#बांदीपुरा
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trendingwatch · 2 years ago
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पीओके-मूल के उम्मीदवारों द्वारा गलत जन्मस्थान की जानकारी के बाद आज जम्मू-कश्मीर की 2 स्थानीय निकाय सीटों पर पुनर्मतदान
पीओके-मूल के उम्मीदवारों द्वारा गलत जन्मस्थान की जानकारी के बाद आज जम्मू-कश्मीर की 2 स्थानीय निकाय सीटों पर पुनर्मतदान
द्वारा संपादित: रेवती हरिहरन आखरी अपडेट: 05 दिसंबर, 2022, 08:37 IST द्रुगमुल्ला के 42 मतदान केंद्रों और हाजिन के 57 मतदान केंद्रों पर सुबह सात बजे से दोपहर दो बजे तक मतदान होगा. (पीटीआई) दिसंबर 2020 में जम्मू और कश्मीर में डीडीसी चुनावों के लिए दो सीटों – कुपवाड़ा में ड्रगमुल्ला और बांदीपोरा में हाजिन – के लिए मतदान हुआ। जम्मू-कश्मीर के कुपवाड़ा और बांदीपोरा जिलों की दो जिला विकास परिषद या…
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indlivebulletin · 6 days ago
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Bandipora Encounter: आतंकी को ठोकते ही सेना ने पूरे इलाके को घेरा, 6 घंटे के भीतर दो एनकाउंटर
जम्मू कश्मीर के बांदीपुरा में सुरक्षाबलों ने एक आतंकी को मार गिराया है। सुरक्षाबलों ने पूरे इलाके की घेराबंदी कर रखी है। फिलहाल मौके पर दोनों ओर से फायरिंग जारी है। तलाशी अभियान के दौरान जंगल में छिपे आतंकियों ने सुरक्षाबलों पर फायरिंग करनी शुरू कर दी। सुरक्षाबलों की ओर से एक आतंकी को मार गिराया गया है। बताया जा रहा है कि जंगल में छिपे आतंकियों ने सुरक्षाबलों पर गोलियां चलानी शुरू कर दी और इसमें…
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latestnewsandjokes · 10 days ago
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जम्मू-कश्मी��� के अनंतनाग में सुरक्षा बलों ने 2 आतंकवादियों को मार गिराया | भारत समाचार
नई दिल्ली: द सुरक्षा बल शनिवार को दो को मार गिराया आतंकवादियों में मुठभेड़ के बाद जम्मू और कश्मीर‘एस अनंतनाग.यह सुरक्षा बलों और के रूप में आता है आतंकवादियों राज्य में अन्य मुठभेड़ों का सामना करना पड़ा। शनिवार को भी तलाशी अभियान जारी है श्रीनगर और बांदीपुरा .शुक्रवार देर रात आतंकियों के गोलीबारी करने और जंगल में भाग जाने के बाद सुरक्षा बलों ने बांदीपोरा में तलाशी अभियान चलाया।एक्स पर सोशल मीडिया…
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parichaytimes · 3 years ago
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मार्शल आर्ट: कश्मीरी युवा आतंकवाद प्रभावित जिलों के बच्चों को मार्शल आर्ट सिखाने के लिए केवल 50 रुपये फीस लेते हैं | समाचार - टाइम्स ऑफ इंडिया वीडियो
मार्शल आर्ट: कश्मीरी युवा आतंकवाद प्रभावित जिलों के बच्चों को मार्शल आर्ट सिखाने के लिए केवल 50 रुपये फीस लेते हैं | समाचार – टाइम्स ऑफ इंडिया वीडियो
फरवरी 19, 2022, दोपहर 12:33 बजे ISTस्रोत: न्यूज नेटवर्क बांदीपुर के एक 33 वर्षीय मार्शल आर्ट कोच ने कश्मीर को फिर से गौरवान्वित किया है। फ़ैसल अली डार को मार्शल आर्ट के लिए अपनी खेल अकादमी के माध्यम से कश्मीरी युवाओं को सशक्त बनाने के उद्देश्य के लिए खेल (मार्शल आर्ट) के क्षेत्र में पद्म श्री से सम्मानित किया गया है। डार ने 4,000 छात्रों को प्रशिक्षित करने का दावा किया है। . Source link
