाई, ईमानदारी, वफादारी और पवित्रता से है। त्याग, अनुशासन, आदर्श और मर्यादाओं से है। प्राण जाए पर वचन न जाए से है, वास्तव में राम का चरित्र ही सनातन धर्म है, श्रेष्ठ धर्म है, सच्चा धर्म है, मानव जीवन का श्रृंगार है। सनातन धर्म की, बड़ी-बड़ी बातें करने वाले, राम का भव्य मंदिर बनवाने वाले, जय श्री राम का नारा लगाने वाले, धर्म, समाज और राजनेता, सत्य धर्म को कितना अ��नाते हैं। राम के चरित्र के मुकाबले, स्वयं को कहां खड़ा पाते हैं। कहां खड़े हैं? इतना ध्यान रहे कि, परमात्मा शिव सत्य धर्म की स्थापना के साथ अधर्म नाश की भी योजना साथ लाते हैं लाए हैं। अब यह आपके ऊपर है, कि आप सत्य धर्म की स्थापना में सहयोगी बनते हैं, या फिर, अधर्म पक्ष में खड़े होकर विनाश को प्राप्त होना चाहते हैं, जैसा आपका निर्णय होगा, वैसा ही परिणाम होगा।
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प्रदेश कांग्रेस अनुशासन समिति की बैठक में आलोक,राजेश,साधु शरण, अनिल और सुनील को कारण बताओ नोटिस और 14 दिनों के लिए निलंबन की अनुशंसा
प्रदेश कांग्रेस अनुशासन समिति की बैठक में आलोक,राजेश,साधु शरण, अनिल और सुनील को कारण बताओ नोटिस और 14 दिनों के लिए निलंबन की अनुशंसा
रांची। झारखंड प्रदेश कांग्रेस अनुशासन समिति की एक अति-आवश्यक बैठक कांग्रेस भवन, रांची में आहूत की गई। बैठक में निर्णय लेते हुए कडी चेतावनी दी गई कि पार्टी में अनुशासन भंग करने वालों को किसी भी सूरत माफ नहीं किया जाएगा। क्योंकि संगठन में अनुशासन सर्वोपरि है। मालूम हो कि13 दिसम्बर को अनुशासन समिति की संपन्न बैठक में सभी कांग्रेसजनों को निर्देश दिया गया था कि पार्टी विरोधी या पार्टी नेतृत्व के विरोध…
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लखनऊ, 29.08.2024 | हॉकी के जादूगर मेजर ध्यानचंद जी की जन्म जयंती पर देशभर में आज राष्ट्रीय खेल दिवस मनाया जा रहा हैं | इस अवसर पर हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट द्वारा ट्रस्ट के इंदिरा नगर स्थित कार्यालय में “श्रद्धापूर्ण पुष्पांजलि” कार्यक्रम का आयोजन किया गया । कार्यक्रम के अंतर्गत हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट के प्रबंध न्यासी श्री हर्ष वर्धन अग्रवाल, न्यासी डॉ0 रूपल अग्रवाल व ट्रस्ट के स्वयंसेवकों ने मेजर ध्यानचंद जी के चित्र पर पुष्पांजलि अर्पित कर उन्हें सादर नमन किया ।
इस अवसर पर हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट के प्रबंध न्यासी श्री हर्ष वर्धन अग्रवाल ने कहा कि, “ध्यानचंद जी ने अपने खेल जीवन में तीन ओलंपिक स्वर्ण पदक जीते - 1928, 1932 और 1936 में | उनके खेल का स्तर इतना ऊँचा था कि उन्हें देखने वाले लोग मंत्रमुग्ध हो जाते थे । विरोधी टीमें उनकी हॉकी स्टिक और गेंद के साथ उनकी अद्भुत संगति से स्तब्ध रह जाती थीं । उनकी खेल शैली ऐसी थी कि यह कहा जाता था कि गेंद उनके स्टिक से चिपक जाती थी और वे उसे अपनी मर्जी से किसी भी दिशा में भेज सकते थे । उनके खेल का जादू ऐसा था कि उनकी तुलना दुनिया के महानतम खिलाड़ियों से की जाती थी । ध्यानचंद जी को उनके महान योगदान के लिए 1956 में पद्म भूषण से सम्मानित किया गया । उनका जीवन हम सभी के लिए प्रेरणा ��ा स्रोत हैं । उनके खेल ने न केवल हॉकी को लोकप्रिय बनाया, बल्कि भारतीय युवाओं को भी यह सिखाया कि खेल केवल जीत का साधन नहीं, बल्कि जीवन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, जो अनुशासन, समर्पण और ईमानदारी सिखाता हैं । आज उनकी जयंती पर हम उनके जीवन से प्रेरणा लेते हुए यह संकल्प करें कि हम भी अपने जीवन में उसी तरह के समर्पण और लगन को अपनाएंगे जैसे ध्यानचंद जी ने अपनाया था । उनकी स्मृति हमारे दिलों में हमेशा जीवित रहेगी और उनके द्वारा दिखाए गए मार्ग पर हम सब चलने का प्रयास करेंगे ।“
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Free tree speak काव्यस्यात्मा 1401.
