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#आत्म-विकास
vlogrush · 3 months
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विद्यार्थी जीवन में अनुशासन का महत्व: कैसे बनें एक अनुशासित छात्र?
अनुशासित छात्र लिखते हुए विद्यार्थी जीवन में अनुशासन के महत्व को जानें और सीखें कैसे बनें एक अनुशासित छात्र। यह लेख आपको सफलता के लिए आवश्यक कौशल और रणनीतियाँ प्रदान करेगा। विद्यार्थी जीवन एक महत्वपूर्ण समय होता है जो हमारे भविष्य की नींव रखता है। इस समय में अनुशासन का महत्व अत्यधिक होता है। यह लेख आपको बताएगा कि अनुशासन क्यों महत्वपूर्ण है और कैसे आप एक अनुशासित छात्र बन सकते हैं। आइए, इस…
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positivemen · 1 year
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नकरात्मक विचारों को कैसे परास्त करें: एक व्यक्तिगत अनुभव*
परिचय:**
नमस्कार दोस्तों,
आज हम बात करेंगे एक ऐसे विषय पर जो हर किसी के मन में कभी न कभी आता है - नकरात्मक विचार। ये विचार हमारे मन में आकर्षण पैदा करते हैं, लेकिन उनसे छुटकारा पाने का रास्ता कहां है, इस पर हम विचार करेंगे। मैं अपने व्यक्तिगत अनुभव से आपको बताने वाला हूं कि कैसे मैंने नकरात्मक विचारों को समझा और उनसे निपटने के लिए कुछ उपायों का इस्तेमाल किया।
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helputrust · 4 months
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लखनऊ, 17.05.2024 । माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी की मुहिम आत्मनिर्भर भारत को साकार करने तथा महिला सशक्तिकरण हेतु गो कैंपेन (अमेरिकन संस्था) के सहयोग से हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट तथा रेड ब्रिगेड ट्रस्ट के संयुक्त तत्वावधान में महात्मा गांधी इंटर कॉलेज, मलिहाबाद, लखनऊ में आत्मरक्षा कार्यशाला आयोजित की गई जिसमे 43 छात्राओं ने मेरी सुरक्षा, मेरी ज़िम्मेदारी मंत्र को अपनाते हुए आत्मरक्षा के गुर सीखे तथा वर्तमान परिवेश में आत्मरक्षा प्रशिक्षण के महत्व को जाना ।
कार्यशाला का शुभारंभ राष्ट्रगान से हुआ तथा महात्मा गांधी इंटर कॉलेज के प्रधानाचार्य डॉ रवीन्द्र कुमार त्रिपाठी शिक्षकों एवं रेड ब्रिगेड से तंजीम अख्तर ने दीप प्रज्वलित किया ।
महात्मा गांधी इंटर कॉलेज के प्रधानाचार्य डॉ रवीन्द्र कुमार त्रिपाठी ने हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट का धन्यवाद करते हुए कहा कि, "महिलाओं के योगदान के बिना किसी भी समाज की समृद्धि संभव नहीं है । आज का समय नारी सशक्तिकरण का है जहां हर एक महिला को अपने सपनों को पूरा करने का अधिकार है । हमें देश के युवा वर्ग को सिखाना चाहिए कि महिलाओं का सम्मान करना केवल एक उत्कृष्टता का प्रतीक नहीं है बल्कि यह समाज के संगठन में एक अहम अंग है । हमारे समाज में अनेक महिलाएं हैं जो अपनी क्षमताओं और ताकत को पहचान चुकी हैं । हमें उनका उचित समर्थन करना चाहिए ताकि वे अपने सपनों को पूरा कर सकें और समाज हित में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकें । हमें समाज में सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक क्षेत्रों में महिलाओं के साथ समानता और न्याय का संवाद बढ़ाना होगा । इसी उत्साह और जागरूकता के साथ हम सभी को महिलाओं के प्रति समर्थन का संकल्प लेना चाहिए । यह हमारे समाज की निरंतर प्रगति और विकास की दिशा में महत्वपूर्ण कदम होगा ।"
कार्यशाला में रेड ब्रिगेड ट्रस्ट के प्रमुख श्री अजय पटेल ने बालिकाओं को आत्मरक्षा प्रशिक्षण के महत्व को बताते हुए कहा कि, "किसी पर भी अन्याय तथा अत्याचार किसी सभ्य समाज की निशानी नहीं हो सकती हैं, फिर समाज के एक बहुत बड़े भाग यानि स्त्रियों के साथ ऐसा करना प्रकृति के विरुद्ध हैं | महिलाओं एवं बालिकाओं के खिलाफ देश में हो रहे अत्याचारों को रोकने के लिए भारत सरकार द्वारा अनेक कदम उठाए गए हैं तथा सरकार निरंतर महिलाओं को आत्मनिर्भर एवं सशक्त बनाने के लिए कई योजनाएं चला रही है लेकिन यह अत्यंत दुख की बात है कि हमारा समाज 21वीं सदी में जी रहा है लेकिन कन्या भ्रूण हत्या व लैंगिक भेदभाव के कुचक्र से छूट नहीं पाया है | आज भी देश के तमाम हिस्सों में बेटी के पैदा होते ही उसे मार दिया जाता है या बेटी और बेटे में भेदभाव किया जाता है | महिलाओं के साथ घरेलू हिंसा होती है