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lazypenguinearthquake · 3 years ago
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बीएसएफ: जेएंडके एसपीओ मारा गया, बीएसएफ एएसआई ग्रेनेड हमले में घायल हुए 4 पुलिसकर्मियों के बीच | इंडिया न्यूज - टाइम्स ऑफ इंडिया
बीएसएफ: जेएंडके एसपीओ मारा गया, बीएसएफ एएसआई ग्रेनेड हमले में घायल हुए 4 पुलिसकर्मियों के बीच | इंडिया न्यूज – टाइम्स ऑफ इंडिया
श्रीनगर: जम्मू-कश्मीर के एक विशेष पुलिस अधिकारी की मौत हो गई, जबकि ए बीएसएफ उत्तरी कश्मीर के निशात पार��क इलाके में आतंकवादियों द्वारा फेंके गए ग्रेनेड विस्फोट में एक चौकी पर तैनात संयुक्त सुरक्षा दल के सहायक उप निरीक्षक और तीन अन्य पुलिसकर्मी घायल हो गए। बांदीपुरा शुक्रवार शाम जिला अधिकारियों ने कहा कि बांदीपोरा के पप्सचन के जुबैर अहमद हमले में नहीं बचे। घायल लोगों की पहचान के रूप में हुई बीएसएफ…
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insolubleworld · 3 years ago
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जम्मू-कश्मीर के बांदीपोरा जिले में आतंकवादी हमले में 2 पुलिसकर्मियों की मौत | इंडिया न्यूज - टाइम्स ऑफ इंडिया
जम्मू-कश्मीर के बांदीपोरा जिले में आतंकवादी हमले में 2 पुलिसकर्मियों की मौत | इंडिया न्यूज – टाइम्स ऑफ इंडिया
श्रीनगर : जम्मू-कश्मीर के बांदीपोरा जिले में शुक्रवार को हुए आतंकवादी हमले में दो पुलिसकर्मियों की मौत हो गई. उन्हों���े कहा कि आतंकवादियों ने शाम को गुलशन चौक पर एक पुलिस दल पर गोलियां चला दीं। अधिकारियों ने कहा कि गोलीबारी में दो पुलिसकर्मी घायल हो गए और उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां उनकी मौत हो गई। उन्होंने बताया कि सुरक्षा बलों ने इलाके की घेराबंदी कर हमलावरों की तलाश शुरू कर दी है। .
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ckpcity · 4 years ago
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लश्कर की राइजिंग बीजेपी स्टार की हत्या, कश्मीर में परिवार के सदस्यों को पार्टी रैंक के माध्यम से एक सर्द भेजता है
लश्कर की राइजिंग बीजेपी स्टार की हत्या, कश्मीर में परिवार के सदस्यों को पार्टी रैंक के माध्यम से एक सर्द भेजता है
बांदीपुरा: एक दर्जन से अधिक भगवा रंग के झंडे और तिरंगा उत्तरी कश्मीर घाटी के एक कस्बे बांदीपोरा में तीन मंजिला ढांचे पर बेवजह लहरा रहे हैं, जो हरमुख के बर्फ से ढके पहाड़ों से घिरा है। विशिष्ट रूप से माला, यह भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेता, शेख वसीम बारी का घर था, जो बुधवार शाम को अपने पिता और भाई के साथ मारा गया था।
जम्मू-कश्मीर पुलिस ने लश्कर-ए-तैयबा के आतंकवादियों को पूर्व नियोजित हमले…
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doonitedin · 6 years ago
