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विद्यार्थी जीवन में अनुशासन का महत्व: कैसे बनें एक अनुशासित छात्र?
अनुशासित छात्र लिखते हुए विद्यार्थी जीवन में अनुशासन के महत्व को जानें और सीखें कैसे बनें एक अनुशासित छात्र। यह लेख आपको सफलता के लिए आवश्यक कौशल और रणनीतियाँ प्रदान करेगा। विद्यार्थी जीवन एक महत्वपूर्ण समय होता है जो हमारे भवि��्य की नींव रखता है। इस समय में अनुशासन का महत्व अत्यधिक होता है। यह लेख आपको बताएगा कि अनुशासन क्यों महत्वपूर्ण है और कैसे आप एक अनुशासित छात्र बन सकते हैं। आइए, इस…
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किस्मत के भरोसे बैठना बंद करें
यह एक महत्वपूर्ण संदेश है जो हमें अपनी किस्मत या भाग्य पर निर्भर न रहने और अपनी जिम्मेदारी लेने के लिए प्रेरित करता है। अक्सर लोग अपनी असफलताओं या कठिनाइयों के लिए किस्मत को दोष देते हैं और सुस्त हो जाते हैं। लेकिन यह उन्हें आगे बढ़ने से रोकता है।
For more details visit - गीता के श्लोकों को सरल भाषा में समझाने का प्रयास करते हैं। Geeta gyan - Geeta param rahasyam ये श्लोक गीता के महत्वपूर्ण भाग हैं जो मार्गदर्शन के रूप में सेवन किए
हमें समझना चाहिए कि हम अपने भविष्य के नियंता हैं और केवल हमारी मेहनत और प्रयास ही हमारी सफलता तय करेंगे। किस्मत के भरोसे बैठने से कुछ नहीं होगा। हमें लक्ष्य निर्धारित करना चाहिए, योजना बनानी चाहिए और कड़ी मेहनत करनी चाहिए।
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लखनऊ, 12.01.2025 | राष्ट्रीय युवा दिवस 2025 (स्वामी विवेकानंद जी की 162वीं जन्म जयंती) के अवसर पर हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट द्वारा ट्रस्ट के इंदिरा नगर स्थित कार्यालय में “श्रद्धापूर्ण पुष्पांजलि” कार्यक्रम का आयोजन किया गया | कार्यक्रम के अंतर्गत हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट के प्रबंध न्यासी डॉ॰ हर्ष वर्धन अग्रवाल, न्यासी डॉ॰ रूपल अग्रवाल व ट्रस्ट के स्वयंसेवकों ने स्वामी विवेकानंद जी के चित्र पर पुष्पांजलि अर्पित कर उन्हें सादर नमन किया |
इस अवसर पर हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट के प्रबंध न्यासी डॉ॰ हर्ष वर्धन अग्रवाल ने कहा कि, “स्वामी विवेकानंद जी का मानना था कि सशक्त और आत्मनिर्भर युवा ही देश की नींव को मजबूत कर सकते हैं । उनके अनुसार, युवाओं में आत्मनिर्भरता, अनुशासन और आत्मबल का होना अनिवार्य है । वे हमेशा युवाओं को स्वावलंबन, ईमानदारी और कर्मठता के मार्ग पर चलने की प्रेरणा देते थे । आज, जब हमारा देश हर क्षेत्र में प्रगति कर रहा है, युवाओं की भूमिका पहले से अधिक महत्वपूर्ण हो गई है । शिक्षा, विज्ञान, प्रौद्योगिकी, कला और संस्कृति जैसे हर क्षेत्र में युवाओं का योगदान न केवल हमारी प्रगति का आधार है, बल्कि यह देश की वैश्विक पहचान को भी सशक्त बनाता है । हालांकि, युवाओं के सामने आज कई चुनौतियाँ हैं । ऐसे समय में स्वामी विवेकानंद जी के विचार हमें सिखाते हैं कि हमें अपने कर्तव्यों के प्रति सजग और समर्पित रहना चाहिए । उनका प्रसिद्ध कथन, ‘एक विचार लो । उस विचार को अपना जीवन बना लो । उसके बारे में सोचो, उसके सपने देखो और उस विचार को जियो ।’ सफलता का मार्ग प्रशस्त करता है । इस राष्ट्रीय युवा दिवस के अवसर पर, हम यह संकल्प ल���ं कि स्वामी विवेकानंद जी के आदर्शों और शिक्षाओं को अपने जीवन में आत्मसात करेंगे । हम अपने कार्य, शिक्षा और सेवा के माध्यम से देश को सशक्त और प्रगतिशील बनाने में योगदान देंगे । आइए, मिलकर ऐसे भारत का निर्माण करें, जिस पर स्वामी विवेकानंद जी गर्व कर सकें ।”
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जज़्बा, नियंत्रण और राजस्थान का भाव — खेलों में दिखना चाहिए: कर्नल राज्यवर्धन राठौड़ 🏆💪
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राजस्थान की मिट्टी में शौर्य, संघर्ष और आत्मविश्वास की अद्भुत कहानी लिखी गई है। यही भावना जब खेलों में दिखती है, तो राजस्थान का नाम देश और दुनिया में रोशन होता है। ओलंपियन और पूर्व केंद्रीय खेल मंत्री कर्नल राज्यवर्धन राठौड़ ने युवाओं को प्रेरित करते हुए कहा कि खेलों में “जज़्बा, नियंत्रण और राजस्थान का भाव�� होना चाहिए, क्योंकि यही विजय का मंत्र है।
🏅 खेलों में राजस्थान की ताकत: क्यों है जरूरी जज़्बा और नियंत्रण?