तथा उनको एक स्त्री होने की बहुत बड़ी कीमत चुकानी पड़ती है | आत्मरक्षा प्रशिक्षण समय की जरूरत बन चुका है क्योंकि यदि महिला अपनी रक्षा खुद करना नहीं सीखेगी तो वह अपनी बेटी को भी अपने आत्म सम्मान के लिए लड़ना नहीं सिखा पाएगी | आज किसी भी क्षेत्र में नजर उठाकर देखियें, नारियां पुरुषों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर प्रगति में समान की भागीदार हैं | फिर उन्हें कमतर क्यों समझा जाता है यह विचारणीय हैं | हमें उनका आत्मविश्वास बढाकर, उनका सहयोग करके समाज की उन्नति के लिए उन्हें साहस और हुनर का सही दिशा में उपयोग करना सिखाना चाहिए तभी हमारा समाज प्रगति कर पाएगा | आत्मरक्षा प्रशिक्षण कार्यशाला आयोजित करने का हमारा यही मकसद है कि हम ज्यादा से ज्यादा बालिकाओं और महिलाओं को आत्मरक्षा के गुर सिखा सके तथा समाज में उन्हें आत्म सम्मान के साथ जीना सिखा सके |"
आत्मरक्षा प्रशिक्षण की प्रशिक्षिका तंजीम अख्तर ने लड़कियों को आत्मरक्षा के गुर सिखाते हुए लड़कों की मानसिकता के बारे में अवगत कराया तथा उन्हें हाथ छुड़ाने, बाल पकड़ने, दुपट्टा खींचने से लेकर यौन हिंसा एवं बलात्कार से किस तरह बचा जा सकता है यह अभ्यास के माध्यम से बताया |
कार्यशाला के अंत में सभी प्रतिभागियों को सहभागिता प्रमाण पत्र वितरित किये गये ।
कार्यशाला में महात्मा गांधी इंटर कॉलेज के प्रधानाचार्य डॉ रवीन्द्र कुमार त्रिपाठी, शिक्षकों श्री अरुन कुमार वर्मा, श्री पप्पू कुमार, चमन आरा जी, श्रीमती वैशाली गुप्ता, फौजिया वसी जी, सुश्री सरला देवी, सुश्री समा कौसर, छात्राओं, रेड ब्रिगेड ट्रस्ट से श्री अजय पटेल, तंजीम अख्तर तथा हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट के स्वयंसेवकों की गरिमामयी उपस्थिति रही l
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geeta1726 · 8 months
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शादी से पहले कुंडली मिलन के बावजूद इतने ज्यादा तलाक और पति-पत्नी में विचारों में असामानता क्यों होती है? क्या कुंडली मिलन एक वहम है?
शादी से पहले कुंडली मिलन और शादी के बाद होने वाले तलाक या विचारों में असामानता के बीच कोई सीधा संबंध नहीं होता है, और इसमें कई कारण हो सकते हैं।
सामाजिक और आर्थिक परिस्थितियां: शादी के बाद कई बार सामाजिक और आर्थिक परिस्थितियां बदल सकती हैं जो दोनों पति-पत्नी को समझने और समर्थन करने में मदद कर सकती हैं, या उन्हें एक दूसरे के साथ समस्याओं का सामना करने में कठिना�� पैदा कर सकती हैं।
व्यक्तिगत विकास: शादी के बाद, व्यक्तिगत विकास में अलग-अलग राहें हो सकती हैं जिससे दोनों की आत्म-समझ और दृष्टिकोण में बदलाव हो सकता है।
संबंधों में संवाद की कमी: संबंधों में संवाद की कमी या सही तरीके से समस्याओं का सामना नहीं करना भी एक कारण हो सकता है।
कुंडली मिलन एक वैज्ञानिक योजना नहीं है, और इसे सिर्फ एक व्यक्ति के जीवन में होने वाले घटनाओं को पूर्वानुमान करने का प्रयास माना जाता है। यह भारतीय ज्योतिष शास्त्र का हिस्सा है जिसमें ग्रहों और नक्षत्रों की स्थिति का अध्ययन किया जाता है। हालांकि, इसे विशेषज्ञता के रूप में न लेकर और भी कई कारण हो सकते हैं जो संबंधों में समस्याएँ उत्पन्न कर सकते हैं।
अच्छे और सुखद जीवन के लिए संबंधों में संवाद, समझदारी, और समर्थन महत्वपूर्ण होते हैं, जो व्यक्तिगत और सामाजिक परिस्थितियों पर निर्भर करते हैं।
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chaitanyavijnanam · 7 days
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आत्म यात्रा रहस्य-2 Hindi Youtube Shorts (Soul Journey Secrets-2 English Youtube Shorts)
🌹 आत्म यात्रा रहस्य-2 - आत्म यात्रा साधनाएं 🌹
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🌹 आत्म यात्रा रहस्य-2 - अहंकार को दूर करें 🌹
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🌹 आत्म यात्रा रहस्य-2 - सुबह-दोपहर का उपमा 🌹
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🌹 आत्म यात्रा रहस्य-2 - विनम्रता और मौन 🌹
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🌹 आत्म यात्रा रहस्य-2 - निरंतर विकास 🌹
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deshbandhu · 11 days
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Rambhadra ka Jeevan Darshan: Ek Preranaadaayak Gaatha
