#पाकिस्तान की जासूसी
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vnt-news · 1 year ago
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पाकिस्तान को गोपनीय दस्तावेज भेजने के आरोप में विदेश मंत्रालय का कर्मचारी नवीन पाल गिरफ्तार#Vntnews
UP: गाजियाबाद पुलिस ने विदेश मंत्रालय में तैनात आउटसोर्सिंग कर्मचारी नवीन पाल को जासूसी में गिरफ्तार किया है। उस पर G-20 आयोजन से जुड़े डॉक्यूमेंट्स एक महिला मित्र को भेजने का आरोप है। शक है कि ये महिला पाकिस्तान की ISI से जुड़ी हो सकती है। कई सुरक्षा और जांच एजेंसियां आरोपी से पूछताछ कर रही हैं। पुलिस के मुताबिक, नवीन पाल से एक एप्पल मोबाइल रिकवर हुआ। मोबाइल के फोटो बैकअप सेक्शन में विदेश…
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dainiksamachar · 1 year ago
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भारत-नेपाल एयर रूट पर प्रचंड लगाते रहे गुहार, नहीं पिघला पीएम मोदी दिल, जानें क्‍या है चीन कनेक्‍शन
काठमांडू: भारत ने नेपाल के लिए नया हवाई मार्ग खोलने से साफ इनकार कर दिया है। भारत का यह फैसला नेपाली प्रधानमंत्री पुष्प कमल दहल प्रचंड नई दिल्ली की यात्रा के बाद भी नहीं बदला है। नेपाल ने भारत के इस इनकार को क्षेत्रीय विकास और सहयोग को बढ़ावा देने की प्रतिबद्धता को झटका बताया है। नेपाल का दावा है कि भारत के इस निर्णय का नेपाल की अर्थव्यवस्था पर हानिकारक प्रभाव पड़ा है। दरअसल, नेपाल ने चीन की मदद से दो हवाई अड्डे भैरहवा और पोखरा में बनाया है। अब नेपाल की चाहत इन हवाई अड्डों से भारत के हवाई क्षेत्र का इस्तेमाल करते हुए अंतरराष्ट्रीय उड़ानें शुरू करने की है। तब नेपाल ने नहीं सुनी थी भारत की आवाज भारत पहले से ही नेपाल में चीन की मौजूदगी पर आपत्ति जताता रहा है। इन दोनों हवाई अड्डों का निर्माण भारतीय कंपनियां भी कर सकती थीं, लेकिन नेपाल ने चीन को चुना। चीन ने इन दोनों हवाई अड्डों का निर्माण बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव के माध्यम से किया है। ऐसे में इन हवाई अड्डों से भारत की सुरक्षा को भी खतरा पैदा हो सकता है। चीन इन हवाई अड्डों के जरिए भारत की जासूसी का काम अंजाम दे सकता है। इसके अलावा नेपाल में बुनियादी ढांचे के निर्माण को बढ़ाकर चीन कर्ज का पहाड़ भी लाद सकता है। इससे नेपाल को श्रीलंका और पाकिस्तान के जैसे मजबूरन चीन की शर्तों को मानना पड़ेगा, जो भारत को कतई स्वीकार्य नहीं है। नेपाल क्या दे रहा तर्क नेपाल का तर्क है कि भारत के नए हवाई मार्गों के इनकार से नेपाली अर्थव्यवस्था को गंभीर झटका लगा है। इससे देश के विकास की संभावनाएं बाधित हुई हैं। चीनी निवेश और सहायता से बने भैरहवा और पोखरा हवाई अड्डों का उद्देश्य नेपाल में पर्यटन, व्यापार और समग्र कने��्टिविटी को बढ़ावा देना था। हालांकि, पर्याप्त हवाई मार्ग और पहुंच के बिना, इन हवाईअड्डों का कम उपयोग किया जाता है। ऐसे में नेपाल इन हवाई अड्डों से पूरा लाभ नहीं पा रहा है। इससे नेपाल को चीनी कर्ज वापस करने में भी परेशानी हो रही है। चीन से दोस्ती की सजा भुगत रहा नेपाल नेपाल में राजशाही के खत्म होने के बाद प्रजातंत्र आया। लेकिन, इसमें सबसे अधिक हिस्सेदारी कम्युनिस्ट पार्टियों को मिली, जो पहले हथियारबंद गिरोह चलाते थे। ये कम्युनिस्ट पार्टियां परंपरागत रूप से चीन की करीबी हैं। ऐसे में केपी शर्मा ओली जैसे नेता भारत से अधिक चीन को महत्व दे रहे हैं। उनके ही कार्यकाल में इस हवाई अड्डे का निर्माण का काम पूरा हुआ था। उस समय नेपाल की कम्युनिस्ट सरकार ने यह नहीं सोचा कि बिना भारत वह इन हवाई अड्डों का संचालन नहीं कर सकता। इसके बावजूद सिर्फ जिद और सनक से उसने भारत के खिलाफ जहर उगलते हुए चीन की दोस्ती कबूल की। http://dlvr.it/Spzs42
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rudrjobdesk · 2 years ago
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पंजाब पुलिस के स्पेशल सेल ने दबोचा; पाक खुफिया एजेंसी को नक्शे भेज रहा था | Pakistan ISI agent arrested by Punjab Police from Chandigarh latest news