1️⃣ जज़्बा (Passion & Determination) 🔥 ✅ खिलाड़ी के अंदर अडिग संकल्प और कुछ कर दिखाने की भावना होनी चाहिए। ✅ कठिनाइयों को चुनौती मानकर जीतने का हौसला रखना जरूरी है। ✅ राजस्थान के रणबांकुरों की तरह मैदान में अंतिम समय तक लड़ने का जज़्बा दिखाना चाहिए।
2️⃣ नियंत्रण (Control & Focus) 🎯 ✅ खेल में सफलता का रहस्य स्वयं पर नियंत्रण और अनुशासन में है। ✅ तनाव में संतुलन बनाए रखना और विपरीत परिस्थितियों में सही निर्णय लेना जरूरी है। ✅ आत्मनियंत्रण ही खिलाड़ी को खेल के हर क्षण में सर्वोत्तम प्रदर्शन देने में मदद करता है।
3️⃣ राजस्थान का भाव (The Spirit of Rajasthan) 🏇 ✅ राजस्थान की वीरता और गौरवशाली परंपरा हर खिलाड़ी के खून में होनी चाहिए। ✅ हमारी संस्कृति सिखाती है कि साहस, सम्मान और समर्पण से हर लक्ष्य हासिल किया जा सकता है। ✅ खेलों में वही खिलाड़ी आगे बढ़ते हैं, जिनमें राजस्थान के शूरवीरों जैसी निडरता होती है।
🎯 राजस्थान को बनाना है खेलों की महाशक्ति
कर्नल राज्यवर्धन राठौड़ का सपना है कि राजस्थान का हर युवा खेलों में देश और दुनिया में नई ऊंचाइयों को छुए। इसके लिए उन्होंने कुछ प्रमुख बिंदुओं पर जोर दिया:
✅ ग्रामीण स्तर पर खेलों को बढ़ावा — हर गांव से प्रतिभा को निखारने की जरूरत। ✅ बेहतर खेल सुविधाएं — हर जिले में अत्याधुनिक स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स विकसित किए जाएं। ✅ कोचिंग और ट्रेनिंग प्रोग्राम — युवा खिलाड़ियों के लिए प्रोफेशनल ट्रेनिंग की व्यवस्था। ✅ नए खेलों में भागीदारी — ओलंपिक और अंतरराष्ट्रीय खेलों में राजस्थान की मजबूत उपस्थिति।
🏆 कर्नल राठौड़ का संदेश: “राजस्थान के युवाओं, खेलो और देश का नाम रोशन करो!”
“राजस्थान सिर्फ वीरों की भूमि ही नहीं, बल्कि महान खिलाड़ियों की भी भूमि है। मैं ��ाहता हूं कि हमारे युवा खेलों को करियर बनाएं, देश का प्रतिनिधित्व करें और चैंपियन बनने की मानसिकता विकसित करें।”
✅ अगर खेलों में सफलता चाहिए, तो जज़्बा रखो, नियंत्रण सीखो और राजस्थान के गौरव को अपने दिल में रखो!
🚀 “खेलो, आगे बढ़ो और राजस्थान को खेलों की नई पहचान दो!”
🏅 जय हिंद! जय राजस्थान! 🏆🔥
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हम संकल्पित हैं: कर्नल राज्यवर्धन राठौड़ का देश सेवा और विकास का संदेश
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कर्नल राज्यवर्धन सिंह राठौड़ ने अपने अद्भुत सैन्य, खेल और राजनीतिक सफर के माध्यम से न केवल युवा पीढ़ी को प्रेरित किया है, बल्कि देश सेवा और विकास के प्रति अपनी अटूट प्रतिबद्धता को भी बार-बार दोहराया है। उनका संदेश स्पष्ट और प्रेरणादायक है: “हम संकल्पित हैं, देश सेवा और विकास के लिए हर संभव प्रयास करेंगे।”
कर्नल राठौड़ के संदेश की मुख्य बातें:
देश सेवा का अद्वितीय समर्पण: भारतीय सेना में सेवा के दौरान, कर्नल राठौड़ ने न केवल देश की रक्षा की, बल्कि अनुशासन, नेतृत्व और साहस का एक उदाहरण प्रस्तुत किया। उनके अनुसार, “देश सेवा से बड़ा कोई कर्तव्य नहीं।”
युवाओं को प्रेरित करना: ओलंपिक में रजत पदक विजेता कर्नल राठौड़ का मानना है कि भारत के युवा राष्ट्र के भविष्य की नींव हैं। उन्होंने कहा, “हमारे युवा ऊर्जा और प्रतिभा से भरपूर हैं। सही दिशा और अवसर मिलने पर वे चमत्कार कर सकते हैं।”
विकसित भारत का सपना: कर्नल राठौड़ का कहना है कि “विकसित भारत” सिर्फ एक लक्ष्य नहीं, बल्कि एक सामूहिक संकल्प है। उन्होंने जोर देकर कहा कि हर व्यक्ति को इस यात्रा का हिस्सा बनना चाहिए, चाहे वह शिक्षा, रोजगार, या स्वच्छता का क्षेत्र हो।