रामभद्र का जीवन दर्शन भारतीय संस्कृति और धर्म में एक ऐसा अनमोल रत्न है, जो अनंत काल से हर युग और पीढ़ी के लिए प्रेरणा का स्रोत बना हुआ है। "रामाय रामभद्राय रामचंद्राय वेधसे" इस मंत्र के माध्यम से हम उस दिव्य चेतना की ओर आकर्षित होते हैं, जो धर्म, सत्य, और न्याय की प्रतिमूर्ति मानी जाती है। यह दर्शन न केवल एक व्यक्ति के जीवन को सुधारने का माध्यम है, बल्कि यह एक समाज, एक राष्ट्र, और समग्र मानवता के कल्याण की अवधारणा को भी समेटे हुए है।
धर्म और कर्तव्य के प्रतीक
रामभद्र के जीवन का सबसे प्रमुख पहलू धर्म और कर्तव्य के प्रति उनकी अटूट निष्ठा है। उन्होंने हमेशा धर्म और न्याय के मार्ग पर चलते हुए कठिन से कठिन परिस्थितियों का सामना किया। उनके जीवन में आए अनेक संघर्ष और चुनौतियाँ यह दिखाते हैं कि चाहे कैसी भी परिस्थिति हो, धर्म का पालन करना ही मानव जीवन का सर्वोच्च लक्ष्य होना चाहिए। यह जीवन दर्शन हमें सिखाता है कि व्यक्ति को अपने कर्तव्यों का पालन बिना किसी भेदभाव, भय, या पक्षपात के करना चाहिए।
यह संदेश विशेष रूप से उन लोगों के लिए प्रासंगिक है जो अपने जीवन में चुनौतियों का सामना कर रहे हैं। जब हम रामभद्र के जीवन को देखते हैं, तो हमें यह समझ में आता है कि कठिनाइयाँ और संघर्ष केवल बाहरी नहीं होते, बल्कि आंतरिक भी होते हैं। अपने कर्तव्यों के प्रति समर्पण ही इन संघर्षों को सुलझाने का मार्ग है। "रामाय रामभद्राय रामचंद्राय वेधसे" मंत्र इस दिव्यता का स्मरण कराता है, जो हमें कर्तव्य पथ पर अडिग बनाए रखता है।
मर्यादा और संयम का महत्व
रामभद्र का जीवन मर्यादा और संयम का प्रतीक है। उन्होंने जीवन में आने वाली सभी कठिनाइयों का सामना करते हुए अपने आचरण और व्यवहार में सदैव मर्यादा बनाए रखी। चाहे वह व्यक्तिगत संबंधों की बात हो, सामाजिक दायित्वों की बात हो, या राज्य के प्रति उत्तरदायित्व की, उन्होंने कभी भी अपनी मर्यादा का उल्लंघन नहीं किया। उनके जीवन से यह सीख मिलती है कि व्यक्ति को अपने जीवन में अनुशासन और संयम का पालन करना चाहिए, क्योंकि ये ही वो गुण हैं जो एक समाज को स्थिरता और शांति प्रदान करते हैं।
मर्यादा पुरुषोत्तम के रूप में रामभद्र का आदर्श जीवन यह दर्शाता है कि मर्यादा का पालन करना न केवल एक व्यक्तिगत आदर्श है, बल्कि यह सामाजिक व्यवस्था को बनाए रखने का आधार भी है। एक व्यक्ति का संयम और अनुशासन उसके चारों ओर के लोगों पर सकारात्मक प्रभाव डालता है, और यही रामभद्र का जीवन हमें सिखाता है। "रामाय रामभद्राय रामचंद्राय वेधसे" मंत्र में संचित यह संदेश हमें यह बताता है कि मर्यादा और संयम किसी भी व्यक्ति या समाज के जीवन को आदर्श बना सकते हैं।
सत्य और न्याय की स्थापना
रामभद्र का जीवन सत्य और न्याय की स्थापना के लिए प्रेरणा का स्रोत है। उनके द्वारा लिए गए प्रत्येक निर्णय में सत्य और न्याय को सर्वोच्च स्थान दिया गया। उन्होंने कभी भी व्यक्तिगत हितों को धर्म और न्याय के ऊपर नहीं रखा। यह जीवन दर्शन हमें यह सिखाता है कि सत्य और न्याय की स्थापना किसी भी समाज के विकास और कल्याण का आधार है। सत्य को पहचानने और उसे आत्मसात करने की जो शक्ति रामभद्र के जीवन में दिखती है, वही शक्ति आज के समाज में भी आवश्यक है।
समाज में अन्याय और अधर्म के विरुद्ध खड़े होने का साहस भी रामभद्र से सीखा जा सकता है। "रामाय रामभद्राय रामचंद्राय वेधसे" मंत्र हमें याद दिलाता है कि सत्य और न्याय की रक्षा के लिए हमें सदैव तैयार रहना चाहिए। यह जीवन दर्शन न केवल एक व्यक्तिगत स्तर पर बल्कि समाज के सामूहिक स्तर पर भी सत्य और न्याय की स्थापन का संदेश देता है।
त्याग और समर्पण का महत्व
रामभद्र का जीवन त्याग और समर्पण का उत्कृष्ट उदाहरण है। उन्होंने अपने व्यक्तिगत सुखों और इच्छाओं को हमेशा समाज और परिवार के हितों के लिए त्याग दिया। उनके इस त्याग और समर्पण ने उन्हें एक आदर्श के रूप में स्थापित किया, जिसे हर युग में प्रेरणा के रूप में देखा जाता है। यह दर्शन हमें यह सिखाता है कि कभी-कभी व्यक्तिगत इच्छाओं को त्यागकर समाज और परिवार के कल्याण के लिए समर्पण करना आवश्यक होता है।
त्याग और समर्पण का यह गुण व्यक्ति को आत्म-नियंत्रण और आत्म-साक्षात्कार की ओर ले जाता है। यह गुण न केवल आत्म-संतोष प्रदान करता है, बल्कि दूसरों के जीवन को भी प्रभावित करता है। "रामाय रामभद्राय रामचंद्राय वेधसे" इस मंत्र में निहित यह संदेश हमें त्याग और समर्पण के महत्व को समझने और उसे अपने जीवन में अपनाने के लिए प्रेरित करता है।