पंजाब पुलिस के स्पेशल सेल ने दबोचा; पाक खुफिया एजेंसी को नक्शे भेज रहा था | Pakistan ISI agent arrested by Punjab Police from Chandigarh latest news
चंडीगढ़26 मिनट पहले पंजाब पुलिस द्वारा चंडीगढ़ से पकड़ा गया पाकिस्तान की ISI का जासूस। पंजाब पुलिस के स्टेट स्पेशल ऑपरेशन सेल (SSOC) ने पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी ISI के लिए जासूसी करने के आरोपों में एक आरोपी को गिरफ्तार किया है। आरोपी की गिरफ्तारी चंडीगढ़ के सेक्टर 40 से की गई है। जानकारी के मुताबिक पकड़ा गया आरोपी ISI के लिए लंबे समय से जासूसी कर रहा था। पंजाब पुलिस को इसकी जानकारी प्राप्त हुई। ऐसे…
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hindinewshub · 4 years ago
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Two Pakistani High-Commission Officials Caught Spying, Ordered To Leave India Within 24 Hours नई दिल्ली में पाकिस्तानी उच्चायोग के दो अधिकारियों को जासूसी करते पकड़ा गया है। । Image Source link
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allgyan · 4 years ago
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नंबी नारायणन: राकेट्री फिल्म का ट्रेलर लांच -
नंबी नारायणन -दी नंबी इफ़ेक्ट -
राकेट्री फिल्म का ट्रेलर लांच हुआ। लोग इस फिल्म की बहुत प्रशंसा कर रहे है। अर माधवन इसमें बहुत ही अच्छी एक्टिंग करते दिखाई दे रहे है। लेकिन हो सकता है कुछ लोगों इस फिल्म के टेलर भर देखने से ही फिल्म का स्क्रिप्ट का पता नहीं लग पा रहा है और वो ये भी नहीं जान पा रहे है की ये फिल्म किस पर आधारित है। इसलिए हमारी कोशिश ये है की आप को फिल्म के स्क्रिप्ट और कहानी किस पे आधारित है इसके बारे में बताया जाये। इस फिल्म के टेलर में इतना तो पता लग ही है की इसमें देशभक्त और देशद्रोह के बारे में बात की गयी है। और ये फिल्म विज्ञानं पर आधारित फिल्म है। सबसे पहली फिल्म की बात इस फिल्म को आर माधवन ने ही लिखा और डायरेक्ट भी किया है। वर्घी  मूलन पिक्चर्स के साथ  आर माधवन ने इस फिल्म को प्रोडूस भी किया है।फिल्म का टेलर देखकर यही लग रहा है की फिल्म बहुत अच्छी बनी पड़ी है।
नंबी नारायणन पर आधारित फिल्म -
आये जानते है नंबी नारायणन के बारे में विस्तार से आखिर वो कौन है कहा से बिलोंग करते है। नंबी नारायणन एक भारतीय वैज्ञानिक और एयरोस्पेस इंजीनियर है 12 दिसंबर 1941 केरला के त्रिवंदपुरम में पैदा हुए थे। नांबी नारायणन एक मध्यम वर्गीय परिवार में जन्मे थे अपनी पांच बह���ों के बाद जन्मे नारायणन माता-पिता की छठी संतान थे।उनके पिता नारियल के कारोबारी थे और मां घर पर रहकर बच्चों की देखभाल करती थीं।नारायणन मेधावी छात्र थे और अपनी कक्षा अव्वल आते थे।इसरो जाने से पहले उन्होंने इंजीनियरिंग कॉलेज से डिग्री ली और कुछ समय तक चीनी की फ़ैक्टरी में काम किया वो बताते हैं, "एयरक्राफ़्ट मुझे हमेशा आकर्षित करते थे "।
नारायणन ने पहली बार 1966 में थिम्बा इक्वेटोरियल रॉकेट लॉन्चिंग स्टेशन थुम्बा,तिरुवनंतपुरम में इसरो के अध्यक्ष विक्रम साराभाई से मुलाकात की, जबकि उन्होंने वहां एक पेलोड इंटीग्रेटर के रूप में काम करने का मौका मिला।उस समय स्पेस साइंस एंड टेक्नोलॉजी सेंटर (एसएसटीसी) के चेयरमैन, साराभाई ने केवल उच्च योग्य पेशेवरों की भर्ती की।पीछा करते हुए, नारायणन ने अपनी एमटेक डिग्री के लिए तिरुवनंतपुरम में इंजीनियरिंग कॉलेज में दाखिला लिया।इसे सीखने पर,साराभाई ने उन्हें उच्च शिक्षा के लिए छोड़ दिया अगर उन्होंने इसे किसी भी आइवी लीग विश्वविद्यालयों में बनाया।इसके बाद, नारायणन ने नासा फैलोशिप अर्जित की और 1969 में प्रिंसटन विश्वविद्यालय में प्रवेश किया।उन्होंने दस महीने के रिकॉर्ड में प्रोफेसर लुइगी क्रोको के तहत रासायनिक रॉकेट प्रणोदन में अपने मास्टर कार्यक्रम को पूरा किया। अमेरिका में नौकरी की पेशकश के बावजूद,नारायणन तरल प्रणोदन में विशेषज्ञता के साथ भारत लौट आए,जब भारतीय रॉकेट अभी भी ठोस प्रणोदकों पर निर्भर था।