स्थानीय से वैश्विक तक विकास: झोटवाड़ा के विधायक और राजस्थान सरकार में मंत्री के रूप में उन्होंने स्थानीय विकास पर जोर दिया है। उनका मानना है कि सुदृढ़ बुनियादी ढांचा, रोजगार सृजन और शिक्षा के क्षेत्र में सुधार से हर व्यक्ति के जीवन में बदलाव लाया जा सकता है।
प्रधानमंत्री मोदी जी के नेतृत्व में विश्वास: कर्नल राठौड़ ने प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी की दूरदर्शिता की सराहना की और कहा, “आज देश एक नई ऊंचाई की ओर बढ़ रहा है। हर क्षेत्र में, हर व्यक्ति के जीवन में बदलाव दिख रहा है। यह हमारे मजबूत नेतृत्व और सामूहिक प्रयासों का परिणाम है।”
कर्नल राठौड़ का संदेश:
“देश सेवा और विकास की इस यात्रा में हर नागरिक का योगदान महत्वपूर्ण है। साथ मिलकर हम एक ऐसा भारत बनाएंगे, जो न केवल आत्मनिर्भर हो, बल्कि ��ूरी दुनिया के लिए प्रेरणा का स्रोत बने।”
उनका यह संदेश न केवल प्रेरणादायक है, बल्कि हर भारतीय को देश की प्रगति में योगदान देने के लिए प्रेरित करता है।
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ईश्वर क्या है और क्या ईश्वर प्राप्ति करना चाहिए?
मेरे अनुभव के अनुसार इस ब्रह्मांड में एक अद्वितीय तत्व है, यह तत्व हर वस्तु के भीतर व बाहर सभी जगह है! सभी निर्जीव वस्तुओं में अचेतन रूप में व सभी सजीव वस्तुओं में चेतन रूप में विराजमान है! यह तत्व नित्य, सर्वव्यापी, अचल, स्थिर रहने वाला और सनातन है! यह नाश रहित अर्थात अविनाशी तत्व है! जैसे मकड़ी एक-एक तार से सुंदर जाल बुनती है उसी प्रकार प्रकृति ने इसी चेतन तत्व के धागों से इस सुंदर सृष्टि का सृजन किया है! इस तत्व को ही ईश्वर, भगवान, आत्मा, परमात्मा, मन, राम, कृष्ण, शिव, वाहेगुरु, अल्लाह आदि विभिन्न नामों से पुकारा या जाना जाता है क्योंकि यह तत्व हर प्राणी के भीतर है इसलिए जीव को ही शिव व शिव को ही जीव कहा जाता है अर्थात ईश्वर ही जीव है व जीव ही ईश्वर है। जब व्यक्ति "मैं कौन हूं?" विचार पर साधना पूर्ण करता है तो पाता है कि मैं ईश्वर हूं व जब ईश्वर कौन है? विचार लेकर साधना करता है तब वह जान पाता है कि मैं ही ईश्वर हूं! ईश्वर जीव से अलग कोई व्यक्तित्व नहीं है! हर जीव ही ईश्वर है व ईश्वर ही जीव है! बस सभी में जागरूकता का फर्क है! व्यक्ति ज्यों ज्यों साधना की गहराई में पहुंचता है त्यों त्यों जागरूकता अर्थात ज्ञान का उदय होता है व एक दिन अंधकार अर्थात अज्ञान पूर्ण रूप से खत्म होकर सत्य को प्रकट कर देता है व सत्य ही ईश्वर है।
ईश्वर प्राप्ति क्या है?
विभिन्न संतों द्वारा ईश्वर प्राप्ति के विभिन्न नाम रखे गए हैं जैसे आत्म साक्षात्कार, आत्मज्ञान, परमात्मा मिलन, निर्वाण या मोक्ष की स्थिति आदि! यह सभी एक ही स्थिति के नाम है! जब व्यक्ति विभिन्न साधनों द्वारा अपने मन को निर्मल कर लेता है तो यह पूर्ण निर्मल मन की स्थिति ही ईश्वर प्राप्ति है! जब तक मन में कामनाओं व वासानाओं रूपी मेल है तब तक बुद्धि सभी चीजों को विभिन्न रूपों में बांटती रहती है यह अज्ञान है व अज्ञान ही दुख, भ्रम व चिंता को जन्म देता है! लोभ, क्रोध, अभिमान, दुविधा, इर्ष्या, भय ये सब इसी अज्ञान की संतान है! साधनाओं द्वारा इस अज्ञान का समूल नाश करना ही साधक का लक्ष्य होता है। जब ज्ञान का उदय होता है तब मन पूर्ण पवित्र ह�� जाता है क्योंकि ज्ञान ही पवित्र करने वालों में श्रेष्ठ है व जब मन पूर्ण निर्मल हो जाता है वह स्थिति परम शांति दायक, परम आनंद दायक व परम ज्ञानी की स्थिति होती है। इसी को ही ईश्वर प्राप्ति, आत्म साक्षात्कार या निर्वाण कहा जाता है!