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जम्मू-कश्मीर के बांदीपुरा में सुरक्षाबलों ने पांच आतंकवादियों को किया ढेर सेना के जवानों ने बांदीपोरा जिले के सुमलर गांव में घेराबंदी कर आतंकियों के खिलाफ अभियान छेड़ा और तीन आतंकियों को ढेर कर दिया आतंकियों के नापाक इरादों को नेस्तोनाबूत करते हुए सेना के जवानों ने बांदीपोरा जिले के सुमलर गांव में घेराबंदी कर आतंकियों के खिलाफ अभियान छेड़ा और तीन आतंकियों को ढेर कर दिया। गुरुवार को दो आतंकियों को मार गिराने के बाद शुक्रवार को भी दोनों ओर से गोलीबारी होती रही और सुरक्षा बलों ने तीन और आतंकियों को ढेर कर दिया है। इस बीच शोपियां पुलिस लाइन में कल उन तीन पुलिस अधिकारियों को श्रद्धांजलि अर्पित की गई, जिनकी आतंकवादियों ने अपहरण करने के बाद हत्या कर दी थी। जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने आतंकियों की इस कायराना हरकत की निंदा की है।
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indlivebulletin · 7 days ago
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J-K: बांदीपोरा में सुरक्षाबलों और आतंकियों के बीच मुठभेड़, एक आतंकी ढेर, 2 जवान घायल
जम्मू कश्मीर के बांदीपुरा जिले में मंगलवार को आतंकवादियों और सुरक्षा बलों के बीच मुठभेड़ हुई. शीर्ष पुलिस अधिकारियों ने बताया कि बांदीपोरा ऑपरेशन में अब तक एक आतंकवादी मारा गया, जबकि एक सेना का जवान और एक सीआरपीएफ जवान घायल हो गया. अधिकारियों ने बताया कि सुरक्षा बलों ने मंगलवार को बांदीपुरा जिले के चूंटपाथरी वन क्षेत्र में आतंकवादियों की मौजूदगी की सूचना मिलने के बाद घेराबंदी और तलाशी अभियान शुरू…
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sgtechs-in · 6 years ago
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J&K: Encounter underway between securty forces and militants in kupwara and bandipora
J&K: Encounter underway between securty forces and militants in kupwara and bandipora
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news-trust-india · 6 years ago
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आतंकियों की मुठभेड़ में उत्तराखंड का जवान शहीद देहरादून। जम्मू-कश्मीर के बांदीपुरा में गुरुवार सुबह आतंकियों के साथ लोहा लेते हुए उत्तराखंड का एक जवान शहीद हो गया। सेना के जवानों ने दो आतंकियों को कर दिया ढेर मिली जानकारी के अनुसार गुरूवार की सुबह जम्मू-कश्मीर के बांदीपुरा में सुरक्षा बलों के साथ आतंकियों की मुठभेड़ हो गई। इसमें सेना के जवानों ने दो आतंकियों को ढेर कर दिया। वहीं इस ऑपरेशन में सेना का भी एक जवान शहीद हो गया। इसमें रुद्रप्रयाग निवासी मानवेंद्र के शहीद होने की सूचना है। हालांकि अभी जिला प्रशासन इसकी कोई पुष्टि नहीं कर रहा है। लेकिन सूत्रों के अनुसार सेना के जवान शहीद का पार्थिव शरीर के लेकर वहां से रवाना हो गए हैं।
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suryasamachar1 · 6 years ago
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जानिए इससे पहले कब- कब हुए हैं सेना पर हमले...
जम्मू कश्मीर केपुलवामा में अवंतीपोरा के गोरीपोरा इलाके में सुरक्षाबलों के काफिले पर जैश-ए-मोहम्मद आतंकी संगठन को निशाना बनाया है. इस हमले में 20 से ज्यादा जवान शहीद हो गए हैं और 45 से ज्यादा जख्मी. ऐसा पहली बार नहीं हुआ है जब हमारे देश के जवानों पर हमला हुआ है. इससे पहले भी कई बार एसा हो चूका है. चलिए जानते हैं ऐसा कब कब हुआ है.