नारायणन याद करते हैं, "जब मैंने इसरो में काम करना शुरू किया तब यह अपने शुरुआती दौर में था।सच कहें तो किसी तरह का रॉकेट सिस्टम विकसित करने की हमारी कोई योजना थी ही नहीं।अपने एयरक्राफ़्ट उड़ाने के लिए हम अमरीका और फ़्रांस के रॉकेट इस्तेमाल करने की योजना बना रहे थे ''
हालांकि ये प्लान बाद में बदल गया और नारायणन भारत के स्वदेशी रॉकेट बनाने के प्रोजेक्ट में अहम भूमिका निभाने लगे।साल 1994 तक उन्होंने एक वैज्ञानिक के तौर पर बड़ी मेहनत से काम किया तब तक,जब तक नवंबर 1994 में उनकी ज़िंदगी पूरी तरह उलट-पलट नहीं गई    
जासूसी स्कैंडल में फसा एक वैज्ञानिक -
नारायणन की गिरफ़्तारी से एक महीने पहले केरल पुलिस ने मालदीव की एक महिला मरियम राशीदा को अपने वीज़ा में निर्धारित वक़्त से ज़्यादा समय तक भारत में रहने के आरोप में गिरफ़्तार किया था राशीदा क�� गिरफ़्तारी के कुछ महीनों बाद पुलिस ने मालदीव की एक बैंक कर्मचारी फ़ौज़िया हसन को गिरफ़्तार किया।इसके बाद एक बड़ा स्कैंडल सामने आया।पुलिस की जानकारी के आधार के अनुसार मालदीव की ये महिलाएं भारतीय रॉकेट से जुड़ी 'गुप्त जानकारियां' चुराकर पाकिस्तान को बेच रही हैं और इसमें इसरो के वैज्ञानिकों की मिलीभगत भी है। अगले कुछ महीनों में नारायण की प्रतिष्ठा और इज़्ज़त जैसे टुकड़ों में बिखर गई. उन पर भारत के सरकारी गोपनीय क़ानून (ऑफ़िशियल सीक्रेट लॉ) के उल्लंघन और भ्रष्टाचार समेत अन्य कई मामले दर्ज किए गए।
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के पूर्व वैज्ञानिक नंबी नारायणन ने कहा है कि उन्हें जासूसी के झूठे मामले में फंसाने वाले षड्यंत्रकारी अलग-अलग उद्देश्यों वाले अलग-अलग लोग थे,लेकिन पीड़ित एक ही तरह के लोग थे सुप्रीम कोर्ट ने 1994 के जासूसी मामले में मानसिक यातना को लेकर नारायणन को 50 लाख रुपये का मुआवजा दिए जाने का निर्देश दिया था।शीर्ष अदालत ने मनगढ़ंत मामला बनाने और नारायणन की गिरफ्तारी तथा उन्हें भय���नक प्रताड़ना और अत्यंत दुख पहुंचाए जाने को लेकर केरल पुलिस की भूमिका की जांच के लिए उच्चस्तरीय जांच का भी आदेश दिया था।
एक वैज्ञानिक पर यातना -
जांचकर्ता उन्हें पीटते थे और पीटने के बाद एक बिस्तर से बांध दिया करते थे। वो उन्हें 30 घंटे तक खड़े रहकर सवालों के जवाब देने पर मजबूर किया करते थे. उन्हें लाइ-डिटेक्टर टेस्ट लेने पर मजबूर किया जाता था। नारायणन को कड़ी सुरक्षा वाली जेल में रखा गया था। नारायणन ने पुलिस को बताया था कि रॉकेट की ख़ुफ़िया जानकारी 'काग़ज के ज़रिए ट्रांसफ़र नहीं की जा सकती' और उन्हें साफ़ तौर पर फंसाया जा रहा है उस समय भारत शक्तिशाली रॉकेट इंजन बनाने के लिए क्राइजेनिक टेक्नॉलजी को हासिल करने के लिए संघर्ष कर रहा था और इसलिए जांचकर्ताओं ने नारायणन की बातों पर भरोसा नहीं किया।इस मामले में नारायणन को 50 दिन गिरफ़्तारी में गुजारने पड़े थे. वो एक महीने जेल में भी रहे जब भी उन्हें अदालत में सुनवाई के लिए ले जाया जाता,भीड़ चिल्ला-चिल्लाकरक उन्हें 'गद्दार' और 'जासूस' बुलाती थी।
क्लीन चिट और पद्म भूषण पुरस्कार मिलना -
साल 1996 में सीबीआई ने अपनी 104 पन्नों की रिपोर्ट जारी की और सभी अभियुक्तों को क्लीन चिट दे दी। सीबीआई ने कहा कि न तो इसरो से गोपनीय क़ागज चुराने के सबूत हैं और न ही पैसों के लेनदेन के इसरो की एक आंतरिक जांच में भी पता चला कि क्राइजेनिक इंजन से जुड़ा कोई काग़ज ग़ायब नहीं था।इसके बाद नांबी नारायणन ने एक बार फिर इसरो ��ें काम करना शुरू किया हालांकि अब वो बेंगलुरु में एक प्रशासनिक भूमिका निभा रहे थे हालांकि इन सबके बाद भी उनकी परेशानियों का अंत नहीं हु।सीबीआई के मामला बंद किए जाने के बावजूद, राज्य सरकार ने इसे दोबारा शुरू करने की कोशिश की और सुप्रीम कोर्ट गई।लेकिन साल 1998 में इसे पूरी तरह ख़ारिज कर दिया गया।