ईश्वर प्राप्ति का महत्व
बुद्धि ने सत्य को विषय और वस्तु (द्वेत) में विभाजित कर दिया है जिससे हर पल विचार उत्पन्न हो रहे हैं एवं मनुष्य विचलित रहता है व भावनाओं में बंधा हुआ खंडित होता ही रहता है और लालच, मोह और तृष्णा की पकड़ उस पर बढ़ती रहती है! जन्म से वृद्धा अवस्था के चक्कर में बीमारी और मृत्यु का भय उसके मन के चारों ओर बनी दीवारों को और प्रबल करता जाता है। इसलिए इस भ्रम को ही दूर करना जरूरी है। जब एक बार ये द्वेतका भ्रम टूट गया तो व्यक्ति स्वतंत्र होकर जीने लगता है! वह पूर्ण एकाग्र व पूर्ण जागरूक होकर पूर्ण ज्ञान व परम आनंद को प्राप्त करता है। ईश्वर प्राप्ति या आत्म साक्षात्कार का रास्ता सब कुछ पाने का विज्ञान है! इस रास्ते पर चलने से व्यक्ति ना की अलौकिक जीवन में बल्कि भौतिक जीवन में भी कामयाबी की सर्वोत्तम ऊंचाइयों को छूता है! ईश्वर प्राप्ति या आत्म साक्षात्कार के प्रयास के लिए मनुष्य को ना तो घर छोड़ने की जरूरत है व ना ही व्यवसाय बदलने की जरूरत है क्योंकि यह यात्रा बाहरी नहीं भीतरी है! आप अपने गृहस्थी व व्यवसाय को करते हुए भी स्व अनुशासन की साधना द्वारा ईश्वर प्राप्ति या आत्म साक्षात्कार कर सकते हैं।
निष्कर्ष
व्यक्ति अज्ञान अवस्था में खुद को नहीं जान पा रहे हैं। इस दुर्लभ मनुष्य जीवन को पाकर जो इसी जीवन में मन को निर्मल करने की चेष्टा व प्रयास नहीं करता उसका जन्म लेना ही बेकार है। तुम खुद ही कल्पवृक्ष हो, आप जो चाहो वैसा पा सकते हो। आप अपने अभी तक के जीवन को ध्यान से देखो तो ऐसा लगेगा कि आपने आपका पूरा जीवन व्यर्थ ही गवा दिया है। चैक करो कि अब तक आपने क्या उल्लेखनीय कार्य किया है जिस पर आप खुद, आपका परिवार, आपका देश आप पर गर्व कर सके। इसलिए मेरे दोस्तों, हर बड़े काम की शुरुआत कभी ना कभी छोटे से ही करनी पड़ती है। इसलिए आप जो भी कार्य कर रहे हैं उसके साथ-साथ मन को निर्मल करने वाली इस शुभ यात्रा को शुरू करें व लोगों को भी इस यात्रा पर चलने के लिए उत्साहित करें।
उदाहरण
जब किसान अपने खेत की सिंचाई करना चाहता है, तो उसे किसी अन्य स्थान से पानी लाने की आवश्यकता नहीं होती। खेत के समीप जलाशय में पानी जमा हो जाता है, बीच में बांध होने के कारण खेत में पानी नहीं आ रहा है। किसान बांध को हटा देता है और गुरुत्वा��र्षण के नियम के अनुसार पानी अपने आप खेत में चला जाता है। इसी प्रकार सभी प्रकार की उन्नति और शक्ति सभी मनुष्य में पहले से ही निहित है। पूर्णता मनुष्य का स्वभाव है; केवल उसके द्वार बंद हैं, उसे अपना सच्चा मार्ग नहीं मिल रहा है। यदि कोई इस बाधा को पार कर सके, तो उसकी स्वाभाविक पूर्णता उसकी शक्ति के बल पर अभिव्यक्त होगी। और तब मनुष्य अपने भीतर पहले से ही विद्यमान शक्तियों को प्राप्त कर लेता है। जब यह बाधा दूर हो जाती है और प्रकृति अपनी अप्रतिबंधित गति को पुनः प्राप्त कर लेती है, तब जिन्हें हम पापी कहते हैं, वे भी संत बन जाते हैं। प्रकृति स्वयं हमें पूर्णता की ओर ले जा रही है, समय आने पर वह सभी को वहां ले जाएगी। धार्मिक होने के लिए जो भी अभ्यास और प्रयास हैं, वे केवल प्रतिबंधात्मक कार्य हैं - वे केवल बाधा को दूर करते हैं और इस प्रकार पूर्णता का द्वार खोलते हैं जो हमारा जन्मसिद्ध अधिकार है; जो हमारा स्वभाव है!
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शनि की साढ़े साती के क्या प्रभाव हैं?