साकार भी निराकार भी
देवों के देव आदिदेव महादेव
-© कामिनी मोहन पाण्डेय
शिव कल्याणकारी, आनंददायक, त्रिपुरारी, सभी के हृदय में वास करने वाले सत्य स्वरूप, सनातन साकार और निराकार है। एक कथा के अनुसार देवता और दानव द्वारा समुद्र मंथन के समय निकले हलाहल को जब शिव ने सृष्टि को बचाने के लिए ग्रहण किया तो हलचल सी मच गई। अपने कंठ में विष को धारण करने के कारण ही वह नीलकंठ कहलाए। विष के प्रभाव से उनके देह में अतिरिक्त ताप उत्पन्न हुआ।
उच्च ताप के प्रभाव को कम करने के लिए इंद्रदेव ने लगातार जोरदार वर्षा की। यह वर्षा ऋतु सावन महीने में उसी नियत समय से आज भी होती है। आज भी परम पावन महादेव शिव के हलाहल विष के ताप को कम करने की धारणा को महसूस करते हुए भक्त सावन के पवित्र माह में शिव को शीतलता प्रदान करने के लिए उनके निराकार स्वरूप को जल अर्पित कर शीतलता प्रदान कर पुण्य के भागी बनते हैं। सावन महीने का महत्व इसीलिए अत्यधिक बढ़ जाता है। बांस के बने शिव की उपस्थिति को धारण किए कांवड़ की परंपरा में एक में घट में ब्रह्म-जल दूसरे में विष्णु-जल लेकर भक्त जब आगे बढ़ते हैं, तो त्रिदेव का सुखद संयोग सबके समक्ष उपस्थित हो जाता है।
हलाहल विष के प्रभाव को कम करने के लिए ही शीतल चंद्रमा को उन्होंने अपने मस्तक पर धारण किया है। हमें यह समझना होगा कि शिव हमारे शरीरों की तरह शरीर धारण करने वाले हैं भी और नहीं भी। वे सभी जीवों के देह में सूक्ष्म रुप से, आत्म स्वरूप में वास करते हैं। वे ही पूरी सृष्टि का प्रतिनिधित्व करते हैं। सब जगह सब तत्व उनमें ही समाहित दिखाई देते हैं। इसीलिए शिव देवों के देव महादेव हैं।
जीवन यात्रा सत्य स्वरूप तक पहुँचने की यात्रा है। जो हमें प्रेम, अनुशासन, सृष्टि को चलायमान रखने के लिए लोभ, मोह, क्रोध को छोड़कर वैराग्य धारण करते हुए ईश्वरी शक्ति से जुड़ने की प्रेरणा देता है। यह आत्मविश्वास को उत्पन्न करने में करोड़ों लोगों की मदद करने वाला है। कांवड़ यात्रा आत्मा से परमात्मा के योग करने की यात्रा है। यह यात्रा तभी पूर्ण होती है, जब हम शिव तत्व को अपने भीतर महसूस करते हुए उसकी प्रतिध्वनि को शिव के साथ ही ताल से ताल मिला कर महसूस करते हैं।
कांवड़ यात्री शिवालयों में जाकर जलाभिषेक करते हैं। ऐसी मान्यता है कि ऐसा करने वाले व्यक्ति को मोक्ष की परम आनंद की प्राप्ति होती है। जीवन के कष्ट दूर होते हैं।मनोकामनाओं की पूर्ति होती है। घर में धन धान्य की कभी कोई कमी नहीं रहती है।
महर्षि व्यास ने शिव को सबसे महान कहाँ है। उन्हें देवों के देव महादेव कहाँ है। क्योंकि जब कोई निस्वार्थ भाव से महादेव को याद करता है तो देवों के देव महादेव बिना देर किए वरदान देने को तत्पर हो जाते हैं। वे भक्ति से प्रसन्न होते हैं, क��न देवता है, कौन है असुर, वे भेदभाव नहीं करते हैं। सरलता और भोला भालापन उनका स्वरूप है, जो भी भोले भक्त हैं, वह भोले को ख़ूब भाते हैं। शिव, महादेव ही परमपिता परमात्मा कहलाते हैं।
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