1- 18 सितम्बर 2016 - उरी के सेना कैम्प पर आतंकवादी हमला
2016 में उरी में सेना के कैंप पर हमला हुआ था. यह हमला जम्मू और कश्मीर के उरी सेक्टर में एलओसी के पास स्थित भारतीय सेना के स्थानीय मुख्यालय पर हुआ. इसमें भारतीय सेना के 18 जवान शहीद हो गए थे. ये हमला लगभग 20 सालों में सबसे बड़ा हमला था. इस हमले का बदला लेने के लिए भारत ने सुर्गिकल स्ट्राइक भी की थी.
2- 29 नवम्बर 2016– जम्मू-कश्मीर के नगरोटा में आर्मी कैंप पर हमला
29 नवम्बर 2016 को जम्मू-कश्मीर के नगरोटा में आर्मी कैंप पर आंतकियों का बड़ा हमला हुआ. इस हमले में 3 आतंकी मारे गए, सेना के 7 जवान शहीद हुए. इस हमले में हमलावर आतंकी पुलिस के ड्रेस में आए थे.
3- 27 अप्रैल 2017– कुपवाड़ा के पंजगाम में सेना के कैंप पर आतंकी हमला
27 अप्रैल 2017 को कुपवाड़ा के पंजगाम में सेना के कैंप पर आतंकी हमला हुआ था. इस हमले में 2 आतंकी मारे गए जबकि भारतीय सेना के 3 जवान शहीद हो गए.
4- 5 जून 2017– बांदीपुरा के सुंबल में CRPF कैंप पर आतंकी हमला
5 जून 2017 को बांदीपुरा के सुंबल में CRPF कैंप पर आतंकी हमला हुआ था. इसमें सेना ने चार आतंकियों को किया ढेर कर दिया था.
5- 26 अगस्त 2017 - पुलवामा पुलिस लाईन में आतंकी हमला
26 अगस्त 201 को पुलवामा पुलिस लाईन में आतंकी हमला हुआ था. इस हमले में 8 जवान शहीद, हो गए थे जबकि 3 आतंकियों के ढेर कर दिया गया था. 10-11 फरवरी 2018 को सुंजवां सेना कैंप आतंकी पर हमला हुआ जिसमें 3 आतंकवादी मारे गए और 6 जवान शहीद हो गए.
2019 में अब तक 28 आतंकी मारे गए
2019 में अब तक 28 आतंकी मारे गए जबकि 3 सुरक्षाबल के जवान शहीद हुए हैं.
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lazypenguinearthquake · 3 years ago
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कश्मीर: जम्मू-कश्मीर के बांदीपोरा में आतंकी हमले में पुलिसकर्मी की मौत, 4 अन्य घायल | इंडिया न्यूज - टाइम्स ऑफ इंडिया
कश्मीर: जम्मू-कश्मीर के बांदीपोरा में आतंकी हमले में पुलिसकर्मी की मौत, 4 अन्य घायल | इंडिया न्यूज – टाइम्स ऑफ इंडिया
श्रीनगर : श्रीनगर में हुए आतंकी हमले में एक पुलिसकर्मी की मौत हो गई और सुरक्षा बल के चार अन्य जवान घायल हो गए जम्मू तथा कश्मीर‘एस बांदीपुरा शुक्रवार को जिला, पुलिस ने कहा। उन्होंने कहा कि प्रारंभिक जांच से पता चला है कि आतंकवादियों ने एक ‘नाका’ (गश्ती) दल पर ग्रेनेड फेंका निशात पार्क जिले में उत्तरी कश्मीरजिससे सुरक्षा बलों के पांच कर्मियों को छर्रे लगे। एक पुलिस प्रवक्ता ने कहा कि घायल कर्मियों…
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todaypostlive · 2 years ago
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 लातेहार : ड्यूटी पर तैनात सीआरपीएफ जवान की गोली लगने से मौत
 लातेहार : ड्यूटी पर तैनात सीआरपीएफ जवान की गोली लगने से मौत
