#भारत-पाकिस्तान तनाव
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indlivebulletin · 13 days ago
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बांग्लादेश की जमीन पर अराकान आर्मी का कब्जा, भारत से बिगड़ रहे रिश्ते, चौतरफा संकट में फंसा ढाका
16 दिसंबर 1971 जिसे विजय दिवस भी कहा जाता है, भारतीय उपमहाद्वीप के इतिहास का वह दिन, जब पाकिस्तान के 93 हाजार सैनिकों ने ढाका में भारतीय सेना के सामने आत्मसमर्पण किया और बांग्लादेश स्वतंत्र राष्ट्र के रूप में अस्तित्व में आया. लेकिन 54 साल बाद, यह पड़ोसी देश अपनी संप्रभुता और सुरक्षा के लिए अब तक के सबसे बड़े संकट का सामना कर रहा है. शेख हसीना के पतन के बाद बांग्लादेश-म्यांमार सीमा पर तनाव अपने…
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vedantbhoomidigital · 20 days ago
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पाकिस्तानी विशेषज्ञ का विस्फोटक दावा, यूनुस ने कहा...
होम समाचार 'भारत के खिलाफ जिहाद, उन्नत हथियार, आरडीएक्स…': पाकिस्तानी विशेषज्ञ का विस्फोटक दावा, यूनुस ने कहा… उन्होंने भारत को चेतावनी दी और देश को उच्चतम अलर्ट पर रहने की सलाह दी। (फाइल) नई दिल्ली: भारत के साथ तनाव के बीच बांग्लादेश और पाकिस्तान के बीच नजदीकियां बढ़ने लगी हैं. बांग्लादेश में अभी जो कुछ हो रहा है, उसकी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर निंदा हो रही है. एक तरफ मोहम्मद यूनुस सरकार अपने देश…
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thefrontnewspaper · 25 days ago
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बांग्लादेश और पाकिस्तान के लोग भारत से तनाव पर किस तरह की बातें कर रहे ह...
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presskeeda · 1 month ago
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drsunildubeyclinic · 3 months ago
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Best Sexologist in Patna, Bihar for Culture Disease Treatment | Dr. Sunil Dubey
धात सिंड्रोम: संस्कृति से जुड़ा पुरुषों में होने वाले यौन विकार
धात सिंड्रोम या धातु रोग एक मनोदैहिक विकार है, जिसमें वीर्य की हानि के बारे में रोगी को अत्यधिक चिंता होती है, और अक्सर चिंता, अवसाद और यौन रोग के साथ यह होता है। "धात" एक संस्कृत शब्द जो "धातु" से निकला है, जिसका अर्थ है "अमृत" या "वीर्य"। दक्षिण एशियाई संस्कृतियों में, विशेष रूप से भारत और पाकिस्तान में, धात सिंड्रोम एक आम गुप्त समस्या है। हमारी भारतीय संस्कृति में, वीर्य सबसे महत्वपूर्ण शारीरिक तरल पदार्थों में से एक है जो समग्र स्वास्थ्य (शारीरिक, मानसिक और सामाजिक) को बेहतर बनाता है, बनाए रखता है और मजबूत बनाता है।
विश्व प्रसिद्ध आयुर्वेदाचार्य व गुप्त व यौन रोग विशेषज्ञ डॉ. सुनील दुबे, जो पटना के सर्वश्रेष्ठ सेक्सोलॉजिस्ट में से एक हैं, कहते हैं कि धात सिंड्रोम (धातु रोग) अलग-अलग उम्र के लोगों को प्रभावित करता है। भारत में उत्तर, दक्षिण, ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों के लोग इस संस्कृति से जुड़ी गुप्त व यौन समस्याओं से प्रभावित हैं। पश्चिमी चिकित्सा में इस गुप्त व यौन समस्या क�� कोई सटीक कारण उपलब्ध नहीं है लेकिन आयुर्वेद में इस गुप्त व यौन समस्या का 100% सटीक समाधान है। उनका कहना है कि यह पुरुषों में होने वाले एक आम गुप्त व यौन समस्या है जो 18 से 45 वर्ष तक के विभिन्न आयु समूहों में देखी जाती है।