यहां शनि की साढ़े साती के 5 प्रमुख प्रभाव हैं:
संघर्ष और मेहनत: साढ़े साती के दौरान व्यक्ति को जीवन में कड़ी मेहनत और संघर्ष का सामना करना पड़ता है। यह समय धैर्य और सहनशीलता का परीक्षण करता है।
आत्म-अवलोकन और आत्म-सुधार: यह चरण आत्म-विश्लेषण का होता है, जिसमें व्यक्ति अपने जीवन के कमज़ोर पहलुओं को समझता है और उन्हें सुधारने का प्रयास करता है।
व्यवस्थित जीवन: शनि जीवन में अनुशासन और जिम्मेदारियों का बोध कराता है। साढ़े साती के समय लोग अपने काम और जीवन में अधिक व्यवस्थित हो जाते हैं।
संबंधों में चुनौती: इस दौरान रिश्तों में टकराव या दूरियाँ आ सकती हैं, लेकिन यह भावनात्मक रूप से मजबूत बनने का मौका भी देता है।
आर्थिक दबाव: साढ़े साती में आर्थिक दबाव महसूस हो सकता है, लेकिन यह समय धन के प्रति सावधान और प्रबंधन सीखने का भी है, जो भविष्य में लाभकारी होता है।
और अगर आप अपनी कुंडली के अनुसार जानना चाहते हैं तो आप कुंडली चक्र प्रोफेशनल 2022 सॉफ्टवेयर का उपयोग कर सकते हैं। जो आपको आपकी कुंडली के अनुसार बेहतर जानकारी दे सकता है।
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Rashtriya Swayamsevak Sangh is a strong symbol of cultural and social unity of the nation: Colonel Rajyavardhan Rathore
-कैबिनेट मंत्री कर्नल राज्यवर्धन राठौड़ ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के स्थापना दिवस पर समस्त स्वयंसेवकों को हार्दिक शुभकामनाएं दीं -विश्व के सबसे बड़े स्वयंसेवी संगठन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने करोड़ों भारतीयों के व्यक्तित्व एवं चरित्र निर्माण में वंदनीय भूमिका निभाई : कर्नल राज्यवर्धन राठौड़ -संघ के हर एक कार्यकर्ता का समर्पण और बलिदान राष्ट्र निर्माण एवं विकास के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण : कर्नल राज्यवर्धन राठौड़ -राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ राष्ट्र की सांस्कृतिक और सामाजिक एकता का सशक्त प्रतीक : कर्नल राज्यवर्धन राठौड़
कैबिनेट मंत्री, राजस्थान सरकार कर्नल राज्यवर्धन राठौड़ ने मातृभूमि की सेवा के लिए समर्पित, विश्व के सबसे बड़े स्वयंसेवी संगठन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के स्थापना दिवस विजयादशमी के अवसर पर समस्त स्वयंसेवकों को हार्दिक शुभकामनाएं दीं। कर्नल राज्यवर्धन राठौड़ ने कहा, अखण्ड भारत निर्माण के दिव्य ध्येय और राष्ट्र प्रथम की भावना से जोड़ता यह संगठन असंख्य जनों के लिए प्रेरणास्रोत है। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ मात्र एक संगठन नहीं अपितु निःस्वार्थ सेवा, अनुशासन और अद्वितीय समर्पण का पर्याय है। माँ भारती के वैभव को उच्चतम शिखर पर पहुंचाने हेतु संघ ने करोड़ों भारतीयों के व्यक्तित्व एवं चरित्र निर्माण में वंदनीय भूमिका निभाई है।
कर्नल राज्यवर्धन राठौड़ ने कहा, संघ के सभी स्वयंसेवक देश सेवा में सदैव तत्पर रहते हैं। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ अपनी स्थापना से ही भारतीय संस्कृति की रक्षा व युवाओं को संगठित कर उनमें राष्ट्रभक्ति के विचारों को सींचने का उल्लेखनीय कार्य कर रहा है। एक ओर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ समाज सेवा के कार्यों को गति देकर हर वर्ग को सशक्त बना रहा है, तो दूसरी ओर शैक्षणिक प्रयासों से देशहित के प्रति समर्पित देशभक्तों का निर्माण कर रहा है। संघ के हर एक कार्यकर्ता का समर्पण और बलिदान राष्ट्र निर्माण एवं विकास के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। विश्व के सबसे बड़े स्वयंसेवी संगठन के रूप में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ द्वारा किया गया हर प्रयास हमारे लिए एक प्रेरणा है। यह संगठन आज राष्ट्र की सांस्कृतिक और सामाजिक एकता का सशक्त प्रतीक है। संघ के अनुशासन, सेवा और राष्ट्रभक्ति के सिद्धांतों पर चलते हुए करोड़ों स्वयंसेवक देश की अखंडता, विकास और संस्कृति के लिए समर्पित हैं। संघ का यह प्रयास हर भारतीय के भीतर राष्ट्र के प्रति गौरव और जिम्मेदारी की भावना को प्रबल करता है। संघ के कार्यों से प्रेरित होकर हम सभी राष्ट्र को सशक्त और समृद्ध बनाने की दिशा में निरंतर प्रयासरत हैं।
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Sant rampal ji Maharaj
संत रामपाल जी महाराज के जो भगत भाई हैं वे अनुशासन से रहते हैं क्योंकि उनको सच्चा गुरु प्राप्त हुआ और सच्चा गुरु वही होता है जो सभी शास्त्रों का खोल करके प्रमाण सहित ज्ञान बताता है और मोच प्राप्ति करवाता है
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अनुशासन के आठ अंग
अष्टांग शब्द संस्कृत के दो शब्दों ‘अष्ट’और ‘अंग’से मिलकर बना है। ‘अष्ट’संख्या आठ को संदर्भित करती है जबकि ‘अंग’ का अर्थ है शरीर या अंग। इसलिए अष्टांग योग, योग के आठ अंगों का एक पूर्ण मिलन है जो कि योग सूत्रों के दर्शन की विभिन्न शाखाओं का प्रतिनिधित्व करते हैं। जीवन के विभिन्न क्षेत्र में अनुशासन के लिए महर्षि पतंजलि ने साधन पाद में इसके बारे में बताया है। योग दर्शन में वर्णित यह आठ अंग हैं यम, नियम, आसन, प्राणायाम, प्रत्याहार, धारणा, ध्यान और समाधि।
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विद्यार्थी जीवन में अनुशासन का महत्व: कैसे बनें एक अनुशासित छात्र?