इन सबके बाद नारायणन ने उन्हें ग़लत तरीके से फंसाने के लिए केरल सरकार पर मुक़दमा कर दिया।  मुआवज़े के तौर पर उन्हें 50 लाख रुपए दिए गए।अभी पिछले महीने केरल सरकार ने कहा कि वो ग़ैरक़ानूनी गिरफ़्तारी और उत्पीड़न के मुआवज़े के तौर पर उन्हें एक करोड़ 30 लाख रुपए और देगी ।साल 2019 में नांबी नारायणन को भारत सरकार के प्रतिष्ठित पद्म भूषण पुरस्कार से भी नवाजा गया। नारायणन का कहना है कि मामले के पीछे निहित स्वार्थ थे क्योंकि मामले के चलते भारत के क्रायोजनिक इंजन का विकास करने में कम से कम 15 साल की देरी हुई।  रॉकेट्री: द नंबी इफेक्ट नामक एक जीवनी फिल्म जिसका टेलर लॉंच हुआ है इस फिल्म में इन चीजें को दिखाया जायेगा।
पूरा जानने के लिए-https://bit.ly/2PTaLYp
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hindtatra · 4 years ago
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7 साल पाकिस्तान में जासूसी की इस समय एक घटना इनके साथ घटी थी , जिसके बारे में वो बताते हैं कि....
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apollodecatephorus-blog · 5 years ago
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Big Breaking News from National Investigation Agency India
NIA ने पाकिस्तान की ISI के लिए जासूसी करने के लिए अब तक 11 नौसेना कर्मी समेत 13 लोगों को गिरफ्तार किया है। इन लोगों को पाकिस्तानी खुफिया एजेंसियों ने सोशल मीडिया पर हनी ट्रैप के जरिए अपने जाल में फंसा लिया था।
राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) के अनुसार पुलिस ने इन लोगों को मुंबई, कारवाड़ और विशाखापट्टनम समेत देश के कई नौसैनिक अड्डों से पकड़ा। इन लोगों ने फेसबुक समेत अपनी सोशल मीडिया प्रोफाइल के जरिये भारतीय नौसेना की संवेदनशील जानकारी को लीक किया है।
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telnews-in · 2 years ago
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Interview: 'मुखबिर' फेम जैन खान दुर्रानी ने कहा- 'कश्मीर फाइल्स' की तुलना में क्यों फेल रही फिल्म 'शिकारा' - web series mukhbir the story of a spy actor zain khan durrani interview talking about kashmir and his character
Interview: ‘मुखबिर’ फेम जैन खान दुर्रानी ने कहा- ‘कश्मीर फाइल्स’ की तुलना में क्यों फेल रही फिल्म ‘शिकारा’ – web series mukhbir the story of a spy actor zain khan durrani interview talking about kashmir and his character
‘कुछ भीगे अल्फाज’, ‘शिकारा’ और ‘बेल बॉटम’ जैसी फिल्मों में नजर आ चुके अभिनेता जैन खान दुर्रानी अब वेब सीरीज ‘मुखबीर: द स्टोरी ऑफ ए स्पाई’ के साथ ��टीटी पर आ गए हैं। कश्मीर की पृष्ठभूमि पर आधारित, जैन एक भारतीय जासूस की भूमिका निभाते हैं। इसी सिलसिले में इस सीरीज में जैन से उनके करियर और कश्मीर को लेकर खास बातचीत की गई है भारत-पाकिस्तान के बीच तनाव और जासूसी पर कई सीरियल बन चुके हैं। तो आपने…
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sabkuchgyan · 2 years ago
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विदेश मंत्रालय का ड्राइवर गिरफ्तार, पाकिस्तान के लिए कर रहा था जासूसी
विदेश मंत्रालय का ड्राइवर गिरफ्तार, पाकिस्तान के लिए कर रहा था जासूसी
विदेश मंत्रालय में कार्यरत एक ड्राइवर को आज नई दिल्ली के जवाहरलाल नेहरू भवन से जासूसी के आरोप में गिरफ्तार किया गया। वह कथित तौर पर पैसे के बदले एक पाकिस्तानी व्यक्ति को सूचनाएं और दस्तावेज भेज रहा था। रिपोर्ट्स के मुताबिक, पाकिस्तानी खुफिया एजेंट पूनम शर्मा या पूजा नाम की महिला होने का नाटक कर रहा था। चालक को गिरफ्तार करने वाली दिल्ली पुलिस की अपराध शाखा के सूत्रों ने बताया कि चालक हनी ट्रैप…
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rulecrackerblog · 2 years ago
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Code Name Tiranga Movie Download MP4Moviez 720p, 480p Watch Online
Code Name Tiranga Movie Download MP4Moviez 720p, 480p Watch Online