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धातु सिंड्रोम (धातु रोग) की मान्यताएँ:
संस्कृति और सामाजिक कारक (वीर्य संरक्षण पर जोर)
वीर्य उत्पादन और हानि के बारे में गलत धारणाएँ
चिंता, तनाव और अवसाद का निरंतर बनाये रखना
मनो-यौन संघर्ष व इसके बारे में अत्यधिक सोच
सोमाटाइजेशन विकार
डॉ. सुनील दुबे बिहार, भारत के एक अग्रणी और सीनियर सेक्सोलॉजिस्ट डॉक्टर हैं, जिन्होंने पुरुषों और महिलाओं के विभिन्न गुप्त व यौन विकारों पर अपना शोध किया है। उपचार व निदान के उद्देश्य से, उन्होंने आयुर्वेद के माध्यम से इस संस्कृति से जुड़ी गुप्त व यौन समस्याओं पर भी शोध किया है। अपने शोध, दैनिक अभ्यास, अध्ययन, अनुभव और रोगियों के व्यवहार के आधार पर; उन्होंने उनके लिए सबसे प्रभावी आयुर्वेदिक चिकित्सा व उपचार की सफलतापूर्वक खोज की है। उनका कहना है कि धातु सिंड्रोम के रोगी के लिए निदान मानदंड वीर्य की हानि, महत्वपूर्ण संकट या हानि और 6 महीने से अधिक समय तक लक्षणों की अवधि के साथ अत्यधिक चिंता पर आधारित होता है।
धात सिंड्रोम के लक्षणों के बारे में: -
वीर्य की कमी के बारे में अत्यधिक चिंता का होना।
पौरुष शक्ति या शक्ति खोने का डर का बना रहना।
वीर्य की कमी के संकेत के लिए मूत्र या मल के साथ व्यस्तता।
��वसाद, चिंता, सिरदर्द की स्थिति।
थकान और नींद में खलल की स्थिति।
यौन रोग (ईडी और पीई) का होना।
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धात सिंड्रोम का निदान और आयुर्वेदिक चिकित्सा व उपचार:
डॉ. सुनील दुबे, बिहार के बेस्ट सेक्सोलॉजिस्ट डॉक्टर, कहते हैं कि आमतौर पर धातु रोग पुरुषों में एक अंतर्निहित गुप्त व यौन समस्या है और इस समस्या का इलाज लक्षणों के आधार पर किया जाता है। आयुर्वेदिक चिकित्सा व उपचार सबसे प्रभावी, सबसे सुरक्षित और पूर्णकालिक विश्वसनीय दवा है जिसका शरीर पर कोई दुष्प्रभाव नहीं होता है। वह दुबे क्लिनिक में सभी तरह के गुप्त व यौन रोगियों को अपना व्यापक चिकित्सा व उपचार प्रदान करते हैं। धातु सिंड्रोम के अपने उपचार में, वह संज्ञानात्मक व्यवहार चिकित्सा, यौन परामर्श, सामान्य वीर्य उत्पादन और हानि के बारे में शिक्षा, विश्राम तकनीक, चिंता-विरोधी चिकित्सा, आयुर्वेदिक दवाएं, प्रभावी भस्म और घरेलू उपचार प्रदान करते हैं।
उनका कहना है कि धात सिंड्रोम एक सांस्कृतिक रूप से जुड़ा हुआ सिंड्रोम है, और इसकी पहचान और उपचार के लिए सांस्कृतिक रूप से संवेदनशील दृष्टिकोण की भी  आवश्यकता होती है। उनका कहना है कि जितनी जल्दी हो सके, जब कोई व्यक्ति इस गुप्त व यौन समस्या का अनुभव करता है, तो उसे मार्गदर्शन, सहायता, उपचार और दवा के लिए एक अनुभवी आयुर्वेदिक नैदानिक सेक्सोलॉजिस्ट डॉक्टर से परामर्श करना चाहिए। वास्तव में, पुरुषों में होने वाले इस गुप्त व यौन समस्या के कारण व्यक्ति के जीवन में कई संबंधित स्थितियाँ उत्पन्न हो सकती हैं जैसे हाइपोकॉन्ड्रियासिस, सोमाटाइजेशन डिसऑर्डर, चिंता विकार और अवसाद।