लातेहार। महुआडांड़ थाना क्षेत्र अंतर्गत सीआरपीएफ 218 बटालियन के बासकरचा पिकेट में तैनात जवान मेराजुद्दीन मापनो (40) की मौत शनिवार को गोली लगने से हो गई। जवान जम्मू कश्मीर के बांदीपुरा जिले का निवासी था। जवान के सीने में गोली लगी । हालांकि जवान को गोली कैसे लगी इसकी विस्तृत जानकारी नहीं मिल पा रही है। पुलिस के वरीय अधिकारी पूरे मामले की जांच कर रहे हैं । अधिकारियों का कहना है कि जांच के बाद ही…
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azad4sk · 3 years ago
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'द कश्मीर फाइल्स' के बहाने: कश्मीर के हिन्दू नरसंहार की कुछ ऐसी नृशंस घटनाएं जिन पर आज चर्चा आवश्यक है।
25 जून 1990 गिरिजा टिकू नाम की कश्मीरी पंडित की हत्या के बारे में आप जानेंगे तो सिहर जाएँगे। सरकारी स्कूल में लैब असिस्टेंट का काम करती थी। मुसलमान आतंकियों के डर से वो कश्मीर छोड़ कर जम्मू में रहने लगी। एक दिन किसी ने उसे बताया कि स्थिति शांत हो गई है, वो बांदीपुरा आ कर अपनी तनख्वाह ले जाए। वो अपने किसी मुस्लिम सहकर्मी के घर रुकी थी। मुसलमान आतंकी आए, उसे घसीट कर ले गए। वहाँ के स्थानीय मुसलमान चुप रहे क्योंकि किसी काफ़िर की परिस्थितियों से उन्हें क्या लेना-देना। गिरिजा का सामूहिक बलात्कार किया गया, बढ़ई की आरी से उसे दो भागों में चीर दिया गया, वो भी तब जब वो जिंदा थी। ये खबर कभी अखबारों में नहीं दिखी।
4 नवंबर 1989 को जस्टिस नीलकंठ गंजू को दिनदहाड़े हायकोर्ट के सामने मार दिया गया। उन्होंने मुसलमान आतंकी मकबूल भट्ट को इंस्पेक्टर अमरचंद की हत्या के मामले में फाँसी की सजा सुनाई थी। 1984 में जस्टिज नीलकंठ के घर पर बम से भी हमला किया गया था। उनकी हत्या कश्मीरी हिन्दुओं की हत्या की शुरुआत थी।
7 मई 1990 को प्रोफेसर के एल गंजू और उनकी पत्नी को मुसलमान आंतंकियों ने मार डाला। पत्नी के साथ सामूहिक बलात्कार भी किया। 22 मार्च 1990 को अनंतनाग जिले के दुका���दार पी एन कौल की चमड़ी जीवित अवस्था में शरीर से उतार दी गई और मरने को छोड़ दिया गया। तीन दिन बाद उनकी लाश मिली।
उसी दिन श्रीनगर के छोटा बाजार इलाके में बी के गंजू के साथ जो हुआ वो बताता है कि सिर्फ मुसलमान आतंकी ही इस लम्बे चले धार्मिक नरसंहार की चाहत नहीं रखते थे, बल्कि स्थानीय मुसलमानों का पूरा सहयोग उन्हें मिलता रहा। कर्फ्यू हटा था तो बी के गंजू, टेलिकॉम इंजीनियर, अपने घर लौट रहे थे। उन्हें इस बात का अंदाजा नहीं था कि उनका पीछा किया जा रहा है, हालाँकि घर के पास आने पर उनकी पत्नी ने यह देख लिया। उनके घर में घुसते ही पत्नी ने दरवाजा बंद कर दिया। दोनों ही घर के तीसरे फ्लोर पर चावल के बड़े डब्बों में छुप गए।