भक्ति और आदर्श जीवन की प्रेरणा
रामभद्र का जीवन भक्ति और आदर्श जीवन की प्रेरणा देता है। उन्होंने अपने जीवन में भगवान के प्रति अटूट भक्ति और श्रद्धा को बनाए रखा, चाहे परिस्थितियाँ कितनी भी प्रतिकूल क्यों न हों। उनका जीवन इस बात का प्रतीक है कि भक्ति के मार्ग पर चलकर ही व्यक्ति अपने जीवन के सभी कष्टों और बाधाओं को पार कर सकता है। भक्ति का यह मार्ग व्यक्ति को मानसिक शांति और स्थिरता प्रदान करता है, जो जीवन की हर चुनौती का सामना करने में सहायक होता है।
रामभद्र के जीवन दर्शन से यह स्पष्ट होता है कि आदर्श जीवन वही है, जो न केवल धर्म और सत्य के मार्ग पर चले, बल्कि भक्ति और समर्पण के साथ जिए। "रामाय रामभद्राय रामचंद्राय वेधसे" मंत्र में यह संदेश निहित है कि भक्ति और आस्था के बिना जीवन अधूरा है, और यही आस्था व्यक्ति को आत्मिक संतोष और जीवन की पूर्णता प्रदान करती है।
निष्कर्ष
रामभद्र का जीवन दर्शन एक ऐसी प्रेरणादायक गाथा है, जो हर व्यक्ति के जीवन को सही दिशा में ले जाने का मार्गदर्शन करती है। धर्म, सत्य, न्याय, मर्यादा, संयम, त्याग, समर्पण, और भक्ति के गुण उनके जीवन में प्रत्यक्ष रूप से दिखते हैं, जो हमें यह सिखाते हैं कि एक आदर्श जीवन कैसा होना चाहिए। "रामाय रामभद्राय रामचंद्राय वेधसे" यह मंत्र हमें रामभद्र के जीवन दर्शन की उस दिव्यता का स्मरण कराता है, जो हमारे जीवन को बेहतर, अधिक संतुलित, और आध्यात्मिक रूप से संपन्न बना सकता है।
रामभद्र के जीवन दर्शन का यह संदेश न केवल हमारे व्यक्तिगत जीवन को सुधारने के लिए है, बल्कि यह पूरे समाज और मानवता के कल्याण के लिए एक प्रकाश स्तंभ है। उनका जीवन हमें यह सिखाता है कि सच्चा सुख और शांति केवल धर्म, सत्य, और भक्ति के मार्ग पर चलकर ही प्राप्त किया जा सकता है।
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school56df · 23 days
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छात्र क्लबों में शामिल होने के लाभ: पाठ्येतर गतिविधियां कैसे सफलता बढ़ाती हैं कॉलेज अनुप्रयोगों को बढ़ावा देने के लिए हाई स्कूल के छात्रों के लिए सर्वोत्तम पाठ्येतर गतिविधियाँ
कॉलेज अनुप्रयोगों को बढ़ावा देने के लिए हाई स्कूल के छात्रों के लिए सर्वोत्तम पाठ्येतर गतिविधियाँपाठ्येतर गतिविधियाँ छात्रों के समग्र विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं, जो शैक्षिक गतिविधियों से दूर रहने के अलावा और भी बहुत कुछ प्रदान करती हैं। इन खेलों में खेल गतिविधियों और मानविकी से लेकर क्लबों और सामुदायिक प्रदाताओं तक व्यापक प्रकार की रुचियां शामिल हैं, प्रत्येक छात्र के विकास में विशिष्ट योगदान देता है। यह संपूर्ण मार्गदर्शिका पाठ्येतर खेलों में सहयोग करने के असंख्य लाभों की पड़ताल करती है और यह जानकारी देती है कि छात्र व्यक्तिगत और व्यावसायिक विकास के लिए अपनी भागीदारी को अधिकतम कैसे कर सकते हैं।
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व्यापक क्षितिज विविध अनुभवों का मूल्य पाठ्येतर खेलों के नंबर एक लाभों में से एक पारंपरिक शैक्षिक पाठ्यक्रम से परे गतिविधियों की खोज करने की संभावना है। चाहे वह वाद-विवाद क्लब में शामिल होना हो, रोबोटिक्स समूह में भाग लेना हो, या पर्यावरण की वकालत में शामिल होना हो, ये गतिविधियाँ कॉलेज के छात्रों को अपने जुनून का पता लगाने और उसे विकसित करने की अनुमति देती हैं। यह अन्वेषण महत्वपूर्ण है क्योंकि यह छात्रों को उनकी ताकत, विकल्प और क्षमता वाले करियर पथ खोजने में मदद करता है।उदाहरण के लिए, वाद-विवाद सदस्यता में भाग लेने वाला एक छात्र अतिरिक्त रूप से उन्नत सार्वजनिक भाषण और आलोचनात्मक सोचने की क्षमताओं को बढ़ा सकता है, जो किसी भी विशेषज्ञ क्षेत्र में मूल्यवान हैं। इसी तरह, ट्रैक समूह में शामिल होने से रचनात्मकता और टीम सहयोग बढ़ सकता है। ये अध्ययन विद्यार्थी के भाग्य, पेशे और व्यक्तिगत विकास को आकार देने में सहायक होते हैं।
कौशल विकास: कक्षा से परे
पाठ्येतर गतिविधियाँ कॉलेज के छात्रों को उन क्षमताओं की एक श्रृंखला का विस्तार करने का मौका देती हैं जिन पर अक्सर पारंपरिक अध्ययन कक्ष सेटिंग्स में जोर नहीं दिया जाता है। इसमे शामिल है