अनुशासित छात्र लिखते हुए विद्यार्थी जीवन में अनुशासन के महत्व को जानें और सीखें कैसे बनें एक अनुशासित छात्र। यह लेख आपको सफलता के लिए आवश्यक कौशल और रणनीतियाँ प्रदान करेगा। विद्यार्थी जीवन एक महत्वपूर्ण समय होता है जो हमारे भविष्य की नींव रखता है। इस समय में अनुशासन का महत्व अत्यधिक होता है। यह लेख आपको बताएगा कि अनुशासन क्यों महत्वपूर्ण है और कैसे आप एक अनुशासित छात्र बन सकते हैं। आइए, इस…
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कुंडली में पितृ दोष क्या होता है? इसका निर्वाण कैसे किया जाता है?
कुंडली में "पितृ दोष" एक ज्योतिषीय परंपरागत अवधारित गुण है ��िसे किसी के जन्मपत्रिका में पितरों से संबंधित समस्याओं की सूचना के रूप में वर्णित किया जाता है। यह दोष व्यक्ति के पूर्वजों या पितृगण से संबंधित हो सकता है और उसके जीवन में कठिनाएँ उत्पन्न कर सकता है।
पितृ दोष के मुख्य कारणों में शामिल हो सकते हैं:
पितृ शाप: यदि किसी ने अपने पूर्वजों के प्रति अनुशासन न किया हो या किसी ने किसी पूर्वज को अनैतिक तरीके से मारा हो, तो ऐसे पितृ शाप का प्रभाव कुंडली में आ सकता है।
श्राद्ध न करना: श्राद्ध एक पितृ पूजा का रूप है जो पितृगण की आत्माओं की शांति के लिए की जाती है। यदि कोई व्यक्ति श्राद्ध नहीं करता है, तो इससे पितृ दोष उत्पन्न हो सकता है।
पितृ दोष का निर्वाण करने के लिए व्यक्ति कुछ उपाय कर सकता है:
श्राद्ध और पितृ पूजा: व्यक्ति को श्राद्ध और पितृ पूजा करना चाहिए। इससे पितृगण की आत्माओं को शांति मिलती है और दोष कम होता है।
दान और कर्म करना: व्यक्ति को दान और अच्छे कर्मों का पालन करना चाहिए। यह पितृगण को आत्मिक शांति देने में मदद कर सकता है।
ब्रह्मचर्य और ध्यान: व्यक्ति को ब्रह्मचर्य (ब्रह्मचरी जीवन) का पालन करना और ध्यान में रहना चाहिए। यह भी पितृ दोष को कम करने में सहायक हो सकता है।
यदि किसी को ऐसा लगता है कि उनकी कुंडली में पितृ दोष है और वह इससे प्रभावित हो रहे हैं, तो वह Kundli Chakra 2022 Professional की मदद ले सकते है। जिसकी मदद से तुम्हे। उपाए और सुझाव का पता चल सकता है। और आप अपनी सम्पूर्ण कुंडली के बारे में जानकरी जान सकते है।
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#Mysterious_Prophecies
महान धार्मिक नेता द ग्रेट शायरन की भविष्यवाणी
वह संत सभी को सामान कायदा नियम अनुशासन पालन करवा कर सत्य पथ पर लेगा मैं (नास्त्रेदमस )एक बात निर्विवाद सिद्ध करता हूं वह शायरन धार्मिक नेता नया ज्ञान आविष्कार करेगा।
#Great_Prophecies_2024
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लखनऊ, 13 दिसंबर 2024 | हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट द्वारा एल्डिको हाउसिंग एंड इंडस्ट्रीज लिमिटेड के वित्तीय सहयोग से राजकीय हाई स्कूल, धनुवासांड, मोहनलालगंज में निर्मित शौचालय का लोकार्पण मुख्य अतिथि आदरणीय श्री अशोक कुमार जी, माननीय न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त), अध्यक्ष, राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उत्तर प्रदेश द्वारा हुआ | कार्यक्रम का शुभारंभ मुख्य अतिथि आदरणीय श्री अशोक कुमार जी, माननीय न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त), अध्यक्ष, राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उत्तर प्रदेश, सुश्री चांदनी, एल्डिको हाउसिंग एंड इंडस्ट्रीज लिमिटेड, श्री हर्ष वर्धन अग्रवाल, प्रबंध न्यासी, हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट, श्रीमती प्रतिभा शुक्ला, प्रधानाचार्या, राजकीय हाई स्कूल, धनुवासांड, मोहनलालगंज, लखनऊ द्वारा राष्ट्रगान, दीप प्रज्ज्वलन एवं माँ सरस्वती की प्रतिमा पर पुष्प अर्पण से हुआ | मुख्य अतिथि का प्रतीक चिन्ह से सम्मान किया गया | स्कूल के छात्र-छात्राओं ने स्वागत गीत, स्वच्छता पर आधारित नाट्य प्रस्तुति की |