आतंकियों ने छान मारा, वो नहीं मिले, जब वो लौटने लगे तो मुसलमान पड़ोसियों ने उन मुसलमान आतंकियों को वापस बुलाया और बताया कि वो कहाँ छुपे थे। आतंकियों ने उन्हें बाहर निकाला, गोलियाँ मारी, और जब खून चावल में बह कर मिलने लगा, तो जाते हुए मुसलमान आतंकियों ने कहा, "इस चावल में खून को मिल जाने दो, और अपने बच्चों को खाने देना। कितना स्वादिष्ट भोजन होगा वो उनके लिए।"
12 फरवरी 1990 को तेज कृष्ण राजदान को उनके एक पुराने सहकर्मी ने पंजाब से छुट्टियों में उनके श्रीनगर आने पर भेंट की इच्छा जताई। दोनों लाल चौक की एक मिनि बस पर बैठे। रास्ते में मुसलमान मित्र ने जेब से पिस्तौल निकाली और छाती में गोली मारी। इतने पर भी वो नहीं रुका, उसने राजदान जी को घसीट कर बाहर किया और लोगों से बोला कि उन्हें लातों से मारें। फिर उनके पार्थिव शरीर को पूरी गली में घसीटा गया और नजदीकी मस्जिद के सामने रख दिया गया ताकि लोग देखें कि हिन्दुओं का क्या हश्र होगा।
24 फरवरी 1990 को अशोक कुमार काज़ी के घुटनों में गोली मारी गई, बाल उखाड़े गए, थूका गया और फिर पेशाब किया गया उनके ऊपर। किसी भी मुसलमान दुकानदार ने, जो उन्हें अच्छे से जानते थे, उनके लिए एक शब्द तक नहीं कहा। जब पुलिस का सायरन गूंजा तो भागते हुए उन्होंने बर्फीली सड़क पर उनकी पीड़ा का अंत कर दिया। पाँच दि�� बाद नवीन सप्रू को भी इसी तरह बिना किसी मुख्य अंग में गोली मारे, तड़पते हुए छोड़ा गया, मुसलमानों ने उनके शरीर के जलने तक जश्न मनाया, नाचते और गाते रहे।
30 अप्रैल 1990 को कश्मीरी कवि और स्कॉलर सर्वानंद कौल प्रेमी और उनके पुत्र वीरेंदर कौल की हत्या बहुत भयावह तरीके से की गई। उन्होंने सोचा था कि 'सेकुलर' कश्मीरी उन्हें नहीं भगाएँगे, इसलिए परिवार वालों को लाख समझाने पर भी वो 'कश्मीरी सेकुलर भाइयों' के नाम पर रुके रहे। एक दिन तीन 'सेकुलर' आतंकी आए, परिवार को एक जगह बिठाया, और कहा कि सारे गहने-जेवर एक खाली सूटकेस में रख दें।
उन्होंने प्रेमी जी को कहा कि वो सूटकेस ले लें, और उनके साथ आएँ। घरवाले जब रोने लगे तो उन्होंने कहा, "अरे! हम प्रेमी जी को कोई नुकसान नहीं पहुँचाएँगे। हम उन्हें वापस भेज देंगे।" 27 साल के बेटे वीरेन्द्र ने कहा कि पिता को अँधेरे में वापसी में समस्या होगी, तो वो साथ जाना चाहता है। "आ जाओ, अगर तुम्हारी भी यही इच्छा है तो!" दो दिन बाद दोनों की लाशें मिलीं। तिलक करने की जगह को छील कर चमड़ी हटा दी गई थी। पूरे शरीर पर सिगरेट से जलाने के निशान थे, हड्डियाँ तोड़ दी गईं थीं। पिता-पुत्र की आँखें निकाल ली गईं थीं। फिर दोनों को रस्सी से लटकाया गया था, और उनकी मृत्यु सुनिश्चित हो, इसके लिए गोली भी मारी गई थी।
मुजू और दो अन्य लोगों को मुसलमान आतंकियों ने किडनैप किया और कहा कि कुछ लोगों को खून की जरूरत है, तो उन्हें चलना होगा। आतंकियों ने उनके शरीर का सारा खून बहा दिया और उनकी मृत्यु हो गई। 9 जुलाई 1990 को हृदय नाथ और राधा कृष्ण के सर कटे हुए मिले। 26 जून 1990 को बी एल रैना जब अपने परिवार को जम्मू लाने के लिए कश्मीर जा रहे थे, तो मुसलमान आतंकियों ने घेर कर मार दिया। 3 जून को, आतंकियों ने उनके पिता दामोदर सरूप रैना की हत्या घर में घुस कर की थी। उन्होंने पड़ोसियों से मदद माँगी, मुसलमान ही थे, नहीं आए।