नेतृत्व कौशल कई पाठ्येतर खेल, जिनमें छात्र सरकार या गतिविधियों का आयोजन शामिल है, में कॉलेज के छात्रों को नेतृत्व की भूमिका निभाने की आवश्यकता होती है। ये अध्ययन टीमों का नेतृत्व करने, कार्यों का प्रबंधन करने और विकल्प चुनने के तरीके का अध्ययन करने के लिए सार्थक हैं।
समय प्रबंधन शैक्षिक दायित्वों के साथ पाठ्येतर प्रतिबद्धताओं को संतुलित करना कॉलेज के छात्रों को कर्तव्यों को प्राथमिकता देने, अपने समय को प्रभावी ढंग से प्रबंधित करने और समय सीमा को पूरा करने का तरीका सिखाता है।
टीम वर्क और सहयोग खेल टीमों, थिएटर एजेंसियों और शैक्षिक क्लबों के साथ गतिविधियाँ एक सामान्य उद्देश्य की दिशा में सामूहिक रूप से काम करने के महत्व पर जोर देती हैं। ये समीक्षाएँ टीम वर्क, संचार और पारस्परिक क्षमताओं को बढ़ावा देती हैं। समस्या-समाधान क्षमताएँ कोडिंग क्लब या तकनीकी ज्ञान समारोह जैसे खेलों में भागीदारी छात्रों को जटिल समस्याओं से निपटने और रचनात्मक तरीके से सोचने के लिए प्रोत्साहित करती है। ये समस्या-समाधान दक्षताएँ निर्देशात्मक और व्यावसायिक दोनों सेटिंग्स में महत्वपूर्ण हैं।
भावनात्मक और सामाजिक विकास: आत्मविश्वास और मित्रता का निर्माण पाठ्येतर गतिविधियाँ कॉलेज के बच्चों को आत्म-विश्वास बनाने और सार्थक रिश्ते बनाने के लिए एक मंच प्रदान करती हैं। स्कूल के बाहर की गतिविधियों में शामिल होने से कॉलेज के छात्रों को मदद मिल सकती है
आत्म-सम्मान बनाएँ किसी संग्रह या मिशन में सफलतापूर्वक सहयोग करना और योगदान देना एक छात्र के आत्म-सम्मान और आत्म-विश्वास को काफी हद तक बढ़ा सकता है। यह नया आत्म-आश्वासन नियमित रूप से बेहतर शैक्षिक समग्र प्रदर्शन और निजी बातचीत में तब्दील होता है।सामाजिक कौशल विकसित करेंपाठ्येतर खेल समान समय बिताने वाले साथियों से मिलने, नई दोस्ती को बढ़ावा देने और सामाजिक कौशल में सुधार करने के कई अवसर प्रदान करते हैं। इन अंतःक्रियाओं के परिणामस्वरूप एक अतिरिक्त समावेशी और सहायक सामाजिक वातावरण बन सकता है।
तनाव का प्रबंधन करें मनोरंजन या खेल-कूद में संलग्न होना एक प्रभावी तनाव-निवारक के रूप में काम कर सकता है। इन गतिविधियों से प्राप्त उपलब्धि और अवकाश की भावना छात्रों को निर्देशात्मक दबावों से निपटने और स्वस्थ स्थिरता बनाए रखने में मदद कर सकती है। कॉलेज और कैरियर की संभावनाओं को बढ़ाना: एक मजबूत छाप छोड़ना कॉलेज और नियोक्ता अधिक से अधिक उम्मीदवारों की दयालुता को महत्व देते हैं। पाठ्येतर गतिविधियों में सक्रिय भागीदारी कई प्रकार के गुणों का प्रदर्शन करके छात्र की उपयोगिता को बढ़ा सकती है प्रतिबद्धता और समर्पण किसी चयनित गतिविधि में दीर्घकालिक भागीदारी प्रतिबद्धता और ��क मजबूत कार्य नीति का सुझाव देती है। इस इच्छाशक्ति को प्रवेश समितियों और नियोक्ताओं द्वारा अत्यधिक महत्व दिया जाता है।
पाठ्येतर गतिविधियाँ एक छात्र के कई अतीत और दक्षताओं को प्रदर्शित करती हैं, जिससे उनका अनुप्रयोग विशिष्ट हो जाता है। उदाहरण के लिए, प्रत्येक बहस और नेटवर्क वाहक में अनुभव वाला एक छात्र बहुमुखी प्रतिभा और एक पूर्ण चरित्र का प्रदर्शन करता है।
वास्तविक दुनिया का अनुभव छात्र एजेंसियों में इंटर्नशिप, स्वयंसेवा, या प्रबंधन भूमिकाओं से युक्त गतिविध���याँ व्यावहारिक आनंद प्रदान करती हैं जो सीधे नियति कैरियर की इच्छाओं पर लागू हो सकती हैं। ये अध्ययन अतिरिक्त रूप से मूल्यवान नेटवर्किंग संभावनाएं प्रदान करते हैं।
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bhojrajsahu · 1 month
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आदि सनातन धर्म के मुख्य सिद्धांत हैं: ⤵️
1. सर्वोच्च भगवान आदि राम की पूजा और उपासना
2. जीवन में सच्ची शांति और सुख की प्राप्ति
3. सभी जीवों के प्रति प्रेम और करुणा
4. अहिंसा और शाकाहारी जीवनशैली का पालन
5. आत्म-ज्ञान और आध्यात्मिक विकास की प्राप्ति
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samparkpanditji · 4 months
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आत्मशक्ति और उत्कृष्टता की ऊँचाइयों के प्रेरणास्त्रोत स्वामी विवेकानंद
स्वामी विवेकानंद का नाम भारतीय इतिहास में आत्मशक्ति और उत्कृष्टता की ऊँचाइयों के प्रेरणास्त्रोत स्वामी विवेकानंद के रूप में अंकित है। उनका जीवन और उनके उपदेश लाखों लोगों के लिए प्रेरणा का स्रोत रहे हैं। स्वामी विवेकानंद का जन्म 12 जनवरी 1863 को कोलकाता में हुआ था और उनका वास्तविक नाम नरेंद्रनाथ दत्त था। वे बचपन से ही ज्ञान के प्रति अत्यंत जिज्ञासु थे और आध्यात्मिक उन्नति की ओर उनका झुकाव स्पष्ट था।