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फोन पर दुबे क्लिनिक से अपॉइंटमेंट लें:
यदि आप धात सिंड्रोम या अन्य किसी अन्य गुप्त व यौन समस्याओं के लक्षणों का अनुभव कर रहे हैं, तो आप दुबे क्लिनिक से जुड़ सकते हैं। फोन पर दुबे क्लिनिक से अपॉइंटमेंट लें और आयुर्वेदिक व प्राकृतिक चिकित्सा व उपचार विशेषाधिकारों के तहत अपना संपूर्ण यौन उपचार प्राप्त करें।
हर दिन भारत के अलग-अलग शहरों से सौ से ज़्यादा लोग फोन और ऑनलाइन माध्यमों से दुबे क्लिनिक से संपर्क करते हैं। औसतन हर दिन पैंतीस गुप्त व यौन रोगी अपना इलाज और दवाएँ लेने के लिए दुबे क्लिनिक आते हैं। दुबे क्लिनिक पिछले 60 सालों से पूरे भारत में लोगों को अपनी सेवाएँ प्रदान करते आ रहा है। ज़्यादा जानकारी के लिए, ज़रूरतमंद गुप्त व यौन रोगी हमारे हेल्पलाइन नंबर: +91 98350 92586 पर कॉल करके क्लिनिक में आने के लिए अपना अपॉइंटमेंट बुक करवा सकते हैं।
और अधिक जानकारी के लिए: -
दुबे क्लिनिक
भारत का प्रमाणित आयुर्वेदा व सेक्सोलोजी क्लिनिक
डॉ. सुनील दुबे, सीनियर सेक्सोलॉजिस्ट
हेल्पलाइन नंबर: +91 98350-92586
स्थान: दुबे मार्केट, लंगर टोली, चौराहा, पटना-04
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anshikanainital · 4 months ago
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rightnewshindi · 4 months ago
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Indian Videos; भारत-पाकिस्तान बॉर्डर पर आर-पार से भिड़ते नजर आए दो हिरण, लोग कर रहे दिलचस्प कमेंट
Indian Videos: भारत और पाकिस्तान के सीमा पर हमेशा तनाव रहता है। देश की रक्षा के लिए हमारे जवान हमेशा सरहद पर खड़े रहते हैं। कभी-कभार दोनों देशों के जवानों के बीच झड़प भी हो जाती है। लेकिन सोशल मीडिया पर इन दिनों एक ऐसा वीडियो वायरल हो रहा है। जिसमें भारत-पाक की सीमा पर जवान नहीं बल्कि दो हिरण आमने-सामने हो गए। घटना का यह वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है। आमने-सामने हुए दो…
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lallulalnews · 6 months ago
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#lallulal #lallulalnews @lallulalnews सोशल मीडिया पर ऐसे वीडियो तेजी से वायरल हो जाते हैं। हाल ही में पाकिस्तान में एक महिला ड्राइवर और ट्रैफिक पुलिस के बीच हुए इस घटनाक्रम ने भी काफी ध्यान आकर्षित किया है। वीडियो में दिखाया गया है कि एक महिला ड्राइवर और ट्रैफिक पुलिसकर्मी के बीच किसी विवाद के बाद महिला ने गाड़ी को ट्रैफिक पुलिसकर्मी से टकरा दिया और फिर आगे बढ़ गई। इस प्रकार की घटनाएं सोशल मीडिया पर बहुत जल्दी वायरल हो जाती हैं और लोगों के बीच चर्चा का विषय बन जाती हैं। ऐसी घटनाएं पुलिस और जनता के बीच तनाव को भी उजागर करती हैं और कई बार सुरक्षा और कानून व्यवस्था के मुद्दों को भी सामने लाती हैं। यदि आप इस वीडियो को देखना चाहते हैं, तो आप सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स जैसे फेसबुक, ट्विटर, या यूट्यूब पर "पाकिस्तान महिला ड्राइवर ट्रैफिक पुलिस वीडियो" जैसे कीवर्ड का उपयोग कर खोज सकते हैं। #viralvideo #pakistaniviralvideo #trendingvideo #reels #trafficpolicejaipur pakistaniviralvideo,viralvideo,pakistani viral video,#pakistani viral video,pakistani viral video of people,pakistani viral video girl dance,pakistani short viral video,pakistani punny video viral,latest pakistani viral video of 2024,#pakistani video,#pakistaniviralgirl,pakistani girl viral video on social media 2022,pakistani viral boy,pakistani girl wedding dance viral video,pakistani viral video of public on road 🛣���,ayesha pakistani tiktoker viral video Lallu Lal (लल्लू लाल)- हे भैया सच्ची खबर तो लल्लू लाल ही देंगे..भारत के हर कोने से चुनी गई खबरों का संग्रह। भारत के राजनैतिक, सामाजिक और आर्थिक मुद्दों पर गहराई से जानकारी देना हमारा लक्ष्य है। हम यहाँ पर हर विषय को गहराई से देखते हैं, ताकि भारत के करोड़ों Online User के पास सही खबर मिले।
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dainiksamachar · 10 months ago
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ईरान में भारत के बनाए चाबहार पोर्ट के लिए तालिबान ने खोला खजाना, पाकिस्‍तान को लगेगी तीखी मिर्ची
काबुल: ईरान और अफ��ानिस्तान की सरकार के बीच एक अहम समझौता हुआ है। समझौते के तहत अफगान की तालिबान सरकार ने ईरान के चाबहार बंदरगाह में निवेश का ऐलान किया है। ईरान पहुंचे अफगान सरकार के एक प्रतिनिधिमंडल ने चाबहार बंदरगाह में निवेश के लिए डील पर हस्ताक्षर किए हैं। अफगान सरकार ने चाबहार पोर्ट में 35 मिलियन डॉलर के निवेश का ऐलान किया है। सोमवार को ईरानी मीडिया ने बताया कि तालिबान सरकार चाबहार बंदरगाह और चाबहार मुक्त आर्थिक क्षेत्र में वाणिज्यिक, आवासीय और सरकारी परियोजनाओं में 35 मिलियन डॉलर का निवेश कर रही है।बीते साल, 2023 से तेहरान और काबुल के बीच तनावपूर्ण संबंध देखने को मिले थे। हिरमंद नदी से जल वितरण पर दोनों देशों के बीच झड़प भी हुई थी। ऐसे में तालिबान सरकार के इस कदम ने कई लोगों को आश्चर्यचकित किया है। तालिबान के निवेश का इस्तेमाल 25 मंजिला ऊंची इमारत फखर निर्माण परियोजना में किया जाएगा। इस निवेश से दोनों देशों के नजदीकी पड़ोसी पाकिस्तान को भी एक झटका लगेगा। पाकिस्तान के हालिया समय में तालिबान से संबंधों में जबरदस्��� तनाव है। पहली बार अफगान का ईरान में निवेश यह पहली बार है कि अफगानिस्तान के व्यवसायी ईरान में सरकार के नेतृत्व वाली निर्माण परियोजना में निवेश कर रहे हैं। ईरान ने 2021 में अफगानिस्तान में निवेश किया था लेकिन तब तक तालिबान की सत्ता में वापसी नहीं हुई थी। तालिबान ने इस निवेश का लक्ष्य अपने भूमि से घिरे देश के लिए अंतरराष्ट्रीय जल तक पहुंच का मार्ग प्रशस्त करना है। अफगानिस्तान में ईरानी राजदूत हसन काजेमी कोमी ने कहा है कि दोनों देश भारत और चीन के माध्यम से एक पारगमन गलियारा खोलने पर काम कर रहे हैं। ईरान अफगानिस्तान के मुख्य आर्थिक साझेदारों में से एक होने और तालिबान द्वारा फरवरी 2023 में अपना दूतावास फिर से खोलने के बावजूद तेहरान ने आधिकारिक तौर पर तालिबान को देश की वैध सरकार के रूप में मान्यता नहीं दी है। सामरिक दृष्टि से बेहद अहम