Code Name: Tiranga 2022 दासगुप्ता द्वारा लिखित और निर्देशित एक आगामी भारतीय हिंदी भाषा की जासूसी थ्रिलर फिल्म है। Code Name Tiranga समय के खिलाफ दौड़ में अपने देश के लिए एक अडिग और निडर मिशन पर एक जासूस की कहानी है जहां बलिदान ही उसकी एकमात्र पसंद है। भूलने की बात नहीं है, “आपको नौकरी के लिए अपने सबसे अच्छे आदमी की आवश्यकता होगी”, “हमेशा से पाकिस्तान का ज्यादा वफ़ादार रहा है” और “ये एक अंदर और…
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trendingwatch · 2 years ago
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राजस्थान का व्यक्ति पाकिस्तान के लिए जासूसी करने के आरोप में गिरफ्तार: पुलिस
राजस्थान का व्यक्ति पाकिस्तान के लिए जासूसी करने के आरोप में गिरफ्तार: पुलिस
आरोपी पर ऑफिशियल सीक्रेट एक्ट की धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया है। (प्रतिनिधि) Jaipur: पाकिस्तानी खुफिया एजेंसियों के लिए कथित तौर पर जासूसी करने के आरोप में 31 वर्षीय एक व्यक्ति को गिरफ्तार किया गया है। दिल्ली के सेना भवन में चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी के पद पर तैनात राजस्थान के रहने वाले रवि प्रकाश मीणा को एक पाकिस्तानी महिला एजेंट ने हनीट्रैप में फंसा लिया था. राजस्थान के डीजीपी (खुफिया) उमेश…
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newsdaliy · 2 years ago
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जासूसी के आरोप में 1994 में गिरफ्तार, पाक जेल में 28 साल काटने के बाद भारत लौटा
जासूसी के आरोप में 1994 में गिरफ्तार, पाक जेल में 28 साल काटने के बाद भारत लौटा
एक भारतीय व्यक्ति को पाकिस्तानी एजेंसियों ने 1994 में गिरफ्तार किया और जासूसी के आरोप में एक अदालत ने आजीवन कारावास की सजा सुनाई, 30 साल बाद वापस लौटा और अपने परिवार के साथ मिल गया। कुलदीप यादव (59) को पिछले हफ्ते पाकिस्तान सुप्रीम कोर्ट ने 2021 में अपनी कैद पूरी होने के बाद रिहा कर दिया था। उन्होंने सरकार से आर्थिक मदद मांगी है भारत और अन्य नागरिक। अहमदाबाद से साबरमती आर्ट्स एंड कॉमर्स कॉलेज से…
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hindimaster · 2 years ago
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Pakistani Spy Caught From Delhi, Came To Delhi As Hindu Refugee, Got Citizenship Before Three
Pakistani Spy Caught From Delhi, Came To Delhi As Hindu Refugee, Got Citizenship Before Three
Man Arrested From Delhi Spying For Pakistan: राजस्थान पुलिस ने साल 2016 में भारतीय नागरिकता पाने वाले 46 साल के हिंदु शरणार्थी को पाकिस्तान के लिए जासूसी करने के आरोप में दिल्ली से गिरफ्तार किया है. यह कार्रवाई यपुर की सीआईडी इंटेलीजेंस पुलिस (CID Intelligence Police) ने की. पुलिस ने बताया कि गिरफ्तार किए गए व्यक्त का नाम भागचंद है और उसका जन्म पाकिस्तान में हुआ था. वह साल 1998 में अपने परिवार के…
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allgyan · 4 years ago
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नंबी नारायणन -दी नंबी इफ़ेक्ट -
राकेट्री फिल्म का ट्रेलर लांच हुआ। लोग इस फिल्म की बहुत प्रशंसा कर रहे है। अर माधवन इसमें बहुत ही अच्छी एक्टिंग करते दिखाई दे रहे है। लेकिन हो सकता है कुछ लोगों इस फिल्म के टेलर भर देखने से ही फिल्म का स्क्रिप्ट का पता नहीं लग पा रहा है और वो ये भी नहीं जान पा रहे है की ये फिल्म किस पर आधारित है। इसलिए हमारी कोशिश ये है की आप को फिल्म के स्क्रिप्ट और कहानी किस पे आधारित है इसके बारे में बताया जाये। इस फिल्म के टेलर में इतना तो पता लग ही है की इसमें देशभक्त और देशद्रोह के बारे में बात की गयी है। और ये फिल्म विज्ञानं पर आधारित फिल्म है। सबसे पहली फिल्म की बात इस फिल्म को आर माधवन ने ही लिखा और डायरेक्ट भी किया है। वर्घी  मूलन पिक्चर्स के साथ  आर माधवन ने इस फिल्म को प्रोडूस भी किया है।फिल्म का टेलर देखकर यही लग रहा है की फिल्म बहुत अच्छी बनी पड़ी है।