स्वामी विवेकानंद ने युवाओं को आत्मशक्ति और उत्कृष्टता की ऊँचाइयों के प्रेरणास्त्रोत स्वामी विवेकानंद बनने का संदेश दिया। उन्होंने सिखाया कि हर व्यक्ति में अपार शक्ति और क्षमता होती है, जिसे पहचानकर और विकसित करके हम जीवन में महान ऊँचाइयों को छू सकते हैं। उनका संदेश था कि आत्मविश्वास और आत्म-निर्भरता के माध्यम से हम अपनी हर चुनौती का सामना कर सकते हैं।
उन्होंने 1893 में शिकागो में विश्व धर्म महासभा में भारत का प्रतिनिधित्व किया और वहां अपने ऐतिहासिक भाषण से दुनिया को भारतीय संस्कृति और अध्यात्म का परिचय कराया। उनके विचार और दृष्टिकोण आज भी उतने ही प्रासंगिक हैं जितने उनके समय में थे। आत्मशक्ति और उत्कृष्टता की ऊँचाइयों के प्रेरणास्त्रोत स्वामी विवेकानंद ने यह बताया कि हमें केवल बाहरी विकास पर नहीं, बल्कि आंतरिक विकास पर भी ध्यान देना चाहिए।
स्वामी विवेकानंद ने कहा था, "उठो, जागो और तब तक नहीं रुको जब तक लक्ष्य प्राप्त न हो जाए।" यह कथन आत्मशक्ति और उत्कृष्टता की ऊँचाइयों के प्रेरणास्त्रोत स्वामी विवेकानंद के जीवन का सार है। उन्होंने शिक्षा को जीवन का महत्वपूर्ण अंग माना और युवाओं को शिक्षित होने के साथ-साथ नैतिक और आध्यात्मिक रूप से भी सशक्त बनने की प्रेरणा दी।
स्वामी विवेकानंद के विचारों में मानवता के प्रति गहरा प्रेम और करुणा झलकती है। उन्होंने समाज में व्याप्त जातिवाद, अज्ञानता और अंधविश्वास के खिलाफ संघर्ष किया और सभी को एकता और समानता का संदेश दिया। आत्मशक्ति और उत्कृष्टता की ऊँचाइयों के प्रेरणास्त्रोत स्वामी विवेकानंद ने भारतीय समाज को नई दिशा और दृष्टिकोण प्रदान किया।
आज भी स्वामी विवेकानंद के विचार और सिद्धांत हमें प्रेरित करते हैं और हमें आत्मशक्ति और उत्कृष्टता की ऊँचाइयों क��� प्रेरणास्त्रोत स्वामी विवेकानंद के पदचिह्नों पर चलने का मार्ग दिखाते हैं। उनके जीवन और शिक्षाओं से हम सीख सकते हैं कि किस प्रकार आत्मशक्ति और उत्कृष्टता को प्राप्त करके हम अपने जीवन को सार्थक बना सकते हैं।
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vlogrush · 3 months
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विद्यार्थी जीवन में अनुशासन का महत्व: कैसे बनें एक अनुशासित छात्र?
अनुशासित छात्र लिखते हुए विद्यार्थी जीवन में अनुशासन के महत्व को जानें और सीखें कैसे बनें एक अनुशासित छात्र। यह लेख आपको सफलता के लिए आवश्यक कौशल और रणनीतियाँ प्रदान करेगा। विद्यार्थी जीवन एक महत्वपूर्ण समय होता है जो हमारे भविष्य की नींव रखता है। इस समय में अनुशासन का महत्व अत्यधिक होता है। यह लेख आपको बताएगा कि अनुशासन क्यों महत्वपूर्ण है और कैसे आप एक अनुशासित छात्र बन सकते हैं। आइए, इस…
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jaithra · 4 months
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आज का विचार
" यात्रा को गले लगाओ, क्योंकि यह आत्म-खोज का मार्ग है। "
यह उद्धरण व्यक्तिगत विकास के विचार और गंतव्य की तुलना में प्रक्रिया के महत्व को दर्शाता है। यह याद दिलाता है कि उठाया गया हर कदम सीखने और खुद को बेहतर समझने का एक हिस्सा है।
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helputrust · 5 months
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लखनऊ, 01.05.2024 । माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी की मुहिम आत्मनिर्भर भारत को साकार करने तथा महिला सशक्तिकरण हेतु गो कैंपेन (अमेरिकन संस्था) के सहयोग से हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट तथा रेड ब्रिगेड ट्रस्ट के संयुक्त तत्वावधान में बाल विद्या मंदिर सीनियर सेकेंडरी रेजि. डे स्कूल, चारबाग, लखनऊ में आत्मरक्षा कार्यशाला आयोजित की गई जिसमे 261 छात्राओं ने मेरी सुरक्षा, मेरी ज़िम्मेदारी मंत्र को अपनाते हुए आत्मरक्षा के गुर सीखे तथा वर्तमान परिवेश में आत्मरक्षा प्रशिक्षण के महत्व को जाना । 
कार्यशाला का शुभारंभ राष्ट्रगान  से हुआ तथा बाल विद्या मंदिर सीनियर सेकेंडरी रेजि. डे स्कूल के प्रधानाध्यापक डॉ आर.के. पांडेय ने दीप प्रज्वलित किया |