अशोक सूरी के भाई को गलती से मुसलमान आतंकियों ने उठा लिया। उसे खूब पीटा, टॉर्चर किया और पूरे शरीर को सिगरेट से जलाने के बाद, अधमरे हो जाने पर, बताया कि वो तो उसके भाई को मारना चाहते थे। उसे छोड़ दिया गया। वो किसी तरह घर पहुँच कर भाई को भाग जाने की सलाह देने लगे। भाई ने सलाह नहीं मानी। आधी रात को वो आतंकी घर में आए, लम्बे चाकू से गर्दन काटी और मरने के लिये छोड़ कर चले गए।
सोपोर के चुन्नी लाल शल्ल��� इंस्पेक्टर थे। कुपवाड़ा में पोस्टिंग होने पर उन्होंने दाढ़ी बढ़ा रखी थी कि उन्हें आतंकी पहचान न सकें। एक दिन आतंकी खोजते हुए आए और उन्हें पहचान नहीं पाए, और वापस जाने लगे। उनके साथ ही एक मुसलमान सिपाही भी काम करता था। उसने आतंकियों को वापस बुलाया और बताया कि दाढ़ी वाला ही शल्ला हैं। आतंकी कुछ करते उस से पहले उनके मुसलमान सहकर्मी ने छुरा निकाला और पूरा दाहिना गाल चमड़ी सहित छील दिया। चुन्नी लाल अवाक् रह गए। तब मुसलमान सिपाही ने कहा, "अबे सूअर! तेरे दूसरे गाल पर भी जमात-ए-इस्लामी वाली दाढ़ी नहीं रखने दूँगा।" फिर छुरे से दूसरी तरफ भी काट दिया गया। उसके बाद आतंकियों के साथ मिल कर चुन्नी लाल के चेहरे पर हॉकी स्टिक से ताबड़तोड़ प्रहार किया गया और फिर आतंकियों ने कहा, "दोगले, तेरे ऊपर गोली बर्बाद नहीं करेंगे हम।" रक्त बहते रहने के कारण उनकी मृत्यु हो गई।
28 अप्रैल 1990 को भूषण लाल रैना के साथ जो हुआ वो मुसलमान आतंकियों की क्रूरता सटीक तरीके से बयान करता है। अगले दिन अपनी माँ के साथ घाटी छोड़ने की योजना थी, सामान बाँध रहे थे। मुसलमान आतंकियों की एक टोली आई और रैना के सर में नुकीला छड़ घोंप कर हमला किया। उसके बाद उन्हें खींच कर बाहर निकाला गया, कपड़े उतार कर एक पेड़ पर कीलें ठोंक कर लटकाने के बाद वो उन्हें तड़पाते रहे। भूषण बार-बार कहते रहे कि वो उन्हें गोली मार दें, आतंकियों ने इंतजार किया, गोली नहीं मारी।
25 जनवरी 1998 की रात को वन्धामा गाँव के 23 कश्मीरी हिन्दुओं की हत्या पूर्वनिर्धारित तरीके से की गई। एक बच्चा जो बच गया, उसने बताया कि मुसलमान आतंकी आर्मी की वर्दी में आए, चाय पिया, और अपने वायरलेस सेट पर संदेश का इंतजार करने लगे। जब खबर आ गई कि सारे कश्मीरी पंडितों के परिवार को एक साथ फँसा लिया गया है, तब एक साथ क्लासनिकोव रायफलों से उनकी नृशंस हत्या कर दी गई। उसके बाद हिन्दुओं के मंदिर तोड़ दिए गए और घरों में आग लगा दी गई।
अगर सिक्खों की बात करें तो कई सिक्खों को उनके परिवार के साथ 1990 से 1992 के बीच इसी क्रूरता से मारा गया। इनमें कई जम्मू कश्मीर पुलिस के सिपाही या अफसर भी शामिल थे। ऐसे ही 1989 से 1992 के बीच छः बार ईसाई मिशनरी स्कूलों पर मुसलमान आतंकियों ने बम धमाके किए।
ये कहानियाँ आज क्यों!