है। अफगानिस्‍तान में तालिबान के शासन के बाद चाबहार बंदरगाह की सक्रियता पर असर पड़ा था लेकिन तालिबान के ही निवेश के लिए आगे आने के बाद चीजें बेहतर होंगी। तालिबान के संबंध पाकिस्तान से अच्छे नहीं हैं लेकिन भारत के साथ उसने अच्छे राजनयिक और व्यापारिक संबंधों की बात कही है। ईरान से भी अब वह रिश्तों की बेहतरी की कोशिश करता दिख रहा है। चाबहार पोर्ट में भारत का भारी निवेश है। वहीं इसके पास में ही चीन ने ग्वादर पोर्ट तैयार कर लिया है। http://dlvr.it/T3TVXm
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akhbarwala001 · 1 year ago
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बहरहाल, आज़ाद भारत में शरणार्थियों को बसाने के लिए तत्कालीन सरकार ने अनेक योजनाएं बनाई थी। शंकर मार्केट के तर्ज पर खान मार्केट के मामले में भी ऐसी व्यवस्था की गयी थी की शरणार्थियों को नीचे दुकान दिया जाय और ऊपर उनके रहने की व्यवस्था की जाय ।
साल था सन् 1951 और इस बाज़ार को सम्मानित अब्‍दुल गफार खान यानी सीमांत गाँधी के बड़े भाई अब्‍दुल जब्‍बार खान, जो पेशे से चिकित्सक भी थे, के नाम पर समर्पित किया गया। कहते हैं कि विभाजन के समय जब सांप्रदायिक तनाव चरम था तो उस माहौल में अब्दुल जब्बार लाखों लोगों को, चाहे हिन्दू हों या मुसलमान, पाकिस्तान से सुरक्षित निकाल कर भारत लाए थे।
यह बाजार दुनिया का 20वां सबसे महंगा खुदरा बाजार है। एक रिपोर्ट के आधार पर पहले स्थान पर हॉन्ग कॉन्ग का कॉजवे बे है। रिपोर्ट यह भी कहता है कि न्यू यॉर्क का अपर फिफ्थ एवेन्यू इस लिस्ट में दूसरे स्थान पर है। तीसरे नंबर पर लंदन का न्यू बॉन्ड स्ट्रीट है, पेरिस का एवेन्यू डेस चैम्प्स एलिसेस चौथे नंबर पर है।
उस समय खान मार्केट में सिर्फ तीन व्यक्ति ही दूकान खोले थे। आर्थिक क्षमता नहीं थी उनकी। सभी शरणार्थी थे। खान मार्केट पूर्णतः एक जंगल में था। यहाँ के शरणार्थी मूलतः नार्थ वेस्ट फ्रोंटियर प्रोविंस से आये थे। शुरुआत में दुकान का किराया 50 रुपए महीना था । आज़ादी के कोई नौ साल बाद, यानी सन् 1956 में पुर्नस्‍थापन मंत्रालय की एक योजना के तहत किराए पर दुकाने आवंटित की गई। आज तो खान मार्किट में एक इंच जगह नहीं है जहाँ खुलकर सांस ले सकें। क्या जमीन और क्या आसमान - दुकानें-ही-दुकानें।
आज खान मार्केट की क्या स्थिति है, इसे शब्दों में नहीं लिखा जा सकता है। सवाल यह है कि अगर बाजार में खरीददार हैं तो दुकानें तो खुलेंगी ही। खान मार्केट में आने वाले सम्मानित लोगों के बच्चे जब 'लाल, पीला भुट्टा (मकई), हरी-मिर्ची, हरा-पीला-लाल पपीता छोटे-छोटे वर्तनों में गुलाब की पंखुरियों के साथ देखते हैं तो उनकी ख़ुशी का ठिकाना नहीं होता। कभी सोचता हूँ अगर इन बच्चों को गाँव-देहात के खेतों में गाँव के बच्चों के साथ छोड़ दिया जाय तो क्या दृश्य होगा। बहरहाल, मौका मिले तो खान मार्केट जाकर स्वयं अवलोकन करें, शोध करें
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indlivebulletin · 2 months ago
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US Election और ट्रंप में लगे थे सभी, इधर भारत-पाकिस्तान ने मिला लिया हाथ, श्रीलंका भी दे रहा साथ, दशकों के तनाव के बीच अचानक क्या हुआ ऐसा?