बाल विद्या मंदिर सीनियर सेकेंडरी रेजि. डे स्कूल के प्रधानाध्यापक डॉ आर.के. पांडेय ने हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट का धन्यवाद करते हुए कहा कि, “वर्तमान समय में लड़कियां लड़कों से कंधा मिलाकर चल रही हैं | वे किसी भी क्षेत्र में लड़कों से पीछे नहीं है और मेरा यह मानना है कि यदि हमें विकसित भारत का निर्माण करना है तो हमें लड़कियों को हर क्षेत्र में वरीयता देनी होगी | लड़कियों को वरीयता देने के साथ-साथ हमें उनमें आत्मबल एवं आत्म सम्मान का भी विकास करना होगा | हर मनुष्य के जीवन में तीन प्रकार के बल होते हैं: पहला बल है विद्या का बल, जो कि एक अच्छा जीवन यापन करने के लिए अत्यंत जरूरी है | आप कहीं भी चले जाइए अगर आप शिक्षित हैं तो आपका हर जगह सम्मान होगा |दूसरा बल है धन का बल, यदि आप धनवान है तो आपको हर कोई सर आंखों पर बिठाएगा और तीसरा बल है आत्मबल अर्थात अपनी आत्मा का बल, यदि आप शारीरिक और आत्मिक रूप से बलवान है तो आप अपनी रक्षा स्वयं कर सकते हैं | हिंदी की एक कहावत है "मन के हारे हार है, मन के जीते जीत", आज हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट द्वारा आयोजित इस कार्यक्रम में आप सभी को स्व-रक्षा करने की तकनीक सिखाई जाएगी और मुझे आशा ही नहीं पूर्ण विश्वास है कि आप सभी इसे सीखेंगे और अपने  आत्मबल में वृद्धि करेंगे |"
कार्यशाला में रेड ब्रिगेड ट्रस्ट के प्रमुख श्री अजय पटेल ने बालिकाओं को आत्मरक्षा प्रशिक्षण के महत्व को बताते हुए कहा कि, "किसी पर भी अन्याय तथा अत्याचार किसी सभ्य समाज की निशानी नहीं हो सकती हैं, फिर समाज के एक बहुत बड़े भाग यानि स्त्रियों के साथ ऐसा करना प्रकृति के विरुद्धहैं | महिलाओं एवं बालिकाओं के खिलाफ देश में हो रहे अत्याचारों को रोकने के लिए भारत  सरकार द्वारा अनेक कदम उठाए गए हैं तथा सरकार निरंतर महिलाओं को आत्मनिर्भर एवं सशक्त बनाने के लिए कई योजनाएं चला रही है लेकिन यह अत्यंत दुख की बात है कि हमारा समाज 21वीं सदी में जी रहा है लेकिन कन्या भ्रूण हत्या व लैंगिक भेदभाव के कुचक्र से छूट नहीं पाया है | आज भी देश के तमाम हिस्सों में बेटी के पैदा होते ही उसे मार दिया जाता है या बेटी और बेटे में भेदभाव किया जाता है | महिलाओं के साथ घरेलू हिंसा होती है तथा उनको एक स्त्री होने की बहुत बड़ी कीमत चुकानी पड़ती है | आत्मरक्षा प्रशिक्षण समय की जरूरत बन चुका है क्योंकि यदि महिला अपनी रक्षा खुद करना नहीं सीखेगी तो वह अपनी बेटी को भी अपने आत्म सम्मान के लिए लड़ना नहीं सिखा पाएगी | आज किसी भी क्षेत्र में नजर उठाकर देखियें, नारियां पुरुषों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर प्रगति में समान की भागीदार हैं | फिर उन्हें कमतर क्यों समझा जाता है यह विचारणीय हैं | हमें उनका आत्मविश्वास बढाकर, उनका सहयोग करके समाज की उन्नति के लिए उन्हें साहस और हुनर का सही दिशा में उपयोग करना सिखाना चाहिए तभी हमारा समाज प्रगति कर पाएगा | आत्मरक्षा प्रशिक्षण कार्यशाला आयोजित करने का हमारा यही मकसद है कि हम ज्यादा से ज्यादा बालिकाओं और महिलाओं को आत्मरक्षा के गुर सिखा सके तथा समाज में उन्हें आत्म सम्मान के साथ जीना सिखा सके |"
आत्मरक्षा प्रशिक्षण की प्रशिक्षिका तंजीम अख्तर ने लड़कियों को आत्मरक्षा के गुर सिखाते हुए लड़कों की मानसिकता के बारे में अवगत कराया तथा उन्हें हाथ छुड़ाने, बाल पकड़ने, दुपट्टा खींचने से लेकर यौन हिंसा एवं बलात्कार से किस तरह बचा जा सकता है यह अभ्यास के माध्यम से बताया |
कार्यशाला के अंत में सभी प्रतिभागियों को सहभागिता प्रमाण पत्र वितरित किये गये । 
कार्यशाला में बाल विद्या मंदिर सीनियर सेकेंडरी रेजि. डे स्कूल के प्रधानाध्यापक डॉ आर.के. पांडेय, शिक्षिकाओं श्रीमती अनीता मिश्रा, श्रीमती रश्मि खानिजु, डॉ मुक्ति मुखर्जी, श्रीमती अरुणिमा उपाध्याय, श्रीमती नमिता सिंह, श्रीमती अजिंदर परवाल, श्रीमती नंदिता सिंह, कु. कल्पना तिवारी, शिक्षकों डॉ रजत मिश्रा, श्री गौरव सिंह, श्री शैलेश तिवारी, श्री सुधीर राय, श्री तारकेश्वर गौड़, श्री अजीत सिंह, छात्राओं, रेड ब्रिगेड ट्रस्ट से श्री अजय पटेल, तंजीम अख्तर तथा हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट के स्वयंसेवकों की  गरिमामयी उपस्थिति रही l
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geeta1726 · 2 months
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क्या कुंडली के अष्टम भाव मैं शनि ताउम्र परेशानी करता है ?