इन कहानियों को अभी कहने का मतलब क्या है? इन कहानियों को अभी कहने का मतलब मात्र यह है कि इसमें से 99% कहानियों के पात्रों का नाम आपको याद भी नहीं होगा। इसलिए, इन्हें इनके शीशे की तरह साफ दृष्टिकोण में मैं आपको बताना चाहता हूँ कि शाब्दिक भयावहता जब इतन�� क्रूर है तो उनकी सोचिए जिनके साथ ऐसा हुआ होगा। ये किसी फिल्म के दृश्य नहीं हैं जहाँ नाटकीयता के लिए आरी से किसी को काटा जाता है, किसी की खोपड़ी में लोहे का रॉड ठोक दिया जाता है, किसी की आँखें निकाल ली जाती हैं, किसी के दोनों गा��� चाकू से चमड़ी सहित छील दिए जाते हैं, किसी के तिलक लगाने वाले ललाट को चाकू से उखाड़ दिया जाता है...
ये सब हुआ है, और लम्बे समय तक हुआ है। इसमें वहाँ के वो मुसलमान भी शामिल थे, जो आतंकी नहीं थे, बल्कि किसी के सहकर्मी थे, किसी के पड़ोसी थे, किसी के जानकार थे। सर्वानंद कौल सोचते रहे कि उन्होंने तो हमेशा उदारवादी विचार रखे हैं, उन्हें कैसे कोई हानि पहुँचाएगा, लेकिन पुत्र समेत ऐसी हालत में मरे जिसे सोच कर रीढ़ की हड्डियों में सिहरन दौड़ जाती है।
ये आतंकी बनाम हिन्दू नहीं था, बल्कि ये मुसलमान बनाम गैर-मुसलमान था। आतंकी ही होते तो बाजार में घसीटे जा रहे लाश पर कोई मुसलमान कुछ बोलता, आतंकियों को घेरता, पत्थर ही फेंक देता। ऐसा नहीं हुआ। चार सौ सालों के इस्लामी शासन के बाद कश्मीर के गैर-मुसलमान सिमट कर 6% रह गए थे। 1990 की जनवरी से जो धार्मिक नरसंहारों का दौर चला और विभिन्न स्रोतों के मुताबिक तीन से आठ लाख कश्मीरी हिन्दू पलायन को मजबूर हुए।
पहचानिये सच्चाई .....
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tezlivenews · 3 years ago
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जम्मू कश्मीर में सुरक्षाबलों को बड़ी सफलता, शोपियां में दो मुठभेड़ों में पांच आतंकी ढेर
जम्मू कश्मीर में सुरक्षाबलों को बड़ी सफलता, शोपियां में दो मुठभेड़ों में पांच आतंकी ढेर
श्रीनगर. जम्मू-कश्मीर (Jammu Kashmir) के शोपियां जिले में दो अलग-अलग मुठभेड़ों में पांच आतंकवादी मारे गए. इनमें से एक आतंकवादी हाल में श्रीनगर (Srinagar) में बिहार के एक फेरी वाले की हत्या में शामिल था. पुलिस ने मंगलवार को यह जानकारी दी. पुलिस के एक प्रवक्ता ने बताया कि श्रीनगर और बांदीपुरा में लोगों की चुन-चुनकर हत्या करने के हाल के चार मामलों में से दो को इन घटनाओं में शामिल आतंकवादियों को मार…
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