नंबी नारायणन पर आधारित फिल्म -
आये जानते है नंबी नारायणन के बारे में विस्तार से आखिर वो कौन है कहा से बिलोंग करते है। नंबी नारायणन एक भारतीय वैज्ञानिक और एयरोस्पेस इंजीनियर है 12 दिसंबर 1941 केरला के त्रिवंदपुरम में पैदा हुए थे। नांबी नारायणन एक मध्यम वर्गीय परिवार में जन्मे थे अपनी पांच बहनों के बाद जन्मे नारायणन माता-पिता की छठी संतान थे।उनके पिता नारियल के कारोबारी थे और मां घर पर रहकर बच्चों की देखभाल करती थीं।नारायणन मेधावी छात्र थे और अपनी कक्षा अव्वल आते थे।इसरो जाने से पहले उन्होंने इंजीनियरिंग कॉलेज से डिग्री ली और कुछ समय तक चीनी की फ़ैक्टरी में काम किया वो बताते हैं, "एयरक्राफ़्ट मुझे हमेशा आकर्षित करते थे "।
नारायणन ने पहली बार 1966 में थिम्बा इक्वेटोरियल रॉकेट लॉन्चिंग स्टेशन थुम्बा,तिरुवनंतपुरम में इसरो के अध्यक्ष विक्रम साराभाई से मुलाकात की, जबकि उन्होंने वहां एक पेलोड इंटीग्रेटर के रूप में काम करने का मौका मिला।उस समय स्पेस साइंस एंड टेक्नोलॉजी सेंटर (एसएसटीसी) के चेयरमैन, साराभाई ने केवल उच्च योग्य पेशेवरों की भर्ती की।पीछा करते हुए, नारायणन ने अपनी एमटेक डिग्री के लिए तिरुवनंतपुरम में इंजीनियरिंग कॉलेज में दाखिला लिया।इसे सीखने पर,साराभाई ने उन्हें उच्च शिक्षा के लिए छोड़ दिया अगर उन्होंने इसे किसी भी आइवी लीग विश्वविद्यालयों में बनाया।इसके बाद, नारायणन ने नासा फैलोशिप अर्जित की और 1969 में प्रिंसटन विश्वविद्यालय में प्रवेश किया।उन्होंने दस महीने के रिकॉर्ड में प्रोफेसर लुइगी क्रोको के तहत रासायनिक रॉकेट प्रणोदन में अपने मास्टर कार्यक्रम को पूरा किया। अमेरिका में नौकरी की पेशकश के बावजूद,नारायणन तरल प्रणोदन में विशेषज्ञता के साथ भारत लौट आए,जब भारतीय रॉकेट अभी भी ठोस प्रणोदकों पर निर्भर था।
नारायणन याद करते हैं, "जब मैंने इसरो में काम करना शुरू किया तब यह अपने शुरुआती दौर में था।सच कहें तो किसी तरह का रॉकेट सिस्टम विकसित करने की हमारी कोई योजना थी ही नहीं।अपने एयरक्राफ़्ट उड़ाने के लिए हम अमरीका और फ़्रांस के रॉकेट इस्तेमाल करने की योजना बना रहे थे ''
हालांकि ये प्लान बाद में बदल गया और नारायणन भारत के स्वदेशी रॉकेट बनाने के प्रोजेक्ट में अहम भूमिका निभाने लगे।साल 1994 तक उन्होंने एक वैज्ञानिक के तौर पर बड़ी मेहनत से काम किया तब तक,जब तक नवंबर 1994 में उनकी ज़िंदगी पूरी तरह उलट-पलट नहीं गई    
जासूसी स्कैंडल में फसा एक वैज्ञानिक -
नारायणन की गिरफ़्तारी से एक महीने पहले केरल पुलिस ने मालदीव की एक महिला मरियम राशीदा को अपने वीज़ा में निर्धारित वक़्त से ज़्यादा समय तक भारत में रहने के आरोप में गिरफ़्तार किया था राशीदा की गिरफ़्तारी के कुछ महीनों बाद पुलिस ने मालदीव की एक बैंक कर्मचारी फ़ौज़िया हसन को गिरफ़्तार किया।इसके बाद एक बड़ा स्कैंडल सामने आया।पुलिस की जानकारी के आधार के अनुसार मालदीव की ये महिलाएं भारतीय रॉकेट से जुड़ी 'गुप्त जानकारियां' चुराकर पाकिस्तान को बेच रही हैं और इसमें इसरो के वैज्ञानिकों की मिलीभगत भी है। अगले कुछ महीनों में नारायण की प्रतिष्ठा और इज़्ज़त जैसे टुकड़ों में बिखर गई. उन पर भारत के सरकारी गोपनीय क़ानून (ऑफ़िशियल सीक्रेट लॉ) के उल्लंघन और भ्रष्टाचार समेत अन्य कई मामले दर्ज किए गए।
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के पूर्व वैज्ञानिक नंबी नारायणन ने कहा है कि उन्हें जासूसी के झूठे मामले में फंसाने वाले षड्यंत्रकारी अलग-अलग उद्देश्यों वाले अलग-अलग लोग थे,लेकिन पीड़ित एक ही तरह के लोग थे सुप्रीम कोर्ट ने 1994 के जासूसी मामले में मानसिक यातना को लेकर नारायणन को 50 लाख रुपये का मुआवजा दिए जाने का निर्देश दिया था।शीर्ष अदालत ने मनगढ़ंत मामला बनाने और नारायणन की गिरफ्तारी तथा उन्हें भयानक प्रताड़ना और अत्यंत दुख पहुंचाए जाने को लेकर केरल पुलिस की भूमिका की जांच के लिए उच्चस्तरीय जांच का भी आदेश दिया था।