अष्टम भाव में शनि की स्थिति के बारे में विभिन्न मान्यताएँ हैं, जो निम्नलिखित बिंदुओं के माध्यम से समझी जा सकती हैं:
धैर्य और परिश्रम: अष्टम भाव में शनि व्यक्ति को धैर्य और परिश्रम की सीख देता है। यह व्यक्ति को जीवन में कठिनाइयों को सहन करने और दीर्घकालिक मेहनत की आदत डालता है।
स्वास्थ्य संबंधी समस्याएँ: शनि का प्रभाव स्वास्थ्य पर असर डाल सकता है। व्यक्ति को स्वास्थ्य संबंधी समस्याएँ, विशेष रूप से क्रोनिक बीमारियाँ, का सामना करना पड़ सकता है।
आर्थिक संकट: अष्टम भाव में शनि आर्थिक संकट, अनियंत्रित खर्च या वित्तीय समस्याएँ ला सकता है, लेकिन यह व्यक्ति को वित्तीय स्थिरता के लिए संघर्ष करने और बेहतर योजनाएँ बनाने के लिए भी प्रेरित करता है।
पारिवारिक और वैवाहिक जीवन: यह स्थिति पारिवारिक या वैवाहिक जीवन में चुनौतियों का संकेत कर सकती है, जिसमें विवाद या असमंजस की स्थिति उत्पन्न हो सकती है।
अध्यात्मिक और मानसिक विकास: शनि का प्रभाव व्यक्ति को आत्म-निरीक्षण और मानसिक विकास के लिए प्रेरित कर सकता है। व्यक्ति गहरे आंतरिक विकास और आध्यात्मिक प्रगति की ओर बढ़ सकता है।
हालांकि, यह महत्वपूर्ण है कि व्यक्तिगत कुंडली और ग्रहों की स्थिति का पूर्ण विश्लेषण किया जाए, क्योंकि विभिन्न तत्वों के संयोजन के अनुसार प्रभाव बदल सकते हैं। जिसके लिए आप Kundli Chakra 2022 Professional Software सॉफ्टवेयर का प्रयोग कर सकते है। जो आपको एक बेहतर जानकारी दे सकता है।
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chaitanyavijnanam · 9 days
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आत्मा की यात्रा के रहस्य - भाग 2 - आध्यात्मिक प्रगति के लिए नम्रता और मौन अत्यंत महत्वपूर्ण हैं। पूर्ण आत्म साक्षात्कार के मार्ग में अहंकार से बचें। (Soul Journey Secrets - Part 2 - Humility and silence are vital to spiritual progress. Avoid ego on the path of absolute self-Realization.)
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🌹 आत्मा की यात्रा के रहस्य - भाग 2 - आध्यात्मिक प्रगति के लिए नम्रता और मौन अत्यंत महत्वपूर्ण हैं। पूर्ण आत्म साक्षात्कार के मार्ग में अहंकार से बचें। 🌹 प्रसाद भारद्वाज https://youtu.be/fWgCzcwSbjQ
इस वीडियो में प्रसाद भारद्वाज आध्यात्मिक मार्ग पर नम्रता और मौन के महत्व को समझा रहे हैं। वह बताते हैं कि अस्थायी आध्यात्मिक अनुभवों को पूर्ण आत्म-साक्षात्कार समझने की भूल कैसे अह���कार की ओर ले जाती है और उस प्रगति को रोक देती है। सुबह और दोपहर के रूपक के माध्यम से, वीडियो यह स्पष्ट करता है कि निरंतर सतर्कता, नम्रता और आंतरिक मौन को बनाए रखना आध्यात्मिक प्रगति के लिए कितना महत्वपूर्ण है। अहंकार की बाधाओं से बचकर, निरंतर आत्म विकास के लिए यह वीडियो हर आत्म-साधक के लिए आवश्यक है।
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आत्मा की यात्रा के रहस्य - भाग 2 - आध्यात्मिक प्रगति के लिए नम्रता और मौन अत्यंत महत्वपूर्ण हैं। पूर्ण आत्म साक्षात्कार के मार्ग में अहंकार से बचें। (Soul Journey Secrets - Part 2 - Humility and silence are vital to spiritual progress. Avoid ego on the path of absolute self-Realization.)
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🌹 आत्मा की यात्रा के रहस्य - भाग 2 - आध्यात्मिक प्रगति के लिए नम्रता और मौन अत्यंत महत्वपूर्ण हैं। पूर्ण आत्म साक्षात्कार के मार्ग में अहंकार से बचें। 🌹 प्रसाद भारद्वाज https://youtu.be/fWgCzcwSbjQ
इस वीडियो में प्रसाद भारद्वाज आध्यात्मिक मार्ग पर नम्रता और मौन के महत्व को समझा रहे हैं। वह बताते हैं कि अस्थायी आध्यात्मिक अनुभवों को पूर्ण आत्म-साक्षात्कार समझने की भूल कैसे अहंकार की ओर ले जाती है और उस प्रगति को रोक देती है। सुबह और दोपहर के रूपक के माध्यम से, वीडियो यह स्पष्ट करता है कि निरंतर सतर्कता, नम्रता और आंतरिक मौन को बनाए रखना आध्यात्मिक प्रगति के लिए कितना महत्वपूर्ण है। अहंकार की बाधाओं से बचकर, निरंतर आत्म विकास के लिए यह वीडियो हर आत्म-साधक के लिए आवश्यक है।
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