भारत और पाकिस्तान में दशकों से तनाव के बीच शायद ही कोई ऐसी खबर आती है कि दोनों देशों ने एक दूसरे का समर्थन किया हो। लेकिन एक मुद्दे ने पारपंरिक रूप से दोनों प्रतिद्वंद्वी मुल्कों को साथ ला दिया है। इसमें पड़ोसी मुल्क श्रीलंका भी दोनों देशों के साथ खड़ा नजर आ रहा है। दरअसल, जिनेवा स्थित व्यापार निकाय की समिति में कृषि उत्पादों के आयात में वृद्धि को रोकने के लिए विशेष सुरक्षा उपायों के साथ-साथ…
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manvadhikarabhivyakti · 1 year ago
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ड्रैगन हरकतों से बाज नहीं आ रहा; विदेशी मेहमानों के मेजबानी की तैयारी अरुणाचल सीमा पर, ये नेता आएंगे
चीन इस सप्ताह भारत के अरुणाचल प्रदेश से केवल 160 किलोमीटर दूर तिब्बत के न्यिंगची में तीसरे ट्रांस-हिमालय फोरम फॉर इंटरनेशनल कोऑपरेशन की मेजबानी करने के लिए तैयार है, जिससे नई दिल्ली और बीजिंग के बीच तनाव बढ़ने की आशंका है। चीन ने ��शियाई खेलों के लिए अरुणाचल प्रदेश के भारतीय एथलीटों को वीजा देने से इनकार कर दिया था। पाकिस्तान के कार्यवाहक विदेश मंत्री जलील अब्बास जिलानी भी इस कार्यक्रम में शामिल…
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janhindustan-blog · 1 year ago
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presskeeda · 2 months ago
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naisoch · 2 years ago
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1. पहली बाइबल की भविष्यवाणी: भूकंप, बाढ़, महामारी और युद्ध
मैथ्‍यू 24:6-8 का कहना है: "तुम लड़ाइयों और लड़ाइयों की चर्चा सुनोगे, तो घबरा न जाना क्योंकि इन का होना अवश्य है, परन्तु उस समय अन्त न होगा। क्योंकि जाति पर जाति, और राज्य पर राज्य चढ़ाई करेगा, और जगह जगह ��काल पड़ेंगे, और भूकम्प होंगे। ये सब बातें पीड़ाओं का आरम्भ होंगी।" हाल के वर्षों में युद्ध लगातार हो रहे हैं, अफग़ानिस्तान न में तालिबान के शासन का तख्ता पलट, भारत और पाकिस्तान के बीच विवाद, इराक पर अमेरिका का हमला और इस्राएल तथा फलिस्तीन के बीच लगातार युद्ध के तनाव बने रहने जैसी घटनाएं हो रही हैं। महामारी, आगजनी, बाढ़ और भूकंप भी सभी जगह देखने में आ रहे हैं। विशेष रूप से "नोवल कोरोनावायरस" जिसकी शुरुआत 2019 में चीन के वुहान से हुई और फिर यह पूरे विश्व में फैल गया है। इसके अलावा, सितम्बर 2019 में ऑस्ट्रेलिया के जंगलों में बेहद भयंकर आग लगी, वहीं अपने ग्रह के दूसरे छोर पर, पूर्वी अफ्रीका में टिड्डियों का हमला हुआ जिसकी वजह से इस वक्त कई देश भुखमरी का सामना कर रहे हैं। जनवरी 2020 में, इंडोनेशिया में बाढ़ आयी और कनाडा के न्यूफाउंडलैन्ड में ऐसा तूफान आया जो कभी सदी में एक-आध बार ही आता है। तुर्की के इलाजि़ग, कैरिबियन के दक्षिण क्‍यूबा और अन्‍य जगहों पर भूकम्‍प आए हैं। इन संकेतों से देखा जा सकता है कि यह भविष्य‍वाणी पूरी हो चुकी है।
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webvartanewsagency · 2 years ago
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Indian Army Ammunation: ड्रैगन-पाक और बांग्लादेश का बड़ा प्लान! जानें क्यों इंडियन आर्मी खरीद रही ₹70 हजार करोड़ के हथियार