एक वैज्ञानिक पर यातना -
जांचकर्ता उन्हें पीटते थे और पीटने के बाद एक बिस्तर से बांध दिया करते थे। वो उन्हें 30 घंटे तक खड़े रहकर सवालों के जवाब देने पर मजबूर किया करते थे. उन्हें लाइ-डिटेक्टर टेस्ट लेने पर मजबूर किया जाता था। नारायणन को कड़ी सुरक्षा वाली जेल में रखा गया था। नारायणन ने पुलिस को बताया था कि रॉकेट की ख़ुफ़िया जानकारी 'काग़ज के ज़रिए ट्रांसफ़र नहीं की जा सकती' और उन्हें साफ़ तौर पर फंसाया जा रहा है उस समय भारत शक्तिशाली रॉकेट इंजन बनाने के लिए क्राइजेनिक टेक्नॉलजी को हासिल करने के लिए संघर्ष कर रहा था और इसलिए जांचकर्ताओं ने नारायणन की बातों पर भरोसा नहीं किया।इस मामले में नारायणन को 50 दिन गिरफ़्तारी में गुजारने पड़े थे. वो एक महीने जेल में भी रहे जब भी उन्हें अदालत में सुनवाई के लिए ले जाया जाता,भीड़ चिल्ला-चिल्लाकरक उन्हें 'गद्दार' और 'जासूस' बुलाती थी।
क्लीन चिट और पद्म भूषण पुरस्कार मिलना -
साल 1996 में सीबीआई ने अपनी 104 पन्नों की रिपोर्ट जारी की और सभी अभियुक्तों को क्लीन चिट दे दी। सीबीआई ने कहा कि न तो इसरो से गोपनीय क़ागज चुराने के सबूत हैं और न ही पैसों के लेनदेन के इसरो की एक आंतरिक जांच में भी पता चला कि क्राइजेनिक इंजन से जुड़ा कोई काग़ज ग़ायब नहीं था।इसके बाद नांबी नारायणन ने एक बार फिर इसरो में काम करना शुरू किया हालांकि अब वो बेंगलुरु में एक प्रशासनिक भूमिका निभा रहे थे हालांकि इन सबके बाद भी उनकी परेशानियों का अंत नहीं हु।सीबीआई के मामला बंद किए जाने के बावजूद, राज्य सरकार ने इसे दोबारा शुरू करने की कोशिश की और सुप्रीम कोर्ट गई।लेकिन साल 1998 में इसे पूरी तरह ख़ारिज कर दिया गया।
इन सबके बाद नारायणन ने उन्हें ग़लत तरीके से फंसाने के लिए केरल सरकार पर मुक़दमा कर दिया।  मुआवज़े के तौर पर उन्हें 50 लाख रुपए दिए गए।अभी पिछले महीने केरल सरकार ने कहा कि वो ग़ैरक़ानूनी गिरफ़्तारी और उत्पीड़न के मुआवज़े के तौर पर उन्हें एक करोड़ 30 लाख रुपए और देगी ।साल 2019 में नांबी नारायणन को भारत सरकार के प्रतिष्ठित पद्म भूषण पुरस्कार से भी नवाजा गया। नारायणन का कहना है कि मामले के पीछे निहित स्वार्थ थे क्योंकि मामले के चलते भारत के क्रायोजनिक इंजन का विकास करने में कम से कम 15 साल की देरी हुई।  रॉकेट्री: द नंबी इफेक्ट नामक एक जीवनी फिल्म जिसका टेलर लॉंच हुआ है इस फिल्म में इन चीजें को दिखाया जायेगा।
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sublimeheartluminary · 2 years ago
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vaidicphysics · 2 years ago
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साम्प्रदायिक कट्टरता का समाधान
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क्या उदयपुर में कन्हैयालाल हत्याकाण्ड को देश में आईएसआईएस अथवा तालिबानी क्रूरता के प्रवेश का संकेत है? आज पुलिस व न्यायालय दोनों के प्रति विश्वास डगमगाया है। अब हम सबको अपने अस्तित्व के लिए, भारत को बचाने के लिए स्वयं आगे आना होगा। संगठन केवल श्मशान वैराग्य की भाँति सिद्ध न हो जाए, बल्कि हिन्दुओं को कथित जातिवाद व निजी स्वार्थी के दुःखद जाल से पूर्णतः मुक्त होकर अपनी रक्षा स्वयं करने तथा एक दूसरे की त्वरित सहायता के लिए सदैव तत्पर रहना होगा। दुर्भाग्यवश हम आर्य से हिन्दू हो गये और अब कोई हिन्दू नहीं है, बल्कि यहाँ केवल कथित जातियाँ ही रह गयी हैं, तो कथित प्रबुद्ध लोग आज इण्डियन हो चुके हैं।
भारत के मुसलमानों को यह आत्मनिरीक्षण करना होगा कि उनमें जो रक्त बह रहा है, वह किसका है? उनका डीएनए भारतीय है वा विदेशी? क्या मजहब बदलने से कभी रक्त वा डीएनए बदल सकता है? तब उन्हें अपने व पराए का स्वयं बोध हो जायेगा। उन्हें पाकिस्तान, अ��गानिस्तान व सीरिया जैसे देशों की स्थिति के लिए जिम्मेदार विचारधारा को पहचानना होगा। क्या आप अशफाक उल्ला खाँ, अब्दुल हमीद व ए.पी.जे अब्दुल कलाम को आदर्श मानोगे?