मुख्य अतिथि श्री अशोक कुमार ने अपने आशीर्वचन मे कहा कि, “हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट और एल्डिको हाउसिंग एंड इंडस्ट्रीज लिमिटेड के सहयोग से निर्मित यह शौचालय विद्यालय और समुदाय के लिए एक ऐतिहासिक कदम है । यह शौचालय न केवल स्वच्छता और स्वास्थ्य का प्रतीक है, बल्कि बच्चों के लिए एक सुरक्षित और सम्मानजनक वातावरण का भी आधार है । मैं हेल्प यू ट्रस्ट और एल्डिको हाउसिंग के प्रयासों की सराहना करता हूं, जिन्होंने इसे संभव बनाया । यह केवल एक संरचना नहीं, बल्कि स्वच्छता, स्वास्थ्य और सम्मान की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है । शौचालय का उपयोग करना और उसे स्वच्छ रखना हम सभी का कर्तव्य है । स्वच्छता केवल एक आदत नहीं, बल्कि एक जीवनशैली है । सीमित संसाधनों के बावजूद इस विद्यालय में अनुशासन और स्वच्छता पर जो ध्यान दिया जा रहा है, वह प्रेरणादायक है । एक कविता के माध्यम से मैं कहना चाहूंगा:
पगडंडियां छूट गईं, सड़कों पर जाम बहुत है,
फुर्सत कम और काम बहुत है ।
सुख-सुविधाओं का अंबार है,
लेकिन इंसान परेशान बहुत है ।
हमें अपनी जिम्मेदारियों को समझते हुए उपलब्ध संसाधनों का सही उपयोग करना चाहिए । आइए, मिलकर स्वच्छता को अपनी आदत और संस्कृति का हि��्सा बनाएं ।“
श्री हर्ष वर्धन अग्रवाल ने कहा कि, “इस शौचालय के निर्माण का उद्देश्य विद्यालय में स्वच्छता की स्थिति को बेहतर बनाना और विद्यार्थियों मे स्वास्थ्य और स्वच्छता के प्रति जागरूकता बढ़ाना है । यह परियोजना छात्रों और समुदाय के लिए एक आदर्श उदाहरण प्रस्तुत करती है । इस पहल से न केवल विद्यालय के विद्यार्थियों को लाभ होगा, बल्कि स्थानीय समुदाय को भी स्वच्छता और स्वास्थ्य संबंधी सकारात्मक प्रभाव देखने को मिलेगा । हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट और एल्डिको हाउसिंग एंड इंडस्ट्रीज लिमिटेड ने सामूहिक रूप से इस परियोजना को सफलतापूर्वक पूरा किया, जो समाज को स्वच्छता और स्वास्थ्य के प्रति एक नई दिशा प्रदान करता है ।
बता दे कि हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट की स्थापना 2012 में लखनऊ, उत्तर प्रदेश में जनहित और जनकल्याण के उद्देश्य से की गई थी । पिछले 12 वर्षों में, इस ट्रस्ट ने उत्तर प्रदेश में एक सम्मानित जनकल्या���कारी संस्था के रूप में अपनी पहचान बनाई है । ट्रस्ट, आदरणीय संरक्षक पद्मभूषण स्वर्गीय गोपाल दास नीरज, पद्मश्री स्वर्गीय अनवर जलालपुरी, और पद्मश्री अनूप जलोटा के मार्गदर्शन में, राष्ट्रीय स्तर पर शैक्षिक, सांस्कृतिक, और सामाजिक उन्नति के लिए सक्रिय है । ट्रस्ट “सबका साथ, सबका विश्वास, सबका विकास, सबका प्रयास” को अपना आदर्श मानते हुए कई कल्याणकारी योजनाएं चला रहा है, जैसे सिया राम की रसोई, वस्त्र वितरण, रक्तदान, बाल गोपाल शिक्षा योजना और जनहित जागरूकता अभियान । कोरोना महामारी के दौरान, ट्रस्ट ने जरूरतमंदों को भोजन, मास्क, सैनिटाइजर, और अन्य आवश्यक सामग्री प्रदान करके अपनी जनसेवा की प्रतिबद्धता को सिद्ध किया । ट्रस्ट ने लखनऊ में वृद्धा आश्रम, अनाथालय, भगवत गीता सेंटर, और हेल्प यू एकेडमी ऑफ स्पिरिचुअल म्यूजिक जैसी परियोजनाओं को प्रारंभ किया है और देशभर की राजधानियों और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी कार्यालय स्थापित कर रहा है । ट्रस्ट की प्रबंध समिति में श्रीमती किरन अग्रवाल, श्री हर्ष वर्धन अग्रवाल और डॉ. रूपल अग्रवाल की सक्रिय भूमिका, साथ ही पद्मश्री अनूप जलोटा का मार्गदर्शन, इसे निरंतर नई ऊंचाइयों पर ले जा रहा है ।“