नई दिल्ली, (वेब वार्ता)। एक बड़ी खबर के अनुसार केंद्र सरकार ने सेना (Indian Army) के लिए 70 हजार 584 करोड़ के डिफेंस इक्विपमेंट की खरीद को जरुरी मंजूरी दी है। जी हां, डिफेंस मिनिस्टर राजनाथ सिंह की अध्यक्षता में DAC (डिफेंस एक्वजिशन काउंसिल) ने इस खरीद को मंजूरी दी। जानकारी के अनुसार इन खरीदे जा रहे हथियारों में नेवी के लिए 60 मेड इन इंडिया यूटिलिटी मरीन हेलिकॉप्टर और 200 ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल भी शामिल होंगे। इसके साथ ही आर्मी को 307 हॉवित्जर तोपें दी जाएंगी। वहीं साथ ही एयरफोर्स के लिए ख़ास तौर पर लॉन्ग रेंज स्टैंड-ऑफ वेपन खरीदे जाएंगे। ख़ास बात यह होगी कि, इन वेपन्स को सुखोई- 30 फाइटर जेट्स से अटैच किया जाएगा। इसके साथ ही इंडियन कोस्ट गार्ड्स के लिए भी एडवांस लाइट हेलिकॉप्टर्स खरीदे जा रहे हैं। इसे खास तौर पर हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) बनाएगी। Defence Ministry has approved proposals worth over Rs 70,000 crore for buying different weapon systems for the Indian defence forces: Defence officials pic.twitter.com/3jFPr59xOW — ANI (@ANI) March 16, 2023 क्यों जरुरी है ये प्रपोजल जी हां, मोदी सरकार अब देश की सेना को जरुरी सैन्य आयुध से और भी सुसज्जित और पुख्ता करेगी। अब सेना के लिए 70, 584 करोड़ के हथियार खरीदे जाएंगे। यह फैसला इस लिहाज से भी अहम है क्योंकि बीते तीन साल से पूर्वी लद्दाख में मौजूद लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल (LAC) पर चीन के साथ आज भी तनाव जारी है। दरअसल डिफेंस एक्वजिशन काउंसिल ने AoN (एक्सेप्टेंस) ऑफ नेसेसिटी के तहत डील का प्रपोजल रखा था। ऐसे में केंद्र सरकार द्वारा यह पैसा इसी के तहत जारी होगा, यह एक स्पेशल और बहुत ख़ास प्रोग्राम है। इसका मकसद भारत में बने उपकरण का अब हथियार में शामिल करना है। वहीं फाइनेंशियल ईयर 2022-23 के लिए अब कुल 2,71,538 करोड़ रुपए मंजूर किए जा चुके हैं। इसका 98।9% हिस्सा भारत में बने सामान खरीदने पर ही खर्च होगा। पाकिस्तान-बांग्लादेश चीन से खरीद रहे हथियार जानकारी हो कि, दुनिया के अलग-अलग देशों के बीच युद्ध, शस्त्रीकरण, शस्त्रों पर नियंत्रण और निरस्त्रीकरण में शोध के लिए काम करने वाली स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट (SIPRI) की एक ख़ास रिपोर्ट के अनुसार भारत के ‘नॉट-सो-फ्रेंडली’ पड़ोसियों का झुकाव भी अब चीन की तरफ बढ़ रहा है। वहीं बीते पांच सालों, यानी 2018 से 2022 के दौरान पाकिस्तान ने 2013-17 की तुलना में हथियारों का 14% ज़्यादा आयात किया, और अपनी ज़रूरत का तीन-चौथाई से भी ज़्यादा हिस्सा पाकिस्तान ने चीन से ही मंगवाया है। पाकिस्तान-बांग्लादेश और चीन क्या बना रहे कोई बड़ा प्लान  वहीं बांग्लादेश भी अपने कुल आयात का लगभग तीन-चौथाई, यानी 74% हिस्सा चीन से ही खरीदता है। वहीं चीन के कुल हथियार निर्यात का 12%हिस्सा बांग्लादेश ही खरीदता है।इस रिपोर्ट के अनुसार, चीन हथियार निर्यात के मामले में दुनिया में इस वक़्त चौथे पायदान पर है, और समूचे विश्व में होने वाले हथियार निर्यात का 5.2% हिस्सा वही बेचता है, लेकिन अहम तथ्य यह है कि उसके कुल निर्यात का 54% हिस्सा पाकिस्तान को ही जाता है। Read the full article
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