भारत के सभी राजनैतिक दलों, भारत वा विश्व के न्यायवेत्ताओं व मानवतावादियों को इन प्रश्नों के उत्तर अवश्य ढूँढने होंगे -
भारत में किस दल के शासन में साम्प्रदायिक दंगे अधिक हुए?
हिन्दू बहुल क्षेत्रों ��ें अल्पसंख्यकों की स्थिति कैसी है, उधर मुस्लिम वा ईसाई बहुल क्षेत्रों में हिन्दुओं की स्थिति क्या है? दोनों में तुलना करनी होगी।
सभी पूजा स्थलों (मन्दिर, मस्जिद, गुरुद्वारा, चर्च आदि) की जाँच की जाए कि कहीं उनमें हथियार वा आपत्तिजनक साहित्य तो नहीं है?
इसी प्रकार सभी भारतीयों के घरों की भी जाँच की जाए।
सभी के मजहबी शिक्षण स्थलों व पाठ्यक्रमों की जाँच की जाए कि कहीं कोई देशविरोधी शिक्षा वा हथियारों के अड्डे तो नहीं हैं?
सभी के ग्रन्थों को पढ़कर उनमें से हिंसा, वैर, भेदभाव, छूआछूत आदि को बढ़ाने वाले प्रसंगों को निकाला जाए। ऐसे प्रसंग मिलने पर उनके विद्वानों से सार्वजनिक स्पष्टीकरण मांगा जाए।
सभी सम्प्रदायों से जुड़े व्यक्तियों के देश के स्वतन्त्रता संग्राम व विकास में योगदान के अनुपात की जाँच की जाए। इससे सबकी देशभक्ति की परख हो जायेगी।
किस समुदाय के लोग दूसरे सम्प्रदायों के प्रति कितने सहनशील रहे हैं, इसकी भी निष्पक्ष जाँच की जाए। भाईचारे का नारा देने वाले नेता किस सम्प्रदाय से सम्बन्ध रखते हैं?
किस सम्प्रदाय के लोग विदेश के लिए अपने देश की जासूसी करते हैं वा करते रहे हैं, इसकी सूची सार्वजनिक की जाए।
किस समुदाय के लोग भारतीय संविधान का अधिक सम्मान करते हैं, इसे भी परखा जाए।
किस विचारधारा के लोग देश के संविधान से अपनी मजहबी मान्यताओं को अधिक महत्व देते हैं तथा संविधान को चुनौती देते हैं वा देते रहे हैं?
किस विचारधारा के लोग अधिक बर्बर व कलहप्रिय होते हैं, इसकी भी जाँच की जाए।
किस समुदाय के महापुरुष कहे जाने वालों के विरुद्ध अन्य सम्प्रदाय वालों के द्वारा अधिक घृणित शब्दों का प्रयोग किया जाता रहा है? और कौन प्रथम व अधिक विषवमन करता है?
किस सम्प्रदाय में राष्ट्र, सेना, प्राचीन इतिहास व संस्कृति के प्रति निष्ठा अधिक है?
किस-किस सम्प्रदाय के आक्रान्ताओं ने भारत सहित अनेक देशों पर आक्रमण किए? इसमें कितने लोग मार��� गये?
किस सम्प्रदाय की बहुलता वाले क्षेत्र पाकिस्तान में गये और आज भी कौन लोग भारत विरोधी नारे लगाते हैं?
किस सम्प्रदाय के लोग साम्प्रदायिक दंगों में अधिक लिप्त रहे हैं? राजनेताओं व मीडिया द्वारा आतंकवादियों को धर्मविशेष के लोग बताया जाता है, वह धर्मविशेष क्या है और उसका आधार ग्रन्थ क्या है?
विश्व के अधिकांश आतंकवादी किस सम्प्रदाय से जुड़े हैं? और इसके पीछे मुख्य कारण क्या है?
विश्व के सभी सम्प्रदाय कैसे संसार में फैले? इसकी जाँच भी करना। वे अपने चरित्र व ज्ञान के बल पर अथवा तलवार व बन्दूक के बल पर संसार में फैलते रहे?
अन्त में सबको इस बात पर भी विचार करना होगा कि कट्टरता की इन बढ़ती घटनाओं का कुछ सम्बन्ध कहीं उन वैश्विक शक्तियों से तो नहीं हैं, जो सम्पूर्ण विश्व पर एकछत्र शासन करना चाहती हैं? इसके साथ ही क्या स्वयं को एकमात्र मानव समझ कर एक सत्यधर्म की खोज करने हेतु प्रीतिपूर्वक संवाद एवं कट्टरपंथियों को कठोरतम दण्ड देने के लिए हम सभी एक नहीं हो सकते? क्या हम इतना भी नहीं समझते कि संसार के किसी भी प्राणी में ऐसा क्रूर व्यवहार नहीं देखा जाता, जैसा कि आज इन कट्टरपंथियों का हो गया है। क्या हम पशुओं से भी नहीं सीख सकते?
-आचार्य अग्निव्रत नैष्ठिक
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