कार्यक्रम में सुश्री चांदनी, एल्डिको हाउसिंग एंड इंडस्ट्रीज लिमिटेड, ने कहा कि, “स्वच्छता और स्वास्थ्य के प्रति हमारी प्रतिबद्धता समाज को एक बेहतर दिशा में प्रेरित करती है । एल्डिको ने हमेशा समाज की भलाई को प्राथमिकता दी है, और यह शौचालय उसी भावना का प्रतीक है । हेल्प यू ट्रस्ट के प्रति मैं आभार व्यक्त करती हूं, जिन्होंने इस परियोजना को सफलतापूर्वक क्रियान्वित किया । मेरा सभी से अनुरोध है कि इस शौचालय को स्वच्छ और व्यवस्थित बनाए रखें । स्वच्छता केवल हमारी आदत नहीं, बल्कि हमारी जिम्मेदारी है और इसे बनाए रखना हमारे स्वास्थ्य और पर्यावरण के लिए अत्यंत आवश्यक है ।"
स्कूल की प्रधानाचार्या, श्रीमती प्रतिभा शुक्ला ने मुख्य अतिथि, एल्डिको हाउसिंग एंड इंडस्ट्रीज लिमिटेड और हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट का धन्यवाद किया । उन्होंने कहा कि, “शौचालय के निर्माण से विद्यालय में स्वच्छता के प्रति जागरूकता निश्चित रूप से बढ़ेगी और बच्चे अपने आसपास के वातावरण को स्वच्छ रखने के लिए प्रतिबद्ध होंगे ।“
कार्यक्रम में श्री अशोक कुमार जी, माननीय न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त), अध्यक्ष, राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उत्तर प्रदेश, सुश्री चांदनी, एल्डिको हाउसिंग एंड इंडस्ट्रीज लिमिटेड, श्री हर्ष वर्धन अग्रवाल, प्रबंध न्यासी, हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट, श्रीमती प्रतिभा शुक्ला, प्रधानाचार्या, राजकीय हाई स्कूल, शिक्षकों, छात्र-छात्राओं व ट्रस्ट के स्वयंसेवकों की गरिमामयी उपस्थिति रही ।
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#त्याग #बलिदान #राष्ट्रसेवा #निष्ठा एवं #अनुशासन के मूलमंत्र से करोड़ों भारतीयों को #मातृभूमि की सेवा के लिए प्रेरित करने वाले #विश्व के सबसे बड़े #स्वयंसेवी_राष्ट्रवादी_संगठन तथा #राष्ट्रहित के लिए सदैव समर्पित #राष्ट्रीय_स्वयंसेवक_संघ' के स्थापना दिवस की सभी स्वयंसेवकों को हार्दिक बधाई व शुभकामनाएँ ।
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भारतीय महिला खो-खो टीम ने रचा इतिहास: विश्व कप जीत का जश्न पूरे भारत में मनाया गया — कर्नल राज्यवर्धन राठौड़
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भारतीय महिला खो-खो टीम ने अपनी शानदार प्रदर्शन से इतिहास रचते हुए विश्व कप का खिताब जीत लिया है। यह जीत न केवल खेल के क्षेत्र में एक बड़ी उपलब्धि है, बल्कि भारत की समृद्ध सांस्कृतिक और खेल परंपरा के प्रति गौरव का क्षण भी है। पूरे देश में इस ऐतिहासिक जीत का जश्न मनाया गया और खिलाड़ियों की मेहनत और समर्पण को सराहा गया।
कर्नल राज्यवर्धन राठौर ने दी टीम को बधाई
ओलंपियन और पूर्व केंद्रीय खेल मंत्री कर्नल राज्यवर्धन राठौड़ ने महिला टीम को इस ऐतिहासिक जीत पर हार्दिक बधाई दी। उन्होंने कहा: “यह जीत न केवल इन खिलाड़ियों के कठिन परिश्रम और अनुशासन का परिणा�� है, बल्कि यह भारत के पारंपरिक खेलों के पुनर्जागरण का प्रतीक भी है। यह हर युवा खिलाड़ी के लिए प्रेरणा है कि देशी खेलों में भी विश्व स्तर पर पहचान बनाई जा सकती है।”
उन्होंने यह भी कहा कि सरकार और समाज को ऐसे खेलों को बढ़ावा देने के लिए अधिक संसाधन और अवसर प्रदान करने चाहिए।
भारतीय महिला खो-खो टीम की इस शानदार जीत ने न केवल खिलाड़ियों को गौरवान्वित किया है, बल्कि पूरे देश को अपने खेलों की विरासत पर गर्व करने का अवसर दिया है।
आइए, इस उपलब्धि से प्रेरणा लेकर हम पारंपरिक खेलों को बढ़ावा दें और सुनिश्चित करें कि भारत का हर खिलाड़ी विश्व मंच पर अपने कौशल और संस्कृति का झंडा ऊंचा करे।
जय हिंद! जय भारत!
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